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________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा ४. दूधः आरोग्य, निर्दयता एवं प्रदूषण की दृष्टि से The Times of India Tuesday 11 April 2000 By Pritish Nandi आयुर्वेद वास्तव में दूध को पांच प्रकार के श्वेत विषों में से एक विष मानता है। दूध के विरोध में जंग का ऐलान करके श्रीमती मेनका गांधी ने मधुमक्खी के छत्ते को ही छेड़ा है । चुस्त परंपरागत शाकाहारियों (Hardcore Veggies) ने भी श्रीमती मेनका गाँधी पर शाब्दिक आक्रमण किया है एवं धार्मिक नेताओं ने उन पर खुले रूप से उनका विरोध किया है। श्रीमती गाँधी के पक्ष में वैश्विक संशोधन एवं आधुनिक विज्ञान है जिसका उन्होंने लंबे समय तक समीक्षात्मक अध्ययन किया है वही उनके पक्ष में है। प्रश्रः आप दूध का निरंतर विरोध करते हैं। आपको दूध के प्रति इतनी दुश्मनी क्यों है ? उत्तरः उसके तीन कारण हैं १. दूध के कारण लोगों कीतन्दुरूस्ती को खतरा होता है। २. गाय-भैंस के प्रति निर्दयता का व्यवहार होता है। ३. दूध में प्रदूषित पदार्थ आते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि सेः प्रश्नः दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकर्ता किस प्रकार है ? वह आप समझा सकेंगे? उत्तरः एक ऐसी मान्यता है कि दूध पूर्ण आहार है एवं उसमें से विशेष प्रमाण में प्रोटीन, लोहतत्त्व एवं केल्सियम प्राप्त होता है परंतु• दूध में लोहतत्त्व है ही नहीं, तदुपरांत वह लोहतत्त्व को खून में मिलने ही नहीं देता। • दूध में से हमारा शरीर मात्र ३२% प्रोटीन ही प्राप्त कर पाता है जबकि पत्ता गोबी से वह ६५% एवं फूलगोभी द्वारा ६९% केल्शियम प्राप्त कर सकता है। • किसी भी सब्जी की तुलना में दूध में कम प्रोटीन होता है। यदि यह मान भी लिया जाये कि दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है पर वह मानव शरीर के लिए अनुपयोगी है क्योंकि मनुष्य पूरे दिन में लिए जाने वाले कुल भोजन द्वारा ४.५% शक्ति ही प्रोटीन द्वारा प्राप्त करता है। यह आवश्यक प्रोटीन उसे भारतीय दैनिक भोजन रोटी, दाल-शाक से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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