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________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा हैं। चर्मनिकास परिषद के अध्यक्ष मोहम्मद हासीम कहते हैं- "इस आंदोलन से हम प्रभावित होते हैं इसमें कोई शंका नहीं है ।" उनका मानना है कि उनकी जाति - कौम को गलत रूप में लक्ष्य बनाया जाता है। उनका कथन हैं कि हम तो सिर्फ मृत प्राणियों पर निर्भर कारीगर है। हम तो कल्लखानों द्वारा बेचे जानेवाले चमड़े को ही खरीदते हैं। ९०% चमड़ा भैंस, पाड़ा, बकरी, भेड़ का ही उपयोग में लेते है । उनके संगठन ने अपील की है कि चर्म निकास कर्ता सिर्फ ऐसे प्राणियों का चमड़ा खरीदें जिनका मानवीय रूप से वध किया गया हो । इसके बावजूद भी प्राणियों के अवैध रूप से स्थलान्तर एवं कत्लखानों के विरूद्ध सरकार की किसी भी कार्यवाही के चिन्ह दिखाई नहीं देते । PETA के आंदोलन से पूर्व भारतीय प्राणि अधिकार के समूह ने वर्षों से प्राणियों के प्रति आचरित क्रूरता एवं क्रूरतापूर्वक किए जाने वाले स्थलान्तर को रोकने के प्रयत्न किये हैं । यह अरबों डॉलर का व्यापार है जिसे राजनीतिज्ञों का जबरदस्त समर्थन प्राप्त है। राज्यों की रेलगाडियों मानों गाय-भैंसो के कत्लखाने में भेजने की मृत्यु गाड़ियों ही चलाते हैं। पश्चिम बंगाल एवं केरल में हो रही विनाशक पशु हत्या का विरोध इसमें कुछ भी सहायता नहीं कर पायेगा क्योंकि वहाँ गलियों में चलने वाले कत्लखानें की संख्या अत्यधिक है । मात्र गाय-भैंस की रक्षा हेतु राष्ट्रीय समिति की स्थापना एवं प्राणियों के प्रति आचरित क्रूरता के प्रति तगड़ा जुर्माना करने की एवं प्राणिय चाहकों की अन्य माँगों को संतुष्ट करना नई दिल्ली के केन्द्र सरकार को सरल लगता है । ( वर्तमान विद्यमान कानून के अनुसार मात्र १ डॉलर या ४८ रु. ही दंड हो सकता है) इसका सरल उपाय यही है कि समग्र भारत के उन सभी हत्यारों को कैद करके सरहद के पार गैर कानूनी ढंग से भेजे जाने वाली गाय-भैंसों को रोका जाये । वैंगलोर प्राणिय कल्याण विभाग की कार्यकर्ता सुपर्णा बक्षीगांगुली कहती हैं- “गाँव के किसान भी अनुपयोगी गाय-भैंसों को नहीं रखते, वे कोई संत महात्मा नहीं हैं ।" प्राणिओं के कत्ल को अधिक सुगम एवं निजी बनाना वह तो प्राणियों के प्रति निर्दयता एवं दुख में वृद्धि कर्ता ही हैं। इसके अलावा ऐसे कदम उठाना गाय-भैंस के चाहक - जीवदया प्रेमियों को उत्तेजित करने के लिए काफी है। कोई भी राजनीतिक पक्ष यह जोखिम उठाने को 42 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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