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जैन हस्तलिखित साहित्य (खंड-१.१.७) KAILASA ŚRUTASAGARA GRANTHASUCI
Descriptive Catalogue of Jain Manuscripts (Vol-1.1.7)
शहटमा बुदाणावादावामु बदारमापासवमा
वादमणरावत ₹णानामाणिजि
आचार्य श्री कैलाससागारमारि ज्ञानामांदिर में
कोबा तीर्थता
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यानरमा रमपाय मायादार
s
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आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची - रत्न ७
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची
(१.१.७)
श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र,कोबा तीर्थ संचालित
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर
देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागार में संगृहीत हस्तलिखित ग्रंथों की विस्तृत सूची
ले आशीर्वाद व प्रेरणा 6 आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी
प्रकाशक 6 श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ, गांधीनगर
वीर सं. २५३४ ० वि.सं. २०६४ ० ई. २००८
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आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची - रत्न ७
Ācārya Shri Kailāsasāgarasūri Smrti Granthasūci - Ratna 7
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची : १.१.७
Kailāsa Śrutasāgara Granthasūci: 1.1.7
संपादक पं. मनोज र. जैन
è Editor a Pt. Manoj R. Jain
Editos.dain
खंड संयोजक संजय र. झा
Volume Co-ordinators
Sanjay R. Jha
सह संपादन शैलेष प्र. महेता नवीन वि. जैन आशिष आर. शाह
Co-Editors Shailesh P. Maheta
Navin V. Jain Ashish R. Shah
ले कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग
केतन दी. शाह
Computer Programming
Ketan D. Shah
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आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची - रत्न ७ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ संचालित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिरे
देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागारस्थ
हस्तलिखितग्रंथानां विस्तृतसूची विभाग - १ : हस्तप्रत सूची - वर्ग - १ : जैन साहित्य
खंड - ७
ले आशीर्वाद व प्रेरणा से आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी
Descriptive Catalogue of Manuscripts
Preserved in Dēvarddhigaņi Kșamāśramaņa Hastaprata Bhāņdāgāra, Acharya Shri Kailasasagarsuri Gyanmandir
under the auspices of Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra, Koba Tirth
Section -I: Manuscripts' Catalogue * Class - I: Jain Literature
Volume - 7
& Blessings & Inspirations of Acharya Shri Padmasagarsurishwarji
Published by
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra, Koba Tirth, Gandhinagar, India
2008
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Acharya Shri Kailasasagarsuri Memorial Catalogue Series - 7
Kailasa Śrutasagara Granthasūci
Descriptive Catalogue of Manuscripts - 1.1.7
Preserved in
Devarddhigani Kṣamāśramaṇa Hastaprata Bhāṇḍāgāra,
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© Copy rights: Reserved by Publisher
O Vir Samvat 2534, Vikram Samvat 2064, A.D. 2008
Edition: First
• प्रकाशन सौजन्यः
श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर
O Available at:
Shruta Sarita
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra, Koba Tirth
Published by:
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Koba Tirth, Gandhinagar 382009. INDIA
Tel: (079) 23276204, 23276205, 23276252, 30927001 Fax: 23276249
Web site: www.kobatirth.org E_mail: gyanmandir@kobatirth.org
O Price: Rs. 750/
ISBN 81-89177-00-1 (Set)
81-89177-11-7 (Vol.7)
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योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी
आचार्य श्री कीर्तिसागरसूरीश्वरजी
गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी
आचार्य श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी
आचार्य
श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी
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।। अर्हम् नमः ।। मंगल कामना
तीर्थंकरों की वाणी में सरस्वती का निवास है. श्री तीर्थंकर परमात्मा के श्रीमुख से निकली वाणी, जिसे गणधर भगवंतों ने सूत्ररूप में गुंफित किया है; उस जिनागम की परंपरा को वाचना के द्वारा आज तक अविच्छिन्न रखने वाले सभी आचार्य भगवंतों को वंदन. जिनागम को समर्पित नियुक्तिकार-भाष्यकार-चूर्णिकार-टीकाकार आदि श्रमण संहति का भी मैं ऋण स्वीकृति पूर्वक पुण्य स्मरण करता हूँ.
अनेक जैन संघों, श्रेष्ठियों तथा यतिवर्ग ने आज तक जैन साहित्य का संग्रह-संरक्षण करके अनुमोदनीय कार्य किया है, वे सभी धन्यवाद के पात्र हैं. समय परिवर्तन के साथ परिस्थितिवश लोगों का गाँवों से शहर की ओर जाना प्रारंभ हुआ. यतिवर्ग भी लुप्तप्रायः हुआ. इन सब कारणों से ग्रन्थभंडारों की स्थिति चिंतनीय बन गई. बहुत-से ग्रन्थ विदेश जाने लगे, कुछ भंडार लोगों की उपेक्षा से नष्टप्राय होने लगे, ग्रन्थों की सुरक्षा भी एक समस्या बन गई. इन सब बातों को देखकर, सर्वप्रथम सन् १९७४ में, अहमदाबाद के चातुर्मास दौरान, ग्रन्थ भंडारों को सुव्यवस्थित करने का मुझे विचार आया. परम श्रद्धेय आचार्य भगवंत श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. से इस विषय में चर्चा करके, उनके मंगल आशीर्वाद से कार्य प्रारंभ करने का संकल्प किया. श्रेष्ठीवर्य स्व. कस्तुरभाई लालभाई आदि ने भी इस कार्य में सहयोग देने की भावना दर्शाई. सन् १९७९ में श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र के नाम से, कोबा में संस्था की स्थापना हुई. अनेक स्थानों व विविध प्रान्तों में विहार करके ग्रन्थों को संग्रहीत करने का कार्य प्रारंभ हुआ और धीरे-धीरे संग्रह समृद्ध बनता गया.
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर आज भारत का एक सुव्यवस्थित-समृद्ध ज्ञानभंडार है. प्राचीन प्रणाली को कायम रखते हुए भी आधुनिक साधनों का इस ज्ञानमंदिर में सुभग समन्वय हुआ है.
ज्ञानभंडार को व्यवस्थित करने के साथ-साथ इस सूची में समाविष्ट अधिकांश ग्रंथों की मूलसूची बनाने का भगीरथ कार्य हमारे मुनि श्री निर्वाणसागरजी ने जिस समर्पित भाव से किया है तथा इस कार्य के लिए योग्य मार्गदर्शन देकर मुनि श्री अजयसागरजी ने जो सहयोग दिया है, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता. मुनि श्री नयपद्मसागरजी आदि मुनिराजों ने भी जो यथायोग्य बहुमूल्य सहयोग दिया है, उन सभी की भी मैं हार्दिक अनुमोदना करता हूँ. पंडितवर्ग ने जिस सूझ व धैर्य के साथ अस्तव्यस्त हस्तप्रतों को व्यवस्थित करने एवं प्रतों के बारीक अध्ययनपूर्वक अतिविवरणात्मक सूचीकरण के इस कार्य को अंतिम रूप दिया है वह अपने आप में अनूठा व इतिहास सर्जक है. श्री मनोजभाई जैन, श्री संजयकुमार झा, श्री शैलेषभाई, श्री नवीनभाई, श्री आशिषभाई आदि सभी पंडितवरों, प्रोग्रामर श्री केतनभाई एवं सभी सहयोगी कार्यकरों को मेरा हार्दिक धन्यवाद है. संस्था के ट्रस्टी श्री गिरीशभाई, श्री किरीटभाई कोबावाला एवं कारोबारी सदस्य श्री मोहितभाई आदि सभी को उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए हार्दिक आशीर्वाद देता हूँ. अनेक श्रीसंघों, व्यक्तियों और जैन-जैनेतर लोगों ने भी इस कार्य में मुझे पूर्ण सहयोग दिया है, जिन्हें मैं धन्यवाद देता हूँ. ग्रन्थ के संरक्षण, सूचीकरण व प्रस्तुत खंड के प्रकाशन में आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर एवं समस्त ट्रस्टीगण के प्रति भी धन्यवाद देता
बड़ी संख्या में पूज्य साधु-साध्वीजी तथा विद्वान-शोधकर्ताओं द्वारा यहाँ के ग्रंथसंग्रह का सुंदर लाभ लिया जा रहा है, जो बड़ी ही प्रसन्नता का विषय है. इस ज्ञानभंडार के हस्तप्रतों की अपने-आप में विशिष्ट प्रकार की कैलास श्रुतसागर ग्रन्थसूची के खंड ६ व ७ प्रकाशित होने जा रहे हैं, यह ज्ञानमंदिर के कार्य की सफलता का एक नया सोपान है. मुझे विश्वास है कि विश्वभर का विद्वद्वर्ग इस ग्रंथसूची से महत्तम लाभान्वित होगा. संस्था अपने विकास पथ पर उत्तरोत्तर आगे बढ़ती रहे, यही मेरी मंगल कामना है.
पभसागर सरि
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* सादर समर्पण *
कल्याणस्वरूप तीर्थंकरों द्वारा स्थापित श्रमणप्रधान चतुर्विध श्रीसंघ के
कर कमलों में...
जिनकी बदौलत यह श्रुत परंपरा अक्षुण्ण रही.
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नाकोडा पार्श्वनाथ
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सौजन्य
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नाकोडा भैरवनाथ
श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर
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प्रकाशकीय
जिनेश्वरदेव चरम तीर्थंकर श्री महावीरस्वामी, श्रुतप्रवाहक पूज्य गणधर भगवंतों, योगनिष्ठ आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी तथा परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी की दिव्यकृपा से परम पूज्य आचार्यदेव श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी के शिष्यप्रवर राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की प्रेरणा एवं कुशल निर्देशन में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के श्री देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागारस्थ हस्तलिखित जैन ग्रंथों की सूची के षष्ठ व सप्तम खंडों को श्री नाकोडाजी तीर्थ की पावन धरा पर परम पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की शुभ निश्रा में चतुर्विध श्रीसंघ के करकमलों में समर्पित करते हुए श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ परिवार अपार हर्ष की अनुभूति कर रहा है.
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विश्व में बहुत से ग्रंथालय तथा ज्ञानभंडार हैं, किन्तु प्राचीन परम्पराओं के रक्षक ज्ञानतीर्थरूप आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में हस्तलिखित ग्रंथों का जो बेशुमार दुर्लभ खजाना पूज्य गुरुदेवश्री द्वारा भारत के कोने-कोने से एकत्र किया गया है, वह भूमंडल पर अब अपना उल्लेखनीय स्थान प्राप्त कर चुका है.
हस्तप्रतों की संप्राप्ति, संरक्षण, विभागीकरण, सूचीकरण तथा रखरखाव के इस कार्य व मार्गदर्शन में पूज्य आचार्यदेव के अधिकतर शिष्य-प्रशिष्यों का अपना योगदान रहा है. तपस्वी मुनिप्रवर श्री निर्वाणसागरजी ने हस्तप्रतों की प्रथम कच्ची सूची एवं बाद में पक्की सूची हेतु एक लाख से ज्यादा फॉर्म भरने का वर्षों तक अहर्निश भगीरथ परिश्रम किया है. यद्यपि प्रस्तुत ग्रंथसूची के मूल आधार पूज्य मुनिश्री ही है, तथापि खण्ड ५ के बाद पूज्यश्री ने अपनी निस्पृहता का परिचय देते हुए सूचीकर्ता के रूप में स्वयं का नाम न छापने का आदेश किया है. हमारी आकंठ इच्छा होने के बावजूद भी हम पूज्यश्री के आदेश के आगे विवश है. इस सूचीकरण की अवधारणा को और विकसित करने में तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य में ग्रंथालय विज्ञान की प्रचलित प्रणालियों के स्थान पर महत्तम उपयोगिता व सुझबूझ का उपयोग करने में तथा समय-समय पर सहयोगी बनने हेतु पूज्य मुनिराज श्री अजयसागरजी तथा यहाँ के पंडितजनों, प्रोग्रामरों और कार्यकर्ताओं ने अपनी शक्तियों का यथासंभव महत्तम उपयोग किया है. इसी तरह पूज्य मुनिराज श्री नयपद्मसागरजी का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है. मुनिश्री ने हस्तप्रतों आदि के प्रारंभिक अनेक कार्यों में अपना उल्लासभरा सहयोग तो दिया ही है परंतु अब वे जिनशासन के विशिष्ट शासनप्रभावक के रूप में उभर कर संस्था व ज्ञानमंदिर को जो सहयोग दिला रहे हैं उसकी वजह से ज्ञानमंदिर की प्रवृत्तियों को विशेष बल एवं वेग मिला है. संस्था सभी की अनुमोदना करते हुए हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती है. सभी के मिले-जुले समर्पित सहयोग के बिना यह विशालकाय कार्य संभव नहीं था.
नौ पंडितों के साथ करीब तीस कार्यकरों के माध्यम से, श्रीसंघ के व्यापक हितों से संबद्ध ज्ञानमंदिर की अनेकविध प्रवृत्तियों के संचालन के लिए निरंतर बड़ी मात्रा में धनराशि की आवश्यकता रहती है. किसी भी प्रकार के सरकारी या इसी तरह के अन्य अनुदान को न लेकर मात्र समाज की ओर से मिलनेवाले आर्थिक व अन्य सहयोग के द्वारा कार्यरत इस संस्था में हस्तप्रत सूचीकरण व संलग्न अन्य विविध प्रवृत्तियों हेतु भारत व विदेश के श्रीसंघों, संस्थाओं व महानुभावों का भी आर्थिक सहयोग यदि नहीं मिल पाता तो यह कार्य आगे बढ़ाना मुश्किल था. समस्त चतुर्विध संघ तथा संस्था के सभी शुभेच्छुकों को इस अवसर पर साभार - धन्यवाद दिया जाता है. खास कर शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी - अहमदाबाद की ओर से सूचीकरण के इस भगीरथ कार्य एवं ज्ञानमंदिर की अनेकविध प्रवृत्तियों हेतु ज्ञानद्रव्य में से जो निरंतर योगदान मिलता रहा है, उसने हमेशा हमारी चेतना को विकस्वर रखा है. श्री प्लेजेंट पेलेस जैनसंघ, मुंबई, श्री गोवालिया टैंक जैनसंघ, मुंबई, श्री शांतिलाल भुदरमल अदाणी परिवार, अमदावाद एवं श्री प्रेमलभाई कापडीआ, मुंबई की ओर से मिले योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. सभी के हम सदैव ऋणी रहेंगे. कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची- जैन हस्तलिखित साहित्य के इस सप्तम खंड के वित्तीय सहयोग प्रदाता श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर व तीर्थ के ट्रस्टीगण के प्रति संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती है.
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची के इस सप्तम रत्न का समाज में स्वागत किया जाएगा, ऐसा हमारा विश्वास है. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र ट्रस्ट
कोबातीर्थ, गांधीनगर
!!!
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प्राक्कथन
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची प्रकाशन के अविरत सिलसिले में कैलासश्रुतसागर ग्रंथसूची के षष्ठ व सप्तम रत्न का प्रकाशन हमारे लिए गौरव की बात है.
विशेष खुशी की बात है कि संस्था द्वारा अपनाए गए श्रेष्ठता की ओर निरंतर सुधार व विकास के अभिगम से प्रेरित होकर खण्ड ३ के प्रकाशन के बाद चतुर्थ व पंचम खंड में सूचनाओं की प्रस्तुति में अनेक सुधार किये गये थे. इसी सिलसिले को जारी रखते हुए अध्येताओं की सुविधा के लिए, छटे खंड से प्रत, पेटांक व कृति यदि किसी तरह अपूर्ण हो तो उस अपूर्णता को और ज्यादा स्पष्ट रूप से बताने वाली पृष्ठों की उपलब्धता सूचक सूचनाएँ भी दी गई है. ताकि उपयोगिता का निर्णय सुगम हो सकें.
आशा है यह नई प्रस्तुति विशेष उपयोगी सिद्ध होगी.
वर्तमान कार्य के परिणाम स्वरूप प्राकृत, संस्कृत व मारुगुर्जर आदि देशी भाषाओं में मूल व व्याख्या साहित्य की छोटी-बड़ी कृतियाँ प्रचुर संख्या में अप्रकाशित ज्ञात हो रही है. इनमें से अनेक कृतियाँ तो बड़ी ही महत्वपूर्ण हैं. अनेक महत्व के विद्वानों की कृतियाँ भी अद्यावधि अज्ञात व अप्रकाशित हैं, ऐसा स्पष्ट जान पड़ता है. खंड ७ के ह. प्र. क्रमांक २८३०१ से एक से चार पत्रों की लघु प्रतें प्रारंभ होती है. सामान्यतः ऐसी प्रतें कम महत्त्व की समझकर जत्थे में बांधकर उपेक्षणीय सी रख दी जाती है. लेकिन खंड ७ के परिशिष्ट को देखने से पता चलेगा कि आश्चर्यजनक रूप से ऐसी प्रतों में से भी प्रचूरमात्रा में अप्रकाशित लघु कृतियाँ प्राप्त हुई है. इन लघु प्रतों का वर्गीकरण से लगाकर सूचीकरण तक का सारा कार्य बडा कष्टसाध्य होता है, लेकिन उसका यह सुंदर परिणाम बड़ा ही संतोष दे रहा है. उत्तराध्ययनसूत्र व कल्पसूत्र आदि आगमों की अनेक टीकाएँ व प्राकृत, संस्कृत भाषा के अनेक प्रकरण, कुलक व चरित्र आदि प्रकार के ग्रंथ अप्रकाशित प्रतीत हुए हैं. इसी तरह श्री ज्ञानसारजी रचित अनेक नई कृतियों के साथ एक पदसंग्रह जो कि आनंदघन पदसंग्रह, चिदानंदबहोत्तरी की याद दिलाता है, उसकी भी एक अप्रकाशित प्रति प्राप्त हुई हैं. साथ ही पू. हरिभद्रसूरि, सिद्धसेनदिवाकरसूरि, उपा. यशोविजयजी, उपा. सकलचंद्रजी, आ. ज्ञानविमलसूरि, कविराज दीपविजयजी, जिनहर्ष आदि की भी छोटी-बड़ी रचनाओं का भी प्रायः सर्वप्रथम पता चला है.
इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सब का विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग सम्बन्धी सूचनाएं पृष्ठ vi एवं प्रयुक्त संकेतों का स्पष्टीकरण पृष्ठ xii पर मुद्रित है.
जैन साहित्य एवं साहित्यकार कोश परियोजना के अन्तर्गत शक्यतम सभी जैन ग्रंथों व उनमें अन्तर्निहित कृतियों का कम्प्यूटर पर सूचीकरण करना; एक बहुत बड़ा महत्वाकांक्षी कार्य है. इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता है, ग्रंथों की सूचना पद्धति. अन्य सभी ग्रंथालयों में अपनायी गई, मुख्यतः प्रकाशन और पुस्तक इन दो स्तरों पर ही आधारित, द्विस्तरीय पद्धति के स्थान पर, यहाँ बहुस्तरीय सूचना पद्धति विकसित की गई है. इसे कृति, विद्वान, प्रत, प्रकाशन, सामयिक व पुरासामग्री इस तरह छ: भागों में विभक्त कर बहुआयामी बनाया गया है. इस में प्रत, पुस्तक, कृति, प्रकाशन, सामयिक व एक अंश में संग्रहालयगत पुरासामग्री - इन सभी का अपने-अपने स्थान पर महत्व कायम रखते हुए भी इन सूचनाओं को परस्पर संबद्धकर एकीकृत कर दिया गया है.
समग्र कार्य दौरान पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी तथा श्रुताराधक मुनिराज श्री अजयसागरजी की ओर से मिली प्रेरणा व प्रोत्साहन ने इस जटिल कार्य को करने में हमें सदा उत्साहित रखा है. साथ ही पूज्यश्री के अन्य शिष्य-प्रशिष्यों की ओर से भी हमें सदा सहयोग व मार्गदर्शन मिलता रहा है, जिसके लिए संपादक मंडल सदैव आभारी रहेगा. इस ग्रंथसूची के आधार से सूचना प्राप्त कर श्रमणसंघ व अन्य विद्वानों के द्वारा अनेक बहुमूल्य अप्रकाशित ग्रंथ प्रकाशित हो रहे है, यह जान कर हमारा उत्साह द्विगुणित हो जाता है; हमें हमारा श्रम सार्थक प्रतीत होता है.
प्रतों की विविध प्रकार की प्राथमिक सूचनाएँ कम्प्यूटर पर प्रविष्ट करने एवं प्रत विभाग में विविध प्रकार से सहयोग करने हेतु श्री संजयभाई सोमाभाई गुर्जर तथा ग्रंथालय विभाग के श्री दिलावरसिंह प्रह्लादजी विहोल एवं श्री परबतभाई ठाकोर आदि सभी सहकार्यकरों को त्वरा से संदर्भ पुस्तकें तथा प्रतें उपलब्ध कराने हेतु हार्दिक धन्यवाद.
सूचीकरण का यह कार्य पर्याप्त सावधानीपूर्वक किया गया है, फिर भी जटिलता एवं अनेक मर्यादाओं के कारण क्वचित् भूलें रह भी गई होंगी. इन भूलों के लिए व जिनाज्ञा विरूद्ध किसी भी तरह की प्रस्तुति के लिए हम त्रिविध मिच्छा मि दुक्कडं देते हैं. विद्वानों से करबद्ध आग्रह है कि इस प्रकाशन में रही भूलों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करें एवं इसे और बेहतर बनाने हेतु अपने सुझाव अवश्य भेजें, जिससे अगली आवृत्ति व अगले भागों में यथोचित सुधार किए जा सकें.
- संपादक मंडल
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कैलास श्रुतसागर सूची प्रकाशन की रूपरेखा
इस परियोजना के तहत सूचीपत्र में मुख्य तीन विभाग किए गए हैं. १ हस्तप्रत माहिती. २ कृति माहिती. ३ विद्वान व्यक्ति माहिती यद्यपि कम्प्यूटर में सभी तरह की सूचनाएँ विस्तृत रूप से भरी जाती है एवं आगे भी उनमें परिष्कार, विस्तार जारी रखने की योजना है, तथापि प्रत्येक सूचीपत्र विभाग में मात्र तत् तत् विभाग की सूचनाएँ शक्य विस्तार से देकर, अन्य विभागों की संबद्ध सूचनाओं को आवश्यक हद तक संक्षेप में ही दिया जाएगा. इन संक्षिप्त सूचनाओं की विस्तृत माहिती के लिए संबद्ध विभाग के सूचीपत्र की अपेक्षा रहेगी. उपयोगिता एवं अनुकूलता के अनुसार उपरोक्त तीनों विभागों के सूचीपत्रों के क्रमशः प्रकाशन का आयोजन है.
यहाँ पर सूची प्रकाशन रूपरेखा की मूल अवधारणा में हुए परिवर्तनों, परिवर्द्धनों के साथ संक्षिप्त ढांचा ही दिया गया है, विस्तारपूर्वक जानने हेतु कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची जैन हस्तलिखित साहित्य खंड १.१.१ में पृष्ठ २२ से २४ देखें. १. हस्तप्रत विभाग
इस विभाग की महत्तम उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए, हस्तप्रतगत कृति की धर्म आदि प्रधानता के अनुसार निम्न वर्ग किए गए हैं. ये सूचियाँ यथोपलब्ध प्रत क्रमांक के अनुक्रम से होंगी.
१.१ जैन कृति वाली प्रतें १.२ धर्मेतर साहित्यिक आदि कृति वाली प्रतें, १३ वैदिक कृति वाली प्रतें १.४ शेष धर्मों की
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कृति वाली प्रतें. इनमें प्रथम, हस्तप्रत केन्द्रित इस सूची में सूचनाएँ तीन स्तरों पर दी गई हैं..
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(१) प्रत माहिती स्तर : इस स्तर पर प्रत सम्बन्धी उपलब्ध सूचनाएँ उपयोगिता एवं सूची पुस्तक के कद की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए विविध अनुच्छेदों में शक्य महत्तम विस्तार से दी गई हैं.
(२) पेटाकृति माहिती स्तर इस द्वितीय स्तर पर यदि प्रत में क्रमशः स्वतंत्र पृष्ठों पर एकाधिक कृतियाँ मिलती हों तो उन पेटाकृतियों के नाम, पृष्ठांक, पूर्णता आदि सूचनाएँ यथायोग्य दी गई हैं. खंड ४ से यह स्तर व्यक्तरूप से अलग किया गया है.
(३) कृति माहिती स्तर इस तृतीय स्तर पर प्रत में रही कृतियों का निर्णय करने हेतु आवश्यक लघुतम सूचनाएँ ही दी गई है. पुस्तक के कद को मर्यादित रखने के लिए भी यह आवश्यक था कृति की शक्यतम विस्तृत माहिती द्वितीय कृति विभाग वाली सूची में दिए जाने का आयोजन है.
प्रत्येक खंड में तत्-तत् खंड में आए कृति परिवारों का मूल कृति के अकारादि क्रम से, तत् तत् कृति हेतु तत्तत् खण्डगत प्रतों के क्रमांकों के साथ (१) संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषा की कृतियों हेतु एवं (२) मारुगुर्जर आदि देशी भाषा की कृतियों हेतु इस तरह दो परिशिष्ट दिए गए हैं.
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१.५ हस्तप्रत विभाग के परिशिष्ट : इस वर्ग में हस्तप्रत विभागीय विविध परिशिष्टों का समावेश किया जाएगा. १.५.१ प्रत, पेटाकृति व कृति लेखनगत विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिकाओं का संग्रह., १.५.२ प्रतिलेखन वर्ष से प्रत क्रमांक. १.५.३ प्रतिलेखन स्थल से प्रत क्रमांक १.५.४ विद्वान / व्यक्ति (प्रतिलेखक आदि) नाम से प्रत क्रमांक १.५.५ प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक संग्रह श्लोकक्रमांक से, १.५.६ प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक संग्रह अकारादिक्रम से. २. कृति विभाग
इस विभाग के तहत कृति को केन्द्र में रखकर उससे संबद्ध अनेकविध सूचनाएँ निम्नोक्त प्रकार से आएँगी.
२.१ कृति पर से प्रत माहिती : यद्यपि खंड १.१.२ के प्रकाशन से प्रत्येक खंड के अंत में उस-उस खंड की कृतियों का यह परिशिष्ट संक्षिप्त रूप से दिया जा रहा है, तथापि सभी खंडों की कृतियों को अपनी महत्तम विस्तृत सूचनाओं के साथ संकलित रूप में देखने की सुविधा के लिए प्रतानुसार कृति माहिती के सभी खंड छप जाने के बाद निम्नोक्त प्रकार से अलग से भी प्रकाशित करने का आयोजन है.
"
२.१.१.१ जैन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं की स्थिर कृतियाँ २.१.१.२ जैन मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी
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इत्यादि देशी भाषाओं की - स्थिर कृतियाँ, २.१.१.३ जैन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश - फुटकर कृतियाँ, २.१.१.४ जैन मारूगुर्जर आदि देशी भाषा - फुटकर कृतियाँ, २.१.२.१ से ४ धर्मेतर शेष - उपरोक्त चारों प्रकार की स्थिर व फुटकर कृतियाँ, २.१.३.१ से ४ वैदिक - इसी तरह की चारों प्रकार की कृतियाँ एवं २.१.४.१ से ४ अन्य धर्म
- चारों प्रकार की कृतियाँ. २.२ आदिवाक्य से कृति माहिती, २.३ अंतिमवाक्य से कृति माहिती, २.४ विद्वान नाम से कृति माहिती, २.५ रचना वर्ष
से कृति माहिती, २.६ रचना स्थल से कृति माहिती, २.७ भाषा से कृति माहिती, २.८ विषय विभाग से कृति माहिती. ३. विद्वान/व्यक्ति व गच्छ माहिती विभाग
इस विभाग में कृति व हस्तप्रतों से संबंधित विद्वान/व्यक्तियों एवं गच्छों की विविध प्रकार से सूचनाएँ देने का आयोजन
३.१ विद्वान/व्यक्ति माहिती : यह वर्ग विद्वान/व्यक्तियों से संबद्ध विस्तृत माहिती का होगा व विद्वान नाम/ उपनाम के
अकारादि क्रम से यह सूची होगी. यह सूची अनेक उपवर्गों में विभक्त होगी.. ३.१.१ जैन साधुओं की सूची, ३.१.२ जैन साध्वियों की सूची, ३.१.३ जैन श्रावकों की सूची, ३.१.४ जैन श्राविकाओं
की सूची, ३.१.५ शेष विद्वान/व्यक्तियों की सूची. ३.२ विद्वान शिष्य/संतति माहिती, ३.३ विद्वान शिष्य परम्परा वंशवृक्ष. ३.४ विद्वान-गच्छ माहिती वर्ग : गच्छ को केन्द्र में रखते हुए निम्नोक्त वर्गों की सूचियाँ बनेंगी.
३.४.१ गच्छ माहिती, ३.४.२ गच्छ शाखा-प्रशाखा वंशवृक्ष, ३.४.३ गच्छानुसार विद्वान माहिती. सूची प्रकाशन की यह एक संभावित संक्षिप्त रूपरेखा है. अनुभवों, उपयोगिता एवं व्यावहारिक मर्यादाओं के आधार पर इसमें यथासमय योग्य परिवर्तन भी किया जाएगा.
प्रस्तुत हस्तप्रत सूचीगत सूचनाओं का स्पष्टीकरण जैन हस्तप्रतों का समावेश करनेवाली हस्तप्रत आधारित इस सूची में सूचनाएँ तीन स्तरों पर दी गई हैं. (१) प्रत माहिती स्तर (२) पेटाकृति माहिती स्तर. (३) प्रत व पेटाकृतिगत कृति माहिती स्तर. पूर्व खंडों की तुलना में तृतीय खंड से सूचनाओं में काफी बढ़ोत्तरी की गई है एवं सूचनाओं के क्रम में भी पर्याप्त फेरफार किया गया है. 'पेटाकृति माहिती स्तर' बढ़ाया जाना यहाँ उल्लेखनीय है. यद्यपि मुख्यतः क्रम में फेरफार हुआ है, तथापि खंड १.१.१ के पृष्ठ ३३ से ३८ पर दी गई इन सूचनाओं का परिचय विस्ताररुचि वालों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा. यहाँ पर मात्र संक्षिप्त रूप से व पंचम खंड के प्रकाशन के समय परिवर्तित व परिवर्द्धित सूचनाओं का ही परिचय दिया गया है. प्रत माहिती स्तर
इस स्तर पर प्रत सम्बन्धी उपलब्ध सूचनाएँ विविध अनुच्छेदों में निम्नोक्त क्रम से शक्य महत्तम विस्तार से दी गई हैं. कम्प्यूटर पर ये सूचनाएँ और भी विस्तार से उपलब्ध हैं. १. प्रत क्रमांक : प्रत्येक प्रत का यह स्वतंत्र क्रमांक है. ग्रंथसूची के इस विभाग में मात्र जैन कृतियोंवाली प्रतों का ही समावेश
होने से व बीच-बीच में जैनेतर आदि अन्य वर्गों की प्रतें भी अनुक्रम में होने से; वे क्रमांक यहाँ नहीं मिलेंगे. यह क्रमांक
अनुच्छेद-Paragraph की बायीं ओर बाहर निकला हुआ स्थूल अक्षरों - Bold type में छपा है. २. प्रत महत्तादि सूचक चिह्न : अध्येताओं को प्रत की उपयोगिता तय करने में सुगमता रहें एतदर्थ प्रत की महत्ता का,
स्तर बताने के लिए क्रमांक के बाद कोष्ठक के अंदर इस तरह (+), (-), (#) चिह्न दिए गये हैं. २.१. प्रत संशोधित होने, टिप्पणक आदि से युक्त होने व कर्ता के स्वहस्ताक्षर से लिखित होने पर प्रत की महत्ता को
बताने के लिए प्रत क्रमांक के बाद (+) का चिह्न लगाया गया है. इस चिह्न के न होने का मतलब यह नहीं होता कि प्रत शुद्ध नहीं है या अल्प महत्व की ही है. सूची से संबंधित इन विशेषताओं का उल्लेख 'प्र.वि.' के तहत प्राप्त होगा.
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२.२ प्रत दुर्वाच्य, अवाच्य, अशुद्ध पाठ वाली होने पर प्रत क्रमांक के बाद का चिह्न लगाया गया है. इनका उल्लेख
'प्र.वि.' में प्राप्त होगा. २.३ कट, फट जाने आदि के कारण हुई प्रत व पाठ की विविध अवदशाओं की जानकारी कराने के लिए प्रत क्रमांक
के अंत में (#) का चिह्न लगाया गया है. सूची में इनका उल्लेख 'दशा वि.' के तहत प्राप्त होगा. ३. प्रतनाम : यह नाम प्रत में रही कृति/कृतियों की प्रत में उपलब्धि तथा कृति/कृतियों के प्रत में उपलब्ध नाम के आधार
से बना कर दिया गया है. यथा- बारसासूत्र, आवश्यकसूत्र सह नियुक्ति व टीका, कल्पसूत्र सह टबार्थ व पट्टावली, गजसुकुमाल रास व स्तवन संग्रह, स्तवन संग्रह, जीवविचार, कर्मग्रंथ आदि प्रकरण सह टीका... इत्यादि. प्रत माहिती
स्तर व पेटाकृति माहिती स्तर में दिए गए नामों से सम्बन्धित विस्तृत विवरण प्रथम खंड के पृष्ठ ३३-३४ पर देखें. ४. पूर्णता - हस्तप्रत की उपयोगिता तय करने में सुविधा रहे, तदर्थ स्पष्टता लाने की बात को ध्यान में रखते हुए, हस्तप्रत
प्रतिलेखक द्वारा संपूर्ण-अपूर्ण जिस किसी अंश में लिखी गई कृति के पत्रों की भौतिकरूप से उपलब्धता मात्र को दर्शाने वाली पूर्णता संबंधी सूचना निम्न प्रकार से वर्गीकृत करके दी गई है. १. संपूर्ण : जितने भी लिखे गये थे, सभी पत्र उपलब्ध. २. पूर्ण : मात्र एक देश से अत्यल्प अपूर्ण प्रतों को अपूर्ण न कह कर 'पूर्ण' संज्ञा दी गई है. ३. अपूर्ण : प्रत के आदि/अंत या/एवं मध्य का एक बड़ा अंश अनुपलब्ध हो. ४. त्रुटक : बीच-बीच के अनेक पत्र अनुपलब्ध हों. यदि प्रत 'संपूर्ण नहीं है तो उसकी विशेष सूचना 'पृष्ठ माहिती' - 'पृ.' के तहत एवं पूर्णता विशेष - 'पू. वि' के तहत दी गई है. इसके अलावा पेटाकृति स्तर के पू. वि' एवं कृतिस्तर के 'पू. वि' के तहत भी उपयोगी सूचना
मिल सकती है. ५. प्रतिलेखन संवत : प्रत में प्रतिलेखक द्वारा दिया गया विक्रम, शक आदि संवत् उपलब्ध हो तो वही वास्तविक रूप से
दिया गया है, अन्यथा लेखन शैली, अक्षरों की लाक्षणिकता आदि के आधार पर विक्रम संवत् के अनुमानित शतक का उल्लेख किया गया है. इसके बाद प्रत में यथोपलब्ध वर्षसंख्या वाचक सांकेतिक शब्द - जो कि 'अंकानां वामतो गतिः' नियम से पढ़े जाते हैं - दिए गए हैं. तत्-पश्चात् वर्ष के संबंध में यदि कोई बात विचारणीय अथवा शंकास्पद लगी हो तो तत् सूचक '?' प्रश्नार्थ दिया गया है. उसके बाद मासनाम, अधिकमास संकेत, पक्ष, तिथि, अधिक तिथि संकेत व वार यथोपलब्ध क्रमशः दिए गए हैं. क्वचित् यथोपलब्ध वर्ष की एक अवधि भी दी गई है कि इन वर्षों के बीच यह
प्रत लिखी गई है. ६. प्रत दशा प्रकार ('प्र. दशा') : श्रेष्ठ, मध्यम, जीर्ण. दशा सम्बन्धी विशेष माहिती अनुच्छेद १४, 'दशा वि.' के अंतर्गत
दी गई है. ७. पृष्ठ माहिती (पृ.) : प्रत के प्रथम व अंतिम उपलब्ध पृष्ठांक, घटते-बढ़ते पृष्ठ का योग तथा पृष्ठांक एवं कुल उपलब्ध
पृष्ठ, इतनी सूचनाएँ यहाँ दी गई हैं. यथा - १ से ५०-४ (५, ७, १५, २७) = ४६; ५ से ६०-३ (३*, १७, १८) = ५३; ५ से ६०-३ (३*, १७, २८) + २ (४, ३५) = ५५. यहाँ अंक पर * का चिह्न पत्रांक लेखन में हुई स्खलना के कारण
अवास्तविक घटते पत्र का सूचक है एवं '-' व '+' के चिह्न घटते व दुहराए हुए बढ़ते पत्र के सूचक है. ८. कुल पेटाकृति : प्रत में यदि पेटाकृतियाँ हो तो उनका कुल योग यहाँ दिया गया है. ९. पूर्णता विशेष (पू.वि.) : प्रत प्रारंभ से अंत तक में भौतिकरूप से पत्र किसी कारण से अनुपलब्ध हो तो, यहाँ
मात्र अंतिम भाग नहीं है, उसकी स्पष्टता दी गई है. इसके अतिरिक्त घटते पत्रों के विषय में 'पृ.' के तहत दी गई विद्यमान पत्रों की सूचना से पता चल ही जाता है. अतः उन घटते पत्रों का उल्लेख नहीं किया गया है. जिस प्रत की सूचना में पेटाकृतियों की सूचना नहीं है, ऐसी प्रत संपूर्ण नहीं होने पर, उस में यदि कृति का मूलांश व टीका आदि शाखांश समानरूप से उपलब्ध/अनुपलब्ध हो, तो उसका भी यथाशक्य स्पष्टतापूर्वक यहाँ उल्लेख किया गया है. यथा- कल्पसूत्र सह टबार्थ व बालावबोध. प्रत में तीनों कृतियों हेतु समानरूप से कल्पसूत्र व्याख्यान ३ से ५ नहीं है, तो इसका उल्लेख यहाँ किया गया है. इसी प्रकार अन्य अनुपलब्ध अंशों की स्पष्टता यहाँ दी गई है. किंतु, मूल व टीका आदि शाखांश प्रत्येक की उपलब्धि/अनुपलब्धि भिन्न-भिन्न हो
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तो उनकी प्रत्येक की पूर्णता सूचना नीचे कृति की सूचना के साथ दी गई है. पेटा अंकों से सूचित पेटा कृतियों की पूर्णता का यह विवरण पेटा अंकों वाले स्तर पर दिया गया है.
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१०. प्रतिलेखन स्थल माहिति (ले. स्थल) जिन एक या अधिक स्थलों पर प्रत लेखन कार्य हुआ हो, उनका उल्लेख यहाँ दिया गया हैं.
११. प्रतिलेखक आदि प्रत की प्रतिलिपि लिखने- लिखवानेवाले विद्वान या लहिया आदि के नाम गुरू, गच्छ माहिती के साथ यहाँ दिए गए हैं. उपदेशेन क्रीत, गच्छाधिपति, पठनार्थे, प्रतिलेखक, राज्यकाल, लिखापितं, विक्रीत, व्याख्याने पठित, व्याख्याने श्रुत, समर्पित इत्यादि प्रकार से विद्वान अथवा व्यक्तियों का उल्लेख प्रतिलेखन पुष्पिका के अनुसार यहाँ दिया गया हैं.
१२. प्रतिलेखन पुष्पिका उपलब्धि संकेत (प्र.ले.पु. ) : प्रत में प्रतिलेखन पुष्पिका (प्रतिलेखक सम्बन्धी विस्तृत परंपरा आदि का उल्लेख ) की उपलब्धि की मात्रा के संकेत यहाँ दिए गए हैं जैसे प्रतिलेखन पुष्पिका अंतर्गत १ से लेकर ३ विद्वानों तक की सूचनाएँ प्रत में प्राप्त होती हैं तो सामान्य दिया गया है, ४ से लेकर ५ तक मिल रहे विद्वानों की सूचनाओं हेतु मध्यम तथा ६ से ७ विद्वानों हेतु विस्तृत एवं ७ से ज्यादा विद्वानों हेतु अतिविस्तृत प्रतिलेखन पुष्पिका प्रकार दिया गया हैं.
-
१३. प्रतविशेष (प्र.वि.): प्रत सम्बन्धी शेष उल्लेखनीय अन्य मुद्दों एवं प्रतगत कृति सम्बन्धी, परन्तु, सम्भवतः उसी प्रत में उपलब्ध हो ऐसी उल्लेखनीय बातों का समावेश यहाँ किया गया है. प्रत क्रमांक के साथ (+) (-) द्वारा सूचित प्रत विशेषताओं का उल्लेख भी यहाँ होगा.
१४. दशा विशेष ( दशा. वि.) प्रत क्रमांक के साथ () द्वारा सूचित प्रत की जीर्ण दशा व उसकी मात्रा आदि सम्बन्धी स्पष्टता यहाँ पर दी गई हैं.
१५. प्रतिलेखन श्लोक (प्र.ले. श्लो.) प्रत के अंत में प्रतिलेखक द्वारा दिए जानेवाले हृदयोद्गार - श्लोकादि के संकेत अपने श्लोक क्रमांक के साथ यहाँ दिए गए हैं. यह श्लोक क्रमांक ज्ञानमंदिर में संगृहीत इस तरह के श्लोकों की सूची में से दिया गया है. यह सूची भविष्य में योग्य खंड में प्रकाशित की जाएगी.
१६. लिपि माहिती : प्रत जैन देवनागरी, देवनागरी आदि जिस लिपि में लिखी गई है, उसका उल्लेख यहाँ किया गया हैं.
१७. प्रत प्रकार : सामान्यतः कागज की बिना बंधे - छुट्टे पत्रों वाली प्रतों से भिन्न, किसी भी पदार्थ पर लिखी गई गुटका, गोल व गडी प्रकार की प्रत होगी, तो उसका उल्लेख यहाँ आएगा. अन्यथा 'प्रत सर्वसामान्य कागज के बिन बंधे पत्रों की है' यह समझ लिया जाना चाहिए.
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१८. लंबाई, चौड़ाई : प्रत की लघुत्तम व महत्तम लंबाई-चौड़ाई आधे सेंटीमीटर के अंतर की शुद्धि के साथ यहाँ दी गई हैं.
१९. पंक्ति अक्षर पृष्ठगत पंक्ति व पंक्तिगत अक्षरों को अंदाजन गिन कर लघुतम व महत्तम रूप से दिया गया है. इसके आधार से कुल अक्षरों को ३२ से भाग दे कर अंदाजित ग्रंथ मान निकाला जा सकता है. पेटाकृति माहिती स्तर
जिन प्रतों में पेटाकृतियाँ होंगी, उन्हीं प्रतों हेतु यह स्तर होगा. इस स्तर पर निम्न सूचनाएँ दी गई है.
१. पेटांक : प्रतगत पेटाकृति का क्रमांक.
२. पेटाकृति नाम (पे नाम ) प्रतनाम की ही तरह यहाँ पर भी कृति का प्रत में सूचित नाम दिया गया है. मूल यदि टीका, टबार्थ आदि युक्त हो तो प्रतनाम की तरह नियमानुसार 'सह' के साथ यह नाम दिया गया है. बहुधा कृति का मुख्य प्रस्थापित नाम यहाँ दिए गए नाम से भिन्न होता है. यह नाम स्थूल Bold अक्षरों में दिया गया है.
३. पेटाकृति पृष्ठ : (पृ.) पेटाकृति का आदि अंत पृष्ठ क्रमांक यहाँ दिए गए है.
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४. पेटाकृति पूर्णता : प्रत पूर्णता की तरह ही यहाँ पेटाकृति के पत्रों की भौतिकरूप से उपलब्धि के आधार से पूर्णता सूचित की गई हैं.
५. पेटाकृति पूर्णता विशेष (पू.वि.) पेटाकृति के पृष्ठों में यदि कोई न्यूनता हो तो वह कमी आदि, मध्य या अंत किस भाग में है, यह संकेत यहाँ दिया गया है. ध्यानार्ह : आदि, मध्य या अंत में कौन से पृष्ठ कम हैं, उसकी यथार्थ सूचना प्रत माहिती की पृष्ठ सूचना के अंतर्गत दी गई है. संलग्न तत् तत् पेटांक में उपलब्ध कृति परिवार का यदि एकसमान अंश अनुपलब्ध हो, तो यथाशक्य उसका स्पष्ट उल्लेख भी यहीं पर किया गया है. किंतु पेटांक से यदि एकाधिक कृति संलग्न हो और प्रत्येक की पूर्णता भिन्न हो, तो तत् तत् कृति की पूर्णता अवधि का उल्लेख तत् तत् कृति के साथ स्वतंत्र रूप से किया गया है.
६. पेटाकृति प्रतिलेखन संवत्, ७. पेटाकृति प्रतिलेखन स्थल (ले. स्थ), ८. पेटाकृति प्रतिलेखक आदि, ९. पेटाकृति प्रतिलेखन पुष्पिका उपलब्धि संकेत (प्र.ले.पु.), १०. पेटाकृति प्रतिलेखन श्लोक (प्र.ले. श्लो.) - पेटाकृतिगत इतनी सूचनाएँ, हस्तप्रत स्तर की ही तरह यहाँ पर भी पेटाकृति हेतु मिन्नरूप से प्रत में यथोपलब्ध दी गई हैं.
११. पेटाकृति विशेष : (पे.वि.) पेटाकृति के अन्य उल्लेखनीय तथ्यों का यहाँ समावेश किया गया है. जैसे पेटाकृति के प्रतिलेखक ने दो गाथाओं को एक गिनकर कुल गाथाएँ लिखी है या यह कृति प्रत में एकाधिक बार लिखी गई है. इत्यादि.
-
कृति माहिती स्तर
प्रत व पेटाकृति स्तर के नाम में उल्लिखित कृतियों की अपेक्षित सूचना इस स्तर पर दी गई है.
१. कृति नाम : कृति का प्रस्थापित / बहुप्रचलित नाम ही यहाँ देने का नियम रखा है, अतः यह नाम उपर दिए गए प्रत या पेटाकृति स्तर के नाम से बहुधा भिन्न होगा. प्रत/पेटाकृति स्तर पर प्रत में उपलब्ध नामों को प्रायः ज्यों का त्यों दे दिया गया है. किसी भी कृति के इन वैविध्यतापूर्ण नामों का भी अपना एक अलग महत्व होता है. यदि पेटाकृति नाम और कृति नाम समान हो तो कृति माहिती स्तर पर कृतिनाम नहीं दिया गया है. कृतिनाम के अंत में star " हो, तो वह कृति विभिन्न अज्ञात विद्वान कर्तृक, अनेक अस्थिर समान कृतियों के समुच्चयरूप या फुटकर कृति रूप में जाननी चाहिए. ऐसा बहुधा टबार्थ व श्लोकसंग्रह हेतु हुआ है.
२. कृति स्वरूप : सामान्यतः कृति के टीका, टबार्थ आदि स्वरूप, कृतिनाम में ही उल्लिखित होते हैं, परंतु हिस्सा, संक्षेप, संबद्ध व प्रक्रिया इन चार स्वरूपों में क्वचित् ऐसा नहीं हो पाता. अतः इन चार स्वरूपों का उल्लेख कृतिनाम के बाद अलग से भी किया गया है. खंड ६ से 'प्रक्रिया' का भी उल्लेख यहाँ शामिल किया गया है.
३. कर्ता नाम : कृति के एक या अधिक 'सहकर्ता', 'अनुपूर्तिकर्ता' आदि के नाम यहाँ यथोपलब्ध दिए गए है. कृति में कर्ता का नाम अनेक रूपों में मिलता है. यथा उपा. यशोविजयजी हेतु यश, जश नाम भी प्रयुक्त मिलते है. ऐसे में तय होने पर कर्ता का मुख्य नाम ही यहाँ पर दिया गया है.
कृति व विद्वान के एकाधिक अपरनाम यद्यपि कम्प्यूटर पर उपलब्ध हैं, फिर भी इस सूची में उनकी उपयोगिता अत्यल्प होने से व कद की मर्यादा होने से यहाँ नहीं दिए गए हैं..
४. कृति भाषा : कृति की एक या अधिक भाषा. ५. कृति का गद्य, पद्य आदि प्रकार, ६. कृति रचना संवत
७. (आदि :) प्रत में उपलब्ध कृति का प्रथम व क्वचित्, द्वितीय आदि वाक्य, ८. ( अंति :) प्रत में उपलब्ध कृति का प्रथम व क्वचित्, द्वितीय अंतिम वाक्य.
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आदि, अंतिमवाक्य में अक्सर (१) व (२) इस तरह के क्रमांकपूर्वक दो-दो आदि / अंतिम वाक्य मिलेंगे. ऐसा एक ही कृति हेतु विभिन्न प्रतों में सामान्य या विशेष फर्क के साथ मिलनेवाले अनेक आदि / अंतिमवाक्यों की वज़ह से उत्पन्न होने वाले भ्रम को यथासंभव दूर करने के लिए किया गया है. टबार्थ, बालावबोध व स्तवन आदि देशी भाषाओं की कृतियों में ऐसा प्रचुरता से प्राप्त होता है. प्राकृत, संस्कृत भाषाबद्ध पाक्षिकसूत्र, उपदेशमाला जैसी कृतियों में भी प्रथम गाथा में फर्क पाया जाता है. आदि: कोलम में यदि प्रत में कृति जहाँ से प्रारंभ होती है, वह पृष्ठ न हो, तो यहाँ पर
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आदि वाक्य की जगह (-) दिया गया है. यही बात अंतिमवाक्य के लिए भी लागू होती है. किसी कारण से अक्षर पढ़े
नहीं जा रहे हो, तो ऐसे में (अपठनीय) दिया गया है. ९. कृति परिमाण : कृति के प्रत में उपलब्ध अध्याय-ढाल-खंड आदि, गाथा/श्लोक आदि तथा ग्रंथाग्र की यथायोग्य सूचना
यहाँ दी गई है. कई बार एक ही कृति हेतु विविध प्रतों के परिमाण में, अनेक कारणों से न्यूनाधिकता मिलती है, जो कि प्रचलित कृति परिमाण से भिन्न भी हुआ करती है. यदि यह भेद ज्यादा बड़ा हो, तो विभिन्न परिमाणों वाली एकाधिक
समान कृतियों की स्वतंत्र प्रविष्टि दी गई है. यथा - बृहत् व लघु ऋषिमंडल स्तोत्र. १०. कृति पूर्णता : कृति की प्रतगत पूर्णता को यहाँ दिया गया है. इन पूर्णताओं को निम्नोक्त प्रकार से वर्गीकृत कर के
दिया गया है. १. संपूर्ण : पूरी तरह से संपूर्ण कृतिमाहिती, २. पूर्ण : मात्र एक देश से अत्यल्प, अपूर्ण कृतिमाहिती को अपूर्ण न कह कर 'पूर्ण' संज्ञा दी गई है, ३. प्रतिपूर्ण : प्रतिलेखक द्वारा कृति खास अध्याय आदि अंश मात्र ही लिखा गया हो और उतना संपूर्ण हो, ४. अपूर्ण : कृति के आदि/अंत या एवं मध्य का एक बड़ा अंश अनुपलब्ध हो. ५. त्रुटक : बीच-बीच के अनेक पत्र अनुपलब्ध हों. ६. प्रतिअपूर्ण : प्रतिलेखक ने कृति का कोई खास अध्याय आदि अंश मात्र ही लिखा हो और उसमें भी पत्र अनुपलब्ध हो. प्रत व पेटांक की पूर्णता (जिनका आधार मात्र पृष्ठों की उपलब्धि/अनुपलब्धि पर होता है) से कृति की यह पूर्णता भिन्न हो सकती है. यथा - प्रत में संपूर्ण दिया गया हो लेकिन कृति का एक अंश ही प्रतिलेखक को लिखना इष्ट होने की वजह से मात्र उतना ही अंश लिखा हो तो कृति स्तर पर 'प्रतिपूर्ण' का उल्लेख मिलेगा. क्वचित् प्रत/पेटाकृति स्तर पर पूर्णता में 'संपूर्ण' न हो, तो भी कृति स्तर पर यह 'संपूर्ण' हो सकती है. यथा - अंत के ही एक-दो पृष्ठ न हो, ऐसी प्रत में मूल संपूर्ण हो सकता है एवं टीका का अंत भाग न होने की वजह से टीका 'संपूर्ण' नहीं होगी. इस तरह कृति स्तर पर भी पूर्णता की अपनी स्वतंत्र उपयोगिता है. खंड ६ से प्रत, पेटाकृति व कृतिमाहिती स्तर पर पूर्णता संबंधी सूचनाओं को इस तरह और स्पष्टरूप देते हुए शामिल किया गया है. कृतिगत प्रतिलेखन पुष्पिका इसके बाद कृति से जुड़ी प्रतगत प्रतिलेखन पुष्पिका की निम्नोक्त सूचनाएँ ( ) ब्रेकेट में दी गई है. कृपया यहाँ दिए गए वर्ष व स्थल आदि को कृति की रचना प्रशस्ति मानने की भूल न करें. रचना प्रशस्ति से इनकी भिन्नता बताने
के लिए ही इन्हें ब्रेकेट में दिया गया है. ११. कृति प्रतिलेखन संवत, १२. कृति पूर्णता विशेष (पू.वि.), प्रत/पेटांक के साथ एकाधिक कृतियाँ संलग्न हो व उनकी पूर्णता परस्पर भिन्न हो, तो
उनमें प्रत्येक में, कितने अंश की पूर्णता है, या कृति प्रतिलेखक द्वारा ही अपूर्ण इत्यादि सूचना यहाँ दी गई है. देखें
- 'प्रत पूर्णता विशेष' एवं 'पेटाकृति पूर्णता विशेष.' १३. कृति प्रतिलेखन स्थल (ले.स्थल.), १४. कृति प्रतिलेखक आदि, १५. कृति प्रतिलेखन पुष्पिका उपलब्धि संकेत
(प्र.ले.पु.), १६. कृति प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक (प्र.पु.श्लो.), १७. कृति प्रतिलेखन विशेष (वि.) - कृति स्तरगत प्रतिलेखन संबंधी इतनी सूचनाएँ प्रत व पेटाकृति स्तर की ही तरह तत्
तत् कृति हेतु अलग से उपलब्ध होने पर यहाँ पर, दी गई हैं. कई बार ऐसा पाया गया है कि मूल व टबार्थ दोनों की प्रतिलेखन पुष्पिका भिन्न होती है. खास कर ऐसे संयोगों में ही यहाँ पर ये सूचनाएँ मिलेंगी.
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अनुक्रमणिका
मंगलकामना
:
समर्पण ...............................
=:
प्रकाशकीय ...............................................................
=
८
प्राक्कथन ..
................v-vi
...
...
......... vi-x
.....xi
कैलास श्रुतसागर सूची प्रकाशन की रूपरेखा ...................... प्रस्तुत हस्तप्रत सूचीगत सूचनाओं का स्पष्टीकरण ............... अनुक्रमणिका .. प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत ............
.... xii-xiii हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य .......
......................xiv हस्तप्रत सूची ..................
............... १-४५३ परिशिष्टः कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या.. .. .............४५४-४५६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ ...
...............४५७-४९० २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ ...
..४९१-५९०
प्रस्तुत खंड ७ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. 0 प्रत क्रमांक - २६९९१ से ३००२९ 0 इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से
२२८५ प्रतों का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ४३४८ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. 0 इन परिवारों की कुल ४७८८ कृतियों का समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियों कुल ६७९० बार आई हैं.
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प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत
............ कृति नाम के अंत में, विभिन्न अज्ञात विद्वान कर्तृक, अनेक अस्थिर टबार्थ व श्लोक संग्रह जैसी समान कृतियों
के समुच्चय रूप या फुटकर कृति दर्शक संकेत.
..कृति/प्रत/पेटांक नाम के बीच : का, की, के, इत्यादि विभक्ति सूचक. ............ प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में - दुर्वाच्य, अवाच्य, अशुद्ध पाठ - सूचक.
.. प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में - प्रत की महत्ता सूचक. - इस हेतु प्र.वि. में निम्न सूचनाएँ हो सकती हैं. कर्ता-कर्ता के शिष्य-प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा लिखित, रचना के समीपवर्ती काल में लिखित, संशोधित - शुद्धप्राय - टिप्पण युक्त विशेष पाठ, पाठ में सुगमता हेतु विविध प्रकार के चिह्नयुक्त प्रत यथा- अन्वय दर्शक अंक युक्त, पदच्छेद - संधि सूचक - वचन विभक्ति - क्रियापदसूचक चिह्न आदि वाली प्रत. कृति नाम के बाद प्रयुक्त होने पर संयुक्त कृति की पहचान - यथा आवश्यकसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य व तीनों की लघुवृत्ति. . प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में. प्रत की अवदशा, पाठ नष्ट हो जाने से प्रत की उपयोगिता में कमी का सूचक. इस हेतु प्र.वि. में निम्न सूचनाएँ हो सकती है.
मूल पाठ का, टीकादि का, मूल व टीका का, टिप्पणक का अंश नष्ट है. अक्षर फीके पड़ गये हैं, मिट गये हैं, पन्नों पर आमने-सामने छप गये हैं. अक्षर की स्याही फैल गई है. पत्र जीर्णतावश नष्ट होने लगे हैं, हो गये
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(क) ......
कृति परिशिष्टों में प्रत क्रमांक के अंत में उर्ध्वाक्षरों से प्रत की अपूर्णता सूचक. अपूर्ण, त्रुटक, प्रतिअपूर्ण हेतु. (-) ............आदिवाक्य अनुपलब्ध. अप............अपभ्रंश (कृति भाषा) अंतिः ........ अंतिमवाक्य (कृतिमाहिती) आ.......... आचार्य (विद्वान स्वरूप) आदिः ....... आदिवाक्य (कृतिमाहिती) उप............ प्रत प्रतिलेखन उपदेशक. (प्र. ले. पु. विद्वान) उपा......... उपाध्याय (विद्वान स्वरूप) ऋ. ......... ऋषि (विद्वान स्वरूप) क........... कवि (विद्वान स्वरूप) कुं. ............कुंडली (कृति स्वरूप) कुल ग्रं.......मूल व टीका आदि का संयुक्तरूप से सर्व ग्रंथाग्र परिमाण - प्रत व पेटाकृति विशेष में. कुल पे. ...... कुल पेटाकृति (प्रतमाहिती स्तर) क्रीत. ......... प्रत को खरीदनेवाला. (प्र. ले. पु. विद्वान) को. ...........कोष्टक (कृति स्वरूप) ग. .......... गणि (विद्वान स्वरूप) गडी...........गडी किए हुए पत्रों वाली प्रत. गद्य............गद्यबद्ध (कृति प्रकार) गा..............गाथा (कृति परिमाण) गु..............गुजराती (कृति भाषा) गुटका ........बंधे पत्रों वाली प्रत. (प्रतमाहिती स्तर)
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गृही. .......... गृहीत. आदान-प्रदान में प्रत को प्राप्त करने |
वाला (प्र. ले. पु. विद्वान) गोल...........गोल कुंडलाकार प्रत. (प्रतमाहिती स्तर) ग्रं. .............. ग्रंथाग्र (कृति परिमाण) जै..............जैन कृति (कृति परिशिष्ट) जै.क. ...... जैन कवि (विद्वान स्वरूप) जैदे............जैन देवनागरी (प्रत लिपि) ते..............जैन श्वेतांबर तेरापंथी कृति. (कृति परिशिष्ट) दत्त............ आदान-प्रदान में प्रत देनेवाला. (प्र. ले. पु.
विद्वान) दि............ जैन दिगंबर कृति. (कृति परिशिष्ट)
देना............देवनागरी (प्रत लिपि) पं. .............पंजाबी (कृति भाषा) पं. .......... पंन्यास, पंडित (विद्वान स्वरूप) पठ............. पठनार्थ. जिसके पढ़ने हेतु प्रत लिखी या
लिखवाई गई हो. (प्र. ले. पु. विद्वान) प+ग ..........पद्य व गद्य संयुक्त (कृति प्रकार) पद्य............पद्यबद्ध (कृति प्रकार) पा........... पाठक (विद्वान स्वरूप) पु. हिं.........पुरानी हिंदी (कृति भाषा) पू. वि.......... पूर्णता विशेष (प्रतमाहिती, पेटाकृति माहिती
व कृतिमाहिती स्तर) ............
कृतिमाहिती में वर्ष प्रकार सूचक 'वि.' 'श.' आदि के बाद संवत् प्रवर्तन के पूर्व का वर्ष दर्शक. ..पृष्ठ सूचना (प्रत माहिती स्तर पर व पेटाकृति
स्तर पर) पे. नाम........पेटाकृति नाम पे. वि.......... पेटाकृति विशेष पै. .............पैशाची प्राकृत (कृति भाषा) प्र. वि.......... प्रत विशेष. प्रले............ प्रतिलेखक, लहिया, Scribe (प्रतिलेखन
पुष्पिका. प्रत, पेटाकृति, कृति माहिती स्तर
पर.) प्र. ले. पु..... प्रतिलेखन पुष्पिका की - (प्रत/पेटाकृति/कृति
स्तर) ('सामान्य, मध्यम' आदि उपलब्धता
सूचक.) प्र.ले.श्लो..... प्रत, पेटाकृति व कृति हेतु प्रतिलेखक द्वारा
लिखित प्रतिलेखन श्लोक (जलात् रक्षेत्...
इत्यादि) प्रा. ............प्राकृत (कृति भाषा)
प्रे. ............. प्रतलेखन प्रेरक. (प्र. ले. पु. विद्वान) बौ. ........... .बौद्ध कृति (कृति परिशिष्ट) म. .............मराठी (कृति भाषा) महा...........महाराष्ट्री प्राकृत (कृति भाषा) मा.............मागधी प्राकृत (कृति भाषा) मा. गु..........मारुगुर्जर (कृति भाषा) मु. .......... मुनि (विद्वान स्वरूप) मु..............मुस्लिम धर्म (कृति परिशिष्ट) मूपू. ...........जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक कृति (कृति परिशिष्ट) यं...............यंत्र (कृति स्वरूप) रा........... राजा (विद्वान स्वरूप) रा..............राजस्थानी (कृति भाषा) राज्यकाल ... जिस राजा के राज्य शासनकाल में प्रत
लिखी गई हो. राज्ये........... जिस आचार्य के गच्छनायकत्व काल में प्रत
का लेखन हुआ हो. लिख.......... प्रत लिखवाने वाला. (प्र. ले. पु. विद्वान) ले. स्थल..... लेखन स्थल (प्रतिलेखन पुष्पिका) वा........... वाचक (विद्वान स्वरूप) ..............वर्ष संख्या के पूर्व होने पर 'वीर संवत' यथा
वी. २०००. वर्ष संख्या पश्चात् होने पर 'वी सदी'. यथा- ८वी सदी. (७१०-८००) (प्र. ले.
पु., कृति रचना वर्ष) वि. ......... विक्रम संवत् (वर्ष माहिती) (प्रे. ले. पु., कृति
रचना वर्ष) विक्र........... विक्रेता - प्रत का. (प्र. ले. पु. विद्वान) व्याप........... व्याख्याने पठित -विद्वान द्वारा. (प्र. ले. पु.
विद्वान) वै.............
...वैदिक कृति. (कृति परिशिष्ट) श...............शक संवत् (वर्ष माहिती - प्र. ले. पु.) श्राव. ....... श्रावक (विद्वान स्वरूप) श्रावि......... श्राविका (विद्वान स्वरूप) श्रु.............. श्रोता द्वारा व्याख्यान में श्रुत. (प्र. ले. पु.
विद्वान) .............जैन श्वेतांबर कृति (कृति परिशिष्ट)
.............संस्कृत (कृति भाषा) सम............. समर्पक. ज्ञानभंडार को प्रत समर्पित
करनेवाला. (प्र. ले. पु. विद्वान) सा.......... साध्वीजी (विद्वान स्वरूप) स्था............जैन श्वेतांबर स्थानकवासी (कृति परिशिष्ट) हिं. ............हिंदी (कृति भाषा)
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हस्तप्रत सूचीकरण में विशिष्ट आर्थिक सहयोगियों की नामावली
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१. शेठ आणंदजी कल्याणजी (धार्मिक धर्मादा ट्रस्ट), पालडी २. श्री शांतिलाल भुदरमल अदाणी परिवार
३. बाबु श्री अमीचंद पन्नालाल आदीश्वर ट्रस्ट, वालकेश्वर
४. शेठ श्री झवेरचंद प्रतापचंद सुपार्श्वनाथ जैन संघ, बालकेश्वर
५. श्री प्लेजेंट पेलेस जैनसंघ
६. श्री गोवालिया टेंक जैनसंघ
७. श्री प्रेमलभाई कापडीआ
८. श्री जवाहरनगर जैन श्वे. मू. पू. जैन संघ, गोरेगांव
९. जैन सेन्टर ऑफ नॉर्दर्न केलिफोर्निया
१०. श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन बोर्डिंग
११. श्री शंभुकुमार कासलीवाल
१२. शेठ मोतीशा जैन रिलीजियस एन्ड चेरीटेबल ट्रस्ट
१३. श्री सांताक्रुज तपागच्छ जैन संघ
१४. फेडरेशन ऑफ जैन एसोसीएशन इन नॉर्थ अमेरिका, "जैना" ह. डॉ. प्रेम गडा
१५. श्री एम. जे. फाउन्डेशन
१६. श्री कल्याण पार्श्वनाथ जैन संघ, चौपाटी
हस्तप्रत सूचीकरण में आर्थिक सहयोगियों की नामावली
१. श्री आंबावाडी श्वे. मू. पू. जैनसंघ
२. श्री श्वेतांबर मू. पू. जैनसंघ
३. श्री वल्लभनगर जैन श्वे. मू. पू. संघ ४. श्री विश्वनंदिकर जैनसंघ
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अहमदाबाद
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मुंबई
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आप सभी धर्मप्रेमी श्रीसंघों तथा महानुभावों की उदार दानशीलता के कारण ही हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण व संवर्द्धन की आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबातीर्थ
की प्रस्तुत परियोजना सफलता पूर्वक प्रगति के सोपान पर अग्रसर है.
अन्यथा, यह कार्य इतना सरल नहीं था.
मुंबई
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अहमदाबाद
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अहमदाबाद वल्लभविद्यानगर
इन्दौर
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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॥ श्री महावीराय नमः ॥
।। श्री बुद्धि-कीर्ति - कैलास - सुबोध - मनोहर - कल्याण- पद्मसागरसूरि सद्गुरुभ्यो नमः ॥ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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२६९९१. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्र. वि. * पंक्त्यक्षर अनियमित है. पत्रांक नहीं दिये गये है., दे., (२४x१२).
विचार संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि (-); अंति: (-).
२६९९४. दशवैकालिकसूत्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९००, आश्विन शुक्ल, १, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ६२, प्रले. पं. दलपतकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. त्रिपाठ., जैदे., (२९x१४.५, ५-६X३०-३७).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदिः धम्मो मंगलमुक्कि अंतिः गई ति बेमि,
अध्ययन - १०.
दशवैकालिकसूत्र - बालावबोध, उपा. राजहंस, मा.गु., गद्य, आदि: (१) नत्वा श्रीवर्द्धमान, (२) धम्मो० धर्मरूपिउ; अंति: स्वामि आगलि इम कहिउ.
२६९९६. चौवीसदंडक त्रीसबोल विचार, संपूर्ण, वि. १९९४ माघ कृष्ण, ८, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १२, दे., (२९x१५.५,
१२५३७).
२४ दंडक ३० द्वार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम नामद्वार बीजु; अंति: जीव अनंतगुणा अधिक. २६९९७. धर्मपरीक्षा ग्रंथ कथाबद्ध, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ९, पू. वि. प्रारंभ के पत्र हैं. दे., ( २६x१२.५, २१X५७).
9
9
धर्मपरीक्षा कथाबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: जंबूद्वीप नामा द्वीप; अंति: (-).
२६९९८. (+) भुवनदीपक सह टबार्थ व ज्योतिष संग्रह, संपूर्ण, वि. १८६०, चैत्र कृष्ण, ११, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. २, ले. स्थल नागोर, प्रले. मु. सीरदारमल्ल ( गुरु मु. जयचंद, लुकागच्छ); पठ. श्राव. गुमानचंद, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., दे., (३०X१४.५, ७X३५-३७).
१. पे. नाम. भुवनदीपक सह टबार्थ, पृ. १अ १४अ संपूर्ण.
भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३५, आदि: सारस्वतं नमस्कृत्य; अंतिः कृतं श्रीपद्मसूरिभिः,
श्लोक-१७८.
भुवनदीपक-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: सरस्वती यो ज्ञान; अंति: कीयो आचार्य जैनी.
२. पे नाम ज्योतिष संग्रह, पृ. १४- १४आ, संपूर्ण
ज्योतिष संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: (-); अंति: (-).
२६९९९. बासठी, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ८, अन्य. सा. मानश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५.५x११.५, १२x२४).
"
६२ बोल विचार, मा.गु., गद्य, आदि: च्यार दिशामांहे केही; अंति: लेश्या ६ स्तोक १.
२७००० महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. ५, ले. स्थल, पत्तन, जैदे., ( २६४१२, १३३३ ).
,
महावीरजिन स्तवन- २७ भवगर्भित, मु. हंसराज, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: सरसति भगवति दिओ मति; अतः कहे धन मुझ एह गुरू, ढाल - १०.
प्रले.
मु.
२७००८. चैत्रीपूनम देववंदन विधि, संपूर्ण, वि. १८५१, ज्येष्ठ शुक्ल, ८, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले, स्थल, खंभातविंदर, . लक्ष्मीरत्न (आगमगच्छ); पठ. श्राव. फतेसा अविचल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२९.५X१४, १२X३३-३८). चैत्री पूर्णिमापर्व देववंदन विधि, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु, पद्य, आदि (१) प्रथम प्रतिमा ४ माडी, ( २ ) आदीश्वर अरिहंतदेव अंति: (१) ज्ञानविम० घरि आवे रे (२) तदभवे मोक्ष पामें,
"
२७०११. साधु आचार विवरण, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ६, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२८x१४, १४X४८).
साधु आचार विवरण, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: अत्र केचन जिनशासन; अंति: (-).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७०२१. (+) महीपाल चरित्र, संपूर्ण, वि. १९५४, आश्विन अधिकमास शुक्ल, ९, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. लींबडी,
प्रले. श्राव. अमुलख वलुभाई शेठ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-क्रियापद संकेत-संशोधित. कुल ग्रं. ग्रंथाग्र ८९५, दे., (३०x१४, १५४४९-५८).
महीपालराजा चरित्र, उपा. चारित्रसुंदर, सं., पद्य, आदि: यस्यां सदेशे शिति; अंति: चारित्रसुंदर०पंचमोयं, सर्ग-५. २७०२६. चित्रसेनपद्मावती चरित्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८९८, चैत्र कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. १३६-८(६८ से ७५)=१२८,
ले.स्थल. दमण, प्रले. मु. गौतमविजय; पठ. मु. रत्नचंद (गुरु मु. गौतमविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२९x१३.५, ६४३५-४१). चित्रसेनपद्मावती चरित्र, आ. महीतिलकसूरि, सं., पद्य, वि. १५२४, आदि: नत्वा जिनपतिमाद्य; अंति:
चारूनिर्मितं, श्लोक-१२२५, (प्र.ले.श्लो. (७६८) जादृशं पुस्तकं दृष्ट्वा) चित्रसेनपद्मावती चरित्र-टबार्थ, ग. भक्तिविजय, मा.गु., गद्य, आदि: अद्य क० पहेला युगला; अंति: अर्थे मनोहर
सुंदर, (प्र.ले.श्लो. (७७१) भगनं चीत्तं कटी ग्रीवा) २७०२७. हीरप्रश्न का बीजक, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. खंभायत, प्रले. जेठालाल जमनादास लहिया,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. वि. १६५२ मे लिखी प्रत पर से प्रतिलिपि की गयी है. प्र. ले. पुष्पिका प्रथम पत्र पर है., दे., (२९४१३, १५४४७-६७).
हीरप्रश्न-बीजक, सं., गद्य, आदि: तत्र प्रथम महोपाध्या; अंति: को हेतुरिति प्रश्नः, ग्रं. ३३४. २७०२९. (+) भावारिवारण स्तोत्र सह टीका, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२९.५४१३, १८४५७).
महावीरजिन स्तव, आ. जिनवल्लभसूरि, सं., पद्य, आदि: भावारिवारणनिवारणदारु; अंति: दृष्टिं दयालो मयि,
श्लोक-३०.
महावीरजिन स्तव-टीका, सं., गद्य, आदि: श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंति: प्रत्ययस्ताच्छीलकः. २७०३४. (+) स्तवन, पद व लावणी संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ.८, कुल पे. ३४, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे
लिखित., जैदे., (२९.५४१३, १०x२९-३९). १. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ११-१आ, संपूर्ण.
नवपद विनती, पुहिं., पद्य, वि. १९१७, आदि: जगत मे नवपद जयकारी; अंति: नवपद छबी प्यारी, गाथा-५. २. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन पद, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
चंद्रप्रभजिन स्तवन, रा., पद्य, आदि: था पर वारी हो जिनजी; अंति: बली बली उपनो हो राज, गाथा-५. ३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: मे दास तमारो मेरी; अंति: मोकु खोटे को खरो, गाथा-३. ४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: तुम बिन कौण प्रभु; अंति: पड्यो हे सरण जिनदास, गाथा-४. ५. पे. नाम. पारस पद, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: मोहे परतीत प्रभु; अंति: जिनदास० मेरी वांकी, गाथा-४. ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: म्हाराज आज लाज राखो; अंति: सोई फजीती को फेरो, गाथा-३. ७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: समता सुख वास आस दास; अंति: जिनदास० बोधबीज वावे, गाथा-३. ८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: तेरे चरण कमलसे लगी; अंति: यु बोलत जिनदासा, गाथा-३. ९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: अब अंग केकू माय धनकी; अंति: जिनदास० सुख पद वरणी, गाथा-३. १०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदिः अब अंग केकु माये धन; अंतिः जिनवास० दुरगतपद वरणी, गाधा- ३. ११. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. रुपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: समज समज जीवा म्यान; अंति: निरंजन आप भए सिरदार, गाथा - २. १२. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. भुधर, पुहिं, पद्य, आदि: तुम मेरी सूध के अंतिः भुदर० सिध सुख पानी, गाथा-३,
१३. पे. नाम. आदिजिन जन्म पद, पृ. ४अ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: नाभ नृपत के घर सब; अंति: आनंदघन हरखाई, गाथा-३, १४. पे. नाम. माणिभद्रपद, पृ. ४-४आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, रा., पद्य, आदि थे म्हारो मन मोय; अंतिः जिनदास० घरो दिल दाज, गाथा-४,
१५. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. गंगा, रा., पद्य, आदि : थारी छबी प्यारी लागे; अंति: गंगा राखो लाज, गाथा - ३.
१६. पे. नाम, गोडीपार्श्वजिन पद, पृ. ४आ, संपूर्ण,
पार्श्वजिन पद- गोडीजी, मु. अमृतविजय, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु म्हने तारोलाजी; अंति: अमृतवि० कबहू नही
काज, गाथा - ३.
१७. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ४आ ५अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पु,ि पद्म, आदिः कच मीलसी म्हारो; अंतिः न टुटे मेरो जूनोरी, गाथा ४.
१८. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभू तेरी मूरत द्रग; अंति: नवल० जरण मरण मीट जाय, गाथा - ३. १९. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
हरखचंद, पुहिं., पद्य, आदिः श्रीसंतनाथ सरण तेरे अंति: हरखचंद० दीजो सवायो, गाथा-४. २०. पे. नाम आदिजिन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. मुलचंद, पुहिं., पद्य, आदिः आदि जिणंदा मे तुमसे; अंति: तुम साहिब हम बंदाजी, गाथा-३. २१. पे. नाम. केसरीया आदिजिन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद-केसरीया, श्राव. ऋषभदास, पुहिं., पद्य, आदि: केसरीया से लागो; अंति: दुजो मन कोई ना गमे,
गाथा- ४.
२२. पे. नाम, महावीरजिन पद, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण
मु. चंद्रकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: म्हारो मन लाग रयो; अंतिः चंदकीरत गुण गाय, गाथा - २. २३. पे नाम, सुपार्श्वजिन पद, पृ. ६अ, संपूर्ण,
मु. करण, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीजिनराज सुपासा; अंति: करण करत अरदासा, गाथा - ३. २४. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ६अ ६आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं, पद्य, आदि: अब ना पहु रे मे तो; अंतिः जिनदास को खोट मे, गाथा-४. २५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
नेहलाल, पुहिं., पद्य, आदि मन लगा लगा प्रभु समर; अंतिः चरण चित लगा लगा, गाथा-४, २६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६आ-७अ संपूर्ण
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पनालाल, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टकर्म मोय घेर; अंति: पनालाल० सीस नमाउजी, गाथा-४. २७. पे नाम, नेमराजिमती पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: ना रहूंगी ना रहुंगी; अंति: सत्रु को नाश करुगी, गाथा - ३.
२८. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: तुमसे पुकार मेरी; अंति: प्रभू चरण चित लगावे, गाथा-३. २९. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण.
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पुहिं., पद्य, आदि; नीसदीन आनंद मगन मे; अंतिः चरण चित लेवे, गाथा-२,
३०. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि सुभ गुदते स्यम पडी; अंति; जमसे लड़ा तब समज पडी, गाथा-३,
"
३१. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: प्रभू प्यारा तेरे; अंति: चरणकमल चित लावणा, गाथा - ३.
३२. पे नाम, नेमराजिमती पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पुहिं., पद्य, आदि: जगपति प्यारो सावरो; अंतिः नेम पिया मन बस गयोरी, गाथा- ३. ३३. पे. नाम, नेमराजिमती लावणी, पृ. ८अ संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि जतन मे क्या करू सजन; अंतिः कटे वो कर्म भव भव का, गाथा- ३.
३४. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. अमिचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि; घुंघरु बजे छांम छननन; अंतिः सीस नमावत चरननननननन, गाथा-३, २७०३६. पंचसंसार स्वरूप, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७, पठ. ब्रह्मराज, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२९.५x१३,
७-९२६-३३).
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पंचसंसार परिवर्तन, सं., गद्य, आदि: पंच संसार मुक्तेभ्यः; अंतिः संक्षेपेण समाप्ता.
२७०३७. कयवन्ना रास, संपूर्ण, वि. १९२३, ज्येष्ठ कृष्ण, ३, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २०, प्रले. मु. मीठाचंद (गुरु ग. बुद्धिविजय, तपागच्छ), प्र.ले.पु. विस्तृत, जैवे. (३०x१३.५, ११४३२-३६).
कयवन्ना रास, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३५, आदि: ब्रह्मसुता ब्रह्मवाद; अंति: (१) जय० निरंतर सुखप्रदं, (२) सारं तेनैवमानुष्यम् ग्रं. ४१६.
२७०३८. स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ३, जैदे., (२९x१३, ११-१२×३९-४५).
१. पे. नाम गौतमस्वामी स्तोत्र, पृ. १आ- २आ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीमंतं मगधेषु अंतिः भवते गीतमं नमः, लोक-२१.
२. पे. नाम. स्तंभनकपार्श्वजिन स्तोत्र द्वात्रिंशिका, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तव - स्तंभनक, आ. सूरप्रभाचार्य, सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्व विश्वव्य; अंति: निर्यूहपर्यंतिकाम्, श्लोक-३३. ३. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, पृ. ४अ - ६अ, संपूर्ण.
चतुर्विंशतिजिन स्तव, मु. कुलप्रभ कवि, सं., पद्य, आदिः यन्नामाभिसमापिताखिल; अंतिः कुलप्रभ० सुखप्रदाः, श्लोक-२६.
२७०४०. (+) प्रमाणनयतत्त्वलोकालंकार - स्याद्वादरत्नाकर टीका की रत्नाकरावतारिका टीका, संपूर्ण, वि. १९३४, आश्विन कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ११०+१(२) =१११, ले. स्थल. ऐंवतीनगर, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न - वचन विभक्ति संकेत क्रियापद संकेत संशोधित. दे. (३०x१३, १६x४३-४५).
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प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार- स्याद्वादरत्नाकर टीका की रत्नाकरावतारिका टीका, आ. रत्नप्रभसूरि, सं., गद्य, आदिः सिद्धये वर्द्धमान; अंतिः प्रसर्पति प्रजल्पतः, अध्याय ८, ग्रं. ५६८०.
२७०४१. अंतगडदशांगसूत्र सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८५४, ज्येष्ठ शुक्ल, १०, रविवार, मध्यम, पृ. ३९, ले. स्थल, अजमेर, प्रले. मु. तुलसीदास (गुरु मु. निहालचंद पंडित), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२९.५x१२.५, ७ - ९४४८-५०)
अंतकृद्दशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं० चंपा०; अंति: जहा नायाधम्मकहाणं, अध्याय ९२, ग्रं. ८९०, ( ज्येष्ठ शुक्ल, १०, रविवार)
,
अंतकृद्दशांगसूत्र- टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते० ते काल चउथउ आरो; अंति: परइकार ज० जिम जाणवउ, ग्रं. ३०००, ( वैशाख कृष्ण, १३, सोमवार)
२७०४३. चोइसतीर्थंकर लेख, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, जैदे., (२५x१२.५, १३X३३).
२४ तीर्थंकर लेख, मा.गु., गद्य, आदि पहला बांदु श्रीऋषभ; अंतिः त्रिकाल वंदणा होज्यो.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७०४४. शांतिजिन चरित्र, संपूर्ण, वि. १८२२, आषाढ़ कृष्ण, १३, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १९७, ले. स्थल. गिरपुर,
प्रले. उपा. कांतिसुंदर (गुरु उपा. सहजसुंदर, तपागच्छ); राज्यकाल रा. शिवसिंघ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. श्लो. (३) भग्नपृष्टि कटिग्रीवा, जैवे. (३०x१३, १३x४४-४७).
शांतिनाथ चरित्र, आ. भावचंद्रसूरि, सं., गद्य, वि. १५३५, आदि: प्रणिपत्यार्हतः सर्व; अंति: स करोतु शांतिः, प्रस्ताव - ६, ग्रं. ७०००.
२७०४९. नवचक्रसार सह स्वोपज्ञ बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ५, जैवे. (२६.५x१२, १६४५६ - ६० ). नयचक्रसार, ग. देवचंद्र, सं., गद्य, वि. १८वी, आदिः श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
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नयचक्रसार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १८वी, आदि: (१) प्रणम्य परमब्रह्म, (२) श्रीजिनागमने विषे; अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
',
"
२७०५१. नवकार मंत्र सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., पांचवें पद तक है., प्र.वि. प्रथम पत्र के प्रारंभिक भाग में उपा. विनयविजयजी कृत श्रीपाल रास - बालावबोध का मात्र अंतिम भाग है. संभव है सम्पूर्ण भाग उपलब्ध न होने पर लिपिकार ने अवशेष पत्रों पर दूसरी कृति लिखी हों, जैदे. (२६४१२, १५X३६). नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: णमो अरिहंताणं; अंति: (-). नमस्कार महामंत्र - बालावबोध", मा.गु., गद्य, आदि: माहरो नमस्कार; अंति: (-). २७०५३. पाक्षिकसूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १८, जैदे., (२८x१२, ६x२८).
आवश्यक सूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का हिस्सा पाक्षिकसूत्र, प्रा., प+ग, आदि: तित्थंकरे य तित्वे; अंति (-), पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
आवश्यक सूत्र- साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह के हिस्से पाक्षिकसूत्र का टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तीर्थंकर बिना सिद्ध; अंति: ( - ), ( पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, पत्र २ तक ही टबार्थ है.)
,
२७०५४. (+) संग्रहणीसूत्र सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६१३, पौष शुरू, २ शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १३, प्रले. ग. लावण्यकीर्ति (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. सुंदर चित्रयुक्त यंत्रादि ., पदच्छेद सूचक लकीरें - वचन विभक्ति संकेत - अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ- पंचपाठ, जैदे., (३०x११.५, ९- १३४५१-६४).
बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिउं अरिहंताइं ठिइ; अंति: जा वीरजिण तित्थं,
गाथा - २७६.
बृहत्संग्रहणी - टीका, आ. देवभद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: (-); अंतिः वेदाच प्रागुक्ताः, (वि. प्रथम पत्र का उपरी भाग फटे होने से आदिवाक्य नहीं भरा जा सका है. )
प्रले.
२७०५५. दानविषये कयवन्ना चौपाई, संपूर्ण, वि. १९२६ श्रावण कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. ३०, ले. स्थल. पलिकानगर, मु. , रूपचंद (गुरु उपा. ऋषभचंद, चंद्रगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (३०x११.५, ११-१२४३३-४२). कयवन्ना चौपाई, मु. जयतसी, मा.गु., पद्य, वि. १७२१, आदि: (१) देवपूजा दयादानं, (२) स्वस्ति श्रीसुखसंपदा; अंति: धरम करो मन उलसै, ढाल - ३१, गाथा - ५६२.
२७०५६. चतुःशरणादि प्रकीर्णक संग्रह, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. ५, प्रले. उपा. पुण्यलब्धि; पठ. मु. भानुलब्धि (गुरु उपा. पुण्यलब्धि), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. कुल ग्रं. ८००, जैदे., (३०x११.५, १३४५५-५६).
१. पे. नाम. कुसलाणुबंधि अज्झयण, पृ. १अ २आ, संपूर्ण.
चउसरण पइण्णय, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: (१) चत्तारि मंगलं अरिहंत, (२) सावज्ज जोग विरई; अंतिः कारणं निव्वुह सुहाणं, गाथा - ६७.
२. पे. नाम. आउरपच्चक्खाण, पृ. २आ- ५अ, संपूर्ण.
आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., प+ग, आदि: देसिक्कदेसविरओ; अंतिः खयं सव्वदुक्खाणम्,
गाथा - ८४.
३. पे. नाम. भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक, पृ. ५अ - ९आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण महाइसयं महाणु; अति: सुक्खं लहइ मुक्खं, गाथा-१७३. ४. पे. नाम. संथारा पयन्नो, पृ. ९आ-१३अ, संपूर्ण. संस्तारक प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: काऊण नमुक्कारं जिणवर; अंति: सुहसंकमणं मम दिंतु,
गाथा-१२१. ५. पे. नाम. चंदगविज्झयं, पृ. १३अ-१८अ, संपूर्ण.
चंद्रावेध्यक प्रकीर्णक, प्रा., पद्य, आदि: जगमत्थयत्थयाणं विगसि; अंति: दुग्गइविणिवायगमणाणं, गाथा-१७५. २७०५७. संथार पयन्ना सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १६८९, भाद्रपद शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्रले. मु. तुलसीदास ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२८x११, ६-८४३५-३९). संस्तारक प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: काऊण नमोक्कार जिणवर; अंति: सुहसंकमणं मम दिसंतु,
गाथा-१२२. संस्तारक प्रकीर्णक-बालावबोध, मु. जयमल्ल ऋषि, मा.गु., गद्य, आदि: (१)श्रीसंस्तारग पयन्नान, (२)जे भणी
___ सर्वशास्त्रना; अंति: पण प्रार्थना करइ छइ. २७०५८. सिद्धहेमशब्दानुशासन सह स्वोपज्ञ लघुवृत्ति, अपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. ९-१(१)=८, पू.वि. बीच के पत्र हैं.,
अध्याय-२ पाद-३ सूत्र-७० से अध्याय-३ पाद-२ सूत्र-९३ तक है., प्र.वि. पत्रांक रहित पत्र है. पत्रों की गिनती करके पत्रानुक्रम दिया गया है., जैदे., (२६.५४११, १७४६४-७०).
सिद्धहेमशब्दानुशासन, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, वि. ११९३, आदिः (-); अंति: (-).
सिद्धहेमशब्दानुशासन-स्वोपज्ञ लघुवृत्ति, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७०५९. दशवैकालिकसूत्र का लेशार्थप्रकाशक स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९६९, माघ शुक्ल, १, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ९,
ले.स्थल. पाटण, प्रले. मणीलाल हरिनंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. लेखन स्थल पंचासराजी के पास., जैदे., (२७.५४१२, ११४३३). दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरूपदपंकज नमीजी; अंति: गायो
सफल जगीसइ रे, सज्झाय-११, गाथा-११९. २७०६३. (+) एकीभाव स्तोत्र सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १७८६, पौष कृष्ण, १०, गुरुवार, मध्यम, पृ. ६, प्रले. पं. गुणसागर पंडित, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७.५४१२, १६४३३-४०). एकीभाव स्तोत्र, आ. वादिराजसूरि, सं., पद्य, ई. ११वी, आदि: एकीभावं गत इव मया; अंति: वादिराजमनुभव्य
सहाय, श्लोक-२६.
एकीभाव स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: भो देव यः अयं कर्म; अंति: राजः प्रधान इत्यर्थः. २७०६७. क्षेत्रसमास, संपूर्ण, वि. १६१४, श्रेष्ठ, पृ. १६, ले.स्थल. देवराजपूर, प्रले. ग. राजशेखर (गुरु ग. लक्ष्मीप्रभ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, १४४४९-५१). लघुक्षेत्रसमास प्रकरण, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, वि. १५वी, आदि: वीरं जयसेहरपयपयट्ठिय; अंति:
कुसलरंगमयं पसिद्ध, अधिकार-६, गाथा-२६३. २७०६८. (+) चंदनमलयगिरी वार्ता, श्लोक व मंत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १७१६, चैत्र शुक्ल, ७, रविवार, मध्यम, पृ. १०, कुल पे. ४,
ले.स्थल. डहनगर, प्रले. जगनाथ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२९.५४११.५, ११४३९-४५). १. पे. नाम. चंदनमलयागिरि रास, पृ. १आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. भद्रसेन, पुहि., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीविक्रम; अंति: भए सुख सवंछित भोग, अध्याय-५. २. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह, पृ. १०अ, संपूर्ण.
सुभाषित श्लोक संग्रह-, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-७. ३. पे. नाम. मंत्र संग्रह, पृ. १०आ, संपूर्ण.
दीपमालिका मंत्र संग्रह, मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). ४. पे. नाम. ज्योतिष श्लोक संग्रह, पृ. १०आ, संपूर्ण.
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पत्रकतांगसूत्र, आ. सुधमास्वाचंद्रसरि, मा.गु., गद्य,
आ
जै दे.. (२७४१०, ९४४३
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
ज्योतिष श्लोकसंग्रह, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७०७१. कल्पसूत्र, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ७८, जैदे., (२७४११.५, ९४३१-४१).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (१)नमो अरिहंताणं नमो, (२)तेणं कालेण० समणे: अंति: उवदंसेइ
त्ति बेमि, व्याख्यान-९. २७०७२. उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ७६, जैदे., (२७४११, ११४४३-४६).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: त्ति बेमि, अध्ययन-३६. २७०७३. (+) सूयगडांगसूत्र सह टबार्थ-श्रुतस्कंध १, पूर्ण, वि. १६७३, आश्विन कृष्ण, १३, मध्यम, पृ. ७२-५(१,३९ से
४२)=६७, ले.स्थल. सुराता, प्रले. सा. हर्षाश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७.५४११.५, ६४२८-३०).
सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), प्रतिअपूर्ण.
सूत्रकृतांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिअपूर्ण. २७०७४. सूयगडांगसूत्र सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ३८-१९(१ से १८,२८)=१९, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२८x११.५, ६-१०x२७-४१).
सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-).
सूत्रकृतांगसूत्र-बालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७०७५. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२७४१०, ९x४३-४५).
प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह-श्वे.मू.पू.*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: (-). २७०७६. उपासकदशांगसूत्र, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २१, जैदे., (२७४११, १५४४४-४५).
उपासकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं० चंपा नामं नयरी; अंति: दिवसेसु अंगं तहेव,
अध्याय-१०, ग्रं. ८१२. २७०८१. सामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, पू.वि. श्लोक ९७ तक लिखा है., जैदे., (२७.५४११, १३४५१-५४).
सामुद्रिकशास्त्र, सं., पद्य, आदि: आदिदेवं प्रणम्यादौ; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. सामुद्रिकशास्त्र-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहादेव को नम; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण. २७०८२. (+) नंदीसूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३८-४(१,५ से ७)=३४, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७४१२, ७X४४-४५).
नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-).
नंदीसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७०८३. अध्यात्मगीता व पदार्थसार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. २, ले.स्थल. पाली, प्रले. पं. कपुरविजय;
पठ. सा. तेजश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीनवलखाजी प्रसादात्., जैदे., (२८x११.५, १०४२७-२९). १. पे. नाम. अध्यात्मगीता, पृ. १अ-६आ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमियै विश्वहित; अंति: रमणी मुणी सुप्रतीता, गाथा-४९. २. पे. नाम. पदार्थसार, पृ. ६आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: मजं विषय कषाया; अंति: सद्दहियवं पयत्तेणं, गाथा-३. २७०८६. (+) जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति सह टीका, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २६५-१२१(१ से १२१)=१४४, ले.स्थल. शीशांग, प्र.वि. पंचपाठ-संशोधित., जैदे., (२८.५४१२, ११४२१-२६). जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, वक्षस्कार-७, ग्रं. ४१५४, (वि. १६७०, आषाढ़
शुक्ल, ११, गुरुवार)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-टीका, उपा. धर्मसागरगणि, सं., गद्य, वि. १६३९, आदि: (-); अंति: शिष्यं प्रति ब्रवीति,
(वि. १६७२, माघ कृष्ण, २, बुधवार) २७०८८. पद्मावतीसहस्रनाम स्तोत्र व जापमंत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. २, जैदे., (२८x१२,
१२-१३४३८-४३). १. पे. नाम. पद्मावतीसहस्रनाम स्तोत्र, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: प्रणम्य परया भक्त्या; अंति: प्रीत्यपलायनैक्य, श्लोक-११. २. पे. नाम. पद्मावतीजाप मंत्र संग्रह, पृ. ६आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी जापमंत्र संग्रह, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं क्लीं ब्लौं; अंति: बेसीइं सही सत्यं, (वि. विधि सहित.) २७०८९. कल्पसूत्र की पीठिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८८९, चैत्र कृष्ण, ३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २६, ले.स्थल. जामोला, प्रले. मु. महिमाविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८.५४१२, ४-५४३३-३५).
कल्पसूत्र-पीठिका*, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: पुत्राः पंचमतिश्रुता; अंति: (-).
कल्पसूत्र-पीठिका का टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: चउवीसमो जगन्नाथ; अंति: (-). २७०९३. कर्मग्रंथ १ से ६ का बालावबोध, पूर्ण, वि. १६९३, कार्तिक शुक्ल, ९, रविवार, जीर्ण, पृ. ४१-१(१)=४०, कुल
पे. ६, प्रले. मु. जयराज ऋषि (गुरु मु. मंगल ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कुल ग्रं. ३३५५, जैदे., (२७४१२, १८-२७४४२-५५). १. पे. नाम. कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. २अ-९अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: देवेंद्रसूरि कहिउ. २. पे. नाम. कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. ९अ-११आ, संपूर्ण.
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: तिम श्रीमहावीर प्रति; अंति: ते महावीर प्रति नमु. ३. पे. नाम. बंधस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. ११आ-१४आ, संपूर्ण. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: सामान्यइ सविहु जीवा; अंति: स्वामित्व विचार
कहिउ. ४. पे. नाम. षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. १४आ-१९अ, संपूर्ण.
षडशीति नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: वीतरागदेव नमस्कार; अंति: लिखि देवेंद्रसूरिहिं. ५. पे. नाम. शतक नव्य पंचम कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. १९अ-२९अ, संपूर्ण.
शतक नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: वीतराग नमस्करीनई; अंति: परोपकारनइ काजि. ६. पे. नाम. सत्तरी षष्ठ कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. २९अ-४१अ, संपूर्ण.
सप्ततिका कर्मग्रंथ-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: सिद्ध निश्चल जे छइ; अंति: निपजावी एकइ उणी निउ. २७०९४. नवस्मरण, संपूर्ण, वि. १९०८, फाल्गुन शुक्ल, १४, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, ले.स्थल. द्रापरानगर, प्रले. ग. बेचरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशांतिनाथ प्रसादात्., जैदे., (२८x१२, ११-१५४३२-४४). नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: जैन जयति शासनम्,
(प्रतिपूर्ण, पृ.वि. मात्र कल्याणमंदिर स्तोत्र नहीं है.) २७०९५. (+) अंतगडदशांगसूत्र, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३२, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है., जैदे., (२७४१२, ११४३८-४०).
अंतकृद्दशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेण० चंपा०; अंति: जहा नायाधम्मकहाणं, ग्रं. ८२५. २७०९६. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८९४, पौष शुक्ल, ४, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १२-३(१ से ३)=९, ले.स्थल. वीसनगर, प्रले. मु. दोलतविजय; पठ. श्रावि. खेमा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१२, १२४३४-३५).
देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदिः (-); अति: जसपडहो तिहुअणे
सयले.
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प.वि. पाठ
विशेष पाठ,
(-), पू.वि
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७०९८. (+) नवतत्त्व प्रकरण सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, प्र.वि. त्रिपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२८x१२, २-४४३९-४५).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: एवं भूएय मूलनया, गाथा-४५.
नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीजिनेश्वरमानम्य; अंति: वरस साढापांच जाणवा. २७०९९. (+) दशवैकालिकसूत्र, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १५-३(१ से ३)=१२, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८x१२, १७-१८४३०-३९).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. अध्ययन-४ अपूर्ण से
__ अध्ययन-१० अपूर्ण तक है.) २७१००. (+) कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान+कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १५७-१६(१ से २,२३ से २७,४६,६४ से
६५,७०,११८ से ११९,१५३ से १५५)=१४१, पृ.वि. पीठिका भाग अपूर्ण से अन्तिम व्याख्यान अपूर्ण तक है., प्रले. ग. पूरणसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२८.५४१३, ६-१२४३०-४१). कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: णमो अरिहंताणं० पढम; अंति: (-), पू.वि. बीच व अंत के पत्र
नहीं हैं. कल्पसूत्र-टबार्थ **, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कारी अरिहंतनै; अंति: (-), पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं.
कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), पू.वि. प्रारंभ, बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. २७१०१. (+) नवतत्त्व सह टबार्थ व जीवभेद विचार, संपूर्ण, वि. १८७६, ज्येष्ठ कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २,
ले.स्थल. विद्युतपुर, प्रले. पं. निधानविजय गणि; पठ. श्राव. गुलाबचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीचिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२९x१२, ४४३७-४०). १.पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण सह टबार्थ, पृ. १आ-८आ, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण, आ. मणिरत्नसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवापुन्नं पावा; अंति: लिहिओ मणिरयणसूरिहिं,
गाथा-५६. नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: रत्नसूरि एहवे नामे. २. पे. नाम. जीव के ५६३ भेद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
जीव के ५६३ भेद विचार, मा.गु., गद्य, आदि: नारकी सात नरकना; अंति: जीवना भेद ५६३ जाणवा. २७१०२. सप्तस्मरण व लघुशांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९०९, चैत्र शुक्ल, १, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. २,
ले.स्थल. गोधावी, प्रले. पं. जतनकुशल गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीवीरवर्द्धमानस्वामी प्रसादात्., जैदे., (२९x१२.५, १३४३५-३९). १. पे. नाम. सप्तस्मरण, पृ. १आ-१०आ, संपूर्ण. नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: जैन जयति शासनम्,
(प्रतिपूर्ण, पू.वि. कल्याणमंदिर स्तोत्र नहीं है.) २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांतं; अंति: पूज्यमाने जिनेश्वरे, श्लोक-१८. २७१०३. (+) नेमिजिन चौवीसचोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, ले.स्थल. राजनगर, प्रले. पं. मानसागर; पठ. श्रावि. गुलाब, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीचिन्तामणिजी प्रसादात्., संशोधित., जैदे., (२७४१२, ११-१२x२५-२७). नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: एक दिवस वसै नेमकुंवर; अंति:
तस सीस अमृत गुण गाया, चोक-२४. २७१०६. (+) कर्मग्रंथ ५ शतक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३५, ले.स्थल. पाली, प्रले. पं. घनमंदिर; पठ. सा. माणिकश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८.५४१२.५, ३-४४२८-३२). शतक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं धुवबंधोदय; अंति: सयगमिणं आयसरणट्ठा,
गाथा-१००.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
शतक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणमीनइ जिनप्रतइ अंतिः संभारवाने अर्थि २७१०७. सीमंधरजिन स्तवन सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८७५, श्रावण शुक्ल, १४, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १७, प्रले. पंन्या. तिलोकहंस, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. कुल ग्रं. ५७५, जैदे., (२८.५X१२, ४- १३३७-४२).
सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधर विनती; अंति: जसविजय बुध जयकरो, ढाल १०, गाथा १२५ . १५५.
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सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: हे श्रीसीमंधरस्वामी; अंति: (-), ग्रं. ४२०, (वि. कर्ता द्वारा अंतिम कुछेक गाथाओं का टबार्थ नहीं किया गया है . )
२७१०९. (+) नवतत्त्व सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., (२८x१२.५, ५ - ६x२९-३३).
-
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, गाथा-४४. नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ में, मा.गु., गद्य, आदिः साची वस्तुनं जाणवू; अंति: भाषित सर्ववचन प्रमाण. २७११०. (+) नवतत्त्व सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८८६, आश्विन कृष्ण, ८, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ७३, ले. स्थल. पेंपावती, प्रले. मु. देवीचंद ऋषि (गुजराती लोकागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित. प्र. ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैवे., (२८x१२.५, ८X३४).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: बोहिय इक्कणिकाय, गाथा - ५४.
नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: (१) प्रणम्य श्रीजिनं देव, (२) पहेलो जीवा क० जीव; अंतिः ते
श्री ऋषभप्रभुजी.
२७१११. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, अन्य मु. मोहनविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. त्रिपाठ., जैवे., (२७४१२, ११-१२x४० - ४३ ).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदिः सकलात्प्रतिष्ठान; अंतिः
श्रीवीरजिननेत्रयोः श्लोक-२६.
2
सकलार्हत् स्तोत्र- टीका, ग. कनककुशल, सं., गद्य, वि. १६५४, आदि: वयमार्हत्वं प्रणिदध; अंतिः
शोधनीयेयमादरात्, ग्रं. २८२.
२७११२. (+) श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह व भरहेसर सज्झाय, अपूर्ण, वि. १८७७, चैत्र कृष्ण, ३०, श्रेष्ठ, पृ. १०-१(१)=९, कुल पे. २, ले.स्थल. अगस्तपुर, प्रले. मु. खुशाल (गुरु पंन्या. मुक्तिविजय); पठ. श्रावि. दुधीबाई; लिख. मु. हेतविजय, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका अन्तर्गत प्रतिलेखन मास में चैत्र वद १५ लिखा है. सुमतिनाथ प्रसादात्., संशोधित, जैदे., (२८.५x१२, १०-११४३०-३४ ).
१. पे. नाम. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. २आ-१०अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र - तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: (-); अंति: वंदामि जिणे चउव्वीसं. २. पे. नाम. भरहेसर सज्झाय, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुयणे सबले, गाथा- १३.
"
२७११३. श्रावक पाक्षिक अतिचार, अपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ६, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैवे., (२७४१२, ११X३३-३५).
श्रावक पाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: (१) नाणंमि दंसणमि०, ( २ ) विशेषतः श्रावक तण; अंति: ( - ).
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२७११४. पर्युषणपर्व अष्टाहिका व्याख्यान, संपूर्ण, वि. १९४६, आषाढ़ कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. २७, ले. स्थल. सावडी, प्रले. पं. छगनचंद्र (बृहत्तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८.५X१३, १०x२८-३३).
पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: (१) स्मृत्वा पार्श्वसहस, (२) स्मृत्वा क० सवरीने; अंति: तीर्थंकरे कह्यो छै.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७११५. (+) आगमसारोद्धार का बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९१२, वैशाख शुक्ल, ४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २७, ले.स्थल. थूभ, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८x१२, १७४३९-४२).
आगमसारोद्धार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १७७६, आदि: तत्र जीव प्रथम अनादि; अंति:
(१)सफल फली मन आस, (२)ते समकिति जाणवो. २७११७. श्रीपाल रास सह बालावबोध-खंड ३ से ४, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २६, पू.वि. खंड ३ से खंड-४ ढाल ३ अपूर्ण तक है., जैदे., (२८x१२.५, ६-१२४३५-४१). श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: (-); अंति: (-),
प्रतिअपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
श्रीपाल रास-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिअपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७११८. अभिधानचिंतामणि नाममाला सह स्वोपज्ञ टीका, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १३-३(१ से ३)=१०, पू.वि. कांड-१ श्लोक १० से ६० तक है., जैदे., (२८.५४१२.५, १३४३८-४०).
अभिधानचिंतामणि नाममाला, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १३वी, आदिः (-); अंति:
(-), पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. अभिधानचिंतामणि नाममाला-स्वोपज्ञ तत्त्वाभिधायिनी विवृति, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य,
वि. १२१६, आदि: (-); अंति: (-), पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७११९. गोडीपार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९६८, माघ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. नागोर, प्रले. किशनकरण मुथा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१२.५, १२४४१-४६). पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. अनोपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२५, आदि: श्रीजिन वदन निवासनी; अंति: पायो
धवल धीग गौडीधणी, ढाल-८. २७१२०. अंजनासती रास, संपूर्ण, वि. १९३०, फाल्गुन शुक्ल, ६, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले.स्थल. कुताण, प्रले. मु. मंगलसेन ___ (गुरु मु. ख्यालीराम), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, १७-१८४४२).
अंजनासुंदरी रास, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत सिद्ध समरु; अंति: भारजा जगतनी माय तो, गाथा-१५६. २७१२१. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका सह स्याद्वादमंजरी टीका, संपूर्ण, वि. १९५७ कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. ८५, जैदे., (२८x१३, १४४४६-४८).
अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: अनंतविज्ञानमतीत; अंति:
कृतसपर्याः कृतधियः, श्लोक-३२. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका-स्याद्वा जरी वृत्ति, आ. मल्लिषेणसूरि, सं., गद्य, श. १२१४, आदि: यस्य
ज्ञानमनंतवस्तु; अंति: सास्त्यत्र सम्यग्यतः. २७१२५. उपदेशमालासह टबार्थ व कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ३३, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा ४८ तक है., जैदे., (२९x१३, २-११४३३-३९).
उपदेशमाला, ग. धर्मदास, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण जिणवरिंदे इंद; अंति: (-). उपदेशमाला-बालावबोध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, वि. १७१३, आदि: (१)प्रणम्य श्रीमहावीरं, (२)नमस्कार
करीनइ जिण; अंति: (-). उपदेशमाला-कथा, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, आदि: वंदित्वा वीरजिनं; अंति: (-), (पू.वि. कथा १६ अपूर्ण
तक है.) २७१२७. हुंडीनो स्तवन, संपूर्ण, वि. १८८८, कार्तिक शुक्ल, ५, बुधवार, मध्यम, पृ. ६, ले.स्थल. भरूचबंदर, प्र.वि. प्रेमविजयजी
के उपाश्रय में रंगविजयजी के पास वाली प्रत से यह प्रति लिखी गयी है. सुव्रतस्वामि प्रसादात्., जैदे., (२७.५४१३, १५-१६४३४-३८). महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३३,
आदि: प्रणमी श्रीगुरुना पय; अंति: आणा शिर वहस्ये जी, ढाल-६, गाथा-१५१.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७१२८. विचारषविंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १३, जैदे., (२८.५४१३, ३४२०-३६).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४०. दंडक प्रकरण-टबार्थ, मु. यशसोम-शिष्य, मा.गु., गद्य, आदि: (१)ऐंद्रराजिनतं नत्वा, (२)नमिऊं क० मन वचन
काया; अंति: (१)टबार्थं दंडकस्तुते, (२)हितनी करणहारी. २७१३०. कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रंथ सह टबार्थव बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९०६, आश्विन कृष्ण, ११, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ६४, प्र.वि. पाठान्तर पाठ सहित. गाथा २४ अधिकपाठ है., जैदे., (२८x१३, ८४३०-३३). कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंति: (-), गाथा-३५,
(वि. अंतिम गाथा नहीं है अपितु उसका बालावबोध लिखा गया है.) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तिम स्तवीश श्रीवीरजी; अंति: प्रकृति १३ नो छेद. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: (१)अर्हस्त्रिजगत्सृष्ट, (२)जिम कर्म खपाववारूप; अंति:
पूर्वके नमस्कार करुं. २७१३१. पांडव चरित्र, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३८-८(४ से ११)=३०, जैदे., (२७७१३, १४४३६-३८).
पांडव चरित्र, वा. कमलहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम जिनेशर प्रणमीय; अति: (-), (पू.वि. बीच के पत्र नहीं हैं व
प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., प्रथम उल्लास की ढाल-२ गाथा-१२ व ढाल-१० से तृतिय खंड की ढाल-६ गाथा-१७
तक लिखा है.) २७१३२. गौडीपार्श्वजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १९३२, ज्येष्ठ कृष्ण, ८, गुरुवार, मध्यम, पृ. ७-२(१ से २)=५, ले.स्थल. स्तंभतीर्थ, प्रले. सोमेश्वर शिवलाल व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८.५४१२.५, १२४३६-३७).
पार्श्वजिन स्तवन, मु. नेमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७७, आदि: (-); अंति: नेमविजय जयकार, ढाल-१४. २७१३३. कल्पसूत्र, त्रुटक, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६५-४७(२ से २५,२९ से ४८,६०,६२ से ६३)= १८, पू.वि. बीच-बीच के व अंतिम पत्र नहीं हैं., जैदे., (२८x१३, १०४३१-३४).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं० समणे; अंति: (-), (पू.वि. अध्ययन-८ तक है.) २७१३४. (+) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थव बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८६९, ज्येष्ठ शुक्ल, १३, सोमवार, मध्यम, पृ. ३८,
ले.स्थल. सूर्यबंदर, प्रले. आ. राजेंद्रसागरसूरि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पाठान्तर पाठ सहित. गाथा २४ अधिकपाठ है. अन्तिम गाथा नहीं अपितु उसका बालावबोध लिखा गया है., संशोधित., जैदे., (२८.५४१३, १०४३४-३७). कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिण; अंति: वंदियं नमह तं वीरं,
गाथा-३५, (वि. प्रतिलेखक ने अंतिम गाथा लिखे बिना ही पूरा कर दिया है.) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तिम स्तवीश श्रीवीरजी; अंति: प्रकृति १३ नो छेद. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: (१)अर्हस्त्रिजगत्सृष्ट, (२)जिम कर्म खपाववारूप; अंति:
पूर्वके नमस्कार करूं. २७१३७. (+) जीवविचार सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०३, चैत्र शुक्ल, ९, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ७, ले.स्थल. गोधावी,
प्रले. पं. जतनकुशल; पठ. श्राव. वीरचंद शाह; श्राव. दीपचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीवीरवर्द्धमानस्वामी प्रसादात्. प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोक का भी टबार्थ दिया गया है., संशोधित.,प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, (५२९) जब लगे मेरु थिर रहे, जैदे., (२७.५४१३, ४५२५-२८). जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१.
जीवविचार प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: भुवन क० स्वर्ग; अंति: उद्धरीने लइनइं. २७१४२. (+) शांतिस्नात्र पूजाविधि, संपूर्ण, वि. १९६६, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, रविवार, मध्यम, पृ. ९, ले.स्थल. सीद्धपूर,
प्रले. श्राव. किशोर जीवराम भोजक; पठ. श्राव. बालाभाई जेसंगभाई सेठ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२९.५४१३.५, १३४३७-४१).
शांतिस्नात्र विधि, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: अथ प्रतिष्ठायां वा; अंति: गाजते धारा देवी.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७१४४. पयतीस बोल, संपूर्ण, वि. १९३१, वैशाख कृष्ण, १२, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. पालिताणा, प्रले. सीताराम
व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखक ने प्रतिलेखन पुष्पिका में "सादवीजी मेडतावालारे वाचनार्थं" का उल्लेख किया है., प्र.ले.श्लो. (५३) कर दुख अंगुरी नेयन, जैदे., (२७४१३, १२४२९-३२).
३५ बोल, मा.गु., गद्य, आदि: पहिले बोले गत च्यार; अंति: गुण इकीस ज्ञातानि. २७१४५. भक्तामर स्तवन सह सुखसंबोधिका टीका, संपूर्ण, वि. १८५४, माघ शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. ९, ले.स्थल. मुजपुर, प्रले. पं. वीरमविजय गणि; पठ. मु. माणिक्यविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१३, १७-१८४४२-४५).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. भक्तामर स्तोत्र-सुखबोधिका टीका, आ. अमरप्रभसूरि, सं., गद्य, आदि: किल इति सत्ये अहमपि; अंति: विबुधैः
शोध्यतामियम्. २७१४६. (+) दिवाली व्याख्यान, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३६, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८x१३.५, १०४२३-२६). दीपावलीपर्व कल्प-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदिः (१)श्रीवर्द्धमानमांगल्य, (२)श्रीवर्द्धमानस्वामी; अंति: (-),
(पू.वि. विष्णुकुमार संबंध अपूर्ण तक है.) २७१४७. जंबूद्वीपसंग्रहणी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०१, माघ कृष्ण, २, मध्यम, पृ. ६, प्रले. मु. ऋद्धिविजय; लिख. श्राव. गमान पानाचंद वखारिया, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१४.५, ४४३१).
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिण सव्वन्नु; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०.
लघुसंग्रहणी-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नमिय क० नमस्कार करी; अंति: श्रीहरिभद्रसूरीश्वरे. २७१५१.(-) जीवविचार स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, प्र.वि. प्रतिलेखक ने कर्ता के गुरु रुप में शांतिसूरि लिखा है. जो गलत है., अशुद्ध पाठ., जैदे., (२८x१२, ७४२०).
जीवविचार स्तवन, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७१२, आदि: श्रीसरसतीजी वरसति; अंति: वृधविजय भणे
__ आणंदकारी, ढाल-९, गाथा-८३. २७१५२. (+) स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १०-३(१ से ३)=७, पृ.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. यह प्रति रचना
के समीपवर्ति काल में लिखी होने की संभावना है., पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२९x१३, १२४३१-३३). - स्तवनचौवीसी, पंन्या. मुक्तिविमल, मा.गु., पद्य, वि. १९७०, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. चंद्रप्रभ स्तवन से
अन्तिम स्तवन कलश गाथा-१० तक है.) २७१५३. (+) नवस्मरण व लघुशांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९०७, मार्गशीर्ष कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. २, ले.स्थल. मुंबैबंदर,
प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२८x१३, १०x४५-४७). १. पे. नाम. नवस्मरण, पृ. १अ-११आ, संपूर्ण. मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं हवइ; अंति: निब्भत निच्चमच्चेह, (प्रतिपूर्ण,
पू.वि. कल्याणमंदिर स्तोत्र नहीं है.) २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. ११आ-१२आ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: जैनं जयति शासनम्, श्लोक-१९. २७१५४. शत्रुजय उद्धार व चैत्यवंदनचौवीसी, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. २, जैदे., (२८.५४१३.५,
१२४३२-३७). १. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थउद्धार रास, पृ. १अ-७अ, संपूर्ण, वि. १९२९, श्रावण शुक्ल, १२, मंगलवार, ले.स्थल. नाडोल,
प्रले. श्राव. हिम्मतमल पद्माजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट. मु. नयसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: विमल गिरिवर विमल; अंति: श्रीसंघ जगीस कि, ढाल-१२,
गाथा-११७. २. पे. नाम. चैत्यवंदनचौवीसी, पृ. ७अ-७आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: आदिदेव अरिहंत नमु; अंति: (-), (पू.वि. सुपार्श्वनाथ की स्तुति तक है.)
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१४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७१५५. नेमिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२८x१३, १२४२७-३०).
नेमिजिन नवरसो, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदि: सरसति सामणि पाय नमी; अंति: थुण्यो
नेमिजिणेसरू, ढाल-४, गाथा-७२. २७१५६. चौवीसदंडक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०३, ज्येष्ठ शुक्ल, १३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले.स्थल. गोधावी,
प्रले. पं. जतनकुशल; पठ. श्राव. वीरचंद शाह; श्राव. दीपचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१३.५, २-३४२४-२९). दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४१,
(वि. १९०३, ज्येष्ठ शुक्ल, १३, गुरुवार) दंडक प्रकरण-टबार्थ, मु. यशसोम-शिष्य, मा.गु., गद्य, आदि: (१)ऐंद्रराजानं नत्वा, (२)नमिऊं क० मन वचन
काया; अंति: टबार्थं दंडकस्तवे. २७१५७. चौसठप्रकारी पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, दे., (२७.५४१३, १२४३७-३९).
६४ प्रकारी पूजा विधिसहित, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७४, आदि: श्रीशंखेश्वर साहिबो; अंति: (-),
(अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., पूजा-९ दोहा-६ तक लिखा है.) २७१५८. (+) वीसवहरमानजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८x१३, १०४३८-४०).
२०विहरमानजिन स्तवन, वा. वाचक जस, मा.गु., पद्य, आदि: पुष्कलवइ विजई जयो; अंति: वाचक जस ईम बोल
रे, स्तवन-२०. २७१६१. कल्पसूत्र, संपूर्ण, वि. १९०१, आश्विन कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ८२, प्रले. पं. तेजसागर गणि (गुरु पं. दयासागर गणि,
तपागच्छ); राज्ये आ. विजयदेवसूरि (गुरु गच्छाधिपति सेनसूरि*, तपागच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, दे., (२६४१३, ९४२७-३०). कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: णमो अरिहंताणं पढम; अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, व्याख्यान-९,
ग्रं. १२६२. २७१६२. भगवतीसूत्र की सज्झाय संग्रह व पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २, ले.स्थल. राधिकापुर,
जैदे., (२८.५४१३.५, १४-२३४४९-५५). १. पे. नाम. भगवतीसूत्र की सज्झाय संग्रह, पृ. १अ-८आ, संपूर्ण. भगवतीसूत्र-सज्झाय संग्रह, संबद्ध, मु. मानविजय, मा.ग., पद्य, आदि: सदहणा सुधि मन धरिए; अंति: मानविजय
उवज्झाय, सज्झाय-३३. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदिः सुणो सखी मुझ वालहो; अंति: वंदे प्रभुना पाय, गाथा-९. २७१६३. सम्यक्त्व सप्तषष्ठिभेदगर्भित सज्झाय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २०, जैदे., (२८x१३.५, ३-४४२९-३१). समकितना सडसठबोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुकृतवल्लि कादंबिनी; अंति:
वाचक जस इम बोले रे, ढाल-१२, गाथा-६८.
समकितना सडसठबोलनी सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सुकृत पूण्यं तद्रूप; अंति: मुक्ति निकटक छई. २७१६७. श्राद्धपंचप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह - तपागच्छीय, संपूर्ण, वि. १९१६, श्रेष्ठ, पृ. १३, प्रले. मु. रामविजय; लिख. श्राव. बेचर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२९x१४, १५-१६४३४-४१).
पंचप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: स लहइ सुहसंपयं
परम.
२७१६८. ज्ञानदर्शनचारित्रसंवादगर्भित वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९३१, ज्येष्ठ कृष्ण, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे.,
(२८x१३.५, ११४३६).
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१५
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
महावीरजिन स्तवन-ज्ञानदर्शनचारित्रसंवादरूप नयमतगर्भित, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८२७, आदि:
श्रीइंद्रादिक भावथी; अंति: पभणे संघने जयकार ए, ढाल-८, गाथा-८१, ग्रं. १९१. २७१७०. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ व बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४०, ले.स्थल. सूरतबंदर, प्रले. वीरचंद वोरा; पठ. सा. वज्रश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७७१३.५, ७-१२४२६-३२). कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंति: वंदियं नमह तं वीरं,
गाथा-३५. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तिम स्तवीश श्रीवीरजी; अंति: (-), (वि. प्रतिलेखक द्वारा __ आवश्यकतानुसार ही टबार्थ लिखा गया है.) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: (१)अर्हस्त्रिजगत्सृष्ट, (२)जिम कर्म खपाववारूप; अंति:
पूर्वके नमस्कार करुं, ग्रं. १३५५. २७१७१. कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान+कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १४३-१२०(१ से ४४,५० से ११४,१२६ से १३६)=२३, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., जैदे., (२८x१३.५, १२४४२-४४).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). कल्पसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: (-).
कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अति: (-). २७१७२. श्रीपाल चरित्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७७, प्र.वि. कुल ग्रं. ५०७५, जैदे., (२८x१४, ८४४५-४८).
सिरिसिरिवाल कहा, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४२८, आदि: अरिहाइ नवपयाई झायित; अंति: वाइजंता
कहा एसा, गाथा-१३४२, ग्रं. १५५०. सिरिसिरिवाल कहा-टबार्थ, पं. ऋद्धिसागर मुनि, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंतादिक नवपद; अंति: कहेवा जोग्यं
कथा या, ग्रं. १६७५. २७१७४. पांचसोत्रेसठ जीवभेदे बासठमार्गणा विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२७४१४, १२४३०-३४).
५६३ जीवभेद६२ मार्गणा विचार, मा.गु., गद्य, आदि: सात नारकी पर्याप्ता; अंति: त्रेसठनी ३४ बोल. २७१७६. एकवीसप्रकारी पूजा, संपूर्ण, वि. १८९९, चैत्र कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. पाटण, प्रले. श्राव. लक्ष्मीचंद फतेचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. शान्तिनाथ प्रसादात्., जैदे., (२७.५४१३, १५४३१-३४). २१ प्रकारी पूजा, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं प्रथम जिणंद; अंति: हेमहीरोजेम जडियो रे,
ढाल-२१, गाथा-१०५. २७१७७. (+) चैत्रीपूनम देववंदन विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १०, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७.५४१३.५, १२४२५).
चैत्रीपूर्णिमापर्व देववंदन विधि, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम प्रतिमा ४ माडी; अंति: वांछित
पामइ. २७१७८. (+) भाष्यत्रय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९१५-१९१६, पौष कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. २३, ले.स्थल. पेथापूर, प्रले. मु. रामचंद;
ग. फतेविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. विहार अन्तराल में पेथापुर भाणमती रत्नशाखा में रहने के क्रम में यह प्रति लिखी गयी है., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२९x१४, ५४३४-३८). भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्खं अणाबाह, भाष्य-३, गाथा-१५२,
(वि. १९१५, पौष कृष्ण, ४) भाष्यत्रय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: वांदिवा योग्य; अंति: मंगलमोहे केहेवा एहवा, (वि. १९१६, पौष शुक्ल, २,
प्रले. नरभेचंद मथेन, प्र.ले.पु. सामान्य) २७१८०. षडावश्यकसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, ले.स्थल. राजधन्यपूर, प्रले. मु. रामविजय; मु. फतेरत्न, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशान्तिनाथ प्रसादात्., जैदे., (२८.५४१४.५, ५-६४२९-३४). देवसिप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहताणं० इच्छा; अंति: मिच्छामि
दुक्कडम्.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची देवसिप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार हवओ रागद्वेष; अंति: मिच्छामिदुक्कडं
हुवओ. २७१८२. उत्तराध्ययनसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १७३, जैदे., (२८x१४, ५-६४३२-३४).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: पुव्वरिसी एव भासंति,
अध्ययन-३६. उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ, आ. राजचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: (१)वर्द्धमानजिनं नत्वा, (२)पूर्वसंयोग ते मातादि;
अंति: अर्थथी संपूर्ण हुवइ. २७१८६. (+) भाष्यत्रय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८x१४.५, १७४४८-५०).
भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्खं अणाबाह, भाष्य-३, गाथा-१५२. २७१८७. कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य की पीठिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, जैदे., (२७.५४१६, ७४४०).
कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य *, सं., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीजिन; अंति: (-), प्रतिपूर्ण.
कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य का टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करीने; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २७१८८. कल्याणमंदिर स्तोत्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९६५, सररसनवशशि, श्रावण कृष्ण, ७, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २६, ले.स्थल. अजयनगर, प्रले. देवकरण शर्मा, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२८.५४१४.५, ११-१२४२८). कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते,
श्लोक-४४. कल्याणमंदिर स्तोत्र-बालावबोध, श्राव. मोहनलाल शास्त्री पंडित, पुहि., गद्य, वि. १९२२, आदि: अतिशयपणा
करि विस्तरि; अंति: स्तोत्र की सही. २७१९१. सिद्धांतचंद्रिका सह सुबोधिनी टीका - पूर्वार्द्ध, संपूर्ण, वि. १९०२, कार्तिक शुक्ल, २, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ९६, पू.वि. कारक से द्विरुक्त प्रकरण पर्यन्त., दे., (२८x१५, १०४३७-३८).
सिद्धांतचंद्रिका, प्रक्रिया, आ. रामाश्रम, सं., गद्य, आदि: नमस्कृत्य महेशानं; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. सिद्धांतचंद्रिका-सुबोधिनी वृत्ति, ग. सदानंद, सं., गद्य, वि. १७९९, आदि: पुराणपुरुष ध्यात्वा; अंति: (-),
प्रतिपूर्ण. २७१९३. (+) चौमासी देववंदन, संपूर्ण, वि. १९०७, मार्गशीर्ष कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १२, ले.स्थल. सीद्धोलेरा, प्रले. मु. कस्तूरविजय
(गुरु मु. मोहनविजय, तपागच्छ); पठ. मु. चतुरविजय (गुरु मु. कस्तूरविजय, तपागच्छ); मु. फतेचंद (गुरु मु. चतुरविजय), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. शान्तिनाथ प्रसादात्., संशोधित., जैदे., (२८.५४१५, १६-१७४२९-३९).
चौमासीपर्व देववंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विमलकेवलज्ञान कमला; अंति: पास सामलनु चेई रे. २७१९४. सिद्धांतचंद्रिका सह सुबोधिनी टीका -पंचसंधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २९, दे., (२८.५४१५, ११४३७-३९).
सिद्धांतचंद्रिका, प्रक्रिया, आ. रामाश्रम, सं., गद्य, आदि: नमस्कृत्य महेशानं; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. सिद्धांतचंद्रिका-सुबोधिनी वृत्ति, ग. सदानंद, सं., गद्य, वि. १७९९, आदि: पुराणपुरुषं ध्यात्वा; अंति: (-),
प्रतिपूर्ण. २७१९५. उपदेशमाला शुकनावली व आयुलक्षण श्लोक सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९७०, श्रेष्ठ, पृ. ६-१(१)=५, कुल पे. २,
ले.स्थल. धानेरा, प्रले. मु. मणिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१४.५, ७-१९४२९-४८). १.पे. नाम. उपदेशमाला- गाथा शुकनावली संग्रह, पृ. २अ-६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. उपदेशमाला गाथा शकुन, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (१)जोइने कालज्ञान कहेवु, (२)एगो चक्खू
तिहुयणस्स, गाथा-२, (पू.वि. शुकनावली गाथा प्रतिक ७२ पर्यन्त नहीं है.) २. पे. नाम. आयुष्यलक्षण श्लोक सह टबार्थ, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
आयुष्यलक्षण श्लोक, सं., पद्य, आदि: लक्ष्मं लक्षणो लक्षत; अंति: मते आयुप्रमाणं सदा, श्लोक-६, संपूर्ण. आयुष्यलक्षण श्लोक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जे आउखाना लक्षणनो; अंति: (-), (पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., श्लोक ५ तक टबार्थ है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७१९६. हंसराजवछराज चौपाई, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २१, जैदे., (२८x१४.५, १३४३३).
हंसराजवत्सराज चौपाई, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १६८०, आदि: आदिसर आदे करी चोवीसे; अंति:
(-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., खंड-३ ढाल-१ तक लिखा है.) २७१९७. अंजनासती रास, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११-२(१ से २)=९, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२८.५४१४.५, १३४३३-४१).
अंजनासुंदरी रास, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. गाथा-११३ अपूर्ण तक है.) २७१९९. शत्रुजय लघुकल्प सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, जैदे., (२६४१५, ३-४४१६-२६).
शत्रुजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., पद्य, आदि: अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ; अंति: लहइ सेत्तुंजजत्तफलं, गाथा-२५.
शत्रुजयतीर्थ लघुकल्प-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अतिमुक्तक केवली; अंति: यात्राफल पामे. २७२००. (+) सिंदूर प्रकरण, संपूर्ण, वि. १८९१, कार्तिक कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्रले. मु. हुकमचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-क्रियापद संकेत., जैदे., (२५४१४.५, १३४३०).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: स जानाति जनाग्रतः, श्लोक-९७. २७२०८. रमलसार व प्रश्नपयोनिधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, ले.स्थल. भिवाणी, दे., (२८x१४.५,
१५-१७४३९-४६). १.पे. नाम. रमलसार प्रश्नावली, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण, वि. २०वी, कार्तिक शुक्ल, १५, बुधवार.
पुहिं., गद्य, आदि: १११ अहो पुछनेवाले; अंति: शातिनाथजी का जप करना. २. पे. नाम. प्रश्नावली, पृ. ३आ-५अ, संपूर्ण, वि. २०वी, मार्गशीर्ष कृष्ण, १०, शुक्रवार.
पुहि., गद्य, आदि: अब ध्वजादि संज्ञा को; अंति: छठिय महिने छुठेगा. २७२१२. दानशीलतपभावना संवाद रास ढालिया, संपूर्ण, वि. १९४१, आषाढ़ कृष्ण, ९, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. विरमगाम, प्रले. मु. मोतीचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१४.५, १३४३४-४१). दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय नमी; अंति:
समृद्धि सुप्रसादो रे, ढाल-४, गाथा-१०१. २७२२२. कायथिति थोकडौ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५, १७४३८). १. पे. नाम. कायथित थोकडो, पृ. १आ-५आ, संपूर्ण.
कायस्थिति २२ द्वार वर्णन, मा.गु., गद्य, आदि: जीव १ गई २ इंदिय ३; अंति: नित्य द्रव आश्री. २.पे. नाम. शरीरद्वार थोकडा, पृ. ५आ-७आ, संपूर्ण.
शरीरद्वार के १५ विचार, रा., गद्य, आदि: पन्नवणां पद २१मो १५; अंति: जस कारमणरो अंतरो नथी. २७२२६. (+) समवायांगसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १२९+१(७१)=१३०, प्र.वि. त्रिपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-संशोधित., दे., (२७४१४,८-९४४०-४५). समवायांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: सुयं मे० इह खलु समणे; अंति: (-), पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण. समवायांगसूत्र-वृत्ति, आ. अभयदेवसूरि , सं., गद्य, वि. ११२०, आदि: श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंति: (-), पूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७२२७. कर्मविपाकसूत्र नव्य प्रथम कर्मग्रंथ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२६.५४१३.५, ६-१०४२९-३०).
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं,
गाथा-६२. २७२३१. (+) कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान+कथा, त्रुटक, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८८-८३(१ से ४२,४५ से ५९,६१ से ८४,८६ से ८७)=५, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४१३, ९-१४४३७-४०).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). कल्पसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७२३२. (+) प्रवचनसारोद्धार सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९१०, भाद्रपद कृष्ण, १३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २३७, प्रले. पं. कुमुदचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७७१३.५, ५४३०-३१). प्रवचनसारोद्धार, आ. नेमिचंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिऊण जुगाइजिणं; अंति: नंदउ बहु पढिजतो,
द्वार-२७६, श्लोक-१६२६, ग्रं. २०००.
प्रवचनसारोद्धार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करीने; अंति: पंडित भणी जतउ थको. २७२३३. (+) दानशीलतपभावना चौढालियो, संपूर्ण, वि. १९३१, ज्येष्ठ कृष्ण, १२, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. सोजतनगर,
प्रले. पं. शिवचंद (खरतरबृ.आचार्यग.); पठ. मु. लालचंद (खरतरगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७७१३.५, १२४२९-३३). दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति:
भणे० सुप्रसादो रे, ढाल-५, गाथा-१०१. २७२३४. ऋषभ चरित्र, संपूर्ण, वि. १९४३, भाद्रपद शुक्ल, ८, रविवार, मध्यम, पृ. २२, ले.स्थल. मालपुरा, जैदे., (२६४१३, १८४४०).
आदिजिन चौपाई, ऋ. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८४०, आदि: अरिहत सिद्धनै आयरिय; अंति: ऋषभचरित्र
टकसारए, ढाल-४८. २७२३५. वयरस्वामी भास व लीख सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५,
११४२८-३०). १. पे. नाम. वयरस्वामी भास, पृ. १आ-८आ, संपूर्ण. वज्रस्वामी रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: अरध भरतमांहि शोभतो; अंति: जिनहर्ष० गुण गाया
रे, ढाल-१५. २. पे. नाम. लीख सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण. मु.शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६७५, आदि: सरसति मत सुमत द्यौ; अंति: शांतिकुश० सिवसुख वरो,
गाथा-१४. २७२३६. पंचकल्याणक पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १५, जैदे., (२७७१३, ८x२७-३०).
पंचकल्याणक पूजा-पार्श्वजिन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८९, आदि: श्रीशंखेश्वर साहिबो; अंति: वंछित
दाय सहायो रे. २७२३७. प्रवचनसारोद्धार सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २५१-२४५(१ से २४५)=६, पू.वि. बीच के पत्र हैं., गाथा १५७१ से १६०८ तक है., जैदे., (२७४१३, ४४२७-३८).
प्रवचनसारोद्धार, आ. नेमिचंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: (-); अंति: (-).
प्रवचनसारोद्धार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अति: (-). २७२३९. प्रदेसीराजा चौपाई, संपूर्ण, वि. १९३४, श्रेष्ठ, पृ. १८, प्रले. मु. मंगलसेन, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१३, १८४४६). प्रदेशीराजा चौपाई, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, वि. १८७७, आदि: अरहत सिद्धने आयरिया; अंति: कही सूत्रथी काढो
रे, ढाल-२३. २७२४०. (+) चौवीसदंडक ओगणत्रीसद्वार विचार, अपूर्ण, वि. १९६३, फाल्गुन शुक्ल, १०, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १२-६(१ से
४,८,११)=६, ले.स्थल. पेथापुर, प्रले. जेठालाल चुनीलाल भावसार, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७४१३, १२४३४-३७).
२४ दंडक २९ बोल, मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: जीव अनंतगुणाधिका, (पू.वि. द्वार-१२ अपूर्ण तक नहीं है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७२४१. (+) अनुत्तरोववाईयदसांगसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९१२, ज्येष्ठ शुक्ल, ३, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. २३,
ले.स्थल. विक्रमपूर, प्रले. मु. सिद्धकरण (कवलागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४१३, ५४२३-२५).
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंति: जहा धम्मकहा ___णेयव्वा, अध्याय-३३, ग्रं. २२५.
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालने विषे ते; अंति: धर्मकथानी परे जाणिवा, ग्रं. ३१५. २७२४२. (+) पार्श्वजिन विवाहलो, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-३(१ से ३)=७, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७७१३, ११४३०-३३). पार्श्वजिन विवाहलो, मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८६०, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. ढाल-३ से
ढाल-९ गाथा-८ तक है.) २७२४३. सूक्तमुक्तावली सह बालावबोध-मोक्षवर्ग, संपूर्ण, वि. २०वी, जीर्ण, पृ. ३६, अन्य. सा. सौभाग्यश्रीजी (गुरु सा. पुण्यश्रीजी), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१३, १०४३२-३३).
सूक्तमुक्तावली, मु. केशरविमल, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७५४, आदि: (-); अंति: गम्य विचारणीयं, प्रतिपूर्ण.
सूक्तमाला-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: विचारणीय क० विचारुवु, प्रतिपूर्ण. २७२४४. भाष्यत्रय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८७१, कार्तिक कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. २८, ले.स्थल. पाली, प्रले. मु. कपूरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७७१३, ५४३७-४०).
भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्खं अणाबाह, भाष्य-३, गाथा-१५३.
भाष्यत्रय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (१)ऐंद्रश्रेणि न तु, (२)वादीनें वांदवानइं; अंति: संकट तेणे रहित जाणवा. २७२४५. लघुसंग्रहणी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०६, वैशाख कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. ७, ले.स्थल. पाली, प्रले. पं. दोलतविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कुल ग्रं. १३५, जैदे., (२६.५४१२.५, ३४३०-३१).
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउ जिण सव्वन्नु जय; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०.
लघुसंग्रहणी-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: नमिय क० नमस्कार करी; अंति: हरिभद्रसूरिये कही. २७२४९. रामसीता रास, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३१-१(१३)=३०, जैदे., (२६४१२.५, २१४३८-४०).
रामसीता रास, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: सुखदायक सांसणधणी; अंति: (-), पू.वि. बीच के पत्र नहीं
हैं व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७२५०. चैत्रीपूनम देववंदन, अपूर्ण, वि. १९१४, पौष शुक्ल, १५, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १०-४(१ से ४)=६, ले.स्थल. सुरत, प्रले. श्राव. वल्लभदास वनमाळीदास वणिक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४१३, १०४४०-४३).
चैत्रीपर्णिमापर्व देववंदन विधि, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (१)मूल अधूर्मक
सर्वकामद, (२)धर्म शर्म घरि आवी रे. २७२५२. सिंदूर प्रकरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८४५, चैत्र शुक्ल, १, श्रेष्ठ, पृ. २०-११(१ से ११)=९, पू.वि. श्लोक १ से ६१ नही है., ले.स्थल. खल्लचीपुरा, प्रले. य. किशोर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४१२.५, ५४३८-४३).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः (-); अंति: कृतिमहतां मंडनमिदं, श्लोक-१०३.
सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: तद्रूप गहणा छै. २७२५३. भाष्यत्रय, अपूर्ण, वि. १९४८, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ११-३(१ से ३)=८, ले.स्थल. स्तंभनगर, प्रले. सोमेश्वर शिवलाल व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१०.५, ९४३४-३५). भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: सासयसुक्खं अणाबाहं, भाष्य-३, गाथा-१५२,
(पू.वि. प्रारंभिक ३९ गाथा नहीं हैं.) २७२५६. (#) श्वेतपुंवाडिया सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ६, ले.स्थल. सरसपुर, प्रले. मोतीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. पत्र नष्ट होने लगे हैं, जैदे., (२७४१२, ११४३०-३१).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
श्वेतपुंवाडिया सज्झाय, मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पवयण देवि पाय नमि; अंति: दिन दिन सुख थाय,
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ढाल-७.
२७२५७, (+) साधुवंदना, संपूर्ण, वि. १८६२, आषाढ़ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले. स्थल, कालु, प्रले, सा. राजा, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२६.५x१२.५, १४४२८-३३ ).
साधुवंदना, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: रिसहजिण पमुह चडवीस; अंतिः मन आणंदै संधुवा, दाल-७,
गाथा - ८७.
२७२५८. कल्पसूत्र, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १६ - ११ (१ से ११ ) - ५, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२७X१२, ६x३०-३२ ).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि (-); अंति: (-),
२७२६२. श्राद्ध पाक्षिक अतिचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैये. (२५.५x१२.५, १०-११x२८-४०). श्रावकपाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दंसणंमि०; अंति: (), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
२७२६३. पार्श्वजिन छंद व दोहे, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, जैदे., (२६x१२, ११-१२x३२-३३). १. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद, पृ. १अ - ५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद - अंतरीक्ष, वा. भावविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारदमात मया करो आपो; अंति: जय देव जयजय करण,
गाथा - ५१.
२. पे. नाम. दोहा संग्रह, पृ. ५आ, संपूर्ण
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२७२६४. दिसाणुवाई थोकडा, संपूर्ण, वि. १९१८, कार्तिक कृष्ण, १ श्रेष्ठ, पृ. ११, ले. स्थल अमरस, प्रले. ऋ. नेणसुखदास
(गुरु ऋ. ख्यालीराम), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६X१२, १८x४१-४३).
दिसाणुवाई विचार, मा.गु., गद्य, आदि: दिसि गति इंदिय काए; अंति: अल्पबहुत्व जाणज्यो.
२७२६५. निशीथसूत्र सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८२१, वैशाख कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ५४, ले. स्थल, जोधपूर, प्रले. मु. सुखा (गुरु मु. रूपचंद ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२६४१२, ७x४७-५०).
"
निशीथसूत्र, प्रा., गद्य, आदि जे भिखु हत्थ कम्म; अंतिः सिसपसिस्सो व हो, उद्देशक- २०.
निशीथसूत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जे कोई भि० अणगार; अंतिः शिष्यनइ भगवानइ अर्थइ. २७२६६. शालिभद्र श्लोक, संपूर्ण, वि. १९४८, कार्तिक कृष्ण, ७, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्रले. ऋ. नथमल (जयगच्छ-स्थानकवासी), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७X१२, १९३७ - ४२).
शालिभद्रमुनि श्लोक, क. जिन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती सांवण समरू; अंति: मुगती द्ये माया, गाथा - १३८. २७२६७. वंगचूलिका प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, जैदे., (२५X१२, ६x३१-३८).
वंगचूलिका प्रकीर्णक, आ. यशोभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भत्तिब्भरनमियसुरवर; अंति: चित्तो होह पर हियह. वंगचूलिका प्रकीर्णक-टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: भक्तिना समुहे करीने; अंतिः विषे दृढचित्त करे.
२७२६८. (+) सुक्तावली, संपूर्ण, वि. १९१५, कार्तिक शुक्ल, १३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले. स्थल. राझपुर, प्रले. पं. गंभीरसागर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २६४१२, १७x४२).
सूक्तमाला, मु. केशरविमल, मा.गु., सं., पद्य, वि. १७५४, आदिः सकलसुकृतवल्लिवृंद अंतिः मनोविनोदाय बालानां, वर्ग-४, लोक-१७६.
२७२६९. जंबूद्वीप विचार, संपूर्ण, वि. १९००, चैत्र शुक्ल, ५, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २४, ले. स्थल, पाली, प्रले. पं. कपूरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. श्लो. (७७८) कर कुंबड कर बेगडी, जैदे., ( २६४१२, ९x२६-२७).
लघुसंग्रहणी - खंडाजोयण बोल *, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: खंडा १ जोयण २ वासा ३; अंति: ५६ हजार ९० सर्व जाणवी,
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७२७०. (+) प्रकरणचतुष्क सहटबार्थ व कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १८-५(१ से ५)=१३, कुल
पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४१२, २-६४३२-३५). १. पे. नाम. जीवविचार प्रकरण सह टबार्थ, पृ. ६अ-६आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है., गाथा ४४ तक नहीं है.
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ, गाथा-५१.
जीवविचार प्रकरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: समुद्र हुंती. २. पे. नाम. विचारषट्विंशिकासूत्र सह टबार्थ, पृ. ६आ-१४आ, संपूर्ण.
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४०.
दंडक प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: मन वचन कायाई करी; अंति: हितनी करणहारी. ३. पे. नाम. लघुसंघयणी सह टबार्थ, पृ. १५अ-१८आ, संपूर्ण.
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं सव्वन्नु; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०.
लघुसंग्रहणी-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नमिय कहता प्रणमी करी; अंति: हरिभद्रसूरीश्वरइं. ४. पे. नाम. कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, पृ. १८आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है.
आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: (-), (पू.वि. गाथा २ तक है.) २७२७१. कल्याणमंदिर स्तोत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-१(४)=५, पू.वि. काव्य २३ अपूर्ण से ३२ अपूर्ण तक नहीं है., जैदे., (२६४१२, ६४३६-४०). कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते,
श्लोक-४४.
कल्याणमंदिर स्तोत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सकल मंगलिकनु घर छइ; अंति: मोक्ष मुक्ति पामई. २७२७२. दीपोत्सव कथानक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८४६, वैशाख शुक्ल, २, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४८, ले.स्थल. डभोडा,
प्रले. क्र. प्रेमचंद (गुरु मु. रामजी, वडगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, (७७६) जलात् रक्षेत् तैलात् रक्षेत्, जैदे., (२६.५४१२.५, ५४३१-३४). दीपावलीपर्व कल्प, आ. जिनसुंदरसूरि, सं., पद्य, वि. १४८३, आदि: श्रीवर्द्धमानमांगल्य; अंति: चंद्रार्कजगत्त्रये,
श्लोक-४३३, ग्रं. १५००. दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, ग. सुखसागर, मा.गु., गद्य, वि. १७६३, आदि: (१)अहँतं बालबोधानां,
(२)अष्टमहाप्रातिहार्यनी; अंति: (१)तिवार लगें प्रतपो, (२)भागमुदे भवतु वोः, ग्रं. १२००. २७२७३. श्राद्धपाक्षिक अतिचार व देसावगासिक पच्चक्खाण, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२,
११४३३). १. पे. नाम. श्राद्ध पाक्षिक अतिचार, पृ. १आ-१०अ, संपूर्ण. श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (१)नाणंमि दसणंमि०, (२)विशेषतः श्रावक
तणइ; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २. पे. नाम. देशावगासिक पच्चक्खाण, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
देसावगासिक पच्चक्खाण, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: अहन्नं भंते तुम्हाण; अंति: वत्तिआगारेणं वोसिरइ. २७२७४. लीलावती चौपाई, संपूर्ण, वि. १९१२, श्रावण कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. १४, ले.स्थल. राणीसर, जैदे., (२६४१२.५, १९४४५-४७). लीलावती चौपाई, मु. लाभवर्द्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२८, आदि: त्रेवीसमो त्रिभुवन; अंति: तेहने रिधसिध दातार,
ढाल-२९, गाथा-६००. २७२७५. (+) लघुक्षेत्रसमास प्रकरण सह यंत्र, संपूर्ण, वि. १८५४, माघ कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. २३, ले.स्थल. नींबडी, प्रले. पं. धर्मनिधान, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१२.५, १५४३४-३५).
लघुक्षेत्रसमास प्रकरण, आ. रत्नशेखरसूरि , प्रा., पद्य, वि. १५वी, आदि: वीरं जयसेहरपयपयट्ठिय; अंति:
कुसलरंगमई पसिद्धिं, अधिकार-६, गाथा-२७०.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-यंत्र संग्रह *, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २७२७६. (+) आदिजिन स्तोत्र सह बालावबोध, श्लोक व मंत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८८०, माघ शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल
पे. ३, प्र.वि. पंचपाठ-संशोधित., जैदे., (२६४१२, ६४२१-२५). १. पे. नाम. आदिजिन स्तव-देउलामंडण सह बालावबोध, पृ. १अ-८अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तव-देउलामंडण, मु. शुभसुंदर, प्रा., पद्य, आदि: जय सुरअसुरनरिंदविंद; अंति: (१)सेवासुखं प्रार्थये,
(२)तह तुह गुण थुत्तह, गाथा-२५.
आदिजिन स्तव-देउलामंडण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: कियदनुभूत मंत्रयंत्र; अंति: ए वीनती अवधारज्यो. २. पे. नाम. जैन गाथासंग्रह, पृ. ८अ, संपूर्ण.
जैन गाथासंग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदिः (-); अंति: (-), गाथा-४. ३. पे. नाम. मंत्रसंग्रह विधि सहित, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मंत्र संग्रह, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७२७७. ज्ञानपंचमी देववंदन विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १०, जैदे., (२७४१२, १२४३१-३८).
ज्ञानपंचमीपर्व देववंदन विधिसहित, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम बाजठ उपरि तथा; अंति:
विजयलक्ष्मी शुभ हेज. २७२७९. (+) उपदेश श्लोक संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८६१, फाल्गुन कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. कनकगिरिदुर्ग,
प्रले. मु. जीतसागर (गुरु पंन्या. दीपसागर), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४१२, ३४२८-३१).
औपदेशिक श्लोक संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: धर्मे रागः श्रुतौ; अंति: कुर्वंतु वो मंगलं, श्लोक-६१.
औपदेशिक श्लोक संग्रह-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अर्हत भगवंत असरणसरण; अंति: करो भव्य जीव भणी. २७२८०. (+) पर्वपालनविषये सूर्ययशामहाराजाराजर्षि रास, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-४(१ से ४)=६, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७४१२, १३-१४४४०-४२). सूर्ययशनृप रास-पर्वाराधनविषये, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७८२, आदि: (-); अंति: पाम्या बहु प्राणी बे,
ढाल-१७, गाथा-२३३, (पू.वि. ढाल ७ गाथा ६ तक नहीं है.) २७२८१. (+) आगमसारोद्धार सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४९-१५(१ से १२,२७ से २९)=३४, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२७X१२.५, १६४३४-३५).
आगमसारोद्धार, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १७७६, आदि: (-); अंति: (-).
