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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा दिया जाता है। अब तो इस देश में गाय-भैंस के बछड़ो या पाड़ों को बछड़ा या पाड़ा भी नहीं कहा जाता परंतु उन्हें 'कत्रा' कहते हैं जिसका अर्थ होता हैं निश्चित रूप से कत्ल कर देना । डॉ. कुरियन स्वंय स्वीकार करते हैं कि एक मात्र मुंबई में ही ८० हजार बछड़े-बछड़ी, पाड़ा-पाड़ी को जबरदस्ती कत्लखानों में ले जाकर मार दिया जाता है। प्रश्नः परंतु दूधवाले गाय-भैंस को चाहते हैं क्योंकि वे ही उन्हें जीवित
रखते हैं। उत्तरः गाँवों मे गाय-भैंस को कैसे दूहा जाता है ? वह आपने देखा है ? कभी-कभी गाय-भैंस को फूकन पद्धति से दूहा जाता है। गाय-भैंस को अति पीडा देने हेतु उसके गर्भाशय में डंडा डालकर हलाया जाता है। गाँव के लोग मानते हैं कि ऐसा करने से अधिक दूध प्राप्त होता है।
शहरों में अधिक एवं शीघ्र दूध प्राप्ति हेतु गाय-भैंस को प्रतिदिन ओक्सीटोसीन (Oxytocin) इन्जेक्शन दिन में दो बार दिए जाते हैं। इस प्रकार गाय-भैंस को दिन में दो बार अत्यंत पीडा दी जाती है। इससे उनके गर्भाशय में सूजन आ जाती है। जिससे समय से पूर्व ही वे बाँझ हो जाती हैं अर्थात् उनका दूध सूख जाता है। ओक्सीटोसीन का उत्पादन प्राणियों के लिए ही होता है, परंतु डेरी के आसपास स्थित हर सिगरेट की दुकान में वह उपलब्ध होता है। इस शब्द से निरक्षर दुधवाला भी पूर्ण परिचित होता है। इस ओक्सीटोसीन के कारण मनुष्य के होर्मोन्स की समतुला खतरे में पडती है । अभी कुछ दिन पूर्व गुजरात में इस ओक्सीटोसीन का पता चलाने को डेयरियों पर छापे मारे गये और एक मात्र अहमदाबाद में ही साढे तीन लाख इन्जेक्शन पकड़े गये। दूध में प्रदूषणः प्रश्नः दूध में प्रदूषण होता हैं ऐसा कहने का क्या अर्थ है ? उत्तरः ICMR ने सात वर्षों तक संशोधन कार्य किया है। भारत भर में हजारों दूध के नमूने प्राप्त किए हैं। प्रश्रः उसमें उन्होंने क्या देखा ? उत्तरः दूध में DDT का अधिकतम प्रमाण, HCH नामक जहरीला पेष्टीसाइड्स, जिसका खाद्य अधिनियम की धारा के अन्दर्गत मात्र ०.०१ Mg/Kg ही होना चाहिए उसके स्थान पर यह प्रमस्य ५.७ Mg/Kg दिखाई दिया।
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