Book Title: Madhyamdiniya Mantrasamhita
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir / / कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः / / / / अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः / / / / गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः / / / / योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / ॥चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक : 1 * जैन आराध महावीर कोबा. अमृत तु विद्या विद्या श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websit: www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - 380007 (079)26582355 For Private And Personal Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir RAAR // अथ माध्यंदिनीयमंत्रसंहिताप्रारंभः॥ RES mernamESA HOMENKUSOMEONE VERN Madaaplivenepal PAHARANA HArtistmailAN KARANARSacaRNARAPARASHARA VASAAAAAAAARADHAAR For Private And Personal Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir श्रीगणेशायनमः॥हरि ॐ॥अथ प्रयोजनसंहिताप्रारंभः॥ तत्र संध्यामंत्राः॥ॐतत्सवितुर्वरेण्यम्भग्र्गोदेवस्य॑धीमहि ॥धियोघोन प्रचोदयात्॥१॥ सूर्य्यश्श्चमामन्युश्श्चमन्युपतयश्श्चमन्युकृतेभ्यः पापेभ्योरक्षन्ताम् यद्राच्यापापमकार्षम्मनसावाचाहस्ताभ्याम् पर यामुदरेणशिश्नारात्रिस्तदवलुपतु यत्किञ्चिदुरितंमयि / इदमहंमा / ममृतयोनौसूर्ये ज्योतिषि जुहोमि स्वाहा ॥२॥ॐआपः पुनन्तुप / थिवीं पृथ्वीपूतापुनातुमां पुनन्तुब्रह्मणस्पतिर्ब्रह्मपूापुनातुमां यदु। च्छिष्टमभोज्यंयद्वादुश्चरितमम सर्वम्पुनन्तुमामापोसताञ्चप्रतिय For Private And Personal Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र हस्वाहा // 3 // ॐ अग्निश्श्चमामन्युश्श्चमन्युपतयश्श्चमन्युकृते सं० // 1 // भ्यःपापेभ्योरक्षन्ताम् यदह्नापापमकाष मनसावाचाहस्ताभ्याम् पण यामुदरेणशिश्नाअहस्तदवलुपतु यत्किञ्चिदुरितंमयि इदमहम्माम मृतयोनौ सत्येज्योतिषिजुहोमिस्वाहा // 4 // ॐ आपोहिष्टामयोभु स्तानऽऊर्जेधातन / मुहेरायुचक्षसे // 5 // यो शिवतमोरसु स्तस्य॑भाजयतेहनः।उशुतीरिवमातरः॥६॥तस्म्माऽअरङ्गमामवो यस्युक्षायुजिन्वथ॥ आपोजुनयथाचन ॥७॥ॐसुमित्रियान / आपुऽओषधयः सन्तुदुर्मुित्रियास्तस्म्मैसन्तुयोस्म्मान्द्वेष्टियञ्च / // 1 // For Private And Personal Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir यन्द्धिष्म्मः॥८॥ॐ द्रुपदादिवमुमुचानास्विन्न स्नातोमलादिव // पूतंपवित्रणेवाज्ज्यमापः शुन्धन्तुमैनसः॥९॥ॐ ऋतञ्चसुत्त्यश्चात भीडात्तपुसोध्यजायत ततोराव्यजायतुततःसमुद्रोअर्णवः सुमु द्रादर्णवादधिसंवत्सुरोऽअजायत अहोरात्राणिविदधुद्विश्वस्यमिष / तोवशी सूर्याचुंद्रुमसौधातायथापूर्वमकल्पयत् दिवञ्चपृथिवीञ्चा।। न्तरिक्षमीस्वः॥ १०॥ॐ उद्घयन्तमसुस्स्परिस्वः पश्यन्तुऽउत्त रम्। देवन्दैवत्रासूर्यमगन्मुज्ज्योतिरुत्तमम्॥ 11 // ॐ उदुत्त्या तवैदसन्देवंबहन्तिकेतवः // हुशेविश्वायुसूय॑म् // 12 // अॅचि For Private And Personal Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafitm.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir // 2 // वन्देवानामुर्दगादनीकुञ्चक्षुमित्रस्स्युवरुणस्स्याग्ने // आप्पाद्या वापृथिवीऽअन्तरिक्षुठसूर्य आत्माजगतस्तुस्थुषश्च // 13 // ॐ तच्चक्षु?वहितम्पुरस्ताच्छुकमुच्चरत्॥पश्यमशुरद शुतश्रीवैम शाद शुतर्छशृणुयामशुरद शुतम्प्प्रब्रवामशरद शुतमदीनास्स्यामा रद शुतम्भूयश्श्चशुरद शुतात् // 14 // ॐतेजोसिशुक्रममृतमायु प्पा आयुर्मेपाहि / देवस्यत्त्वासवितुःप्रसुवेश्विनौर्बाहुभ्या , म्पूष्णोहस्ताब्भ्यामादंदे // 15 // देवांगातुविदोगातुंछित्त्वागातुमि // 2 // तो मनसस्स्पतऽडुमन्देवयज्ञस्स्वाहाबातेधाः // 16 // // अथ - For Private And Personal Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir तर्पणमन्त्राः // // आयन्तुन पितर सोम्यसौग्निष्ष्वात्ता पुथि / भिर्देवयानैः // अस्म्मिन्युज्ञेस्स्वधयामदुन्तोधिब्रुवन्तुतॆवन्त्वुस्मा न॥१॥ उदीरतामवर उत्परासुऽउन्मध्यमा पितर सोम्म्यास // असुंठ्याईयुर्वकाऽऋतुज्ञास्तेनौवन्तुपितरोहवेषु // 2 // अङ्गिरसो / नापितरोनवग्ग्वाऽअर्थर्वाणोभृगवत्सोम्म्यास // तेषांव्यर्छसु मतौयुज्ञियानामर्पिभुद्रेसौमनसेस्याम ॥३॥ऊर्जुम्वहन्तीरमृतं / तम्पर्य कीलालम्परिस्स्रुतम् ॥स्वुधास्थतुर्पयतमेपितृन् // 4 // पितृभ्य स्वधायिभ्य स्स्वधानमपितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: For Private And Personal Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kallashsagarsur Gyanmandir स्वधानमुः प्रपितामहेभ्यः स्वधायिभ्यःस्स्व॒धानमः // अक्षन्पुि सं. तरोमीमन्तपितरोतीपन्तपितरः पितरत्शुन्धद्धम्॥५॥ येचेहपि / तरोधेचुनेहयाँरश्चविद्मया // उंचुनप्रविद्म॥ त्ववेत्थुयतितेजात / वेदः स्वधाभिर्युज्ञर्छसुकृतजुषस्व // 6 // मधुबाताऋतायुतेम / धुक्षरन्तुिसिन्धवः // मावीनत्सुन्त्वोषधीः // 7 // मधुनक्तमुतोष / सोमधुमुत्पार्थिवठुरजः॥ मधुधौरस्तुनापिता // 8 // मधुमान्नोव / / नस्स्पतिर्मधुमाऽअस्तुसूर्यः॥माधीग्र्गावोभवन्तुनः // 9 // नमौवपितरोरसायनमौवः पितरत्शो युनौव-पितरोजीवायुन For Private And Personal Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मौव पितरः स्वधायैनमौव:पितरोघोरायुनौवःपितरोमुन्न्यवेनौ व:पितरपितरोनौवोगृहान्न-पितरोदत्तसुतोव पितरोदेष्म्मैतद्वः / पितरोबासः॥१०॥ // अथपूजनमंत्राः // // ॐमहीधौ पृथि / दावीचनऽइमंव्यज्ञम्मिमिक्षताम् // पिपृतान्नोभरीमभिः // 1 // भूत | शुद्धिमंत्रः॥ ॥ॐयेभूतानामधिपतयोविशिखास कपुर्दिनः // तेर सहस्त्रयोजुनेवुधन्वानितन्मसि // 2 // मातृकामंत्रः // ॐ अ म्बेअम्बुिकेऽम्बालिकेनमानयतिकश्श्चन // ससंस्त्यश्वक सुभद्रि काङ्काम्पीलवासिनीम् // 3 // प्राणप्रतिष्ठामंत्राः॥ सुमुद्स्युत्त्वा For Private And Personal Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र वयाग्नुपरिट्ययामसि ॥पावुकोऽअस्म्मभ्यर्छशिवोभव // 4 // हि ॥४॥मस्यत्त्वाजुरायुणाग्नुपरिट्ययामसि // पाबुकोऽअस्म्मभ्यर्छशि // वोभव॥५॥उपुज्ज्मन्नुपवेतुसेवतरनुदीष्ष्वा॥अग्नेपित्तमुपामसिम / पण्डूंकिताभिरागहिसेमन्नौयज्ञम्पावुकवर्णशिवधि॥६॥अपामि / दन्ययनठसमुद्रस्यनिवेशनम् // अन्याँस्तै अस्म्मत्तंपन्तुहेतयः / / पावुकोऽअस्मभ्यर्छशिवोभव ॥७॥अग्नै पावक॥रोचिर्षामुन्द्र / यदेिवजिव्हया॥आदेवान्वक्षियक्षिच॥८॥सन पावकदीदिवोग्नेदेवा // 4 // डुहावह॥ उपयुज्ञठेहुविश्च्चनः॥९॥पावुकयुायश्च्चितयन्त्याकृ / 6 For Private And Personal Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पाक्षामन्त्रुरुचाउषसोनभानुना // तूईन्नयामुन्नेतशस्यनूरणुऽआयो घृणेनतंतषाणोऽअजरः // 10 // नमस्तुहरसेशोचिषुनमस्तेऽ स्त्वचि // अन्याँस्तै अस्म्मत्तपन्तुहेतय पावुकोऽअस्म्मभ्या शिवोभव॥११॥ नृषदेवर्डप्प्सुषदेवेद्दर्हिषदेवेड्यनुसदेवेविदेवेट्॥१२॥ यदेवादेवानांव्यज्ञियायज्ञियानासंवत्सुरीणमुफ्भागमासते ॥अह / तादौ हुविषौपुज्ञेअस्म्मिन्त्स्वुयम्पिबन्तुमधुनोघृतस्य // 13 // देवादेवेष्ष्वधिदेवुत्त्वमायुन्येब्रह्मणत्पुररएतारोऽअस्य // येभ्योन। ऋतेपर्वतधामुकिञ्चननतीदुवोनपृथियाऽअधिस्त्रुषु // 14 // प्राण For Private And Personal Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir दाऽअपानुदाव्यानुदाबोंदावरिवोदाः // अन्याँस्तै अस्म्मतप / न्तुहेतय पावुकोऽअस्म्मभ्यर्छशिवोभव // 15 // 4 // ॐ अ यम्पुरोभुवृत्तस्स्यप्माणोभौवायुनोवसुन्त प्राणायुनोगायत्रीवासु न्तीगायत्र्यैर्गायत्रीयुत्रार्दुपाशुरुपाएशोस्विवृत्रिवृतौरथन्तुरंव सिष्टऋषिप्रजापतिगृहीतयात्वयाप्प्राणहामिप्प्रजाभ्य: // ॥४॥अयन्दक्षिणाविश्श्वकर्मातस्स्युमनौवैश्श्वकर्मणङ्ग्रीष्म्मो / मानसस्त्रिष्टुब्येष्मीत्रिष्टुभ स्वारस्वारादन्तामोन्तामात्प। नश्चदुशः पञ्चदशाहद्धरद्वाजुऋषि-प्प्रजापतिगृहीतयात्वयामनौगृ For Private And Personal Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हामिप्पुजाभ्यः // 5 // अयम्पुरश्चाहिश्श्वत्यचास्तस्स्युचक्षु र्वैश्श्वव्यचुसंवर्षाश्चाक्षुष्ष्योजगतीवार्षीजगत्त्याऽऋक्सममृक्समा लाच्छुक्र शुक्रात्त्सप्तदशः सप्तदशाद्वैरूप मदग्निर्ऋषिष्प्रजापतिश गृहीतयात्वयाचक्षुर्गृह्णामिष्णुजाभ्यः // 6 // इदमुत्तुरात्त्स्वस्त / स्स्युश्श्रोत्रर्छसौवर्छशुरच्छीन्यनुष्टुप्पशारधनुष्टुभऽऐडमडान्मुन्थी / मुन्थिन एकविठुशऽएकविठेशाद्वैराजम्वुिश्श्वामित्र ऋषिः प्रजाप तिगृहीतयात्वयाश्श्रोत्रगृह्णामिष्णजाब्भ्यः॥ 7 // इयमुपरिमति / स्तस्स्यैवाङ्मात्याहेमन्तोवाच्यः पुतिहैमुन्तीपङ्कचैनिधनवन्निध / / For Private And Personal Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र मानवतऽआग्ग्रयुऽणआप्पयुणात्रिणवत्रयस्त्रिर्छशौत्रिणवत्र upaभ्याशाकररैवतेविश्वकर्मुऽऋषिःप्रजापतिगृहीतया वास्थिर्छशा गृह्नामिप्प्रजाभ्यौलोकन्ताऽइन्द्रम् // 8 // // पञ्चगव्यमा ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गौदुवस्यधीमहि // धियोयोनःप्रचोदयात् / fam9 // गन्धद्वारांदुराधर्षानित्यपुष्टांकरीषिणीम् // ईश्वरीसर्वभूताः नांतामिहोपह्वयेश्रियम् // 10 // आप्यायस्वुसमैतुतेविश्श्वतम् / / सामवृष्ण्यम् // भवाबास्स्यसङ्गुथे // 11 // दधिक्राव्णोऽअकारिज ञ्जिष्णोरश्श्वस्यवाजिनः // सुरुभिनोमुखाकरत्प्रणुऽआयूषितान For Private And Personal Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हरिषत् // 12 // घृतम्मिमिक्षेतघृतमस्स्युघोनिग्घृतेश्श्रुितोघुतम्ब स्स्युधाम // अनुष्ष्वुधमावहमादयस्स्स्वाहाकृतंवृषभवक्षिहुव्यम्स // 13 // देवस्यत्त्वासवितुः प्रसुवेश्श्विनोर्बाहुब्भ्याम्पूष्णोहस्ता / भ्याम्॥१४॥ // देवतोत्थापनमंत्राः ॥ॐ उत्तिष्टब्रहमणस्पतेदे / वयन्तस्त्वेमहे॥उपप्पयन्तुमरुतःसुदानवुऽइन्द्रप्प्राशूर्भवासा // // 15 // प्रतिष्ठामंत्रः॥ॐ मौजूतिज्जुषतामाज्यस्स्यबृहस्प्पति / / यंज्ञमिमन्तनोत्त्वरिष्टुंठ्यज्ञर्छसमिमन्दधातु॥विश्श्वदेवासंऽडुहमा / दयन्तामो प्रतिष्ठ // 16 // आवाहनमंत्रः॥धामुच्छदुग्निरिन्द्रौछ - - For Private And Personal Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandir मंत्र मादेवोबृहस्प्पतिः // सचेतसोविश्वदेवाय॒ज्ञम्पावन्तुन शुभे ॥सं. // 7 // an 17 // आसनमंत्रः॥ त्वंयविष्ठदाशुषो पाहिशृणुधौगिरः ॥र क्षातोकमुतत्मना ॥१८॥अर्घमंत्रः॥ ॐसुहस्रशीर्षापुरुषः सहस्रा / क्ष सुहस्रपात् // सभूमिर्छसुर्वतस्प्पृत्वात्य॑तिष्ठदशांगुलम्॥ 19 // // आचमनमंत्रः॥ॐशन्नौदेवीरभिष्टयुऽआपोभवन्तुपीतये॥शंथ्यो / रभिस्रवन्तुनः // 20 // स्नानमंत्रः॥ // आपोहिष्ठामयोभुवुस्तान Sऊर्जेदधातन॥मुहेरायुचक्षसे ॥२१॥योवःशिवतमोरसुस्तस्स्य // 7 // भाजयतुहन ॥उशतीरिवमातरः॥२२॥ तस्म्माऽअरङ्गमामवीय For Private And Personal Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्युक्षयायुजिन्वथ // आपौजुनयंथाचनः // 23 // अथपंचामृ तस्नानमंत्राः // तत्रपयोमंत्रः॥ॐपयःपृथियाँपयुऽओषधीषुपयौ , दिव्यन्तरिक्षेपयोधाः // पयंस्स्वतीप्रदिशः सन्तुमह्यम् // 24 // द धिमंत्रः॥ ॐदधिक्क्राणोऽअकारिषञ्जिष्णोरश्श्वस्यवाजिनः॥सुर भिनोमुखांकरत्प्रणुऽआयूषितारिषत् ॥२५॥घृतमंत्राघृतम्मिमि / क्षेघृतमस्युयोनिग्घृतेश्श्रुितोघृतम्म्वस्युधाम // अनुष्व॒धमावह || मादयस्वुस्वाहाकृतवृषभवक्षिहुव्यम् // 26 // // मधुमंत्रः मधुव्वाताऽ। ऋतायुतेमधुक्षरन्तुिसिन्धवः // मावीन्न सुन्त्वोषधीः // 27 // मी For Private And Personal Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र धुनक्तमुतोषसोमधुमुत्पार्थिवठुरजन मधुधौरस्तुनापिता // 28 // 8 // मधुमानीवनस्स्पतिर्मधुमा॥ऽअस्तुसूयं // माध्वीवोभवन्तु / नह॥ 29 // ॥शर्करामंत्रः॥ॐअपारसुमुद्द्यसुर्छसूर्युसन्त / सुमाहितम् / अपारसस्स्युयोरसुस्तंबौगृह्णाम्म्युत्तममुपयामगृहीत तोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टंगृह्णाम्म्येषतुयोनिरिन्द्रायत्त्वाजुष्टतमम्॥३०॥ पुनःशुद्धोदकस्नानमंत्रः॥ // शुद्धवालासुर्वशुद्धवालोमणुिवालुस्त / आश्विनास्येतत्स्येताक्ष्योरुणस्तरुद्रायपशुपतयेकुर्णायामावलि प्तारौद्रानभौरूपाल्पार्जुन्यः // 31 // वस्त्रमंत्रः // ॐघुवासुवा For Private And Personal Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir साः परिवीतुऽआगात्सऽजुश्रेयान्भवतिजायमानः॥तंधीरासःकुवयुऽ। उन्नयन्तिस्वाध्यो मनसादेवयन्तः // 32 // अथ यज्ञोपवीतमं / त्रः॥ ॐयज्ञोपवीतंपरमंपवित्रम्प्रजापतेर्यत्सहजंपुरस्तात् // आयु / ष्यमग्यप्रतिमुञ्चशुभ्रंयज्ञोपवीतंबलमस्तुतेजः॥३३॥ अथसुगन्धिी द्रव्यमंत्रः // ॐअहिरिवभोगैपथ्यतिबाहुंज्यााहेतिम्परिबाधमा नः // हुस्तुग्नोविश्वायुनानिविदान्पुमान्पुमासुम्परिपातुविश्व त॥चंदनमंत्रः॥ॐत्वाङ्गन्धुर्वाऽअखनूस्त्वामिन्द्रस्त्वाम्बृहस्पतिः त्वामौषधेसोमोराजांविदान्यक्षम्मादमुच्यत // 34 // अक्षतमंत्रः॥ For Private And Personal Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र ॐअक्षुन्नमीमदन्तह्यवप्रियाऽअधूषत // अस्तौषतुस्स्वभानवोचि सं० ॥९॥प्नविष्ठयामुतीयोजुविन्द्रतुहरी // 35 // पुष्पमंत्रः // ॐयत्पुरुष / सम्व्यदधुत्कतिधाध्यकल्प्पयन् ॥मुखङ्किमस्यासीत्किम्बाहूकिमरूपा दाऽउच्च्येते // 36 // विल्बमंत्रः॥३७॥