आगमसारोद्धार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १७७६, आदि: (-); अंति: (-). २७२८२. आराधनावार्ता व खामणा कुलक, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ४५-३२(१ से ३०,४० से ४१)=१३, कुल पे. २,
जैदे., (२७४१२, १३४३४-३६). १. पे. नाम. आराधना वार्ता, पृ. ३१अ-४४आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
प्रा.,मा.गु., पद्य, आदिः (-); अंति: लहइ जिउ सासयं ठाणं. २. पे. नाम. खामणा कुलक, पृ. ४४आ-४५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
प्रा., पद्य, आदि: जो कोवि मए जीवो चउगइ; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ३२ तक है.) २७२८४. प्रतिष्ठाकल्प विधि व मुद्राप्रदर्शन विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. २५, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२,
१४४४५-५५). १. पे. नाम. प्रतिष्ठाकल्प विधि, पृ. १आ-२४आ, संपूर्ण.
प्रतिष्ठा कल्प, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीमहावीर; अंति: विजयदानसूरीश्वराग्रे. २. पे. नाम. मुद्राप्रदर्शन विधि, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
मुद्रा विधि, सं., पद्य, आदि: वाम हस्तोपरि दक्षिण; अंति: कार्या आसनमुद्रा, श्लोक-१३.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७२८५. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९२४, पौष, जीर्ण, पृ. ३९+१(३६)=४०, जैदे., (२७.५४१२.५, ४४४१-४५). श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० पंचिद; अंति: वोसिरियं०
मएगहियं. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय का टबार्थ, श्राव. ताराचंद, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंत विहरमाननइ; अंति:
(१)निश्चल मनिइं करि, (२)पाप मिच्छामि दुक्कडं. २७२८६. दशवैकालिकसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९४३, आश्विन शुक्ल, ४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ७५, ले.स्थल. पालिताणा, प्रले. लिछमी महात्मा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२.५, ५४३०). दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: गई त्ति बेमि,
अध्ययन-१०, गाथा-७००.
दशवकालिकसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: दुर्गति पडतां जीवनइ; अंति: तेम हुं कहुं छु, ग्रं. ४०००. २७२८७. षड्दर्शन समुच्चय सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. २०वी, जीर्ण, पृ. १३, जैदे., (२६४१२.५, १२-१३४३६).
षड्दर्शन समुच्चय, आ. हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: सद्दर्शनं जिनं नत्वा; अंति: (-), अपूर्ण, पृ.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण. षड्दर्शन समुच्चय-तर्करहस्यदीपिका टीका, आ. गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, आदि: जयति विजितराग: केवला; अंति:
(-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७२८८. कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान+कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १४१-१३१(१ से १२८,१३७ से १३९)=१०, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., जैदे., (२६.५४१२.५, ६x४०).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). कल्पसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७२८९. ज्योतिषसार, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ६-१(१)=५, पू.वि. बीच के पत्र हैं., विसर्जन योग्य., जैदे.,
(२५.५४१२.५, ९४३१).
___ ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७२९०. प्रभावक चरित्र, संपूर्ण, वि. १९७१, वैशाख कृष्ण, ९, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १२०+१(११)=१२१, ले.स्थल. घोघाबंदर,
प्रले. लालजी कल्याणजी लहिया; अन्य. मु. लब्धिरत्न (गुरु मु. प्रेमरत्न), प्र.ले.पु. अतिविस्तृत, जैदे., (२७४१२, १३४३५). प्रबंधकोश, आ. राजशेखरसूरि, सं., गद्य, वि. १४०५, आदि: राज्याभिषेके कनकासन; अंति: तयोर्व्यापृतिः,
प्रबंध-२४. तंदुलवैचारिक प्रकीर्णक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २०, जैदे., (२६४१२, ७४५२-५४). तंदुलवैचारिक प्रकीर्णक, प्रा., प+ग., आदि: निजरिय जरामरणं; अंति: कारणं लहिइ शिवसुखं. तंदलवैचारिक प्रकीर्णक-बालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: ग्रंथकर्ता कहइ छइ हउ; अंति: मुक्ति
पहोचें ए भाव. २७२९४. आगमसारोद्धार सह स्वोपज्ञ बालावबोध, पूर्ण, वि. १८६४, ज्येष्ठ कृष्ण, १३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ४४-३(१४ से
१६)=४१, प्रले. मु. जिनदत्त ऋषि (गुरु मु. श्रीकृष्ण ऋषि); पठ. मु. केसरीसिंह ऋषि, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२६.५४१२, १६x४४-४७).
आगमसारोद्धार, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १७७६, आदि: हिवै भव्यजीवने; अंति: तिथि सफल फली मन आस. आगमसारोद्धार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., गद्य, वि. १७७६, आदि: तिहां प्रथम जीव; अंति: ते
समकिति जाणवो. २७२९५. बासट्टि बोल, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, जैदे., (२६.५४१२, ११४३९-४२).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ६२ मार्गणाद्वार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: गई इंदिय काए जोए वेए; अंति: आहारक अणतगुणा छे. २७२९६. (+) कपासिया मोतीसंवाद व शत्रुजय अधिकार दोहा, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित.,
जैदे., (२६.५४१२, १२-१३४३२-३३). १. पे. नाम. कपासियामोती संवाद, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण.
पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १६८९, आदि: सुंदर रूप सोहामणो; अंति: चतुर नरां चमत्कार, गाथा-१०१. २.पे. नाम. संवेगी यति विवाद सज्झाय- शत्रुजयतीर्थ अधिकारविषये, पृ. ६अ-६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं
मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता सानिधै कह; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ८ तक है.) २७२९७. त्रिशष्टिशलाकापुरूष चरित्र-पर्व ८ नेमिजिन चरित्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५३, ज्येष्ठ कृष्ण, ५, शुक्रवार, श्रेष्ठ,
पृ. ३३०, ले.स्थल. अहतदनगर, प्रले. पं. कल्याणविजय (गुरु ग. रुपविजय, इडरीयावडिपोसालगच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२६४१२, ६x४०-४२). त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १२२०, आदि: (-); अंति: (-),
ग्रं. ४६७५, प्रतिपूर्ण. त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र-टबार्थ, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), ग्रं. ७११५,
प्रतिपूर्ण. २७२९९. ऋषिमंडल पूजा, संपूर्ण, वि. १९१७, माघ कृष्ण, ८, सोमवार, जीर्ण, पृ. २३, ले.स्थल. स्थंभनपुर,
प्रले. मु. कल्याणचारित्र; पठ. श्राव. देवचंद दोशी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. हानिकारक स्याही के कारण प्रत का बीचवाला भाग जर्जरित है. अन्य पत्र क्रम-२४-४६., जैदे., (२६.५४११.५, ११४२८-३२). ऋषिमंडल पूजा-बृहद, वा. शुभ, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी चारित पासजिन; अंति: (१)नित कमला वरसै,
(२)वाचक चारित्र पावै हो. २७३००. जनवल्लभ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, अन्य. पं. केसरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १५४३७).
जनवल्लभ, मा.गु., गद्य, आदि: (१)प्रणम्य पार्श्वदेवेश, (२)श्रीपार्श्वनाथ २३मा; अंति: जीवनी सिद्धता हुवै. २७३०१. (+) भाष्यत्रय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७६०, आश्विन शुक्ल, १०, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २१, ले.स्थल. खाखलगाम,
प्रले. ग. दानविमल (गुरु पं. चंद्रविमल गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. हस्तप्रत लेखन दिन में गुरुवार व शुक्रवार दोनो लिखा गया है., संशोधित., जैदे., (२६४११.५, ५४३६-३८). भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्ख अणाबाह, भाष्य-३, गाथा-१५२,
(वि. चैत्यवंदन भाष्य- गाथा ६३, गुरुवंदन भाष्य- गाथा ४१ व पच्चक्खाण भाष्य-गाथा ४८.) भाष्यत्रय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: वंदित्तु कहीइं वांदी; अंति: कहता बाधारहित.
नस्पतिसत्तरी, संपूर्ण, वि. १७९४, श्रेष्ठ, पृ. ५, पठ. पं. देवराज, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२६४११, ११४२८-३३).
वनस्पतिसप्ततिका, आ. मुनिचंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: उसभाइजिणिंदे पत्तेयम; अंति: मुणिचंदसूरीहिं, गाथा-७६. २७३०४. (+) करलक्षण, सामुद्रिकशास्त्र व भ्रमरलक्षण, अपूर्ण, वि. १६५४, भाद्रपद शुक्ल, १०, शुक्रवार, मध्यम,
पृ. ३०-१(१)=२९, कुल पे. ३, ले.स्थल. अहिलपूरपाटण, लिख. मु. हसराज (गुरु आ. हर्षसयमसूरि, आगमगच्छ); पठ. श्रावि. पोमाई; प्रले. कृष्णदास विष्णुदास जोशी, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथ प्रसादात्., संशोधित., जैदे., (२६.५४११.५, १३४३४-४५). १. पे. नाम. करलक्षण, पृ. २अ-४अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
करलक्खण, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: रिक्खिऊणं वयं दिज्जा, गाथा-६०, (पू.वि. गाथा १० तक नहीं है.) २. पे. नाम. स्त्रीपुरुषलक्षण सह बालावबोध, पृ. ४अ-३०आ, संपूर्ण. सामुद्रिकशास्त्र, सं., पद्य, आदि: आदिदेवं प्रणम्यादौ; अंति: वृद्धिं भवेद्यत, अध्याय-३६, श्लोक-५३०, (वि. मूल व
अर्थ दोनो का श्लोकानुक्रम साथ में ही क्रमशः दिया गया है. मूल श्लोक २६५ ही ज्ञातव्य है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
सामुद्रिकशास्त्र - बालावबोध *, मा.गु., गद्य, आदि: पुरुष स्त्रीनो लक्षण; अंति: यश वाधइ लक्ष्मी वाधइ. ३. पे, नाम, भ्रमरलक्षण, पृ. ३०आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
सं., पद्य, आदि: वामावर्त्तो भवेद् अंति: (-), (पू. बि. श्लोक ४ अपूर्ण तक है.)
२७३०५. नवकारविषये राजसिंहरत्नवती पंचकथा, अपूर्ण, वि. १८१४, आश्विन अधिकमास कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. १६-८(१ से ८)= ८, ले.स्थल. इडर, पठ. पं. गलालविजय गणि; प्रले. पंन्या. मानहंस; पठ. पं. शुभविजय गणि, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. गोडीपार्श्वनाथ सत्य छि सरसती नमोनमः, प्र. ले, लो, (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., ( २६४११.५, २०४४० - ४४). राजसिंहरत्नवती कथा, मु. गौडीदास, मा.गु., पद्म, वि. १७५५, आदि (-); अंति भणे सकल संघ मंगल करु, ढाल - २४, गाथा - ६०५, ग्रं. ८८५.
२७३०६. सर्वजिन विवरणगर्भित वीरजिन स्तवन, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है., जैदे., ( २६.५x१२, १९३०-३१).
शाश्वतजिन स्तवन, मु. माणिकविमल, मा.गु., पद्य, वि. १७१४, आदि: वीर जिणेसर पाय नमी; अंतिः (-), ( पू. वि. गाथा ८१ तक है. )
२७३०७, (+) संग्रहणीसूत्र सह टिप्पण, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २३, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें. जैदे., (२७४१२, ११४३७-४२),
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19
बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिऊ अरिहंताई थिइ; अंति: जा वीरजिण तित्थं,
गाथा - ३९४.
बृहत्संग्रहणी - टिप्पण, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२७३०८. (+) पृथ्वीचंद्र चरित्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५१, कार्तिक शुक्ल, १४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ७०, ले. स्थल. पाज्यग्राम, मु. . सोमचंद्र (गुरु पंन्या. देवचंद्रजी गणि), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र. वि. श्रीशान्तिनाथ प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., प्र. ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, जैदे., (२६X१२, ७X३८-४१).
प्रले.
पृथ्वीचंद्र चरित्र, आ. लब्धिसागरसूरि, सं., पद्य, वि. १५५७, आदिः श्रीपार्श्व नौमि; अंतिः स्वस्तीश्रीकृजयत्यसौ,
२७३११. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, जैदे., ( २६४११.५, १३४३४-४२).
श्लोक- ९५५, (संपूर्ण, वि. १८५१, कार्तिक शुक्ल, १४, गुरुवार)
पृथ्वीचंद्र चरित्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (१) प्रणम्य पार्श्वनाथ, (२) अष्ट महा प्रतिरार्य; अंति: (-), (पूर्ण, वि. १८५१, मार्गशीर्ष शुक्ल, ६, शुक्रवार, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., श्लोक ९४५ तक टबार्थ है.) २७३०९, (+) कल्पसूत्र, संपूर्ण, वि. १८४९ कार्तिक कृष्ण, ९, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ७२, प्रले. मु. अमृतरत्न ( गुरु पं. जिनरत्न गणि), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २६.५x११.५, १४३०-३६).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदिः णमो अरिहंताणं० पदमं अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, व्याख्यान- ९, ग्रं. १२१६.
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२५
प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह - श्वे. मू. पू. *, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: मिच्छामि
दुक्कड,
२७३१३. अनुत्तरोववाइदसांगसूत्र सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १३, प्रले. मु. सरूपचंद्र (गुरु मु. विजयचंद्र ); पठ. सा. जीवीबाई, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. कुल ग्रं. ५११, जैदे., ( २६.५x११.५, ६x४०-५२).
अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: तेणं कालेणं नवमस्स; अंतिः अयमठ्ठे पण्णत्ते,
अध्याय-३३, ग्रं. १९२.
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालने विषे ते; अंति: अपरा अर्थ प्ररुप्या, ग्रं. ५११. २७३१४. (+) नव्य कर्मग्रंथ १२ सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १९, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित पदच्छेद सूचक
लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैवे. (२६.५४११, ४४३२-३४).
१. पे. नाम कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ सह टवार्थ, पृ. १आ-१२अ संपूर्ण
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओदेविंदसूरीहिं,
गाथा-६०. कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहावीरदेव प्रतइं; अंति: लिख्यो देवेंद्रसूरि. २. पे. नाम. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. १३अ-१९आ, संपूर्ण. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंति: वंदियं नमह तं वीरं,
गाथा-३५.
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तथा क० तिम स्तवउं; अंति: ते महावीर प्रतइ. २७३१५. (+) नव्य कर्मग्रंथ बंधस्वामित्व सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८६१, अज्ञात शुक्ल, १०, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. सूर्यपूर,
प्रले. पं. न्यायसौभाग्य गणि; अन्य. श्राव. भगवानदास गुलालचंद मूलचंद गांधी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशांतिनाथ प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१२, ४४३९). बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: बंधविहाणविमुक्कं; अंति: नेयं कम्मत्थयं सोउं,
गाथा-२५. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, म. शांतिसागर, मा.गु., गद्य, आदि: बंध कर्मनो बंध तेहनो; अंति: ए तुमें पण
भणज्यो . २७३१६. (+) दंडकविचार स्तव सह बालावबोध, ज्योतिष संख्या व दंडक स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ३,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. कुल ग्रं. ४०८, जैदे., (२६४१२, १७-१९४४५-६४). १. पे. नाम. दंडक प्रकरण सह बालावबोध, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण.
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४०.
दंडक प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: इहां चोवीस दंडकानइ; अंति: दंडक विचार रूप स्तवन. २. पे. नाम. ज्योतिष्कसंख्या विचार, पृ. ६अ, संपूर्ण, प्रले. ऋ. भूधर, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., गद्य, आदि: जंबू द्वीप माहे २; अंति: सहस्र ९ सो ४४ सूर्य. ३. पे. नाम. महादंडक स्तोत्र, पृ. ६आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: भीमे भवम्मि भमिओ; अंति: सामि अणुत्तर पयंदेसु, गाथा-२१. २७३१७. (+#) भगवतीसूत्र आलावा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, अन्य. मु. कल्याणभवान ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४१२, ९-१०४२७-३३).
___ भगवतीसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७३१८. (+) पाक्षिकसूत्र, संपूर्ण, वि. १९४१, श्रावण शुक्ल, ४, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. मकसुदाबाद(अजीमग,
प्रले. मु. सुमतिचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें.,प्र.ले.श्लो. (७७९) एक एव खगोमानी, जैदे., (२६४१२.५, ९४२३).
पाक्षिकसूत्र, हिस्सा, प्रा., प+ग., आदि: तित्थंकरे अतित्थे; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. २७३२०. (+#) जीवविचार सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १६६८, पौष शुक्ल, ९, श्रेष्ठ, पृ. १६, ले.स्थल. अमरसरनगर, राज्ये
गच्छाधिपति जिनचंद्रसूरि (खरतरगच्छ); लिख. श्रावि. चंपावतीबाई (माता श्राव. कपूरमल्ल शाह); पठ. सा. चंपकमाला, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १३४३७-३८). जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१. जीवविचार प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: (१)श्रीवीरं जिनं नत्वा, (२)त्रिभुवन माहिदीवा; अंति: संखेपेउं
उद्धरिउं. २७३२१. सिंदरसूत्र सहटीका, पूर्ण, वि. १९००, श्रेष्ठ, पृ. १७-१(१)=१६, पृ.वि. प्रारंभिक श्लोक ५ नहीं है., प्रले. पं. अमरविजय गणि (गुरु आ. विजयरत्नसूरि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२६४११, ५-७४३६-३७).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: मानेति शमेति नाशम्, श्लोक-१०४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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सिंदूरप्रकर- टीका, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: ज्ञानगुणारतनोतुः.
२७३२२. सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८८४, कार्तिक कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. ९, ले. स्थल. शीवांणा, प्रले. मु. अचलसिंघ, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६११.५, ९-१०x२८-३४).
सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधर विनती; अंति: जसविजय बुध जयकरो, ढाल ११ गाथा १३०, पं. १८८.
२७३२३. अष्टप्रकारीपूजा रास, संपूर्ण, वि. १९२४, वैशाख शुक्ल, ५, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १३०, ले. स्थल. भावनगर, प्रले. करसनजी बेलजी दवे; दत्त श्राव. अमरचंद भाईचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२६११.५, १०x३४-३६).
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८ प्रकारी पूजा रास, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५५, आदि: अजर अमर अविनाशी जे; अंतिः सुखसंपति बहु पाया रे, ढाल - ७८.
२७३२४. (+) महीपाल चरित्र सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८४०, श्रेष्ठ, पृ. ९६+१ (६) = ९७, प्र. वि., पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ- संशोधित, जैवे. (२६११.५, ८४४३-५२ ).
"
महीपालराजा कथा, ग. वीरदेव, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण रिसहनाहं केवल; अंति: निययगुरूणं पसाएण,
गाथा-१८४०, ग्रं. २५०० (वि. १८४०, आश्विन कृष्ण, ७, गुरुवार)
"
महीपालराजा कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करी श्री ऋषभ; अंति: गुरु कै प्रसाद करी, (वि. १८४०, व्योम्नियुगेनागेविश्व कार्तिक शुक्ल, ८)
२७३२५. (+) कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रंथ सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२६.५X११.५, ४X३७ - ४० ).
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंतिः वंदिवं नमह तं वीरं,
गाथा - ३४.
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि; तथा तिम स्तवउं; अंति ते महावीर प्रतइ.
२७३२६. (*) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १४, ले. स्थल. सूर्यपूर, प्रले. ग. न्यायसीभाग्य (सागरगच्छ); पठ. श्राव. भगवानदास गांधी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीशान्तिनाथ प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैवे., (२५.५x११.५, ३४३४-३६).
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि सिरिवीरजिणं वंदिय; अंतिः लिहिओ देविंदसूरीहिं,
२७
गाथा - ६०.
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, उपा. शांतिसागर, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीरदेव प्रत; अंति (१) सत्कर्मविपाकमर्थतः, (२) श्रीदेवींद्रसूरीइं.
२७३२७. (+) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रंथ सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
(२५X११, ६x३९ - ४३).
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं,
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गाथा - ६२.
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीवीरजिन बांदीनइ अंति बोधवानइ अर्थिनं बोधइ. २७३२८. (+) श्रीपाल रास, अपूर्ण, वि. १८०८, कार्तिक कृष्ण, ५, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४३ - १८ (१ से १८) = २५, ले. स्थल बारेजा, प्रले. पं. भवानीविजय (गुरु मु. बुद्धिविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ संशोधित, जैदे., (२६.५x११.५, १८४३८-४२).
श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: (-); अंति: लह ज्ञान विशाला जी, खंड- ४ ढाल ४१, गाथा - १८२५, (पू.वि. खंड-२, ढाल -८ व गाथा ३ तक पाठ नहीं है. ) २७३२९ (+) जीवविचार सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ११, ले. स्थल, लूणसरा, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैवे. (२६४११.५, ३x२७-३२).
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२८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंतिः रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा - ५१, संपूर्ण
जीवविचार प्रकरण बार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: भुवण क० तिन भुवन; अंति: (-), (पूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., अंतिम ४ गाथाओं का टबार्थ नहीं लिखा गया है.)
२७३३०. (४) उपासकदशांग सूत्र, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, जैदे., ( २६x११.५, ९४३५ - ३८ ) .
उपासक दशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: तेणं० चंपा नामं नवरी; अंति: (-). २७३३१. (+) पार्श्वजिन चरित्र सह टबार्थ व १० भव वर्णन, संपूर्ण, वि. १८४३, कार्तिक कृष्ण, ३०, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ४६४, कुल पे. २, ले.स्थल. जालोरगढ, प्रले. श्राव. भोजा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीआदिनाथ प्रसादात्., संशोधित., जैदे., ( २५x११.५, १४३७-३९).
१. पे नाम. पार्श्वजिन चरित्र सह टवार्थ, पृ. १अ ४६३अ, संपूर्ण.
-
पार्श्वजिन चरित्र, आ. भावदेवसूरि, सं., पद्य वि. १३१२, आदिः नाभेयाय नमस्तस्मै; अंतिः सहस्राण्यनुष्टुपां
सर्ग-८, ग्रं. ६०७४.
पार्श्वजिन चरित्र-टबार्थ, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गद्य, वि. १८००, आदि: (१) प्रणिपत्य जिनान्,
(२)श्रीनाभिराजाना पुत्र; अंति: निर्णितं श्लोकमानेन, ग्रं. १२१४७, (प्र.ले. श्लो. (१२) मंगलं लेखकानां च) २. पे नाम पार्श्वजिन १० भव वर्णन, पृ. ४६३अ - ४६४अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन १० भव संक्षिप्तवर्णन * सं., गद्य, आदि: प्रथम भवे पोतनपुर अंति: निर्वाण जातं.
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२७३३२. (+) आचारांगसूत्र- द्वितीय श्रुतस्कंध सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७७, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., अध्ययन
५ के उद्देश १ अपूर्ण तक है., प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. जैवे. (२७४१२, ७४३२-३५).
9
आचारांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि (-); अंति: (-), प्रतिअपूर्ण. आचारांगसूत्र- टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिअपूर्ण.
२७३३३. गच्छाचार पयन्ना सह टीका व बीजक, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ११५, कुल पे. २, प्र. वि. त्रिपाठ., जैदे.,
(२६.५x१२, १-३४११ - ३४ ).
१. पे. नाम. गच्छाचार प्रकीर्णक सह टीका, पृ. १आ - ११३अ, संपूर्ण.
गच्छाचार प्रकीर्णक, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण महावीर; अंति: इच्छंता हिअमप्पणो, गाथा - १३७.
गच्छाचार प्रकीर्णक-वृहट्टीका, ग. विजयविमल, सं., गद्य, वि. १६३४, आदि उद्बोधं विदधेब्जानाम; अंतिः मानाश्रुतां जयम्, ग्रं. ५८५०.
२. पे. नाम गच्छाचार प्रकीर्णक का बीजक, पृ. ११४अ ११५आ, संपूर्ण.
-
गच्छाचार प्रकीर्णक-बीजक, सं., गद्य, आदि: गाथावृत्तौ मंगलादि; अंति: वृत्तपालनोपदेशः, ग्रं. ६२. २७३३४. कल्पसूत्र, संपूर्ण, वि. १८७७, माघ कृष्ण, ८, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ६७, ले. स्थल. धोराजी, प्र. वि. प्रतिलेखन पुष्प मिटाई हुई है., जैदे., (२६X११.५, १०X२६-३४).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदिः णमो अरिहंताणं० पदमं; अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, व्याख्यान- ९,
ग्रं. १२६६.
२७३३५. (+) जीवाभिगम सूत्र बोल, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २६, प्र. वि. पंक्त्वक्षर अनियमित है। टिप्पण युक्त विशेष पाठ- संशोधित., जैदे., ( २६.५X११.५).
जीवाभिगमसूत्र-विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि; जीवाभिगमउपांग माहिलु; अंतिः बिहुगतिमाहिथी आवइ. २७३३६. श्लोक संग्रह सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८१५, ज्येष्ठ शुक्ल, ११, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ९, ले. स्थल. कालाऊना, प्रले. पं. गिरधर (गुरु ग. क्षमामेरु), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६११, १७ - १८x४२-४६).
लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्य, आदि: देवपूजादयादानं तीर्थ; अंति: निष्फलं तस्य जीवति. श्लोक संग्रह जैनधार्मिक - बालावबोध *, मा.गु., गद्य, आदि: ( - ); अंति: (-).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७३३७. (#) भाष्यत्रय सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र. वि. पंचपाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५X१२, १२-१५४६०-६५ ).
भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्खं अणाबाहं, भाष्य-३, गाथा - १५१, (वि. चैत्यवंदन भाष्य - गाथा ६३ . गुरुवंदन भाष्य - गाथा ४१. पच्चक्खाण भाष्य - गाथा ४८.) भाष्यत्रय - अवचूरि, आ. सोमसुंदरसूरि, सं., गद्य, आदि: वंदित्वा० वंदनीयान; अंतिः पच्चकखाणम० सुगमा. २७३३८. (+) चैत्यवंदन भाष्य सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८५८, श्रावण शुक्ल, १५, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २३, ले. स्थल. जंबूसर, प्रले. मु. प्रतापविजय; पठ. श्राव. वेलचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीपद्मप्रभ प्रसादात्., संशोधित त्रिपाठ., जैवे., (२६.५X११.५, ११-१२x२८-३५ ) .
चैत्यवंदनभाष्य, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु बंदणिज्जे; अंति: परमपयं पावइ लहुं सो, गाथा - ६३. चैत्यवंदन भाष्य- बालावबोध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गद्य, आदि ऐंद्रश्रेणिनुतं; अंतिः ज्ञानाद्विमलहृदयोयं, २७३३९. समकित सडसठबोल सज्झाय, अपूर्ण, वि. १९११, आषाढ कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ६-१ (४) -५, लिख. सा. जीवश्रीजी प्रले, मु. खेमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६४११, १०२८-३४ ).
समकितना सडसठबोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुकृतवल्लि कादंबिनी; अंतिः वाचक जस इम बोल जी, ढाल - १२, गाथा - ६८.
२७३४०. (+) पाक्षिकसूत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ११, ले. स्थल. खारीया, पठ. मु. हीरचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २६११.५, १३३३-३७ ).
पाक्षिकसूत्र, हिस्सा, प्रा., प+ग, आदि तित्थंकरे अतित्वे; अंतिः जेसि सुयसावरे भत्ति. २७३४१. पर्यंताराधना सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, जैदे., (२६x११.५, ४x२७ - २९).
पर्यंताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: ते सासयं सुक्खं, गाथा - ७०. पर्यंताराधना-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीर तीर्थंकर; अंति: लहइ ते शाश्वता सुख.
२७३४२. (+) अवंतीसुकमाल चौपाई व सिद्धचक्र स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५, कुल पे. २, प्र. वि. टिप्पणयुक्त विशेष पाठ, जैये. (२६११, १२-१३४३८-४१).
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२९
१. पे नाम, अवंतिसुकमाल चतुपदी, पृ. १अ ५आ, संपूर्ण.
अवंतिसुकुमाल रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४१, आदि: मुनिवर आर्य सुहस्ति; अंतिः शांतिहरष सुख पावे रे, ढाल - १३, गाथा - १०७.
२. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र मनोहर ऋद्ध; अंति: सिद्धिविजय गुणगाय, गाथा-४. २७३४३. (+) जयतिहुअण स्तोत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १७०९, पौष कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले. स्थल, खंभनगर, प्रले, मु. हर्षसुंदर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., ( २६.५X११, १८३८-४२).
जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि जयतिहुयणवर कप्परुक्ख; अंतिः विण्णवइ अणिदिव
गाथा - ३०.
जयतिहुअण स्तोत्र- टीका, सं., गद्य, आदि: अत्रायं वृद्धसंप्रदा; अंतिः त्रिलोकलोक लायितः ग्रं. २५० २७३४४. (+) उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण वि. १६७५ आश्विन शुक्ल, १०, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ८७, ले. स्थल, स्वभतीर्थ, प्रले. तुलसीदास जोसी; लिख. श्रावि. अहिवदे; पठ. सा. हेमसुंदर, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. संशोधित., प्र. ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, (५१८) तैलाद्रक्षे ज्जलाद्रक्षेत्, जैदे., (२५X११.५, ११×३७-३९).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग, आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: भवसिद्धिय संमएत्ति, अध्ययन- ३६, ग्रं. २००० (वि. उत्तराध्ययन भाग्यवती भणनविधि संलग्न है.)
२७३४५ (+) संग्रहणीसूत्रावचूर्णि अपूर्ण, वि. १६५१, कार्तिक शुक्ल, १५, जीर्ण, पृ. २९-६ ( २, ५, ७ से ८,१९४ से १५) = २३, प्रले. पंन्या. वृद्धिसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. मूल का प्रतीक पाठ दिया है., संशोधित - टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५x११, १७४५०).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची बृहत्संग्रहणी-टीका की अवचूर्णि, सं., गद्य, आदि: नमि० आदौ शास्त्रकारो; अंति: वेदाश्च प्रायुक्ताः. २७३४६. (+) प्रश्नव्याकरणसूत्र सह टिप्पण, अपूर्ण, वि. १७वी, जीर्ण, पृ. ४२-३०(१ से ७,९ से ३०,३३)=१२, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, ११४४०-४२).
प्रश्नव्याकरणसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदिः (-); अंति: (-).
प्रश्नव्याकरणसूत्र-टिप्पण, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). (+) पार्श्वजिन स्तोत्र सह बालावबोध, पार्श्वजिन स्तुति सह मंत्र व सिद्धचक्र स्तुति, संपूर्ण, वि. १७वी, जीर्ण, पृ. ५, कुल पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११, १५४४५-४७). १. पे. नाम. थंभणपार्श्वनाथ स्तोत्र सह बालावबोध, पृ. १अ-५अ, संपूर्ण. जयतिहअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जयतिहुयणवर कप्परुक्ख; अंति: विण्णवइ अणिंदिय,
गाथा-३०. जयतिहुअण स्तोत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: स्वामी तूं जय तूं जय; अंति: अभयदेवसूरि विनवइ छइ. २. पे. नाम. नवग्रहगर्भितपार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहगर्भित, प्रा., पद्य, आदि: अरिहं थुणामि पास; अंति: (१)अवतिष्टंतु स्वाहा, (२)संथुआ हुंति
नरपवरा, गाथा-१३, (वि. अतिरिक्त अतिम गाथा संस्कृत में हैं.) ३. पे. नाम. कलिकुंडपार्श्वजिन स्तुति, पृ. ५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति-कलिकुंड, सं., पद्य, आदि: यस्ते नमः पार्श्व; अंति: स्तंभनकाय तस्य, श्लोक-१. ४. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ५आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: भत्तिजुत्ताण सत्ताण; अंति: महताण कल्लाणयम्, गाथा-४. २७३४८. योगशास्त्र - प्रकाश ५ से १२, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १५, जैदे., (२५.५४११, १५४५०-५२).
योगशास्त्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १३वी, आदि: (-); अंति: भव्यो जनो भवतात्,
प्रतिपूर्ण. २७३४९. (+#) पिंडविशुद्धि प्रकरण, संपूर्ण, वि. १५९०, फाल्गुन शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. वा. शुभकीर्ति गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४११, ११४४०-४२). पिंडविशुद्धि प्रकरण, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: देविंदविंदवंदिय पयार; अंति: बोहिंतु सोहिंतु य,
गाथा-१०३. २७३५०. उपदेशमाला सह कथादृष्टांत, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १६१-२(१ से २)=१५९, पू.वि. बीच के पत्र हैं., गाथा २५ से किञ्चित् भाग अपूर्ण तक है., जैदे., (२५.५४११, १२४३२-३३).
उपदेशमाला, ग. धर्मदास, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
उपदेशमाला-कथा, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: (-). २७३५१. (+) षट्शीति सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १६३९, निधिवह्निकलावर्षे, श्रावण कृष्ण, ७, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १४,
ले.स्थल. भादिलाग्राम, प्रले. केशव; पठ. मु. हंसप्रमोद (गुरु पं. हर्षचंद्र गणि), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४१०.५, १७X७४-७८). षडशीति प्राचीन कर्मग्रंथ, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: निच्छिन्नमोहपास; अंति: सुणंतु गुणंतु जाणंतु,
गाथा-८६. षडशीति प्राचीन कर्मग्रंथ-हारिभद्री टीका, आ. हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, वि. ११७२, आदि: नत्वा जिनं विधास्ये;
अंति: वृत्तिकेयमिति, ग्रं. ८५०. २७३५३. (+#) ऋषिदत्ता रास, चत्तारिअट्ठदशदोए अर्थ व कल्याणक विधि, संपूर्ण, वि. १६९७, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. ३,
ले.स्थल. बीबीपूर, प्रले. ग. सहजविजय; पठ. मु. मुगतिचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४११.५, १५४४८-५२). १. पे. नाम. ऋषिदत्तासती रास, पृ. १अ-१८आ, संपूर्ण.
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३१
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
आ. जयवंतसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १६४३, आदि: उदय अधिक दिन दिन; अंति: फल्यो दिन दिन आस, ढाल-४१,
गाथा-५६२, ग्रं. ८५०. २. पे. नाम. चत्तारिअट्ठदशदोय अर्थ, पृ. १८आ, संपूर्ण.
चत्तारिअट्ठदस गाथा-टीका, सं., गद्य, आदि: दक्षिणादौ कृत्वा चतु; अंति: जंबूदीवे नमसामि. ३. पे. नाम. कल्याणिक तपविधि, पृ. १८आ, संपूर्ण.
कल्याणकतप विधि, प्रा., पद्य, आदि: एगो वासो दो अंबिलई; अंति: सो पावइ सासयं ठाण, गाथा-२. २७३५४. स्तवनवीसी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, जैदे., (२६४११, १३४३१-३२).
विहरमान २० जिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधरसाहिबा; अंति: दिन दिन सुजसवाया,
स्तवन-२०. २७३५५. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-१(१)=८, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२७४११.५, १०४३८-४०).
देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). २७३५६. (+) निरयावलियादि पंचोपांगसूत्र सह टीका, संपूर्ण, वि. १७वी, जीर्ण, पृ. ३३, कुल पे. ५, प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें-संशोधित-त्रिपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. कुल ग्रं. मूल १२०९ वृ. ७००., जैदे., (२६.५४११, २-९४६०-६४). १. पे. नाम. कल्पिकासूत्र सह टीका, पृ. १आ-१५आ, संपूर्ण.
कल्पिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं तेणं०; अंति: भाणियव्वो तदा, अध्ययन-१०.
कल्पिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: पार्श्वनाथं नमस्कृत; अंति: शेष सर्वं सुगमम्. २. पे. नाम. कल्पावतंसिकासूत्र सह टीका, पृ. १५आ-१६आ, संपूर्ण..
कल्पावतंसिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: जयि णं भंते समणेण; अंति: कप्पवडिसियाण, अध्ययन-१०.
कल्पावतंसिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: श्रेणिकनप्तृणां; अंति: द्वितीयवर्गश्च. ३. पे. नाम. पुष्पिकासूत्र सह टीका, पृ. १६आ-२९अ, संपूर्ण.
पुष्पिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: जति णं भंते समणेणं०; अंति: चेइयाइं जहा संगहणीए, अध्ययन-१०. पुष्पिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: अथ तृतीयवर्गोपि दशाध; अंति: देवस्य व्यक्तव्यता,
अध्याय-१० अध्ययन.. ४. पे. नाम. पुष्पावतंसिकासूत्र सह टीका, पृ. २९अ-३०आ, संपूर्ण.
पुष्पचूलिकासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: जयि णं भते समणेण; अंति: वासे सिज्झिहिंति, अध्ययन-१०.
पुष्पचूलिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: चतुर्थवर्गोपि दशाध्य; अंति: चतुर्थवर्गसमाप्तिः. ५. पे. नाम. वृष्णिदशासूत्र सह टीका, पृ. ३०आ-३३अ, संपूर्ण.
वृष्णिदशासूत्र, प्रा., गद्य, आदि: जयि णं भंते० पंचमस्स; अंति: मइरित्त एक्कारससु वि, अध्ययन-१२.
वृष्णिदशासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, आदि: पंचमवर्गे वन्हिदसाभि; अंति: दुखानामतं करिष्यति. २७३५७. शील रास, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ८, प्रले. ग. माणिक्यप्रभ; पठ. उपा. नयसुंदर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १४-१५४३७-४२). शीयल रास, पंडित. नयसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १६६९, आदि: सिद्धि वधू वर वंदीइ; अंति: हज्यो शिवसुख संपदा,
गाथा-११९. २७३५८. प्रज्ञाप्रकाश व श्लोक संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७६०, वैशाख कृष्ण, २, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ३,
ले.स्थल. द्वीप, प्रले. मु. लाखा ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, ६x२८-३५). १.पे. नाम. प्रज्ञाप्रकाशषट्विंशिका सह टबार्थ, पृ. १आ-५आ, संपूर्ण.
प्रज्ञाप्रकाशपत्रिंशिका, आ. रूपसिंह, सं., पद्य, आदि: प्रज्ञाप्रकाशाय नवीन; अंति: मयका प्रणीता, श्लोक-३८.
प्रज्ञाप्रकाशपत्रिंशिका-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: बुद्धि प्रकाशनइ अर्थ; अंति: कीधी रूपसी नामकेन. २. पे. नाम. भाग्यप्रबलबोधक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची भाग्यप्रबल पद, ज्ञान, पुहिं., पद्य, आदि: दाम निमित्त चले पर; अंति: बिना एक कोरी न पावै, पद-१. ३. पे. नाम. जैन धार्मिक श्लोक संग्रह सह टबार्थ, पृ. ५आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक-टबार्थ , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७३५९. (+#) जीवविचार सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. श्राव. जीवा शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४११, ५४३१-३३). जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१.
जीवविचार प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: भुवन क० त्रिभुवनमाह; अंति: परंपराई कह्यो छइ. २७३६०. आरंभसिद्धि, अपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. १६-१(१)=१५, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२६.५४११, १३-१४४३९-४०).
आरंभसिद्धि, आ. उदयप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३वी, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. अध्याय १ श्लोक १९ से
अध्याय ५ श्लोक ७६ तक है.) २७३६१. (+) सिंदूरप्रकर सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १४-१(१३)=१३, पू.वि. प्रकर-२२ श्लोक ४ अपूर्ण तक है., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४११, ६x४०-४२).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: (-), पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सिंदूरनउ समूह तापरूप; अंति: (-), पृ.वि. बीच के पत्र नहीं हैं व प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण. २७३६२. (+) विचारषविंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७२४, फाल्गुन शुक्ल, ५, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. पत्तन,
प्रले. मु. प्रेमविजय (गुरु ग. विवेकविजय); पठ. ग. विवेकविजय (गुरु पं. देवविजय गणि), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११.५, ३४३४-३७).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-३७.
दंडक प्रकरण-टबार्थ, मु. यशसोम-शिष्य, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करीनइ; अंति: आतमानइ हितकारणी. २७३६३. (+#) सप्तस्मरण, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, ९४३३-३५). सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि: अजिअंजिअसव्वभय; अंति: (-),
(पू.वि. अजितशांति- गाथा ३९, अजितशांति- गाथा १७, भयहर स्तव-गाथा २१, सर्वाधिष्टायक स्तव-गाथा
२६ गुरुपारतंत्रस्मरण- गाथा व २१. सिग्धमयवहर स्मरण- गाथा १ से ११ तक है.) २७३६४. (+) शुकराज कथा, संपूर्ण, वि. १६५३, आश्विन शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. १५, पठ. ग. गणविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२६.५४११, १३४४१-४७). शुकराज कथा-शत्रुजयमाहात्म्ये, आ. माणिक्यसुंदरसूरि, सं., गद्य, आदि: श्रीशत्रुजयतीर्थेशः; अंति: कृत्वा मोक्षं
गमी. २७३६५. (+) विपाकसूत्र सह टीका, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३४, अन्य. पं. विनयसुंदर गणि (गुरु पंन्या. विशालसुंदर गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-पंचपाठ., जैदे., (२५.५४११, १३४४८-५०). विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं तेण; अति: सेसं जहा आयारस्स, श्रुतस्कंध-२
अध्ययन २०, ग्रं. १२५०. विपाकसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि , सं., गद्य, आदि: (१)नत्वा श्रीवर्द्धमाना, (२)अथ विपाकश्रुतमिति; अंति:
नवाप्यनुगंतव्यानीति, ग्रं. ११६७. २७३६६. (+) ऋषिमंडल स्तोत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११,
५४३६-४१).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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ऋषिमंडल स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: निज्जियपरीसहचमुं; अंतिः जाउ तडविनमम्मि भावेण, गाथा- ७७,
ऋषिमंडल स्तोत्र - टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि जीती परिसहरूप सेना; अंति हुं नमुं भलिभाविकरी, ग्रं. ३५१. २७३६७. (#) भुवनदीपक, षट्पंचाशिका सह बालावबोध व ज्योतिष श्लोक, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १७, कुल पे. ३, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे. (२६.५x११, १४-१५४४६ - ४८ ) .
१. पे. नाम. भुवनदीपक सह बालावबोध, पृ. १अ - १९अ, संपूर्ण.
भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३पू, आदि: सारस्वतं नमस्कृत्य; अंति: सुताक्षे नखं, श्लोक - १६०. भुवनदीपक बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदिः देवी सरस्वती प्रणीतु अंति: तउ गर्भि विनाश कहिवड, २. पे नाम षट्पंचाशिका सह बालावबोध, पृ. ११अ १७अ संपूर्ण
षट्पंचाशिका, आ. पृथुयशा सं., पद्य, आदि: प्रणिपत्य रविं; अंति: जातिश्च लग्नपात, अध्याय ७, श्लोक - ५६. षट्पंचाशिका - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: एक लग्नांश द्वादश; अंति: तउ परदेशी की मृत्यु. ३. पे नाम ज्योतिष लोक, पृ. १७आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र का किनारा टूटे होने से अन्तिमवाक्य अनुपलब्ध है. ज्योतिष संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि (-); अंति: (-), श्लोक-२. २७३६८. (+) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ले. स्थल. सोझति, प्रले. मु. दर्शनसौभाग्य ( गुरु ग. उदयसौभाग्य), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैवे. (२६x११, १३४५०) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: (); अंति: धम्मकहाओ सम्मत्ताउ, अध्ययन-१९,
9
ग्रं. ५५००.
२७३७० (+) श्रीपाल रास खंड ३ से ४ सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८८३ आषाढ़ कृष्ण, १४, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २२४,
-
(+)
प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६X११, २- ७X१८-२० ).
श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: (-); अंति: लह ज्ञान विशाला जी, प्रतिपूर्ण.
श्रीपाल रास-टवार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि (-); अति विस्तिर्ण ते प्राणी, प्रतिपूर्ण
-
२७३७१. (+) शांतिजिन चरित्र, पूर्ण, वि. १६५६, श्रेष्ठ, पृ. ११३ - १ ( २ ) = ११२, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ संशोधित, जैदे., ( २६११, १५-१६५५०-५३),
शांतिनाथ चरित्र, आ. अजितप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३०७, आदि: (-); अंति: स करोतु शांतिः, प्रस्ताव - ६,
श्लोक-१६२८, ग्रं. ४९७५, (पू. वि. प्रारंभिक श्लोक १ से २० नहीं है.)
२७३७२.
उत्तराध्ययनसूत्र सह टवार्थ, पूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २१२ - १ ( १६६* ) = २११, प्र. वि. अन्त में अध्ययन नामों की सूचि दी गयी है., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६X११, ५x२९-३४).
३३
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग, आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: पुव्वरिसी एव भासंति,
अध्ययन - ३६, ग्रं. २०००.
उत्तराध्ययन सूत्र - टवार्थ *, मा.गु., गद्य, आदिः पूर्वसंयोग मातादिकनो; अंतिः एह वचन भाष्यकारनउ, २७३७३. सारस्वतव्याकरण की दीपिका टीका, संपूर्ण, वि. १७७०, माघ कृष्ण, ४, गुरुवार, मध्यम, पृ. १३८, प्रले. सीताराम त्रिवेदी; पठ. शिवजी लीलाजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६.५X११, १७-१८×३९-५७).
सारस्वत व्याकरण- दीपिका टीका, आ. चंद्रकीर्तिसूरि, सं., गद्य वि. १६२३, आदि: नमोस्तु सर्वकल्याणपद; अंतिः चरणकमले यस्य स वृत्ति- ३, प्र. ७१००.
"
२७३७५. (+) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, अपूर्ण, वि. १५५३, कार्तिक कृष्ण २, रविवार श्रेष्ठ, पृ. १२६-४ (१,४१,१११ से ११२)=१२२, राज्ये गच्छाधिपति गुणकीर्तिसूरि (मड्डाहडीअगच्छ); प्रले. मु. महीचंद्र (गुरु ग. क्षमासुंदर, मड्डाहडीअगच्छ), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, (१७) जलाद्रक्षे तैलाद्रक्षे, (६१) भग्नपृष्टि कटीग्रीवा, जैवे. (२६.५x११, १३x४८-५३).
"
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: (-); अंतिः सुखंधो समतो, अध्ययन-१९, ग्रं. ५४६२, पू. वि. अंत के पत्र हैं.
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२७३७७. (+) सूयगडांगसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १३३, अन्य मु. कनकचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैवे., (२७४११, १५४६२-६५).
२. पे. नाम. श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, पृ. १२१अ, संपूर्ण.
लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्म, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-३.
२७३७८. (+) आचारांगसूत्र सह वालावबोध व श्लोक संग्रह, पूर्ण, वि. १८वी श्रेष्ठ, पृ. १२१ -१ ( १ ) + १ (४४) = १२१, कुल पे. २. प्र. वि. त्रिपाठ संशोधित, जैवे. (२६४१०.५, ५- ७४४३-४७).
"
१. पे नाम. आचारांगसूत्र सह बालावबोध द्वितीयश्रुतस्कंध, पृ. २अ १२१अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है, आचारांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि (-); अंतिः विमुच्चइ त्ति बेमि, प्रतिअपूर्ण. आचारांगसूत्र- बालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: यतः नाणेण जाणइ भावे, प्रतिअपूर्ण.
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सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: बुज्झिज्ज तिउलेज्ज; अंति विहरति त्ति बेमि, अध्याय- २३, ग्रं. २१००.
सूत्रकृतांगसूत्र- दीपिका वृत्ति, मु. हर्षकुल, सं., गद्य, वि. १५८३, आदि: प्रणम्य श्रीजिनं; अंति: सूत्रकृतांगदीपिका, ग्रं. ७०००.
२७३८३.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२७३७९. कल्पसूत्र-१० अच्छेरा, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, जैदे., ( २६.५X११, १५X४७ - ४९).
कल्पसूत्र - दशआश्चर्य वर्णन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदिः उवसग्ग गब्भहरणं इत्थ; अंतिः ते च ब्राह्मणः जातः, २७३८०. (+) दशवैकालिकसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३८, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., अध्ययन १० की गाथा १३ तक है., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें - त्रिपाठ - टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६X११, ३-६×५५-५८). दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्कि अंति: (-).
(+)
दशवैकालिकसूत्र - शिष्यवोधिनी टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, आदि; जयति विजितान्यतेजाः; अंति: (-). २७३८१. (+) उत्तराध्ययनसूत्र, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ९, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. प्र. वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., ( २६.५X११, १३५० -५१).
"
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग, आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: ( - ), ( पू. वि. नमिप्रव्रज्या अध्ययन तक है.)
२७३८२. (*) नंदीसूत्र, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १८ - २ (१ से २ ) = १६ प्र. वि. संशोधित टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६x११, १३ - १४X३९ - ४८).
नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग, आदि सेलघणकुडग चालणि; अंति से तं नंदी सम्मत्ता, गाथा - ७००, (संपूर्ण, पू. वि. अनुज्ञानंदी प्रारंभ करके छोड़ दिया गया है., वि. प्रारंभिक सूत्र जयह जगजीवजोणी से शुरू न होकर सेलघणकुडग से प्रारंभ किया गया है.)
चउशरण प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५X१०.५, ५-६X३९).
चतुःशरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: सावज्ज जोग विरई; अंति: कारणं निव्वुइ सुहाणं, गाथा-६३. चतुः शरण प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सावद्यव्यापार त्याग; अंतिः ए चउसरण अध्ययन गणीवड. २७३८४. (+) श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १२ - १ (४) =११, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं, वंदित्सूत्र गाथा ३५ तक है., प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., (२६x११, ४-५X४३-४५).
-
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श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., प+ग, आदि नमो अरिहंताणं० पंचिद अंति (-). श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र - तपागच्छीय का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीअरिहंत प्रति; अंति: ( - ).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३५ २७३८५. (+#) आचारोपदेश सह टिप्पण, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, पठ. ग. साधुविजय (गुरु उपा. कल्याणविजय गणि),
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-क्रियापद संकेत-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, ११-१२४३५-३७).
आचारोपदेश, ग. चारित्रसुंदर, सं., पद्य, आदि: चिदानंदस्वरूपाय; अंति: निजयोर्धनजन्मनो, वर्ग-६.
आचारोपदेश-टिप्पण, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७३८६. उत्तराध्ययनसूत्र सह वृत्ति- अध्ययन १ से १३, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २४, प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२६.५४११, १०-११४३५-४१).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. उत्तराध्ययनसूत्र-दीपिका टीका, मु. विनयहंस, सं., गद्य, वि. १५७२, आदि: उत्तराध्ययनस्येमां; अंति: (-),
प्रतिपूर्ण. २७३८७. (+#) पाक्षिकसूत्र, खामणा व मांगलिकप्रभाति स्तवन, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ३, प्र.वि. पदच्छेद
सूचक लकीरें-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १२-१३४३८-४२). १. पे. नाम. पाक्षिकसूत्र, पृ. १आ-११अ, संपूर्ण.
हिस्सा, प्रा., प+ग., आदि: अन्नाणमोह दलणी जणणी; अंति: जेसिं सुयसायरे भत्ति. २. पे. नाम. पाक्षिकक्षामणासूत्र, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
क्षामणकसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: इच्छामि खमासमणो पिय; अंति: नित्थारग पारगा होह, आलाप-४. ३. पे. नाम. मांगलिकप्रभाति स्तवन, पृ. ११आ, संपूर्ण..
प्रभाती कडखो, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पूरव दिसि जिन भणी; अंति: घनई करउ हरष वधामणा, गाथा-८. २७३८८. दानशीलतपभावना चौपाई, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३५-३७).
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति: रे
धरम हीय धरो, ढाल-४, गाथा-९९. २७३८९. (+#) कल्पसूत्र का अंतर्वाच्य, पूर्ण, वि. १७५७, आषाढ़ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ६६-१(२)=६५, ले.स्थल. रामसर, प्रले. उदय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११, १३४४३).
कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य, उपा. भक्तिलाभ, सं., गद्य, आदि: पुत्राः पंचमतिश्रुता; अंति: श्रीसंघभट्टारकः. २७३९०. (+) उपासकदशांगसूत्र सह टीका, अपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. २८-९(२ से ३,८ से ९,११ से १२,२४,२६ से २७)=१९, पू.वि. बीच-बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. पंचपाठ-संशोधित., जैदे., (२७४११, ५-१७४२८-३८).
उपासकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेण० चंपा नाम नयरी; अंति: (-).
उपासकदशांगसूत्र-वृत्ति, आ. अभयदेवसूरि , सं., गद्य, वि. १११७, आदि: श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंति: (-). २७३९१. (+) नव्य कर्मग्रंथ ३-४ सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १७-२(५ से ६)=१५, कुल पे. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४१०.५, ५४४२). १.पे. नाम. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: बंधविहाणविमुक्कं; अंति: नेयं कम्मत्थयं सोउं,
गाथा-२५. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: कर्मबंधथी मूकाणा; अंति: कर्मस्तव सांभलीनइ. २. पे. नाम. षडशीति नव्य चतुर्थ कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. ४अ-१७आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच-बीच के व अंतिम पत्र नहीं
हैं., गाथा ८-१२ एवं अन्तिम ३ गाथाएँ नहीं हैं. षडशीति नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं जियमग्गण; अंति: (-). षडशीति नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जीवना भेद १४ मार्गणा; अंति: (-).
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३६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७३९२. (+) पूजाफल प्रकरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८१७, मार्गशीर्ष कृष्ण, १, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ५७-५(१ से ५)=५२,
पू.वि. गंधपूजा की गाथा ५२ अपूर्ण तक नहीं है.,प्र.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११, ९x४४-४८).
विजयचंद्रकेवली चरित्र, मु. चंद्रप्रभ महत्तर, प्रा., पद्य, वि. ११२७, आदि: (-); अंति: चरियं सिरिविजयचंदस्स.
विजयचंद्रकेवली चरित्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: श्रीविजयचंद को. २७३९३. वीसस्थानक खमासमण विधि, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३५-३(३२ से ३४)=३२, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२७४११, ६-७४१५-२०).
२० स्थानकतपखमासमण विधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: तहां प्रथम थानकै; अंति: (-). २७३९४. (+#) स्तुतिचौवीसी, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११, १३४४४).
स्तुतिचतुर्विंशतिका, म. शोभनमनि, सं., पद्य, आदि: भव्यांभोजविबोधनक; अंति: हारताराबलक्षेमदा, स्तुति-२४,
__ श्लोक-९६. २७३९५. (+) संग्रहणीसूत्र, पूर्ण, वि. १७०४, कार्तिक शुक्ल, ९, श्रेष्ठ, पृ. १०-१(७) =९, ले.स्थल. फतेपुर, प्रले. मु. मोहन (गुरु मु. रत्नसी), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४११, १५-१६x४९-५२). बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिउं अरिहंताई ठिइ; अंति: जा वीरजिण तित्थं,
गाथा-३१३, (पू.वि. गाथा १९१ अपूर्ण से २२५ नहीं है.) २७३९६. (+#) कालकाचार्य कथा, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ६, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४१०, १३४४३-४५).
कालिकाचार्य कथा, प्रा., पद्य, आदि: हयपडिणीयपयावो; अंति: हवंतु भव्वाण भद्दकरा, गाथा-१२२. २७३९७. (+) ईर्यापथिकषड्विंशिका कुलक सह स्वोपज्ञवृत्ति, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १५, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-त्रिपाठ., जैदे., (२५४१०.५, १-३४४७-५०). ईर्यापथिकषविंशिका कुलक, उपा. धर्मसागरगणि, प्रा., पद्य, आदि: पणमिअजिणवर वीर; अंति: सिरिहीरविजय
जुगपवरा, गाथा-३६. ईर्यापथिकषविंशिका कुलक-स्वोपज्ञ वृत्ति, उपा. धर्मसागरगणि, सं., गद्य, आदि: प्रणम्यात्मविदं वीरं; अंति:
धर्मधियेति, ग्रं. ४४७. २७३९८. (#) सूयगडांगसूत्र सह वृत्ति, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २११-५(१,७२ से ७४,१७७)+१(१०७)=२०७, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १५४४१-४८). सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: विहरति त्ति बेमि, अध्याय-२३, ग्रं. २१००,
पू.वि. प्रथम एक व बीच के पत्र नहीं हैं. सूत्रकृतांगसूत्र-सम्यक्त्वदीपिका टीका, उपा. साधुरंग, सं., गद्य, वि. १५९९, आदि: (-); अंति: द्वितीयांगस्य
दीपिका, (पू.वि. प्रथम एक व बीच के पत्र नहीं हैं., रचना प्रशस्ति श्लोक १७ तक है.) -) भगवतीसत्र सह टिप्पण, अपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, प. ४०२-१०५(१९१ से १९५.१९७ से २९५.४०१)=२९७. प्रले. मु. लक्ष्मण ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, १३४४४-४९). भगवतीसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: नमो अरहताणं० सव्व; अंति: उद्दिसिझंति, शतक-४१,
ग्रं. १५७५२.
भगवतीसूत्र-टिप्पणक*, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. उपयुक्त स्थलों पर यत्र-तत्र टिप्पण है.) २७४००. विविध सूक्तश्रेणी, संपूर्ण, वि. १७५८, कार्तिक कृष्ण, १, सोमवार, मध्यम, पृ. ५०, ले.स्थल. लुंसणाग्राम, प्रले. वा. नेमहर्ष गणि; पठ. पं. अभयराज, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १७४५१-५३).
सूक्तावली संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: वीरं विश्वगुरु; अंति: सत्वे प्रतिष्ठितं, श्लोक-१८५१.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७४०१. (+#) अनुत्तरोववाई सूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७६९, आश्विन शुक्ल, २, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले.स्थल. पद्मावती,
प्रले. मु. ज्ञानराज, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१०.५, ७४३४-३७). अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंति: अयमढे पण्णत्ते,
अध्याय-३३, ग्रं. १९२.
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालने विषे ते; अंति: वर्गना ए अर्थ कह्या, ग्रं. ६००. २७४०२. २४ दंडक २९ द्वार विचार, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १३-७(३,७ से १२)=६, पू.वि. बीच-बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२७४१०.५, ८४४१-४३).
२४ दंडक २९ बोल, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम नामद्वार बीजु; अंति: (-), (पू.वि. २३ द्वार तक है.) २७४०४. (+) षडशीति प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७५४, चैत्र कृष्ण, २, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. कृष्णदुर्ग,
पठ. श्रावि. महिमादे; प्रले. उपा. धर्मविशाल गणि (गुरु उपा. ज्ञानसिंह गणि), प्र.ले.पु. अतिविस्तृत, प्र.वि. पत्र ४आ पर गाथा ४० के प्रथम पाद तक लिखा हुआ है तथा पत्र ५अ गाथा ३८ से शुरु हुआ है. दोनो को देखने पर गाथा ३८-३९ दूसरी बार लिखी हुई मिलती है. अधिक सम्भव है कि एक ही लिपिकार के द्वारा एक कृति की एक समय मे लिखी दो अलग-अलग नकलें एक साथ मिल गयी हों. कृष्णदुर्ग के भांडागार में रखने हेतु यह प्रत लिखी गयी है., पंचपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४१०.५, ७X४०-४३). षडशीति प्राचीन कर्मग्रंथ, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: निच्छिन्नमोहपास; अंति: सुणंतु गुणंतु जाणंतु,
गाथा-९८, ग्रं. १३५. २७४०५. उववाईसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १६६०, अभ्रषट्विधुकला, श्रेष्ठ, पृ. ८३, अन्य. श्रावि. लालबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२६४११, १-६४५६-६०).
औपपातिकसूत्र, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० चंपा०; अंति: सुही सुहं पत्ता, सूत्र-१८९, ग्रं. ११६७. औपपातिकसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि , सं., गद्य, आदि: श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंति: संशोधिता चेयम्,
ग्रं. ३१२५. २७४०९. (+) सुदर्शनरास व प्रतिलेखनकालमान श्लोक व यंत्र, संपूर्ण, वि. १५१५, फाल्गुन शुक्ल, १०, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १४,
कुल पे. ३, प्र.वि. संशोधित-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२४.५४१०.५, १२-१३४३२-३७). १. पे. नाम. सुदर्शनसेठ रास, पृ. १अ-१४आ, संपूर्ण.
मु. मुनिसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १५०१, आदि: पहिलउ प्रणमिसु; अंति: चतुर्विध संघ प्रसन्न, गाथा-२५५. २. पे. नाम. प्रतिलेखनछायासमय श्लोक, पृ. १४आ, संपूर्ण.
प्रतिलेखनकालमान गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: आसाढे मासे दुप्पया; अंति: भादव आसौ कत्तीअट्ठा, गाथा-३. ३. पे. नाम. प्रतिलेखनकालमान यंत्र, पृ. १४आ, संपूर्ण.
आवश्यकसूत्र-प्रतिलेखनादि कालमान यंत्र, संबद्ध, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २७४११. (+) नंदीसूत्र सह टबार्थ व कथा, संपूर्ण, वि. १८२३, कार्तिक कृष्ण, ८, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४९, ले.स्थल. शुधदंतीनगर, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-त्रिपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१०.५, ६-७४३९-४५).
नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग., आदि: जयइ जगजीवजोणीवियाणओ; अंति: से तं नंदी सम्मत्ता, गाथा-७००. नंदीसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नंदी कहता आणंदनो; अंति: ते ए नंदी संपूर्णा.
नंदीसूत्र-कथा संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: ज्ञाननौ स्वरूप शिष्य; अंति: सर्व कार्य सीधु, कथा-८९. २७४१२. जीवविचार प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७६१, कार्तिक कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले.स्थल. जोधपूर, प्रले. मनरुप, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१०.५, १०-१२४२८-३१). जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१.
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३८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२७४१३. (+) विचार संग्रह, अवंतिसुकमाल व आषाढभूति रास, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २१ - २ (१,९) = १९, कुल पे. ३,
प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५X१०.५, १०X३४-३६).
१. पे नाम, विचार संग्रह, पृ. २अ-७अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है,
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२. पे नाम. अयवंतीसुकुमाल चोडालियो, पृ. ७अ १४अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है.
पावै
अवंतिसुकुमाल रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४१, आदि: मुनिवर आर्य सुहस्ति; अंतिः शांतिहरष सुख जी, ढाल १३, गाथा- १०७.
३. पे नाम. आषाढभूतिमुनि चौपाई, पृ. १४अ - २१आ, संपूर्ण.
आषाढाभूति चौपाई, मु. मानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७३७, आदि: सासणनायक सुखकरू वांद; अंति: मानसागर शुभ वाण रे, ढाल-७, गाथा - ४१४.
२७४१४. श्रीपाल रास, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, जैदे., ( २४x१०, १४४४३-५४).
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श्रीपाल रास - लघु, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४२, आदि: चउवीसे प्रणमु जिनराय; अंति: सुणतां कल्याण, ढाल - २०, गाथा - २७०.
२७४१६. दशवैकालिकसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ८८, जैदे., (२४X१२, ४X३२).
"
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि धम्मो मंगलमुक्कि; अंतिः कहणा पवियालणा संघे, अध्ययन - १० चूलिका २, गाथा - ७००.
दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: धर्म उत्कृष्टओ मंगलि; अंति: कीधा जे ए साचूं, ग्रं. ३०००. २७४१८. सीताराम चौपाई, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५५-१६ (१ से ५,२० से २४,४१ से ४५, ४७ ) = ३९, पू. वि. बीच-बीच के पत्र हैं., जैदे., ( २४.५X१०.५, १४५० -५९ ) .
रामसीता रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७४, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. खंड ३ अपूर्ण से खंड ७ अपूर्ण तक है.)
२७४१९, (+) कल्पसूत्र सह टवार्थ व व्याख्यान+कथा, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २९६ - ८ (१ से ४,१९४ से १९६,२९३)+१(२९)-२८९, प्र. वि. संशोधित टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., (२५x१०.५, ४४३३-३६).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं० समणे; अंति: (-), पू. वि. बीच व अंत के पत्र नहीं
हैं.
कल्पसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: ते काल जे अवसर्पिणी; अंति: (-), पू. वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), पू.वि. प्रारंभ, बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. २७४२० (+) चमत्कारचिंतामणी सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १७५७, कार्तिक कृष्ण ३०, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले. स्थल, राजधन्यपुर, प्रले. पं. देवराज; पठ. मु. सामंत, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न - टिप्पणयुक्त पाठ., जैदे., (२४.५X१०.५, ५X४१-४५).
चमत्कारचिंतामणि, राजऋषिभट्ट, सं., पद्म, आदि: नचेत् खेचराः स्थापित; अंतिः मृषिनांमचिंतामणीयं,
श्लोक-१११.
चमत्कारचिंतामणि- टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीवामेय जिनं नत्वा; अंतिः दोष मति सहयो
२७४२१ (+) तपविधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८११, पौष कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. पंन्या. अविचलविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अन्त में तपविधि का यन्त्र है, संशोधित प्रायः शुद्ध पाठ, जैदे., (२४४१०.५, १४-१५x५०-५२).
तपावली, मा.गु., गद्य, आदि: पुरिमन१ एकासणार अंतिः चोविहार त्रेविहार,
२७४२२. (+) दानशीलतपभावना कुलक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १३, प्रले. ग. आनंदविजय (गुरु ग. श्रीविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित - टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५X११, ४x२७-३३).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
दानशीलतपभावना कुलक, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: परिहरिअरज्जसारो; अंति: सो लहइ सिद्धिसुहं,
कुल-४, गाथा-८१, ग्रं. १००.
दानशीलतपभावना कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: परिहरिउं छांडिउं; अंति: सुख ते प्रति, ग्रं. २००. २७४२३. चंदराजा रास, संपूर्ण, वि. १८६६, वैशाख कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ९३, ले.स्थल. कंटालीया, प्रले. पं. नयमेरु, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११, १४४४०-४४). चंद्रराजा रास, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८३, आदि: प्रथम धराधव तीम; अंति: वर्णव्या गुण चंदना,
उल्लास-४ ढाल १०८, गाथा-२६७९. २७४२५. द्वादश भावना, संपूर्ण, वि. १८९९, श्रावण शुक्ल, १३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. अकबराबाद,
प्रले. श्राव. अछेलाल; पठ. श्राव. हीरालाल; गृही. मु. रणधीर चुनिलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तक दृष्ट, (५६३) तैलाद्ररक्षं जलाद्रक्षं, (६८०) भग्नपृष्टी कटिग्रीवा, जैदे., (२४.५४१२, १२४४१-४३).
१२ भावना, मा.गु., गद्य, आदि: पहिली अनित्य भावना; अति: ते धर्म भावना, भावना-१२. २७४२६. (+) सुखबोधार्थमालाप पद्धति, संपूर्ण, वि. १७४७, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले.स्थल. मूलत्राण, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४१०, १४४४५-४८).
आलाप पद्धति, आ. देवसेन, सं., गद्य, वि. १०वी, आदि: गुणानां विस्तर; अंति: यथा जीवस्य शरीरमिति. २७४२७. (+) भक्तामर स्तोत्र, गौतमस्वामी स्तुति व श्लोक, संपूर्ण, वि. १८९१, वैशाख कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ३,
ले.स्थल. राणावास, प्रले. मु. रामचंद्र ऋषि; पठ. मु. शोभाचंद (गुरु मु. रामचंद्र ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४१०.५, ८x२८-३१). १. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २. पे. नाम. गौतमस्वामि स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: मंगलं भगवान वीरो; अंति: पथरो भयो लोह को हेम, गाथा-७. ३. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. ६आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. २७४३१. अनंतचौवीसी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२५.५४११, १३-१४४२५-२९).
साधुवंदना लघु, ऋ. जेमल, मा.गु., पद्य, वि. १८०७, आदि: नमो अनंत चोवीसी ऋषभ; अंति: कहेइ एहीज तरणरो
दाव, गाथा-१०७. २७४३३. (+) कल्पसूत्र की पीठिका कल्पांतर्वाच्य, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-द्विपाठ., जैदे., (२५४११, १२४४०). कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मु. हेमविमलसूरि-शिष्य, मा.गु., गद्य, आदि: सकलार्थ सिद्धिजननी; अंति: (-),
प्रतिपूर्ण. २७४३४. उत्तराध्ययनसूत्र-जीवाजीवविभक्ति अध्ययन ३६, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्र.वि. कुल ग्रं. गाथा २७३., जैदे., (२५.५४११, १४४३७-३९).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: त्ति बेमि, प्रतिपूर्ण. २७४३५.(+) कल्पसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १६९८, आषाढ़ शुक्ल, १२, श्रेष्ठ, पृ. १२४, ले.स्थल. मांडल,
प्र.वि. संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, (५५) अज्ञाने च मतिभ्रंसा, जैदे., (२५४११, ५४३२-३९). कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, व्याख्यान-९,
ग्रं. १२१६. कल्पसूत्र-टबार्थ+व्याख्यान+कथा, आ. सोमविमलसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: वर्द्धमानं जिनं; अंति: वात्सल्य
संतः, ग्रं. ५०००.
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४०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७४३६. (+) कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान+कथा, अपूर्ण, वि. १७९३, वैशाख शुक्ल, मध्यम, पृ. १५८-४०(३७ से ३९,४१
से ४६,४९ से ७५,११४,१३८ से १३९,१५४)=११८, पू.वि. बीच-बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. प्रतिलेखन वर्ष का उल्लेख पत्रांक १०५अव्याख्यान ६ के अन्त में है., द्विपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४११,६-१४४३६-४९).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: णमो अरिहताणं० पढम; अंति: (-). कल्पसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: ध्याताथी अधिक ध्येय; अंति: (-).
कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा*, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीपार्श्व प्रणिपत; अंति: (-). २७४३९. (+) चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. किष्किंधनगर, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद
सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-क्रियापद संकेत-त्रिपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. कुल ग्रं. ५८१, जैदे., (२५.५४११, २४४१-४३).
२४ जिन स्तुति, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: ऋषभनम्रसुरासुरशेखर; अंति: जरसा रहितं पदम्, श्लोक-२९,
ग्रं. १२४. २४ जिन स्तुति-टीका, ग. कनककुशल, सं., गद्य, वि. १६५२, आदि: प्रणम्य परया भक्त्या; अंति: श्लोकैरधिका
समजायत, ग्रं. ४५७. २७४४०. (+#) नवस्मरण व लघुशांति सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १९, कुल पे. २, प्रले. ग. ज्ञानविजय (गुरु
उपा. लावण्यविजय गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, (८१५) सूर्याचंद्रमसौयावत्, जैदे., (२५.५४११, ७४३८-४०). १. पे. नाम. नवस्मरण सह टबार्थ, पृ. १अ-१८अ, संपूर्ण. नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: भक्तामरप्रणतमौलिमणि; अंति: स लहइ सुहसंपयं परमम्,
(प्रतिपूर्ण, पू.वि. नवकार, उपसर्गहर व बृहत्शान्ति स्तोत्र नहीं है.) नवस्मरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: भक्तिवंत देवता तेहना; अंति: परमं कहता उत्कृष्टी, प्रतिपूर्ण. २. पे. नाम. लघुशांति सह टबार्थ, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: पूज्यमाने जिनेश्वरे, श्लोक-१८.
लघुशांति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीशांतिनाथ प्रति; अंति: जिनेश्वर छतइ. २७४४१. (+) कल्याणमंदिर स्तोत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. १९१२, ज्येष्ठ शुक्ल, १, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १८, ले.स्थल. गोपीपुरा,
प्र.वि. त्रिपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, जैदे., (२५४११, २-४४३२-३७). कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते,
श्लोक-४४.
कल्याणमंदिर स्तोत्र-टीका, पा. हर्षकीर्ति, सं., गद्य, आदि: श्रीमत्पार्श्वजिनं; अंति: पार्श्वनाथप्रसादतः. २७४४३. एकादशगणधर स्तव, नमस्कार व स्तवन, संपूर्ण, वि. १७४२, ?, आश्विन कृष्ण, ६, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल
पे. ३, ले.स्थल. राजनगर, लिख. श्रावि. सुंदरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. लिपि देखने से प्रत २०वी की लगती है., जैदे., (२४.५४११, ८-९४२९-३४). १.पे. नाम. एकादशगणधर स्तव, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. ११ गणधर स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूतिं पृथवी; अंति: ये सत्वभृतां सुदेवा, श्लोक-१४, (वि. इस प्रति में जो
श्लोक-१४ दिया गया है वह प्रत्येक गणधरस्तुति की द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ गाथा को एक बार ही गिनकर बताया
गया है.) २. पे. नाम. ११ गणधर देववंदन, पृ. २आ-४आ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: गोयम गणहर गोयम गणहर; अंति: सवे पूरू संघ जगीस, स्तवन-११. ३. पे. नाम. एकादशगणधर स्तवन, पृ. ४आ-१०अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
११ गणधर स्तवन, मा.गु., पद्य, वि. १५वी, आदि: वीरजिणेसर पाय प्रणम; अंति: ते लहइ सुखसंपया, स्तवन-११,
गाथा-६०. २७४४४. लोकनालबत्तीसी सह बालावबोध व धार्मिक श्लोक, संपूर्ण, वि. १८२७, वैशाख कृष्ण, ८, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ११,
कुल पे. २, ले.स्थल. झूठाग्राम, प्रले. मु. शिवलावण्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, १५४३५-४४). १. पे. नाम. लोकनालबत्तीसीसह बालावबोध, पृ. १आ-११अ, संपूर्ण. लोकनालिद्वात्रिंशिका, आ. धर्मघोषसूरि , प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: जिणदसणं विणा जं; अंति: जहा भमह न
इह भिसं, गाथा-३२. लोकनालिद्वात्रिंशिका-बालावबोध, मु. सहजरत्न, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमदाप्तौ प्रणम्या; अंति: विशोध्यं
धीधनै शं. २. पे. नाम. जैनधार्मिक श्लोक, पृ. ११अ, संपूर्ण.
जैन गाथासंग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१. २७४४६. भक्तामर स्तोत्र सह बालावबोधव कथा, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २८, जैदे., (२५४११,११४३१-३५).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४. भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध, ग. मेरुसुंदर, मा.गु., गद्य, वि. १५२७, आदि: प्रणम्य श्रीमहावीरं; अंति: लक्ष्मी
स्वयंवर वरै. भक्तामर स्तोत्र-कथा, ग. मेरुसुंदर, मा.गु., गद्य, आदि: एकदा जिनमतना द्वेषी; अंति: कीधउ मोटी महिमा वधी,
कथा-२८. २७४४७. (+) भाष्यत्रय सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २९-२(२ से ३)=२७, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं.,
चैत्यवंदन भाष्य गाथा ३ अपूर्ण से १४ तथा प्रत्याख्यान भाष्य गाथा ४६ तक है.,प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४११, २-४४३०-३४).
भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: (-).
भाष्यत्रय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: वांदी नमस्कार करीनइ; अंति: (-). २७४४९. (+) जंबूअध्ययन प्रकीर्णक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७८१, फाल्गुन कृष्ण, ७, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३५,
ले.स्थल. वांकूली, प्रले. ग. चतुरविजय (गुरु ग. रंगविजय); पठ. मु. सुमतिविजय (गुरु ग. चतुरविजय), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५४११, ८४४४-४८). जंबूअध्ययन प्रकीर्णक, ग. पद्मसुंदर, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं० रायगिहे; अंति: से आराहगा भणिया,
उद्देशक-२१.
जंबूअध्ययन प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालनि विषइ ते; अंति: प्रांणी मोक्षे जाई. २७४५०.(+) अष्टकर्मादि विचार, संपूर्ण, वि. १७८१, श्रेष्ठ, पृ. २३, ले.स्थल. भूजनगर, प्रले. पं. प्रतापविजय;
पठ. श्रावि. हीराबाई; श्रावि. रामकुंवरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. राधन्यपूर की सुश्राविका के वाचन हेतु यह प्रति लिखी गई., पदच्छेद सूचक लकीरे-संशोधित., जैदे., (२५.५४११, १५४४६).
८ कर्म ३० बोल विवरण, मा.गु., गद्य, आदि: ज्ञानावरणी पोलिआ; अंति: बत्रीस मोक्ष जाइं. २७४५१. (+) राजप्रश्नीयसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५६, पौष शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. २५९, ले.स्थल. सिवपुरि,
प्रले. पं. फतेंद्रसागर; राज्यकाल रा. वेरीसाल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीजिरावलाजी प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४११.५, ४४२८-३४). राजप्रश्नीयसूत्र, प्रा., गद्य, आदि: नमो अरिहताणं० तेणं; अंति: पस्से सुपस्सवणीए, सूत्र-१७५, ग्रं. २१००,
(वि. १८५६, पौष शुक्ल, ४, रविवार) राजप्रश्नीयसूत्र-टबार्थ, मु. मेघराज, मा.गु., गद्य, आदि: देवदेवं जिनं नत्वा; अंति: तेह भणी नमस्कार थाओ,
(वि. १८५६, वैशाख शुक्ल, ३, रविवार)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७४५४. संथारा पयन्ना सह टबार्थव कथा, संपूर्ण, वि. १९१४, आषाढ़ कृष्ण, १२, श्रेष्ठ, पृ. १९, प्र.वि. कुल ग्रं. १२९०, जैदे., (२४.५४११, ४४३९-४२). संस्तारकप्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: काऊण नमुक्कार जिणवर; अति: सुहसंकमणं मम दितु,
गाथा-१२२, ग्रं. १२२. संस्तारक प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: इहां सघलाइ शास्त्रना; अंति: एहवो अर्थ कह्यो, ग्रं. ११५८.
संस्तारक प्रकीर्णक-कथा, मा.गु., गद्य, आदि: मथुरानो वनिगसुत्तो; अंति: एका अवतारी जाणवो. २७४५५. रामचरित्र रास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २७, जैदे., (२५४११.५, १७४४८-५१).
रामचरित्र रास, मु. केशराज, मा.गु., पद्य, वि. १६८०, आदि: श्रीमुनिसुव्रतस्वामि; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल २६ गाथा २४ तक लिखा है.) २७४५६. महादंडक विचार, संपूर्ण, वि. १८७१, आश्विन कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १३, जैदे., (२४४११, १५४३२-३५).
___ महादंडक विचार, मा.गु., गद्य, आदि: हिवै एकै समै मोक्ष; अंति: बिंतर जोइसिय बेमाणी. २७४५७. (+#) संबोधसत्तरी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७३८, चैत्र शुक्ल, ११, शनिवार, मध्यम, पृ. ११, ले.स्थल. कूवडानगर,
प्रले. ग. रविविजय; पठ. मु. तिलकविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११, ४-५४३८-४१). संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सोलहई नत्थि संदेहो,
गाथा-८७. संबोधसप्ततिका-टबार्थ, मु. जयसोम, मा.गु., गद्य, वि. १७२३, आदि: नमिऊण कहतां मन वचन; अंति: टबार्थममु
जयसोमक. २७४५८. (#) कल्पसूत्र सह व्याख्यान कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४४-१९(१ से १९)=२५, पू.वि. बीच के पत्र हैं.,
प्रारंभिक पीठिका भाग नहीं है तथा मूल मंगल पाठ से प्रथम व्याख्यान तक है.,प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११, ४-१६x२६-३७).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७४५९. स्तवनचौवीसी सहटबार्थ, संपूर्ण, वि. १९२०, चैत्र शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. मेदनीपुर, प्रले. पं. गंभीरसागर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११, ६-७४४०-४३). स्तवनचौवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, वि. १८पू, आदि: ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम; अंति: आनंदघन प्रभु जागे रे,
स्तवन-२४. स्तवनचौवीसी-बालावबोध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गद्य, आदि: चिदानंदमय जिनवरु सदा; अंति: पद पामै
इत्यर्थः. २७४६०. (+) नंदीसूत्र सह टबार्थव कथा, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०९-१(१)=१०८, पू.वि. प्रारंभ व अंत के पत्र नहीं हैं.,
गाथा ४ से अनुज्ञानंदि किंचित् अपूर्ण तक है., ले.स्थल. बिकानेर, प्रले. ग. ईश्वरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (२५४११, ४-५४३४-३६).
नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), पूर्ण. नंदीसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), पूर्ण.. नंदीसूत्र-कथा संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: ते जिम काचा घडामांहि; अंति: विशाला नगरी भांजी, कथा-९८,
संपूर्ण. २७४६१. अनुत्तरोववाईदशांग सूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७००, कार्तिक शुक्ल, ३, श्रेष्ठ, पृ. १६, ले.स्थल. मीरापुर,
प्रले. मु. धनजी ऋषि (गुरु मु. कमलसी ऋषि); पठ. मु. गणेश ऋषि (गुरु मु. धनजी ऋषि), प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२५४११, ६४३१-३४).
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४३
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंति: जहा धम्मकहा __णेयव्वा, अध्याय-३३, ग्रं. १९२.
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालनइ विषइंते; अंति: ए धर्मकथा जाणवी. २७४६२. नवतत्त्व प्रकरण सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २४-४(१ से ४)=२०, पू.वि. बीच के पत्र हैं., गाथा ७ से ३३ तक है., जैदे., (२५४११, १५४४३-४५).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध*, रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७४६३. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति सह वृत्ति, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २६०, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., चतुर्थ वक्षस्कार अपूर्ण तक है., प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२५४११, ३-६४४६).
जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति, प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं तेणं; अंति: (-). जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-प्रमेयरत्नमंजूषा टीका, उपा. शांतिचंद्र, सं., गद्य, वि. १६५१, आदि: जयति जिनः सिद्धार्थः; अंति:
(-). २७४६५. शत्रुजय उद्धार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १३, जैदे., (२५.५४११, ९४२८-३०).
शत्रुजयतीर्थउद्धार रास, मु. नयसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: विमल गिरिवर विमल; अंति: दर्शन जय करो,
ढाल-११, गाथा-१२५. २७४६६. (+) नंदीसूत्र, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३१, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४११, ९-१०४४९-५१). नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग., आदि: जयइ जगजीवजोणीवियाणओ; अंति: वीसमणुन्नाइं नामाई,
गाथा-७००. २७४६७. (+#) मानतुंगमानवती रास व पार्श्वजिन सवैयो, संपूर्ण, वि. १८४४, कार्तिक कृष्ण, १, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३९, कुल
पे. २, ले.स्थल. नींबला, प्रले. मु. हेमतविजय (गुरु ग. पद्मविजय पंडित), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कर्ता के हस्ताक्षर से लिखित प्रत. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, (१२) मंगलं लेखकानां च, (४२४) जब लग मेरु गिरंद हे, (४८६) एक पोथी अरु पदमिनी, (४८७) लेखनी पुस्तिका रमा, (५६०) जलात्क्षे त् थलात् रक्षे, जैदे., (२५.५४११.५, १६४३७-४०). १. पे. नाम. मानतुंगमानवती रास-मृषावादविरमण अधिकारे, पृ. १आ-३९अ, संपूर्ण. मानतुंग-मानवती रास-मृषावादविरमण अधिकारे, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६०, आदि:
ऋषभजिणंद पदांबुजे; अंति: होजो घरघर मंगलमाल हे, ढाल-४७, गाथा-१०००. २. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन सवैयो, पृ. ३९अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन-गोडीजी सवैया, मु. हेमतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पारसनाथ सोवन कों; अंति: वटते जरवीने तुजीये,
गाथा-१. २७४६८. (+) धन्यचरित्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५३, पौष कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. १०५, ले.स्थल. कृष्णपत्तन, प्रले. मु. जीतसागर
(गुरु क. दीपसागर), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.वि. श्रीमहावीरजिन प्रसादात्., ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित. कुल ग्रं. ४०००., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, जैदे., (२५४११.५, ६४३५).
दानकल्पद्रम, आ. जिनकीर्तिसूरि, सं., पद्य, आदि: स श्रेयस्त्रिजगद; अंति: श्रीदानकल्पद्रमः, पल्लव-९, ग्रं. १३००. दानकल्पद्रुम-टबार्थ, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गद्य, वि. १८३३, आदि: श्रीऋषभस्वामी केहवा; अंति: सुधी
__ जयवंतो वर्ता, ग्रं. २६००. २७४६९. (+) नवस्मरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., चतुर्थ स्मरण सप्ततिशतजिन स्तोत्र तक है., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, १-४४३९-४२).
नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहताणं० हवइ; अंति: (-). नवस्मरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंत आठ कर्म रूप; अंति: (-).
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४४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७४७१. (+) चतुःशरण प्रकीर्णक सह टबार्थ, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा ५९ तक है., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (२६४११, ५४४१-४४).
चतुःशरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: सावज्ज जोग विरई; अंति: (-).
चतुःशरण प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ग्रंथनी आदि मांगलिक; अंति: (-). २७४७२. (+#) नवकारमंत्र का बालावबोध, पूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-१(१)=९, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १०-११४३९-४२). नमस्कार महामंत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: सुश्रावक सुश्राविका, (पू.वि. अरिहंत पद का
प्रारंभिक अंश नहीं है.) २७४७३. (+) पर्युषण अष्टाह्निका व्याख्यान, संपूर्ण, वि. १९३५, वैशाख कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. २०, ले.स्थल. लसकर,
प्रले. मु. रणधीर; राज्यकाल रा. जीवाजी राय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२४४११, १५४४०-४२).
अष्टाह्निकापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., गद्य, वि. १८६०, आदि: शांतीशं शांतिकर्ता; अंति: पद्यबंध
विलोक्य तत्. २७४७४. शालीभद्रधन्ना चौपाई, संपूर्ण, वि. १८८०, आषाढ़ शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. २७, ले.स्थल. कंटालीया, प्रले. मु. हुकमचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, १२४२८-३६). शालिभद्रमुनि चौपाई, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १६७८, आदि: सासननायक समरियै; अंति: मनवंछित
फल लहिस्यैजी, ढाल-२६, गाथा-५१०. २७४७५. (+#) कर्मविपाक, कर्मस्तव व बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४१, कुल पे. ३,
प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४११.५, ३४२४-२७). १. पे. नाम. कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. १आ-२०अ, संपूर्ण. कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं,
गाथा-६०. कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सिरिवीरजिणं क०; अंति: श्रीदेवेंद्रसूरइ. २. पे. नाम. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. २०अ-३२अ, संपूर्ण. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंति: वंदियं नमह तं वीरं,
गाथा-३४. कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: बंध ते स्यु कहीयइ; अंति: श्रीमहावीरदेव प्रति. ३. पे. नाम. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ सह टबार्थ, पृ. ३२अ-४१अ, संपूर्ण. बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: बंधविहाणविमुक्कं; अंति: नेयं कम्मत्थयं सोउं,
गाथा-२५.
बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: बंधना कारण ५७ हेतु; अंति: कर्मस्तवथी सांभलीनइ. २७४७६. (+) शालीभद्र रास व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४११.५, १५४४३-४५). १. पे. नाम. शालिभद्र चौपाई, पृ. १अ-१८आ, संपूर्ण.
शालिभद्रमुनि चौपाई, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १६७८, आदि: शासननायक समरीयइ; अंति: मनवंछित
___ फल लहिस्यइजी, ढाल-२९, गाथा-५१०. २. पे. नाम. गोवचन-शाहजहाँ के प्रति, पृ. १८आ, संपूर्ण.
शाहजहाँ के प्रति गोवचन पद, पुहिं., पद्य, आदि: साहाजहां तेरी पातसाह; अंति: मारि सु क्या गुनाह, पद-१. ३. पे. नाम. जैन गाथा संग्रह, पृ. १८आ, संपूर्ण.
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४५
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
जैन गाथासंग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ९
तक है.) २७४७७. (4) पच्चक्खाणसूत्र का बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४११.५, १२-१४४४०-४५).
प्रत्याख्यानसूत्र-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: हवे गुरु वांदवाना; अंति: मोक्ष फलदाइउ थाइ. २७४७८. (+) नवतत्त्व सह टीका व नवतत्त्वभेद, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-१(५)=९, कुल पे. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२५४११.५, १९४४४-५०). १. पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण सह टीका, पृ. १आ-१०अ, पूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है.
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: परियट्टो चेव संसारो, गाथा-३०.
नवतत्त्व प्रकरण-अवचूरि, आ. साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, आदि: जयति श्रीमहावीर; अंति: शीघ्रं प्राप्नुवंति, ग्रं. ५२८. २. पे. नाम. रूपीअरूपीहेयज्ञेयउपादेय भेद, पृ. १०अ, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण-रूपी अरूपी मिश्रभेद, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: जीवो संवर निर्जर; अंति: मिश्रो होइ अजीवो,
गाथा-१. ३. पे. नाम. हेयउपादेय गाथा-नवतत्त्व प्रकरणे, पृ. १०अ, संपूर्ण.
नवतत्त्व प्रकरण-हेयज्ञेयउपादेय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: हेया बंधासव पुन्ना; अंति: तिन्नविए ए उपादेया, गाथा-१. २७४७९. संग्रहणीसूत्र, संपूर्ण, वि. १८४१, पौष कृष्ण, २, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. गुंदोच, प्रले. क्र. गुलाबचंद (गुरु मु. रायचंद, खरतरगच्छ); पठ. मु. हर्षचंद (गुरु मु. गुलाबचंद ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५, १३४२८-३१).
बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिउं अरिहंताई ठिइ; अंति: जा वीरजिण तित्थं,
___ गाथा-३६४. २७४८०. (+) सिंदूर प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २०, प्र.वि. प्रतिलेखनपुष्पिका वाला पत्र अनुपलब्ध है., पदच्छेद सूचक लकीरें-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ-टिप्पणयुक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४११, ५४३४-३८).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: सूक्तमुक्तावलीयम्, श्लोक-१००.
सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ग्रंथकर्ता ग्रंथरंइ; अंति: श्रेणि आ कीधी. २७४८२. योगशतक सह टीका, संपूर्ण, वि. १७९५, कार्तिक कृष्ण, ६, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले.स्थल. पनवाड, प्रले. पं. दीपचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १२-१५४३०-३५).
योगशतक, धन्वंतरी, सं., पद्य, आदि: कृत्नस्य तंत्रस्य; अंति: सर्वव्याधिविनाशनं, श्लोक-९९. योगशतक-टीका, सं., गद्य, आदि: श्रीरामाय प्रणिपत्या; अंति: कंठी श्रीवानाघेषु.
गावानाधषु. २७४८३. कल्पसूत्र की पीठिका, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, जैदे., (२५.५४११.५, १२४३२-३४).
कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: वंदामि भद्दबाहु०; अंति: मंगलं ओ पहिलो मंगलीक. २७४८४. (+) अर्हद्विज्ञप्तिरूपा विचारषट्विंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४४११, ३-४४२३-२४).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-३९.
दंडक प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करीने ऋषभादि; अंति: हितकारणी कीधी. २७४८५. (+#) दशवैकालिकसूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ५९-२५(१,१७ से ३९,५५)=३४, पू.वि. बीच-बीच
के पत्र हैं., सामान्यपूर्वी अध्ययन गाथा ६ से अध्ययन-१० की गाथा ९ तक है., प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११.५, ५४३४-३५).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: (-); अंति: (-).
दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७४८६. (+) संबोधसत्तरी व जैनधार्मिक श्लोक सह अवचूरी, संपूर्ण, वि. १७४२, वैशाख, १, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २,
प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, ८४३९-४२).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. संबोधसप्ततिका सह अवचूरि, पृ. १अ-५आ, संपूर्ण.
संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सोलहई नत्थि संदेहो, __गाथा-७७.
संबोधसप्ततिका-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: नत्वा त्रैलोक्य गुरु; अंति: स लभते नैवात्र संशयः. २. पे. नाम. जैनधार्मिक श्लोक सह अवचूरि, पृ. ५आ, संपूर्ण.
गाथा संग्रह *, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), ग्रं. २.
गाथा संग्रह-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७४८७. (+) उपदेशमाला सह टबार्थ व कथा, अपूर्ण, वि. १७९७, वैशाख कृष्ण, ११, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १५२-९६(१ से
८०,८२,८५ से ९१,१२१ से १२८)=५६, पू.वि. गाथा १८२ तक नहीं है., ले.स्थल. चालीनगर, प्रले. ग. हरिरुचि (गुरु ग. सुजाणरुचि); पठ. श्राव. वीरभाण, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४४११.५, ५-१५४३६-४०).
उपदेशमाला, ग. धर्मदास, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: वयण विणिग्गया वाणी, गाथा-५४४. उपदेशमाला-टबार्थ, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, वि. १७१३, आदि: (-); अंति: संजात इति भद्रं. उपदेशमाला-कथा, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: शोधनीयैव सुधीधनैश्च, (प्र.ले.श्लो. (८१६)
___अव्यक्तवर्णक्रमतो भ्रमात्वा) २७४९०. सीमंधरजिन वीनती सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १४, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा ८२ तक है., प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२४.५४११.५, ४४३३-३५). सीमंधरजिन विज्ञप्ति स्तवन-३५० गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधर साहिब आगई;
अंति: (-). सीमंधरजिन विज्ञप्ति स्तवन-३५० गाथा-बालावबोध, क. पद्मविजय, मा.गु., गद्य, वि. १८३०, आदि:
पार्श्वनाथपदद्वद्व; अंति: (-). २७४९२. (+#) श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह सह टबार्थ, चौवीसजिनगणधर संख्या व चक्रवर्ति नाम, संपूर्ण, वि. १७४४, श्रेष्ठ,
पृ. १९, कुल पे. ३, ले.स्थल. नारदपुरी, प्रले. ग. कुशलरूचि (गुरु ग. हंसरुचि, तपगच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११.५, ४-५४३४-३८). १. पे. नाम. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह सह टबार्थ, पृ. १आ-१९आ, संपूर्ण. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: नमो अरिहं० सव्वसाहूण; अंति: सरिमे अभिगहे
विगइ. श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: माहरु नमस्कार अरिहत; अंति: करवी ते विगयनी विरति. २. पे. नाम. १२ चक्रवर्ति नाम, पृ. १९आ, संपूर्ण.
१२ चक्रवर्ति नाम व आगामी भवगमन विचार, मा.गु., गद्य, आदि: भरत चक्रवर्ति मोक्ष; अंति: ब्रह्मचक्र० नारकी. ३. पे. नाम. २४ तीर्थंकर व उनके गणधर नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
२४ जिनगणधर संख्या, मा.गु., को., आदि: ऋषभदेव अजितनाथ संभव; अंति: पार्श्वनाथ महावीर. २७४९५. (+) स्थूलीभद्र शीयलवेल, संपूर्ण, वि. १८६८, माघ शुक्ल, ११, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. सिरोही,
प्रले. ग. ऋद्धिविजय; मु. माणिक्यविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२५४११.५, १२-१४४३४-४३). स्थूलिभद्रमुनि शीयलवेलि, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८६२, आदि: सयल सुहकर पासजिन; अंति: विमला
कमला वरशे रे, ढाल-१८. २७४९७. (+#) गौतमपृच्छा चौपाई, संपूर्ण, वि. १७३३, फाल्गुन शुक्ल, ११, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. जीर्णगढ,
प्रले. ग. विनीतकुशल; पठ. श्राव. नेमीदास; अन्य. श्राव. रतनजी माणेकजी मेहता, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४११, १३४४२-४७).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४७ गौतमपृच्छा चौपाई, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५४५, आदि: सकल मनोरथ पूरवइ; अंति: मन जे
जिनवचने वसिउ, गाथा-११७. २७४९८. ऋषिमंडल पूजा विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १५, कुल पे. ४, जैदे., (२४४११.५, १२४३०-३६). १. पे. नाम. ऋषिमंडल पूजा विधि, पृ. १अ-१३अ, संपूर्ण.
ऋषिमंडल स्तोत्र पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीश; अंति: महती नंदी गुणादिनि, ग्रं. ३८०. २. पे. नाम. ऋषिमंडल स्तव यंत्र, पृ. १३अ-१४आ, संपूर्ण. ऋषिमंडल स्तोत्र-यंत्रलेखन विधि, संबद्ध, आ. सिंहतिलकसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीवर्द्धमानमीशं; अंति:
जिनबीजस्य बीजकम, श्लोक-३६. ३. पे. नाम. ऋषिमंडलस्तवनाम्नाय, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण.
ऋषिमंडल स्तोत्र-आम्नाय, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रां हिँ हू; अंति: दर्शनादेशश्च भवति. ४. पे. नाम. ऋषिमंडलपूजा विधि, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
ऋषिमंडल स्तोत्र-पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रां अ० ॐ ह्रीं; अंति: अणिमा सिद्धये स्वाहा. २७५००. कल्याणमंदिर व लघुशांति स्तोत्र, पूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, जैदे., (२५४११.५, ११४३२-३४). १.पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. १आ-५अ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्ष प्रपद्यते, श्लोक-४४. २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. ५अ-५आ, पूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक १५ तक है.) २७५०१. संबोधसत्तरी व श्लोक, संपूर्ण, वि. १७७५, वैशाख शुक्ल, १४, मध्यम, पृ. ५, कुल पे. २, प्रले. पं. लाखणसी;
पठ. श्रावि. कस्तूराबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १५४३६). १. पे. नाम. संबोधसप्ततिका, पृ. १आ-५अ, संपूर्ण.
आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सोलहई नत्थि संदेहो, गाथा-१२८. २. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. ५आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-२. २७५०२. (+) वाग्भट्टालंकार टीका, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १३-१(१)=१२, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, २०-२३४६१-६८). वाग्भटालंकार-टीका, सं., गद्य, आदिः (-); अंति: लिंगतो गणतोपि वा, (पू.वि. परिच्छेद १ श्लोक २४ अपूर्ण तक
की टीका नहीं है.) २७५०४. चंदराजारास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २६५, प्र.वि. अंत के पत्र चिपके होने से प्रतिलेखन पुष्पिकादि संबंधित सूचनाएं नहीं भरी गयी है., जैदे., (२४४१२,१०४२०-२४). चंद्रराजा रास, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८३, आदि: प्रथम धराधव तीम; अंति: वर्णव्या गुण चंदना,
उल्लास-४ ढाल १०८, गाथा-२६७९. २७५०५. द्रौपदी रास, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५४, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.,जैदे., (२६४१२, १२४३२-३५).
द्रौपदीसती चौपाई, वा. कनककीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १६९३, आदि: पुरिसादाणी पासजिण; अंति: (-),
(पू.वि. ढाल ३८ की गाथा २३ तक है.) २७५०६. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८७७, भाद्रपद शुक्ल, ९, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १२, प्रले. खूबचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४१२, ९-१०४३०-३८). प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह-श्वे.मू.पू.*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: भावतोहं
नमामि. २७५०७. (+) दानशीलतपभावना संवाद, संपूर्ण, वि. १८७०, चैत्र शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित., जैदे., (२४४११.५, १२४२६-२९).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति:
समृद्धि सुप्रसादो रे, ढाल-५, गाथा-१०१. २७५०८. (+) नवतत्त्व प्रकरण सह टबार्थ-विस्तृत, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. २५, प्रले. पं. कस्तुरविजय; पठ. श्राव. फतेचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४१२, ४४२०-२५).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणंतभागो य सिद्धिगओ, गाथा-६२, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: नत्वा तत्त्वविदं वीर; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., टबार्थ यत्र-तत्र ही लिखा है.) २७५०९. (+) श्रीपाल चरित्र सह टबार्थ, पूर्ण, वि. १८५४, ज्येष्ठ शुक्ल, ११, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ७६-१(३९)=७५,
ले.स्थल. अजमेर, प्रले. मु. आनंदविजय (गुरु ग. उत्तमविजय, तपगच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५४१२, ८४४३-४५). सिरिसिरिवाल कहा, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४२८, आदि: अरिहाइ नवपयाई झायित; अंति: वाइजता
कहा एसा, गाथा-१३४०, ग्रं. १६७४, पूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है. सिरिसिरिवाल कहा-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंतादिक नवपद; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण., गाथा-४८५ तक क्रमशः टबार्थ है, इसके बाद सामान्य रूप से यत्र-तत्र टबार्थ है.) २७५१०. (+) स्तुतिचौवीसी, अपूर्ण, वि. १८६१, पौष शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ.८-२(१ से २)=६, ले.स्थल. सीधपूर,
प्रले. पं. ऋषभविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्री चंद्रप्रभु प्रसादात्. नवापाडा मध्ये., पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११, १३४३०-३३). स्तुतिचतुर्विंशतिका, मु. शोभनमुनि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: हारताराबलक्षेमदा, स्तुति-२४, श्लोक-९६,
(पू.वि. सुपार्श्वजिन स्तुति श्लोक २ अपूर्ण तक नहीं है.) २७५११. सकडालमंत्री सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. पाली, जैदे., (२५.५४१२, १८-२०४३३-३५).
सकडालमंत्री चौढालिया, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, वि. १८५०, आदि: वीर नभुसासनधणी; अति: जिणवचने
प्रमाणो रे, ढाल-८. २७५१२. (#) दशवैकालिकसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९३२, चैत्र कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ६३, ले.स्थल. नागोर, प्रले. सिधकरण पुरोहित, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४१२, ६४३३). दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: कहणायवि आलणा
संघे, अध्ययन-१० चूलिका २, गाथा-७००.
दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीजिनधर्म उत्कृष्ट; अंति: अम्हारइ० आ व्याप छे. २७५१३. (+) संग्रहणीसूत्र, संपूर्ण, वि. १८७८, श्रावण कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. २२, ले.स्थल. वनारस, प्रले. मु. रूपचंद (गुरु
आ. जिनचंदसूरि, वृद्धआचार्यागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीपार्श्वनाथ प्रसादात्., पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ., जैदे., (२५४१२, ११४३६-४२). बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: नमिउं अरिहंताई ठिइ; अंति: जा वीरजिण तित्थं,
गाथा-३९४. २७५१४. (+-) श्रीपाल रास, संपूर्ण, वि. १८७९, ज्येष्ठ शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. ८०, ले.स्थल. सेवाडी, प्रले. मु. बुद्धिविजय;
पठ. पं. दीपविजय गणि; प्रले. मु. माणिक्यविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखन स्थान- महावीर चैत्य., टिप्पण युक्त विशेष पाठ-अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५४१२, १३४२६-२९). श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: कल्पवेल कवियण
तणी; अंति: लहसे ज्ञान विशाला जी, खंड-४ ढाल ४१, गाथा-१८२५. २७५१५. (+) सीलोपदेशमाला प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७८७, भाद्रपद अधिकमास शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. ५, पठ. श्रावि. प्रेमवती,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-प्रायः शुद्ध पाठ., जैदे., (२४.५४११.५, १२४३७).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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शीलोपदेशमाला, आ. जयकीर्तिसूरि, प्रा., पद्य, वि. १०वी, आदि : आबालबंभआरि नेमिकुमार; अंत: लहड़ बोहिफलं, गाथा- ११५.
२७५१६. पुण्यप्रकाश स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७१, ज्येष्ठ कृष्ण, ४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्रले. पं. ज्ञानसागर; पठ, श्रावि हेमकुंवरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५. ५४११.५, १३४३६ -४० ) .
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पुण्यप्रकाश स्तवन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि सकल सिद्धिदायक सदा; अंति: नामे पुण्यप्रकाश ए, ढाल - ८, गाथा - ९८.
२७५१७. षट्बंधव रास ढाल १ से १८, संपूर्ण, वि. १८४२ ज्येष्ठ शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले. स्थल धोराजी, प्रले. श्राव. लीलाधर आणंदजी सेठ; सम. मु. रवजी ऋषि; पठ. सा. कमरचाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १२-१३X३६-४३).
देवकी ६ पुत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमजिणंद समोसर्य; अंति: (-), प्रतिपूर्ण.
२७५१८. (+) मुनिपति रास, अपूर्ण, वि. १८१६, आश्विन शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. १०६ - ८५ (१ से ८५ ) = २१, प्रले. पं. दयालविजय; पठ. मु. . वनीतविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२६x१२, १३-१४४३९-४३).
मुनिपति रास, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६१, आदि: (-); अंति: संघ मनोरथ फलीया रे, ढाल - ९३, गाथा ४००५, (पू.वि. डाल. ७५, गाथा १४ तक नहीं है.)
२७५१९. दानशीलतपभावना संवाद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, जैदे., ( २४४१२, १२x२८-३०).
४९
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंतिः भ० सुप्रसादो रे, दाल-४, गाथा-१०१, ग्रं. १३५.
२७५२०. (+) आदिजिन आलोयणा स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७५, श्रावण कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र. वि. संशोधित., जैदे., ( २५X१२, ८- ९२६-३१).
आदिजिन स्तवन- आत्मनिंदागभिंत, वा. कमलहर्ष, मा.गु., पद्य, आदिः आदीसर पहिलो अरिहंत अंति: सफल भवि आपणौ गिणी, ढाल - ४, गाथा - ५३.
२७५२१.(+) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २८५, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. कुल ग्रं. १९४६१, जैदे., (२६x१२, ६४५०-५५).
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० चंपाए; अंति: धम्मकहाओ सम्मत्ताउ, अध्ययन १९, ग्रं. ६०००,
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ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र- टबार्थ, उपा. कनकसुंदर, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीमहावीर; अंतिः धर्मकथा समाप्त हुई,
ग्रं. १३४६१.
२७५२२. (+) कल्पसूत्र सह टबार्थ व व्याख्यान + कथा - १ से ८ व्याख्यान, संपूर्ण, वि. १८३९, पौष शुक्ल, २, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १०१, ले. स्थल, भावपूर कछदेशे, प्रले. ग. विनितविजय (गुरुग, रत्नविजय), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. प्रतिलेखन पुष्पिका श्लोकों का टबार्थ भी दिया गया है., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., प्र.ले. श्लो. (४२५) मेरु महीधर जिहां लगे, (४५९) मंगलं लेखकस्यापि (४६९) भद्म पृष्टि कटी ग्रीवा, (४८४) अदृष्टिदोषा मतिविभ्रमेण, (४८५) यावल्लवणसमुद्रो, (७८१) कमलभूभूतनयामुखपंकजे, जैदे., ( २६१२, ७-१९X३७-४९).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदिः णमो अरिहंताणं० पदमं अंतिः (-), प्रतिपूर्ण कल्पसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणम्य गुरुपादाब्जं; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा*, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणम्य परमश्रेयस्कर; अंति: (-), प्रतिपूर्ण.
२७५२३. (+) रत्नपाल चौपाई, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३१, प्र. वि. संशोधित, जैये., (२५.५४१२, २०४४८-५० ). रत्नपाल - रत्नावती चौपाई, मु. मोहनविजय, मा.गु., पच, वि. १७६०, आदि: सकल श्रेणि में दुर; अंतिः मोहनविजय विलासजी, खंड-४ ढाल ६८.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७५२७. (+) कल्पसूत्र, संपूर्ण, वि. १८५५, ज्येष्ठ कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ५३, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४४१२, १३४३२). कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: णमो अरिहंताणं० पढम; अंति: उवदंसेइ त्ति बेमि, व्याख्यान-९,
ग्रं. १२१६. २७५२८. (+) होलीरजपर्व कथासह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८८२, चैत्र शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. कृष्णगढ, प्रले. प्रतापचंद मथेन, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४४११.५, ६x२९-३३).
होलीपर्व कथा, सं., पद्य, आदि: वर्द्धमानं जिनं नत्व; अंति: विज्ञानं वाचनोचितः, श्लोक-५१.
होलीपर्व कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहावीरजिन चउवीस; अंति: सुणवा विषै योग्य. २७५२९. (+#) गौतमपृच्छा रास, संपूर्ण, वि. १८७०, वैशाख कृष्ण, श्रेष्ठ, पृ. ८, प्रले. मु. वीरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४.५४११.५, ११-१२४३२-३७). गौतमपृच्छा चौपाई, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५४५, आदि: सकल मनोरथ पूरवइ; अंति: मन जे
जिनवचने वसिउ, गाथा-१२१, ग्रं. २००. २७५३१. (#) दशवकालिकसूत्र, अपूर्ण, वि. १८वी, जीर्ण, पृ. १५-७(१ से ५,९,११)=८, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४१२, १७-१८४३०-३१). दशवकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. विनयसमाधि
अध्ययन अपूर्ण से अध्ययन ६ अपूर्ण तक है.) २७५३३. वीसस्थानक क्षमाश्रमण विधि, संपूर्ण, वि. १८९८, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. १६, ले.स्थल. अजमेर, प्रले. मु. जवानकुशल; पठ. श्रावि. सिरदारकवर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १२४२६-२८).
२० स्थानक खमासणदान विधि, मा.गु., गद्य, आदि: तिहां प्रथम स्थानके; अंति: काउसग्ग णमो तित्थस्स, ग्रं. ३६५. २७५३४. (+) वर्द्धमान देशना, संपूर्ण, वि. १९१३, मार्गशीर्ष शुक्ल, १०, श्रेष्ठ, पृ. १७७, ले.स्थल. रीयागाम, पठ. पं. गुलाबचंद (बृहत्खरतरगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४१२, १२-१३४३१-३३). वर्द्धमानदेशना, ग. राजकीर्ति, सं., गद्य, आदि: नमः श्रीपार्श्वनाथाय; अंति: शोधयंतु गतमत्सराः, उल्लास-१०,
ग्रं. ४३००. २७५३५. वीतराग स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, जैदे., (२५४१२, ८-१०४३१-३३).
वीतराग स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: यः परात्मा पर; अंति: फलमीप्सितम्,
प्रकाश-२०. २७५३६. (+) उत्तराध्ययनसूत्र-जीवाजीवविभक्ति अध्ययन सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५०, श्रेष्ठ, पृ. ४०, प्रले. मु. आनंदचंद्र
(गुरु मु. माणिकचंद्र); पठ. गटुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., प्र.ले.श्लो. (८४) मंगलं भगवान वीरो, जैदे., (२४.५४१२, २-५४२६-२९). उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: भवसिद्धिय संमएत्ति, (प्रतिपूर्ण, वि. १८५०,
कार्तिक शुक्ल, ६, शनिवार) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: एह वचन भाष्यकारनउ, (प्रतिपूर्ण, वि. १८५०,
मार्गशीर्ष कृष्ण, ६, शनिवार) २७५३७. सुरसुंदरी रास, संपूर्ण, वि. १९००, ज्येष्ठ शुक्ल, १०, शुक्रवार, मध्यम, पृ. २७, ले.स्थल. राणीसर, जैदे., (२५.५४१२, १५४३८-४१). सुरसुंदरी चौपाई, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदि: सासण जेहनउ सलहियइ; अंति: आनंद लील
उमंगेजी, अध्याय-४ ढाल ४०, गाथा-६१९, ग्रं. ९००. २७५३८. वसुधारा विधि, संपूर्ण, वि. १९३३, गुणगुणनिधिइंदु, फाल्गुन कृष्ण, १४, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ९, प्र.वि. श्री वर्द्धमानस्वामीजी प्रसादात्., प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है., जैदे., (२४.५४१२, ९४३५-३७).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: संसारद्वयदैन्यस्य; अंति: सौख्यं करोति.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७५४०. नवतत्त्व का बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०बी, श्रेष्ठ, पृ. १०, जैवे., (२५x१२, १०x३०-३४). नवतत्त्व प्रकरण- बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: पनरै प्रकारे सिद्धा. २७५४१. (-) होलिकापर्व कथा, संपूर्ण, वि. १९१४, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५x१२.५, ६x२७-३१). होलिकापर्व कथा, मु. गुणाकरसूरि शिष्य, सं., पद्य, आदि: ऋषभस्वामिनं मन्ये; अंतिः यतो धर्मस्ततो जयः, श्लोक- ६९.
२७५४२. (+) अनुत्तरोववाइदशांगसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९२९, श्रेष्ठ, पृ. २७, प्र. वि. वर्षादि माहिति मिटाई गयी है., युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५X१२, ५X४२-४४).
टिप्पण
अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंतिः तहा णेयव्वं,
अध्याय - ३३, ग्रं. १९२.
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र- टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः आठमां अंतगडदशांगने; अंतिः तिमज इहां पणि जाणवउ. २७५४३. लघुदंडक, मनुष्य स्वरूप दृष्टांत व विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२१ आषाढ़ कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १३, कुल पे, ३, ले. स्थल पल्लिका, जैदे., (२५x१२, १०x३५-३९).
१. पे. नाम. २४ दंडक विचार, पृ. १अ - १२आ, संपूर्ण.
लघुदंडकभेद बोल, मा.गु., गद्य, आदि शरीर ओगाहणा संघवण; अंतिः गति नही २५ अजोगी २६.
२. पे. नाम. मनुष्यस्वरूप दृष्टांत, पृ. १२आ, संपूर्ण.
औपदेशिक लोक संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि (-); अंति: (-), श्लोक-२३.
३. पे. नाम. विचार संग्रह, पृ. १३अ, संपूर्ण.
विचार संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि (-); अंति: (-),
२७५४६. (+) जीवविचार सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८९९, फाल्गुन शुक्ल, ११, श्रेष्ठ, पृ. १०, पठ. श्राव. किसनचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५X१२, १३ - १४X३२ - ३६).
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदिः भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंतिः रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
५१
गाथा - ५३.
जीवविचार प्रकरण - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: भुवण कहीए तीन भवन; अंति: अरथेनी पायो कीधो. २७५४७. (+) पर्युषणपर्वाष्टाह्निका व्याख्यान, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २३, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. संशोधित पदच्छेद सूचक लकीरें, जैदे., (२५x१२.५, १०-११x२२-२४).
पर्युषणाष्टाहिकापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., गद्य वि. १८६०, आदि: शांतीशं शांतिकर्त्ता; अंति: (-). २७५४८. (+) सम्मेतशिखरगिरि रास, अपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ९ - १ ( १ ) = ८, पू. वि. बीच के पत्र हैं. प्र. वि. संशोधित, जैदे.,
2
"
(२५x१२.५, १२-१३४३२-३४).
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सम्मेतशिखरतीर्थ रास, ग. दयारुचि, मा.गु., पद्य, वि. १८३५, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. ढाल १ गाथा २१ से ढाल ७ गाथा १० तक है. )
२७५४९ (+४) भुवनदीपक, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें संशोधित टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जी., (२५.५x१२.५, १७x४० - ४७ ).
भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३पू, आदि सारस्वतं नमस्कृत्य; अंतिः श्रीपद्मप्रभसूरिभिः, श्लोक-१६७.
२७५५०. सुदर्शनसेठ रास, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. ५, ले. स्थल, धोलेरानगर, प्रले. पं. चतुरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अन्तिमवाक्यवाला अंश किंचित् टूटा हुआ है., जैदे., (२५X११.५, १६x२८).
सुदर्शनशेठ रास, मु. श्रीभूषण, मा.गु., पद्य, आदिः सदादीसमहं वंदे महीज; अंतिः शुभकरण० तीर्थराजसम०,
गाथा - ११५.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७५५४. (+) सीमंधरजिन स्तवन सह टबार्थ व पद, अपूर्ण, वि. १८७६, माघ कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. ९-४(५ से ८)=५, कुल पे. २,
ले.स्थल. योधनगर, प्रले. पं. मोहण, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२३४१२, ८-१४४३६-४१). १.पे. नाम. सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा सह टबार्थ, पृ. १आ-९आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच के पत्र नहीं हैं., ढाल
४ की गाथा १५ से ढाल १० गाथा २ तक नहीं है. सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधर विनती; ___ अंति: जसविजय बुध जयकरो, ढाल-११, गाथा-१२५, ग्रं. १५५. सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा-टबार्थ, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गद्य, आदि: हे श्रीसीमंधर
स्वामी; अंति: राख तू जाणैज छै, ग्रं. ४२०. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजीगणि, पुहिं., पद्य, आदि: मेरो चिदानंद अविनासी; अंति: ब्रह्म अभ्यासी हो, गाथा-६. २७५५५. (+) भगवतीसूत्र सूचनिका संक्षेप, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४१२.५, १६४३२-३४). भगवतीसूत्र-हुंडी, क्र. धर्मसिंह, मा.गु., गद्य, वि. १८८२, आदि: प्रथम पंच परमेष्टि; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., शतक १७ उद्देश ३ तक है.) २७५५९. (+) नवाणुप्रकारी पूजा, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७-१(१)=६, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४१२, १२४३०). ९९ प्रकारी पूजा- शत्रुजयमहिमागर्भित, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८४, आदि: (-); अंति: (-),
(पू.वि. दूसरी पूजा गाथा २ से एकादश अभिषेक उत्तर पूजा की कलशगाथा ५ तक है.) २७५६०. योगविधि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-१(१)=८, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२४४१२.५, ३१-३४४४१-४५).
योगोद्वहनविधि संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७५६१. अनुत्तरोववाईदशांग सूत्र, संपूर्ण, वि. १८९१, मार्गशीर्ष शुक्ल, ३, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. अजयगढ, प्रले. मु. जवानकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४१२.५, १३४३४-३६).
अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंति: तहाणेयव्वं,
__ अध्याय-३३, ग्रं. २०८. २७५६२. अध्यात्मकल्पद्रुम बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८९६, माघ शुक्ल, ११, गुरुवार, जीर्ण, पृ. ९१, ले.स्थल. मांडल,
प्रले. मु. सुंदरसागर (पार्श्वचंद्रसूरिगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अंचलगच्छे. मांडलियाजी प्रसादात्. प्रत में गांडलियाजी प्रसादात् लिखा हुआ है., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२६४१३.५, १०-१३५२५-२७).
अध्यात्मकल्पद्रुम-हिस्सा शांतरस अधिकार का शांतरसवर्णन, मा.गु., गद्य, आदि: अहो भव्य जीवो सदाकाल;
___अंति: आत्मभावना भाववी. २७५६५. बारव्रतपूजा विधि, संपूर्ण, वि. १९१७, चैत्र शुक्ल, ३, शनिवार, जीर्ण, पृ. ११, जैदे., (२६४१४, १३४२४).
१२ व्रत पूजाविधि, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८७, आदि: उच्चैर्गुणैर्यस्य; अंति: (१)जग जस पडह वजायो
रे, (२)टालवा १२४ दीवा करीइं, गाथा-१२४, ग्रं. २२१. २७५६६. चातुर्मासिक व्याख्यान, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२६४१३, १०४३४-३७).
चातुर्मासिक व्याख्यान, मु. शिवनिधान, मा.गु., गद्य, आदि: अर्हतः परया भक्त्या; अंति: (-). २७५६७. नेमिजिन विवाहलो, पूर्ण, वि. १८७२, आश्विन कृष्ण, ७, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १४-१(१)=१३, प्रले. मु. उमेदविजय
(गुरु मु. ज्ञानविजय); पठ. सा. तेजश्री, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२५४१४, १२४२६-२८).
रा
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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नेमिजिन विवाहलो, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८४९, आदि: (-); अंति: कमला झाकझमाला लाल, ढाल - २२, गाथा - १५१, ग्रं. २३४.
२७५६८. नवतत्त्व जीवविचार व विचारषट्त्रिंशिका सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८६९ वैशाख शुक्ल, १, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. २३ - ६ ( ९ से १४ ) = १७, कुल पे. ३ ले. स्थल, गवालेर, प्रले, मु. कस्तुरचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे (२४४१३.५, ४x२८-३५).
१. पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण सह टबार्थ, पृ. १अ - ८आ, संपूर्ण.
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि जीवा अजीवा पुत्रं; अंतिः बोहिक अणिक्काय, गाथा- ४८.
५३
नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व १ अजीवा; अंति: एकसिद्ध अनेकसिद्ध.
२. पे. नाम. जीवविचार प्रकरण सह टबार्थ, पृ. ८आ - १६अ, अपूर्ण, पू. वि. बीच के पत्र नहीं हैं., गाथा २ से ४९ नहीं है. जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा - ५०.
जीवविचार प्रकरण- टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: तीन भवनरै विषै दीवा; अंति: कहता उद्धरियो छई. ३. पे नाम. विचारषट्त्रिंशिका सह टवार्थ, पृ. १६अ - २३अ, संपूर्ण
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउं चउवीस जिणे; अंति: तिन्निवि असंखाय, गाथा- ४२, संपूर्ण. दंडक प्रकरण- टवार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करीने चोवीस अंतिः (-), (पूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., प्रतिलेखक ने अंतिम गाथा का टबार्थ नहीं लिखा है.)
२७५७०. नवपदार्थ चौपाई, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., ( २६४१३.५, १४४४४-४८).
9
नवपदार्थ चौपाई, मा.गु., पद्य, वि. १८५५, आदि: नमु वीर सासण धणी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण., दूसरी ढाल अपूर्ण तक है. )
२७५७४. तत्त्वार्थसूत्र, संपूर्ण, वि. १९०४, कार्तिक शुक्ल, १२, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, ले. स्थल. इंद्रपुरी, प्रले. मु. चंदनकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२५X१४, १२x२९).
तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, वा. उमास्वाति, सं., गद्य, आदि: (१) त्रैकाल्यं द्रव्य, (२) सम्यग्दर्शनज्ञान; अंति: चउगइदुक्खं णिवारेइ, अध्याय- १०, सूत्र - १९८.
२७५७६. एकवीसठाणुं प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८९५, पौष शुक्ल, २, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, ले. स्थल. काश्मीरपुर, प्रले. पं. सुमतिसोम गणि (लघुपोसालगच्छ), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ प्रसादात्., जैदे., (२५.५४१३.५, ४X३५-३८).
एकविंशतिस्थान प्रकरण, आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: चवण विमाणा नयरी जणवा अंति: असेस साहारणा भणिया, गाथा ६६.
एकविंशतिस्थान प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: चवन विमान कहिसुं; अंति: बोल २१ वीवरीने कह्या. २७५८२. (०) सिंदूरप्रकरण सह बालावबोध व कथा, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ६१, पू. वि. दृष्टांतकथा सहित श्लोक ६४ तक है.. प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे. (१६४१४.५, १४-१६४३१-३४).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. सिंदूरकर - बालावबोध+कथा, पा. राजशील, मा.गु. सं., गद्य, आदि: शारदाचरणयुग्ममतीतपाप; अंति: (-),
"
अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
२७५८३. (+) श्रावकपाक्षिक अतिचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २०, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५X१४.५,
७४१८-२२).
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श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दंसणंमि०; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. २७५८७. शारदी नाममाला, संपूर्ण, वि. १८९२ ज्येष्ठ शुक्ल, १२, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २८, ले. स्थल, रांणावस, प्रले. मु. हुकुमा ( गुरु मु. माणकचंद ऋषि); पठ. मु. शोभा, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैदे., (२५x१५, १३x२६-३२).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची लघुनाममाला, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., पद्य, आदि: प्रणम्य परमात्मानं; अंति: कीर्ति० बत नाममाला, कांड-३,
श्लोक-४६१, ग्रं. ५०१. २७६०१. (+) चौवीसदंडक त्रीसद्वार विचार, दशानुवाई व महादंडक गाथा, संपूर्ण, वि. १८७१, कार्तिक शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. २८,
कुल पे. ३, ले.स्थल. धाणेराव, प्रले. ऋ. उग्रचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२३४१४.५, १९-२२४३५-३६). १. पे. नाम. सिद्धांतसारोद्धार ३० बोल, पृ. १अ-२६अ, संपूर्ण, वि. १८७१, कार्तिक शुक्ल, ३, मंगलवार,
ले.स्थल. पोसीनासुडा, पठ. मु. गुमानचंद (गुरु ऋ. उग्रचंद), प्र.ले.पु. सामान्य. २४ दंडक ३० बोल विचार, आ. रूपजीवर्षी, मा.गु., पद्य, आदि: दंडकर लेसार ठिति३; अंति: अजरामर परमानंद
छइ. २. पे. नाम. दशाणुवाइ, पृ. २६अ-२७अ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं.
दसाणुवाइ, मा.गु., गद्य, आदि: जीव समुचय सर्व थोडा; अंति: भणी अधीग्राम मोटउ छइ. ३. पे. नाम. महादंडक अल्पबहुत्व ९८ बोल, पृ. २७अ-२८अ, संपूर्ण, वि. १८७१, कार्तिक शुक्ल, ५, प्रले. ऋ. उग्रचंद,
प्र.ले.पु. सामान्य. प्रज्ञापनासूत्र-बहुवक्तव्यता पद, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: अहभंते सव्व जीवप्प; अंति: बहुवत्तव्वय० समत्तं,
गाथा-९८. २७६०६. मणिरथमदनरेखा रास व मणिप्रभपद्मरथ दृष्टांत, पूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ.८-१(१)=७, कुल पे. २, अन्य.
मोतीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२४१४, १३-१४४३२-३५). १. पे. नाम. मणिरथमदनरेखा रास, पृ. २अ-८अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
___ मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: निवारो भाववडो संसारो, गाथा-१६६, (पू.वि. गाथा १२ तक नहीं है.) २. पे. नाम. मणिप्रभपद्मरथ दृष्टांत, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
____ मा.गु., गद्य, आदि: हिवै तिहां चऊनाणी; अंति: पूर्वभवनो सनेह छेई. २७६२४. (+) उपदेशरसाल सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२३४१३, ७-१२४२८-३२).
सूक्तमाला, मु. केशरविमल, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७५४, आदि: सकलसुकृतवल्लिवृंद; अंति: (-). सूक्तमाला-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: सकलि पुण्य रूप वेली; अंति: (-), (पू.वि. क्रोधादि दृष्टान्त की
___गाथा ४९ से ५३ का बालावबोध नहीं है.) २७६२६. सामुद्रिकलक्षण सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४६, जैदे., (२२.५४१३.५, १२-१३४२४-२६).
सामुद्रिकशास्त्र, सं., पद्य, आदि: आदिदेवं प्रणम्यादौ; अंति: कलह वांछति शंखिनी, अध्याय-३६, श्लोक-२६६.
सामुद्रिकशास्त्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: आदिदेव प्रते प्रथम; अंति: पुत्र सुख संपदा पामै. २७६२९. प्रतिष्ठा विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, जैदे., (२२४१३.५, १२-१५४२१-२८).
प्रतिष्ठा विधि, सं.,मा.गु., गद्य, आदि: हिवे पूर्वोक्त भला; अंति: रात्रि जागरण करे. २७६४०. नवकार रास, संपूर्ण, वि. १९६२, आषाढ़ कृष्ण, ५, श्रेष्ठ, पृ. ५, ले.स्थल. पादरा, गु., (२१.५४१३, १०-११४२३-२४).
नमस्कार महांत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिनी द्यो; अंति: रास भणु श्रीनवकारनो, गाथा-२५. २७६४२. (+) अढारपापस्थानक सज्झाय, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२१.५४१२.५, १२४२२-२८). १८ पापस्थानक निवारण सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पापथानक पहिलू का; अंति:
(-), (पू.वि. सज्झाय १६ की गाथा ६ अपूर्ण तक है.) २७६४४. (+) नवस्मरण, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे.,
(२१४१३,८-१०x१७-२२).
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नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं० हवाइ अंति: ( ), ( पू. वि. १. नवकार २. उवसग्गहरं स्तोत्र - गा. ५. ३. संतिकरं स्तोत्र गा. १३. ४. भयहर स्तोत्र गा. २४ व ५. अजितशांति - गा. १२ तक है.)
२७६४९. (+) तिलोकसुंदरी रास, संपूर्ण, वि. १९४२, ज्येष्ठ अधिकमास कृष्ण, ९ अधिकतिथि, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्र. वि. टिप्पणयुक्त विशेष पाठ, जैदे., (२३४१०, १३x२५-३१).
त्रैलोक्यसुंदरी रास, क्र. सबलदास, मा.गु., पद्य, वि. १८५२, आदि: विहरमान वीसे नमुं; अंति: जिण घर लील विलासो रे, ढाल - १२.
२७६५१. अनुभवसिद्ध मंत्रद्वात्रिंशिका, संपूर्ण, वि. २१वी श्रेष्ठ, पृ. १०, वे. (२१.५x१३, १२x२४-२७).
अनुभवसिद्धमंत्रद्वात्रिंशिका, आ. भद्रगुप्तसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: नित्यं विभावयेत्, अधिकार-५, (पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., प्रतिलेखक ने प्रारंभिक श्लोक १ से ८ नहीं लिखा है.) २७६५५. दानशीलतपभावना चौढालियो, संपूर्ण, वि. १८७५, वैशाख कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. ८, प्रले. मु. हुकमचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२३४१२.५, १२-१४x२० - २५).
५५
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति: समृद्धि सुप्रसादो रे, ढाल -५, गाथा-१०१.
२७६५६. दशवैकालीकसूत्र, संपूर्ण, वि. २००९, आश्विन शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. १३, ले. स्थल. नागोर, प्रले. भंवरलाल वनमाली, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२४x१२.५, २०-२१x४५-४६).
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. २वी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: मुच्चइ त्ति बेमि अध्ययन - १० चूलिका २, गाथा- ७००.
२७६५८. (+) श्रीपाल रास, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पु. ११७. प्र. वि. विभिन्न कारणों से प्रतिलेखक ने अनेक स्थानों पर छोड़-छोड़कर लिखा है, टिप्पण युक्त विशेष पाठ, वे. (२४४१२.५, ६-७२३-३१).
श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: कल्पवेल कवियण तणी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., खंड ३ ढाल ६, गा. ३ तक है. कुलगा. ७६६ तक है.) २७६६० (+) चैत्यवंदनचौवीसी व सामान्यजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे २, प्रले, मु. उमेदविजय (गुरु मु. ज्ञानविजय); पठ. सा. तेजश्री, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२३४१२.५, १२x२४-२५).
१. पे नाम. चैत्यवंदनचीवीसी, पृ. १अ ५आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम जिनेसर ऋषभदेव; अंति: पर्व दीपोत्सव होत, २. पे नाम दीक्षातपगर्भित जिन स्तुति, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण,
जिन चैत्यवंदन - दीक्षातपगभिंत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुमतिनाथ एकासणु; अंति: पाम्या शिवसुखसार, गाथा - १२.
गाथा - २४.
२७६६३. (+) सिंदूर प्रकरण सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १७८८, माघ शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. २२, ले. स्थल सीरोही,
प्रले. मु. सौभाग्यसागर (गुरु ग. गुलालसागर), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीजीरावलापार्श्वनाथ प्रसादात्.. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें. जैवे. (२३४११.५, ४४३५ -४२).
-
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंतिः सूक्तमुक्तावलीयम्, श्लोक ९९. सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि केहवो छई नखद्युतिभर; अंति आ वर्णी श्रेणी छड़.
२७६६४. (+) चौवीस दंडकगर्भित वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२१.५X११.५,
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१०- ११x२७-३०).
महावीरजिन स्तवन- २४ दंडकगर्भित, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी सरसति भगवती; अंति: पद्मविजय गुण गाय, ढाल - ६, गाथा - ८९.
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५६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७६६६. गौतमस्वामी रास, संपूर्ण, वि. १९०८, श्रेष्ठ, पृ. ८, प्रले. जेठमल ब्राह्मण, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२४११.५, ९४२९-३८). गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति:
मंगलिकमाला विस्तरे ए, गाथा-९१. २७६६७. बार भावना वेली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, प्रले. मु. डुंगरजी, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२२४११.५, ९-१०४३०-३२). १२ भावना सज्झाय, उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पासजिणेसर पाय नमी सह; अंति: भणी
जेसलमेर मझार, ढाल-१३, गाथा-१२८. २७६६८. उपाशकदशांगसूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९७९, माघ शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. ५१-५(१ से ५)=४६, पू.वि. प्रथम
अध्ययन का प्रारंभिक अंश नहीं है., ले.स्थल. नागोर, प्रले. ऋद्धिकरण जोशी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११.५, ७४४७-५२). उपासकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदिः (-); अंति: दिवसेसु अंगं तहेव, अध्याय-१०,
ग्रं. ८१२.
उपासकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: दशमु अध्ययन संपूर्ण. २७६७२. पुरुषस्त्री लक्षण, पूर्ण, वि. १८९३, आषाढ़ अधिकमास शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. १३-१(१)=१२, जैदे., (२४४११.५, १०४२१-२३). पुरुषस्त्री लक्षण, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: रमयंति चित्रणी, अध्याय-३६, श्लोक-२७१, (पू.वि. श्लोक १-१०
नहीं है.) २७६७३. (+) नवतत्त्व सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८१३, पौष शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. मु. अजबचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ., जैदे., (२३४११.५, ५४३३-३५).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: बुद्धबोहिक्कणिक्काय, गाथा-५०, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
___ अपूर्ण., गाथा-१६ तक ही टबार्थ लिखा गया है.) २७६७६. (#) पाक्षिकसूत्र व खामणा, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ९, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे.,
(२३.५४११.५, १५४३१-३६). १. पे. नाम. पाक्षिकसूत्र, पृ. १अ-८आ, संपूर्ण.
हिस्सा, प्रा., प+ग., आदि: तित्थंकरे य तित्थे; अंति: जेसिसयसायरे भत्ति. २. पे. नाम. पाक्षिकक्षामणासूत्र, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
पाक्षिकखामणा, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: पियं च मेज भे; अंति: नित्थारग पारगा होह, आलाप-४. २७६७९. लघुदंडक व नवतत्त्व विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. २, ले.स्थल. बिकानेर, जैदे., (२४४१२,
१८४४४-४७). १.पे. नाम. २४ दंडक २७ विचार-जीवाभिगमसूत्रे, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण. जीवाभिगमसूत्र-२४ दंडक २७ द्वार विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: शरीर अवगाहणा संघेण; अंति: चारित्र
अनंतशक्ति. २. पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण विचार, पृ. ४अ-७अ, संपूर्ण.
नवतत्त्व प्रकरण-विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: अजीव तप का थाय. २७६८०. पिस्तालीस आगम पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. जामला, जैदे., (२३४१२.५, ९४३१-३८).
८ प्रकारी पूजा-पिस्तालीसआगमगर्भित, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८१, आदि: श्रीशंखेश्वर पासजी;
अंति: संघने तिलक करायो रे. २७६८३. नवस्मरण व लघुशांति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १९, कुल पे. २, जैदे., (२३४१२, १०-११४२६-२८).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १. पे. नाम. नवस्मरण, पृ. १अ-१७आ, संपूर्ण. मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहताण० हवइ; अंति: जैनं जयति शासनम्, (प्रतिपूर्ण,
पू.वि. कल्याणमंदिर स्तोत्र नहीं दिया गया है.) २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १७आ-१९अ, संपूर्ण.
__आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांतं; अंति: जैनं जयति शासनम्, श्लोक-१९. २७६८६. (#) उत्तराध्ययनसूत्र, संपूर्ण, वि. १९८५, आषाढ़ कृष्ण, श्रेष्ठ, पृ. ४२, प्र.वि. अन्तिम पत्र के नीचे का दाहिना कोना
खंडित होने के कारण प्रतिलेखन पुष्पिका की सूचना अनुपलब्ध है., मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२३४१२.५, १५४५६-६०).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: त्ति बेमि, अध्ययन-३६. २७६८७. यशोधर चरित्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, दे., (२४४१२, १४४३७-३९).
यशोधर चरित्र, वा. क्षमाकल्याण, सं., गद्य, वि. १८३९, आदि: सकलसुरनरेंद्रश्रेणि; अंति: (-), अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २७६८९. विचारषविंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०२, श्रेष्ठ, पृ. ७, ले.स्थल. राणावस, प्रले. ऋ. हुकमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४१२, ५४३१-३२). दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४६,
(वि. १९०२, आषाढ़ शुक्ल, १०, सोमवार) दंडक प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: नमि० नत्वा चउविस; अंति: आपणा जीवनइ हितकारिणी,
(वि. १९०२, आषाढ़ शुक्ल, १३, गुरुवार) २७६९१. (+) अनुत्तरोववाईदशांग सूत्र सह टबार्थव मुहपत्ति बोल, संपूर्ण, वि. १८२८-१८३३, श्रेष्ठ, पृ. २२, कुल पे. २,
ले.स्थल. कोटारामपूर, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, (१४) जलाद्रक्षेत् तैलाद्रक्षेत्, जैदे., (२४४१२, ४-८४३३-३७). १. पे. नाम. अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र सह टबार्थ, पृ. १अ-२२आ, संपूर्ण. अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदि: तेणं कालेणं० नवमस्स; अंति: जहा धम्मकहा
णेयव्वा, अध्याय-३३, ग्रं. १९७, (संपूर्ण, वि. १८२८, फाल्गुन शुक्ल, १२) अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ते कालने विषेते; अंति: (-), (अपूर्ण, वि. १८३३,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., क्रमशः टबार्थ नहीं लिखा है, यत्र-तत्र ही टबार्थ मिलता है.) २. पे. नाम. मुहपत्ति के पच्चास बोल, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: षट्कायनी रक्षा करु. २७६९७. (+) भावना द्वार, पूर्ण, वि. १९७४, वैशाख शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. १८-१(१)=१७, ले.स्थल. फलोधीनगर, प्रले. मु. लाभचंद (गुरु पं. कोजूलाल), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४४१२, १३४३३-३६).
भावना द्वार, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: भगवान विराजमान छे. २७६९९. भक्तामर स्तोत्र रागमाला व पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८३५, श्रावण कृष्ण, ८, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २,
ले.स्थल. राजनगर, प्रले. पं. राजरत्न (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२४११.५, १६-१७४३७-३८). १. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र का पद्यानुवाद, पृ. १अ-५आ, संपूर्ण. भक्तामर स्तोत्र-भाषानुवाद, मु. देवविजय, पुहिं., पद्य, वि. १७३०, आदि: भक्त अमरगण प्रणत; अंति: देवविजय०
सब सुखकार, स्तवन-४४. २. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, प्र. ५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वरमंडन, मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु पूजो पासजिनंदा; अंति: तुम तूठइ परमानंदा,
गाथा-५.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २७७०३. स्नात्र पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले.स्थल. जामला, प्रले. श्राव. सांकलचंद हरजीवन, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४१२, ९४२८-३३).
स्नात्रपूजा विधिसहित, पं. वीरविजय, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: सरसशांति सुधारस सागर; अंति: जय० घर घर हर्ष
वधाई.
२७७०६. ऋषिमंडल पूजा, आम्नाय विधि आदि संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २३-१(१)=२२, कुल पे. ४, प्र.वि. कुल
ग्रं. ४५०, जैदे., (२४४१३, १०४२७-३०). १.पे. नाम. ऋषिमंडल पूजाविधि, पृ. २अ-१९अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. ऋषिमंडल स्तोत्र पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: महती नंदी गुणादिनि, ग्रं. ३८०, (पू.वि. श्लोक १
से ७ नहीं है.) २. पे. नाम. ऋषिमंडल स्तव यंत्र, पृ. १९आ-२१आ, संपूर्ण. ऋषिमंडल स्तोत्र-यंत्रलेखन विधि, संबद्ध, आ. सिंहतिलकसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीवर्द्धमानमीशं; अंति:
जिनबीजस्य बीजकम्, श्लोक-३६. ३. पे. नाम. ऋषिमंडल स्तवनाम्नाय, पृ. २१आ-२२आ, संपूर्ण.
ऋषिमंडल स्तोत्र-आम्नाय, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रां हिँ हुँ; अंति: दर्शनादेशश्च भवति. ४. पे. नाम. ऋषिमंडल पूजाविधि, पृ. २२आ-२३अ, संपूर्ण.
ऋषिमंडल स्तोत्र-पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रां अ० ॐ ह्रीं; अंति: अणिमा सिद्धये स्वाहा. २७७११. चंदराजागुणावली पत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२४४१२, १५-१८x२५-३०).
चंदराजागुणावलि पत्र, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीमारुदेवी; अंति: सद्गुरु फलसे आस रे,
ढाल-२, गाथा-१०२. २७७१२. (+) भुवनदीपक, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३७-९(१ से ९)=२८, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२२४१२, ५४१७).
भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३पू, आदि: (-); अंति: श्रीपद्मप्रभुसूरिभिः, श्लोक-१७६,
(पू.वि. श्लोक १ से ४० नहीं हैं.) २७७१४. (#) बार भावना वेली व अरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २, पठ. श्रावि. मानुबाई,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४४१२, ११४३१-३४). १.पे. नाम. १२ भावना सज्झाय, पृ. १अ-८अ, संपूर्ण, वि. १८०६, माघ कृष्ण, ३, मंगलवार. उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पासजिनेश्वर पाय नमी; अंति: भणी जेसलमेर मझार, ढाल-१३,
गाथा-१२८, ग्रं. २००. २.पे. नाम. अरजिन स्तवन, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण, पठ. श्रावि. मानुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य.
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: अढारमा साहिब हो कीधी; अंति: सिवपुर सुख घणा, गाथा-८. २७७१५. (+) आर्यवसुधारा, संपूर्ण, वि. १९६४, आषाढ़ शुक्ल, १, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले.स्थल. राणावस, प्रले. मु. अनोपचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२३.५४१२, १३४३२-३३).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: संसारद्वयदैन्यस्य; अंति: मभ्यनंदन्निति. २७७१६. (+) पार्श्वजिन स्तोत्र व चैत्यवंदन चौवीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, प्रले. मु. रंगविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३४१२, १३४२८). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन अष्टक-कलिकुंड, मु. कल्याण, सं., पद्य, आदि: विबुधाधिराजै तपाद; अंति: विलसत्यवश्यं, श्लोक-९. २. पे. नाम. चैत्यवंदनचौवीसी, पृ. १आ-५आ, संपूर्ण..
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: आदिदेव अरिहंत नमु; अंति: बहु जीव पाम्या पार, चैत्यवंदन-२४. २७७१७. बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२४४१२, १२-१३४२४-२७).
३५ बोल, मा.गु., गद्य, आदि: पहले बोले गति चार; अंति: वचनसंजमे कायसंजमे.
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५.
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २७७२३. ईलाकुमार रास व संतिकरं स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८१६, वैशाख कृष्ण, १२, सोमवार, मध्यम, पृ.८, कुल पे. २,
प्रले. मु. ईश्वरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४१२, १६४३५-३६). १. पे. नाम. इलाकुमारऋषि रास, पृ. १अ-८अ, संपूर्ण. इलाचीकुमार चौपाई, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७१९, आदि: सकल सिद्धिदाइ सदा; अंति: भावतणा गुण
एहवा जाणी, ढाल-१६, गाथा-१८७, ग्रं. २९९. २. पे. नाम. संतिकरं स्तोत्र, पृ. ८आ, संपूर्ण.
__ आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: संतिकरं संतिजिणं; अंति: स लहइ सुह संपयं परमं, गाथा-१३. २७७२५. धर्मपुण्यपाप भेद, संपूर्ण, वि. १८८६, वैशाख शुक्ल, २, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ६, ले.स्थल. सोझत, प्र.वि. द्विपाठ., जैदे., (२३४११.५, १०-११४३१-३४).
धर्म पुण्यपाप भेद, मा.गु., गद्य, आदि: राग द्वेष मोह रहित; अंति: संखेपे लख्यो छइ. २७७३६. (+) कल्पसूत्र-स्थविरावली अष्टम व्याख्यान सह टीका, संपूर्ण, वि. १९३३, श्रावण शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. २५,
पठ. मु. पूनमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४११.५, १३४२९-३०).
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण.
कल्पसूत्र-टीका*, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २७७४०. (+) ज्योतिषसार व ज्योतिष श्लोक, पूर्ण, वि. १८२३, कार्तिक कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. ३७-१(७)=३६, कुल पे. २,
प्रले. मु. केसरकुशल (गुरु पं. रत्नकुशल), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, जैदे., (२३४१२, ७-८x२३-३३). १. पे. नाम. ज्योतिषसार, पृ. १अ-३७अ, पूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है. आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीअर्हतजिनं नत्वा; अंति: कुसल चउत्थं ठामि, श्लोक-४०९, (पू.वि. श्लोक ४१
अपूर्ण से ४९ तक नहीं है.) २. पे. नाम. ज्योतिषश्लोक, पृ. ३७आ, संपूर्ण.
ज्योतिष श्लोकसंग्रह, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७७४१. नवतत्त्व बालावबोध, पूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २३-१(४)=२२, प्रले. क्र. गोपालजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११.५, ११-१३४२८-३२).
नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: पहेलो जीवतत्त्व बीजो; अंति: अजीवनै मिश्र कहिये. २७७४४. (+) वीरजिन व नेमिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, प्रले. सा. गुणश्रीजी, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४११.५, १३४३३-३९). १. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन-सत्यावीसभवगर्भित, पृ. १अ-५अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-२७ भवगर्भित, मु. हंसराज, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: सरसति भगवति दिओ मति;
अंति: कहइ धन्य ए मुज गुरू, ढाल-१०, गाथा-९०. २. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. उत्तमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: कहु कहु नेमिनइ सही; अंति: वंछि अधिक जगीस रे, गाथा-११. २७७४९. चंपकसेन रास, अपूर्ण, वि. १९३६, रसरामनिधिभू, आश्विन शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. १८-८(१ से ६,८ से ९)=१०,
ले.स्थल. चारु, प्रले. श्राव. नेमीचंद मेहता; पठ. श्राव. नेमांदु; प्रले. मु. कनिराम, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. मूल पाठ के साथ ही प्रतिलेखक द्वारा दो गाथाओं में कलश दिया गया है, किन्तु यह मूल कृति का अंश नहीं है. मुनि रंगलालजी की निश्रा में प्रत लिखी गयी है., दे., (२२४११.५, १५४३७-४०). चंपकसेन रास, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १६६९, आदिः (-); अंति: वरते मंगलमाल, ढाल-२७,
(पू.वि. ढाल-१०, दूहा-४ तक नहीं हैं.)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२७७५४. साधुपाक्षिक अतिचार व सवैया, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, प्रले. मु. खुशालविजय; पठ. मदलरुच, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२३४११, ९४२५-२७).
१. पे. नाम. साधु अतिचार प्रतिक्रमण, पृ. १अ - ५आ, संपूर्ण.
आवश्यक सूत्र - साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का साधु पाक्षिक अतिचार, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणम्मि सम्मिo; अंति: अनेरो जे कोई अतिचार.
२. पे. नाम. आध्यात्मिक सवैया, पृ. ५आ, संपूर्ण.
सवैया संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२७७५५. (+) आषाढभूति रास, संपूर्ण, वि. १८६६, फाल्गुन कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १६, ले. स्थल. पांडवनगर, प्रले. मु. देवेंद्र विजय (गुरु मु. केशरविजय, आणंदसूरिगच्छ ), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीकुंथुजिन प्रसादात्., संशोधित, जैये. (२३x११, १२- १३x२१-२४).
आषाढाभूति चौपाई, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७२४, आदि: सकल सिद्धि समृद्धिका अंति होजो परम कल्याणो रे ढाल १६ गाथा २९८ ग्रं. ३५१.
२७७५६. शत्रुंजय रास, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ११, जैवे. (२२x११, ९४२०-२२ ).
19
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"
शत्रुंजयतीर्थ रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८२, आदि: श्रीरिसहेसर पाय नमी; अंति: ए सुणतां
आणंद थाय, ढाल - ६, गाथा - ११०.
२७७६०. खुमाणसिंघ रास, संपूर्ण, वि. १८१०, कार्तिक शुक्ल, ६, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३०, ले. स्थल. घेमली, जैदे., (२४.५x११.५, १३ - १५X३२-३४).
खुमाणसिंघ रास, ग. दोलतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरासुर सामणी; अंति: दुतीअ छै दिवाण. २७७६३. चौवीसदंडक द्वार विचार, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १६ - १ ( १ ) = १५, जैदे., ( २४x११.५, ११-१५X४०-४३). २४ दंडक विचार, मा.गु., गद्य, आदि: ( - ); अंति: ( - ), ( पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., १
४ द्वार नहीं है. )
२७७६५. (+) कल्याणमंदिर स्तोत्र सह टीका, संपूर्ण, वि. १७४६, मार्गशीर्ष कृष्ण, ८, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १७, ले. स्थल. पाडीव, प्रले. उपा. दानविजय गणि पठ. मु. दर्शनविजय (गुरु उपा. दानविजय गणि), प्र. ले. पु. सामान्य,
प्र.वि. त्रिपाठ-संशोधित. कुल ग्रं. ७२७, जैदे., ( २४४११, १-३X३६-४१).
कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंतिः मोक्षं प्रपद्यंते,
श्लोक-४४, पं. ७७.
कल्याणमंदिर स्तोत्र- टीका, मु. कनककुशल, सं., गद्य, वि. १६५२, आदि: (१) प्रणम्य पार्श्व, (२) कल्या० यस्य० इत्यनयो; अंति: श्लोकानामिह मंगलम्, ग्रं. ६५०.
२७७६६. औपदेशिक श्लोक संग्रह सह अर्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, जैदे., ( २३x११.५, ९-१०x२२-२५). औपदेशिक लोक संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि (-); अंति: (-).
-
औपदेशिक लोक संग्रह- अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-),
२७७७४. (+) स्तवनचौवीसी, संपूर्ण, वि. १९२६, माघ शुक्ल, ७ अधिकतिथि, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १२, ले. स्थल. जेपुर, प्रले. मल्ल व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२२x११, ११X३०-३१). स्तवनचौवीसी, आव. विनयचंद्र कुमट, मा.गु., पद्य, वि. १९०६, आदि: श्रीआदिश्वर सामी हो; अंतिः महास्तुत पुरण करी, स्तवन- २४. २७७७६ (+) अभिधानचिंतामणी नाममाला कांड १ से २, संपूर्ण, वि. १७४६, श्रेष्ठ, पृ. ११, प्रले. उपा. दानविजय गणि; पठ. मु. दर्शनविजय (गुरु उपा. दानविजय गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे. (२४४१०.५, १३- १५४३९-४६).
"
"
अभिधानचिंतामणि नाममाला, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्म, वि. १३वी आदि प्रणिपत्यार्हतः; अंति: (-), प्रतिपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
६१ २७७८४. आबूतीर्थ, पार्श्वजिन व अजितजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १८६६, फाल्गुन शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. १७-९(१ से ९)=८, कुल
पे. ३, ले.स्थल. जावाल, प्रले. पं. उत्तमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशान्तिनाथजी प्रसादात्., जैदे., (२२.५४११, १०x१५-१६). १. पे. नाम. आबुतीर्थ स्तवन, पृ. १०अ-१३आ, संपूर्ण. अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, वा. प्रेमचंद, मा.गु., पद्य, वि. १७७९, आदि: आबु शिखर सोहामणो जिह; अंति: भावसु
पामे परमानंद, गाथा-३४. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १३आ-१६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामण विनमु; अंति: वणीयो नवलख वाग, गाथा-२६. ३. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अजित जिणंदस्यु प्रीत; अंति: नित नित गुण गाय के, गाथा-५. २७७८६. पार्श्वजिन श्लोक, संपूर्ण, वि. १९४३, आश्विन शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ५, जैदे., (२४४११, १०४३०-३१).
पार्श्वजिन सलोको, श्राव. जोरावरमल पंचोली, रा., पद्य, वि. १८५१, आदि: प्रणमुं परमातम अविचल; अंति:
चवदे राज रो अंतरजामी, गाथा-५६. २७७८८. (+) पंचमीतिथि स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८६६, फाल्गुन शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. ३, ले.स्थल. जांवाल,
प्रले. श्राव. खुसालचंद; पठ. श्राव. उत्तमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२२.५४११, १०-१२४१९-२०). १. पे. नाम. सौभाग्यपंचमीपर्व स्तवन, पृ. १आ-६अ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीय पासजिनेसर; अंति: गुणविजय रंगे भण्यो,
ढाल-६, गाथा-४९. २. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तवन, पृ. ६अ-९अ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन-बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरुपाय; अंति:
भगति भाव प्रशंसीयो, ढाल-३, गाथा-२१. ३. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन-लघु, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीतप तुमे करो रे; अंति: ज्ञाननो पंचमो
भेद रे, गाथा-५. २७८०३. (+) शत्रुजय रास, संपूर्ण, वि. १८४२, माघ शुक्ल, ११, सोमवार, मध्यम, पृ. ८, ले.स्थल. सिहोर, पठ. ग. हेमविजय; प्रले. ग. ऋद्धिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३४११, १४४२८-३२). शत्रुजयतीर्थउद्धार रास, मु. नयसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: विमल गिरिवर विमल; अंति: देही दरीसण जय
करूं, ढाल-१२, गाथा-१२१, ग्रं. १७०. २७८०६. गौतमस्वामी रास, संपूर्ण, वि. १८६६-१८७४, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २, जैदे., (२२४११, ९-११४२३-२५). १. पे. नाम. गोतम रासो, पृ. १अ-८आ, संपूर्ण, वि. १८६६, कार्तिक कृष्ण, १४, प्रले. मु. गुमानविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति:
विजयभद्र० इम भणे ए, गाथा-८३. २. पे. नाम. दूहो, पृ. ८आ, संपूर्ण, वि. १८७४, आश्विन शुक्ल, ८.
जैनदुहा संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. दूहो-१.) २७८०९. (+) भाष्यत्रय, संपूर्ण, वि. १८४४, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. साडेरा, प्रले. म. लालचंद (गुरु ग. नित्यसागर), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशान्तिनाथजी प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२३.५४११, १३-१४४२९-३३). भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे; अंति: सासयसुक्खं अणाबाहं, भाष्य-३, गाथा-१५२,
(वि. चैत्यवंदन भाष्य- गाथा ६३. गुरुवंदन भाष्य- गाथा ४१. प्रत्याख्यान भाष्य- गाथा ४८.) २७८२२. पासाकेवली भाषा, संपूर्ण, वि. १९०९, श्रेष्ठ, पृ. २०, जैदे., (२२४११, ७-८x१८-२९).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पाशाकेवली, मु. गर्ग ऋषि, सं., पद्य, आदि: (१) ॐ नमो भगवती, (२) महादेवं नमस्कृत्य; अंतिः जीमणी भुजा तील छै.
२७८२९. (+) सिंदूर प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८८०, पौष कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. १२, ले. स्थल. आनंदपूर, प्रले. सा. चंपा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४X१०.५, ७x४१-४६).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: सूक्तमुक्तावलीयम्, श्लोक - १०७, संपूर्ण. सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सिंदूरनो समूह तपरूपी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., जिनमत प्रकर के श्लोक ४ अपूर्ण तक टवार्थ है.)
२०८३४. आराधना चौपाई, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, जैवे.
(२४४१०.५, १३x४०-४२ ).
,
=
आराधना चौपाई, ग. गुणरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणंद तणां चरण; अंति: छोडि बंधण भवतणा, गाथा - १०४. २७८३६. (*) जंबूअध्ययन सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८००, ज्येष्ठ कृष्ण, ५, श्रेष्ठ, पृ. ४७-१४ (१ से १४) ३३, ले. स्थल. जालोर, प्रले. ग. हरिरुचि (गुरु ग. सुजाणरुचि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टंट, जये. (२४४१०.५, ६४३९-४८).
जंबू अध्ययन प्रकीर्णक, ग. पद्मसुंदर, प्रा., गद्य, आदि (-); अंति से आराहगा भणिया, उद्देशक- २१. जंबू अध्ययन प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि (-); अंति: ते आराधक जीव कथा.
२७८५५. अभिधानचिंतामणी नाममाला-कांड २, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १८, प्र. वि. लिखावट से प्रतीत होता है कि दो प्रतिलेखकों के द्वारा प्रत लिखी गयी है., कुल ग्रं. श्लोक२५०., जैदे., ( २३x१०.५, ९-१०X२४-२७).
अभिधानचिंतामणि नाममाला, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १३वी, आदि: (-); अंति: ( - ), प्रतिपूर्ण.
२७८६२. (+) सामुद्रिकशास्त्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८७०, चैत्र कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. १८, ले. स्थल. शीघ्रीलीपुर, प्रले. भैरवास जोसी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जीवे. (२३.५x१०.५, १२-१३४३५-४१).
"
सामुद्रिकशास्त्र, सं., पद्य, आदि: ( १ ) उक्तं सामुद्रकशास्त्, (२) आदिदेवं प्रणम्यादौ; अंतिः वृद्धिं भवेद्यत,
अध्याय-३६, श्लोक - २७१.
सामुद्रिकशास्त्र - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: सामुद्रकशास्त्र जोइन; अंतिः वश बाधइ लक्ष्मी बाधइ. २७८६४. माधवानलकामकुंदला चौपाई, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १५, प्रले. पं. हस्तिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२३.५x१०.५, १६५४२-५१).
माधवानल चौपाई, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, वि. १६१६, आदि: देवि सरसति देवि; अंतिः भले सुख पामे संसार, गाथा - ५५९.
२७८६५. (+) देवसीप्रतिक्रमणसूत्र विधिसहित, अपूर्ण, वि. १८८०, मध्यम, पृ. २४-९ ( ८ से १४,२० से २१) =१५, पू.वि. बीच-बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., ले. स्थल. जोधपुर, प्रले. प्रतापचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२३.५X१०.५, ८- ९x१९ - २५ ) .
देवसिप्रतिक्रमणसूत्र -तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: (-).
२७८६८. संग्रहणीसूत्र सह टबार्थ, पूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३८, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा २७९ अपूर्ण तक है., जैदे., (२३.५x१०.५, ४३७-४३).
बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि नमिठं अरिहंताई ठिइ अंति: (-),
बृहत्संग्रहणी-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: नमस्कार करी अरिहंतने; अंति: (-).
२७८७०. नवतत्त्व प्रकरण सह टबार्थ व बालमरण प्रकार, संपूर्ण, वि. १७३२, कार्तिक शुक्ल, १०, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. २, राज्ये आ. जिनवर्द्धमानसूरि (खरतरगच्छ ); प्रले. मु. गुणानंद; पठ. श्रावि. प्रेमबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४X१०.५, ४x२६-२९).
१. पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण सह टबार्थ, पृ. १अ - ८आ, संपूर्ण.
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: बोहिय इक्कणिक्काय, गाथा-४४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: देवनइ वारइ सिद्ध १५. २. पे. नाम. बालमरण के १२ प्रकार, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: वलयमरणे १ वसवमरणे; अंति: गिद्धपढेइवा मरण १२. २७८७६. विविध विचार संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २१६-१(१)+१(२)=२१६, प्र.वि. उदाहृत विविध यन्त्रों सहित. उल्लिखित विचारो का सूचिपत्र अलग से दिया गया है., जैदे., (२४४१०.५, १५-१६४३७-४६).
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २७८७८. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९१६, पौष कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. राश, प्रले. पं. पुण्यसुंदर गणि (कवलगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२.५४१०, ७४२०-२३).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २७८८२. (+) जातकपद्धति सह सुबोधा वृत्ति, संपूर्ण, वि. १७२०, वैशाख शुक्ल, ११, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ५१, ले.स्थल. सिरोही,
प्रले. मु. खीमराज (गुरु आ. विजयराजसूरि); राज्यकाल रा. अक्षयराज, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३४१०.५, १५४४६-४७).
जातककर्म पद्धति, श्रीपति भट्ट, सं., पद्य, आदि: नत्वा तां श्रुतदेवता; अंति: नाढ्य याहि द्विसत्या, अध्याय-८. जातककर्म पद्धति-सुबोधिनी वृत्ति, ग. सुमतिहर्ष, सं., गद्य, वि. १६७३, आदि: श्रीअश्वसेनिचलनांबुज; अंति: शुभ्रे
षष्टी दिने. २७८८६. (+) दीपावलीकल्प सहटबार्थ, संपूर्ण, वि. १८२८, श्रेष्ठ, पृ. १५, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४४१०.५, ६४३९-४१). दीपावलीपर्व कल्प, प्रा.,सं., प+ग., आदि: उप्पायविगमधुवमयमसेस; अंति: सोहियव्वो सुयहरेहिं, गाथा-१३७,
(वि. १८२८, वैशाख शुक्ल, १३, शुक्रवार) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, ग. ऋद्धिविजय, मा.गु., गद्य, आदि: उपजै १ विनाशया मैं; अंति: शास्त्रना धरणहार,
(वि. १८२८, वैशाख शुक्ल, २, शनिवार) २७८९२. (+#) मानतुंगमानवती रास, संपूर्ण, वि. १७९१, ज्येष्ठ शुक्ल, १५, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ६०, ले.स्थल. छणीयार,
प्रले. मु. संघविमल (गुरु ग. राजविमल, कतुपुरागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संभवनाथ प्रसादात्., संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४४१०.५, १२-१३४२९-३०). मानतुंग-मानवती रास-मृषावादविरमण अधिकारे, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६०, आदि:
ऋषभजिणंद पदांबुजे; अंति: होजो घरघर मंगलमाल हे, ढाल-४७, गाथा-१०१५. २७९०१. सिद्धद्वार विचार, संपूर्ण, वि. १८३१, माघ शुक्ल, १२, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. रयण(बीकानेर), प्रले. ऋ. न्याय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२१x१०.५, १८-२०४४२-४८).
सिद्धद्वार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: अणंतर सीज्झणा द्वार; अंति: सूता सीझे ते संख्या. २७९०९. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९५०, पौष शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. १४, जैदे., (२०.५४१०, ५४२०-२२).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २७९२५. पंचतीर्थजिन, मंगल स्तुति व सुभाषित श्लोक संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३०-२१(१ से २१)=९, कुल
पे. ५, प्र.वि. सभी स्तुतियों का श्लोकानुक्रम क्रमशः दिया गया है. पत्र २२ से पत्रानुक्रम दिया गया है., जैदे., (२२४१०.५, ९४३१-३२). १.पे. नाम, पंचतीर्थजिन स्तति. प. २२आ-२५आ. संपर्ण.
सं., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीसदनं; अंति: वर्द्धमानं नतोस्मि, श्लोक-३०. २. पे. नाम. मांगलिक स्तुति, पृ. २६अ-२७आ, संपूर्ण.
मंगल स्तुति, सं., पद्य, आदि: ऋषभाद्याः वर्द्धमान; अंति: किं किं न लब्धं मया, श्लोक-२५. ३. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह, पृ. २८अ-३०अ, संपूर्ण.
जैन सुभाषित*, सं., पद्य, आदि: चंपांगे च पुलिंग; अंति: समाजगात् स्वयंवरस्थं, श्लोक-२१.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४. पे. नाम. औपदेशिक सवैया संग्रह, पृ. ३०अ-३०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सवैया, क. गंग, पुहि., पद्य, आदि: जो तेरी देह सनेह की; अंति: काठ के पाठ लगे छतिया, सवैया-६. ५. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह, पृ. ३०आ, संपूर्ण, वि. १८७२, ज्येष्ठ शुक्ल, १२.
औपदेशिक श्लोक संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: किं लक्ष्मी गजवाज; अंति: नव गोप्यानि कारयेत्, श्लोक-३,
ग्रं. ५६८. २७९३७. नंद्यावर्तलेखनादिविधि-आचारदिनकरे, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है। शिरोरेखारहित लिपि., जैदे., (२०.५४१०).
आचारदिनकर-बृहन्नंद्यावर्तपूजन, हिस्सा, आ. वर्द्धमानसूरि, सं., गद्य, आदि: ओं नमोर्हद्भ्यः; अंति: प्रत्येकं वेष्ठनं. २७९३८. प्रतिष्ठाकल्प वचनिका, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. १९, प्र.वि. शिरोरेखा रहित आधुनिक लिपिवाली प्रत., दे., (२०.५४१०.५, ९४२८).
प्रतिष्ठा कल्प-वचनिका, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: पूर्वक्रियायां पूर्व; अंति: अधिकारसूचनपर. २७९४८. उत्तराध्ययनसूत्र-जीवाजीवविभत्ति अध्ययन, संपूर्ण, वि. १९२१, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. मु. भजूलाल ऋषि; पठ. श्राव. कुमनाजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कुल ग्रं. गाथा२७२., जैदे., (२१x१०.५, १९४४१-४४).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: त्ति बेमि, प्रतिपूर्ण. २७९५१. (+) वैद्यवल्लभ सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९३५, भाद्रपद कृष्ण, ६, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ३९-१६(३ से १८)=२३,
पू.वि. अध्याय-१, श्लोक ११ से अध्याय-४, श्लोक २४ तक नहीं है., ले.स्थल. नासरदा, प्रले. रामचंद्र मिश्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२०.५४१०.५, ६-७७१९-२२). वैद्यवल्लभ, मु. हस्तिरुचि, सं., पद्य, वि. १७२६, आदि: सरस्वतीं हृदि; अंति: परोपकाराय विहितोयम्, विलास-९,
श्लोक-३२६.
वैद्यवल्लभ-टबार्थ, पुहि., गद्य, आदि: श्रीसरस्वतीजी को हृद; अंति: मुरादि साहै आप कीधौ. २७९५५. पौषध विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, जैदे., (२१४११, ९४२४-२९).
पौषधविधि संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: प्रथम थापनाचार्य थाप; अंति: लघुनीत वडनीत सारू. २७९५७. विवाहपडल सुगमभाषा, संपूर्ण, वि. १९४७, पौष कृष्ण, ९, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. ओसीराम, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२०४११, १०-१२x२०-२३). विवाहपडल-पद्यानुवाद, वा. अभयकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपुण्यहर्ष; अति: कला धीर सुख पामै सदा,
गाथा-५५. २७९६४. मृत्युमहोत्सव सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, जैदे., (२०.५४११, १४४३६-४०).
मृत्यु महोत्सव, सं., पद्य, आदि: मृत्युमार्ग प्रवृत; अति: संतो लभते स्वतः, श्लोक-१८. मृत्यु महोत्सव-अर्थ, श्राव. सदासुखजी, पुहिं., गद्य, वि. १९१८, आदि: मुक्ति के मार्ग में; अंति: मन धरे सम्यक्
गाढ.
२७९६७. (+) प्रतिष्ठाकल्प, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. २३, प्र.वि. शिरोरेखा रहित देवनागरी आधुनिक लिपि., पदच्छेद सूचक लकीरें., दे., (२०.५४१०, ७X११-३०).
प्रतिष्ठा कल्प, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: ओं ह्रीं अहं भू; अंति: पाठ शांतिधारा. २७९७३. गुणमाला व २० सती सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ६, कुल पे. २, जैदे., (२०.५४११, १८४२८-३५). १. पे. नाम. गुणमाला रास, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण.
मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८८५, आदि: सरस्वती माता आदे; अंति: सी सतीगुण सुख भासीये, ढाल-७. २. पे. नाम. बीससखी सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.. २० सखी सज्झाय, मु. गोरधन, मा.गु., पद्य, आदि: उतम साध पधारीया गुण; अंति: भवभव माहे वीगो वरस,
गाथा-२३. २७९७७. (+) होली चौढालीयो, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र.वि. संशोधित., दे., (२१४११.५, ११-१२४१९-२५).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
होलिकापर्व ढाल, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम पुरुष राजा; अंति: विनयचंदजी कहे करजोडी, ढाल-४. २७९७८. (+) सिंदूर प्रकरण, संपूर्ण, वि. १८१२, कार्तिक कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. ११, ले.स्थल. नौहरनगर, प्रले. पंडित. लक्ष्मीचंद्र
गणि; पठ. श्राव. सांवतसिंघ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरे-संधि सूचक चिह्न., जैदे., (२०.५४११.५, १३४२६-२८).
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सिंदूरप्रकरस्तपः; अंति: सूक्तमुक्तावलीयम्, श्लोक-१००. २७९८१. पासाकेवली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, जैदे., (२१.५४११.५, ९४२३-२४).
पाशाकेवली, मु. गर्ग ऋषि, सं., पद्य, आदि: महावीरं नमस्कृत्य; अंति: सत्योपासक केवली, श्लोक-१७६. २७९८२. नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १९२१, आश्विन शुक्ल, १, श्रेष्ठ, पृ. ७, ले.स्थल. अजयदुर्ग, प्रले. मु. खुबकुशल; पठ. मु. गजेंद्रकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२१.५४११.५, १०-१२४२३-३२).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवापुन्नं पावा; अंति: तवेण परिसुज्झई, गाथा-१०२. २७९८४. (+) नवतत्त्वसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले.स्थल. गीरपुर वागडदेश, प्रले. पं. केसरसागर; राज्यकाल रा. रामसिंघ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२१४१२, ४-५४१९-२२).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, गाथा-४४.
नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: साचो वस्तुनो स्वरूप; अंति: कहिउ पछइ ते प्रमाण. २८०१०. पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्रले. सोभागचंद दूगड़, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रत गुटका पद्धति की तरह लिखी गयी है., दे., (२०४१२.५, ९४२५-३५). पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, वा. भावविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारदमात मयाकरी आपो; अंति: जयो देव जयजय
करण, गाथा-५७. २८०१२. (+) जंबूद्वीप संग्रहणीसह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८३४, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. २, ले.स्थल. राजनगर, प्रले. मु. राजरत्न (गुरु
मु. मलुकरत्न, तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२१x१२.५, ५-७४२८-३०). १. पे. नाम. लघुसंग्रहणी सह टबार्थ, पृ. १आ-६आ, संपूर्ण. लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं सव्वन्नु; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०,
(वि. १८३४, भाद्रपद कृष्ण, ९, गुरुवार) लघुसंग्रहणी-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: नमिय कहता प्रणमी करी; अंति: हरिभद्रसूरीश्वरई, (वि. १८३४, आश्विन
कृष्ण, १, शुक्रवार) २. पे. नाम. श्रावक व्रत अतिचारसंख्या, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: समकितना पांचवे सही; अंति: थाई एणइ प्रकार ४. २८०१९. पासाकेवली शुकनावली भाषा, संपूर्ण, वि. १९४०, आषाढ़ कृष्ण, ७, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १२, ले.स्थल. स्तंभतीर्थ,
प्रले. मु. विनयचंद ऋषि (गुरु मु. मोहन ऋषि); मु. मनसुखदास (गुरु मु. मुक्तराम), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीसामलाजी पार्श्वनाथजी के सानिध्य में लिखी गयी है., जैदे., (२१४१३, ११-१३४२८-३५).
पाशाकेवली-भाषा*, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: ॐ नमो भगवति; अंति: सही शकुन श्रीकार छै. २८०२२. सिखरगिरी रास, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १८-१२(३ से ८,११ से १६)=६, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२१४१३.५, ८-९४२०-२१).
सम्मेतशिखरतीर्थरास, मु. सत्यरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १८८०, आदि: अजितादिक प्रभु पाय; अंति: (-). २८०४७. (+) गौतमस्वामी रास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (१७.५४१२.५, ९-१२४२१-२३). गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: सयल
संघ आणंद करो, गाथा-५४. २८०४९. ८४ नात वाणीआनी व शहरबास संवत, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २, जैदे., गुटका, (१७.५४१२.५,
१०-११४१८-२०).
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६६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. वाणीआनी ८४ नात, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
वाणीया के ८४ ज्ञाति विवरण, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमाली पोरवाड ओसवा; अंति: मंडोरा अणदोरा वागर. २. पे. नाम. शहरवास संवत, पृ. १आ-५आ, संपूर्ण.
नगरवास संवतविवरण, मा.गु., गद्य, आदि: संवत ३४८ लाहोर शहर; अंति: पालीताणो जुनो खेडो. २८०५२. भक्तामर स्तोत्र, पूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-४(१ से ४)=६, अन्य. मु. वीरचंद्र ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१८x१२.५, ८-९x१८-१९).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदिः (-); अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४, (पू.वि. काव्य १ नहीं
२८०६०. (+) प्रसंगोचित सुभाषित संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २१-२(३,११)=१९, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२०४११.५, १०-११४२०-२६).
श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, आदि: देवपूजादयादानं तीर्थ; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक २२१ तक है.) २८०७१. (+) ऋषिमंडल स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, प्र.वि. अंतिम दो श्लोक पेंसिल से लिखकर पूरा किया गया है., संशोधित., जैदे., (१८.५४११, ८x२७-२८). ऋषिमंडल स्तोत्र, आ. गौतमस्वामी गणधर, सं., पद्य, आदि: आद्यंताक्षरसंलक्ष्य; अंति: (१)लभ्यते पदमव्ययम्,
(२)परमानंद नंदितः, श्लोक-६४, ग्रं. १५०. २८०७९. सत्तरभेदी पूजा, संपूर्ण, वि. १८७४, श्रावण अधिकमास कृष्ण, १४, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १९, ले.स्थल. लसकर, प्रले. पं. नथमल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१७४१०, ९x१५-२२). १७ भेदी पूजा, वा. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १६१८, आदि: भाव भले भगवंतनी पूजा; अंति: सबलीला सवि
सुख साजै, ढाल-१७. २८०८३. (+) पार्श्वजिनसहस्रनाम स्तोत्र व मंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे.,
(१८.५४१०, १०४२४-२८). १. पे. नाम. पार्श्वजिनसहस्रनाम स्तोत्र, पृ. १आ-९आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वनाथं वामे; अंति: वृणुते तं सुखश्रियः, श्लोक-१२९. २. पे. नाम. पार्श्वजिन मंत्र, पृ. ९आ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन मंत्रजाप, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ओं नमो भगवते श्रीपार; अंति: कुरु कुरु स्वाहा. २८०८४. (+) स्तुति, आलोचनादि स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. १३, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक
लकीरें., जैदे., (१८x१०, ११-१२४१८-२४). १. पे. नाम. नवपद स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. सिद्धचक्र स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंति: श्रीजिनलाभसूरिंदा जी,
गाथा-४. २. पे. नाम. औषध संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
औषध संग्रह*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ३. पे. नाम. मुहपति पडिलेहण के बोल, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ साचो सद्द; अंति: त्रसकाय परिहरु. ४. पे. नाम. अतिचार आलोयणा-रात्रिदिवसगत, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: आजूणा चौपुहरा दिवस; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. ५. पे. नाम. गौतमस्वामी छंद, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेश्वर केरो शिष; अंति: गौतम तुटै संपति कोड, गाथा-९. ६. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह सह टबार्थ, पृ. ४अ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक*, सं., पद्य, आदि: दूतं च मंसं च सुरा; अंति: मूलानि भवंति पंच, श्लोक-२.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
६७ श्लोक संग्रह जैनधार्मिक-टबार्थ , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ७. पे. नाम. ग्रहशांति स्तोत्र, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण, ले.स्थल. सुनेलनगर.
आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरुं नमस्कृत्य; अंति: गृहशांति प्रभुस्तवः, श्लोक-११. ८. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वली वली हुं ध्यावं; अंति: कहै जिनलाभसूरींद, गाथा-४. ९. पे. नाम. सामायिक लेने का सूत्र, पृ. ६अ, संपूर्ण.
सामायिक लेने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: दस मनरा दस वचनरा बार; अंति: करी मिच्छामि दुक्कडं. १०. पे. नाम. सामान्यजिन स्तुति, पृ. ६अ, संपूर्ण. __अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: जिणवयणे आयरं कुणह, (प्रतिपूर्ण, पू.वि. मात्र
अंतिम गाथा है.) ११. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ६आ, संपूर्ण. हिस्सा, प्रा., पद्य, आदि: चउक्कसायपडिमलुल्लूरण; अंति: पासु पयच्छउ वंछिउ, गाथा-१, (वि. दोनो गाथाओं हेतु
गाथांक १ ही दिया गया है.) १२. पे. नाम. जिनदत्तसूरि स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: दासानुदासा इव सर्व; अंति: प्रधानो जिणदत्तसूरि, श्लोक-१. १३. पे. नाम. नवपद धान्य, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंतजी रैचावल; अंति: तप इणारा चावल. २८०८६. स्तवन-सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८-३(१ से ३)=५, कुल पे. ९, जैदे., (१९x१०, १५४३४). १. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७८०, आदि: पासजी तोरा पाय पलकने; अंति: जोता
वाध्यो छै प्रेम, गाथा-१०. २. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: जय जगनायक जगनायक; अंति: द्यौ दरसण सुखकंद, गाथा-५. ३. पे. नाम. पूजा स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
जिनपूजा स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगवल्लभ प्रभु नाम छै; अंति: गोठिडा बारउ गढ, गाथा-८. ४. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण, वि. १८०२, कार्तिक शुक्ल, १४, सोमवार. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, श्रीचंद, पुहिं., पद्य, वि. १७२२, आदि: अमल कमल जिम धवल; अंति: सफल फली
सहु आस, गाथा-९. ५. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, वि. १७७५, आदि: सरसति गुण गावु मांगु; अंति: दुपै इसडी भावना भावी. ६. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: पहैला ऋषभदेव बीजा; अंति: माला हो सरणै राजि रै, गाथा-९. ७. पे. नाम. चुलेरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चुलेर, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीचोलेरपास जुहारीइ; अंति: सेव्यां बहु सुख थाई,
गाथा-१७. ८. पे. नाम. स्थुलीभद्रकोस्या भास, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण, वि. १८०२, माघ कृष्ण, १०, रविवार. स्थूलिभद्रमुनि कोश्या भास, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कोस्या इम विनवे हो; अंति: वीरविजय सुखकारी,
गाथा-२८. ९. पे. नाम. दानशीयलतपभावना सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जागो जागो रे जीव सिध; अंति: आद देनै पाम्यो भवपार, गाथा-१५.
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६८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८०९२. (+) गीत, स्तवन व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १२, कुल पे. १३, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे.,
(१८x११, ११४२३-२८). १. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
पा. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: विलसे रिद्धि समृद्धि; अंति: साधुकीरति पाठक भाषइ, गाथा-१५. २. पे. नाम. जिनकुशलसूरि चौपाई, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण, वि. १८०२, फाल्गुन शुक्ल, ७, रविवार. जिनकुशलसूरि गीत, उपा. जयसागर, मा.गु., पद्य, वि. १४८१, आदि: रिसह जिणेसर सो जयउ; अंति: वंछित फल
तसु हुवो ए, गाथा-१५. ३. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण..
मु. हर्षकुंजर, मा.गु., पद्य, आदि: सुहगुरु समरु सुख; अंति: सगलै हवउ मंगलदायको, गाथा-१३. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि, पृ. ५अ-६आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: बीजं बोधिबीजं ददातु, श्लोक-११. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-लघु, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: भलु आज भेट्यो प्रभु; अंति: चक्रे समयादिसुंदरः,
गाथा-७. ६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. कुशल, सं., पद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रीं धरणोर; अंति: नमामः कुशलं लभामः, श्लोक-५. ७. पे. नाम. जिनकुशलसूरिअष्टक, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति, आ. जिनचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: त्रिभुवनजनतारणगुण; अंति: कुसलांबुजबोधनवासरेसु, गाथा-७. ८. पे. नाम. सुभाषित संग्रह, पृ. ८आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-४. ९. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तोत्र, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
आ. देवानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूति; अंति: लभते सुचिरं क्रमेण, श्लोक-९. १०. पे. नाम. गौतम स्तोत्र, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: ॐ नमस्त्रिजगन्नेतुर; अंति: भव सर्वार्थसिद्धये, श्लोक-९. ११. पे. नाम. जिनकुशलसूरि सूर्याष्टक, पृ. १०अ-११आ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि अष्टक, मु. लक्ष्मीवल्लभ, सं., पद्य, आदि: लक्ष्मीसौभाग्यविद्या; अंति: भूयात्सतां श्रेयसे, श्लोक-९. १२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण...
पार्श्वजिन स्तव, मु. लक्ष्मीवल्लभ, सं., पद्य, आदि: सदानीलगानं लसद; अंति: वल्लभः सर्वदा स्यात्, श्लोक-७. १३. पे. नाम. सरस्वतीदेवी स्तोत्र, पृ. १२अ-१२आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
सं., पद्य, आदि: राजते श्रीमती देवता; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक ८ अपूर्ण तक है.) २८०९३. स्तोत्र, जाप व मंत्रादि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ९, जैदे., (१८.५४११.५, ७-१०x१७-१९). १.पे. नाम. उवसग्गहर स्तोत्र-भंडारगाथा, पृ. १आ, संपूर्ण. उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा ५ की भंडारगाथा*, संबद्ध, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, आदि: तुह दंसणेण सामिय;
अंति: अट्ठगणाधीसरं वंदे.. २. पे. नाम. जयतिहुअण स्तोत्र भंडारगाथा, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: परमेसर सिरिपासनाह; अंति: सिद्धमहवंछिय पूरय, गाथा-२. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन मंत्रजाप, पृ. २अ-३आ, संपूर्ण.
मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ओं नमो भगवते श्रीपार; अंति: उत्तर सामो राखीजे. ४. पे. नाम. पंचपरमेष्टि मंत्रजापविधि, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पंचपरमेष्ठि जापमंत्र विधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदिः (-); अति: (-).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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५. पे. नाम. चिंतामणि पार्श्वजिन स्तवन सह अवचूरि, पृ. ४अ - ७अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि, सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: बीजं बोधिबीजं ददातु श्लोक-११, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि- अवचूरि, सं., गद्य, आदिः किमिति वितर्के कर्पू: अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., श्लोक २ तक ही अवचूरि लिखी गयी है.)
६. पे. नाम. पार्श्वनाथ अष्टक - महामंत्रगर्भित, पृ. ७अ - ९अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन अष्टक - महामंत्रगर्भित, सं., पद्य, आदिः श्रीमदेवेंद्रवृंदा; अंतिः तस्यैष्टसिद्ध्यैः, श्लोक ८. ७. पे. नाम पद्मावती जापमंत्र, पु. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी जापमंत्र, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-),
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८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ९आ-११अ संपूर्ण,
पार्श्वजिन स्तव, मु. कुलप्रभ कवि, सं., पद्य, आदि: नत्वोपासित चरणं कमठे; अंति: कविकुलप्रभृतया घटते, लोक-११.
९. पे नाम. धार्मिक लोक संग्रह, पृ. ११अ संपूर्ण.
लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: प्रागादीशानपर्यंतं; अति (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, श्लोक १ तक
है.)
२८०९४. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, स्तवन, स्तोत्र व रास, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३७-२६ (६, १२ से ३६ ) = ११, कुल पे, ४, जैवे. (१८.५x११, १३-१४४२४-२८).
१३-१५X१४-१५).
१. पे नाम. इलाचीकुमार सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण,
६९
१. पे नाम श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. १अ ११९अ, पूर्ण, पू. वि. बीच का एक पत्र नहीं है.
आवश्यक सूत्र- तपागच्छीय श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं० पंचिद; अंतिः वंदामि जिणे चउवीसं.
२. पे. नाम. ३४ अतिशय जिन स्तवन, पृ. १९अ ११आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
आदिजिन स्तवन- ३४ अतिशयगर्भित, मा.गु., पद्य, आदि: नाभिनरिंदमल्हार; अंति: ( - ), ( पू.वि. गाथा १७ अपूर्ण तक है.)
३. पे नाम, भक्तामर स्तोत्र, पृ. ३७अ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक - ४४, (पू. वि. काव्य ३८ तक नहीं है.) ४. पे. नाम. गौतमस्वामिरास, पृ. ३७अ - ३७आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: (-), ( पू. वि. गाथा ६ अपूर्ण तक है.)
२८०९६. सज्झाय संग्रह, स्तवन व देवसीय प्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे ५, जैदे., (१८x१२,
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाम इलापुत्र जाणीए; अंति: लब्धिविजय गुण गाय, गाथा - ९.
२. पे. नाम. धन्ना सज्झाय, पृ. १आ - ३आ, संपूर्ण.
धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. ठाकुरसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी रे धन्ना; अंतिः गावा हे मन में गहगही,
गाथा - २२.
३. पे नाम, आदिजिन स्तवन, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण,
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मु. दीपसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि जय जय जय आद जिणंद आज; अंतिः वास दीपसीभाग करी, गाथा - १५. ४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ- ६अ, संपूर्ण.
महमद, मा.गु., पद्य, आदि भूलो मन भमरा कोई अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण गाथा ५ तक है.)
५. पे. नाम. प्रतिक्रमण विधि, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची प्रतिक्रमण विधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: पंचेंदिय संवरणो तह; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण. २८०९७. औषध, स्तवन, सज्झायादि संग्रह व नासकेत पुराण, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २२, कुल पे. १७, जैदे.,
(१७४१२, १३-१४४२६-३०). १. पे. नाम. औषध संग्रह, पृ. १अ-१०अ, संपूर्ण, पे.वि. कुल पत्र-१अ-१०अ+१३आ-१५आ+१७अ+२२अ.
औषध संग्रह*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २. पे. नाम. मुनिसुव्रतजिन स्तवन, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिसुव्रतस्वामी; अंति: भव भवना संकट भाजो हो, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-कापरहेडामंडन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-कापरडामंडन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: अंग सुरंगी अंगीया; अंति: सदा नमुं
कापरहेडापास, गाथा-७. ४. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण.
मु.खेम, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीवनयर सोहामणो; अंति: गोखे रतन जडाय हो, गाथा-१३. ५.पे. नाम. आबुजी स्तवन, पृ. १२आ, संपूर्ण. अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आबुगढ तीरथ ताजा अष्ट; अंति: गाया जिनेंद्रसागरे,
गाथा-८. ६. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. १२आ-१३आ, संपूर्ण.
मु. विमलकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: बाहुबल चारित लीयो; अंति: विमलकीरत गुण गाय, गाथा-११. ७. पे. नाम. नासकेत पुराण - अध्याय ११ से १४, पृ. १३आ-१६आ, संपूर्ण. नासकेत पुराण, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., अध्याय १४
अपूर्ण है.) ८. पे. नाम. मंत्रसंग्रह, पृ. १७अ-१९आ, संपूर्ण, पे.वि. कुल पत्र-१७अ-१९आ+२०आ+२२अ.
मंत्र संग्रह*, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ९. पे. नाम. पार्श्वजिन होरी, पृ. २०अ, संपूर्ण.
मु. रत्नसागर, पुहिं., पद्य, आदि: रंग मच्यो जिनद्वार; अंति: मुख बोलै जयजयकार, गाथा-७. १०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २०अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सुनो अविनासी साहिब; अंति: दुनिया मै फेरा फेरा, गाथा-४. ११. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: बबा सचा साई हो डंका; अंति: मेरे मन तुं भाया, पद-२. १२. पे. नाम. सुविधिजिन पद, पृ. २१अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुजरा साहिब मेरा रे; अंति: दास नीरंजन केरा रे, गाथा-३. १३. पे. नाम. ऋषभजिन पद, पृ. २१अ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. वृद्धिकुशल, पुहि., पद्य, आदि: मनदी मेरे तूं वस्यो; अंति: वृद्धिकुशल की छतीया, पद-३. १४. पे. नाम. सामान्यजिन पद, पृ. २१अ, संपूर्ण..
साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: देख्या दरसण तिहारा; अंति: रूपचंद० वैर हजारा रे, गाथा-३. १५. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, पृ. २१आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज तो वधाइ राजा नाभि; अंति: निरंजन आदिसर दयाल रे, गाथा-६. १६. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. २१आ, संपूर्ण.
मु. कनककुशल, पुहिं., पद्य, आदि: अइओ अइओ नाटिक नाचै; अंति: (-), (पू.वि. पद ५ तक है.) १७. पे. नाम. औधष संग्रह, पृ. २२, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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औषध संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२८०९८. स्तवनचीवीसीस्तवन १२१, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, जैये. (१७४१२ १३ १४४२६- ३० ). स्तवनचीवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्म, वि. १८५, आदि: ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम अंति: (-), प्रतिपूर्ण २८०९९. (+) स्तवन, सज्झाय, पूजा, रास आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२३ - १९२४, श्रेष्ठ, पृ. १२८ + १ (१३)=१२९, कुल पे. ९६, ले. स्थल, मुमासर, प्रले. पं. शिवविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (१९.५x१२, १४-१५x२४-२७).
१. पे. नाम. दानशीलतपभावना विवादरो चोढालीयो, पृ. १अ - ६आ, संपूर्ण.
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंतिः भ० सुप्रसादो रे, ढाल - ४, गाथा - १०१, ग्रं. १३५.
२. पे नाम. आषाढभूति चौपाई, पृ. ६आ-११अ संपूर्ण, वि. १९२३, मार्गशीर्ष कृष्ण, १४.
आषाढाभूति चरित्र, वा. कनकसोम, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: श्रीजिनवदन निवासिनी; अंति: श्रीसंघसुं सुविचारा, गाथा- ६७.
३. पे. नाम. तीर्थमाला स्तवन, पृ. ११अ - ११आ, संपूर्ण.
२४ जिन तीर्थमाला स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सेत्रुंजे रीषभ समोसर; अंति: समयसुंदर क एम, गाथा - १६.
४. पे नाम, महावीरजिन स्तवन, पृ. ११-१३अ, संपूर्ण.
महावीर जिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मोरी वीनती; अंतिः श्रुण्यो त्रिभुवन तिलो, गाथा १९.
५. पे. नाम. उपदेशरसालछत्तीसी, पृ. १३अ - १५अ, संपूर्ण.
मु. रुपपति पाठक, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनचरण नमी करी; अंतिः समज्यां मंगलीक माल, गाथा - ३७,
६. पे. नाम. जीवकाया बहुतरी, पृ. १५अ २०अ संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाव- गर्भावास, पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदिः ऊतपत्ति जोज्यो जीव; अंति: इम कहे श्रीसार ए. गाथा - ७२.
७. पे. नाम. कर्मविपाकफल सज्झाय, पृ. २०अ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: देवदाणव तीर्थंकर गण; अंति: नमो कर्म महाराजा रे, गाथा - १९. ८. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्वमहावीरजिन स्तवन- बृहत् पृ. २०अ २१आ, संपूर्ण.
ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन- बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगुरुपाय; अंतिः भगति भाव प्रशंसीयो, डाल- ३, गाधा- २४.
७१
९. पे नाम ज्ञानपंचमीपर्व लघुस्तवन, पृ. २२अ संपूर्ण.
ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन- लघु, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीतप तुमे करो रे; अंति: ज्ञाननो पंचम भेद रे, गाथा - ५.
१०. पे. नाम. नवकार स्तवन, पृ. २२अ - २२आ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र छंद, मु. जिनप्रभसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुखकारण भवियण समरो; अंति: जिनप्रभ० सीस रसाल, गाधा-७, (वि. दो गाथाओं को एक ही क्रम में गिना गया है.)
११. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २३अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीसंखेसर पासजिन; अंतिः सयल रिपु जीपतो,
गाथा - ५.
१२. पे. नाम वीरजिनतप स्तवन, पृ. २३अ, संपूर्ण, पे. वि. पत्रांक २३ के २३५० व २३ द्वि० इस प्रकार दो पत्र है. जारी पत्र - २३ प्र.अ - २३ द्विअ.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची महावीरजिन स्तवन-तपवर्णन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत सामण द्यो मति; अंति: आपो स्वामी सुख घणा,
गाथा-१०. १३. पे. नाम. बडो नवकार, पृ. २३अ-२५अ, संपूर्ण, पे.वि. पत्रांक २३ के २३प्र० व २३ द्वि० इस प्रकार दो पत्र है. जारी
पत्र-२३द्वि.अ से है. नमस्कार महामंत्र पद, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १२वी, आदि: किं कप्पतरु रे आयाण; अंति: तणी सेवा
देज्यो नित, गाथा-१३. १४. पे. नाम. नवकार छंद, पृ. २५अ-२६आ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वांछित० श्रीजिनशासन; अंति: ऋद्धि वांछित लहे,
गाथा-१३. १५. पे. नाम. महावीरजिन पारणा स्तवन, पृ. २६आ-२९आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-पारणा, मु. माल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत अनंत गुण; अंति: तासु नमै मुनिमाल,
गाथा-२८. १६. पे. नाम. नमस्कारमंत्र स्तोत्र, पृ. २९आ-३०अ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, मु. पद्मराज, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनवकार जपो मनरंगे; अंति: महिमा जास अपाररी माई,
गाथा-९. १७. पे. नाम. दानशीलतपभावना प्रभाती, पृ. ३०अ-३०आ, संपूर्ण. दानशीलतपभावना प्रभाति, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव जिन धरम कीजीय; अंति: मुगति
तणा फल त्याह, गाथा-६. १८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३०आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: मेरै इतनो चाहीजै नित; अंति: सजी में अवर न ध्याउं, गाथा-३. १९. पे. नाम. प्रभातिमंगल स्तुति, पृ. ३०आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: जागीयै नृप नाभिनंदन; अंति: खेम प्रात चारे, गाथा-५. २०. पे. नाम. दादाजीरो स्तवन, पृ. ३१अ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि गीत, मु. राज, पुहि., पद्य, आदि: तुं है दाता मेरो जगत; अंति: चरणकमल को हुंचेरो, पद-३. २१. पे. नाम. दादाजीरो स्तवन, पृ. ३१अ-३१आ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि गीत, मु. कल्याण, पुहि., पद्य, आदि: तुम हो स्वामी हमारे; अंति: नित प्रत नमत कल्याण, गाथा-५. २२. पे. नाम. वैराग सज्झाय, पृ. ३१आ-३२अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भुलो मन भमरा कांड; अंति: लेखो साहिब हाथ, गाथा-१०. २३. पे. नाम. वैराग्य सज्झाय, पृ. ३२अ-३२आ, संपूर्ण.
मु. रतनतिलक, मा.गु., पद्य, आदि: काया रे वाडी कारमी; अंति: करिज्यो ढगवाली, गाथा-८. २४. पे. नाम. इलापुत्र सज्झाय, पृ. ३२आ, संपूर्ण. इलाचीकुमार सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाम इलापुत्र जाणीए; अंति: लब्धिविजय गुण गाय,
गाथा-९. २५. पे. नाम. नंदिषेणमुनि सज्झाय, पृ. ३२आ-३३आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: साध्जी न जाइये पर; अंति: एकलो परघर गमण निवार, गाथा-१०. २६. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. ३३आ-३४अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल सीधोजी, गाथा-८. २७. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. ३४अ-३४आ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहै जिणहरष सुजाण रे, गाथा-९. २८. पे. नाम. धन्नाकाकंदी सज्झाय, पृ. ३४आ-३५आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. तिलोकसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी रे धन्ना; अंति: गाया है मनमै गहगही, गाथा - २२. २९. पे. नाम. पार्श्वजिनप्रभातीरो पद, पृ. ३५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन - प्रभाती, मु. लाभउदय, मा.गु., पद्य, आदिः उठोनी मेरे आतमराम; अंति: वरतै सदा सवायो रे,
गाथा - ५.
३०. पे. नाम. सुमतिजिन पद, पू. ३५-३६अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुजरा साहिब मुजरा अंति: नाथ निरंजन मेरा रे, गाथा- ३.
३१. पे. नाम. आदिजिन स्तवन- शत्रुंजयतीर्थमंडन, पृ. ३६अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बालपणे आपण ससनेहि; अंति: वृषभ लंछन बलिहारी, गाथा-६.
३२. पे. नाम. सुमतिजिन पद, पृ. ३६आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: निरखत बदन सुख पायो; अंति: अवर देव नहीं आयो, गाथा-४.
३३. पे नाम, पार्श्वजिन पद- गोडीजी, पृ. ३६आ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि पास गोडिचा निरखत नयन; अंति दिनप्रत दरसण पावै रे, पद-४. ३४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३६-३७अ, संपूर्ण.
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मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनराज सदाइ जाकै; अंति: गावै सदा सदा सुखदाई, पद- ३. ३५. पे. नाम, पार्श्वजिन पद, पू. ३७अ, संपूर्ण,
मु. सत्यरतन, मा.गु., पद्य, आदि: तारक नाम तुमारो; अंतिः मिट गए सह जंजारो, पद-५.
३६. पे. नाम, ऋषभजिन पद, पृ. ३७अ ३७आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पद्य, आदि रिषभजिनेसर अतिअलवेसर; अंति: अनुभव रस लहीइं जी,
पद- ३.
३७. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३७आ, संपूर्ण.
मु. वृद्धिकुशल, रा., पद्य, आदि: तेवीसमा जिनराज जोडै; अंतिः भव भव दीजो दीदार, गाथा-३,
३८. पे. नाम. चारमंगल पद, पृ. ३७-३८अ, संपूर्ण.
४ मंगल पद, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज घरे नाथजी पधारे; अंति: चरण कमल बलिहार, पद-५. ३९. पे. नाम. पार्श्वजिन पद - अवंतीपुरमंडन, पृ. ३८अ, संपूर्ण.
गाथा - ५.
पार्श्वजिन पद- अवंतीमंडन, पुहिं., पद्य, आदि: पंथीडा पंथ चलेगो; अंति: अब तेरो ही आधार, ४०. पे नाम, नेमिजिन पद, प्र. ३८अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: निपटहि कठिन कठोर री; अंति: रयन बिती भयो भोर री, पद- ४. ४९. पे. नाम, कल्याणजिन पद, पृ. ३८अ ३८आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मा.गु., पद्य, आदि: परमजोत परमातमा परम; अंति: होत किल्याण किल्याण, पद-५. ४२. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३८आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: दीजे मोव दरसण पासजिण; अंति: कहत जती रूपचंद, पद- ३.
४३. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ३८आ, संपूर्ण.
मु. रुपचंद, पुहिं., पद्य, आदि समज समज जीवा ग्यान; अंतिः निरंजन आप भए सिरदार, गाथा- ३.
४४. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ३८-३९अ संपूर्ण.
9
पुहिं., पद्य, आदि: मैं तो गिरनारगढ भेटण; अंतिः पिण चरणां चित लाउंगी, गाथा - ३.
४५. पे. नाम, संगीतराग पद, पृ. ३९अ, संपूर्ण.
संगीत पद, मा.गु., पद्य, आदि सोहे सुरन गाती; अंति: सब गाती गवाती आती, पद-५.
४६. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ३९अ, संपूर्ण.
प्रभुभक्ति पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: जिनवर देखै द्रगन सुख; अंति: प्रभु चरणां चित लायो, पद-४. ४७. पे नाम, पार्श्वजिन पद, प्र. ३९-३९आ, संपूर्ण.
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बुधर, मा.गु., पद्य, आदि: निरखी मुरत पारस की; अंति: आवागवण निवार जी, पद- ४.
४८. पे. नाम ऋषभजिन पद, पू. ३९आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. मनरूप, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिनेसर पुजन कुं; अंति: आवागवण निवारजी, पद-६. ४९. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३९आ-४०अ, संपूर्ण.
मु. हरखचंद, मा.गु., पद्य, आदिः नेह तु साडे नाल लगा; अंतिः दूर हरो जंजाल, पद- ३.
५०. पे. नाम. नवपद पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
नवपद स्तवन, मु. सुखसागर, मा.गु., पद्य, आदि: जीया चतुर सुजाण नवपद; अंतिः जनम जनम सुख पाय रे, पद-७, ५१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ४०अ - ४०आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: अरज सुणो वामाजी के; अंति: चाहत मुनि हरषचंद, गाथा - ५.
५२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुर्हि, पद्य, आदि: मोव कैसे तारोगे दीन; अंति: निरंजन आवागमण निवार, गाथा-४. ५३. पे नाम, श्रेयांसजिन पद, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
मु. गुणविलास, गु., पद्य, आदि हम पर मेहर करो महारा; अंति: कर सोही हमकुं चाह, पद- ४. ५४. पे. नाम. औपदेशिक लावणी, पृ. ४०आ-४१अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पु.ि, पद्य, आदि: लाभ नहि लियो जिणंद, अंति: भव दूर कुगुरु भजके, गाथा-४. ५५. पे. नाम. साधारणजिन लावणी, पृ. ४१अ ४९आ, संपूर्ण.
गाथा - ५.
५७. पे. नाम आदिजिन लावणी- अष्टापदमंडन, पृ. ४२आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, रा., पद्य, आदि धारी सफल घडी श्रावक; अंतिः जिनदास मन नही मावें, गाथा ५. ५६. पे. नाम. आध्यात्मिक लावणी, पृ. ४२अ, संपूर्ण.
औपदेशिक लावणी, मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: जल जावो मुसापर यार; अंति: जिनराज चरण पर बेठी,
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
नानुं, मा.गु., पद्य, आदि: बे कर जोडी सीस नमाउं; अंति: आसा पुरो तुम मेरी, पद-५.
६०. पे. नाम. आदिजिन लावणी केसरीयाजी, पृ. ४४अ - ४४आ, संपूर्ण.
-
आदिजिन लावणी, मु. जिनदास, मा.गु., पद्य, आदि: मै राज दिल का मै रमत; अंति: तुमारे दो दरसन भगवान. ५८. पे नाम, नेमिजिन लावणी, पृ. ४२आ - ४३आ, संपूर्ण
नेमराजिमती लावणी, पुहिं., पद्य, आदि हे री माई मेरो नेम; अंतिः मलज ज्ञान की मैना, पद-५.
५९. पे. नाम आदिजिन लावणी, पृ. ४३आ- ४४आ, संपूर्ण.
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नानुं, मा.गु., पद्य, आदि: सरणै आयां की लज्जा; अंतिः थारो मुज आधाररे, पद-६. ६९. पे नाम. आदिजिन पद, पृ. ४४आ, संपूर्ण.
मु. चतुरकुशल, रा., पद्य, आदि: विसरे मत नाम प्रभूजी; अंतिः लहै रंग पतंग फीको, गाथा-३, ६२. पे नाम, आध्यात्मिक होरी, पृ. ४४-४५ अ, संपूर्ण.
मु. चतुरकुशल पुहिं., पद्य, आदि: फागुन में फाग रमो; अंतिः निगोदसुं रहो न्यारे, गाथा- ३.
६३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४५अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. चतुरकुशल, पुहिं., पद्य, आदि: एसी बतीयां कुमती कहा; अंति: हम से दूर रहो भाई, पद- ३. ६४. पे नाम, धर्मजिन पद, पृ. ४५अ, संपूर्ण.
पंडित. खीमाविजय, पुहिं., पद्य, आदि: इक सुणलैनाथ अरज मेरी; अंति: अनुपम कीरत जग तेरी, गाथा - ५. ६५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४५अ - ४५आ, संपूर्ण.
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औपदेशिक होरी पद, पुहिं., पद्य, आदि: होरी खेलो रे भविक; अंति: तार लिजौ अपनो करकै, गाथा - ५. ६६. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन धमाल, पृ. ४५आ, संपूर्ण.
मु. चंदकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: ओछव दिन आज भलो आयो; अंतिः प्रभुरथ निपजायो, गाथा- ७,
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ ६७. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ४५आ-४६अ, संपूर्ण.
सम्मेतशिखरतीर्थयात्रा पद, मा.गु., पद्य, वि. १८७४, आदि: धुंसो वाजै रे; अंति: मारग पायो शिवपुर को, गाथा-६. ६८. पे. नाम. पार्श्वजिन होरी , पृ. ४६अ, संपूर्ण.
धर्मजिन होरी, मु. सुधक्षमा, पुहिं., पद्य, आदि: मधुवन मै धूम मची होर; अंति: सुधक्षमा कहै कर जोरी, पद-८. ६९. पे. नाम. ऋषभजिन पद, पृ. ४६अ-४६आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. जिनचंद, पुहि., पद्य, आदि: नित ध्यावो रे रिषभ; अंति: गुण गावो नित जिनवरको, गाथा-५. ७०. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ४६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद, मु. उदयसागर, पुहि., पद्य, आदि: अब हम कुंज्ञान दीयो; अंति: रिद्ध दियो मुज कुं, पद-७. ७१. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४६आ-४७अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. चंद, पुहिं., पद्य, आदि: यादव मन मेरो हर लीयो; अंति: चंद कहे मन हरषियो रे, गाथा-५. ७२. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४७अ, संपूर्ण.
नेमिजिन होरीपद, मु. नवल, मा.गु., पद्य, आदि: किन मारी पीचकारी रे; अंति: हस हस देत है ताली रे, पद-४. ७३. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४७अ, संपूर्ण.
नेमिजिन होरी, म. भूधर, पुहिं., पद्य, आदि: मत छोडो मानै यु ही; अंति: विनती सफल हमारी रे, पद-७. ७४. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४७आ, संपूर्ण.
मु. क्षमाकल्याण, पुहिं., पद्य, आदि: खेलत नैम कुमार ऐसे; अंति: कीनो निज अधिकार, पद-९. ७५. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४७आ-४८अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. किस्तुर, पुहिं., पद्य, आदि: नेमजी सै कहीयो मोरी; अंति: किस्तुर कहै करजोरी, पद-४. ७६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४८अ-४८आ, संपूर्ण.
गुरुवाणी गीत, मु. शंभुनाथ, पुहि., पद्य, आदि: पुज्यजीरी वाणी प्यार; अंति: संभुनाथ पलपल बारी, पद-५. ७७. पे. नाम. नारीमोहत्याग पद, पृ. ४८आ, संपूर्ण.
नारीपरिहार पद, मु. रतनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मत ताको नार वीरानी; अंति: रतनविजै सांची जाणी, गाथा-५. ७८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४८आ-४९अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: मानो क्यु नै; अंति: पको छै करतार री, पद-३. ७९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४९अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, रा., पद्य, आदि: निसदीन जोउं थारी; अंति: आवसी संजडीइ रंग रोला, गाथा-५. ८०. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठानी चौढालीयो-कृष्णशुक्लपक्षशीलपालनविषये, पृ. ४९अ-५१आ, संपूर्ण. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: (१)नख शिख पर
वारुं डारी, (२)सूरीज जपे तास पसाय, ढाल-४, गाथा-२४. ८१. पे. नाम. दादाजी छंद, पृ. ५१आ-५२आ, संपूर्ण, वि. १९२३, पौष शुक्ल, १३, ले.स्थल. मुमासर, प्रले. मु. सुखलाल,
प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. श्रीमाणिभद्रश्रेयं.
उपा. जयसागर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १४८१, आदि: रिसहजिनैसर सो जयो; अंति: मनवंछित फल मुज हुओ ए. ८२. पे. नाम. श्रावक करणी सज्झाय, पृ. ५२आ-५३आ, संपूर्ण. श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करनी छे दुखहरनी एह,
गाथा-२२. ८३. पे. नाम. पद्मावती आराधना, पृ. ५३आ-५५आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिवे राणी पद्मावती; अंति: कीयो जाणपणानो सार, ढाल-३, गाथा-३४. ८४. पे. नाम. गौतमस्वामी रास, पृ. ५५आ-६०अ, संपूर्ण, पे.वि. रिक्ताक्षरों में स्वास्तिक आदि विविध चित्र है. उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: वृद्धि सुख संपदा ए,
गाथा-४३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ८५. पे. नाम. १६सती नाम, पृ. ६०अ, संपूर्ण.
१६ सती स्तुति, सं., पद्य, आदि: ब्राह्मी चंदनबालिका; अंति: कुर्वंतु वो मंगलम्, श्लोक-१. ८६. पे. नाम. औपदेशिक दोहा, पृ. ६०अ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह*, मा.गु.,रा., पद्य, आदि: वस्तु ठिकाणे पाइए; अंति: मोती सीपां माहै. ८७. पे. नाम. स्नात्रपूजा विधिसहित, पृ. ६०आ-६६अ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: चोतिसे अतिसय जुओ वचन; अति: सारखी कही सूत्र मझार, ढाल-८. ८८. पे. नाम. ८ प्रकारी पूजा काव्य, पृ. ६६अ-६७अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: विमल केवल भासन; अंति: मोक्षसौख्यं श्रयंति, श्लोक-९. ८९. पे. नाम. १७ भेदी पूजा, पृ. ६७अ-७७अ, संपूर्ण.
वा. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १६१८, आदि: भाव भले भगवंतनी पूजा; अंति: सब लीला सुख साजै, ढाल-१७. ९०. पे. नाम. श्रावक कर्तव्य पद, पृ. ७७अ-७७आ, संपूर्ण.
प्रभुभक्ति पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु की लगन नही जिय; अंति: आवागमण मीटे सै, पद-५. ९१. पे. नाम. नवपद पूजा, पृ. ७७आ-८६आ, संपूर्ण, ले.स्थल. मेणसर.
उपा. यशोविजयजी गणि, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: परम मंत्र प्रणमी करी; अंति: कोई नये न अधूरी रे. ९२. पे. नाम. नरक सज्झाय, पृ. ८७अ-८९अ, संपूर्ण, पे.वि. सुखलालजी द्वारा लिखित.
मु. इंद्रभाण, मा.गु., पद्य, वि. १९०३, आदि: नरकतणा दुख दोहिला; अंति: पामो भव पार रे लाला, गाथा-२७. ९३. पे. नाम. देवकीरी चौपाई, पृ. ८९अ-१०२अ, संपूर्ण.
देवकी चौपाई, मा.गु., पद्य, आदि: भद्दिलपुर नामै नगर; अंति: कीजो आतमनो उद्धार, ढाल-१८. ९४. पे. नाम. अंजनासती चोपई, पृ. १०२अ-१२५अ, संपूर्ण.
अंजनासुंदरी रास, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलैनै कवड हो पायै; अंति: भार्या जगतनी माय तो, गाथा-१६०. ९५. पे. नाम. शांतिजिन छंद, पृ. १२५अ-१२६आ, संपूर्ण. शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारद पाय नमु शिरनामी; अंति: मनवंछित
फल जो पावै, गाथा-२१. ९६. पे. नाम. सेनुंजाजीरो तवन, पृ. १२६आ-१२८आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन बृहत्-शत्रुजय, मु. प्रेमविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीयै सयल जिणंद; अंति: ते पामे भव पार
ए, गाथा-२१. २८१००. (+) स्तुति संग्रह, जिन कल्याणक, मनोरथमाला, वीर जयमाला व औषधादि संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ,
पृ. १९९-१८९(१ से १८९)=१०, कुल पे. ६, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (१९४१३, १०x१६). १. पे. नाम. साधारण जिन स्तुति, पृ. १९०आ-१९१अ, संपूर्ण.
संभवजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: (१)दृष्ट्वा जिनालयं, (२)जय संभव संभव गब्भवास; अंति: वायुर्ज्ञानमभूद्विभो. २. पे. नाम. मनोरथमाला, पृ. १९१आ-१९३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जिनवर वाणी मनि धरी; अंति: तेहतणा गुण मनिधरौ ए, गाथा-७. ३. पे. नाम. जिनकल्याणक तिथि, पृ. १९३अ-१९७अ, संपूर्ण. ___ मा.गु., गद्य, आदि: आषाढ वदि २ रिषभनाथ; अंति: जन्म तप मोक्ष. ४. पे. नाम. वीरजिन जयमाला, पृ. १९९अ, संपूर्ण. ___महावीरजिन जयमाला, अप., गद्य, आदि: हु होतउ तिविट्ठ पोय; अंति: पुष्पयंतु जोईसरू. ५. पे. नाम. औषध संग्रह, पृ. १९९आ, संपूर्ण.
औषध संग्रह , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ६. पे. नाम. सुभाषित श्लोक, पृ. १९५आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक ,सं., पद्य, आदि: देयं भोज घनं धनं; अंति: घयँत्यहो मक्षिका, श्लोक-१.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८१०१. () पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १९, कुल पे. ५०, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (१८.५X१३,
१२-१३५१२-१७).
१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. वृद्धिकुशल, रा., पद्य, आदि: तेवीसमा जिनराज जोडी; अंति: वै भवभव दीज्यौ दीदार,
२. पे. नाम. मगसीपार्श्वजिन पद, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- मगसी, मु. द्यानत, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीमगसींह नगर मे; अंतिः तोडो मोह के फंद, पद-४, ३. पे, नाम, संखेश्वर पार्श्वजिन पद, प्र. १आ-२अ, संपूर्ण,
गाथा - ३.
५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २आ- ३अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: जैन धरम नही कीना हो; अंतिः भारी करम रस रीता हो, पद- ४.
६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- शंखेश्वर, मु. रंग, पुहिं., पद्य, आदि: सांयां तु भलावे; अंतिः रंग कहे सुधरे जमारा, गाथा-५. ४. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन पद, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- गोडीजी, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मुजरो ही मालम कीजो; अंति: प्र उठी प्रणमीजे,
मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: सद्गुरुने पकरी बाह; अंति: कहेत क्षमाकल्याण, पद- ३.
७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
गाथा- ४.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि अवसर बेर बेर नही; अंतिः समरी समरी गुण गावे, गाथा ४.
८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चेतन हो मानु ले सारी; अंति: होय ज्युं छतीयां, पद-३.
९. पे. नाम वीरजिन पद, प्र. ४अ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मु. जिनचंद, पुहिं., पद्य, आदि क्या तक सीसर विचारा; अंतिः जिनचंद ओर तुहारी, पद- ३. १०. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, रा., पद्य, आदि भेट वीर जिनंद री; अंतिः हरख भरी हर्षचंद री, गाथा-३,
११. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, रा., पद्य, आदि: राजुल सरखी नार थे; अंति: गावे भव भव पार उतार, पद-४. १२. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मनुष्य जनम यूं ही; अंतिः सीख नहीं जोयो रे, पद - ५.
१३. पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण,
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मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: रे मनमोहन सुंदर सुरत; अंति: केवल कमला वारो रे, पद - ४.
१४. पे. नाम, नेमिजिन पद, प्र. ५आ-६अ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: नेम मिले तो मे वारीय; अंति: दो सुखकारीवां हो, पद-३,
१५. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती गीत, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नेम रमीले तो बातां; अंतिः रूपचंद सुख दीजीये, गाथा-५, १६. पे नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ६७अ, संपूर्ण.
पद - ५.
१८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मु. चंदखुसाल, मा.गु., पद्य, आदि: नन्नडायो गोद खिलावै; अंति: निरख सुख पावे छै, पद-५.
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मु. जिनचंद्र, मा.गु., पद्य, आदिः आज बधाई म्हारें आज; अंति: ज्यो श्रीजिनचंद सवाइ, गाथा-५.
१७. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन पद, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन पद- चिंतामणि, वा. क्षमाकल्याण, पुहिं., पद्य, आदि: मैं हु दास तुमारा; अंति: प्रभु वीजे नित आधारा,
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१९. पे नाम आदिजिन पद, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
मु. करमसी, मा.गु., पद्य, आदिः आय रहो दिल बागमें; अंतिः केल करत सिवमागमेसु, गाथा-५. २०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ८आ - ९अ, संपूर्ण.
मु. ग्यानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अब मेडा नेम न आए पीय; अंति: ग्यानसागर गुण गाये, पद-६. २१. पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: महिमा जग अभिराम जिन; अंतिः महा आतमतो विसराम, पद-५. २२. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ९अ ९आ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि ठगणी क्या नेणां ठमका; अंतिः एक माय दूजी मासी ठठक, पद-५.
२३. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण.
पं. रत्नसुंदर, मा.गु., पद्म, वि. १८६६, आदि: भेट्या रे नाभीकुमार; अंतिः वरत्वा जे जै कार अमे, गाथा- ६.
२४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पू. १० आ- ११अ संपूर्ण.
"
मु. देवीचंद, मा.गु., पद्य, आदि: देखीय मुरत पारस की; अंति: हरष निरख गुण गायरी, पद- ४.
२५. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. देवीचंद, मा.गु., पच, आदि: करम सतु मारो कांई; अंति: हरष निरख गुण गाय जी, पद-४. २६. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन पद, पृ. ११अ - ११आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: अरज सुणीजे अंतरजामी; अंतिः सुगण सदा हितकामी रे, पव-३.
२९. पे. नाम जिनभक्ति पद, पृ. १२-१२आ, संपूर्ण
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पार्श्वजिन पद- गोडीचा, मु. कल्याण, पुहिं., पद्य, आदि: लग्या मेरा तेहरा; अंतिः कल्याण० को वनडो, गाथा- ३. २७. पे नाम, प्रभुभक्ति पद, पृ. १९आ- १२अ संपूर्ण.
साधारणजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: मेरो मन राच्यो री; अंति: नाटकीयो होयकर नाच्यो, पद- ३. २८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. दयामंदिर, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु मेरी अरज सुणी; अंतिः दयामंदिर कुं दीजे, पद-५.
३०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १२आ, संपूर्ण.
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नेमराजिमती पद, मु. कीर्तिसागर, मा.गु., पच, आदि: मै तो नेम वंदन कु जड़; अंतिः बेर बेर बल जइयु रे, पद- २. ३१. पे. नाम, नेमिजिन पद, पृ. १२-१३अ संपूर्ण.
मु. कीर्तिसागर, मा.गु., पद्म, आदि: गढ गिरनारे नेम वंदनक; अंतिः जाऊं मैं बलिहारी रे, पद-५.
३२. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- चिंतामणि, ग. जिनहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: जिनसे मनवा लाग रह्या; अंति: अनुपम अनुभो लुटेरी,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: लग्या मेरी नेहरी रे; अंति: ग्यान नहीं गहिरा, पद-५.
३६. पे. नाम, नेमिजिन पद, प्र. १४-१४आ, संपूर्ण.
पद - ३.
३३. पे नाम, नेमिजिन पद, पृ. १३अ १३आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि; नवल नगीना प्रभुने; अंतिः सिरपर हात दिराउ री, पद-४.
३४. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मु. नवल, पुहिं, पद्म, आदि: पावापुरी मुकरा; अंति: गाया प्रभु जसु नेहरा, पद-५.
३५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १४अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सिखर गिरनार जाना हो; अंति: पल छिन रही जाना रे, पद- ३. ३७. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. १४आ, संपूर्ण
पुहिं., पद्य, आदि आस पीवो प्रभु नामका; अंति: जो कोइ कुं भावे आकरी, पद- १. ३८. पे. नाम ऋषभजिन पद, पृ. १४-१५अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: भाव धर धन्य दिन आज; अंति: जिनचंद सुरतरु कहायो,
गाथा-३. ३९. पे. नाम. ऋषभजिन पद, पृ. १५अ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मा.गु., पद्य, आदि: आज भले सुविहाण भविक; अंति: सिधरंग शुभ ध्यान, पद-३. ४०. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मु. जीतचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज तो हमारे भाग वीर; अंति: चित आनंद बधाए है, गाथा-४. ४१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, पुहि., पद्य, आदि: जागो मेरे लाल विसाल; अंति: पर वारि वारि जावणा, गाथा-३. ४२. पे. नाम. नवपद पद, पृ. १६अ, संपूर्ण.
मु. लालचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नवपद ध्यान धरो रे; अंति: शिवतरु बीज खरो रे, गाथा-३. ४३. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, म. जिनचंद्र, मा.ग., पद्य, आदि: पावापुर महावीर जिणेस; अंति: जिनचरणै चित लावा, गाथा-५. ४४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण.
मु. आनंदराम, पुहि., पद्य, आदि: छोटीसी जान जरासा; अंति: संपति बहु करणा बे, पद-३. ४५. पे. नाम. नाकोडा पार्श्वजिन पद, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद-नाकोडा, म. जिनचंद, पुहिं., पद्य, आदि: क्या करो नागोडा पास; अंति: वरते सदा सवाइरे, पद-५. ४६. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मारे भलो रे उगो; अंति: वंछित अनुपम राजनोरे, पद-४. ४७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: विना पकाइ सोवे नीद; अंति: पावे सेवा सुख रे, पद-३. ४८. पे. नाम. ऋषभजिन पद, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मा.गु., पद्य, आदि: आज भलो सुविहाण भविक; अंति: सिद्धरंग शुभ ध्यान, पद-३. ४९. पे. नाम. अंतरिक्षपार्श्वजिन पद, पृ. १८आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: मेरे ए प्रभु चाहीए; अंति: में तो ओर न ध्याउं, पद-३. ५०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १८-१९अ, संपूर्ण.
साधारणजिन पद, रामदास, मा.गु., पद्य, आदि: नैना सफल भये प्रभु; अंति: लोकशिखर को राज, गाथा-४. २८१०२. स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९२२, माघ कृष्ण, ९, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ६७-५(१ से ५)=६२, कुल पे. ४, जैदे.,
(१३४१०, ७४१६). १. पे. नाम. वीतराग स्तोत्र, पृ. ६अ-३४अ, अपूर्ण, पृ.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: नातः परं ब्रुवे, प्रकाश-२०, (पू.वि. प्रकाश २
श्लोक ५ तक नहीं है.) २. पे. नाम. देवागम स्तोत्र, पृ. ३५अ-५३आ, संपूर्ण.
आप्तमीमांसा, आ. समंतभद्र, सं., पद्य, आदि: (१)मोक्षमार्गस्य नेतार, (२)देवागमनभोयानचामरादि; अंति:
विशेषाप्रतिपत्तये, परिच्छेद-१०, श्लोक-११५. ३. पे. नाम. द्वितीयद्वात्रिंशिका, पृ. ५४अ-६०आ, संपूर्ण. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: अनंतविज्ञानमतीत; अंति:
कृतसपर्याः कृतधियः, श्लोक-३२. ४. पे. नाम. महावीरद्वात्रिंशिका, पृ. ६१अ-६७आ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: सदा योगसात्म्यात्; अंति: तांश्चक्रिशक्रश्रियः, श्लोक-३३.
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२८१०३. स्तुति संग्रह व वर्षावासपत्र कुलक, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ५, जैदे., (१८.५X१३,
१०x१९-२२).
१. पे. नाम जैनी शक्ति स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ऐंदवीथ कला शौक्की; अंति: ध्यायामि मानसे, श्लोक - १.
२. पे नाम. महाकालीदेवी स्तोत्र - सुमतिनाथाधिष्ठायिका, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
महाकालीदेवी स्तोत्र, सं., पद्य, आदिः यस्याः कृपा कटाक्षे; अंतिः जायते सोपि निर्भयः, श्लोक - ८. ३. पे नाम, जैनेश्वरी स्तुति, पृ. १आ-४अ, संपूर्ण.
पं. अमरसुंदर वाचक, सं., पद्य, आदि: इक्ष्वाकुवंशोदय भूधर अंति: पत्रमुदंतावलि राजितं श्लोक-२१. ४. पे नाम. वर्षावासपत्र कुलक, पृ. ४अ ६आ, संपूर्ण,
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
प्रा., पद्म, आदि खित्तस्स भारहस्सवि; अंतिः पायाण सवल लोअस्स, गाथा - २७.
५. पे. नाम. वर्षावासपत्र कुलक की छाया, पृ. ६आ - ११आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
वर्षावासपत्र कुलक छाया, सं., गद्य, आदि: तत्र मरुस्थल्यामत; अंति: (-).
२८१०४. स्तवन, सझाय, पद, ज्योतिष, औषध, श्लोक संग्रह व मंत्र, अपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २३ - १ (१) - २२, कुल पे. २१, जैदे., (१८x१३.५, ८-१५X१५ - २२ ).
१. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, प्र. २अ २आ, संपूर्ण.
श्राव. तिलोकचंद लुणिया, रा., पद्य, आदि: जी माने एकलडी मत मेल; अंतिः थारो हंसो जाय एखलो, गाथा- ४. २. पे. नाम. बारमासी सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
गाथा- ७.
६. पे नाम औपदेशिक दोहा संग्रह, पृ. ५अ-८ अ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
मा.गु., पद्य, आदि: चेतको चतुर नर बेसाख; अंति: फागुणरो नारख्यत.
३. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: शेडुंजानो वासी; अंति: बोले आ भव पार उतारड़, गाथा - ५.
४. पे. नाम. सातवार सज्झाय, पृ. ३अ - ४अ, संपूर्ण.
७ वार कर्तव्य सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि अदीतवार ने सुकरत; अंति; घर घररी पणीवारजी, गाथा - ७.
५. पे नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४अ ५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, मु. मनोहर, मा.गु., पद्य, आदि वे कर जोरी वीनवू; अंतिः धणी भवदुख वे गम राय,
७. पे नाम ज्योतिष संग्रह, पृ. ८अ १० आ+ १२अ, संपूर्ण,
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
८. पे. नाम. औपदेशिक पद संग्रह, पृ. ११अ - ११आ, संपूर्ण, पू. वि. पत्र क्रमशः है, परन्तु पूर्वानुसंधान पाठ पद १ से ३ अनुपलब्ध है.
सगराम दास, पुहिं., पद्य, आदि: ( - ); अंति: सुनो रे सजन इधकारी, पद-७, (पूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., प्रारंभिक ३ पद नहीं है.)
९. पे. नाम. औषध संग्रह *, पृ. ११आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
-
१०. पे. नाम चतूराइरी वात, पृ. १२अ १३आ, संपूर्ण, प्रले. मु. जोधा ऋषि, प्र. ले. पु. सामान्य. चतुराइरी वात, मा.गु., गद्य, आदि: एक दिन माघ पंडित ने; अंति: करीने आपणे सहर आया. ११. पे. नाम. करकंडुमुनि सज्झाच, पृ. १४अ, संपूर्ण.
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उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानगरी अतिभली हुं; अति: समयसुंदर० उवारी लाल, गाथा - ५. १२. पे नाम, गौतमस्वामी छंद, प्र. १४-१५अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: बीरजिणेसर केरो सीस; अंति: तूठां संपति कोडि, गाथा-९,
१३. पे नाम, प्रास्ताविक दोहा संग्रह, पृ. १५अ - १६अ + २०अ, संपूर्ण, पेवि, विभिन्न विषयों से संबंधित दोहे, पद आदि संग्रह के अलग-अलग पत्रों पर उपलब्ध कुल पत्र - १५अ - १६अ + २०अ + २१अ - २१आ.
सुभाषित श्लोक संग्रह -, मा.गु., सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
१४. पे. नाम वीरजिन तप स्तवन, पृ. १६अ १७अ संपूर्ण.
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महावीरजिन स्तवन- तपवर्णन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत सांमण द्यो मति; अंति: मुगति आपो सांमीया, गाथा - १०. १५. पे. नाम ऋषभजिन स्तवन, पृ. १७अ १७आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. विक्रम, मा.गु., पद्य, वि. १७२१, आदि: प्रथम आदिजिनंद वंदत; अंतिः सदा सुख जय जय भणं.
१६. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, पृ. १७-१८आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदिः आणी मनसुध आसता देव; अंति: मारा चिंता चूर, गाथा- ७. १७. पे. नाम. इलाचीकुमार सज्झाय, पृ. १८अ १८आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि नाम इलापुत्र जाणीए; अंति: लब्धिविजय गुण गाय, गाथा - ९.
१८. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. १९अ - २०अ, संपूर्ण.
महमद, मा.गु., पद्य, आदि भूलो मन भमरा कांई; अंतिः लेखो साहिब हाथ, गाथा - ११.
१९. पे. नाम. टावर अवलो आवेजीना मंत्र, पृ. २०अ २०आ, संपूर्ण.
मंत्र संग्रह, मा.गु., सं., गद्य, आदि: (-); अंति: ( - ).
२०. पे नाम प्रभातिजिन स्तवन, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन- प्राभातिक, मु. चिदानंद, मा.गु., पद्य, आदि: पुरव पुण्य उदे करी; अंति: सतगुरु यो दरसाया रे, गाथा - ७.
२१. पे. नाम. प्रभाति जिन स्तवन, पृ. २३अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि अरिहंत नमीजे चतुर नर; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ३ तक है . )
८१
२८१०५. स्तवन, सज्झाय, पद, स्तुति, कवित संग्रह व श्रीपालरास, संपूर्ण, वि. १८३०, ज्येष्ठ शुक्ल, १, शुक्रवार, श्रेष्ठ,
पू. १२७, कुल पे. १०२, ले. स्थल. अजीमगंज, प्रले. पं. रत्नसुंदर (गुरु मु. गुणकमल, खरतरगच्छ); पठ. श्राव. मेघराज, प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र. वि. प्रत में उपलब्ध कृतियों की अन्त में अनुक्रमणिका दी गयी है., प्र.ले. श्लो. (७४) जब लग मेरु अडिग है, (७२८) भग्नपृष्ट कटीग्रीवा, जैदे., (१८.५X१३.५, १५-२३x१३-१८).
१. पे नाम महावीरजिन पारणा सज्झाय, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन- पारणा, मु. माल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत अनंत गुण; अंति: तेने नमो मुनिमाल,
गाथा - ३१.
२. पे. नाम छिजिनवर स्तवन, पृ. ३आ-६आ, संपूर्ण.
छन्नुजन स्तवन, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७४३, आदि: वर्त्तमान चौवीसी; अंति: साचे करी सदह्या,
ढाल - ५, गाथा- २३.
३. पे नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ६आ-८आ, संपूर्ण,
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: सुगरीपुर नगर सोहामणौ; अंति: करण सुद्ध परिणाम हो, गाथा - १७.
४. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. जिनलक्ष्मी, मा.गु., पद्य, आदि: सबल भरोसो तेरो जिनवर; अंति: संत सेवक राखोने रो, गाथा-५. ५. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पच, आदि श्रेणिक रववाडी चड्यो; अंतिः वंदे रे वे करजोडि, गाथा- ९. ६. पे नाम. आत्म सिज्झाय, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची आध्यात्मिक पद-काया, मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि बहिनी प्रीउडौ; अंति: नारी विण सोभागी रे,
गाथा-७. ७. पे. नाम. इलाचीकुमार सज्झाय, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाम इलापुत्र जाणीए; अंति: लबधिविजय मुनि गाय, गाथा-९. ८. पे. नाम. साधारणजिन आरती, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु.द्यानत, मा.गु., पद्य, आदि: इहविध मंगल आरती कीजै; अंति: जीवत जनम सफल कर लीजै, गाथा-९. ९. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीपासजिन पास वडे; अंति: जीत निशान बजाउंगा, गाथा-६. १०. पे. नाम. पार्श्वजिन धूपद, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सांवलीया पारसनाथजी; अंति: पारस जैनधर्म आनंदीयै, गाथा-३. ११. पे. नाम. पार्श्वजिन धूपद, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: त्रेवीसमो जिन ताहरौ; अंति: साहिबा एम पयंपइ लाल, गाथा-७. १२. पे. नाम. नेमिजिन बारमासो, पृ. १३आ-१५अ, संपूर्ण. नेमराजिमती बारमासो, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: राणी राजुल इण परि; अंति: पाले अविहड प्रीत रे,
गाथा-१३. १३. पे. नाम. नेमराजुल स्तवन, प. १५अ-१५आ. संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सारथीडा रथ वालि जोय; अंति: वंदित चरण त्रिकाल,
गाथा-९. १४. पे. नाम. नेमराजुल स्तवन, पृ. १५आ-१६आ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, मु. माणकचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सखी मोहि आणि मिलावो; अंति: जोडी वंदणा वारो वार,
गाथा-१५. १५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सुपना हे यारो सुपना; अंति: विध जीव कु जपना है, पद-३. १६. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १७अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीउडा जिन चरणां री; अंति: मोहन अनुभवि मांगै, गाथा-५. १७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: नैनन इसी वान परी गई; अंति: अब तो करि पहिचान, पद-२. १८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १७आ, संपूर्ण.
जीवहिंसाफल पद, मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन मानीले सारी; अंति: करुना आनो छतिया, गाथा-३. १९. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: टुक रोहो रे जादव दो; अंति: हुई मेरी आंखडीया, गाथा-४. २०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
मु. उदयकमल, मा.गु., पद्य, आदि: लगीयां तेडै ना लहो; अंति: भव भव तुमरे कृपाल, गाथा-६. २१. पे. नाम. संसारमाया पद, पृ. १८आ-१९अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. भूधर, पुहिं., पद्य, आदि: देख्या दुनियां बीचि; अंति: फिटति न काज तमासा, गाथा-४. २२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १९अ-१९आ, संपूर्ण.
साधारणजिन रेखता, मु. नवल, पुहि., पद्य, आदि: किये आराधना तेरी; अंति: नवलचेरा तुमारा है, गाथा-५. २३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १९आ, संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहिं., पद्य, आदि: सुन बे चेतन बेवफा; अंति: लहो शिवसुख सुख ही, पद-४. २४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २०अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
राजाराम, पुहि., पद्य, आदि: चेतन तूं क्या फिरै; अंति: प्रभु यह अरज है मोरी, पद-५. २५. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण.
मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: वंदगी न भूल वंदे तूं; अंति: के नाव कू करो कबूल, पद-४. २६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण.
मु. रामचंद, पुहिं., पद्य, आदि: यूं ही जनम गमायो भजन; अंति: चेरो चिंतामण तै पाया, गाथा-५. २७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २१अ, संपूर्ण...
औपदेशिक पद, मु. धरमपाल, पुहिं., पद्य, आदि: अटक्यो मेरो मन अटक्य; अंति: छकनि छकि लटक्योरी, पद-२. २८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २१अ-२१आ, संपूर्ण.
मु. निहाल, पुहि., पद्य, आदि: अब तो लग्याजी हद मन; अंति: जानी कीनो दास निहाल, पद-२. २९. पे. नाम. नेमराजुल पद, पृ. २१आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. जगराम, मा.गु., पद्य, आदि: सलूणी सांवरी सूरति; अंति: राजुल दोउ मुगत गई री, गाथा-४. ३०. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. २१आ-२२अ, संपूर्ण.
मु. खेमचंद, पुहि., पद्य, आदि: हेरी मन ध्याई ले आद; अंति: जग मै खेमचंद को नंद, गाथा-३. ३१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २२अ, संपूर्ण.
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: मेरे मन के मोहन पास; अंति: प्यारे प्यारे जिनराज, गाथा-२. ३२. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण.
मु. राजाराम, मा.गु., पद्य, आदि: मेरा नेमजी मिलै तो; अंति: चरनकमल वलहारीयां, पद-४. ३३. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मु. उदयकमल, मा.गु., पद्य, आदि: पासजी मन मोह्यो मेरो; अंति: हिव मोहि भवनो फेरो. गाथा-३. ३४. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, पृ. २२आ-२३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज तो वधाइ राजा नाभि; अंति: आदीश्वर दयाल रे, गाथा-६. ३५. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
मु. उदयकमल, पुहिं., पद्य, आदि: वीरजिन प्यारे में; अंति: करमन तै कर न्यारे, पद-४. ३६. पे. नाम. वैराग्य पद, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. घासीदास, पुहिं., पद्य, आदि: कैसे मुगति सोहागनि; अंति: नवि नान ही जैन, पद-४. ३७. पे. नाम. फलिवर्द्धिपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २३आ-२४आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-फलवर्द्धि, ग. लखमीसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: फलवधि पास जुहारीयेजी; अंति: भवि भवि
ताहरो दास, गाथा-९. ३८. पे. नाम. पार्श्वजिन लघुस्तवन, पृ. २५अ-२५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जैतसी, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुण सोभागी हो साहि; अंति: माहरै तूंहिज रे देव, गाथा-५. ३९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. २५आ-२६आ, संपूर्ण.
श्रीचंद, पुहिं., पद्य, वि. १७२२, आदि: अमल कमल जिम धवल; अंति: सफल फली सहु आस, गाथा-९. ४०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. २६आ-२७आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: पीया सुंदर मूरति गुण; अंति: पीया भेटे थाहरा पायो, गाथा-९. ४१. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २७आ-२९अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. भक्तिविशाल, मा.गु., पद्य, आदि: आज सफल दिन माहरो; अंति: लाल पूरो मननी
आस, गाथा-१२. ४२. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २९अ-२९आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. भक्तिविशाल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसंखेश्वर साहिबो; अंति: मुझ फलीय मनोरथ
माल, गाथा-७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
४३. पे. नाम. ऋषभदेव स्तवन, पृ. २९आ-३०आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीविमलाचल सिर तिली; अंतिः अविचल लील बिलास,
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गाथा - ११.
४४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३०-३१अ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि; पासजी मन मान्यौ; अंतिः वीनती मनवचक्रम साखै, गाथा - ७.
४५. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३१अ - ३१आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. सुखलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीचिंतामणि पासजी; अंति: करिज्यौ सेवक काज,
गाथा - ७.
४६. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३१आ - ३२आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: मूरति मोहन वेलडी; अंति: जे आवै प्रभु जोडि,
गाथा - ७.
४७. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ३२आ, संपूर्ण.
क. केसोदास, पुहिं., पद्य, आदि: मत कोई परो प्रेमकै; अंति: होत परवश कहत केसोवास, पद-५.
४८. पे नाम, आषाढाभूत धमाल, पृ. ३३अ - ३९आ, संपूर्ण,
आषाढाभूति चरित्र, वा. कनकसोम, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: श्रीजिनवदन निवासिनी; अंतिः संघ को हुवो सुखकारै, गाथा- ६७.
४९. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९आ - ४०आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, मु. विनयलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सामलवरण सोहामणो सखी; अंतिः विनयलाभ गुण गाय रे,
गाथा - ५.
५०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पू. ४०आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: दिल ज्यांनी पास अंतिः तुम विना ओर जिनंदावो, गाथा ५.
५१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४१अ, संपूर्ण.
ग. लक्ष्मीवल्लभ, पुहिं., पद्य, आदि आखंदा मै हुं तइंडी; अंति: जिण सुरतरुदा अवतार, गाथा-५,
"
५२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४१अ - ४१आ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: दोस्ती जुडी वे तुंः अंतिः दीदार विडारि दुरोज, गाथा - ५. ५३. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ४१ आ-४२आ, संपूर्ण,
आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: सुणि सुणि शेत्रुंजा; अंति: श्रीजिनभक्तिसूरिंदा, गाथा - ११. ५४. पे नाम, जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४२आ, संपूर्ण.
मु. कनककीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: दादोजी दोलत दाता; अंतिः कनककीर्ति गुण गाता, गाथा-२. ५५. पे. नाम. अडसठतीर्थजिन स्तवन, पृ. ४३अ - ४५अ, संपूर्ण.
६८ तीर्थंजिन स्तवन, ग. सोमहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२४, आदि पाली तीरथ परगडौ; अंतिः जिनवर जगतगुरु जगदीशए, गाथा - ५५.
५६. पे. नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४५-४६अ, संपूर्ण.
मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: पूजो पासजिणेसर प्यार; अंति: हुं उसके री माई, गाथा ५.
-
५७. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ४६अ - ४६आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. हरखचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नेमजी थे कांई हठ माड; अंति: वस्या मुगति रे वास, गाथा - ७. ५८. पे नाम, नेमिजिन गीत, पृ. ४६-४७अ, संपूर्ण
नेमिजिन स्तवन, मु. रुचिरविमल, मा.गु., पद्य, आदि: मात सिवादेवी जाया; अंति: रूचिरविमल० सुख पाया,
गाथा - ११.
५९. पे नाम, नेमिजिन गीत, पृ. ४७-४८आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
नेमराजिमती गीत, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: नेम वंदन राजुल चली; अंति: उत्तम मनि आणी लो,
गाथा-९. ६०. पे. नाम. रोहिणीतप स्तवन, पृ. ४९अ-५३अ, संपूर्ण. मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १७२०, आदि: सासणदेवता सामणीए मुझ; अंति: सफल मन आस्या फली, ढाल-४,
गाथा-२६. ६१. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५३अ-५४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, क. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: अरज असाढी सुणिवे; अंति: दीजै दोलति द्वार,
गाथा-७. ६२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५४अ, संपूर्ण.
क. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: मोहि प्यारो पास; अंति: महिमा जस मकरंद है, गाथा-५. ६३. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५४आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, जगरुप, रा., पद्य, आदि: वामासुत म्हानै लागै; अंति: अजब मटक अणीयालो, गाथा-६. ६४. पे. नाम. प्रभुभक्ति पद, पृ. ५४आ-५५अ, संपूर्ण.
कृष्णभक्ति पद, क. केशवदास, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु कृपानिधान जैसे; अंति: करै तुम करुं निहाल, पद-४. ६५. पे. नाम. दादाजीजिनकुशलसूरि गीत, पृ. ५५अ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि गीत, क. आलम, पुहिं., पद्य, आदि: कुशल करो भरपूर कुशल; अंति: मो मन वंछित पूर, पद-२. ६६. पे. नाम. आत्मासुमती गीत, पृ. ५५आ-५६आ, संपूर्ण..
आत्मासुमति गीत, मु. मतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सुमति सुहागणि वीनवे; अंति: लाल मतिकुशल मनुहार,
गाथा-१४. ६७. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. ५७अ, संपूर्ण.
राम, मा.गु., पद्य, आदि: लाडी ते तें असो नेम; अंति: जाकी सिरिराम जस गायो, गाथा-४. ६८. पे. नाम. नेमराजिमति गीत, पृ. ५७अ-५७आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजय सुत नेम; अंति: अजरामर सुख पाया रे, गाथा-७. ६९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५७आ-५८आ, संपूर्ण.
मु. कुशलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समरू पासजिणंदजी; अंति: कुशलविजय प्रणमै मुदा, गाथा-९. ७०. पे. नाम. स्थुलीभद्र गीत, पृ. ५९अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रियुडा मानो बोल; अंति: कहइ प्रणमुपाया रे,
गाथा-६. ७१. पे. नाम. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, पृ. ५९अ-६०आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: भलो ओगो दिवस प्रमाण; अंति: सुजाण घणा सुख पावसी, गाथा-११. ७२. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ६१अ-६१आ, संपूर्ण.
मु. रिद्धहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: गढ गिरनार की तलहटी; अंति: सांभली सिवादेवी माय, गाथा-६. ७३. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पृ. ६१आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: हां रे समेतसिखर हम; अंति: इछ सफल कराय लहो, गाथा-३. ७४. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. ६१आ-६२अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानउद्योत, पुहि., पद्य, आदि: खतरा दूर करना एक; अंति: परना सिवनारी वर वरना, पद-४. ७५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ६२अ, संपूर्ण..
पुहि., पद्य, आदि: मोतियन थाल भरकै करह; अंति: लोह कंचन मोहि करकै, पद-४. ७६. पे. नाम. विमलजिन पद, पृ. ६२अ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: विमलजिन तुम साहिब; अंति: दूर हरो दुखदंदा, पद-३.
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मु. हरखचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नेह तु साडे नाल लगा; अंति: दूर हरो जंजाल, पद- ३. ८३. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ६४आ, संपूर्ण.
७७. पे. नाम. महावीरजिन बधाई, पृ. ६२आ, संपूर्ण.
पद - ५.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: वाजितरंग वधाई नगर मै; अंति: हिव कैसे रहै दोय नैण, ७८. पे. नाम. जिनसुखसूरि गीत, पृ. ६२आ - ६३आ, संपूर्ण.
नाथो, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: सहीयां मोरी जिनसुख; अंतिः सुखना दीजै थाट है, गाथा-८. ७९. पे. नाम वासुपूज्यजिन पद, पृ. ६३आ, संपूर्ण.
मु. चंद, मा.गु., पद्य, आदि जिनराज मेरो मन वस; अंतिः सुरग मुगित सुखदाय, पद- ४.
८०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ६३आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, पुहिं., पद्य, आदि: लागे मुझने प्यारा; अंतिः समरन षटमल्लजिन आधारा, पद- ३. ८१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६४अ, संपूर्ण.
भूधर, पुहिं., पद्य, आदिः उस मारग मत जाय रे नर; अंतिः दिनी वात जताइ रे, गाथा- ४. ८२. पे. नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ६४अ, संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मु. भूधर, पुहिं, पद्य, आदि लगीलो नाभिनंदनसुं; अंतिः श्रीजिन समझी भूधरयुं, गावा-४. ८४. पे. नाम. अंतरिक्षपार्श्वजिन पद, पू. ६४आ, संपूर्ण.
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पार्श्वजिन पद - अंतरीक्ष, मा.गु., पद्य, आदि आज की वदन छवि अजबनी; अंति देवा दिल में नेहरो, गाथा - ३.
८५. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. ६५अ - ६५आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: नेम कांह फिर चाल्या; अंतिः जिनहर्ष पयंपे हो के, गाथा ८.
८६. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ६५आ, संपूर्ण.
आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि मन मधुकर मोही राउ; अंतिः सेवे ने कर जोडी रे, गाधा-५. ८७. पे नाम सुमतिजिनगीत, पृ. ६६अ-६६आ, संपूर्ण.
आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: करतां सेती प्रीति सह अंतिः विरुद साचज वहई रे, गाथा-४. ८८. पे. नाम पद्मप्रभुजिन गीत, पृ. ६६आ- ६७अ संपूर्ण.
पद्मप्रभजिन गीत, मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: कागलीयउ करतार भणी; अंति: इणि घरि छई आ रीति,
गाथा - ५.
८९. पे नाम सुविधिजिन गीत, पृ. ६७अ ६७आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: सेवा बाहिरउ कईयको; अंति: कितला पहुचीजइ आडै, गाथा - ५. ९०. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ६७आ, संपूर्ण.
मु. गुलाबचंद, पुहिं., पद्य, आदि: लगीवो मेंडी प्रीत तु; अंति: गावै सदा गुण गीत, पद- ४. ९१. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पृ. ६७आ, संपूर्ण,
मु. गुलाबचंद, पुहिं., पद्य, आदि हरष हरष मन हरषी लो; अंति: गुलाब कुं सुख दियो, पद-२. ९२. पे. नाम. प्रास्ताविक दोहासंग्रह, पृ. ६८अ - ६८आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दूहा संग्रह, मु. उदैराज, पुहिं, पद्य, आदि जो जीय मै जाने नही; अंति पर ग्यो होत हजार, ९३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ६९अ - ६९आ, संपूर्ण.
भाव. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: करम भरम जग तिमर हरन; अंतिः द्रिग लीला की ललक मै, सवैवा- ३. ९४. पे नाम, पार्श्वनाथ स्तुति, पृ. ६९आ, संपूर्ण,
पार्श्वजिन पद, मु. धर्मसिंह, पुहिं., पद्य, आदि: जाको परताप पूर देखा; अंतिः सुख मिटई दुख पासजू, पद- १. ९५. पे नाम, नेमिजिन पद, पृ. ७०अ, संपूर्ण.
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मराजिमती पद, पु.ि, पद्य, आदि: गिरधर लाल भए असवार, अंति: कीए पसु आपण रंग, पद- १. ९६. पे. नाम, नेमराजुल पद, पृ. ७०अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
नेमराजिमती पद, पुहिं., पद्य, आदि: गाज की अवाज अति; अंति: विनु खरी अकुलात है, पद-१. ९७. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ७०अ-७०आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, पुहिं., पद्य, आदि: साउरे सलूणे नेमि; अंति: साथ गई मोख दोरि कै, पद-१. ९८. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. ७०आ, संपूर्ण.. नेमराजिमती पद, मु. ज्ञानसुंदर, पुहिं., पद्य, आदि: लाल घोडो लाल पाघ लाल; अंति: लाल जाने मेरो सामरि,
पद-२. ९९. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ७०आ, संपूर्ण.
पं. खुस्याल, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीयुगवंदन वामा को; अंति: पास सो मुगति को गामी, पद-१. १००. पे. नाम. कवित व सवैया संग्रह, पृ. ७१अ-७२आ+१२५, संपूर्ण, पे.वि. पत्र १२५अ-१२५आ पर उपलब्ध
कवित्तसंग्रह को भी इस पेटांक में संलग्न किया गया है.
प्रास्ताविक कवित संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: माता पिता जुवती सुत; अंति: करो जा काटि दीजीये, पद-११. १०१. पे. नाम. श्रीपालमहाराय चतुष्पदिका, पृ. ७३आ-१२३आ, संपूर्ण. श्रीपाल रास-बृहद्, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४०, आदि: श्रीअरिहंत अनंतगुण; अंति: पातिकवन लुणिज्यौ
रे, ढाल-४९, गाथा-८६१. १०२. पे. नाम. जिनकुशलसूरि पद, पृ. १२४अ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि सवैया, मु. धर्मसीह, पुहिं., पद्य, आदि: राजै थूभ ठौर ठौर ऐसौ; अंति: नाम युं कहायौ है, गाथा-२. २८१०९. (#) सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १६-६(१ से ३,७ से ८,११)=१०, कुल पे. ६, प्र.वि. अक्षरों की
स्याही फैल गयी है, दे., (१७.५४१४, ९-१०४९-१३). १. पे. नाम. तृष्णापरीत्याग सज्झाय, पृ. ४अ-६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. तृष्णापरित्याग सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: तेहने होय निरवाण, गाथा-१३, (पू.वि. गाथा
४ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: संतो सांई न मिलेइ न; अंति: रगे बजाबे सुभाते. ३. पे. नाम. परक्रियाबोध सज्झाय, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. भद्र, मा.गु., पद्य, आदिः (अपठनीय); अंति: सो दया दाने उधारी, पद-७. ४. पे. नाम. अध्यात्म सज्झाय, पृ. १०अ-१३अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है. आध्यात्मिक सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., पद्य, आदि: सिंगल दीप शरीर मे; अंति: पाईये सुख अनूप रे, गाथा-१८,
(पू.वि. गाथा ५ से ११ नहीं है.) ५. पे. नाम. अध्यात्म सज्झाय, पृ. १३अ-१४अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., पद्य, आदि: तनपुर नगर मनोहरु; अंति: चेतताथी सुख होय रे, गाथा-११. ६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १४अ-१५आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवननायक भवभूत; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा १३ अपूर्ण तक
२८११०. स्तवन, सझाय व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २०, कुल पे. ५, जैदे., (१९x१४.५,
१५-१७४१४-१७). १.पे. नाम. शाश्वतजिन स्तवन, पृ. १अ-८अ, संपूर्ण. मु. माणिकविमल, मा.गु., पद्य, वि. १७१४, आदि: वीर जिणेसर पाय नमी; अंति: माणिकविमल. संपति घणी,
ढाल-७, गाथा-८४. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति-सुरजमंडण, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पार्श्वजिन स्तुति-सूरतमंडण, मु. हितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुरतिमंडण पासजिणेसर; अंति: जिम मनवांछित
पावे जी, गाथा-४. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुधर्म देवलोक पहिलो; अंति: कांतिविजय गुण गाय, गाथा-४. ४. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, पृ. १०अ, संपूर्ण.
संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरूपदपंकज नमीजी; अंति: वृद्धिविजय जयकार. ५. पे. नाम. पार्श्वजिनपंचकल्याणक स्तवन, पृ. १०अ-२०आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-पंचकल्याणक, मु. विवेकविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परमजोत परमातमा परम; अंति: विवेक
लहे आणंद ए, ढाल-६. २८१११. स्तवन संग्रह व बासठबोल यंत्र, पूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-१(१)=८, कुल पे. ८, प्र.वि. वस्तुतः पहला पत्र नहीं
है, प्रतिलेखक मूल पत्रांक को सुधारकर क्रमशः पत्रांक लिखा है., जैदे., (२०x१४, १८४३०). १. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन छंद, पृ. १अ-१आ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. कुंभकर्ण, रा., पद्य, आदि: (-); अंति: तूं जिणंद जग चिरजयौ, गाथा-१५+२,
(पू.वि. पहली गाथा नहीं है.) २. पे. नाम. फलवद्धी पार्श्वजिन छंद, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-फलवृद्धि, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: परतापूरण प्रणमीयै; अंति: धणी सेवकने सानिध करौ,
गाथा-२१. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन अष्टभयनिवारण छंद, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण.. पार्श्वजिन छंद-अष्टभयनिवारण, मु. धरमसीह, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन दे सरसती एह; अंति: धरमसींह ध्याने
धरण, गाथा-२९. ४. पे. नाम. चोसठियोयंत्र, पृ. ४अ-६अ, संपूर्ण.
चोसठियो यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). ५. पे. नाम. नेमराजीमती स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन-लघु, मु. हर्षचंद, मा.गु., पद्य, आदि: काइ हठ मांड्यो छे; अंति: वसिया मुगत रे वास,
गाथा-७. ६. पे. नाम. नेमराजीमती लघुस्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन-लघु, मु. रघुपति, मा.गु., पद्य, आदि: रथ फेरो महारायजी लार; अंति: प्रणमै रुघपति पाय,
गाथा-७. ७. पे. नाम. पार्श्वजिन श्लोक, पृ. ७अ-८आ, संपूर्ण. मु. दौलतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८४०, आदि: सकत कहीजै सरसती माई; अंति: मुनिवर इम गुण गावै,
गाथा-३७. ८. पे. नाम. दानशीलतपभावना सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण. चौपटखेल सज्झाय, आ. रत्नसागरसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: अरे मारा प्राणीया; अंति: रतनसागर कहे सूर रे,
गाथा-७. २८११२. (+) स्तोत्र व स्तुति संग्रह, पूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १६-१(१५)=१५, कुल पे. १५, प्र.वि. संशोधित., दे., (२०x१४,
१४४२४-२७). १. पे. नाम. वीरजिनअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
महावीरजिनद्वात्रिंशिका, आ. सिद्धसेन, सं., पद्य, आदि: स्तोष्ये जिनं; अंति: वर्द्धमानो जिनेंद्र, श्लोक-३२. २. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तोत्र, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आ. देवानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूति; अंति: इच्छतु वांछितं मे, श्लोक-९.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तोत्र, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: प्रभूतविद्याभिरभून्न; अंति: मूर्त्तितमिच्छेत्, श्लोक-११. ४. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तवन, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
आ. वज्रस्वामि, सं., पद्य, आदि: स्वर्णाष्टाग्रसहस्र; अंति: श्रेयांसि भूयांसि नः, श्लोक-११. ५. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिनानां मांगलिक स्तुति, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण.
२४ जिननामगर्भित मंगलाष्टक, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: नतसुरेंद्रजिनेंद्र; अंति: मम मंगलम्, श्लोक-९. ६. पे. नाम. मंगल स्तोत्र, पृ. ५आ-७अ, संपूर्ण.
शाश्वताशाश्वतजिन स्तव, आ. धर्मसूरि, सं., पद्य, आदि: नित्ये श्रीभुवनाधि; अंति: कुर्वंतु नो मंगलं, श्लोक-१६. ७. पे. नाम. चतुर्विंशतित्रयविहरमानादि द्विनवतीजिन स्तोत्र, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
जिनचैत्यवंदना स्तुति, सं., पद्य, आदि: देवोनेक भवार्जितो; अंति: दुरायं न सुखं च सारं, श्लोक-६. ८. पे. नाम. षोडशविद्यादेवी स्तुति, पृ. ७आ, संपूर्ण.
१६ विद्यादेवी स्तुति, सं., पद्य, आदि: गौरी सैरिभगामिनी; अंति: प्रयच्छंतु नः, श्लोक-१. ९. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. ७आ, संपूर्ण.
जिनस्तुति प्रार्थना संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: भवबीजांकुरजनना; अंति: जिनो वा नमस्तस्मै, गाथा-१. १०. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ७आ-९आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तुति, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: आनम्रनाकिपतिरत्न; अंति: परमार्थसिद्धिम्, श्लोक-२५. ११. पे. नाम. अर्हन्विज्ञप्ति, पृ. ९आ-११अ, संपूर्ण.
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्कर प्रार्थये, श्लोक-२५. १२. पे. नाम. महावीरद्वात्रिंशिका, पृ. ११अ-१३अ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: सदा योगसात्म्यात्; अंति: तांश्चक्रिशक्रश्रियः, श्लोक-३३. १३. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, पृ. १३अ-१४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
सं., पद्य, आदि: वृषभजिनरमानः संशय; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक २२ अपूर्ण तक है.) १४. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिनपंचषष्टीयंत्र स्तव, पृ. १६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., पे.वि. यन्त्र सहित. २४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक-८, (पू.वि. श्लोक ७
अपूर्ण तक नहीं है.) १५. पे. नाम. पंचपरमेष्टि स्तुति, पृ. १६अ, संपूर्ण.
पंचपरमेष्ठि स्तुति, प्रा., पद्य, आदि: णमिउण असुरसुरगरूल; अंति: उवज्झाय सव्वसाहुय, गाथा-१. २८११४. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ९-१(१)=८, कुल पे. १६, दे., (२२.५४१३.५, १८-२१४१३-१८). १.पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: उण दिनरी वलीएरी, गाथा-४, (पू.वि. गाथा २ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. आदिजिन स्तव, पृ. २अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., पद्य, वि. १९४०, आदि: दरसा फिर दीज्योजी; अंति: उपरे यो गण गाया है.
गाथा-४. ३. पे. नाम. चिंतामणीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: सदा गुण गावो रे मोटा; अंति: कीजो हाजर रहु हजूर,
गाथा-४. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: झाखंभली रे पारसवनाथ; अंति: जिनंद गुण गाय जी, गाथा-५. ५. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची साधारणजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: भजो सब जगनायक जिन; अंति: निसदिन नव हे आनंद,
गाथा-४. ६. पे. नाम. विठोरापार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. ___ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी बिठोरामंडन, मा.गु., पद्य, आदि: प्रगट्यो गोडी पासजी; अंति: (-), (पूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ३ अपूर्ण तक है.) ७. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ४अ, संपूर्ण.
क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: वारियां वारियाणे जिन; अंति: भव शरण तिहारिया हो, गाथा-४. ८. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: जिनराज जगपती चर्ण; अंति: शुभ समकीत निरमल होती,
गाथा-७. ९. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, क. लाल, पुहिं., पद्य, आदि: हम आए नाथ के दरसन को; अंति: मोटो भव की त्रासन को,
गाथा-४. १०. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: मने प्यारोह लग सासण; अंति: ए तो नेम सीधा गिरनार, गाथा-६. ११. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: गुण गावो हो भवि जीवा; अंति: थारी निस्तेरेहसी लाज, गाथा-४. १२. पे. नाम. तीर्थयात्रा स्तवन, पृ. ५अ-६अ, संपूर्ण..
क. लाल, मा.गु., पद्य, वि. १९४०, आदि: थारो लगजी गीरनार; अंति: रवीज गुण गायाह लाल, गाथा-११. १३. पे. नाम. सिद्धाचलतीर्थ स्तवन, पृ. ६अ-७आ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, क. लाल, मा.गु., पद्य, वि. १९४०, आदि: सिद्धगिरि सिर सेणेरो; अंति: सफल हुवो अवतार,
___गाथा-४१. १४. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: भेटो भेटो रे अजित; अंति: लाल० पायो है ने पार, गाथा-९. १५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण.
क. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: पूजो जगनायक जिनराज; अंति: लालजी० पलीयेतणा रमाय, गाथा-४. १६. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: गढ ऊचो गणोरे गीरनार; अंति: ऊंचा जी जग संसारी, गाथा-३.
झाय, लावणी, पद एवं स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ९, जैदे., (१३.५४११, १८x२९). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-मानोपरि, पृ. ११-१आ, संपूर्ण.
मानपरिहार सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: मान न कीज्यो रे मानव; अंति: धीग कारण संसार रे, गाथा-१५. २. पे. नाम. वैराग्य सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भूलो ज्ञान भमरा काई; अंति: लेखो साहिब हाथ, गाथा-१४. ३. पे. नाम. पंचतीर्थ स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पंचतीर्थजिन स्तवन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: आदे ए आदिजिणेसरू ए; अंति: भणे० सुख पामै
सासता, गाथा-६. ४. पे. नाम. सीताजीरी सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. सीतासती सज्झाय-शीयलविषे, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: जलजलती वलती घणी रे; अंति: नीत प्रणमीजे
पाय रे, गाथा-८. ५. पे. नाम. वैराग्य सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धर्म करो रे प्राणीया; अंति: ते पामै सिवलीला रे, गाथा-१०. ६. पे. नाम. औपदेशिक लावणी, पृ. ३आ, संपूर्ण.
अखपत, पुहिं., पद्य, आदि: खबर नहीं जुग में पल; अंति: जिनकु विनती अखपतकी, गाथा-८. ७. पे. नाम. इलाचीकुमार सज्झाय, पृ. ४अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नामेलापूत्र जाणीयै; अंति: लब्धिविजय गुण गाय, गाथा-९. ८. पे. नाम. सामायिक सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मु. नेमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सामाइक मन सुद्धे करो; अंति: सामायक कीज्यो निशदीस, गाथा-५. ९. पे. नाम. शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: शारद मात नमुं सिरनाम; अंति: मनवंछित शिवसुख पावे, गाथा-२१. २८११६. पंचपरमेष्ठि नमस्कार सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९२२, कार्तिक शुक्ल, ११, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ८, राज्यकाल शिवलाल श्रीमाली; पठ. सा. कस्तुराबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२०४१२.५, ७७१९).
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत , प्रा., पद्य, आदि: णमो अरिहंताणं; अंति: नमो लोए सव्वसाहुणं, पद-५.
नमस्कार महामंत्र-बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: नमो अरिहंताणं कहता; अंति: तो मीछामि दुक्कड. २८११७. (+) विधि, रास, स्तोत्र, सज्झाय, पूजा व आरती संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ५८-३(१,२३ से २४)=५५,
कुल पे. १७, दत्त. पं. श्यामलाल; गृही. मु. तनसुख, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. सं. १९५२ पोष सुद ४ के दिन पं. श्यामलाल ने तनसुखजी को यह प्रति राजीखुशी से दी., पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (२१४१४, २७-२९x१७-१९). १. पे. नाम. गौतमस्वामी रास, पृ. २अ-४अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: (-); अंति: सयल संघ आणंद करो, गाथा-४८, (पू.वि. गाथा
१७ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थरास, पृ. ४अ-८अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८२, आदि: श्रीरिसहेसर पाय नमी; अंति: ए सुणतां आणंद थाय,
ढाल-६, गाथा-११२. ३. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ रास, पृ. ८आ-१४अ, संपूर्ण.
मु. बालचंद, मा.गु., पद्य, वि. १९०७, आदि: वांदी वीस जिनेसरू; अंति: कीनौ भणतां मंगलमालजी. ४. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १४अ-१६आ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. ५. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. १६आ-१९अ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते, श्लोक-४४. ६. पे. नाम. ऋषिमंडल स्तोत्र, पृ. १९अ-२१अ, संपूर्ण.
आ. गौतमस्वामी गणधर, सं., पद्य, आदि: आद्यताक्षरसंलक्ष्य; अंति: लभतेपदमुत्तमम्, श्लोक-६३, ग्रं. १५०. ७. पे. नाम. देववंदन विधि, पृ. २१आ-२२अ, संपूर्ण.
आवश्यकसूत्र-जिनवंदन विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम दोय गाथारो नम; अंति: कही जय वीयराय कहै. ८. पे. नाम. तपस्याग्रहण विधि, पृ. २२अ+५८अ, संपूर्ण.
तपग्रहण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावही पडिक; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. ९. पे. नाम. ११ अंग सज्झाय, पृ. २५अ-२९अ, संपूर्ण, वि. १९२८, चैत्र शुक्ल, ९, ले.स्थल. अजीमगंज.
मु. विनयचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १७५५, आदि: पहिलो अंग सुहामणों; अंति: अंग इग्यार सज्झाय कि, ढाल-१२. १०. पे. नाम. २० स्थानक पूजा, पृ. २९अ-४३अ, संपूर्ण. ___ आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८५८, आदि: सुखसंपतिदायक सदा जग; अंति: (१)वरणी किणविध जाय रे,
(२)लिखी मन उल्लास ए, पूजा-२०, ग्रं. ४०१. ११. पे. नाम. २० स्थानक आरती, पृ. ४३अ-४३आ, संपूर्ण.
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मु.
१२. पे. नाम. विंशतिस्थानक आरती, पृ. ४३आ-४४अ, संपूर्ण.
जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: पिया विंशति थान मंगल; अंतिः विध जाय रे, गाथा- ७.
२० स्थानकरात्रिका, सं., पद्य, आदिः यो जीमूतांजनौघांजन; अंति: (१) जिनपंकविखंडनाय, (२) जैनचंद्रः प्रदीप, श्लोक-५ (वि. पाठान्तर सहित)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१३. पे. नाम, वीसस्थानक स्तवन, पृ. ४४अ, संपूर्ण, वि. १९२८, भाद्रपद अधिकमास शुक्ल, १, ले. स्थल, बालूचर, पे.वि. श्रीसंभवनाथजी प्रसादेन,
२० स्थानकतप स्तवन, आ. जिनसौभाग्यसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वीसस्थानक तप वंदो रे; अंति: भवसागर निस्तरियै रे, गाथा ७.
१४. पे. नाम. ऋषिमंडल पूजा, पृ. ४४आ - ५२अ, संपूर्ण.
१५. पे. नाम. जैनधर्ममहिमा स्तुति, पृ. ५२अ संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि; दुर्वारस्फारविघ्नो; अंतिः विजयते वैजयंती जयंती, श्लोक-२.
ऋषिमंडल स्तोत्र पूजा, संबद्ध, ग. शिवचंद्र, मा.गु., सं., पद्य, वि. १८७९, आदि: प्रणमी श्रीपारस विमल; अंतिः (१) विजयतै वैजयंती जयंति, (२) आनंद संघ बधाया, ढाल २४.
१६. पे. नाम. २१ प्रकारी पूजा, पृ. ५२-५७अ, संपूर्ण.
ग. शिवचंद्र, मा.गु., सं., पद्य, वि. १८७८, आदि: मंगल हरिचंदन रूचिर अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण.
१७. पे. नाम. तपस्याग्रहण विधि, पृ. ५८अ, संपूर्ण, दत्त. पं. श्यामलाल, गृही. मु. तनसुख, प्र.ले.पु. सामान्य, पे. वि. पुस्तक तनसुखजीने पं. श्वामलाल राजी खुशी दीनी सं.१९५२ मी. पो. सु.४. का उल्लेख मिलता है. तपग्रहणविधि संग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि: प्रथम इरियावही; अंतिः थुई की २ गाथा कही.
२८११८, (+) सझाय, स्तवन व चैत्यवंदन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे ६, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२०.५X१३, १०x२१ - २४ ).
१. पे. नाम. चौदनियम सज्झाय, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण.
१४ नियम सज्झाय, ग. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारदपाय प्रणमी करि; अंतिः ऋद्धिविजय उवझय, गाथा - २१.
२. पे. नाम. धनाशालीभद्र सज्झाय, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
धन्नाशालिभद्र सज्झाव, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अजी आ जोरावर करमीजे; अंतिः उदयरत्न भवजलतीर रे, गाथा - ७.
३. पे नाम, नेमिजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: सांमलीया सिद्धनें अंतिः अमे रमसूं तुमरंगे, गाथा - ६.
४. पे. नाम. आदिजिन चैत्यवंदन - चंद्रकेवलिरासउद्धृत, पृ. ५अ -५आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत नमो भगवंत अंतिः ज्ञानविमल सूरीश नमो, गाथा ८.
५. पे. नाम. सर्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ५आ- ६आ, संपूर्ण.
२८११९. गौतमस्वामि रास, संपूर्ण, वि, २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, जैदे., (२०१x११, ११x२८-३२).
जिनपूजा चैत्यवंदन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगुरुराज; अंति: प्रभु सेवना कोडी, गाथा - १४. ६. पे. नाम. विमलाचलतीर्थ स्तवन, पृ. ७अ - ७आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजी आव्या रे; अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा ६ अपूर्ण है.)
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गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पच, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: संपजै कुरला करे कपूर, गाथा ४९.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८१२०. (+) स्तुति व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८५१, भाद्रपद कृष्ण, ९, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. २८, ले. स्थल. देपालपुर, प्रले. पं. सायबहंस, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२०x१२.५, १४- १७४२६-३१). १. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेनुंजो तीरथ; अंतिः न्यानविमल पभणीज्ये, गाथा-४,
२. पे. नाम. बीज स्तुति, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
बीजतिथि स्तुति, आ. नयविमल, मा.गु., पद्य, आदि: जंबूद्वीपे अहनिश दीप; अंति: संघना विघ्न निवारीजी,
गाथा -४.
३. पे नाम, अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करी जस आगल; अंतिः तपथी कोडि कल्याणजी, गाथा- ४. ४. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: नयरी द्वारामती कृष्ण; अंति: जे कवि नय इम पभणीजे, गाथा- ४. ५. पे. नाम. मीनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमिजिनवर सवल; अंतिः कहे संघनै सुखकार, गाथा-४. ६. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ३-४अ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: सीस० संघतणा निशदिश, गाथा- ४. ७. पे नाम, बीजतिथि स्तुति, पृ. ४अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहे पूर मनोरथ माय, गाधा-४. ८. पे नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ४-४आ, संपूर्ण.
मु. गजाणंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपंचमीनो तप कीजइ; अंति: गजानंद अखयपद साधे, गाथा-४.
९. पे नाम ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. ४आ, संपूर्ण
सं., पद्य, आदि: श्रीनेमि: पंचरूप; अंतिः कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४.
१०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. ४-५अ, संपूर्ण.
बीजतिथि स्तुति, मु. गजाणंद, मा.गु., पद्य, आदि : उजवालि बीज सुहावे रे; अंति: गजानंद आनंद विधाता,
गाथा- ४.
११. पे नाम. पर्युषण पर्व स्तुति, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदिः परव पजुसण पुन्यै; अति: संतोषी गुण गाये जी, गाधा - ४.
१२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - संगीतबंध, पृ. ५आ - ६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ, जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: ट्रें कि धप; अंतिः दिशतु शासनदेवता, श्लोक-४.
१३. पे. नाम. कुंथुजिन स्तुति, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. सुमतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कुंथुजिनेसर अति; अंतिः सुमती सुख साधे जी, गाधा-४.
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९३
१४. पे. नाम. संसारदावानल स्तुति, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
आ. हरिभद्रसूरि, सं., प्रा., पद्य, आदि: संसारदावानलदाहनीर; अंति: देहि मे देवि सारम् श्लोक-४. १५. पे. नाम. मगसीपार्श्वजिन स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति - मगसी, मु. विजयदेव, मा.गु., पद्य, आदि: मगसीमंडण पासजिणेसर; अंति: विजयदेव सुखकारी जी,
गाथा - १.
१६. पे. नाम महावीरजिन स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण
सं., पद्य, आदि: वीरं देवं नित्यं अंतिः देवि दयारंभ श्लोक-४ (वि. ४ श्लोकों के मात्र प्रतीक पाठ है. )
१७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - मलकापूरमंडन, पृ. ६आ - ७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: गलकुंड पसि मलकापूर: अंतिः आपो पुरो संघ जगीश, गाथा-४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १८. पे. नाम. मंगलिक स्तुति, पृ. ७अ, संपूर्ण.
कल्लाणकंद स्तुति, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढम; अंति: अम्ह सया पसत्था, गाथा-४. १९. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. नेमविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तिर्थंकर आदि; अंति: नेमिविजय सुख लहीयेजी, गाथा-१. २०. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सत्तरभेदी जिनपूजा; अंति: पुरो देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. २१. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर मुझनै; अंति: शांतिकुशल सुखदाता जी, गाथा-४. २२. पे. नाम. सुखडी स्तुति, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तुति, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चंपक केतकी पाडल जाई; अंति: माई जो तूंसे अंबाई,
गाथा-४. २३. पे. नाम. शांतिजिन स्तुति, पृ. ८आ, संपूर्ण. शांतिजिन स्तुति-जावरापुर, मु. पुन्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिकर शांतिकर जावर; अंति: ज्ये पुण्य
प्रभाविका, गाथा-४. २४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. ८आ-९आ, संपूर्ण.
श्राव. ऋषभदास , मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशत्रुजय तीरथसार; अंति: पाया ऋषभदास गुणगाया, गाथा-४. २५. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. शीलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिगडे बैठा श्रीनेम; अंति: शील कहे तू पूर जगीस, गाथा-४. २६. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १०अ, संपूर्ण..
शत्रुजयगिरनारतीर्थ स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवनमाहे तिरथ; अंति: जीव सुखसंपत्ति वरे, गाथा-४. २७. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १०अ, संपूर्ण.
__मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: नेमिनाथ जिनेश्वर, गाथा-१. २८. पे. नाम. पंचतीर्थ स्तुति, पृ. १०अ, संपूर्ण.
पंचतीर्थी स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टापदे श्रीआदिजिन; अंति: समेतशिखरे विशजिनवरम्, गाथा-१. २८१२१. स्तवन, सझाय व छंद संग्रह, त्रुटक, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २७-२०(१ से ४,६ से १७,१९,२१ से २३)=७, कुल
पे. ९, जैदे., (२०.५४१२.५, १६x२१-२५). १.पे. नाम. आदिजिन स्तवन-राणकपुर, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. आदिजिन स्तवन-राणकपुरमंडन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६७६, आदि: (-); अंति: लाल
समयसुंदर सुखकार, गाथा-७, (पू.वि. प्रारंभिक ४ गाथाएँ नहीं है.) २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सूरत प्यारी हो लागै; अंति: पुरो प्रेम विप्रास, गाथा-८. ३. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: इणनै जिनवरनीजी जात; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ५ अपूर्ण तक
४. पे. नाम. गौडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. चंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: आज सुदिन दिन ऊगीयौ; अंति: पाठक चंद्र हो राज,
गाथा-७. ५. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १८आ, संपूर्ण.
मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजयजीनो लाडलो; अंति: होजो होजो मुगत आवास, गाथा-१२. ६. पे. नाम. अर्बुदाचलतीर्थ स्तवन, पृ. २०अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, वा. महिमसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १७७०, आदि: (); अंति: नमे नित जिनवर मुदा, गाथा - २७, (पू. वि. गाथा १५ अपूर्ण तक नहीं है. )
७. पे नाम, गोराकाल छंद, पृ. २४अ, संपूर्ण, प्रले. ऋ. देवचंद, प्र.ले.पु. सामान्य,
क. लाधो, मा.गु., पद्य, आदि: लांगलो लटीयाल चितकर; अंतिः कहे मोटापा मंद माहरा, गाथा - १. ८. पे. नाम. आबु छंद, पृ. २४अ - २५अ, संपूर्ण.
अर्बुदगिरितीर्थ छंद, क. रूप, मा.गु., पद्य, आदि: पुत्र गवरी समरु; अंति: भलो अरबदगढ भाषीयै, गाथा - १७. ९. पे. नाम. रतनसीगुरु स्वाध्याय, पृ. २५अ - २७अ, संपूर्ण.
रतनसीगुरु सज्झाय, मु. देवजी, मा.गु., पद्य, आदि: रतनगुरु गुण मीठडारे; अंतिः दशमी ढाल उदार, गाथा- ४५. २८१२२. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ९-३ ( ४ से ६) = ६, कुल पे. ४, प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., ,जैदे., (२१x१२,
१०x२७-२८ ) .
१. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र छंद, पृ. १आ- ३अ, संपूर्ण.
क. लाधो, मा.गु., पद्य, आदि: भोर भयो ऊठो भवि; अंति: करि वरदायक लाधो वदे, गाथा - १८. २. पे. नाम संभवजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसंभवनाथ कर जोडी; अंति: जिम होये बहुली परे, गाथा - ७.
३. पे, नाम, विहरमानजिन पांचबोल स्तवन, पृ. ७अ ७आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं,
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विहरमान २० जिन ५ बोल स्तवन, मु. वीरजी, मा.गु., पद्य, वि. १८१७, आदि: (-); अंति: मुनि प्रभुना गुण गाय, गाथा- २३, (पू. वि. गाथा १० अपूर्ण तक नहीं है.)
४. पे नाम, साढापच्चीसदेशविवरणगर्भित वीरजिन स्तवन, पृ. ८अ ९आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन- साढा २५ देशविवरणगर्भित, मु. तेजसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: वीर जिनेशर वांदीने; अंति: तेजसी भणज्यो सह भाय, गाथा २५.
-
२८१२३. रास, स्तवन व समस्या संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३४ - १९५१, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. ४, जैदे., (२०.५x१२, १२x२४-२५).
१. पे. नाम बुढ़ापा रास, पृ. १अ ८अ संपूर्ण, वि. १९३४, माघ शुक्ल १५, ले. स्थल. मुमासर, प्रले. मु. हुकमा, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. चंद, रा., पद्य, वि. १८३६, आदि: दयाज माता वीनवु गणधर; अंति: सुणौ कलियुग निसाणी, ढाल - २२.
२. पे. नाम संभवजिन स्तवन, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण, वि. १९३४, फाल्गुन कृष्ण, १४.
मु. रिद्धिकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदिः संभवि जिनरी सेवा; अंति: कीरति जग मोह हो, गाथा ५.
३. पे. नाम गौडी पार्श्वप्रभुजी स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण, वि. १९३७, श्रावण कृष्ण, ९, ले. स्थल. लूणकरणसर,
पे.वि. प्रतिलेखक द्वारा लूणकरणसर में खरतरगच्छ अन्तर्गत पहले चातुर्मास में लिखी गयी.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, पा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगवडीपुरमंडण; अंति: कल्याण सवाई थायै हो,
गाथा - ७.
४. पे नाम प्रहेलिका संग्रह, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण, वि. १९५१ श्रावण शुक्र, २, शुक्रवार, प्रले. पं. हितरंग गणि
प्र.ले.पु. सामान्य.
पुहिं., पद्य, आदि: (); अंति: (-).
२८१२४. ज्योतिष, औषध, सवैयादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ६८-५२ (७ से ५७,६१) = १६, कुल पे. ५, जैदे.,
आ. नरचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीअर्हतजिनं नत्वा;
२. पे. नाम. प्रस्ताविक सवैया, पृ. ६६आ, संपूर्ण.
(२१४११.५, १९-२३४१२-१६).
१. पे नाम ज्योतिषसार, पृ. ५८अ ६८अ, अपूर्ण, पू. वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., पे.वि. अंतिम ६ पत्र पत्रांक रहित है. संभवतः इसी के पत्र होने चाहिये.
९५
अंति: (-).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: व्रज व्रजयं बगलि में; अंति: गाल परे छट लगीए. ३. पे. नाम. औषध संग्रह*, पृ. ६६आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ४. पे. नाम. मंत्र संग्रह, पृ. ६७आ, संपूर्ण. ___ मंत्र संग्रह*, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ५.पे. नाम. प्रास्ताविक दोहासंग्रह, पृ. ६८आ, संपूर्ण, प्रले. क. कांति, प्र.ले.पु. सामान्य.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: एक गोरी दुजी सामलि; अंति: बीछडी तीनको कुण हवाल, गाथा-७. २८१२६. जिनप्रतिष्ठा संबंधी विवरण संग्रह, संपूर्ण, वि. १९७९, चैत्र कृष्ण, १३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ५,
ले.स्थल. धानेरा, प्रले. मोहन चुनीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. *पत्र के दोनो और नंबर है।, दे., (१९.५४१०.५, १४४११). १. पे. नाम. प्रभु पुंखणा, पृ. १-६+१३, संपूर्ण.
जिन पुंखणा, मा.गु., पद्य, आदि: जीरे इंद्र पुछे छ; अंति: लावीया रंगलर त्यांह, गाथा-१०. २. पे. नाम. प्रसाददंड प्रमाण, पृ. ६-७, संपूर्ण..
प्रासाददंड प्रमाण, मा.गु., पद्य, आदि: चंदण खेर सीवण वंश; अंति: धावा अंदर गणाय छे. ३. पे. नाम. डंडबंगडी नाम, पृ. ७-८, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: एक बंगडीना डंडानुन; अंति: डंडनु नाम कंबलोक. ४. पे. नाम. प्रतिष्ठासामान सूचि, पृ. ८-१२, संपूर्ण.
प्रतिष्ठा सामान सूचि, मा.गु., गद्य, आदि: चोखंडी सोनामोर नं.१.; अंति: दशदिग्पालनो पाटलो. ५. पे. नाम. आह्वान विसर्जन मंत्र, पृ. १४, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: आवाहनं न जानामि न; अंति: पुनरा आईस देवता, श्लोक-२. २८१२७. (+) कडवु, स्तवन, पद, सज्झाय आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २३-१(१)=२२, कुल पे. १८,
प्रले. पं. ज्ञानविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२१४११.५, १२-१४४३१). १. पे. नाम. भीलडी आख्यान, पृ. २अ-५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
असमाल, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जो वांछो कुशला, गाथा-८३, (पू.वि. गाथा १८ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण. नेमराजिमतीस्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: तोरण आवि रथ पाछो; अंति: सहीयां० मारा वालाजी, गाथा-५, (वि. पत्र
का कोना मूषकभक्षित होने से अन्तिम वाक्य अधूरा है.) ३. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. सुमतिविजय शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: मुने संभवजिनसु; अंति: सुमतिसीस० धारो रे, गाथा-६. ४. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज उजम छे रे मुझने; अंति: वालो मारो अंतरजामी, गाथा-५. ५. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: हो सोरठीआ सामला घडी; अंति: मलीया नेमजी त्यांहि, गाथा-११. ६. पे. नाम. सपकूरो, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण, प्रले. पं. ज्ञानविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., पद्य, आदि: गाजे गागदा गिगन गोम; अंति: पद्मणी वींझणा ढोलंत, गाथा-४. ७. पे. नाम. नेमराजुल सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: गोरी गोरीनी बाहरी; अंति: मलते भोगिनो नाथ रे, गाथा-२. ८. पे. नाम. नेमराजुल बारमासी, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण, भाद्रपद कृष्ण, २. नेमिजिन बारमासो, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: सावणमास स्वाम मेली; अंति: एह नवनिध पामिरे,
गाथा-१२.
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९. पे. नाम. पद्मावती छंद, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी छंद, मु. हर्षसागर, सं., मा.गु., पद्य, आदि: श्रीकलिकुंडदंडं श्री; अंति: हर्ष० पूजो सुखकारणी,
गाथा - ८.
१०. पे. नाम. सरस्वती छंद, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
सरस्वतीदेवी छंद, आ. दयासूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बुधविमल करती विबुधवर; अंति: देवी नित नमेवी जगपती,
मु. न्यायसागर, मा.गु., पद्य, आदि उंचा रे गढ़ सेतुंज; अंतिः वाघे अविहड रंग हो, गाथा-७, १४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद- गोडीजी, पृ. १२आ, संपूर्ण.
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गाथा - ९.
११. पे. नाम. भवानीमाता निसाणी घघर, पृ. १० आ - ११आ, संपूर्ण.
भवानीदेवी घघर निसाणी, भवानी, मा.गु., पद्य, आदि: खेजडले थान भवानी; अंति: भवानी भाषंदा है, गाथा - १६. १२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १२अ, संपूर्ण.
तुलसीदास, मा.गु., पद्य, आदि: लीच्यो टबरो रामरस को; अंति: चरणे रहे सुख की सीर, गाथा-४. १३. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. १२अ - १२आ, संपूर्ण.
मु. लाल, मा.गु., पद्य, आदि: रंगरस भेनु रे सुरत; अंति: संसार समुद्रथी तारी, गाथा-४. १५. पे. नाम. सुभद्रासती सज्झाय, पृ. १३अ १३आ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर सोधतो इरज्या; अंति: राखो सीयलनी वाल, गाथा - २२.
१६. पे. नाम. सीतासती हनुमान संवाद, पृ. १४अ - १५अ, संपूर्ण.
रणछोडदास पटेल, मा.गु., पद्य, आदि: वनचर वीरा बधामणि कूण; अंतिः धायसे गुण रणछोड गावे, अध्याय- ४. १७. पे. नाम. ५ कारण छढालिया, पृ. १६अ - १८अ, संपूर्ण.
५ कारण छ ढालिया, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि सुत सिद्धारथ वंदीई; अंतिः परे विनय कहे आणंद ए, ढाल - ६, गाथा - ६०.
१८. पे. नाम. जिनस्तवनचौवीशी, पृ. १८ - २३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
स्तवनचीवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जगवाल्हो; अंति: (-), (पूर्ण, पू.वि. महावीरजिन स्तवन नहीं है. )
२८१२८. पौषध विधि, असज्झाय विचार, सज्झाय, औषध, स्तवन यंत्र व ज्योतिष संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५७-४६ (१ से ४५,४७ ) = ११, कुल पे. १६, ले. स्थल, लींबड, प्रले, पं. जसविजय गणि, प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., (२१x१२, २३-२७X१२-२० ).
१. पे. नाम. पौषध विधि, पू. ४६ अ - ४६, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावही पडिक; अंतिः सज्यातर धारो ते तहति
२. पे. नाम. असज्झाय विचार, पृ. ४६आ, संपूर्ण.
९७
प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि (-); अंति: (-).
३. पे. नाम. प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, पृ. ४८अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मारगमां मुनिवर मल्यो; अंतिः समवसुंदर मनवाल, गाथा-५.
४. पे. नाम. पंचपांडव सज्झाय, पृ. ४८अ - ४९अ, संपूर्ण.
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मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हस्तिनापुर वर भलुं; अंतिः मुज आवागमण निवार रे, गाथा- १९.
५. पे. नाम. इरियावहि सज्झाय, पृ. ४९अ - ५०अ, संपूर्ण.
इरियावही सज्झाय, संबद्ध, मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल कुशलदायक अरिहंत; अंतिः मेरुविजय तस नामे सीस, गाथा १६.
६. पे नाम औपदेशिक गीत, पृ. ५०-५०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: वारो रे कोई पर घर भम; अंति: परघर रममानो टाल, गाथा - ३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ७. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ५०आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मीठडा जिनमें दीठा रे; अंति: जयो जगचिंतामणिजी रे, गाथा-५. ८. पे. नाम. नेमराजुल नवरसो, पृ. ५१अ-५४अ, संपूर्ण, ले.स्थल. लिंबडी, प्रले. पं. अमररूचि गणि; पठ. मु. भक्तिविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. लिपिकार ने पत्र ५३अ के बाद ५४अपर लिखकर पूरा किया है. ५३आ पर दूसरी कृति है. नेमराजिमती नवरसो, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजय सुत चंदलो; अंति: प्रभु उतारो भवपार, ढाल-९,
गाथा-४०. ९. पे. नाम. औषध संग्रह , पृ. ५३आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). १०. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ५४आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: जय जगनायक जगनायक; अंति: द्यो दरिसण मुख कंद, गाथा-५. ११. पे. नाम. चित्रसंभूति सज्झाय, पृ. ५५अ-५६अ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चित्र कहे ब्रह्मराय; अंति: शिवपुर लहेस्ये हो के, गाथा-२०. १२. पे. नाम. विजयक्षमासूरि सज्झाय, पृ. ५६अ-५६आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीविजयरत्नसूरिंदना; अंति: मोहन कहे जयकार, गाथा-७. १३. पे. नाम. श्लोक संग्रह सह टबार्थ, पृ. ५६आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: दधिसुतवाहन तास त्रिय; अंति: सदा हतुग पास नरेश, श्लोक-१, संपूर्ण. प्रास्ताविक श्लोक संग्रह-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: समुद्र विष महादेव; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
__द्वारा अपूर्ण., अंतिमवाक्य अपूर्ण है.) १४. पे. नाम. यंत्र संग्रह, पृ. ४८आ+५६आ, संपूर्ण.
मा.गु.,सं., यं., आदि: (-); अंति: (-). १५. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. ५७अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल सिधोजी, गाथा-९. १६. पे. नाम. सीतासती सज्झाय, पृ. ५७आ, संपूर्ण.
मु. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: जनकसुता हुं नाम; अंति: नित नित होजो प्रणाम, गाथा-७. २८१२९. (+) स्तवन, सज्झाय, स्तोत्र व इंद्रविवरण आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८०२-१८७४, श्रेष्ठ, पृ. १६९-५६(१ से
२५,४२,५८ से ५९,८४ से ८५,९७ से ९८,१०० से १०२,१०५ से १०६,११२ से ११५,१२५,१२७,१३६ से १४०,१६० से १६३)+१(१५३)=११४, कुल पे. १९३, प्रले. पं. नैणसी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२१x१२, ११-१५४२६-३५). १. पे. नाम. अट्ठावीसलब्धिवृद्धि स्तवन, पृ. २६अ-२७अ, संपूर्ण, प्र.ले.श्लो. (६३६) यादृशं पुस्तके दृष्टा. आदिजिन स्तवन-२८ लब्धिगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२६, आदि: प्रणमुं प्रथम जिनेसर; अंति:
प्रगट ज्ञान प्रकास ए, ढाल-३, गाथा-२६. २. पे. नाम. समवसरण स्तवन, पृ. २७आ-२८आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-समवसरणविचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन सेहरो जग; अंति:
पाठक धरमवरधन धार ए, ढाल-२, गाथा-२८. ३. पे. नाम. नेमराजिमती बारमासो, पृ. २८आ-२९आ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: सांवण मासे स्वाम; अंति: एह नवनिध पामिरे, गाथा-१३. ४. पे. नाम. नंदिषेणमुनि सज्झाय, पृ. २९आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: साधुजी न जइए रे परघर; अंति: एकलो परघर गमण निवार, गाथा-१०. ५. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ पद, पृ. २९आ-३०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: भाव धरि धन्य दिन सफल; अंति: जिनचंद सुरतरु कहायो, गाथा-३.
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६. पे. नाम. शीतलजिन पद, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, पुहिं., पद्य, आदि: मुख नीको शीतलनाथ कौ; अंति: हुं सेवक जिनजी को, गाथा-३.
७. पे, नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
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आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: माई रंगभर खेलेगे; अंति: भक्ति रमे जिनवर सहाय, गाथा-५. ८. पे. नाम, नेमिजिन पद, पृ. ३० अ-३०आ, संपूर्ण
नेमिजिन धमाल, मु. सुमतिसागर, पुहिं., पद्य, आदि: सात पांच सखी इण की; अंति: सुमतिसागर चिरनंदि,
गाथा - ५.
९. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ३०अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति पत्र के हांसिया में लिखी गई है.
आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसे नेम कुंवर खेले; अंति: भक्ति रमे उपजत आनंद, गाथा-७. १०. पे नाम, फलवर्द्धिपुरमंडण आदिजिन स्तवन, पृ. ३०अ - ३०आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति पत्र के हांसिया में लिखी गई
है.
आदिजिन स्तवन- फलवर्द्धिपुरमंडण, क. रूप, पुहिं, पद्य, आदि: जय जय हो सामी जैनराय; अंतिः रूप कहत० रहो सनाथ, गाथा - ५.
११. पे. नाम. पद्मप्रभजिन पद, पृ. ३०आ, संपूर्ण.
मु. जैनरतन, पुहिं., पद्य, आदिः प्रह सम समरीजे सामि; अंति: सोभा जस पसरे ठाम ठाम, गाथा-३.
१२. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ३०आ, संपूर्ण.
मु. क्षेमप्रकाश, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसै संत वसंत खेलत; अंतिः परमाणंद क्षेमप्रकास, गाथा-४. १३. पे. नाम, साधारणजिन पद, पृ. ३०आ, संपूर्ण
पा. क्षमाप्रमोद, पुहिं., पद्य, आदि: माई मन मान्यौ जिनवर; अंति: मूरति समरत सतत सवेरइ, गाथा - ३. १४. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ३०-३१अ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र खंडित होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा है.
मा.गु., पद्य, आदि: सोरठदेश सोहामणो हो; अंतिः (-), गावा- ११.
१५. पे. नाम. चेलणासती सज्झाय, पृ. ३१अ - ३१आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र खंडित होने से आदिवाक्य नहीं भरा है. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पच, आदि: (-); अंति: पामीवो भवतणो पार, गाथा-६,
१६. पे. नाम लोद्रपुर पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- लोद्रपुर, मु. हरखनिधान, मा.गु., पद्य, वि. १७४४, आदि: ग्रह सम पूजो पासजी; अंतिः हरषनिधान सपरिवार, गाथा ६.
१७. पे. नाम. लोद्रपुर पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३१ आ - ३२अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- लोद्रवपुरचिंतामणि, मु. धर्ममंदिर, मा.गु., पद्य, वि. १७३०, आदि; सामि सोभागी सांभलो; अंतिः जयी पास चिंतामणि, गाथा- ६.
१८. पे. नाम, गजसुकुमालमुनि सज्झाय, पृ. ३२अ - ३२आ, संपूर्ण,
मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिकानगरी अतिभली; अंतिः करी बंदे बारोबार, गाथा- १२.
१९. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. ३२-३३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदिः श्रेणिक रववाडी पेखी; अंतिः वंदे रे वे करजोडि, गाथा- १०. २०. पे. नाम. आत्म द्रूपद, पृ. ३३अ - ३३आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, पुहिं., पद्य, आदि: कुण धरम को मरम लहरी; अंति: विण कोण पावत हैरी, गाथा-३. २१. पे. नाम. अजितशांति वृद्धिस्तवन, पृ. ३३आ-३४आ, संपूर्ण.
अजितशांति स्तवन, संबद्ध, उपा. मेरुनंदन, मा.गु., पद्य, वि. १५वी, आदि: मंगल कमलाकंद ए; अंति: मेरुनंदण उवज्झाय ए, गाथा - ३२.
२२. पे. नाम, पार्श्वजिन पद, प्र. ३४-३५अ, संपूर्ण.
मु. धर्मसी, पुहिं., पद्य, आदि: मेरे मन मानी साहिब, अंति: लोह कनक करि लेवा, गाथा - ३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २३. पे. नाम. दसश्रावक सज्झाय, पृ. ३५अ-३५आ, संपूर्ण.
१० श्रावक सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठि प्रणमुं दसे; अंति: कहे मुनि श्रीसार रे, गाथा-१४. २४. पे. नाम. दानछत्तीसी, पृ. ३५आ-३७अ, संपूर्ण. दानछत्रीसी, मु. राजलाभ, मा.गु., पद्य, वि. १७२३, आदि: दानतणा गुण परितिख; अंति: रंगरली सुख खेमजी,
गाथा-३६. २५. पे. नाम. सीलछत्तीसी, पृ. ३७अ-३८आ, संपूर्ण. शीलछत्तीसी, मु. राजलाभ, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सांतिनाथ जिनवर पय; अंति: रामलाभ० दिनदिन
लीलजी, गाथा-३६. २६. पे. नाम. शालिभद्र सज्झाय, पृ. ३८आ-३९अ, संपूर्ण. शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम गोवाल तणे भवे; अंति: सहजसुंदरनी वाणी,
गाथा-१५. २७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९अ-३९आ, संपूर्ण.
मु.खेम, मा.गु., पद्य, आदि: अनुचरनी अरदास अहोनिस; अंति: पसाय लहै खेम संपदाजी, गाथा-५. २८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९आ, संपूर्ण.
मु. जिनभक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: वामासुत वारी बहु गुण; अंति: जे जिनभक्तिसुराता, गाथा-५. २९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९आ-४०अ, संपूर्ण.
मु.क्षेम, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदण साहिबा; अंति: दरसण देज्यो देवरे, गाथा-७. ३०. पे. नाम. वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४०अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वरकाणापुर राजीया; अंति: जिनभक्ति० मनोरथ
माल,गाथा-७. ३१. पे. नाम. वरकाणा पार्श्वनाथ लघुस्तवन, पृ. ४०अ-४०आ, संपूर्ण, कार्तिक कृष्ण, १२. पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७९१, आदि: श्रीवरकाणे वरवंदीयै; अंति: तिथि
तेरस बुधवार, गाथा-७. ३२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: परितिक्ष जिनवर पास; अंति: भवसायर पार ऊतारो हो, गाथा-७. ३३. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४०आ-४१अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७८८, आदि: गुणनिधि सेवौ गोडी; अंति: चढतै
तेज प्रकास रे, गाथा-७. ३४. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ४१अ-४१आ, संपूर्ण. जिनप्रतिमा स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनप्रतिमा हो; अंति: जिन प्रतिमासु नेह,
गाथा-७. ३५. पे. नाम. बुद्ध रास, पृ. ४१आ-४४अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है., वि. १८०२, मार्गशीर्ष शुक्ल, ३. बुद्धिरास, आ. शालिभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पणमवि देव अंबाई; अंति: टलई सवि कलेसतौ, गाथा-६५,
(पू.वि. गाथा-७ अपूर्ण से३२ अपूर्ण तक नहीं है.) ३६. पे. नाम. आहारदोषछत्तीसी, पृ. ४४अ-४५आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२७, आदि: त्रिकरण सुद्ध नमु; अंति: वाणि अखंडित वहउ, गाथा-३६. ३७. पे. नाम. मरूदेवामाता द्रूपद, पृ. ४५आ, संपूर्ण. ___आदिजिन मरूदेवामाता पद, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ललाजी तुम्ह तौ भलै; अंति: रूप प्रभु लय लागी,
गाथा-३. ३८. पे. नाम. नेमराजिमती गीत, पृ. ४५आ-४६आ, संपूर्ण.
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ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि होजी रथ फेरी चाल्या; अंतिः जिनहरख भलीपरे हो लाल, गाथा- ११. ३९. पे. नाम जीवकाया उपरी गीत पृ. ४६आ, संपूर्ण.
"
कायाअनित्यता सज्झाय, मु. राजसमुद्र, रा., पद्य, आदि सुणि बहिनी प्रिउडो; अंतिः नारी बीण सोभागी रे,
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गाथा- ७.
४०. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४६-४७अ, संपूर्ण.
पा. सदानंद, मा.गु., पद्य, आदि: मोरा पासजिनराय सूरत; अंति: कांई सीधा सगला काज, गाथा ५.
-
४१. पे नाम, ५ इंद्रिय सज्झाय, पृ. ४७अ ४७आ, संपूर्ण.
गाथा - ५.
४३. पे नाम, दादाजी गीत, पृ. ४८अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: काम अंध गजराज अगाज; अंति: सुजाण लहो सुख सासता, गाथा-६. ४२. पे. नाम. जिनकुसलसूरि गीत, पृ. ४७-४८ अ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनभक्ति, मा.गु., पद्म, आदि: दरसण देज्यो खरतरगछना; अंति हो जिनभक्ति सहाई,
जिनकुशलसूरि गीत, मा.गु., पद्य, आदि: धलवट बेस सोहमणो गांम; अंति: हुवो मुझ सदाय सह रे, गाथा- ७. ४४. पे. नाम. जिनकुसलसूरि गीत, पृ. ४८अ - ४९आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति पत्र के हांसिया में लिखी गई है. जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि; सदगुरु सुनिजर कीजीये; अंतिः बंदै श्रीजिनलाभ हो,
गाथा - ५.
४५. पे नाम, जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४८आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति पत्र के हांसिया में लिखी गई है. मु. जिनरंग, मा.गु., पद्य, आदि दादाजी दीठां दोलित; अंतिः कुण करे दादाजीनी होड, गाधा-४. ४६. पे. नाम. जिनकुसलसूरि गीत, पृ. ४८आ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि गीत, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: म्हांरा साहिबा हो; अंतिः यु निजर नयण निहाल,
गाथा - ७.
४७. पे. नाम. राजीमती गीत, पृ. ४८-४९आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती गीत, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: नेम वंदन राजुल चली; अंति: उत्तम मति आणी लो,
गाथा - ९.
४८. पे नाम, मानपरिहार सज्झाय, पृ. ४९आ- ५०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि जे नर महिला मै पौढता; अंतिः बाली कीधा छै राख, गाथा-९,
४९. पे. नाम. गोडी पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ५०अ - ५०आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रूपविजय, रा., पद्य, आदि रूडी रे साधूडारी अंतिः रूप० भव भव अपणो दास, गाथा - ९.
५०. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५०आ-५१अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि धन म्हारी मारु देस; अंति: आपणडो हिज निजमेव रे, गाथा- ७.
५१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५१ अ - ५१आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वयण अम्हारा लाल हीयड; अंति: तुम्हारा हुं बंदालाल, गाधा- ७. ५२. पे. नाम. गोडीजी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५१आ - ५२आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: मूरति मननी मोहनी सखी; अंति: हेत कहै ध्रमसीह रे,
गाथा- ७.
५३. पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ५२आ, संपूर्ण.
मु. महिमराज, मा.गु., पद्य, आदि: जागि जगमुकुटमणि नाभि अंति: महिमराज काटि दुखफंदा, गाथा-३. ५४. पे. नाम नेमराजिमती स्तवन, पृ. ५२आ-५३अ, संपूर्ण
मु. शिवचंद, रा., पद्य, आदि जउ थे चाले शिवपुरी; अंति: ओ भव पार ऊतार रे, गाथा ५.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ५३अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति पत्र के हांसिया में लिखी गइ है.
मु. हेम, रा., पद्य, आदि: श्रीऋषभ जिणेसर पूजो; अंति: ज्यतनै थे पिण बंध रे, गाथा-३. ५६. पे. नाम. गोडीजी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५३अ-५३आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनभक्ति यति, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोडी प्रभु पास; अंति: जतिसर वंदे रे,
गाथा-७. ५७. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५३आ-५४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनसुख, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोडीपुर साहिबा; अंति: माहरे तूंहि ज महाराज,
गाथा-७. ५८. पे. नाम. सुविधिजिन पद, पृ. ५४अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहि., पद्य, आदि: मुजरा साहेब मुजरा; अंति: दास नीरंजन केरा रे, गाथा-३. ५९. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, पृ. ५४अ-५४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज तो बधाइ राजा नाभि; अंति: निरंजन आदिसर दयाल रे, गाथा-६. ६०. पे. नाम. लोद्रपुर पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५४आ-५५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रपुर, मु. चंद, मा.गु., पद्य, आदि: लोद्रपुरे रलीयामणो; अंति: कहै चंद करो आणंद, गाथा-७. ६१. पे. नाम. वैराग्यपोषक सज्झाय, पृ. ५५अ-५६अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. तिलोकचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि मेरा प्राणी रे; अंति: सकल सोभाग सुरंगोजी,
गाथा-१५. ६२. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-राणकपुर, पृ. ५६अ-५६आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-राणकपुरमंडन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६७६, आदि: राणपुरोरलीयामणौ रे;
___ अंति: लाल समयसुंदर सुखकार, गाथा-७. ६३. पे. नाम. पार्श्वजिन लघुस्तवन, पृ. ५६आ-५७अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: गुण गिरूऔ गोडी धणी; अंति: तुं मुज प्राण आधार,
गाथा-७. ६४. पे. नाम. जिनपूजा सज्झाय, पृ. ५७अ-५७आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., पद्य, आदि: भवीआ चित धर भाव सेवौ; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१० अपूर्ण तक है.) ६५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६०अ-६०आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
क. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: इम पभणै रूपचंद रे, गाथा-२१, (पू.वि. गाथा-१० अपूर्ण से है.) ६६. पे. नाम. जिनचंद्रसूरि गीत, पृ. ६०आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुर जिणचंद सोभाग; अंति: समय० इम विरूद बोलै, गाथा-७. ६७. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ६१अ-६१आ, संपूर्ण.
मु. क्षेमप्रकाश, मा.गु., पद्य, आदि: नृप श्रेयांसनें सत्य; अंति: क्षेम हुवै गुणगेह रे, गाथा-११. ६८. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन गीत, पृ. ६१आ, संपूर्ण.
मु. जिनरत्न, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु कुं सेवत चंद; अंति: जपता आपद अलग पुलाई, गाथा-३. ६९. पे. नाम. सुमतिजिन गीत, पृ. ६१आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मेरे माई सुमति की; अंति: जुवती याहिज जाची, गाथा-३. ७०. पे. नाम. वासुपूज्यजिन पद, पृ. ६१आ-६२अ, संपूर्ण.
मु. जिनरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: वासपुज्यजिन वीनती; अंति: सदा प्रभु आपदा वारौ, गाथा-३. ७१. पे. नाम. विमलजिन पद, पृ. ६२अ, संपूर्ण.
आ. जिनरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: समर विमल मति विमल; अंति: कलपन नहि होइ कदाई, गाथा-३. ७२. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ६२अ-६२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सहीयर टोली भांभर अंति: हितसुं हेत बणावोने, गाथा ५. ७३. पे. नाम महावीरजिन गीत, पृ. ६२आ, संपूर्ण.
महावीर जिन स्तवन, उपा. भक्तिविलाश, पुहिं., पद्य, आदि; बंदो वीर जिणंदा सासण; अंतिः देख्यां बहुत आनंदा,
गाथा - ५.
७४. पे. नाम. अभिनंदनजिन गीत, पृ. ६२आ, संपूर्ण.
मु. चंद, मा.गु., पद्य, आदि: अभिनंदन जिन विनति; अंति: चंद० करी भवसायर तारि, गाथा - ३. ७५. पे नाम, शीतलजिन पद, पृ. ६२-६३अ, संपूर्ण
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मेरी लागो नवल सनेह; अंतिः भयोरी परचै आतमरामसुं गाधा- ३. ७६. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ६३अ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, पुहिं, पद्य, आदिः आज सकल मंगल मिलै आज; अंति: अनुभव रस माने, गाथा-५, ७७. पे नाम. अजीतजिन गीत, पृ. ६३अ - ६३आ, संपूर्ण.
अजितजिन गीत, पुहिं., पद्य, आदि: तब प्रभु अजित कहायौ; अंति: उर घुर तखत सुहायौ, गाथा - ३. ७८. पे. नाम. अभिनंदनजिन पद, पृ. ६३आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: सफल नित अभिनंदन; अंतिः सुकृत भंडार भरेवा, गाथा-३. ७९. पे नाम, सुमतिजिन पद, पृ. ६३आ, संपूर्ण,
सुमतिजिन गीत, मु. जिनरत्न, पुहिं., पद्य, आदि: सुमतिनाथ जिणवर सलही; अंतिः आसतवंत अबीह अनंत,
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गाथा - ३.
८०. पे. नाम. स्थंभण पार्श्वजिन लघुस्तवन, पृ. ६३ आ - ६४अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- स्थंभनतीर्थ, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मूरति सामी थंभणो; अंतिः प्रसादै तत्व परीछियइ,
गाथा - ५.
८९. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६४अ संपूर्ण.
ग. धर्मसी, पुहिं., पद्य, आदि: आज भलै दिन उगौजी; अंति: भ्रमसीह मुनि गायाजी, गाथा - ५.
८२. पे नाम, साधारणजिन पद, पृ. ६४आ, संपूर्ण
पा. क्षमाप्रमोद, पुहिं., पद्य, आदि: माई मन मान्यो जिनवर; अंति: मूरति समरत सतत सवेरइ, गाथा - ३. ८३. पे. नाम. साधारणजिन पद, प्र. ६४आ, संपूर्ण.
पा. क्षमाप्रमोद, मा.गु., पद्य, आदि श्रीजिनराज वधावी थाल; अंतिः क्षमाप्रमोद सुख पावी, गाथा-३, ८४. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६४आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- चिंतामणि, मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि प्रभू पूजौ चिंतामणि; अंतिः वंछित विविध विलासजी,
गाथा - ३.
८५. पे. नाम, धलवटमंडण गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६४-६५अ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७८८, आदि: मूरति मोहनगारी मोनै; अंतिः नवमी सुगीसै हो, गाथा-७.
८६. पे नाम, उत्पत्तिनाशध्रुव पद, पृ. ६५आ, संपूर्ण.
मु. जिनभक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: अगम अगाधि बीजी वीर; अंति: महा सुखकारी है, गाथा - ३.
८७. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. ६५आ, संपूर्ण.
१०३
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शांतिजिन स्तवन, उपा. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशांतिजिनेसर सोल; अंति: कहै भ्रमसी उवझाय हो, गाथा - ५. ८८. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ६५आ - ६६अ, संपूर्ण.
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, ग. लब्धिउदय, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर रहण चोमासै; अंतिः दिन अधिक सवाया हो,
गाथा - ११.
८९. पे नाम. चेतनप्रति सुमति हितोपदेश, पृ. ६६आ, संपूर्ण.
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१०४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीऊडा जिनचरणांनी; अंति: मोहन अनुभव मांगै, गाथा-३. ९०. पे. नाम. महावीरजिन पारणा स्तवन, पृ. ६६अ-६७आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-पारणा, मु. माल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत अनंत गुण; अंति: तेहने नमे मुनि माल,
गाथा-३०. ९१. पे. नाम. लोद्रवा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६७आ-६८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सगुण सहेजा जाहो; अंति: नित नित मन वधते
नूर, गाथा-७. ९२. पे. नाम. अरन्नक सज्झाय, पृ. ६८अ-६८आ, संपूर्ण. अरणिकमुनिसज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल
सीधोजी, गाथा-८. ९३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६८आ, संपूर्ण.
महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भुलो मन भमरा कांइ; अंति: लेखो साहिब हाथ, गाथा-९. ९४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६८आ-६९आ, संपूर्ण.
आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७९९, आदि: ऊगौ धन दिन आज सकल; अंति: जिन० फली मन आसए जी,
गाथा-८. ९५. पे. नाम. आत्मशीक्षा गीत, पृ. ६९आ-७०अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. पद्मकुमार, पुहि., पद्य, आदि: सुणि सुणि जीवडा; अंति: भव तणा सुख लीजीयै, गाथा-४. ९६. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७०अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर पासजिन; अंति: जिणचंद करमदल
जीपतो, गाथा-५. ९७. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. ७०-७१अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे धरमजिणंद; अंति: उलट अति घणे रे लो, गाथा-६. १८. पे. नाम. सामायिक दोषनिवारणबत्तीसी, पृ. ७१अ-७२आ, संपूर्ण. सामायिक ३२ दोषनिवारण सज्झाय, ग. गुणरंग वाचक, मा.गु., पद्य, वि. १६४९, आदि: पारस जिनवर पय
पंकज; अंति: विलसइ रिद्धि समृद्धि, गाथा-३२. ९९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७२आ, संपूर्ण.
जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: तू आतमगुण जाण रे जाण; अंति: ओर न तोहि छुडावनहार, गाथा-८. १००. पे. नाम. मूढशिक्षा अष्टपदी, पृ. ७३अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: ऐसैं क्यौं प्रभु; अंति: विना तूं समजत नाही, गाथा-८. १०१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७३अ, संपूर्ण.
परमार्थ अष्टपदी, पुहि., पद्य, आदि: ऐसै यों प्रभु पाइये; अंति: एकहि तबको कहि भेटै, गाथा-८. १०२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७३आ, संपूर्ण.
जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: तूं भ्रम भूलि ना रे; अंति: वनारसि० होड विरानी, गाथा-२. १०३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७३आ, संपूर्ण.
जै.क. बनारसीदास, पुहि., पद्य, आदि: चेतन तूं तिहुं काल; अंति: जीउ होइ सहज सुरझेला, गाथा-४. १०४. पे. नाम. जिनप्रतिमास्थापना सज्झाय, पृ. ७३आ-७४आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: जिन जिन प्रतिमा वंदन; अंति: किजै तास वखाण रे, गाथा-१५. १०५. पे. नाम. रतनापुरमंडण अजितजिन स्तवन, पृ. ७४आ-७५अ, संपूर्ण. अजितजिन स्तवन-रतनापुरमंडण, मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: विजयासुत वड भाग थै; अंति: सारेज्यो खेमनी
आस रे, गाथा-१५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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१०६. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ७५आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: माहरो मन मोह्यो रे; अंतिः धरीये रिदय मझार, गाथा-५. १०७. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७५-७६अ, संपूर्ण,
मु. ज्ञानविमल, पुहिं., पद्य, आदि: अंखीयां हरखण लागी; अंति: भव भय भावठ भागी, गाधा-४. १०८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: जिन पास बडे धमचक्कु; अंति: विमल पसाई० वजाऊला, गाथा - ६. १०९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद-निद्रात्याग, पु. ७६अ ७६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद- निद्रात्याग, मु. कनकनिधान, मा.गु., पद्य, आदि: नींदडली वइरण होई रही; अंति: मुनि कनकनिधान कि, गाथा ८.
११०. पे. नाम. १० पच्चक्खाणफल सज्झाय, पृ. ७६आ-७७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि दसविध ग्रह उठी अंतिः पामी निचे निर्वाण, गाथा ८.
१११. पे. नाम. २० बिहरमानजिन पद, पृ. ७७अ ७७आ, संपूर्ण
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विहरमान २० जिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीसे विहरमाण जिणवर; अंतिः भवभव तुम पाय सेवा, गाथा-४.
११२. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन- गोडी, पृ. ७७आ - ७८ अ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. वसता, रा., पद्य, आदि: जोर बन्यो जोर बन्यो; अंति: वसता० जोर बन्यो राज,
गाथा - ८.
११३. पे. नाम. सीलविषये नववाडी सज्झाय, पृ. ७८अ - ८३अ, संपूर्ण.
नववाडी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: श्रीनेमीश्वर चरणयुग; अंति: धारी हो जुगती नववाडि, ढाल ११.
११४. पे नाम, १२५ सीखामण, पृ. ८३२-८३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
औपदेशिक सवैया, उपा. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसद्गुरु उपदेश; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१३ तक है.) ११५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ८६अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., मात्र अंतिम पंक्ति है और पत्र खंडित होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.
१०५
मु. आनंद, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
१९६. पे नाम, गोडीपार्श्वनाथ लघुस्तवन, पृ. ८६अ - ८६आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र खंडित होने से आदिवाक्य नहीं भरा है. पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: ( - ); अंति: भेटस ताहरा पायो, गाथा - ९. ११७. पे नाम थंभणापूर पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ८६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- स्थंभनतीर्थ, मु. जिनसुख, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन सिव पथ; अंतिः ए उपगार करीजै राज,
गाथा - ५.
११८. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८६आ, संपूर्ण.
मु. मालदास, पुहिं., पद्य, आदि: भलै मुख देख्यौ; अंति: भव भव हुं तुझ चेरौ, गाथा-३.
११९. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ८६-८७अ संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसे जिनचरने चित्त; अंति: आनंदघन पद पाव रे, गाथा - ३.
१२०, पे. नाम चतुर्दशगुणस्थान वृद्धिस्तवन, पृ. ८७अ - ८९आ, संपूर्ण,
सुमतिजिन स्तवन- १४ गुणस्थान विचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सुमतिजिणंद सुमति; अंतिः कहे एम मुनि धरमसी, ढाल ६, गाथा - ३४.
१२१. पे. नाम. ७ व्यसन सज्झाय, पृ. ८९आ - ९०अ, संपूर्ण.
मु. जिनरंग, मा.गु., पद्य, आदि पर उपगारी साध सुगुरु; अंतिः सीस रंग जयरंग कठै, गाथा-९, १२२. पे नाम, महावीरजिनतप स्तवन, पृ. ९०आ, संपूर्ण.
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१०६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामणि द्यौ; अंति: मुगत आपो सामिया, गाथा-१०. १२३. पे. नाम. घंघाणीप्रतिमा स्तवन, पृ. ९१अ-९२अ, संपूर्ण. घंघाणीतीर्थ स्तोत्र, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: पय प्रणमी रे श्रीपदम; अंति: वाचक
समयसुंदर सुखकरो, गाथा-२८. १२४. पे. नाम. वस्तुपालतेजपालमंत्री रास, पृ. ९२अ-९४अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८२, आदि: सरसति सामिणि पय नमी; अंति: सुणतां परम उल्लास,
ढाल-२. १२५. पे. नाम. ७ सगपण गीत, पृ. ९४अ-९४आ, संपूर्ण.
मु. भावहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: जीव विमासी निज मने; अंति: पूरव रिष निसदीसो रे, गाथा-१२. १२६. पे. नाम. चेतनकायागीत, पृ. ९४आ-९५आ, संपूर्ण.. पंचमहाव्रत सज्झाय, आ. देवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुरतरुनी परि दोहिलो; अंति: श्रीविजयदेवसूरि कि,
गाथा-१६. १२७. पे. नाम. सर्वजिन स्तवन, पृ. ९५आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, पुहि., पद्य, आदि: सकल सुरासुर नर; अंति: सहिजै धाइ मिलै गल आय,
गाथा-१०. १२८. पे. नाम. सेव॒जयगिरि स्तवन, पृ. ९५आ-९६अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७६५, आदि: अधिक आणंदै हो वंद्यो; अंति: सफल
जात्रा जगीसए, गाथा-११. १२९. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ९६अ-९६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., पद्य, आदि: पना मारू घडी एक कर; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१२ अपूर्ण तक है.) १३०. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ९९अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जा लगि दुनी तारी, गाथा-१७,
(पू.वि. गाथा-१४ अपूर्ण तक नहीं है.) १३१. पे. नाम. पार्श्वजिन द्रूपद, पृ. ९९अ, संपूर्ण.
मु. धर्मशील, पुहिं., पद्य, आदि: केवल वाला० कोइ बतावे; अंति: सो ध्रमसील संभाला, गाथा-४. १३२. पे. नाम. आत्मप्रबोध स्वाध्याय, पृ. ९९आ, संपूर्ण.. ___ जीवहित सज्झाय, मु. खिमा, पुहिं., पद्य, आदि: गरभावासमे चिंतवइहै; अंति: श्रीजिनवरनो धरम, गाथा-८. १३३. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. ९९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
२४ जिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: चतुर नमै चउ वीसरइ; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-२ तक है.) १३४. पे. नाम. आलोयणाछत्रीसी, पृ. १०३अ-१०४अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६९८, आदि: (-); अंति: करी आलोयण उच्छाहि, गाथा-३६,
(पू.वि. गाथा-८ से है.) १३५. पे. नाम. लोद्रवपुरचिंतामणी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १०४अ-१०४आ, संपूर्ण, वि. १८१९, माघ कृष्ण, ८,
ले.स्थल. समदरडी, प्रले. पं. नैणसी, प्र.ले.पु. सामान्य. पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: लोद्रपुर आज महिमा; अंति:
समयसुंदर कहै ए अरदास, गाथा-८. १३६. पे. नाम. परनारीपरीहार सज्झाय, पृ. १०७अ-१०७आ, संपूर्ण. परनारीपरिहार सज्झाय, मु. जिनहर्ष *, मा.गु., पद्य, आदि: सीख सुणो प्रीय माहरी; अंति: जिन० हियडे
आगमवाणी, गाथा-११. १३७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १०७आ-१०८अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१०७ मु. तिलोकचंद, मा.गु., पद्य, आदि: अतिभली ३ श्रीपासजीरी; अंति: कहै सेव्या सुख थाय, गाथा-६. १३८. पे. नाम. नवकार रास, पृ. १०८अ-११०आ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलोजी लीजीयइं; अंति: जगमांहि नही कोई आधार, गाथा-२१. १३९. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ११०आ-१११आ, संपूर्ण.
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: सुगरीवपुर नगर सुहामण; अंति: त्रिकरण सुध परणाम हो, गाथा-१६. १४०. पे. नाम. मेवानगर शांतिजिन स्तवन, पृ. १११आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
शांतिजिन स्तवन-मेवानगर, मा.गु., पद्य, आदि: महेवानगर मझार वीतराग; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ५ अपूर्ण तक
१४१. पे. नाम. अमल वर्जन स्वाध्याय, पृ. ११६अ-११७अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मु. माणेकमुनि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: कहे माणिक मनोहार, गाथा-२३, (पू.वि. गाथा-३ से है) १४२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११७अ-११७आ, संपूर्ण.
मु. क्षेम, मा.गु., पद्य, आदि: आज भलो दिन ऊगीयो; अंति: मनह जगीस हो राज, गाथा-५. १४३. पे. नाम. हितोपदेश सज्झाय, पृ. ११७आ-११९अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: भजि भजि भगवंत भविक; अंति: ज्यु पाम्यो संसारी,
गाथा-२७. १४४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११९अ-११९आ, संपूर्ण.
क. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, आदि: आजु सफल अवतार आसाडा; अंति: ध्यान सदा ध्रमसीह, गाथा-७. १४५. पे. नाम. जिनकुसलसूरि छंद, पृ. ११९आ-१२०अ, संपूर्ण.
जिनकुशलसूरि छंद, क. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, आदि: खरतरगच्छ जाणै खलक; अंति: संघर्नु सांनिध करै, गाथा-८. १४६. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १२०अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद, मु. उदयरत्न, रा., पद्य, आदि: प्यारो पारसनाथ; अंति: संघ आवे बहु धसमसीया, गाथा-६. १४७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १२०आ, संपूर्ण, वि. १८२४, माघ शुक्ल, २, ले.स्थल. जेसलमेर, प्रले. पं. नैणसी,
प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय हो त्रिहुयणराय; अंति: रूप गुणी गुण गायाजी, गाथा-७. १४८. पे. नाम. वीतराग गुणवर्णन पद, पृ. १२०आ-१२१अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जय वीत मोह जय वीत; अंति: सिद्ध रूपचंद्राभिरूप, गाथा-५. १४९. पे. नाम. संभवजिन गीत, पृ. १२१अ, संपूर्ण.
संभवजिन स्तवन, मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: संभव गुण गाय रे गाइ; अंति: टलै पांचे अंतराय, गाथा-५. १५०. पे. नाम. अभिनंदनजिन गीत, पृ. १२१अ, संपूर्ण.
मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: अहो अभिनंदन अवधारीयै; अंति: संभारूं सासोसास जी, गाथा-३. १५१. पे. नाम. शांतिजिन गीत, पृ. १२१आ, संपूर्ण.
मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सांति दांति कांति; अंति: ध्यायो पायो भवपार रे, गाथा-३. १५२. पे. नाम. तंबाकु त्याग सजाय, पृ. १२१आ-१२२अ, संपूर्ण. ____तंबाकुत्याग सज्जाय, मु. धर्मवर्धन, पुहिं., पद्य, आदि: तुरत चतुर नर तंबाकू; अंति: ज्यु सुख लहौ रे सदीव,
गाथा-१४. १५३. पे. नाम. मदालसापुत्र सज्झाय, पृ. १२२आ-१२३अ, संपूर्ण.
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: भरतक्षेत्र माहे भलो; अंति: इम चारित सिरताजो रे, गाथा-२१. १५४. पे. नाम. कृष्णपक्षशुक्लपक्षदंपती सज्झाय, पृ. १२३अ-१२४आ, संपूर्ण. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रऊठी रे पंचपरमेष्ट; अंति: कुसल नित
घर अवतरे, ढाल-३, गाथा-२२.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १५५. पे. नाम. आलोयण स्तवन, पृ. १२६अ-१२६आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. महावीरजिन स्तवन-अतिचारगर्भित, उपा. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: चौपन्नै फलवधिपुरइ,
ढाल-४, गाथा-३०, (पू.वि. गाथा १९ अपूर्ण तक नहीं है.) १५६. पे. नाम. दशार्णभद्रराजा सज्झाय, पृ. १२६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारद बुधदाइ सेवक; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-७ अपूर्ण तक है.) १५७. पे. नाम. इंद्रऋद्धि विवरण, पृ. १२८अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. ___ मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: पांचसय छत्रीससुसेती. १५८. पे. नाम. अवंतीसुकमाल सज्झाय, पृ. १२८अ-१२८आ, संपूर्ण. अवंतिसुकुमाल सज्झाय, मु. मतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: स्वस्तिकसूर समोसर्या; अंति: नाम थकी निसतार रे,
गाथा-११. १५९. पे. नाम. गोडीजी स्तवन, पृ. १२८आ-१२९अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. खेम, मा.गु., पद्य, वि. १७७०, आदि: सहीया हे पास जिणेसर; अंति: खेम वंछित
सुखकार रे, गाथा-५. १६०. पे. नाम. गौडीपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १२९अ-१३०अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तव-गोडीजी, मु. धर्मवर्धन, सं., पद्य, आदि: प्रणमति यः श्रीगौडी; अंति: सुस्वाददां स्तात्, श्लोक-११. १६१. पे. नाम. पार्श्व लघुस्तवन, पृ. १३०अ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन स्तव, मु. जयसागर, सं., पद्य, आदि: योगात्मनां यं मधुरं; अंति: यद्धानकस्य प्रियं, श्लोक-५. १६२. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३०आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: देख्या दरसण तिहारा; अंति: जाउं वार हजारी रे, गाथा-३. १६३. पे. नाम. आत्मशिक्षाबत्रीसी, पृ. १३०आ-१३२अ, संपूर्ण.
म.खेम, रा., पद्य, आदि: केही गति थासीरे जीव; अंति: शरणो छै जिन ताहरौ, गाथा-३२, ग्रं. ३२. १६४. पे. नाम. जेसलमेरमंडण शांतिजिन स्तवन, पृ. १३२अ-१३२आ, संपूर्ण. शांतिजिन स्तवन-जेसलमेर, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टापद हो ऊपर लो; अंति: हुसेवक प्रभु
ताहरो, गाथा-७. १६५. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १३२आ-१३३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. कनकमूरति, मा.गु., पद्य, आदि: एक अरज अवधारीयैरे; अंति: साचो धरम सनेह
रे, गाथा-७. १६६. पे. नाम. गजसुकमाल सज्झाय, पृ. १३३अ-१३३आ, संपूर्ण.
गजसुकुमाल सज्झाय, मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणिकराय हु रे; अंति: गावे रे श्रीजिनराज, गाथा-१०. १६७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३३आ-१३४अ, संपूर्ण.
जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: इह विध देव अदेव की; अंति: अवंदनी निरदै संसारी, गाथा-८. १६८. पे. नाम. आदिजिन होरी, पृ. १३४अ, संपूर्ण.
मु. जिनचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: होरी खेलियै नर बहुर; अंति: वारी भवभव पातिक जाय, गाथा-४. १६९. पे. नाम. सीमंधरजिन पद, पृ. १३४अ-१३४आ, संपूर्ण.
सीमंधरजिनगीत, मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: नित इती अरदास प्रभु; अंति: कल्प कोटिजी जीयै, गाथा-५. १७०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १३४आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: जागो मेरे लाल विसाल; अंति: परि वलि वलि जाउनां, गाथा-३. १७१. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३४आ-१३५अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, ऋषभदास, पुहि., पद्य, आदि: जब तें नाथ निरंजना; अंति: गज सिक्का लहीया, गाथा-५. १७२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-२४ दंडकविचारगर्भित, पृ. १३५अ-१३५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
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पा. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: पूर मनोरथ पासजिणेसर; अंति: (-), (पू.वि. गाथा - १९ अपूर्ण है.)
१७३. पे. नाम. १० बोल सज्झाय, पृ. १४१ अ - १४१आ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है..
मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सिद्धांत रतन बहू मूल, गाथा - २१, (पू. वि. गाथा ४ अपूर्ण तक नहीं है.)
१७४. पे. नाम. सुखलडी सज्झाव, पृ. १४९आ-१४२अ, संपूर्ण.
सम्यक्त्वसुखडी सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: चाखो नर समकित सुखडली; अंति: दर्शनने प्यारी रे, गाथा - ५. १७५. पे नाम, गोडीजी पार्श्वजिन पद, पृ. १४२अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: अलगा सेती आवीया; अंति: जिम तिम राखो लाज, गाथा - १. १७६. पे नाम, गोडी पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ९४२-१४२आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रतनसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोडी प्रभु साहिब, अंतिः होज्यो सरणो जेह रे,
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गाथा - ८.
१७७. पे. नाम. धन्नाशालीभद्र सज्झाय, पृ. १४२आ - १४३अ, संपूर्ण.
धन्नाशालिभद्र गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: धन्नौ सालिभद्र बेउ; अंति: समय ० हुं सदाजी हो,
गाथा - ८.
१७८. पे नाम कलीयुग गीत, पृ. १४३अ १४३आ, संपूर्ण.
कलियुग सज्झाय, मु. करमचंद, पुहिं., पद्य, आदिः यारौ कूडो कलियुग आयो; अंतिः दीपै सदाई सवायौ रे,
गाथा - ११.
१७९. पे. नाम. सचित्तअचित्त सज्झाय, पृ. १४३आ - १४४आ, संपूर्ण.
मु. वीरविमल, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगीतम; अंतिः बीरविमल करजोडी कहे, गाथा - १८.
१८०, पे, नाम, पुण्यपाप सज्झाय, पृ. १४४आ- १४५आ, संपूर्ण
मु. लावण्य, मा.गु., पद्य, आदि: समरु सरसति सामणीजी; अंति: दान ती परिमाण रे, गाथा- १४. १८१. पे. नाम. द्रव्यात्माभावात्म सज्झाय, पृ. १४५ - १४६अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि धोबीडा तुं धोजे मननु; अंतिः शीखडली शीवसुखदाय रे,
गाथा - ६.
१८२. पे. नाम. आदिनाथजी आलोयण स्तवन, पृ. १४६अ १४९अ संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन- आत्मनिंदागर्भित, वा. कमलहर्ष, मा.गु., पद्य, आदिः आदीसर पहिलो अरिहंत; अंति: सफल भव आपणो गिणी, बाल-४.
१८३. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १४९अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- चिंतामणि, मु. जेतसी, मा.गु., पद्य, आदि: मुझ मन मोह्यो; अंतिः साहिब वंछित कोड रे, गाथा-३. १८४. पे. नाम. पुरीसादाणी पार्श्वजिन पद, पृ. १४९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रूपविजय, रा., पद्य, आदि: पुरसादाणी पासजी थे; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा - ३ अपूर्ण तक लिखा है. )
१८५. पे नाम लोद्रपुराचिंतामणी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १४९आ, संपूर्ण, वि. १८७४, ले. स्थल, लोद्रवा प्रले. पं. हीरानंद, प्र.ले.पु. सामान्य.
पार्श्वजिन स्तवन- लोद्रवपुरचिंतामणि, पंन्या. जयसार गणि, मा.गु., पद्य, आदि लोद्रपुरौ रलीयामणो; अंति: जसु सुवचन सुविलास, गाधा-५.
१८६. पे नाम, रोहिणीतप स्तवन, पू. १५०अ १५२आ, संपूर्ण,
मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १७२०, आदि: सासणदेवता सामणीए मुझ; अंति: हिव सकल मन आस्या फली, ढाल- ४, गाथा - २६.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १८७. पे. नाम. श@जयगिरि चैत्रीपूनम स्तवन, पृ. १५२आ-१५३आ, संपूर्ण. चैत्रीपूर्णिमापर्व स्तवन, मु. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: पय प्रणमी रे जिनवरना; अंति: साधुकीरति इम कहै,
गाथा-१३. १८८. पे. नाम. जिनकुशलसूरि पद, पृ. १५३आ, संपूर्ण, पे.वि. १५३ बढते पत्रांक-प्रथम.
मु. लालचंद, पुहिं., पद्य, आदि: कुसल गुरु देख के; अंति: शरण मोहि दीज्यै, गाथा-३. १८९. पे. नाम. नेमराजिमती संवाद, पृ. १५३अ-१५५आ, संपूर्ण, पे.वि. १५३ बढते पत्रांक-द्वितीय.
मु. ऋद्धिहर्ष, रा., पद्य, आदि: हठ करी हरीय मनावीयै; अंति: दोलतरो दातार रे, गाथा-३२. १९०. पे. नाम. वैराग्य सज्झाय, पृ. १५५आ-१५६आ, संपूर्ण.
__ औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जाग रे सुग्यानी जीव; अंति: लहिज्यो सुख खेम, गाथा-१९. १९१. पे. नाम. शत्रुजयमंडनबृहत् स्तवन, पृ. १५६आ-१५८आ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ बृहत्स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: बे कर जोडी विनवूजी; अंति: समयसुंदर गुण
भणे, गाथा-३१. १९२. पे. नाम. सरणा गीत, पृ. १५९अ-१५९आ, संपूर्ण, वि. १८६३, कार्तिक शुक्ल, ५, ले.स्थल. सीरोडी. शरणा गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: लाख चौर्यासी जीव; अंति: पामिस भवनो पारो जी,
ढाल-४, गाथा-१२. १९३. पे. नाम. नेमराजिमती रास, पृ. १६४अ-१६९आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच के पत्र नहीं हैं., वि. १८३६, ज्येष्ठ कृष्ण, ६,
ले.स्थल. सत्यपुर. मु. पुण्यरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सारद पय पणमी करी; अंति: प्रसन्न नेमिजिणंदकि, गाथा-६७, (पू.वि. गाथा-१३
अपूर्ण से ५९ तक नहीं है.) २८१३१. (+) चौमासी देववंदन व आदिजिन स्तवन, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११-१(२)=१०, कुल पे. २,
प्र.वि. संशोधित. कुल ग्रं. ग्रंथाग्र २२१, जैदे., (२१.५४११.५, ११४२६-२८). १. पे. नाम. चातुर्मासिक देववंदन, पृ. १आ-१०आ, पूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है. चौमासीपर्व देववंदन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पढम जिनवर० पाय; अंति: नंदसूरि शिवसुखदायक,
(पू.वि. संभवजिन देववंदन अपूर्ण से सुविधिजिन देववंदन तक नहीं है.) २. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
मु. विवेकविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिन भावे भवीजन; अंति: विजय० सुगुण सलाम, गाथा-८. २८१३३. स्तवन, सज्झाय व श्लोक संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ११४-१०३(१ से १०२,१०५)=११, कुल पे. ११,
ले.स्थल. स्वर्णेगिरि, प्रले. मु. इंद्रसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१८.५४११, १२-१३४२३-२५). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १०३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मु. नित्यविजय, मा.गु., पद्य, आदिः (-); अंति: नवनिध ऋध भरि पावै, गाथा-८, (पू.वि. प्रारंभिक ७ गाथाएँ नहीं
महा
२. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. १०३आ, संपूर्ण.
मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ३. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १०४अ-१०४आ, संपूर्ण, वि. १७६८, कार्तिक शुक्ल, ६, गुरुवार, ले.स्थल. पंथेडी. महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मुज विनती; अंति: सेवंता सुरतर
समो, गाथा-१९. ४. पे. नाम. नववाडि सज्झाय, पृ. १०६अ-१०७आ, संपूर्ण. शीलनववाड सज्झाय, आ. देवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: रमणी पशु पंडग तणी रे; अंति: बोले रे विजयदेवसूरके,
गाथा-१५. ५. पे. नाम. ५ इंद्रिय सज्झाय, पृ. १०७आ-१०८अ, संपूर्ण.
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मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: काम ६. पे नाम. स्थुलीभद्र सज्झाय, पृ. १०८
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अंध गजराज अगाज; अंति: संबंध लहो सुख सासता, १०९अ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र १०८आ खंडित है
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, मु. तेजहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुण सनेही रे; अंति: तेजहर्षने तुं तार रे, गाथा - ७. ७. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १०९अ - ११० अ, संपूर्ण.
मु. वीरसागरशिष्य, रा., पद्य, आदि: विजयानंदन वीनवु रे; अंतिः जिनवर वार वारी, गाथा-८.
८. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ११०अ १११अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८९, आदिः समवसरण बेठा भगवंत अंतिः सुदी अगिवारस वडी,
गाथा - १३.
९. पे. नाम. सूर्य श्लोक, पृ. १११अ - ११२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामणि करुं; अंति: नही कोई तीरथ तोलै, गाथा - १८. १०. पे. नाम. चुनडी स्तवन, पृ. ११२आ - ११३आ, संपूर्ण, प्रले. मु. दोलतविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
नेमराजिमती गीत, मा.गु., पद्य, आदि: संयम नवरंग कंचूउ; अंति: गति तणां सुख होइ हो, गाथा - १६. ११. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ११४अ - ११४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
गाथा - ६.
नेमिजिन भ्रमरगीता, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदि: समुद्रविजयनृप कुलतिल; अंति: (-), ( पू. वि. गाथा १६ अपूर्ण तक है.)
२८१३७. स्तवन, पद संग्रह व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ३२, जैदे., (२१x११, १२x२६-३०). १. पे नाम, ऋषभदेव स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण,
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आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: तुझ गुण कमल पराग; अंतिः मने ए लव लागी, गाथा-५, ५. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सकल वंछित सुख आपवा; अंति: भवोभवे आपो अधिक आणंद, गाथा- ७.
२. पे. नाम. अजितनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
अजितजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: शुभ वेला शुभ अवसरे; अंति: हंसरत्न सुख थाइ,
गाथा - ६.
३. पे. नाम संभवजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ संपूर्ण
-
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो संभवनाथ जूगते; अंति: भवभवनां दुःख जोडी, गाथा ५. ४. पे नाम, अभिनंदनजिन स्तवन, पृ. २अ २आ, संपूर्ण
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि आज सुमति जिन साहेब; अंतिः जीवन अंतर्जामी रे, गाथा ५. ६. पे नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण,
-
पंन्या. प्रमोदसागर, मा.गु., पद्य, आदि: वंदु अजित जिणंद मुरत; अंति: तुजथी थाय भले री, गाथा ५. ७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: ताहरी मूरति तूं नहीं; अंति: ही सेवक पार उतारो रे, गाथा - ५.
८. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: ताहरे वयणे मनडूं; अंति: सही नावा संवरणी रे, गाथा - ५. ९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४अ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि पामी प्रभुना पाय रे; अंतिः हुं दामणि बलगोरे, गाथा ५. १०. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, रा., पद्य, आदि: साहिबी आनी सेवामा; अंतिः जै जै श्रीमहावीर गाथा-६. ११. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ४-५अ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: चलन तुम्हारो हो; अंति: उदयरतन गुण गावे हो, गाथा - ७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १२. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ५अ-६अ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशांतिजिणंदनी जाउ; अंति: भवि देयो तुम सेवालो, गाथा-१४. १३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थ, पृ. ६अ-७अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: आदि जिणेसर वीनती हो;
अंति: ते तो सहिजि जग साधार, गाथा-१३. १४. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: समवसरण त्रिभुवनपति; अंति: वेगे वंछित पूरे, गाथा-५. १५. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण.
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो साहिब धर्मजिणंद; अंति: हसरतन सुख थाय हो, गाथा-७. १६. पे. नाम. मल्लिजिन स्तवन, पृ. ८अ, संपूर्ण.
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जिन अभिनव आंबो मोहोर; अंति: मुज आपो इच्छित दान, गाथा-७. १७. पे. नाम. श्रेयांसजिन स्तवन, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: साहिब श्रीश्रेयांसजी; अंति: तुंछे सुगुण सुजाण, गाथा-७. १८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ९अ, संपूर्ण.
वा. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: सुधी आ वामारो जायो; अंति: रंग विशेष रे, गाथा-५. १९. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: नेमजी तोरणथी रथ वाली; अंति: वंछित फल्या रे लो,
गाथा-११. २०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधर सुणो वीनती; अंति: ग्या पाशा ढल्यारेलो, गाथा-७. २१. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल कहे सुणो नेमजी; अंति: नवनिधि कोड कल्याण,
गाथा-७. २२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो रे सखी मुझ वाहल; अंति: वंदे प्रभुना पाय, गाथा-९. २३. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अजित जिनेश्वर आंखडी; अंति: खीमाविजय जिन पायो रे, गाथा-६. २४. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
मु. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शीतलजिन सेहेजानंदी; अंति: जनविजयानंद सभावे, गाथा-५. २५. पे. नाम. औपदेशिक स्तवन, पृ. १३अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे तुमें जो जो; अंति: साहिब जई हेजेसु मलीइ,
गाथा-४. २६. पे. नाम. अमिझरापार्श्वजिन स्तवन, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-अमीझरा, वा. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तमे जो जो रे भाई अजब; अंति: अनुभव लील
वरीजे, गाथा-६. २७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १३आ, संपूर्ण.
मु. न्यायसागर, मा.गु., पद्य, आदि: मुगट परिवारीयां बो; अंति: द्यो दरीसण दुख टारी, गाथा-४. २८. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन-जिनवाणी महिमा, पृ. १४अ, संपूर्ण.
क. कांत, पुहिं., पद्य, आदि: जिणंदा तोरी वाणीइ; अंति: भाखे इम कवि कांत रे, गाथा-५. २९. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. विबुधविमल, पुहिं., पद्य, आदि: मेरो मन साम से अटक; अंति: सब तजी परगटक्यो रे, गाथा-८. ३०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १४आ, संपूर्ण. महायशजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: आत्मप्रदेश रंग थल; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण., गाथा २ तक है.) ३१. पे. नाम. मंगल पाठ, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मांगलिक स्तुति संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: मंगलं भगवान वीरो; अंति: जैन धर्मोस्तु मंगलम्, गाथा-१. ३२. पे. नाम. प्रासंगिक सुभाषित संग्रह, पृ. १४आ, संपूर्ण.
सुभाषित श्लोक संग्रह-, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-३. २८१३९. (-) चैत्यवंदन, स्तवन, स्तुति व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १६-२(१० से ११)=१४, कुल पे. २३,
प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२१४११, ९-१०x१८-२३). १.पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहे पुरो मनोरथ माय, गाथा-४. २. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. ३. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिनवर प्रणमु; अंति: कहै जीवत जनम प्रमाण, गाथा-४, (वि. अंतिम
वाक्य में जिनसिद्धसूरि लिखा है परंतु, जिनसुखसूरि रचित कृति से पूर्णतया यह कृति मिलती है.) ४. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण..
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: सीस० संघतणा निशदिश, गाथा-४. ५. पे. नाम. पाक्षिक स्तुति-स्नातस्या, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. ६. पे. नाम. जंबूस्वामि सज्झाय, पृ. ४आ-६अ, संपूर्ण. आचारांगसूत्र-साधुगुण सज्झाय, संबद्ध, मु. गुणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: जंबु धाई पोखरा दीप; अंति: गुणसागर
प्रणमंत हो, गाथा-२०. ७. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
___ मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेजो सिद्ध; अंति: (१)ताइ सव्वाइ वंदामि, (२)जिनवर करुं प्रणाम, गाथा-८. ८. पे. नाम. साधारणजिन गीत, पृ. ६आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., पद्य, आदि: जब जिनराज कृपा होवे; अंति: ध्यानथी भमरी पद पावै, गाथा-५. ९. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सतर भेदि जिन पूजा; अंति: पुरो देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. १०. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मु. हर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: अंगीयां मेरा जीनजीसू; अंति: राणी थोडु बाल एक घडी, गाथा-४. ११. पे. नाम. करकंडुमुनि सज्झाय, पृ. ८अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानगरी अतिभली हुं; अंति: प्रणम्या पातक जाय रे, गाथा-५. १२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-परनारीत्याग, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण. __ औपदेशिक सज्झाय-परस्त्री त्याग, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: नर चतुर सुजाण परनारी; अंति: तो चाखो
अनुभव सुखडली, गाथा-५. १३. पे. नाम. कृष्णपंचमी स्तुति, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: मंगल करो अंबा देविय, गाथा-४. १४. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
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११४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची आदिजिन स्तवन, मु. कपूर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तिर्थंकर रीषभ; अंति: भव मागु तमारी सेवा, गाथा-१०. १५. पे. नाम. वीरजिन स्तुति, पृ. ९आ, अपूर्ण, पृ.वि. मात्र प्रथम पत्र है.
महावीरजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशासननायक वीरजिणं; अंति: (-), (पू.वि. गाथा का मात्र आधा चरण
१६. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १२अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: श्रीजिनलाभसूरिंदा जी, गाथा-४, (पू.वि. गाथा ३ अपूर्ण तक
नहीं हैं.) १७. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणीक रयिवाडी; अंति: वंदेरे बे करजोडि, गाथा-९. १८. पे. नाम. इलापुत्र सज्झाय, पृ. १३अ-१४अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नाम इलापुत्र जाणीये; अंति: करे समयसुंदर गुण गाय, गाथा-९. १९. पे. नाम. सिद्धाचल चैत्यवंदन, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: जयजय त्रिभुवन आदिनाथ; अंति: प्रति करुं प्रणाम, गाथा-३. २०. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. १४आ, संपूर्ण...
प्रा., पद्य, आदि: सिद्धो विजाय चक्की; अंति: महं तित्थमेयं नमामि, गाथा-१. २१. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथनायक जिनवरू रे; अंति: नित प्रति नमत कल्याण, गाथा-५. २२. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अतिलोभिया भरत; अंति: समयसुंदर वंदे पाय रे, गाथा-७. २३. पे. नाम. सीतासतीशील सज्झाय, पृ. १६अ, संपूर्ण. सीतासती सज्झाय-शीयलविषे, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: झल झलति मलति घणु रे; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ४ अपूर्ण तक है.) २८१४१. (+) पद, सज्झाय संग्रह व पोसह विधि, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-१(१)=८, कुल पे. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें., जैदे., (२०४११, १०४२०-२२). १.पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मु. लाभधीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: उपदेशे लाभ जगत माना, गाथा-५, (पू.वि. गाथा १ से ४ नहीं
२. पे. नाम. नेमराजुल पद, पृ. २अ, संपूर्ण.. नेमराजिमती पद, मु. लाभधीरविजय, पुहिं., पद्य, आदि: पिऊ नेम गयो गिरनारी; अंति: लाभ जगत जयकारी,
पद-७. ३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद-निद्रात्याग, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद-निद्रात्याग, मु. कनकनिधान, मा.गु., पद्य, आदि: नींदडली वैरण हुय; अंति: हो मुनि कनकनिधान,
गाथा-८. ४. पे. नाम. श्राविकापौषध विधि, पृ. ३अ-९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
पौषध विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम प्रभाते पडिकमण; अंति: (-). २८१४२. स्तवन-सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २४-१०(१ से १०)=१४, कुल पे. १३, जैदे., (१९.५४११,
१३४२६). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. ११अ, संपूर्ण, ले.स्थल. नालोर, प्रले. मु. सुंदरसागर; पठ. मु. रत्नविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य. मु. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आवो सहिअर सहु मिलि; अंति: उलग करे कि सहीआहे, गाथा-११.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: लाछल दे मात मल्हार; अंति: लीला लखमी घणी
जी, गाथा-१७. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. शुभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: इण डुंगरीये मन मोहीउ; अंति: सफलीसी यात्र हो,
गाथा-१२. ४. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. १२आ-१३आ, संपूर्ण.
मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरी वसे ऋषभ; अंति: सिद्धिवि० पाया रे, गाथा-१६. ५. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: प्यारा प्रभु जो मुझ; अंति: दिजीइं रामतणी महाराण, गाथा-६. ६. पे. नाम. धन्नाअणगार सज्झाय, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
मु. श्रीदेव, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवचने वयरागी हो; अंति: लेहस्यौ शिवपुर वास, गाथा-१२. ७. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. १५अ, संपूर्ण. मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: माया मूल संसारनो; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा २
अपूर्ण तक है.) ८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १५अ-२२अ, संपूर्ण, वि. १७७९, ले.स्थल. घाणेरा.
मु. लखमण, मा.गु., पद्य, वि. १५२१, आदि: पहिलो धुरि समरूं; अंति: ते धरि अफला फलई, गाथा-९८. ९. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. साधुहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन वांदता आपो; अंति: जीवत जनम प्रमाण,
गाथा-६. १०. पे. नाम. वीरजिनतप स्तवन, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
महावीरजिनतप स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती सामण द्यो मति; अंति: पोता भवनै रे पार, गाथा-१०. ११. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. २३आ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मा.गु., पद्य, आदि: रमक जमक वालो वीरजी; अंति: मुगतिसुख पावे रे, गाथा-३. १२. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. वीर, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिनेसर विनती; अंति: वीर नमे करजोडी रे, गाथा-५. १३. पे. नाम. विजयरत्नसूरि गीत, पृ. २४अ-२४आ, संपूर्ण.
मु. देवकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: विजयरत्नमुणंद रे सुर; अंति: श्रीविजयरत्नसूरि रे, गाथा-५. २८१४५. (+) स्तुति व स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८९६, आश्विन शुक्ल, १५, मंगलवार, मध्यम, पृ. १८, कुल पे. ९,
ले.स्थल. बिकानेर, प्रले. पं. विजयसागर; पठ. श्राव. हमीरमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अजितनाथजी प्रसादात्. कोचरा के उपाश्रय में प्रत लिखी गयी है., संशोधित., जैदे., (२१x१०, १२-१४४२९-३१). १.पे. नाम. नवस्मरण, पृ. १आ-१५आ, संपूर्ण.
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: मोक्ष प्रतिपद्यते, स्मरण-९. २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १५आ-१६आ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशात; अंति: जैन जयति शासनम्, श्लोक-१९. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. १६आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंति: पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक-५. ४. पे. नाम. बृहस्पति स्तोत्र, पृ. १७अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ॐ बृहस्पतिः सुरा; अंति: सुप्रीतिः तस्य जायते, श्लोक-५. ५. पे. नाम. शनिश्चर स्तोत्र, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
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यत्पुरा राज्यभ्रष्टा; अंतिः वृद्धिं जयं कुरु श्लोक ११.
"
सं., पद्य,
आदिः
६. पे नाम. नवग्रह स्तुति, पृ. १७आ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: अहिमगो हिमगो धरणीसुतः अंतिः सततं मम मंगलम् श्लोक-१.
७. पे. नाम गौतमस्वामी छंद, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण,
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर केरो सीस; अंति: तूठा संपति कोडि, गाथा- ९.
८. पे. नाम. १६ सती स्तुति, पृ. १८अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ब्राह्मी चंदनबालिका; अंति: कुर्वंतु वो मंगलम्, श्लोक - १.
९. पे. नाम. वज्रपंजर स्तोत्र, पृ. १८आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति मूल पत्र के फटे होने पर चिपकाये गये पत्र पर लिखी गयी है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
सं., पद्य, आदिः ॐ परमेष्ठि; अंति: दुःखं न प्राप्यते, श्लोक - ८.
२८१४६. (+) स्तवन, गीत व पद संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १६ - १ (१) १५, कुल पे. २५, प्र. वि. संशोधित, जैये.,
(२१x१०.५, ११-१२x२३).
१. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: प्रभु आवागमन निवार, गाथा - ५, ( पू. वि. गाथा १ से ४ नहीं है.) २. पे नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अजित अरिहंत भगवंत; अंति: जयो तुहि देवाधिदेवा, गाथा-५.
मु.
३. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
मु. जैनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदिः सुविधि जिणंद कु पूजि; अंति: लाल जैनेंद्र वदतेनेव, गाथा - ६.
४. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जग वालहो; अंति: सुखनो पोष लाल रे, गाथा-५. ५. पे नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
-
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अजित जिणंदस्यु प्रीत; अंतिः नित नित गुण गाव के, गाथा ५. ६. पे. नाम पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदिः पद्मप्रभुजिन जइ अळगा; अंति: जस कहे० ठाम ठामोजी, गाथा-५, ७. पे नाम. सुपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४आ ५अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुपास जिनराज; अंतिः वाचक जसे थुण्योजी, गाथा-५,
८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ५अ - ५आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गिरुआ रे गुण तुम; अंति: तुं जीवजीवन आधारो रे, गाथा - ५. ९. पे नाम, सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पुष्कलावइ विजये जयो; अंति: भयभंजण भगवंत, गाधा ७. १०. पे नाम, अजितजिन स्तवन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कांबल रूपाणी लागणे; अंति: रूपनो प्रभु अंतरजामी, गाथा-५.
११. पे. नाम. पार्श्वनाथजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदिः प्राण थकी प्यारो अंतिः रे धलपति प्राण आधार, गाथा - ५. १२. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिनेश्वर साहिब; अंतिः मोहन जय जयकार, गाथा- ७.
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१३. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि हां रे म्हारा धरमजिण; अंतिः उलट अति घणी रे लो, गाथा-७, १४. पे. नाम, ऋषभजिन स्तवन, पृ. ८आ ९अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीउडा जिन चरणां री; अंति: मोहन अनुभवि मांगे,
गाथा - ५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १५. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेसर वंदीये; अंति: उत्तम एहवी वाणी रे, गाथा-८. १६. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. जसवंत-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुमती जिणेसर साहिबा; अंति: सीसने अविचल धाम, गाथा-६. १७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. १०अ-११अ, संपूर्ण.
मु. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आवो सहिअर सहु मिलि; अंति: उलग करे कि सहीआं हे, गाथा-११. १८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण.
मु. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमहावीर जिणेसर; अंति: बाहे ग्रहानी लाज हो, गाथा-११. १९. पे. नाम. अनंतजिन स्तवन, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण..
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: धार तरवारनी सोहली; अंति: आनंदघन पद राज पावै, गाथा-७. २०. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण..
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: धरमजिनेश्वर गाउं रंग; अंति: साभलो ए सेवक अरदास, गाथा-८. २१. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजीने चरणे लागुं; अंति: आनंदघनप्रभु योगेरे, गाथा-७. २२. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-राणकपुरमंडन, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६७६, आदि: राणपुरोरलीयामणौ रे; अंति: लाल समयसुंदर सुखकार,
गाथा-७. २३. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
मु. राजेंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: हेली श्रावणीयो आयो; अंति: गुण राजिंद गावै है, गाथा-९. २४. पे. नाम. प्रास्ताविक पद, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीलोहरडीरो रणकोरे; अंति: वेणी वासिग नागरे, पद-५. २५. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन पद, पृ. १६आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन पद-गोडीजी, पं. विनयविमल, मा.गु., पद्य, आदि: माहरे मन गोडीचो वसीय; अंति: विनयविमल
थुणीयो, गाथा-५. २८१४७. (+) स्तवन संग्रह, सुखडी व श्लोक, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १२-३(३ से ४,८)=९, कुल पे. १६,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२०x१०.५, १०-१२४२७-३२). १. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७७२, आदि: पूजा सौहै संत जिणंद; अंति: सहिर आउवै अतिरंग, गाथा-११. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आवो सहिअर सहु मिलि; अंति: उलग करे कि सहीआं हे, गाथा-११. ३. पे. नाम. नमिराजर्षि सज्झाय, पृ. २आ, अपूर्ण, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जी हो मिथीला नगरीनो; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ३ अपूर्ण तक है.) ४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: शत्रुजैवाजा वाजीय; अति: आवीया हीयडा कुपल मेल, गाथा-७. ५. पे. नाम. विमलजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: घर आंगणि सुरतरु; अंति: तुहि ज देव प्रमाण, गाथा-५. ६. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: धरमजिनेश्वर गाउं रंग; अंति: सांभलो ए सेवक अरदास, गाथा-८. ७. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
वा. सदानंद, मा.गु., पद्य, आदि: घणु प्यारो घणु प्यार; अंति: आदीसर देवाधिदेव हो, गाथा-७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ८. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. नित्यलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: हुं तो मोह्यो रे लाल; अंति: मेरी गुणन हुं लटके, गाथा-५. ९. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण. ___आदिजिन स्तवन, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मन मधुकर मोही रह्यउ; अंति: सेवे बे कर जोडी रे,
गाथा-५. १०. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण.
आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: तार करतार संसार सागर; अंति: ते तरैजे रहै पासे, गाथा-५. ११. पे. नाम. सुखडी सज्झाय, पृ. ९अ-१०आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: नाणी गुरु एम प्रकाशै. १२. पे. नाम. स्वयंप्रभजिन स्तवन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
मु. शांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: केवलनाण प्रमाणथी हो; अंति: शांतिविजय महाराज, गाथा-८. १३. पे. नाम. शंखेश्वरपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. शांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसखेसरपासजी; अंति: निज चाहै दीदार रे,
गाथा-८. १४. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: जिनजी हो आज उमाहो; अंति: सेव्या आणंद थाय, गाथा-७. १५. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
मु. जगरूप, मा.गु., पद्य, आदि: चंदाजी हो मे; अंति: प्रभु आवागमण निवार, गाथा-५. १६. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. १२आ, संपूर्ण...
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८१४८. (+) छंद-सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १७, कुल पे. ६, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२०x१०.५,
९x१७-२०). १. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद-गोडीपार्श्वनाथ, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: धवल धिंग गोडी धणी; अंति: नाथजी दुखनी जाल तोडी,
गाथा-८. २. पे. नाम. जीवदया छंद, पृ. २आ-५अ, संपूर्ण.
मु. भुधर, मा.गु., पद्य, आदि: रयणीचंद्र चंद्र वीना; अंति: सो वीतराग वाणी लहे, गाथा-११. ३. पे. नाम. क्रोधमानमायालोभ छंद, पृ. ५आ-९अ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३५, आदि: पेहलो सरसति लीजे नाम; अंति: हर्षे गुण गाय, गाथा-३०. ४. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन छंद, पृ. ९अ-१२आ, संपूर्ण. ___ पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. कुशलचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोडिचा जगतगरु; अंति: कुशलचंद विनती करे,
गाथा-११. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वर, पृ. १२आ-१७अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिरूचि, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७१२, आदि: जय जय जगनायक; अंति: मुदा प्रसन्नः, गाथा-३२. ६. पे. नाम. सीखामण सज्झाय, पृ. १७अ, संपूर्ण.
औपदेशिक छंद-त्रोटकनामा, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वरदायक माय सलाम करी; अंति: (-),
(अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा २ अपूर्ण तक है.) २८१५०. स्तवन, स्तुति व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. १३, ले.स्थल. वालीनगर, जैदे.,
(२१x१०, १४-१६४३१-३६). १. पे. नाम. थुलिभद्र राजऋषि नवरसो, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण.
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स्थूलभद्रमुनि नवरसो, वा उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: सुखसंपत्ति दायक सदा; अंतिः मनोरथ सवि फल्या रे, ढाल - ९.
२. पे. नाम नेमिजिन भ्रमरगीता, पृ. ४अ ५आ, संपूर्ण.
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उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदिः समुद्रविजयनृप कुलतिल; अंतिः संधुण्यो सानुकूल, गाथा-२७, ३. पे नाम, नेमिजिन स्तुति, पृ. ५आ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर बंदीय पाय; अंतिः मंगलको अंबिकादेवीहं, गाधा - ४.
४. पे नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ६अ, संपूर्ण
सं., पद्य, आदिः संप्रात संसारसमुद्रः अंति: देहि मे देवि सारम्, गाथा-४.
५. पे नाम चतुर्दशीतिथि स्तुति, पृ. ६अ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: देवाधीशयुतै भृशं; अंतिः कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४.
६. पे. नाम. लघुपंचमीपर्व स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण.
ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., पद्य, आदि समुद्रभूपालकुलप्रदीप; अंतिः तु देवी जगतः किलांबा, श्लोक-४. ७. पे. नाम. शांतिजिन स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण,
मु. पुण्यसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अचिरानंदननीत सुरवृंद; अंतिः पुण्यसागर जय संपदवरी, गाथा-४. ८. पे नाम. अजितजिन स्तुति, पृ. ६आ, संपूर्ण.
अजितजिन स्तुति- तारंगातीर्थमंडन, मु. पुण्यसागर, मा.गु., पद्य, आदि: तारंगा मुखमंडण अजित; अंतिः पुण्यसागर० सुखकार, गाथा - १.
९. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: महीमंडणं पुन्नसोवन्न; अंति: देहि मे सुखनाणं, गाथा-४.
१०. पे. नाम. रोहिणीतप स्तुति, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. धिरूचि, मा.गु., पद्य, आदि जयकारी जिनवर वासपूज; अंति देवी लब्धिरूची जयकार, गाथा ४. ११. पे नाम, शत्रुंजयमंडन ऋषभजिन स्तुति, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण,
आदिजिन स्तुति - शत्रुंजयमंडन, ग. शुभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीविमलाचल गिरवर; अंति: विलास अवचल पूरिइं आस, गाथा-४.
१२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन- अणहिलपुरगोडीजी प्रतिष्ठा महोत्सव, पृ. ७आ - १०आ, संपूर्ण.
मु. प्रीतिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: वाणि ब्रह्मावादिनी; अंति: सयल संघ मंगल करई, ढाल - ५, गाथा - ५६. १३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १०आ- १२आ, संपूर्ण.
आदिजिनविनती स्तवन, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पच, वि. १६६६, आदि श्रीआदीसर बंदु पाय; अंतिः बोलई पाप आलोड आपणओ, गाथा ५३.
२८१५५. (+) स्तवन व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २५ - १४ (१ से १४ ) = ११, कुल पे. ८, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अंतिम ४ पत्र कोरे हैं., संशोधित, जैये. (२२x१०.५, १२x२५-२६).
-
१. पे नाम. चित्रसंभूति सज्झाय, पृ. १५अ १५आ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है, प्रले, मु. लाभ, प्र.ले.पु. सामान्य, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: ( - ); अंति: शिवपुर लहेस्ये हो के, गाथा - १९, ( पू. वि. गाथा १ से ८ नहीं है.) २. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन- समवसरणविचारगर्भित, पृ. १५ - १९अ, संपूर्ण.
मु. सोमसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: जादवकुल सिणगार; अंति: अनंती ते लहइ ए, कडी - ३६. ३. पे. नाम. मानवभव १० दुर्लभ दृष्टांत सज्झाय, पृ. १९अ - २२आ, संपूर्ण.
मनुष्यभव १० दृष्टांत सज्झाय, वा. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी परमेसर वीर; अंतिः विजयसिंह गुणधारी,
गाथा - २४.
४. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. २२आ - २३अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पं. विनयकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: समरू कविजन सारदा; अंति: मारा मनडानी आस,
गाथा-७. ५. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
वा. कुसलसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आव सहेली नी थाय वहेल; अंति: उत्तम संपद पाया रे, गाथा-७. ६. पे. नाम. ४ मंगल पद, पृ. २३-२४अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज घरे नाथजी पधारे; अंति: चरण कमल जाउं वार, पद-५. ७. पे. नाम. २४ जिन तीर्थमाला स्तवन, पृ. २४अ-२४आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: शत्रुजे ऋषभ समोसर्य; अंति: समयसुंदर कहे एम, गाथा-१७. ८. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहे जिनहर्ष सुजाण रे, गाथा-९. २८१५८. (+) पाक्षिकसूत्र, मुहपति पडिलेहन, दशवैकालीक सूत्र व दिनमान, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ४,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४१०, ११४२६-३०). १. पे. नाम. पाक्षिकसूत्र, पृ. १अ-१४अ, संपूर्ण.
हिस्सा, प्रा., प+ग., आदि: तित्थंकरे अतित्थे; अंति: जेसिं सुयसायरे भत्ति. २. पे. नाम. मुंहपत्ती पडिलेहन गाथा, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
मुहपत्तिपडिलेहण गाथा, प्रा., पद्य, आदि: मुहपत्ती पन्नास अठार; अंति: विराहणच्चाय पन्नासं, गाथा-४. ३. पे. नाम. दशवकालिकसूत्र-द्रुमपुष्पिकाध्ययन, पृ. १४आ, संपूर्ण.
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. ४. पे. नाम. दिनमान गाथा, पृ. १४आ, संपूर्ण.
____ मा.गु., पद्य, आदि: तणोकर सत अंगुलो; अंति: शेष कहौ पल इण परा, गाथा-३. २८१५९. सुकनावली, स्तवन व पदादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. २६, प्रले. मु. देवेंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२२.५४११.५, १०४२७-२९). १. पे. नाम. शवणबत्रीसी सुकनावली, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
श्रवणबत्रीसी सुकनावली, मा.गु., पद्य, आदि: राजा डाबो जीमणी जोरे; अंति: दिन दिन अति दीपंत, गाथा-३२. २. पे. नाम. ऋषभजिन गीत, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आदिजिन गीत, पुहिं., पद्य, आदि: भजो श्रीऋषभ जीणंद; अंति: चरण की ऋदयै लय लाई, गाथा-४. ३. पे. नाम. मूढशिक्षा पद, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण..
मूढशिक्षा अष्टपदी, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसे क्यु प्रभु पाईइ; अंति: विना तूं समजत नाही, गाथा-८. ४. पे. नाम. मूढशिक्षा पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. जिनसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जे मूरख जन बाउरे जिन; अंति: दिन दिन गुण गावे, गाथा-४. ५. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. देवकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: चंद्रप्रभुजीसु; अंति: देवकुशलने प्यारी, गाथा-७. ६. पे. नाम. प्रबोध पद, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. मान, मा.गु., पद्य, आदि: जाग जाग जाग जाग रे; अंति: वीतराग लहो शिवमाग रे, गाथा-५. ७. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. मान, पुहिं., पद्य, आदि: आज तो हमारे भाव आदि; अंति: राग कवि मान गाएहिं, गाथा-३. ८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. धीर, पुहि., पद्य, आदि: अजब ज्योत हेरी जिन; अंति: आसापुरो मेरे मनकी, गाथा-३. ९. पे. नाम. ४ मंगल पद, पृ. ५अ-६अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धार्थ भूपति सोहे; अंति: उदयरत्न भाखे एम, गाथा-१८.
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१०. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण
उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: मेरे साहिब तुम ही; अंति: दास को दीओ परमानंदा, गाथा - ५. ११. पे नाम, अजितजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण,
वा. मेघ, पुहिं., पद्य, आदि: तुं मेरे जीवन प्रान; अंतिः निरमल दीजे नाण, गाथा-३,
१२. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ७अ संपूर्ण.
मु. साधुकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदिः आज ऋषभ घर आवे देखो; अंति: साधुकीर्ति गुण गावै, गाथा - ३. १३. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तवन, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण.
मु. पुण्यउदय, मा.गु., पद्य, आदिः प्रभाते गोतम प्रणमी; अंति: उदय प्रगट्यो परधान, गाथा-८.
१४. पे नाम, पार्श्वजिन पद चिंतामणि, पृ. ८अ संपूर्ण.
-
मु. भानुचंद, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु को दरिशण पायो; अंतिः घऊं आनंद अधिक उपायो, गाथा - ३.
१५. पे नाम, आध्यात्मिक गीत, पृ. ८अ संपूर्ण.
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आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: रे घरिया री बाउ रे; अंतिः विरला कोइ पावे, गाथा-३. १६. पे नाम, सुविधिजिन स्तवन, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
सुविधिजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुजरा साहेब मुजरा अंति: निरंजन जिन तेरा रे, गाथा - ३. १७. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ८आ- ९अ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजयजी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धाचल भेटवा; अंतिः श्रीविमलाचल घ्यावा, गाथा-५. १८. पे. नाम. दानशीलतपभावना प्रभाती, पृ. ९अ, संपूर्ण.
गाथा - ६.
२०. पे. नाम संभवजिन पद, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: वाके गढ फोज चडी; अंतिः बांधी मंगाउं आठे चोर, गाथा ४.
२१. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १०अ १० आ, संपूर्ण.
दानशीलतपभावना प्रभाति, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव जिनधर्म कीजिइ; अंति: मुगतना फल त्यांह रे, गाथा - ६.
१९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद - निद्रात्यागविषये, पृ. ९आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद- निद्रात्याग, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि; रे जीव निद्रा परिहरो; अंतिः दानविजय जयकार रे,
गाथा - ६.
२३. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदिः प्रभाते प्रणमुं अंति: मीज दिवण महिराण, गाथा - ५.
२२. पे. नाम. पार्श्वजिन बाललीला स्तवन, पृ. १०आ - ११अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- बाललीला, मु. जिनचंद्र, मा.गु, पच, आदिः सुरगिरि शिखरे ने; अंतिः आस्या पुंहचाडे रे,
उपा. समयसुंदर गणि, पुहिं., पद्य, आदि: अंगन कल्प फल्योरी; अंति: हुं रहेस्यु सोहेलेरी, गाथा - ५. २४. पे नाम, आदिजिन स्तवन- जन्मबधाई, पृ. १९अ ११आ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि आज तो बधाइ राजा नाभि; अंति: आदेशर दरबार रे, गाथा ६.
२५. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. १९आ, संपूर्ण.
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मु. जिनराज, पुहिं., पद्य, आदि: कहा अग्यानी जीवकुं; अंति: कहा काको सहिज मिटावइ, गाथा-३. २६. पे. नाम. अंतरिक्ष पार्श्वजिन पद, पृ. ११आ, संपूर्ण.
-
पार्श्वजिन गीत, मु. आनंदघन, पुहिं, पद्म, आदि: मेरे एही ज चाहीई; अंति करो कछु ओर न चाहु, गाथा ३. २८१६०. (+४) स्तवन-सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १७९२ १७९४, श्रेष्ठ, पृ. ४८, कुल पे. ८९, प्र. वि. संशोधित ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित-पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., ( २२x१०, ९३४).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१. पे. नाम. पुंडरीकगिरि स्तवन, पृ. १आ - २आ, संपूर्ण, ले. स्थल. साहाजिहानाबाद, प्रले. उपा. कर्पूरप्रिय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: विमलाचल सिर तिलो; अंतिः अविचल लील विलास,
गाथा - ११.
२. पे नाम. दादाजिनकुशलसूरि गीत, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: कुशल गुरु अब मोहि; अंति: आपणउ करि जाणीज, गाथा - ३.
-
३. पे. नाम. ब्राह्मीसुंदरी सज्झाय, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
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भरतबाहुबली सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अतिलोभीया भरत; अंतिः समयसुंदर वंदे पाय रे, गाथा - ७.
४. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: इण रे डुंगरीयानी; अंति: बोले औ भव पार उतारी, गाथा - ६.
५. पे नाम, पार्श्वनाथजी लघुस्तवन, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, उपा. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: वामादे राणीनो नंदन; अंति: सुणि श्रीपासकुमार, गाथा- ७. ६. पे. नाम. पार्श्वनाथ लूरिस्तवन, पृ. ४-५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जसवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: मन मोहनगारो साम सहि; अंति: सफल अपणौ करौ जी लो,
गाथा - ९.
७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
मु. विजयहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि : आज सफल अवतार असाडा; अंतिः ध्यान सदा ध्रमसीह, गाथा-७.
८. पे नाम. जीवकाया गीत, प्र. ५आ-६अ, संपूर्ण,
महमद काजी, मा.गु., पद्य, आदिः सुपना मैं साहिब, अंतिः सजनी सांई उतार पार गाथा- ७.
९. पे नाम, गोडीपार्श्वजिन लघुस्तवन, पृ. ६अ-७अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. गंगाराम, मा.गु., पद्य, वि. १७९०, आदि: अब म्हारा जिनजी हो; अंति: सतरे से नेकऐ समै जी, गाथा ७.
१०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: तुम ज्ञान विभो फुली; अंति: नर पशु आनंदघन सरुप, गाथा-४. ११. पे नाम, आध्यात्मिक होरीपद, पृ. ७अ संपूर्ण.
मु. सुमति, पुहिं., पद्य, आदि: पिय विन कैसे खेलूं; अंति: सुमति कहै करिजोरी हो, गाथा - ३. १२. पे. नाम. रामसीता पद, पृ. ७अ - ७आ, संपूर्ण.
मु. धानत, पुहिं., पद्य, आदि कहे राघव सीता चलहु; अंतिः तप लीज्यो मोहनास, गाथा ४.
"
१३. पे. नाम. रामसीता पद, पृ. ७आ ८अ संपूर्ण.
सीताराम पद, मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: कहै सीताजी सुनि राम; अंति: इंद्र सोलहै सुरगवास, पद- ४. १४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: भैया मोरै कहुं कैसै; अंतिः द्यानति तर जग तोय, पद- ४.
१५. पे. नाम नेमिनाथराजीमति सज्झाय, पृ. ८अ ९आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती सज्झाय, मु. जिनचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल नेम कुं वीनवै; अंति: मुगत पहुता दोऊं साध, गाथा - ११.
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१६. पे. नाम. पार्श्वजिनप्रतिहार्याष्टक स्तवन, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- प्रातिहार्याष्टक, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवन जन मन मोहन; अंतिः पंडित करि मुखपाठ, गाथा - ५.
१७. पे नाम, कायाचेतन अध्यात्म सज्झाय, पृ. ९आ-१०अ संपूर्ण.
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१२३ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सीखडी मानौ हो; अंति: राज ठाकुर ठकुराणी रे, गाथा-३. १८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. आसराज, मा.गु., पद्य, आदि: मानीयै श्रीमहाराज; अंति: प्रभु जाणि निजदास, गाथा-४. १९. पे. नाम. आत्मशिक्षा पद, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन अजहु तूं कछु; अंति: जीति रिपु रणखेत, गाथा-६. २०. पे. नाम. औपदेशिक गीत, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण..
मा.गु., पद्य, आदि: चेतन राम तोर्यो; अंति: राज राम सोउ ध्यावै, गाथा-५. २१. पे. नाम. गौडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण, वि. १७९२, मार्गशीर्ष शुक्ल, १. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगौडी प्रभु पासजी; अंति: श्रीलखमीवल्लभ कही,
गाथा-७. २२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
श्राव. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: या चेतन की सब सुधि; अंति: तब सुख लहै बनारसीदास, गाथा-४. २३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १२आ, संपूर्ण, वि. १७९२, फाल्गुन कृष्ण, ४, मंगलवार.
जै.क. बनारसीदास, पुहि., पद्य, आदि: चेतन तूं तिहुं काल; अंति: जीउ होइ सहज सुरझेला, गाथा-४. २४. पे. नाम. वैराग्य गीत, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जीवन मेरे यहु तेरौ; अंति: सफल करहु यह भेस, गाथा-३. २५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. नारायण, मा.गु., पद्य, आदि: जगत मैं किणसुं करियै; अंति: तिणको मोटौ भाग, गाथा-३. २६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १३आ, संपूर्ण.
मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: लीनौ लीनौरी मो मन; अंति: मो मन कनक नगीनौरी, गाथा-३. २७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १३आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: मेरे मोहन अब कुण पुर; अंति: इक अपणी आवत साध कमाई, गाथा-३. २८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १४अ, संपूर्ण.
मु. राज, मा.गु., पद्य, आदि: विदेसी मेरे आइ रहे; अंति: एक ठोर न खटाइ, गाथा-३. २९. पे. नाम. कुंथुजिन पद, पृ. १४अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: कुंथुनाथने करूं; अंति: करै जिन गुनग्राम, गाथा-३. ३०. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
मु. कनककीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: कुशल गुरु तूं साहिब; अंति: कनककीर्ति गुण गाता, गाथा-२. ३१. पे. नाम. जिनवाणी पद, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. पेमचंद, पुहिं., पद्य, आदि: जिनवानी मेरे मन मानी; अंति: जैहै बात इहै वहरानी, गाथा-४. ३२. पे. नाम. औपदेशिक गीत, पृ. १५अ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: चलि चलि रे भमरा कमल; अंति: भजन विन जम कौ दाउ, गाथा-८. ३३. पे. नाम. गौडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १५आ-१६आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. भुवनकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: दीनदयाल दया करौरे; अंति: भुवनकीरति कहै एम,
गाथा-१४. ३४. पे. नाम. नेमिनाथराजीमति स्तवन, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण. नेमराजीमती स्तवन, मु. रुचिरविमल, मा.गु., पद्य, आदि: मात शिवादेवी जाया; अंति: नेमराजुल शिवसुख पाया,
गाथा-७. ३५. पे. नाम. मनपंखीया सज्झाय, पृ. १७आ-१८आ, संपूर्ण.
मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: रे मन माहरा म पडि; अंति: जयजयकार रे, गाथा-१७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १८आ-१९आ, संपूर्ण.
नंदलाल, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवनपति तेवीसमौ; अंति: दिन प्रणमै नंदलाल, गाथा-५. ३७. पे. नाम. हस्तनागपुरशांतिकुंथुअरमल्लीजिनकल्याणकभूमि स्तवन, पृ. १९आ-२०आ, संपूर्ण. शांतिकुंथुअरमल्लिजिनकल्याणकक्षेत्र स्तवन-हस्तनागपुर, मु. जिनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: हस्तनागपुर वर भलौ
हे; अंति: जिनचंद शिवसुख लेत, गाथा-९. ३८. पे. नाम. शीतलनाथजिन गीत, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण.. शीतलजिन गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: जिन तेरौ दरसण अधिक; अंति: सेवत नित सुख पायौ हो,
गाथा-३. ३९. पे. नाम. अढार नातरा सज्झाय, पृ. २१अ-२२आ, संपूर्ण.
१८ नातरा सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: कामसेना रा पुत्रसुं; अंति: लाल ते पामे भवपार रे, गाथा-१७. ४०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मु. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: नित नमीयै पारसनाथजी; अंति: रमसी एह अनाथा नाथजी, गाथा-३. ४१. पे. नाम. अष्टप्रकारी पूजा, पृ. २२आ-२३आ, संपूर्ण.
८ प्रकारी पूजा, मा.गु., पद्य, आदि: इह विधि जिनवर पूजीयै; अंति: दीजै अरघ अभंग, गाथा-९. ४२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. श्रीधर, पुहि., पद्य, आदि: नीकी मूरति पास जिणंद; अंति: सेवा दाता परमानंद की, गाथा-३. ४३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २३आ-२४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-पुरिसादानी, मु. लाभवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: सुखकारी हो साहिब; अंति: सेवक जाणी कृपा
करो, गाथा-४. ४४. पे. नाम. महावीरजिन गीत, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. कनककीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजी हूं बांभण धन; अंति: कनककीरति जस गायौ, गाथा-३. ४५. पे. नाम. वीरजिन गीत, पृ. २४१-२४आ, संपूर्ण.
महावीरजिन गीत, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजी उत्तम जनकी; अंति: पायौ मोह महीपति मोरी, गाथा-३. ४६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २४आ, संपूर्ण.
सूरदास, पुहिं., पद्य, आदि: मन लागउ रमता रामस्यु; अंति: लगी गुरु ग्यानस्यु, गाथा-३. ४७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-पुण्योपरि, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पारकी होडि तुंम करे; अंति: ऋद्धि कोटानुकोटी, गाथा-३. ४८. पे. नाम. वैराग्य पद, पृ. २५अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: इहु मेरा इहु मेरा इह; अंति: जीतै तिणका हुंचेरा, गाथा-४. ४९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २५अ-२५आ, संपूर्ण.
अध्यात्म पद, भैरवदास, पुहिं., पद्य, आदि: जन को ऊपरउ प्रेम कै; अंति: परवसि कहत भईरुदास, गाथा-३. ५०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २५आ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: साधो घर मैं झगरा भार; अंति: घर की रारि निबेरै, पद-३. ५१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २५आ-२६अ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: कैसे कैसे समझाईयै मन; अंति: कबीरा० सब अबगुण मेरे, पद-४. ५२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २६अ, संपूर्ण.
मु. राजसमुद्र, पुहिं., पद्य, आदि: सखी कुण करमकी गति; अंति: करम की गति सूझै, पद-३. ५३. पे. नाम. धन्नाअनगार सज्झाय, पृ. २६अ-२७अ, संपूर्ण. धन्नाकाकंदी सज्झाय, श्राव. संघो, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिणी विनवू; अंति: मोनै साधांनौ सरण,
गाथा-१५.
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५४. पे. नाम. स्वार्थ गीत, पृ. २७अ - २७आ, संपूर्ण.
स्वार्थ सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., रा., पद्य, आदि: स्वारथ की सब हे रे; अंति: साचा एक है धरम सखाई, गाथा-६,
५५. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. २७-२८अ, संपूर्ण.
मु. गुणविनय, मा.गु., पद्य, आदि दादा पूरि हो मन वंछि; अंतिः सोमन जरि करि जोवउ, गाथा-४.
५६. पे. नाम. साधुशीतपरिसह गीत, पृ. २८ अ, संपूर्ण.
साधु शीतपरिसह गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन साधु सहे अति; अंति: साधुसुं धरम सह जी, गाथा - ३.
५७. पे. नाम. ऋषभजिन गीत, पृ. २८अ - २८आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रिषभदेव मोरा हो पुण; अंतिः थइ सामी कउण भलेरा हो, गाथा-३. ५८. पे. नाम. गजसुकमाल गीत, पृ. २८आ, संपूर्ण, वि. १७९३, कार्तिक कृष्ण, १, ले. स्थल. दिल्ली.
गजसुकुमाल गीत, मु. विमलविनय, मा.गु., पद्य, आदि: नेमिजिन की सुणी देसण; अंतिः भाव धरीय त्रिकाल रे,
गाथा - ५.
५९. पे. नाम. औपदेशिक अष्टपदी, पृ. २९अ - २९आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, आव, बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि देखी माई महाविकल; अंतिः वनारसि होइ० धन लूटे,
गाथा - ८.
६०. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २९आ, संपूर्ण.
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मु. रंगवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: अहनिसि वंदौ भावसुं; अंतिः सेवता नित होय आणंद, गाथा - ३.
६३. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
महमद काजी, मा.गु., पद्य, आदि: अरे घरियारे वावरे मत; अंति: क्या दिन क्या राता, गाथा-४.
६१. पे नाम वीरजिन गीत, पृ. २९आ, संपूर्ण.
महावीर जिन गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेसर बंदीये; अंतिः ते सदा पामै मंगलमाल, गाधा-३. ६२. पे नाम, महावीरजिन गीत, पृ. २९आ- ३०अ, संपूर्ण
मु. ताराचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नित पूजौ वामा के नंद; अंतिः सेवक ताराचंद कुं, गाथा- ३.
६४. पे. नाम. पार्श्वनाथ गीत, प्र. ३०अ ३०आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन गीत, मु. रंगवल्लभ, पुहिं., पद्य, आदि: विनु देखई धीरज क्यु; अंतिः जिम सेवा नित आदरु, गाथा - ३. ६५. पे. नाम गौडीपार्श्वनाथजी स्तवन, पृ. ३०आ ३१अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: गुण गिरुआ गोडी धणी; अंति: तुं मुज प्राण आधार,
गाथा - ७.
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६६. पे. नाम. वीसविहरमानजिन स्तवन, पृ. ३१अ- ३१आ, संपूर्ण.
विहरमान २० जिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीसे विहरमाण जिणवर; अंतिः भवभव तुम पाय सेवा, गाथा-४.
६७. पे नाम, वीसविहरमानजिन स्तवन, पृ. ३१अ, संपूर्ण
विहरमान २० जिन नाम, मा.गु., गद्य, आदि: सीमंधरस्वामी श्रीजुग; अंतिः श्रीअजितस्वामी.
६८. पे. नाम, कायाचेतन गीत, पृ. ३१आ-३२अ, संपूर्ण.
औपदेशिक गीत, मु. जिनरंग, मा.गु., पद्य, आदि: काया कामणि वीनवैजी; अंतिः धरैजी तासु जनम परमाण,
गाथा - ८.
६९. पे. नाम. सूरजजीरौ सिलोकी पृ. ३२-३४अ, संपूर्ण.
,
सूरजजी सिलोको, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सांमणि करोने; अंतिः ग्रह उठीने कहिज्यो, श्लोक १९. ७०. पे नाम, सामान्यजिन पद, पृ. ३४अ, संपूर्ण.
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साधारण जिन पद, मा.गु., पद्य, आदि: इंद्र कलस भरि डारे; अंति: जगजीवन जयकार हो, पद-५. ७१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३४अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मा.गु., पद्य, आदि: पारसनाथ सहाई भव भव; अंति: गावत जइ जइ जय जिनराई, पद- ४.
७२. पे. नाम. फलवर्धिपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३४आ - ३५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- फलवद्धिं, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदिः फलवर्द्धिमंडण पास अंति: सुंदर जात्रा
प्रमाण, गाथा - १०.
७३. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वनाथजी लघुस्तवन, पृ. ३५अ - ३५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर पासजिन; अंतिः सयल रिपु जीपतो,
गाथा - ५.
७४. पे. नाम. कर्मबत्तीसी, पृ. ३५-३८अ संपूर्ण.
कर्मवत्रीसी, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: करम तणी गति अलख; अंति: भलता धाये हरख अपारजी,
गाथा - ३२.
७५. पे. नाम, सीमंधरस्वामिजी गीत, पृ. ३८अ ३८आ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन स्तवन, मु. जगरूप, मा.गु., पद्य, आदि चंदाजी हो म्हे अरि; अंतिः जाय कहौ नै राज, गाथा-६, ७६. पे. नाम. पार्श्वनाथजी स्तवन, पृ. ३८-३९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: त्रेवीसम जिन ताहरौजी; अंतिः साहिबा एम पपई लाल, गाथा - ७. ७७. पे. नाम. साधु सज्झाय, पृ. ३९आ-४०आ, संपूर्ण.
साधुगुण सज्झाय, आ. विजयदेवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि पांचे इंद्री रे; अंतिः श्रीविजयदेवसूरिजी गाथा १२. ७८. पे नाम शालिभद्र गीत, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
शालिभद्रमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: शालिभद्र आज तमने; अंति: वीरचरणे जाई लागो रे, गाथा ५.
७९. पे. नाम. मृगापुत्रसाधु सज्झाय, पृ. ४०आ - ४२अ, संपूर्ण.
मृगापुत्र सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीवनयर सोहामणो; अंति: करण शुद्ध प्रणाम हो, गाथा - १२. ८०. पे. नाम जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४२अ - ४२आ, संपूर्ण.
मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: महिर करि महिर करि; अंति: साहिबा हिवै दिलासा, गाथा- ४.
८१. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४२-४३अ संपूर्ण.
मु. रंगवल्लभ, मा.गु., पद्म, वि. १७८९, आदि: सफल फली मुझ आसडी पूज; अंतिः सफल कीवी अवतारोजी,
गाथा- ७.
८२. पे. नाम. लोद्रवापुरपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ४३आ- ४४अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- लोद्रवपुर, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७४३, आदि: पासजिणेसर पूजीयै रे; अंति: उ दिन दिन आज ए, गाथा - ८.
८३. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ गीत, पृ. ४४अ - ४५अ, संपूर्ण.
मु. जयसोम, मा.गु., पद्य, आदि: मोरौ मन मोह्यौ इण; अंति: पामई वंछित कोडि रे, गाथा - ११.
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८४. पे नाम, वासुपूज्यजिन स्तवन, पृ. ४५अ - ४५आ, संपूर्ण,
मु. जीतचंद, मा.गु., पद्य, आदि वासुपूज्य जिन बारमा; अंतिः जीत नमें नितमेव रे, गाधा - ५.
८५. पे. नाम. इलातीपुत्र सज्झाय, पृ. ४५आ- ४७अ, संपूर्ण.
इलाचीकुमार सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि नाम इलापुत्र जाणीए: अंति: लब्धिविजय गुण गाय,
गाथा - ९.
८६. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ गीत, पृ. ४६अ ४६आ, संपूर्ण
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शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मोरा आतमराम किण दिन; अंतिः परमानंद पद पास्यु,
गाथा - १२.
८७. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ४६-४७अ, संपूर्ण, वि. १७९४, फाल्गुन कृष्ण, १०, रविवार,
ले. स्थल. साहजहानावाद.
आ. जिनरंगसूरि, मा.गु., पद्य, आदि दावेजी दीठां बोलत; अंतिः करे दादाजीरी होडि, गाथा - १०. ८८. पे. नाम. थंभणपार्श्वनाथजी स्तवन, पृ. ४७-४८अ, संपूर्ण, पठ. पं. प्रीतिविलास गणि, प्र.ले.पु. सामान्य. पार्श्वजिन स्तवन- स्तंभनतीर्थ, मु. भुवनकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: तूं ज्ञानी तुझनै कहू; अंतिः भुवनकीरति कुलभाण,
गाथा - ८.
८९. पे नाम, स्थूलभद्र गीत, पृ. ४८अ ४८आ, संपूर्ण.
वैराग्य पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीतडी प्रीतडी न; अंतिः प्रभु रीति प्रीतडी, गाथा ४. २८१६१. (+) स्नात्र पूजा, स्तवन, आरती, श्लोक व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे ७, ले. स्थल, धांगोरा, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें. जैवे. (२२४१०.५, १०x२८).
,
"
"
१. पे, नाम, स्नात्र पूजा, पृ. १अ ४अ, संपूर्ण, वि. १८७८, आश्विन कृष्ण, ५, रविवार, ले. स्थल, घाणेरा
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प्र. ग. रवींद्रसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, पे. वि. श्रीआदिनाथ प्रसादात्.
स्नात्रपूजा सविधि, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदिः पूर्वे बाजोट उपर; अंतिः तस घर मंगलमालाजी,
२. पे. नाम महावीरजिनपूजा स्तवन, पृ. ४आ ५अ संपूर्ण.
मु. जवसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पूजा करज्यो रे भवियण; अंति: पभणे मुगतितणा फल होय, गाथा - १०. ३. पे नाम, धर्मजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण
मु. वल्लभसागर, मा.गु., पद्य, वि. १८४३, आदि धरमजिनेशर ध्याईये; अंतिः अधिक फली मन आस, गाथा- ७.
४. पे नाम. पार्श्वजिन आरती, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण, प्रले. ग. रवींद्रसागर, प्र. ले. पु. सामान्य,
मु. अमृतविजय, पुहिं., पद्य, आदिः आरति करु श्रीपास; अंति: विस्तार कहे प्रभु का, गाथा - ७. ५. पे. नाम. सत्ययुगगमन दोहा, पृ. ६अ, संपूर्ण, ले. स्थल. घाणेरा, पे.वि. श्रीधर्मनाथजी प्रासादात्.
क. सोम, मा.गु., पद्य, आदि रेयण खाण गयो बावनो; अंतिः सतजुग जाता एता गया, गाथा - १. ६. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. तीर्थविजय, पुहिं, पद्य, आदि: डारु गुलाल मुठी भरके; अंतिः पद दीजे कृपा करके, गाथा-४. ७. पे. नाम. गुरुगुण दोहा, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि; हुं दीठा ने केइ दिन; अंतिः नामने वाडी पावन करंत, गाथा-४,
२८१६३. (+) प्रतिक्रमणसूत्र, स्तुति व स्तोत्र आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९२९, वैशाख शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. ८७-६ (४४ से ४९)=८१, कुल पे. ३३, प्र. वि. प्रतिलेखक द्वारा पत्रानुक्रम दो बार (१ से २४ व १ से ६३) दिये जाने से कुल पत्रों की संख्या क्रमशः गिनी गई है. अंतिम पत्र नया लिखा है., पदच्छेद सूचक लकीरें., जैवे., (२२.५x११, १०-१२४१७-२८ ).
१. पे नाम श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. १आ-२४+२अ संपूर्ण, पे. वि. प्रतिलेखकने प्रारंभ के पत्रांक २४ के बाद फिर से १ से पत्रांक दिया है.
पंचप्रतिक्रमणसूत्र - खरतरगच्छीय, संबद्ध, प्रा., सं., प+ग, आदि: णमो अरिहंताणं० जयउ; अंति: संघस समुन्ननिमित्तं.
२. पे नाम, सीमंधरजिन स्तुति, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
वीजतिथि स्तुति, प्रा., पद्य, आदि: महीमंडणं पुन्नसोवन्न, अंति: देहि मे सुद्धनाणं, गाथा-४,
३. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. २आ- ३अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: पंचानंतक सुप्रपंच; अंति: सिद्धायिका त्रायिका, श्लोक-४.
४. पे नाम. विहरमान २० जिन स्तुति, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पंचविदेह विषय; अंतिः जण मनवंछित सारै गाथा-४,
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: शमदमोत्तमवस्तुमहापणं; अंति: जयतु सा जिनशासनदेवता, श्लोक-४. ६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: सर्वज्ञ ज्योतिरूपं; अंति: वृद्धि वैदुष्यम्, श्लोक-४. ७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: हर्षनतासुरनिर्जरलोक; अंति: पमज्जनशस्तनिजाघः, श्लोक-४. ८. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: यदहिनमनादेव देहिन; अंति: नवतु नित्यममंगलेभ्यः, श्लोक-४. ९. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: बाला पणै डावै पाय; अंति: मेलै मुक्ति साथ, गाथा-४. १०. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तुति, पृ. ६अ-७अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: अविरल कुवल गवल; अंति: देवी श्रुतोच्चयम्, श्लोक-४. ११. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिनवर प्रणमु; अंति: इम जीवित जनम प्रमाण, गाथा-४. १२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति-समवसरणभावगर्भित, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: ३ दें कि धपम; अंति: दिशतु शासनदेवता,
श्लोक-४. १३. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मुरति मनमोहन कंचन; अंति: इम श्रीजिनलाभसूरिंद, गाथा-४. १४. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बल बल हूं ध्यावं; अंति: कहै जिनलाभसुरींद, गाथा-४. १५. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ९आ-१०आ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंति: श्रीजिनलाभसूरिंदा जी, गाथा-४. १६. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण...
सं., पद्य, आदि: अरस्य प्रव्रज्या नमि; अंति: विस्मतरूदः क्षितौ, श्लोक-४. १७. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ऋषभनाथभिनाथनिभानन; अंति: तनुभातनुभातनु भारती, श्लोक-४. १८. पे. नाम. आदिजिन स्तुति-अर्बुदगिरिमंडन, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: वरमुक्तियहार सुतार; अंति: सुहाणि कुणे सुसया, गाथा-४. १९. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १२अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: वीरं देवं नित्यं; अंति: दद्यात्सौख्यम्, श्लोक-४. २०. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: गिरनार सिहर पर नेम; अंति: आस फले सुजगीस, गाथा-४. २१. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. १२आ-१३आ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चंपक केतकी पाडल जाई; अंति: तुंसे देवी अंबाई, गाथा-४. २२. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति , पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी अष्ट परमाद; अंति: सर्व विघ्न दूरे हरई, गाथा-४. २३. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १४अ-१५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदीय पाय; अंति: मंगल करे अंबक देवीयै, गाथा-४. २४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति-शत्रुजयमंडन, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेजमंडण आदि; अंति: तुम्ह पाय सेवता, गाथा ४. २५. पे नाम, दीपावली पर्व स्तुति, पृ. १५आ- १६अ, संपूर्ण.
गच्छा. जिनचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि पापायां पुरि चारु; अंतिः शार्दूलविक्रीडितम् श्लोक-४. २६. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १६अ - २२अ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४.
२७. पे नाम. लघुशांति स्तोत्र, पृ. २२अ २४अ संपूर्ण.
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांतिं शांतिनिशांतं; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च श्लोक-१७. २८. पे नाम, सप्ततिशतजिन स्तोत्र, पृ. २४-२५अ, संपूर्ण,
"
तिजवपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपवासय अट्ठ; अंतिः निब्भतं निच्चमच्चेह, गाथा - १४.
२९. पे नाम, नवग्रहगर्भित पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. २५-२६अ, संपूर्ण,
पार्श्वजिन स्तोत्र - नवग्रहगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दोसावहारदक्खो नालीया; अंति: गहा न पीडंति,
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गाथा - १०.
३०. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तवन, पृ. २६अ - ३२आ, संपूर्ण.
कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंतिः मोक्षं प्रपद्यंते, श्लोक-४४.
३१. पे नाम, प्रव्रज्या कुलक, पृ. ३२-३५आ, संपूर्ण,
प्रा., पद्य, आदि: संसार विसम सायर भवजल; अंति: तरंति ते भवसलिलरासिं, गाथा-३४. ३२. पे. नाम. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पू. ३५आ-४३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
आवश्यकसूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: (१) चत्तारि मंगलं अरिहंत, (२) इच्छामि पडिक्कमिङ;
,
मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: जय जगनायक जगनायक; अंति: द्यो दरसण सुखकंद, गाथा - ५.
४. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
अंति: (-).
३३. पे. नाम, सप्तस्मरण खरतरगच्छीय, पृ. ५०अ - ६३आ, पूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं, अजितशांति गाथा ९ से है. मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि: ( - ); अंति: नमामि साहम्मिया तेवि, स्मरण - ७.
२८९६४. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. १८, जैदे., (२२x११, ११-१९३४३१-३२).
"
१. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, , संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम; अंति: अर्पणा आनंदधन पद रेह, गाथा ६.
२. पे नाम, अजितजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: पंथडो निहालुं रे; अंति: रे आनंदघन मत अंब, गाथा - ६.
३. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ संपूर्ण,
मु. मोहन, रा., पद्य, आदि अंग लागो थारा रुप; अंतिः मोहन बघते सनुर हो, गाथा-८,
५. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आदिसर सुखकारी हो एक; अंति: प्रभु आवागमन निवार, गाथा - ५.
६. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण
मु. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: डुंगर थांडो रे डुंगर; अंति: होसी अति उचरंगो रे, गाथा - ८.
७. पे नाम. अष्टापदतीर्थ स्तवन, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण,
१२९
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथ अष्टापद नित नमी; अंति: जिनेंद्र बघते नेहोजी, गाथा- ८. ८. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. ४आ ५अ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदिः सोनारी अंगी है सुंदर; अंति: रामविजय शुभ सीसने जी, गाथा - १०. ९. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
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मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: लाखीणो सोहावें जीनजी; अंति: वंदू श्रीगुरुहीर, गाथा - १२. १०. पे. नाम, पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, पृ. ५आ- ६अ, संपूर्ण
गाथा - ७.
१४. पे नाम, सुमतिजिन स्तवन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
"
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: आप अरुपी होय नय प्रभ; अंति: तुझ पद पंकज सेव हो, गाथा - ८. ११. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि धर्मजिणंद तुमे लायक; अंतिः वाचकविमल तणो कहे राम, गाथा-५. १२. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि: चालो सखी सिद्धाचल; अंतिः कनक गुण गायजी कांइ, गाथा- ९. १३. पे. नाम. वरकाणा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- वरकाणा, मु. शिवचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय जिनवरराय; अंति: वांछित सार्या रे,
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजीथी बांधी; अंति: मुजने वालो जिनवर एह, गाथा- ७.
१५. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ७आ-८अ संपूर्ण.
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. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणंद वखाण्यौ; अंतिः कांतिसा० सुख पाया रे, गाथा- १०. १६. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
मु.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोलमा श्रीजिनराज; अंति के पंडित रुपनो लाल, गाथा-७, १७. पे. नाम, नेमराजिमती स्तवन, पृ. ८आ- ९आ, संपूर्ण
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चंपक वरणी चुंनडी आजो; अंतिः सुणज्यो बालगोपाल, गाथा - ११. १८. पे. नाम लोक संग्रह, पृ. ९आ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: (-), गाथा- १.
२८१६५. चैत्यवंदन, स्तुति, पद व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१०, पौष कृष्ण, ३, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. १३, ले.स्थल. कलकत्ता, प्रले. अबीरचंद; पठ. श्राव. पन्नालाल बांठिया, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २३x१०.५, ८x२६). १. पे नाम. अरिहंत गुणवर्णन चैत्यवंदन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण, पे. वि. कृति का गाथांक नहीं लिखा है.
अरिहंतगुण स्तुति, प्रा., मा.गु., पद्य, आदि: अन्नाणकोहमयमाणलोह; अंति: गुण स्तुति भणूंजी . २. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन स्तुति, पृ. २आ-४अ संपूर्ण, पे. वि. कृति का गाथांक नहीं लिखा है. २४ जिन स्तुति, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीरिसहेसर गुण; अंतिः फलै जांण बालगोपाल.
३. पे नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. ४अ- ४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनाभीनंदन भगवान; अंति: सुख ए अभिलाषा खरी, गाथा - ७.
९. पे नाम, शांतिजिन स्तवन, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण.
मु. कल्याण, मा.गु., पद्म, आदि: बंदु जिणवर विहरमाण; अंतिः कारण परम कल्याण, गाथा - ३. ४. पे. नाम. शांतिजिन चैत्यवंदन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: सोलम जिनवर शांतिनाथ; अंति: लहिये कोड कल्याण, गाथा - ३.
५. पे नाम, नेमिजिन चैत्यवंदन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण
मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह सम प्रणमूं नेम; अंतिः अहनिश करत प्रणाम, गाथा-३.
६. पे नाम. पुरिसादाणी पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ५अ, संपूर्ण,
पार्श्वजिन चैत्यवंदन - पुरिसादानी, मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: पुरसादाणी पासनाह नमि; अंतिः प्रगटै परम कल्याण, गाथा - ३.
७. पे. नाम महावीरजिन चैत्यवंदन, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: वंदु जगदाधार सार सिव; अंतिः कल्याण० करी सुपसाय, गाथा-३. ८. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ५आ-७अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि शांति जिनेश्वर साहिब; अंतिः मोहन जय जयकार, गाथा- ७. १०. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
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मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, वि. १८५४, आदि: जादवकुल के मंडण; अंतिः क्षमाकल्याण जगी, गाथा ५.
११. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ८अ - ८आ, संपूर्ण.
मु. चंद, मा.गु., पद्य, आदि बिराजत रूप भलो जिनजी; अंति: चंत० जगजीवन सबही को, गाथा- ३.
१२. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ८- ९अ, संपूर्ण.
मु. चंद्रकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: मेरो मन लाग रह्यो; अंति: चंदकीरत गुण गाय, गाथा - २.
१३. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
अबीरचंद, मा.गु., पद्य, आदि: ज्ञान की कबांन मोहै; अंति: चेला कहा करे काजी रे, पद- १. २८१६६. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९३०, श्रेष्ठ, पृ. ३३ - २६ (१ से २६ ) - ७, कुल पे. ६, ले. स्थल. लक्षमणपुर,
प्रले. पं. धनसुख मुनि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीशांतिनाथजी प्रसादात्., प्र.ले. श्लो. (१२८) पोथी प्यारी प्रेमकी, दे., (२१.५x१०.५, ९२६).
१. पे नाम महावीरजिनविनती स्तवन, पृ. २७अ २९अ, संपूर्ण
१३१
महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मोरी वीनती; अंति: थुण्यो त्रिभुवन तिलो, गाधा १९.
२. पे. नाम. पुरिसादाणी पार्श्वजिन पद, पृ. २९अ - २९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- पुरिसादानी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मन गमतो साहिब मिल्यौ; अंतिः चढैयन बीजो चित्तन रे, गाथा - ५.
३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २९आ - ३० आ, संपूर्ण.
मु. लालचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: ऋषभ जिणेसर त्रिभुवन; अंति: बीकानेर मझारो रे, गाथा - ११. ४. पे नाम. गोडीजी पार्श्वजिन पद, पृ. ३०आ-३१अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रुघपति, रा., पद्य, आदिः आज सुहावो दीहडो में; अंति: रुघपति अरदास हो राज,
गाथा - ५.
५. पे. नाम. सिद्धगीरी स्तवन, पृ. ३१अ - ३२आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन- नव्वाणुयात्रागर्भित, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धाचलमंडणस्वा; अंति: इम विमलाचल गुण गाये, गाथा- १५.
६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३२-३३अ, संपूर्ण.
मु. वसता मुनि, मा.गु., पद्य, आदिः सेवकनी अरदास सूणीजै; अंतिः सफल करो सुविलासा रे, गाथा- ७. २८१६७. स्तवन व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ८४ - १० ( १ से १० ) = ७४, कुल पे. ३७, ले. स्थल. हरजीनगर,
"
प्र. वि. जीर्ण पत्रवाले पत्रांक १ से १० पत्रों का विसर्जन किया गया है., जैदे., (२३.५४११.५, ११४२८-३० ).
१. पे. नाम. ललितांगकुमार सज्झाय, पृ. ११अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा - १५ अपूर्ण तक नहीं है, वो पद की एक गाथा के हिसाब से गाथा- १८ लिखा है.
मु. कुंवरविजय, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति छीपे दीपे ते निसदीस, गाथा - १८.
२. पे नाम, जीवदया उपदेश सज्झाय, पृ. ११अ १२अ, संपूर्ण.
जीवदया सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६७५, आदि: सरसति मत सुमत द्यौ; अंतिः शांति० शिवसुख करो, गाथा - १४.
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३. पे. नाम. सुगुरुपच्चीशी सज्झाय, पृ. १२अ - १४अ संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुर पिछाणो इण आचार; अंतिः शांतिहर्ष उछरंगजी, गाथा - २५.
४. पे नाम, शत्रुंजयमंडनबृहत् स्तवन, पृ. १४अ- १६अ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र चिपके होने से अंतिमवाक्य अवाच्य है. शत्रुंजयतीर्थ बृहत्स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि वे कर जोडी बिनबुंजी अंति: ( अपठनीय)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५.पे. नाम. पंचमीतिथि स्तवन, पृ. १६अ-१८आ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र चिपके होने से आदि-अंतिमवाक्य अवाच्य है.
मा.गु., पद्य, आदिः (अपठनीय); अंति: (अपठनीय). ६. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तवन, पृ. १८-२१अ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र चिपके होने से आदि-अंतिमवाक्य अवाच्य है.
वा. जयसागर, मा.गु., पद्य, आदिः (अपठनीय); अंति: (अपठनीय), गाथा-३०.। ७. पे. नाम. धरमकार्ये जीवकायादृढार्थे थिरकार्ये स्वाध्याय, पृ. २१अ-२२आ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र चिपके होने से
आदिवाक्य अवाच्य है. औपदेशिक सज्झाय-कायाजीवशिखामण, म. जयसोम, मा.गु., पद्य, आदिः (अपठनीय); अंति: कारणै करो धर्म
सवाई, गाथा-१२. ८. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. २२आ-२३आ, संपूर्ण.
मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरी वसे ऋषभ; अंति: सिद्धिवि० पाया रे, गाथा-१४. ९. पे. नाम. पंचमहाव्रत सज्झाय, पृ. २३आ-२४आ, संपूर्ण.
आ. देवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुरतरुनी परि दोहिलो; अंति: श्रीविजयदेवसूर के, गाथा-१४. १०. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिनकल्याणक स्तवन, पृ. २४आ-२८आ, संपूर्ण.
मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६२, आदि: निज गुरु पय प्रणमी; अंति: वृद्धि सुख थाय रे, ढाल-६. ११. पे. नाम. चतुर्दशगुणस्थानक स्तवन, पृ. २८आ-३४अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-१४ गुणस्थानकगर्भित, उपा. विनयविजय , मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: वीरजिनेसर प्रणमी
पाय; अंति: ठाण श्रीजिनवीर गाया, ढाल-४. १२. पे. नाम. स्वाद्वादमति स्वाध्याय, पृ. ३४अ-३५आ, संपूर्ण.
१० बोल सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: स्याद्वादमति श्रीजिन; अंति: सिद्धांत रतन बहुमोल, गाथा-२१. १३. पे. नाम. प्रभंजना श्रमणी सज्झाय, पृ. ३६अ-३९आ, संपूर्ण.
प्रभंजना सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: गिरि वैताढ्यने उपरे; अंति: करता मंगल लील सदाई, ढाल-३. १४. पे. नाम. गजसुकुमाल सज्झाय, पृ. ३९आ-४२आ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिका नगरी ऋद्धि; अंति: होज्यो सुगुरु सहायरे, ढाल-३. १५. पे. नाम. आत्महित स्वाध्याय, पृ. ४२आ-४३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जाग रे सुग्यानी जीव; अंति: लहिज्यो सुख खेम, गाथा-१९. १६. पे. नाम. श्रावकप्रतिमा सज्झाय, पृ. ४४अ-४५अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सातमै अंगे भाखीओजी; अंति: जिनहर्ष० शिवपुर वास, गाथा-१५. १७. पे. नाम. गजसुकुमाल मुनिराज स्वाध्याय, पृ. ४५अ-४७अ, संपूर्ण. गजसुकुमाल सज्झाय, मु. सिंहसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: सोरठ देश मझारि; अंति: समरै एहना नामथी जी,
गाथा-३६. १८. पे. नाम. नेमिजिन भ्रमरगीता, पृ. ४७अ-४९आ, संपूर्ण.
__ उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदि: समुद्रविजयनृप कुलतिल; अंति: संथुण्यो सानुकूल, गाथा-२७. १९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. ४९आ-५३अ, संपूर्ण.
वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मंगल तणी कल्प; अंति: पास जिनवरतणी राजगीता, गाथा-३६. २०. पे. नाम. महावीरजिनविनती स्तवन, पृ. ५३अ-५४आ, संपूर्ण. महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मोरी वीनती; अंति: थुण्यो त्रिभुवन
तिलो, गाथा-१९. २१. पे. नाम. आहारदोषछत्तीसी, पृ. ५४आ-५७अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२७, आदि: त्रिकरण सुद्ध नमुं; अंति: आण अखंडित वहो, गाथा-३६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१३३ २२. पे. नाम. जिनेश्वरजीनी ८४ आशातनानिर्णय चउपई, पृ. ५७अ-५९अ, संपूर्ण. जिनभवन ८४ आशातनापरिहार स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरासुर प्रणमइ; अंति: खामुंशिर बे कर धरी,
गाथा-२८. २३. पे. नाम. प्रहेलिका हरीयाली, पृ. ५९अ-५९आ, संपूर्ण. प्रज्ञापनासूत्र-सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: कहजो रे पंडित ते; अंति: जस कहे ते
सुख लहस्ये, गाथा-१४. २४. पे. नाम. पच्चक्खाणविधि सज्झाय, पृ. ५९आ-६१आ, संपूर्ण.
उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धुर समरु सामणि सरसत; अंति: विनयविजय संपत्ति वरो, गाथा-१७. २५. पे. नाम. चौवीसतीर्थंकर अंतरकाल आदि विवरण स्तवन, पृ. ६१आ-६४अ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन-देहमान आयुस्थितिकथनादिगर्भित, पा. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७२५, आदि: पंचपरमिट्ठ
मन शुद्ध; अंति: धरमसीमुनि इम भणै, ढाल-५. २६. पे. नाम. बीजतिथि स्तवन, पृ. ६४आ-६६अ, संपूर्ण.
पंन्या. गणेशरुचि, मा.गु., पद्य, वि. १८१९, आदि: श्रीश्रुतदेवि पसाउले; अंति: गणेशरूचि० वंदु पाय, गाथा-१९. २७. पे. नाम. नाडूलमंडण पद्मप्रभु स्तवन, पृ. ६६अ-६७अ, संपूर्ण. पद्मप्रभजिन स्तवन-नाडोलमंडण, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपद्मप्रभु जिनराय; अंति: घरि दीइं एम
आसीस रे, गाथा-१५. २८. पे. नाम. सर्वार्थसिद्धविमान वर्णन स्वाध्याय, पृ. ६७अ-६८आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-सर्वार्थसिद्धविमान वर्णनगर्भित, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगदानंदन गुणनीलो रे;
अंति: पुण्य थकी फले आश रे, गाथा-१६. २९. पे. नाम. पांडवमुनि स्वाध्याय, पृ. ६८आ-७०अ, संपूर्ण. पंचपांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हसतनागपुर वर भलो; अंति: मुज आवागमन निवार रे,
गाथा-१९. ३०. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ७०अ-७१आ, संपूर्ण.
मु. गुणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: जिन जीम जाणे होते; अंति: तुम तुठां आणंद रली, गाथा-२५. ३१. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ७२अ-७५अ, संपूर्ण.
मु. संतोष, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि सुणि सरसती भगवत; अंति: पूर्व पून्य पायो रे, ढाल-७. ३२. पे. नाम. कठियारा सज्झाय, पृ. ७५अ-७६आ, संपूर्ण, पे.वि. आठ पद से १ गाथा गिनकर लिखा है.
मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनवर रे गौतमगणधर; अंति: बोले परम पदवी पामीइ, गाथा-७. ३३. पे. नाम. मौनएकादशी फलप्ररूपण स्तवन, पृ. ७६आ-७९अ, संपूर्ण. मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पूछे वीरने; अंति: भणे भवियण सादरे,
ढाल-३. ३४. पे. नाम. श्रावकप्रतिमा स्वाध्याय, पृ. ७९अ-८०अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी
श्रावकप्रतिमा सज्झाय, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सातमै अंगे भाखीओजी; अंति: जिनहर्ष० शिवपुर वास,
गाथा-१५. ३५. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ८०अ-८३अ, संपूर्ण. पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति: जिनविजय जयसिरी वरी,
गाथा-४२. ३६. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ८३अ-८३आ, संपूर्ण.
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१३४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: समोवसरण बेठा भगवंत; अंति: समय० कहे द्यो बाहडी,
गाथा-१३. ३७. पे. नाम. राहिणीतपस्तवन, पृ. ८३आ-८४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-२५ अपूर्ण तक है.
रोहिणीतप स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समरी सरसति माय प्रणम; अंति: (-). २८१६८. सज्झाय संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. २६, जैदे., (२२.५४११, ११४३३-४२). १. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनीवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल सिधोजी, गाथा-८. २. पे. नाम. सीतासतीशील सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. सीतासती सज्झाय-शीयलविषे, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: जलजलती मिलती घणी रे; अंति: नित प्रणमुं पाय
रे, गाथा-८. ३. पे. नाम. सीतासती सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: अडस्यो मांझो माझो ३; अंति: नित्य होजो प्रणाम, गाथा-८. ४. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समदम गुणना आगरुजी; अंति: साधुतणी ए सज्झाय, गाथा-१३. ५. पे. नाम. बाहुबली सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. भरतबाहुबली सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अति लोभीया; अंति: समयसुंदर सुख
पाया रे, गाथा-७. ६. पे. नाम. गजसुकुमाल सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नयरी द्वारामती जाणिय; अंति: समयसुंदर तसु ध्यान, गाथा-६. ७. पे. नाम, मेघकुमार सज्झाय, पृ. ४अ, संपूर्ण.
मु. अमर, मा.गु., पद्य, आदि: धारणी मनावे रे मेघ; अंति: छुटीजे भव तणा पास, गाथा-५. ८. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सहगुरु चरण पसाउले रे; अंति: कान्तिविजय गुण गाय, गाथा-७. ९. पे. नाम. अष्टमीतिथि सज्झाय, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसरसतिने चरणे; अंति: वाचक देव सुसीस, गाथा-७. १०. पे. नाम. एकादशीतिथि सज्झाय, पृ. ५अ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: आज एकादसी रे नणदल; अंति: वाचक० लीला लेहस्य, गाथा-७. ११. पे. नाम. राजीमतीरथनेमि गीत, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. राजिमतीरथनेमि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल चाली रंगसुरे; अंति: पांया बे अवीचल
लील, गाथा-५. १२. पे. नाम. नंदिषेण स्वाध्याय, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण. नंदिषेणमुनि सज्झाय, मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरीनो वासी; अंति: साधुने कोई तोले हो,
ढाल-३, गाथा-१३. १३. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहे जिनहर्ष सुजाण रे, गाथा-९. १४. पे. नाम. नंदीषेणमुनि सज्झाय, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण.
नंदिषेणमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर महियल विचरे; अंति: सुकवि इण परि विनवे, गाथा-६. १५. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, ग. लब्धिउदय, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर रहण चोमासे; अंति: दिन दिन सुख सवाया,
गाथा-११.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १६. पे. नाम. हितशिक्षा सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण. मनमांकड सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: मन मांकडलो आण न माने; अंति: मुगत तणो फल लीजे
रे, गाथा-६. १७. पे. नाम. ऋषभजिनवंश सज्झाय, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
आदिजिनवंश सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभनो वंस रयणायरु तस; अंति: सेवीत तस फल चाखो रे, गाथा-६. १८. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरी वसे ऋषभ; अंति: सिद्धविजय सुपसाया रे, गाथा-१५. १९. पे. नाम. प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं तुमारा पाय; अंति: जिण दीठा प्रत्यक्ष, गाथा-६. २०. पे. नाम. मनकमुनि सज्झाय, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: नमो रे नमो मनक; अंति: पामो सद्गति सारो रे, गाथा-१०. २१. पे. नाम. सुलसासती सज्झाय, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण. सुलसाश्राविका सज्झाय, मु. कल्याणविमल, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन साची सुलसा; अंति: कल्याणविमल
गुणगाय रे, गाथा-१०. २२. पे. नाम. नेमराजिमती सज्झाय, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
मु. वेलजी, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजय सुत नेम; अंति: नेम नमो हितकारी रे, गाथा-८. २३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: आदित्य जोइने जीवडा; अंति: भणे वंदो श्रीमहावीर, गाथा-८. २४. पे. नाम. बलदेव सज्झाय, पृ. १२अ, संपूर्ण..
मु. सकल, मा.गु., पद्य, आदि: तुंगीआगीर सीखर सोहे; अंति: सकल मुनि सुख देइ रे, गाथा-७. २५. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणिक रयवाडी चड्यो; अंति: प्रणमुरे बे कर जोड, गाथा-९. २६. पे. नाम. परनिंदानिवारक सज्झाय, पृ. १२आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-३ अपूर्ण तक है.
मा.गु., पद्य, आदि: मकर हो जीव परतात; अंति: (-). २८१६९. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७, कुल पे. ११, जैदे., (२३.५४११, ९-१०४२३-२४). १. पे. नाम. एकादशीतिथि सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: आज एकादसी रे नणदल; अंति: वाचक० लीला लेहस्य, गाथा-७. २. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल सिधोजी, गाथा-८. ३. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अति लोभीया; अंति: समयसुंदर सुख पाया रे, गाथा-७. ४. पे. नाम. अष्टमीतिथि सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण..
मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसरसतिने चरणे; अंति: वाचक देव सुसीस, गाथा-७. ५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-लोभोपरि, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
पंडित. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: लोभ न करीये प्राणीया; अंति: पहोचे सयल जगीस रे, गाथा-८. ६. पे. नाम. मोक्षनगर सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. सहजसुंदर, रा., पद्य, आदि: मोक्षनगर मारो सासरो; अंति: मोक्ष सुठाण रेलाल, गाथा-५. ७. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सहगुरु चरण पसाउले रे; अंति: कान्तिविजय गुण गाय, गाथा-७. ८. पे. नाम. नंदीसूत्र-स्थविरावली, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
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९. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र - प्रथम अध्ययन, पृ. ५अ - ५आ, संपूर्ण, पू.वि.
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी, रवी, आदि धम्मो मंगलमुकि; अंति: (-), प्रतिपूर्ण, १०. पे. नाम. महासत्तासती स्वाध्याय, पृ. ५आ-७अ संपूर्ण, वि. १८७० भाद्रपद अधिकमास कृष्ण, ५, सोमवार, ले.स्थल. बालीनगर, प्रले. मु. रविसागर (गुरु मु. जीतसागर), प्र.ले.पु. सामान्य, पे. वि. श्रीशांतिनाथजी श्रीपार्श्वनाथ प्रसादात्.
भरसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुवणे सयले, गाथा - १३. ११. पे. नाम. मनमांकड सज्झाय, पृ. ७आ, पूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
संबद्ध, आ. देववाचक, प्रा., पद्य, आदि: जयइ जगजीवजोणीविआणओ; अंति: ( - ), ( प्रतिअपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. गाथा १० तक लिखा है.)
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: मन मांकडलो आण न माने; अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा -४ तक है. ) २८१७१ (+) स्तुति, पद, लावणी व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९४२, चैत्र शुक्ल, ३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ११, प्रले. पं. मुलचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित. जैवे. (२२x११.५, ११x१८-२१). १. पे नाम, नवपदजी स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
६.
नवपद स्तुति, मु. भीमराज, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन भविक; अंति: पांमीजै भवपारो जी, गाथा- ४. २. पे नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
पे.
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आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंतिः श्रीजिनलाभसूरिंदाजी, गाथा ४. ३. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
केसरीचंद, मा.गु., पद्य, आदि नवपद ध्यान सदा जय; अंतिः केसरीचंद० एह आधारा, गावा-६, ४. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
केसरीचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नवपदसुं रे जीया नवपद; अंति: मन वंछित कारज करसूं, गाथा-५. ५. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि; जीन नित नमो नित नमो; अंतिः घ्यातकी हुं भमो भमो, गाथा ५.
नाम. नवपद स्तवन, पृ. ३
- ४अ, संपूर्ण.
ग. समयसुंदर, पुहिं., पद्य, आदि: नवपद के गुण गाय रे; अंति: समयसुंदर गुण गाय रे, गाथा - ६.
७. पे नाम. नवपद लावणी, पृ. ४अ ५अ, संपूर्ण.
नवपद विनती, पुहिं., पद्य, वि. १९१७, आदि: जगत मे नवपद जयकारी; अंति: नवपद शीव प्यारी, गाथा-५. ८. पे. नाम. बीठोडागोडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ- ६आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी विठोडा, मु. सुखलाल रा., पद्य, वि. १९३९, आदि: वडा रे विठोरा वाहिरे; अंतिः ए सुखलाल गुण गाय, गाथा ९.
९. पे. नाम. भोपालमंडण महावीरजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण,
महावीर जिन स्तवन- भोपाल, मु. सुखलाल, रा., पद्य, वि. १९४०, आदि: नगर भोपाले वीरप्रभुः अंतिः सुखलाल गुण गावे उदार, गाथा - ७.
१०. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ७अ - ७आ, संपूर्ण.
मु. सुखलाल, रा., पद्म, वि. १९१६, आदि: नवपद है जगमें सिवदाई अंतिः सुखलाल कठै हुलसाई, गाथा-६, ११. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. अमीचंद्र, रा., पद्य, आदिः साच तो बतावो ग्यांनी अंतिः समरो राखे २८१७२. स्तवन व सज्झाय आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १८-१ (१)
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१२४३४).
१. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. २अ - २आ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा - ३ से है. मा.गु., पद्य, आदि (-); अंतिः नमुं जिनवाणी हो, गाथा- १३.
थांरी टेव, गाथा-४,
१७, कुल पे. १२, जैदे., (२२.५x११,
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१३७ २. पे. नाम. पार्श्व छंद देशंतरी, पृ. २आ-६आ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: सुवचन संपो सारदा मया; अंति: स्तव्यो छंद देसंतरी, गाथा-४७. ३. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठाणी सीयल स्वाध्याय, पृ. ६अ-८अ, संपूर्ण. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: कुसल नित घर
अवतरे, ढाल-३, गाथा-२०. ४. पे. नाम. विमलजिन स्तवन, पृ. ८अ-९आ, संपूर्ण.
आ. रतनसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७६२, आदि: मनख जनम मति पाय काय; अंति: रतनसूरि तुम दास, गाथा-१३. ५. पे. नाम. कर्मविपाकफल सज्झाय, पृ. ९आ-१०आ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: देव दाणव तीर्थंकर; अंति: वरज्यौ शिवसुख दाई रे, गाथा-१८. ६. पे. नाम. हित सज्झाय, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, महमद, मा.गु., पद्य, आदि: कुंभ काचो रे काया; अंति: लेखो साहिब हाथ, गाथा-१०. ७. पे. नाम. आदिजिन बृहत्स्तवन-शत्रुजय, पृ. ११अ-१३अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन बृहत्-शत्रुजय, मु. प्रेमविजय, मा.ग., पद्य, आदि: प्रणमविय समय जिणंद; अंति: जीम पामो
भवपार ए, गाथा-२१. ८. पे. नाम. अंतरीक पार्श्व स्तवन, पृ. १३अ-१५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५८५, आदि: सरस वचन द्यो सरसति; अंति: ध्याने
माहरौ मन रहै, गाथा-५३. ९. पे. नाम. मधुबिंदु सज्झाय, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
मु. चरणप्रमोद-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मतिरेमात; अंति: परम सुख पद पामियै, गाथा-५. १०. पे. नाम. दया पद, पृ. १६आ-१७आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, क. सुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: दया विन करणी सवे; अंति: मुक्तिपुरी होय वास, गाथा-१०. ११. पे. नाम. अढारनात्रा सज्झाय, पृ. १७आ-१८आ, संपूर्ण. १८ नातरा सज्झाय, मु. मतिरूचिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: मिथुलानगरी कुवेर; अंति: भणत सागर मतिरूचि आवै,
गाथा-२१. १२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-५ तक है.
मा.गु., पद्य, आदि: मनख जनम मति पाय काय; अंति: (-). २८१७३. स्तुति संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. १४, जैदे., (२३.५४११.५, ९-१०x२२-२७). १. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सतर भेद जिन पूजा; अंति: पूरे देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. २. पे. नाम. आदिजिन स्तुति-वीसलपुरमंडन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. देवकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: विसलपुर वांदु; अंति: संघना विघ्न निवार, गाथा-४. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चंपक केतकी पाडल जाई; अंति: तुसे देवी अंबाई, गाथा-४. ४. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी वंदु ऋषभदेव; अंति: ऋषभदास गुण गाय, गाथा-४. ५. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंति: ए सफल करो अवतार तो, गाथा-४. ६. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण.
मु. उत्तमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र सेवो भवि; अंति: वाचक० उत्तम सीस सवाई, गाथा-४. ७. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: मंगल करे अंबका देवया, गाथा-४. ८. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवर्धमान जिनवर; अंति: साहिब संघ मंगल कारणी, गाथा-४. ९. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सेजामंडण दुरति; अंति: संघने सुखसाताजी, गाथा-४. १०. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: वरस दिवसमाहि सार; अंति: जैनेंद्रसागर जयकार, गाथा-४. ११. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: इग्यारसि अती रूअडी; अंति: सीस० संघतणा निशदिश, गाथा-४. १२. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पंचरूप करि मेरुशिखर; अंति: हरयो विघन हमाराजी, गाथा-४. १३. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: वीर जिनेसर भुवन दिने; अंति: जिन महिमा छाजे जी, गाथा-४. १४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. ११आ, पूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-४ अपूर्ण तक है.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सवि मली करी आवो; अति: (-). २८१७४. नवपदपूजा, पद, स्तवन व आरती संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ६, जैदे., (२३.५४११.५,
१३४४१-४३). १.पे. नाम. सिद्धचक्र महिमा पूजा, पृ. १अ-५अ, संपूर्ण, वि. १८७१, भाद्रपद अधिकमास शुक्ल, ६, सोमवार. नवपद पूजा, मु. उत्तमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३०, आदि: श्रीगोडी पासजी नीति; अंति: उत्तमविजय जगीस रे,
ढाल-९. २.पे. नाम. आगम स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
ग. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रुत अतिहि भलो संघ; अंति: क्षमाकल्याण सदा पावै, गाथा-७. ३. पे. नाम. जिनपरमात्मा आरती, पृ. ५आ, संपूर्ण.
साधारणजिन आरती, मा.गु., पद्य, आदि: आरती श्रीजिनराज; अंति: नित सेवक कु सुख दीजे, गाथा-८. ४. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथनायक जिनवरू रे; अंति: नित प्रति नमत कल्याण, गाथा-५. ५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, ग. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु मया करी दिल; अंति: करो प्रभु हेत धरी, गाथा-५. ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
साधारणजिन गीत, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: तुं ही निरंजन तुं ही; अंति: न हुवै भव फेरा रे, गाथा-३. २८१७५. स्तवन, सज्झाय, पद व चैत्यवंदन आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १४, कुल पे. २१, ले.स्थल. हरजी,
जैदे., (२४४११.५, ११४२३-२९). १. पे. नाम. नमिराजर्षि सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: देवतणी ऋधि भोगवी; अंति: विजयसिंहसूरी वचने रे, गाथा-९. २. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. श्रीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु अनड पहाडा; अंति: श्रीविजय० सुख लह्यौ, गाथा-८. ३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मेरो मन वस कर लीनो; अंति: हम को चीत हर जाय, गाथा-४. ४. पे. नाम. सीखामण पद संग्रह, पृ. २अ-३आ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र जर्जरित व चिपके होने से गाथापरिमाण व
आदि-अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.
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३९
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पद संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: (अपठनीय); अंति: (अपठनीय). ५. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पांचमा सुमतिजिणेसर; अंति: राम० ज्यो जिनराय रे, गाथा-५. ६. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. मनोहरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजी म्हारा आज; अंति: ध्यायो रे दिल धरी रे, गाथा-६. ७. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. खीमारतन, मा.गु., पद्य, वि. १८८३, आदि: सिद्धाचल गिरि भेट्या; अंति: रतन प्रभु प्यारा
रे, गाथा-५. ८. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण. सकलजिनविनती स्तवन, पंन्या. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आबोला सायेने लेसौ; अंति: तो जगतारण जगना
नेता, गाथा-१९. ९. पे. नाम. आत्म सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: म म करो माया काया; अंति: सहेजसुंदर० उपदेस रे,
गाथा-६. १०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तने हसी हसीने समजावु; अंति: मोहन० नामे नवनिध थाय, गाथा-४. ११. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ७अ-८आ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: थुलीभद्र ऋषि जेह शखि; अंति: मोहन० वर मलपति रे
जी, गाथा-१७. १२. पे. नाम. चक्केश्वरीमाता गरबो, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
आ. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अलबेली चकेसरी मात; अंति: जो छे बहु सोभा ताहरी, गाथा-९. १३. पे. नाम. चोपड सज्झाय, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण, ले.स्थल. हरजी, प्रले. पं. उत्तम, प्र.ले.पु. सामान्य.
चौपड सज्झाय, मु. रतनसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अरे माहरा प्राणीया; अंति: रतनसागर कहै सूर रे, गाथा-७. १४. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. मोहनरुचि, रा., पद्य, आदि: नेम निरंजनदेव सेवा; अंति: मोहनरूची इम भणेजी, गाथा-३. १५. पे. नाम. आत्म पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., पद्य, आदि: मना रे ईसा जीन चरणे; अंति: आनंद० नित प्रते लीजै, गाथा-४. १६. पे. नाम. वैराग्योपदेशक सज्जाय, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
वैराग्य सज्झाय, रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: हक मरना हक जानां; अंति: रूपे साहीब जाना रे, गाथा-४. १७. पे. नाम. १० पच्चक्खाणफल सज्झाय, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: दसविह प्रह उठी; अंति: पामो निश्चै निरवाण, गाथा-८. १८. पे. नाम. बारव्रत सज्झाय, पृ. ११आ-१२आ, संपूर्ण. १२ व्रत सज्झाय, मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगौतम गणधर पाय; अंति: श्रावक० नही कोइ तोले,
गाथा-८. १९. पे. नाम. शेजेजागिरी चैत्यवंदन, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण. प्रभुदर्शन पूजन फल चैत्यवंदन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणम्यं श्रीगुरुराज; अंति: विनय० सेवानी
कोडि, गाथा-१४. २०. पे. नाम. सामायिक गुणदोष वर्णन सज्झाय, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सामायक करो भवियण; अंति: पामस्यो भवनो पार जी, गाथा-६. २१. पे. नाम. १४ नियम सज्झाय, पृ. १४अ-१४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-१४ अपूर्ण तक है.
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१४०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मा.गु., पद्य, आदि सारद पाव प्रणमी करी; अंति: ( - ).
२८१७६. विचारषट्त्रिंशिका सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १७७३, चैत्र शुरू, ८, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १०, ले. स्थल. सिद्धक्षेत्र, प्र. मु. हेमजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. कुल ग्रं. २९९, जैवे. (२४४११.५, ४x२६).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउं चउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा- ४४. दंडक प्रकरण-वार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि नमिठ क० नमस्कार करी; अंति: आपणा हितनी करणहारी. २८१७७. सज्झाय, स्तवन व स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. ८, जैदे., ( २२x११.५, १४X३२-३७). १. पे नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछित फल सीधोजी, गाधा ८. २. पे नाम, दंडणऋषि सज्झाय, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहै जिणहरष सुजाण रे, गाथा - ९.
३. पे. नाम. पद्मावती आराधना, पृ. २अ - ३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिवे राणी पद्मावती; अंतिः पापथी छुटे तत्काळ, ढाल -३, गाथा- ३३. ४. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय पू. ३अ-३आ, संपूर्ण.
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महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भुलो मन भमरा कांइ; अंतिः लेखो साहिब हाथ, गाथा - ९.
५. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अति लोभीवा; अंति: समयसुंदर वंदे पाय रे, गाथा - ७. ६. पे. नाम. आलोयणागर्भित रिषभदेवस्वामी स्तवन, पृ. ४अ - ५अ, संपूर्ण, वि. १९५७, वैशाख शुक्ल, ७, रविवार, ले. स्थल. सुभाविहार, प्रले. पं. हस्तिमल, प्र.ले.पु. सामान्य.
शत्रुंजयतीर्थ बृहत्स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: बे कर जोडी विनवुंजी; अंति: समयसुंदर गणि भणे, गाथा-३२.
७. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. ५आ-८अ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः,
८. पे नाम, लघुशांति, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण,
श्लोक-४४.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांतिं शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च श्लोक-१७.
२८१७८. स्तवन, गीत, छंद व स्तोत्र आदि संग्रह, पूर्ण, वि. १९९८-१९९९, श्रेष्ठ, पृ. ३४- १ (५) - ३३, कुल पे. ११, जैवे.,
(२२.५X११.५, १०-१३X१८ - २७).
१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ - ४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु श्रीपासकुमार; अंति: (-), (पू.वि. गाथा- ३१ अपूर्ण तक है.)
२. पे नाम. जिणदत्तसूरि लघुस्तवन, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
जिनदत्तसूरि गीत, आ, जिनवल्लभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सर सुवदेवं पसाइ करे; अंतिः करो पुण्य आणंद,
गाथा - ९.
३. पे. नाम. जिनदत्तसूरि वृद्धछंद, पृ. ६आ - ९अ, संपूर्ण.
जिनदत्तसूरि छंद, मु. दोलत, रा., पद्य, वि. १८३६, आदि: सरसति माता महिर कर; अंतिः सुख संपत दीजै सदा,
गाथा - २९.
४. पे. नाम. जिनदत्तसूरि गीत, पृ. ९अ - १०अ, संपूर्ण.
मु. जयचंद, रा., पद्य, आदि जसु हरिदयकमल गुरुनाम अंति: जैचंद दोलत चढती, गाथा - १३.
५. पे. नाम. जिनदत्तसूरि स्तवन, पृ. १०अ १० आ, संपूर्ण.
मु. लाभउदय, रा., पद्य, आदिः सदगुरुजी तुम्हे अंति: लाभोदय सुख सिद्ध हो, गाथा- ११.
६. पे. नाम जिनकुशलसूरि निसाणी, पृ. ११अ १२आ, संपूर्ण
मु. दोलत, रा., पद्य, वि. १८३५, आदि: सरसती माता जग; अंति: सिद्धि नित बाधंदा है, गाथा - ११.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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७. पे. नाम. गवडी पार्श्वजिन छंद, पृ. १२-१५ अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. कुंभकर्ण, रा., पद्य, आदि भाव धरी ऊमया नमुं मन; अंति: तूं जिणंद जगा चिरजयी,
गाथा - ३६.
८. पे. नाम. गवडी पार्श्वनाथ छंद, पृ. १५अ - १८आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र - १५आ कोरा है, किन्तु पाठ क्रमश: है . पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. धरमसीह, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन दे सरसती एह; अंति: धरमसींह ध्याने धरण, गाथा - २९.
"
९. पे नाम मरोटमंडण चिंतामणी छंद, पृ. १८आ-२१आ, संपूर्ण, वि. १९१९, पे. वि. अंतिम पेटांक में उल्लिखित प्र. ले. वर्ष १९१८ के बाद में किसी अन्य द्वारा इस वर्ष (१९१९) का उल्लेख किया गया है.
पार्श्वजिन छंद-मरोटमंडणचिंतामणि, मु. दोलत, रा., पद्य, वि. १८३९, आदि: श्रुतदेवी सुणीयै अरज; अंति: दोल मुनि पर भौ, गाथा - ३८.
१०. पे. नाम शनैश्चरकथा आदित्यपुराणे, पृ. २२अ - ३१आ, संपूर्ण, वि. १९९८, कार्तिक कृष्ण, १०, मंगलवार,
.
. लुणकर्णसर, प्र. मु. सदासुख (गुरु पं. गंगाराम, बृहतखरतरगच्छ ), प्र.ले.पु. मध्यम
शनिश्चर स्तोत्र - आदित्यपुराणे, व्यास, मा.गु., सं., पद्य, वि. ११४५, आदि: द्वापुरे च युगे; अंति: सर्वव्याधि प्रणश्यति लोक ९७.
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१३४१९ - २३).
१. पे. नाम. सुधर्मागणधर भास, पृ. १अ, संपूर्ण.
११. पे. नाम. शनिश्चर स्तोत्र, पृ. ३२अ - ३४आ, संपूर्ण, वि. १९१८, कार्तिक शुक्ल, ५.
क. हेम, मा.गु., पद्य, आदि: अहि नर असुर सुरपति, अंति: तुं प्रसन्न सनीसर, गाधा - १७.
२८१७९. स्तवन, भास, गहुली व गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ११, जैवे. (२२.५x११.५,
सुधर्मास्वामी गहुली, मा.गु., पद्य, आदि: ज्ञानादिक गुणखाण; अंति: गावे जिनशासन धणीजी, गाथा - ९. २. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि दरसण सुध विकासनुं; अंतिः आपजो अरिहंताजी रे, गावा- ६.
३. पे. नाम. सोल मंगल भास, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
१६ मंगल भास, मा.गु., पद्म, आदि: पहिलं मंगल जिनजीने; अंति: मंगल मंगलने वरो ए. गाथा-८, ४. पे. नाम. चार मंगल गहुंली, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
४ मंगल गहुली, मा.गु., पद्य, आदिः सखी राजग्रही उद्यान; अंति हेत वारी जाऊं वीरजी, गाथा ५.
५. पे. नाम. महावीरजिन गहुंली, पृ. ३अ - ४अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नयरी विशाला उद्यानमा; अंति: नित पामती मंगलमाल, गाथा-८. ६. पे. नाम. सुधर्मास्वामी गहुंली, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण,
सुधर्मास्वामी भाष, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानयरी उद्यान; अंति: साद गोहली गीत भणेरी, गाथा - ७. ७. पे. नाम. सुधर्मस्वामि गहुली, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण.
सुधर्मास्वामी गहुली, मा.गु., पद्य, आदि: चेलणा ल्यावें घोयली; अंतिः श्रीजिनशासन रीत, गाथा- ७. ८. पे. नाम गौतमस्वामी भास, पृ. ४आ ५अ, संपूर्ण.
१४१
गौतमस्वामी भाष, मा.गु., पद्य, आदि: चरण करण गुण आगरो रे; अंति: सोहावो घोयली रे, गाथा - ६. ९. पे नाम. केसीगौतम गहुंली, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
केशीगौतम गहुली, मा.गु., पद्य, आदि सावधी नयरी उद्यानमा अंति: गुहली रंग रसाल रे, गाथा - ७. १०. पे नाम, वासक्षेप भास, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: झमकारो रे मादल वाजै; अंति: जस विस्तरे परिमल खास, गाथा - ३.
११. पे. नाम वीरप्रभु द्वारा ११ गणधरो को पदप्रदान भास, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
नंदी भास, मा.गु., पद्य, आदि: वेशाख सुदि एकादसी; अंति: उछाह गीतारथ गाजे छै, गाथा-४.
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१४२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२८१८०. पद, सज्झाय संग्रह व जिनपद चौवीसी, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७- २ (१ से २) = ५, कुल पे. ४५, जैदे.,
"
(२२.५X११.५, ३०x४६-५४).
१. पे नाम. आत्मप्रबोधछत्तीसी, पृ. ३अ ३आ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: सारलौ ए आतम छत्तीस, गाथा - ३६, (पू.वि. गाथा- २ तक नहीं है.) २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधो भाई ऐसा योग; अंति: निहचै थै निरबंधा, गाथा - ३.
-
३. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू कैसी कुटंब सगाई; अंति: सुझे ग्यानसार पद राई, गाथा-४. ४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: ओधू सुमति सुहागन; अंति: जल मय जल व्यापारा, गाथा- ३.
५. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि साधो भाई जग करता कहि; अंतिः जीत निसान घुरावे, गाथा- ६. ६. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
गाथा - ३९.
१२. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधो भाइ जब हम भए; अंतिः पद कैसे हूं नहि पावै, गाथा - ६. ७. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ४अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि; साधो भाई निहचै खेल; अंतिः ज्ञानसार० भवदधि पार गावा- १४. ८. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ४अ, संपूर्ण,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधी भाइ आतम भाव; अंति: ग्यानसार पर पेखा, गाथा-२.
९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४अ, , संपूर्ण.
-
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदिः साधो भाई आतम खेल; अंति: ग्यानसार० यही तमासा, गाथा ५. १०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: नाथ विचारो आप विचारी; अंति: ल्यायौ लगिय न वारी, गाथा- ४. ११. पे. नाम. षट्भावत्रिंशिका, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
भावछत्रीसी, मु. ज्ञानसार, मा.गु., पद्य, वि. १८६५, आदि क्रिया अशुद्धता कछु; अंतिः मुनिज्ञानसार मतिमंद,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: अनुभौ या मै तुमरी; अंति: सहिजै समझे जासी, गाथा - ३.
१३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
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मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: क्युं आज अचानक आए; अंति: पावौ आत्म परमात्मरूप, गाथा - ३. १४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, मा.गु., पद्य, आदि: मनडानी अझै केनै जो; अंतिः जोती जे ख्याल खेलाती, गाथा-५, १५. पे. नाम. आत्मस्वरूप पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि जाग रे सब रैन विहानी; अंतिः ग्यान० निज राजधानी, गाथा ४. १६. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ४-५अ संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: भाई मति खेलै तू माया; अंतिः ख्यान० निज ख्यालसूं, गाथा - २. १७. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदिः आप मतीयै भला मूंढ; अंति: सार पद सही होवै, गाथा - १२. १८. पे. नाम, औपदेशिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण,
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: झूठी या जगत की माया; अंति: ग्यानसार पद राया, गाथा- ४. १९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: मरणा तो आया माया; अंतिः माया पांती आया, गाथा- ४. २०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि कंत को हूं न माने अंतिः सिद्ध अनंत समाने, गाथा- ४. २१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: मेली हूंइ केली हेली; अंति: सरधा सुमति सेहे, गाथा-३. २२. पे. नाम. मतमतांतर पद, पृ. ५अ - ५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू जिन मत जग उपगारी; अंतिः पावै सिद्ध अखेदै, गाथा-६, २३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू आतमरूप प्रकासा; अंति: ग्यानसार पद वासा,
२४. पे. नाम आध्यात्मिक पद, प्र. ५आ, संपूर्ण.
गाथा - ३.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू आतम धरम सुभावै; अंति: सिद्ध अनादि सुभावै, गाथा-४. २५. पे नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: विसम अति प्रीत निभान; अंति: सब दुख विसराना हो, गाथा ५. २६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: पर घर घर कर माच; अंति: अमर पद अमर भयौरी, गाथा- ३. २७. पे नाम, सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: किम मिलियै किम परिची; अंतिः सरस्यै तो सह काज, गाथा - ७. २८. पे. नाम नाभिनंदन पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
आदिजिन पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: लग्या मेरा नेहरा; अंतिः ग्वान नहीं गहिरा, गाथा-५, २९. पे नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ५आ ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदिः उठ रे आतमवा मोरा भयो; अंति: संपदनो भोगी नहीं ओर, गाथा - ६. ३०. पे नाम, साधारणजिन स्तवन, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: समविसमी अणजाणता रे; अंतिः लहिस्ये सिवसुख ठाम गाथा - ७. ३१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: प्यारे नाह घर विन; अंति: तो सब दुख मिट जाय, गाथा - ३. ३२. पे नाम, आध्यात्मिक पद, प्र. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: घर के घर विन मैरो; अंति: ग्यानसार गलबांही, गाथा - ३. ३३. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: भोर भयो भोर भयो भोर; अंतिः ग्यानसार जोत ठानी, गाथा ४. ३४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: जब हम तुम इक ज्योत; अंतिः भज आतम पद केरी, गाथा-४, ३५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: तेरो दाव बन्यो है; अंति: ज्ञानसार० पद निरवाण, गाथा - ५.
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३६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि प्रभु दीन दयाल दया; अंतिः सहिजे भवसावर तिरिये, गाथा-३.
३७. पे नाम, आत्मप्रबोध स्तवन, पृ. ६अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: भोर भयो अब जाग; अंतिः तामें जागरता निसानी, गाथा - ३. ३८. पे नाम, आध्यात्मिक पद, प्र. ६अ ६आ, संपूर्ण
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन धरम विचारा ओधू; अंति: ग्यानसार पद दीजै, गाथा- ४.
३९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: ग्यांन पीयूष पीपासी; अंति: तृपति भणे निर आसी, गाथा-३. ४०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: जब जड धरम विचारा औधू; अंति: तब निहचै निरवंधी, गाथा-३. ४१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: वारो नणदल वीर कहू; अंति: घर तो न रहै कोइ पीर, गाथा-३. ४२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: ललना ललचावै बाइ मोनै; अंति: परमारथ पद पावै, गाथा-३. ४३. पे. नाम. औपदेशिक ध्रुपद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: जब जग रूप प्रकासा; अंति: बाहिर बुध प्रकासा, गाथा-३. ४४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: यूंही जनम गमायो भेख; अंति: ग्यानको मरम न पायो, गाथा-४. ४५. पे. नाम. जिनस्तवनचौवीसी, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण. जिनपदचौवीसी, मु. ज्ञानसार, मा.गु., पद्य, वि. १८६४, आदि: ऋषभ जिणंदा आणंद कंद; अंति: चौवीसुंस्तुति
कीधी, पद-२४, गाथा-७६. २८१८१. सज्झाय, स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५, कुल पे. २०, जैदे., (२४४१२, १५-१६x४१). १.पे. नाम. १६ सती सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदेरे जिनवर; अंति: लेसे सुख संपदा ए, गाथा-१२. २. पे. नाम. गौतमस्वामी अष्टक, पृ. १आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. देवानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूति; अंति: लभते नितरां क्रमेण, श्लोक-९. ३. पे. नाम. एकमतिथि स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: एक मिथ्यात असंयम; अंति: नितु नितु होइ लीलाजी, गाथा-४. ४. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बीज दिने धर्मर्नु; अंति: नयविमल० कवि इम कहै, गाथा-४. ५. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अभिनंदन जिनवर परमा; अंति: ज्ञानविमल० कहे सीस, गाथा-४. ६. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: परव पजुसण पुन्य; अंति: शांतिकुशल गुण गायाजी, गाथा-४. ७. पे. नाम. पुंडरीकस्वामि स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पुंडरिकमंडण पाय; अंति: भाग्य द्यो सुखकंदाजी,
गाथा-१. ८. पे. नाम. दीपावलीपर्व स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. भालतिलक, मा.गु., पद्य, आदि: जयजय कर मंगलदीपक; अंति: कमला भालतिलक वर हीर, गाथा-१. ९. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. नेमविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तिर्थंकर आदि; अंति: नेमिविजय सुख लहीयेजी, गाथा-१. १०. पे. नाम. माणिभद्र स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आ. विजयक्षमासूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय गणधारक; अंति: मांणभद्र जय वीर, गाथा-१. ११. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमधर मुझनै; अंति: शांतिकुशल सुखदाता जी, गाथा-४. १२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. धीरविमल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सतर सहस्स गुज्जरधर; अंति: नित नित मंगलमाला जी, गाथा-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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१३. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेशर अति अलवेसर; अंतिः सानिध करज्यो मावजी, गाथा-४.
,
१४. पे नाम, अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ३-४अ संपूर्ण,
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करी जस आगल; अंतिः तपथी कोड कल्याणोजी, गाथा-४. १५. पे. नाम. अहीपुरमंडण आदिजिन स्तुति, पृ. ४अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति- अहीपुरमंडण, मु. इंद्रकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: अहीपुर मंडण ऋषभ अंतिः सेवकनी प्रतिपाला जी, गाथा- ४.
१६. पे. नाम ऋषभजिन स्तुति, पृ. ४-४आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पुहिं., पद्य, आदि आगे पूरव वार नीवाणु; अंतिः कारिज सिद्धि हमारीजी, गाथा-४.
"
१७. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंतिः ए सफल करो अवतार तो,
गाथा -४.
१८. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पृ. ४आ ५अ, संपूर्ण.
श्राव. ऋषभदास, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेतूंजो तीरथ; अंति: पाया ऋषभदास गुणगाया, गाथा-४. १९. पे. नाम. दीपावलीपर्व स्तुति, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
मु. रत्नविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सासननायक श्रीमहावीर; अंतिः द्यो सरसति मुझ वाणी, गाथा-४, २०. पे नाम, शांतिजिन स्तुति, पृ. ५आ, संपूर्ण
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणेसर समरी; अंति: सांभलो ऋषभदासनी वाणी, गाथा- ४. २८१८२. आनंदघनबहोत्तरी व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ४, जैदे., ( २४१२, १५X३३-३५). १. पे. नाम. आनंदघन रागमाला, पृ. १अ १४अ संपूर्ण, वि. १८८१, ज्येष्ठ कृष्ण, ४, सोमवार, ले. स्थल. सुद्धवंतीनगर, प्रले. पं. प्रेमविलास, प्र.ले.पु. सामान्य, पे. वि. अंत में रागों की सूची दी गयी है.
आनंदघन गीतबहोत्तरी, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: क्या सोवे उठि जाग; अंति: आनंदघन भूप आप, पद-७८. २. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. १४अ १४आ, संपूर्ण
आत्मशिक्षा सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसदगुरु निज पर; अंति: परमानंद पद वरे रे,
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गाथा - ७.
३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १४आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: जब लगे आवे नहीं मन; अंतिः विलासी प्रगटे आतमराम गाथा - ६. ४. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. १४आ, संपूर्ण.
पे. ५, पठ. मु. वर्धमान, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२.५X१२, १०x२० - २५).
१. पे. नाम पद्मावतीदेवी स्तव, पृ. १०१ अ - १०५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: त्रिकालं पठिनार्थदं, श्लोक-३३.
२. पे. नाम. लक्ष्मी स्तोत्र, पृ. १०६अ १०६ आ, संपूर्ण
१४५
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: जिन करणे चित ल्याओ; अंति: ल्यो भगवंत नाम रे, गाथा-४.
२८१८४. स्तुति स्तोत्र व मंत्रादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८९०, कार्तिक कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. १२७-१०० (१ से १००) २७, कुल
2
पार्श्वजिन स्तोत्र - लक्ष्मी, मु. पद्मप्रभदेव, सं., पद्य, आदि: लक्ष्मीर्महस्तुल्यसत; अंति: स्तोत्रं जगन्मंगलम्, श्लोक - ९. ३. पे. नाम. चतुषष्टियोगणी स्तोत्र, पृ. १०६ आ - १०७आ, संपूर्ण.
६४ योगिनी स्तोत्र, सं., पद्य, आदिः ॐ ह्रीं दिव्ययोगी; अंति: सर्वोपद्रवनाशिनी, श्लोक ११.
-
४. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १०७आ - १०८अ संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: श्यामो वर्ण विराजिते अंतिः पार्श्वतीर्थस्तवेन च श्लोक ८. ५. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र सह मंत्रानुष्ठान विधि, पृ. १०८आ- १२७आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मी:, श्लोक-४८. भक्तामर स्तोत्र-मंत्र, संबद्ध, सं., गद्य, आदिः ॐ ह्रीँ अह णमो; अंतिः रहे महासप्रभाविका, मंत्र- ४८. २८१८५. व्याख्यान श्लोक, सज्झाय, स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २४ + १ ( १ ) = २५, कुल पे. १०६, दे., (२४४१२.५, १३-२४४३८-५३).
१. पे नाम, व्याख्यानस्तुति संग्रह, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
व्याख्यान स्तुति संग्रह, मा.गु., सं., प+ग, आदि: ईहा कुण श्रीसमण; अंति: टले टूटे आठों कर्म. २. पे नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, रा., पद्य, आदि: सांतिनाथ प्रभु सोलमा; अंति: आपोनी अचला का नंद, गाथा - १०.
३. पे. नाम. नंदलाल महाराज गीत, पृ. २आ, संपूर्ण.
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मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १९६३, आदि: पूज्यजी सीतल चंद्र; अंतिः मिले आप की सेवा, गाथा- ७. ४. पे. नाम. हुकमीचंद महाराज गीत, पृ. २आ-३-अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, पुहिं., पद्य, आदि: इस भरत खंड में तरण; अंति: चौमासो मोक्ष के काजे, गाथा- ६.
५. पे. नाम. मेघरथराजा सज्झाय, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण
क्र. तिलोक, मा.गु., पद्य, वि. १९२९, आदि: धन मेघरथ राजा राख्यो; अंतिः दया तथा ए भाव हो, गाथा - १५. ६. पे नाम. धन्नासालीभद्र सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
धन्नाशालिभद्र सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १९६१, आदि: नगरी तो राजग्रना; अंति: फले सह आस, गाथा - १३.
७. पे. नाम. आदिजिनधारणा स्तवन, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण.
आदिजिन पारणा स्तवन, मु. जेमल- शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १८५२, आदि: ए मारी रस सेलडी आद; अंति: तवन हुलास जी, गाधा ८.
८. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: रेवती बाई प्रभुजीने; अंति: भाग भलो जस गायो, गाथा- ४.
९. पे नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. चोखमल, मा.गु., पद्य, आदि; धारो नरभव निष्फल जाय; अंतिः इंदोर आलिजा सहरमे,
गाथा -४.
१०. पे. नाम, कमलावतीराणी सज्झाय, पृ. ४आ ५आ, संपूर्ण.
कमलावतीसती सज्झाय, मु. चोथमल, मा.गु., पद्य वि. १९६०, आदि धन पुरुस जो संजम; अंति: चोथमल ० आया विचरता, गाथा ९.
११. पे. नाम. कमलावती सज्झाय, पृ. ५आ- ६आ, संपूर्ण.
कमलावतीसती सज्झाय, क्र. जैमल, पुर्हि, पद्य, आदि महिला में बेठी राणी; अंतिः मिच्छामि दुकडम् मोय,
गाथा - ३८.
१२. पे. नाम. अष्टसिद्धि स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु नामे सुख उपजे; अंतिः राम कहे सब टले जंजाल, गाथा - ६.
१३. पे. नाम. चेलणासती सज्झाय, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: कोणिकराजानी छोटी जी; अंति: सेती वरते मंगलाचार, गाथा-७. १४. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पु. ७अ-८अ, संपूर्ण.
मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८६२, आदिः श्रीवीर जिनंद सासणधण; अंति: लाल० धन श्रीवीरजिणंद,
गाथा - ११.
१५. पे नाम, आदिजिन स्तवन, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण,
मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८३८, आदि: इणि क्रोड पूर्व लग; अंति: जेमलजी प्रसादो जी, गाथा - २४.
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४७
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. चंपालाल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवीतराग की वाणी; अंति: मुनिचंपालाल इम कहीजी, गाथा-५. १७. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. घासीलाल, मा.गु., पद्य, वि. १९८२, आदि: देखो परव पजुसण आया; अंति: रवी चंद मे दरसाया, गाथा-१५. १८. पे. नाम. कान्हडकठीयारा लावणी, पृ. ८आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. माधव, मा.गु., पद्य, आदि: ब्रह्मव्रत दिव्य सिव; अंति: त्यागी की बलिहारी, गाथा-२२. १९. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, पुहिं., पद्य, आदि: आज अजोध्या नगरी के अंति: हीरा० दिया रे पोचाइ, गाथा-४. २०. पे. नाम. अइमुत्तामुनि सज्झाय, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, मा.गु., पद्य, वि. १९४०, आदि: एवंतामुनिवर नाव तराइ; अंति: सादे गायो हीरालाल हो, गाथा-१४. २१. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. १०आ, संपूर्ण.
ऋ. हीरालाल, मा.गु., पद्य, आदि: वाजा नगारा जीत्या; अंति: जीत नगारा गायाजी, गाथा-८. २२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: संग पुद्गल मे मान्यो; अंति: जोर तेरो नही रे, गाथा-५. २३. पे. नाम. कृष्ण सज्झाय, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: पुरसौतम प्रगट्या; अंति: नंद० जोड करी त्यारी, गाथा-७. २४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. अखेराज, रा., पद्य, आदि: यो भव रतन चिंतामण; अंति: सिवपुर वेग सीधावो रे, गाथा-१५. २५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मानव डर रे चोरासी मे; अंति: तीन लोक छे अमोले रे, गाथा-१३. २६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: तु मन कयो रे मत कर; अंति: मिले मुगत की सेहेल, गाथा-९. २७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पाच कलम सरवग कीसु; अंति: मीले मुगत की सहेलरे, गाथा-४. २८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चतुर नर अर्थ विचारो; अंति: तोरे तो साध छकाय, गाथा-९. २९. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मु. नरसिंग, मा.गु., पद्य, वि. १८८२, आदि: नवगाढी माही भटकत; अंति: दिन यो कीयो अभ्यास, गाथा-८. ३०. पे. नाम. रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
मु. खूबचंद, हिं., पद्य, आदि: जैनी रात को नही खाते; अंति: खुब० रात्री भोजन का, गाथा-६. ३१. पे. नाम. धन्ना काकंदी सज्झाय, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण. धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. हीरालाल, मा.गु., पद्य, वि. १९३२, आदि: कनक ने कामनी जुग में; अंति: सुत्र के
अनुसार रे, गाथा-१६. ३२. पे. नाम. भरत सज्झाय, पृ. १४अ, संपूर्ण. भरतमहाराजा सज्झाय, मु. हीरालाल, मा.गु., पद्य, वि. १९४५, आदि: अमर पद पाया हो भरतेस; अंति: पूरो मन
की आस, गाथा-१०. ३३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १४अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, रा., पद्य, वि. १९३६, आदि: गुराजीने ग्यान दियो; अंति: प्रसादे हीरालाल गाया, गाथा-५. ३४. पे. नाम. आदिजिन स्तव, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: आवो आवो हमारे घर; अंति: इक्षुरस आहारो हो, गाथा-१८.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३५. पे. नाम. जिनवाणी सज्झाय, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवाणी वाणी एसी रे; अंति: में करीता प्रणाम, गाथा-५. ३६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. दलपत, मा.गु., पद्य, आदि: सजी घर बार सारु; अंति: दलपते दिधु कथी रे, गाथा-११. ३७. पे. नाम. पंचपरमेष्ठि सज्झाय, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: आछो आणद रंग वरसायो; अंति: में तो मंगल आज मनायो, गाथा-७. ३८. पे. नाम. नेमराजिमती सज्झाय, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण.
मु. नवलराम, मा.गु., पद्य, आदि: नेमजी की जान बनी; अंति: किरिया बुद्धि सारी, गाथा-८. ३९. पे. नाम. समकीत सज्झाय, पृ. १५अ, संपूर्ण.
समकित सज्झाय, देवीदास, पुहि., पद्य, आदि: समकीत नाह सही रे; अंति: हम बहुत वार कर लीनो, गाथा-५. ४०. पे. नाम. नेमराजिमती सज्झाय, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, पुहि., पद्य, आदि: ऐसा जादुपति रे; अंति: माही जोडी रसाल, गाथा-९. ४१. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १५आ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: मोरादे मइया वाली लगे; अंति: एसा रिषभ कू नइया, गाथा-४. ४२. पे. नाम. १० बोल सज्झाय, पृ. १५आ, संपूर्ण.
म. मगन, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन चेतो रे दशबोल; अंति: पुरुष महिमा कहावे रे, गाथा-७. ४३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १५आ, संपूर्ण..
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: बांधो मति कर्मचीकणा; अंति: इण दृष्टांते जाण, गाथा-७. ४४. पे. नाम. कर्म सज्झाय, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
पुहि.,रा., पद्य, आदि: जीव थारी कर्मन की गत; अंति: एक वेचत है भारी, गाथा-४. ४५. पे. नाम. निद्रा सज्झाय, पृ. १६अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, रा., पद्य, आदि: थे सुणजो श्रावक; अंति: आणंद रंग वरसायाजी, गाथा-७. ४६. पे. नाम. एकादशीतिथि सज्झाय, पृ. १६अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: काले तो मारे एकादसी; अंति: पाप करम सब वरजो रे, गाथा-५. ४७. पे. नाम. स्वार्थ सज्झाय, पृ. १६अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: तुही तुही याद आवे रे; अंति: गुण गावो रे हरदमे, गाथा-४. ४८. पे. नाम. लीलोतरी सज्झाय, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: लिलोती मत भखो चतुरनर; अंति: हरि खावण को बंद करो, गाथा-८. ४९. पे. नाम. सुगुरुवर्णन सज्झाय, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, पुहि., पद्य, आदि: ऐसा संत जगत मे कहेना; अंति: चाले जिन मारग की एना, गाथा-८. ५०. पे. नाम. नागदमण पद, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मीराबाई, पुहिं., पद्य, आदि: किण दिसा से आयो रे; अंति: मीरा० हरीजी गावीया, गाथा-१०. ५१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण.
कबीर, मा.गु., पद्य, आदि: ना कोइ आता ना कोइ; अंति: संग चले नही मासा, गाथा-४. ५२. पे. नाम. जिनवाणी सज्झाय, पृ. १७अ, संपूर्ण.
मु. चौथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १९६०, आदि: दरस लो रे मारा पुन्य; अंति: चोथमल जोड बनाइ रे, गाथा-७. ५३. पे. नाम. साधुगुण सज्झाय, पृ. १७अ, संपूर्ण.
मु. हरखचंद, रा., पद्य, आदि: जेलो जेलो नीर मारी; अंति: गायो हो समर धारी, गाथा-११. ५४. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन-लघु, पृ. १७अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीतप तुमे करो रे; अंति: ज्ञाननो पंचमो भेद रे, गाथा-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ ५५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सेर होय मत फीरो जगत; अंति: में नहीं आवेगा कही, गाथा-५. ५६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १७आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: तुम तजो जगत का ख्याल; अंति: जिनदास० सुनो मत काना, गाथा-४. ५७. पे. नाम. पापी पेट सज्झाय, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
अन्नदेवता सज्झाय, सीरेमल, रा., पद्य, आदि: मारा अनदेवता रे; अंति: जीव जाय तडफडीयो, गाथा-१०. ५८. पे. नाम. तप सज्झाय, पृ. १८अ, संपूर्ण.
ऋ. आसकरण, रा., पद्य, आदि: तप बडो रे संसार मे; अंति: आसोज तप मजारो रे, गाथा-१४. ५९. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: राजग्रीना वासीया; अंति: जारा वरते जे जेकार, गाथा-२२. ६०. पे. नाम. सीतासती पद, पृ. १८आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: सुनोरी मैने निर्बल; अंति: सब बल हारे को हर नाम, गाथा-३. ६१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १८आ-१९अ, संपूर्ण.
म., पद्य, आदि: पापा ची वासना नको; अंति: तु एक गोपाला आवडसी, पद-१. ६२. पे. नाम. साधु १० गुण सज्झाय, पृ. १९अ, संपूर्ण.
१० लक्षणसाधु सज्झाय, रा., पद्य, आदि: पहिलो लक्षण साधनो जी; अंति: कयाजी आप श्रीजिनराय, गाथा-११. ६३. पे. नाम. साधुगुण सज्झाय, पृ. १९अ, संपूर्ण.
मु. विनयचंद, पुहिं., पद्य, आदि: एसे मुनिराज छकाया के; अंति: इस भव मोक्ष सीध्या, गाथा-१४. ६४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १९अ-१९आ, संपूर्ण.
मु. अमी ऋषि, पुहि., पद्य, आदि: केइ रहै उधे सिर लटक; अंति: अमि० मोक्ष नही पावे, गाथा-८. ६५. पे. नाम. पांचइंद्रीय सज्झाय, पृ. १९आ, संपूर्ण. ५ इंद्रिय सज्झाय, मु. ग्यानचंद, पुहिं., पद्य, वि. १९३४, आदि: पंच इंद्री की तेवीस; अंति: कीया छंद त्यारे,
गाथा-८. ६६. पे. नाम. कलीयुग सज्झाय, पृ. २०अ, संपूर्ण.
कलियुग सज्झाय, कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: कलुजुग आया जमाना; अंति: जम मारेगा सोटा, गाथा-३. ६७. पे. नाम. श्रावक सज्झाय, पृ. २०अ, संपूर्ण. श्रावकोपदेश सज्झाय, मु. खोडोजी, रा., पद्य, आदि: फोगट सरावग नाम धरावे; अंति: सुर आय सीस नमावे,
गाथा-१०. ६८. पे. नाम. जतीगुण सज्झाय, पृ. २०अ, संपूर्ण.
मु. पुनमचंद, पुहिं., पद्य, वि. १९७२, आदि: एसा जेन का जती रे; अंति: गाई पुनमचंद रसाल, गाथा-१०. ६९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २०अ, संपूर्ण.
फकीरा, पुहिं., पद्य, आदि: कछु लेना न देना मगन; अंति: मान फकीरा का कहना, गाथा-८. ७०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण.
मु. हरकचंद, पुहिं., पद्य, आदि: जल विना कमल कमल विना; अंति: नही जानी जीनवानी, गाथा-४. ७१. पे. नाम. ओपदेशिक सज्झाय, पृ. २०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., पद्य, आदि: सुन लेना मुसाफीर; अंति: करे बात की छान जी, गाथा-५. ७२. पे. नाम. जिनजन्म महोत्सव स्तवन, पृ. २०आ, संपूर्ण.
जिन जन्ममहोत्सव स्तवन, रा., पद्य, आदि: हाजी सुधरमापती निज; अंति: दीप नंदीसर जावे रे, गाथा-११. ७३. पे. नाम. अर्जुनमाली लावणी, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण.
श्राव. सुरतराम, मा.गु., पद्य, वि. १९३२, आदि: राजग्रही नगरी के अंति: मोह ममता अलगी डारी, गाथा-६.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ७४. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, पृ. २१अ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: (१)वीजेकुवर और विजीया, (२)भर जोवन में पाल्यो; अंति: संजम सील आत्मा तारी, गाथा-५. ७५. पे. नाम. जिनवाणी सज्झाय, पृ. २१अ-२१आ, संपूर्ण, पे.वि. अंतिमवाक्य अपठनीय होने के कारण नहीं भरा है.
मु. हीरालाल, पुहिं., पद्य, आदि: सुनो प्यारा प्रभुजी; अंति: (अपठनीय), गाथा-१०. ७६. पे. नाम. जुआबाजी त्याग सज्झाय, पृ. २१आ, संपूर्ण.
जुगारत्याग सज्झाय, पुहिं., पद्य, आदि: कदर जो चाहे दिल तू; अंति: जरा मानले आराम होगा, गाथा-९. ७७. पे. नाम. मांसभक्षण त्याग सज्झाय, पृ. २१आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सख्त दिल हो जायगा तु; अंति: होती कहां कीया नसीहत, गाथा-१०. ७८. पे. नाम. शराबव्यसन त्याग सज्झाय, पृ. २१आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सराव सोक महां बुरा; अंति: आराम कोइ पाता नही, गाथा-११. ७९. पे. नाम. वेश्यागमन त्याग सज्झाय, पृ. २१आ-२२अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहि., पद्य, आदि: अब जवानो मानो मेरी; अंति: चोथमल कहे अपर फीको, गाथा-७. ८०. पे. नाम. शिकार त्याग सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: स्याम दिल हो जाय; अंति: चोथमल कहै समझले, गाथा-९. ८१. पे. नाम. चोरी त्याग सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण.
चोरीत्याग सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: इजत तेरी बढ जायगी; अंति: चोथमल कहता तुजे, गाथा-७. ८२. पे. नाम. परनारी सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण. परनारीपरिहार सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: लाखो कामी पिट चुके; अंति: कहे चोथमल अब सबर
कर, गाथा-९. ८३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: अगर चाहे आराम तो; अंति: आतिम की सोबत कर सदा, गाथा-९. ८४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहि., पद्य, आदि: तारवो धर गारत हुऐ इस; अंति: धर्म की कब रक्षा हो, गाथा-११. ८५. पे. नाम. खामोश सज्झाय, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मौन सज्झाय, मु. चोथमल, पुहि., पद्य, आदि: महावीर का फरमान है; अंति: चोथमल कहे ए दिल, गाथा-८. ८६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदि: उठो वीदर कस कमर तुम; अंति: मत हटो पीछे कभी, गाथा-७. ८७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २२आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु नाम की निज; अंति: गई भ्रमना मीटी, गाथा-४. ८८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २२आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: क्यो भटके रे जिया; अंति: जिया जटपट से, गाथा-३. ८९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २२आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सुकृत न कीयो; अंति: जैसे पानी में, गाथा-३. ९०. पे. नाम. रसना सज्झाय, पृ. २३अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल, पुहि., पद्य, आदि: रसना सीधी बोल तेरे; अंति: भाखे मुनीवरजी ए, गाथा-११. ९१. पे. नाम. घडपण सज्झाय, पृ. २३अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, रा., पद्य, आदि: जरा आइ रे तु चेत चिद; अंति: लीजे कर्म चकचुरी रे, गाथा-९. ९२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २३अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: जिया मानले मुनीराज; अंति: आप तरे और तारे, गाथा-४. ९३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २३अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. हीरालाल, पुहिं., पद्य, आदि: इस जगत की जंजाल जाल; अंति: ख्याल मुक्त का ये ही, गाथा- ४. ९४. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, प्र. २३अ - २३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. नंदलाल शिष्य, पुहिं., पद्य, आदि: तुम सुनो मुगत का; अंतिः सतगुरु का सरणाजी, गाथा ४. ९५. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २३आ, संपूर्ण.
ऋ. चोथमल, रा., पद्य, वि. १९६४, आदि: बोल बोल आदेसर वाला; अंतिः चोथमल० धन महतारी रे, गाथा-७, ९६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २३आ, संपूर्ण.
न्यामत, पुहिं., पद्य, आदि परदेशीया में कोण चले; अंतिः न्यामत० ते मजधार, गाथा - ७.
९७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. हीर, पुहिं., पद्य, आदि: प्रीत मारी जिनवर से; अंति: कहे हीर एसा ज्ञानी, गाथा- ४.
९८. पे नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. खुबचंद, पुहिं., पद्य, आदि: किण विध आउ रे मारा; अंति: जरा पापसु डरजो रे, गाथा - ६. ९९. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. २३-२४अ, संपूर्ण.
मु. धर्मचंद, पुहिं., पद्य, आदि; भजते क्यो नही; अंतिः सीवरमणी सुखे पाते है, गावा- ४. १००. पे. नाम. सत्संग पद, पृ. २४अ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: प्राणी तु तो सतसंगनो; अंति: एछे मोक्ष दुवार,
१०१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २४अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद संग्रह, मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदिः यह भावना तेसी औरत; अंति: एसा जुग में धनी नही,
गाथा- ४.
१०२. पे. नाम. औपदेशिक लावणी, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. अखेमल, पुहिं, पद्य, आदि: खबर नहीं है जग में; अंतिः जिनकु विनति अखेमल की, गाथा-८.
१०३. पे. नाम औपदेशिक पद, प्र. २४अ, संपूर्ण.
गाथा - ७.
न्यामत, पुहिं, पद्य, आदि: क्या सोया तु मोहनींद अंतिः गाडो छोडी जातो है, गाथा - ३. १०४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. हजारीमल, पुहिं., पद्य, आदि: निश्चे जाणो रे तुम; अंति: पावे पद नीरवाणो, गाथा - ३. १०५. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. २४- २४आ, संपूर्ण
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मु. अमी ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: मना मान सुगुरु का; अंतिः यु कहे अमी रीख वैना, गाथा- ६. १०६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २४आ, संपूर्ण.
नानक, पुहिं., पद्य, आदि: कासी गया वृंदावन गया; अंति: नानक० तो क्या हुवा, गाथा- ७.
२८१८७. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. १२, जैदे., (२३१२.५, १३-१५X३१-३४). १. पे. नाम जिनपूजा दर्शन फल स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
जिनवंदनविधि स्तवन, मु. कीर्तिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: जिनचोवीस करु प्रणाम; अंति: ते भवसायर लिला वरै,
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१५१
गाथा - १०.
२. पे. नाम. चंद्राउलो स्तवन, पृ. १आ-४आ, संपूर्ण, पे. वि. अंत में तीर्थंकर परमात्मा के गाँव, नाम, माता, पिता इत्यादि का विवरण लिखा है.
२४ जिनविवरण स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः निजगुरु चरणकमल नमी अंति: (१)ज्ञान० जिनगुण भणी, (२) परिवार मोक्ष आसन, गाथा- ३५.
३. पे नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरज सुणो एक सुविधि; अंति: मोहनविजय० सिरनांमी, गाथा-१३, (वि. प्रतिलेखक ने एक गाथा की दो-दो गाथा गिनकर लिखी है.)
४. पे नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अजित अजितजिन अंतर; अंति: रस आनंदस्यु चाखे, गाथा-९. ५. पे. नाम. समवसरणवर्णन महावीरजिन स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-समवसरण, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिशलानंदन वंदीये; अंति: जस०
जिनपद सेवा खंत, गाथा-१७. ६. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मु. गुणपतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पुष्कलावती विजय; अंति: किरपा मौसु किजो राज, गाथा-९. ७. पे. नाम. ५० बोल मुहपति स्वाध्याय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण. मुहपत्ति ५०बोल सज्झाय, पंन्या. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीहीरविजयसूरि; अंति: रामविजय जपे निसदीस,
गाथा-११. ८. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरी वसे ऋषभ; अंति: सिद्धविजय सुपसाया रे, गाथा-१४. ९. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
पंन्या. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन मेतारज मुनि; अंति: राम० तस घर आराम, गाथा-१६. १०. पे. नाम. नंदीषणमुनि सज्झाय, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
नंदिषेणमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर महियल विचरे; अंति: सुकवि इम वीनवे, गाथा-६. ११. पे. नाम. राडंबरपुरमंडण महावीरजिन स्तवन, पृ. ८आ-११अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-छट्ठाआरानु, श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणेंद्र पय नमी; अंति:
देवीदास० संघमंगल करो, ढाल-५, गाथा-६५. १२. पे. नाम. राजीमती सज्झाय, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण. नेमराजिमती सज्झाय, मु. हेतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरु पाय; अंति: पद राजुल लह्यो जी,
गाथा-११. २८१८८. संबोधसत्तरी सह टबार्थव श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १८१६, फाल्गुन शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. २,
ले.स्थल. आडीसरनगर, प्रले. पं. नायकविजय गणि (गुरु ग. सुबुद्धिविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीश्रेयांसजिन प्रसादात्., प्र.ले.श्लो. (५९८) लेखणी पुस्तिका रामा, जैदे., (२३.५४१२, ८४३२-३८). १. पे. नाम. संबोधसप्ततिका सह टबार्थ, पृ. १अ-६आ, संपूर्ण.
संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सोलहई नत्थि संदेहो, __ गाथा-८०.
संबोधसप्ततिका-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: नमिनें त्रैलोक्यना; अंति: तेहने विषै नथी संदेह. २. पे. नाम. जैन गाथा , पृ. ६आ, संपूर्ण.
__ मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८१८९. स्तवन, स्तोत्र व सज्झाय आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७, कुल पे. ६, जैदे., (२४४१२.५,
११-१५४२०-२६). १. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन प्रभाती, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन प्रभाती-शंखेश्वर, वा. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: आज संखेश्वर सरण हु; अंति: वेगला करो संभाली,
गाथा-५. २. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वर, आ. हंसरत्नसूरि, सं., पद्य, आदि: महानंद लक्ष्मी धना; अंति: श्रीहसरत्नायितं,
श्लोक-११. ३. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्व छंद, पृ. २अ-३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, आ. हंसरत्नसूरि, सं., पद्य, आदि: सकल सुरासुरवंद्य; अंति: संसेवि हसरत्नायतुं, श्लोक-९.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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४. पे. नाम. भीडभंजन पार्श्वजिन छंद, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद-भीडभंजन, वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि भवभवभंजन भीतहरं जयो; अंतिः सज्वन संघ मलें,
गाथा - १०.
५. पे नाम, पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण,
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: पास शंखेश्वरा सार; अंतिः निजो रेख महाराज भीजो, गाथा ५.
६. पे. नाम. क्रोध लोभ मान माया सज्झाय, पृ. ५अ-७अ, संपूर्ण.
क्रोधलोभमानमाया सज्झाय, ग. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३५, आदि: पेलुं सरस्वतीनुं; अंतिः कंतिविजय० गुणगाय, गाथा-३२.
२८१९०. भुवनदीपक, पद्मकोश मुंथाफल व ज्योतिष संग्रह, संपूर्ण, वि. १८९५, आश्विन शुक्ल, ७, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. ४, ले. स्थल, थानेस्वर कुरुक्षेत्र, प्रले. मु. मोती ऋषि (गुरु मु. तेजा ऋषि, हंसराजगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
( २३x१२.५, १६-१८४३५-४२).
१. पे नाम. भुवनदीपक, पृ. १आ-७अ, संपूर्ण.
आ. पद्मप्रभसूरि, सं., पद्य, वि. १३५, आदि सारस्वतं नमस्कृत्य; अंतिः श्रीपद्मप्रभुसूरिभिः, श्लोक १७७. २. पे नाम, पद्मकोश, पृ. ७अ ११अ, संपूर्ण,
-
गोवर्द्धन दैवज्ञ, सं., पद्य, वि. १६६६, आदि: गणेशं हरिं पद्मयोनिं अंतिः (१) शाकेंगागेंद्रनिर्मित, (२) यदि त्रिस्कंध पारगः, श्लोक - १०१.
३. पे नाम. मुंधाफल संग्रह, पृ. ११अ ११आ, संपूर्ण,
मुंथाफल - ताजिकशास्त्र, सं., पद्य, आदि आरोग्यता कार्य; अंतिः भयं भूपकृतं च कष्टं श्लोक-१६.
४. पे. नाम. ज्योतिष संग्रह, पृ. ११आ - १२आ, संपूर्ण.
ज्योतिष संग्रह, सं., पद्य, आदि (-); अंति: ( - ).
१५३
२८१९१. (+) रास, सज्झाय व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७ - १ ( १ ) = ६, कुल पे. ७, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित. जैवे. (२३४१२.५, १७ - १८४३५-४२).
""
१. पे. नाम. सनतकुमार चक्रवर्ति सज्झाय, पृ. २अ - ५अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है., ढाल - २ की गाथा - १५ अपूर्ण
तक नहीं है.
सनत्कुमार चक्रवर्ति रास, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: (-); अंति: सकल पदारथ सासता,
ढाल - ९+ कलश.
२. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
ग. जगजीवन, मा.गु., पद्य, आदि: सुमति सुमत दायक सदा; अंतिः सांभलो अम अरदास हो, गाथा ६. ३. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ५अ - ५आ, संपूर्ण, वि. १८५०, वैशाख कृष्ण, ४, प्रले. मु. केशरी ऋषि. प्र.ले.पु. सामान्य.
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, आदि: हुं वाटडी तमारी जोती; अंतिः साधे राग सराग न राखो, गाथा - ११.
४. पे. नाम. राजुलनेम स्वाध्याय, पृ. ५आ- ६अ, संपूर्ण.
मराजिमती सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, आदि उग्रसेन पुत्री अरज; अंतिः प्रभू फेडो भवना फंद, गाथा-७, ५. पे. नाम. मेघमुनि सज्झाय, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
मेघकुमार सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, वि. १८१६, आदि: श्रीगुरुदेव नमी करी; अंति: कहे महानंद उल्लास,
गाथा - १०.
६. पे. नाम. पार्श्व प्रभू स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन वीनवुं पर अंतिः निश्चल देन्यौ निवास, गाथा- ७. ७. पे. नाम. अढारनातरा सज्झाय, पृ. ६आ-७आ, पूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
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१५४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची अढारनातरा चौढालीयो, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहेलू ते प्रणमुरे; अंति: (-), (पू.वि. ढाल-३
गाथा- २७ तक है.) २८१९२. सज्झाय संग्रह, पूर्ण, वि. १८६३, पौष शुक्ल, ७, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ८-१(१)=७, कुल पे. २०, जैदे., (२४४१२.५,
१५४२९-३३). १. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जे देखु ते तुज नही; अंति: अघाती करमना क्षय थकी, गाथा-७. २. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जेहने अनुभव आतम केरो; अंति: आप सभावमें रातो रे, गाथा-५. ३. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आतम अनुभव जेहनइं; अंति: परमातम मे मन्न रे, गाथा-५. ४. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: अनुभव सिद्ध आतमजे; अंति: श्रीहरिभद्र बुद्ध रे, गाथा-५. ५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, पुहिं., पद्य, आदि: कोई किनहीकुं काज; अंति: दुःखादिकने प्रीछे रे, गाथा-६. ६. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतना चेतनकुं; अंति: मणिचंद गुण जाणो रे, गाथा-७. ७. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन चेतन में धरि; अंति: मणिचंद होइ भव अनंता, गाथा-५. ८. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ४अ, संपूर्ण..
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जग सरूप चेतन संभलावइ; अंति: मणिचंद गुण आवेरे, गाथा-९. ९. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: समकित तेह यथास्थित; अंति: यथास्थिति जाणो, गाथा-५. १०. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आतम रामे रे मुनी रमे; अंति: मणिचंद आतम तारी रे, गाथा-५. ११. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन जब तुं ज्ञान; अंति: सुखसंपत्ति वाधे, गाथा-८. १२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: अणविमास्युं करें; अंति: मणिचंद पामो ठकुराइ, गाथा-६. १३. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ५आ, संपूर्ण..
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन तुमही आपें; अंति: जिम पामो आपणी ठकुराई, गाथा-५. १४. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जो चेते तो चेतजे जो; अंति: पूरे शिवपुर वास, गाथा-६. १५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: शिवपुर वासना सुख; अंति: पार किमे नहि आवे, गाथा-४. १६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आदित जोयिने आपणी; अंति: मणीचंद सुद्धी वाणी, गाथा-८. १७. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: शुक्ल पक्ष पडवेथी; अंति: मणीचंद्र एह लखाणी, गाथा-९. १८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मिच्छत्व कहीजें तत्व; अंति: मणिचंद परवस्तु न संच, गाथा-७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
__ १५५ १९. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज का लाहा लीजीई; अंति: रहे परमाणंद साधे, गाथा-८. २०. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सट्ठी ते यथास्थिति; अंति: मणीचंद० सिद्ध पावे, गाथा-८. २८१९४. चौवीस दंडक छव्वीसद्वार विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, प्रले. मु. मणिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२४१३, १४४३२). २४ दंडक २६ द्वार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: (१)नेरइया असुराइ पुढवाई, (२)नारकीनो १ दंडक एवं; अंति: वचनना
४ कायाना ३. २८१९५. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९७३, ज्येष्ठ कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ४०, कुल पे. २७, जैदे., (२३.५४१२, १३४४०). १. पे. नाम. पंचकल्याणक स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. पाक्षिकतपवृद्ध स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जंबुद्वीप सोहामणो; अंति: पभणे पूरो मनह
जगीस, ढाल-२, गाथा-१४. २. पे. नाम. महावीरजिनविनती स्तवन, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण. महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मुज विनती; अंति: थुण्यो त्रिभुवन
तिलो, गाथा-१९. ३. पे. नाम. नंदिश्वरजिनालय स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
नंदीश्वर स्तवन, मु. जैनचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: नंदीसर बावन जिनालय; अंति: जैनचंद्र गुण गावो रे, गाथा-१५. ४. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२१, आदि: मारी वीनतडी अवधारो; अंति: अनोपम जिनपद वंदन भास, गाथा-२१. ५. पे. नाम. सहस्रकुट स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण. सहस्रकूट १०२४ जिनप्रतिमा स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सहस्रकूट जिन प्रति; अंति: राजथी देवचंदनी
प्रीत, गाथा-१४. ६. पे. नाम. आलोयणा स्तवन, पृ. ५अ-७अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-अतिचारगर्भित, उपा. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: ए धन सासन वीर जिनवर; अंति: कीधो
चउपने फलवधिपुरे, ढाल-४, गाथा-३०. ७. पे. नाम. चतुर्थदसगुणस्थान वृद्धस्तवन, पृ. ७अ-९अ, संपूर्ण. सुमतिजिन स्तवन-१४ गुणस्थान विचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सुमतिजिणंद
सुमति; अंति: कहे एम मुनि धरमसी, ढाल-६, गाथा-३४. ८. पे. नाम. जीवविचार स्तवन, पृ. ९अ-१२आ, संपूर्ण.
मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७१२, आदि: श्रीसरसतीजी वरसति; अंति: वृधविजय भणे आणंदकारी, ढाल-९. ९. पे. नाम. चउवीसदंडक स्तवन, पृ. १२आ-१४आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-२४ दंडकविचारगर्भित, पा. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: पुरे मनोरथ पासजिन;
अंति: गावै धरमसी सुजगीस ए, ढाल-४, गाथा-३४. १०. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. १४आ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थस्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: ते दिन क्यारे आवस्ये; अंति: चाहै नित जिणंद, गाथा-७. ११. पे. नाम. महावीरजिन पंचकल्याणक स्तवन, पृ. १४आ-१७आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणक, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७३, आदि: सासन नायक सिव कसां;
अंति: नामे लही अधिक जगीस ए, ढाल-३+कलश. १२. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधरसामिजीने वादि; अंति: माहरी आवागमण निवार, गाथा-१०.
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१५६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १३. पे. नाम. आदिजिनविनतीस्तवन, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सुण जिनवर शेजा; अंति: जिन० देजो परमानंद, गाथा-२०. १४. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. १८आ-१९आ, संपूर्ण.
मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सेवा शांतिजिणंद की; अंति: संघ मंगलकारी बेलो, गाथा-१५. १५. पे. नाम. दशपच्चक्खाण स्तवन, पृ. १९आ-२०आ, संपूर्ण. १० पच्चक्खाणफल स्तवन, पं. रामचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३१, आदि: सिद्धारथ नंदन नमुं; अंति: रामचंद
तपविधि भणे, ढाल-३, गाथा-३३. १६. पे. नाम. अट्ठावीसलब्धि स्तवन, पृ. २०आ-२२अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-२८ लब्धिगर्भित, म. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२६, आदि: प्रणमुं प्रथम जिनेसर; अंति:
प्रगटे ग्यान प्रकासए, ढाल-३, गाथा-२५. १७. पे. नाम. विहरमान स्तवन, पृ. २२अ-२३आ, संपूर्ण. विहरमान २० जिन स्तवन, पा. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: वंदु मन सुध विहरणमाण; अंति: नेहधर
धर्मसी नमै, ढाल-३. १८. पे. नाम. पोसहग्रहण विधि, पृ. २४अ-२६अ, संपूर्ण. पौषधविधि स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदि: जेसलमेर नगर भलो जिहा; अंति:
समयसुंदर भणै सीस, ढाल-५. १९. पे. नाम. नवपद सिद्धचक्रमहिमामय स्तवन, पृ. २६अ-२७अ, संपूर्ण. सिद्धचक्रमहिमा स्तवन, मु. कनककीर्ति शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: नवपदनो ध्यान धरीजे; अंति: कोइ न तोले हो,
गाथा-१५. २०. पे. नाम. उपधान स्तवन, पृ. २७अ-२८अ, संपूर्ण. उपधानतप स्तवन-वृद्ध, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमहावीरजी धर्म; अंति: भणै वंछित सुखकरो,
गाथा-१७. २१. पे. नाम. रोहिणीतपस्तवन, पृ. २८अ-३०अ, संपूर्ण. मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १७२०, आदि: सासणदेवता सामणीए मुझ; अंति: हिव सकल मन आस्या फली,
ढाल-४, गाथा-२६. २२. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. ३०अ-३१अ, संपूर्ण. पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: पंचतिरथ प्रणमुसदा; अंति: संघने कोड कल्याण रे,
ढाल-४. २३. पे. नाम. गवडीपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३१अ-३५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. अनोपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२५, आदि: श्रीजिन वदन निवासनी; अंति: पायो
धवल धीग गौडीधणी, ढाल-८. २४. पे. नाम. मल्लिजिन स्तवन, पृ. ३५आ-३७अ, संपूर्ण.
मु. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: नवपद समरी मन शुद्ध; अंति: धरमराग मन मे धरी, ढाल-५. २५. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ३७अ-३८अ, संपूर्ण.
मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, वि. १८६६, आदि: श्रीनेमीश्वर वंदीयै; अंति: अंबिका सानिध करी, गाथा-१३. २६. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तवन, पृ. ३८अ-३९आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व अठाई स्तवन, मु. हेमसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुपास जिणंदा; अंति: जपे हेमसोभाग हो,
गाथा-३७. २७. पे. नाम. सहस्रफणा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९आ-४०आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१५७ पार्श्वजिन स्तवन-सहस्रफणा, मा.गु., पद्य, आदि: लल जलती मीली ते घणु; अंति: जय जयकार रेसनेही,
गाथा-१३. २८१९६. नवस्मरण, स्तुति, स्तवन, सज्झाय, भाष, श्लोक आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५७-३३(१ से
१२,१४,१६,२८ से ४३,४९ से ५१)=२४, कुल पे. २०, जैदे., (२२.५४१२.५, २१४१४-१५). १. पे. नाम. पोसह विधि, पृ. १३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
पौषधविधि-अष्टप्रहरी, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: अप्पाणं वोसिरामि, (पू.वि. मात्र अंतिम पद
२. पे. नाम. कल्लाणकंदं स्तुति, पृ. १३अ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढम; अंति: अम्ह सया पसत्था, गाथा-४. ३. पे. नाम. स्नातस्या स्तुति, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. ४. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १३आ-१५अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७+२. ५. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. ६. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १७अ, अपूर्ण, पृ.वि. प्रथम पत्र नहीं है. क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: ए सफल करो अवतार तो, गाथा-४, (पू.वि. गाथा-३
अपूर्ण तक नहीं है.) । ७. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: सीस० संघतणा निशदिश, गाथा-४. ८. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहे पुरो मनोरथ माय, गाथा-४. ९. पे. नाम. सामायिक सज्झाय, पृ. १८अ, संपूर्ण.
मु. नेमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सामायिक मन सुधे करो; अंति: सामायिक पालो निसदीस, गाथा-५. १०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १८आ-१९अ, संपूर्ण..
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: साहिब आंगी तुम्हारी; अंति: मोहन० अतिहिं जगीस हो, गाथा-८. ११. पे. नाम. नवस्मरण, पृ. १९अ-२७आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., पे.वि. प्रारंभ में नवकार व उवसग्गहरं का
प्रतिक पाठ मात्र है और अंत में भक्तामर की गाथा-१० अपूर्ण तक है.
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: (-). १२. पे. नाम. गौतमस्वामी रास, पृ. ४४अ-४८आ, अपूर्ण, पृ.वि. बीच के पत्र हैं.
मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). १३. पे. नाम. आदिजिन विनतीस्तवन-शत्रुजयमंडन, पृ. ५२अ-५३आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-१२
अपूर्ण तक नहीं है. आदिजिनविनती स्तवन-शत्रुजयमंडन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदिः (-); अंति: विनय
करीनिं विनव्योए, गाथा-५८. १४. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. ५३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: (-); अति: (-). १५. पे. नाम. आत्मशिक्षा सज्झाय, पृ. ५४अ-५४आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: प्यारी ते पीउने इम; अंति: मुगते जाशे ते जीव रे, गाथा-११. १६. पे. नाम. ४ मंगल पद, पृ. ५५अ-५६अ, संपूर्ण, पे.वि. एक पद को १-१ गाथा के हिसाब से ४ पद है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धारथ भूपति सोहिए; अंति: उदयरत्न भाखे एम, गाथा-४. १७. पे. नाम. गुरु गुहूली भास, पृ. ५६आ, संपूर्ण.
गुरु गहुँली, मा.गु., पद्य, आदि: बेटी बावा विनविं; अंति: गुरु वंदो गुणवंत कि, गाथा-४. १८. पे. नाम. तप भास, पृ. ५६आ-५७अ, संपूर्ण.
पर्युषणतप भास, मा.गु., पद्य, आदि: बहिनी वीरानै वीनवी; अंति: पुरु तुझ मन खांति कि, गाथा-९. १९. पे. नाम. आदिजिन भास, पृ. ५७अ-५७आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रिऊनि पनोती विनवि; अंति: तुम्ह मत खांतिइ कि, गाथा-४. २०. पे. नाम. स्वामिवात्सल्य भास, पृ. ५७आ, संपूर्ण.
मु. हंसरतन, मा.गु., पद्य, आदि: माडी ते पुत्रनैं; अंति: हुं जाउं बलिहार कि, गाथा-५. २८१९९. चैत्यवंदन, स्तवन, पद व स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-३(४,७ से ८)=७, कुल पे. १८, दे.,
(२२.५४१३, १३४२६-३०). १. पे. नाम. सिद्धचक्र चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धचक्र आराधीए; अंति: पाम्या लीलविलास, गाथा-५. २. पे. नाम. नवपद चैत्यवंदन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. नवपद गुणवर्णन चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: बार गुण अरिहंतना तेम; अंति: लह्या वरत्या मंगलमाल,
गाथा-५. ३. पे. नाम. दीपावली चैत्यवंदन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
महावीरजिन चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धारथ सुत वंदीये; अंति: वरत्यां मंगलमाल, गाथा-१०. ४. पे. नाम. शांतिजिन चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: शांति कर्ण प्रभु; अंति: वर्या मुक्ति हाथोहाथ, गाथा-५. ५. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: देश मनोहर मालवो; अति: मुक्ति० वरमाल ललना, गाथा-११. ६. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-६ तक है.
नवपद स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरुवयणे तप करे; अंति: (-). ७. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण..
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: चक्रवाक फिरे चक्र; अंति: मुक्ति लहे अपवर्ग, गाथा-७. ८. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु.मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो रे भविजन भक्ति; अंति: मुक्ति सुख भरपुर, गाथा-५. ९. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र सेवा करो; अंति: मुक्ति सुख वास लाल, गाथा-५. १०. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: आशो चैतरमासे करो मन; अंति: पुन्ये मुक्ति मेवारे, गाथा-६. ११. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. ६अ-६आ, पूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-९ तक है.
मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: नवपद महिमा सांभळो; अंति: (-). १२. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ९अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा-६ अपूर्ण तक नहीं है.
मु. दोलतराम, मा.गु., पद्य, वि. १८५२, आदि: (-); अंति: जेपुर में गुण गायाजी, गाथा-८. १३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ९अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: तुही तुही याद आवे; अंति: गुण गावेरे दरद मे, गाथा-४. १४. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. कनकसौभाग्य शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: जीरे मारे श्रीसीमंदर; अंति: भावसुंजी रेजी, गाथा-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१५९ १५. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ९आ, संपूर्ण.
मु. चमनकुसल, मा.गु., पद्य, आदि: सीमंदीरजी प्यारा; अंति: दुजो दाय न आवे रे, गाथा-५. १६. पे. नाम. आत्मोपदेश सज्झाय, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: हुं तो प्रणमुं सदगुर; अंति: नीत आनंदघन सुख दाई,
गाथा-१०. १७. पे. नाम. काया उपरी थोइ, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
__ शांतिजिन पद, मा.गु., पद्य, आदि: वनिता विनवे प्रीतम; अंति: रत्नधाम अविकारी जी, गाथा-४. १८. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदु वीरजीनेसरनो चरी; अंति: जय कहे सदाइ संगट हरे, गाथा-४. २८२००. स्तुति संग्रह व श्लोक, अपूर्ण, वि. १९६२, आश्विन शुक्ल, ४, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १६-३(१,५ से ६)=१३, कुल पे. २१,
प्रले. मु. दानमल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१३, १०-११४२३-३६). १. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. २अ-२आ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., प्रथम गाथा अपूर्ण से है.
सं., पद्य, आदि: (-); अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. २. पे. नाम. संसारदावानल स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आ. हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., पद्य, आदि: संसारदावानलदाहनीरं; अंति: देहि मे देवि सारम्, श्लोक-४. ३. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: निवारो संघतणा निशदिश, गाथा-४. ४. पे. नाम. पाक्षिक स्तुति-स्नातस्या, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-२ अपूर्ण तक है.
मु. पुण्यरुचि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपास जिणेसर पुजा; अंति: (-). ६. पे. नाम. शांतिजिन स्तुति, पृ. ७अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-२ से है.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सांभलो ऋषभदासनी वाणी, गाथा-४. ७. पे. नाम. सुखडीरी थुई, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण..
साधारणजिन स्तुति, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चंपक केतकी पाडल जाई; अंति: तुसे देवी अंबाई, गाथा-४. ८. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण.
श्राव. ऋषभदास , मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेāजो तीरथ; अंति: पाय ऋषभदास गुण गाय, गाथा-४. ९. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
मु. उत्तमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धचक्र सेवो; अंति: सुखदाई उतम सिस सवाइ, गाथा-४. १०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. १०अ-११अ, संपूर्ण,
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर मुझनै; अंति: शांतिकुशल सुखदाता जी, गाथा-४. ११. पे. नाम. पजुषण स्तुति, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व स्तुति, मु. बुधविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर अतिअलवेसर; अंति: विबुधविजय जयकारी जी,
गाथा-४. १२. पे. नाम. दीपावलीपर्व स्तुति, पृ. ११आ-१३अ, संपूर्ण.
मु. रत्नविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सासननायक श्रीमहावीर; अंति: द्यो सरसति वर वाणी, गाथा-४. १३. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन स्तुति, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, मु. महिमारुचि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेसर पास जिणंद; अंति: द्यो दोलति मुज माई,
गाथा-४. १४. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करी जस आगल; अंतिः तपथी कोड कल्याणजी, गाथा-४. १५. पे. नाम. रोहिणीतप स्तुति, पृ. १४अ १४आ, संपूर्ण
मु. लब्धिरूचि, मा.गु., पद्य, आदि जयकारी जिनवर वासपूज; अंति देवी लब्धिरूची जयकार, गाथा ४. १६. पे. नाम चोधतिथि स्तुति, पृ. १४-१५अ संपूर्ण
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः सरवारथसिद्धी चवी; अंति: नय घरी नेह निहालतो, गाथा ४. १७. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. १५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी अष्ट परमाद; अंति: पालता सुर सानिधि करे, गाथा-४.
१८. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पृ. १५-१५आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि आगे पूरव वार नीवाणु; अंतिः कारिज सिद्धि हमारीजी, गाथा ४.
१९. पे. नाम सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १५आ १६अ, संपूर्ण.
मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेशर अति अलवेसर; अंति: सानिध करज्यो मायजी, गाथा-४. २०. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण.
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क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंतिः ए सफल करो अवतार तो, गाथा ४. २१. पे. नाम. लोक संग्रह, पृ. १६ आ, संपूर्ण.
प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि (-); अंति: (-), गाथा- १.
२८२०१. (+) स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७- २ (१,३)= ५, कुल पे. ११, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२४.५x१३.५, १४४२८-३४ ).
१. पे नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है,
सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: जयति स्फुटं, श्लोक - १३, ( पू. वि. प्रारंभिक ८ श्लोक नहीं हैं.) २. पे नाम, वाङमयष्टक स्तोत्र, पृ. २अ २आ, संपूर्ण,
सरस्वतीदेवी अष्टक, सं., पद्य, आदि: जिनादेशजाता जिनेंद्र; अंति: लोका निरस्तानिदानीं, श्लोक - ८.
३. पे नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. २आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: अघहरां वदांसित हंसगा; अंति: (-), (पू. वि. प्रारंभिक श्लोक २ तक है.)
४. पे. नाम. पीठ स्तोत्र, पृ. ४अ - ४आ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
सं., पद्य, आदि (-); अंतिः पूजिता संतु सर्वदा, श्लोक-१७, (पू. वि. प्रथम श्लोक का प्रथम पाद नहीं है.) ५. पे. नाम. सरस्वतीमहालक्ष्मी स्तोत्र, पृ. ४आ - ५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: (१)ॐ ह्रीँ श्री सरस्वती, (२) ओं ह्रीँ ह्रीं जाप; अंति: वरदे शिवसारपद्ये, श्लोक - ६, (वि. श्लोकानुक्रम एकाधिक बार आया है.)
६. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तोत्र, पृ. ५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः ॐ चंद्रप्रभ प्रभाधी; अंतिः दायिनि मे वरप्रदा, श्लोक ५.
७. पे नाम. पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन अष्टक, सं., पद्य, आदिः ओं नमो भगवते; अंतिः शुभगतामपि वांछितानि श्लोक ९.
८. पे. नाम. पंचपष्टजिन स्तोत्र, पृ. ६अ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदिः आदौ नेमिजिनं नौमि ; अंति: मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक - ८.
९. पे नाम, पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ६आ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: स्नातस्मै नम ओं नमो; अंतिः त्वत्पादरक्षां वहेत्, श्लोक - ३.
१०. पे. नाम. जिनपंजर स्तोत्र, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
आ. कमलप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः ओं ह्रीं श्रीं अर्ह; अंतिः श्रीकमलप्रभाख्यः, श्लोक-२५.
११. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, पृ. ७आ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है.
सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस अंति: (-), (पू. वि. प्रथम श्लोक का मात्र प्रथम पाद है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २८२०३. स्तुति, स्तवन व सज्झाय आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९६१, कार्तिक कृष्ण, ३०, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ६,
प्रले. मु. मोहनकीर्ति; पठ. श्राव. भुरालाल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१४, ९४२४). १. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी वंदु ऋषभदेव; अंति: ऋषभदास गुण गाय, गाथा-४. २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: आगे पूरव वार निवाणु; अंति: कारिज सिद्धि हमारीजी, गाथा-४. ३. पे. नाम. रोहिणीतप स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण, पे.वि. कृति के कर्ता लाभरूची मिलता है.
मु. लब्धिरूचि, मा.गु., पद्य, आदि: जयकारी जिनवर वासपूज; अंति: लाभरूची जेकार, गाथा-४. ४. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर मुझनै; अंति: शांतिकुशल सुखदाता जी, गाथा-४. ५. पे. नाम. २४ जिन स्तवन, पृ. ३आ-५आ, संपूर्ण.
मु. खेमो ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: पहिला प्रणमुंप्रथमन; अंति: पद लहे पामे सुख अनंत. ६. पे. नाम. भरहेसर सज्झाय, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुयणे सयले, गाथा-१३. २८२०६. दीक्षाविधि, योगविधि, महपतिनिर्णय व विचारसंग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. ४, प्र.वि. *पत्र के
दोनो ओर नंबर है। *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, गु., (१४४११). १. पे. नाम. वडीदीक्षा विधि, पृ. १-५, संपूर्ण.
गु.,प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: सवारे लोच कराववो; अंति: नवकारवाली गुणाववी. २.पे. नाम. अनुयोग विधि, पृ. ६-८, संपूर्ण.
मा.गु.,प्रा.,सं., गद्य, आदि: वडी दीक्षाने आगले; अंति: पच्चक्खाण करवू. ३. पे. नाम. मुहपत्ति निर्णय, पृ. ९-१०, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,हिं., प+ग., आदि: ढूंढिये कहते हैं कि; अंति: उल्टा अर्थ करते हैं. ४. पे. नाम. विविध विचार संग्रह*, पृ. ११-१८, संपूर्ण.
गु.,प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). २८२०७. स्तवन, सज्झाय संग्रह, रास, अतिचारगाथा व प्रतिक्रमणविधि, अपूर्ण, वि. १८१९ शुक्ल, ५, बुधवार, मध्यम,
पृ. १५-९(१ से २,४,६,१० से १४)=६, कुल पे. १२, प्रले. मु. मेघजी; पठ. श्राव. धनपाल संघवी, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२३.५४१४, १४४२९). १. पे. नाम. बुद्धि रास, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा-५६ अपूर्ण तक नहीं है., वि. १८१९.
आ. शालिभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: ते घरि टले क्लेश तो, गाथा-६६. २.पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. वर्धमान, मा.गु., पद्य, आदि: आदेसर अरीहंताजी जगमा; अंति: (अपठनीय). ३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ५अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-३ से है.
मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: पामे कलांणनी कोडी रे, गाथा-६. ४. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंति: मनवंछीत फल लीधोजी, गाथा-८. ५. पे. नाम. चोविशतीरथंकरनो स्तवन, पृ. ७अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-३ से है.
चतुर्विंशतिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: धन माहंत जे थया जती, गाथा-७. ६. पे. नाम. दानशीलतपभावना सज्झाय, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव जिन धरम कीजीय; अंति: ए छे मुगतिदातार, गाथा-६. ७. पे. नाम. पंचाचार अतिचार गाथा, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: नाणम्मि दंसणम्मिअ; अंति: नायव्वो विरियायारो, गाथा-८. ८. पे. नाम. देवसीप्रतिक्रमण विधि, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
प्रतिक्रमण विधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम नवकार कही लोगस; अंति: कहीइ पछे नंदी कहीइ. ९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
मु. भोज, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुपासजिणंद; अंति: पामइ कल्याणनी कोडी, गाथा-११. १०. पे. नाम. नवकार सज्झाय, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, मु. जिनप्रभसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुखकारण भवियण समरो; अंति: प्रभुसुंदरसीस
रसाल, गाथा-१४. ११. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. ९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., मात्र प्रथम गाथा है.
मु. अभयराज, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु प्रणमुजी संभव; अंति: (-). १२. पे. नाम. रत्नसारकुमार रास, पृ. १५अ-१५आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है., गाथा-३०४ अपूर्ण तक नहीं है.
मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १५८२, आदि: (-); अंति: आणी बुद्धि प्रकाश रे, गाथा-३१५. २८२०८. स्तवन, स्तुति व चैत्यवंदन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७२-५६(१ से २६,३५ से ५४,५७ से ५८,६१ से
६८)=१६, कुल पे. २४, जैदे., (२२४१४, १३-१४४२८-३१). १. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. २७अ-२७आ, संपूर्ण.
मु. सुरससि, मा.गु., पद्य, आदि: बाविसमां नेम ते जाणो; अंति: छेल छबिला छोगालां, गाथा-२०. २. पे. नाम. नेमराजिमतीनवभव स्तवन, पृ. २७आ-२९आ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३७, आदि: नेम प्रभु आव्या रे; अंति: पद्मविजय जिनराय, गाथा-१७. ३. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. २९आ-३०अ, संपूर्ण.
आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमि जिनवर अभयंक; अंति: पूरो सयल जगीश रे, गाथा-६. ४. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ३०अ, संपूर्ण..
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: नेमि निरंजन नाथ हमार; अंति: शिवसुंदरी तस वरस्ये, गाथा-५. ५. पे. नाम. पंचासरा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३०आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परमातम परमेसरू जगदीश; अंति: अविचल अक्षय
राज, गाथा-७. ६. पे. नाम. कल्याण पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३१अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-कल्याण, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीकल्याण प्रभु पास; अंति: लक्ष्मी थाय रे,
गाथा-७. ७. पे. नाम. मोरवाडमंडन गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३१आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-मोरवाडमंडन गोडीजी, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७८, आदि: गोडि प्रभू आया रे;
___ अंति: सीवलक्ष्मी गुण गेह, गाथा-५. ८. पे. नाम. भिलडीयाजी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३२अ-३२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-भीलडीयाजी, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७८, आदि: श्रीभिलडीया पास भेट; अंति:
लक्ष्मी० मली हो लाल, गाथा-७. ९. पे. नाम. पाटण खडांकोटडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३२आ-३३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-पाटण पंचासरा, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हे साहीब मेहेर करीने; अंति: लक्ष्मी सुख
मेवा, गाथा-९. १०. पे. नाम. नारंग पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३३अ-३३आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-नारंग, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८३, आदि: प्रभूजी नारंग पास; अंति: लक्ष्मी
गुणखाणी रे, गाथा-९.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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गाथा - १०.
१२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३४अ - ३४आ, संपूर्ण.
मु. सुरससि, मा.गु., पद्य, आदि हां रे मेतो मुरति; अंतिः वाहलो सुख मांगे रे, गाथा - २०.
१३. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. ५५अ, संपूर्ण.
११. पे. नाम. सारंगपुरमंडण पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३३आ-३४अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन - सारंगपुर, मु. मणीउद्योत, मा.गु., पद्य, आदि: सजनी मोरी पाशजिण; अंति: सुं झांझ केवरावो रे,
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पंन्या पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि शासननायक शिवसुखदायक; अंतिः निजपद करी मारा लाल, गाथा ५. १४. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. ५५अ - ५६अ, संपूर्ण.
पंडित, वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिशलानंदन चंदन; अंतिः वीर० पछे देजो आशिष गाथा - ११. १५. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. ५६अ ५६आ, संपूर्ण.
मु. सुरससि, मा.गु., पद्य, आदि: हारे प्रभु त्रिभोवन; अंति: सिव रमणिनां रसीया छो, गाथा - २०.
-
१६. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. ५९अ, संपूर्ण
मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धाचल सिद्ध; अंतिः शिवलक्ष्मी गुणगेह, गाथा - ५. १७. पे. नाम. पार्श्वजिन आरती, पृ. ५९अ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भव भव आरत टालें हमार; अंति: लक्ष्मी देई सुख थायो, गाथा-५. १८. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५९अ - ६०अ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सासन नायक जग जायो; अंतिः शिव लक्ष्मी वरीजे, गाथा १६. १९. पे. नाम बीजतिथि स्तुति, पृ. ६० आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिन सकल मनोहर बीज; अंतिः कहे पुरो मनोरथ माव, गाथा-४, २०. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ६९अ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्म, वि. १८७८, आदि; चालो सखी सिद्धाचल; अंति: रूप लक्ष्मी सुखमेवा, गाथा- ९. २१. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ६९-७०आ, संपूर्ण.
१६३
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जी रे मारे श्रीसिद्ध; अंति: सिव सुलक्ष्मी पामी, गाथा - ९.
२२. पे. नाम. १०८ नामगर्भित शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ७०आ-७२अ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन १०८ नाम गर्भित, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धाचल भेटीयें; अंति: लक्ष्मी गुणखाण रे, गाथा - २१.
२३. पे. नाम. पुंडरीकगणधर स्तवन, पृ. ७२अ - ७२आ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्म, आदिः आज सफल दिन उग्यो हो; अंतिः सेवक सुखिया थाय, गाथा-६, २४. पे. नाम. पुंडरीकगिरितीर्थं स्तवन, पृ. ७२आ, पूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है, मात्र अंतिम पद नहीं है.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन- पुंडरीकगिरि, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोरठ देस सोहामणो; अंति: ( - ). २८२०९. दोहरा संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १६६ - १५७ (१ से १४८, १५० से १५२, १५७ से १५८,१६० से १६३) = ९,
कुल पे. ९, जैदे., (२३x१४.५, १९ - २०x१६ - १७).
१. पे. नाम. ब्रह्मउपदेशपच्चीसी, पृ. १४९अ - १४९आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा - १७ अपूर्ण तक नहीं है. पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: जिन आगम पर्साद, गाधा- २८.
२. पे नाम. सुपंथकुपंथपच्चीसी, पृ. १४९आ- १५४अ, अपूर्ण, पू. वि. बीच के पत्र नहीं है., गाथा ३ अपूर्ण से १९ तक नहीं है.
मु. विवेक, पु,ि पद्य, आदिः केवलग्यान सरूप में; अंतिः विवेक लहीये आतम रिध, गाथा - २७. ३. पे. नाम. मोहभ्रमाष्टक, पृ. १५४ १५६अ, संपूर्ण.
मु. विवेक, पुहिं., पद्य, आदिः परम पूज्य सरवम्ब है; अंतिः विवेक० निर्मल चित्त, गाथा - ११. ४. पे नाम. आश्चर्यचतुर्दशी, पृ. १५६अ - १५६आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं, गाथा-५ अपूर्ण तक है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पुहि., पद्य, आदि: नमौं पदारथ सार कौ; अंति: (-). ५. पे. नाम. पुण्यपाप अवस्था वर्णन, पृ. १५९, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-२ अपूर्ण से है.
पुहि., पद्य, आदि: (-); अंति: जीव नर्कमैं परतु हैं, गाथा-६. ६. पे. नाम. जगवासी वर्णन, पृ. १५९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
पुहिं., पद्य, आदि: चमके शरीर मांहि वसत; अंति: (-). ७. पे. नाम. २२ परीसह वर्णन, पृ. १६४अ-१६४आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है., पे.वि. गाथा-९ अपूर्ण
से गाथा-१४ अपूर्ण तक है.
२२ परिसह वर्णन, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ८. पे. नाम. नवतत्त्व वर्णन दोहा, पृ. १६६अ-१६६आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा-२० अपूर्ण तक नहीं
है. पत्र चारों और खंडित है. ___ पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: मोक्ष तत्व सौ जानि, गाथा-३४. ९.पे. नाम. नाममाला सूचनिका, पृ. १६६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., मात्र प्रारंभ ही है.
__ पुहि., पद्य, आदि: भाव पदारथ समय धन; अंति: (-). २८२१२. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. ८, जैदे., (२४.५४१४.५, १४-१७४२८-३०). १. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: द्वारिकानयरी समोसर्य; अंति: घणो पामीये मंगल घणो, ढाल-३. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन-छट्ठाआरानु, पृ. ३आ-६अ, संपूर्ण. श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणंद पाय नमी; अंति: देवीदास संघमंगल करो, ढाल-५,
गाथा-६६. ३. पे. नाम. औपदेशिक श्लोक, पृ. ६अ, संपूर्ण, ले.स्थल. रामसेणनगर, प्रले. मु. गजेंद्रविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., पद्य, आदि: कर उपर माला फिरे; अंति: वो भी समरण नांह, गाथा-१. ४. पे. नाम. शाश्वतजिनबिंब स्तवन, पृ. ६आ-९अ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता मन धरि; अंति: जपइ सार ए अधिकार ए, ढाल-६, गाथा-६०. ५.पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ९आ, संपूर्ण, वि. १८४४, प्रले. पं. नायकविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गिरुआ रे गुण तुम; अंति: तुं जीवजीवन आधारो रे, गाथा-५. ६. पे. नाम. गर्भावास सज्झाय, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण..
मु. खिमा, पुहिं., पद्य, आदि: गर्भावासे चिंतवेए; अंति: मांणक भर्या समांदकै, गाथा-१०. ७. पे. नाम. आत्मा सज्झाय, पृ. १०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-परदेशीजीव, मु. राजसमुद्र, पुहिं., पद्य, आदि: इक काया अरु कामनी; अंति: स्वारथ को
संसार, गाथा-५. ८. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. कान कवि, मा.गु., पद्य, आदि: महाविदेह क्षेत्रनो; अंति: गुण गाउ नीत ताहराजी, गाथा-७. २८२१३. वास्तुशास्त्र, वास्तु तिलक आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २०+१(४)=२१, कुल पे. ९, दे., (२५.५४१४,
१२४३५-३६). १. पे. नाम. वास्तुसार, पृ. १आ-१६अ, संपूर्ण.
__रूपमंडन, सूत्रधार मंडन, सं., पद्य, आदि: विश्वरूपं नमस्कृत्य; अंति: मंडनं रूपपूर्वकम्, अध्याय-६. २. पे. नाम. तोरणप्रमाण-क्षारार्णवग्रंथे, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
तोरणप्रमाण-क्षीरार्णवग्रंथे, सं., पद्य, आदि: तथा तोरणं वक्षे; अंति: कुर्याद्विचक्षणैः, श्लोक-१३. ३. पे. नाम. औषध संग्रह", पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण. __मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ५. पे. नाम. ज्योतिष श्लोक संग्रह, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण.
ज्योतिष संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). ६. पे. नाम. २४जिनशासनदेवी नाम, पृ. १८अ, संपूर्ण.
२४ जिन शासनदेवी नाम, सं., गद्य, आदि: चक्रेश्वरी रोहिणी; अंति: पद्मावती सिद्धायिका. ७. पे. नाम. २४ कंबिवायादेव नाम, पृ. १८अ, संपूर्ण.
२४ कंबिवाय देवनाम, सं., गद्य, आदि: इशावाय विश्वकर्मा; अंति: प्रद्युम्न अनिरुद्ध. ८. पे. नाम. छंदगण बोध, पृ. १८अ, संपूर्ण.
छंदबोधक चिह्न, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ९.पे. नाम. वास्तुतिलक-परिच्छेद १ से २, पृ. १८आ-२०आ, संपूर्ण, पे.वि. यत्र-तत्र पाठ त्रुटित है.
वास्तुतिलक, सं., पद्य, आदि: चन्द्रश्वेतातपत्रान्; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २८२१४. पद्मावती यंत्र, कल्पमंत्र, पूजन विधि, छंद, अष्टक व अष्टकवृत्ति, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. १५, कुल पे. १०,
दे., (२५४१५, २४४४२). १. पे. नाम. पद्मावतीदेवी यंत्र संग्रह, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, पे.वि. यंत्र-२.
पद्मावतीदेवी यंत्र, सं., यं., आदि: (-); अंति: (-). २. पे. नाम. पद्मावती कल्प, पृ. २अ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी कल्प, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं पद्मावति; अंति: कार्या दोषसंग्रहः. ३. पे. नाम. पद्मावती मंत्र, पृ. २अ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी मंत्र, सं., गद्य, आदि: ॐ आँ क्रॉ ही ए; अंति: प्रभृति दोषानेटना. ४. पे. नाम. पद्मावतीपूजन विधि, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण.
मु. इंद्रनंदि, सं., गद्य, आदि: ॐ नमो भगवते; अंति: स्वहदि स्थापयेत्. ५. पे. नाम. रक्तपद्मावतीवृद्धपूजन विधि, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण. पद्मावती-रक्तवर्णीय पूजनविधिवृद्ध, सं., गद्य, आदि: पूग ४०० पत्र ४००; अंति: लक्षजापात्सारस्वतं, (वि. यन्त्र
सहित.) ६. पे. नाम. पद्मावतीदेवी चतुष्पदिका, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण. पद्मावतीदेवी चौपाई, आ. जिनप्रभसूरि, अप., पद्य, वि. १४वी, आदि: श्रीजिनशासन अवधारि; अंति: भवण
जिणप्पहसूरि, गाथा-३७. ७. पे. नाम. पद्मावती कल्प, पृ. ५अ-७आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी कल्प, सं., गद्य, आदि: ओं ह्रीं क्लीं पद्म; अंति: तां नमाम्यहं. ८. पे. नाम. पद्मावती स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी अष्टक, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: स्तुता दानवेंद्रैः, श्लोक-९. ९. पे. नाम. पद्मावती स्तुति- क्षेपककाव्य, पृ. ८अ, संपूर्ण..
पद्मावती स्तोत्र-क्षेपक, सं., पद्य, आदि: गर्जभीरदगर्भ निर्गत; अंति: रक्ष मां देवि पद्म, श्लोक-३. १०. पे. नाम. पद्मावतीअष्टकवृत्ति, पृ. ८अ-१५आ, संपूर्ण. पद्मावतीदेवी अष्टक-पार्श्वदेवीय वृत्ति, ग. पार्श्वदेव, सं., गद्य, आदि: प्रणिपत्यं जिनं देवं; अंति: छंदसांप्रायः,
ग्रं.५००. २८२१६. सज्झाय व शत्रुजय दूहा आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १२, कुल पे. ९, जैदे., (२५.५४१४.५,
१४-१५४२८-३०). १. पे. नाम. उपदेश स्तवन, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: जीव के ताहरी उतम; अंति: भक्ते भवपार उतारो, गाथा - २५. २. पे. नाम. ककावत्रीसी, प्र. २आ-४अ संपूर्ण.
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मु. जिनवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: कका करमनी वात करी; अंतिः जीव मुनिस्वर इम भणे, गाथा-३३. ३. पे. नाम. आलोयणाछत्रीसी, पृ. ४अ - ५आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६९८, आदिः पाप आलोओ छु आपणां; अंति: आलोयण छतिसि उछांहिं,
गाथा - ३६.
४. पे नाम, पृथ्वीचंद्रमुनि सज्झाय, पृ. ५आ-८आ, संपूर्ण
पृथ्वीचंद्रगुणसागर सज्झाय, मु. जीवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सासननायक सुखकर अंतिः जीवविजय धरे
ध्यान, ढाल - ३.
५. पे नाम. हितशिक्षा स्वाध्याय, पृ. ८आ-१०अ, संपूर्ण.
अमृतवेल सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन ज्ञान अजुवालीए; अंति: लहे सुयश रंग रेल रे, गाथा - २९.
६. पे. नाम. खंधकमुनि सज्झाय, पृ. १०अ ११अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नमो नमो खंधक महामुनि; अंतिः सेवक सुखियां कीजे रे, ढाल - २. ७. पे. नाम घडपण सज्झाय, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि; घडपण तुझ केणे तेडिओ; अंति: रुपविजय गुण गाय, गाथा - ७. ८. पे. नाम, सिखामण सझाय, पृ. ११अ ११९आ, संपूर्ण.
अभव्य सज्झाय, मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि उपदेश न लागे अभव्यने; अंति: उदय० संग निदान रे, गाथा- ७. ९. पे. नाम. २१ खमासण दुहा शत्रुंजयतीर्थ, पृ. ११आ - १२आ, पूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
शत्रुंजयतीर्थ २१ खमासमण दुहा, मु. शुभवीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धाचल समरुं सदा; अंति: (-), (पू.वि. गाथा - २७ (खमासमण - १३) तक है.)
२८२१७. चैत्यवंदन व स्तोत्र संग्रह, पूर्ण, वि. १९२७, वैशाख शुक्ल, ४, मध्यम, पृ. १०-१ (३) ९, कुल पे. २६, ले. स्थल, वृषभपूर, प्रले. पं. प्रविणसागर (गुरुग, देवसागर); पठ. श्राव कीसनचंद भगवान, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२४.५x१३, ११-१४x२७ - ३० ).
१. पे. नाम. आदिजिन चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि आदिदेव अरिहंत नमु; अंति: आदिदेव महिमा घणो, गाथा - ३.
२. पे. नाम. अजितजिन चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: अजितनाथ अवतार सार; अंति: अजितनाथ जिन नित जपुं, गाथा ३. ३. पे. नाम. संभवजिन चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदिः संभवजिन सुकमाल सील; अंतिः संभव जिन सेवो सदा, गाथा-३, ४. पे. नाम. साधारणजिन चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जंबुद्वीप जिणेसर; अंति: प्रभु दीठां नेणेह, गाथा - २.
५. पे नाम, पंचपरमेष्ठिगुणगर्भितजिन चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण,
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साधारणजिन चैत्यवंदन- पंचपरमेष्ठिगुणगर्भित, आ. नयविमल, मा.गु., पद्य, आदिः बारे गुण अरिहंतना; अंतिः तणो नय कहे जगसार, गाथा - ३.
६. पे नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन- चिंतामणी, पृ. २अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन - चिंतामणि, सं., पद्य, आदि: पार्श्वनाथ नमस्तुभ्य; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. मात्र पहली गाथा है. )
७. पे नाम, साधारणजिन प्रार्थना स्तुति, पृ. २अ संपूर्ण,
साधारणजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: नेत्रानंदकरी भवोदधि; अंतिः श्रेयस्करो देहीनम्, श्लोक-१.
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८. पे. नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. २अ २आ, संपूर्ण
मु. हर्षविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पूर्व दिसि इशांनकुंण; अंति: द्यो पुरो संघ जगीश, गाथा-८.
९. पे नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण
उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: श्रीसीमंधर वीतराग; अंति: विनय धरे तुम ध्यान, गाथा - ३. १०. पे नाम, शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. २आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तिर्थंकर आदि; अंति: ( - ), ( पू. वि. प्रारंभ मात्र है. ) ११. पे. नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. ४अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
सं., पद्य, आदि: (-); अंति: तत्शांतिकारं कृतं मे, श्लोक - ८, ( पू. वि. गाथा- २ से है. )
१२. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिनयंत्र स्तोत्र, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि आदौ नेमिजिनं नौमि अंतिः मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक - ८. १३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ४आ- ५अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः प्रणमामि सदा प्रभु अंतिः पार्श्वजिनोत्तमम्.
१४. पे. नाम. साधारणजिन चैत्यवंदन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
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आ. मुनिसुंदरसूरि, सं., पद्य, आदि: जयश्रीजिनकल्याणवल्लि; अंतिः तद्वितराचिरान्ममापि, श्लोक-६. १५. पे. नाम. साधारणजिन स्तव, पृ. ५आ - ६अ, संपूर्ण.
आ. जयानंदसूरि, सं., पद्य, आदि देवाः प्रभो यं; अंतिः भावं जयानंदमयप्रवेया, लोक- ९.
१६. पे. नाम, पंचतीर्थींजिन स्तोत्र, पृ. ६अ, संपूर्ण.
पंचतीर्थजिन स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: प्रणतमानवदानवनायकः अंतिः द्रव्यदाने धनेंद्रा, श्लोक ६. १७. पे. नाम. पार्श्वजिनअष्टक, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
श्लोक- ९.
पार्श्वजिन अष्टक, मु. मोटा ऋषि, सं., पद्य, आदि: श्रीमल्लिकाभ्रमर; अंति: निश्चितं सदा, १८. पे. नाम. त्रिलोक्य स्तवन, पृ. ७अ - ७आ, संपूर्ण.
श्लोक-१०.
तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: सद्भक्त्या देवलोके; अंतिः सततं चित्तमानंदकारि, १९. पे नाम. सिद्धचक्र विजय स्तवनं पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
सिद्धचक्र चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, प्रा., पद्य, आदिः उपन्नसन्नाणमहोमयाणं; अंतिः सिद्धचक्कं नमामि,
गाथा - ६.
२०. पे नाम, सीमंधरजिन स्तोत्र, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
आ. रूपसिंह, सं., पद्य, आदि अनंत कल्याणकरं; अंतिः तेषां वर साधुरूपा, श्लोक ५.
२१. पे नाम, सिद्धशैल स्तव, पृ. ८आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ जगंनाथ विमला; अंति: शासनं ते भवे भवे, श्लोक - ५. २२. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ८आ९आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, सं., पद्म, आदिः किं कर्पूरमयं सुधारस; अंतिः बीजं बोधचीजं ददातु श्लोक-११. २३. पे. नाम. पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, पृ. ९आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेतुंजय ऋषभदेव; अंतिः प्रणमीये मंदर गिरधीर, गाथा- १.
२४. पे नाम, २४जिन निर्वाणस्थल चैत्यवंदन, पृ. ९आ, संपूर्ण
२४ जिन निर्वाणस्थल चैत्यवंदन, पं. सुधनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टापद मुगते गया; अंतिः सुधन० प्रणमीजे मनरंग, गाथा - ३.
२५. पे. नाम. साधारणजिन चैत्यवंदन, पृ. ९आ - १०अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि; चउजिन जंबूद्वीपमा अंतिः शिर धरीये शुभ आण, गाथा-३. २६. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. १०अ, संपूर्ण.
क. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: बंदु पासजिणंद जिण; अंतिः समय सानीध कीध, गाथा- ३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८२१८. (+) श्लोक संग्रह, ३३ आशातना व उत्तराध्ययन के ३६ अध्ययन नाम, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ४,
प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२४.५४१३, १३४२९-३५). १. पे. नाम. दृष्टिगूढ श्लोक संग्रह, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, आदि: शरीरविगताकारं; अंति: दक्षिणो देवदेशः, श्लोक-८०. २. पे. नाम. षोडशशृंगार श्लोक, पृ. ४आ, संपूर्ण.
१६ शृंगार नाम, सं., पद्य, आदि: आदौ मज्जनचारुचीरतिलक; अंति: शृंगार पुंषोडशः, श्लोक-१. ३. पे. नाम. ३३ आशातना विचार, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण.
३३ आशातना गुरुसंबंधी, मा.गु., गद्य, आदि: जिण थकी ज्ञान० गुरुन; अंति: ते विनयवंत कहिये. ४. पे. नाम. उत्तराध्ययनसूत्र-३६ अध्ययन नाम, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
उत्तराध्ययनसूत्र-३६ अध्ययननाम, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलौ विनय अध्ययन; अंति: एवं ३६ नाम जाणवा. २८२१९. स्तवन, लावणी व सवैया संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. १३, जैदे., (२६४१३, ११४३३-३८). १. पे. नाम. लालजी महाराज सज्झाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. लालजी महाराज स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १९५९, आदि: सुमत गुपतधार निरदोस; अंति: रूपचंद०
करी परमाण, गाथा-१७. २. पे. नाम. मनालाल लावणी, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण. मन्नालाल लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहिं., पद्य, वि. १९६०, आदि: मन्नालालजी महातपधारी; अंति: आवड०
षटकाया के पीर, गाथा-६. ३. पे. नाम. सिरदारकँवरजी महासती लावणी, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण. मु. आवड महात्मा, पुहिं., पद्य, वि. १९६०, आदि: मासती सिरदारकवर्जी; अंति: आवड० जोड करी अतिरसाल,
गाथा-५. ४. पे. नाम. बालचंदजी महाराज स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण. बालचंदजी महाराज लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहि., पद्य, आदि: मनालालजी के इग्याकार; अति: आवड०
चरन कमल बलिहारी, गाथा-९. ५. पे. नाम. आदिजिन लावणी, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. आवड महात्मा, पुहिं., पद्य, आदि: सीस नमाके करुं वीनती; अंति: काज आज में जस गाउं, गाथा-४. ६. पे. नाम. लालजी महाराज सज्झाय, पृ. ६अ-७अ, संपूर्ण. ___ पुहिं., पद्य, वि. १९५९, आदि: पुज पधार्या आप हुआ; अंति: ध्यान कर चितचाया, गाथा-४. ७. पे. नाम. नेमनाथजी लावणी, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती लावणी, मु. कनीराम, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु नेमीनाथ; अंति: कनी० नाम ले चितधारी, गाथा-५. ८. पे. नाम. अरिहंतगुण सवैया, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, रा., पद्य, आदि: असोकवृक्ष और फटिक; अंति: इसी तरे सुविराजता, गाथा-१. ९. पे. नाम. १८ दूषणरहित अरिहंतगुण सवैया, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. हीरालाल, पुहि., पद्य, आदि: कहु देव अरिहंत अढार; अंति: यामे एक ना पावत है, गाथा-१. १०. पे. नाम. वीहरमान २०जिन सवैया, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
विहरमान २०जिन सवैया, ऋ. हीरा, पुहिं., पद्य, आदि: सीमंधर युगमंधर बाहु; अंति: हीरा कहे सत है, गाथा-१. ११. पे. नाम. चौवीसजिन सवैया, पृ. ८आ, संपूर्ण.
२४ जिन सवैया, मु. हीरालाल, मा.गु., पद्य, आदि: उसभ अजित संभव; अंति: इम कहे पामे सुख अनंत, गाथा-१. १२. पे. नाम. चौवीसजिन सवैया, पृ. ८आ-९आ, संपूर्ण.
२४ जिन सवैया, मु. कनीराम, पुहिं., पद्य, आदि: चोवीसे जिन सेव देव; अंति: अविनासी पार कुन पाता, गाथा-५. १३. पे. नाम. करमचंदजी महाराज लावणी, पृ. ९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-२ अपूर्ण तक है.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
___ पुहि., पद्य, आदि: रंगत चीण मुलक पर चढे; अंति: (-). २८२२०. (+) महावीरजिन व शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १७, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४१२.५,
१७-१८४३९-४५). १.पे. नाम. महावीरजिन विज्ञप्ति स्तवन, पृ. १अ-१६अ, संपूर्ण, वि. १८७७, श्रावण शुक्ल, ८, ले.स्थल. वालोचर,
प्रले. मु. कमलसागर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य. महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३३,
आदि: प्रणमी श्रीगुरुना पय; अंति: आणा सिर वहेस्येजी, ढाल-६, गाथा-१४८. २. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, पृ. १६अ-१७आ, संपूर्ण. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३४, आदि: शांति जिणेसर केसर; अंति: वाचक जसविजय सिरि
लही, ढाल-६. २८२२१. स्तुति, चैत्यवंदन, स्तवन, सज्झाय व पद संग्रह, पूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १६-१(२)=१५, कुल पे. २३, दे.,
(२५४१२, ५-९४१६-२१). १. पे. नाम. प्रार्थना स्तुति , पृ. १अ-१आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
सं., पद्य, आदि: दर्शन देवदेवस्य; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१० अपूर्ण तक है.) २. पे. नाम. पंचमीतिथि सज्झाय, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज दिन पंचमी रे भवी; अंति: ज्योतमां भलीये, गाथा-१०. ३. पे. नाम. अष्टमीतिथि सज्झाय, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति चरणे नमी आपो; अति: देववाचक० भवीयण, गाथा-७. ४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परवराज संवत्सरी दिन; अंति: विनय० परणमीजे पाय, गाथा-३. ५. पे. नाम. पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धुर समरु श्रीआदिदेव; अंति: कमल० तस घर मंगलमाल. ६. पे. नाम. पुरीसादानी पार्श्वजिन चैत्यवंदन , पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन-पुरीसादानी, मा.गु., पद्य, आदि: पुरीसादाणी पासजी जग; अति: आवागमण नीवार, गाथा-३. ७. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन-चिंतामणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीचिंतामणि श्रीपार; अंति: भेटसु सामीजी पुरो आस. ८. पे. नाम. नेमिशांतिजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: हा रे हु तो गइथी जिन; अंति: सुभ लह्या रे लोय. ९. पे. नाम. दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. पद्म, मा.गु., पद्य, आदि: तीस वरस केवलपणे; अंति: पामे रीधी विशेष. १०. पे. नाम. पंचतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. ८अ, संपूर्ण.
पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत देवा चरणोनी; अंति: जो तुम पाय सेवा, गाथा-४. ११. पे. नाम. नवपद चैत्यवंदन, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण..
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोडीप्रभु पासजी; अंति: प्रगटे केवलनाण. १२. पे. नाम. देवानंदा सज्झाय, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
उपा. सकलचंद्र गणि, पुहिं., पद्य, आदि: जिनवर रूप देखी मन; अंति: भवसागर निस्तारा, गाथा-१३. १३. पे. नाम. आदिजिन चैत्यवंदन, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेव॒जो सीणगार; अंति: आराधीए आगम वाणी वनीत, गाथा-३. १४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु सूदेव आददेव; अंति: प्रवचन वाणी विनीत, गाथा-३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १५. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कलपतरु वली कलपसूत्र; अंति: उपना त्रीने वीनीत, गाथा-३. १६. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सूपनविध के सूत होसे; अति: वाणी वीनीत रसाल, गाथा-३. १७. पे. नाम. महावीरजिन चैत्यवंदन, पृ. ११आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जीन की बेनी सूदसणा; अंति: सूणजो एके चीत, गाथा-३. १८. पे. नाम. दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज माहरे दीवाली; अंति: रात दीसे अजूवाली रे, गाथा-३. १९. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १२अ-१३आ, संपूर्ण.
मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गौतम बोले ग्रंथ; अंति: संघने विघन निवारी, गाथा-४. २०. पे. नाम. जिरावली-पार्श्वजिन स्तुति, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन स्तुति-जीरावला, मु. वीरमुनि, मा.गु., पद्य, आदि: पास जीरावलो पुजी; अंति: राखे सासणादेवी सतीव,
__ गाथा-४. २१. पे. नाम. दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, पृ. १४अ-१५अ, संपूर्ण.
मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मगददेस पावापुरी; अंति: मेरुविजय मन वाल, गाथा-९. २२. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १५अ, संपूर्ण.
मु. वीनीत, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिनेसर नेमनाथ; अंति: वंदु सदा वीनीत, गाथा-३. २३. पे. नाम. जिनमंदिरदर्शनफल चैत्यवंदन, पृ. १५अ-१६आ, संपूर्ण.
मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु श्रीजिनराजने; अंति: प्रभु सेवाना कोड. २८२२२. (+) स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-४(१ से ४)=६, कुल पे. ७,प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४१२, ११-१३४२९-३०). १. पे. नाम. पार्श्व स्तुति, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तव-शृंखलाबंध, मु. जैनचंद्र, सं., पद्य, आदि: सर्वदेवसेवितपदपद्म; अंति: मुक्तालतावन्मुदे, श्लोक-७. २. पे. नाम. चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण.
चिंतामणिपार्श्वजिन स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: बीज बोधिबीजं ददातु, श्लोक-११. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयमंडन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तव-शत्रुजयतीर्थमंडन, उपा. यशोविजयजी गणि, सं., पद्य, आदि: आदिजिनं वंदे गुणसदनं; अंति:
वितनोतु सतां सुखानि, श्लोक-६. ४. पे. नाम. वीतराग स्तव, पृ. ७अ-९अ, संपूर्ण.
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५. ५.पे. नाम. जिनप्रतिमा स्तोत्र, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण सव्वजिणे सिद्ध; अंति: भवविरह कुणउ भव्वाणं, गाथा-७. ६.पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहगर्भित, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति: गहा न पीडति, गाथा-१०. ७. पे. नाम. १०८ नाम पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-अष्टोत्तरशतनाममय, आ. सिद्धसेनसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वनाथाय नमो; अंति: प्राप्नोति
सश्रियाम्, श्लोक-३३. २८२२३. (+) पर्वव्याख्यान संग्रह व मौनपारवा विधि, संपूर्ण, वि. १९३८, श्रेष्ठ, पृ. ३७, कुल पे. ९, ले.स्थल. अर्गलपुर,
प्रले. मु. रणधीरविजय; पठ. सा. रूपश्रीजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४१२, ७-१४४३१-३४).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १. पे. नाम. चातुर्मासिक व्याख्यानत्रय, पृ. १आ-१३अ, संपूर्ण. चातुर्मासिक व्याख्यान, मा.गु., प+ग., आदिः (१)प्रणम्य परमानंद, (२)अहो भविक लोको सांभलौ; अंति: तिनौ
चौमासी जाणवी. २. पे. नाम. मेरुतेरस महिमा, पृ. १३अ-१८आ, संपूर्ण.
मेरुत्रयोदसी व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदि: जिम श्रीमहावीरस्वामी; अंति: पर भवै सुख पामें. ३. पे. नाम. वरदत्तगुणमंजरी कथा, पृ. १८आ-२२अ, संपूर्ण.
ज्ञानपंचमीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदिः (१)ज्ञानं सारं सर्व, (२)ज्ञान ते संसार माहि; अंति: अनंत सुख पाम्या. ४. पे. नाम. कार्तिकपूनम व्याख्यान, पृ. २२अ-२५अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु., गद्य, आदिः (१)सिद्धो विज्जाय चक्की, (२)अहो भव्य जीवौ पाप; अंति: जीव आपरो जनम सफल करै. ५. पे. नाम. आखात्रीज व्याख्यान, पृ. २५अ-२७आ, संपूर्ण. अक्षयतृतीया व्याख्यान, रा., गद्य, आदिः (१)प्रणिपत्य प्रभू, (२)उसभस्सय पारणए इक्खु; अंति: ज्यु मंगलमाला
संपजै. ६.पे. नाम. मौनएकादशीपर्व व्याख्यान, पृ. २७आ-३१आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (१)अभिनवमंगलमालाकरणं, (२)श्रीवीर प्रतें गोतम; अंति: सासता सुख पामें. ७. पे. नाम. मौनपारवा विधि, पृ. ३१आ, संपूर्ण, वि. १९३८, आश्विन शुक्ल, २, रविवार.
प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: प्रथम इरियावही; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. ८. पे. नाम. होलिका कथानक, पृ. ३२अ-३४आ, संपूर्ण.
होलीकापर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदि: फागुण चौमासी पर्वनें; अंति: मनोवांछित सिद्धि होय. ९. पे. नाम. चैत्रीपूनम व्याख्यान, पृ. ३४आ-३७आ, संपूर्ण, वि. १९३८, नाग शिवनेत्र ग्रह धरा, आश्विन शुक्ल, ५.
चैत्रीपूर्णिमापर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदि: (१)सा चैत्री पूर्णिमा, (२)अहो भव्य जीवो तुमे; अंति: मंगलिकमाला
संपजै. २८२२५. स्तवन व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २२-३(१० से ११,२१)=१९, कुल पे. १०, जैदे.,
(२५.५४१२, १५४३५-३७). १.पे. नाम. पुण्यप्रकाश स्तवन, पृ. १अ-५आ, संपूर्ण, वि. १८७६, मार्गशीर्ष कृष्ण, १३, ले.स्थल. कमालपुर,
प्रले. पं. सुमतिसोम गणि (लघुपोसालगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. संभवनाथ प्रशाद. उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सकल सिद्धिदायक सदा; अंति: नामे पुण्यप्रकाश ए, ढाल-८,
गाथा-१००. २. पे. नाम. जिनप्रतिमास्थापना सज्झाय, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जिन जिन प्रतिमा वंदन; अंति: किजै तास वखाण रे, गाथा-१५. ३. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ६आ-८अ, संपूर्ण, वि. १८७६, मार्गशीर्ष शुक्ल, १५. __ पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति: जिनविजय जयसिरी वरी,
गाथा-४२. ४. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ८अ-९आ, संपूर्ण.
उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जी हो प्रणमुं दिन; अंति: कहे मानविजय उवज्झाय, ढाल-४. ५. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. ९आ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोलमा श्रीजिनराज; अंति: के पंडित रुपनो लाल, गाथा-७. ६. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणक, पृ. १२अ-१२आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., अंतिम ढाल की
गाथा-१४ अपूर्ण से है., वि. १८७६, पौष शुक्ल, २, रविवार, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७३, आदि: (-); अंति: रामविजय० अधिक जगीसए, ढाल-३. ७. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थउद्धार रास, पृ. १२आ-१७अ, संपूर्ण, वि. १८७६, पौष शुक्ल, ६.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. नयसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १६३८, आदि: विमल गिरिवर विमल; अंति: द्यो दरिशन जयकरो, ढाल-१२. ८. पे. नाम. तमाकुपरिहार सज्झाय, पृ. १७अ-१८अ, संपूर्ण.
मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीतम सेती विनवे; अंति: पामो कोड कल्याण, गाथा-१८. ९. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पृ. १८अ-२०अ, संपूर्ण, ले.स्थल. कमालपुर.
मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसर; अंति: गुणविजय रंगे मुनि, ढाल-६. १०. पे. नाम. नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, पृ. २०अ-२२आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., चोक-५
गाथा २ अपूर्ण से चोक-१० गाथा ३ अपूर्ण तक और चोक-१५ गाथा २ से नहीं है.
मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: एक दिवस वसै नेमकुंवर; अंति: (-). २८२२६. रास, सज्झाय, पद व स्तवनादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १९-५(३ से ५,७,९)=१४, कुल पे. ३७, जैदे.,
(२५.५४१२, १७-२२४४२-५४). १. पे. नाम. नेमिजिन रास, पृ. १अ-२आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
___ मा.गु., पद्य, आदि: संखराजाने जसोमती; अंति: (-). २. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
ऋ. जयमल्ल, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जयमल० संगो को नहीं, गाथा-८, (पू.वि. गाथा-४ अपूर्ण से है.) ३. पे. नाम. मोहमरदनराजा सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मोहमर्दनराजा सज्झाय, श्रावगदास, रा., पद्य, आदि: इंद्र परसंस्या करे; अंति: कहे श्रावगदास, गाथा-२९. ४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: सण सुभअसुभ कीयां घणा; अंति: समर्या सुख पावै हो, गाथा-१३. ५. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. ६आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राज थकी रे अति लोभि; अंति: बाहुबले मुनीराजा जिम, गाथा-८. ६. पे. नाम. दान सज्झाय, पृ. ६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., प्रारंभ के गाथा-२ अपूर्ण मात्र है.
मु. जयैतादास, मा.गु., पद्य, आदि: दान एक मन देह जीवडे; अंति: (-). ७. पे. नाम. सनतकुमारचौढालीयो, पृ. ८अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., प्रले. सा. उदा आर्याजी; पठ. सा. कसुमा,
प्र.ले.पु. सामान्य. सनत्कुमार चौढालियो, मु. कुशलनिधान, मा.गु., पद्य, वि. १७८९, आदि: (-); अंति: चरण नमु सुखकंद ए,
ढाल-४, (पू.वि. ढाल-३ गाथा-६ अपूर्ण से है.) ८. पे. नाम. गजसुकमाल सज्झाय, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
गजसुकुमाल सज्झाय, सेवक, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिन आया वों सोरठ; अंति: कर जोडी सेवग भणे, गाथा-१३. ९. पे. नाम. शीयल सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण.
शीयलव्रत सज्झाय, मु. मोहन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती सेते सामणे; अंति: मोहन आसीस दीजो, गाथा-१८. १०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ८आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-४ अपूर्ण तक है.
मा.गु., पद्य, आदि: पुर्व पोकलावती हो; अंति: (-). ११. पे. नाम. दान सज्झाय, पृ. १०अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाथा-२ अपूर्ण तक नहीं है.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सरग चउथाथी आव्य रे, गाथा-१७. १२. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. जेमल-शिष्य, रा., पद्य, आदि: हारे सूणि पंथीडा; अंति: जेमल प्रसादसु रे, गाथा-१५. १३. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण..
मु. मनरूप, पुहिं., पद्य, आदि: तुमेह दरसन की मेरे; अंति: तार दीनी पल छीन मे, गाथा-४. १४. पे. नाम. नवकार माहात्म्य पद, पृ. १०आ, संपूर्ण..
नमस्कार महामंत्र माहात्म्य पद, पुहिं., पद्य, आदि: नही भुलनाजी श्रीनव; अंति: काच ग्रहे रे गुवार, गाथा-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१७३ १५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: भोले नर समजत क्यूं; अंति: लेनी आत्म ध्यानीया, गाथा-४. १६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: सिद्ध स्वरूप सदा पद; अंति: जनम मिलायो धुले रे, गाथा-५. १७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: सुक्रत विण संपति; अंति: पण त्रसना नहि तोडे, गाथा-५. १८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: तन बस्तर कू रंग लगा; अंति: जिन० लागायो दागो रे, गाथा-६. १९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: अंतर मेल मिट्यो नही; अंति: परखया दुज बरोया रे, गाथा-७. २०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: जन ग्यानी छौडी जानि; अंति: बगत कहसो साची मान, गाथा-५. २१. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. गुणसागर, पुहिं., पद्य, आदि: सवी दुःख टालोगो महा; अंति: अनोपम गुणसागर गंभीर, गाथा-४. २२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, पुहिं., पद्य, आदि: ते मेरा दरद न पाया; अंति: किस गुरने फुरमाया रे, गाथा-५. २३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. रतनचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मानव को भव पायके मत; अंति: रतनचंद० मन आसा रे, गाथा-६. २४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. रतनचंद, रा., पद्य, आदि: थारा फुलसि देहें पलक; अंति: रतनचंद० अभीलाष रे, गाथा-५. २५. पे. नाम. चेलणाराणीचौढालीयो, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण. चेलणाराणी चौढालियो, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: अवसर जे नर अकलेंतो; अंति: रायचंद० हृयज्यो
मोय, ढाल-४. २६. पे. नाम. औपदेशिक श्लोकसंग्रह , पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
औपदेशिक श्लोक संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: किरोध करिने कडवो बोल; अंति: इणहां का संघणि जाणो. २७. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणिक रेवाडी; अंति: वंदे रे बे करजोडि, गाथा-१०. २८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. लाल, पुहिं., पद्य, आदि: मनवा जगत चल्यो जाये; अंति: लाल कहे चीतलाय रे, गाथा-४. २९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: मति कोइ करीयो प्रीति; अंति: मोहे कर्म लो जित, गाथा-३. ३०. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: रे मेरा सायब जाणे; अंति: बेग मिल्यो महावीर, गाथा-२. ३१. पे. नाम. नेमजीनो बारमासो, पृ. १३अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती बारमासो, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माताने मे नमु; अंति: कीरपानाथ रे वाला, ढाल-३, गाथा-१४. ३२. पे. नाम. मेघकुमारचौढालीयो, पृ. १३अ-१५आ, संपूर्ण. मेघकमार चौढालियो, ऋ. लालचंदजी, मा.गु., पद्य, वि. १८७१, आदि: श्रीवीरजिणंद समोसर्य; अंति: मुक्तना सुख
पावसी, ढाल-४. ३३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १५अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति बीच में लिखी गइ है.
रा., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत सीद्ध जाण; अंति: सुख पावे श्रीकार, गाथा-१५.
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१७४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३४. पे. नाम. कका सवैया, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
ककाबत्रीसी, मा.गु., पद्य, आदि: हा हो करे धन हाण ररो; अंति: तात वाजेत राग पीछाणी, गाथा-८. ३५. पे. नाम. आराधकविराधकचौभंगी सज्झाय, पृ. १६अ-१७अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: एक आडी अढाइदीप का; अंति: आगे तेरा इकतार, गाथा-३१. ३६. पे. नाम. पुण्यफल सज्झाय, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
मु. कवियण, पुहिं., पद्य, आदि: दया निरसींगो बाजीयो; अंति: आवागमण निवार रे, गाथा-२२. ३७. पे. नाम. आषाढभूतिचौपाई, पृ. १७आ-१९आ, संपूर्ण, पे.वि. अंत में अनुक्रमणिका दी गई है. आषाढाभूति चौपाई, मु. मानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७३७, आदि: सासणनायक सुरवरूं वंद; अंति: मान० अषाढ
मुनिसरू, ढाल-७. २८२२७. नवपद आराधनविधि, चैत्यवंदन व पूजासंग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२,
१३४४३-४५). १. पे. नाम. नवपद आराधन विधि, पृ. १अ-७अ, संपूर्ण, वि. १९३५, कार्तिक शुक्ल, १४, शुक्रवार, प्रले. मु. रणधीरविजय
(गुरु मु. रत्नविजय); पठ. श्राव. चुनीलाल, प्र.ले.पु. मध्यम.
सिद्धचक्र नमस्कार विधिसहित, मा.गु.,सं., प+ग., आदि: अशोकवृक्ष प्राति; अंति: भावोत्सर्ग तपसे नमः. २. पे. नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति बीच में लिखी गई है. ___ मा.गु., पद्य, आदि: वंदु जिनवर विहरमान; अंति: संपदा करण परमकल्याण, गाथा-३. ३. पे. नाम. नवपद वासक्षेप पूजा, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण, वि. १९३५, मार्गशीर्ष कृष्ण, ८, प्रले. मु. लक्ष्मीविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: अरिहंत पद ध्यातो थको; अंति: कोई नये न अधुरी रे, गाथा-१०. २८२२८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ९, जैदे., (२४४१२, १०४२४-२८). १.पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व लघुस्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन-लघु, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीतप तुमे करो रे; अंति: ज्ञाननो पंचमो
भेद रे, गाथा-५. २. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण.
मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे ठाम धर्म; अंति: कांति सुख पावे घणो, ढाल-२, गाथा-२४. ३. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: विमलाचल नित वंदीये; अंति: लहे ते नर चिर
नंदे, गाथा-५. ४. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
शत्रुजयगिरि स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जात्रा नवाणुं करीये; अंति: पद्म कहै भव तरीयै, गाथा-१०. ५. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. माणेकमुनि, मा.गु., पद्य, आदि: माता मरुदेवीना नंद; अंति: ताहरी टालो भवभय फंद, गाथा-६. ६. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ५अ-६अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: धनधन क्षेत्र महाविदे; अंति: विनवू वीनतडी अवधार, गाथा-९. ७. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो चंदाजी सीमंधर; अंति: वाधे मुज मन अतिनूरो, गाथा-७. ८. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पुक्खलवइ विजया जयो; अंति: भयभंजण भगवंत, गाथा-७. ९. पे. नाम. २४ जिन तीर्थमाला स्तवन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सजय रुषभ समोसर; अंति: समय० तिरथ ते नमुरे, गाथा-८.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २८२२९. छंद, स्तोत्र, स्तवन व सज्झाय आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३३, कुल पे. ४३, जैदे., (२५.५४११.५,
१६४३९-४२). १. पे. नाम. शारदामाताजीनो छंद, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. सारदादेवी छंद, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन समता मन; अंति: आस्या फलस्यें माहरी,
गाथा-३५. २. पे. नाम. गोडी पार्श्वनाथ छंद, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. __ पार्श्वजिन स्तोत्र-गोडीजी, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनमुख पंकज; अंति: उदय सुसेवक तास तणो,
गाथा-७. ३. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन छंद, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वर, मु. लब्धिरूचि, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७१२, आदि: जय जय जगनायक; अंति: लब्धि०
मुदा प्रणम्य, श्लोक-३२. ४. पे. नाम. संखेश्वरजिन छंद, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, ग. कनकरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७११, आदि: सरसति सार सदा बुध; अंति: लतां भविजन
मन सिद्धो, गाथा-२५. ५. पे. नाम. अंतरीक्ष पार्श्वजिन छंद, पृ. ५अ-७अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५८५, आदि: सरस वचन द्यो सरसति; अंति: मन जे
जिनवचने रहे, गाथा-५५. ६. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन छंद, पृ. ७अ-८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदि: सारद नाम सुहामणुं; अंति: सेव करतां
सुख लह्यो, गाथा-३२. ७. पे. नाम. भीडभंजन पार्श्वजिन छंद, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-भीडभंजन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: वारु विश्वमा देस; अंति: तो आज नवनिधि पामी,
गाथा-२५. ८. पे. नाम. माणीभद्रजी छंद, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
माणिभद्रजी छंद, मु. उदयकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सारद वचन द्यो सरसति; अंति: उदय० लाख रीझ आलई. ९. पे. नाम. माणीभद्रजी छंद, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन दें सारदा; अंति: दीप० लछी अती घणी, गाथा-१३. १०. पे. नाम. माणिभद्रवीर छंद, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
पा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सुरपति नित सेवीत सुभ; अंति: माणिभद्र जय जय करण, गाथा-२१. ११. पे. नाम. माणिभद्रवीर छंद, पृ. ११आ-१३अ, संपूर्ण.
आ. शांतिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामनि पाय; अंति: आपो मुझ सुख संपदा, गाथा-४३. १२. पे. नाम. शारदा स्तोत्र, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण. सरस्वतीदेवी छंद, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: शशिकरनिकर समुज्वल; अंति: पुजो नित सरस्वति,
गाथा-१४. १३. पे. नाम. सरस्वतीदेवी स्तोत्र, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: विपुलसौक्षमनंतधनागमं; अंति: दिनं हृदये कमलापति, श्लोक-१५. १४. पे. नाम. पद्मावतीमाताजी छंद, पृ. १४अ-१५अ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी छंद, मु. हर्षसागर, सं.,मा.गु., पद्य, आदि: ॐ कलिकुंडदंड; अंति: हर्ष० पूजो सुखकारणी, गाथा-१२. १५. पे. नाम. पद्मावतिमाताजी स्तोत्र, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी स्तोत्र, मु. शुभरंग, मा.गु., पद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रीं जय; अंति: कर जोडी शुभरंग वीनवे, गाथा-१५.
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१७६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १६. पे. नाम. पंचांगुलीमाता छंद, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: भगवती भारती पय नमी; अंति: पामो अविचल संपदा, गाथा-२६. १७. पे. नाम. कालिकामाता स्तोत्र, पृ. १६आ, संपूर्ण.
गिरधारी, मा.गु., पद्य, आदि: करी सेवना ताहरी मात; अंति: जीवी चरणे सूहाली, गाथा-८. १८. पे. नाम. जीरावला पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १६आ-१८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: जिराउला मंडण श्रीजिन; अंति: भणे० नवनिद्ध
आंगणे, गाथा-३८. १९. पे. नाम. अंतरीक्ष पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-अंतरीक्ष, मु. आनंदवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु पासजी ताहरो; अंति: आनंदवर्धन विनवे,
गाथा-९. २०. पे. नाम. चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १८आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आणी मनसुद्धे आसता; अंति: समयसुंदर०
सुख भरपुर, गाथा-७. २१. पे. नाम. फलवृद्धि पार्श्वनाथजी छंद, पृ. १८आ-१९आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-फलवृद्धि, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: परतापूरण प्रणमीइ अरि; अंति: गुण गीरूओ गोडी
धणी, गाथा-१८. २२. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद, पृ. १९आ-२०अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. नयप्रमोद, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन सुखकारं सार; अंति: पावे मनवांछित सकल,
गाथा-११. २३. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वर, मु. मेघराज, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसकल सार सुरतरु; अंति: मेघ० त्रीभुवन तीलो,
गाथा-५. २४. पे. नाम. शंखेश्वरजिन स्तोत्र, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. विनयशील, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरत श्रीपासतणि; अंति: नवनीधी सदा
आणंद घणे, गाथा-९. २५. पे. नाम. गोडी पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. २१अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: धवल धिंग गोडी धणी; अंति: दुखनी जाल त्रोडी,
गाथा-८. २६. पे. नाम. शंखेश्वरजिन छंद, पृ. २१अ-२१आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो पास शंखेश्वरो; अंति: पास संखेसरो आप तूठा,
गाथा-७. २७. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन छंद, पृ. २१आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरासुर सेवे; अंति: जिनहर्ष अकल अविनास,
गाथा-८. २८. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन छंद, पृ. २१आ-२२अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, ग. कुंअरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी प्रणमे पास; अंति: कुंअरविजयगणी
____ गुणगाया, गाथा-११. २९. पे. नाम. थंभण पार्श्वनाथ स्तुति, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-स्थंभनपुर, मु. अमरविसाल, मा.गु., पद्य, आदि: थंभणपूर श्रीपासजिणंद; अंति: पार्श्वनाथ चोसालो,
गाथा-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ ३०. पे. नाम. केसरीया आदिजिन छंद, पृ. २२आ-२३अ, संपूर्ण. आदिजिन छंद-केसरीया, आ. गुणसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीप्रमोद रंग कारणी; अंति: रीद्धी सिद्धि पाईए,
गाथा-८. ३१. पे. नाम. ऋषभजिन स्तोत्र, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
आदिजिन चैत्यवंदन-चंद्रकेवलिरासउद्धत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत नमो भगवंत; अंति:
___ ज्ञानविमलसूरिस नमो, गाथा-८. ३२. पे. नाम. शेजेजा गीरीवरसंख्या स्तवन, पृ. २३आ-२४आ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन बृहत-शत्रुजय, मु. प्रेमविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीअसयल जिणंद; अंति: ते पामे भव पार
ए, गाथा-२४. ३३. पे. नाम. शांतिनाथ स्तोत्र, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तवन, गु.,सं., पद्य, आदि: सुरराजसमाजनतांद्रि; अंति: भविना भव भय भीतहरम्, श्लोक-९. ३४. पे. नाम. शांतिनाथ छंद, पृ. २५अ-२५आ, संपूर्ण. __ शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारद पाय नमु शिरनामी; अंति: मनवंछित
शिवसुख पावे, गाथा-२१. ३५. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र छंद, पृ. २६अ-२६आ, संपूर्ण.
वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित पूरे विविध; अंति: ऋद्धि वांछित लहे, गाथा-१३. ३६. पे. नाम. शोलसती शीक्षा सज्झाय, पृ. २६आ-२७आ, संपूर्ण. १६ सती सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदि जिनवर; अंति: लेसे सुख संपदा ए,
गाथा-१७. ३७. पे. नाम. हितशिक्षा सज्झाय, पृ. २७आ-२८अ, संपूर्ण.
औपदेशिक छंद, पंडित. लक्ष्मीकल्लोल, मा.गु., पद्य, आदि: भगति भारती चरण नमेव; अंति: रंगथी धरजो
चित्तचोल, गाथा-१६. ३८. पे. नाम. गणेश स्तोत्र, पृ. २८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: नर सुरनायक आदि; अंति: गुणिों नाम गुणेसरा, गाथा-६. ३९. पे. नाम. जीवदयाहितशिक्षा सज्झाय, पृ. २८अ-२९अ, संपूर्ण.
दयापच्चीसी, मु. विवेकचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सयल तीर्थंकर करु रे; अंति: कहे एह विचार, गाथा-२६. ४०. पे. नाम. हितशीखामण सज्झाय, पृ. २९अ-३०अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. विजयभद्र, मा.गु., पद्य, आदि: मंगलकरण नमी जिनचरण; अंति: गर्भावास० नवि अवतरे,
गाथा-२५. ४१. पे. नाम. चउवीशजिन छंद, पृ. ३०अ-३१आ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणमु;
अंति: तास सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. ४२. पे. नाम. अष्टप्रकारीपूजाविधि स्तवन, पृ. ३१आ-३२अ, संपूर्ण, ले.स्थल. पंचासरनगर, पठ. मु. सरुपचंद,
प्र.ले.पु. सामान्य. ८ प्रकारीपूजाविधि स्तवन, मु. प्रीतविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सुवधिनाथनी पूजा सार; अंति: प्रीतविमल० मन
उल्लास, गाथा-१३. ४३. पे. नाम. धुलेवा आदिजिन छंद, पृ. ३२अ-३३आ, संपूर्ण. आदिजिन छंद-धुलेवा, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदि करण आदि जग आदि; अंति: सुरनर सब कीरत
करे.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८२३०. स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८४४, श्रावण शुक्ल, १०, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ४, प्रले. ऋ. गुलाबचंद (गुरु
मु. रायचंद, खरतरगच्छ); पठ. मु. हर्षचंद (गुरु मु. गुलाबचंद ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५, ११४३०-३५). १. पे. नाम. सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय, पृ. १आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि: अजिअंजिअसव्वभयं; अंति: भवे भवे पास जिणचंद, स्मरण-७. २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. ३. पे. नाम. तिजयपहुत्त स्तोत्र, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अठ्ठ; अंति: निब्भंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहगर्भित, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति: गहा न पीडति, गाथा-१०. २८२३१. विचार संग्रह, स्नात्र पूजा आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. १३, जैदे., (२४.५४१०.५,
११४२८-३०). १. पे. नाम. ४९ भांगा, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
प्रत्याख्यान ४९ भांगा, मा.गु., गद्य, आदि: भण जोगना भण करणना; अंति: नही अनुमोदु नही. २. पे. नाम. स्नात्र पूजा विधिसहित, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण. स्नात्रपूजा विधिसहित, पं. वीरविजय, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: सरसशांति सुधारस सागर; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., चौवीशजिन कुसुमांजली गाथा तक लिखा है.) ३. पे. नाम. पच्चक्खाण आगार, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: अनथणा भोगेण १; अति: संपूरण पारवु ते. ४. पे. नाम. काउसग्ग आगार, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: रायाभियोगेणं राय बले; अंति: हालवे बीजे ठांमे जवे. ५. पे. नाम. विगयनिवायाता विचार, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: निज्झंज्झण त्रण घाण; अंति: देई पुडलादि करे ते. ६.पे. नाम. मुहपत्ति पडिलेहण के ५० बोल, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: त्रसकायनी रक्षा करुं. ७. पे. नाम. चौवीस मांडला, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
२४ मांडला, प्रा., पद्य, आदि: आधाडे आसने उच्चारे; अंति: दूरे पासवणे अहियासे. ८. पे. नाम. श्रावक ११पडिमा विचार, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण. श्रावक ११ पडिमा विचार, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदिः (१)दसण वय सामाई पोसह, (२)दसणपडिमा त्रणकाल;
अंति: अभिग्रहव्रत वीसेस. ९. पे. नाम. चौदनियम विचार सह बालावबोध, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
श्रावक १४ नियम गाथा, प्रा., पद्य, आदि: सचित्त दव्व विगइ; अंति: दिसिन्हाण भत्तेसु, गाथा-१.
श्रावक १४ नियम गाथा-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: सचित्त जे माटी पाणी; अंति: पावडादिके० तेनो नियम. १०. पे. नाम. बारव्रत उचरवा विधि, पृ. ८आ-११आ, संपूर्ण.
१२ व्रत विचार, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम समकित ते; अंति: करे तेहने धन्य छैजी. ११. पे. नाम. काउसग्ग दोष, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण. कायोत्सर्ग १९ दोष, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: (१)घोडगलयखभाई, (२)घोडानी परि एकई पगि; अंति: (१)परे होठ
हलावे ते, (२)श्रावक०१५-९-१०-११-१२. १२. पे. नाम. पन्नरकर्मादान विचार, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
१५ कर्मादान विचार, मा.गु., गद्य, आदि: इंगलाकर्म चुला चारी; अंति: तजवा उद्यम करवो.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १३. पे. नाम. ४७ एषणा दोष, पृ. १३अ-१४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., गद्य, आदि: (१)सोलस उग्गमदोसा सोलस, (२)सोल उदगम ते वेनारथी; अंति: (-). २८२३२. स्तोत्र संग्रह, पूर्ण, वि. १९वी, आश्विन कृष्ण, ३, मध्यम, पृ. १०-१(१)=९, कुल पे. ७, ले.स्थल. वगडीनगर, जैदे.,
(२५.५४११.५, १३-१७४४५-४८). १. पे. नाम. नवस्मरण, पृ. २अ-९अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., संतिकर की अंतिम गाथा से है.
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदिः (-); अंति: मोक्ष प्रतिपद्यते, स्मरण-९. २. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ६आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति बीच में लिखी है.
सं., पद्य, आदि: ॐ नमो पार्श्वनाथाय; अंति: पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक-४. ३. पे. नाम. सकलार्हत् स्तोत्र, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: वंदे श्रीज्ञातनंदनम्, श्लोक-३४. ४. पे. नाम. गुरु स्तोत्र, पृ. १०अ, संपूर्ण.
बृहस्पति स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: ॐ बृहस्पतिः सुरा; अंति: सुप्रीत तस्य जायते, श्लोक-५. ५. पे. नाम. गौतमस्वामी सज्झाय, पृ. १०अ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर केरो सीस; अंति: तूठा संपति कोडि, गाथा-८. ६. पे. नाम. शनिश्चर स्तोत्र, पृ. १०आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: यत्पुरा राज्यभ्रष्टा; अति: वृद्धि जयं कुरु, श्लोक-११. ७. पे. नाम. नवग्रह स्तुति, पृ. १०आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: अहिमगो हिमगो धरणीसुत; अंति: सततं मम मंगलम्, श्लोक-१. २८२३३. (+) कायस्थिति, पुद्गलपरावर्त, सूक्ष्मविचार सह वृत्ति व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ५,
प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४११, १६४५३-५५). १.पे. नाम. कायस्थिति प्रकरण सह टीका, पृ. १अ-६अ, संपूर्ण, प्रले. पं. रंगविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. कायस्थिति प्रकरण, आ. कुलमंडनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जह तुहदसणरहिओ कायठि; अंति: अकायपयसंपयं देसु,
गाथा-२४. कायस्थिति प्रकरण-टीका, आ. कुलमंडनसूरि, सं., गद्य, वि. १५वी, आदि: वर्द्धमानं जिन; अंति: पदं ददस्व ममेति
शेष:. २. पे. नाम. पुद्गलविचार-भगवतीसूत्रशतकबालउद्देश, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
पुद्गल विचार-भगवतीसूत्रशतक बालउद्देश, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: कम्मेत्ति गाथा सर्व; अंति: पिणीभिर्निवय॑ते. ३. पे. नाम. पुद्गलपरावर्तन विचारगाथा, पृ. ६आ, संपूर्ण.
पुद्गलपरावर्त्त विचार, प्रा., पद्य, आदि: दव्वे खित्ते काले०; अंति: पुग्गल परियट्ट भेआओ, गाथा-११. ४. पे. नाम. सूक्ष्मनिगोद विचार सह टीका, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
सूक्ष्मनिगोद विचार, प्रा., पद्य, आदि: लोए असंखजोयण माणे; अंति: जा तहत्ति जिणवुत्तं, गाथा-३.
सूक्ष्मनिगोद विचार-वृत्ति, सं., गद्य, आदि: अस्मिन् चतुर्दश रज्व; अंति: निर्मलतरमेव भवति. ५. पे. नाम. विदेहमुखपोतिकादि विचार, पृ. ७आ, संपूर्ण.
विचार संग्रह, सं.,प्रा., गद्य, आदि: बत्तीसं कवलाहारो; अंति: एअंमहुणंतय पमाणं. २८२३४. श्राद्ध अहोरात्र कृत्य संग्रह भाषा, संपूर्ण, वि. १९१५, कार्तिक कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ४४, जैदे., (२४४११.५, १३४३४-३८). श्रावकविधि प्रकाश, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु.,सं., गद्य, वि. १८३८, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीश; अंति:
दीक्षाविधि जाणवी. २८२३५. स्तवन व सज्झाय आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. १०, जैदे., (२५४११, ११४२६-२८).
१. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
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१८०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची चिंतामणि पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीचिंतामणदेव दिलडे; अंति: प्रभु गुण थुणस्ये रे,
गाथा-६. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पद कज पासना; अंति: ते जिन चरणनो दास, गाथा-११. ३. पे. नाम. स्थुलीभद्र सज्झाय, पृ. २१-४अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: बे कर जोडी वीनवं; अंति: भाव० सिवराज रे लो,
गाथा-३३. ४. पे. नाम. पुण्यसागरसूरि गहुंली, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी सरसती मात नमी; अंति: उल्लास श्रीकार छे हो, गाथा-६. ५. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, मु. पुण्यउदय, मा.गु., पद्य, आदि: बलीहारी वीरजिणंद की; अंति: संपत्ति सिवराज की,
गाथा-५. ६. पे. नाम. नेमराजिमतीबारमासो, पृ. ५आ-७आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती बारमासो, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: यदुपति जान लेइ आव्या; अंति: झब झबके चरला. ७. पे. नाम. धन्नाऋषि सज्झाय, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण. धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. ठाकुरसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी रे धन्ना; अंति: गाया हे मन में गहगही,
गाथा-२२. ८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ८आ-९आ, संपूर्ण.
___ मा.गु., पद्य, आदि: कुंण थति कुंणी न चाल; अंति: भवि आपणा पाप गालइ, गाथा-९. ९. पे. नाम. स्थुलीभद्रकोशा सज्झाय, पृ. ९आ-१०आ, संपूर्ण.
स्थूलिभद्रमुनि कोशा सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: कोशा कामनि पूछइ; अंति: विरह दावानल तणा, गाथा-१४. १०. पे. नाम. कीर्तिध्वजराजा सज्झाय, पृ. १०आ, अपूर्ण, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-६ तक है.
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: कीरतधज राजान सूरज; अंति: (-). २८२३६. स्तवन व सज्झाय आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८४०, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ८, ले.स्थल. पाडु, प्रले. मु. श्रीचंद (गुरु
मु. दोलतराज, अचलगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४११, ११-१६४२८-३०). १. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण, ले.स्थल. पद्मावती.
आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: हरष० नित घरि अवतरइ, गाथा-२९. २. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुथी बंधी प्रीतडी; अंति: हुं सुमति जिणंदनी, गाथा-७. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-प्रभाती, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सारद वदन अमृत ध्वनी; अंति: जिनहरष निरखण जईयै, गाथा-६. ४. पे. नाम. ईलापुत्र सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. इलाचीकुमार सज्झाय, मु. मनोरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: एक नगर वडो विस्तार; अंति: वेला मनोरविजै कहै,
गाथा-१०. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वदन पारस छिवछाजै; अंति: चरणै पदमविजै लीणो रे, गाथा-१०. ६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. अनूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जीवन मारा तेवीसमा जि; अंति: अनूपमचंद० जिणवरजी, गाथा-१०. ७. पे. नाम. नेमराजिमती गीत, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
ग. दयातिलक, रा., पद्य, आदि: सहु सीहीयां हे मीलि; अंति: दया० सील धरम प्रधान, गाथा-७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
____१८१ ८. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदि युगादै नाभरायजी; अंति: जोड न आवै कोइ देव,
गाथा-७. २८२३७. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-३(४ से ६)=६, कुल पे. ६, प्र.ले.श्लो. (१५८) जिहां लगे रवि तेजे जल
हले, जैदे., (२५४११.५, १२४३९-४२). १. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पृ. १अ-३आ, पूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९३, आदि: सुत सिद्धारथ भूपनो; अंति: (-), (पू.वि. ढाल-६ गाथा-४
तक है.) २. पे. नाम. विहरमानजिन स्तवन, पृ. ७अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. विहरमान २० जिन स्तवन, ग. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जनमजरा दुख पारें रे, गाथा-७,
(पू.वि. गाथा-३ अपूर्ण से है.) ३. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमधर वीनती सुण; अंति: जिन चाकरी करवानी आस, गाथा-७. ४. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पं. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काया पांमी अतिकूडी; अंति: जिनविजयें गायो रे, गाथा-९. ५. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मन कोइ हेरो रे भावें; अंति: जिन चोवीसे जिनचंदा,
गाथा-१३. ६. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन नाम लंछन नगरनाम आयु माता पितानाम प्रमुख स्तवन, पृ. ८अ-९आ, संपूर्ण. २४ जिनवर्णन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८३, आदि: नवा नगरीमा वसे रे; अंति: खिमाविजय
जिन जय करो, गाथा-२७. २८२३८. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. ८, जैदे., (२५.५४११.५, १५-२१४६१-६६). १. पे. नाम. १४ गुणठाणा ४१ द्वार, पृ. १अ-५आ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थानक ४१ द्वार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: नाम लक्खण ठिइ अंतर; अंति: मिथ्यात्व जाणवा. २. पे. नाम. ६ भाव थोकडा, पृ. ५आ-७अ, संपूर्ण.
६ भाव बोल, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीअनुयोगद्वारसूत्र; अंति: भांगा शून्य जीवनथी. ३. पे. नाम. पन्नवणा पद तीजाथी दिसानुवाई अधिकार, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
दिसाणुवाई विचार, मा.गु., गद्य, आदि: जीव समुचै सर्वथी; अंति: पश्चिमें विसे साहिया. ४. पे. नाम. खेताणुवई २० बोल, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
खेताणुवई विचार, मा.गु., गद्य, आदि: (१)क्षेत्र आश्री २० बोल, (२)समुचैजीव १ समुचै; अंति: सास्वता ते माटें
गणा. ५.पे. नाम. संजयाविचार-भगवतीसूत्रे-शतकर५उद्देश, पृ. ८-१०अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: पन्नवणा १ वेयरागे; अंति: चारित्रना० संख्या ५. ६. पे. नाम. समवसरण विचार-भगवतीसूत्रे-शतक३०, पृ. १०अ-१२अ, संपूर्ण, वि. १९२५, कार्तिक कृष्ण, १३,
ले.स्थल. नोखाग्राम, प्रले. मु. रणधीर, प्र.ले.पु. सामान्य.
संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: (१)जीवाय लेश पखी दिट्ठी. (२)जीव लेश्या पक्ष: अंति: ए ग्यारे उद्देसे करी. ७. पे. नाम. निक्षेप विचार, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीअनुयोगद्वार मध्य; अंति: अवश्य करवा योग्य छे. ८. पे. नाम. प्रतरयंत्र संग्रह, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मा.गु., को., आदिः (-); अंति: (-).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८२३९. स्तोत्र, स्तवन, स्तुति व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२४, वेदकरनिधिससी, आश्विन शुक्ल, १२, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल
पे. ६, ले.स्थल. भेलसानगर, प्रले. मु. रणधीर (गुरु मु. मलुकचंद); पठ. मु. चुनीलाल (गुरु मु. रणधीर), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १७-२१४५१-५७). १. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते, श्लोक-४४. २. पे. नाम. एकीभाव स्तोत्र, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
आ. वादिराजसूरि, सं., पद्य, ई. ११वी, आदि: एकीभावंगत इव मया; अंति: वादिराजमनुभव्य सहाय, श्लोक-२६. ३. पे. नाम. विषापहार स्तोत्रभाषा, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
आ. अचलकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १७१५, आदि: आत्मलीन अनंतगुण; अंति: पामे अविचल ठाम, गाथा-४२. ४. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, म. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणम;
अंति: तासु सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. ५. पे. नाम. ऋषभजिन स्तुति, पृ. ४अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी वंदु ऋषभदेव; अंति: ऋषभदास गुण गाय,
गाथा-४. ६. पे. नाम. द्वादशभावना रचनावेलि, पृ. ४अ-६आ, संपूर्ण. १२ भावना सज्झाय, उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पासजिणेसर पाय नमी; अंति: भणी जेसलमेर
मझार, ढाल-१३. २८२४०. विचार, स्तोत्र, प्रकरण व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. ९, प्र.वि. कुल ग्रं. ग्रंथाग्र५००, जैदे.,
(२५.५४११.५, १७४४७-५०). १. पे. नाम. विहरमानजिन नाम मातापिता लंछन आदि विवरण, पृ. १अ, संपूर्ण.
विहरमान २०जिन विवरण, मा.गु., गद्य, आदि: विहरमान जिन नाम; अंति: चंद्र १९ शशक २०. २. पे. नाम. अनागतचौवीसीजिन नाम पूर्वभव आदि विवरण, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
२४ जिन विवरण-अनागत, मा.गु., गद्य, आदि: आगामि कालै भावि जिन; अंति: स्वाति बुद्धनो जीव. ३. पे. नाम. ४५ आगम नाम श्लोक संख्या आदि विवरण, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: श्रीआचारांग २५००; अंति: अनुयोगद्वार १८९९२. ४. पे. नाम. साढापच्चीसदेश नाम व ग्राम संख्या, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
साढापच्चीस देशनाम व ग्रामसंख्या, मा.गु., गद्य, आदि: मगधदेस राजग्रहीनगर; अंति: अर्द्ध अनारज जाणवा. ५. पे. नाम. शांति स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण.
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांतं; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. ६. पे. नाम. नवस्मरण, पृ. २अ-५अ, प्रतिपूर्ण, पू.वि. नवकार, उवसग्गहरं, भक्तामर, कल्याणमंदिर व बडीशांति नहीं है.,
वि. १८९६, आषाढ़ शुक्ल, १, ले.स्थल. द्रव्यपुर, प्रले. मु. विनयचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: संतिकरं संतिजिणं; अंति: जिणवयणे आयरं कुहण. ७. पे. नाम. सप्त तत्व, पृ. ५अ-६आ, संपूर्ण..
प्रा., पद्य, आदि: सुरवइ तिरीड मणि किरण; अंति: सम्माइट्ठि मुणेयव्वो, गाथा-४७. ८. पे. नाम. द्रव्य संग्रह, पृ. ६आ-८अ, संपूर्ण.
आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., पद्य, आदि: जीवमजीवं दव्वं जिणवर; अंति: मुणिणा भणियं जं, अधिकार-३,
गाथा-६०. ९. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. ८अ-९आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: कुंकुमपंककलंकितदेहा; अंति: परहितंतेकेनजानीमहे, श्लोक-३६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८२४१. स्तोत्र, स्तवन व छंद आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. १६, जैदे., (२५.५x११.५,
२२- २४४५१-५२).
१. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १आ - २आ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमीलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक - ४८. २. पे नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंतिः मोक्षं प्रपद्यते श्लोक - ४४. ३. पे नाम, शांतिजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
"
ऋ. दुर्गदास, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल दायक सिरि जिनरा; अंति: दुरगदास एकम समरंति, गाथा-५. ४. पे. नाम. अंतरीक्ष पार्श्वनाथ छंद, पृ. ३आ-५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद - अंतरीक्ष, वा. भावविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मात मया करी; अति भणे जय देव जय
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जयकरण, गाथा - ५६.
५. पे नाम, विषापहार स्तोत्र, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण,
जै. क. धनंजय कवि सं., पद्य, ई. ७वी, आदि: स्वात्मस्थितः सर्वगत; अंतिः सुखानि यशोधनंजयं च श्लोक - ४०. ६. पे. नाम. भक्तामर भाषा, पृ. ६अ - ७अ, संपूर्ण.
भक्तामर स्तोत्र-भाषानुवाद, मु. हेमराज, मा.गु., पद्य, आदि : आदि पुरूष आदिस जिन; अंति: भावसु ते पा सिवखेत, गाथा ४९.
७. पे. नाम. कल्याणमंदिर भाषा स्तुति, पृ. ७अ ८अ संपूर्ण.
कल्याणमंदिर स्तोत्र - पद्यानुवाद, जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदिः परमज्योति परमातमा; अंति: कारन समकित शुद्धि, गाथा- ४४.
८. पे. नाम. सामायिक ३२ दोषवर्जन सज्झाय, पृ. ८अ आ, संपूर्ण.
मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नवमो व्रत सामायक; अंति: समता है दुःख विडारी, गाथा - १२.
९. पे. नाम. उवसग्गहर स्तोत्र - गाथा ५, पृ. ८आ, संपूर्ण.
आ. भद्रबाहस्वामी, प्रा., पद्य, आदि उवसग्गहरं पासं पासं; अंतिः भवे भवे पास जिणचंद, गाथा ५. १०. पे. नाम. विषापहार स्तोत्रभाषा, पृ. ८आ - ९अ, संपूर्ण.
मु. कीरत, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुगुरु चिंतामणि; अंति: प्रभू पारस मुखे कीये, गाथा - १५.
१२. पे नाम, आदिजिन स्तवन, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
आ. अचलकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १७१५, आदि: आत्मलीन अनंतगुण; अंतिः पांमे अविचल ठाम, गाथा ४२. ११. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
मु. किसन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीऋषभजिणेसर जगत; अंति: कीरत ए मुनी किसन भणी, गाथा - १८.
१३. पे. नाम, चौवीसजिन स्तवन, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण.
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२४ जिन स्तवन, मु. रिखजी, मा.गु., पद्य, आदिः समरू श्रीआदि जिणंद अंतिः प्रभु मोव दरशण दीजै, गाथा - २५, १४. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. १०आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तवन, मु. भोज, मा.गु., पद्य, आदिः भवि वंदो आदजिनंदजी; अंतिः भोज कठै सुविचारजी, गाथा- १३. १५. पे. नाम. ११ गणधर छंद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी छंद, मु. आसकरण, मा.गु., रा., पद्य, वि. १८४३, आदि: इंद्रभुतिजीरो लीजै; अंतिः चोमासो कीनो पीपाड, गाथा १२.
१६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहिं., पद्य, आदि: बालम ना रेंसां घरमें; अंति: जिनदास है ऐसा, गाथा- ४.
२८२४२. स्तोत्र आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५X११.५, २०-२१x४१-४४).
2
१. पे नाम. वीतराग स्तोत्र, पृ. १आ-५अ, संपूर्ण, प्रले. पं. मोहण, प्र.ले.पु. सामान्य.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: यः परात्मा पर; अंति: (१)नातः परं ब्रुवे, (२)फलमीप्सितम्,
प्रकाश-२०. २. पे. नाम. नवग्रहस्वरूपगर्भित पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहगर्भित, प्रा., पद्य, आदि: अरिहं थुणामि पास; अंति: अवतिष्टतु स्वाहा, गाथा-१३. ३. पे. नाम. प्रवचनसार स्तव, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
प्रवचनसार मंगल, प्रा., पद्य, आदि: अरिहंते नमिउणं सिद्ध; अंति: मंगल्लं होइ तं तस्स, गाथा-२३. ४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तव, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ चैत्यपरिपाटिका, सं., पद्य, आदि: नरेंद्रमंडलमणिमय; अंति: तत्तीर्थयात्राफलं, श्लोक-२४. २८२४३. रास व सज्झाय आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४११.५, १०-११४३०-३६). १.पे. नाम. नेमनाथराजिमती रास, पृ. १आ-५आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती रास, मु. पुण्यरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सारद पय पणमी करी; अंति: प्रसन्न श्रीनेमजिणंद, गाथा-६५. २. पे. नाम. नेमनाथ स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: नेम वयण सुणीजै मुझ; अंति: लबधि० जईयै बलिहारी,
गाथा-१६. ३. पे. नाम. नेमनाथराजीमती गीत, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
नेमराजिमतीगीत, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हो पीऊ सामलीया; अंति: नवनिधि पामीय रेलो, गाथा-१०. ४. पे. नाम. सील सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
शीयलव्रत सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: चित्र लिखी जे पूतली; अंति: नारी रूप न जोईयै, गाथा-११. २८२४४. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४११, ११-१२४४०-४३). १. पे. नाम. समवसरण विचार स्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-समवसरणविचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन सेहरो जग; अंति:
पाठकधर्मवर्धन धार ए, ढाल-२, गाथा-२५. २. पे. नाम. सत्तावनहेतुकर्म सज्झाय, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण. कर्मबंधप्रकृति सज्झाय, मु. बुद्धिहंस, मा.गु., पद्य, आदि: संतिजिनेसर पाय नमीजी; अंति: बुधि० अभय सुदाण,
गाथा-२३. ३. पे. नाम. ९६ जिन स्तवन, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७४३, आदि: वरतमान चोवीसै वंदु; अंति: सदा जिणचंदसुर ए, ढाल-५. ४. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
उपा. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणंद नीत वंदी; अंति: कांतिविजेय गुणराज, गाथा-५. २८२४५. श्रावकपाक्षिक लघुअतिचार, स्तवन, सज्झाय व निसाणी संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १६, कुल पे. १३,
जैदे., (२५४११,८-१३४२३-४०). १. पे. नाम. श्रावकलघुपाक्षिकअतिचार, पृ. १आ-४आ, संपूर्ण.
श्रावकपाक्षिक अतिचार-लघु, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीज्ञानने विषे जे; अंति: तस्स मिच्छामिदुक्कडं. २. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. क्षेमकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ अजीत संभव; अंति: घर हुवै नवै नीधांनो. ३. पे. नाम. १६ सती सज्झाय, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सीतल जीणवर करु परणाम; अंति: गुण समरो श्रीनिसदीस, गाथा-५. ४. पे. नाम. चिंतामणी पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आणी मनसुध आसता देव; अंति: म्हारी
चिंता चुर, गाथा-७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
५. पे. नाम. नाकोडा पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-नाकोडा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: अपणै घर बैठा नील करो; अंति: नाम जपौ
श्रीनाकोडो, गाथा-८. ६. पे. नाम. वरकाणां पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ६अ-७अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: काइ जीव मनमै कसकै; अंति: पसाइ प्रभु
रंगरली, गाथा-९. ७. पे. नाम. गौतमस्वामी छंद, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेसर केरो शीश; अंति: गौतम तुतु संपति कोड, गाथा-९. ८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-स्तंभन, पृ. ७आ-९अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-स्तंभनतीर्थ, मा.गु., पद्य, आदि: थांभणपुर श्रीपासजीणं; अंति: पार्श्वनाथ चौसालो, गाथा-१२. ९. पे. नाम. पार्श्वजिन निसाणी-घग्घर, पृ. ९अ-१३अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: सुखसंपत्तिदायक सुरनर; अंति: गुण जिनहरख गावंदा है. १०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. १३अ-१४आ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष कवि, मा.गु., पद्य, आदि: जस नामे नव निध ऋद्धि; अंति: ऋद्धिहर्ष कहे करजोडी, गाथा-२१. ११. पे. नाम. महावीरजिन तपवर्णन स्तवन, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण, वि. १८०७, आषाढ़ शुक्ल, ८, प्रले. य. सोभाचंद,
प्र.ले.पु. सामान्य.
महावीरजिन स्तवन-तपवर्णन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत सामण द्यो मति; अंति: मुगति आपो सामीया, गाथा-१०. १२. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. १५अ-१६अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: थुलिभद्र मुनिसर आवो; अंति: लगी द्रुनी तारी,
गाथा-१७. १३. पे. नाम. जीवहित सज्झाय, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
गर्भावास सज्झाय, मु. खिमा, पुहिं., पद्य, आदि: गरभावासमे चिंतवइहै; अंति: तो जइए मुगति मझार कै, गाथा-८. २८२४६. (+) षष्टिशत सह बालावबोध, साधुवंदना, श्लोक व गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २९, कुल पे. ६,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४४११, १८४४६-४९). १. पे. नाम. षष्टिशतक सह बालावबोध, पृ. १आ-२१आ, संपूर्ण. षष्टिशतक प्रकरण, श्राव. नेमिचंद्र भंडारी, प्रा., पद्य, आदि: अरिहं देवो सुगुरू; अंति: जिणंतु जंतु सिवं,
श्लोक-१६१. षष्टिशतक प्रकरण-बालावबोध, आ. सोमसुंदरसूरि, मा.गु., गद्य, वि. १४९६, आदि:
(१)सिरिवद्धमाणजिणवरपाएन, (२)नेमिचंद्र भंडारी; अंति: पदि जाउ अनंत सुख लहउ. २. पे. नाम. साधुवंदना, पृ. २१आ-२७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: वंदीय गिरुआ सिद्धि; अंति: शुद्ध करू गीतारथ सोई, गाथा-२४९. ३. पे. नाम. अषाढाभूति गीत, पृ. २७अ-२९अ, संपूर्ण, पे.वि. गाथानुक्रम २९ के बाद ३० की जगह भूल से ११ से लिखा
गया है. अतःदोनो क्रम की गाथाओं को गिनकर ६० दर्शाया गया है. अषाढाभूति रास, मु. धर्मरुचि, मा.गु., पद्य, आदि: सिरिसंति जिणेसर भुवण; अंति: सिंघ मंगलमालू ए, ढाल-६,
गाथा-६०. ४. पे. नाम. शील गीत, पृ. २९अ, संपूर्ण.
शीयल नववाड सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: गुणनिधि जीवडा रे शील; अंति: विनवइ बोले उपदेश माल, गाथा-८. ५. पे. नाम. सुभाषित श्लोक, पृ. २९अ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक , सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. ६. पे. नाम. बाहुबलि गीत, पृ. २९अ-२९आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: तक्षिशिला नगरीइ आवी; अंति: वांदु मननइ उल्लासिरे, गाथा-१३. २८२४७. चैत्यवंदन, नमस्कार व पूजाष्टक आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. ११, जैदे., (२५४११,
९४३३). १. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, पृ. १अ-९आ, संपूर्ण.
नमस्कारचौवीसी, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, वि. १८५६, आदि: जय जय जिनवर आदिदेव; अंति: गणि सीस
__ क्षमाकल्याण, अध्याय-२४, गाथा-१४४. २. पे. नाम. पूजाष्टक, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. अमृतधर्म, पुहि., पद्य, आदि: शुचि सुगंध वर कुसुम; अंति: पावै पद कल्यान, गाथा-९. ३. पे. नाम. सिद्धचक्र नमस्कार, पृ. १०आ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत उदार कांत; अंति: निधि प्रगटै चेतन भूप, गाथा-६. ४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय नाभिनरिंदनंद; अंति: निस दिन नमत कल्याण, गाथा-३. ५. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ११अ, संपूर्ण. शांतिजिन चैत्यवंदन, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: सोलम जिनवर शांतिनाथ; अंति: लहिये कोड
कल्याण, गाथा-३. ६. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ११अ, संपूर्ण. नेमिजिन चैत्यवंदन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह सम प्रणमों नेमि; अंति: अहनिश करै प्रणाम,
गाथा-३. ७. पे. नाम. गौडी पार्श्व स्तवन, पृ. ११आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन चैत्यवंदन-गोडीजी, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: पुरसादाणीय पासनाह; अंति: प्रगटे परम
कल्याण, गाथा-३. ८. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ११आ, संपूर्ण. महावीरजिन चैत्यवंदन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: वंदु जगदाधार सार सिव; अंति: आपौ करि सुपसाय,
गाथा-३. ९.पे. नाम. स्तंभणक पार्श्व स्तवन, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन नमस्कार-स्थंभनपुर, मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेढी तट मेरुधाम; अंति: पावौ पद कल्याण,
गाथा-३. १०. पे. नाम. सीमंधरस्वामी चैत्यवंदन, पृ. १२अ, संपूर्ण. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: वंदु जिणवर विहरमाण; अंति: कारण परम कल्याण,
गाथा-३. ११. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: पूरव देसै दीपतो ए; अंति: तीरथ करण कल्याण, गाथा-३. २८२४८. प्रकरण संग्रह व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ५, जैदे., (२४.५४११, १५४३६-३८). १. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र-१ से ४ अध्ययन, पृ. १आ-६आ, संपूर्ण.
दशवकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २. पे. नाम. सूत्रकृतांगसूत्र-हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: पुच्छिसुणं समणा माहण; अंति: आगमेस्संतित्तिबेमि, गाथा-२९. ३. पे. नाम. प्रास्ताविकगाथा संग्रह, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक गाथा संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: पंच महव्वय सुव्वय; अंति: जैनधर्मोस्तु मंगलम्, श्लोक-२८. ४. पे. नाम. उत्तराध्ययनसूत्र-नमिपवजा-९ अध्ययन, पृ. ८आ-१०आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१८७ उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. ५.पे. नाम. सूत्रकृतांगसूत्र-समाहीनाम-१० अध्ययन, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण.
सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., आदिः (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २८२४९. सज्झाय व पद आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१७, आषाढ़ शुक्ल, ५, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ.६, कुल पे. ७, पठ. सा. रूपा
(गुरु सा. झूमा), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११,११४३५-३७). १. पे. नाम. उपदेसी स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-शोक, मु. भगवान ऋषि, रा., पद्य, वि. १८८५, आदि: समरूं श्रीजिनराजनै; अंति:
कुसालचंदजी पासे, गाथा-२९. २. पे. नाम. सिखामण सज्झाय, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण. ___ औपदेशिक सज्झाय, मु. कुसालचंद ऋषि, रा., पद्य, आदि: चेत चेत रे प्राणीया; अंति: कुशाल. आपण मै ताणी,
गाथा-१७. ३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण. पियर में धर्म सासरीया में अधर्म उपरी सज्झाय, मु. खुसाल, रा., पद्य, आदि: साधु कहै सांभल बाई; अंति: जो नही
करसी धरमै, गाथा-११. ४. पे. नाम. माजीरी सज्झाय, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
ऋ. विनयचंद्र, रा., पद्य, आदि: आतो नाम धरावे माजी; अंति: भवसागरसुं तरसी, गाथा-१९. ५. पे. नाम. नारी त्यागरूप सज्झाय, पृ. ५अ-६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-नारी त्याग, पुहिं., पद्य, आदि: मुरख कुंभावे नहि रे; अंति: आगे इच्छा थारी रे, गाथा-२२. ६. पे. नाम. औपदेशिक सवैया, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
क. लालभाई, पुहि., पद्य, आदि: भयोजी आलु पोहर देवो; अंति: लाल० देवो ही करत है. ७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: आग लगै तो बुजै जलस: अंति: विरोध मिटै अब कैसै. २८२५०. पद, स्तोत्र, स्तवन, सझाय, विचार व व्याख्यान संग्रह, संपूर्ण, वि. १८८५-१८८६, माघ कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. ४८,
कुल पे. ४५, ले.स्थल. साहजिहानाबादपुर, प्रले. विनयचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११, १६-१७४५०-६१). १. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
कृपाल, पुहिं., पद्य, आदि: में पतितन को राजा; अंति: तुम्हारो नाम जिहाजा, पद-३. २. पे. नाम. हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: हनुमान अंजनीसूनु; अंति: भयं नास्ति कदाचन, श्लोक-४. ३. पे. नाम. कुसाधु लक्षण पद, पृ. १आ, संपूर्ण...
मा.गु., पद्य, आदि: भांति भांति कर टोपी; अंति: रहे तिण सेती न्यारा, गाथा-१५. ४. पे. नाम. प्रास्ताविक सुभाषित संग्रह, पृ. २अ-२आ+३अ-५अ, संपूर्ण, पे.वि. विभिन्न अलग-अलग पत्रों पर उपलब्ध
विभिन्न विषयक दोहा, कवित्त, सवैया, पद, श्लोकादि के संग्रह का यथाक्रम कुल पत्र- २अ-२आ, ३अ-५अ, ६अ-८आ,२९आ-३०आ.
जैन गाथा*, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-२१. ५. पे. नाम. सरस्वतीदेवी स्तोत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: सरस्वति नमस्यामि; अंति: वरदा हि सदातन, श्लोक-८. ६. पे. नाम. भाग्यप्रबल पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: नही वन जोग सखी री; अंति: सो मिटे नहीं जोग, पद-५. ७. पे. नाम. इंद्रियसुखत्याग पद, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहिं., पद्य, आदि: तजो मन भोग दुखदाई; अंति: सेवो धरम जिनराई, पद-४.
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१८८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ८. पे. नाम. भक्तरक्षक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहि., पद्य, आदि: सांकडे को यार प्रभु; अंति: जगराम० सुमर वारंवार, पद-४. ९. पे. नाम. ४५ आगममान, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
४५ आगम श्लोक संख्या, सं., गद्य, आदि: आवश्यकसूत्र १००; अंति: नंदी अणुयोग पणयाला. १०. पे. नाम. श्रावक व्रत के अतिचार संख्या, पृ. ५आ, संपूर्ण. श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय की अतिचारसंख्यामिलान, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: १२ व्रतना ८०
अतिचार; अंति: एवं सर्व १२४. ११. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व वृद्धस्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण. मौनएकादशीपर्व स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: समवसरण बेठा भगवंत; अंति:
सुदी अगियारस वडी, गाथा-१३. १२. पे. नाम. एकश्लोकी रामायण, पृ. ५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: आदौ रामतपोवनादिगमन; अंति: पठितव्यं न संशयः, श्लोक-२. १३. पे. नाम. एकश्लोकी महाभारत, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: आदौ पांडवधार्तराष; अंति: पठितं च न संशयः, श्लोक-२. १४. पे. नाम. एकश्लोकी भागवत-दशमस्कंध, पृ. ६अ, संपूर्ण.
एकश्लोकी भागवत, सं., पद्य, आदि: आदौ देवकीदेवगर्भजनन; अंति: पठितं च न संशयः, श्लोक-२. १५. पे. नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. ६अ, संपूर्ण.
शारदा स्तोत्र, आ. मलयकीर्ति, सं., पद्य, आदि: जलदनंदनचंदनचंद्रमा; अंति: मतिकल्पलताफलमश्नुते, श्लोक-९. १६. पे. नाम. साढापच्चीस देश नाम व ग्राम संख्या, पृ. ८आ, संपूर्ण.
