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________________ दशपूर्वधर १८ वर्ष १३. नागसेन १४. सिद्धार्थ १५. धृतिषेण १६. विजय १७. ब्रहिलंग १८. देव १६. धर्मसेन १४[१६] १८११८३] वर्ष एकादशांगधर १८ वर्ष २०. नक्षत्र २१. जयपालक २२. पाण्डव २३. ध्र वसेन २४. कंस - - १२३ वर्ष ६ वर्ष दश-नव-आठ-अंगधर १८॥ २५. सुभद्र २६. यशोभद्र २७. भद्रबाहु २८. लोहाचार्य २३ , ५२[५०] ६६ [१७] वर्ष एकअंगधर २८ वर्ष २१, २६. अहंबली ३०. माधनन्दी ३१. धरसेन ३२. पुष्पदन्त ३३. भूतबलि Mr wr W० ० ११८ वर्ष विचारणीय १. पट्टावली के अन्तर्गत गाथा ६ में जो एकादशांगधरों का पृथक्-पृथक् काल निर्दिष्ट किया गया है उसका जोड़ १८१ आता है । किन्तु इसके पूर्व गाथा ७ में वहाँ वीरनिर्वाण से १६२ वर्ष वीतने पर १८३ वर्षों के भीतर ११ दशपूर्वधरों के उत्पन्न होने का स्पष्ट उल्लेख है। इससे निश्चत है कि उस गाथा ६ में दशपूर्वधरों के काल का जो पृथक्-पृथक् निर्देश किया गया है उसमें किसी एक के काल के निर्देश में २ वर्ष कम हो गये दिखते हैं। आगे गाथा १० में १६ / षट्खण्डागम-परिशीलन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
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