त्र्यम्बकंयजामहेसुगुन्धि / सम्पष्ट्रिवर्द्धनम्। उवारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयुमामृतात्॥३८॥ तुलसीमंत्रः // अँदंविष्णुर्विचक्रमेधानिदधपुदम् // समूढमस्य / पाउंसुरेस्वाहा // 39 // दूर्वामंत्रः॥ॐकाण्डात्काण्डात्पुरोहन्तीप... रुषल्परुषुस्परि // एवानोदूर्वेप्प्रतनुसुहस्रेणशुतेनच॥४०॥धूपमंत्रः al For Private And Personal Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॐधूरसुिधबुधूर्वन्तुन्धर्वतंथ्योस्म्मान्धूातितन्व॒यंबुयन्धामः॥देवा नामसुिवह्नितमुर्छसस्नितमम्पप्पितमञ्जुष्टतमन्देवहूतमम् // 41 // दीपमंत्रः // ॐअग्निज्योतिज्योतिग्निस्वाहासूर्योज्योति / / ज्योतित्सूर्यत्स्वाहा / अग्निवर्होज्योतिवर्चुलस्वाहा सूर्योधच्चों / ज्योतिर्वर्चुत्स्वाहा॥ज्ज्योतित्सूर्युत्सूर्योज्ज्योतित्स्वाहा // 42 // नैवेद्यमंत्रः // ॐअन्नपुतेन्नस्स्यनोदेह्यनमीवस्य्शुष्मिणः // प्रप्पं दातारंतारिषु ऊर्जन्नोधेहिद्विपदेचतुष्पदे॥४३॥ फलमंत्रः // ॐा। या फुलिनीUऽअफुलाऽअपुष्प्पायाश्चंपुष्पिणी / बृहस्पतिप्रसूता / For Private And Personal Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 10 // मंत्र स्तानौमुञ्चन्त्वहसः // 44 // दक्षिणामंत्रः॥हिरण्यगर्ब सं० समवर्तताग्भूतस्यजात पतिरेकऽआसीत् / सदाधारपृथिवीन्द्या / मुतेमाङ्कस्म्मैदेवायहविषाविधेम // 45 // आर्तिमंत्रः॥ आरात्रि पार्थिवठुरजःपितुरप्पायिधामभिः // दिवसदासिबृहुतीवितिष्ठ सुऽआत्त्वेषवर्त्ततेतमः॥४६॥ पुष्पाअलिमंत्रः॥ॐयज्ञेनयज्ञमयज / न्तदेवास्तानिधर्माणिप्रथमान्यांसन् // तेहुनाकम्भहिमान-सच / न्तुषत्रुपूर्वेसुाद्धयासिन्तिदेवा // 47 // अथस्वस्त्ययनमंत्राः॥हरिः॥१०॥ ॐ स्वस्तिनु इन्द्रौबृद्धश्रवाहस्वस्तिनः पूषावुिश्श्ववेदाः // स्वस्ति / Nced For Private And Personal Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir नस्तायो अरिष्टनेमिल्स्वस्तिनोबृहस्प्पतिर्दधातु // 1 // पर्यम्। थिव्याम्पयुऽओषधीषुपयौदिष्ट्युन्तरिक्षेपयोधाः // पय॑स्स्वतीप्फुदि शासन्तुमह्यम् // 2 // विष्णोररामसिंविष्णोल्लप्पैस्त्थोविष्णो स्यूरंसिविष्णोध्रुवौसि॥वैष्णुवमसिविणवेत्त्वा // 3 // अग्निर्देवता वातौदेवतासूथ्याँदेवाचुन्द्रमादेवतावसवोदेवारुद्रादेवतादित्यादे वतांमुरुतौदेवताविश्वेदेवादेवताबृहस्प्पतिर्दुवतेन्द्रौदेवताबरुणोदे वता // 4 // द्यौल्शान्तिरन्तरिक्षुर्छशान्ति पृथिवीशान्तुिरापुत्शान्ति / रोषधयुत्शान्तिः // वनस्पतयुत्शान्तुिर्विश्वेदेवा शान्तुिर्ब्रह्मशा / / For Private And Personal Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्रन्तित्सङ्घर्छशान्तिःशान्तिरेवशान्तुिल्सामाशान्तिरेधि॥ 5 // विश्श्वा सं निदेवसवितर्दुरितानिपरासुव॥ यद्धद्रन्तन्नुऽआसुव॥६॥ईमारुद्राय / तुवसैकपुर्दिनैक्षयदीरायुप्पभरामहेमुती॥ यथाशमसद्विपदेचतुष्प / पदेविश्श्वम्पुष्टय़ामैऽअस्म्मिन्ननातुरम् // 7 // एतन्तैदेवसवितयं / ज्ञम्प्प्पाहुयृहस्पतयेब्रह्मणे।तेनयज्ञमत्तेनयज्ञपतिन्तेनुमामव॥८॥ मनौजूतिर्जुषतामाज्यस्युर्वृहस्पतिय॑ज्ञमिमन्तनोत्त्वरिष्टव्यज्ञर्छ। समिमन्दधातु॥विश्वदेवास हमादयन्तामोऽप्रतिष्ठ॥९॥एषुवै , प्रतिष्ठानामयज्ञोपत्रैतुनय नयजन्तेसुर्वमेवप्प्रतिष्ठितंभवति // 10 // 11 // For Private And Personal Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairt.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गुणानान्त्वागुणपति:हवामहेप्पियाणान्त्वाप्रियपति:हवामहेनि | धीनान्त्वानिधिपतिर्छहवामहेवसोमम // आहमजानिग धमात्त्व / मजासिग धम् // 11 // नमोगुणेभ्योगुणपतिब्भ्यश्चवोनमो नमोबातेभ्योब्रातपतिब्भ्यश्चवोनमोनमोगृत्सैब्भ्योगृत्संपतिब्भ्य चवोनमोनमोधिरूपेभ्योविश्श्वरूपेन्भ्यश्चवोनमः // 12 // अ थकलशस्थापनमंत्राः॥भूस्पर्शः॥भूरमिभूमिरस्स्यदितिरसिविश्श्व धायाविश्वस्युभुवनस्यधुर्ची // पृथिवींव्यच्छपृथिवीन्ह हपृथिवीं / माहिसी // 1 // धान्यप्र०मंत्रः // धान्यमसिधिनुहिदेवान्प्पा / For Private And Personal Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir www.kobatith.org मंत्रणायत्त्वोदानायत्त्वाच्यानायत्त्वा॥ दीर्घामनुप्प्रसितिमायुषेधान्देसं० // 12 // वोव सविताहिरण्यपाणिप्रतिगृभ्णात्त्वच्छिद्रेणपाणिनाचक्षुषेत्त्वा / महीनाम्पयौसि // 2 // कलशस्थापनमंत्रः // 3 // आजि ग्घ्रकुलशम्मुह्यात्त्वाविशुन्त्विन्दवः // पुनरूर्जानिवर्तस्वुसान सुहस्रन्धुक्ष्वोरुधारापयस्वतीपुनाविशतायिः // 3 // जलमं / त्रः // वरुणस्स्योत्तम्भनमसुिवरुणस्यस्कम्भुसर्जनीस्त्थोबरुस्य / ऋतुसदन्यसुिवरुणस्य ऋतसदनमसुिवरुणस्य ऋतुसदनुमासी // 12 // द // 4 // वसोत्पवित्रमसिशुतधारंवसोत्पवित्रमसिसुहस्रधारमा For Private And Personal Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir // देवस्त्वसिवितापुनातुबोत्पवित्रणशुतधारणसुप्प्वाकामधुक्षः // Man 5 // फलमंत्रः॥ ॥यात्फुलिनीbऽअफलाऽअपुष्पायाश्च / पुष्ष्पिणी // बृहस्पतिप्प्रसूतास्तानौमुञ्चन्त्व हंसः // 6 // पं। चरत्नमंत्रः // परिवाजपति कुविरग्निर्हव्यान्यक्रमीत् // दधदना / निदाशुषे // 7 // हिरण्यमंत्रः॥हिरण्यगर्भःसमवर्तुंताग्भूतस्य / जातःपतिरेक आसीत् // सदाधारपृथिवीन्द्यामुतेमाङ्कस्म्मैदेवाय / विविधेम // 8 // गंधमंत्रः // त्वाङ्गन्धर्वाअखनुंस्त्वामिन्दुस्त्वा / म्बृहस्पतिः // त्वामोषधेसोमोराजाविद्वान्यक्षम्मादमुच्यत // For Private And Personal Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir बा॥ 9 // ओषधीमंत्रः॥याऽओषधीत्सोमराज्ञीर्बह्वीःशुतविचक्षुणा सं० 13 // // तासामसित्वमुत्तमारङ्कामायुशहदे // 10 // मृत्तिकामंत्रः / / स्योनापृथिविनोभवानृक्षरानिवेशनी / यच्छानु शम्मसुष्प्रथाः // // 11 // दूर्वामंत्रः॥ काण्डात्काण्डात्पुरोहन्तीपरुष परुषुस्स्परं // एवानौदूर्वप्रतनुसहस्त्रैणशुतेनच // 12 // अश्वत्थपत्रमंत्रः // अ श्वत्थेवौनिषदनम्पुर्णेवोवसुतिष्कृता ॥गोभाजुइकिलांसथयत्सु नवथपूरुषम् // १३॥धान्यपूरणमंत्रः॥ पूर्णादर्छिपरापतुसुपूर्णापुन / // 13 // रापत // वुस्नेवुविक्रीणावहाऽइषमूर्ज शतक्रतो // 14 // आवाहन For Private And Personal Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्रः // तत्त्वायामिब्रह्मणावन्दमानस्तदाशास्तृयजमानोहापभिः / // अहैडमानोबरुणेहबोद्धचुरुशम्सुमानुऽआयुरप्प्रमौषीह // 15 // अथ पुण्याहवाचनमंत्राः // सुवितात्त्वासवानासुवृतामुग्निर्गृहप / तीनासोमौवनस्पतीनाम् // बृहस्पतिर्वाचऽइन्द्रोज्ज्यैष्ठवायरुंद्रः / पशुब्भ्यौमित्र सुत्त्यावरुणोधम॑पतीनाम् // 1 // नतुद्रक्षासिन / पिशाचास्तरन्तिदेवानामोज प्रथमुजत्येतत् // घोबिभत्तिदा / क्षायणहिरण्ण्युसदे॒वेषुकृणुतेदीर्घमायुल्समनुष्येषुकृणुतेदीर्घमा | युः // 2 // उच्चातैयातमन्धसोदिविसद्भुम्म्याददे // हुंग्यशर्मु For Private And Personal Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र महिश्श्रवः // 3 // पुनन्तुमादेवजुना पुनन्तुमनसाधियः॥ सं० 14 // पुनतुविश्वाभूतानिजातवेदःपुनीहिमा // 1 // यथेमांबाचङ्कल्या / वणीमावदानिजनैब्भ्यः // ब्रह्मराजन्याब्भ्याऽशूद्रायुचायायच स्स्वायुचारणायच // प्रियोदेवानांदक्षिणायैदातुरिहर्भूयासमुयमे / कामुत्समृध्यतामुपमादोनमतु॥४॥सुत्रस्स्युऽऋद्धिरस्यगन्मज्ज्यो / तिरमृताऽअभूम // दिवंम्पृथियाऽअद्धयारुहामाविदामदेवान्त्स्व / / ज्योतिः // 6 // स्वस्तिनुऽन्द्रोवृद्धश्रवाहस्वस्तिन:पूषाविश्व // 14 // वैदा // स्वस्तिनुस्ता-अरिष्टनेमिहस्वस्तिनोबृहस्पतिर्दधातु // For Private And Personal Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 7 // श्रीश्चतेलुक्ष्मीश्च्चपन्यावहोरात्रेपारāनक्षत्राणिरूपम शिश्वनौयात्तम् // इष्ण्णन्निषाणामुम्मइषाणसर्वलोकमऽइषाण / ॥८॥अथषोडशमातृकामंत्राः॥ // अथगौरीमंत्रः // ॐशर्मा / स्स्यवधूतर्छरक्षोवधूताऽअरांतयोदित्त्यास्त्वगसुिष्पतित्त्वादितिर्वेत्तु।। अबिरसिवानस्प्पत्त्योग्यावासिपृथुबुनःप्प्रतित्त्वादित्यास्त्वग्ग्वैत्तु // // 1 // अथपद्मायै // ॐपावुकान सरस्वतीवाजेभिर्वाजिनीवती // यज्ञबष्टुधियावसुः // 2 // अथशच्यै // निवेशन सुगमनोवसनांवि श्वारूपाभिचष्ट्रेशचीभिः // देवऽईवसवितासुत्त्यधुर्मेन्द्रीनतस्थौ / For Private And Personal Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र समुरेपथीनाम्॥३॥अथ मेधायै // ॐमेधाम्मेवरुणोददातुमेधाम // 15 // निप्प्रजापतिः // मेधामिन्द्रश्चवायुश्चमेधान्धाताददातुमेस्स्वाहा / // 4 // अथसावित्र्यै // ॐसुवितात्त्वांसुवानासुवतामुग्निनुह पतीनाउंसोमोचनुस्प्पतीनाम् // बृहस्पतिर्वाचइन्द्रोज्ज्यैष्ठ्याय / / रुद्रःपशुब्भ्यौमित्र सुत्त्योबरुणोधर्मपतीनाम् // 5 // अथविजया / यै // ॐाणायुस्स्वाहापानायुस्वाहाट्यानायुस्स्वाहा // अम्बेऽअ] म्बिकेम्बालिकेनमानयतिकश्श्चुन // ससंस्त्यश्श्वक सुभद्रिका म्पीलवासिनीम् // 6 // अथजयायै // अंबुव्हीनाम्पुिताबुहु // 15 // For Private And Personal Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रस्यपुत्रश्श्चिश्चाकृणोतुसमनावुगत्यं // इषुधित्सङ्काः पृतनाश्श्चुस स्पृिष्ठेतिनद्धोजयतिप्पसूतः // 7 // अथदेवसेनायै // ॐ इन्द्र आसान्नेताबृहस्प्पतिर्दक्षिणायज्ञ पुराएतुसोमः // देवसेनानामभिः भअतीनाअयन्तीनाम्मुरुतौयन्त्वग्यम् ॥८॥अथस्वधायै ॐपित / भ्यःस्वधायिभ्य स्वधानमः पितामुहेब्भ्यः स्वधायिभ्यः स्वधान / मुत्प्रपितामहेभ्यः स्वधायिभ्यःस्वधानमः // अक्षत्रिपुतरोमी मदन्तपितरोतीपुन्तपितर पितरत्शुन्धद्धम् ॥९॥अथस्वाहायै॥ स्वाहाप्पाणेभ्युत्साधिपतिकेभ्यः // पृथिव्यै स्वाहाग्नयेस्स्वाहा / For Private And Personal Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavirin Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri KalashsagrownGyanmandir मंत्र न्तरिक्षायुस्स्वाहाहायवेस्वाहा ।दिवेस्स्वाहासूर्यायस्स्वाहा // 10 // // 16 // अथमातृभ्यः॥ ॐअनाधृष्टापुरस्तादुग्नेराधिपत्त्यु आयुम्मेंदा पुत्र वतीदक्षिणुताइन्दुस्याधिपत्येप्प्रजाम्मैदा सुषदापुश्चादेवस्स्यसवित तुराधिपत्युचक्षुर्मेदाऽआश्रुतिरुत्तरतोधातुराधिपत्त्येरायस्स्पोषम्मे l kदा // विधृतिरुपरिष्टाद्धृहस्प्पतुराधिपत्त्युओजोमेदाविश्वाभ्यो / मानाष्ट्राब्भ्यस्पाहिमनोरश्श्वासि // 12 // लोकमातृभ्यः॥ और यिश्चमेरायश्चमेपुष्टश्चमेपुष्टिश्चमेविभुचमेप्प्रभुचमेपूर्णश्चमेपूर्णतर // 16 // श्चमेकुर्यवञ्चुमेक्षितञ्चुमेनञ्चमेक्षुच्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् ॥१२॥अथ ! For Private And Personal Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir धृत्यै // ॐभुकर्णेभित्शृणुयामदेवाभुद्रम्पश्येमाक्षभिर्यजत्राः स्थिरैङ्गैस्तुष्टुवासंस्तुनूभिव्यशेमहिंदेवहितंयदायुः // 13 // अथपुष्टयै // ॐअङ्गान्यात्मन्भुिषजातदुश्श्विनात्मानमङ्गेल्समधाना / त्सरस्वती // इन्द्रस्स्यरूपशुतानुमायुश्श्चन्द्रेणुज्ज्योतिरमृत न्दानाः // 14 // अथतुष्टयै ॥ॐजातवैदसेसुनवामसोममरातीय तोनिदहातिवेदः // सनःपर्षदतिदुर्गाणिविश्श्वानाववृसिन्धुदुरिता / त्यग्निः॥ 15 // अथकुलदेवतायै // // ॐवसोत्पवित्रमसिशुत / धारम्बसौ पवित्रमसिसुहस्रधारम् // देवस्त्वासवितापुनातुबसौ || For Private And Personal Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र पवित्रैणशुतधारणसुप्प्वाकामधुक्षः // 16 // // अथनवग्रहम सं० // 17 // त्राः॥ // आकृष्णेनुरजसुावर्तमानोनिवेशयन्नमृतम्मत्य॑श्च // हिन परण्ययनसवितारथेनादेवोयातिभुवनानिपश्यन् // 1 // इमन्देवाऽ/ असपत्नन्सुवढमहुतेक्षुत्रायमहुतेज्ज्यैष्ठयायमहुतेजानराज्ज्यायेन्द्रा स्स्येन्द्रुियाय // इमममुष्ष्यपुत्रमुमुष्यपुत्रमुस्स्यैविशऽएषवामीरा / जासोमोस्म्माकम्ब्राह्मणाना राजा // 2 // अग्निम्म॒ दिवाक। कुत्पतिः पृथिव्याऽअयम् // अपारेता सिंजिन्वति // 3 // ॐ Man17 // उद्बुद्धयस्स्वाग्ने प्रतिजागृहित्त्वमिष्टापूर्तेसम्मृजेथामुयश्च // अ For Private And Personal Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्म्मिन्त्सुधस्त्थे अद्धयुत्तरस्म्मुिन्विश्वेदेवायजमानश्चसीदत // // 4 // बृहस्प्पतेऽअतियदर्योऽअहाँधुमद्विभातिक्रतुमुज्जनेषु // या हीदयुच्छवसाऋतप्प्रजातुतदस्म्मासुद्रविणन्धेहिचित्रम् // 5 // अन्नात्परिस्तोरसुम्ब्रह्मणाव्युपिबत्क्षत्रम्पयुत्सोमम्प्प्रजापतिः // ऋतेनसुत्यमिन्द्रुियंलिपान शुकमन्धसुऽइन्द्रस्येन्द्रुियमिदम्पयोमृत म्मधु // 6 // शन्नौदेवीरभिष्टय आपोभवन्तुपीतये // शंथ्योरभि स्रवन्तुनः // 7 // कानश्चित्र आभुवदूतीसुदावृधःसा // क याशचिष्ठयावृता॥८॥केतुकृण्वन्नकेतवेपेशीमाऽअपेशसै ॥सा For Private And Personal Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairt.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandit मंत्र मुषद्भिरजायथा // 9 // अथनवग्राहाधिदेवतामंत्राः // त्र्यम्बकं - // 18 // यजामहेसुगुन्धिम्पुष्ट्रिवर्द्धनम् // उर्वारुकमिवुबन्धनान्मृत्त्योम्, / / क्षीयमामृतात् // 1 // श्रीश्चंतेलुक्ष्मीश्श्चपत्यावहोरात्रेपाराना त्राणिरूपमुश्श्विनौव्यात्तम् // इष्णन्निषाणामुम्मऽइषाणसर्वलोक) म्मऽइषाण॥२॥ यदक्क्रन्दरप्प्रथमआर्यमान उद्यन्त्समुद्रादुतवापु Vषात् ॥