साढापच्चीस देशनाम व ग्रामसंख्या, मा.गु., गद्य, आदि: मगधदेस राजग्रहीनगर; अंति: नामनगर जाणिवा. १७. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, पृ. ९अ, संपूर्ण. पंचषष्टियंत्र चैत्यवंदन, मु. नेतृसिंह कवि, सं., पद्य, आदि: वंदे धर्मजिनं सदा; अंति: संग्रंथितः सौख्यदः, गाथा-४,
(वि. यंत्र सहित.) १८. पे. नाम. सरस्वती छंद, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
सरस्वतीदेवी छंद, मु. हेम, मा.गु., पद्य, आदि: ॐकार धरा उद्धरणं वेद; अंति: करण वदे हेम इम वीनती, गाथा-१६. १९. पे. नाम. लाजरक्षण सवैया, पृ. ९आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: हम हुंज तजी कुल लाज; अंति: लाग गई तब लाज कहा है, सवैया-१. २०. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तोत्र, पृ. ९आ, संपूर्ण.
आ. देवानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूति; अंति: लभते नितरां क्रमेण, श्लोक-९. २१. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तवन, मु. वाघ, मा.गु., पद्य, आदि: आदै आदि जिणेसरु रे; अंति: कहै रे दीजै परमानंद, गाथा-९. २२. पे. नाम. सीख स्वाध्याय, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
औपदेशिक छंद, पंडित. लक्ष्मीकल्लोल, मा.गु., पद्य, आदि: भगवती भारती चरण नमेव; अंति: मनि धरज्यो चोल,
गाथा-१६. २३. पे. नाम. आत्माप्रतिबोध सज्झाय, पृ. १०आ, संपूर्ण, वि. १८८५, पौष कृष्ण, ६.
औपदेशिक सज्झाय, मु. सकलकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: मोरी सदा सोहागण आतमा; अंति: हितकरि विसवावीस
हे, गाथा-१४. २४. पे. नाम. गजसुकमाल सज्झाय, पृ. ११अ, संपूर्ण.
गजसुकुमाल सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: चित न चल्यो सिर जरत; अंति: प्रीति न झूठी, गाथा-४. २५. पे. नाम. वैराग्यपच्चीसी, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. सदारंग, मा.गु., पद्य, आदि: ए संसार अथिर करि जाण; अति: एते पर एता ही करना, गाथा-२५. २६. पे. नाम. मनगुणतीसी सज्झाय, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. गुणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: जीवडा म मेहले ए मन; अंति: पाप प्रणासे रे दुर, गाथा-२९. २७. पे. नाम. उपदेस सज्झाय, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: च्यारं गति में भटकत; अंति: सतगुरु कहे समझाय रे, ढाल-२, गाथा-२२. २८. पे. नाम. चंदनबाला सज्झाय, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: महावीर अवग्रह धारी; अंति: सतीयां निसदीस हो, गाथा-२२. २९. पे. नाम. पंचपरमेष्टि गुण, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
पंचपरमेष्ठि गुण, मा.गु., गद्य, आदि: १२ गुण अरिहंतना; अंति: सर्वगुण १०८ जाणना. ३०. पे. नाम. बाराक्षरी छंद, पृ. १४अ-१६अ, संपूर्ण, वि. १८८५, पौष शुक्ल, १५, ले.स्थल. साहजहानावाद.
दत्तलाल, मा.गु., पद्य, आदि: कका केवल ग्यान भज; अति: थिर नहीं राजा राणा, गाथा-३४. ३१. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व कथा, पृ. १६अ-२०अ, संपूर्ण, वि. १८८५, संवद्वाणाष्टनागभू, माघ. मौनैकादशीव्रतकथा, म. रविसागर, सं., पद्य, वि. १६५७, आदि: प्रणम्य वृषभं देवं व अंति:
जंतूनामुपकारविधायकः, श्लोक-१९७. ३२. पे. नाम. पौषदशमीपर्व कथा, पृ. २०अ-२१आ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, सं., पद्य, आदि: ध्यात्वा वामेयमहँत; अंति: येन शीघ्रं रचयांचकार, श्लोक-७५. ३३. पे. नाम. अक्षयतृतीया व्याख्यान, पृ. २२अ-२३अ, संपूर्ण. अक्षयतृतीयापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., गद्य, आदि: प्रणिपत्य प्रभु; अंति: क्षमाकल्याणपाठकैः,
ग्रं. ७०. ३४. पे. नाम. व्याख्यान संग्रह, पृ. २३अ-२७अ, संपूर्ण.
व्याख्यान संग्रह *, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: सुकुलजन्मविभूतिरनेक; अंति: रेख कुण पार पायो. ३५. पे. नाम. नेमराजिमती बारमासो, पृ. २७अ-२८आ, संपूर्ण.
मु. लालविनोद, पुहिं., पद्य, आदि: विनवे उग्रसेन की लाड; अंति: लालविनोदीने गाए, गाथा-२६. ३६. पे. नाम. नवरत्न कवित, पृ. २८आ-२९आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: धन्वंतर अमरक छपन; अंति: ए जगमैं मूरख विदित, गाथा-११. ३७. पे. नाम. ३६ राजकुल नाम, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: सूर्यवंश १ सोमवंश २; अंति: हुल्ल सोलंकी राठउड. ३८. पे. नाम. ८४ वणिग जाति, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
८४ वणिगजाति नाम, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमाल१ ओसवाल२; अंति: भिलडीया देशवाल. ३९. पे. नाम. चंदनमलयागिरिरास, पृ. ३०आ-३५अ, संपूर्ण.
मु. भद्रसेन, पुहिं., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीविक्रम; अंति: तासं जोगो हवइ एवं, अध्याय-५, गाथा-१९९. ४०. पे. नाम. बीसमांझा, पृ. ३५अ-३५आ, संपूर्ण.
२० मांझा, क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: माया मोह की तोमतवाले; अंति: बहुड निगोदे जाओ, गाथा-२०. ४१. पे. नाम. जीवोपदेश सवैया, पृ. ३६अ, संपूर्ण..
औपदेशिक सवैया, उधमदास, पुहिं., पद्य, आदि: जिहां नागनी नारि महा; अंति: कहियै गृहवासी, सवैया-२. ४२. पे. नाम. सूक्तिमुक्तावलीभाषा, पृ. ३६अ-४२अ, संपूर्ण. सिंदूरप्रकर-पद्यानुवाद भाषा, श्राव. बनारसीदास, पुहि., पद्य, वि. १६९१, आदि: सोभित तप गजराज सीस; अंति:
करनछत्र सित पाख, गाथा-१०२. ४३. पे. नाम. मल्लिजिन स्तवन, पृ. ४२आ-४३आ, संपूर्ण, ले.स्थल. दिल्ली.
आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवन प्रभुरे; अंति: सेवे ते शिवसुख लहे, गाथा-९.
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४४. पे. नाम. दिल्ली पातसाही कथन, पृ. ४३आ - ४६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: संवत छ सय अडहतरा; अंतिः दोनुं रहित नजीक, गाथा - ११५.
४५. पे. नाम. गोपीचंद का कहना, पृ. ४६ आ- ४८अ, संपूर्ण.
गोपीचंद कडखा, गोपीचंद, पुहिं, पद्य, आदि के राजाजी जिन्हकै; अंतिः मति गति जो तुम्हारी, गाथा २०. २८२५१. पूजा, स्तोत्र, स्तवन, प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक, श्राद्धविधिप्रकाश व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १५७-१२(१ से १२) = १४५, कुल पे. १३, जैदे., ( २५X११, ९३३ - ३५).
१. पे नाम. स्नात्रपूजा विधिसहित पृ. १३अ - १९अ, संपूर्ण.
9
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: चौतीसे अतिसैजूओ; अंतिः सारखी कही सूत्र मझार, ढाल ८.
२. पे. नाम. सत्तरभेदी पूजाविधि, पृ. १९अ २८आ, संपूर्ण
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१७ भेदी पूजा, वा. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १६१८, आदि: भाव भले भगवंतनी पूजा; अंति: सब लीला शिवसुख साजे, डाल- १७.
३. पे. नाम. ८ प्रकारी पूजा विधि, पृ. २८आ- ३४अ, संपूर्ण
८ प्रकारी पूजा, मु. देवचंद्र, मा.गु. सं., पद्य, वि. १७२४, आदि: ( १ ) प्रथम स्नान करी, (२) गंगा मागध क्षीरनिधि; अंतिः पावै पद कल्याण, ढाल - ८.
४. पे नाम वीरजिन स्तवन, पृ. ३४अ-४१अ संपूर्ण
,
पुण्यप्रकाश स्तवन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सकल सिद्धिदायक सदा; अंति: नामे पुण्यप्रकाश ए, ढाल - ८.
५. पे. नाम. प्रश्नोत्तरार्द्धशतक बीजक, पृ. ४१ अ- ८८अ संपूर्ण.
प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक - बीजक, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गद्य, वि. १८५३, आदि: पहिलै बोलै तीर्थंकर; अंतिः (१) शास्त्रमै कह्यो छे, (२) भयी जैसलमेर मझार, प्रश्न- १५१.
६. पे नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. ८९अ - ९३अ, संपूर्ण.
आदिजिन भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४.
७. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ९३अ ९७आ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते, श्लोक-४४.
८. पे. नाम गौतमस्वामी रास, पृ. ९७आ १०२आ, संपूर्ण
उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: संपजै कुरला करै कपूर,
गाथा- ४८.
९. पे. नाम मुनि मालिका, पृ. १०३अ १०६आ, संपूर्ण.
मुनिमालिका स्तवन, ग. चारित्रसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १६३६, आदि: रिषभ प्रमुख जिन पाय; अंतिः सदा कल्याण
-
कल्याण, गाथा - ३७.
१०. पे. नाम. साधुवंदना, पृ. १०६ - ११५अ, संपूर्ण.
उपा. पुण्यसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पंचपरमिट्ठ पयकमल अंतिः पुण्यसागर० सुखकारणे, गाथा- ८८. ११. पे. नाम. आनंदश्रावक संधि, पृ. ११५अ १३२आ, संपूर्ण.
पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १६८४, आदि: वर्द्धमानजिनवर चरण; अंतिः पभणे मुनि श्रीसार, ढाल १५,
-
गाथा - २५०.
१२. पे. नाम. श्रावकविधि प्रकाश, पृ. १३३अ - १५७आ, संपूर्ण.
वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., सं., गद्य, वि. १८३८, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीशं; अंति: विधिप्रकाशो निर्मितः. १३. पे नाम, आद्ध पाक्षिक अतिचार, पृ. १५७आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., मात्र प्रारंभिक आलापक,
श्रावक पाक्षिक अतिचार तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दंसणंमि०; अंति: (-).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८२५२. स्तवन, सज्झाय, पद, लावणी, गीतआदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९१०, मार्गशीर्ष कृष्ण, ११, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १६-२(१० से ११)= १४, कुल पे. २४, ले. स्थल. बिकानेर, प्रले. मु. रणधीर ( गुरु मु. मलुकचंद ); राज्यकाल रा. सिरदारसिंह, प्र.ले.पु. मध्यम जैवे. (२५.५x११, १९४५१-५२).
"
१. पे नाम, नेमिजिन विवाहलो, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: देव सहायें लंघीयो; अंति: इसी विधि अनुसरो, गाथा - १९.
३. पे, नाम, महावीरजिन परीसह सज्झाय, पृ. २आ-६अ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि: द्वारामती नगरी भली; अंति: कर जान तणो उपाय ए, ढाल - २.
२. पे. नाम. द्रौपदीसती सज्झाय, पृ. २अ २आ, संपूर्ण, वि. १९१०, कार्तिक कृष्ण, १३, रविवार, ले. स्थल. बीकानेर, प्रले. मु. रणधीर ( गुरु मु. मलुकचंद); राज्यकाल रा. सिरदारसिंह, प्र.ले.पु. सामान्य,
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गाथा - ३२.
५. पे. नाम. कृष्ण पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
सूरदास, पुहिं., पद्य, आदि: वंसरी दीजे हो ब्रज; अंति: सूरदास० जीते जादूराय, गाथा-८.
६. पे नाम, मेघकुमार सज्झाय, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण,
पुहिं.,रा., पद्य, आदि: सब दुख टारवे कुं भव; अंति: समकित धारी सुद्ध, ढाल -७. ४. पे. नाम. कृष्ण ऋधि वर्णन, पृ. ६अ - ७अ, संपूर्ण.
द्वारिकाऋद्धिवर्णन सज्झाय, मु. जयमल, मा.गु., पद्य, आदि: बावीसमा श्रीनेमिजिण; अंति: मिच्छामिदुकडं मोयए,
क. कुसल, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेसर आवी समोसर; अंति: सोजत नग मंजार हो, ७. पे नाम, नेमिनाथराजेमती बारेमास, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती बारमासो, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि चढी सांवणें सामि; अंति: चालदेस प्रसीध पुहवी,
गाथा - १०.
गाथा - १३.
८. पे नाम. कृष्ण लीला, पृ. ८अ - ९अ, संपूर्ण,
कृष्ण लीला - पंचढालियो, पुहिं., पद्य, आदि: लाल तुम्ह बैसो मुझ; अंति: मुंह रह्यो बिलखाई, ढाल -५. ९. पे नाम, महावीरजिन स्तवन, पृ. ९अ ९आ, संपूर्ण.
महावीर जिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मुज विनती; अंतिः धुण्यो त्रिभुवन तिलो, गाथा- १९.
१०. पे. नाम. रथनेमिराजिमती सज्झाय, पृ. ९आ, संपूर्ण.
मु. गुलावकीर्ति, पुहिं., पद्म, आदि: गिरनारी की पहारी पर अंतिः व्याधि सबही विसरी, गाथा- १३. ११. पे. नाम. द्रौपदीकृष्ण सज्झाव, पृ. १२अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है. प्रथम गाथा अपूर्ण से है. मु. श्रीदेव, रा., पद्य, आदि: (-); अंति: श्रीदेव० धरो सुविचार, गाथा - १९.
"
१२. पे. नाम. सामायिक सज्झाय, पृ. १२अ - १२आ, संपूर्ण.
१९१
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मु. विनयचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: सामायिक पोसा करे; अंति: विनय होयसी खेवो पार, १३. पे. नाम. पौषधव्रत सज्झाय, पृ. १२आ - १३अ, संपूर्ण.
मु. विनयचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: व्रत इग्यारमो आदरो; अंतिः विनयचंद० जिण आंण, गाथा - ९. १४. पे नाम, धन्नाऋषिगुण सज्झाय, पृ. १३अ - १३आ, संपूर्ण.
धन्नाअणगार सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जिनशासन स्वामी अंतरज; अंति: विनयचंद गुण गाया,
गाथा - २०.
१५. पे. नाम, औपदेशिक सज्झाय, पृ. १३आ- १४अ, संपूर्ण,
मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि आउखो तुटांने सांधो अंति: माहरो निसतार रे, गाथा - ८. १६. पे नाम, महानिर्बंध अनाथी विवरण सज्झाय प्र. १४अ १४आ, संपूर्ण.
गाथा - २०.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची अनाथीमुनि सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: करुं नमस्कार सिद्धा; अंति: जयपुर में गुण गाया,
गाथा-२२. १७. पे. नाम. नेमनाथ गीत, पृ. १४आ, संपूर्ण. नेमराजिमती पद, मु. विनयचंद ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: नेम वनावन व्याहन आए; अंति: सूरति मूरति भीनी,
गाथा-७. १८. पे. नाम. महावीरजिन परिवार सवैयो, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: साधु भला दश च्यार; अंति: धर्म सदा चिरनंदो, गाथा-१. १९. पे. नाम. मरुदेवीमाता सज्झाय, पृ. १४अ-१५अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३७, आदि: नगरी वनीता भली वीर; अंति: पामे लील विलासोजी, गाथा-१३. २०. पे. नाम. अनागत चोवीसी नाम, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण. २४ जिन नाम व जीवनाम-अनागत, ग. लब्ध्योदय, मा.गु., पद्य, आदि: पहिला श्रीश्रेणिक; अंति: पामे सुख संपति
भरपुर, गाथा-७. २१. पे. नाम. विजयकुमारविजयाकुंवरी सज्झाय, पृ. १५आ, संपूर्ण. विजयशेठविजयाशेठाणी सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८८०, आदि: विजयकुमर व्रतधारी; अंति:
नमीयै सांझ सवारी रे, गाथा-९. २२. पे. नाम. प्रतिक्रमण सज्झाय, पृ. १५-१६अ, संपूर्ण.
संबद्ध, मु. मयाचंद, मा.गु., पद्य, आदि: कर पडकवणो भावसुं दोय; अंति: इण संसार लाल रे, गाथा-१८. २३. पे. नाम. श्रावकइकवीसी, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
मु. रतनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक नाम धरायनें; अंति: कहे सुणो नरनारो, गाथा-२१. २४. पे. नाम. नेमराजिमती लावणी, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मु. फतेचंद, पुहिं., पद्य, आदि: कर जोडी बिहु राजुल; अंति: फतेचंद वंदै नितकी, गाथा-१२. २८२५३. सज्झाय व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१६, मार्गशीर्ष कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल पे. ९, ले.स्थल. वीकानेर,
प्रले. मु. रणधीर (गुरु मु. मलुकचंद); राज्यकाल रा. सिरदारसिंह, प्र.ले.पु. विस्तृत, जैदे., (२६४११, १९४५२-५५). १.पे. नाम. जादव उत्पत्ती, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
जादव उत्पत्ति, पुहिं., पद्य, आदि: आदिपुरुष कहीयें जगति; अंति: आई कृष्णजी पास, गाथा-६५. २. पे. नाम. नेमराजिमती विवाहपचीसी, पृ. २अ-३आ, संपूर्ण. नेमराजिमती विवाहपच्चीसी, मु. लालविनोद, पुहिं., पद्य, वि. १८४९, आदि: एकसमें जो समुद्रविजै; अंति: पंचमी
गुरुवास रे, गाथा-२६. ३. पे. नाम. नेमराजिमती बारमासो, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
मु. लालविनोद, पुहिं., पद्य, आदि: विनवे उग्रसेन की; अंति: उत्तर लालविनोद गाये, गाथा-२६. ४. पे. नाम. घग्घर नीसाणी-पार्श्वजिन, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन निसाणी-घग्घर, मु. जिनहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: सुखसंपत्तिदायक सुरनर; अंति: गुण जिनहरख गावंदा है,
गाथा-२८. ५. पे. नाम. दलाली सज्झाय, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
धर्म दलाली सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: दलाली इस जीवने कीधी; अंति: आगे थारो इकतार, गाथा-३१. ६. पे. नाम. ऐवंतीसुकमाल महामुनि चरित्र, पृ. ६आ-८आ, संपूर्ण. अवंतिसुकुमाल रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४१, आदि: आदीसर अरिहंतने नमिण; अंति: शांतिहरष सुख
पावै जी, ढाल-१३, गाथा-१०३. ७. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
पंन्या. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन मेतारज मुनि; अंति: लहै अविचल ठांमो, गाथा-१५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१९३ ८. पे. नाम. बुढाणोदुढालीयो, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-बुढ़ापा, रा., पद्य, आदि: किणरे बुढापो तेडीयो; अंति: जिणरे चरनारी बलिहारी, गाथा-१७. ९. पे. नाम. आशिर्वाद श्लोक संग्रह, पृ. ९आ, संपूर्ण. आशीर्वाद श्लोक संग्रह, क. विमल, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: हिमशिशरबसंतोग्रीष्म; अंति: अर्थ भेद पंडित करें,
श्लोक-९. २८२५४. नेमराजुल चौवीसचोक, सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ५, जैदे., (२५.५४११,
१३४३०-३५). १.पे. नाम. नेमराजुल २४चोक, पृ. १अ-७अ, संपूर्ण, वि. १८४५. नेमराजुल संवाद चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: एक दिवस वसें नेमकुमर; अंति:
तस सीस अमृत गुण गाया, चोक-२४. २. पे. नाम. रुक्मिणी पुरवभव सज्झाय, पृ. ७१-७आ, संपूर्ण. रुक्मिणी सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विचरंता गामो गाम; अंति: जाइ राजविजे रंगे भणे,
गाथा-१४. ३. पे. नाम. राजुल गीत, पृ. ७आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल छोडी नेमजी; अंति: तणो सीस जपे जिनेंद्र, गाथा-८. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. शिवकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: आज भले दिन उगायो; अंति: सीव० चरणा सुतेरो, गाथा-४. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. सुखसागर, पुहि., पद्य, आदि: तु मेरा मनमै प्रभु; अंति: अलख निरंजण छिन मे, गाथा-५. २८२५५. (+) धर्मदत्तादि कथा संग्रह, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. १६, कुल पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित.,
जैदे., (२६.५४११, १८-२०४४८-५०). १. पे. नाम. धर्मदत्त कथा, पृ. १अ-७आ, संपूर्ण.
सं., प+ग., आदि: सव्वे तांह पसत्था; अंति: (१)विहितं सुकृतं नरस्यः, (२)संयमंलात्वा शिवमापः. २. पे. नाम. पुण्यसार कथा, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
सं., गद्य, आदि: साधर्मिकाणां वात्सल; अंति: ज्ञानमुपाय॑सिद्धः. ३. पे. नाम. शीलकांता कथा, पृ. ८-१०आ, संपूर्ण.
शीलकांता कथा-शीलविषये, सं., गद्य, आदि: वह्निस्तस्य जलायते; अंति: क्षपत्वा मुक्तिं गतौ. ४. पे. नाम. वसतिदानादि विषयक दृष्टांत कथा संग्रह, पृ. १०आ-१६आ, संपूर्ण. वसतिदानादि विषयक दृष्टांत कथासंग्रह, प्रा.,सं., गद्य, आदि: वसही सयणासण भत्तपाण; अंति: भवे मोक्षं यास्यति,
कथा-८. २८२५६. स्तवन, सज्झाय व स्तोत्रभाषा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. १०, जैदे., (२६४११,
१३-१४४३५-४६). १. पे. नाम. सीमंधरजिन विनती स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. सीमंधरजिनविनती स्तवन, उपा. भक्तिलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सफल संसार अवतार हु; अंति: पूरि आस्या
मनतणी, गाथा-१८. २. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. भूधर, पुहि., पद्य, आदि: लगीलो नाभिनंदनसुं; अंति: श्रीजिन समझी भूधरयुं, गाथा-४. ३. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहै जिणहरष सुजाण रे, गाथा-९. ४. पे. नाम. सम्मेतशिखरगिरी स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४४, आदि: तोह नमो तोह नमो समेत; अंति: जात्रा सफल करी, गाथा - १०.
५. पे. नाम. स्वार्थ सज्झाय, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
आ. दयासूरि, मा.गु., पद्य, आदिः स्वारथीयो संसार; अंतिः दया० ज्युं तरो भवपार, गाथा- ६.
६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-प्रभाती, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि सारद वदन अमृत ध्वनी; अंतिः पुन्य दसा इम जागी रे, गाथा- ६.
७. पे. नाम. कल्याणमंदिर भाषा, पृ. ३आ-५आ, संपूर्ण.
कल्याणमंदिर स्तोत्र - पद्यानुवाद, जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदिः परमज्योति परमातमा; अंतिः कारन समकित शुद्धि, गाथा-४४.
८. पे. नाम. भक्तामरस्तोत्र भाषा, पृ. ५आ - ७अ, संपूर्ण.
मु. श्रीसार, मा.गु., पद्म, आदि: अमर मुगट मणि कृत; अंतिः तेन होत जय श्रीसार, गाथा-४५,
९. पे. नाम. वरकाणां पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- वरकाणा, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: कांइ जीव मनमै कसके अंतिः श्रीपास पसावो रंगरली, गाथा- ९.
१०. पे. नाम. आत्मशिक्षा सज्झाय, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
वा. चारुदत्त, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवरनां प्रणमी; अंति: करई ते शिवसुख लहै, गाथा- २३.
२८२५७. सप्तस्मरण व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ११-४ (१ से २,५ से ६) -७, कुल पे. ६, जैवे. (२६११,
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१३४३४-३८).
१. पे. नाम. पार्श्वनाथ नमस्कार, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा - २७ अपूर्ण तक नहीं है.
जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि (-); अंतिः विण्णव अनिंदिय, गाथा - ३०.
२. पे. नाम. सप्तस्मरण - खरतरगच्छीय, पृ. ३अ -१०अ, अपूर्ण, पू. वि. बीच के पत्र नहीं हैं., पे. वि. प्रथम स्मरण की
गाथा - २६ से तृतीय स्मरण गाथा ३ अपूर्ण तक नहीं है व अंतिम स्मरण की मात्र प्रथम गाथा लिखी है,
मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि अजिअं जिअ सव्वभयं अंति: (-), पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
३. पे. नाम. पंचपरमेष्ठि स्तोत्र, पृ. १०अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्म, आदिः परमिडिमंतसारं सारं अंति: आरोग्गदेइ सुइ पुन्नो, गाथा- ७.
४. पे नाम. लघुशांति, पृ. १०आ - ११अ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्म, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंतिः सूरिः श्रीमानदेवश्च श्लोक-१७.
५. पे. नाम. सत्तरिसयजिन स्तवन, पृ. ११अ ११आ, संपूर्ण.
तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपवासय अट्ठ; अंतिः निब्धंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४.
६. पे नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र नवग्रहगर्भित, पृ. १९आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं, गाथा ५ अपूर्ण तक है.
आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति: (-).
२८२५८. (स्तोत्र संग्रह व मंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १६, कुल पे. ५, प्र. वि. अशुद्ध पाठ,
"
प्रतिपूर्ण.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन, पृ. १५आ, संपूर्ण.
१०X३०-३१).
१. पे नाम. सातिसमरण, पृ. १अ - १५आ, संपूर्ण, पे. वि. भक्तामर स्तोत्र नहीं लिखा है,
नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: जैनं जयति शासनम्,
सं., पद्य, आदिः ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंतिः पूरय मे वांछितं नाथ,
३. पे. नाम शनिश्चर स्तोत्र, पृ. १५- १६अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः यः पुरा राज्यभ्रष्टा; अंतिः जयं कुरु कुरु स्वाहा, श्लोक ११.
लोक-५.
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जैदे. (२६४१९,
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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४. पे. नाम. बृहस्पति स्तोत्र, पृ. १६आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः ॐ बृहस्पतिः सुरा; अंतिः सुप्रसन्न सजायते, श्लोक ५.
५. पे. नाम. नवग्रह मंत्र, पृ. १६आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदिः ॐ आइचसोममंगल बुध; अंतिः जयं कुरु कुरु स्वाहा, श्लोक १.
-
२८२५९. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. १७, जैदे., ( २६११, १०x३४-३८).
9
१. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनराज सकल सुख; अंतिः केशव० सुख सोहामणोजी, गाथा - ६.
२. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवर सुखकर सही; अंति: गणि केशवनइ आणंद रे,
३. पे. नाम संभवजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
गाथा - ९.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंभव सुख कर जिन; अंतिः जयकार रे भवियां, गाथा - ९.
४. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १आ- २आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, वि. १७१२, आदि: श्रीजिनवर सुभकाय भाय; अंति: वंदन त्रिणकाल, ढाल - २, गाथा - १३.
५. पे. नाम. अभिनंदनजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: गुणनिधि गिरुआ गाईयइ; अंतिः केशव० सुंदर सुख सफार, गाथा-८.
६. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: सुमति सुमति धर नर वर; अंति: गनि केशव सुवखानी हो, गाथा - ५. ७. पे नाम, पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरासुर सेवित; अंति: गणि केशव सुखसार, गाथा- ७.
८. पे नाम. सुपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ -३आ, संपूर्ण,
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: अनंत सुखकारनी जिन; अंति: केशव० लाभ हेतु जानी, गाथा-४. ९. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभू प्रणमुं रे; अंति: जिन वंदन त्रिणकाल ए, गाथा - ९.
१०. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. ४अ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिन शीतल सुखकरु; अंतिः वंदन त्रिणकाल हो, गाथा- ७. ११. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
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ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुख करन दुःख हरन; अंति: केशव० तुम्हभिधानं, गाथा-५. १२. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवर जगि जयकरु; अंति: आपयो धर्म सनेहज रे, गाथा - ८.
१३. पे नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवर नित्य सेवी अंति: केशव० तेरी भल ठकुराई, गाथा - ६. १४. पे नाम, श्रेयांसजिन स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीश्रेयांस कुलवतंस; अंति: केशव० प्रभू मुनींदा, गाथा - ७. १५. पे. नाम. वासुपूज्यजिन स्तवन, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि प्रथम नमुं जिन पाया; अंतिः केशव तुम गुण गावे हो, गाथा-९, १६. पे. नाम. विमलजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवर नित्य जय; अंतिः केशव कोडि कल्याण रे, गावा-५, १७. पे. नाम. अनंतजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
ग. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअनंत अनंत सुखदाय; अंतिः केशव नित्य गाय, गाथा- ४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८२६०. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८०-७१(१ से ७१)=९, कुल पे. ६, जैदे., (२६४११.५,
१४-१६x४३-४७). १. पे. नाम. अरहन्नकरीषीस्वर सज्झाय, पृ. ७२अ-७३आ, संपूर्ण. अरणिकमुनि सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन जननी रे लाल; अंति: लब्धि भणइ० आगम
सुणी, गाथा-१८. २. पे. नाम. झांझरीया रूषीश्वर चउढालीयां, पृ. ७३आ-७६अ, संपूर्ण. झाझरियामुनि सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८१, आदि: सरसती चरणे सीस नमावी; अंति:
मानविजय जयकार कें, ढाल-४. ३. पे. नाम. धन्नाऋषिस्वर सज्झाय, पृ. ७६आ-७७अ, संपूर्ण. धन्नाअणगार सज्झाय, मु. श्रीदेव, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवचने वयरागी हो; अंति: देवविजय० जय जयकार रे,
गाथा-११. ४. पे. नाम. मनकमुनि सज्झाय, पृ. ७७अ-७७आ, संपूर्ण.
मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: नमो रे नमो मनक; अंति: पामो सद्गति सारो रे, गाथा-१०. ५. पे. नाम. कायाकुटुंब सज्झाय, पृ. ७७आ-७८आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. दयाशील, मा.गु., पद्य, आदि: नाहलो न माने रे; अंति: जोज्यो पंडित विचार, गाथा-११. ६.पे. नाम. दशार्णभद्र राजऋषिस्वर स्वाध्याय, पृ. ७८आ-८०आ, संपूर्ण. दशार्णभद्रराजा सज्झाय, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारद बुधदायक सेवग; अंति: भणे लालविजय
निशदिश, गाथा-९. २८२६१. विविध विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. १२, जैदे., (२६४११.५, १४-१६x४३-४७). १. पे. नाम. समुद्धात विचार, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: जे केवली वेदनीयादिक; अंति: बीजे सगले समये आहारक. २. पे. नाम. ध्यानभेद विचार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: आर्तध्यानरा पाया ४; अंति: सुक्लध्यानरा पाया ४. ३. पे. नाम. पृथक्तवितर्क विचार, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: नाना प्रकार नय विचार; अंति: पाछी निवृत्ति नही ४. ४. पे. नाम. गुणठाणा विचार, पृ. १आ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थानक नाम, मा.गु., गद्य, आदि: मिथ्यात्व गुणठाणो १; अंति: सयोगी १३ अयोगी १४. ५. पे. नाम. चौदगुणठाणे उदयास्त विचार, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थान उदयास्त विचार, मा.गु., गद्य, आदि: सामान्यपणें सम्यक्त; अंति: सर्व लोकमाहिं लाभई. ६. पे. नाम. योग विचार, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: योग ११ नारकी १२ देव; अंति: बीजा न लाभई. ७. पे. नाम. ८२ प्रकार कर्मभेद, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: मतिज्ञानावर्ण १; अंति: वामन कुब्जक हुंडक. ८. पे. नाम. षद्रव्य विचार, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
षड्द्रव्य विचार, मा.गु., गद्य, आदि: धर्मास्तिकाय १ अधर्म; अंति: कहतां प्रदेस रहित छै. ९. पे. नाम. प्रश्नोत्तर संग्रह, पृ. ३आ-५आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: नवकार मांहि पहिला पद; अंति: अपेक्षायै करी जाणवू, प्रश्न-३२. १०. पे. नाम. सूर्यचंद्र आंतरुं विचार, पृ. ५आ-८अ, संपूर्ण.
सूर्यचंद्र अंतर विचार, मा.गु., गद्य, आदि: मध्य मांडलाने विषइ; अंति: विमान जेहना इत्यर्थ. ११. पे. नाम. जंबूद्वीपगणित विचार, पृ. ८अ-१०आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
___ मा.गु., गद्य, आदि: जंबूद्वीपनुं गणितपद; अंति: राशि २४१८८६६६१७५६५३२. १२. पे. नाम. द्वादससमुद्र आमनाय, पृ. १०आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: आगलाद्वीपनी परीध; अंति: आंगुल माहाविरना थाई. २८२६२. सज्झाय, सवैया व श्लोक संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-३(१ से ३)=६, कुल पे. ६, जैदे., (२७४११.५,
१७४४२-४९). १.पे. नाम. संतोषछत्रीसी, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८४, आदि: साहमीसु संतोष करिजे; अंति: सी कीधी संघ जगीस जी,
गाथा-३६. २. पे. नाम. पुण्यछत्रीसी, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण. पुन्यछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६९, आदि: पुन्य तणां फल परति; अंति: फल परतक्ष जी,
गाथा-३६. ३. पे. नाम. सवैयाछत्तीसी, पृ. ५आ-७आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, वि. १६९०, आदि: देवतओ अरिहंत गुरु; अंति: हुइज्यो माहरो अवतार, गाथा-३६. ४. पे. नाम. अध्यात्मबत्तीसी, पृ. ७आ-९अ, संपूर्ण.
मु. बालचंद, पुहिं., पद्य, वि. १६८५, आदि: अजर अमर परमेश्वरकुं; अंति: कहे अरिहंत देवरे, गाथा-३२. ५. पे. नाम. नेमराजुलबारमास, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण. नेमराजिमती बारमासो, पं. लक्ष्मण पंडित, पुहिं., पद्य, आदि: अब गाजत मास आषाड; अंति: बोलत लक्ष्मण
पंडीतरी, गाथा-१३. ६. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. ९आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
___ मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८२६३. (+) सज्झाय व स्तवनादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८४४-१८६६, ज्येष्ठ शुक्ल, मध्यम, पृ. ६६-९(१६ से १९,४३ से ४५,५१
से ५२)=५७, कुल पे. ९८, ले.स्थल. पाली, प्रले. ऋ. आसकरण (गुरु ऋ. रायचंद),प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२६.५४११, २०४५२). १. पे. नाम. द्रौपदीसती सज्झाय, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: सीख एक पुजनौ धर्मरूच; अंति: द्रौपदीरौ हुवौ अछेरो, ढाल-१०. २. पे. नाम. कमलावती सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. कमलावतीसती सज्झाय, ऋ. जैमल, पुहिं., पद्य, आदि: मैहला मै बैठी राणी; अंति: मिच्छामि दुकडम् मोय,
गाथा-२८. ३. पे. नाम. करकंडुमुनि सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानगरी अतिभली हु; अंति: प्रणम्या पातक जाय रे, गाथा-५. ४. पे. नाम. दूमराय-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नगर कपीलानो धणी रे; अंति: नित प्रणमुंपाय रे, गाथा-७. ५. पे. नाम. नमीराय-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण. नमिराजर्षि-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नयर सुंदरसण राय हो; अंति:
समयसुंदर कहै साधुने, गाथा-६. ६. पे. नाम. नीगइराय-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पुंडप्रधान पुर राजी; अंति: प्रत्येक बुद्ध हो, गाथा-६. ७. पे. नाम. ४ प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चिहंदीसथी च्यारे; अंति: गाया पाटण परसिद्ध, गाथा-५. ८. पे. नाम. धन्ना सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
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१९८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची धन्नाअणगार सज्झाय, मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सुणवाणी वैरागीयोजी ए; अंति: तुम चेतो चतुर सुजाण,
गाथा-१२. ९. पे. नाम. धन्नाअणगार सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. श्रीदेव, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवचनै वैरागीयो हो; अंति: तीण घर जै जैकार, गाथा-१३. १०. पे. नाम. दशार्णभद्र सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सीमरु जीनवर मनरली; अंति: भांत भांत कर खमायौ, ढाल-४. ११. पे. नाम. २२ परिसह सज्झाय, पृ. ४आ-७आ, संपूर्ण, वि. १८४४, आश्विन कृष्ण, ११, ले.स्थल. मेडता नगर,
प्रले. ऋ. आसकर्ण (गुरु ऋ. रायचंद), प्र.ले.पु. सामान्य. मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८२२, आदि: श्रीआदेसर आद दै चौवी; अंति: वीसपत भले वालो जी,
ढाल-२२. १२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मु. वसतो, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवन साहिब सांभल; अति: मुज वंदना त्रिकाल, गाथा-७. १३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ८अ-९अ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: श्रीजिणवर दीयौ इसौ; अंति: (-), गाथा-२१. १४. पे. नाम. वैराग्यपचीसी, पृ. ९आ, संपूर्ण.
वैराग्यपच्चीसी, ऋ. रायचंद, रा., पद्य, वि. १८२१, आदि: सासणनायक श्रीवर्धमान; अंति: रायचंद० जीणजी रो
जाप, गाथा-२६. १५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
ऋ. आसकरण, पुहि., पद्य, आदि: तीन वैचैता नंद दीधी; अंति: साचौ है जिणंद सर्ण, पद-१. १६. पे. नाम. सुभद्रासती सज्झाय, पृ. १०अ-१२अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, पुहिं., पद्य, वि. १८२६, आदि: तिण काले ने तिण समे; अंति: रायचंद०० सबल दास, ढाल-८. १७. पे. नाम. नंदमणीयार सज्झाय, पृ. १२अ-१४अ, संपूर्ण. नंदमणियार सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, पुहि., पद्य, वि. १८२१, आदि: ग्यातासुत्र मधे तेर; अंति: श्रावक श्रीकार हो,
ढाल-१३. १८. पे. नाम. कामदेव श्रावक चौढालिया, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
ऋ. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२७, आदि: वेहरमान वीसे नमु; अति: रायचंद० श्रावक तणी, ढाल-४. १९. पे. नाम. वेगवंती सज्झाय, पृ. १४आ-१५आ, संपूर्ण.
ग. समयसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: जंबुदीप अति भलौ उतम; अंति: उपनो भोगवे सुख अनंत, ढाल-२. २०. पे. नाम. चंद्रगुप्तराजा १६ स्वप्न सज्झाय, पृ. १५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: पाडलीपुर नामे नगर; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-२९ तक है.) २१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २०अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मु. रायचंद, रा., पद्य, आदि: (-); अंति: मुगतऐ खैम देसो पावो, गाथा-२०, (पू.वि. गाथा-१३ अपूर्ण तक नहीं
२२. पे. नाम. मनुष्यजन्म दुर्लभ सज्झाय, पृ. २०अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मनुष जनम दूलोहो जाणी; अंति: रायचंद० वारू वारो, गाथा-१७. २३. पे. नाम. हुकमीचंद गुरु सज्झाय, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, रा., पद्य, वि. १८३२, आदि: सुणो पुज म्हारी; अंति: रायचंद० मन हुलास, गाथा-२४. २४. पे. नाम. सीखामण सज्झाय, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण. शिष्यगुणपच्चीसी, मु. रायचंद, रा., पद्य, वि. १८३२, आदि: सिख सुवनीत देखने ठरै; अंति: रायचंद० सिखजी
सुणौ, गाथा-२५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१९९ २५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २१अ-२१आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मम कर जीवडारे; अंति: जीव अजीव पीछाणीयो, गाथा-१७. २६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २१आ, संपूर्ण.
महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भुलो मन भमरा काइ; अंति: उगारीयै लेखो सयब साथ, गाथा-९. २७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २१आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: हठ वडो मै लाजी सो जग; अंति: मेलो मुगतनो पथ, गाथा-१६. २८. पे. नाम. वणजारा सज्झाय, पृ. २२अ, संपूर्ण.
मु. श्रीसार, पुहिं., पद्य, आदि: विणजारा रे तेतउ करि; अंति: सार अंतरजामी माहरओ, गाथा-९. २९. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २२अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: तम तरण तारण भव निवार; अंति: ध्यानथी रिष दरसणनइ, गाथा-११. ३०. पे. नाम. कुपात्रनारी सज्झाय, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: चोपइनी पौत पाप हुवे; अंति: पछै कुरांड गरज नीसरे, गाथा-१९. ३१. पे. नाम. पुन्य पच्चीसी, पृ. २३आ, संपूर्ण, पे.वि. अंतिमवाक्य अवाच्य है.
पुण्य पच्चीसी, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८३५, आदि: पोते पुन हुवे जेहने; अंति: (अपठनीय). ३२. पे. नाम. चौपटखेल सज्झाय, पृ. २३अ, संपूर्ण. ___आ. रत्नसागरसूरि, पुहि., पद्य, आदि: प्रथमउ सब मैल झाटकी; अंति: भेदे संजम धार रै, गाथा-१४. ३३. पे. नाम. नारी सज्झाय, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: देखो नारी का दम खुता; अंति: ज्यांने मुगत नजीक. ३४. पे. नाम. भरतचक्रवर्ती सज्झाय, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. ऋषभदास, मा.गु., पद्य, आदि: जंबू भर्त मझार इंद्र; अंति: रिषभदास समरै सदा, गाथा-१३. ३५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २४अ-२६अ, संपूर्ण.
क्र. जैमल, मा.गु., पद्य, वि. १८७५, आदि: इम सतगुरु जीवनै समजा; अंति: पुन्यवंत प्राणी रे, गाथा-१०१. ३६. पे. नाम. दुर्लभ मनुष्यजन्म सज्झाय, पृ. २६अ-२६आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: दुर्लभ मनुष्य जमारो; अंति: अब कर जीवारी संभाल, गाथा-२९. ३७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २६आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: सुत्र सिद्धतरी रैस; अंति: सैवौ गुरु निग्रंथ, गाथा-२०. ३८. पे. नाम. देवलोक सज्झाय, पृ. २७अ, संपूर्ण..
रा., पद्य, आदि: साध श्रावक व्रत पाल; अंति: वैगा पांमौ पार रे, गाथा-२९. ३९. पे. नाम. युगबाहु स्तवन, पृ. २७आ, संपूर्ण. युगबाहुजिन स्तवन, मु. जिनदेव, मा.गु., पद्य, आदि: इण जंबुदीवइ जाणीयै; अंति: जिणदेवनी० नीत सेव रे,
गाथा-१५. ४०. पे. नाम. नवकार गुणपचीसी, पृ. २७आ-२८अ, संपूर्ण.
नवकार गुणपच्चीसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिणवर दै इम; अंति: सुणतां अति सुखकार, गाथा-२४. ४१. पे. नाम. निद्रा सज्झाय, पृ. २८अ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: थानै सतगुरु देवै; अंति: घणा करै हौ घूरराटा, गाथा-१३. ४२. पे. नाम. कसीदो सज्झाय, पृ. २८अ-२८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: करोरै कसीदौ इण पर; अंति: सूख पावै नीतमेवरे, गाथा-७. ४३. पे. नाम. अनागत २४जिन स्तवन, पृ. २८आ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन-अनागत, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम माहाराज सेणक; अंति: ऋष जैमलजी जौड है,
गाथा-१२.
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२००
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २८आ-२९अ, संपूर्ण.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: जिण कही काया माया; अंति: उपजै सुख परम रै, गाथा-३२. ४५. पे. नाम. दुर्लभमनुष्यजन्म सज्झाय, पृ. २९अ-३०अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: दुर्लभ लाधो मनुष्य; अंति: क्रोध लोभ अहंकार नही, गाथा-१९. ४६. पे. नाम. १५ तिथि सज्झाय, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: एकु कहै तु एकलो रे; अंति: इहां पनरा० धरम सार, गाथा-१७. ४७. पे. नाम. चंदनबालासती सज्झाय, पृ. ३०अ-३१अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: कसुंबी नगरी पधारीया; अंति: चंदनबाला मूगतै गई, गाथा-५५. ४८. पे. नाम. मेघकुमार चौढालीयो, पृ. ३१अ-३१आ, संपूर्ण.
मेघकुमार चौढालियो, मु. जादव, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम गणधर गुण नीलो; अंति: भणता रे सुख थाय, ढाल-४. ४९. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. ३१आ, संपूर्ण..
मु. विमलकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: बाहुबल चारित लीयो; अंति: विमलकीर्ति सुखदाई, गाथा-१२. ५०. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ३१आ-३२अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: समवसरण बेठा भगवंत; अंति: कहै कहौ द्याहडी,
गाथा-११. ५१. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. ३२अ-३२आ, संपूर्ण.
पंन्या. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मगधदेस सेणक इधकारी; अंति: कनकविजय० मुनी रामौ, गाथा-२९. ५२. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठानी सज्झाय, पृ. ३२आ-३३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पह उठी रे पंच परम; अंति: पोहता मुगत मझारो रे, ढाल-३. ५३. पे. नाम. सुकोमलसाधुसज्झाय, पृ. ३३अ-३३आ, संपूर्ण.
मु. जैमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: तिण अवस मुनिराय; अंति: जैमल० संकजो नरनार, ढाल-३. ५४. पे. नाम. वज्रकुमारमनोरमासती सज्झाय, पृ. ३३आ-३४अ, संपूर्ण. वज्रकुमार-मनोरमासती सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: नगरी अजौध्या राय; अंति: संजम० मुगत सीधावसी,
ढाल-४. ५५. पे. नाम. सुदर्शनशेठ अभयाराणी सज्झाय, पृ. ३४अ-३५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सील तणा गुण छै घणा; अंति: जाय विराज्या मोख हो, ढाल-५. ५६. पे. नाम. रेवतीश्राविक सज्झाय, पृ. ३५अ, संपूर्ण.
रेवतीश्राविका सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सोवन सिंघासण बैठी; अंति: आनंद हर्ष अपार रे, गाथा-१०. ५७. पे. नाम. भेरी सज्झाय, पृ. ३५आ-३७अ, संपूर्ण.
ऋ. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८४३, आदि: शांतिनाथनै सीमरीयै; अंति: राय० उपजे प्रेम आणंद, ढाल-९. ५८. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ३७अ-३७आ, संपूर्ण, पे.वि. दो पत्र चिपके होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.
मु. खेम, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीवनयर सोहामणो; अंति: (-). ५९. पे. नाम. अज्ञात सज्झाय, पृ. ३७आ-३८अ, संपूर्ण, पे.वि. दो पत्र चिपके होने से आदि-अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.
औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ६०. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-बुढ़ापा, पृ. ३८अ, संपूर्ण, पे.वि. दो पत्र चिपके होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.
क. मान, मा.गु., पद्य, आदि: सुगण बुढापो आवीयो; अंति: (-). ६१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३८अ-३८आ, संपूर्ण, पे.वि. दो पत्र चिपके होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है.
मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: आदि० सूत्रनै न्यावौ, गाथा-१४. ६२. पे. नाम. मानछत्रीसी, पृ. ३८आ, संपूर्ण.
मानपरिहारछत्रीसी, मा.गु., पद्य, आदि: मान न कीजे रे मानवी; अंति: काढसी खरची आगे है, गाथा-२०.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
६३. पे. नाम. गुरुगुण सज्झाय, पृ. ३९अ, संपूर्ण. ऋ. रायचंदजी, पुहिं., पद्य, वि. १८४०, आदि: गुर इमरत रस जीम लागै; अंति: साध साधवी जावनै जावै,
गाथा-२१. ६४. पे. नाम. पद्मनाभजिन स्तवन, पृ. ३९अ-३९आ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८४६, आदि: जंबुदीपना भरतक्षेत्र; अंति: सुणतां लील विलासौ, गाथा-१५. ६५. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३९आ, संपूर्ण, पे.वि. दो पत्र चिपके होने से आदिवाक्य नहीं भरा गया है.
मु. रायचंद, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: गुरनै रीजाय लीया, गाथा-९. ६६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: ज्यु तू पार पांचंदा, गाथा-८. ६७. पे. नाम. ज्ञानएकवीशी, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: गणधर गोतम पायै लागु; अंति: गुण संभालौ, गाथा-२१. ६८. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ४०अ-४०आ, संपूर्ण.
ऋ. किसन, मा.गु., पद्य, आदि: दिल लागो तुमसुं सही; अंति: किसन कहइ० अरदास, गाथा-१०. ६९. पे. नाम. सातवार सज्झाय, पृ. ४०आ, संपूर्ण..
ऋ. दुर्गदास, मा.गु., पद्य, वि. १८४४, आदि: सतगुर परउपगार नै काज; अंति: दुर्गदास० उतम ठांम, गाथा-१२. ७०. पे. नाम. मरुदेवामाता आदिजिन स्तवन, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, पुहिं., पद्य, आदि: तुम सैती नही बौलू; अंति: वरते प्रेम खुसालीजी, गाथा-८. ७१. पे. नाम. श्लोक संग्रह-, पृ. ४१अ-४७आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच के पत्र नहीं हैं., पे.वि. पत्र चिपके है.
सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). ७२. पे. नाम. संयतीराजा चरित्र, पृ. ४८अ-४८आ, संपूर्ण.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: गदभाली मुनवर कनै; अंति: संजतीनो चीरत समापतजी, गाथा-२५. ७३. पे. नाम. गजसुकुमाल सज्झाय, पृ. ४८आ, संपूर्ण. गजसुकुमालमुनि सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिकानगरी अतिभली; अंति: भावसं वंदौ वारोवार,
गाथा-१२. ७४. पे. नाम. कर्मविपाकफल सज्झाय, पृ. ४८-४९अ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: देव दाणव तिर्थंकर; अंति: नमो नमो कर्म राजा रे, गाथा-१८. ७५. पे. नाम. कपट पच्चीसी, पृ. ४९अ-४९आ, संपूर्ण, वि. १८५३, ज्येष्ठ कृष्ण, ७, प्रले. मु. सबलदास ऋषि,
प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १८३३, आदि: कपटी माणसरो विश्वास; अंति: जिणधर्म प्यारो रे, गाथा-२६. ७६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४९आ, संपूर्ण, वि. १८५३, ले.स्थल. नागोर.
मु. रायचंद, रा., पद्य, आदि: मनुष जमारौ नीठ मिलिय; अंति: ग्यानरी बात बताइ, गाथा-१६. ७७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५०अ, संपूर्ण.
मु. रत्नसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जाग रे सुग्यानी जीव; अंति: लहिज्यो सुख खेम, गाथा-१९. ७८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-परनारी परिहार, पृ. ५०अ-५०आ, संपूर्ण.
ग. कुमुदचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सुण सुण कंतारे सिख; अंति: कुमुदचंद सम उजलो, गाथा-१०. ७९. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. ५०आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणिक रयवाडी चड्यो; अंति: वंदे रे बे कर जोड, गाथा-९. ८०. पे. नाम. चंदनबाला सज्झाय, पृ. ५३अ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र की किनारी खंडित होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा है. ___मा.गु., पद्य, आदि: चित चोखी चंदनबाला पे; अंति: (-). ८१. पे. नाम. धनासालीभद्र सज्झाय, पृ. ५१अ-५१आ, संपूर्ण, पे.वि. पत्र की किनारी खंडित है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
धन्नाशालिभद्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सालभद्रने धनो दोय जण; अंति: जोडी ए गुणमाला, गाधा १६. ८२. पे नाम, मरुदेवीमाता सज्झाय, पृ. ५३आ-५४अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८५०, आदि: जंबुदीपै हो भरत; अंतिः कीनो म्यान अभ्यास, गाथा - १६. ८३. पे. नाम, स्त्री दुःखवर्णन पैतीसी, पृ. ५४अ ५४आ, संपूर्ण.
स्त्री दुःखपैतीसी, मु. रायचंद, रा., पद्य, वि. १८४०, आदि: असत्रीने दुख कया; अंति दया दुख करसी दुरी,
गाथा - ३५.
८४. पे. नाम. १६ सुख स्त्रीपुरुष विचार, पृ. ५४आ - ५५अ, संपूर्ण.
स्त्रीपुरुष १६ सुख विचार, मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८४८, आदि: पुर्वला पुन्य पोते; अंति: रायचंद ० विचरीया घणा, गाथा - २८.
८५. पे. नाम. ब्राह्मीसुंदरी सज्झाय, पृ. ५५अ - ५५आ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, रा., पद्य, वि. १८४३, आदि: रिखभ राजा रे राणी; अंतिः सीरखी वसन नही काइ, गाथा २१.
-
८६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५५आ - ५६अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १८४३, आदि: पुन्य जोगे नरभव; अंतिः जोडी बीकानेर चौमास, गाथा- १९. ८७. पे. नाम पद्मप्रभवासुपूज्यजिन स्तवन, पृ. ५६अ - ५६आ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८४१, आदि रंगभर राता ही दाता; अंति: जपतां जिनवर जाप, गाथा - १४. ८८. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ५६-५७अ, संपूर्ण.
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि बुलिभद्र मुनिसर आवो; अंतिः लगी डुनी तारी,
गाथा - १७.
८९. पे. नाम. जयंती सज्झाय, पृ. ५७अ - ५९अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्म, वि. १८४२, आदि: अरिहंत सिद्धने आरिया; अंतिः जयंतिनो नागोर चौमास, ढाल ७. ९०. पे नाम. साधुवंदना, पृ. ५९आ- ६१आ, संपूर्ण.
आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: रिसहजिण पमुह चउवीस; अंति: मनि आणंदई संथुआ, ढाल - ७.
९१. पे. नाम. अनाथीमुनि रास, पृ. ६१आ - ६३अ, संपूर्ण.
मु. खेमो ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १७३५, आदि: बंदीय वीर जिणस जगीस; अंति: लहे पामे कोडि कल्याण, डाल-८. ९२. पे नाम, आदिजिन स्तवन, पृ. ६३अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सर्वारथसीध थकी चव आय; अंति: सुख मौ दीजै कृपानाथ, गाथा-७.
९३. पे नाम, मल्लिजिन स्तवन, पृ. ६३अ, संपूर्ण,
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२७, आदि: जयंत वीमांण थकी; अंतिः जोधाणे मझारी रे, गाथा ८. ९४. पे. नाम. चौवीसजिन परिवार स्तवन, पृ. ६३ अ - ६३आ, संपूर्ण.
२४ जिनपरिवार स्तवन, मु. कर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: चौवीस तीथंकरनो; अंतिः श्रीसंघ प्रणमै सही, गाथा - ६.
९५. पे. नाम. अजितशांति स्तवन, पृ. ६३आ, संपूर्ण, वि. १८५७, वैशाख शुक्ल, १४, ले. स्थल. थबुकरा,
प्रले. ऋ. सचलदास (गुरु ऋ. आसकर्ण), प्र.ले.पु. सामान्य.
संबद्ध, उपा. मेरुनंदन, मा.गु., पद्य, वि. १५वी, आदि: मंगल कमलाकंद ए; अंति: मेरुनंदण उवज्झाय ए. गाथा - ३२. ९६. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ६४अ, संपूर्ण.
मु. दियाल, मा.गु., पद्य, वि. १७४२, आदि: संत जीणेसर संत करे; अंति: (-), (पूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. मात्र अंतिम गाथा नहीं लिखी है.)
9
९७. पे नाम, सिखपुर सज्झाय, पृ. ६४अ ६४आ, संपूर्ण, ले. स्थल, सोजत,
शिवपुर सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: गोतमस्वामी पुछा करी; अंति: पामो सुख अधाग हो, गाथा - १६. ९८. पे नाम, मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ६५अ-६६अ, संपूर्ण, वि. १८६६, ज्येष्ठ शुक्ल, ५, ले. स्थल, पाली, प्रले. मु. आसकरण ( गुरु ऋ. जैमल ), प्र.ले.पु. सामान्य.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२०३ मा.गु., पद्य, आदि: तिण काले ने तिण समै; अंति: जीव जासी मोख हो, ढाल-२०. २८२६४. सज्झाय, पद, होरी, धमाल आदि काव्य संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ९३, जैदे., (२७४११.५,
२०-२९४५०-८६). १. पे. नाम. चौपटखेल सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. रत्नसागरसूरि, पुहि., पद्य, आदि: प्रथम अशुभ मल झाटिके; अंति: कहै रत्नसागरसूर रे, गाथा-२२. २. पे. नाम. नेमिजिन बारमासो, पृ. १अ, संपूर्ण. नेमराजिमती बारमासो, म. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: राणी राजुल इण परि; अंति: पाले अविहड प्रीत रे,
गाथा-१३. ३. पे. नाम. नारी सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: नारि मदमाती हो हाथणि; अंति: हर्षकीरत० गुणवंता हो, गाथा-२०. ४. पे. नाम. आठमद सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
८ मद सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम ऋषभ नमो जिनराज; अंति: जिम भवसागर उतर तिरो, गाथा-१७. ५. पे. नाम. तमाकुपरिहार सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीतम सेती विनवे; अंति: ते लहै कोडि कल्याण, गाथा-२२. ६. पे. नाम. श्रावकगुण सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चतुर नर सुणजो रे; अंति: मुक्त रमण से कंत, गाथा-१२. ७. पे. नाम. नववाड सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: रिषभजिनेसर प्रणमु; अंति: रूडा पालजोजी साध, ढाल-१, गाथा-२६. ८. पे. नाम. सुगुरुपच्चीशी सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुरु पीछाणों एवं; अंति: शांतिहर्ष उछरंगजी, गाथा-२५. ९. पे. नाम. दया सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सुंदर वेल दया भणी; अंति: दयाय वेल जीव आदरो, गाथा-९. १०. पे. नाम. स्थुलीभद्र सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. भक्तिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस सहेलीसू कहै; अंति: भक्ति०थूलभद्र मुनिंद,
गाथा-१९. ११. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. दीप, पुहि., पद्य, आदि: सो जोगी मन भावै अवधू; अंति: दीप० जोत मिलावइ, गाथा-५. १२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
म. राजसमद्र, पहिं., पद्य, आदि: अवसर चल्योरेव जाय; अंति: यं ही जिनम गमाय, गाथा-४. १३. पे. नाम. काव्य/दुहा/कवित्त/पद्य , पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी
हुई है. विविध विषयों का संग्रह है.
मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-२६. १४. पे. नाम. नेमिजिन नवमंगल, पृ. ४अ-५आ, संपूर्ण.
मु. सुनंदलाल, मा.गु., पद्य, वि. १७४४, आदि: अजी गुरु गणधर देव; अंति: लाल मंगल गाईया, ढाल-९. १५. पे. नाम. पंचकल्याणक स्तवन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: पणमवि पंच परम गुरु; अंति: जिनदेव चौ संघहि जयो, ढाल-५, गाथा-२५. १६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. राजसमुद्र, पुहिं., पद्य, आदि: कुण धर्म को मर्म लहै; अंति: पुरुष कुण पावैरी, गाथा-३. १७. पे. नाम. वणजारा सज्झाय, पृ. ६आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: विणजारा रे भाई देखी; अंति: मुक्ति तणा फल तो लहउ, गाथा-१९.
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२०४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १८. पे. नाम. कुंडलीया, पृ. ६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक कुंडलिया, क. गिरधर, पुहिं., पद्य, आदि: साइ कर ग्रह गिरधारो; अंति: आखर फना का दोर हइ. १९. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ६आ, संपूर्ण.
भूधर, पुहि., पद्य, आदि: नाभ नंदनसूं लगी लव; अंति: जिन कहैत भूधर यु, गाथा-४. २०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ६आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है.
नेमिजिन स्तवन, म. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीनेमजिणेसर तीन; अंति: दोलत० श्रीनेम जिणेसर, गाथा-५. २१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहि., पद्य, आदि: समकित दोरी शील लंगोट; अंति: न कलि में आउं रे, गाथा-५. २२. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. रिखजी, पुहिं., पद्य, आदि: भय भूजावलही थकै दोउ; अंति: नटवा जीकै सौख्या लहै, गाथा-६. २३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु.गुणसागर, पुहि., पद्य, आदि: सुग्यानी सिवपुर लेह; अंति: लीजइ तत्व ज छांनि, गाथा-९. २४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. गुणसागर, पुहिं., पद्य, आदि: कंत चतुर दलिआनि हो; अंति: सुनो भव्य जिनवानी हो, गाथा-६. २५. पे. नाम. साधारणजिन पद, प्र. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहिं., पद्य, आदि: लगन लगी मोरी लगन लगी; अंति: जगतराम रंग समान पगी, गाथा-३. २६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: चरचा आतमराम की रूचसू; अंति: इह जांनिवो जानि, गाथा-२. २७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: जनम सफल भयो आज हमारो; अंति: नवल० पति सरणाइ, गाथा-६. २८. पे. नाम. इंद्रवधावो पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: वंदोजी चोवीसो जिणंद; अंति: मुकतरमणि सुख भोगवैजी, गाथा-१३. २९. पे. नाम. साधुसज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण.
उपा. सुजस, पुहि., पद्य, आदि: हे जी वनवासी साध मोह; अति: ताको जगत सूजस गावे, गाथा-५. ३०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: तु तो समझ समझरे भाई; अंति: सतगुरु सीख बताई, गाथा-४. ३१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. जीवणराम, रा., पद्य, आदि: वारी वारी हो वांमाजी; अंति: कुमति कुसंग निवारीजी, गाथा-४. ३२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. दोलत, मा.गु., पद्य, आदि: ध्यावो श्रीजिन पास; अंति: दोलत प्रभू वारूं वार, गाथा-१०. ३३. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: उठ प्रभातइ सूमरीये; अंति: एहवा वीर जीनंदा, गाथा-५. ३४. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीमहावीर जपो रे; अंति: वंदै दोलत मन वच काई, गाथा-४. ३५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: चेत रे चेत अचेत होय; अंति: दोलत० धरम अपुरव पाई, गाथा-६. ३६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: तारो श्रीजिनराज हो; अंति: दोलत० राज हो प्रभूजी, गाथा-४. ३७. पे. नाम. नवकारमंत्र पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
मु. दोलत, मा.गु., पद्य, आदि: मंत्र जपो नवकार; अंति: दौलत० सुमरि नवकार, गाथा-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३८. पे नाम, नेमिजिन स्तवन, पृ. ८अ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीनेमजिणेसर तीन; अंति: मुक्ति गया गिरनार रे, गाथा - ५. ३९. पे. नाम महावीरजिन पद, प्र. ८अ संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहिं., पद्य, आदि: सांकरै को यार प्रभु; अंति: जगराम० सुमर वारंवार, गाथा-४. ४०. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८अ संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहिं., पद्य, आदि: नैनन ऐसीवान परगई; अंतिः जगतराम० नैनन परगई, गाथा २. ४१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ८ अ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहिं., पद्य, आदि: कौन कूवानि परी रे; अंति: जग प्रभू गरव हरी रे, गाथा- ३. ४२. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ८अ, , संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहिं., पद्य, आदि: का कीनी हे मा मेरे; अंति: सुनो मति भिनी हे मा, गाथा - ३. ४३. पे, नाम, गर्व पद, पृ. ८अ, संपूर्ण
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभू तेरी मूरत द्रग; अंति: नवल की जनम मरन मिटाव, गाथा-४.
४५. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: इतने पर कीम गरूर करी; अंति: नवल० कहै इक बात खरी, गाथा-४. ४४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि माधुरी जिनवानि चलौरी; अंति: जगप्रभूसूं हित सांनि, गाथा-४,
४६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: पडाउ इन नैनो दाय; अंति: नवल० पातग सकल झराव, गाथा - २. ४७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: आज कोई अदभुत रचना; अंति: नवल० हरिख धरि कैनची, गाथा-३. ४८. पे. नाम, नेमराजिमती पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: साडरी सरन तुम नेम; अंति: सिवपुर० वास किया, गाथा - ३.
४९. पे नाम, साधारणजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. भूधर, पुहिं., पद्य, आदि: मैतो तेरी आज महिमा; अंति: हम जाचक तुम दानी, गाथा-४. ५०. पे. नाम. आदिजिन रेखता, पृ. ८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मुझे है चाव दरसनका; अंति: कुमत के० क्या होयगा, गाथा -५.
५१. पे. नाम. नवकारमंत्र महिमा पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
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मु. खानत, मा.गु., पद्य, आदि: मेरी बेर कहा ढील करी; अंतिः वैराग दसा हमरीजी, गाथा ४. ५२. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: भज मन नाभिनंदन चरन; अंतिः विरद तारण तरन, गाथा - ३.
५३. पे नाम, गजसुकुमालमुनि सज्झाय, पृ. ८आ, संपूर्ण,
मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: खिमा करी मुनराई; अंति: मुक्त रमणि जिन पाई, गाथा - ५. ५४. पे नाम, साधारणजिन होरी, पृ. ८आ, संपूर्ण,
मु. उदयरतन, पुहिं., पद्य, आदि: रंग मच्यौ जिन द्वार; अंति: रंग मच्यौ प्रभूद्वार, गाथा-४. ५५. पे. नाम. भरथरीराजा धमाल, पृ. ९अ, संपूर्ण.
भर्तृहरी धमाल, पुठि, पद्य, आदि: तुम्ह रहो रहो राजा; अंति फिरो राजा भरथरी, गाथा - १४. ५६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
गोविंददास, पुहिं., पद्य, आदि: गुरु के सरणै आयै; अंति: लगइन गोविंददास, गाथा - ७. ५७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मु. कुसल, पुहिं., पद्य, आदि: मति तोडै काची कलीया; अंति: कुसल मनि कामनियां, गाथा- ४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मु. सरूपचंद पंडित, पुहिं., पद्य, आदि: दया धरम कर जीवडा बोल; अंति: सरूपचंद० परम पद पाय, गाथा-११. ५९. पे. नाम. पुद्गलममता पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मु. दोलत, पुहिं., पद्य, आदि: पुद्गल की ममता दुख; अंति: वंदै दौलत मन वच काई, गाथा-४. ६०. पे. नाम. सीमंधरजिन वीनतीस्तवन, पृ. ९आ, संपूर्ण. सीमंधरजिनवीनती स्तवन, ऋ. जैमल, पुहिं., पद्य, आदि: पुर्व पुखलावती बीजै; अंति: जेमल० पइ उगता सूर,
गाथा-८. ६१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: नारी मइ देखीजी नाचती; अंति: जाका बैकुंठ बासा, गाथा-५. ६२. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ९आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: कामणि बुझै निजसू; अंति: लहइ कछु आगम सारो, गाथा-११. ६३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
मु. भूधर, पुहिं., पद्य, आदि: धरम माणे जीवहिंसा; अंति: भूधर० जायगो धुरमूल, गाथा-५. ६४. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ९आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: लाउंगी कागद बनाउंगी; अंति: गयो हंस पडी रही माटी, गाथा-११. ६५. पे. नाम. नेमराजिमती सज्झाय, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: म्हारउ रे मन मोरला; अंति: हरष० मन मोरला, गाथा-२०. ६६. पे. नाम. औपदेशिक बारमासो, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. देदो ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: परथम तीर्थंकर पाय; अंति: साचो जिण धरम सार, गाथा-१५. ६७. पे. नाम. पद संग्रह, पृ. १०आ-११आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई
है. विविध विषयक पदों का संग्रह.
काव्य/दुहा/कवित्त/पद्य, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-४३. ६८. पे. नाम. ज्ञान कसीदा, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानचंद, पुहि., पद्य, आदि: करूंजी कसीदा ज्ञान; अंति: ग्यान० सो उतम प्राणी, गाथा-९. ६९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १२अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: प्रभू नाम सुमरि मन; अंति: हरै जाही सुंसटकै, गाथा-४. ७०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: नहि छांडो हो जिनराज; अंति: कर थे मोहि छुडाय, गाथा-३. ७१. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. अजैराज, रा., पद्य, आदि: माहरी वीनतडी अवधारि; अंति: सिवपुर जाईयौजी, गाथा-५. ७२. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १२अ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तवन, मु. ब्रह्मदयाल शिष्य, रा., पद्य, आदि: जिनजी थांकीजी सुरत; अंति: राखो चरणां रे पास,
गाथा-९. ७३. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
मु. सूरजमल ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: नेमीस्वर गुर सरस्वती; अंति: सूर गांवा सब साबैजी, गाथा-८. ७४. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मु. बालचंद पंडित, पुहिं., पद्य, वि. १७८४, आदि: सीतलजिन सहज सुरंगा; अंति: बालचंद गुण गायो हो, गाथा-६. ७५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मु. सोभाचंद, पुहिं., पद्य, आदि: भजि श्रीऋषभजिणंद कौ; अंति: सोभाचंद० हिरदै लवलाई, गाथा-४. ७६. पे. नाम. संभवजिन पद, पृ. १२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मा.गु., पद्य, आदि: वांके गढ फोज चढी; अंति: बांधी मंगाउं आठे चोर, गाथा-४. ७७. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मु. द्यानत, पुहिं., पद्य, आदि: हम आये हो जिनराज; अंति: सहाय जैसै नंदनकुं, गाथा-३. ७८. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १२आ, संपूर्ण.
क. रूप, पुहिं., पद्य, आदि: जै जै हो स्वामी जिन; अंति: रूप० मोहे करो सनाथ, गाथा-६. ७९. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १२आ, संपूर्ण.
मु. हर्षकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: तुम्ह सुणोजी त्रिलोक; अंति: हरषकीरत० करो सहाय, गाथा-७. ८०. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, पुहिं., पद्य, आदि: मो मन थाई संग लागो; अंति: धर्यो दिगंबर बेस, गाथा-४. ८१. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, वा. ऋद्धिविजय, पुहिं., पद्य, आदि: मारी सुध लीजोजी नेम; अंति: कीज्यौ हम्हारी सार, गाथा-९. ८२. पे. नाम. ४ कषाय पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. चिदानंद, पुहि., पद्य, आदि: जैन धर्म नही कीतावो; अंति: भारी करमसु रीता हो, गाथा-४. ८३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. जगराम, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु विन कोंन हमारो; अंति: साहिब सेवग ताई, गाथा-४. ८४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु तेरी अदभूत रीत; अंति: जगतराम उर धारी, गाथा-४. ८५. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहि., पद्य, आदि: आज महोत्छव रंग रलीरी; अंति: आस्या सफल फलीरी, गाथा-५. ८६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १३आ, संपूर्ण.
सिमंधरजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: नित एती अरदास प्रभू; अंति: कृपा कोटि कीजीये, गाथा-४. ८७. पे. नाम. नवकारमंत्र पद, पृ. १३आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: सुमरीयै जिनराज भोर; अंति: सतगुरु के परसाद, गाथा-४. ८८. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, पृ. १३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आज तो बधाइ राजा नाभि; अंति: निरंजन आदिसर दयाल रे, गाथा-६. ८९. पे. नाम. नेमिजिन वधावा, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
पं. खुस्याल, मा.गु., पद्य, आदि: सखी सुमति सहेलीयो; अंति: खुस्याल० जप बारूंबार, गाथा-८. ९०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १४अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: चुके मति दाव पड्यों; अंति: ए निज सुध दास थारी, गाथा-८. ९१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १४अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: तेरो धरम सहाई; अंति: प्रभू चरण चितलाई, गाथा-४. ९२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: बाजीद पातिस्याह की; अंति: करतार फेर नही बोलणा, गाथा-१८. ९३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १४आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: साढडी बाहीवो गह लीजी; अंति: दया भाव चितलाई, गाथा-४. २८२६५. स्तवन, फाग, गीत, आरती, छंद व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १८७३, आश्विन शुक्ल, ११, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल
पे. १३, ले.स्थल. पाली, प्रले. पं. कीर्तिविलास (बृहत्खरतरगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, ११४४०-४६). १. पे. नाम. नेमिजिन फाग, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
मु. राजहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: भोगीरैमन भावीयो रे; अंति: राजहरख० फाग रसालो रे, गाथा-३०.
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२. पे. नाम. पार्श्वजिन आरती, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
मु. अमृतविजय, पुहिं, पद्य, आदि आरति करु श्रीपास; अंतिः अमृत० कहै जिनका गाथा- ७. ३. पे. नाम. तीर्थावली स्तवन, पृ. २आ- ३अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पच, आदि: सेडुंजेसिखर समोसर; अंतिः समयसुंदर कहे एम, गाथा- १६. ४. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मु. आनंदविजय, मा.गु., पद्य, आदि: रीषभ जिनेसर भेटीयै; अंतिः आनंद० अमोलक आयो रे, गाथा-५, .पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
-
मु. आनंद, रा., पद्य, आदि थे तो सुविधि जिनेसर अंति: आनंद० साखी तुम चरणना, गाथा ५. ६. पे नाम प्रतिपदा स्तुति, पृ. ४अ, संपूर्ण,
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कल्लाणकंद स्तुति, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंद पडम; अंतिः अम्ह सया पसत्था, गाथा-४. ७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण, पे. वि. इस प्रत में कृतिकार का नाम जिनचंद मिलता है. श्रीचंद, पुहिं., पद्य, वि. १७२२, आदि: अमल कमल जिम धवल; अंति: म्हारी सफल फली मन आस, गाथा - ९. ८. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: इण डुंगरीयानी झिणी; अंति मौने पार उतारो मारा, गाथा- ६. ९. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदिः यात्रा नवाणु करीए; अंतिः पद्म कहै भव तरी, गाथा-१०,
१०. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. अमृत, पुहिं., पद्य, वि. १८४३, आदि: चालो सहीया आपा जासा; अंति: अमृत० करि कल्याण, ११. पे नाम, घोघावंदर नवखंडा पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
ग. रत्नसुंदर, रा., पद्य, आदि पंथीडा संदेसो श्रीजी; अंतिः जवाल पर्णेरी टेक रे, गाथा- ७.
१३. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र छंद, पृ. ५आ-७अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- नवखंडा घोघाबंदर, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५६, आदि: श्रीमनमोहन साहिब, अंति: धीर० चित ठरायो रे, गाथा - १०.
१२. पे. नाम. गुरुगीत, पृ. ५आ, संपूर्ण.
पठ. श्राव. चुनीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य.
पच्चीस बोल, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलें बोले गति; अंति: यथाख्यातचारित्र.
२. पे. नाम. ३३ बोल संग्रह, पृ. ४आ-१०अ, संपूर्ण.
वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित पूरे विविध; अंति: ऋद्धि वांछित लहे, गाथा - १३. २८२६६. बोल व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१७, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ७, जैदे., (२७.५X११.५, १६x४४-४५). १. पे. नाम. २५ बोल का थोकडा, पृ. १अ ४अ, संपूर्ण, वि. १९१७, कार्तिक कृष्ण, ७, सोमवार, प्रले. मु. रणधीर
गाथा - ९.
४. पे. नाम. साधुगुण पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि गहि सुध म्यानं धरह; अंतिः अर्ध उपाधो संसारी, गाधा - ५.
५. पे नाम, साधुगुण स्तवन, पृ. १९अ, संपूर्ण.
गाथा- ७.
मा.गु., गद्य, आदि: एक प्रकारकों असंजम; अंति: जाय तो आसातना लागै.
३. पे नाम, स्थूलभद्र सवैया, पृ. १०अ ११अ संपूर्ण,
स्थूलभद्रमुनि सवैया, मु. भगोतीदास, पुहिं, पद्म, आदि: एक समें चारो शिष्य; अंतिः धुलिभद्र सुप्रसन्नजी,
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अणगारगुणवंदन स्तुति, पुहिं., पद्य, आदि: पापपंथ परिहरे मोक्षप; अंतिः वंदना हमारे है, गाथा- १.
६. पे. नाम. ४ शरण सज्झाब, पृ. ११अ ११आ, संपूर्ण, वि. १९१७, कार्तिक शुक्ल, ४, प्रले. मु. रणधीर; पठ. श्राव. चुनीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
क. विजयभद्र, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलो मंगलिक कहुं; अंतिः कवियण० जीव हो न लहै, गाथा-६. ७. पे नाम, साधुगुण सज्झाय, पृ. ११आ, संपूर्ण,
ऋ. आशकरण, पुहिं., पद्य, वि. १८३८, आदि: साधुजीने वंदना नीत; अंति: उतम साधुजी रो दास रे, गाथा - १०. २८२६७. गौतमस्वामी रास व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. ७, वे., ( २६४११.५,
२०९
१८- १९५२९-३३).
१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण.
ऋ. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२८, आदि: जीणवर दीयोजी ए उपदेस; अंतिः रायचंदजी० परम आनंद, गाथा-२२. २. पे. नाम. सीयल सज्झाय, पृ. ३आ-६आ, संपूर्ण.
शीयल कडा, मा.गु., पद्य, आदि: धरमना छै जी अनेक; अंति: पामजो मुगतीरो राज, गाथा - १६.
३. पे. नाम. कर्मविपाकछतीसी, पृ. ६आ-८अ, संपूर्ण.
कर्मविपाकफल सज्झाय, पं. कुशलचंद, पुहिं., पद्य, आदि: सुत्र गीनाण मे कह्यो; अंति: कुशल० सगुरु परनापक,
गाथा - ३५.
४. पे. नाम. आषाढाभूति पंचढालिया, पृ. ८अ - ११अ, संपूर्ण.
क्र. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३६, आदि: दरसण परीसो बावीसमो; अंति: रायचंद पर उपगार हो, ढाल -५. ५. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, पृ. ११अ १३अ संपूर्ण.
मु. रामचंद, पुहिं., पद्य, वि. १९१०, आदि: आदिनाथ आदिसरु सकल; अंति: रामचंद० मीछादोकड मोय, ढाल-४. ६. पे नाम, खंधकमुनि चौढालिया, पृ. १३अ - १७आ, संपूर्ण
क्र. जैमल रा., पद्य, बि. १८११, आदि: मोह तणे वसमां नवी; अंति: मिच्छामि दुकडम मोय, डाल- ४.
७. पे. नाम गौतमस्वामी रास, पृ. १७आ-१८आ, संपूर्ण.
क्र. जैमल रा., पद्य, वि. १८२४, आदि: गुण गाउ गोतम तणा; अंति: गोतम० मे गुण घणाजी, गाथा- १३. २८२६८. स्तवन, छंद, स्तुति, चैत्यवंदन व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २५-१८ (१ से १४,१७ से १८, २१ से
२२) - ७, कुल पे. १७, जैवे. (२७४१२, १५ - १६४३४-३६).
१. पे नाम. गोडी पार्श्वजिन अमृतधुनी, पृ. १५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन अमृतधुन- गोडी, मु. जिनचंद, पुहिं., पद्य, आदि: झिगमग झिगमग जेहनी; अंति: कमठासुर को कोपयह,
गाथा - ८.
२. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन अष्टक, पृ. १५ आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र - गोडीजी, आ. भावप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: सकल मंगल मंजुल मालिन; अंतिः पठतां सुख हेतवे, लोक- ९.
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३. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन अष्टक, पृ. १५आ - १६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिनाष्टक - शंखेश्वर, मु. भावप्रभ, सं., पद्य, आदि: श्रीसद्यपद्यापतिपूजि; अंतिः भावप्रभ० पार्श्वनाथम्, श्लोक ९. ४. पे. नाम. गोडी पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद गोडीजी, मु. उदयरत्न, मा.गु., पच, आदि धवल थिंग गोडी धणी; अंतिः दुखनी जाल जोडी,
गाथा - ८.
"
५. पे नाम. कलीकुंड पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १६आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. गाथा- ७ अपूर्ण तक है. पार्श्वजिन स्तवन- कलीकुंड, मा.गु., पद्य, आदिः ॐ ह्रीं श्रीं कली; अंति: (-).
६. पे. नाम. अनुभूतसिद्धसारस्वत स्तोत्र, पृ. १९अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा - १२ अपूर्ण से है. आ. बप्पभट्टसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: रंजयति स्फुटम्, श्लोक-१३.
७. पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन छंद, पृ. १९अ २०अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. जीतचंद, मा.गु., पद्य, आदिः ॐकाररूप परमेश्वरा; अंतिः जीत नमें रखे सदा,
गाथा- २३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
८. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तवन, पृ. २०अ २०आ, संपूर्ण.
मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलो गणधर वीरनो रे; अंति: वीर नमे निसदिस, गाथा-८.
९. पे. नाम. पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, पृ. २०आ, संपूर्ण.
मु. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदिः धुर समरुं श्रीआदिदेव; अंतिः कठै त्यां घर जयजयकार, गाथा-६, १०. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. २०आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेत्रुंजो सिद्ध; अंति: जिनवर करुं प्रणाम, गाथा-३.
११. पे. नाम, अष्टप्रकारी पूजा दुहा, पृ. २०आ, संपूर्ण, ले. स्थल, जावालग्राम, प्रले. मु. हीरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. ८ प्रकारीपूजा दुहा, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: सयं पमज्जणे पुनं सहस; अंति: तेसठ सलाखयपुरुषाणाम्, गाथा - ३. १२. पे. नाम. रत्नाकरपच्चीसी, पृ. २३अ - २४अ, संपूर्ण.
आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदिः श्रेयः श्रियां मंगल अंतिः श्रेयस्कर प्रार्थये श्लोक-२५.
१३. पे. नाम. २४ जिन स्तुति, पृ. २४अ - २५अ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि; ऋषभनम्रसुरासुरशेखर अंतिः शमययोमयतामिहनम्रताम् श्लोक-२९.
१४. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, पृ. २५अ - २५आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि आदौ नेमिजिनं नौमि; अंतिः मोक्षलक्ष्मीनिवासम् श्लोक ९. १५. पे. नाम. आदिजिन चैत्यवंदन, पृ. २५आ, संपूर्ण.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम पुजो आदिदेव; अंतिः श्रीधर्मनाथ रे नाम,
१६. पे. नाम. सूर्यद्वादशनाम स्तोत्र, पृ. २५आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि आदित्यं प्रथमं नामः; अंति: सर्व सुख फलप्रदः, श्लोक-४.
१७. पे नाम, प्रार्थनास्तुति संग्रह, पृ. २५आ, संपूर्ण,
मा.गु., सं., पद्य, आदि: अद्यपक्षालितगात्रं अंतिः पार्श्व जिनेश्वर, गाथा- ६.
२८२६९. स्तुति, स्तवन, सज्झाय व पद आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१८, चैत्र कृष्ण, ७, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. ८, ले.स्थल. मेडता, प्रले. मु. गंभीरसागर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६.५X१२, १७ - १८x४३ - ४५). १. पे नाम. शांतिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
गाथा - ५.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणेसर समरी; अंति: सांभलो ऋषभदासनी वाणी, गाथा- ४. २. पे नाम पर्युषण पर्व स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. अमरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः पर्व पर्युषण पुण्ये; अंति: दिन दिन करजो वधाइ जी, गाथा-४.
३. पे नाम. जिनस्तवनचीवीशी, पृ. १अ ५अ, संपूर्ण.
स्तवनचीवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि जगजीवन जगवाल्हो; अंतिः तुं जीवजीवन आधारो रे, स्तवन- २४.
४. पे नाम. दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, पृ. ५अ-७आ, संपूर्ण,
संबद्ध, मु. जैतसी, मा.गु., पद्य, वि. १७१७, आदि: धर्ममंगल महिमा निलो; अंतिः जेतसी जे जे रंग, अध्याय- १०. ५. पे. नाम. मान सज्झाय, पृ. ७आ-८अ संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्म, आदि पर नारी छांनी छुरी; अंतिः कैसे लागत तीर, गाथा-३,
७. पे. नाम औपदेशिक होरी, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मानपरिहार सज्झाय, मा.गु., पद्म, आदि: मान म करजो रे मानवी; अंतिः रुलै बहु संसार रे, गाथा - २१. ६. पे. नाम. औपदेशिक पद संग्रह, पृ. ८अ -८आ, संपूर्ण.
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औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि विषयवस जनम गयो रे; अंतिः विरथाई गयोरी गयोरी, गाथा-४, ८. पे नाम. जिनस्तवनचीवीसी, पृ. ८आ-११आ, संपूर्ण.
स्तवनचौवीसी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मनमधुकर मोही रह्यो; अंति: हिव कर आप समानो रे,
स्तवन- २४.
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११
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २८२७०. सज्झाय व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७-२(१ से २)=५, कुल पे. ७, जैदे., (२६४१२,
१२४३०-३२). १. पे. नाम. जिनवीनती स्तवन, पृ. ३अ-३आ, पूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., प्रथम गाथा नहीं है.
साधारणजिन स्तवन, मु. भूधरदास, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: एह प्रभु ढील न कीजै, गाथा-१२. २. पे. नाम. शीलोपरि विजयसेठविजयासेठाणीरोचौढालीयौ, पृ. ३आ-५अ, संपूर्ण. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: कुसल नित घर
अवतरे, ढाल-३, गाथा-२४. ३. पे. नाम. कलंकीराजा सज्झाय, पृ. ५अ-६आ, संपूर्ण. पंचमआरा सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहै गोयम सूणो; अंति: भाख्या वयण रसालो
रे, गाथा-२२. ४. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. सिंहरतन, पुहि., पद्य, आदि: नेम न जाणे हां ए; अंति: सिंहरतन० वारि वारि, गाथा-६. ५. पे. नाम. विमलजिन स्तवन, पृ. ७अ, संपूर्ण..
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: घर आंगण सुरतरु फल्यौ; अंति: तुहि ज देव प्रमाण, गाथा-५. ६. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. चेनविजय, पुहि., पद्य, आदि: तेरे दरस को चाव लग्य; अंति: चरणां चित लायजारे, गाथा-४. ७. पे. नाम. मानपरिहार सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: लाल सुरंगा रे प्राणी; अंति: जाली कीधा छै राखरे, गाथा-९. २८२७१. रास, चौपाई व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १२, कुल पे. ५, जैदे., (२६.५४१२.५,
१६-१७४४७-५१). १. पे. नाम. देवकीचौपाई, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण.
देवकी चौपाई, मु. रतनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: रिट्ठनेमी नाम हुवा; अंति: रतनचंद० में वस्यो रे. २. पे. नाम. यादवचौपाई, पृ. ५अ-७आ, संपूर्ण.
यादव चौपाई, मा.गु., पद्य, आदि: हुवो नही होसी नही; अंति: पाली जासी मोक्षरे. ३. पे. नाम. अर्जुनमाली ढाल, पृ. ७आ-१०आ, संपूर्ण.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, वि. १८२३, आदि: वर्धमान जिनवर नमुं; अंति: पूनम दिन सुभ ठाय, ढाल-७. ४. पे. नाम. अइमुत्तामुनि समास, पृ. १०आ-१२आ, संपूर्ण.
मु. जैमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणंद वांदिने; अंति: मिच्छामिदुकडो ए, ढाल-५. ५. पे. नाम. अइमुत्तामुनि सज्झाय, पृ. १२आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: जाया जोग भली परे; अंति: ग्रस्तीरो कहणरो आचार, गाथा-५. २८२७२. स्तवन, पद, व गीत आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८५६-१८५९, श्रेष्ठ, पृ. ४१, कुल पे. १५५, जैदे., (२७४१२.५,
१२-१९४२३-३१). १. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: जिनराज हमारे दिल; अंति: सरससुधारस मे लस्यां, गाथा-५. २. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: सखिरी कोप्यो कमठ; अंति: कांति नमे सिरननन, गाथा-५. ३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहि., पद्य, आदि: अबधु नाम हमारा राखे; अंति: सेवक जन बलिहारी, गाथा-४. ४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: देख्या दरसण तिहारा; अंति: रूपचंद० वैर हजारा रे, गाथा-४.
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५. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: दिल दाम हरम जानी दोस; अंतिः नाथ निरंजन न्यारा है, गाथा-४, ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: प्यारो कौन बतावै रे; अंति: चरनां लग पौहचावै रे, गाथा -४. ७. पे नाम, पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण,
मु. दीप, पुहिं., पद्य, आदि: बिनती सुन संखेश्वर; अंतिः दीप नमत हें सिरनामी, गाथा - ७. ८. पे नाम प्रहेलिका संग्रह, प्र. २अ, संपूर्ण
पुहिं., पद्य, आदि: पवन को करें तोल गगन; अंति: बात सोइ मेरो गोर रे, गाथा- ४.
९. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि; नेम प्रभु एतलो मांन; अंतिः ग्रही प्रभू बांह गाथा - ७.
"
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१०. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है. मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि पीआ मोसे एक बात कहि; अंतिः दीप० सिवनारी वरिरिरि गाथा ५.
११. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि: स्यांम रहो रे हां रे; अंति: बलीहारी मै जाउं रे, गाथा-४. १२. पे. नाम नेमराजिमती पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
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मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि जवा नहि देउं रे जदु; अंतिः नेम प्रभु धीरने जीरे, गाथा - ७. १३. पे. नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण,
मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: तुम सूरतरु सरसे दरसे; अंति: अमृत० रख लाजवे, गाथा-२. १४. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल घेहेली किधि छै; अंति: दिप०गाइ छै उछांहै रे, गाथा - ७. १५. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ३अ संपूर्ण.
मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि; प्यारे मोकुं दरस अंतिः अविचल पद रे बताज्या, गाथा-८, १६. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
-
मु.शिवरतन, मा.गु., पच, आदि: बावीस सुभट जीतवा रे; अंतिः फाडिया चिर चिर चरस, गाथा ५. १७. पे. नाम. नंदीश्वर स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण
मु. जैनचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: नंदीसर बावन जिनालय; अंति: जैनचंद्र गुण गावो रे, गाथा - १५. १८. पे. नाम. मातरतीर्थमंडन साचादेव, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तवन- मातर, मु. शिवरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १८५५, आदि: साचा देवनी रे सेवा; अंति: सीवरत्न गुण
गाय, गाथा - १३.
१९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण.
मु. इंद्रसौभाग्य, पुहिं, पद्य, आदि: समकीत विण केसे पाईई अंतिः सोभाग्य करत प्रणाम गाथा - १९.
"
२०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि सलूने साहेब आयेंगे; अंतिः लीन्हे आनंदघन मांहि, गाथा-४, २१. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: अजितनाथ चरणे तोरे; अंति: देव० सरणता उदारो, गाथा - ६.
२२. पे नाम, अंतरिक्षपार्श्वजिन गीत, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण, पे. वि. वह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई
है.
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पार्श्वजिन गीत- अंतरीक्ष, पुडिं., पद्य, आदि अवसर का लाहा लीजीइ; अंतिः आनंद भईस रेल, गाथा-५, २३. पे. नाम. सुरतमंडण पार्श्वजिन होरी, पृ. ६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- होरी, पुहिं., पद्य, आदि: खेलि खेलि चेतन वसंत; अंति: परमोदय पायो खास, गाथा - ७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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२४. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
मु. भावप्रभ, पुहिं., पद्य, आदि: बदरवा झुंमर आई रे; अंतिः भावप्रभ० अधिक बधाईरे, गाथा - ९. २५. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण.
. गजानंद, पु, पद्म, आदि: घन आयो हो पीवा गरजी; अंति: गजानंद० राजुल अरजी, गाथा-५, २६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: वादल दहदीस उनह्या; अंति: प्रतपो जगें भांण रे, गाथा- ८.
२७. पे नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: अवधू क्या मागं गुनह; अंति: रटन करूं गुणधामा, गाथा-४. २८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: अवधू नट नागर की बाजी; अंति: रस परमारथ सौई पावे, गाथा-४. २९. पे नाम, मल्लीजिन पद, पृ. ८अ संपूर्ण.
मल्लिजिन पद, पुहिं., पद्य, आदि: दधि सुत वर्ण वीराजता; अंतिः सेवक कुं करत निहाल, गाथा - २. ३०. पे. नाम. वैराग्योपदेशक सज्जाय, पृ. ८अ, संपूर्ण.
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औपदेशिक पद, रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: हक मरना हक जाना; अंतिः हरदम साहिब जाना, गाथा-४. ३१. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
भाव. बनारसीदास, पु.ि, पद्य, आदि: चेतन नेक न तुंही; अंतिः सुमिरन भजन आधार, गाथा-४. ३२. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. हंस, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिणंद अवधारी एक; अंति: हंस० देव दर्सन दीजे, गाथा-४. ३३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ८आ, संपूर्ण.
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"
मु. उदयरतन, पुहिं., पद्य, आदि अजब बनी हैं मुरति; अंति: उदयरतन० सब दिनकी, गाथा ५. ३४. पे नाम, नेमिजिन पद, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
मु. उदय, पुहिं., पद्य, आदि मगन भई तब लाझ कहारी; अंति: उदय० सुख नेम महारी, गाथा ५. ३५. पे. नाम. भक्तामरस्तोत्र रागमाला, पु. ९अ १३अ, संपूर्ण, वि. १८५६ माघ कृष्ण, ७, ले. स्थल, पालनपुरनगर, पठ. मु. शिवरतन, प्र.ले.पु. सामान्य, पे. वि. पलेवा प्रसादात्.
भक्तामर स्तोत्र-भाषानुवाद, मु. देवविजय, पुहिं., पद्य, वि. १७३०, आदि: भक्त अमरगण प्रणत; अंति: देवविजय० सब सुखकार, स्तवन- ४४.
३६. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. १३अ - १३आ, संपूर्ण.
आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत राजा मोहराय; अंतिः भावभप्र० तरीडीयाचे, गाथा- २३.
३७. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १३आ १४अ, संपूर्ण.
मु. जिनचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि जय बोलो पास जिनेसर अंतिः छाया सुरतरु की, गाथा - ७. ३८. पे नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पृ. १४अ संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: दरसण कीयौ आज सीखरगीर; अंति: रसतो पायो मुगत पद कौ, गाथा-४. ३९. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. १४अ, संपूर्ण,
-
पुहिं., पद्य, आदि छवि तेरी सुहावण लागी; अंति: मया मुगती अब मांगी, गाथा ५. ४०. पे नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ होरी पद, पृ. १४अ १४आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मधूवनमे धुम मचि होरी; अंति: पायो दरसण अनुभोरी, गाथा- ७. ४१. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १४आ, संपूर्ण.
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नेमराजिमती पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मत जाओ रे पीया तुम; अंति: मगन भए संजम भार मे, गाथा - ५. ४२. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. १४आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, रा., पद्य, आदि प्यारी पारसनाथ पूजाओ; अंतिः संघ आवि बहु धसमसीया, गाथा- ७,
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२१४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४३. पे. नाम. नेमराजिमती गीत, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, पुहिं., पद्य, आदि: सुन साई प्याराबे; अंति: राम लहे जयकाराबे, गाथा-७. ४४. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. १५अ, संपूर्ण..
मु. न्यायसागर, मा.गु., पद्य, आदि: मुगट परवारीया हो; अंति: दो दरसण दुख टारीया, गाथा-५. ४५. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. १५अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: चेत अचेतन मूरख मनकु; अंति: असुभ करमकु हर जावें, गाथा-३. ४६. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजीगणि, पुहि., पद्य, आदि: में कीनो नहीं तुम; अंति: लीजें भक्ति पराग, गाथा-५. ४७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पं., पद्य, आदि: देखो कुडी दुनियादा; अंति: आनंदघन० लिया जगसारा, गाथा-४. ४८. पे. नाम. महायशजिन स्तवन, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: आत्म प्रदेशइ रंग थल; अंति: देवचंद० इम प्रसिधरे, गाथा-६. ४९. पे. नाम. अध्यात्म स्तवन, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
मु. न्यायसागर, मा.गु., पद्य, आदि: परणे रे बहु रंग भरी; अंति: जिन आणा पालुंखरी रे, गाथा-५. ५०. पे. नाम. अंतरिक्षपार्श्व धमाल, पृ. १६आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुइ है.
पार्श्वजिन गीत-अंतरीक्ष, पुहिं., पद्य, आदि: अवसर का लाहा लीजीइ; अंति: आनंद भई रस रेल, गाथा-५. ५१. पे. नाम. अरजिन स्तवन, पृ. १७अ, संपूर्ण.
मु.प्रेम, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुखाकर गुणरतनागर; अंति: प्रेम० मेरु समान, गाथा-३. ५२. पे. नाम. धर्मजिन फाग, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण.
मु. विनय, मा.गु., पद्य, आदि: आवो बहेली सुगुण; अंति: विनय० चरण नमु निसदीस, गाथा-८. ५३. पे. नाम. पार्श्वजिन होरी, पृ. १७आ, संपूर्ण.
मु. रत्नसागर, पुहिं., पद्य, आदि: रंग मच्यो जिनद्वार; अंति: रत्नसागर० बोले जयकार, गाथा-५. ५४. पे. नाम. आध्यात्मिक स्वाध्याय, पृ. १८अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: तेरो अकल अगौचर रुप; अंति: आनंदघन महाराज, गाथा-५. ५५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
मु. आनंद, पुहिं., पद्य, आदि: कामणगारी हो त्रीया; अंति: मुगति पंथ बटपारी हो, गाथा-५. ५६. पे. नाम. शीयल सज्झाय, पृ. १८आ, संपूर्ण. शीयलव्रत सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: मुखडानो मटको देखाडी; अंति: हुं जाउं बलिहारी रे,
गाथा-५. ५७. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १८आ-१९अ, संपूर्ण. ___ आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: मनमा आवजो रे नाथ; अंति: जिम होवे सुजस जमाव,
गाथा-७. ५८. पे. नाम. नेमिराजिमती पद, पृ. १९अ, संपूर्ण.. नेमराजिमती पद, पुहिं., पद्य, आदि: (१)निंद तोहें बेचुंगी, (२)आए मेरे वालमा फेर गए; अंति: दीपके साह बहुल,
गाथा-५. ५९. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. १९आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है.
मु. दीपविजय, पुहि., पद्य, आदि: पीआ मोसे एक वात कहि; अंति: दीप० सिवनारी वरिरिरि, गाथा-५. ६०. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. १९आ-२०अ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, म. गौतम, मा.गु., पद्य, आदि: नेमजी विवा मनावन; अंति: गौतम वंदे वारंवार, गाथा-७. ६१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २०अ-२०आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पंन्या. गौतमविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कोप्यो कमठ सठ प्रभु; अंति: गौतमने निराबाध, गाथा-८. ६२. पे. नाम. नेमिजिन धमाल, पृ. २०आ-२१अ, संपूर्ण.
मु. सुमतिसागर, पुहिं., पद्य, आदि: सात पाच सखि आन कांटा; अंति: सुमतिसागर जिनचंद, गाथा-६. ६३. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. २१अ, संपूर्ण.
मु. राम, पुहिं., पद्य, आदि: शांतिकरण जिन शांति; अंति: राम० अपनो बहु, गाथा-७. ६४. पे. नाम. पांचइंद्रिय वशकरण पद, पृ. २१आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहि., पद्य, आदि: जागि जागि रयण गई भोर; अंति: भजले तो होइ छुटेका, गाथा-३. ६५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २१आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: आज चेत चेत प्यारे; अंति: देवो दो कर दानो रे, गाथा-३. ६६. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. २१आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, पुहि., पद्य, आदि: आंगणे कल्प फल्योरी; अंति: शिवसुंदरीसु मल्योरे, गाथा-३. ६७. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २१आ-२२अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: तुम दरिसण भले पायो; अंति: जरे समकित पूरण सवायो, गाथा-५. ६८. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. २२अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: तुमसुं प्रीत बंधाणी; अंति: शिवसुख रयणना खाणी, गाथा-५. ६९. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २२अ-२२आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: या रसना रस लागो माइ; अंति: रोम रोम मुस्तागो, गाथा-४. ७०. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मे परदेसी दूरका दरसन; अंति: कहे० निरंजन गुण गाया, गाथा-४. ७१. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २२आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: जब जिनराज कृपा होवे; अंति: ज्ञानविमल० उपमा आवे, गाथा-५. ७२. पे. नाम. आदिजिन पद-बाल्यावस्था, पृ. २२आ-२३अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मरुदेवी माता रीषभ; अंति: जोता तृप्ति न पावि, गाथा-५. ७३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २३अ, संपूर्ण.
मु. भावविजय, पुहि., पद्य, आदि: आदि तुही आदि जिन; अंति: भाव जगमा तु जोत है, गाथा-४. ७४. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. २३अ, संपूर्ण.
वा. कीर्तिविजय, पुहिं., पद्य, आदि: लोचन हे अनीयाले हो; अंति: किर्ति० अतीप्यारे, गाथा-३. ७५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: उठत प्रभात नाम जिनजी; अंति: हरखचंद० संपत पाईइ, गाथा-५. ७६. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ पद, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मु. भानुचंद, पुहि., पद्य, आदि: आनंदरंग घरे आज मेरे; अंति: भानुचंद० पाथोधी तटा, गाथा-३. ७७. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. २३आ-२४अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: तुम हो बहु उपगारी; अंति: जाउं मे बलिहारी, गाथा-६. ७८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, पुहिं., पद्य, आदि: आंखीयां रे हरषन लागी; अंति: भव भय भावठ भागी, गाथा-६. ७९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २४अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: क्यारे मोने मलसे; अंति: आनंदघन गही रे, गाथा-८. ८०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, पृ. २४आ, संपूर्ण.
मु. वीरविजय, पुहिं., पद्य, आदि: अजब जोत मेरे प्रभु; अंति: वीरवीजय० मेरे मनकी, गाथा-३. ८१. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. २४आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. साधुकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: आजरीषभ घर आवे तुम; अंति: साधु कीरत गुण गावे, गाथा-५. ८२. पे. नाम. पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, पृ. २४आ, संपूर्ण.
मु. रंग, पुहिं., पद्य, आदि: सांयां तु भलावे; अंति: रंग कहे सुधरे जनमारा, गाथा-५. ८३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
मु. रंगविजय, पुहिं., पद्य, आदि: वो दिल ग्यांनी पास; अंति: रंगविजय नीत बंदा, गाथा-७. ८४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २५अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. आनंदराम, पुहि., पद्य, आदि: प्यारा वो जगतस्यु; अंति: आनंद० सुख सारा, गाथा-५. ८५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २५अ, संपूर्ण.
मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: तेवीसमा जिनराज्य; अंति: भव भव देज्यो दीदार, गाथा-३. ८६. पे. नाम. पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, पृ. २५अ-२५आ, संपूर्ण.
आ. भावप्रभसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: नादान पीआजी हो बालुड; अंति: समता रसमा यौं गाजे, गाथा-४. ८७. पे. नाम. सुविधिजिन पद, पृ. २५आ, संपूर्ण..
मु. कनककुशल, पुहि., पद्य, आदि: सुविधि जिणंदा रे; अंति: कनककुसल कवी बंदा रे, गाथा-२. ८८. पे. नाम. अरजिन स्तवन, पृ. २५आ, संपूर्ण.
ग. अमृतविजय, पुहिं., पद्य, आदि: मन जेन पद कज लीनो; अंति: अमृत पद रंग, गाथा-३. ८९. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. २५आ, संपूर्ण.
मु. लाल, पुहिं., पद्य, आदि: शांति जिणंद दीआल; अंति: लाल० जिणंद दयाल, गाथा-३. ९०. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २५आ-२६अ, संपूर्ण.
मु. अमृत, पुहिं., पद्य, आदि: देखन दे मुझ नेम; अंति: अमृत नजर० सुखदनि. ९१. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २६अ, संपूर्ण.
म. फतेह, पुहि., पद्य, आदि: नेमस्यु० मनावो रे; अंति: फते वंदे नित तेहस्यु, गाथा-५. ९२. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २६अ, संपूर्ण.
मु. रंग, पुहिं., पद्य, आदि: तुम बिन मेरी कुन खबर; अंति: रंगविजय सुखदानि, गाथा-५. ९३. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. २६अ-२६आ, संपूर्ण.
मु. राम, पुहि., पद्य, आदि: आखिआं विचरंदा मानु; अंति: राम० चित चाह धरी, गाथा-३. ९४. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २६आ, संपूर्ण, वि. १८५९, आश्विन शुक्ल, ११, प्रले. मु. शिवरत्न, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. सीवरत्न, पुहि., पद्य, आदि: हो सहीरडी डुगर बोले; अंति: सीवरतन मन चंद चकोर, गाथा-७. ९५. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: न देख्यो हेली माहरो; अंति: सेवक अतीहे उदार, गाथा-५. ९६. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २७अ, संपूर्ण.
मु. अमर, पुहिं., पद्य, आदि: नेम दुला तेरी वाटडी; अंति: अमर पद भरन घरीवो, गाथा-३. ९७. पे. नाम. नेमराजिमती गीत, पृ. २७अ, संपूर्ण.
पुहिं.,रा., पद्य, आदि: रथडो मत वालो धीरा; अंति: माने नही मत वालो हो, गाथा-७. २८. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. २७१-२७आ, संपूर्ण.
आ. लक्ष्मीसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: सोहैं माहाराज तेरी; अंति: पुरोशात माहारी, गाथा-३. ९९. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. २७आ, संपूर्ण.
मु. रतनविजय, पुहिं., पद्य, आदि: प्यारे प्यारे तेरे; अंति: रतनवि० वधारीजे लाजबे, गाथा-४. १००. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २७आ-२८अ, संपूर्ण.
मु. रत्न, पुहिं., पद्य, आदि: शिवपुर वसीया हो पास; अंति: रत्न० सवि टारी हो, गाथा-३. १०१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद-वल्लभीपुर, पृ. २८अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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१०३. पे नाम, चंद्रप्रभजिन पद, पृ. २८अ २८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि को बरनुं छबी को बरनु; अंतिः राजा राम समरिवा, गाथा - २.
"
१०४. पे नाम, पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. २८आ, संपूर्ण.
मु. रत्न, पुहिं., पद्य, आदि: पासजी के नीके नेना; अंति: रत्न तुम बंदा है माई, गाथा - ३. १०२. पे नाम, महावीरजिन पद, पृ. २८अ, संपूर्ण,
मु. रत्न, पु, पद्य, आदि (१) विर तेरो वचन अगोचर, (२) वीर तु तो उपसम रसको; अंतिः रत्न० टारीजे दुख दूर,
गाथा - ३.
पंन्या. रत्नविजय, पुहिं., पद्य, आदिः पद्मप्रभुजिन साहिब; अंतिः रत्नविजय गुण गाया, गाथा ५.
१०५. पे नाम, पार्श्वजिन पद सम्मेतशिखर, पृ. २८आ - २९अ, संपूर्ण
पुहिं., पद्य, आदि: (१)समेतशिखर चलो जईयें, (२) देश देश के जात्रा; अंति: मुगती परम पद पईइं, गाथा-३. १०६. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २९अ, संपूर्ण,
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मु. भाग्यउदय, पुहिं., पद्य, आदि: साचो पारसनाथ कहावै; अंति: भाग्य० कंचन कर दीजे, गाथा - ५. १०७. पे. नाम. मल्लिजिन स्तवन, पृ. २९अ - २९आ, संपूर्ण.
"
मु. न्यायसागर, पु.ि, पद्य, आदि: चीत कुंण रमे चित कुण; अंतिः हर ब्रह्म कुंण नमे, गाथा - ५. १०८. पे. नाम साधारणजिन पद, पृ. २९आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं, पद्म, आदि एही सभव पड्या मोसे; अंतिः नवल० झडाव पड्यावो, गाथा-३,
१०९. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन- गोडी, पृ. २९आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रंग, पुहिं., पद्य, आदि: तुम बिना मेरी कुण; अंतिः रंग सदा सुख कंदा हो, गाथा - ५. ११०. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २९आ - ३०अ, संपूर्ण.
मु. दीप, पुहिं., पद्य, आदि: तेरे दरसन की आस लगी; अंतिः दीप० सीव बगस्योरी, गाथा-४.
१११. पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ३०अ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, पुहिं., पद्य, आदि: मेरी अरज जिनराज सुनि; अंतिः दीप० समकीत देओ ऊलासी, गाथा- ४. ११२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३०अ - ३०आ, संपूर्ण.
पंन्या. रत्नविजय, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीजिनराज के चरन; अंति: रत्न शिस गाये जी, गाथा - ६.
११३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३०आ, संपूर्ण, ले. स्थल. कासंद्रा.
पुहिं., पद्य, आदि: अमरासे कोल केएणी जिन; अंतिः कोरी आंछीन कोरी वृंद, गाथा - ३. ११४. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ३१अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदिः श्रीमहाराज के सतरस; अंतिः अवीचल सुख राज के, गाथा- ६.
"
११५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३१आ, संपूर्ण.
मु. कमलकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: अरज कल्याण पास आस; अंति: कमल० महीमा घणी, गाथा - ५. ११६. पे नाम, पार्श्वजिन पद, पृ. ३१आ, संपूर्ण, पे, वि. वह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: (१) पानी की कोट पवन के, (२) इस नगरी वचै तेवीस; अंति: रूप० कुं बान है रे,
गाथा- ४.
११७. पे नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३१आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि लोक चहुद के पार; अंति: चरणकमल का पासा है, गाथा - ६.
-
११८. पे नाम, आदिजिन स्तवन, पृ. ३१आ-३२अ, संपूर्ण
टोडर, पुहिं., पद्य, आदि उठ तेरो मुख देखु अंतिः ध्यान धरत नत बंदा, गाथा - ५.
११९. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३२अ, संपूर्ण.
मु. वखता, पुहिं., पद्य, आदि: तारण तरण जिहाज प्रभु; अंति: वखता के महाराजा, गाथा-३. १२०. पे. नाम. नवकार पद, पृ. ३२अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची नमस्कार महामंत्र पद, गणेश, पुहि., पद्य, आदि: अरिहंत भजरे वावरा; अंति: गणेश० भव पार उतारि, गाथा-५. १२१. पे. नाम. नेमिजिन आरती, पृ. ३२अ-३२आ, संपूर्ण.
मु. चंद्रसागर, पुहिं., पद्य, आदि: जय जये सामली सा; अंति: हस्तिनापुरकेइ स्तवे, गाथा-७. १२२. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३२आ-३३अ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहिं., पद्य, आदि: त्यारेगोजी प्रभु तुम; अंति: जगतराम० तुम त्यारोगे, गाथा-४. १२३. पे. नाम. आतम पद, पृ. ३३अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: समकीत बीना जीवा जगत; अंति: सुधो सीवपुरकु सटक्यो, गाथा-१२. १२४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३३अ-३३आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: चितनको आछो दाव लगो; अंति: मुगत फल लभ मग्यो, गाथा-७. १२५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३३आ, संपूर्ण.
___ पुहिं., पद्य, आदि: तु सुणि रैतु सुणि; अंति: ब्रह्मपद पावसी लाल, गाथा-८. १२६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३३आ-३४अ, संपूर्ण.
मु. देवा, पुहि., पद्य, आदि: जीवा चेतोजी थे नरभौ; अंति: देवा० ल्यौ सदा लाल, गाथा-१०. १२७. पे. नाम. चेतन होली गीत, पृ. ३४अ-३४आ, संपूर्ण.
मु. देवा, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन सुमति दोनू; अंति: देवा० प्रीतम होरीजी, गाथा-५. १२८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३४आ, संपूर्ण.
मु. चेनविजय, पुहिं., पद्य, आदि: अरे तोसे केसे करि; अंति: चेनवि० काज सरे सारे, गाथा-४. १२९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३४आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहि., पद्य, आदि: लगजा प्रभु चरणे सेती; अंति: दीनी नवल जताय, गाथा-३. १३०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३४आ-३५अ, संपूर्ण.
मु. लालचंद ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभुजी जनम सुधार; अंति: लालचंद जस गायो, गाथा-३. १३१. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, पृ. ३५अ, संपूर्ण. मु. अमर, पुहिं., पद्य, आदि: (१)सोही घरी भली ज्याम, (२)झाड पहाड पहाड मै है; अंति: अमर० आपने को लहिये,
गाथा-६. १३२. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३५अ-३६अ, संपूर्ण.
टेकचंद पंडित, पुहिं., पद्य, आदि: ढिगरो वतायदे पाहारिय; अंति: टेकचंद० चरणा वास, गाथा-१२. १३३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३६अ-३६आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: जीवा प्रदेशी नीज पद; अंति: भव भव सुख लेसी, गाथा-४. १३४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३६आ, संपूर्ण..
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: चंतत ओर बनत कछुऊ रही; अंति: नवल सकलमां व्याप रही, गाथा-४. १३५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: जीवडा देह वरोणी मत्य; अंति: ज्यां सीवसुख हसाव, गाथा-३. १३६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३७अ, संपूर्ण.
श्राव. ऋषभदास, पुहि., पद्य, आदि: आज पीया मन मोहन प्या; अंति: रीषभ० मुगतवधु वरीये, गाथा-५. १३७. पे. नाम. नेमराजिमती पद, प्र. ३७अ-३७आ, संपूर्ण.
मु. अमृत, पुहिं., पद्य, आदि: लेज्या लेजा लेजाजी; अंति: अमृत सुखकु देजा, गाथा-३. १३८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. ३७आ-३८अ, संपूर्ण.
मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तारा नेणां प्यारा; अंति: रंगथी वर्या छै हो, गाथा-५. १३९. पे. नाम. केसरीया आदिजिन पद, पृ. ३८अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२१९ आदिजिन पद-केसरीया, श्राव. ऋषभदास , पुहिं., पद्य, आदि: केसरीया में लागो; अंति: ऋषभ० सेवक अपनो
जाण, गाथा-३. १४०. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ३८अ-३८आ, संपूर्ण.
पं. पुण्यसागर, पुहिं., पद्य, आदि: तेरे रंगडे मुख पर; अंति: पुन्य० हो सहीया, गाथा-७. १४१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन, पृ. ३८आ, संपूर्ण.
मु. पुण्य, पुहिं., पद्य, आदि: जिन सनेह बन्यो हे; अंति: इतनो हम तेरे पद पाय, गाथा-५. १४२. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ३९अ, संपूर्ण.
मु. रंगविजय, पुहि., पद्य, आदि: नहि ज्याने दुगी मे; अंति: संग रंग० मगसै रमु, गाथा-४. १४३. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३९अ, संपूर्ण. श्राव. ऋषभदास, पुहिं., पद्य, आदि: (१)नेन नमे आन बता प्रेम, (२)नाभीराया मरूदेया को; अंति: ऋषभदास की
खबर सरी रे, गाथा-३. १४४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३९आ, संपूर्ण.
मु. रंग, पुहिं., पद्य, आदि: तारीइं हो जिनराज; अंति: रंग के सुधारोजी काज, गाथा-४. १४५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३९आ, संपूर्ण.
मु.रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मानो सीख हमारी तो; अंति: रूप० हितकारी से यारी, गाथा-५. १४६. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, पुहिं., पद्य, आदि: हो पीउडा मदमतवाला; अंति: ज्ञानविमल० दूरे भागे, गाथा-८. १४७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण. ___ मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: तेरी हुं तेरी हुँ; अंति: तो गंग तरंग वहूं री, गाथा-५. १४८. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ४०अ-४०आ, संपूर्ण.
जयरामजी, मा.गु., पद्य, आदि: हे सलुणी सांवरी; अंति: सुधारो निजे सहीरी, गाथा-५. १४९. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ४०आ, संपूर्ण.
मु. चेनविजय, पुहिं., पद्य, आदि: राजुल पोकारे नेम; अंति: चेनविजय० चरणन खरी, गाथा-४. १५०. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. ४०आ-४१अ, संपूर्ण.
मु. सौभाग्य, पुहिं., पद्य, आदि: क्या करू दिल लागा; अंति: सो नरनारी सोभागी, गाथा-१०. १५१. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ४१अ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: आछी लग दिलोदिल भर; अंति: प्यारी अखीया, गाथा-४. १५२. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ४१अ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्र, पुहि., पद्य, आदि: अदभुत प्रभुकी नासीका; अंति: चंद्रकला सुप्रकासीका, गाथा-५. १५३. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ४१आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है मु. रूपचंद, पुहि., पद्य, आदि: (१)पानी की कोट पवन के, (२)इस नगरी वचै तेवीस; अंति: रूप० कुंबान है रे,
गाथा-४. १५४. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पृ. ४१आ, संपूर्ण.
मु. प्रेमउदय, पुहि., पद्य, आदि: बै घडी भली जाम सकर; अंति: प्रेम० आप आप को लहीए, गाथा-५. १५५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४१आ, संपूर्ण.
श्राव. बनारसीदास, पुहि., पद्य, आदि: तु भ्रम भुलत रे; अंति: ना कर होड विरानी, गाथा-३. २८२७३. सझाय संग्रह व श्लोक, पूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६, कुल पे. ४, जैदे., (२६४१२.५, १५४३५-३९). १. पे. नाम. बारभावना वेल, पृ. १अ-५आ, संपूर्ण. १२ भावना सज्झाय, उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पासजिणेसर पाय नमी; अंति: भणी जेसलमेर
मझार, ढाल-१३.
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२२०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, पृ. ५आ-६आ, संपूर्ण.
आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: सदा तस घर अवतरे, ढाल-३. ३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-परदेशीजीव, पृ. ६आ, संपूर्ण.
मु. राजसमुद्र, पुहि., पद्य, आदि: एक काया अरु कामनी; अंति: स्वारथ को संसार, गाथा-५. ४. पे. नाम. प्रस्ताविक श्लोकसंग्रह, पृ. ६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., प्रथम एक गाथा है.
प्रस्ताविक श्लोक संग्रह, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८२७४. चैत्यवंदनविधि, मंत्र, स्तोत्रसंग्रह व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १७, कुल पे. १६, जैदे., (२८x१३,
११४३५-३८). १. पे. नाम. चैत्यवंदन विधि, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (१)नमो अरिहंताणं, (२)इछामि खमासमणो कही; अंति: (१)अपाणं वोसिरामी,
(२)आणि प्रणमू नेह. २. पे. नाम. विविधमंत्र संग्रह, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई
है. भिन्न-भिन्न मंत्रों का संग्रह हैं. __ मंत्र संग्रह, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ३. पे. नाम. घंटाकर्णमहावीर स्तोत्र, पृ. ३अ, संपूर्ण.
घंटाकर्णमहावीरदेव स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: ॐ नमो घंटाकरणो महा; अंति: नमोस्तु ते स्वाहा, श्लोक-४. ४. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तोत्र, पृ. ४अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: चंद्रप्रभ प्रभाधीश; अंति: दायिनि मे वरप्रदा, श्लोक-५. ५. पे. नाम. नवग्रह स्तोत्र, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
आ. भद्रबाहस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरुं नमस्कृत्य; अंति: (१)ग्रहशांतिविधिस्तवः, (२)निवारणाय नम स्वाहा,
श्लोक-१२. ६. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. ५अ-८आ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. ७. पे. नाम. ऋषिमंडल स्तोत्र, पृ. ८आ-११अ, संपूर्ण.
आ. गौतमस्वामी गणधर, सं., पद्य, आदि: आद्यताक्षरसंलक्ष्य; अंति: लभतेपदमुत्तमम्, श्लोक-६३. ८. पे. नाम. जिनपंजर स्तोत्र, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण.
आ. कमलप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रीं अह; अंति: श्रीकमलप्रभाख्यः, श्लोक-२५. ९. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. १२अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१. १०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र-जीरावला-महामंत्रमय, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण.
आ. मेरुतुंगसूरि, सं., पद्य, वि. १५वी, आदि: ॐ नमो देवदेवाय नित्य; अंति: लभेत् ध्रुवम्, श्लोक-१४. ११. पे. नाम. वज्रपंजर स्तोत्र, पृ. १३अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: पंचपरमेष्ठि; अंति: राधिश्चापि कदाचन, श्लोक-५. १२. पे. नाम. तिजयपहत्त स्तोत्र, पृ. १३अ-१४अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अठ्ठ; अंति: निब्भंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४. १३. पे. नाम. संतिकरं स्तोत्र, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: शांतिकरं शांतिजिणं; अंति: स लहइ सुह संपयं परमं, गाथा-१३. १४. पे. नाम. बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, पृ. १४आ-१७अ, संपूर्ण.
सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणत; अंति: जैन जयति शासनम्. १५. पे. नाम. नवग्रहमाला जापविधि, पृ. १७अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
सं., गद्य, आदि: ह्रीं श्रीं क्लीं; अंति: कुरु कुरु स्वाहा. १६. पे. नाम. अंगशुद्धिकरण मंत्रसंग्रह, पृ. १७आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है.
मंत्र संग्रह, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८२७५. चैत्यवंदन, स्तवन, स्तुति, सज्झाय, बासठमार्गणा, बासठबोल व पद्मावती आराधना, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम,
पृ. ३७, कुल पे. ११, जैदे., (२७७१३, १०-११४२५-३०). १. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण.
पंन्या. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: युगला धर्म निवारिओ; अंति: श्रीखिमाविजय जिणचंद, गाथा-९. २.पे. नाम. अष्टमीतिथि नमस्कार, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
पं. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चैत्र वदी आठम दिने; अंति: प्रगटे ज्ञान अनंत, गाथा-१४. ३. पे. नाम. ६२ मार्गणाद्वार विचार, पृ. २अ-११आ, संपूर्ण, वि. १८१०, वैशाख शुक्ल, १५, प्रले. तलजाराम बारोट;
पठ. सा. तेजश्री, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., गद्य, आदि: गइ इंदि काए जोए वेय; अंति: ६ लाभे स्तोक जाणिवा. ४. पे. नाम. नेमराजिमतीसज्झाय, पृ. १२अ-१३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: इतरा दिन हूं जाणती; अंति: छिडु उवीखमे रे, गाथा-२०. ५. पे. नाम. मातानी सीखामण सज्झाय, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
शालिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: करजोडी आगल रही लेई; अंति: वरस सोदनो जावे रे, गाथा-१४. ६. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: सीस० संघतणा निशदिश, गाथा-४. ७. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १५अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धगिरि ध्यायो; अंति: ज्ञानविमल० गुण गावे, गाथा-८. ८. पे. नाम. बासठ बोल, पृ. १५अ-२२अ, संपूर्ण.
६२ बोल, मा.गु., गद्य, आदि: देवगति जीवना भेद; अंति: लेस्या ६ लाभई. ९. पे. नाम. शाश्वतजिन स्तवन, पृ. २२अ-२८अ, संपूर्ण. मु. माणिकविमल, मा.गु., पद्य, वि. १७१४, आदि: वीर जिणेसर पाय नमी; अंति: माणिकविमल संपति घणी,
गाथा-८५. १०. पे. नाम. महावीरजिन २७ भव स्तवन, पृ. २८अ-३४आ, संपूर्ण, ले.स्थल. अमदावाद, प्रले. तलजाराम बारोट;
पठ. सा. तेजश्री, प्र.ले.पु. सामान्य. महावीरजिन स्तवन-२७ भव, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: विमलकमलदललोयणा दिसे;
अंति: शुभविजय शिष्य जयकरो, गाथा-८४. ११. पे. नाम. पद्मावती क्षामणक स्वाध्याय, पृ. ३५अ-३७अ, संपूर्ण, ले.स्थल. अमदावाद, पठ. सा. तेजश्री,
प्र.ले.पु. सामान्य. पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिव राणी पदमावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल,
गाथा-३८. २८२७६. अढारपापस्थानक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, जैदे., (२७.५४१३, १२४३१).
१८ पापस्थानक निवारण सज्झाय, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: पापथानक पहिलू का; अंति:
वाचक जस इम आखइजी, सज्झाय-१८. २८२७७. स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९१९, आषाढ़ शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. २५-५(५ से ७,१४ से १५)=२०, कुल पे. ५७,
ले.स्थल. रापर, प्रले. मु. देवचंद (तपगच्छ); पठ. मु. लालचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीचिंतामणीजी प्रशादात., जैदे., (२६४१३, १३४३३). १. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी वंदु ऋषभदेव; अति: ऋषभदास गुण गाय, गाथा-४. २. पे. नाम. कल्लाणकंद स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढम; अंति: अम्ह सया पसत्था, गाथा-४. ३. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहै पूर मनोरथ माय, गाथा-४. ४. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. ५. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पंचरूप करि मेरुशिखर; अंति: हरयो विघन हमाराजी, गाथा-४. ६. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंति: ए सफल करो अवतार तो,
गाथा-४. ७. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: पंचरूप धरियने त्रिदश; अंति: ज्ञानसुंदर जगीसजि, गाथा-४. ८. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. मु. जीवविजय; मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८४-१८००, आदि: पंचमी दिन जनम्या नेम; अंति: सीस
जीवविजय जयकार, गाथा-४. ९. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
मु. हेतविजय पंडित, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीने दिन चोसठइंद; अंति: हेतविजय० जयकारी जी, गाथा-४. १०. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ४अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करी जिन आगल; अंति: तपथी कोड कल्याणजी, गाथा-४. ११. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ४आ, संपूर्ण.
आ. सुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीशे जिनवर; अंति: जीव्यु जनम प्रमाण, गाथा-४. १२. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-३ अपूर्ण तक हैं.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: (-). १३. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ८अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., प्रारंभ की २ गाथा नहीं है.
मु. विनय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: शासन वीनय कहत, गाथा-४. १४. पे. नाम. एकादशीतिथि स्तुति, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: निरूपम नेम जिणेसर; अंति: राजविजय० बूध भालीजी, गाथा-४. १५. पे. नाम. चतुर्दशीतिथि स्तुति, पृ. ८आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चौद सुपन सुचित हरि; अंति: सकल संघ सुखकरणीजी, गाथा-४. १६. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: परव पजुसण पुन्थे; अंति: शांतिकुशल गुण गायाजी, गाथा-४. १७. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सत्तरभेदी जिनपूजा; अंति: पुरो देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. १८. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व पजुसण पुण्ये; अंति: सुजश महोदय लीजे, गाथा-४. १९. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व दीवसमा सार; अंति: जिनेंद्रसागर जयकार, गाथा-४. २०. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पुण्यनुं पोषण पापनुं; अंतिः धन धन अधिक वधाईजी, गाथा-४. २१. पे नाम पर्युषण पर्व स्तुति, पृ. ११अ ११आ, संपूर्ण,
मु. अमरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः परव पजुसण पुण्ये; अंतिः निसदिन करो वधाइजी, गाथा-४.
२२. पे. नाम. पजुषणस्तुति, पृ. ११आ - १२अ संपूर्ण.
पर्युषणपर्व स्तुति, मु. बुधविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर अतिअलवेसर; अंतिः भणे बुधविजय जयकारीजी,
गाथा- ४.
२३. पे. नाम. आदिजिन स्तुति - मरुदेवामाता केवलज्ञान, पृ. १२अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गजकुंभे बेसी आवे; अंतिः मोहनविजय जयकार, गाथा-४.
२४. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १२अ - १२आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति - सणवापुरमंडण, पंन्या. प्रतापविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसणवापुर मंडण ऋषभ; अंति प्रतापविजय गुण गाए, गाथा-४,
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२५. पे नाम, शांतिजिन स्तुति, पृ. १२-१३अ संपूर्ण,
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि शांति जिणेसर समरी; अंतिः सांभलो ऋषभदासनी वाणी, गाथा ४. २६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. १३अ, संपूर्ण.
ग. तत्त्वविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पास जिणेसर भुवन; अंति: वांछित तेह ज आपे जी, गाथा-४. २७. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १३अ - १३आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति-गंधार, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गंधारे महावीर जिणंदा; अंति: जसवि जयकारी, गाथा ४.
"
२८. पे. नाम. सिद्धचक्रताप स्तुति, पृ. १३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है. गाथा- २ अपूर्ण तक है. मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धचक्रनो तप अंति: (-).
२९. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १६अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है., मात्र अंतिम गाथा हैं.
मु. उत्तमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: (); अंति: सुखदाई उतम सिस सवाइ, गाथा ४.
३०. पे नाम, सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण,
ग. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३, आदि: पेहले पद जपीए अरिहंत; अंति: कांतिविजय गुण गाय, गाथा-४. ३१. पे नाम, सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १६आ-१७अ संपूर्ण,
मु. कपूरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकलमंगल शिव सुखकारी; अंति: कपूरविजय सुखदायाजी, गाथा-४. ३२. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १७अ - १७आ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ग्रह उगमते ऋषभ जिणंद, अंतिः सुखकार रामविजय जयकार, गाथा-४. ३३. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पृ. १७ १८अ, संपूर्ण.
पंन्या. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विमलाचल तीरथनो रायां; अंति: लक्ष्मीविजय सुख पाया, गाथा-४. ३४. पे नाम, आदिजिन स्तुति, पृ. १८अ, संपूर्ण,
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विमलाचलमंडण ऋषभजिणेस; अंतिः रूप सदा गुण गाय, गाथा- ४. ३५. पे नाम, आदिजिन स्तुति- नवतत्त्वगर्भित, पृ. १८अ १८आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्यने पाव; अंति: गुण चित्तधारीजी, गाथा-४. ३६. पे. नाम, शांतिजिन स्तुति, पृ. १८-१९अ संपूर्ण
२२३
गाथा- ४.
३८. पे नाम, पार्श्वजिन स्तुति - शंखेश्वर, पृ. १९आ- २०अ, संपूर्ण.
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: कुरुजनपद गजपुर वरनयर अंति: राम० दिउ सेवक आणंदा, गाथा ४.
३७. पे. नाम. नेमजिन स्तुति, पृ. १९अ - १९आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तुति, पंन्या. महिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगिरनारशिखर सिणगा; अंति: दिन दिन नित्य दीवाळी,
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मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमो भविका भाव; अंतिः करवो नित जय जयकाराजी, गाथा ४. ३९. पे नाम, पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २०अ २०आ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन जगजन वंदन; अंतिः मानविजय० मन भावेजी, गाथा-४. ४०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २०आ - २१अ, संपूर्ण.
वा. देवविजय, मा.गु., पद्म, आदि: सकल सुरासुर सेवे; अंतिः देववाचक जयकारी, गाथा-४.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
४१. पे. नाम. जिराउलापार्श्वनाथ स्तुति, पृ. २१अ , संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति - जीरावला, मु. वीरमुनि, मा.गु., पद्य, आदि: पास जीरावलो पुजी; अंति: शासन नायक दिपति,
गाथा-४.
४२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २१अ - २१आ, संपूर्ण.
मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परम प्रभु परमेश्वर; अंति: भांणनी जीत करेवी, गाथा- ४.
४३. पे नाम, पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २१-२२अ संपूर्ण,
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पार्श्वजिन स्तुति - सादडीमंडन, मु. बल्लभसागर, मा.गु., पद्य, आदिः सादडीये पासजीणंद सोह; अंतिः वलभसागर गाजे, गाथा-४.
४४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - नाटिकाबंध, पृ. २२अ - २२आ, संपूर्ण.
आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि में ड्रे कि धप; अंतिः विशतु शासनदेवता, श्लोक-४.
४५. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति - दीपावली, पृ. २२आ, संपूर्ण.
मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: पूर्व पनोता पूये; अंतिः लब्धि लिल लख दीजेजी, गाथा-४. ४६. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. २२आ - २३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: महाविदेह क्षेत्रमा; अंति: उगमते प्रभाते जी, गाथा - १.
५३. पे नाम, सीमंधरजिन स्तुति- एकदंडी, पृ. २४आ, संपूर्ण.
मु. शांतिकुशल, मा.गु, पद्य, आदि: श्रीसीमंधर मुझनै; अंतिः शांतिकुशल सुखदाता जी, गाथा-४, ४७. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. २३अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि अरिहंत नमुं बलि सिद्; अंतिः नय विमलेसर वर आपो, गाथा-४. ४८. पे. नाम भीलडीयापार्श्वजिन स्तुति, पृ. २३अ - २३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति-भीलडीपुरमंडन, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भीलडीपुर मंडण सोहिए; अंति: सुख संपत्तिदातार, गाथा-४.
४९. पे नाम, पंचमीतिथि स्तुति, पृ. २३-२४अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि धर्मजिणंद परमपद पाया; अंतिः नयविमल० विधन हरेवी, गाधा-४. ५०. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. २४अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अभिनंदन जिनवर परमा; अंति: ज्ञानविमल० कहे सीस, गाथा-४. ५१. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, पृ. २४अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि आगे पूर्व वार नवाणुं; अंति: कार्ज पोताना सारेजी, गाथा - १.
५२. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तुति, पृ. २४अ - २४आ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधरस्वामी; अंतिः आवागमण निवार निवार, गाधा - १. ५४. पे. नाम, दीपावलीपर्व स्तुति, पृ. २४आ, संपूर्ण.
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मु. भालतिलक, मा.गु., पद्य, आदि: जयजय कर मंगलदीपक; अंतिः भालतिलक वड विर, गाथा- १. ५५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - लोडण, पृ. २४आ - २५अ, संपूर्ण.
मु. हर्षविजय, मा.गु., पद्य, आदि: लोडणमूरति मोहनगारी; अंति दे दोलती देवी मयाली, गाथा-४. ५६. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. २५अ, संपूर्ण.
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेशर गुणह गंभीर; अंतिः राजविजय जयकारी, गाथा-४,
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५७. पे. नाम. पौषदशमीपर्व स्तुति, पृ. २५अ - २५आ, संपूर्ण.
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदिः पोसी दशमी दिन पास; अंति: राजविजय शिव मांगे जी, गाथा- ४. २८२७८. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९१५ - १९१६, श्रेष्ठ, पृ. २१२ - ६ (१ से ४, १३३, २०६) = २०६, कुल पे. ५०,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६X१३.५, ११३२ - ३५).
१. पे नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. ५अ १५आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं,
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स्तवनचौवीसी, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १७७६, आदि: ( - ); अंति: प्रभु विमलता प्रकासो, स्तवन- २४, ( पू. वि. स्तवन- ७ तक नहीं हैं.)
२. पे. नाम. स्तवनवीसी- अतीत, पृ. १५आ - २७आ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जिणंदा तारा नामथी; अंति: चंद० होज्यो सदा सहाय, स्तवन- २०.
३. पे नाम, विहरमानजिन स्तवनवीसी, प्र. २७-३९अ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर जिनवर अंतिः सुजस महोदय वंदो रे, स्तवन- २०.
४. पे. नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. ४०अ - ५०अ, संपूर्ण, वि. १९१५, वैशाख कृष्ण, ११, मंगलवार, प्रले. विजयशंकर विद्याराम भट, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. मानविजय, मा.गु., पद्म, आदि ऋषभ जिणंदा ऋषभ अंतिः मानविजय नितु ध्यावे, स्तवन- २४.
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५. पे नाम चतुर्विंशतिजिन स्तवनचौवीसी, पृ. ५१अ ६०आ, संपूर्ण वि. १९१६, वैशाख शुक्र, १२, सोमवार, स्तवनचौवीशी - १४ बोल, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभदेव नितु वंदिये; अंति: निज भजनमा दास राखो, स्तवन- २४,
६. पे. नाम. बिहरमानजिन स्तवनवीसी, पृ. ६१अ ७०अ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७८९, आदि: सुगुण सुगुण सोभागी अंतिः धर्मध्यान सुख पाया, स्तवन- २०. ७. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ७०अ ८० अ, संपूर्ण.
स्तवनचौवीसी, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्म, वि. १८वी, आदि: नाभिनरेसर नंदना हो; अंतिः सेवक जिन सुखदाया रे, स्तवन- २४.
८. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ८० अ-९१अ संपूर्ण, वि. १९९६, वैशाख कृष्ण, ४, मंगलवार,
स्तवनचौवीसी, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम जिणेसर पूजवा; अंतिः सिद्धि निदान जी, स्तवन- २४, ग्रं. २६०.
९. पे नाम चतुर्विंशतिजिन स्तवनचौवीसी, पृ. ९१अ - १०१आ, संपूर्ण.
स्तवनचौवीसी, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिनेश्वर ऋषभ; अंति: पद्मविजय गुण गाया रे, स्तवन- २४.
१०. पे. नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. १०२अ - १०९आ, संपूर्ण.
पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जग चिंतामणि जगगुरु; अंतिः विजय कहें० दुख जाय, स्तवन-२४. ११. पे. नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. ११०अ - १२०अ, संपूर्ण, वि. १९९६, ज्येष्ठ कृष्ण, ६, बुधवार.
"
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ओलगडी आदिनाथनी जो; अंतिः राम० छे आलंबन बांहि स्तवन- २४. १२. पे. नाम. स्तवनचीवीसी, पृ. १२१अ १३२आ, पूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, वि. १८पू, आदि: ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम; अंति: ( - ), ( पू. वि. स्तवन- २३ गाथा - ५ तक
हैं.)
१३. पे. नाम जिनस्तवनचीवीशी पू. १३४अ - १४२ आ. संपूर्ण वि. १९९६, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, शुक्रवार.
स्तवनचौवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जगवाल्हो; अंति: तुं जीवजीव रे, स्तवन- २४.
२२५
१४. पे नाम, स्तवनचीवीसी पू. १४३-१५६अ, संपूर्ण.
"
आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ ऋषभ जिणंद निरखी; अंतिः प्रतिदिन सबल जगीस, स्तवन- २४.
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२२६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १५. पे. नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. १५७अ-१६७अ, संपूर्ण, वि. १९१६, ज्येष्ठ कृष्ण, ३०, बुधवार.
मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आदि पुरुषए आदिजी; अंति: करो सेवकनी सार, स्तवन-२४. १६. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १६८अ-१६८आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तीर्थकर सेवना; अंति: मोहन जय जयकार, गाथा-७. १७. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १६८आ-१६९अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अजित अजित जिन; अंति: रस आनंदस्यु चाखे, गाथा-८. १८. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १६९अ-१६९आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समकित दाता समकित; अंति: पभणे रसना पावन कीधी, गाथा-७. १९. पे. नाम. अभिनंदनजिन स्तवन, पृ. १६९आ-१७०अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अकल कला अविरुद्ध; अंति: भूख्यो उमाहे घणोजी, गाथा-७. २०. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. १७०अ-१७०आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुथी बांधी प्रीत; अंति: मुने वालो जिनवर एह, गाथा-७. २१. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. १७०आ-१७१अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परम रस भीनो म्हारो; अंति: पूरे सकल जगीश हो, गाथा-७. २२. पे. नाम. सुपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १७१अ-१७१आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वाला मेहमें बपैअडा; अंति: सुपार्श्वने वंदे, गाथा-७. २३. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. १७२अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंकर चंद्रप्रभु; अंति: मोहन कवि रूपनो रे लो, गाथा-७. २४. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. १७२१-१७२आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरज सुणो एक सुविधि; अंति: मोहनविजय० सिरनामी, गाथा-७. २५. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. १७३अ-१७३आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शीतल जिनवर सेवना; अंति: जिनजी जीवन प्राणहो, गाथा-७. २६. पे. नाम. अनंतजिन स्तवन, पृ. १७३आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंत जिणंद अवधारीये; अंति: भक्ति मधुर जिम द्राख, गाथा-५. २७. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. १७३आ-१७४आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे धरमजिणंद; अंति: मोहन० अति घणो रे लो, गाथा-७. २८. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. १७४आ-१७५अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोलमा श्रीजिनराज; अंति: के पंडित रुपनो लाल, गाथा-७. २९. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. १७५अ-१७५आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणंद सोहामणोर; अंति: कहे० भवो भव देजो सेव, गाथा-७. ३०. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. १७५आ-१७६अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिजिणंद महाराज; अंति: मोहन ज्ञान विलास, गाथा-५. ३१. पे. नाम. कुंथुजिन स्तवन, पृ. १७६अ-१७६आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मुझ मन अरज सुणो मुज; अंति: कहे मोहन जिन बलिहारी, गाथा-६. ३२. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १७६आ-१७७अ, संपूर्ण. नेमराजिमती स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कां रथ वाळो हो राज; अंति: मोहन रूप अनुपनो,
गाथा-७. ३३. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १७७अ-१७७आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, मु. मोहन, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल कहे रथ वालो; अंति: मोहन कहे स्याबास, गाथा-७. ३४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. १७७आ-१७८आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२२७ मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आज अनोपम मुहुरत माहो; अंति: भव भव देज्यो सेवा, गाथा-९. ३५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. १७८आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अलगी रहनै रहनै अलगी; अंति: जिनगुण स्तुति लटकाली, गाथा-५. ३६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, पृ. १७८आ-१७९अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: छांजि छांजि छांजि; अंति: जीहां तीहां तुं तो, गाथा-६. ३७. पे. नाम. मनमोहनपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १७९अ-१७९आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मनमोहन पावन देहडीजी; अंति: ताहरो जिनजी
दास हो, गाथा-५. ३८. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १७९अ-१८०अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु पासजिणंद; अंति: मोहन० छेजी राज्य, गाथा-७. ३९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-पुरुषादानीय, पृ. १८०अ-१८०आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-पुरुषादानी, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पुरुषादाणी सोमलवरणो; अंति: कहै० करुणा
करज्यौ, गाथा-७. ४०. पे. नाम. शत्रुजयमंडण आदिजिन स्तवन, पृ. १८०आ-१८१अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शेर्जेजे शिखर; अंति: जय० मोहन लहे अल्हाद, गाथा-७. ४१. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १८१अ-१८१आ, संपूर्ण, प्रले. विजयशंकर विद्याराम भट, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ओलग अजित जिणंदनी; अंति: मोहन० जिन अंतरजामी, गाथा-५. ४२. पे. नाम. सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, पृ. १८२अ-१८८आ, संपूर्ण, वि. १९१६, श्रावण कृष्ण, २,
शुक्रवार, प्रले. विजयशंकर विद्याराम भट, प्र.ले.पु. सामान्य. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधर विनती; अंति: जसविजय बुध जयकरो, ढाल-११,
गाथा-१२५. ४३. पे. नाम. ज्ञानदर्शनचारित्रसंवादरूप नयमतगर्भित-महावीरजिन स्तवन-, पृ. १८९अ-१९४अ, संपूर्ण, वि. १९१६,
श्रावण कृष्ण, ३, शनिवार. महावीरजिन स्तवन-ज्ञानदर्शनचारित्रसंवादरूप नयमतगर्भित, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८२७, आदि:
श्रीइंद्रादिक भावथी; अंति: पभणे संघने जयकार ए, ढाल-८. ४४. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. १९५अ-१९७अ, संपूर्ण, वि. १९१६, श्रावण शुक्ल, ४, रविवार,
ले.स्थल. राजनगर, प्रले. विजयशंकर विद्याराम भट, प्र.ले.पु. सामान्य. पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति: जिनविजय जयसिरी वरी,
गाथा-४२, प्र.ले.पु. सामान्य. ४५. पे. नाम. ५ कारण छढालिया, पृ. १९८अ-२०१अ, संपूर्ण, वि. १९१६, श्रावण कृष्ण, ५, सोमवार. महावीरजिन स्तवन-पंचकारणगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: सिद्धारथसुत वंदिये;
अंति: परे विनय कहे आणंद ए, ढाल-६. ४६. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, पृ. २०२१-२०५आ, संपूर्ण. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३४, आदि: शांति जिणेसर केसर; अंति: वाचक जसविजय सिरि
लही, ढाल-६. ४७. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. २०७अ-२०७आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: कांति सुख पामे घणु, गाथा-१६, (पू.वि. गाथा-६ तक नहीं हैं.) ४८. पे. नाम. आदिश्वर विज्ञप्तिका, पृ. २०७आ-२०९अ, संपूर्ण. आदिजिनविनती स्तवन-शत्रुजयमंडन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: पांमी सुगुरु पसाय;
अंति: विनय करि वीनलू ए, गाथा-५७.
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२२८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४९. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. २०९आ-२११अ, संपूर्ण.
उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जीहो प्रणमुंदीन; अंति: कहे मानविजय उवज्झाय, ढाल-४. ५०. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पृ. २११आ-२१२आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९३, आदि: सुत सिद्धारथ भूपनो; अंति: (-), (पू.वि. ढाल-३ गाथा-१५
अपूर्ण तक हैं.) २८२७९. सज्झाय, स्तवन, श्लोक व सवैया संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. १३, जैदे., (२७७१३,
१४-१५४३४-३६). १. पे. नाम. सोलस्वप्न सज्झाय, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. चंद्रगुप्तराजा सोलस्वप्न सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: पाडलीपुर नामे नगर; अंति: रिष जैमल करी जोडो
रे, गाथा-३५. २. पे. नाम. विजयसेठविजयाशेठाणी सज्झाय, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण.
ऋ. लालचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मनष जमारोपायकें जे; अंति: ऋषि लालचंद सीरनामी, गाथा-२१. ३. पे. नाम. १६ सती सज्झाय, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सीतल जीणवर करु परणाम; अंति: गुणुं प्रणमउं निसदीस, गाथा-५. ४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. धनदास, पुहिं., पद्य, आदि: बीती राति हुयो तब तड; अंति: धनदास० इतकारा रे, गाथा-७. ५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
क्र. हरजीमल, पुहिं., पद्य, वि. १८७९, आदि: नरभव पायो निठसुरे; अंति: कीयो धरम उछाह रे, गाथा-१३. ६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मु. माणकचंद, पुहि., पद्य, आदि: जोवन धन पावनडा दिन; अति: सीर रख लीना भारा, गाथा-६. ७. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मु. रतनचंद ऋषि, पुहिं., पद्य, वि. १९११, आदि: देखोजी आदिसर सामी; अंति: वीनोली मे गाया हेजी, गाथा-८. ८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मु. धनीदास, पुहिं., पद्य, आदि: जीतोरे चेतन मोह; अंति: धनीदास० सरण लीयो रे, गाथा-८. ९. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह-, पृ. ६आ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-६. १०. पे. नाम. धर्मरुचिअणगार सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
ऋ. रतनचंद, रा., पद्य, वि. १८६५, आदि: चंपानगरी अनुपम सुंदर; अंति: रतनचंद० लिया सिववासो, गाथा-१४. ११. पे. नाम. बलभद्रमुनि सज्झाय, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: मासखमणने पारणे तपसी; अंति: तिनुं सरीखा भावजी, गाथा-१४. १२. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: नेमनाथ जादुवंससीरोमण; अंति: उतार लाज है तुमकू, गाथा-५. १३. पे. नाम. सवैया संग्रह*, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८२८०. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३१, श्रावण शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. १४, कुल पे. ४, ले.स्थल. पाटण,
प्रले. नरभेराम अमुलख भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीपंचासरा प्रसादे., जैदे., (२६४१४, १२-१३४२७-३०). १. पे. नाम. देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, पृ. १अ-१४आ, संपूर्ण. आवश्यकसूत्र-तपागच्छीय श्राद्धदेवसिराई प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो
अरिहताणं नमो; अंति: सुहायसाअम्हसयापसत्था. २. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
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२२९ सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. ३. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहै पूर मनोरथ माय, गाथा-४. ४. पे. नाम. रोहिणीतप स्तुति, पृ. १४अ, संपूर्ण.
मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्य जिणेसर; अंति: सिस धिरने सुख संजोग, गाथा-४. २८२८१. स्तवन व सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ७, जैदे., (२६.५४१४.५, १५-१६५३०-३२). १. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिनेशर भाव; अंति: गुणविजय रंगे भणी, ढाल-६. २. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण. ___ मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे ठाम धर्म; अंति: कांति सुख पावे घणो, ढाल-२, गाथा-२४, (वि. संकलित
कृति में पाठांतर है.) ३.पे. नाम. बत्तीसदोष सामायिकनाम सज्झाय, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण. सामायिक सज्झाय, मु. कमलविजय-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: गोयमगणहर प्रणमी पाय; अंति: श्रीकमलविजय
गुरु सीस, गाथा-१३. ४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-क्रोधोपरि, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: कडुवां फल छे क्रोधना; अंति: निर्मली उपशमरसे नाही, गाथा-६. ५. पे. नाम. मान सज्झाय, पृ. ५अ, संपूर्ण. मानपरिहार सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव मान न कीजीए; अंति: मानने देजो देशवटोरे.
गाथा-५. ६. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: समकितनुं मुल जाणीये; अंति: एछे मारग शुद्धि रे, गाथा-६. ७. पे. नाम. लोभ सज्झाय, पृ. ५आ, संपूर्ण.
___ मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: तुमे लक्षण जोजो लोभ; अंति: लोभ तजे तेहने सदा रे, गाथा-७. २८२८२. (#) नमस्कारचौवीसी, सझाय, स्तवन स्तुति संग्रह व वार्ता, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७, कुल पे. ९,
प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२८.५४१४, १९-२०४३७-४२). १. पे. नाम. चैत्यवंदनचौवीसी, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. चौवीसजिन नमस्कार, ग. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम जिन युगादिदेव; अंति: सीसना सरीया सघला
काज, गाथा-२५. २. पे. नाम. करकंडुमुनि सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण..
