SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 828
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६ वर्ण १० गन्ध २ वैक्रियिक ३ माहारक अप्रमत्त और अपूर्वकरण ८ शरीर- १ वज्रर्षभनाराच असंयतसम्यग्दृष्टि १० को० १ हजार संहनन ६ को० सा० तक वर्ष अपिण्डप्रकृतियाँ 1 ५ कीलित ६ असं प्राप्त सेवर्तं | १-५ कृष्णादि १ सुरभि, २ दुरभि १-५ तिक्तादि १ ८ कर्कश आदि १४ विहायो- १ प्रशस्तवि० गति २ अपूर्वकरण तक Jain Education International २ वज्रनाराच मि० और सासा० १२ ३ नाराच ४ अर्धनाराच ११ रस १२ स्पर्श १३ आनुपूर्वी १ नरकगति ४ प्रायो० २ तिर्यग्गतिप्रा" मि० व सासादन १ अगुरुलघु २ उपघात ३ परघात ४ उच्छ्वास ५ आताप ६ उद्योत ७ त्रस "" " ८ स्थावर ६ बादर १० सूक्ष्म ७७४ / षट्खण्डागम-परिशीलन "2 23 मिथ्यादृष्टि २० अपूर्वकरण तक "" मिथ्यादृष्टि | ३ 1 २० को ० | २ हजार (पल्यो० के सं० अन्तर्महूर्त को० सा० वर्ष भाग से हीन २/७सा० सहस्र अन्तःको ० को ० सागरोपम 11 37 31 11 १४,, १६,, १८,, #1 ३ मनुष्यगतिप्रा० असंय०सं० तक १५,, ४ देवगतिप्रा० अपूर्वकरण तक १०,, 37 11 "" 37 २ अप्रशस्तवि० मि० व सासादन २०,, अपूर्वकरण तक S 33 21 13 27 17 मिथ्यादृष्टि मि० और सासा० अपूर्वकरण तक मिथ्यादृष्टि पूर्वकरण तक २० मिथ्यादृष्टि | १८ "" "" "7 "1 १.१.५ १.२५ | १.३ / ५ | १. ४/५ २ ह० वर्ष १ 11 21 21 डेढ " | १ For Private & Personal Use Only 11 २ 33 37 17 23 पल्योपम के असं० भाग से हीन २/७ सा० 17 " " २ ह० वर्ष 1.४ / ५,, 17 39 12 37 (पल्यो० के सं० भाग से हीन १२/७सा० सहस्र पल्योपम के असं ० भाग से हीन २ / ७सा० 39 पल्यो ० के सं ० भाग से हीन २/ ७सा० सहस्र पल्योपम के असं० भाग से हीन २/७ सा० ار "" 23 13 11 13 "1 " "1 " 11 ") "" 33 33 " "" 17 "" 33 " #T www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy