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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा
सफेद होते थे (धुलते थे)। अतः बखों को धो कर सफेद करने वाले पदार्थ साबुन को सोप (Soap) कहने लगा।
पिछले ३० वर्षों से कुछ अमरीकनों को गाय-भैंस के मस्तिष्क, सूअर के पाँव एवं बैल के शुक्रकोषों को भोजन करने की तीव्र इच्छा होती है । परंतु प्राणियों के खुरों को खाने की इच्छा की संतुष्टि नहीं हो पाती । इन खुरों से जिलेटिन बनाया जाता है। गंध और स्वाद विहीन इस जिलेटीन का प्रोटीन के रूप में सैकडों पदार्थों में प्रयोग होता है । इनमें गौंदयुक्त पट्टियों, आइस्क्रिम, कडक केन्डी, जेलो (Jelo) का समावेश होता है । अनेक चरबीयुक्त पदार्थों में यह जिलेटिन होता है। अर्थात् कथित चरबीयुक्त वस्तुओं में यह जिलेटिन होता है ।
नाबिस्को (Nabisco) के मार्केटिंग कोम्युनिकेशन के मेनेजर जोनबेरोज (Johon Barrows) कहतें हैं जो लोग शक्ति, कैलरी रहित वस्तुओं से अपने मुँह को भरा हुआ रखते हैं उनके लिए जो क्रीमयुक्त पदार्थ बनते हैं उनमें जिलेटिन होता है।
पालतु प्राणियों के चाहकों में कुछ एक ही कुदरत को लौटाने के आंदोलन ने प्राणिज उपउत्पादनों के लिए एक विस्तृत बाजार खडा किया है । तीखी आवाज करने वाले प्लास्टिक के खिलौने जो ऊँगली के जोड़ और स्नायुओं की मदद करते हैं । वे बैल की पूंछ, पांव के अंगूठे के नाखून, जबडा, खोर और दश रतल के मेमथ हड़ियों को निकाल लिया जाता है।
एक प्रश्न यह है कि प्राणियों का अवचित भोजन का वे क्या करेंगे ? अभी तक इसका कोई उत्तर नहीं मिला है। केन्शास एग्रीकल्चरल डिपार्टमेन्ट के डॉ. बर्नस कहते हैं इस संदर्भ में प्रेरक विकास हो रहा है यद्यपि मैं गुप्त माहिती प्रस्तुत नहीं कह सकता। लेकिन निकट भविष्य में ही हम उसे प्राणियों के योग्य भोजन में परिवर्तन करने की नई पद्धति प्रस्तुत करेंगे ।
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