मु. रत्नसार, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-८, (वि. अक्षर अवाच्य है.) ३. पे. नाम. रोहिणी सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण. रेवतीश्राविका सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: सोवन सिंघासने रेवती; अंति: दानथी जयजयकार रे,
गाथा-१०, (वि. अक्षर अवाच्य है.) ४. पे. नाम. रुक्मिणी सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विचरंता गामोगाम नेमज; अंति: राजविजय रंगे भणेजी, गाथा-१४. ५. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: समवसरण बेठा भगवंत; अंति: समयसुंदर० कहो दाहडी,
गाथा-१३. ६. पे. नाम. पातशाह वार्ता, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
तारातंबोल नगरी वार्ता, मा.गु., गद्य, आदि: संवत १६८४ वर्षे महा; अंति: वार्ता सांभलि हती.
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२३०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ७. पे. नाम. कुमतिनिझैटन सज्झाय, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण. कुमतिनिवारण सज्झाय, मु. सुमति, मा.गु., पद्य, आदि: सत्तरिसो जिन करूं; अंति: जिम भवसायर लिलातरो,
गाथा-२९. ८. पे. नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन स्तुति, पृ. ५अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपासजिणेसर वंदीइ; अंति: गुणविजय० अतीघणे,
गाथा-४. ९. पे. नाम. वयरस्वामी ढालिया, पृ. ५अ-७आ, संपूर्ण. वयरस्वामी सज्झाय, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८४३, आदि: चोविसमा जे जिनवरु; अंति: पद्मविजय० जय
जयकार, ढाल-९, गाथा-९६. २८२८४. पद्मावती स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. २१वी, श्रेष्ठ, पृ. १०, कुल पे. ६, दे., (२८x१४, १६४३४-४१). १. पे. नाम. पद्मावतीपंचमुखी कवच, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
सं., गद्य, आदि: अस्य श्रीपद्मावतीपंच; अंति: प्राप्नोति भद्रकं. २. पे. नाम. पद्मावती कवच, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी कवच, सं., पद्य, आदि: भगवन् सर्वमाख्यातं; अंति: न भवेत् सिद्धिदायिनी, श्लोक-१५. ३. पे. नाम. पद्मावतीपटल स्तोत्र, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीमन्माणिक्यरश्मि; अंति: देवी मां रक्ष पद्ये, श्लोक-८. ४. पे. नाम. पद्मावतीदेवी स्तोत्र, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: स्तुता दानवेंद्रैः, श्लोक-२४. ५. पे. नाम. पार्श्वधरणेद्रपद्मावती स्तोत्र, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
सं., गद्य, आदि: नमो भगवते श्रीपार्श; अंति: आज्ञापयति स्वाहा. ६. पे. नाम. पद्मावतीसहस्रनाम स्तोत्र, पृ. ६अ-१०अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: प्रणम्य परया भक्त्या; अंति: प्रीतिपरायने किं, श्लोक-१३५. २८२८५. सज्झाय, गहुंली वस्तवनादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३३, कुल पे. ३०, जैदे., (२८x१४,
१०-१४४२९-३२). १. पे. नाम. अनंतकायनी सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. अनंतकाय सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतकायना दोष अनंता; अंति: भावसागर आनंदारे,
गाथा-१२. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-परनारी परिहार, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण.
ग. कुमुदचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सुण सुण कंता रे सिख; अंति: कुमुदचंद्रगणि इम कहे, गाथा-१०. ३. पे. नाम. सीतासती सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: जनकसुता हुं नाम; अंति: नित्य होजो प्रणाम, गाथा-७. ४. पे. नाम. सचितअचित कालप्रमाण सज्झाय, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण. सचित्ताचित्त विवरण सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रवचन अमरी समरी सदा; अंति:
नयविमल कहे सज्झाय, गाथा-२५. ५. पे. नाम. क्रोधमानमायालोभचौढालीयो, पृ. ५अ-६आ, संपूर्ण. क्रोधमानमायालोभ सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, वि. १८०२, आदि: समरी सरसति स्वामिनी; अंति: लहें
लील वीलासयें, ढाल-४. ६. पे. नाम. नवपद सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. महानंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरुचरण नमी करी; अंति: पामें मंगलमाल हो, गाथा-१३. ७. पे. नाम. गौतमस्वामी गुहली, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
गौतमस्वामी गहुली, मा.गु., पद्य, आदि: गोतम गणधर मुख्य; अंति: सुख शाश्वता हो लाल, गाथा-५. ८. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. ७आ-९अ, संपूर्ण, ले.स्थल. लेंबडा, प्रले. मु. लब्धि, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., पद्य, आदि: आंखडीयु कामणगारी; अंति: मन मान्यु थयु, गाथा-३२. ९. पे. नाम. रोहिणीतपस्तवन, पृ. ९अ-१०अ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समरी सरसती माय; अंति: भक्ति भावे तप करेजी, गाथा-१५. १०. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र सज्झाय, पृ. १०अ-१२आ, संपूर्ण. __ पंचपरमेष्ठि सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वारी जाउंहु अरिहंत; अंति: ज्ञानविमल० वाधो रे,
ढाल-५. ११. पे. नाम. इग्यारअंगबारउपांग सज्झाय, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण. ११ अंग १२ उपांग सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: अंग इग्यार सोहमणा; अंति: ज्ञानविमल सुनेह तो,
गाथा-६. १२. पे. नाम. करणसत्तरीचरणसत्तरी सज्झाय, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण. चरणसित्तरीकरणसित्तरी सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमहाव्रत दशविध यति; अंति: शिवसुख
साध्योजी, गाथा-७. १३. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र सज्झाय, पृ. १३आ, संपूर्ण.
मु.ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: ए पंच परमेष्टि पद; अंति: एह छै सिद्धसरूप, गाथा-५. १४. पे. नाम. नेमराजीमती नवभव स्तवन, पृ. १३आ-१५अ, संपूर्ण. नेमराजिमती नवभव स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३७, आदि: नेमजी आव्या रे सहसाव; अंति:
पद्मविजय जिनराय, गाथा-१७. १५. पे. नाम. वैराग्य सज्झाय, पृ. १५अ-१६अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सहजानंदी रे आतीमा; अंति: भवजल तरीया अनेक रे,
गाथा-११. १६. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
पं. शुभवीर, मा.गु., पद्य, आदि: अखीयन में गुलझारा; अंति: जिनपडीमा जयकारीजी, गाथा-५. १७. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. १६आ-१८आ, संपूर्ण, पे.वि. शांतिजिन प्रसादात् पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति: जिनविजय जयसिरी वरी,
गाथा-४१. १८. पे. नाम. पंचमहाव्रत सज्झाय, पृ. १८आ-२१आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वासववंदित वीरजी; अंति: खिमा० जिनपासे सिद्धि, ढाल-५. १९. पे. नाम. द्रुमपत्रीयाध्ययनसज्झाय, पृ. २१आ-२३अ, संपूर्ण. द्रुमपत्रीयाध्ययन सज्झाय, संबद्ध, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीर विमल केवल धणीजी; अंति: परसे
बहुगुणवेल, गाथा-२२. २०. पे. नाम. भगवतीसूत्र-सज्झाय, पृ. २३अ-२४अ, संपूर्ण.
संबद्ध, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धन्य कुंवर त्रिसला; अंति: जिन० गुरु साहाज्यहों, गाथा-१३. २१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २४अ-२४आ, संपूर्ण.
मु. जिन, मा.गु., पद्य, आदि: ते बलीया रे भाई ते; अंति: धन धन तेहना वंसा रे, गाथा-१२. २२. पे. नाम. भगवतीसूत्र-सज्झाय, पृ. २४आ-२५अ, संपूर्ण.
संबद्ध, मु. जिन, मा.गु., पद्य, आदि: भावें भवियण भगवई; अंति: जिन अधिक उछाह गवाणी, गाथा-६. २३. पे. नाम. ११ गणधर सज्झाय, पृ. २५अ-२५आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: इंद्रभूति पहिलो गणधर; अंति: जिन प्रणमे पाय, गाथा-५.
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२४. पे. नाम. सुधर्मास्वामी गुरुभास, पृ. २५आ - २६अ, संपूर्ण.
सुधर्मास्वामीगुरु भास, रा., पद्य, आदि: कठडा आया गुरुजी; अंति: जिनशासन बहुमान, गाथा- ७. २५. पे. नाम. अनाथि ऋषिराज सज्झाय, पृ. २६अ - २७अ, संपूर्ण.
अनाथीमुनि सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मगधदेश वसुधाधिप; अंति: जिनविजय निसदीसो,
गाथा - १७.
२६. पे. नाम. गौतमगणधर सज्झाय, पृ. २७अ - २७आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तोसु प्रीत बंधाणी; अंति: ज्योतिसे जोति मिलानी, गाथा- ९.
२७. पे. नाम. ४ निक्षेपा सज्झाय, पृ. २८अ २९अ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भोला लोको रे भरमें; अंति: पडिमा सुचि गुणगेह, गाथा - १५. २८. पे. नाम. बारव्रत सज्झाय, पृ. २९अ - ३०आ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदिः श्रुत अमरी समरी; अंति: जीनविजये कड्या, गाथा-२२.
,
२९. पे. नाम. क्षमाविजय गुरुगुण सज्झाय, पृ. ३०आ - ३२आ, संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७१, आदि: समरुं भगवती भारती अंति: आणि भगति अपार, डाल- २. ३०. पे. नाम. २० स्थानक स्तवन, पृ. ३२-३३आ, संपूर्ण.
२८२८६.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुअदेवी समरी कहु; अंतिः भवी जिनपद सुजस सवाब, गाथा - १४. (-) सझाय, स्तवन, दोहा, समस्यापद, श्रीपालप्रसंग व पच्चक्खाण आदि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, कुल पे. ११, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., दे., (२७.५X१३.५, ११X३४-४१).
१. पे. नाम. बीजनी सिज्याय, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण, प्रले. मु. बुद्धचंद्र ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य.
वीजतिथि सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बीज कहे भव्य जीवने; अंतिः नित विविध विनोद रे,
गाथा - ८.
२. पे नाम. मधुबिंदुबाव सिझाय, पृ. २अ २आ, संपूर्ण
मधुबिंदु सज्झाय, मु. चरणप्रमोद-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मुझने रे मात; अंति: परम सुख इम मांगीये,
गाथा - १०.
३. पे. नाम. पद्मनाभजिन स्तवन, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्रजी, मा.गु., पद्य, आदि: वाटडलि निहालुं रे; अंति: देवचंद० करजो परमानंद, गाथा- ७.
४. पे. नाम जैन दुहा संग्रह, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
जैनदुहा संग्रह*, प्रा., मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१३.
५. पे नाम, पार्श्वजिन छंद- अमीद्वारा पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
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मा.गु., पद्य, आदि उठ प्रभात अमिझरो; अंति: निर्मलइति पुरो आस रे, गाधा - १५.
६. पे. नाम समस्यापद संग्रह, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
क. पूरणचंद, मा.गु., पद्य, आदि एक नारि छे अनुप ते; अंतिः पुरण० नव कहीए कदा, पद-४. ७. पे. नाम. श्रीपाल प्रसंग, पृ. ५अ - ६अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: मतिसागरें श्रीपालने; अंतिः श्रीपाल पोतानो राजछे.
८. पे. नाम. आयंबिल पच्चक्खाण, पृ. ६अ - ६आ, संपूर्ण.
प्रा., गद्य, आदिः उग्गए सूरे नमुकारसी; अंति: असित्थेण वा वोसिराई.
९. पे नाम. संखेश्वरपार्श्वजिन लावणी, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: पार्श्वनाथ प्रगट; अंति: तम सेवक हम दास भणे, ११. पे. नाम गौतमस्वामी प्रभातियु, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. पद्मविजय, पुहिं, पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर गाम; अंतिः पद्मविजय० सीर नामे, गाथा- ७. १०. पे नाम. पार्श्वजिन लावणी, पृ. ७अ संपूर्ण.
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गाथा - ३.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२३३ गौतमस्वामी छंद, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: मात पृथ्वी सुत प्रात; अंति: दोलत घर चढति
सवाई, गाथा-९. २८२८७. नवपदपूजा, शांतिकलश, स्तवन व छंदसंग्रह, अपूर्ण, वि. १८९९, फाल्गुन शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. १४-६(१ से ६)=८,
कुल पे. ७, ले.स्थल. हरीचंद्रपूरी, प्रले. मु. विद्याविजय (गुरु ग. भीमविजय, तपागच्छ); लिख. पं. रिद्धिसोम, प्र.ले.पु. विस्तृत, जैदे., (२८x१३, १५-१७४२८-३२). १. पे. नाम. नवपद पूजा, पृ. ७अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. उपा. यशोविजयजी गणि, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदिः (-); अंति: कोई नये न अधूरी रे, (पू.वि. मात्र अंतिम ३
गाथा हैं.) २. पे. नाम. शांतिजिन जन्माभिषेक कलश, पृ. ७अ-९आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेयःश्रीजयमंगलाभ्य; अंति: श्रीशांतिजिन जयकार. ३. पे. नाम. २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, पृ. ९आ-१०आ, संपूर्ण.
मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणमु; अंति: तास सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. ४. पे. नाम. पलविहार पार्श्वजिन छंद, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-पालनपुरमंडन, श्राव. ऋषभदास , मा.गु., पद्य, आदि: सकल नगर माहें घj; अंति: ऋषभदासे
एणीपरे लह्या, गाथा-३२. ५. पे. नाम, फलवर्धिपार्श्वजिन छंद, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-फलवर्द्धि, मु. अभयसोम, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता सेवका; अंति: अभयसोम० दायक
भगति, गाथा-७. ६. पे. नाम. श्रावक करणी सज्झाय, पृ. १३अ-१४अ, संपूर्ण. श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करणी दुखहरणी छे एह,
गाथा-२१. ७. पे. नाम. अंबाजीमाता छंद, पृ. १४अ-१४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीइ परमाणदा; अति: मयगल जयजय करो, गाथा-५. २८२८८. सझाय, स्तवन आदि संग्रह व श्लोक, पूर्ण, वि. १९६०, वैशाख कृष्ण, २, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २६-१(१)=२५, कुल
पे. ३२, ले.स्थल. दादरीग्राम, प्रले. मु. श्रीचंदजी ऋषि (गुरु ऋ. रघुनाथ), प्र.ले.पु. मध्यम, दे., (२९x१३.५, १३-१५४३०-३७). १.पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
चंपाराम, मा.गु., पद्य, आदि: अरे सजन तेरा मन चंचल; अंति: नहीं संदेह ल्यानां, गाथा-६. २. पे. नाम. नेमराजिमतीसज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
ऋ. चोथमल, मा.गु., पद्य, आदि: समुदविजयसुत लाडलो; अंति: पाम्या परम संतोक, गाथा-११. ३. पे. नाम. भरतचक्रवर्ति सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: भरतजी भूप भये वैरागी; अंति: मुक्त गया सोभागी, गाथा-१०. ४. पे. नाम. कमलावती सज्झाय, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण. कमलावतीसती सज्झाय, ऋ. जैमल, पुहिं., पद्य, आदि: महलामे बेठीजी राणी; अंति: संजम लेइ होवै सासता,
गाथा-२७. ५. पे. नाम. जीवापांत्रीसी, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: मोह मिथ्यात की नींद; अंति: रिषि जैमल कहे एमजी, गाथा-३५. ६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-गर्भावास, पृ. ५अ-७आ, संपूर्ण.
पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: उत्पति जोज्यो आपणी; अंति: बंधई कीजई तेही कर्म, गाथा-७०. ७. पे. नाम. २४ जिनवरप्रथमगणधर प्रथमसाहुणीपरिवार स्तवन, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २४ जिन प्रथमगणधर प्रथमसाहुणीपरिवार स्तवन, मु. ज्ञानचंद, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभादिक चउवीस जिणंद;
अंति: ज्ञानचंद० सिवसुख लेह, गाथा-२७. ८. पे. नाम. सत्य बोल स्तवन, पृ. ८आ-९आ, संपूर्ण. २४ जिन मातापितादि ७ बोल स्तवन, मु. दीप, मा.गु., पद्य, वि. १७१९, आदि: श्रीजिनवाणी सरस्वती; अंति: गुणे
सुजस बखाणी ए, गाथा-२७, (वि. प्रशस्तिसूचक अंतिम २ गाथाएँ नहीं लिखी गयी है.) ९. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १०अ-११अ, संपूर्ण. मु. ज्ञानचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: नाभिकुलगुरु कुल नभ; अंति: ग्यानचंद० कोइ न तोलै, ढाल-२,
गाथा-२६. १०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण.
मु. चंद्रभाण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीश्रीमंदरसामी में; अंति: भवियण रे मन भाया हो, गाथा-२१. ११. पे. नाम. जंबूस्वामी सज्झाय, पृ. १२अ-१३अ, संपूर्ण. क्र. खुशालचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १८१७, आदि: मगध देश राजगृही नगरी; अंति: सील तणी महिमा आणी,
गाथा-१५. १२. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १३अ, संपूर्ण.
मु. रतन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमंदर तमें सें मन; अंति: समगत सार रतनसु, गाथा-६. १३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १३अ-१३आ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिणेसर वाल्हा अरज; अंति: जीणहरषै० बंदा लाल, गाथा-१४. १४. पे. नाम. लोभपचीसी, पृ. १३आ-१५अ, संपूर्ण.
लोभपच्चीसी, मु. रायचंद, पुहिं., पद्य, आदि: माहालोभी मनुषसुं; अंति: रायचंद० अबही समता रे, गाथा-२५. १५. पे. नाम. अइमुत्तामुनि सज्झाय, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण..
आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवीरजिणंद वादीने; अंति: ते मुनिवरना पाया, गाथा-१८. १६. पे. नाम. कलियुगवर्णन सज्झाय, पृ. १५आ-१६आ, संपूर्ण.
मु. लालचंद ऋषि, रा., पद्य, आदि: श्रीजिण चर्णकमल नमु; अंति: लालचंद० प्रकास हो, गाथा-१५. १७. पे. नाम. बुढ़ापा सज्झाय, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुण बूढापो आवीयो; अंति: कहै कवीयण ज्ञान रे, गाथा-१६. १८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १७अ-१८अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सासन नायक वीरजिणंद; अंति: दीज्यो मुक्तनो वास, गाथा-१३. १९. पे. नाम. चित्रसंभूति सज्झाय, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण.
मु. राजहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: बांधव बोल मानोजी; अंति: जाकी भवस्थित नाहि हो, गाथा-१७. २०. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १८आ-१९अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: एह संसार खार सागर; अंति: जिन धूर की वेदन खोई, गाथा-१०. २१. पे. नाम. रामचंद्रजीरो मुदडो, पृ. १९अ-२०अ, संपूर्ण.
रामचंद्रजी की मुंदरी, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत सामण विनउं; अंति: रावन कीयो अन्याय हो, गाथा-३२. २२. पे. नाम. सीतासती सज्झाय, पृ. २०आ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुनिसुवरतस्यामी कुं; अंति: लक्ष्मीचंद० सीरनाय, गाथा-१६. २३. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. २१अ, संपूर्ण.
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: ढंढणऋषिने वंदणा; अंति: कहे जिनहर्ष सुजाण रे, गाथा-९. २४. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. २१अ-२२अ, संपूर्ण.
मु. कीर्तिसोम, मा.गु., पद्य, आदि: इक दिन अरणक जाम; अंति: कीर्तिसोम इणपरि कहैए, गाथा-२४. २५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २२अ-२३अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२३५ मा.गु., पद्य, आदि: सतगुरु आगम सांभलि; अति: पुहुचै मुक्ति मंझार, गाथा-३४. २६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २३अ-२३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: तु मनमोहन मीलवा रे; अंति: वरत्या जय जयकार रे, गाथा-१३. २७. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २३आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: बलीहारी हो प्रभू; अंति: दानत मन आनंदकारी, गाथा-४. २८. पे. नाम. पुण्यपाप सज्झाय, पृ. २३आ-२४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चारुंगत में भटकता; अंति: सतगुरु कहै समझाय रे, ढाल-२. २९. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. २५अ, संपूर्ण..
पंन्या. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन मेतारज मुनि; अंति: लहसी अविचल ठा, गाथा-१४. ३०. पे. नाम. कर्मविपाकफल सज्झाय, पृ. २५आ-२६अ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: देव दाणव तीर्थंकर; अंति: रिधहरष० जाल्यारे, गाथा-१८. ३१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २६अ-२६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: गणधर गौतम पाय नमीनें; अंति: युं ही जन्म गमाली, गाथा-१५. ३२. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह-, पृ. २६आ, संपूर्ण..
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१. २८२८९. स्तवन व गहुँली संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. १३, जैदे., (२८.५४१३.५, १५४४५-५१). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-त्रिलोकीपातसाह ऋद्धिवर्णन, पृ. १अ, संपूर्ण. पंन्या. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८६, आदि: भरतजी कहे सुणो मावडी; अंति: जय० मंगलमाल सवाय रे,
गाथा-१६. २. पे. नाम. महावीरजिन ऋद्धिवर्णन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-ऋद्धिवर्णन, पंन्या. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदू सिद्ध भगवंतने; अंति: दीप०संघने
जयजयकार रे, गाथा-१३. ३. पे. नाम. चतुर्विधसंघशोभा स्तवन, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८७, आदि: वंदी जिन प्रभु वीरने; अंति: संघने कोड कल्याण, गाथा-२३. ४. पे. नाम. रुपीयानीशोभा गीत, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक गीत, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: देस मुलकने रे परगणे; अंति: दीपविजय० ना मान, गाथा-११. ५. पे. नाम. सकलजिनविनती स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
पंन्या. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अबोला स्याने ल्यो; अंति: जय० अनंतगुणी गुणवंता, गाथा-११. ६. पे. नाम. गौतमस्वामी गहुंली, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जीरे कामनी कहे सुण; अंति: वीर सासन सणगार रे, गाथा-८. ७. पे. नाम. महावीरजिन गहुँली, पृ. ३आ, संपूर्ण.
आ. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चालो सखि वंदनने जइये; अंति: कह्यो दीप कबीराजे, गाथा-७. ८. पे. नाम. केसीगणधर गहुंली, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
केशीगणधर गहंली, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जीरे कंकुम छडो; अंति: वंदो उगमते रे सूर, गाथा-७. ९. पे. नाम. इग्यारगणधर गहंली, पृ. ४अ, संपूर्ण. ११ गणधर गहली, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पेहेलो गोयम गणधरु; अंति: दीपविजय० जिनशासन रीत.
गाथा-८. १०. पे. नाम. जंबुकुमार गहुंली, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजग्रही नयरी समो; अंति: प्रणमै छे बहु नरनार, गाथा-७. ११. पे. नाम. अध्यात्मवीर गुंहली, पृ. ४आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची औपदेशिक गहुँली, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अमृत सरखी रे सुणीइं; अंति: प्रभुने प्रभुता दीजे, गाथा-७. १२. पे. नाम. भगवतीसूत्र-गहुली, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
संबद्ध, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सहियर सुणीये रे भगवत; अंति: मंगल कोटि वधाई, गाथा-७. १३. पे. नाम. गणधरपद स्थापना गहंली, पृ. ५अ, संपूर्ण..
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनि हारे नयरी अपापा; अंति: नित वंदन वार हजार, गाथा-९. २८२९०. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र, स्तुति व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १७, कुल पे. १०, जैदे., (२७.५४१३.५,
१३४२९-३३). १. पे. नाम. श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. १अ-११आ, संपूर्ण. देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति:
सर्वकार्येषुसिद्धि. २. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. ११आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहे पुरो मनोरथ माय, गाथा-४. ३. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिनवर प्रणमुं; अंति: इम जीवित जनम प्रमाण, गाथा-४. ४. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १२अ-१२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: करो अंबिका देवीये, गाथा-४. ५. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. १२आ-१३अ, संपूर्ण, पे.वि. पत्रांक-१३असे १४आ तक पोसह लेने-पारने आदि
आवश्यकसूत्र लिखें हैं.
म. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सत्तरभेदी जिनपूजा; अति: पुरो देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. ६. पे. नाम. पंचमीतिथि स्तुति, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: धरमजिणंद परमपद पाया; अंति: नयविमल० विघन हरेवी, गाथा-४. ७. पे. नाम. चतुर्थी स्तुति, पृ. १५अ, संपूर्ण. चतुर्थीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सरवारथसिद्धथी चवी; अंति: नय धरी नेह निहालतो.
गाथा-४. ८. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंति: निवारो संघतणा निशदिश, गाथा-४. ९. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. १५आ-१७अ, संपूर्ण.
मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे ठाम धर्म; अंति: कांति सुख पामे घणु, ढाल-२, गाथा-२४. १०. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण. मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: द्वारिकानयरी समोसर्य; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण., गाथा-२ तक लिखा है.) २८२९१. अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिकादि स्तव संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ४, जैदे., (२८.५४१३,
१४४४८). १. पे. नाम. अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: अगम्यमध्यात्मविदाम; अंति: मयमुपाधि विधृतवान्, श्लोक-३२. २. पे. नाम. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: अनंतविज्ञानमतीत; अंति: कृतसपर्याः कृतधियः, श्लोक-३२. ३. पे. नाम. महावीर स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तव, सं., पद्य, आदि: त्रिलोकीपतिं निर्जित; अंति: मम भावस्तवः स्तात्, श्लोक-११. ४. पे. नाम. नेमिजिन स्तव, पृ. ४अ-५अ, संपूर्ण.
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सं., पद्य, आदि: सिद्धांजनातीव तवांगभ; अंतिः गताद्यभूमिः, श्लोक - २२.
२८२९२. चौवीसजिन वर्णन, श्लोकसंग्रह व औषध, संपूर्ण, वि. १८८५, वैशाख कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ८, कुल पे. ३, ले. स्थल. हरिदुर्ग, प्रले. पं. देवकरण, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. "पंक्त्यक्षर अनियमित ही, जैवे., (२८x१३).
१. पे. नाम. छीयालीस ठाणा, पृ. १अ - ८आ, संपूर्ण.
२४ जिन विवरण, मा.गु., गद्य, आदि: विमान आगत तीर्थंकर; अंति: (-).
२. पे. नाम. श्लोक संग्रह - पृ. १अ + ३अ, संपूर्ण.
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सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
३. पे. नाम औषध संग्रह, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२८२९३. सज्झाय संग्रह व दसठाणावोल विचार, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १४७ - ३५ (९० से १२४) = ११२, कुल पे, १४, जैदे., (२८x१३, १०X४७-४८).
१. पे नाम. समता सज्झाय, पृ. १अ ४अ, संपूर्ण.
औपदेशिक ढाल, मा.गु., पद्य, आदि: ए संसार असार है नही; अंति: महासुख पावे रे, गाथा - ६५.
२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४अ - ९अ, संपूर्ण.
मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८०८, आदि: श्रीजिण दे इसडो; अंतिः चेत रे चेत तुं मानवी, गाथा - २४. ३. पे नाम, ककापैंतीसी, पृ. ९अ १२अ, संपूर्ण,
मु. केसर, मा.गु., पच, वि. १८५८, आदि: ओ नमु अरिहंतने सिधपद; अंतिः किया परमारथकै काजै, गाथा- ३५. ४. पे. नाम. ढंढणऋषि सज्झाय, पृ. १२अ - १४आ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि तिण कालेनें तिण समें; अंतिः तूले नावे लिगार, ढाल ३.
-
पे. नाम. अभवी सझाय प्र. १४-१५आ, संपूर्ण.
अभव्य सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: भगवंत आगल बेसीने; अंतिः नही समझें रे प्राणी, गाथा - ११.
६. पे. नाम. साधु वंदणा, पृ. १५आ - १७आ, संपूर्ण.
साधुवंदणा, मा.गु., पद्य, आदि: जिण मार्ग में धूर; अंति: कर्म खपाय मुगते गईजी, ढाल -२, गाथा-३९. ७. पे. नाम. उंबरदत्त रास, पृ. १७- २१आ, , संपूर्ण.
रा., पद्य, वि. १८३५, आदि: विपाकमुत्र रे अर्धे अंति: जीवांने प्रतिबोधवा, ढाल ५.
८. पे. नाम. उरजन सज्झाय, पृ. २१आ - २५आ, संपूर्ण.
अर्जुनमाली रास, मा.गु., पद्य, आदि: तिणकाले ने तिणसमै; अंति: पाम्यां मुगत निधान, डाल- ६. ९. पे नाम. नारी सज्झाय, पृ. २५-२६आ, संपूर्ण,
मु. टोडरमल, मा.गु., पद्य, आदि: राजद हो राजंद नाम; अंति: वात सुणौ नारी तणी, गाथा - १६. १०. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. २६आ- २७आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मेतारज साधु तणा गुण; अंतिः सदगति पोहोतो जाय, ढाल २.
११. पे. नाम. मोहनीकर्म सज्झाय, पृ. २७आ - ३०आ, संपूर्ण.
महामोहनीकर्म सज्झाय, मा.गु., पद्य, वि. १८३७, आदि: माहा मोहणी कर्मरी; अंति: भव जीवांने समझायवा,
गाथा - ५०.
१२. पे नाम, अणूकंपा सज्झाय, पृ. ३०आ-५०आ, संपूर्ण.
अनुकंपा सज्झाय, रा., पद्य, आदि: पोतै हण हणावै नही; अंति: आदरीयां खेवो पार, ढाल - ९. १३. पे. नाम. नवतत्त्व सज्झाय, पृ. ५०आ-८९आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., पद्य, आदि: नमूं वीर सासणधणी गण; अंति: (-), (पू.वि. बंधतत्व ढाल अपूर्ण तक है.) १४. पे. नाम. दशठाणाबोल विचार, पृ. १२५ अ - १४७आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
१० ठाणा बोल, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२८२९४ (४) चैत्यवंदन, स्तवन, स्तुति व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८९०, श्रावण कृष्ण, ५, मध्यम, पृ. १०-२ (१ से २) = ८,
कुल पे. १३, ले. स्थल. वाली, प्रले. पंन्या वृद्धिविजय गणि (गुरु पंन्या. नरेन्द्रविजय गणि, लघुपोसालगच्छ),
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे. (२९x१३, १०-११x२९-३६).
,
१. पे. नाम चतुर्विंशतिजिनचैत्यवंदन, पृ. ३अ ४अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि (-); अंति: मरालायात नमः, श्लोक-२६, (पू. वि. गाथा - २ अपूर्ण से हैं . )
२. पे नाम, पार्श्वजिन स्तुति- पौषदशमी, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तुति - पौषदशमीतिथि, आ. उदयसमुद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जय पास देवा करु; अंति: संघ आ पूरणी, गाथा-४.
३. पे. नाम नेमिजिन स्तुति, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: मंगल करे अंबका देवया, गाथा-४,
४. पे नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
ग. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३, आदि: पहिले पद जपीड़ अरिहंत; अंतिः कांतिविजय गुण गाय, गाथा- ४. ५. पे नाम, पाक्षिक स्तुति-स्नातस्या, पृ. ६२-६आ, संपूर्ण
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंतिः सर्वकार्येषु सिद्धं श्लोक-४.
६. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. जिनचंद, रा., पद्य, आदि: सरसती सामण वीनवु; अंति: प्रेम घरी जिनचंद, गाधा-७
७. पे नाम, धर्मजिन स्तवन, पृ. ७अ ७आ, संपूर्ण
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मु. वल्लभसागर, मा.गु., पद्य, वि. १८४३, आदि: धरमजिनेशर ध्याईये; अंति: नित प्रणमीजे पाय, गाथा - ७, (पू.वि. अंतिमवाक्य वाला भाग फटा है.)
८. पे. नाम. नेमराजिमतीबारमासो, पृ. ७आ - ९अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती बारमासो, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: भाद्रवमाशे सांम मेली; अंति: नवे निधि पामी रे,
गाथा - १३.
९. पे. नाम. दोषत्याग सज्झाय, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
पदेशिक सज्झायनिंदात्याग, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: गुण छे पुरा रे; अंतिः ग्रहो गुण थइ उजमाल,
गाथा - ६.
१०. पे नाम, प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, पृ. ९आ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं तुमारा पाव; अंति: जिण दीठा प्रत्यक्ष गाथा ६.
११. पे. नाम. अनाथीमुनि सज्झाय, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रेणीक रविवाडी; अंतिः प्रणमुं रे वे कर जोड, गाथा- ९.
१२. पे. नाम. सोजतमंडण गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १०आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मा.गु., पद्य, वि. १८७४, आदि: श्रीगोडीचा पासजी मोन; अंति: आपोने अविचल ठाय,
गाथा - ५.
१३. पे नाम, पद्मप्रभजिन स्तवन- संप्रतिराजावर्णनगर्भित, पृ. १०आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि: धनधन संप्रति साचो; अंति: (-), (पू.वि. गाथा- २ अपूर्ण तक है.) २८२९५. (+) आश्रवादि त्रिभंगीसार संग्रह सह टीका, पूर्ण, वि. १९०७, वैशाख कृष्ण, १०, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ७४-३ (१ से ३) -७१, कुल पे. ६, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें संधि सूचक चिह्न क्रियापद संकेत टिप्पण युक्त विशेष पाठ संशोधित., जैदे., (२९x१३, ७X३४).
-
१. पे. नाम. आश्रवत्रिभंगी सह टीका, पृ. ४अ - १२अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., प्रारंभ से गाथा- २३ तक नहीं
है. पै. वि. यंत्र सहित.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
आस्रवत्रिभंगी, मु. श्रुतमुनि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: (-); अंति: बालिंदो चिरं जयऊ, गाथा-६३.
आस्रवत्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: श्रुतमुनेर्गुरुः, त्रिभंगी-३. २. पे. नाम. बंधत्रिभंगी सह टीका, पृ. १२अ-२०आ, संपूर्ण, पे.वि. यंत्र सहित.
गोम्मटसार-बंधत्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., पद्य, आदि: णमिऊण णेमिचंद असहाय; अंति:
__ अत्थि गुणभिदयं, त्रिभंगी-३, गाथा-४४.
बंधत्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: नत्वा नमस्कृत्य नेमि; अंति: एव इति नियमात्, त्रिभंगी-३. ३. पे. नाम. उदयत्रिभंगी सह टीका, पृ. २०आ-३३आ, संपूर्ण, पे.वि. यंत्र सहित. गोम्मटसार-उदयत्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., पद्य, आदि: पंचणवदोणिअट्ठावीसं; अंति:
चंदच्चियणेमिचंदेण, त्रिभंगी-३, गाथा-७३. उदयत्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: ज्ञानावरणस्य पंच ५; अंति: नेमिचंद्र० वा कथितः, त्रिभंगी-३. ४. पे. नाम. सत्तात्रिभंगी सह टीका, पृ. ३३आ-३९अ, संपूर्ण, पे.वि. यंत्र सहित. गोम्मटसार-सत्तात्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., पद्य, आदि: पंचणवदोणिअट्ठावीसं०; अंति: सिद्धि
समाहिं च, त्रिभंगी-३, गाथा-३५. सत्तात्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: ज्ञानावरणाद्यष्टकर्म; अंति: परमशुद्धम, त्रिभंगी-३. ५. पे. नाम. विशेषसत्तात्रिभंगी सह टीका, पृ. ३९अ-५९अ, संपूर्ण, पे.वि. यंत्र सहित.
गोम्मटसार-विशेषसत्तात्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., पद्य, आदि: णमिउण वड्डमाणं कणयणि; __अंति: छक्खड साहियं सम्म, गाथा-३७.
विशेषसत्तात्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: कनकवण देवराज; अंति: सम्यक् साधितम्. ६.पे. नाम. भावत्रिभंगीसह टीका, पृ. ५९अ-७४, संपूर्ण, पे.वि. यन्त्र सहित.
भावत्रिभंगी, मु. श्रुतमुनि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: खविदघणघादिकम्मे; अंति: पुण्णा दुगुणपुण्णा, गाथा-११६.
भावत्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८२९६. वज्रस्वामी रास, सिद्धाचल स्तवन व नवकारछंदादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८७६, मार्गशीर्ष शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. ९, कुल
पे. ९, ले.स्थल. पालनपुर, प्रले. ग. मोतीविजय; पठ. श्राव. लखमीचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पलवीहार प्रासादात्., जैदे., (२७.५४१२,१५४४५). १.पे. नाम. वयरस्वामि स्वाध्याय, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण. वज्रस्वामी रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: अरध भरतमांहि शोभतो; अंति: जिनहर्ष० गुण गाया
रे, ढाल-१५. २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण.
मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धाचल सिद्ध सुहाव; अंति: शुभविर वचनरस गावे रे, गाथा-११. ३. पे. नाम. शत्रुजय स्तवन, पृ. ५अ-६अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थमहिमा स्तवन, मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: अमृत वचने रे प्यारी; अंति: स्तवीयो गिरि सोहकर,
गाथा-२७. ४. पे. नाम. पंचपरमेष्ठी छंद, पृ. ६अ-आ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, मु. जिनप्रभसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुखकारण भवियण समरो; अंति: जिनप्रभ०
सीस रसाल, गाथा-१४. ५. पे. नाम. १६ सती सज्झाय, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदि जिनवर; अति: लेसे सुख संपदा ए, गाथा-१७. ६. पे. नाम. प्रभुदर्शन पूजन फल चैत्यवंदन, पृ. ७अ-आ, संपूर्ण.
उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु श्रीगुरूराज; अंति: विनय० सेवानी कोडि, गाथा-१४. ७. पे. नाम. सर्वजिन चैत्यवंदन, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधर प्रमुख नमुं; अंति: वंदीए महोदय पद दातार, गाथा-३. ८. पे. नाम. श्रावक करणी सज्झाय, पृ. ८अ-आ, संपूर्ण. श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करणी दुखहरणी छे एह,
गाथा-२१. ९. पे. नाम. नमस्कार महामंत्र छंद, पृ. ८आ-९आ, संपूर्ण.
वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित पूरे विविध; अंति: ऋद्धि वांछित लहे, गाथा-१७. २८२९७. सीता चरित्र, संपूर्ण, वि. १९६५, भाद्रपद शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. ५९, ले.स्थल. अहमदावाद, प्रले. चकुभाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१३, १४४४५).
सीता चरित्र, सं., गद्य, आदि: प्रणम्यादिदेवाद्या; अंति: मुक्तिं यास्यति. २८२९८. (+) सज्झाय व पदादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४९, कुल पे. ५५, पठ. मु. संघा ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२८.५४१२.५, १५-१७४३८-३९). १.पे. नाम. इलाचीपुत्र सज्झाय, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, वि. १५७०, आदि: उलट उलट अंगि अपारकि; अंति: कांनि सूणसइ एकमनि. २. पे. नाम. गजसुकमाल सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
गजसुकुमाल सज्झाय, सेवक, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिननायक वांदीयि; अंति: सेवक करइ प्रणाम, गाथा-१३. ३. पे. नाम. भावना स्वाध्याय, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
मु. कुशलसंयम, मा.गु., पद्य, आदि: पाय प्रणमी रे भगति; अंति: जोइ कुसलसंयम कवि कहि, गाथा-१३. ४. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: एके दिनि सारथपति; अंति: जिम भवसायर पारइ, गाथा-१७. ५. पे. नाम. स्त्रीचरित्र पद, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: आभ तणा जे तारा गणइ; अंति: रखे को भुल मि धरइ. ६. पे. नाम. आर्द्रकुमार रास, पृ. ४आ-५आ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: माहिय नयरीय सीहदुआरि; अंति: चिरंजीवे वछ कोडिवरीस, ढाल-३. ७. पे. नाम. अध्यात्म सज्झाय, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
वीरोदास, मा.गु., पद्य, आदि: दान सीयल तप भावना; अंति: म्हे कहि वीरोदास रे, गाथा-७. ८. पे. नाम. साधुसज्झाय, पृ. ६अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जीवहिंसा करी धर्म ज; अंति: गुण छत्रीसइ पूरा, गाथा-५. ९. पे. नाम. दयाधर्म सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: अनेक प्रकार तणा गुरु; अंति: द्धशिला जई सिद्धा रे, गाथा-१०. १०. पे. नाम. धनतेरसादिपंचदिवस पद, पृ. ६आ, संपूर्ण..
औपदेशिक पद, गोविंद, मा.गु., पद्य, आदि: सदावीला तेह निसरी; अंति: धर्मव्यापार ज कीजइरि, गाथा-७. ११. पे. नाम. नारीनेहनिवारण सज्झाय, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
मु. विनयविमल, मा.गु., पद्य, आदि: परहरि संगति जीवा; अंति: विनिविमल इम भणइ, गाथा-७. १२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण..
वणजारा सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: वणजारा रे ऊभउ रही; अंति: कृत क्रीयाणू संग्रहे. १३. पे. नाम. दानफल सज्झाय, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जेणइ दीध तेणि लीध; अंति: महिइलि मोटा मनइ भई, गाथा-७. १४. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण, पे.वि. गाथा क्रम में किंचित् भेद है.
मु. सिंहविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीव नयर सुहामणो; अंति: तस तरि अवर न कोय, गाथा-२०. १५. पे. नाम. १५ तिथि पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
गोरखनाथ, मा.गु., पद्य, आदि अमावास्या पडवे ए घट; अंतिः बोला गोरखनाथ वाणी, गाथा - ६. १६. पे. नाम. कुसंगतिवारण चोपाइ, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
कुसंगतिवारण पद, मा.गु., पद्य, आदि जेहवां वृक्ष्य; अंति: समर्थ रामनइ जाणी, गाथा - ५. १७. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: कुकम केसर मोती मुहवट; अंति: रंभा जड़ विनवजो व्यास, गाथा - ९.
मा.गु., पद्य, आदि: भि उपनो विसवा न लागी; अंति: बल्लानी पोहोती छि आस, गाथा - २.
२०. पे. नाम. समस्या पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
भैरव, मा.गु., पद्य, आदि पंडिता आ कछु कथिउ; अंतिः ए पद अरथ विचारा, गाथा-३, २१. पे. नाम, समस्या पद, प्र. ९आ, संपूर्ण
१८. पे. नाम. शीयल सज्झाय, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण.
शीयलव्रत सज्झाय, सेवक, मा.गु., पद्य, आदि आपणीवि इम जालवो; अंतिः मोखि मां करसि लील रे, गाथा - १०. १९. पे. नाम. विरहिणी पद, पृ. ९आ, संपूर्ण.
कान्ह, मा.गु., पद्य, आदि: पांगलो नाच बोबडउ; अंति: तेहनइ काल न खाइ, गाथा-२. २२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
तणी, गाथा - ८.
२३. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. १०अ १०आ, संपूर्ण.
गोविंद, मा.गु., पद्म, आदि: हंसाई धर्मतां आदरि; अंतिः सदा मंगलिक जाणीड़, गाथा - १०.
२४. पे. नाम. इंद्रियमनसंवाद चोपाइ, पृ. १०आ - ११आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. लावण्यसमय में, मा.गु., पद्य, आदि आदत जोयनि जीवडा जगि; अतिः सीखामण सहिगुरु
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इंद्रियमन संवाद, भीम, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथमिं दात जीभनि; अंति: रे पामु सिविपुरि वास, २५. पे. नाम. रामायण रास, पृ. ११आ - १३आ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: सुत्तलो सौह जगाडीउ; अंति: मुनि लावनसम भाइ, गाधा - ६०.
२६. पे नाम. लोभ सज्झाय, पृ. १३-१४अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि लोभि पुत्र पितानि; अंतिः कहो कलिजगनी ए घात, गाथा - १७.
२७. पे. नाम. भवितव्यता पद, पृ. १४अ - १४आ, संपूर्ण.
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मा.गु., पद्य, आदि: राजा रामचंद्र सखंड अंति: नालिकेरि माही पाणी, गाथा - ९.
२८. पे. नाम. मेघरथराजा सज्झाय, पृ. १४आ, संपूर्ण
मा.गु., पद्य, आदि: सरण भणी पारेवडड आवी; अंतिः मथुरा ते मृतिलोके रे, गाथा-१७,
२९. पे. नाम. जंबूद्वीपपरिमाण सज्झाय, पृ. १५अ, संपूर्ण.
ऋ. जीव, मा.गु., पच, आदि: सयल जिणेसर प्रणमी; अंतिः परमपद लि अनुक्रमि, गाथा - १६. ३०. पे. नाम. कर्मगति सज्झाय, पृ. १५ अ - १५आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: नलणी वसती वनह मझारि; अंति: धरमपाखइ नवि छुटइ कोई, गाथा - ११.
३१. पे. नाम, नवकार स्तोत्र, पृ. १५ आ-१६अ, संपूर्ण
गाथा - २७.
नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि : उकोसो सज्झाउ चउदस; अंति: संसारो तस किं कुणई, गाथा - १२. ३२. पे नाम, औपदेशिक सज्झाय, पृ. १६अ, संपूर्ण
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२४१
मा.गु., पद्य, आदि: बूझरे या आतो एहि अंतिः धर्म करावि० पोषवि, गाथा ८.
३३. पे. नाम. १५ सिद्धभेद गाथा संग्रह, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि भवियजणविहियबोहे हयमो; अंतिः रूवममणुवाहमावासं वा, गाथा- ६.
३४. पे. नाम. छकायरक्षा सज्झाय, पृ. १६आ, संपूर्ण.
६ कायरक्षा सज्झाय, मु. ज्ञानदास, मा.गु., पच, आदि देवतणुं ता देव कहीजि; अंतिः इम कहि ज्ञानदास गाथा- ७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३५. पे. नाम. वर्णमाला, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋणै; अंति: ल व श ष स ह ळ क्ष. ३६. पे. नाम. माया पद, पृ. १६आ, संपूर्ण.
कबीरदास संत, पुहिं., पद्य, आदि: देखो भाई माया तजी; अंति: कबीर हुं तिन्हकु दास, गाथा-२. ३७. पे. नाम. मूरख पद, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: कीडीही चावलथी लुहोडी; अंति: लागा धावि पूछ हलावि, गाथा-२. ३८. पे. नाम. गौतमपृच्छा चौपाई, पृ. १७अ-२१अ, संपूर्ण. मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५४५, आदि: सकल मनोरथ परवे; अंति: मन जे जिनवचने वसिउ,
गाथा-११७. ३९. पे. नाम. चिहुंगति वेलि, पृ. २१अ-२५आ, संपूर्ण.
४ गति वेलि, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: आदि देव अरिहंतजी आदि; अंति: हुं वांछु गुणठाण, गाथा-१३५. ४०. पे. नाम. संवेगद्रुममंजरी चौपाई, पृ. २५आ-३०अ, संपूर्ण. मु. कुशलसंयम, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: सकलरुप प्रणमी अरिहत; अंति: मंजरी संविगइ चउसाल,
गाथा-११९. ४१. पे. नाम. धर्मोपदेश दुहा संग्रह, पृ. ३०अ-३३आ, संपूर्ण.
धर्मोपदेश दूहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: भवियण भावि भावज्यो; अंति: कादवि कादव किम सुझइ, गाथा-११९. ४२. पे. नाम. राग नाम विचार, पृ. ३३आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: स्त्रीरागो वसंतश्च; अंति: चैव एता नट्टनारायणी, श्लोक-७. ४३. पे. नाम. केशी प्रदेशी प्रबंध, पृ. ३३आ-३७अ, संपूर्ण.
आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीजिणपास; अंति: जोडीय भणइ श्रीपासचंद, गाथा-५१. ४४. पे. नाम. दसदृष्टांतेदुर्लभमानवभव सज्झाय, पृ. ३७अ-३७आ, संपूर्ण.
मनुष्यभव स्वाध्याय, मा.गु., पद्य, आदि: मिथा पडिउ बहु भव भमि; अंति: धर्म करउ अति गणू, गाथा-१५. ४५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-वटप्रदमंडनचिंतामणि, पृ. ३७आ-३८आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-वटप्रदमंडन चिंतामणि, मु.गुणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय गुरु देवाधिदेव; अंति: तणी
जम न पडूं संसारइ, गाथा-१४. ४६. पे. नाम. चोपनउत्तमपुरूष पद, पृ. ३९अ, संपूर्ण.
५४ उत्तमपुरूष पद, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिन वारि भरतजी; अंति: नुमो सरगि पांचमि एक, गाथा-४+६. ४७. पे. नाम. शीयल सज्झाय, पृ. ३९अ-३९आ, संपूर्ण. शीयलव्रत सज्झाय, मु. भैरवदास, मा.गु., पद्य, आदि: जीवो जीवा जीगरु दया; अंति: संसारि जे सीयल पालि.
गाथा-६. ४८. पे. नाम. अष्टकर्मविचार पद, पृ. ३९आ, संपूर्ण.
८ कर्मविचार पद, मु. भैरवदास, मा.गु., पद्य, आदि: न्याणावरणी पांच नव; अंति: जिन विण पार न दीसि, गाथा-६. ४९. पे. नाम. क्षमा पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: माहरा प्राणी पापीया; अंति: ते तो सूधिरे जाणि, गाथा-४. ५०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
सेवक, मा.गु., पद्य, आदि: जीव तुं गिहिनमा; अंति: पामो भव तणो पार रे, गाथा-३. ५१. पे. नाम. १२ भावना, पृ. ४०अ-४३अ, संपूर्ण.
मु. विद्याधर, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलीय भावना भविज्यो; अंति: भावि भणसइ तेहना, ढाल-१२. ५२. पे. नाम. जैनदर्शनमंडन छत्रीसी, पृ. ४३अ-४४आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२४३ जैनदर्शनमंडनछत्रीसी, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: रिसह पमुह जिणवर चउवी; अंति: सचंद नितु करे
प्रणाम, गाथा-३७. ५३. पे. नाम. १४ स्वप्न सज्झाय, पृ. ४४आ-४५आ, संपूर्ण, पे.वि. गाथा क्रमांक अशुद्ध है.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: देव तीर्थंकर केरडी; अंति: मनि लावनिसमइ भणिउ. ५४. पे. नाम. गौतमपृच्छा चोपाई, पृ. ४६अ-४८अ, संपूर्ण.
मु. साधुहंस, मा.गु., पद्य, वि. १५वी, आदि: प्रणमीअ वीर मुगति; अंति: स कहइ नित कीजइ धर्म, गाथा-६४. ५५. पे. नाम. कयवन्ना चरित्र, पृ. ४८अ-४९आ, संपूर्ण.
मु. बुद्धिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: राजग्रही नयरी नवजोयण; अंति: जोउ जोउ करम विचार, गाथा-५१. २८२९९. स्तवन व सलोको आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९७५, मार्गशीर्ष कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. २१-५(१ से २,६ से ७,२०)=१६,
कुल पे. ८, ले.स्थल. छोडा, प्रले. गुलाबचंद पुरोहित, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१३, १०x४०-४३). १.पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अतिम पत्र है. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदिः (-); अंति: सेव करतां सुख लहे,
गाथा-३५, (पू.वि. मात्र अंतिम कलश है.) २. पे. नाम. आदिनाथनो सलोको, पृ. ३अ-५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
आदिजिन सलोको, पंन्या. विनीतविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस्वती माता द्यो; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-४४
तक है.) ३. पे. नाम. नेमनाथनो श्लोको, पृ. ८अ-११अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. नेमिजिन सलोको, सुरशशि, गु., पद्य, आदि: (-); अंति: शेष वाणी हृदयमां वशी, गाथा-८२, (पू.वि. गाथा-२२
तक नहीं है.) ४. पे. नाम. मल्लिनाथजीरो वृद्ध स्तवन, पृ. ११आ-१३आ, संपूर्ण. मल्लिनाथ वृद्धस्तवन, मु. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: नवपद समरी मन शुद्ध; अंति: धरमराग मन मे
धरी, ढाल-५. ५. पे. नाम. २८ लब्धि स्तवन, पृ. १३आ-१५अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-अठावीसलब्धि, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२६, आदि: प्रणमु प्रथम जिनेसर; अंति:
प्रगट ग्यान प्रकाश, ढाल-३, गाथा-२५. ६. पे. नाम. अष्टमी स्तवन, पृ. १५अ-१६आ, संपूर्ण. अष्टमीतिथि स्तवन, पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: पंचतिरथ प्रणमुंसदा; अंति: संघने
कोड कल्याण रे, ढाल-४. ७. पे. नाम. समवसरण स्तवन, पृ. १६आ-१७आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२१, आदि: मोरी वीनतडी अवधारो; अंति: अनुपम जिनवंदन भास, गाथा-२१. ८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणक, पृ. १८अ-२१अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच का एक पत्र नहीं है. मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७३, आदि: शासननायक शिवकरण वंदु; अंति: रामविजय० अधिक जगीसए,
ढाल-३, (पू.वि. ढाल-३ गाथा-२ से गाथा-२१ तक नहीं है.) २८३००. लोकनालिका प्रकरण सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १४, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२९.५४१२.५, १५-१७४३८-३९). लोकनालिद्वात्रिंशिका, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: जिणदसणं विणा ज; अंति: जहा भमह न
इह भिसं, गाथा-३४. लोकनालिद्वात्रिंशिका-बालावबोध, मु. कल्याण, मा.गु., गद्य, वि. १७००, आदि: श्रीमद्विमलनाथस्य; अंति:
सप्तदससते वर्षे.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२८३०१. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १६८९, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, ले. स्थल. राजनगर, पठ. मु. दानसागर; मु. वीरसागर (गुरु) वा. कल्याणसागर गणि), प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x११, ८४२८).
१. पे नाम. तीर्थराज स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तुति, आ. सोमतिलकसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीतीर्थराजः पदपद्म; अंति: परमागम सिद्धसूरे, श्लोक-२.
२. पे नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति - शत्रुंजयमंडन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशत्रुंजयमंडण अंति: तुम्ह पाय सेवता,
गाथा- ४.
२८३०२. स्तुति संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. ग. गुणसागर; पठ. श्राव. वीरवास शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२५x१०.५, १२x४१).
१. पे. नाम. आदिनाथ स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति, सं., पद्य, आदिः आनंदानम्रकप्रत्रिदश; अंतिः विघ्नमर्दीकपर्दी, श्लोक-४.
२. पे नाम. पंचतीर्थ स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पंचतीर्थजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रीशत्रुंजयमुख्य; अंति: संतु भद्रंकराः, श्लोक-४.
३. पे. नाम. सामायिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. नेमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सामायिक मन सुधे करो; अंतिः सामायक पालो नीसदिस, गाथा ५. २८३०३. (+) सोलस्वप्न विचार, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. पंन्या. गुणविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२५.५x११, १३४४१).
चंद्रगुतराजा १६ स्वप्न सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिणि वीनवु; अंतिः केवल ज्ञाननई सिद्धि,
गाथा - २५.
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२८३०४. (-) पर्युषणपर्व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२३X११, ८x२१). पर्युषण पर्व सज्झाय, मु. जगवल्लभ, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम प्रणमु सरसति; अंतिः सुत जगवल्लभ गुण गाय,
(+)
गाथा - १६.
२८३०५.
गुरुभास संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. मु. फतेचंद्र (गुरु आ. विवेकचंद्रसूरि, पार्श्वचंद्र गच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित जैदे. (२६x२११, १३४३९).
',
ラ
१. पे नाम. विवेकचंद्रसूरि गुरुभास, पृ. १अ संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, वि. १९वी, आदि: प्रणमी गोयम गणधारी; अंति: अर्थ मन धारे रे, गाथा - ९. २. पे नाम. विवेकचंद्रसूरि गुरुभास, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जिनशासन सिणगार वंदो; अंति: वस्तौ द्यै आसीस रे, गाथा - १०. २८३०६. (+) क्षमाछत्तीसी व आलोचनातेत्रीसी, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे २, पठ, श्रावि कीकीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५X११.५, १३४३३),
.
१. पे. नाम . क्षमाछत्रीसी, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि आदर जीव क्षमागुण; अंति: संघ जगीश जी, गाथा- ३६. २. पे. नाम. आलोचनातेत्रीसी, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण
पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हवे राणी पद्मावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल, ढाल- ३, गाथा - ३३.
२८३०७. (#) आतमसमजोत सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४x११.५, १३X३६).
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औपदेशिक सज्झाय, पंडित. लक्ष्मीकल्लोल, मा.गु., पद्य, आदि: भगवति भारति चरण; अंति: मनि धरज्यो चोल,
गाथा - १६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८३०८. औपदेशिक परभाती, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, गु., (२०x१०.५, १४X१३).
औपदेशिक पद, आव, बनारसीदास, पुहिं., पच, आदि देखो भाई महाविकल; अंतिः वनारसि होइ० धन लूटे,
गाथा - ८.
२८३०९. मदनपाल लावणि, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२३१०.५, ८३०).
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मदनपाल लावणी, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदिः अबे के मदनपाला बे; अंति: सहज थकि सुणो नरनारी,
गाथा - ५.
"
२८३१०. (+) कुटुंबसंबंध चरित्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २६ ११, १६x४३). भवियकुटुंब चरित्र, मा.गु., पद्य, आदि: आदिपुरुष अरिहंत अनंत; अंति: भणी करो नित सेव, गाथा - ८९. २८३११. पंचमहाव्रत सज्झाय व रात्रिभोजनविरमण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. मु. रूपकुशल; पठ श्रावि. खुश्वालबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६४११, १३x४३).
१. पे नाम. पंचमहाव्रत सज्झाय, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरवै रे; अंति: भणइ ते सुख लहइ,
ढाल - ५.
२४५
२. पे. नाम. रात्रिभोजनविरमण सज्झाय, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल धरममा सारज कहिइ; अंति: पाले त धन अवतारो रे, गाथा- ७.
मु. रत्न, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुमतिजिन विनती; अंति: रत्न लहे जिन साध, गाथा - ६. २. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, ५ १अ १आ, संपूर्ण.
२८३१२. (+) नेमराजुल स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. संशोधित., जैदे., ( २६.५X११.५, ११४३८).
नेमराजिमती सज्झाय, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: एक माहरू माहरु नें; अंतिः नामे जाई पापनासी, गाथा - ९. २८३१३. (+) सुमतिजिन व महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२५x११,
१०x३६).
१. पे नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. ९अ, संपूर्ण,
मु. रत्न, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसमो श्रीमहावीर; अंति: गुणमाल अतिमनोरी रे, गाथा - १२. २८३१४. ज्ञानपंचमीमाहात्म्य स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७६, कार्तिक कृष्ण, ७, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. जंबूसर बंदिर, प्रले. पं. कनकचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीपद्मप्रभुप्रासादे, जैदे. (२४४११.५, १२x२५ ).
"
सौभाग्यपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसर; अंति: गुणविजय रंगे मुनि, ढाल - ६, गाथा- ४५.
२८३१५. पार्श्वनाथ स्तवन अष्टपदी, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. ग. सत्यविजय, प्र. ले. पु. सामान्य, जैवे., (२५.५x११,
१३४३९).
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पार्श्वजिन स्तवन- अष्टपदी, क. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिइ दिइ दोलति दीपती; अंतिः वाचक कमलविजय जयंकरी, गाथा - ८.
२८३१६. (+) सज्झाय, स्तवन व कवित्त, संपूर्ण, वि. १७२६, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र. वि. संशोधित, जैवे., (२५.५x१०.५, ११-१२४४५).
१. पे. नाम. मयणरेहासती सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण, प्रले. मु. प्रेमविमल मु. महिमाविमल (गुरु ग. विद्याविमल, तपा० विमलशाखा), प्र.ले.पु. विस्तृत,
मदनरेखासती सज्झाय, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: लघुबांधव जुगबाहुनइ; अंति: करुं प्रणाम त्रिकाल,
गाथा - ८.
२. पे. नाम. कवित्त संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा - १.
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२४६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३. पे. नाम. नेमिनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण, ले.स्थल. रामदुर्ग, प्रले. पं. कुशलविजय गणि; पठ. मु. महिमाविमल (गुरु
ग. विद्याविमल, तपा० विमलशाखा), प्र.ले.पु. सामान्य. नेमिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: तुज दरसण दीठों अमृत; अंति: तुझ तोलई कोइ रे,
___ गाथा-५. २८३१७. (+) स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ८, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४११,
१९४४८). १. पे. नाम. शत्रुजयमंडण आदिजिन वीनती, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मा.गु., पद्य, आदि: मरुदेवि माडी उरिरयण; अंति: अवर न काई इच्छीइए,
गाथा-२१. २. पे. नाम. समवसरणविचारमय नेमि स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तवन-समवसरणविचारगर्भित, मु. सोमसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: जादवकुल
सिणगार; अंति: अनंती ते लहइ ए, कडी-३६. ३. पे. नाम. घृत स्वाध्याय, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-घृत विषये, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भवियण भाव घणो धरी; अंति: लाल० घी
नो गुण कह्यो, गाथा-१९. ४. पे. नाम. लोवडी, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. आदिजिन लावणी, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आहे अति झीणी अति; अंति: कहिं लबधिविजय
करजोडि. ५. पे. नाम. खिमरिषि सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. खिमऋषि सज्झाय, मु. अमरकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेस मनिधरी; अंति: एणि भणइ नवनिधि अंगणि,
गाथा-३८. ६. पे. नाम. सामायिकक्रिया सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.. कलियुग सज्झाय, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिन चउवीसे चरण आराहु; अंति: करो सामायिक किरिआ,
गाथा-२५. ७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. लाल कवि, मा.गु., पद्य, आदि: डोसा को एक नई डोसी; अंति: सुकवि कहइं आणंद पाई, गाथा-१९. ८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ, संपूर्ण. कायाअनित्यता सज्झाय, मु. राजसमुद्र, रा., पद्य, आदि: सुण बहीनी प्रीउडो; अंति: नारी विना सोभागी रे,
गाथा-७. २८३१८. (+) बुद्धि रास व स्वयंप्रभुविहरमानजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२५४११, १९४४८). १. पे. नाम. बुद्धि रास सीखामणि, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, वि. १७८५, भाद्रपद कृष्ण, ३, रविवार.
बुद्धिरास, आ. शालिभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पणमवि देवि अंबाई; अंति: सवि टले कलेस तो, गाथा-६२. २. पे. नाम. स्वयंप्रभु विहरमानजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. स्वयंप्रभजिन स्तवन, मु. शांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: केवलनाण प्रमाणथी हो; अंति: शांति कहै महाराज,
गाथा-८. २८३१९. (-) समकित गुंहली व महावीरजिन भास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे.,
(२६४११.५, १३४३६). १.पे. नाम. समकीत गुंहली, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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जंबूकुमारसाधु गहुली, मु. मेघमुनिजी, मा.गु., पद्य, आदि हां जी समकीत भार; अंतिः शीयल पालो नर नार
गाथा - ८.
२. पे नाम महावीरजिन भास, पृ. १अ १आ, संपूर्ण, पे. वि. प्रतिलेखक ने अन्त में 'ए भास अशुद्ध छे' ऐसा लिखा है. मु. वसंतसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सखी राजग्रही उदानमां; अंति: वसंतसागर कहे करजोड, गाथा - ५. २८३२०. चौतीस अतिशय स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले. स्थल. नंदीपुर, प्रले. ग. नायकविजय,
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प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२.५X१०.५, १२X३२).
१. पे. नाम चोतिस अतिशय स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
३४ अतिशय छंद, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुमति दायक दुरित; अंति: पय सेव मांगु भवभवे,
गाथा - ११.
२. पे नाम, नेमिजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
-
नेमराजिमती पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मत जाओ रे पीया तुम; अंति: मगन भए संजम भार मे, गाथा ३. २८३२१. (+) निशानी व कवित्त, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२६X११, १९५५). १. पे नाम, बंभणवाडि निसाणी, पृ. १अ २आ, संपूर्ण.
महावीरजिन निसाणी-बामणवाडजी, मु. हर्षमाणिक्य, मा.गु., पद्य, आदि: माता सरसती सेवक; अंति: ऊपजे कटे पाप तन पीर, गाथा - ३७.
२. पे. नाम. भरतमहाराजा कीर्त्ति कवित्त संग्रह, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
२४७
भरतमहाराजा कीर्ति कवित्त, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिण तुझ पाए; अंति (-), (पू. वि. पद ११ तक है.) २८३२२. (०) स्तवन,सझाब, स्तुति चौवीस जिनवर्ण व स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४-२ (२ से ३ ) -२, कुल पे. ५, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (१३X११, १२x१४).
- -
१. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., पद्य, आदि: कासमीर मुखमंडणी रे; अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा ४ अपूर्ण तक है. )
२. पे नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ४अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मु. जीतविमल, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: ध्यानिं पामउ जबवादि, गाथा-८, ( पू. वि. प्रारंभिक ६ गाथाएँ नहीं हैं.)
३. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ४अ, संपूर्ण.
चंद्रप्रभजिन पद, मा.गु., पद्य, आदिः उजले चंद चंदहर उजले; अंतिः पुष्पदंत जिन जोय, पद- १.
४. पे. नाम. तीर्थंकर वर्ण, पृ. ४अ, संपूर्ण.
जिनवर्ण विचार, मा.गु., गद्य, आदि पद्मप्रभु वासपूज्य; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, मात्र ६ तीर्थकरों का वर्ण उपलब्ध है.)
महालक्ष्मी स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: आद्यं प्रणवस्ततः; अंति: सौभाग्यं भूतिमिच्छता, श्लोक - ११. २८३२५. प्रायछितप्रदान विधि, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे. (२६११.५, ११४३० ).
आलोषणा विचार, मा.गु., गद्य, आदि: ज्ञाननी आशातना जघन्य; अंतिः सज्झाये उपवास पहचे.
५. पे, नाम, मधुराष्टक, पृ. ४आ, संपूर्ण.
पंडित. वलभाचार्य, सं., पद्य, आदि: अधरं मधुरं वदनं मधुरः अंतिः धुराधिपतेरखिलं मधुरं, श्लोक ८.
२८३२३. सौभाग्यपंचमी कथा, संपूर्ण, वि. १७६३, ज्येष्ठ शुक्ल, ११, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल राजनगर, प्रले. ग. हेमरत्न; पठ. मु. नयरत्न, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६x११.५, १५X४३).
सौभाग्यपंचमी कथा - व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदि (१) प्रणम्य पार्श्वनाथां, (२) सकल मंगलवेलि वधारवा; अंति सिद्धि नवनिधि पामीजे.
२८३२४. महालक्ष्मी स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. बोलतचंद बिहारीवास, प्र.ले.पु. सामान्य, जैये., (२०.५x११,
११x२२).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२८३२६. अनागतचौवीसी जिन व जीवनामादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैवे., (२५.५x१०.५).
१. पे नाम. अनागतचीवीसी जिननामादि, पृ. ९अ, संपूर्ण,
२४ जिन नाम व जीव नाम - अनागत, मा.गु., गद्य, आदि: पद्मनाभ श्रेणिकनो; अंति: स्वातिबुद्धनु जीव. २. पे. नाम. विचार संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
विचार संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२८३२७. (+) नलोडापुरमंडण पद्मावतीभगवती स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १६६५, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. कान्हनी ऋषि; पठ. मु. विवेकविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ संशोधित पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४.५X११, ११४३६).
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-
पद्मावतीदेवी स्तवन- नरोडापुरमंडन, मु. खेमकुशल, मा.गु., पद्म, आदिः ॐ ह्रीं श्रीपासजिणंद अंतिः नमो नमो श्रीपद्मावती, गाथा ३४.
-
२८३२८. (+) सास्वती प्रतिमा विचार व चौवीसजिन नमस्कार स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५x११.५, १३x४० ).
१. पे. नाम. शास्वतीप्रतिमा विचार, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
शाश्वतप्रतिमा विचार, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलो सौधर्म देवलोक; अंति: माहरो नमस्कार हो.
२. पे. नाम. चउवीसजिननमस्कार स्तवन, पृ. २आ-४आ, संपूर्ण.
२४ जिन नमस्कार, लखमण, मा.गु., पद्य, आदि: पढम जिनवर पढम जिनवर; अंति: भणे सफल करुं संसार,
गाथा - २४.
२८३२९. जिन स्तुति व गुरु भास, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. * पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे.,
(१४४९,
१x १).
१. पे नाम बडो चैत्यवंदन जिन स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र का प्रारंभिक भाग फटा हुआ है,
अरिहंतगुण स्तुति, प्रा., मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: गुण स्तुति भणूंजी, गाथा - २५, (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, प्रारंभिक अंश नहीं है.)
२. पे. नाम. गुरु भास, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
श्रावक औपदेशिक सज्झाय, पंडित. शुभवीरविजयजी म.सा., मा.गु., पद्य, आदि आज रहो मन मोहना तुम; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ४ तक है . )
२८३३०. समोसरण विचार, संपूर्ण, वि. १७५४, आश्विन शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६X१०.५, ७X३१).
समवसरणविचार स्तवन, मु. रूपसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: देवतणा आसण चलइए सुर; अंति: वखाण भविक मन मोहइ, ढाल-५, ग्रं. ४५.
२८३३१. च्यारि बुद्धि उपरि कथा सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैवे. (२६११, ४x२५). बुद्धिचतुष्क कथा, प्रा., पद्य, आदि से किं तं आभिणिबोहिअ अंति: एवमाई उदाहरणा, गाथा - १४. बुद्धिचतुष्क कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः उत्पातकी बुद्धि; अंति: कथा संबंध जाणिवी. २८३३२. (+) दंडक प्रकरण, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२६X११, १२x४२).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्म, आदि: नमिठं चडवीस जिणे; अंतिः एसा विनत्ति अप्पहिआ गाथा ३९. २८३३३. इरियावीही कुलक, संपूर्ण, वि. १६४४, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. ग. लींबा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२२.५x१०,
११४३३).
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इरियावही कुलक, प्रा., पद्य, आदि: चउदस पय अडचत्ता तिगह; अंतिः पमाणमेयं सुए भणियं, गाथा - १०. २८३३४. गुर्वावली, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. श्रावि वक्तादे, प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११, १५X४०). तपागच्छ पट्टावली, उपा. धर्मसागरगणि, प्रा., पद्म, आदि सिरिमंतो सुहहेड; अंतिः दितु सिद्धिमुहं, गाथा - २१. २८३३५. इच्छापरिग्रह परिमाण, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६X११, १३x४२).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२४९ इच्छापरिग्रह परिमाण, प्रा., पद्य, आदि: नमत देविंदमुणिंद; अंति: सावयधम्मो मए गहिओ, गाथा-१८. २८३३६.(+) मंत्रजप विधि व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुलपे. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११,
११४२६). १. पे. नाम. शनिश्चरमंत्रजाप विधि, पृ. १अ, संपूर्ण.
शनिमंत्रजापविधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ओशनिश्चराय आँक्रो: अंति: मंत्रफलनो देनार थाइ. २. पे. नाम. शनिश्चर स्तोत्र, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
शनिग्रह स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: यः पुरा राज्यभ्रष्टा; अंति: पीडा न भवंति कदाचन, श्लोक-१०. ३. पे. नाम. बृहस्पति मंत्र व जापविधि, पृ. १आ, संपूर्ण..
बृहस्पतिमंत्र व जापविधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं; अंति: नौकारवाली १ गणवो. ४. पे. नाम. बृहस्पतिग्रह स्तोत्र, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है.
गुरुग्रह स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: बृहस्पतिः सुराचार्यो; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक १ अपूर्णमात्र है.) २८३३७. पाखी नमस्कार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, १४४४०).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: वः श्रेयसे
शांतिनाथ, श्लोक-२९. २८३३८. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, १५४३५).
चतुर्विंशतिजिन स्तुति, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: जंतु
जातोद्धरणरज्जवः, श्लोक-२७. २८३४०. (+) पर्यंताराधनाभाषा व शीलवतोच्चार दंडक, संपूर्ण, वि. १५५०, कार्तिक कृष्ण, ८, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. मंडप महादुर्ग, प्रले. मु. हर्षकुलशिष्य (गुरु मु. हर्षकुल, तपागच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, १३४४६). १. पे. नाम. पर्यंताराधना सह बालावबोध, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण. पर्यंताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: (-), (पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., मूलपाठ क्रमशः नहीं है. उपयुक्त स्थलों पर ही पाठ मिलते हैं.) पर्यंताराधना-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इर्यापथिकी; अंति: पुण्य अणुमोदिज्योहु, संपूर्ण. २. पे. नाम. शीलवतोच्चार दंडक, पृ. ४आ, संपूर्ण.
भवचरिम पच्चक्खाण, प्रा., गद्य, आदि: भवचरिमं पच्चखामि%; अंति: अप्पाणं वोसिरामि. २८३४१. कालग्रहण विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११, १५४४३).
कालग्रहण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: इरिआवही पडिक्कमीनई; अंति: कही डांडी उथापाइ. २८३४२. (+) अजीवभेद सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. नव्यनगर, प्रले. मु. धर्मचंद्र (गुरु मु. आणंदशेखर), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४११.५, १३४५०). अजीवभेद सज्झाय, मु. जिन, मा.गु., पद्य, आदिः श्रुतदेवी सुपरें नमी; अंति: जिन इणि परे उपदिशे ए, ढाल-२,
गाथा-३५. २८३४३. (+) पार्श्वजिनेंद्र स्तवनवृत्ति, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४१०.५, १४४३९).
पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित-वृत्ति, ग. पूर्णकलश, सं., गद्य, आदि: जं संथवणं विहिअं; अंति: भवतीति
निश्चयेन, संपूर्ण. २८३४४. (+) स्तवन, भास व सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, प्रले. ग. मोहनविजय;
पठ. श्राव. कल्याणबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११.५, १२४५०). १. पे. नाम. षटआरा स्तवन, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-६ठा आरा, श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणदह पाय नमी; अंति:
सेवक सकल जिनमनरंजणो, ढाल-५, गाथा-४२.
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२५०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. चौद सुपन भास, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण. १४ स्वप्न सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: देव तिर्थंकर केरडी; अंति: मुनि लावण्यसमय भणइ ए,
गाथा-२०. ३. पे. नाम. थूलिभद्र स्वाध्याय, पृ. ४आ, संपूर्ण, प्रले. ग. मोहनविजय; पठ. श्राव. कल्याणबाई, प्र.ले.पु. सामान्य. स्थूलिभद्रमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मनडु मोहि रे मुनिवर; अंति: समयसुंदर कहि साच रे,
गाथा-६. २८३४५. (+) विमलजिनपति स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११.५, ११४४५).
विमलजिन स्तवन, मु. श्रीकर्ण पंडित, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: कमलामलदलदिट्ठि; अंति: मंडित सीसवंछितदायगो,
___ढाल-७, गाथा-२७. २८३४६. अष्टापदतीर्थ भरतचक्रवर्तिऋद्धि स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४११, ९x४५).
अष्टापदतीर्थ भरतचक्रवर्तिऋद्धि स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति अमृत वसति मुखि; अंति: प्रवरतीरथ नमो
जिणाणं, गाथा-६४. २८३४७. (+#) सीमंधरजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. गाथानुक्रम नहीं दिया गया है., संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४.५४११, १०४२८).
सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: वालो मारो सीमंधर; अंति: हु ते सदा प्रभुजी. २८३४८. (+) जिन नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरे-संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, ९४३५).
सर्वजिन नमस्कार, मा.गु., पद्य, आदि: छंडिय सवि हथीयार सार; अंति: देव दिखाडउ सोइ, गाथा-८. २८३४९. सरस्वतीमाता छंद, संपूर्ण, वि. १८४१, मार्गशीर्ष शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. देवेंद्रविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१०.५, १२४३१).
सरस्वतीमाता छंद, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, वि. १६७८, आदि: सकल सिद्धि दातारं; अंति: होउ सया संघकल्लाणम्,
___श्लोक-४४. २८३५०. (+) पौषध व पाक्षिक प्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२५४११.५, १०४२९). १.पे. नाम. पौषध विधि, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. पौषध विधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (१)इच्छाकारेण संदीसह, (२)इरियावहि पडिकमिई; अंति: उपधी
पडीलेहु. २. पे. नाम. पाखी पडिकमणा विधि, पृ. १आ, संपूर्ण.
पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, मा.ग.. गद्य, आदि: इच्छाकारेण संदीसहः अंति: पछी समाप्त खामणा. २८३५१. (+-) पुंडरिकगिरि नमस्कार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. मु. कल्याणविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-अशुद्ध पाठ., जैदे., (२४४११, ११४३०).
पुंडरिकगगिरि नमस्कार, सं., पद्य, आदि: धरणेंद्रप्रमुखानागाः; अंति: राया लभते फलमुत्तमम्, श्लोक-१३. २८३५२. भीडभंजन पार्श्वनाथ खेटकपुर मंडणो छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११.५, १२४३२).
पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन खेटकपुरमंडन, वा. उदयरत्न, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: भीडभंजन भवभयभीतिहरं;
अंति: मदनमोहमहारिपुमर्दनं, गाथा-११. २८३५३. पार्श्वजिन श्लोक व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२६४११.५, १५४३७). १. पे. नाम. शंखेश्वरपार्श्वनाथ सलोको, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, वि. १८५४, माघ कृष्ण, १२, ले.स्थल. ऊनाऊआ,
प्रले. मु. डुंगररत्न, प्र.ले.पु. सामान्य. पार्श्वजिन श्लोक-शंखेश्वर, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: माता भुवनेसरी भवनमा; अंति: रत्न कहे०
सनमुख थाय, गाथा-२३.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२५१ २. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पद्मप्रभजिन स्तवन-संप्रतिराजावर्णनगर्भित, मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि: धनधन संप्रति साचो; अंति: तुमह पाय
सेवरे, गाथा-९. ३. पे. नाम. शील स्वाध्याय, पृ. २आ, संपूर्ण. परनारीपरिहार सज्झाय, मु. जिनहर्ष*, मा.गु., पद्य, आदि: सीख सुणो रे पीया; अंति: जिन हियडे आगमवाणी,
गाथा-११. २८३५५. (+) कमलावती रास व विचार संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-१(१)=३, कुल पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४१०.५, १५४४१). १.पे. नाम. कमलावती रास, पृ. २अ-४अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., ले.स्थल. ब्रह्मपुर, पे.वि. प्रतलेखक ने
पत्रांक तो १ से दिया है किन्तु कृति अपूर्ण रूप से शुरु होती है. अतः पत्रांक १ को घटते पत्र बनाकर कुल पत्र २ से ४ गिना गया है.
कमलावतीसती रास, मु. विजयभद्र, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: मोक्षमंदिरमाहि गया, गाथा-४६. २. पे. नाम. विषकन्यायोग विचार, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: बारसि सोमवारि कृतिका; अंति: विषकन्या जाणवी. ३. पे. नाम. ऋतुवंतीस्त्री विचार, पृ. ४आ, संपूर्ण.
ज्योतिष संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). ४. पे. नाम. दोहा संग्रह, पृ. ४आ, संपूर्ण. अंबमानविचार दोहा, मु. लावण्यसमय, पुहिं., पद्य, आदि: उंचो अंब सुलंब लंब; अंति: भमर एक छइ ठोर हो,
पद-२. २८३५६. भयहर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४१०.५, १४४३५).
भयहर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण पणयसुरगण; अंति: भय नासइ तसुदूरेण, गाथा-२४. २८३५७. दसवैकालिकसूत्र स्वाध्याय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. मु. वल्लभमोहन, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११, १३४३९). दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरूपदपंकज नमीजी; अंति: ए गायो
सकल जगीसे रे, सज्झाय-११. २८३५८. दशवैकालिकसूत्र सज्झाय-लेश्यार्थ प्रकाश अध्ययन, संपूर्ण, वि. १८३०, आषाढ़ शुक्ल, ५, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. सूरति बिंदिर, जैदे., (२६४११.५, २०४५८). दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगुरूपदपंकज नमीजी; अंति: ए गायो
सकल जगीसे रे, सज्झाय-११. २८३५९. चैत्यवंदन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (११.५४१०.५, १४४१५). १. पे. नाम. सुविधिजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. लाभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: उजलवरणे सोभतो सुविधि; अंति: जयो लाभविजय गुण गाय, गाथा-३. २. पे. नाम. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. लाभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पुक्खलावइ विजये जयो; अंति: नरा पामे अविचल सुख, गाथा-३. २८३६०. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४१०.५, १४४३३).
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. २२ अभक्ष्य, ३२ अनंतकायादि नाम संग्रह.) २८३६१. गौतमस्वामी अष्टक, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२१४११, १०४२५).
गौतमस्वामी छंद, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: मात पृथ्वी सुत प्रात; अंति: जस सौभाग्य दोलत
सवाई, गाथा-९. २८३६२. विजयराजसूरि भास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१८४९.५, २३४१४).
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२५२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
विजयराजसूरि भास, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पंथीडा कहइ तुं; अंतिः निचोय निवाज रे, गाथा- ९. २८३६३. (४) क्षेत्रपाल नीसाणी, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, जैये., ( २४.५x११, १८X५३).
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क्षेत्रपाल घग्घरनीसाणी छंद, जै. क. वर्द्धमान, मा.गु., पद्य, आदि: ऋद्धि राजे रंगे सिद; अंति: वर्द्धमान कहंदा है. २८३६४. अग्यारगणधर बोल, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. कीर्तिराज, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२३.५x११, ३०X२३).
११ गणधर बोल, मा.गु., गद्य, आदि: गौतमस्वामीनुं आऊखु; अंतिः सोलव० केवल प्रवज्या. २८३६५ (+) समकित सझाय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. संशोधित, जैदे. (२४.५x११, १२५३७ ).
19
समकित सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि सुणि रे जीवडा; अंति: मुझ समकित विस्तारि, गाथा - १२. २८३६६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे ६, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५x११, १५x५०) १. पे नाम. अतीतचडवीसी गीत, पृ. १अ, संपूर्ण, पे. वि. गाधानुक्रम नहीं दिया गया है.
२४ जिन गीत- अतीत, लीबउ, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलउ केवलज्ञानी; अंति: कोइ नही तुम्ह तोलइ. २. पे. नाम. सुविधिनाथ गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
सुविधिजिनगीत, लीब, मा.गु., पद्य, आदि: काकंदी नयरीवर राजा; अंति: विश्वजीव आधार, गाथा-३. ३. पे नाम, पद्मप्रभ गीत, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पद्मप्रभजिन गीत, लीब, मा.गु., पद्य, आदि कोसंबीनवरी घर नरवर; अंतिः लीबउ भणइ निज नामिइ, गाथा- ३. ४. पे नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. ९आ, संपूर्ण,
लीब, मा.गु., पद्य, आदि: तुम्हनइ किम प्रभुतार; अंति: लीबानइ भवसागर तारू, गाथा - ३.
५. पे. नाम. पार्श्वनाथ गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन गीत, लीव, मा.गु., पच, आदिः सुणि शरणागतवच्छलरेह; अंतिः जय लीलविलास, गाथा-४, ६. पे. नाम. पार्श्वनाथ गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन गीत-नारिगपुरमंडन, लीब, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुतइ जीतु हेला; अंतिः पूरि अम्हारी आस, गाथा-४, २८३६७. (४) पार्श्वनाथजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५x११.५,
८x२४).
पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदिः आणी मनसुध आसता देव; अंति: म्हारी चिंता चुर, गाथा-७.
२८३६८. (+) ज्ञानपंचमी सज्झाय व काउसग्ग गाथा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे ३, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (१७११, ८x१७).
१. पे नाम ज्ञानपंचमी सज्झाय, पृ. १अ २आ, संपूर्ण.
ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि श्रीवासुपूज्यजिणेसर; अंतिः संघ सकल सुखदाय रे, ढाल - ५, गाथा - १६.
२. पे. नाम. पंचमी सज्झाय, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण, वि. १८०४, फाल्गुन शुक्ल, ७, प्रले. मु. हेमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदिः सद्गुरू चरण पसाउले; अंतिः कांतिविजय गुण गाय रे,
गाथा- ७.
३. पे. नाम. काउसग्ग गाधासंग्रह, पृ. ४-४आ, संपूर्ण
श्रावक पाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दंसणमि०; अंतिः सिणाण सो भवजणं,
२८३६९. तेरकाठिया, साधुवंदनादि व दोहाकवित्त संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ५, जैवे. (२४.५४११.५, १९x४४).
१. पे. नाम. प्रास्ताविक दोहा संग्रह, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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मा.गु., पद्य, आदि: पूर्व के पच्छिम हो; अंतिः ते निरास निर्लेप, गाथा- ३५.
२. पे. नाम. १३काठिया दोहा संग्रह, पृ. २आ- ३अ, संपूर्ण.
तेरहकाठिया दोहरा, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि जे वट पारे वाट मै; अंति: दसा कहीये तेरह तिन,
गाथा - १७.
३. पे. नाम. साधुवंदना, पृ. ३अ ४अ संपूर्ण.
भाव. बनारसीदास, पु.ि, पद्य, आदि: श्रीजिनभाषित भारती; अंतिः पावै अविचल मोख, गाथा - ३२.
४. पे. नाम. नवसेना विधान, पृ. ४अ, संपूर्ण.
-
पुहिं., पद्य, आदि: प्रथम महिपतिनाम दल; अंति: अच्छीहिनि परवान किय, गाथा - १२.
५. पे. नाम. नामनिर्णय विधान, पृ. ४आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: काहु दिन काहू समै; अंति: ते निरास निर्लेप, गाथा - ११.
२८३७०. धन्नाअणगार सझाय, संपूर्ण, वि. १७६१, माघ कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. मेघविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५X१०, १३x४०).
धन्ना अणगार सज्झाय, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदिः कर्मरूप अरि जीतवा; अंतिः न्यानसागर गुण गायजी, ढाल - ५.
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२८३७९. नवपद सझाय पद १ से ३, संपूर्ण वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २४.५X१०.५, १०X३० ).
नवपद सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: वारी जाउं श्रीअरिहंत अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २८३७२. अष्टप्रकारी पूजाविधि दोहा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २४.५X११, १०x२९).
जिनपूजा अष्टक, पुहिं., पद्य, आदि जलधारा चंदन पुराए; अंतिः दीजे अरथ अभंग गाथा - १०. २८३७३. मणिभद्र छंद, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल. धामली नगर, जैदे., ( २४.५X१०.५, १५X४१). माणिभद्रवीर छंद, मु. लालकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति भगवती भारती; अंति: लालकुशल लक्ष्मी लही,
गाथा - २१.
२८३७४. (-) शांतिनाथनु स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., गु., (२२.५x९.५, २०x१६). शांतिजिन स्तवन-गोधरामंडन, मु. अमीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिजिनेशर भेटीए रे; अंतिः दीधु समा
मेरे, गाथा - १०.
२८३७५. चैत्यवंदन व सज्झाय, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-१ (३) = ३, कुल पे. २, जैदे., (१७x९.५, ६X१८). १. पे नाम. चौदसतिथि चैत्यवंदन, पृ. १अ २आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
२८३७६. आदिनाथ विनती स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२३×१०.५, १४X३८).
मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिनराजना चरण; अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा १४ अपूर्ण तक है . )
२. पे नाम. भरतमुनि सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
भरतसाधु सज्झाय, मु. न्याय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंतिः न्याय मुनि चित्त लाई, गाथा १५, (पू. वि. प्रारंभिक १२ गाथाएँ नहीं है.)
२५३
फैल गयी है, जैदे., (२२.५X१०.५, १६x४१ ).
१. पे. नाम रात्रि प्रतिक्रमणविधि पू. १अ २अ संपूर्ण
-
आदिजिनविनती स्तवन- शत्रुंजयतीर्थमंडन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: जय पढम जिणेसर अंति: मुनि लावण्यसमइ भइ ए, गाथा ४७.
२८३७७. (+४) राज्य व पाक्षिक प्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित अक्षरों की स्याही
राईयप्रतिक्रमण विधि, प्रा., मा.गु., प+ग, आदि: प्रथम रात्रि पाछिली; अंति: मिच्छामि दुक्कडं.
२. पे नाम, पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण,
मा.गु., गद्य, आदि: देवसी अर्धनु वदेतु अंतिः संसारदावा २ कही.
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२५४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८३७८. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार स्तुति, संपूर्ण, वि. १८८३, वैशाख कृष्ण, २, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२२.५४११, १२४३५). २४ जिन नमस्कार स्तुति, ग. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथमजिन युगादिदेव; अंति: जिनना सरीया काज,
स्तवन-२४. २८३७९. मरुदेविमाता स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२१.५४१०.५, ९४२८).
मरुदेवीमाता सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मरुदेवीमाता इम भणिइ; अंति: अरथ अन्यनो सारोजी,
गाथा-१२. २८३८०. उपदेशरत्नकोश सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८१२, श्रावण शुक्ल, १४, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. कलोल, प्रले. मु. रूपसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१०.५, ४४३२). उपदेशरत्नमाला, आ. पद्मजिनेश्वरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: उवएसरयणकोसं नासिअ; अंति: विउलं उवएसमालमिणं,
गाथा-२५.
उपदेशरत्नमाला-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहावीर चउवीसमो; अंति: मुक्ति सुखीउ थाइं. २८३८१. गच्छाचार प्रकरण(प्रकीर्णक) टीका बीजक, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है। कोई सटीक ग्रन्थ के ये दो पत्र होने चाहिये. क्योंकि पत्रांक १४९ व १५० अंकित दोनो पत्र है., जैदे., (२५.५४११).
गच्छाचार प्रकीर्णक-बीजक, सं., गद्य, आदि: गाथा वृत्तौ मंगलादि; अंति: वृत्तपालनोपदेशः, ग्रं. ६२. २८३८२. छंद, स्तवन, सवैया व स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२३.५४१०.५, १३४३८). १. पे. नाम. मेवाड का छंद, पृ. १अ, संपूर्ण. मेदपाटदेश छंद, क. जिनेंद्र, रा., पद्य, वि. १८१४, आदि: मन धरी माता भारती; अंति: सो रहेज्यो चिर नंद,
गाथा-१०. २. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ताहरी अजब संजोगनी; अंति: मुज मन मंदिर आवो रे, गाथा-५. ३. पे. नाम. हीरभट्टारक सवैया, पृ. १आ, संपूर्ण.
विजयहीरसूरि सवैया, क. सोम, पुहिं., पद्य, आदि: सवे मृगनैन चले गुरु; अंति: और करे सब पेटनटा, सवैया-१. ४. पे. नाम. नौबतछंद गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण..
नौबतधून छंद, पुहिं., पद्य, आदि: दांकिट ३ दादांदा; अंति: नौबत बजत तां धि धौ, गाथा-१. २८३८३. मृगापुत्र सज्झाय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४११, ५४२७).
औपदेशिक हरियाली, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: कहेयो रे पंडित ते; अंति: ते सुख लहिस्ये,
गाथा-१४.
औपदेशिक हरियाली-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: दिसे जाणिइ ते चेतना; अंति: प्रमाद न करवो. २८३८४. स्तवन, स्तुति व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (१६.५४१०.५, ८-१५४१३-२०). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. वलभ, मा.गु., पद्य, वि. १८४०, आदि: चालो सहेल्यां आपण; अंति: पल पल वलभ करे प्रणाम, गाथा-१२. २. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: स्या माटे साहेब सामु; अंति: लोचनणो नहीं रालंजो,
गाथा-५. ३. पे. नाम. पद्य संग्रह, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण.
कृष्णपद संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: पालन पीक अंजन अधर; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २८३८५. ह्रींकारकल्प व विधि, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. श्रीदादासाहिब प्रसादात्. ह्रींकारमंत्र व यन्त्र
अंतिम पत्र पर है., जैदे., (२६४१२, ११४३७). १. पे. नाम. मायाबीज कल्प, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
ह्रींकार कल्प, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्म, आदि: मायाबीजवृहत्कल्पात्; अंतिः वांछितं लभेत् श्लोक-३०, २. पे. नाम. ह्रीँकारकल्प विधि, पृ. २अ ४अ संपूर्ण.
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ह्रींकार कल्प विधि, संबद्ध, मा.गु., सं., गद्य, आदि: अजुआल पक्ष ५/१०/१५; अंति: तापं ४ पीते स्तंभ ५. २८३८६. चोवीसजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जी., (२५x११, ११४३१).
२४ जिन स्तवन, पंडित, खीमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि भावे वंदो रे चोवीसे; अंति: ठाणे जिनपद रंग रमीजइ,
गाथा - १३.
२८३८७. (+) फुलडां सज्झाय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५X११.५, ३X४७५३).
फुलडा सज्झाय, पुहिं.,रा., पद्य, आदि: बाई रे कोतिग दीठ; अंतिः विण सुखे सुखीओ थयो ए, गाथा - २२. फुलडा सज्झायटवार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीरना निर्वाण; अंतिः सुखियो थयो इति भावः,
२८३८८. साधुआचारज सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९६७, पौष कृष्ण, गुरुवार, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. बीकानेर, प्रले. केसरीचंद दरजी; पठ. श्राव. अगरचंद भेंरोदान सेठिया, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. श्लो. (८१०) वासी वीकानेररा, (८११) भगी टुगी तास घर, जैदे. (२६४११, १३४३८-४१ ).
,
साधुआचार सज्झाय, मु. मोतीचंद, मा.गु., पच, वि. १८३६, आदि: वर्धमान शासनधणी गणधर अंति: थेरो
पलोलिलो सांभजी, गाथा - ५४.
२८३८९, (+) सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे ३, प्रले. मु. खुशालविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण
"
२५५
युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५X११, १७x४२).
१. पे नाम. जिनप्रतिमा सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण.
जिनप्रतिमास्थापना सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि जिन जिन प्रतिमा वंदन; अंति: किजे तास खाण रे, गाथा - १६.
२. पे. नाम. राजिमति स्वाध्याय, पृ. १आ, संपूर्ण.
राजिमतीसती सज्झाय, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आसाढी घन उमह्यो रे; अंति: थयो दानविजय उल्हास,
(+)
गाथा - ९.
३. पे. नाम. हीरसूरिजी सज्झाय, पृ. १आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
हीरविजयसूरि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: गोयम गणहर पाय नमिजी; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ८ अपूर्ण तक है.) २८३९० (+४) कल्याणमंदिर स्तोत्र भाषा, संपूर्ण वि. १७११, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. नव्य नगर, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें संशोधित अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे. (२५.५x११, १५४४८).
,
कल्याणमंदिर स्तोत्र - पद्यानुवाद, जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: परमज्योति परमातमा; अंति: समकित शुद्धि, गाथा- ४४.
२८३९१. मनुष्यलाभदृष्टांत दशक, स्वाध्याय व स्तवन, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३ - १ (१) = २, कुल पे. ३, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२५.५x११, १४४५४).
१. पे नाम. मनुष्यलाभदृष्टांत दशक, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मनुष्यलाभ दृष्टांतदशक, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: प्रथमं पर्यपूर्यत, (पू. वि. प्रारंभिक ३ श्लोक नहीं है.) २. पे. नाम. दशदृष्टांत स्वाध्याय, पृ. २अ - ३अ, संपूर्ण.
मनुष्यभव १० दृष्टांत सज्झाय, वा. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी परमेसर वीर; अंति: विजयसिंह गणधारी,
गाथा - १२.
३. पे नाम वीरजिन स्तवन, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण
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महावीरजिन स्तवन-उपधानतपगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदिः श्रीवीरजिणेसर सुपरे; अंतिः मुझ देवो भवि भवई, गाथा-२६.
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२८३९२. (+) सीमंधरस्वामि गीत संग्रह व श्लोक, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, प्र. वि. संशोधित., जैदे.,
(२४.५X११, ११४३१).
१. पे. नाम. सीमंधरस्वामि गीत, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
सीमंधरजिनविनती स्तवन, उपा. भक्तिलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सफल संसार अवतार हुं; अंतिः पुरि आस्या तणी, गाथा - १८.
२. पे. नाम. सीमंधरस्वामि गीत, पृ. २आ- ३अ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सामि सीमंधरा तुम्ह; अंति: मुंनइ भव समुद्र तारे,
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
गाथा - ३.
३. पे. नाम. स्थूलिभद्र कोशा गीत, पृ. ३अ, संपूर्ण.
स्थूलभद्रमुनि कोशा सज्झाय, ग. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: झिरिमिरि झिरिमिरि; अंतिः कोई न तोलह रे,
गाथा- ४.
४. पे. नाम. औपदेशिक दोहा, पृ. ३अ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदिः धम्मिहिं नीमिहि जे; अंतिः तोह न देवो लीह, गाथा- १. २८३९३. (+) नवकार छंद, संपूर्ण, वि. १८०१, मार्गशीर्ष कृष्ण, १३, गुरुवार, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. प्रथम पत्र के हासिये में एक पूर्व का वर्षमान लिखा गया है., संशोधित., जैदे., ( २४.५X१०.५, १०X३६).
नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित० श्रीजिनशासन; अंति: ऋद्धि वांछित लहे,
गाथा - १३.
२८३९४. सीतासती सज्झाय, संपूर्ण, वि. १७९७ आश्विन शुक्ल, ११, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल राजनगर, प्रले. श्राव. लालचंद निहालचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २१.५x११.५, ११x२७).
२८३९५. नेमीजन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, जैवे. (२१.५x१०.५, १०x२८).
रावण प्रति मंदोदरीकथन सज्झाय, मु. विद्याचंद, मा.गु., पद्य, आदि सीता हरी रावण जब आणी अंतिः विद्याचंद वखाणी हे, गाथा १५.
नेमिजिन स्तवन, पं. जगरूप, मा.गु., पद्य, आदि: हेली में तो अरज करी; अंति: मुकत्यां सुख पावे है, गाथा - १३. २८३९६. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (१६.५x११, ११x१८).
,
ラ
१. पे. नाम विजयतिलकसूरि सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मति द्यो अति; अंतिः विजय आसीस लला हो, गाथा- ९. २. पे. नाम. नेमराजुल गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल कहे सुणो नेमजी; अंतिः नवनिधि कोड कल्याण,
गाथा - ७.
२८३९७ (+) तीर्थमाला व पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, कुल पे २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२४.५x११, १२४३९).
१. पे. नाम. तीर्थमाला स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
२४ जिन तीर्थमाला स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदिः शत्रुंजे ऋषभ समोसर्य; अंति: समयसुंदर कहे एम, गाथा - १६.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. विनयशील, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मूरति श्रीपासातण; अंति: नवनीधी सा आणंद घणें, गाथा - ११.
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२८३९८. (+) पार्श्वजिनादि गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ६, प्र. वि. संशोधित., जैदे., ( २४.५X११, १७x४१).
१. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२५७ आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो साहिबा मन की; अंति: प्रणमत सवि भूपतिया, गाथा-६. २. पे. नाम. आदिजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: गिरिराज तेरे दरिसन; अंति: मे सदा तुम नेहा, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन गीत, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुखसागरपास जेहना; अंति: श्रीजिन गाईओ जी, गाथा-७. ४. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: मुझरो छे जी मुझरो छे; अंति: तिणि परि ए विधि आणो, गाथा-५. ५. पे. नाम. पार्श्वदेव गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: संखेसर साहिब दरिसन; अंति: ए प्रतीत में पामी, गाथा-५. ६. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: चरण न छोडु रे मोहदल; अंति: ज्ञानविमल० कहीइ रे, गाथा-४. २८३९९. (+) नेमिजिनादि स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १४६४, ज्येष्ठ शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न., जैदे., (२५.५४११, २२४३१). १. पे. नाम. नेमिजिन स्तव, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
___ आ. विजयसिंहसूरि, सं., पद्य, आदि: नेमिः समाहितधिया; अंति: सोस्तु नेमिः शिवाय, श्लोक-२४. २. पे. नाम. गौतमस्वामि स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीमंत मगधेषु; अंति: भवते गौतमं नमः, श्लोक-२१. ३. पे. नाम. सर्वजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, सं., पद्य, आदि: कृतार्थोपि जगन्नाथं; अंति: लीन भृगवन् मानसं मम, श्लोक-८. ४. पे. नाम. जिननमस्कार श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिनस्तुति प्रार्थना, सं., पद्य, आदि: प्रशमरसनिमग्नं दृष्ट; अंति: याप्तं जगत्त्रय, श्लोक-२. २८४००. गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२४.५४१०.५, १४४४४). १. पे. नाम. मोहप्रबल सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: मोह महाबलवंत कवण; अंति: प्रगट वचने करी, गाथा-७. २. पे. नाम. कायाकामिनी गीत, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
परदेशीजीव सज्झाय, मु. राजसमुद्र, पुहि., पद्य, आदि: इक काया अरु कामनी; अंति: स्वारथकउ संसार, गाथा-७. ३. पे. नाम. शांतिजिन बालावस्था गीत, पृ. १आ, संपूर्ण. शांतिजिन बाल्यावस्था गीत, ग. विजयशेखर, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिकुमरवर सुंदरु; अंति: मुखतणी शोभा सारी,
गाथा-४. २८४०१. शारदा छंद, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५४११, १५४३४).
शारदामाता छंद, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, वि. १६७८, आदि: सकलसिद्धिदातार; अंति: होउ सया संघकल्लाणम्,
__ श्लोक-४४. २८४०३. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१०.५, १६x४९). १. पे. नाम. सेतुंजयमहातीर्थ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मा.गु., पद्य, आदि: मरुदेवि माडी उरिरयण; अंति: अवर न काई इच्छीइ ए,
गाथा-२१. २. पे. नाम. शांतिनाथजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. शांतिजिन स्तवन, मु. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सरस वचन दिइ; अंति: कमलविजय सुखकारणो,
गाथा-११. २८४०४. नमिऊण स्तोत्र, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, जैदे., (१६४११, १२४२०).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
नमिऊण स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण पणयसुरगण; अंति: ( - ), ( पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्रारंभ से गाथा ११ अपूर्ण तक है.)
जैदे..
२८४०५. अतिचार विचार, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. पद्मतिलक; पठ, मु. क्षमासुंदर, प्र.ले.पु. सामान्य, (२६x१०.५, १०X३३).
आवश्यकसूत्र-श्राद्धअतिचार, संबद्ध, मा.गु., प+ग, आदि: (१) पण संलेहणा पनरस, (२) श्रावकतणइ धर्मि; अंति: करी मिच्छामि दुक्कड, (वि. संलग्न रूप से साधुश्रावक दोनो का अतिचार संक्षेपमात्र है.) २८४०६. सुमतिजिन गीत, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१९.५x९.५, १२x२४).
सुमतिजिन स्तवन, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुमतिजिणेसर जग; अंति: दानविजय कहे ए अरदास,
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गाथा - ५.
२८४०७. बासठ मार्गणा स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. सोजतनगर, प्रले. सा. लक्ष्मीश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x११, २०५६).
६२ बोल मार्गणा, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७८३, आदि: श्रीगुरुवचन लही करी; अंतिः सागर० दीयै इम आशीस ए, ढाल - १३, गाथा - १८३.
२८४०८. पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५X११, १०X३८).
पार्श्वजिन स्तवन, आ. विजयदेवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि नीलकमलसम सोभति काया; अंति: गाइ पास मनोहर जलधर, गाथा- ११.
२८४०९. ग्रहशांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८९३, पौष कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. श्राव. पानाचंद गांधी; पठ. श्राव. व्रजलाल जोइतावास शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२२.५x११, ११४३५).
ग्रहशांति स्तोत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगङ्गुरुं नमस्कृत्व; अंतिः शांतिविधि श्रुतम्, श्लोक ११. २८४१०. सुमतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२०.५x१२, १२X३४).
सुमतिजिन स्तवन- पिंडस्थध्यान गर्भित, मु. शांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: रूप अनोप नीहाल सुमति; अंति: करो थई इकमना हो लाल, गाथा - ५.
२८४१२. साधुगुण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५x११.५, ९X३०).
अणगार सज्झाय, मु. वल्लभदेव, मा.गु., पद्य, आदि: सकल देव जिणवर अरिहंत; अंति: भाषित सुख करुणाकरा, गाथा - १५.
२८४१३. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २- १ (१) १, कुल पे. २, जैदे., (२५x११.५, ११४२८). १. पे. नाम. आचारांगसूत्र सज्झाय, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है.
आचारांगसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: वाचक ज रे, गाथा-५, (पू. वि. गाथा आंशिक ३ तक नहीं है.)
२. पे. नाम. अष्टमीतिथि सज्झाय, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसरसतिने चरणे; अंति: वाचक देव सुसीस, गाथा - ७. २८४१४. इरिआवही मिछामिदुक्कडं भेद, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५X११.५, ८x२३ - ३१). इरियावही क्षमापनाभेद, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: परमाधामीदेव १५ भेद; अंति: मिछामि दुक्कडं थाई. २८४१५. छंद संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२०.५x११.५, १८४३५).
,
१. पे. नाम. गोडीजी पार्श्वजिन छंद, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती द्ये तुं सुमति; अंति: धवल धींग गोडी धणी, गाथा-७. २. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद, पृ. १आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
विमलमंत्री रास, पंडित. शांतिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती समरुं बे करजोड; अंति: (-), (पू.वि. गाथा १३
तक है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८४१८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे २, प्रले, पं. रंगविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x११.५, ९X३०).
१. पे नाम, नवलखा पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
अंति:
पार्श्वजिन स्तवन- दीवबंदर नवलखा, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवर हो जिनवर मुझ; चरणे लहुं लीण, गाथा ७.
२. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
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मु. कल्याणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: माहरा मनना मानीता; अंति: वाली छें आडी लीह रे, गाथा- ४. २८४१९. चतुर्विसतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैये. (२५.५x११.५, १२x२७).
२४ जिन स्तवन- मातापितानामादिगर्भित, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणमुं अंति: तास सीस पभणे आनंद, गाथा २९.
२८४२०. नवतत्व सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४-१ (३) = ३, पू. वि. गाथा १७ से २० नहीं है., जैदे., (२५x११, ११x४० ).
नवत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंतिः परियट्टो चेव संसारो, गाथा - ३०, नवतत्त्व प्रकरण- बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि; जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंतिः परावर्त जो संसार हुई, २८४२१. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X११, १५x५४).
१. पे नाम, मेघकुमर गीत, पृ. १अ १आ, संपूर्ण,
-
मेघकुमार सज्झाय, मु. पुनो, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणंद समोसर्याजी; अंति: पामे भवपार स्वामीजी, गाथा - २१. २. पे नाम. मेतार्यमुनि गीत, पृ. १आ, संपूर्ण,
मेतारजमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नगर राजगृह आयउजी; अंति: त्रिकरण सुद्ध प्रणाम,
२८४२३. जीवउत्पत्ति सज्झाय, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६११, ११X३८).
तुम्ह
गाथा- ७.
२८४२२. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२२.५x१०.५, २७X१७).
१. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
जैनलक्षण सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जैन कहो क्युं होवे; अंति: जैनदशा जस ऊंची,
२५९
गाथा - १०.
२. पे. नाम. सामायक स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
सामायिक सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सामायिक नय धारो चतुर; अंति: ज्ञानवंत के पासे, गाथा - ८.
२८४२५. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ४, जैदे., ( २६११, १३x३६). १. पे. नाम. आदिनाथ स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
जीवोत्पत्ति सज्झाय, पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि उत्तपति जोइ न आपणी मनि; अंतिः लीजइ भव लाहुरे,
गाथा - ३१.
२८४२४. (+) स्तवन व थुई, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२६.५X११.५, १७५१). १. पे नाम, त्रेसठशिलाकापुरुष स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
त्रिषष्टिशलाकापुरुष स्तवन, मु. वखतचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सद्गुरु चरणकमल मनधार; अंति: नमे मुनि वसतो
सदा, ढाल - ५, गाथा - १८.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन थुई, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: प्रें दें कि धप; अंतिः दिशतु शासनदेवता, श्लोक-४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
आदिजिन स्तुति, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रहि ऊगमतई ऋषभजिणंद; अंतिः सुखकार रामविजय जयकार,
गाथा -४.
२. पे नाम, शांतिनाथ स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तुति, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिकरण श्रीशांति अंति: रामविजय जयकारी जी, गाधा ४. ३. पे नाम, शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति - शंखेश्वर, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदिः प्रणमो भविका भाव; अंतिः करयो नित जय जयकाराजी, गाथा- ४.
४. पे नाम. महावीर स्तुति, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, मु. मुक्तिविजय - शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: पूजो पूरण प्रेम धरी; अंति: तु तुठई दीवाली जी,
गाथा- ४.
२८४२६ हीरविजयसूरि गुणगान सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैवे. (२५x११.५, १३४४६).
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हीरविजयसूरि चौमासु वाहाण, मु. हंसराज, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम जिणेसर मनिधरी; अंति: हंसराज गुण गावइ रे,
गाथा - ६०.
२८४२७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५x११.५, ११४३९). १. पे. नाम. पचक्खाण स्वाध्याय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
पच्चक्खाण सज्झाय, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३, आदिः धुरि समरुं सामिणी; अंतिः जिम सयल संपति वरो, ढाल - २,
गाथा - १७.
२. पे नाम. द्वादशव्रत स्वाध्याय, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
१२ व्रत सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिनि करो; अंति: मुगतिरमणि० लीला बरो, गाथा - ११. २८४२८. चउवीस जिन माता, पिता, गाव, लंछन व स्वगुरू नाम गर्भित वर्णन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे.,
(२६.५x११, १३४५१).
चतुर्विंशतिजिन स्तुति - पंचबोलगर्भित, मु. क्षेमकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिन मात पिता; अंति: क्षेमकुशलि ते मिलइ, गाथा - २९.
२८४२९ नेमिजिन स्तवन व पांच मेरु नाम, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, अन्य. पं. राजेंद्रविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पं. राजेन्द्रविजयना पाना छे., जैदे., (२५x११.५, १४४४६).
१. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ ३आ, संपूर्ण.
जिन स्तवन- समवसरणगर्भित, मु. सुजाणविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८२६, आदि: श्रीनेमिसर पय नमी; अंति सुजाणविजय जय जय करो, डाल- ६.
२. पे नाम. पांच मेरू नाम, पृ. ३आ, संपूर्ण.
५ मेरुपर्वत नाम, मा.गु., गद्य, आदि: सुदर्शनमेरु विजयमेरु; अंति: विद्युन्मालीमेरू.
२८४३०. अष्टापद स्तवन, संपूर्ण, वि. १६५८, मार्गशीर्ष, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. लब्धिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६५११,
११x३९).
अष्टापदतीर्थ स्तवन, मु. जयसागर, मा.गु., पद्म, आदि: इक सरसति अतिसय गुण; अंतिः जयसागर० सुनह एक चित, गाथा ५३.
२८४३१. गौतमस्वामी छंद व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१०, १३३८). १. पे नाम, गौतम सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर केरो सीस; अंति: तूठा संपति कोड, गाथा - ९. २. पे. नाम. अइमुताऋषी स्वाध्याय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
अमुत्ताऋषि सज्झाय, मु. दान, मा.गु., पद्य, आदि: लघुपणिश्री जिणे; अंति: दान मुनि उल्लासी, गाथा - ९.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८४३२. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८२५, आश्विन शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ३ - १(१) - २, कुल पे. २, ले. स्थल. गुंदवच, प्रले. ग. मानविजय पं., प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५X११, १५X४२).
"
१. पे. नाम. प्रभंजणासमणीसती स्वाध्याय, पृ. २अ २आ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है. वि. १८२५ आश्विन कृष्ण, १३, प्र.ले.पु. सामान्य.
प्रभंजनासती सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: करता मंगल लील सदाई, ढाल - ३, गाथा-४९, (पू.वि. ढाल २ की गाथा १६ तक नहीं है.)
२. पे. नाम. गजसुकुमालमुनिराज स्वाध्याय, पृ. २आ - ३आ, संपूर्ण, वि. १८२५, आश्विन शुक्ल, ५.
गजसुकुमाल सज्झाव, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि द्वारिका नगरी ऋद्धि; अंति: ज्यो सुगुरु सहाय रे, बाल-३,
गाथा - ३८.
"
२८४३३. महावीर स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. रंजित, प्र. ले. पु. सामान्य, जैवे. (२५.५X१०.५, ११४३६). महावीरजिन स्तवन, पं. मनरूपसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धारथ सुत सेवीयै; अंति: मनरूप एह उल्हास रे,
गाथा - १३.
२८४३४. निश्चयव्यवहार सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५X११.५, १३X३७).
निश्चयव्यवहार सज्झाय, आ. हंसभुवनसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअ जिनवररे देशना; अंतिः वीतराग इणि परे कहे, गाथा - १६, (वि. इस प्रत में ग्रन्थकार का नाम विजयसिंहसूरि दिया गया है. )
२८४३५ (+) जिनवाणी स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैये. (२६.५x११, ११४४०). जिनवाणी स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: विबुध सुबुद्धि विधाय; अंति: विजयदान गच्छ धोरी,
गाथा - ३६.
२८४३६. चउशरण वालावबोध, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे. (२६.५x११.५, २२४७६).
"
चउशरण बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलुं छ आवश्यकनां; अंति: मुक्तिनां सौख्य लाइ २८४३७. (-) मोख सीझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. अशुद्ध पाठ, जैये. (२६.५x११.५, १५४२९).
सिद्धस्वरूप स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगोतमसामी पूछा; अंति: पामो सुख अथाग हो, गाथा - १६. २८४३८. (+) लघुशांति, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५X११, ११x४१). लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंतिः सूरिः श्रीमानदेवश्च श्लोक-१७, २८४३९. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५X११.५, १६x४७).
१. पे नाम, नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, पंडित. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पोपटडा संदेसो कहेजे ; अंति: मानविजय सुखकारो रे,
गाथा - ११.
२. पे नाम. संखेश्वर पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. वसता, मा.गु., पद्य, वि. १७६५, आदि: सुगुण सनेही हो पास; अंति: व सुपसायथी, गाथा- ७.
३. पे नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
२६१
मु. रामविजय, मा.गु., पद्म, आदि: अरज सुणीजे हो प्रभू; अंतिः रामविजे गुण गाया, गाथा-७, २८४४०. जीवविचार प्रकरण, संपूर्ण, वि. १८८९ आश्विन शुक्ल १५, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. कपडवंणज, प्रले. जवरलालदास तेली; पठ. श्राव. खीमचंद मीठालाल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X१२, १५X४१ ).
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा - ५२.
२८४४१. शीतलनाथ वीनती, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, ले. स्थल, सिणुंरानगर, प्रले. मु. चरणप्रमोद - शिष्य (गुरु मु. चरण प्रमोद), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५x११, १०३०).
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२६२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची शीतलजिन स्तुति-आत्मनिंदागर्भित, ग. राजहंस, मा.गु., पद्य, आदि: सदानंद संपुन चंदो; अंति: पय कमलि हु
रायहंस, गाथा-२१. २८४४२. (+) आठमदनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, १०४३५).
८ मद सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मद आठ महामुनि वारीइं; अंति: अविचल पदवी नरनारी रे,
गाथा-११. २८४४३. जिननमस्कार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. मु. कल्याणविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२४.५४११, १४४२९). १.पे. नाम. नमस्कार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
सामान्यजिन स्तुति, मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: जगन्नाथने ते नमै हाथ; अंति: नित्ये जपो जैनवाणी, गाथा-११. २. पे. नाम. नमस्कार, पृ. १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, आदि: जय स्वामी तुं जगदीसर; अंति: कमल जगमा हुओ सनाथ, गाथा-५. २८४४४. शनीशर छंद व पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १८५३, वैशाख शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२३.५४१२,
१४४३६). १. पे. नाम. शनीशरनो छंद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
शनिश्चर छंद, मा.गु., पद्य, आदि: छायानंदन जगजयो रवि; अंति: शनिश्चररायसुं वखाणी, गाथा-१२. २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: लोक चउद के पार करारे; अंति: चरण कमल का दासा है,
गाथा-५. २८४४५. एकादशी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. पं. कंतविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, २०४४३). मौनएकादशीपर्व स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति:
जिनविजय जयसिरी वरी, ढाल-४, गाथा-४२. २८४४६. धन्नाकाकंदी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११, ११४३१).
धन्नाअणगार सज्झाय, मु. श्रीदेव, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवचने वयरागी हो; अंति: वरत्यो जय जयकार,
गाथा-१३. २८४४८. गौतम प्रश्नोत्तर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४१२, ११४३९).
१२ आरा रास, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, वि. १६७८, आदि: सरसति भगवति भारती; अंति: कहे गच्छ
मंगल करु, ढाल-१२, गाथा-७७. २८४४९. सज्झाय व श्लोक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०२, पौष शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. वलसाड,
प्रले. मु. खंतीविजय; पठ. श्रावि. लक्ष्मीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीवीरजिन सुप्रसादात. मुमाईबंदरथी आवतां वलसाड मध्ये रात्रि समयमां लखी., जैदे., (२५४१०.५, ९४३५). १.पे. नाम. दशार्णभद्रराजा सज्झाय, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारद बुधदाइ सेवक; अंति: लालविजय निसदीश, गाथा-९. २. पे. नाम. सिद्ध के पंद्रहभेदगाथा सह टबार्थ, पृ. २आ, संपूर्ण.
सिद्ध के पंद्रहभेद गाथा, प्रा., पद्य, आदि: जिण १ अजिण २ तीत्थ ३; अंति: कणिक्काय १४ काय १५, गाथा-१.
सिद्ध के पंद्रहभेद गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंत सिद्ध १; अंति: एक समै एक सिद्ध थाइ. २८४५०. आदिनाथ सुखडी, संपूर्ण, वि. १७८२, कार्तिक कृष्ण, ४, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. तेरवाडानगर,
प्रले. ग. कांतिसौभाग्य (गुरु ग. कल्याणसौभाग्य), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१०.५, १३४३९).
__ आदिजिन सुखडी, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता देवी चरण; अंति: जीवोत्रीभुवनस्वामी, गाथा-५४. २८४५१. देशना भाव, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, अन्य. मु. खेमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, १६४४२).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२६३ देशना भाव, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (१)अनित्यानि शरीराणि, (२)श्रीवीतराग अरीहा परम; अंति: मंगलमाला वरे. २८४५२. श्रावक विधि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५४११.५, ७४३०).
श्रावक विधि सज्झाय, मु. लावण्यसमय *, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेसर प्रणमु; अंति: मुगतिवधूतस लीला
लहइ, गाथा-३१. २८४५३. (+) अवंतीसुकमाल रास, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, ११४३७).
अवंतिसुकुमाल रास, मा.गु., पद्य, वि. १६४१, आदि: सुरनर प्रणमि सिरधरी; अंति: ध्यानि तूं गुण्ये, ढाल-६,
गाथा-६७, ग्रं. १००. २८४५४. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, प्रले. ग. विद्याविशाल (गुरु ग. सहजविमल),
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, १५४४३). १. पे. नाम. उजेणीपुरमंडण पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-उजेणीपुरमंडण, मु. हरिष, मा.गु., पद्य, आदि: पणमिय पास जिणंद; अंति: पासजिण पूरइ संघ
जगीस, गाथा-७१. २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३अ-४अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: मति तंबोल भर्या जसु; अंति: जिन सकल सुखाला,
गाथा-३०. ३. पे. नाम. चउवीसी स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन-अनागत, मु. देवकिलोल, मा.गु., पद्य, आदि: परषद बइठी बार जिवार; अंति: ए भणइ
श्रीदेवकिलोल, गाथा-१५. २८४५५. (+) समोसरण विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४११, १२४३०).
समवसरण विचार, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: कति विहाणं भंते; अंति: न लाभइ सव्वं भंते. २८४५६. सर्वार्थसिद्धि स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, ९४३६).
सर्वार्थसिद्धविमानवर्णन सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगदानंदन गुणनीलो रे; अंति: पुण्यै सफली
आसो रे, गाथा-१६. २८४५७. वडलीमंडण महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १७२१, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. ग. कांतिसौभाग्य; पठ. मु. ऋषभदास (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १३४४३). महावीरजिन स्तवन-वडलीमंडण, ग. नगा, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरणो; अंति: नगा गणि मंगल करो,
गाथा-५१. २८४५८. (+) जिनवर स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२६.५४११.५, ११४४१). आदिजिन महावीरजिन स्तवन-जीर्णगढमंडण, मु. कुशलहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: आदिह
आदिजिणेसर प्रणम; अंति: सयल मंगल सुखकरा, ढाल-७, गाथा-३९. २८४५९. जीवविचार प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५४११.५, ११४३५).
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१. २८४६०. सकोसल भासएकावनी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४११.५, १२४३४).
सुकोशलमुनि सज्झाय, मु. देवचंद, मा.गु., पद्य, वि. १६०२, आदि: जंबूदीप मझारि खेत्र; अंति: सेवक देवचंद
वीनवइ ए, गाथा-५४. २८४६१. पांचपांडवमुनिवर सज्झाय, संपूर्ण, वि. १७८१, चैत्र शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. बर्हानपुर, प्रले. ग. गंगविजय (गुरु
पं. लावण्यविजय गणि); पठ. श्रावि. पान; कसोर, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. श्रावण वदि २ से चैत्र सुदि २ अंतराल में प्रत लिखी गयी है. श्रीमनमोहन पार्श्वनाथ प्रसादात्., जैदे., (२६४११.५, १०४२८).
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२६४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पंचपांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हस्तिनागपुर वर भलो; अंति: मुझ आवागमण निवार रे,
गाथा - १९.
२८४६२. वैराग्यरूपअणहार स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैये. (२६.५x११.५, १२४३९). पचक्खाण सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहिल प्रणमु सरस्वती; अंति: मांहि दीपे तिस्यो,
गाथा - १७.
२८४६३. अनाथीऋषीश्वर चउपड़, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. सा. सखमादे आर्या; सा. रमा आर्या, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२६.५x११.५, १३x४० ).
अनाथीमुनि चौपाई, मा.गु., पद्य, वि. १४वी, आदि: सिद्ध सवेनइ करूं अंतिः मोह रहित विचर सही, गाथा - ६२. २८४६४. आदिनाथ विनती, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. रानेरबंदर, प्रले. पंन्या. वृद्धविजय (गुरु पं. नरविजय पंडित); पठ. श्रावि. प्रेमबाई, श्रावि. सिंगबाई, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., ( २६.५X११.५, ८x२५).
आदिजिनविनती स्तवन- शत्रुंजयमंडन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि पामी सुगुरु पसाय; अंति: विनय करीनें वीनवू ए, गाथा - ५८.
२८४६५. सागरोपम पल्योपम मान, संपूर्ण, वि. १८वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे. (२६११, १५x५१).
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सागरोपम पल्योपम विचार, मा.गु., गद्य, आदि: च्यार गाउनो कुओ; अंतिः न करवा इणें आत्माई. २८४६६. महा साधुसाध्वी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे. (२६११.५, १३४३५),
भरसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय अंति: जस पडहो तिहुचणे सबले, गाथा - १३. २८४६७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., ( २६.५X११, १२X४७).
१. पे नाम. सज्जनदुर्जन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
श्राव. भुंभच संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: एक इस्या नर जिस्या; अंति: तेहनइ करइ जुहार, गाथा - ६. २. पे नाम, बारह भावना वेली, पृ. १अ २अ, संपूर्ण,
-
१२ भावना वेली, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिणि विनवउ; अंति: जाउ सिद्धि दूआरी रे, गाथा - २६. ३. पे. नाम. जीव भास, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक भास, मा.गु., पद्य, आदि: भविय लोअ प्रतिबूझवर अंति: संपति सुख थाइ गुणायर, गाथा १०.
२८४६८. चार मंगल, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६x११.५, ११X३६).
ラ
साधारणजिन स्तुति- मंगलभावगर्भित, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: धरम उछ्व समै जैनपद; अंति: पद अनुसरे ए, गाथा- ४.
२८४६९. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X११, ४५X-१).
१. पे. नाम. पार्श्वनाथ विवाहलउ, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन विवाहलो, आ. विनयदेवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: कांति अनोपम अंगनी ए; अंति: लहिइ सुखनी कोडि,
गाथा- ७.
२. पे नाम. धर्मराय गीत, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
धर्मजिन स्तवन- धर्मराय, आ. विनयदेवसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पाय कमल जिनना नमी; अंति: कहइ ते ओ सुखदातार, गाथा - ११.
२८४७०. पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५x११, १५x५६).
पार्श्वजिन स्तव, ग. धीरचंद्र, सं., पद्य, आदि: जय कला कमला कमलं वरं; अंति: तनोतु सततं सुखं संघे, श्लोक-२१. २८४७१, (+) बांधणवाडजी निसाणी, संपूर्ण, वि. १८५३ ज्येष्ठ कृष्ण, १, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल, नीतोडानगर,
प्रले. पं. सवाईसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., ( २१.५x११, १५४४३-४६). महावीरजिन निसाणी-बामणवाडजी, मु. हर्षमाणिक्य, मा.गु., पद्य, आदि: माता सरसती सेवग सती; अंति: ऊपजे कटे पाप तन पीर, गाथा - ३७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २८४७२. (+) भक्तामर स्तोत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७९५, वैशाख कृष्ण, १, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. सिद्धपुर,
प्रले. पं. न्यानविजय (गुरु ग. प्रमोदविजय); पठ. मु. रत्ना (गुरु ग. ज्ञानविजय), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. व्रजी प्रसादात्., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११.५, ७४४३).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४.
भक्तामर स्तोत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: भक्तिवंत जे देवता; अंति: आवइ ज कुण लक्ष्मी. २८४७३. स्तवन व कर्मग्रंथ-५ का बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४११.५, ११४३७). १.पे. नाम. देवभवेशभचिंतवन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
देवभवे शुभचिंतवन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: अढाई दीपमा जेह; अंति: तिण नरभव सुख कामीइए, गाथा-६. २. पे. नाम. शतक नव्य कर्मग्रंथ का बालावबोध, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है. शतक नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मु. जयसोम, मा.गु., गद्य, वि. १७१२, आदि: (१)ऍद्रस्यकरपीडनविधि,
(२)तिहां ग्रंथकर्ता; अंति: (-). २८४७४. (+) स्तुति व ज्योतिष संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे.,
(२५४१०.५, १३४४०). १. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
श्राव. ऋषभदास , मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेāजो तीरथ; अंति: पाया ऋषभदास गुणगाया, गाथा-४. २. पे. नाम. ज्योतिष संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण, पे.वि. बारमासफल, ग्रहदशागणित आदि संग्रह.
ज्योतिष संग्रह-, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८४७५. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. मु. कल्याणविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२५४११.५, १६x२८). १. पे. नाम. ऋषभदेव स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: सुंण सुंण सेव॒जय; अंति: श्रीजिनभक्तिसूरिंदा, गाथा-११. २. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मुनि मानसरोवर हंसलो; अंति: जसघर स्वामी पइठों रे, गाथा-७. २८४७६. पुद्गलपरावर्त विचार, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, १५४४९).
पुद्गलपरावर्त निरूपण, मा.गु., गद्य, आदि: अनंती उत्सर्पिणी; अंति: पुद्गलपरावर्त थाइ. २८४७७. अतीचारनी आठ गाथा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, ८x२२).
पंचाचार अतिचार गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: नाणम्मि दंसणम्मिअ; अंति: नायव्वो वीरियायारो, गाथा-८. २८४७८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४११, १५४३६). १. पे. नाम. आदीसर गीत, पृ. १अ, संपूर्ण..
आदिजिन भास, मु. माणक, मा.गु., पद्य, आदि: आदीसर अवधारीए वीनतडी; अंति: माणक भणइ भास कि,
गाथा-५. २.पे. नाम. नेमिनाथ गीत, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती गीत, मु. माणक, मा.गु., पद्य, आदि: गोखिं बइठी राजुल; अंति: माणक सुख पाया रे, गाथा-८. २८४७९. अष्टप्रकारी पूजाष्टक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. सुरजपुर, जैदे., (२५.५४११.५, ११४४४).
८ प्रकारी पूजा, मु. देवचंद्र, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७२४, आदि: विमलकेवलभासनभास्कर; अंति: मोक्षसौख्यं
श्रयति, श्लोक-९. २८४८०. ऋषभदेव स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, १७४३३).
आदिजिन स्तुति, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुधर्म देवलोक पहिलो; अंति: कांतिविजय गुणगाया,
गाथा-४. २८४८१. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, जैदे., (२६.५४११, १६x४५).
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२६६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. गोडीचा छंद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती सुमति आपइं; अंति: करण धवलधींग गोडी
धणी, गाथा-२२. २. पे. नाम. जीरावला पार्श्वनाथ नीसाणी, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण, प्रले. मु. गुलालविजय (गुरु ग. रूपविजय),
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (३) भग्नपृष्टि कटिग्रीवा, (१२) मंगलं लेखकानां च, पे.वि. गाथा क्रमांक नहीं लिखा है.
पार्श्वजिन निसाणी-घग्घर, मु. जिनहर्ष, पुहिं., पद्य, आदि: सुखसंपत्तिदायक सुरनर; अंति: जिनहरष० कहंदा है. ३. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण. ___ मु. अमर, मा.गु., पद्य, आदि: चंद्रप्रभुनी चाकरी; अंति: अमर थुणे निसदिस रे, गाथा-५. ४. पे. नाम. श्रेयांसजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. अमर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीश्रेयांस जिनेसर; अंति: फलीया प्रभु संगे, गाथा-५. २८४८२. अजितशांति स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. श्राव. मनजी नानजी मोदी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४११.५, १२४३८).
अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २८४८३. चोथुव्रत उच्चराववानी विधि, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२५.५४११.५, १३४४६).
ब्रह्मचर्यव्रतप्रत्याख्यान आलापक, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम गाजतई वाजतई; अंति: (-). २८४८४. साधुपाक्षिक अतिचार, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, अन्य. मु. लक्ष्मीविजय; पठ. सा. पुनाश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, ९४३५).
साधुपाक्षिकअतिचार श्वे.मू.पू., संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: नाणम्मि दंसणम्मिय; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २८४८५. लेख व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४११, १९४२७). १.पे. नाम. थिरपद्र लेख, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. आदिजिन विनती लेख-थिरपद्र, मु. सायधण, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदि: स्वस्ति श्रीसुख संपत; अंति: वार
शुक्र सुविचार, ढाल-४, गाथा-६५. २. पे. नाम. षट् आरा स्तवन, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-छट्ठाआरानु, श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणंद पाए नमी; अंति:
देवीदास० संघ आणंदणो, ढाल-५, गाथा-६२. ३. पे. नाम. आबुतीर्थ स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७२८, आदि: आज अनोपम पुन्यथी में; अंति: (१)पहोचें मनह जगीस,
(२)दरसणे पोती सयल जगीश, गाथा-३४. २८४८६. नवकारनवपदाधिकारे गुणवर्णन सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८१४, वैशाख शुक्ल, १३, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. अमृतविजय; पठ. श्रावि. लखमीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १५४४४). नमस्कार महामंत्र सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वारी जाउं हुं अरिहंत; अंति: ज्ञानविमल०
वाधो रे, ढाल-५. २८४८७. पूर्वदिशि चैत्यप्रवाडि स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४११.५, १५४३६).
तीर्थमाला स्तवन, मु. दयाकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६४८, आदि: पहिलुं प्रणमु भाव; अंति: आणी नितनित समरूं
तेह, गाथा-४७. २८४८८. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ७, प्रले. ग. चारित्रचंद्र (गुरु पं. हर्षचंद्र गणि),
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, १३४४६). १. पे. नाम. शालिभद्र सज्झाय, पृ. ११-१आ, संपूर्ण.
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शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम गोवाला तणइ भवइ; अंति: सहजसुंदरनी वाणी,
गाथा - १५.
२. पे. नाम. जीवशिक्षा स्वाध्याय, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. प्रीतिविजय, मा.गु., पथ, आदि: चेतो आतमजी अधिर; अंतिः करइ० तिम करी सविचारा, गाथा - ६.
३. पे नाम. नंदिषेणमुनि सज्झाय, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
क. श्रुतरंग, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर महिअलि विहरइ; अंति: कवि श्रुतरंग विनवइ, गाथा-६.
४. पे. नाम. जीवशिक्षा सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, पुहिं, पद्य, आदि आलीगारो डंदिरो नित; अंतिः तजो उतारो भवपारो, गाथा-५,
५. पे. नाम औपदेशिक स्वाध्याय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण
औपदेशिक सज्झाय, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: करीड़ पर ऊपगार मुंकी; अंतिः रस मई ते दीठडो रे,
गाथा - ७.
६. पे नाम. संवेग स्वाध्याय, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण.
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संवेग सज्झाय, मु. प्रीतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आतम चेत चेत रे सब; अंति: धरम करो लय लाई, गाथा - ६. ७. पे. नाम. जीवशिक्षा सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. प्रीति, मा.गु., पद्य, आदि: पंचे अंगुल वेढ बनाया; अंति: सफल फलइ फल मोटी रे,
गाथा - ७.
२८४८९. (+) भास संग्रह व स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, पठ. पं. लाभविजय, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैवे. (२६४११.५, १५४४७),
१. पे. नाम. गुरु भास, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. लाभ, मा.गु., पद्य, आदि: नयरि विशाला उद्यानमा; अंति: मानथी शीवपद लाभ उपाय, गाथा - ७. २. पे नाम. सुधर्मास्वामी गुरुभास, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
मु. लाभ, मा.गु., पद्य, आदि: मुनि नायक गुरु विहार; अंति: पद लाभ सवाई पावेतो, गाथा - ७.
३. पे. नाम. गौतमस्वामी भास, पृ. १आ, संपूर्ण.
गाथा- ७.
गौतमस्वामी भाष, मु. लाभ, मा.गु., पद्य, आदि: मुनीवर हे कें मुनीवर; अंति: मानथी पामे लाभ अपार, ४. पे नाम. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, पृ. १आ, संपूर्ण
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो पास शंखेश्वरो; अंति: पास संखेसरो आप तूठा, गाथा- ७. २८४९०. स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ५, जैदे., (२५.५X१२, १३x२९). १. पे. नाम वीरवर्द्धमानस्वामी स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
-
महावीरजिन स्तवन, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पंच परमेस्वर प्रणमी; अंतिः धीरविजय० नीसदीस,
गाथा - ९.
२. पे नाम, महावीरजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण,
मु. हंससोम, मा.गु., पद्य, आदि: इण दिन समरुं श्रीमहा; अंति: हंस० सेवक चिंत करेवी, गाथा-४. ३. पे नाम, महावीरजिन स्तुति, पृ. १आ-२अ संपूर्ण
शत्रुंजयगिरनारतीर्थ स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवन मांहिं; अंतिः जीव सुख संपदा वरिं, गाथा ४. ४. पे नाम. कल्लाणकंद स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढमं; अंतिः अम्ह सवा पसत्था, गाथा-४.
५. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिन सकल मनोहर बीज; अंतिः कठै पूर मनोरथ माय, गाथा ४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२६८
२८४९१. (+) स्तोत्र संग्रह व स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ५, प्र. वि. संशोधित - प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई
है.. जैवे. (२६४१२, १२x४३).
9
१. पे नाम. सीमंधरस्वामी स्तवन अष्टमहाप्रातिहार्यमय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन स्तवन- अष्टमहाप्रातिहार्यगर्भित, प्रा., मा.गु., पद्य, आदि: अमरनर असुरगण पणयपय; अंति: देई भ नीच्चला, गाथा- १४.
२. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तव, सं., पद्म, आदि: भक्तिनम्रामराधीश; अंतिः तन्ममतां विधेहि, श्लोक ५.
३. पे नाम यदृछाजिन स्तोत्र, पृ. २अ, संपूर्ण,
साधारणजिन स्तवन, मु. सोमसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनाभिजात सुमतेजिन; अंति: दुरमहोदय संपदं मे,
गाथा - ५.
४. पे. नाम. वीर स्तवन, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण, प्रले. आ. जिनसागरसूरि, प्र.ले.पु. सामान्य.
महावीरजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: व्यक्तीकृतानेकपदार्थ; अंतिः सृजकृताश्रितभूरिमद्र, श्लोक - ५. ५. पे. नाम विशवेहरमान स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
विहरमान २० जिन स्तवन, मु. माणकशिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सरस्वतिदेव नमूं निस; अंति: इम जंपि कवि माणकशीश, गाथा - ९.
२८४९२. (+) विचार संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ९, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
9
( २३x१०.५, १०-१२४४०-४५).
१. पे. नाम. १३ काठिया गाथा सह टबार्थ, पृ. १अ, संपूर्ण.
१३ काठिया गाथा, प्रा., पद्य, आदि: आलस मोह अवन्ना थंभा; अंति: पखेव कोहला रमणा, गाथा - १. १३ काठिया गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः आलस मोह अवर्णवाद; अंतिः कतुहल क्रीडाकाठीओ. २. पे नाम. त्रिषष्टिशलाकापुरुष उत्पत्ति मातापितादि विचार सह टवार्थ, पृ. १अ, संपूर्ण.
त्रिषष्टिशलाकापुरुष उत्पत्ति मातापितादि विचार, प्रा., पद्य, आदि: तेसठीसलाकाणं पदवि; अंतिः गईओ अवसेसाणं
सुगई गई, गाथा - २.
त्रिषष्टिशलाकापुरुष उत्पत्ति मातापितादि विचार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ६३ सौलाकापुरुष ६३ पद; अंतिः सुती भली गते गई.
३. पे. नाम चक्रवर्तिऋद्धि, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
चक्रवर्ति ऋद्धि, प्रा., पद्य, आदि: चउरो आउग्गेहें भंडार; अंति: अडअक्खर एकपयसंखा, गाथा-५, संपूर्ण. चक्रवर्ति ऋद्धि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: आयुधशालाएं ४ भंडारने; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, गाथा १ तक ही टवार्थ है.)
४. पे. नाम. बाईसअभक्ष्य गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
२२ अभक्ष्य गाथा, प्रा., पद्य, आदि: पंचुंबर चडविगई हिम; अंति: वज्जह अभक्खबावीसं, गाथा-२.
५. पे नाम. साधुअतिचारचिंतवन गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सयणासन्नपाणे चे असिज; अंति: वित्तहरणे तहय अईयारो, गाथा - १.
६. पे. नाम. गोचरी आलोअण गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण,
प्रा., पद्य, आदि: अहो जिणे असावीज्जा; अंतिः साहु देहस्सधारणा, गाथा २.
७. पे. नाम. बारव्रतनाम गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
१२ व्रतनाम गाथा, प्रा., पद्य, आदि: पंच अणुव्वय थूलं भोग; अंतिः सुयभासेहे बारसवत्ता, गाथा-२. ८. पे. नाम. श्रावक अतिचार संख्या सह टवार्थ, पृ. १आ, संपूर्ण.
श्रावक अतिचार संख्या, प्रा., पद्य, आदि: नाणाई अडवय सड्डी अंतिः चउवीससयं तु अईआरा, गाथा - १. श्रावक अतिचार संख्या-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ५ शानना बारे बारे; अंतिः श्रावकने का सुए.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२६९ ९. पे. नाम. इरियावही कुलक सह टबार्थ, पृ. १आ, संपूर्ण. इरियावही कुलक, प्रा., पद्य, आदि: चउदस पय अडचत्ता तिगह; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण, मात्र पहली गाथा है.) इरियावही कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ७नरगना पर्याप्ता अपर; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण. २८४९३. स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ७, जैदे., (२६४१०.५, १५४३५). १. पे. नाम. वासुपूज्यजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. जिनरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: वासपुज्यजिन वीनती; अंति: सदा प्रभु आपदा वारौ, गाथा-३. २. पे. नाम. सुमतिजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. जिनरत्न, पुहि., पद्य, आदि: सुमतिनाथ जिणवर सलही; अंति: आसतवंत अबीह अनंत, गाथा-३. ३. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. जिनरत्न, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु कुं सेवत चंद; अंति: जपता आपद अलग पुलाई, गाथा-३. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. महिमराज, मा.गु., पद्य, आदि: जिन तेरे नयन अनीयारे; अंति: महिमराज सुखकारे, गाथा-३. ५. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति-अर्बुदगिरिमंडन, प्रा., पद्य, आदि: वरमुत्तिअहार सुतारगण; अंति: सुहाणि कुणे सुसया, गाथा-४. ६. पे. नाम. सीमंधरस्वामि स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
बीजतिथि स्तुति, प्रा., पद्य, आदि: महीमंडणं पुन्नसोवन्न; अंति: देहि मे सुद्धनाणं, गाथा-४. ७. पे. नाम. जिनकुसलसूरि गीत, पृ. १आ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि गीत, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: कुसल गुरु कुसल करो; अंति: विनवइ जिनचंदसूरि,
गाथा-२. २८४९४. पर्यंतआराधना सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. ३, पठ. श्रावि. डाही, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रत में प्रति ऋषि मदन की है ऐसा उल्लेख मिलता है., जैदे., (२६.५४११, १३४५०).
पर्यंताराधना-चयन, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: सुर समणे नमुक्कार, गाथा-२९.
पर्यंताराधना-चयन का बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: देव नमस्करिज्योहउ; अंति: ध्यान करिज्योहउ. २८४९५. नरकविचार यंत्रसंग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२६.५४११, १०x२५).
नरकविचार संग्रह, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २८४९६. झांझरीआमुनि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, १४४३४).
झाझरियामुनि सज्झाय, मु. भावरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: सरसति चरणे सीस नमावि; अंति: सांभलतां
मन मोहे, ढाल-४, गाथा-४३. २८४९७. ग्यानपच्चीसी, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११, १२४३७).
ज्ञानपच्चीसी, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: सुरनर तिरि जग जोनिमइ; अंति: कौ उदै करण के हेत,
गाथा-२५. २८४९८. (+) विचार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, पठ. मु. अनंतविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१०.५, ११४३५).
असणादिक कालप्रमाण सज्झाय, मु. वीरविमल, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगौतम; अंति: वीरविमल करजोडी
कहिउं, गाथा-१८. २८४९९. क्षमाछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६.५४११, ८४३७).
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क्षमाछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि आदरि जीव खिमागुण आदर; अंतिः चतुर्विध संघ जगीस जी, गाथा - ३६.
२८५००. सज्झाय व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., ( २४.५X११.५, १०X२७). १. पे. नाम. पंचम आरानी सज्झाय, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण, प्रले. मु. हीरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य.
पंचमआरा सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: पंच आराना भाव रे; अंति: भाख्या वचन रसाल, गाथा-२१. २. पे. नाम. श्लोक संग्रह *, पृ. २आ, संपूर्ण.
प्रा., मा.गु., सं., हिं., पद्य, आदि (-); अंति: (-), लोक-२.
२८५०२. नवस्मरण, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६x११.५, १०X३०).
नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र नवकारमंत्र व उपसर्गहर स्तोत्र तक लिखा है.)
२८५०३. (+) धूलीभद्र स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले, मु. सुविधिरत्न, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे.,
"
,
(२६.५X११.५, १५x५०).
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स्थूलभद्रमुनि नवरसो, वा उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: सुखसंपत्ति दायक सदा; अंतिः मनोरथ वेगि फल्या रे, ढाल-९.
२८५०४. आत्मस्वरूप विचार स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे. (२६११.५, ८४३१).
औपदेशिक सज्झाय, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जिनजीनी थीरता अतिरूड; अंति: देवचंद्र पद पावे लाल,
गाथा- ७.
२८५०५. देवाः प्रभो स्तव, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६.५x१२, १३X३०).
साधारणजिन स्तव, आ. जयानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: देवाः प्रभो यं विधिना; अंति: भावं जयानंदमयप्रदेया,
श्लोक- ९.
२८५०६. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. ग. प्रीतिविजय; पठ, मु. कुंअरविजय (गुरु उपा. सुमतिविजय गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२६.५x११, १३x४०).
"
१. पे. नाम. बंभणवाड महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन- बामणवाडजी, आ. कमलकलशसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः समरवि समरथ सारदा; अंतिः श्रीकमलकलससूरीसर सीस, गाथा-२१.
२. पे. नाम. रोडकपार्श्वनाथ स्तव, पृ. २आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- रोडक, मु. रत्नप्रभ, मा.गु., सं., पद्य, आदि: मीठे मरहठ देस भास; अंतिः कृतेयं रोडकस्तुतिः,
गाथा - ९.
२८५०७. नेमिराजीमति स्तवन, संपूर्ण, वि. १७६०, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६११.५, १०X३४).
नेमराजीमती स्तवन, मु. रुधिरविमल, मा.गु., पद्य, आदि मात शिवादेवी जाया; अंतिः नेमराजुल शिवसुख पाया,
गाथा - ७.
२८५०८. (+) धनपालपंडित कथा सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४- १ ( १ ) = ३, पू. वि. प्रारंभिक श्लोक ३ नहीं है., प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें, जैदे., (२५.५x१०.५, ६४३८).
धनपालपंडित कथा, सं., पद्य, आदि: ( - ); अंति: हले भूपति भोजदेवः, श्लोक - ९. धनपालपंडित कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: विरुद्ध वचन न कहि.
२८५०९. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. ग. मोहनविजय (गुरु ग. खीमाविजय);
पठ. श्रावि. केलाईबाई, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२७X१२, १०X३६).
१. पे. नाम. वयरस्वामी सज्झाय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
वज्रस्वामी-रूखमणी सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पदमिणी पोईणी पातली; अंति: हुं प्र तेह, गाथा - २०.
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२. पे. नाम. जंबूस्वामी भास, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु, पद्य, आदि: जाउं बलिहारी जंबू; अंतिः चरण नमुं निसदीस रे, गाथा-४. २८५१०. त्रिभुवन चैत्यपरिपाटी, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६.५X१२, १२X३६).
,
त्रिभुवन चैत्यपरिपाटी, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलु देव पूजी चैत्य; अंति: जिनबिंब नमस्करूं.
२८५११, (७) सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८१२, माघ शुक्ल, १३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे ४, ले. स्थल. मीयाग्राम, प्र. वि. श्रीपार्श्वनाथ प्रसादात्., अक्षरों की स्याही फैल गयी है, प्र.ले. श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्ट, जैवे. (२६.५x१२, ११४३०).
१. पे. नाम. रहनेमिराजीमति स्वाध्याय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
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रथनेमिराजिमती सज्झाय, पंन्या. न्यानविजय गणि, मा.गु., पद्य, आदि: विद्या द्यो सुविशेष; अंति: न्यानविजय गुण गायने, गाथा-२८.
२. पे. नाम. नेमराजिमती सज्झाय, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गोखे रे बेठी राजुल; अंतिः होज्यो एहवी युगति रे, गाथा - ९.
३. पे नाम, नेमिजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती सज्झाय, मु. रामविजय, मा.गु., पद्म, आदि: राजुल कहे पीठ नेमजी; अंति वालहो रामविजय जयवंत,
गाथा - ७.
४. पे. नाम. चेलणा भास, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी गहुली, मा.गु., पद्य, आदि वर अतिशय कंचनवाने; अंति: उसे निज आतमराम हो, गाथा - ७. २८५१२. चार शरणा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे. (२६.५४११.५, १२४३४).
"
४ शरणा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मुजने चार शरणा होजो; अंति: दिन मुझ कदि होस्,
अध्याय- ४.
9
"
२८५१३. अर्बुदगिरितीर्थ कल्प व सवैया, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैवे. (२५.५४११, १२४३७-४७). १. पे नाम औपदेशिक सवैया, प्र. १अ संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: तेरे दुग देखे मृग; अंतिः इहां चोरन को डर है.
२. पे. नाम. अर्बुद कल्प, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
जैदे.,
अर्बुदगिरितीर्थ कल्प, मा.गु., प+ग, आदि: अर्बुदाचले सहसावेधी; अंति: पूजा करी जई लीज. २८५१४. (+) पंचप्रतिक्रमणविधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९ वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ.,
(२५.५४१०.५, १२X४७-५२ ).
२७१
सरस्वतीदेवी बीजमंत्र, सं., गद्य, आदिः ॐ अर्हन्मुखकमलवासिनी; अंति: सरस्वति हीँ नमः . ३. पे. नाम. मंत्र संग्रह, पृ. २आ, संपूर्ण.
प्रतिक्रमणविधि संग्रह- तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: तिहां प्रथम वंदेतू; अंतिः पीठ फलग विसर्जु. २८५१५. (+) बृहच्छांति व मंत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ३, अन्य. श्राव. लखमीचंद रायचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न - संशोधित., जैदे., ( २४.५X११, १५X३८). १. पे नाम, बृहच्छांति स्तोत्र, पृ. १अ २आ, संपूर्ण,
-
बृहत्शांति स्तोत्र- तपागच्छीय, सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैनं जयतु शासनम्,
,
२. पे. नाम. सरस्वती बीजमंत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
मंत्र संग्रह, मा.गु., सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२८५१६. संयमश्रेणिविचार स्तवन, १६ स्वप्न विचार व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ९, जैदे., ( २५x१२.५, २६-३१x४२-६२).
