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५७८ वियाहपण्णत्तिसुत्तं
[स० १२ उ०४ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ तिन्नि दुपएसिया०, एगयओ तिपएसिए
खंधे भवति; अहवा पंचदुपएसिया खंधा भवंति। छहा कजमाणे एगयओ पंच ५ परमाणुपो०, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि
परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपो०, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ दो दुपदेसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपो०, एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कजमाणे एगयओ छ परमाणुपो०, एगयओ चउप्पदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ पंच परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपो०, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति। अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपो०, एगयओ
तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ छप्परमाणुपो०, एगयओ दो दुपएसिया १५ खंधा भवंति । नवहा कन्जमाणे एगयओ अट्ठ परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए
खंधे भवति । दसहा कन्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति ।
[सु. ११. संहताणं संखेज्जाणं परमाणुपोग्गलाणं विभयणे भंगपरूषणं]
११. संखेजा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहणित्ता किं भवति ? गोयमा ! संखेजपएसिए संखे भवति । से भिजमाणे २० देहा वि जाव दसहा वि संखेन्जहा वि कजति। दुहा कन्जमाणे एगयओ
परमाणुपोग्गले, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिपएसिए०, एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; एवं जाव अहवा एगयतो दसपएसिए खंधे,
एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति; अहवा दो संखेजपएसिया खंधा भवंति । २५ तिहा कन्जमाणे एगयतो दो परमाणुपो०, एगयतो संखेजपएसिए खंधे भवति;
१. °वति। अहवा एगयो छ परमाणु० एगयभो दो दुपएसिया खंधा भवंति। दसहा मु० ॥ २. “सङ्ख्यातप्रदेशिकस्य द्विधा भेदे ११, त्रिधा भेदे २१, चतुर्की मेदे ३१, पञ्चधा भेदे ४१, षोढात्वे ५१, सप्तधात्वे ६१, अष्टधात्वे ७१, नवधात्वे ८१, दशधात्वे ९१, सङ्ख्यातभेदत्वे त्वेक एव विकल्पः।" अवृ०॥
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