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________________ પ૦૨૦શ્રીશ્રાદ્ધ-પ્રતિક્રમણ સૂત્રપ્રબોધટીકા-૩ थाप्यां, अनेराई व्रत-व्रतोलां कीधांकराव्यां । वितिगिच्छा-धर्म-संबंधीया फलतणे विषे सदेह कीधो, जिन अरिहंत, धर्मना आगर, विश्वोपकारसागर, मोक्षमार्गना दातार, इस्या गुण भणी न मान्या, न पूज्या, महासती महात्मानी इहलोक संबंधीया भोगवांछित पूजा कीधी । रोग, आतंक, कष्ट आव्ये खीण वचन भोग मान्या, महात्माना भात, पाणी, मल, शोभा-तणी निंदा कीधी कुचारित्रीया देखी चारित्रीया उपर कुभाव हुओ, मिथ्यत्वी तणी पूजा-प्रभावना देखी प्रशंसा कीधी, प्रीति मांडी, दाक्षिण्य-लगे तेहनो धर्म मान्यो, कीधो । श्रीसम्यक्त्वविषइओ अनेरो जे कोई अतिचार पक्षदिवसमांहि० ॥४॥ .. पहेले स्थूल प्राणातिपात-विरमण-व्रते पांच अतिचार वह-बध छविच्छेए ॥१॥ द्विपद, चतुष्पद प्रत्ये रीस-वशे गाढो घाव घाल्यो, गाढे बंधने, बांध्यो, अधिक भार घाल्यो, निर्लाछन कर्म कीधां, चारापाणी-तणी वेलाए सार-संभाल न कीधी, लेहणे-देहणे किणही प्रत्ये लंधाव्यो, तेणे भूख्ये आपणे जम्या 'कन्हे ही मराव्यो, बदीखाने घलाव्यो । सल्यां धान्य तडके नाख्यां, दलाव्यां, भरडाव्यां, शोधी न वावाँ, ईंधण-छाणां अणशोध्यां बाळ्यां, तेमांहि साप, विंछी, खजूरा, सरवला, मांकड, जूआ, गीगोडा साहतां मुआ, दुहव्या, रूडे स्थानके न मूक्या; कीडी-मकोडीनां इंडा विछोह्यां, लीख फोडी, उद्देही, कीडी, मंकोडी, धीमेल, कातरा, चूडेल, पतंगीया, देडकां, अलसीयां, ईयल, कुंतां, डांस, मसा, बगतरा, माखी, तीड-प्रमुख जीव विणट्ठा; माला हलावतां; चलावतां, पंखी, चकला, काग तणा इंडां फोड्यां । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001009
Book TitleShraddha Pratikramana Sutra Prabodh Tika 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay, Kalyanprabhavijay, Amrutlal Kalidas Doshi
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Worship, & Spiritual
File Size11 MB
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