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४८६
४६०
४६३ ४६५
४६६
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(५) वेदनाक्षेत्रविधान
पदमीमांसादि तीन अनुयोगद्वार क्षेत्र की अपेक्षा ज्ञानावरण की उत्कृष्ट-अनुकष्ट वेदना
वेदनीय की अनुत्कृष्ट एवं ज्ञानावरणीय की जघन्य क्षेत्रवेदना ४८८ (६) वेदनाकालविधान
ज्ञानावरण की उत्कृष्ट-अनुत्कृष्ट कालवेदना वेदनाकालविधान से सम्बद्ध चूलिका-१ स्थितिबन्धस्थान प्ररूपणादि
वेदनाकालविधान से सम्बद्ध चूलिका-२ (७) वेदनाभावविधान
४६२ " , चूलिका-१
,, , चूलिका-२ (८) वेदनाप्रत्ययविधान (६) वेदनास्वामित्व विधान (१०) वेदनावेदनाविधान (११) वेदनागतिविधान
४६७ (१२) वेदनाअन्तरविधान
४६४ (१३) वेदनासंनिकर्षविधान (१४) वेदनापरिमाणविधान (१५) वेदनाभागाभागविधान (१६) वेदनाअल्पबहुत्वविधान
५०५ पंचम खण्ड : वर्गणा १. स्पर्शअनुयोगद्वार (१३ प्रकार के स्पर्श का विवेचन)
५०५ २. कर्मअनुयोगद्वार (१० प्रकार के कर्म का विचार)
५०८ तपःकर्म के प्रसंग में दस प्रकार का प्रायश्चित्त
५०६ तपःकर्म के प्रसंग में चार अधिकारों में ध्यानविषयक विचार ५११ क्रियाकर्म (कृतिकर्म या वन्दना)
५१६ कर्मअनुयोगद्वार में प्रसंगप्राप्त एक शंका का समाधान
५२१ ३. प्रकृतिअनुयोगद्वार मूल-उत्तर प्रकृतियों के प्रसंग में पांच ज्ञान आदि का विवेचन
५२२ ४. बन्धन अनुयोगद्वार
तेईस वर्गणाओं में प्रत्येकशरीर-द्रव्यवर्गणा पर विशेष प्रकाश ५२४ बादरनिगोदवर्गणा
५२६ सूक्ष्मनिगोदवर्गणा
५२७ बाह्यवर्गणा के प्रसंग में चार अनुयोगद्वार-(१) शरीरिशरीर
प्ररूपणा, (२) शरीरप्ररूपणा, (३) शरीरविस्रसोपचय प्ररूपणा और (४) विस्रसोपचयप्ररूपणा
५२६ विषयानुक्रमणिका /४७
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