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________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा ११. दूध के विषय में काल्पनिक बातें बचपन से ही हमारे दिमाग में यह बात ठसा पोषण होता है और हड़ियों के लिए वह उत्तम है। हाँ श्रेष्ठ आहार है । परंतु कौन कहता है कि शेष जीवन के के - प्रमोदा चित्रभानु दी गई है कि दूध के दूध 'की आवश्यक्ता है ? अरे ! प्राणी भी अपनी माता का स्तनपान छोड़ने पर अन्य प्राणियों का दूध नहीं पीते, तो फिर हमें क्यों दूसरे प्राणियों का दूध पीना चाहिए ? क्या दूध आवश्यक है ? क्या हम इन परिस्थितियाँ और आदतों से बाहर नहीं आ सकते ? तुम्हें पता है कि तुम्हारे टेबल पर जो दूध का ग्लास रखा है वह किसी अनजाने बछड़े के लिए है । यदि तुम्हारे की बालक को उसकी माँ का दूध न दिया जाये तो तुम्हें कैसा लगेगा ? हमने ऐसे प्रश्नों को प्राणिजगत के संदर्भ से जोड़ने का प्रयत्न ही नहीं किया हो। प्राणी मानव शोषण के साधन हैं ऐसा मानकर हमने उनका दुरुपयोग ही किया हैं । हम जो दूध पीते हैं वह गाय-भैंस का ही होता है जिसे हर प्रकार की शारीरिक व मानसिक पीड़ा दी जाती है और उनका शोषण किया जाता है । यदि हमारे जीवन व्यवहार में ही हिंसा हो तो फिर हम अहिंसा की बात कैसे कर सकेंगे ? 63 माता का दूध अवश्य लिए हमें अन्य प्राणियों नोबेल प्राईज विजेता आइझेक सिंगर (Isaac Singer) ने एकबार कहा था “यदि हम दूसरों के प्रति दया भाव नहीं रखेंगे तो हम ईश्वर के पास से दया की भीख कैसे माँग सकते हैं ? हम जो दूसरों को देते हैं वहीं हमें प्राप्त होता है। यदि हम दूसरों को आनंद-सुख देंगे तो हमें भी आनंद सुख प्राप्त होगा। यदि हम दूसरों को दुःख देंगे तो हमे भी बदले में दुःख ही मिलेगा।" हम दूध उद्योग की वास्तविकता की कथा (तथ्य) की जाँच करें एवं कैसी त्रासदायक परिस्थिति में गाय-भैंस से दूध प्राप्त करते हैं उसे जाने-समझें । नीचे का अवतरण श्रीमती मेनका गाँधी लिखि Heads & Tails पुस्तक से उद्धृत हैं। इसमें उन्होंने गाय-भैंस के भाग्य और विनाश को प्रस्तुत किया है । यह सब भारत एवं विश्व के अन्य देशों में जहाँ गाय-भैंस का शोषण होता है एवं अत्यंत क्रूप रूप से उनका दुरूपयोग होता है, वहाँ घटिक होता है । । डेयरी उद्योग की गाय-भैंस से निरंतर एक सा दूध प्राप्त करने के लिए जब वे २ वर्ष की होती हैं तब से ही उन्हें सगर्भा बनाया जाता है। बच्चे को जन्म देने के पश्चात वे १० महिनों तक दूध देती हैं परंतु तीसरे महिने ही उन्हें कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पुनः सगर्भा बनाया जाता है और शेष ७ महिने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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