श्येनस्यपुक्षाहरिणस्य॑वाहूऽउपुस्तुत्युम्मर्यिजातन्तैऽअर्व न // 3 // विष्णोररार्टमसिविष्णोन्नप्प्रेस्त्थोविष्णोल्स्यूरसुिविष्णो // 18 // ध्रुवोसि // वैष्णुवमंसुिविष्णवेत्वा // 4 // ब्रह्मयज्ञानम्प्रथमम्पुर For Private And Personal Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir विस्ताद्विसीमुत सुरुचौबेनऽआवरू // सुबुङ्ग्याऽउपुमाऽअस्यविष्ठात्सुत / शिश्चयोनिमसंतश्श्चविवः॥५॥त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्दुहवेहवेसुह। वुशूमिन्द्रम्।ह्वयामिशुक्रम्पुरुहूतमिन्द्रस्वस्तिोमुघवाधात्त्वि न्द्रः॥६॥ युमायत्त्वामुखायत्वासूर्यस्यत्वातपंसे // देवस्त्वासति / तामद्धानक्तुपृथिव्याल्सुस्पृशंस्पाहि // अचिरसिशोचिरसितपौसि / / // 7 // कार्षिरसिसमुद्रस्युत्वाक्षित्याउन्नयामि // समापोऽअद्भिर / / ग्मतुसमोषधीभिरोषधीः // 8 // चित्रावसोस्वस्तितेपारमशीय // // 9 // अथप्रत्यधिदेवतामंत्राः॥ ॐअग्निन्दूतम्पुरोदधेहट्युवाहुमु ELA For Private And Personal Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र पब्रुवे // देवाँ ३॥ऽआसादयादिह // 1 // अप्प्स्वृग्नेसधिष्टवुसौष सं० // 19 // धीरनुरुध्यसे॥ग सआयसेपुनः॥२॥स्योनापृथिविनोभवान क्षरानुवेशनी // यच्छानुशमसुप्पा // 3 // इदंविष्णुविचक्रमे / धानिदधेपुदं // समूठमस्यपासुरेस्वाहा // 4 // त्रुातारमि / चन्द्रमवितारमिन्दुल्हवेहवेसुहवुशूरुमिन्द्रम् // ह्वयामिशुक्रम्पुरुहूत / मिन्द्रस्वस्तिनौमुघवाधात्विन्द्रः॥५॥ अदित्यैरास्नासीन्द्वाण्या / उष्णीषः // पूषासिंघुर्मायदीष्ष्व // 6 // प्रजापतनेत्वदेतान्य // 19 // न्योविश्श्वारूपाणिपरिताबभूव // यत्कामास्तेजुहुमस्तन्नोऽअस्तुश For Private And Personal Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir यस्यांमुपतयोरयीणाम्॥७॥ नमोस्तुसुप्र्पेभ्योकेचपृथिवी / मनु॥येऽअन्तरिक्षयेदिवितेभ्यःसुब्भ्योनमः // 8 // ब्रह्मयजा / नम्प्रथमम्पुरस्ताद्विसीमुतःसुरुचौवनाओवः // सुबुड्या उपमा अस्यविष्ठा सुतश्श्चयोनिमसंतश्श्चविवः // 9 // अर्थगणेशादिप चदेवतामंत्राः // गुणानान्त्वागुणपति हवामहेप्पियाणान्त्वाप्रिजा यति हवामहेनिधीनान्त्वानिधिपति हवामहेबसोमम // आहम जानिग धमात्वमजासिगkधम् // 1 // अम्बेऽअम्बिकेम्बालि केनमानयतिकश्श्चन // ससस्त्यश्श्वकल्सुभद्विकाङ्काम्पीलवासि / For Private And Personal Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र नीम् // 2 // बातोवामनौवागन्धर्वात्सुप्तविंशतिः // तेऽअग्रेश्श्व - सं० // 20 // मायुॲस्तेऽअस्म्म्मिझुवमादधुः // 3 // घृतघृतपावानपिब तबसावसापाबानापिबतान्तरिक्षस्यहुविरसुिस्स्वाहा॥दिश प्रदिशा आदिशौखिदिशदिशौदिग्भ्यत्स्वाहा // 4 // यावाङ्कशामधुमुत्त्यश्वि नासूनृतावती॥तयायज्ञम्मिमिक्षताम् ॥५॥अथदिक्पालमंत्राः // त्रातारमिद्रमवितारमिन्दर्छहवेहवेसुहर्छशूरमिन्द्रम् // ह्वयामिश ऋम्पुरुहूतमिन्द्रस्वस्तिनौमुघर्वाधाविन्द्रः॥१॥ अथअग्निम // 20 // H // त्वन्नोऽअग्नेवरुणस्यविद्वान्देवस्स्युहेडोऽअर्वयासिसीष्टाः // For Private And Personal Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir यजिष्ठोवह्नितमुशोशुचानोविश्वाद्वेषासुिष्प्रमुग्ध्युस्म्मत् // 2 // यममंत्रः // आसियुमोऽअस्स्यादित्योऽअर्जुनसित्रितोगुह्येनछते / / न // असिसोमैनसुमयाबिटक्क्त आहुस्तेत्रीणिदिविवन्धनानि // // 3 // नैर्ऋतमंत्रः // // असुन्वन्तुमयजमानमिच्छस्तेनस्येत्या / मन्विहितस्करस्य // अन्यमस्म्मदिच्छसातइत्यानमौदेविनि / / तेतुभ्यमस्तु॥४॥ वरुणमंत्रः // इमम्मैवरुणश्श्रुधीहवमुद्याचं मृडय॥ त्वामवस्युराचके // 5 // आनौनियुद्भिःशुतिनीभिरङ्गरा। सहुत्रिणीभिरुपयाहियज्ञम् ॥बायोऽअस्म्मिन्त्सनेमादयस्स्वधूय / For Private And Personal Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र म्पातुस्वस्तिभुित्सदानः // 6 // कुबेरमंत्रः॥ सोमवृतेतवुमन सं. // 21 // स्तुनूषुबिभ्रतः॥प्रजावन्त सचेमहि॥७॥शिवमंत्रः॥तमीशानुअग तस्तस्त्थुषुस्पर्तिन्धियञ्जिन्न्वमवसेहूमहेयम्॥ पूषानोयथावेदसामा संद्धृधेरैक्षितापायुरदब्धःस्वस्तये॥८॥ ब्रह्ममंत्रः // ब्रह्मयज्ञानम् थमम्पुरस्ताद्विसीमुतसुरुचौवन आवः // सुवुझ्याऽउपुमाऽअस्स्य / विष्ठाल्सुतश्श्चयोनिमसंतश्श्चविवा // 9 // शेषमंत्रः॥स्योनापृथि। विनोभवानृक्षरानिवेशनि ॥यच्छानु शर्मंसुप्पथाः // 10 // अथ . ||21 // क्षेत्रपालमंत्रः // नहिस्पशुमविदन्नुन्यमुस्म्मादैश्वानुरात्त्पुरऽएतार / For Private And Personal Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir शमुग्नेः ॥एमैनमवृधन्नमृताऽअमर्त्यवैश्वानुरक्षेत्रजित्यायदेवा // G // 1 // अथअग्नेानमंत्रः // चुत्वारिशृङ्गात्रयोऽअस्युपादादेशी सुप्तहस्ताऽसोऽअस्य // त्रिधाबुद्धोवृषभोरौरवीतिमहोदेवोमा / आविवेश ॥१॥अथाष्टाहुतिमंत्राः // त्वन्नोऽअग्ग्गेवरुणस्स्यति / द्वान्देवस्स्युहेडोऽअवयासिसीष्ठाः // यजिष्ठोबन्हितमुत्शोशुचानोति / श्वाद्वेषां सुप्पमुमुग्ध्युस्म्मत् // 2 // सत्वन्नौऽ अग्नेनुमोभवोती। नेदिष्ठोऽअस्स्याऽउपसोड्युष्टौ // अवयवनोबरुणुरराणोबीहिमश डीक सुहवौन एधि ॥३॥इमम्मैवरुणश्श्रुधीहवमुद्याचमृडय॥त्वा जा For Private And Personal Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र - मत्स्स्यु राचके // 3 // तत्त्वाघामिब्रह्मणाबन्दमानुस्तदाशास्तृयज सं० // 22 // मानोहुविभिः // अहेडमानोबरुणेहबोध्युरुशन्सुमानुऽआयुरप्पा मौषी // 4 // अयाश्श्चाग्नेस्यनभिशस्तिपाश्चसत्वमित्वमयाऽ सि // आयानोयज्ञवहास्यानोधेहिभोज स्वाहा // 6 // येतेशत नम्वरुणयेसहायज्ञियाः पाशावितामहान्तः // तेभिन्नॊऽअद्यसवि तोत्तविष्णुर्विश्वेमुञ्चन्तुमरुतःस्वर्काः ॥५॥उदुत्तमम्वरुणुपार्शम / स्म्मदवधुिमंविमध्यमश्रथाय // अर्थाव्यमादित्यवतेतवानाग / सोऽअदितयेस्स्याम ॥७॥भव॑तन्नुत्समनसौसचेतसावरेपसौं॥मा / / For Private And Personal Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandir यज्ञ हिसिष्टुम्मायुज्ञपतिआतवेदसौशिवोभवतमुद्यनः॥८॥अथ बर्हिहोममंत्रः॥ देवांगातुविदोगातुवित्वागातुमित // मनसस्प्पतऽहु / मन्देवयज्ञस्वाहाखातेधाः // 1 ॥अथपूर्णाहुतिमंत्राः // मूर्धान न्दुिवोअरतिम्प्पृथिव्यावश्श्वानुरमृतऽआजातमुग्निम् // कुविसु / म्म्राजुमतिथिअनानामासन्नापात्रअनयन्तदेवाः // 1 // बसोत्पुवि मसिशुतारम्व्वसौ(पुवित्रमसिसुहस्रधारम् // देवस्त्वसिविता / पुनातुवसोत्पुवित्रणशुतधारणसुप्प्ता कामधुक्षः // 2 // पूर्णाद / विपरो पतुसुपूर्णापुनुरापत // वुस्नेवुविक्कीणावहाऽइषमूर्जशत / / For Private And Personal Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandir मंत्र तो॥३॥ पुनस्त्त्वादित्त्यारुद्रावसंवत्समिन्धताम्पुनर्ब्रह्माणौवसुसं० // 23 // नीथयुज्ञैः॥ घृतेनुत्वन्तुन्वम्वर्द्धयस्स्वसुत्यासन्तुयजमानस्स्युका माः॥४॥अथभस्मधारणमंत्रः॥त्र्यायुषञ्जमदग्नेकुश्यपस्यत्र्या / / युषम् / यद्देवेषुत्र्यायुपंतन्नोऽअस्तुत्र्यायुषम् // 1 // अथाभिषेकमंत्राः ॐआपोहिष्टमियोभुवस्तानऽऊर्जेदधातन॥मुहेरणायुचक्षसे॥१॥ यो शिवतमोरसुस्तस्य॑भाजयतुहनः॥उशुतीरिवमातरः // 2 // तस्म्माऽअरङ्गमामवीयस्युक्षायुजिन्वथा।आपौजुनयथाचनः॥३॥पुनन्तुमापितर सोम्यास-पुनन्तुमापितामहाःपुनन्तुप्रपितामहाः॥ For Private And Personal Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi www.kobatirth.org पुवित्रणशुतायुषा // पुनन्तुमापितामहाःपुनन्तुप्रपितामहा // पा वित्रैणशतायुषाविश्वमायुद्यश्नवै // 4 // अग्नुऽआयूषिपवसुऽ। आसुवो मिर्षञ्चनः ॥आरेवाधस्वदुच्छुनाम् // 5 // पुनन्तुमादेवज ना पुनन्तुमनसुाधियः // पुनन्तुविश्वाभूतानिजातवेदस्पुनीहिमा / // 6 // पुवित्रैणपुनीहिमाशुऋणदेवदीद्यत् // अग्नेक्रत्वाकतू॥ रनु // 7 // यत्तैपवित्रमुचिष्ष्यग्नेविततमन्तुरा ॥ब्रह्मतेनपुनातुमा / // 8 // पर्वमानसोऽअद्यन पुवित्रेणुविचर्षणिः // यापोतासपु।। नातुमा // 9 // उभान्भ्यन्देिवसवितःपुवित्रैणसुवेनंच // मा। For Private And Personal Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र पुनीहिविश्वतः ॥१०॥श्श्श्वदेवीपुनुतीदेव्यागाद्यस्यामिमाबुवयास ॥२४॥स्तुन्धोबीतपृष्ठाः // तयामदन्तत्सधुमादेषु यस्यामुपतयोरयी शणाम् // 11 // चित्पतिर्मापुनातुबाक्पतिर्मापुनातुदेवोमांसवि तापुनात्त्वच्छिद्रेणपुवित्रेणुसूयस्यरश्मिभिः // तस्यतेपवित्रपते / नपवित्रपूतस्युपत्काम पूनेतच्छकेयम् // 12 // याऽओषधी सोम / राज्ञीर्बुहीशुतविचक्षणां ॥तासामसित्त्वमुत्तुमारङ्कामायुश हृदे॥ k // 13 // याऽओषधील्सोमराजीविष्ठिता पृथिवीमनु // बहुस्प्प // 24 // तिप्पसूताऽअस्यैसन्दत्तबीय॑म् // 14 // देवस्यत्वासवितु प्रेस For Private And Personal Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वैश्विनॉर्बाहुब्भ्याम्पूष्णोहस्ताभ्याम् ॥सरस्वत्त्यैवाचोयुन्तुर्युन्त्रि यैदधामिबहुस्प्पतैत्वासाम्म्राज्याभिषिञ्चाम्यसौ // 15 // देव स्यत्वासवितु त्प्रसुवेश्श्विनौर्बाहुभ्याम्पूष्णोहस्ताब्भ्याम् // सरस्व / त्यवाचोयन्तुर्य्यन्त्रेणाग्ने साम्राज्ज्येनाभिषिञ्चामि // 16 // देवस्य / त्वासवितुःप्प्रेसवेश्श्विनो हुब्भ्याम्पूष्णोहस्ताब्भ्याम्।अश्विनोभैष / ज्येनुतेजसेब्रह्मवर्चुसायाभिषिञ्चामि सरस्वत्त्यै भैषज्ज्येनबीव्या / / न्नाधायाभिषिञ्चामीन्द्रस्येन्द्रियेणुबलायश्श्रुियैयशंसेभिषिञ्चामि // 17 // द्यौत्शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति पृथिवीशान्तुिरापुत्शान्ति For Private And Personal Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir मंत्र रोषधयु-शान्तिः // वनस्प्पतयुत्शान्तिर्विश्वदेवा शान्तिब्रह्मशा सं० ॥२५॥न्तित्सङ्घर्छशान्ति शान्तरेवशान्ति सामाशान्तिरेधि // 18 // अथा। / देवतामंत्रः // नम शम्भुवायंचमयोभुवायचूनम शङ्करायचमय / स्कुरायचुनम:शिवायचशिवतरायच // 1 // विष्णुमंत्रः // इदंवि / वष्णुर्विचक्रमेवैधानिदधेपदम् // समूढमस्यपासुरेस्स्वाहा॥२॥दे वीमंत्रः॥अम्बेऽअम्बुिकेम्बालिकेनमानयतिकश्चन // ससस्त्यश्व कसुभविकाङ्काम्पीलवासिनीम् // ३॥गणेशमंत्रः॥ गुणानान्त्वा // 25 // गुणपति हवामहेप्रियाणान्त्वाप्रियपति हवामहेनिधीनान्त्वानि For Private And Personal Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir धिपति हवामहेवसोमम // आहमजानिग धमात्वमजासिगा। kधम्॥४॥सूर्य्यमंत्र॥आकृष्णेनरजसावतमानोनिवेशयन्नुमृतुम्म य॑ञ्चाहिरण्ययनसवितारथेनादेवोघोतिभुवनानिपश्यन्॥५॥त्र्यंबकी मंत्रः॥ त्र्यंबकअजामहेसुगन्धिम्पुष्टिवद्धनम् ॥उर्वारुकमिवुबन्धना न्मृत्योर्मुक्षीयुमामृतात्॥६॥ब्रह्ममंत्रः॥ब्रह्मयज्ञानग्रंथमम्पुरस्तात द्विसीमुत सुरुचोवेनऽआवः॥सुबुद्धयाऽउपमाऽअस्य॑विष्ठा सुतश्चयो / / निमसंतश्चधिवः॥७॥स्कन्दमंत्रः॥ यदक्रन्दप्रथमंजायमानऽउ / / धन्त्समुद्रादुतवापुरिषात् // श्येनस्यपक्षाहरिणस्य॑बाहूउपुस्तुत्यु / For Private And Personal Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र म्महिंजातन्तेऽअर्वन् // 8 // सर्पमंत्रः॥ नमोस्तुसुप्र्पेभ्योंयेकेचपृथि / // // वीमर्नु ॥येऽअन्तरिक्षयेदिवितेभ्य-सुन्भ्यो नमः॥९॥हनुमानम त्रः॥अस्म्मेरुद्रामेहनुापतासोवृत्रहत्येभरहूतौसुजोषाः ॥यशस तेस्तुवतेधायिपुज्जइन्द्रज्ज्येष्ठाऽअस्म्मा॥अवंतुदेवा ॥१०॥सी प्तिऋषिमंत्रः॥सुप्तऋषयुत्पतिहिता शरीरेसुप्तरक्षन्तुिसदुमप्रेमा / दम् // सुप्तापुत्स्वपतोलोकमीयुस्त–जागृतोऽअस्वप्नजौसत्रुस / दौचदेवौ // 11 ॥ध्रुवमंत्रः // ध्रुवक्षितिद्र्वयोनिर्द्धवासिद्भुवंश्योनि // 26 // मासीदसाधुया // उख्यस्यकेतुम्थुमझुषाणाविनाध्वर्युसादया। For Private And Personal Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तामिहत्त्वा // 12 // भूतमंत्रः॥ भूतायत्वानारातयेस्वरभिविख्य / पह हन्तान्दुल्ः पृथिव्यामुर्वन्तरिक्षुमन्वैमिपृथिव्यास्त्वानाभौ / सादयाम्म्यदित्याऽउपस्त्थेग्नैहुयरिक्ष // 13 // विश्वकर्मामंत्रः॥ विश्वकर्मेन्हुविषावर्द्धनेनत्रातारमिन्द्रमकृणोरवुद्धम् // तस्म्मधि / / शुल्समैनमन्तपूर्वीयमुग्योबिहट्योयथासत्॥१४॥अगस्तिमंत्रः // कुम्भोवनिष्टुर्ननिताशचीभियस्म्मिन्नघोन्याङ्गोऽअन्तः // प्ला शिव्यक्त्तत्शुतधारऽउत्थ्सौदुहेनकुम्भीस्वुधाम्पितृभ्यः // 15 // कालीमंत्रः। कुन्याऽइवबहुतुमेतुवाऽऽऽअञ्जानाऽअभिचाकशीमिरी For Private And Personal Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्र // यत्रुसोम-सूयतुषत्रघुज्ञोघृतस्यधाराऽअभितत्प॑वन्ते // 16 // लक्ष्मी सं० मंत्रः // श्रीश्श्चतेलक्ष्मीश्चपक्रन्यावहोरात्रेपार्श्वनक्षत्राणिरूपमुश्वि नौव्यात्तम् ॥ष्णन्निषाणामुम्मऽइषाणसर्वलोकम्मऽइषाण॥१७॥ सरस्वतीमंत्रः॥पञ्चनद्यत्सरस्वतीमार्पियन्तुिसस्स्रोतसासरस्स्वती / / तुपञ्चधासोदेशेभवत्सरित् // 18 // पृथ्वीमंत्रः॥ स्योनापृथिविनो। भवानृक्षुरानिवेशनी॥यच्छानुशर्मंसुष्प्रथा॥१९॥आम्मंत्रः // अप्प्स्वग्नेसधिष्टवुसौषधीरनुरुद्धचसे // गभंसआयसेपुनः॥२०॥ મારા // तेजोमंत्रः॥ // अग्निन्दूतम्पुरोदधेहट्युवाहुमुपब्रुवे॥ देवाँ२आ। For Private And Personal Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सादयादिह // 21 // वायुमन्त्रः॥ वातौवामनौवागन्धुर्वा सुप्तव शतिः॥तेऽझुग्ग्रेश्वमयुजस्तेऽअस्म्मि वमादधुः // 22 // आका | शमंत्रः ॥यावाङ्कशामधुमुत्त्यश्विनासूनृतावती // तयांयज्ञम्मिमिक्षा / ताम् // 23 // देवतापत्नीमंत्र॥तम्पत्तीभिरनुगच्छेमदेवापुत्रै भिरुतवाहिरण्यैः // नाकगृभ्णानासुकुतस्यलोकेतृतीयपृष्ठऽधि रोचनेदिवः // 24 // ऋग्वेदमंत्रः // अग्निमीळपुरोहितयुज्ञस्यदेवम त्विजम्॥होतारंरत्नधातमम्॥२५॥ यजुर्वेदमंत्रः॥इषेत्त्वोज्जत्वा हायवस्त्थदेवोव सविताप्पाप्र्पयतुश्रेष्ठतमायुकम्म॑णुऽआप्प्याय For Private And Personal Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir 28aaaa द्धमग्न्याऽइन्द्रायभागम्प्प्रजावतीरनमीवाऽअयुक्ष्म्मामावस्तुनाईश सं० तमाघश सोढुवाऽअस्मिन्गोपतौस्यातबुह्वीर्घजमानस्स्यपुशून्पा हि // 26 // सामवेदमंत्रः // अग्नुऽआयोहिवीतयेगुणानोहट्यदात / ये॥निहोतासत्सिबुर्हिर्षि ॥२७॥अथर्वणमंत्रः // शन्नौदेवीरभिष्ट / युआपोभवन्तुपीतये॥शंयोरभिस्स्रवन्तुनः // 28 // वास्तुमंत्रः॥ वास्तोष्पतेप्रतिजानीह्यस्मान्स्वावेशोऽअनमीवोभवानः // यत्त्वेमहे / प्रतितन्नौजुषस्वशन्नोभवद्विपदेशचतुष्पदे॥२९॥ समुद्रमंत्रः॥सुम // 28 // द्रोसुिनस्वानादानुशुम्भूम॑योभूभिर्मावाहिस्स्वाहा मारुतो For Private And Personal Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सिमुरुताङ्गण शुम्भूम॑योभूरुभिमाबाहिस्स्वाहा वुस्यूरसिदुवस्स्वा छम्भूम्मयोभूरभिमाबाहिस्स्वाहा॥३०॥पर्वतमंत्रः॥प्रपतस्स्य / वृषभस्यपृष्टान्नावश्चरन्तिस्स्वसिचंइयानाः // ताऽआववृत्रन्नधुरागी दक्ताऽहिम्बुद्भयमनुरीयमाणा // विष्णौद्धिक्रमणमसिविष्णोईि। क्रान्तमसुिविष्णोत्क्रान्तमसि ३१॥संवत्सरमंत्रः॥संवत्सुरोसिप जरिवत्सरोसीदावुत्त्सुरोसीद्वत्सुरासिवत्सुरोसि॥उषसस्तेकल्प्पन्ता / / महोरात्रास्तैकप्प्लन्तामर्द्धमासास्तैकल्पायताम्मास्तेिकल्पांन्ता मृतवस्तकल्प्पन्ता संवत्सुरस्तकल्प्पंताम्।३राऋतुमंत्रासुन्तेन / For Private And Personal Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र ऋतुनादेवासवस्विवृतास्तुतागारथन्तरेणुतजसाहुविरिन्द्वेवयोदधुःसं Ram॥३३॥ग्ग्रीष्म्णेण ऋतुनावारुद्रापञ्चदशेस्तुताबृहुतायशंसाबल हविरिन्द्रेवयोदधुः॥३४॥वर्षाभिर्ऋतुनादित्त्यास्तोमैसप्तदशेस्तुताः। रूपेणविशौजसाहुविरिन्देवयौदधुः // 35 // शारदेनऽऋतुनाद वाऽएकविशऋभवस्तुताः // वैराजेनश्रियाश्रियहुविरिन्द्रुवयों , दधुः // 36 // हेमन्तेनऋतुनादेवास्त्रिणुवेमुरुतस्तुताः॥बलेनुशकरील सहौहविरिन्द्रेवयौदधुः // ३७॥शैशिरेण ऋतु देवास्त्रयस्त्रिठशेम / / तास्तुतासुत्येनरेवतीक्षुत्रहुविरिंद्रेवयाँदधुः॥३८॥मासमंत्रः। For Private And Personal Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir अर्द्धमासापरूषितमासाऽआछयतुशम्म्यतः ॥अहोरात्राणिमुरु तोविलिष्टसूदयन्तुते // 39 // पक्षमंत्रः॥डुमौतैपक्षावुजरौपतत्रि / पणीयाब्भ्याक्षास्स्यपुहस्स्यग्ने // ताब्भ्याम्पतेमसुकृतां / शमुलोकंव्यत्रऋषयोजुग्मुःप्रथमुजा पुराणाः // 40 // शुक्लपक्ष। मंत्रः // अग्ने पक्षुतिर्वायोनिपक्षतिरिन्द्रस्यतृतीयासोमस्यचतुर्थ्य दित्यैपंचुमीन्द्रपुण्यैषष्ठीमुरुतासप्तमीबृहस्प्पतैरष्टुम्म्ययुंम्णोन मीधातुर्दशुमीन्द्रस्स्यैकादशीवरुणस्यद्वादशीयुमस्यंत्रयोदशी // // 41 // कृष्णपक्षतिथिमंत्रः // // इन्द्राग्न्योपातिसरस्वत्यैनि For Private And Personal Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir lain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र पक्षतिम्मुित्रस्यतृतीयापाश्चतुर्थीनित्त्यैपञ्चम्म्यग्ग्नीषोमयोषष्टीस / सं० // 30 // सप्तमीविष्णोरष्टुमीपूष्णोनवुमीत्वष्टुर्दशुमीन्द्रस्यैकादशी वरुणस्यद्वादशीघुम्म्यैत्रयोदशीद्यावापृथिव्योदक्षिणंपावविश्वेषा वन्देवानामुत्तरम् // 42 // दिनमंत्रः // अन्हैपारावतानालभते / रात्र्यैसीचापूरहोरात्रोत्सुन्धिब्भ्योजतूसिब्भ्योदात्त्यौहान्त्सव त्सुरायमहुत सुंपुर्णान् // 43 // अर्थनक्षत्रमंत्राः // तत्रअश्विनी / / मंत्रः // यावाङ्कशामधुमुत्त्याश्विनासूनृतावती॥तापज्ञम्मिमिक्षता // 30 // म्॥भरणीमंत्रः॥घुमायत्त्वामुखायत्त्वासूयस्स्यत्त्वातपसेढेवस्त्वा / For Private And Personal Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सिवितामद्धानक्तुपृथिव्या सुस्पृशंस्पाहि // अचिरसिशोचिरसित / / पौसि॥ कृत्तिकामंत्रः॥ अग्निन्दूतम्पुरोदधेहव्युवाहुमुपब्रुवादेवाँ२॥ आसादयादिह॥३॥रोहिणीमंत्रः॥प्रजापतुनत्वदेवान्युन्योविश्वा / रूपाणिपरिताबभूव // यत्कौमास्तेजुहुमस्तन्नोऽअस्तु यस्स्या / / मुपतयोरयीणाम् // मृगशिरामंत्र // सोमोधेनु सोमोऽअव॑न्तमा / शुन्सोमोवीरकर्मण्यन्ददाति // सादन्यविदुत्थ्य॑सुभेयम्पितश्रव / / jथ्योददाशदरम्मै॥५॥आर्द्रामंत्र॥डमारुद्रायतुवसकपुर्दिनैक्षुयी। बारायुप्पभरामहेमुती // यथाशमसद्विपढेचतुष्पदेविश्वम्पुष्टय़ामैऽ/ For Private And Personal Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र / अस्म्मिन्ननातरम् ॥६॥पुनर्वसुमंत्रः // अदितिौरदितिरन्तरिक्षम सं० ॥३१॥दितिर्मातासपितासपुत्रः // विश्वेदेवाऽअदितिःपञ्चजनाऽअदिति / बतमदितिर्जनित्वम्॥७॥ पुष्यमंत्रः // बृहस्पतेऽअतिव्योsal अहाँधुमद्विभातिक्रतुमुज्जनेषु॥यहीदयुच्छवसऽऋतप्प्रजातुतदुस्मा / सुद्रर्विणन्धेहिचित्रम् // 8 // अश्लेषामंत्रः // नमोस्तुसुप्र्पेभ्योयेके / चपृथिवीमनु // येऽअन्तरिक्षेयेदिवितेभ्य सुप्र्पेभ्यानमः // 9 // मघामंत्रः // उदीरतामवरउत्प॑रासुऽउन्मध्युमापितरं सोम्म्या // 31 // सः ॥असुट्याईयुरंवृकाऽऋतुज्ञास्तेनौवन्तुपितरोहवैषु // 10 // पूजा For Private And Personal Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंत्रः॥ भगुप्पणेतुर्भगुसत्त्यराधोभरोमान्धियुमुदवाददन्नः // भा। गुष्पनौजनयुगोभिरश्वैर्भगुप्षनृभिन्नुवन्त:स्याम // 11 // उत्तरा / मंत्र // अर्य्यमणुम्बृहस्प्पतिमिन्द्रन्दानायचोदय // बाचुंविष्णुर्छ / सरस्वतीसवितारञ्चवाजिनु स्स्वाहा // 12 // हस्तमंत्रः॥ उदुत्यञ्जतवैदसन्देववहन्तिकेतवः॥ दृशेविश्वायुसूर्यम् // 13 // चित्रामंत्रः // त्वष्टातुरीपोऽअद्भुत इन्द्राग्नीपुष्टिवर्द्धना // द्विपदा / / च्छन्द इन्द्रियमुक्षागौनवोदधुः // 14 // स्वातिमंत्रः ॥वायुर ग्गायजुप्रीसाकङ्गन्मनसायज्ञम् // शिवोनियुद्भिःशिवाभिः // For Private And Personal Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir मंत्र ॥१५॥विशाखामंत्रः॥इन्द्राग्नीआर्गत सुतङ्गीभित्रभोवरेण्यम्॥ अस्स्यपातन्धुियेषिता॥१६॥ अनुराधामंत्रः // नमौमित्रस्स्युवर णस्स्युचक्षसेमहोदेवायुतत संपर्यत // दूरेदृशैदेवातायकेत / वैदिवस्पुत्रायुसूर्यायशसत // 17 // ज्येष्ठामंत्रः॥ त्रातारमिन्द्र / / मवितारमिन्दुहवेहवेसुहशूरुमिन्दुम् // ह्वयामिशुक्रम्पुरुहूत / मिन्द्रस्वस्तिनौमुघधिात्विन्द्रः // 18 // मूलमंत्रः // माता चंतेपुिताचुतेग्वृक्षस्यरोहतः // प्रतलामीर्तितेपितागुभेमुष्टिम // 32 // तसयत् // 19 // पूर्वाषाढामंत्रः // अपधिमदुभिशस्तीरशस्तुि For Private And Personal Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हाथेन्द्रौद्युम्नायाभवत् // देवास्तइन्द्रसुख्याययेमिरेबृहद्भानोमरु / / तद्गणः // 20 // उत्तराषाढामंत्रः // विश्वेदेवासुऽआगतशृणुतामंडुम हवम् // एदम्बुर्हिनिषीदत // 21 // श्रवणमंत्राविष्णौरराटम / सुिविष्णो नत्रैस्थीविष्णोत्स्स्यूरसुिविष्णोद्रवोसि // वैष्णुवमसि / / विष्णवेत्वा॥ 22 ॥धनिष्ठामंत्रः॥वसौत्पवित्रमसुिद्यौरसिपृथिव्या। शसिमातुरिश्वनाभौसिविश्वाऽअसि // पुरमेणुधाम्नादृहस्स्व / माव्हाातैज्ञपतिर्वार्षीत् ॥२३॥शततारकामंत्रः // वरुणस्स्यो त्तिम्भनमसुिवरुणस्यस्स्कम्भुर्सज्जनीस्त्यावरुणस्स्य ऋतुसदन्य For Private And Personal Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir मंत्र सिवरुणस्यऋतुसदनमसुिवरुणस्यऋतुसदनुमासीद ॥२४॥पूर्वा | सं. भाद्रपदामंत्रः // त्वन्नौअग्नेवरुणस्स्यविद्वान्देवस्स्युहेडोऽअर्वया / सिसीष्ठाः // यजिष्टीवह्नितमुत्शोशुचानोविश्वाद्वेषासिष्प्रमुमुखी ग्ध्युस्म्यत् // 25 // उत्तराभाद्रपदामंत्रः॥ अहिरिवभोगै पति बाहुब्भ्याध्यायाहेतिम्परिबाधमानः // हुस्तुग्नोविश्वायुनानिविदा / पुमान्पुमासम्परिपातुविश्वतः॥२६॥रेवतीमंत्रः॥पूषन्तववतेव / / यन्नरिष्यमुकदाचुन॥स्तोतारस्त डुहस्स्मंसि॥२७॥ // // इतिश्रीवेदपाठमंत्रसंहितासमाप्ता // // शुभमस्तु // // // d // 33 // For Private And Personal Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir इदं पुस्तकं-मुम्बय्यां श्रीकृष्णदासात्मजेन खेमराजेन स्वकीये श्रीवेंकटेश्वर” यन्त्रालयेऽङ्कित्वा प्रकाशितम् // संवत् 1950 शके 1815 पुस्तक मिलनेका ठिकानाखेमराज श्रीकृष्णदास "श्रीवेंकटेश्वर" छापखाना-मुंबई. For Private And Personal Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir जा. पितृसंहिता ..... नाम. की. रु. आ. यजुर्वेदसंहिता (वाजिसनेयी) सर्वानु क्रमणिकायाज्ञवल्क्य शिक्षा व स्वर स हित मोटे टैपमें शुद्धतापूर्वक उत्तम छपीहै ............................ 30 द्वादशउपनिषद् मूल स्थूला-......... क्षर शांतिसहित मंत्रसहिता शुक्ल यजुर्वेदी ... रुद्री शुक्ल यजुर्वेदी ............... .. दंडक शुक्ल यजुर्वेदी ............... नाम. की. रु.आ. ...... .1 // पारस्कराचार्यगृह्यसूत्र हरिहर भाष्य 18 पुरुषसूक्त श्रीसूक्त ......... ........ * 1 // संस्कारभास्कर यजुर्वेदी ............ सब संस्कारोंकी विधि है प्रयोग और मंत्र संहित जन्मदिन पूजा पद्धति ............ गोदान पद्धति ..................... | पूजापंकजभास्कर .................. ................. 0 m 0 0 0 0 0 For Private And Personal Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 0 0 0 0 0 0 नाम. की. रु. आ. | नाम. की. रु. सकामशिव पूजन विधान भा. टी.... . 5 / एकोद्दिष्टश्राद्ध प्रयोग ............... . 2 स्वस्तिवाचन (पुण्याहवाचन) ...... * 2 पार्वणश्राद्ध प्रयोग .................. * 2 dआचारार्क ........................ उपाकर्मपद्धति ( श्रावणीयजुर्वेदकी ) आचारादर्श ........................ कर्मविपाकचरणगत रफ ............ , ग्ले ज........................ वसिष्ठीहवनपद्धति .................. लंबोदरीहवनपद्धति कर्मविपाक भाषाटीका ............ श्राद्धविवेक (इसमें सव श्राद्धकी...... वेदोक्तवास्तुपद्धति............... तविधि है) .. * 12 | व्रतोद्यापनकौमुदी .. .......... 0 दशकर्मपद्धति 0 0 0 0 0 0 0 For Private And Personal Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gener जा. वाल्मीकीयरामायण (अत्युत्तम भाषाटीका सहित) _ और भाषावार्तिक। श्रीवाल्मीकीय रामायण 24000 ग्रंथका सरल सुबोध ब्रज भाषाटीका बनवायाहै जिसके बीचमें / मूल और नीचे ऊपर भाषाटीका है. और एक वाल्मीकीय रामायणका भाषा वार्तिक ऐसे दोनों तरहके छापके तैयारहैं. जिसमें मूलके अनुसार यथावत् भाषाटीका करके मूल श्लोकोंके अंकभी लगादियेगयेहैं / रामायणकी कथा पढनेवालोंको पुराण वांचनेंमें बहुत उपयोगी होगा. जिन महाशयोंको लेने होवे 25 रु० भेज देनसें भाषाटीका सहित इस पुस्तकको अपने स्थानपर पासकेंगे और भाषावातिकको 410 रु० भेजनेसे पासकेंगे. ऐसी उत्तम भाषाटीका सहित पुस्तक आजतक हिन्दोस्थानमें नहीं इस वास्ते महाशयहो इस अलभ्यलाभको शीघ्रता करिये. For Private And Personal Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shr a in Aradhana Kendra www.kobairt.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir श्रीमद्भागवत संस्कृत मूल तथा भाषाटीकासहित / श्रीवेदव्यास प्रणीत श्रीमद्भागवत सबसे कठिन है और उसका प्रचार भरतखण्डमें सबसे अधिक है। यह ग्रंथ क्लिष्टताके कारण सर्व साधारण लोगोंको टीका होनेपरभी अच्छी रीति समझना कठिन / था कोई 2 स्थलमें बडे 2 पण्डितोंकीभी बुद्धि चक्करमें उडजाती थी इसलिये विना संस्कृत पढे सर्व साधारण पंडित व स्वल्प विद्या जाननेवाले भगवत् भक्तोंके लाभार्थ संस्कृतमूल व अति प्रिय / ब्रजभाषा टीकासहित जोकि हिन्दी भाषा में शिरोमाण और माननीयहै उसी भाषामें टीका जी बनवाकर प्रथमावृत्ति छपायाथा ओ बहुतहीजल्दी हाथोंहाथ विकगईफिर द्वितीयावृत्ति भी विकगई। अब इसकी तृतीयावृत्ति द्वितीयावृत्तिकी अपेक्षा अच्छी तरह शुद्ध करवाके मोटे अक्षरमें छपायाहै | और भक्तिज्ञानमार्गी 500 अतीवमनोहर दृष्टांत दिये हैं कागज विलायती बढिया लगाया है| माहात्म्य षष्ठाध्यायीभाषाटीका सहित इस्के साथही है प्रथमा वृत्तिमें मूल्य 15 रुपयाथा इस आवृ-- त्तिमें केवल १३तेरह रुपयारक्खाहै. For Private And Personal Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobafirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanendir श्रीमद्भागवत श्रीधरीय टीकाटिप्पणी समेत यह पुस्तक अनेकानेक देशोंके प्राचीन पुस्तकोंसे मिलाकर अत्यंत शुद्ध कर सर्वत्र टिप्पणी और अतिउत्तम कागदपरपाठांतर देकर उत्तम अक्षरोंमें छपा है. यह प्रथमा वृत्ति छपाहै. ऐसा शुद्ध और सुंदर पुस्तक अन्यत्र दुर्लभ है की०१२ रु० मनुस्मृति // संस्कृत मूल और भाषाटीकासहित // इस उत्तम ग्रंथका सान्वय भाषा अत्युत्तम हुआ है यह पुस्तक हिन्दूमात्रको परमोपयोगी है, राजा महाराजाभी इसके अनुसार धर्म पूर्वक शासनकरते हैं तथा देखनेहीके योग्यहै भाषा अत्यन्त सुगम और रसीली है कीमत 3 रु. पुस्तक मिलनेका ठिकानाखेमराज श्रीकृष्णदास. "श्रीवेंकटेश्वर" छापाखाना (मुंबई) For Private And Personal Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalth org Acharya Sh Kailashsagarsuri Gyanmande Etooted For Private And Personal