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________________ Jain Education International करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा भोजन दिया जाता है । इससे उनका माँस अधिक कोमल एवं विशिष्ट प्रकार का बनता है । लगभग ६-७ महिनों के पश्चात माँस हेतु बछड़े की कत्ल की जाती है। इस मॉस उद्योग में प्रयुक्त ऐसी क्रूरता निर्दयता संबंधी विपुल साहित्य उपलब्ध है । बच्चे को जन्म देने के पश्चात सिर्फ दो महिने में ही गाय-भैंस को पुनः सगर्भा किया जाता है । डेयरी फार्म में इस प्रकार की जाने वाली गर्भाधान की प्रक्रिया के निरीक्षण की भी शक्ति मेरे अंदर नहीं थी । परे वर्ष में इन गाय-भैंसो को चार या पाँच बार ही फार्म के बाहर घूमने को छोड़ा जाता है । इसके अलाला उन्हें दिन-रात एक ही स्थान पर बाँध के रखते हैं । इस स्थान पर भयंकर दुर्गंध आ रही थी । इस डेयरी को दिन में एक या दो बार ही साफ किया जाता था। शेष समय गाय-भैंस उसी गंदगी में पड़ी रहती थी। • . गाय-भैंस की औसतन आयु १५ वर्ष की होती है। इस प्रकार गाय-भैंसों की दूध देने की क्षमता चार-पाँच वर्षों में ही कम हो जाती हैं, अतः उन्हें कत्लखाने भेज दिया जाता है । वहाँ उन गाय भैसों को फास्ट फूट रेस्टोरेन्ट में विविध व्यंजन हेतु कुत्ते-बिल्ली आदि के भोजन हेतु सस्ते माँस के लिए उनकी कल्ल की जाती है। उनके शेष अवयव हड्डी, चमडा, रक्त, चरवी आदि को फ्लोर वेक्स, पालतु प्राणियों के भोजन, दवा, इन्स्युलीन, जिलेटीन, पाँव की मोजडी, गद्दे तकिये, बिछौने, सोफा, सौन्दर्य प्रसाधन, मोमबत्ती एवं साबुन आदि के उपयोग हेतु भेजा जाता है । गाय-भैंस अपने जीवन में कुल चार बछडे - बछडी को जन्म देती हैं । अंकशास्त्र की दृष्टि से एक गाय-भैंस के बदले में एक ही गाय-भैंस की आवश्यक्ता होती है अर्थात् तीन बजे चाहे नर हो या माँदा उन्हें माँस उद्योग हेतु कत्लखाने भेज दिया जाता है । वहाँ सिर्फ छ-सात महिनों में ही स्वादिष्ट व्यंजन रसोई हेतु उन्हें कत्ल कर दिया जाता है। जो क्रूरता-निर्दयता मैंने डेयरी उद्योग में सुनी और देखी उस पर प्रथमबार तो विश्वास करना ही कठिन है । अपनी वैयक्तिक मान्यताओं के संदर्भ में मुझे भय सा लगा कि डेयरी उत्पादन का सर्वथा त्याग मेरे लिए असम्भव है । मुझे पूर्ण रूपसे शाकाहारी (Vegan) बनना असंभव ही लगा । मनमें प्रश्न हुआ कि अपने भोजन में से दूध, दहीं, छाँछ, मक्खन थी एवं चीझ को कैसे दूर करूँ ? संपूर्ण शाकाहारी (Vegan) बनने के लिए मुझे दूधयुक्त चाय, भारतीय मिठाईयाँ, पीत्झा, दूध की चॉकलेट, आइस्क्रिम, अंडारहित 12 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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