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________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा संपूर्ण सजीव सृष्टि की ओर अहोभाव, पूज्यभाव अभिव्यक्ति करने के अनेक मार्गों में से एक मार्ग है। ७. चाँदी का बरख - प्रमोदा चित्रभानु क्या आपको पता है कि चाँदी का जो बरख अनेक मंदिरों एवं मूर्तियों पर धार्मिक महोत्सवों में उपयोग में लिया जाता है वह शाकाहारी है या नहीं ? क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी मिठाइयों पर लगाया जानेवाला चाँदी का बरख कैसे बनता है ? मुझे स्मरण है कि बचपन में मैं ए ेसी ही मिठाई माँगती जिस पर चाँदी का बरख लगा हो। आज भी अनेक बाल-वृद्ध भी मिठाई पर चाँदी के बरख को चाहते हैं । उसकी लोकप्रियता ने मनुष्य के मन पर ऐसी पकड़ जमा ली है कि वह माँग दिन-प्रतिदिन वृद्धिंगत हो रही है। यदि लोगों को यह पता चले कि चाँदी का यह बरख किस प्रकार तैयार किया जाता है तो मुझे विश्वास है कि वे कभी भी चाँदी का बरख लगी मिठाई का प्रयोग नहीं करेंगे । “ब्युटी विधाउट क्रुअल्टी" भारत शाखा द्वारा प्रकाशित लेख में चाँदी का बरख कैसे बनाया जाता है उसकी प्रक्रिया को हमें समझना चाहिए। ऐसी बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के लिए हम उनका आभार मानते हैं । चाँदी के बरख के चमकीलेपने के उस पार इसके निर्माण स्थल पर जिन प्राणियों के बलिदान से ये बनती है- उसे यदि तुम जानोंगे तो चाँदी की बरख लगी मिठाई को खरीदने से पूर्व दो बार विचार अवश्य करोगे । भारत वर्ष में भारतीय मिठाइयों, सुपारी, पान, फलों की शोभा बढाने के लिए चाँदी के बरख का उपयोग किया जाता है । तदुपरांत आयुर्वेदिक औषधि, एवं अनेक जैनमंदिरों में दैव-देवियों की प्रतिमा के ऊपर भी उसे लगाया जाता है। धार्मिक एवं पवित्र, शुभ अवसरों पर हिन्दु मंदिरों में भी चाँदी की वरख लगी मिठाई प्रसाद के रूप में लोगों में बाँटी जाती है। चाँदी का बरख केसर आदि प्रवाही औषधियों में भी लगाया जाता है। "ब्युटी विधाउट क्रुअल्टी” के कथनानुसार वर्षों पूर्व इन्डियन एर लाइन्स ने अपने रसोइयों को विमान सेवा के दौरान दिए जाने वाले भोजन में मिठाइयों पर बरख नहीं लगाने की सूचना दी थी। चाँदी के बरख तैयार करने में जिस प्रकार की हिंसा की जाती है उसे जानने के पश्चात् अनेक लोग बरख रहित मिठाई का ही आग्रह करते हैं। 49 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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