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________________ सु० ११-१२] संहयपरमाणुपोग्गलमेयणे भंगा अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो तिपएसिए खंधे०, एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति एवं जाव अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दसपएसिए खंधे, एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवति; अहवा एगयतो दुपएसिए खंधे, एगयतो ५ दो संखेज्जपदेसिया खंधा भवंति एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवति; अहवा तिण्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चहा कजमाणे एगयतो तिन्नि परमाणुपो०, एगयतो संखेज्जपए सिए खंधे भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयतो तिपएसिए०, एगयतो १० संखेज्जपएसिए खंधे भवति; एवं जाव अहवा एगयओ दो परमाणुपो०, एगयतो दसपएसिए०, एगयतो संखेज्जपएसिए० भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेज्जपदेसिया खंधा भवंति ; जाव अहवा एगयतो परमाणुपो०; एगयतो दसपएसिए०, एगयतो दो संखेज्जप एसिया खंधा भवंति ; १५ अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो तिन्नि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दुपएसिए०, एगयतो तिन्नि संखेज्जपएसिया० भवंति ; जाव अहवा एगयओ दसपएसिए०, एगयओ तिन्नि संखेज्जपदेसिया० भवंति ; अहवा चत्तारि संखेज्ज एसिया० भवति । एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगो वि भाणियव्वो जाव नवसंजोगो । दसहा कजमाणे एगयतो नव परमाणुपोग्गला, एगयतो संखेज्जपएसिए० भवति; अहवा एगयओ अट्ठ परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; एवं एएणं कमेणं एक्क्को पूरेयव्वो जाव अहवा एगयओ दसपएसिए०, एगयओ नव संखे जपएसिया० भवंति; अहवा दस संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । संखे जहा कजमाणे संखेजा परमाणुपोग्गला भवंति । २५ [सु. १२. संहताणं असंखेजाणं परमाणुपोग्गलाणं विभयणे भंगपरूवणं] १२. असंखेज्जा भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ? गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे भवति । से भिज़माणे Jain Education International For Private & Personal Use Only ५७९ २० www.jainelibrary.org
SR No.001019
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1978
Total Pages679
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size11 MB
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