SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा उतारी जाती है। वास्तविकता तो यह है कि हिंसक रूप से (क्रूरता से) बांधकर शीघ्रता से ऊन उतारी जाती है। ऐसे समय यदि भेड़ के शरीर से खून बहे, घाव हो तो वहाँ खड़ा मनुष्य तुरंत उसमें डामर भर देता है। वृद्ध भेड़ को अंत में तो दाना-पानी बिना ही अति दारूण अवस्था में कत्लखाने भेज दिया जाता है। यदि लोग मांसाहार तथा भेड़ के बच्चे का माँस खाना बंद कर दें तो फिर भेड़े सिर्फ ऊन प्राप्ति के लिए ही रखी जावें । गरम कपडे खरीदने में हम जाने-अनजाने इस निर्दयता के समर्थक बन जाते हैं। मधुमक्खीः व्यापारी स्तर पर मधुमक्खियों का प्रजोत्पादन करके उनका पालन करके उनके पास से शहद और शहद के छते प्राप्त किए जाते हैं। उन मधुमक्खियों को बदले में सस्ती शक्कर दी जाती है जो उन्हें जीवित नहीं रखवाती । हजारों मधुमक्खियाँ इससे मृत्यु प्राप्त करती हैं। शहद में भी टोक्सिस (जहरीला) पदार्थ होता है जिससे हमें हानि पहुँचती है। रोयेंदार प्राणीः अधिकांशतः रोयेंदार प्राणियों में फंदे का कारण उसकी जल्दी मौत नहीं होती। सामान्यतः उपयोग में लिया जाने वाला फंदा लोहे के तारों से गूंथा होता है। इस फंदे में फंसा प्राणी अधिकांश रूप से अनेक दिनों तक, जब तक उस फंदे की जाँच न की जाये तब तक उसमें फँसा प्राणी भूखा-प्यासा पड़ा रहता है। अनेक प्राणी इस फंदे से मुक्त होने के लिए अपने ही हाथ-पाँव चबा डालते हैं। इन प्राणियों को फँसाने के परिणाम स्वरूप सिर्फ उन्हीं प्राणियों को शारीरिक मानसिक कष्ट नहीं होता है अपित उनके बिना बच्चे भी भूखों मरते व्यापारी दृष्टि से पालित मिंक (Mink) जैसे रोयेंदार प्राणियों में चिंता और तनाव उत्पन्न हो इसलिए उन्हे अति सँकरे एवं घने डब्बे में, पिंजरे में या बेडो में रखा जाता है। रगड़न रहित कीमती कोट एवं वस्त्र उत्पादन हेतु इन प्राणियों के वध की पद्धति अति दुःखद होती है। सौंदर्य प्रसाधनों के प्राणियों पर किए जाने वाले प्रयोगः टूथपेस्ट, शेम्पू, माउथवॉश, टेल्कम पावडर, अनेक प्रकार के लोशन, लिपस्टिक, नत्र सोन्दर्य प्रसाधन, चेहरे पर इस्तेमाल किए जाने वाली विविध क्रीम, बाल रंगने की हेयर डाइज, अनेक प्रकार के सुगंधी द्रव्य एवं कोलन्स 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy