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________________ (३) चारों गतियों में गुणस्थान विशेष से सम्बन्धित प्रवेश और निर्गमन (गति-आगति चूलिका सूत्र ४४-७५, पृ० ४३७-४६) गति प्रवेशकालीन गुणस्थान निर्गमनकालीन गुणस्थान १. नरकगति प्रथम पृथिवीस्थ १ मिथ्यात्व | १ मिथ्यात्व | २ सासादन ३ सम्यक्त्व। नारक २ सम्यक्त्व द्वितीय से छठी पृथिवीस्थ १ मिथ्यात्व | १ मिथ्यात्व २ , ३ , ४९-५१ सप्तम पृथिवीस्थ | १ मिथ्यात्व | १ मिथ्यात्व ५२ २. तियंचगति तियंचसामान्य | १ मिथ्यात्व पंचेन्द्रिय तिर्यंच ॥ २ सासादन पंचेन्द्रियपर्याप्त ति०] ३ सम्यक्त्व २सासादन ३ सम्यक्त्वा |५३-६० १ सम्यक्त्व पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमती १ मिथ्यात्व २ सासादन १ मिथ्यात्व २सासादन ३ सम्यक्त्व १ ॥ DY ३. मनुष्यगति मनुष्य, व मनुष्यपर्याप्ति १ मिथ्यात्व २ सासादन ३ सम्यक्त्व १ मिथ्यात्व २ सासादन | ३ सम्यक्त्व] १ मिथ्यात्व २ , १ मिथ्यात्व २ , १ मिथ्यात्व २सासादन १मिथ्यात्व | ६६-७४ mm mm मनुष्यणी १ मिथ्यात्व २ सासादन ४. देवगति भवनवासी, व्यन्तर व ज्योतिषी देव- १ मिथ्यात्व देवियाँ तथा २ सासादन सौधर्म-ईशान कल्प की देवियाँ il १ मिथ्यात्व २ सासादन | ३ सम्यक्त्व। २ , अनुदिशों से सर्वार्थसिद्धि पर्यन्त १ सम्यक्त्व १ सम्यक्त्व परिशिष्ट १/७७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
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