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________________ ५७४ वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स० १२ उ०४ [सु. ६. छण्डं संहताणं परमाणुपोग्गलाणं विभयणे भंगपरूवणं] ६. छन्भंते ! परमाणुपोग्गला. पुच्छा। गोयमा ! छप्पदेसिए खंधे भवइ । से भिजमाणे दुहा वि, तिहा वि, जाव छहा वि कजइ । दुहा कन्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ ५ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपदेसिए खंधे भवति; अहवा दो तिपदेसिया खंधा भवंति । तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति; अहवा तिण्णि दुपदेसिया खंधा भवंति । चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ १. दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवंति । पंचहा कन्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति। छहा कन्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति। [सु. ७. सत्तण्हं संहताणं परमाणुपोग्गलाणं विभयणे भंगपरूवणं] ७. संत भंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा। गोयमा ! सत्तपदेसिए खंधे १५ भवति। से भिजमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कन्जइ । दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एंगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिप्पएसिए, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति। तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणु०, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति । चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपो०, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कन्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ १. “षट्प्रदेशिकस्कन्धस्य दश भङ्गाः" ला ४ प्रतौ टिप्पणी॥ २. छन्विहा ला १ मु०॥ ३. "सप्तप्रदेशिकस्कन्धस्य चतुर्दश भङ्गाः " ला ४ प्रतौ टिप्पणी॥ ४. 'एगयओ' स्थाने ला १ प्रतौ सर्वत्र 'एगतओ' इति लभ्यते ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001019
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1978
Total Pages679
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size11 MB
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