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३८. श्रुतदेवता-स्तुतिः (२)
'भ६६-' स्तुति (१) भूता
(था) कमल-दल-विपुल-नयना, कमल-मुखी कमलगर्भ-सम-गौरी । कमले स्थिता भगवती, ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥१॥
(२) संस्कृत छाया આ સ્તુતિ સંસ્કૃતમાં જ છે.
(3) सामान्य भने विशेष अर्थ कमल-दल-विपुलनयना-भरपत्र dai विण नयनोवाणी.
कमलनु दल ते कमल-दल, ते ३५ विपुल-नयनवाणी ते कमलदलविपुल-नयना. विपुल-वि , विस्तृत
कमल-मुखी-मलना। भुवाणी.
कमल समान मुख छ हेर्नु त कमलमुखी. कमलगर्भ-सम-गौरीકમલના મધ્યભાગ જેવા ગૌર વર્ણવાળી.
कमलनो गर्भ ते कमलगर्भ, तेनी सम ते कमलगर्भ-सम, तेवी गौरी ते कमलगर्भ-सम गौरी. गर्भ-मध्यभाग, सम-समान, सदृश, गौरी-गौर वर्णवाणी, श्वेत रंगवाणी.
कमले-भसने विशे. स्थिता-२४ी. भगवती-पूज्य. ददातु-मापो. श्रुतदेवता-श्रुतहेवी.
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