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१. पे. नाम. संयमश्रेणि स्वाध्याय सह टबार्थ, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण, वि. १८८०, ज्येष्ठ कृष्ण, ८, प्रले. पं. मुनिंद्रविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
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२७२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची संयमश्रेणिविचार स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरुना; अंति: ध्यानमा ध्यायो रे,
ढाल-२, गाथा-२१. संयमश्रेणिविचार स्तवन-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ऐंद्रवदनतं नत्वा; अंति: हेतु छइते भणी. २. पे. नाम. चंद्रगुप्त १६ स्वप्न विचार, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
प्रा., गद्य, आदि: तेणं कालेणं० पाडलपुर; अंति: सो सुही भविस्सइ. ३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. जोधा ऋषि, पुहि., पद्य, आदि: चिंता क्युं न हरो; अंति: टाढो जोधा काज सरो, गाथा-३. ४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, पुहि., पद्य, आदि: प्रभु तुम तारोगे हम; अंति: जगतराम प्रति पालोगे, गाथा-२. ५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: अब सुरजनहा दाव रे; अंति: शिवसुखदा चावरे भाई, गाथा-२. ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: प्रभूजी थांको विरूद; अंति: कारिज सारोलाजी मांको, गाथा-२. ७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. भूधर, पुहि., पद्य, आदि: मारै गुरांदीनो माने; अंति: सेजै व्याध टरी, गाथा-४. ८. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: अब मोहि तार मेरे; अंति: आवागमन निवार, गाथा-२. ९. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण..
पुहिं., पद्य, आदि: ए अरजी मेरे सहिया; अंति: अरज करुं सिर नहीयां, गाथा-२. २८५१७. चतुर्विंशति नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४१२, ११४३६).
२४ जिन नमस्कार, लखमण, मा.गु., पद्य, आदि: पढम जिनवर पढम जिनवर; अंति: भणे सफल करुं संसार,
गाथा-२५, ग्रं. ७५. २८५१९. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४११.५, ११४३७). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: धर्म म मुकीस विनय म; अंति: जई चिरकाल नंदो रे, गाथा-८. २. पे. नाम. सामायिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. नेमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सामाइक मन सुद्धे करो; अंति: व्रत पालो निसदिस, गाथा-५. २८५२०. विमलाचलतीर्थ गुणमाला, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६.५४१२, ६४२४).
शत्रुजयतीर्थगुणमाला, मु. सुखविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीविमलाचल भेटीई; अंति: पूज्या सवि सुख होय,
गाथा-१५. २८५२१. थावच्चामुनि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५४११.५, ८x२१).
थावच्चासाधु सज्झाय, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदिसर तेरे पाय प्रणम; अंति: धीरविजय करि जोडि जी.
गाथा-१९. २८५२२. बृहच्छांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८१३, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५४११.५, ८x२७).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैन जयति शासनम्. २८५२३. केशीगौतमगणधर गहुंली, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१७४१२, १२x२९).
केशी गौतमगणधर गहंली, मा.गु., पद्य, आदि: सावथी नयरी उद्यानमां; अंति: रंग पर दयाल रे, गाथा-८. २८५२४. पंचमीतिथि स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२०.५४११.५, ११४२६).
नेमिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंति: ए सफल करो अवतार तो,
गाथा-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७३ २८५२५. कर्म छत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १८४४३).
कर्मछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६८, आदि: कर्म थकी छूटे नही; अंति: धरमतणै परमाण
जी, गाथा-३६. २८५२६. कायाजीव संवादे स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२४.५४११, १०४२५).
औपदेशिक सज्झाय-कायाजीवशिखामण, मु. जयसोम, मा.गु., पद्य, आदि: कामीनि कहई निज कंत; अंति:
जयसोम० करो धर्म सगाई, गाथा-१२. २८५२७. योगपावडी व स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२५४११.५, १४४३४). १. पे. नाम. योगपावडी, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण.
गोरखनाथ, मा.गु., पद्य, आदि: क्रोध लोभ दूरइं परि; अंति: गोरख० परमपद पावें, गाथा-६०. २. पे. नाम. गौतमस्वामी दीपालिका रास, पृ. ३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., मात्र प्रारंभिक गाथा-३ अपूर्ण तक
उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: इंद्रभूति गौतम भणइं; अंति: (-). २८५२९. (+) जीराउला पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११.५, १२४४१).
पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: जीराउलिमंडण जिणपास; अंति: तूठइ नवनिधि
आंगणइ, गाथा-३८. २८५३०. रत्नकुंवर सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८६६, चैत्र शुक्ल, १४, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. देव ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४११.५, २०४५८).
रत्नकुमार सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: रत्न गुरु गुण आगला; अंति: उपें जेम तंबोल, गाथा-४०. २८५३१. शांतिनाथ स्तवन व पद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४१०.५, १५४४५). १.पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण, पठ. सा. मिरघाजी, प्र.ले.पु. सामान्य. शांतिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, वि. १६९९, आदि: कुरहथणाउर सार जाणे; अंति: प्रभ पूर मनकी आस हे,
गाथा-२२. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण, ले.स्थल. फतेपुर, अन्य. मु. उदयसिंघ, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु., पद्य, आदि: सीसगर दरज तंबोली; अंति: धर मन परम परगास है, गाथा-२. २८५३२. (+) संथारापोरसी सूत्र व बीसस्थानक सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुलपे. २, पठ. श्रावि. वखतबाई,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, १४४३५). १. पे. नाम. संथारापोरसीसूत्र, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. प्रा., पद्य, आदि: निसिही निसिही निसीहि; अंति: इअसमत्तं मए गहिअं, गाथा-७, (वि. प्रारंभिक गाथाओं में गाथाक्रम
नहीं दिया गया है.) २. पे. नाम. वीसस्थानक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
२० स्थानक सज्झाय, मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनचरणे करी; अंति: श्रीसंघ आराहो निसदिस, गाथा-७. २८५३३. (#) वर्द्धमानजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. पह्लादनपुर, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४११.५, ११४३६). महावीरजिन स्तवन-छट्ठाआरानु, श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणंद पाए नमी; अंति:
देवीदास० संघमंगल करो, ढाल-५, गाथा-६४. २८५३४. चार मंगल, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३५).
४ मंगल, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चालो सईरां मंगल गाई; अंति: पांम जीत ठामोठाम रे, गाथा-९. २८५३५. स्तवन संग्रह, सज्झाय व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ८, जैदे., (२४४१०, ११४२९-३२). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदिसर अरिहंतजी विनती; अंति: रविविजय सुखदाय रे, गाथा-१०.
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२७४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. पद्मप्रभुजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. पद्मप्रभजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कोसंबी नयरी विराजे; अंति: रविविजय सुखदाया हो,
गाथा-५. ३. पे. नाम. अनंतनाथजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
अनंतजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतनाथ जिनराज अरज; अंति: पोतानो जाणज्योजी,
गाथा-५. ४. पे. नाम. कुंथुनाथजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. कुंथुजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: साहिब सुणज्यो विनती; अंति: रविविजय सुखदायजी,
गाथा-५. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिनेसर साहिबा; अंति: रवि करे तुम सेव, गाथा-७. ६. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिनेसर साहिबा; अंति: रवि लहे जयकार, गाथा-९. ७. पे. नाम. सतिय सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. सतीशिरोमणि सज्झाय, पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समोसरणि २ परषदा सवि; अंति: रविनि पहोचे मन
आस हो, गाथा-९. ८. पे. नाम. सुभाषित श्लोक, पृ. ४आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., पद्य, आदिः (-); अंति: (-), श्लोक-१. २८५३६. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. श्रावि. बेनाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२,
२५४४५). १. पे. नाम. चोसठसति सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य.
६४ सती सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: नाम परणाम ज्ञानीकथा; अंति: धर्मतणी जागइ रत्ती, गाथा-४१. २. पे. नाम. पंचपांडव सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण. ५ पांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हस्तिनागपुर वर भलो; अंति: मुज आवागमण निवार रे,
गाथा-१९. २८५३७. (+) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १, प्रले. मु. नरसिंघ ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११.५, १२४३३). शत्रुजयतीर्थस्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: करजोडी कहे कामनी; अंति: सेवक जिन धरे ध्यान,
गाथा-१६. २८५३८. सिद्धचक्र नमस्कार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १२४३४).
सिद्धचक्र चैत्यवंदन, मु. साधविजय-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धचक्र आराधता; अंति: तणो सीष्य कहे
करजोडि, गाथा-१२. २८५३९. वासुपूज्यजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १३४४०).
वासुपूज्यजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्य जिनराज; अंति: नितु नितु पाय रे,
गाथा-१३. २८५४०. पाक्षिक स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, ९४३६).
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. २८५४१. (+) बालचंदबत्तीसी व पंचतीर्थी छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४१२,
१६४३५). १. पे. नाम. बालचंदबत्रीसी, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण, ले.स्थल. सूर्यपूर.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७५ अध्यात्मबत्तीसी, मु. बालचंद, पुहिं., पद्य, वि. १६८५, आदि: अजर अमर परमेश्वरकुं; अंति: सुखकंद रुपचंद
जाणीए, गाथा-३३, ग्रं. १२५. २.पे. नाम. पंचतीर्थी स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण, वि. १८६१, फाल्गुन कृष्ण, ८, प्रले. मु. डुंगररत्न; पठ. शिवलाल,
प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: आदे ए आदिजिणेसरु ए; अंति: भणता सुखे आवे वासना, गाथा-११. २८५४२. सुदर्शनसेठ सज्झाय व आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२३.५४११.५,
१९४३१). १. पे. नाम. सुदर्शनसेठ सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
ग. कान्हजी, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: सुंदर नयरी सुगंधीआ; अंति: गुणवंतना गुण सांभलो, गाथा-१८. २. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. साधुकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: देखो माइ आज रिषभ घर; अंति: साधुकीर्ति गुण गावै, गाथा-३. २८५४३. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ९४३३).
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: माहरि आंखडीये रे में; अंति: श्रीआदिसर तु द्वारे, गाथा-७. २८५४४. सीमंधरजिन चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १०४२१).
सीमंधरजिन चैत्यवंदन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर जिनवरा; अंति: नामथी प्रगटे परमानंद,
गाथा-१२. २८५४५. गोडी पार्श्वजिन स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३८). १.पे. नाम. गोडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समै समै सो वार; अंति: साचो सेवक करी जाणोरे,
गाथा-८. २.पे. नाम. गोडी पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., मात्र प्रथम गाथा अपूर्ण तक है.
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: सरसतीना चरणकमल करीजी; अंति: (-). २८५४६. मनमोहन पारसनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १०४३६).
पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन-बहनपुर, क. कमलविजय, पुहि., पद्य, आदि: श्रीबर्हानपुरालंकारा; अंति: मनमोहन
पास साइबे, गाथा-११. २८५४७. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४११.५, ११४२९). १. पे. नाम. गछनायक भास, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
विजयाणंदसूरि भास, मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसरसति सूभवित; अंति: रंगविजय गुण गाया रे, गाथा-८. २.पे. नाम. आचारांगसूत्र की सज्झाय, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-३ अपूर्ण तक हैं.
__ आचारांगसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मा.गु., पद्य, आदि: आचारांग वर्ल्ड कहिं रे; अंति: (-). २८५४८. संखेश्वर पार्श्वनाथ छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४११, ३२४२०).
पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. नयप्रमोद, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन सुखकारं सार; अंति: पावे मनवांछित सकल,
गाथा-११. २८५४९. समकितबोलगर्भित सम्यक्त्व स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९२५, मार्गशीर्ष शुक्ल, ८, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. लींबडी, प्रले. श्राव. उका ताराचंद सा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, १३४३८-३९). समकितना सडसठबोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुकृतवल्लि कादंबिनी; अंति:
वाचक जस इम बोले रे, ढाल-१२, गाथा-६८. २८५५०. वीसस्थानक तपस्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, पठ. श्रावि. वखत,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४११.५, १२४३१). १. पे. नाम. वीशस्थानकतप स्तुति, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
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२७६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २० स्थानकतप स्तुति, मु. ऋद्धिसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सौभाग्य सुखकारीजी, गाथा-४,
(पू.वि. गाथा-३ से हैं.) २. पे. नाम. वीशस्थानकतप स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. २० स्थानकतप स्तुति, मु. ऋद्धिसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: थानिक तप सेवा जिनपद; अंति: आपजो अति
मनोहारी जी, गाथा-४. २८५५१. रत्नागर भास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. राजधर ऋषि; पठ. श्रावि. बेनकुंयर नाथाभाई भावसार, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११.५, १९४५३). रत्नागर भास, शिवजीकुमार, मा.गु., पद्य, आदि: रत्नगुरु गुण मीठडारे; अंति: दसमी ढाल रसाल, ढाल-१०,
गाथा-४५. २८५५२. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४४१२, १४४३०). १. पे. नाम. भरहेसर सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुयणे सयले, गाथा-१३. २. पे. नाम. गौतमस्वामी छंद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेसर केरो शीश; अंति: तूठां संपति कोडि, गाथा-९. २८५५३. ठाकुर बुलाकीकथित वार्ता, परमेष्टि स्तोत्र व फाग टांगा, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे.,
(२१४१२, १७४३२). १. पे. नाम. ठाकुर बुलाकीकथित वार्ता, पृ. १अ, संपूर्ण, वि. १७८५, माघ शुक्ल, ९, शुक्रवार, ले.स्थल. आगलोड,
प्र.ले.पु. सामान्य. तारातंबोलनगरी वर्णन, मा.गु., गद्य, आदिः (१)संवत् १६८३ वर्षे, (२)श्रीअहिमदावादथी ३२५; अंति: लखावी ते
सही छै. २. पे. नाम. वज्रपंजर स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: पंचपरमेष्ठि; अंति: राधिश्चापि कदाचन, श्लोक-८. ३. पे. नाम. फाग टांगा, पृ. १आ, संपूर्ण, ले.स्थल. कडी, प्रले. मु. राजविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह; अंति: न होय तो लाज जाइ. २८५५४. स्तवन व सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२६४१२.५, १३४४१).
१. पे. नाम. कल्याणक तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण, वि. १८४४, फाल्गुन शुक्ल, १, ले.स्थल. पालनपुर. __ मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. विशुद्धविमल, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिकरण श्रीशांतिजी; अंति: पुरुषोत० गुण
गायाजी, ढाल-५, गाथा-४२. २. पे. नाम. ज्ञानपंचमी सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतसिद्धने करूं; अंति: अमृतपदना थाओ धणी,
गाथा-११. २८५५५. सकलार्हत् स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. रंगविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४१२, १२४४०).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति:
(१)श्रीवीरभद्रं दीस, (२)जम्मंतर संचियं पावं, श्लोक-३७, (वि. अन्य छूटक प्रार्थनास्तुतियों के भी श्लोक इसमें
संकलित है.) २८५५६. इग्यारअंग पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. सांकलीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, ११४२७).
११ अंग पूजा, मा.गु., पद्य, आदि: परम मंगल करू सवि जिन; अंति: पूजो अंग इग्यारमो ए, ढाल-११. २८५५७. पच्चक्खाण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. राजविजय; पठ. श्रावि. मीठीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२६४११.५, १८४३१).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७७ पच्चक्खाण सज्झाय, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: धुरि समरु सासन; अंति: जिम संघले
संपति वरो, ढाल-२, गाथा-१७. २८५५८. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, प्रले. मु. आनंदविजय (गुरु पं. रविविजय);
पठ. श्राव. वलाम, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कर्ता के शिष्य द्वारा लिखित प्रत., जैदे., (२७४११.५, ११४२९). १.पे. नाम. आबुतीर्थस्तवन, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण. पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: उचो गढ आबू तणो नीची; अंति: रविविजय जयजयकरो,
ढाल-४. २. पे. नाम. अजीतजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
अजितजिन स्तवन-धनेरापुरमंडण, पंन्या. रविविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चंद्र की सोहिं चंद्र; अंति: तणो रवि
जिनगुण गाइ, गाथा-९. २८५५९. मेतारजऋषि स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४.५४१०.५, ११४४२).
मेतारजमुनि सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समदम गुणना आगरुजी; अंति: साधुतणी ए सज्झाय,
गाथा-१३. २८५६०. छन्नूजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १३४४३).
९६ जिन स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भवियण भाव धरी घणी; अंति: मान नमइ आणंद, गाथा-७. २८५६१. स्तवन, विचार व शीलांगरथ आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्र.वि. मोडे हुए पत्र., जैदे.,
(२४.५४११.५, १२४३७). १. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. भक्तिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल कहे सुणो नेमजि; अंति: भक्ति नमे नीतमेव, गाथा-८. २. पे. नाम. प्रतिक्रमणफल विचार, पृ. १अ, संपूर्ण..
प्रतिक्रमण विशे उपदेश*, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: साधु साधवि श्रावक; अंति: करजो घणो लाभ थाये. ३. पे. नाम. मुनिसुव्रतजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमुनीसुव्रत जिन; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-२ अपूर्ण तक
लिखा है.) ४. पे. नाम. शीलांगरथ, पृ. १आ, संपूर्ण.
१८ हजार शीलांगरथ-यंत्र, मा.गु., को., आदिः (-); अंति: (-). २८५६२. (+) ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४१२, ८४३१).
ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतसिद्धने करि; अंति: अमृतपदना थायो धणी,
गाथा-११. २८५६३. सामायिक विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९०१, ज्येष्ठ शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. चुली,
प्रले. पं. गुलाबचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १२४२८). १. पे. नाम. प्रात: सामायिक विधि, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. श्रावकविधि प्रकाश, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु.,सं., गद्य, वि. १८३८, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीश; अंति:
सिज्झायकरेह एहवो कहै. २. पे. नाम. सामायिक पारने की विधि, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. आवश्यकसूत्र-सामायिक पारने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: खमासमण देइ मुहपत्ती; अंति: समाचारीमै
इम कह्योछै. २८५६४. इगीयारसनो तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. मोडे गये पत्र., दे., (२२.५४१२, २४४२०).
एकादशीतिथि स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: द्वारिकानगरी समोसर्य; अंति: (-),
(अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल २ तक लिखा है.)
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२७८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८५६५. (+) मुहपत्तिपडिलेहण बोल सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८६७, चैत्र कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. पामोल्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७४१२, ५४४३).
आवश्यकसूत्र-प्रतिलेखनबोल गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सुतत्थतत्थदिट्ठी; अंति: तणत्थं मुणि बिंति,
गाथा-०५.
आवश्यकसूत्र-प्रतिलेखनविचार का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अने अर्थ तेने; अंति: बिति केहता कह्यु. २८५६६. पद्मावति छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. पंन्या. दयाविजय गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, ११४४०).
पद्मावतीदेवी छंद, मु. हर्षसागर, सं.,मा.गु., पद्य, आदि: (१)श्रीकलिकुंडदंडं श्री, (२)श्रीपार्श्व प्रतिमा; अंति: हर्ष०
__ पूजो सुखकारणी, गाथा-९. २८५६८. वीरजिन सुखडी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४११.५, १२४३१).
महावीरजिन सुखडी, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिशला राणी कहै; अंति: नवनिध घर होइ, गाथा-३५. २८५६९. (+) प्रोहितपुत्र स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७.५४१२, १०४३७).
पुरोहितपुत्र सज्झाय, उपा. सहजसागर , मा.गु., पद्य, वि. १६६९, आदि: सहज सलूणा हो साधुजी; अति: मुझ
सफल फली मन आस, ढाल-३. २८५७०. पर्वतिथि चैत्यवंदन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ६, जैदे., (२६.५४१२, ३४४१७). १. पे. नाम. आठम चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण. अष्टमीतिथि नमस्कार, पं. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चैत्र वदी आठम दिने; अंति: प्रगटे ज्ञान अनंत,
गाथा-१४. २. पे. नाम. एकादशी थोइ, पृ. १अ, संपूर्ण. एकादशीतिथि स्तुति, मु. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माधव उज्वल एकादशी; अंति: जिन० सुभक्ति अलंकरी,
गाथा-४. ३. पे. नाम. आठम थोय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, वि. १८२५, वैशाख. ___ अष्टमीतिथि स्तुति, मु. खीमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी वासर मज्झिम; अंति: खिमाविजय० सहस
अडआलजी, गाथा-४. ४. पे. नाम. एकादशीतिथि चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सासन नायक वीरजी बहु; अंति: शासने सफल करो अवतार, गाथा-९. ५.पे. नाम. पंचमी चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण. पंचमीपर्व चैत्यवंदन, पंन्या. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जुगला धर्म निवारि आद; अंति: खिमाविजय
जिनचंद. ६. पे. नाम. पंचमी थोड़, पृ. १आ, संपूर्ण.
पंचमीतिथि स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: उत्तर दिस अनुत्तरथी; अंति: जिनशासन रखवालिजी, गाथा-४. २८५७१. स्तवनचौवीसी व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, जैदे., (२३.५४१२, १५४३८). १.पे. नाम. स्तवनचौवीसी, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण, ले.स्थल. बिहार कानपरानगर, प्रले. पं. पद्मविजय, प्र.ले.पु. सामान्य,
पे.वि. श्रीसंभवनाथ प्रासादे.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: मरुदेवीनो नंद माहरो; अंति: यो तै संसार सारो रे, स्तवन-२४. २. पे. नाम. चंद्रप्रभुजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. मध्यम.
चंद्रप्रभजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिनजी चंद्रप्रभु; अंति: जय सुख लह्यो रे लोल, गाथा-८. ३. पे. नाम. औपदेशिक स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: उठी सवेरे सामायिक; अंति: साधे ते शिवपद भोगीजी, गाथा-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२७९ २८५७२. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. श्रावि. वखतबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२४.५४१२, १३४३५). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
ग. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समक्ति द्वार गभारे; अंति: क्षमाविजय० रीत रे, गाथा-६. २. पे. नाम. नवकार प्रबंध, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, पठ. श्रावि. वखतबाई, प्र.ले.पु. सामान्य. श्राव. देपाल भोजक, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: भवणवइ सातकोडी लखबहुत; अंति: इम बोले भडसींह,
गाथा-११. २८५७३. नारंगा पारसनाथ तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, ११४२७).
पार्श्वजिन स्तवन-नारंगा, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विषय त्रेवीस नीवारी; अंति: पद्मविजय कहे शुभ मति,
गाथा-९. २८५७४. मुहपत्तीना बोल, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. श्रावि. धनकोरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२.५४१२, २२४१५).
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: छकायनी जयणा करूं. २८५७५. सनतकुमार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, पठ. श्रावि. अजबुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १४४३६). सनत्कुमारचक्रवर्ति सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., पद्य, वि. १७४६, आदि: सुरपति प्रशंसा करे; अंति: लह्या सुख
अपारी, गाथा-१९. २८५७६. स्तवन व दोहा संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२, ११४२१). १. पे. नाम. २० स्थानकतपस्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत पद ध्याइय; अति: लक्ष्मी पद पाया रे, गाथा-७. २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ दोहा संग्रह, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चोथो आरे जे थया सवी; अंति: शत्रुजय सुपसाया, पद-६. ३. पे. नाम. तीर्थ आशातनात्याग स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तीर्थनी आसातना नवी; अंति: मंगल शिवमाल, पद-८. २८५७७. मौनएकादशी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२१४१२, १२४२१).
मौनएकादशीपर्व स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७९५, आदि: जगपति नायक नेमिजिणंद; अंति:
जिनविजय जयसिरी वरी, ढाल-४, गाथा-४२. २८५७८. (+) चतुर्विशतिजिन स्तुति व ज्ञानपंचमी नमस्कारविधि, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित.,
जैदे., (२०.५४१२.५, १२४२८-२९). १. पे. नाम. चोवीसजिन स्तुति, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण, वि. १८३४, आषाढ़ कृष्ण, ७, ले.स्थल. भृगुकच्छ,
प्रले. मु. मानविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. २४ जिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिन सुहाया; अंति: सौम्य सहकारकंदा,
गाथा-२८. २. पे. नाम. पंचमीतिथि नमस्कारविधि., पृ. ३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. पंचमीतिथि नमस्कार, मु. जीवविमल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमीसर पंचबाण; अंति: (-), (पू.वि. चतुर्थ नमस्कार
की दूसरी गाथा अपूर्ण तक है.) २८५७९. पच्चक्खाणसूत्र व विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२३.५४१२.५, १३४३३).
प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सूरे नमोक्कार; अंति: धारतो होय तेह जनान्य. २८५८०. आत्म भावना, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७४११.५-१२.०, ११४३८).
आत्म भावना, मा.गु., प+ग., आदि: धन्य हो प्रभु संसार; अंति: करीने वंदना होज्यो.
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२८०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८५८१. (+) सुविधिनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. पूर्वलिखित इसी स्तवन को परवर्ती कोई लिपिकार ने अपर पृष्ठ पर लिखा है., संशोधित., जैदे., (२६४११.५, ८x२९). सुविधिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहि., पद्य, आदि: मैं कीनो नहीं तो विण; अंति: लिए भगति एराग,
गाथा-५. २८५८२. शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, १४४३६).
शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोलमा श्रीजिनराज; अंति: के पंडित रुपनो लाल, गाथा-७. २८५८३. (+) स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१२, १२४३४). १. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तुति-गिरिनारमंडन, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जादवकुलमंडण नेमिनाथ; अंति: अहनिशि सा अंबाई
देवी, गाथा-४. २. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: विमलाचलमंडण जिनवर; अंति: सिद्धाचल सीरदार, गाथा-४. ३. पे. नाम. वीसस्थानकतप स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
२० स्थानकतप स्तुति, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहं सिद्ध पवयण; अंति: सानिध करे तसु चंग, गाथा-४. २८५८४. संसारीजीवस्वरूप सिज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, १०४३८).
कठियारादृष्टांत सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनवर रे गौतमगणधर; अंति: परम पदवी पामीइ,
गाथा-१४. २८५८५. स्तवन व औषध संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१५.५४१२, १६५१९). १. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. विजयलक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जइ केजो रे दधीसुत; अंति: काई नीत उगमते सुर, गाथा-५. २. पे. नाम. औषधवैद्यक संग्रह , पृ. १आ, संपूर्ण.
सं.,प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८५८६. (-) पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२३.५४१२.५, १४४२९).
पार्श्वजिन स्तव-गोडीजी, मु. नित्यसौभाग्य, सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वनाथः तव; अंति: नित्यपार्श्वगोडिः, श्लोक-११. २८५८७. स्तवन व स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ४, जैदे., (२४४१२, १६४३२). १. पे. नाम. शंखेश्वरजिन छंद, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, आ. विजयराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीय परमगुरु पाय; अंति: कुशल कमला ते
वरो, गाथा-१८. २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन-शंखेश्वर, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, ग. कुंअरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रय उठि प्रणमें पास; अति: शिष्य गुण गाया,
गाथा-११. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन-शंखेश्वर, पृ. २आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंति: पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक-५. ४. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, पृ. २आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तव-शत्रंजयतीर्थमंडन, उपा. यशोविजयजी गणि, सं., पद्य, आदि: आदिजिनं वंदे गुणसदनं; अंति:
मुखानि सततं सुखानि, श्लोक-६. २८५८८. संघमालारोपण व प्रवज्या विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२६४११.५, १३४४२).
१.पे. नाम. संघमालारोपण विधि, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
__ संघमालापरिधापन विधि, सं.,प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: मालारोपण मुहर्त; अंति: संघने धर्मदेसना देइ. २. पे. नाम. प्रवज्या विधि, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८१ प्रव्रज्या विधि, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: पूर्व शुभ वेलायां; अंति: पछै नाम थापना कीजे. २८५८९. (+) चतुर्विंशतिदंडक प्रकरण, संपूर्ण, वि. १८६१, वैशाख कृष्ण, ७, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. सिध्रोतग्राम,
प्रले. ग. नायकविजय; पठ. श्राव. देवीचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५४११.५, १४४४७).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४३. २८५९०. चतुर्थव्रतउच्चार विधि, संपूर्ण, वि. १८८३, फाल्गुन कृष्ण, ३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१२, १२४३३).
चतुर्थव्रतउचरावण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम नांद माडिई; अति: दुक्कर जं करति तं. २८५९१. पर्वतिथि विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. ५, जैदे., (२६४१२.५, १७४५०). १. पे. नाम. उजमणा विधि, पृ. १आ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: प्रथम इरियावही; अंति: पूजै ए गाथा कहीजै. २. पे. नाम. लोचकरण विधि, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: पव्वइएण लोओ कायव्वो; अंति: संदेसा० पवेयणा न करै. ३. पे. नाम. चैत्रीपूनम देववांदवा विधि, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. ___चैत्रीपूर्णिमापर्व देववंदन विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: प्रथम गोबररी गुंहली; अंति: प्रतिमाने दीजे. ४. पे. नाम. चैत्रीपूनम क्रिया, पृ. २आ, संपूर्ण.
चैत्रीपूर्णिमापर्वेशजयगिरिपूजन विधि, मा.गु.,सं., प+ग., आदि: पंच पूजा निरंतर यथा; अंति: सक्ति मुजब
ऊजमीजे. ५. पे. नाम. ज्ञानपंचमी तपग्रहण विधि, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण...
ज्ञानपंचमीतिथि तपग्रहण विधि, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम नंदि मांडियै; अंति: धर्मकर्तव्य करै. २८५९२. गुंहली संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४१२.५, १३४२८). १.पे. नाम. सुधर्मस्वामी गुंहली, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. सुधर्मास्वामी गहंली, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सजनी गुरूगुण गरूया; अंति: गुरुगुण गरूया गाईइ,
गाथा-९. २. पे. नाम. गुरुगुण गुंहली, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हुं वारी माका साहेबा; अंति: धरे हृदयामा धारी, गाथा-७. २८५९३. अष्टादशनातरांस्वरुप स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. सुरतिबंदर, प्रले. मु. त्रिलोक्यचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१२.५, १४४४३).
१८ नातरा सज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहिला समरूं रे पास; अंति: ऋद्धिविजय गुणभूरि रे,
___ढाल-३, गाथा-३५. २८५९४. सामायिकबत्रीसदोष सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७४१२, १०४३३).
सामायिक सज्झाय, मु. कमलविजय-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: गौतम गणधर प्रणमी पाय; अंति: श्रीकमलविजय
गुरु शीष, गाथा-१२. २८५९५. पाक्षिक खामणा सह टबार्थ व स्तुति, संपूर्ण, वि. १८३६, भाद्रपद शुक्ल, ४, मंगलवार, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २,
ले.स्थल. गुंदवचमहानगर, जैदे., (२६४१२, ७४३०). १. पे. नाम. पाक्षिक खामणा सह टबार्थ, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
क्षामणकसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: इच्छामि खमासमणो पियं; अंति: संसार पारगाउथं, आलाप-४. आवश्यकसूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का हिस्से क्षामणकसूत्र का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: इच्छउं हे
क्षमाश्रमण; अंति: संसार पारगाउथं. २. पे. नाम. क्षुद्रोपद्रवनिवारण स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण. __ संबद्ध, सं., पद्य, आदि: सर्वे यक्षांबिकाद्या; अंति: द्रुतं द्रावयंतु नः, श्लोक-१.
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૨૮૨
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८५९६. सोलैसुपन सिज्झाय, संपूर्ण, वि. १९२०, ज्येष्ठ कृष्ण, १, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. राजगढ, जैदे., (२५.५४१२, १९४४०).
चंद्रगुप्तनृप १६ स्वप्न सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: पाडलिपुर नामे नगर; अंति: अन्न हुसी थोडा जी, गाथा-२९. २८५९७. मान सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. कपडवणज, प्रले. श्राव. जेठा शिवलाल दोशी,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रारंभिक ८ गाथाएँ स्थूलाक्षर में तथा बाद की गाथाएँ सूक्ष्माक्षर में है., जैदे., (२६.५४१२.५, १३४३०). मान सज्झाय, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: मान न करशो रे मानवी; अंति: सांभलजो सहु
लोकरे, गाथा-२१. २८५९८. महावीरसामीरा पंचकल्याणक वधावा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६४१२.५, १२४३३).
महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणकवधावा, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदी जगजननी ब्रह्माण; अंति:
तीरथ फल महाराज वाला, ढाल-५. २८५९९. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२.५, १२४३३). १. पे. नाम. सुविधिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. सुविधिजिन स्तवन, पं. नित्यलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सूरत सुविधिजिणंदनी; अंति: सीध्यां ते सघलां काज,
गाथा-५. २. पे. नाम. सुमतिनाथ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
सुमतिजिन स्तवन, पं. नित्यलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: संगत सुमतनी कीजीए रे; अंति: प्रभूसुंलागी माया, गाथा-५. ३. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., गाथा-३ अपूर्ण तक हैं.
पं. नित्यलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: हूं तो जाउं रे जिन; अंति: (-). २८६००. पुण्यपापकुलक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६.५४१३, ४४३२).
पुण्यपाप कुलक, आ. जिनकीर्तिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: छत्तीसदिण सहस्स वास; अंति: सम्मं धम्ममि उज्जसह,
श्लोक-१६.
पुण्यपाप कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सोए वरसे छत्तीस हजार; अंति: नीव जीम परमसुख पामइं. २८६०१. पाक्षिक अतिचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२४.५४१३, १२४३०).
श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दसणमि०; अंति: (-), (प्रतिपूर्ण,
पू.वि. चारित्राचार तक लिखा है.) २८६०२. आलोचना विधि व सिद्धचक्र यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५, १४४४३). १.पे. नाम. आलोचना विधि, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
आलोयणा विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथमं ईर्यापथिकी; अंति: भक्षणे उपवास १०. २. पे. नाम. सिद्धचक्र यंत्र, पृ. ३आ, संपूर्ण, पे.वि. मंत्रों सहित.
प्रा., यं., आदिः (-); अंति: (-). २८६०३. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५, १२४२९). १. पे. नाम. बीजतिथि सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बीज कहे भव्य जीवने; अंति: नित विविध विनोद रे, गाथा-८. २. पे. नाम. असज्झाय सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. ऋषभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता आदे नमीइं; अंति: वहेला वरसो सिद्धि, गाथा-११. २८६०४. महावीरजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-२(२ से ३)=२, प्रले. मु. खुसालविजय, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. मोडे हुए पत्र., जैदे., (२४४१३, ८४२१).
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२८३
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
महावीरजिन स्तवन-२७ भवगर्भित, मु. हंसराज, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: सरसति भगवति द्यो मति; अंति:
वदे० धन मुज ए गुरु, गाथा-८६, (पू.वि. वस्तुतः प्रत प्रतिलेखक द्वारा मध्यभाग अपूर्ण है, प्रतिलेखक ने प्रारंभ से
गाथा-२५ अपूर्ण तक लिखकर तथा प्रशस्ति की अंतिम दो गाथाएँ लिखकर पूरा कर दिया है.) २८६०५. चैत्यवंदन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ७, प्रले. पं. मुक्तिसौभाग्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६.५४१२.५, १४४४०). १. पे. नाम. आठिम चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण. अष्टमीतिथि नमस्कार, पं. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चैत्र वदि आठिमने; अंति: प्रगटे ज्ञान अनंत,
गाथा-१४. २. पे. नाम. आठिमनी थोय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. अष्टमीतिथि स्तुति, मु. खीमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अठमी वासर मज्झिम रयण; अंति: खिमाविजय० सहस
अडआलजी, गाथा-४. ३. पे. नाम. एकादशीतिथि चैत्यवंदन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शासननायक वीरजी प्रभु; अंति: शासने सफल करो अवतार, गाथा-९. ४. पे. नाम. एकादशी थोय, पृ. २अ, संपूर्ण. एकादशीतिथि स्तुति, मु. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माधव उज्वल एकादशी; अंति: जिन० सुभक्ति अलंकरी,
गाथा-४. ५. पे. नाम, पंचमी चैत्यवंदन, प्र. २अ-२आ, संपूर्ण. पंचमीपर्व चैत्यवंदन, पंन्या. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: युगला धर्म निवारि; अंति: खिमाविजय जिनचंद,
गाथा-३. ६. पे. नाम. पांचमनी थोय, पृ. २आ, संपूर्ण.
पंचमीतिथि स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: उत्तर दिशथी अनूत्तर; अंति: जिनशासन रखवालिजी, गाथा-४. ७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति-घोघामंडन नवखंडा, पृ. २आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तुति-घोघाबिंदरमंडन नवखंडा, मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: घोघाबंदीर गुणमणि; अंति:
खीमाविजय जिनत्राताजी, गाथा-१. २८६०६. विजयसेठविजयासेठाणी सिझाय, संपूर्ण, वि. १९००, आषाढ़ कृष्ण, ७, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. आऊआनगर, प्रले. पंन्या. तिलोकहंस; पठ. मु. तखतहस (गुरु मु. कपूरहंस), प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२५.५४१२, १४४३६). विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी रे पंच; अंति: कुसल नित घर
अवतरे, ढाल-३, गाथा-२६. २८६०७. भगवतीसूत्र सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. कास्मीरपुर, पठ. मुली, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ प्रसादात्., जैदे., (२६.५४१३, १३४३१). भगवतीसूत्रोपरि सज्झाय, संबद्ध, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदि प्रणमी प्रेमस्य; अंति: विनयविजय
उवज्झाय रे, गाथा-२१. २८६०८. दिवाली देववंदन विधि, संपूर्ण, वि. १९०९, पौष कृष्ण, ५, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. रतलामनगर,
प्रले. श्राव. छगन गुलाबचंद दोसी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (७८९) याद्रीशां पूस्तिका दृष्टवा, जैदे., (२४४१२.५, १३४३३). दिपावली देववंदन विधि, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनवर वीरजिनवर; अंति: प्रगटे सकल गुण
खाण. २८६०९. पंचपरमेष्टी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५४१२, १४४३८).
नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १२वी, आदि: किं कप्पत्तरू रे; अंति: सेवा दीयो
नित्ति, गाथा-२५.
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२८४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८६१०. मंगल दीवो, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७७१२.५, ७X२४).
मंगल दीवो, मा.गु., पद्य, आदि: दीवो रे दीवो मंगलिक; अंति: दीप फल नैवेद्य वंदन, गाथा-५. २८६११. पंचासर पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७.५४१२.५, १०४२६).
पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परमातम परमेश्वरु; अंति: अविचल अक्षय राज,
गाथा-७. २८६१२. भगवतीसूत्र गहुंली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४१२.५, ११४३५).
भगवतीसूत्र गहुंली, संबद्ध, मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, वि. १९१२, आदि: आवो रे आवो सयणा; अंति: शुभविर रंग
चित हरखे, गाथा-७. २८६१३. चैत्यवंदनसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८३०, चैत्र शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. ऋ. मेघजी (गुरु ऋ. रत्नाजी);
पठ. श्रावि. लेहरी बाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२.५, ५४२९). - चैत्यवंदन, संबद्ध, आ. गौतमस्वामी गणधर, प्रा., प+ग., आदि: इच्छाकारेण संदिसह; अंति: ताई सव्वाइं वंदामी,
गाथा-६.
चैत्यवंदन-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: इछाइं करीने आदेस; अंति: सर्व भावाणि वांदउं. २८६१४. पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९१९, माघ शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. दलसुखराम अंबाराम भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२.५, १३४३४). ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन-बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगुरुपाय; अंति:
भगति भाव प्रशंसीयो, गाथा-२१. २८६१५. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२७७१३, ११४३५). १. पे. नाम. शत्रुजय वीनती, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
आदिजिनविनती स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: नमीय मन रंगी अति; अंति: सयल संघ सुहकरो, गाथा-२१. २. पे. नाम. तेरभव स्तोत्र, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
आदिजिन तेरभव स्तवन, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: सिरि सरसति कवियण तणी; अंति: भवि भवि अम्हे सेव,
गाथा-१७. २८६१६. (+) सामायिक विधि व छ अठाई नाम, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ.,
जैदे., (२४.५४१३, १०४२६). १.पे. नाम. सामायिक लेने की विधि, पृ. १अ, संपूर्ण.
संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: दस मनरा दस वचनरा बार; अंति: कही नोकार त्रण गणवा. २. पे. नाम. सामायिक पारने की विधि, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. ___ संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: इरियावही पडीकमी; अंति: वयजुत्तो ए पाठ केहवो. ३. पे. नाम. छ अट्ठाइ नाम, पृ. १आ, संपूर्ण.
६ अट्ठाइनाम, मा.गु., पद्य, आदि: आसाड चोमासानी अठाई; अंति: आसोनी अट्ठाई. २८६१७. आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२२४१०.५, १३४३१).
आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: माता मारुदेवीना जाआ; अंति: प्यारा रे छेल छबीला, गाथा-२०. २८६१८. संथारापोरसीसूत्र, संपूर्ण, वि. १८८५, कार्तिक शुक्ल, ८, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. कास्मीरपूर,
प्रले. पं. सुमतिसोम गणि (लघुपोसालगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीचिंतामणीपार्श्वनाथ प्रशादात् तथा चतुर्मुखप्रशादात्., जैदे., (२७४१३, १३४४०).
संथारापोरसीसूत्र, प्रा., पद्य, आदि: निसिही निसिही निसीहि; अंति: इअसमत्तं मए गहिरं, गाथा-१४. २८६१९. जिनरक्षा स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१३, १४४३४).
जैनरक्षास्तोत्र, सं., पद्य, आदि: श्रीजिनं भक्तितो; अंति: स्वजनैः जनैः, श्लोक-२१. २८६२०. पर्यंताराधना सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४१२, ७४३९).
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२८५
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पर्यंताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: ते सासयं सुक्खं, गाथा-६३.
पर्यंताराधना-टबार्थ , मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहावीर प्रते; अंति: ते सास्वता सुख पामे. २८६२१. औपदेशिक सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२.५, १४४३२). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. आसो, पुहिं., पद्य, आदि: सरसत सांमण विनवू; अंति: आसो० न आसि रे साथ, गाथा-१०. २. पे. नाम. कंथाजी की सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
__ औपदेशिक सज्झाय, रा., पद्य, आदि: कंथाजी उलंघ चलो; अंति: सुरगारा० सुख वेल है, गाथा-६. २८६२२. सुमतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. औरंगाबाद, प्रले. श्राव. खुशालचंद वाघजी; पठ. श्रावि. पानाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१३, १०४३१).
सुमतिजिन स्तवन, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: सुमति सदा दिलमें; अति: समत ठराआ सलुणे, गाथा-५. २८६२३. (+) चौवीसजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. पं. वीरविजय (गुरु पं. हेतविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४१३, १३४३१). २४ जिन स्तवन, मु. सुखविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सदगुरु चरण नमी करी ए; अंति: सुख० भविजन सेवीये ए,
गाथा-९. २८६२४. सोलसती सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, १३४३९).
१६ सती सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदि जिनवर; अंति: लेसे सुख संपदा ए,
गाथा-१७. २८६२५. चारित्रमनोरथमाला का बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२७७१३.५, १२४२७).
चारित्रमनोरथमाला-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: (१)श्रावक ग्रहस्थ वासमा, (२)केतला पुण्यवंत तव; अंति:
ईछा राखवी मनोरथ धरवा. २८६२६. स्नात्र विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१३.५, १०४३५).
समराइच्चकहा-स्नात्र विधि, संबद्ध, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: ओवणेओ मंगलं वो जिणाण; अंति:
पयाहिणं दितो, गाथा-१४. २८६२७. तीर्थ आशातनावर्जन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१३.५, ११४२६).
शत्रुजयतीर्थ स्तवन-आशातनावर्जन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथनी आशातना नवि; अंति: शुभवीर०
मंगल शीवमाला, गाथा-८. २८६२८. शेजयतीर्थकल्प सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. भगवान शीवलाल रामी; पठ. श्रावि. अमृतबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१३, ५४३०).
शत्रुजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., पद्य, आदि: अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ; अंति: लहइ सेत्तुजजत्तफलं, गाथा-२५.
शत्रुजयतीर्थ लघुकल्प-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अइमुत्तय केवलीइ कहिउ; अंति: यात्राफल पामे. २८६२९. अष्टम पापस्थानक स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२८x१३, १२४३५).
पापस्थानक सज्झाय-अष्टम, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पापथानक आठमुंकहिउं; अंति: आवे
अंग गुणवंताजी, गाथा-८. २८६३०. श्रावककरणी छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. प्रतिलेखक ने गाथा क्रमांक नहीं लिखा है., जैदे., (२५.५४१३, १२४३९).
श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करणी दुखहरणी छे एह. २८६३१. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९४०, आश्विन कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ४, ले.स्थल. अहमदावाद,
प्रले. य. दीपसागर (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८.५४१३.५, १२४४८). १. पे. नाम. ज्ञानपच्चीसी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण..
जै.क. बनारसीदास, पुहि., पद्य, आदि: सुरनर तिर्यग योनिमै; अंति: उदय करन के हेत, गाथा-२५.
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२८६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. सिंधुचतुर्दशी, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
सिंधुचतुर्दशी, पुहिं., पद्य, आदि: जैसे काहु पुरुष कौ; अंति: मुनि चतुर्दशी होइ, गाथा-१४. ३. पे. नाम. अध्यात्म भावगीता-पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-आध्यात्मिक भाव गीता, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह समें प्रणमीइं; अंति:
भवनि शिरदार थावई, गाथा-३१. ४. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मंगल तणी कल्प; अंति: पास जिनवरतणी
राजगीता, गाथा-३३. २८६३२. (+) वीराष्टक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. कल्याणसौभाग्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१३, ११४३७).
साधारणजिन स्तव, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीमन् धर्म श्रय; अंति: श्रियं देहि मे, श्लोक-८. २८६३३. वीरस्वामि २७ भव स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२८x१३, १२४३८).
महावीरजिन स्तवन-२७ भव, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: विमलकमलदललोयणा दिसे;
अंति: शोभाविजयशिष्य जय करो, ढाल-६+ कलश. २८६३४. गौतमस्वामी रास व गुरुस्थापना सूत्र, संपूर्ण, वि. १८८९, फाल्गुन शुक्ल, १, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. राजकोट, प्रले. मु. जतनकुशल; पठ. पं. दीपविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीसुपार्श्वनाथजी प्रसादात्., जैदे., (२८x१३, ११४४९). १.पे. नाम. गौतमस्वामी रास, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण. उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: विजयभद्र० इम भणे ए,
गाथा-६३. २. पे. नाम. पंचिंदिय सूत्र, पृ. ४अ, संपूर्ण.
गुरुस्थापना सूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: पंचिंदिय संवरणो तह; अंति: छत्तीसगुणो गुरु मज्झ, गाथा-२. २८६३५. ग्रहशांति स्तोत्र, नमस्कार व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, जैदे., (२८x१३.५, १३४३४). १.पे. नाम. ग्रहशांति स्तोत्र, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरुं नमस्कृत्य; अंति: पूरतोतिष्टंतु स्वाहा, श्लोक-३१. २. पे. नाम. नमस्कार, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण, वि. १९१४, माघ कृष्ण, ४.
तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: सद्भक्त्या देवलोके; अंति: सततं चित्तमानंदकारि, श्लोक-१०. ३. पे. नाम. विनय सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
आ. विमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: विनय करो चेला गुरु; अंति: थाइं गुरुने सरीखो रे, गाथा-५. २८६३६. रत्नाकर पचवीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. उजमबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१३.५, ११४३५).
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्कर प्रार्थये, श्लोक-२५. २८६३७. स्तवन व सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, गु., (२८x१३.५, १३४५४). १. पे. नाम. गौतमस्वामी अष्टक, पृ. १अ, संपूर्ण.. गौतमस्वामी छंद, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मात पृथ्वी सुत प्रात; अंति: जस सौभाग्य दोलत
सवाई, गाथा-९. २. पे. नाम. चौद सुपन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण, वि. १९१३, आश्विन कृष्ण, १४, शुक्रवार, ले.स्थल. कपडवंज,
प्रले. श्राव. प्रेमचंद पानाचंद, प्र.ले.पु. सामान्य. १४ स्वप्न सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: देव तीर्थंकर केरडी; अंति: भणतां जय जयकार ए.
गाथा-४६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३. पे. नाम. सोलसती प्रभाती स्वाध्याय, पृ. २आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा - १३ अपूर्ण तक हैं. १६ सती सज्झाय, वा. उदयरल, मा.गु., पद्य, आदि आदिनाथ आदि जिनवर अंति: (-).
२८६३८. नेमसागर गहुंली व शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७१३.५, १२X३१). १. पे. नाम. नेमसागर गहुंली, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि; गुरुजी आव्या रे; अंतिः सिववधुना सुख पावो रे, गाथा - ९.
२. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु.
. चारित्रविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांति आपो रे शांति; अंति: जासे पाप अपारजी, गाथा-५. २८६३९. ओकानुं तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, अन्य पानाचंद गोरजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५X१३,
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गाथा - १५.
२८६४१. सहजानंदी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६.५X१४, १३x३१).
१०X३७).
हुका सज्झाय, मु. पानाचंद, मा.गु., पद्य, आदि: हूको पिए ने रातडी रे; अंतिः सावक कम सुध गति जावे, गाथा- ९. २८६४०. समोवसरण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७X१३, १२X३३).
समवसरण स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि एक बार वछ देश आवजो; अंतिः ओच्छव रंग वधामणां,
सहजानंदी सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सेहेजानंदि रे आतिमा अंतिः भवजल तरीया अनेक रे,
२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा - ९ अपूर्ण तक हैं. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चड्या पड्यानो अंतर; अंति: (-).
२८६४३. भ्रमण अतिचार, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१४, ११४२८).
गाथा - ११.
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2
"
२८६४२. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४-३ (१ से ३) १, कुल पे. २, जैवे. (२७४१३.५, १२४३२). १. पे. नाम. दसमाध्ययन स्वाध्याय, पृ. ४अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. गावा- १४ अपूर्ण तक नहीं हैं. उत्तराध्ययनसूत्र-अध्ययन १० - सज्झाय, संबद्ध, मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: पसरे बहुगुण गेल, गाथा- २३.
२८७
श्रमण अतिचार, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: विशेषतश्चारित्रारी; अंति: मिच्छामि दुक्कडं.
२८६४४. आदिजिन विनती, संपूर्ण, वि. १८९५, ज्येष्ठ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. ईडर, जैदे., ( २६x१४, १५X३०). आदिजिनविनती स्तवन- शत्रुंजयतीर्थमंडन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: जय पदम जिणेसर; अंति: मुनि लावण्यसमय भणे ए, गाथा- ४७.
२८६४५. रहनेमीराजुल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६.५x१२.५, १३४३२ ).
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,
रथनेमि सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काउसग्ग ध्याने मुनि; अंति: निर्मल सुंदर देह रे, गाथा-८. २८६४६. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X१४, ११४२४).
१. पे. नाम. महावीरजिन हालरडुं, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण.
आ. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि माता त्रिशला झुलावे; अंतिः होजो दीपविजय कविराज, गाथा- १७. २. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थोपरि मोतीशाट्रंक इतिहास, पृ. ३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. प्रथम ढाल गाथा-७ अपूर्ण तक हैं.
शत्रुंजयतीर्थे मोतीशाट्रंक स्तवन- इतिहासयुक्त, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः उठी प्रभाते प्रभुः २८६४७. कलशप्रतिष्ठा विधि, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैये., (२७.५x१४.५, ११४३३).
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अंति: (-).
कलशप्रतिष्ठाविधि- आचारदिनकरे, संबद्ध, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., सं., प+ग, आदि: (१) नत्वा वामेय सर्वज्ञं, (२) प्रथम दिनशुधि लग्न; अंति: आचार जुक्त ववावे.
२८६४८. अष्टमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९३५, फाल्गुन शुक्ल, ३, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. अमृतबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२८x११.५, १०४३४).
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२८८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची अष्टमीतिथि स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जय हंसासणी शारदा; अंति: लह्यो आनंद अति घणो,
ढाल-२, गाथा-२०. २८६४९. चउदस्वपन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. सुरत बंदर, प्रले. पं. भक्तिसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशांतिजिन प्रासादात्., जैदे., (२९x१२.५, १३४५३). १४ स्वप्न सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: देव तिर्थंकर केरडी; अंति: लावण्यसमय भणे रे,
गाथा-२१. २८६५०. युगादिदेव महिम्न स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२८.५४१४, १२४४५).
युगादिदेव महिम्नः स्तोत्र, मु. रत्नशेखर, सं., पद्य, आदि: महिम्नः पारं ते परम; अंति: रमा ब्रह्मैकतेजोमयी,
श्लोक-३८. २८६५१. कल्याणमाला, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२८x१४, १०४३९).
जिनकल्याणकमाला, श्राव. आशाधर, सं., पद्य, आदि: पुरदेवादिवीरांतजिनें; अंति: यः स्यादाशाधरेङितः,
श्लोक-३४. २८६५२. जिनपंजर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२८x१४, १०x४०).
जिनपंजर स्तोत्र, आ. कमलप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: ॐ ह्रीँ श्रीँ अह; अंति: श्रीकमलप्रभाख्यः, श्लोक-२५. २८६५३. अष्टप्रकारी पूजा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२८.५४१४.५, १५४३८).
८ प्रकारी पूजा, पं. उत्तमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८१३, आदि: श्रुतधर जस समरें सदा; अंति: उत्तम पदवी पावो रे. २८६५४. अमरकुमार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२८.५४१५.५, ७४३२).
अमरकुमार सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरी भली; अंति: सीझे वंछित काजो रे,
गाथा-५२. २८६५५. स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. ग. अमृतविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१५,
१४४३७). १. पे. नाम. सकलार्हत् स्तोत्र, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: तानि वंदे निरंतरम्, श्लोक-३८. २. पे. नाम. लघुशांति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: जैन जयति शासनम्, श्लोक-१७+२. २८६५६. चैत्रीपूनम देववंदन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५४१४.५, २१४४२).
चैत्रीपूर्णिमापर्व देववंदन विधि, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाभि नरेश्वर वंश; अंति: दान अधिक उच्छरंगरे,
देववंदनजोडा-५. २८६५७. स्तोत्र व स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-२(१ से २)=२, कुल पे. २, जैदे., (२९x१४.५, १४४४२). १. पे. नाम. वर्द्धमानजिन स्तोत्र-षड्भाषामय, पृ. ३अ-३आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. महावीरजिन स्तोत्र-षड्भाषामय, आ. हीरविजयसूरि, अर्ध.,पै.,प्रा.,माग.,शौ.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति:
हीरविजयाभिधसूरिराजां, गाथा-१५, (पू.वि. मात्र अंतिम श्लोक है.) २. पे. नाम. पंचजिन स्तवन-हारबंध, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण.
आ. कुलमंडनसूरि, सं., पद्य, आदि: गरीयो गुण श्रेण्यरीण; अंति: दयैकपर पारगबोधम्, श्लोक-२३. २८६५८. स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१३, १३४३३). १. पे. नाम. अष्टमी स्तुति, पृ. २अ, अपूर्ण, पृ.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
अष्टमीतिथि स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: तस विघन दूरे हरे, गाथा-४, (पू.वि. मात्र अंतिम दो पद है.) २. पे. नाम. ऋषभजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पुहि., पद्य, आदि: आगै पूरव वारे निवाणू; अंति: कारिज सिद्धि हमारीजी, गाथा-४. ३. पे. नाम. ऋषभजिन स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२८९ आदिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी वंदु ऋषभदेव; अंति: ऋषभदास गुण गाय,
गाथा-४. २८६५९. स्तवन व चैत्यवंदन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१२.५, १३४३२). १.पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पूजाविधि मांहि भाविइ; अंति: वाचक जस कहे देव, गाथा-१७. २. पे. नाम. अनागतचोवीसी चैत्यवंदन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण, वि. १९०५, माघ शुक्ल, ११. अनागतचौवीसी चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पदमनाभ पहिला जिणंद; अंति: कहे
ज्ञानविमलसूरीस, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्वनाथ चैत्यवंदन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि, सं., पद्य, आदि: नमो देव नागेंद्र; अंति: चिंतामणिपार्श्वनाथम्, श्लोक-७. २८६६०. पंचमआरा सज्झाय व पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, ११४३०). १. पे. नाम. कलंकीरी सिज्झाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, वि. १९०४, श्रावण कृष्ण, १३, प्रले. मु. हमीरसागर,
प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. श्रीमाणभद्रजी प्रसादात्.
पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे गौतम सुणो; अंति: भाख्यौ वेण रसाल, गाथा-२०. २. पे. नाम. पंचमीस्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पंचमीतिथि स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु पंचमी दीवसे; अंति: विजयलक्ष्मी लहो संत,
गाथा-६. २८६६१. चतुर्विंशतीजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९१९, वैशाख कृष्ण, ५, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. जावालनगर, प्रले. पं. खंतिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १२४३३). २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जिणेसर प्रणम;
अंति: तास सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. २८६६२. बृहत्शांति व नेमिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२.५, १४४२८). १. पे. नाम. बृहत्शांति, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: पूज्यमाने जिनेश्वरे. २. पे. नाम. नेमनाथ स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मु. आनंदरत्न, रा., पद्य, आदि: थां पर वारी हो नेम; अंति: मुगत पधारीया रे लो, गाथा-१२. २८६६३. स्थंभनकतीर्थराज पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४२, चैत्र शुक्ल, २, बुधवार, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (२६४१२, १२४३०). जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जयतिहुयणवर कप्परुक्ख; अंति: अभयदेव विनवइ
आणंदिय, गाथा-३०. २८६६४. मृगापुत्रऋषि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४११.५, ११४४५).
मृगापुत्र सज्झाय, मु. सिंहविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीव नयर सुहामणो; अंति: सहज० तास प्रणाम रे,
गाथा-२२. २८६६५. नेमराजिमती फाग व आदिजिन छंद, संपूर्ण, वि. १९२६, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, ले.स्थल. हरजी,
प्रले. पं. खंतिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १०४३६). १. पे. नाम. नेमराजुल फाग, पृ. १अ, संपूर्ण, वि. १९२६, फाल्गुन कृष्ण, १३.
नेमराजिमती फाग, पुहि., पद्य, आदि: एक सुणले नाथ अरज; अंति: पोहता शिवपुर कि सेरी, गाथा-५. २. पे. नाम. धुलेवानाथ छंद, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण, वि. १९२६, फाल्गुन शुक्ल, १, गुरुवार.
आदिजिन छंद-धुलेवा, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदि करन आदि जगत आदि; अंति: सुरनर सब कीरत
कहे.
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२९०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २८६६६. नेमनाथ थोय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, गु., (२५४१४, १६४१८).
नेमिजिन स्तुति, क. नयविमल, मा.गु., पद्य, आदि: जादवकुल जिणंद समोए; अंति: सीवसुंदरी नार तो, गाथा-४. २८६६७. शिवपुरनगरवर्णन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४१३, १२४२६).
शिवपुरनगरवर्णन स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगौतम प्रीछ्या; अंति: पामे सुख अथाग हो,
गाथा-१६. २८६६८. (+) अष्टमीतिथि स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १,प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४१३.५, १५४२९).
अष्टमीतिथि स्तुति, वा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी जिन चंद्रप्रभ; अंति: राज० अष्टमी पोसह सार,
गाथा-४. २८६६९. सोलसती सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४१३.५, १४४२८).
१६ सती सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदि जिनवर; अंति: लेसे सुख संपदा ए,
गाथा-१७. २८६७०. गोचरी दोष सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९५४, पौष कृष्ण, २, रविवार, मध्यम, पृ. २, पठ. सा. वीराजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, ४४३४).
गोचरी दोष, प्रा., पद्य, आदि: आहकमी १ उदेसीय २; अंति: सरीरवोसेणट्ठाए.
गोचरी के ४२ दोष-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: आ० आधा कमी ते कहियै; अंति: १० मिश्र दोष जाणवा. २८६७१. गहुँली व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२९x१४, १३४४०).
१. पे. नाम. महावीरजिन गहुँली, पृ. १अ, संपूर्ण. ____ पुहि., पद्य, आदि: गुरु मारो दीइ छ; अंति: पामीजे अमर विमान, गाथा-४. २. पे. नाम. गौमतगणधर गहुंली, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. गौतमगणधर गहुंली, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिधांजी रे कामनी; अंति: वीर सासन सिणगार रे,
गाथा-८. ३. पे. नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण. मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समदम गुणना आगरुजी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
गाथा-५ अपूर्ण तक लिखा है.) २८६७२. छजीवा की ढाल, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, अन्य. सा. झमकू, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, २०४३९-४१). इक्षुकारसिद्ध चौपाई, मु. खेम, मा.गु., पद्य, वि. १७४७, आदि: परम दयाल दया करी आसा; अंति: खेम भणै०
कोडि कल्याण, ढाल-४. २८६७४. गोचरी आलोअण विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. घाणोरा, प्रले. मु. शिवसागर; मु. हरचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२.५, १६x४८).
गोचरी आलोअण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: गोचरीथी आवीने पात्रा; अंति: ए उपराठी पडिलेहण छै. २८६७५. दशपचक्खाण, संपूर्ण, वि. १९०३, माघ शुक्ल, ८, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. अजयदुर्ग, प्रले. मु. जवानकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१३, ११४२७).
प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सूरे नमुक्कार; अंति: (१)सहसागारेणं वोसिरइ, (२)आगार ६ कहिवा. २८६७६. आठमनुसज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२२४१३.५, १९४२८). __ अष्टमीतिथि सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मद आठ महामुनि वारिये; अंति: अविचल पदवी नरनारी
रे, गाथा-१०. २८६७७. आदिजिन लावणी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४१३, १०४३०).
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२९१
आदिजिन लावणी, मु. मूलचंद्र, पुहिं., पद्य, वि. १८६३, आदि: सुनीओ बातां राव सदा; अंति: ऋषभदास का हे चेला, गाथा- ९.
जैदे.,
२८६७८. (+) गौतमस्वामी रास व छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्रले. मु. हीरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, (२५.५x११.५, १२४३८).
१. पे. नाम गौतमस्वामी रास, पृ. १अ ४आ, संपूर्ण.
आ. विजयभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंतिः विजयभद्र० ईम भणे ए. गाथा - ७१. २. पे. नाम गौतमस्वामी रास, पृ. ४आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनेसर केरो शीश; अंतिः मन वंछित फल दातार,
गाथा - १०.
२८६७९. पार्श्वजिन पंचकल्याणकपूजा डाल, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २, जैदे., ( २४.५x१३.५, ११x२५ ). पार्श्वजिन पंचकल्याणकपूजा ढाल, हिस्सा, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: रमति गमती हसुनें; अंतिः श्रीशुभवीर वचन साली, गाथा - ९.
२८६८०. संखेस्वरजी छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. खेमाविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२५x१२, ९-१०x२४).
पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, ग. कुंअरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी प्रणमे पास; अंति: शिष्य गुण गाया,
गाथा - ११.
२८६८१. अष्टप्रकारी पूजा, संपूर्ण, वि. १९१७, श्रावण शुक्ल, १, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. गोवरधन बेचर भोजक; पठ. श्राव. उगमसी सा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१२.५, १३४३४-३७ ).
८ प्रकारी पूजा, पं. उत्तमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८१३, आदि: श्रीश्रुतधर जस समरुं; अंति: उत्तम पदवी पावो रे. २८६८२. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे ४, जैदे., (२५x१२, १९४०).
१. पे. नाम. सीयल सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
शीयलव्रत सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: सिल हे परधान सब पर; अंति: सियल सुख हे नीदांन,
गाथा - ६.
२. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. मानविजय, पुहिं, पद्य, आदि: क्यौं करि भक्त करूं; अंतिः सुभ गत होय न मेरी, गाथा ५.
"
३. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ संपूर्ण.
गौतमस्वामी महावीरजिनविरह स्तवन, मु. खिमाविजय, पुहिं., पद्य, आदि: तो सुं प्रीति बंधानी; अंति: जोसूं जो मिलाणी, गाथा- ९.
४. पे नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन-राजनगरमंडन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वर्धमान जिनराजीआ रे; अंतिः प्रभु खेम नीसदीस रे, गाथा - १४.
२८६८३. गुरुगुण गहुंली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल. धोलेराबंदर, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१३.५, १०x२७).
गुरुगुण गहुली, मु. कवियण, रा., पद्य, आदि: एकन अमुलक मेतो; अंतिः ए जैन शासन रीत रे. २८६८४. रोहिणीतप स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. नरभेराम, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२८.५x१२.५,
"
१३X३६).
रोहिणीतप स्तवन, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १७२०, आदि: सासनदेवी सांमणी ए; अंति: हिव सकल मन आस्या फली, डाल- ४, गाथा २६.
२८६८५. पार्श्वनाथ स्तुति, संपूर्ण, वि. १९२६, आश्विन कृष्ण, ५, शुक्रवार, मध्यम, पृ. १, पठ. श्रावि. जडावबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२७४१२.५, १२x२९).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: नै दें कि धपमप; अंति: दिशतु शासनदेवता,
श्लोक-४. २८६८६. चरणसित्तरीकरणसित्तरी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७.५४१३, १८४५४).
चरणसत्तरी-करणसत्तरी गाथा, प्रा., पद्य, आदि: वय ५ समण धम्म १०; अंति: ४ चेव कर्णतु, गाथा-२.
चरणसत्तरी-करणसत्तरी गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: वय क० पांच महाव्रत; अंति: १४० बोल पखी चोमासी. २८६८७. चैत्यवंदन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. पालिताणा, लिख. मु. कल्याणविमल,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१२, ११४३५). १. पे. नाम. साधारणजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जय स्वामी तुं जगदीसर; अति: कमल जगमा हुओ सनाथ, गाथा-५. २. पे. नाम. साधारणजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: जगन्नाथने ते नमै हाथ; अंति: नित्ये जपो जैनवाणी, गाथा-११. २८६८८. साधुप्रतिक्रमण सूत्र, संपूर्ण, वि. १९५४, वैशाख शुक्ल, १३, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. धोलेरा बंदर, प्रले. श्राव. दुलभजी सुंदरजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१३.५, १७४४०).
पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: नमो अ० करेमि; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं. २८६८९. नमीपवज्जाज्झयण, संपूर्ण, वि. १९५०, पौष कृष्ण, ११, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. गिरधर व्रा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५, १४४३४). उत्तराध्ययनसूत्र- अध्ययन ९, हिस्सा, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., पद्य, आदि: चइऊण देवलोगाओ उवयन्न; अंति: जहा से
नमी रासरिसि, गाथा-६२. २८६९०. आठ कर्मनी १५८ प्रकृति विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५४१२, २१४४८-५८).
८ कर्म १५८ प्रकृति विचार, मा.गु., गद्य, आदि: आठ कर्म ते केहा; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
__ अपूर्ण. २८६९१. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १३४३९). १. पे. नाम. रोटला सिझाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
तपसज्झाय, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सर्व देव देवतें प्रत; अंति: पास धीर मुनि गाजे, गाथा-११. २. पे. नाम. रूप सिझाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
औपदेशिक गीत, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: देस मुलकने रे परगणे; अंति: दीपविजय० ना मान, गाथा-११. २८६९२. देवसिराइप्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १५४२८).
प्रतिक्रमण विधि , संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: इरिया कुसुमिणुस्सग्ग; अंति: पछे सिज्झाय करै. २८६९३. नेमिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१३.५, ८x२२).
नेमराजिमती स्तवन, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: संजम लेउंगी साथ पीआ; अंति: मुख बोलो जयकार, गाथा-७. २८६९४. सुबाहुकुमार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१२, १३४३३).
सुबाहुकुमार सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: हवे सुबाहु कुमार एम; अंति: विपाकमा अधिकार, गाथा-१७. २८६९५. सत्ताणुं बोल, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५४११.५, १६x४२-४६).
__ सत्ताणुं बोल, मा.गु., गद्य, आदि: आगमीया कालरा केवलीया; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २८६९६. स्थूलिभद्र सज्झाय व हरीयाली, संपूर्ण, वि. १८६२, ज्येष्ठ कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. अमनगर,
प्रले. पं. खांतीसोम; पठ. श्रावि. वदनबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १४४३१). १. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चंपो मोर्यो हे आंगणे; अंति: शीलथी लहिये सुख अपार,
गाथा-६. २. पे. नाम. आध्यात्मिक प्रहेलीका, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९३ आध्यात्मिक हरीयाली, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: आंबा डाले सुंडली तस; अंति: तस समजण छे रूडी,
गाथा-४. २८६९८. कल्याणमंदिर की भाषा, संपूर्ण, वि. १८५८, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. मणास, प्रले. मु. राजेंद्रकीर्ति, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १२४३२-४०). कल्याणमंदिर स्तोत्र-पद्यानुवाद, जै.क. बनारसीदास, पुहि., पद्य, आदि: परमज्योति परमातमा; अंति: कारन
समकित शुद्धि, गाथा-४४. २८६९९. महावीरजिन जन्मकल्याणक स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-१(१)=३, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२५४१३, ९४२४). महावीरजिन स्तवन-जन्मकल्याणक, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. ढाल-१ गाथा- ५ से
ढाल-४ गाथा-९ तक है.) २८७००. सीमंधजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. धोलेरा, प्रले. श्रावि. हकुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५४१३, १०४३१).
सीमंधरजिन स्तवन, मु. हंस, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमधरस्वामीजी; अति: हंस० दरीसण दीजे नाथ, गाथा-१६. २८७०१. अंतरीक पार्श्वनाथजीनो छंद, संपूर्ण, वि. १९४२, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. लखनेउ, प्रले. मु. गोकुलचंद्र ऋषि (विजयगच्छ पूर्णिमापक्ष), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीऋषभजिनालये., जैदे., (२४४१२, ११४३८). पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, वा. भावविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मात मया करी; अंति: भणै जयो देव जय
जयकरण, गाथा-५१. २८७०२. चोवीसजिनना आंतरानो स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४११.५, ११४३३).
२४ जिन आंतरा स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७३, आदि: सारद सारदना सुपरे; अंति: राम० वर्यो
__ जयकार, ढाल-४+कलश, ग्रं. ६६. २८७०३. सुकनावली व सिद्धाष्टक, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, कुल पे. २, प्रले. मु. रघुनाथ (गुरु
मु. मंगलसेन), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२.५, १३४३१). १. पे. नाम. रमलपारसी सकुनावली विचार, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. ___रमलशीकलांसुकनावली, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: राजा राज प्रजा सुखी, (पू.वि. शुकन प्रश्न प्रारंभ से १५
तक नहीं है.) २. पे. नाम. सिद्धाष्टक, पृ. ३आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: अखंड चिदानंद देवा; अंति: नमस्ते नमस्ते अमेयं, श्लोक-८. २८७०५. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ३, प्रले. पं. लक्ष्मीविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६४१३.५, १३४३३). १. पे. नाम. निंदानी सज्झाय, पृ. २अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: समयसुंदर सुखकार रे,
गाथा-५, (पू.वि. मात्र प्रथम पाद नहीं है.) २. पे. नाम. सिखामण स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. आत्महितशिक्षा सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजी साथे प्रीत; अंति: उदयरतन इम बोले रे,
गाथा-६. ३. पे. नाम. नमिराजानी सीज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण. नमिराजर्षि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जी हो मीथुला नयरीनो; अंति: समय० पाम्या भव
पार, गाथा-७. २८७०६. (+) साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र.वि. लिपि-देवनागरी+गुजराती., टिप्पण
युक्त विशेष पाठ., दे., (२४.५४१३.५, १५४३२).
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२९४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह श्वे.मू.पू., संबद्ध, प्रा., प+ग., आदि: करेमि भंते सामाइय; अंति: (-), (प्रतिपूर्ण,
पू.वि. करेमि भंते, इच्छामि ठामि और देवसिक अतिचार मात्र है.) २. पे. नाम. संक्षिप्त दीक्षा विधि, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
दीक्षा विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: प्रथम सचित्त वस्तु; अंति: वोसिरामि वार ३ फेरवो. २८७०७. स्तवन, स्तुति, सझाय, मंत्र व यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ५, जैदे., (१६४१३.५, १९x१८). १.पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
वा. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमधर साहिबा हु; अंति: होज्यो मुझ चित हो, गाथा-९. २. पे. नाम. मंत्र संग्रह*, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अति: (-). ३. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: गौतम नाम प्रभात जपो; अंति: सुख घमंड फतेरी फतेरी, गाथा-१. ४. पे. नाम. उपदेस सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
अभव्य सज्झाय, मु. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: उपदेश न लागे अभव्यने; अंति: उत्तम संग निधान रे, गाथा-६. ५. पे. नाम. यंत्र संग्रह", पृ. २आ, संपूर्ण.
___ मा.गु.,सं., को., आदि: (-); अंति: (-). २८७०९. आध्यात्मिक पद व अष्टक आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्रले. मु. जसराज (गुरु
पं. विद्याविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १३४४०). १. पे. नाम. अध्यात्म स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: अवसर बेर बेर नही आवे; अंति: समर समर गुण गावे,
गाथा-३. २. पे. नाम. आध्यात्मिक हरीयाली, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: नानी वहुने पर घेर; अंति: गोरी काने झबुके झाल, गाथा-३. ३. पे. नाम. अध्यात्म स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: अवधु राम राम जग गावे; अंति: रमता अंतर भमरा, गाथा-४. ४. पे. नाम. भैरवक्षेत्रपाल अष्टक, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
__ भैरवाष्टक, आद्य शंकराचार्य, सं., पद्य, आदि: एकं खड्गागहस्तं पुनः; अंति: सिद्धिमवाप्नुयात्, श्लोक-१०. २८७१०. सीमंधर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. पालणपुर, पठ. पं. लाभविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १७X४६). सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधर विनती;
अंति: जसविजय बुध जयकरो, ढाल-११, गाथा-१२५, ग्रं. २००. २८७११. मुहपत्ति के पचासबोल व विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।,
जैदे., (२५.५४१३). १. पे. नाम. मुहपत्ती पचासबोल, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: त्रसकायनी रक्षा करूं. २. पे. नाम. विचार संग्रह *, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८७१२. रोहिणीतप स्तुति, सझाय व स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ३, जैदे., (२७.५४१३,
१३४३९). १. पे. नाम. रोहणी थई, पृ. २अ, अपूर्ण, पृ.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
रोहिणीतप स्तुति, मु. लब्धिरूचि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: देवी लब्धिरूची जयकार, गाथा-४,
(पू.वि. मात्र अंतिम दो पाद है.) २. पे. नाम. मरुदेवीमाता सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: एक दिन मरुदेवी आइ; अंति: प्रकटे अनुभव सारि रे, गाथा-१८. ३. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन-वसंत पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चाल सखि शेत्रुजागिर; अति: मोहन० जनम तारो दास, गाथा-५. २८७१३. नेमिजिन स्तवन व बारमास समयदर्शन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२.५, ११४३१). १. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: नेमजी सुणो अमारी अरज; अंति: बाल तारो तरररररररे, गाथा-८. २. पे. नाम. बारहमास समयदर्शन, पृ. १आ, संपूर्ण.
१२ मास समयदर्शन, मा.गु., गद्य, आदि: पोससुदमां कलाक ९; अंति: मागसर० क०९ मिनिट १२. २८७१४. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१३, १२४३१). १. पे. नाम. वीर स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मु. मुक्तिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: त्रिशलानंदन वीरजी रे; अंति: देजो शांति सधीर, गाथा-७. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन , पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
उपा. विनयविजय , मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: सिद्धारथनारे नंदन; अंति: विनयविजय गुण गाय, गाथा-५. ३. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मारु मन मोह्यु रे; अंति: कहेता नावे हो पार, गाथा-५. २८७१५. सोलसति सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२, १२४३९).
१६ सती सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: आदिनाथ आदि जिनवर; अंति: लेसे सुख संपदा ए,
गाथा-१७. २८७१६. स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१३, ९४३२). १. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अंगदेश चंपापुरी वासी; अंति: ते घरे नित्य दीवाली, गाथा-४. २. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., गाथा-१ अपूर्ण तक है.
वा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी जिन चंद्रप्रभ; अति: (-). २८७१७. (+) स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
(२७४१२.५, १३४३६). १. पे. नाम. अष्टमीनी थोई, पृ. २अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. ___अष्टमीतिथि स्तुति, वा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: राज० अष्टमी पोसह सार, गाथा-४,
(पू.वि. गाथा-१ अपूर्ण से है.) २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पास जीणंदा वामानंदा; अंति: गाती वीर घरे आवती, गाथा-४. २८७१८. (+) रहनेमिमुनि सज्झाय व कुंथुजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४२, फाल्गुन शुक्ल, ३, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २,
ले.स्थल. उंझा, प्रले. श्राव. वाडीलाल नागरदास शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीकुंथुनाथप्रसाद., संशोधित., दे., (२७.५४१३, १५४३७). १. पे. नाम. रहनेमि सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
रथनेमि सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काउसग्ग ध्याने मुनि; अंति: निर्मल सुंदर देह रे, गाथा-८. २. पे. नाम. कुंथुनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
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२९६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची कुंथुजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: साहेला हे कुंथु; अंति: जस० परें कहे हो लाल,
गाथा-५. २८७१९. सतीचंदणबालाजी की ढाल, संपूर्ण, वि. १९वी, भाद्रपद शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१२, १८४३८).
चंदनबालासती चौपाई, मु. रतनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: फणिमणि मंडित नील तन; अंति: रतनचंदजी कीधी ढाला,
ढाल-१३. २८७२०. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. अंबा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. सकलार्हत् के मूल नियत पाठ के बाद अन्य विद्वान रचित मांगलिक रूप पाठ मिलते हैं., जैदे., (२७.५४१२.५, १२४४५). सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति:
(१)सजयतिजिराउलीपार्श्वः, (२)भावतोहं नमामि, श्लोक-३७. २८७२१. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२७.५४१३, १५४४७). १. पे. नाम. नववाडि सज्झाय, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: श्रीगुरुने चरणे नमी; अंति: हो तेहने जाउ भामणे,
ढाल-१०. २. पे. नाम. शीयलविषये औपदेशिक सज्झाय, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-६ अपूर्ण तक हैं.
औपदेशिक सज्झाय-शीयलविषये स्त्रीशिखामण, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: एक अनोपम रे सीखामण;
अंति: (-). २८७२२. सज्झाय व स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-५(१ से ५)=१, कुल पे. ३, जैदे., (२७७१३, १०४३१). १.पे. नाम. पोसानी सज्झाय, पृ. ६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा-३ अपूर्ण से हैं.
मन्हजिणाणं सज्झाय-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: निच्चं सुगुरु वएसेणं, गाथा-५. २. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण.
मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गौतम बोले ग्रंथ; अंति: संघना विघन निवारी, गाथा-४. ३. पे. नाम. रोहणीतप स्तुति, पृ. ६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., मात्र प्रथम पद है.
रोहिणीतप स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नक्षत्र रोहिणी जे; अंति: (-). २८७२३. दशवैकालिकसूत्र-१ से २ अध्ययन व जैनधार्मिक श्लोकसंग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे.,
(२६४१२.५, १२४३८). १. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र- द्रुमपुष्पिका व सामन्नपुव्व अज्झयण, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
दशवकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २. पे. नाम. क्षुद्रोपद्रवनिवारण श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण, पे.वि. श्लोकांक १ क्रम में है.
क्षुद्रोपद्रवनिवारण स्तुति, संबद्ध, सं., पद्य, आदि: सर्वे यक्षांबिकाद्या; अंति: द्रुतं द्रावयंतु नः, श्लोक-१. ३. पे. नाम. साधुअतिचार चिंतवन गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण, पे.वि. श्लोकांक दूसरे क्रम में है. ____ आवश्यकसूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह की अतिचारचिंतवन गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सयणासणन्नपाणे;
अंति: वितहायरणे अईयारो, गाथा-१. ४. पे. नाम. साधु गोचरी आलोचना गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण, पे.वि. श्लोकांक तीसरे क्रम में है.
प्रा., पद्य, आदि: अहो जिणेहिं असावज्जा; अंति: साहु देहस्सधारणा, गाथा-१. २८७२४. पार्श्वजिन स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, १२४२९).
पार्श्वजिनाष्टकम्, मु. रत्नसिंह, सं., पद्य, आदि: कल्याणकेलिसदनाय नमो; अंति: जनताभिमतार्थसिद्ध्यै, श्लोक-८. २८७२५. नेमराजिमती सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२.५, १४४२७).
नेमराजिमती सज्झाय, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल गोखे रहीने; अंति: वसीआ शिवपुर सेरे रे, गाथा-१३. २८७२६. अजितनाथ लावणी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२६४१३, ११४३०).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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अजितजिन लावणी, मु. केशवलाल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअजितनाथ महाराज; अंतिः आणी बहाल दुखडा हजो, गाथा - ३, (वि. गाथाक्रम अव्यवस्थित है. )
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२८७२७. अष्टमीदिन स्तुति, संपूर्ण, वि. १९४१, आषाढ़ कृष्ण, १४, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल. धोलेरा, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१३, १०x२९).
अष्टमीतिथि स्तुति, वा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अठम जिन चंद्रप्रभु; अंति: राज० अष्टमी पोसह सार, गाथा-४, ग्रं. १८.
२८७२८. तपविधि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. जेठालाल चुनिलाल लहिया, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२६१२.५, १५४४२).
१. पे. नाम. १२ देवलोक गरणुं, पृ. १अ, संपूर्ण.
१२ देवलोक गणणुं, मा.गु., सं., गद्य, आदिः ॐ ह्रीँ नमो सौधर्म; अंतिः नोकारवालि २०.
२. पे. नाम. समोवसरणनुं गरणुं, पृ. १आ, संपूर्ण.
समवसरणतप विधि, मा.गु. सं., प+ग, आदिः भवजिन नाथाय नमः; अंतिः खमासमण चोथी बारी.
३. पे. नाम. सिद्धितप गुरणं, पृ. १आ, संपूर्ण.
सिद्धितप विधि, मा.गु. सं., प+ग, आदिः सर्वं मुक्ति मोक्ष; अंति: गुण धारकाय नमः.
२८७२९. पार्श्वनाथ लावणी, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल, इल्लादूर्ग, जैदे., (२५x१२, १९x४७).
पार्श्वजिन लावणी-गोडीजी, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगत भविक जिन पास; अंति: गौडीचा सुख कंदा,
गाथा - १६.
२८७३०. शत्रुंजयगिरि स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. हरजीवन प्र.ले.पु. सामान्य, जैये. (२७x९१२.५, १०X३०).
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पं. शुभवीर, मा.गु., पद्य, आदिः संवत एक अठलंतरे रे ज; अंतिः न मेलण जाय हो जिनजी,
गाथा- ७.
२८७३१. राईप्रतिक्रण विधि, पचक्खाणसूत्र व पच्चक्खाण आगारसंख्या गाथा सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. ११वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., ( २६.५X१३, ११×३३).
१. पे. नाम. राईप्रतिक्रमणनिरूपकगाथा सह टबार्थ, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण, वि. १८८७, श्रावण शुक्ल, ९, गुरुवार,
ले. स्थल. आसोप, प्रले. पं. कीस्तुरहंस.
राई प्रतिक्रमणनिरूपक गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कुसुमिण दुसुमिण राईय; अंतिः भगवान्हं तिबेमि, गाथा - ०५. राई प्रतिक्रमणनिरूपक गाथा-टबार्थ, रा., गद्य, आदि: इच्छाकारेण संदि०; अंतिः साधुने त्रीकाल वंदणा. २. पे. नाम. पंचक्खाणसूत्र संग्रह, पृ. २अ, संपूर्ण.
प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सूरे उग्गए अभत्तट्ठ; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्.
३. पे. नाम. पचक्खाण आगार गाथा सह टबार्थ, पृ. २आ, संपूर्ण.
पच्चक्खाण आगारसंख्या गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: दो नवकारसी छ पोरसी अंतिः विगाइ नियमिट्ठ. प्रत्याख्यान आगारसंख्या गाथा- अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२८७३२. (+) आलोयणा सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
१७X४०).
२९७
जैदे., (२६x११.५,
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शल्यछत्रीशी सज्झाय, मु. जेमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत सिद्धने आयरीय अंतिः सांहमो देखो रे,
गाथा - ३६.
"
२८७३३. लघुशांति व स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ९०-९ (१ से ९) = १, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५x१३, १२४३७),
१. पे नाम. लघुशांति, पृ. १०अ १०आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है., श्लोक-३ अपूर्ण से हैं. आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: जैनं जयति शासनम्, श्लोक १७+२.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. कल्लाणकंद स्तुति, पृ. १०आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढमं; अंति: अम्ह सया पसत्था, गाथा-४. ३. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १०आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., गाथा-१ अपूर्ण तक है.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: (-). २८७३५. नेमराजुल स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १, जैदे., (२३४१३, १०४३१).
नेमराजल सज्झाय, म. अमृत, मा.ग., पद्य, आदि: राजल गोखे रहीने; अंति: वसीआ शिवपुर सेरेरे, गाथा-१३. २८७३६. एकादशी व शाश्वताजिन स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२, ११४३५).
१. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
___ मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: सदा तै वौमादेविइ, गाथा-४. २. पे. नाम. शाश्वतजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ चंद्रानन वंदन; अंति: पद्मविजय नमे पायाजी, गाथा-४. २८७३७. शनिश्चर छंद व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, पठ. मु. वीरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२६४१२, १६x४२). १. पे. नाम. शनीसर छंद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, प्रले. मु. लालजी ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य.
शनिश्चर छंद, क. हेम, मा.गु., पद्य, आदि: अहि नर असुर सुरपति; अंति: जपतां अलगी टाले आपदा, गाथा-१६. २. पे. नाम. बृहस्पति स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ॐ नमो बृहस्पतिः; अंति: सुप्रसनं सुजायते. ३. पे. नाम. निरंजन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिन जन्ममहोत्सव पद, मु. ज्ञानविमल, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभुजीको जनम भयो; अंति: ज्ञान०प्रभु ध्याओ रे. २८७३८. सिखामण छत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९४१, मार्गशीर्ष शुक्ल, ९, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. श्रावि. डोसीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२.५, ११४३०-३४). उपदेशछत्तीसी, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सांभलजो सजन नरनारि; अंति: विर० वांणि मोहन वेलि.
गाथा-३६. २८७३९. सज्झाय व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ७, जैदे., (२५४१२, २०४४६-४९). १.पे. नाम. नागश्री सज्झाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
रा., पद्य, आदि: नागसरिये ब्राह्मणी; अंति: अवतारो कर्मसु डर रे, ढाल-३, गाथा-३९. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. इरियावही सज्झाय, संबद्ध, ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत सिध आचारज; अंति: जैमल० अमरापुरमै
जासी, गाथा-१९. ३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: डुंगरसुं एक जडी; अंति: कबीर० दीयो जलाइरे, गाथा-६. ४. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. टेलाराम, पुहिं., पद्य, आदि: तेहीजै काहिक सर्ण; अंति: अजरामर पद पाउरे, गाथा-६. ५. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: रो रो रे सांवलीया; अंति: राखी प्रीत पुराणी, गाथा-४. ६. पे. नाम. क्षमाश्रमण पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: करत तप या रित धन मुन; अंति: मोखै वणी न जाय, गाथा-३. ७. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: लावो लावोने समजाय; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २८७४०. सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१३, १२४३२).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: ओ मारा मंदिर स्वामी; अति तो वेगला जइ वस्या. २८७४९. राजिमतीरथनेमि सज्झाब, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैवे. (२६४१२.५, १४x२४-२६). राजिमतीरथनेमि सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, आदि: बाईसमा श्रीनेमजी; अंति: रायचंद० मन हुलसाणां,
,
गाथा - २५.
२८७४२. १) गहुंली व बार मासो, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५४१२.५, २२४४६).
१. पे नाम, गुरुगुण गहुंली, पृ. १अ, संपूर्ण,
मु. रतन, रा., पद्य, आदि: सखी बोले सजनी आजे; अंति: गावे रतन मुनी आजे, गाथा - ६.
२. पे नाम, बारमासो, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
अज्ञा., गद्य, आदि: (); अंति: (-),
२. पे. नाम. बोल संग्रह *, पृ. १आ, संपूर्ण.
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हीरविजयसूरिगुरु बारमासो, मु. धनमुनि, मा.गु., पद्य, आदि वरस असाडो उमावीयोजी; अंति: उगो चंदा भाणो हो,
गाथा - १८.
२८७४३. २४ तीर्थंकर आनुपूर्वी व बोल संग्रह, संपूर्ण वि. १९५३ आश्विन शुक्ल, १, बुधवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले. स्थल. पालणपुर, प्रले. मु. चनणमल ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ऋषि जेष्टमलजी की प्रति पर से प्रतिलिपि की गयी है., जैवे., (२५.५x१२, २२४६२).
१. पे नाम. २४ तीर्थंकर आनुपूर्वी भांगा संख्या, पृ. १अ, संपूर्ण.
२८७४६. महावीरस्वामीनु हालरीयु, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५.५X१३.५, ११x२६).
२९९
प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि (-); अंति: (-).
२८७४४. साधु अतिचार, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. पुर्णानगर दक्षिणदेश, जैदे., (२५.५x१२, ११३७). श्रमण अतिचार, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि० विशेषतश्चारि अंतिः मिच्छामि दुक्कडं, ग्रं. ७५. २८७४५. गिरनार-शत्रुंजयतीर्थ फाग, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६X१३, ७X३२).
"
गिरनारशत्रुंजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारो सोरठ देश देखाओ; अंतिः म्यानविमल० चित धरीया, गाथा ७.
महावीरजिन हालरडुं, आ. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माता त्रिशला झुलावे; अंतिः होजो दीपविजय कविराज,
२७५५५).
१. पे नाम. सहस्रनाम पूजा, पृ. १अ ३अ, संपूर्ण.
गाथा - १७.
२८७४७. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल. जपुर, जैदे., (२५.५x१२, १६३८ ).
औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जाग रे सुग्यानी जीव; अंति: लहिज्यो सुख खेम, गाथा-१९. २८७४८. पिस्तालीस आगम गरणु, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २४x१३, १२x१४). ४५ आगम गणणुं, मा.गु., सं., गद्य, आदि: ४५ दिवस लागटकर एनी; अंति: उपंगसूत्राय नमः .
२८७४९. (+) सहस्रनाम पूजादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, प्र. वि. संशोधित, जैवे., (२५.५X१२,
,
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जिनसहस्रनामयंत्र पूजा, मु. ब्रह्मशांतिदास, सं., प+ग, आदिः श्रीवर्द्धमानमानम्य; अंतिः पूजां मनोहरां.
२. पे. नाम. २४ तीर्थंकर स्तवन मंत्राक्षरफलं, पृ. ३आ, संपूर्ण.
२४ तीर्थंकर मंत्राक्षरफल, मा.गु., सं., गद्य, आदिः ॐ ह्रीं श्रीं ऐं लोग; अंतिः प्रतिष्टा कीरत वधै,
३. पे. नाम. वसुधारासुणन विधि, पृ. ३आ, संपूर्ण.
वसुधारा स्तोत्र श्रवणविधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: दीवाली दिने अर्द्ध; अंतिः कार्य सिद्धि स्यात्. २८७५०. (-) मुनिविहार घौवली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. श्रावि. हरकुंवर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अशुद्ध पाठ.,
वे. (२५x१३, ११x२७).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मुनिविहार गहुली, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर पापाये; अंति: हवे शुकहं बारंबार, गाथा-१२. २८७५१. (+) अष्टानिका स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, जीर्ण, पृ. ३, ले.स्थल. पालीताणा, प्रले. श्रावि. हकुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. शेठ मोतीसा की धर्मशाला में रूककर प्रत लिखी गयी है., संशोधित., जैदे., (२५४१३, १२४३०). ६ अट्ठाइ स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८३४, आदि: श्रीस्याद्वाद शुद्धो; अंति: बहु संघ मंगल पाइया,
ढाल-९. २८७५२. स्तवन व सवैया संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५४१२.५, १४४५६). १. पे. नाम. सुविधिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. सुविधिजिन स्तवन, मु. जैनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सुविधि जिणंद कु पूजि; अंति: जिनेंद्र वदे नित मेव,
गाथा-६. २. पे. नाम. पदमजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पद्मप्रभजिन स्तवन, मु. प्रधानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आज अनोपम वासर उग्या; अंति: प्रधान० दोलत पाई,
गाथा-५. ३. पे. नाम. चोवीसजिन सवैया, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. २४ जिन सवैया, पुहिं., पद्य, आदि: प्रथमेस जिनेश तुहारी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
गाथा-५ अपूर्ण तक है.) २८७५३. पच्चक्खाणसूत्र, अपूर्ण, वि. १८९७, ज्येष्ठ शुक्ल, ११, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, ले.स्थल. राजनगर, प्रले.
खुशीयालजी लहिया; लिख. मु. मुनिवल्लभविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. दोसिवाडानी पोल मध्ये श्रीमंधर प्रशादात्., जैदे., (२६४१२.५, १०४३९). प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: असित्थेणवा वोसरइ, (पू.वि. अंतिम एकासणा का पचक्खाण
अपूर्ण तक है.) २८७५४. कीर्तिध्वजराजा ढाल, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५४१२, १३४३५-३९).
कीर्तिध्वजराजा ढाल, मु. हीरालाल, पुहिं., पद्य, वि. १९३१, आदि: श्रीश्रीआदिजिनेश्वरु; अंति: ढाल करी एक मन
हो, गाथा-७४. २८७५५. गौतम कुलक, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४१२, ८x१९-२३).
गौतम कुलक, प्रा., पद्य, आदि: लुद्धा नरा अत्थपरा; अंति: सुहं लहति, गाथा-२०. २८७५६. पांचमनी थोय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ११४२६).
ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. २८७५७. (+) गौतम स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१२.५, १०४२०).
गौतमस्वामी स्तवन, मु. पुण्यउदय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी गौतम प्रणमी; अंति: उदय प्रगट्यो परधान,
गाथा-८. २८७५८. आराधना स्तवन, संपूर्ण, वि. १९०८, वैशाख कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. लब्धिविजय; उप. रामचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १०४२८). पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हवे राणी पद्मावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल,
ढाल-३, गाथा-३५. २८७५९. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, दे., (२८.५४१३, ११४२८).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., काव्य २४ तक लिखा है) २८७६०. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४११.५, १५४५०).
१. पे. नाम. भावदेवनागीला सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
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नागिलाभवदेव सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: भवदेव भाई घेर आवीया; अंति: समयसुंदर गुण गाय रे, गाथा - ८.
२. पे नाम. पांचइंद्रिय विषयनिवारण सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पंचेंद्रिय सज्झाय, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: आपु तुजने शीख चतुरनर; अंति: लहो सुख शाश्वता, गाथा-७. २८७६१. माणिभद्रवीर छंद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. ग. मोहनविजय, पठ. उमादे, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, १३x२८).
माणिभद्रवीर छंद, मु. उदयकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन द्यो सरसती; अंति: लाख लाख रीझा लहे,
गाथा - २६.
२८७६२. पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६१२, १०X३४).
,
ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन- बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरुपाय; अंतिः भगति भाव प्रशंसीयो, डाल-३, गाथा - २५.
२८७६३. स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ९, जैदे., (२५.५X१२.५, १०X३०). १. पे नाम श्रुतदेवता स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: सुवर्ण शालिनी देयाद्; अंति: मशेष श्रुत संपदम्, श्लोक-१.
२. पे. नाम. भुवनदेवता स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: चतुर्वर्णाय संघाय अंतिः करोतु सुखमक्षयम्, श्लोक १.
३. पे नाम श्रुतदेवता स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण
सं., पद्य, आदिः यासां क्षेत्र गताः; अंति: क्षेत्रदेवताः, श्लोक - १.
४. पे नाम. श्रुतदेवी स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: कमलदल विपुलनयना कमल; अंतिः श्रुतदेवता सौख्यम्, श्लोक - १.
५. पे नाम भवनदेवी स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: ज्ञानादिगुणयुतानां; अंतिः सदा सर्वसाधुनाम्, श्लोक - १.
६. पे नाम. क्षेत्रदेवता स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण,
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संबद्ध, सं., पद्य, आदिः यस्याः क्षेत्रं समाश; अंति: भूयान्नः सुखदायिनी, श्लोक - १.
७. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति - स्तंभन, प्रा., पद्य, आदि: सिरिथंभणवट्ठव पास; अंतिः समुन्नइ निमित्तम्, गाथा - २. ८. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. १९अ - १आ, संपूर्ण.
मु. जिनभक्ति, पुहिं, पद्य, आदि: नवपद के गुण गाव रे; अंतिः नवपद संग पसाय रे, गाथा ५. ९. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो चंदाजी सीमंधर; अंति: वाधे मुज मन अतिनूरो, गाथा - ७. २८७६४. अभव्य कुलक, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६x१३, १०x२९).
अभव्य कुलक, प्रा., पद्य, आदि: जह अभवियजीवेहिं न; अंति: हावि तेसिं न संपत्ता, गाथा - ९. २८७६५. सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र सह वालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, भाद्रपद कृष्ण, ६, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. पीलुपुर, जैवे. (२५.५x१२.५, १२४३०).
सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, सं., पद्य, आदि: सकलकुशलवल्ली; अंति: श्रेयसे पार्श्वनाथः, श्लोक - १. सकलकुशलवद्धि चैत्यवंदनसूत्र- बालावबोध, पुहिं., गद्य, आदि: (१) स श्रीपादेव:, (२) वे परम उपगारी; अंतिः समूह ही भूत है.
२८७६७. महावीरजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २- १ (१) -१, जैये. (२५.५४१२, ११४३८). महावीर जिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंतिः रलियामणो परमकृत उदार, २८७६८. बाहुबल सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५x१२.५, १२X३० ).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
भरतबाहुबली सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राजतणा अतिलोभिया भरत; अंति: समयसुंदर वंदे पाय रे, गाथा - ७.
२८७६९. (+) २४ जिन यक्षयक्षिणी वर्णन, संपूर्ण, वि. १९००, कार्तिक शुक्ल, १४, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे, ३, ले.स्थल. विक्रमपुर, प्रले. पं. लाभकरण (गुरु पं. आसकरण), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X१२, १५X३९-४७). १. पे नाम. २४ जिन यक्ष वर्णन, पृ. १अ २आ, संपूर्ण,
सं., पद्य, आदि: प्रथम जिनस्य गीमुखो; अंतिः जो वामकरधृतबीजपूरथ, श्लोक-२४.
२. पे नाम. २४ जिन यक्षिणी नाम, पृ. २आ, संपूर्ण.
जैन गाथा, प्रा., पद्य, आदि: (); अंति: (-), गाथा-२.
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३. पे. नाम. २४ जिन यक्षिणी, पृ. २आ - ३आ, संपूर्ण.
२४ जिन यक्षिणी वर्णन, सं., पद्य, आदि: तत्राद्यजिनस्य चक्के; अंति: (१) वीणायुक्तवामकरद्वयाच, (२) स्वरूपं निरूपतमिति श्लोक-२७.
२८७७०. (+) होरी संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २६x२२.५, ९X३०). १. पे. नाम. नेमिजिन होरी, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
कल्याण, गाथा - ५.
३. पे नाम, पार्श्वजिन स्तोत्र, प्र. ३आ, संपूर्ण.
मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जादव नेमकुमार चाल; अंति: ज्ञान सकळ आधार रे, गाथा - ११. २. पे. नाम. पार्श्वजिन होरी, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. रत्नसागर, पुहिं, पद्य, आदि रंग मच्यो जिनद्वार; अंतिः मुख बोले जयजयकार, गाथा-७,
२८७७१. पुण्यप्रकाश स्तवन, सझाय व स्तोत्रादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे ३, जै. (२६४१२, १७५४२).
१. पे. नाम. पुण्यप्रकास आराधना स्तवन, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण.
9
पुण्यप्रकाश स्तवन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य वि. १७२९, आदि: सकल सिद्धिदायक सदा; अंति: नामे पुण्यप्रकाश ए, डाल-८.
२. पे. नाम. श्रीसंघ सीझाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
२४ जिनपरिवार सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि चोवीसे जिनना सुखकार; अंतिः चडविध संघ करो
प्रा., पद्य, आदिः ॐ अमरतरु कामधेणुः अंतिः पासजिणंद नम॑सामि श्लोक-३.
२८७७२. चाबखो व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. श्रावि. हकुबाई, प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे.,
(२५x१३, १२४३४).
१. पे नाम. भावगाडी चावखो, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
मूरख सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८६, आदि: मुरखो गाडी देखी मलका; अंति: मोहनविजय गाए भावगाडी, गाथा-९, (वि. र. प्र. गाथा ९ में र. सं. शशिनिधिवर्षवेदमूल तथा कर्ता के गुरु वीरविजय अशुद्ध प्रतीत होता है. सभी मुद्रित पुस्तकों में वर्ष १८८६ एवं कर्ता के गुरु गोपाल मिलते हैं.)
२. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. माणकलाल, मा.गु., पद्य, आदि तार तार रे प्रभु मुज; अंतिः नमे मुनि माणकलाल, गाथा-३.
२८७७३. महावीरजिन व शांतिजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १९४८, वैशाख कृष्ण, १४, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ९-५ (१ से ५) =४, कुल पे. २, ले.स्थल. धोलेराबंदर, प्रले. श्राव. माणेकचंद खोडीदास; पठ. श्रावि. नाथीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. श्लो. (८१२) जेसी देखी परत के, जैदे., (२७४१३ १३४३१).
१. पे. नाम. वीर स्तवन, पृ. ६अ - ८आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा- ७२ अपूर्ण तक नहीं हैं., पे. वि. कृति के कर्ता संघर्ष मिलता है.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३०३ महावीरजिन स्तवन-दीपावलीपर्व निर्वाणमहिमा, मु. गुणहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: श्रीसंघहर्ष
वधामणा, गाथा-१२५. २. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो शांतिजिणंद सोभा; अंति: इम उदयरतन कहे वाणि, गाथा-१२. २८७७४. पच्चक्खाण सझाय व गुंहली, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, कुल पे. २, जैदे., (२७.५४१२.५,
१५४३८). १.पे. नाम. पच्चक्खाण सिझाय, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., मात्र अंतिम दो गाथा हैं., वि. १९२०,
आषाढ़ शुक्ल, १०. १० पच्चक्खाणफल स्तवन, पं. रामचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३१, आदि: (-); अंति: रामचंद तपविधि भणे,
गाथा-३४. २. पे. नाम. महावीरजिन गहुँली, पृ. ३अ, संपूर्ण.
म. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: जीरे जिनवर वचने; अंति: अमृत शीव नीसांन रे, गाथा-७. २८७७५. ऋषभनाथ की स्तुति, संपूर्ण, वि. १८८१, कार्तिक शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. कालंद्री, प्रले. पं. उत्तम, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीमाहावीरजी प्रासादात्., जैदे., (२६४१२, १४४४७).
आदिजिन छंद-धुलेवा, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदि करन आदि जगत आदि; अंति: दिपविजय० सब
कीरत कहै. २८७७६. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, ई. १९६०, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, दे., (२०४१३, १९४२२). १. पे. नाम. वीरजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. रात्रिभोजन निवारण स्तुति, मु. जीवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शासननायक वीरजीए पामी; अंति: जीव कहे तस
शिष्य तो, गाथा-४. २. पे. नाम. औपदेशिक स्तुति, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: ऊठी सवारे सामायिक; अंति: थइए शिवपद भोगीजी, गाथा-४. २८७७७. स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १७४४३). १. पे. नाम. शांतिजिन स्तव, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. शांतिजिन स्तव-तपागच्छपट्टावली गर्भित, मु. धारसिंह, सं., पद्य, आदि: शांतिजिनं नत्वा; अंति: समायाति लक्ष्मी
च, श्लोक-२४. २. पे. नाम. मंत्राधिराज स्तोत्र, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., श्लोक-१६ अपूर्ण तक हैं.
पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: अथ मंत्राधिराजस्यः; अंति: (-). २८७७८. धर्म भावना, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १४-१२(१ से १२)=२, प्र.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है., जैदे., (२१४१३, १५४३२).
१२ भावना, मु. धर्मरुचि, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: धर्मरूचिजी भाई. २८७८०. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८३८, आश्विन कृष्ण, १३, शुक्रवार, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. कीसनगढ,
प्रले. सा. फतु आर्या (गुरु सा. अखुजी), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है., जैदे., (२६४१२.५, २१४५०). १. पे. नाम. आणंदरी ढाल, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
आणंदश्रावक ढाल, ऋ. जैमल, रा., पद्य, आदि: तीण कालैने तीण समै; अंति: मीछामि दोकड मोयए, ढाल-५. २. पे. नाम. ४ गोला, पृ. २आ, संपूर्ण.
४ गोला सज्झाय, रा., पद्य, आदि: साधांतणी वाणी सुणी; अंति: मटीयो गोलो देख, गाथा-१७. २८७८२. उजमणो व्याख्यान, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, १३४३३).
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अक्षयतृतीया व्याख्यान, रा., गद्य, आदि: (१) तित्थयरा गणहारी, (२) अर्हंत भगवंत अशरणशरण; अंतिः मंगलिकमाला संपजै.
२८७८३. कालचक्र स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, प्रले. राजेंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२५x१३, १२X४०-४२).
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
महावीरजिन स्तवन- छट्टाआरानुं, श्राव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिगदह पवनमी; अंति देवीदास ० संघमंगल करो, ढाल - ५, गाथा - ५४.
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२८७८४. (+) ऋषभजिन लावणी, संपूर्ण, वि. १८६९, आश्विन शुक्ल, ४, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल. घाणोरा, पठ. ऋ. कनीरामजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित, जैवे. (२५x१२, १७x४३).
आदिजिन लावणी, पुहिं., पद्य, वि. १८६०, आदि: सरसती माता सुमति की; अंति: सहर सुलंबर माहे, गाथा - २४. २८७८५. शत्रुंजयतीर्थ २१ खमासण दुहा, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है, जैदे., (२७.५५१२.५,
१२४३१).
शत्रुंजयतीर्थ २१ खमासमण दुहा, मु. शुभवीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धाचल समरुं सदा; अंतिः (-), ( पू. वि. दोहे - १९ से १९ तक हैं.)
२८७८६. होलिकापर्व ढाल, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., ( २४.५X११.५, १७x४६).
होलिकापर्व डाल, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम पुरुष राजा; अंतिः विनयचंदजी कहे करजोडी, डाल-४. २८७८७. पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५x१२, १२x२७).
पार्श्वजिन स्तवन, पं. शुभवीर, मा.गु., पद्म, आदि हितकर पासजिनेसर देव; अंतिः शुभवीर० सुखसंपद वरूं,
गाथा - ९.
२८७८८. सीमंधिरस्वामीवीनती स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४०, फाल्गुन कृष्ण, ९, शुक्रवार, जीर्ण, पृ. २, ले.स्थल. पालिताणा, पठ. श्रावि. जडावबाई, प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., (२५. ५X११.५, १०x३० ).
सीमंधरजिनविनती स्तवन, मु. अगरचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८६२, आदि: त्रिभुवनस्वामी अरज; अंतिः जिनपद वचन विलास, गाथा - २१.
२८७८९. स्तुति व सझाय, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२६x१२.५, १०x२८).
१. पे. नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदिः समकितनुं मुल जाणीये; अंति: (-).
२८७९०. ज्ञानपांचमी सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जीवे. (२५.५४१२, १३४३३).
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करी जस आगल; अंतिः तपथी कोडि कल्याणजी, गाथा- ४. २. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. १आ, पूर्ण, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है., गाथा-५ तक हैं.
ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतसिद्धने करी; अंति: अमृतपदना थायो धणी,
गाथा - ११.
२८७९२. वैराग्य सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६.५४११.५, ११४३७).
वैराग्य सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदिः पर्षदा आगे दिये मुनि; अंति: सार छे एह हो, गाथा - ११, ग्रं. १५. २८७९३. (+) स्तुति व स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ७, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे.,
(२८x११.५, १४X६७).
१. पे. नाम. अर्हन्नामसहस्र समुच्चय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण, वि. १७९९, माघ शुक्ल, ११.
अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: अर्हन्नामापि; अंति: सानंदं महानंदेककारणं, प्रकाश १०.
२. पे. नाम जिनपंजर स्तोत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. कमलप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह; अंतिः श्रीकमलप्रभाख्यः, श्लोक-२४.
३. पे. नाम. पार्श्वेशलघु स्तोत्र, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पार्श्वजिन स्तवन-अष्टशतनामगर्भित, सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वः पातु; अंतिः प्राप्नोति स श्रियां, श्लोक - ३३. ४. पे. नाम चतुःषष्ठियोगिनी स्तवन, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण.
-
६४ योगिनी स्तोत्र, सं., पद्य, आदिः ॐ ह्रीं दिव्ययोगिनी अंतिः रक्षतु मां मातरः,
लोक-१७.
५. पे. नाम. ९ग्रह जाप, पृ. ३आ, संपूर्ण.
नवग्रह स्तोत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगङ्गुरुं नमस्कृत्य; अंतिः शांतिविधिश्रुतां श्लोक-११. ६. पे. नाम. गौतमाष्टक, पृ. ३आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः ॐ नमस्त्रिजगन्नेतुर; अंति: भव सर्वार्थसिद्धये, श्लोक - ९. ७. पे नाम. नवग्रह मंत्र, पृ. ३आ, संपूर्ण
सं., पद्य, आदिः ॐ नमो श्रीआदित्याय; अंतिः कुरु कुरु स्वाहा, श्लोक ९.
२८७९४, (+) पर्युषणपर्व चैत्यवंदन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे ७, प्रले. मु. रूपसुंदर ( वृद्धतपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. कुल ग्रं. ग्रंथाग्र ३२., जैदे., (२६X११.५, १९६८).
१. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेजो सिणगार अंतिः आराधी आगमवाणी वनीत, गाथा- ३.
२. पे. नाम. पजुषणपर्वचैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदिः प्रणमु श्रीदेवाधिदेव; अंतिः प्रवचन वाणी विनीत,
गाथा - ३.
३. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कल्पतरुवर कल्पसूत्र; अंति: उपजे विनय विनीत, गाथा - ३.
मु.
४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुपन विधि कहे सुत; अंति: वाणी वनीत रसाल, गाथा-३. ५. पे नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण,
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि जिननी बहिन सुदर्शना; अंतिः सुणब्यो एक ही चित, गाथा-३. ६. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. . विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिणेसर नेमनाथ; अंतिः सरखी वंदु सदा वनीत, गाथा-३. ७. पे. नाम. पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ संपूर्ण.
"
मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि पर्वराज संवच्छरी दिन; अंतिः वीरने चरणे नामु शीस, गाथा-३, २८७९५. नववाड सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९४५, आषाद कृष्ण, ५, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल, धोलेराबंदर,
प्रले. श्राव. माणेकचंद खोडीदास; पठ, श्रावि. नाथीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१३, १३४३४).
नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: श्रीगुरुने चरणे नमी; अंति: तेहने जाउ भामणि, ढाल - १०, गाथा - ५१.
२८७९६. वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैये. (२८x१२, १७४३८).
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गाथा- ४.
३. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १आ- २अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन-पंचकारणगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: सिद्धारथसुत वंदिये; अंतिः परे विनय कहे आणंद ए, दाल-६, गाथा ५८.
२८७९७. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ११, जैदे., ( २६.५x१२.५, १३x४०-४२). १. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः पर्व पर्युषण गुणनीलो; अंति: शासने पामो जयजयकार, गाथा - ९.
२. पे. नाम. अतीतचौवीसीजिन चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण.
२४ जिन चैत्यवंदन-अतीत, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः उत्सर्पिणी आरे थया; अंतिः श्रीशुभवीर सनाथ,
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३०६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेजो सिणगार; अंति: आराधीइं आगमवाणी वनीत, गाथा-३. ४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु श्रीदेवाधिदेव; अंति: प्रवचन वाणी विनीत, गाथा-३. ५. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कल्पतरु कल्पसूत्र; अंति: उपजे विनय विनीत, गाथा-३. ६. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुपन विधि कहे सुत; अंति: वाणी वनीत रसाल, गाथा-३. ७. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिननी बहेन सुदर्शना; अंति: सुणज्यो ए कहे चरित, गाथा-३. ८. पे. नाम. पर्युषणपर्व नमस्कार, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिनेसर नेमनाथ; अंति: सरखी वंदू सदा वनीत,
गाथा-३. ९. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परवराज संवत्सरी दिन; अंति: वीरने चरणे नमु शीस, गाथा-३. १०. पे. नाम. पर्युषणपर्व बडाकल्प, पृ. २आ, संपूर्ण.
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वडा कल्प पूर्व दिने; अंति: सुणे तो पामे पार, गाथा-४. ११. पे. नाम. महावीरजिन तपवर्णन चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नव चोमासी तप कर्या; अंति: लहीए नित्य कल्याण,
गाथा-७. २८७९८. सुधर्मस्वामी गहंली संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२७४१२, १२४३२). १. पे. नाम. सुधर्मस्वामी पुंहली, पृ. १अ, संपूर्ण.
सुधर्मास्वामी गहुलीभास गीत, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानयरी उद्यान सुरत; अंति: घूहली गेलि करेंरी, गाथा-७. २. पे. नाम. सौधर्मगणधर गहुंली, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. सोहव, मा.गु., पद्य, आदि: चेलणा लावे गहुँली; अंति: श्रीजिनशासन रीति, गाथा-७. ३. पे. नाम. सुधर्मस्वामी गुंहली, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., गाथा-५ अपूर्ण तक हैं.
सुधर्मास्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: चंपानयरी उद्यानमां; अंति: (-). २८७९९. कर्मविपाक प्रथम कर्मग्रंथ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२८x१३, ११-१४४३२-४०).
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं,
गाथा-६१. २८८००. बंधस्वामित्त्व तृतीय कर्मग्रंथ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४१२.५, ११४२८).
बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: बंधविहाणविमुक्कं अंति: नेयं कम्मत्थयं सोउं,
गाथा-२४. २८८०१. कर्मस्तव द्वितीय कर्मग्रंथ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४१२.७, १२४३२-३६).
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: तह थुणिमो वीरजिणं; अंति: वंदियं नमह तं वीरं,
गाथा-३४. २८८०२. गुहली संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१२.५, ११४३३-३५). १. पे. नाम. सिद्धचक्र गुहली, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. सिद्धचक्र गहुंली, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः (-); अंति: वीर कहे भवजल तरसे, गाथा-१२, (पू.वि. गाथा
९ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. साधारणजिन गहुंली, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३०७ मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चतुरा चतुरि चालतूं; अंति: धरि रे शुभवीर वधावे, गाथा-६. २८८०३. चउविसें जिनवरतणा छंद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. श्रावि. नवलबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, १२४४२).
२४ जिन छंद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: आर्या ब्रह्मसुता; अंति: भाव धरीने भणो नरनारी, गाथा-२७. २८८०४. परभंजना सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५४१२, ११४३०).
प्रभंजना सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: गिरि वैताढ्यने उपरे; अंति: मंगललील सदाई रे, ढाल-३,
गाथा-५०. २८८०५. युगवरावली विवरण व यंत्र, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ८-७(१ से ७)=१, कुल पे. २, प्र.वि. श्रीभद्रबाहुस्वामिकृत
दुषमप्राभृततः श्रीदेवेंद्रसूरिणा यंत्रपत्रे न्यासीकृतं. "ए ८ पत्र प्राचीन ७ पत्रथी देखीने बहुत परिश्रमसु मांदगी में उतार्या छे. कदास चक्षुभ्रमथी असुध लिखाणो होय तो मिछामी दुकड छे" ऐसा उल्लेख मिलता है., जैदे., (२५४१२, २६४२०). १. पे. नाम. युगवरावली यंत्र, पृ. ८आ, संपूर्ण, वि. १९४४, कार्तिक शुक्ल, १५, ले.स्थल. उदयपुर, प्रले. ग. नेमकुशल
(तपा), प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. श्रीशीतलजिन प्रशादात्. मेदपाटदेशे.
युगप्रधानआचार्यादि संख्याविचार, प्रा., गद्य, आदि: पढमे वीस बीए तेवीस; अंति: होइतओ सिज्झइ भरहे. २. पे. नाम. युगवरावली यंत्र, पृ. ८अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
ग. नेमकुशल, मा.गु., यं., आदि: (-); अंति: तसपद बारंबार, (पू.वि. यंत्र २५ से अंत तक है.) २८८०६. (+) स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४१२,
१७४३३-३५). १. पे. नाम. सागरप्रभु स्तुति, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. सागरप्रभुजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: तेणौ देवचंद्र पद कीन, गाथा-१०, (पू.वि. गाथा
४ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. महायशजिन स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: आत्मप्रदेश रंगथल; अंति: देवचंद० इम प्रसिधरे, गाथा-६. ३. पे. नाम. विमलजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: धन्य तुं धन्य तुं धन; अंति: संपत्ति शोभा वधारी, गाथा-८. ४. पे. नाम. सर्वानुभूतिजिन स्तवन, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: जगतारक प्रभु विनवू; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ४ अपूर्ण तक है.) २८८०७. स्तवन व भास, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. बुंसी, जैदे., (२५४१२, १५४३६). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
ऋ. केसर, मा.गु., पद्य, वि. १८४२, आदि: प्रणमुपास जिनेसरु; अंति: ऋषि केशर मनचंगैरे, गाथा-८. २. पे. नाम. आचार्य लक्ष्मीचंदजी भास, पृ. १आ, संपूर्ण. लक्ष्मीचंदआचार्य भास, मु. केशरचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १८७८, आदि: सरसती तोने ध्या; अंति: संघ सह ओछव
कीधो हो, गाथा-९. २८८०८. (#) तारादेवी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. गणेश व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१२.५, १३४४०). तारादेवी सज्झाय-शीलपालनविषये, मु. कनकसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: ब्राह्मण वचन सती; अंति: गुणगाया बहु
भांत, ढाल-१३, गाथा-१४. २८८०९. गुरुआगमन गहुँली, संपूर्ण, वि. १९४२, कार्तिक कृष्ण, ५, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५४११, ९४२९-३१).
गुरुआगमन गहुंली, मु. सांमचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सई मोरी चालो सतगुरु; अंति: गाय हो सुधि साविका,
गाथा-१७. २८८१०. मुनिवर गहुली, संपूर्ण, वि. १९३४, वैशाख कृष्ण, २, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७X१२.५, ८४३४).
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३०८
महि
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मुनिवर सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सखी रे मैं कौतुक दीठ; अंति: शुभवीरनी वालणारे, गाथा-८. २८८११. साधु अतिचार, संपूर्ण, वि. १८७१, भाद्रपद शुक्ल, ९, मध्यम, पृ. ४, प्रले. ग. रंगविजय; पठ. सा. जीवतश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १३४२८-३५).
आवश्यकसूत्र-श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का श्राद्धपाक्षिक अतिचार, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि
दसणंमि०; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २८८१२. वीसथानकतपनु गरणुकाउसग, संपूर्ण, वि. २०वी, पौष शुक्ल, ८, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. श्रावि. संतोक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१२.५, ११४२६).
वीसस्थानक गुण व काउसग्ग प्रमाण, प्रा.,हिं., गद्य, आदि: पेले पदे नमो अरिहंता; अंति: तथा चोवीसनो काउसग्ग. २८८१४. (+) पार्श्वजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. १९४१, आषाढ़ कृष्ण, ३०, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. धोलेरा, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४१२.५, १०४२७). पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: तेंद्रे कि धप; अंति: दिशतु शासनदेवता,
श्लोक-४. २८८१५. वीरजिन स्तुति सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९४१, आषाढ़ कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१३, ३४२६).
महावीरजिन स्तुति, आ. जिनेंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वाणि श्रीवीर जिणेसर; अंति: ते अर्थ विचारीजी, गाथा-४.
महावीरजिन स्तुति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: हवे इहां वीर स्वामी; अंति: अर्थ प्रते धारवो. २८८१६. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन व सुभाषित श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१८x१२, १२४२२). १. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व पर्युषण गुणनीलो; अंति: शासने पामो जयजयकार, गाथा-९. २. पे. नाम. विद्यार्थी पंचलक्षण श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: काकचेष्टा बको ध्यान; अंति: विद्यार्थी पंचलक्षणं, श्लोक-१. २८८१७. संवेगद्रुमकंदली, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ५-१(१)=४, ले.स्थल. पादलिप्तपुर, प्रले. श्राव. हरिचंद नयचंद गांधी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१२, १२४३८). संवेगद्रमकंदली, आ. विमलाचार्य, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: बद्धो भवद्भ्योंजलिः, श्लोक-५२,
(पू.वि. प्रारंभिक ११ श्लोक नहीं हैं.) २८८१९. (+) देवसीप्रतिक्रमण विधि, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, १२४३१).
प्रतिक्रमणविधि संग्रह-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावही; अंति: (-). २८८२०. कवित्त, दोहा व सवैया संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२४, कार्तिक कृष्ण, ७, रविवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. १२,
ले.स्थल. अलवर, जैदे., (२४.५४११.५, ३३४८९). १. पे. नाम. मनुष्यदेहसार्थकता पद, पृ. १अ, संपूर्ण. मनुष्यभवसार्थकता सवैया, मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: पाइ है मनुष्य देह; अंति: दीयो चोटसुं न डरना,
सवैया-८. २. पे. नाम. जीवोपदेश पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. चंपालाल, पुहिं., पद्य, आदि: सबो रोज दर दिल दरदै; अंति: दर वाही करदषु कृता, पद-२. ३. पे. नाम. बालअज्ञानतप कवित्त, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: शुद्धज्ञान बिना तप; अंति: दौर मसीत की ताई, पद-१. ४. पे. नाम. अबलात्रिय पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
अबलास्त्री पद, पुहि., पद्य, आदि: मुक्ति मांग नहीं गंग; अंति: मैं नमै हर अबल त्रिय, पद-१. ५. पे. नाम. मनहरन कवित्त, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३०९ मनहरण कवित्त, पुहिं., पद्य, आदि: चंदजन जान शोभत है; अंति: चूक मोयै हुन परी है, पद-१. ६. पे. नाम. कर्मबंधन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
कर्मबंधन सवैया, पुहिं., पद्य, आदि: जान ही अजान लोक करमन; अंति: अपनौ अपद्वेषी है, पद-१. ७. पे. नाम. पाखंडमतनिषेध पद, पृ. १अ, संपूर्ण. पुहि., पद्य, आदि: पीला कपडा पहिर कापडी; अंति: उदै होयगै फेर, गाथा-२४, (वि. दोहे-९ व कवित्त-१५
कुल-२४ पद.) ८. पे. नाम. अधूरापूरा दोहा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
औपदेशिक दहा, पुहिं., पद्य, आदि: प्यावेथा जब पीया नही; अंति: मीनघर तातै कहा वसाय, गाथा-८. ९. पे. नाम. विविध रसप्रद दोहासंग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण. प्रास्ताविक दोहा संग्रह *, मा.गु.,रा., पद्य, आदि: निकस्यो रवि फोर पहार; अंति: गुंसाई जटा फटकारे, गाथा-१२,
(वि. चहचहा, कोयडा, अमृतधुन आदि का संकलन.) १०. पे. नाम. कालक्षेत्रद्रव्यभाव दोहा, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: कालक्षेत्रद्रव्यभाव; अंति: इणमे मीन न मेक, गाथा-१. ११. पे. नाम. कालिका छंद, पृ. १आ, संपूर्ण. ____ कालिकामाता छंद, पुहिं., पद्य, आदि: धरन पर धूकत धर समर; अंति: धुकत समर धर नाद, गाथा-१. १२. पे. नाम. जिनभक्तिसूरिस्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिनभक्तिसूरि स्तवन, पुहिं., पद्य, आदि: दुरघट घटना घटित; अंति: गगकग वेगकगेब गग कहत, गाथा-२. २८८२२. पांत्रीस बोल, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. मोरबी, प्रले. जयशंकर दयालजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२.५, ११४२८-३४). ३५ बोल संग्रह, आ. आनंदविमलसूरि, मा.गु., गद्य, वि. १५८३, आदि: गुरुने आदेसे विहार; अंति: गीतारथ टालि
नवारवा. २८८२३. (+) लावणी संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, १६४३९). १. पे. नाम. साधारणजिन लावणी, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: मैं सदा नमुं जिनराज; अंति: रखोजी मेरी पीतकुं, गाथा-४. २. पे. नाम. पेटविषयक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: पेटरामने बुरा बणाया; अंति: क्या हाथी क्या चेटी, गाथा-३. ३. पे. नाम. संसार असार पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: जगत जाल का है अति; अंति: आगे नहीं मिलती सेरी, पद-३. २८८२४. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. १०, जैदे., (२५४१२, १२४२८). १. पे. नाम. ऋषभ स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलिमणि; अंति: भवजले पततां जनानाम्, श्लोक-४. २. पे. नाम. वीर स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदारमवद; अंति: नमभिनम्य जिनेश्वरस्य, श्लोक-४. ३. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगलक; अंति: जय ज्ञानकला निधानम्, श्लोक-४. ४. पे. नाम. शांतिनाथ स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: सकलकुशलवल्लीपुष्करा; अंति: वः श्रेयसे शांतिनाथः, श्लोक-४. ५. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीआदिनाथं नतनाकि; अंति: वीरं गिरिसारधीर, श्लोक-४. ६. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
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सं., पद्य, आदि: भावानयानेगनरिंदविंदं; अंति: गोखीर तुसारवन्ना, श्लोक-४.
७. पे. नाम ऋषभ स्तुति, पृ. २आ-३अ संपूर्ण.
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आदिजिन स्तुति - नवतत्त्वगर्भित, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्यने पाव; अंतिः समकितगुण चित धरजोजी, गाथा ४.
८. पे. नाम. भाष्यनी स्तुति, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण.
तृतीयातिथि स्तुति, मु. क्षमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: निसही त्रण प्रदक्षणा; अंति: शासनसुर संभारोजी, गाथा-४. ९. पे नाम वीर स्तुति, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
महावीरजिन स्तुति, मु. चतुरविजय, प्रा., पद्य, आदि सूरं सुधीरं जियकर्म; अंतिः सा अम्ह सया पसत्था, गाथा-४, १०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: विभावमुत्तं सुहभाव; अंतिः वाइ सिरिपुठयवगहत्था, गाथा- ४.
२८८२५. गंगदत्त १० कथानाम व दशवैकालिकसूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७X१३, १६X५०). १. पे. नाम. गंगदत्त कथा, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: पंचपदने नमस्कार करी; अंति: गंगदतनी छे ते कहे छे.
२. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र अध्ययन १ से ३, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
दशवैकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी, आदि धम्मो मंगलमुक्कि अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, अध्ययन ३ गाथा २ तक है.)
२८८२६. पद्मावती स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. पल्याकानगर, प्रले. मु. फतेसागर; पठ. पं. प्रतापविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीसंतनाथजी प्रसादात्., जैवे. (२५x१२, १२४३४-३६).
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंतिः क्षमस्व परमेश्वरी, श्लोक-३०.
२८८२७. ५ कारण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९३५, आषाढ़ शुक्ल, १०, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल, धानेरा, प्रले. मु. लालविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीशांतिनाथप्रशादे श्री अजितनाथप्रशाद, जैवे. (२२.५x१०.५, १०x२९-३४).
५ कारण छ ढालिया, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: सुत सिद्धारथ वंदीई; अंतिः परे विनय कहे आणंद ए, ढाल - ६, गाथा - ५८.
२८८२८. स्तुति व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२९, कार्तिक शुक्ल, १२, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, ले. स्थल. लींबडी, प्रले. पं. प्रधानसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. शांतिजिनप्रशादात्., जैवे. (२४.५x१२.५, १२४३९).
१. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदिः सीमंधरस्वामी केवला; अंतिः आवागमण निवार निवार, गाथा-१, २. पे नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण,
मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पुंडरिकमंडण पाय; अंतिः भाग्य द्यो सुखकंदाजी, गाथा-१.
३. पे. नाम. शांतिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तुति - जावरापुर, मु. पुन्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शांतिकर शांतिकर; अंति: पामीये सुख संपती घणु,
गाथा - १.
पुण्यसागर सुखकार, गाथा १.
५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
४. पे नाम. अजितजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
अजितजिन स्तुति-तारंगातीर्थमंडन, मु. पुण्यसागर, मा.गु., पद्य, आदि: तारंगा मुखमंडण अजित; अंति:
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पार्श्वजिन स्तवन- जिनप्रतिमास्थापनगर्भित, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जिनप्रतिमा हो जिन; अंतिः जिनप्रतिमासुं नेह गाथा - ७.
२८८२९. पार्श्वजिन स्तवन व सवैया संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैवे. (२२.५x११, ९४२८-३० ).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
१. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, पृ. १अ, संपूर्ण.
___ मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो पास शंखेश्वरो; अंति: पास संखेसरो आप तूठा, गाथा-७. २. पे. नाम. धनप्रभावदर्शक सवैया, पृ. १आ, संपूर्ण.
क. केशवदास, पुहिं., पद्य, आदि: चाह करे जिनकी जग में; अंति: वडोजाकी गाठे रूपैया, पद-१. ३. पे. नाम. भूखप्रभावदर्शक सवैया, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: भुख कुलीन करें; अंति: पापणी भुख अभख भखावे, पद-१. २८८३०. छंद व विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१२, १२४३८). १.पे. नाम. अंबाईमाता छंद, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, ले.स्थल. पाटडी, प्रले. मु. ज्ञानवर्द्धन; दत्त. ग. रूपविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. श्रीशांतिनाथ प्रसादात्. ___ अंबाजीमाता छंद, मु. जीतचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मुख वदंती ॐकारधुनि; अंति: सुख आपो परमेश्वरी, गाथा-२२. २. पे. नाम. सज्झाय व पोरसी विधि, पृ. २अ, संपूर्ण. आवश्यकसूत्र-तपागच्छीय प्रतिक्रमणादिविधि संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: इरियावही० नो०४ लोगस;
अंति: पडिलेहु हे हेठा बेसे. ३. पे. नाम. प्रास्ताविक श्लोक, पृ. २अ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: अस्मान् विचित्रवपुषि; अंति: मुकुटे पुरराश्रयामः, श्लोक-११. २८८३१. (+) अष्टापद ऋषभ स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. छबीलजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७४१२.५, ११४३०).
आदिजिन स्तवन, ग. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअष्टापद ऊपरे जाण; अंति: हो फले सघली आश के,
गाथा-२३, ग्रं. ३८. २८८३२. आर्यवसुधारा धारिणी कल्प, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-२(१ से २)=४, ले.स्थल. मंडल, प्रले. मु. भीमराज, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, १४४४०).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: मभ्यनंदन्निति, (पू.वि. प्रारंभिक कुछेक पाठांश नहीं है.) २८८३३. (+#) सिद्धचक्र स्तवन, संपूर्ण, वि. १८३२, वैशाख कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. १, पठ. श्रावि. वखतीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२, १५४३६-३७). सिद्धचक्र स्तवन, मु. अमृतविमल, मा.गु., पद्य, आदि: आराधो आदर करी रे; अंति: लाल सवि संपद श्रीकार,
गाथा-१५. २८८३५. पंचमहाव्रत सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२, १४४२८).
५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पुरवे रे; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., चौथा महाव्रत सज्झाय गाथा ३ अपूर्ण तक है.) २८८३६. जैनकेवली सुकनावली, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. यंत्र सहित., जैदे., (२१.५४११.५, १०४३०).
जैनकेवली सुकनावली, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं अहँ सर्व; अंति: गामंतर तेहाँ जइ छे. २८८३७. पासत्थादि बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, ३३४२८-३४).
बोल संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: आधाकर्मी पिढफल भोगवे; अंति: मेले निश्चै जाणवो, (वि. साधु के
नियम, शकेंद्रसभा व देवता मैथुनादि विचार.) २८८३८. (+) गणधर इग्यारसनी थोय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, १०४२६).
गौतमगणधर स्तुति, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: गुरु गणपति धाउंगोतम; अंति: लहेवा लीललच्छी वरेवा,
गाथा-४. २८८३९. (+) शनीश्चर चौपाई व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ., जैदे., (२२.५४१२, १३४२९). १. पे. नाम. शनीसरचौपाई, पृ. २अ-२आ, अपूर्ण, पृ.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
बालसग्रह
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२. पे नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण
शनिश्चर छंद, पंडित. ललितसागर, मा.गु., पद्म, आदि: (-); अंति: ललितसागर इम कहे, गाथा - ३१,
( पू. वि. प्रारंभ से गाथा २१ तक नहीं है. )
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मुजरो थे मानो हो; अंतिः सेवक करी जाणो हो, गाथा ५. ३. पे. नाम. वीतराग स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, मु. हीरविजय कवि, म., मा.गु., पद्य, आदि: चांद ठेवा चांओ वादले; अंति: कवि हीरविजय गुण गाय, गाथा - ६.
२८८४०. सकलार्हत् स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. शिवराम पानाचंद ठाकोर, पठ. श्रावि. आधारबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६.५X१२, १२X३१).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदिः सकलात्प्रतिष्ठान; अंतिः श्रीवीरं प्रणिदध्महे, श्लोक - ३१.
२८८४१. (+) महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. हरजीवन प्रेमचंद भोजक, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., ( २५X१२, ११४३२).
9
महावीर जिन स्तवन, मु. उदयरत्न, रा., पद्म, आदि में तो नजीक रे सांजी; अंतिः जय जय श्रीमहावीर गाथा ८. २८८४२. (+) गहुंली संग्रह व स्तवन, संपूर्ण, वि. १९१०, आषाढ़ शुक्ल, ७, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३,
ले. स्थल, खंभायबंदर. प्र. वि. संशोधित, जैदे. (२५.५x१२, १२x२० ).
"
१. पे. नाम. सुधर्मस्वामी गहुंली, पृ. १आ- २आ, संपूर्ण.
सुधर्मास्वामी गहुंली, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्म, आदि सजनी गुरूगुण गरुवा अंति: गुरुगुण गरूया गाईइ,
गाथा - १०.
२. पे. नाम. गुरुगुण गुंहली, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
गुरुगुण गहुली, मु. धीर, मा.गु., पद्य, आदि: वारि जायु ते मुनिराज अंति धारे हृदयामा धारी, गाथा- ७. ३. पे. नाम. छप्पन्नदिक्कुमारि स्तवन, पृ. ३अ - ४अ, संपूर्ण.
११x४२).
१. पे. नाम. सिद्धविंशिका स्तोत्र, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
५६ दिकुमारी जिनजन्ममहोत्सव स्तवन, मु. धीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवरनां चरण नमी; अंतिः वीर जिनेसर गावाजी, गाथा - ९.
२८८४३. (+) सिद्धविंशका स्तोत्र व स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२५x१२,
श्राव. दलपतिराय श्रमणोपासक, सं., पद्य, आदि: मुनीनां दुस्तर्क्यः; अंति: कर्हिचित् परिभूयते, श्लोक-२०. २. पे नाम. आश्वासन विधि, पृ. २आ, संपूर्ण
प्रनाष्टक, आव, दलपतिराय श्रमणोपासक, सं., पद्य, आदि: अनाद्येवं सिद्धि; अंतिः महिमाश्वासनविधिम्, लोक- ८.
२८८४४. गहुंली संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ६, जैदे., (२६X१२, १३-१४X३५).
१. पे. नाम. सुधर्मास्वामी गहुली, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि चंपानवरी उद्यानमां; अंतिः चित चाहे अमृत सुखकार, गाथा- ७. २. पे. नाम गौतमस्वामी गहुली, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी गली, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि; राजगृही शुभ ठाण गुण; अंतिः अमृतपद चित चाहती जी,
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गाथा - ११.
३. पे नाम. सुधर्मस्वामी गुंहली, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण,
सुधर्मास्वामी गली, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि गणधर वीरजिनवरतणो; अंतिः चित अमृत शर्म रे, गाथा ७. ४. पे. नाम गौतमस्वामी गुहली, पृ. २अ संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३१३ गौतमस्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही उद्यानमा गुर; अंति: चाहती अमृत शर्म, गाथा-५. ५. पे. नाम. गौतमस्वामी गुंहली, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
__ गौतमस्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., पद्य, आदि: सखि राजगृहि उद्यानमा; अंति: सुणि अमृतवाणि रे, गाथा-५. ६. पे. नाम. जंबूस्वामी गुंहली, पृ. २आ, संपूर्ण.
जंबूस्वामी गहूली, मु. पद्म, मा.गु., पद्य, आदि: अजब कीओ मुनीराय; अंति: सुणि पामें शिवराज, गाथा-७. २८८४५. स्नातस्या स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. राधनपूर, जैदे., (२३४१२, १२४३२).
__ पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. २८८४६. विकानो कथलो व स्तवन, अपूर्ण, वि. १८४६, माघ कृष्ण, ५, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, कुल पे. २,
प्रले. ऋ. रामचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, ११४३८). १. पे. नाम. विकानो कथलो, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. विकथा विस्तार रास, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, वि. १८१०, आदिः (-); अंति: विकथानो विस्तारो, गाथा-४७,
(पू.वि. प्रारंभ से गाथा ३२ तक नहीं है.) २. पे. नाम. कुंथुजिन तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण. कुंथुजिन स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कुंथु जिणेसर जाणीजो; अंति: लाल मानविजय उवझाय रे,
गाथा-७. २८८४७. (-) वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. हसतुजी माहाराज, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५४१२, २०४४२).
महावीरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सवारथी तो नगरी वीर; अंति: करी न लडवा जाये रे, गाथा-१३. २८८४८. (+) व्याख्यानवाचन विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४१२, ८x२८-३०).
व्याख्यानवांचन विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: वाचना कहीइ छइ, गाथा-४. २८८४९. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८२४, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. उदयपुर, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२४.५४१२, १२४३७). १. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन, ग. फतेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: रिषभजिनेसर तुं अलवेस; अंति: फतेंद्रसागर सुखलहियइ,
गाथा-७. २. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
ग. फतेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पूजो भवि जिनवर नित्त; अंति: फते दिन जयकरुजी, गाथा-७. २८८५०. सूतक विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ९४३३).
सूतक विचार, मा.गु., गद्य, आदि: पुत्र जन्म्या १०; अति: आभडे तो पहर १२ सूतक. २८८५१. देवलोक को विसार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५४१२, १०४३०).
देवलोक विचार संग्रह, मा.ग., गद्य, आदि: पहलो सोधर्म देवलोकेइ; अंति: मारो नमस्कार करु छं. २८८५२. सीमंधिरस्वामि स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२७.५४१२, ११४३६).
सीमंधरजिनवीनती स्तवन, मु. विजयदेव-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुण सुण सरसति भगवति; अंति: पुरव पुने
पायो रे, गाथा-४२. २८८५३. आदिनाथजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, ७७२२).
आदिजिन स्तवन, मु. राम, मा.गु., पद्य, आदि: आज भले दिन उगो हो; अंति: राम सफल अरिदास, गाथा-५. २८८५४. (#) सीमंधरजिनवीनती स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे.,
(२७.५४१२, ११४३६).
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३१४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची सीमंधरजिनवीनती स्तवन, मु. विजयदेव-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुण सुण सरसति भगवति; अंति: (-),
(अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-१५ तक ही लिखा है.) २८८५५. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, जैदे., (२७.५४१२.५, १५४३१). १. पे. नाम. महावीरसत्तावीसभव विचार, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण..
महावीरजिन २७ भव वर्णन, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम भवि पश्चिम महा; अंति: मूक्या ए सतावीसमो भव. २. पे. नाम. प्राणातिपात, मृषावादादि विचार संग्रह, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
भगवतीसूत्र-आलापक संग्रह *, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: कहण्णं भंते जीवा गुर; अंति: माणस्स असंजमे कज्जति. ३. पे. नाम. चौदगुणठाणा नाम, पृ. ३आ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थानक नाम, मा.गु., गद्य, आदि: मिथ्यादृष्टि सासाअण; अंति: केवली अजोगिकेवली. ४. पे. नाम. जीव-अजीव १४ -१४ भेदनाम - पण्णवणासूत्रगत, पृ. ३आ, संपूर्ण.
जीव-अजीव के १४-१४ भेदनाम-पन्नवणासूत्रे, मा.गु., गद्य, आदि: सूक्ष्म अपर्याप्तो; अंति: १४ ए च्यारी रूपी. २८८५६. रोहिणी स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७४११.५, ११४३३).
रोहिणीतप स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नक्षत्र रोहिणी जे; अंति: पद्मविजय गुण गाय, गाथा-४. २८८५७. धन्नाकाकंदी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२.५, १२४२९).
धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. ठाकुरसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी रे धन्ना; अंति: गाया हे मन में गहगही,
गाथा-२१. २८८५८. (+) चौवीसीवर्णननाम संग्रह, चार शरणांव स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ७, प्रले. नरसीराम
हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७.५४१२.५, १७४३६). १. पे. नाम. अतीत व भावी चौवीसीजिन नाम, पृ. १अ, संपूर्ण..
२४ जिन नाम-अतीत, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीकेवलज्ञानी; अंति: रक्षतु वो नित्यं. २. पे. नाम. वर्तमानचौवीसीजिनमातापिता नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
वर्तमानचौवीसीजिन मातापितानाम, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीनाभि जितशत्रु; अंति: शिवा वामा त्रिशला. ३. पे. नाम. वर्तमान २४ जिनयक्ष नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., गद्य, आदि: श्रीगोमुख महायक्ष; अंति: पार्श्व ब्रह्मशांति. ४. पे. नाम. वर्तमान २४जिन शासनदेवी नाम, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
२४ जिन शासनदेवी नाम, सं., गद्य, आदि: चक्रेश्वरी अजितबला; अंति: पद्मावती सिद्धायिका. ५.पे. नाम. ४ शरणा, पृ. १आ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मुजने चार शरणा होजो; अंति: पामीस भवनो पारजी, अध्याय-४,
गाथा-१२. ६. पे. नाम. शांतिनाथ वृद्धस्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारद मात नमु सिरनामी; अंति: वंछित
फल निश्चै पावै, गाथा-२१. ७. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. सीमंधरजिनविनती स्तवन, मु. अगरचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८६१, आदि: त्रिभुवनस्वामी अरज; अंति: जिनपद वचन
विलास, गाथा-२१. २८८५९. नेमनाथनी लावणी, संपूर्ण, वि. १९४०, वैशाख शुक्ल, १५, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४१२.५, १०४३४).
नेमराजिमती लावणी, पुहिं., पद्य, आदि: हरी माइ मेरो नेम चलो; अंति: बीना तरसे हमारी नयना, पद-५. २८८६०. चौवीसजिनवर्णन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. २, कुल पे. ४, जैदे., (२७.५४१२.५, १०४२८).
१. पे. नाम. त्रणचोवीसी नाम, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३ चौवीसी नाम, सं., गद्य, आदि: केवलज्ञानी १ निर्वाण; अंति: भावितीर्थंकरा जिनाः. २. पे. नाम. वर्तमानचतुर्विंशतिजिनजनक व जननी नाम, पृ. १आ, संपूर्ण.
वर्तमानचौवीसीजिन मातापितानाम, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीनाभि जितशत्रु; अंति: शिवा वामा त्रिशला. ३. पे. नाम. २४ जिन यक्ष नाम, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
वर्तमान २४ जिनयक्ष नाम, सं., गद्य, आदि: श्रीगोमुख महायक्ष; अंति: पार्श्व ब्रह्मशांति. ४. पे. नाम. वर्तमान २४ जिन शासनदेवी नाम, पृ. २अ, संपूर्ण.
२४ जिन यक्षिणी नाम, सं., गद्य, आदि: चक्रेश्वरी अजिता; अंति: पद्मावती सिद्धायिका. २८८६१. शिखरगिरि स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२.५, ११४२२).
सम्मेतशिखरतीर्थस्तवन, आ. हर्षचंदसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८९८, आदि: शिखर समेत बधावो; अंति: चंदसूरि
सुखकारी हो, गाथा-१८. २८८६२. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४१२, ११४३०). १. पे. नाम. नवकारवाली स्वाध्याय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. नवकारमंत्र सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बार जपुं अरिहंतना; अंति: इण रीते गुणजो नवकार,
गाथा-९. २. पे. नाम. आत्मप्रबोध स्वाध्याय, पृ. १आ, संपूर्ण.
निंदात्याग सज्झाय, मु. जय, पुहिं., पद्य, आदि: रे जीव निंदा किणरी न; अंति: अविचल लील वरीजे, गाथा-४. २८८६३. (+) कम्मपयडी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९५५, वैशाख शुक्ल, १५, मध्यम, पृ. २, प्रले. पंन्या. जयदत्त, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२६४१२, १३४२६). कम्मपयडीस्तवन, उपा. तत्त्वप्रधान गणि, मा.गु., पद्य, वि. १९४१, आदि: सेना माता जितारि; अंति: अमृतगति
नित चित वसी, ढाल-२, गाथा-२७. २८८६४. बालुडानी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. लिपिकार ने प्रतनाम में "नेमजीनो तवन" लिखा है., जैदे., (२६.५४१२, १०४३१).
आदिजिन स्तवन, मु. महिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बालूडो निसनेही थयो; अंति: महिमा शिवसुख थाय,
गाथा-५, ग्रं. १४. २८८६५. गुरुगुण गुंहली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५५१२.५, १०४३२).
गुरुगुणगुंहली, मु. सुमतिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: किहां गया रे मारा; अंति: सुमतिविमल जस लिधोरे,
गाथा-७. २८८६६. दशपच्चक्खाण, संपूर्ण, वि. १९५६, ज्येष्ठ शुक्ल, ९, बुधवार, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. गिरधारी (गुरु मु. हर्षचंद्र), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १७४४०).
आवश्यकसूत्र-प्रत्याख्यानसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: दो चेव नमुक्कारो; अंति: वत्तियागारेणं वोसिरे. २८८६७. मिच्छामिदुक्कड सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. जेठालाल चुनीलाल भावसार, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१३, ११४३०). मिच्छामीदुक्कडम् सज्झाय, संबद्ध, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गुरु सन्मुख रही विनय; अंति: वरते एकवीस
वरस हजार, गाथा-१४. २८८६८. नरभवगुण सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, १०x४२).
औपदेशिक सज्झाय, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: हारे लाला सिद्धस्वर; अंति: शिवपुर सार रे लाल, गाथा-९. २८८६९. (+) ज्ञान सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७७१३, ११४२७).
पंचमीतिथि सज्झाय, वा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रवचन वचन विचारीएजी; अंति: जुओ जुओ ज्ञान
उजास, गाथा-९. २८८७०. वीसथानिकतप स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४१२, ८४३२).
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२० स्थानकतप स्तवन, मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे प्रणमु; अंतिः तवन सोहामणो रे लोल, गाथा-८. २८८७१. मौनएकादसी स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैवे. (२३.५x१२.५, १३x२८).
"
मौनएकादशीपर्व स्तुति, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि गौतम बोले ग्रंथ; अंतिः श्रीसंघ विघन निवारी,
गाथा- ४.
२८८७३. नेमिजिन सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५X१३, १४X३६).
नेमिजिन स्तवन, ग. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सखी आई रे नेम जान; अंति: अमृत विमल पद वरिई,
गाथा - ७.
२८८७४. अभव्य कुलक, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., ( २७ १२.५, १०x२९).
अभव्य कुलक, प्रा., पद्य, आदि: जह अभवियजीवेहिं न; अंति: हावि तेसिं न संपत्ता, श्लोक - १०. २८८७५. नेमजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२३.५x१२.५, १३x२८).
नेमिजिन स्तवन, मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: तोरण आवी कंत पाछा; अंतिः नेम अनुभव कलिया रे,
गाथा - १५.
२८८७६. पद व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२६४१२, ११x२५). १. पे नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण,
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मा.गु., पद्य, आदि: नयरी वाणारसी अवतर्या; अंति: सवि कहे तुं धन धन्न, पद- २. २. पे नाम, महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
ग. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणंद जगत उपगारी; अंति: पाम्या सिधनिधानजी, गाथा - ७. २८८७७. रोहिणी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९२०, ज्येष्ठ कृष्ण, १, रविवार, मध्यम, पृ. ४, प्रले. पं. खतिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैवे. (२५.५x१२, ११४३०).
रोहिणीतप स्तवन, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५९, आदि: हां रे मारे वासुपूज; अंति: रोहिणी गुण गाईया,
ढाल - ६, गाथा- ४३.
२८८७८. (+) औपदेशिक पद संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १० - ८ (१ से ७, ९ ) = २, कुल पे. १४, प्र. वि. टिप्पणयुक्त
पाठ., जैदे., (२६.५X१२.५, १७X३९).
१. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ८अ, पूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
मनसूर, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: उसी के बीच आ ताजा, गाथा-७, (पू. वि. पहली गाथा नहीं है . ) २. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ८अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि जब तेरी डोली उठाली; अंतिः खाली कर ली जायेगी, गाथा ५.
३. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ८अ संपूर्ण.
कबीर, पुहिं., पद्य, आदि: मोकु कहाँ तूं ढूंढे; अंति: मैं ताहु विश्वास में, गाथा- ४.
४. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद संग्रह, मु. चोथमल, पुहिं., पद्य, आदिः यह मायाना तेसी औरत; अंतिः एसा जग में धनी नहीं, गाथा- ४.
५. पे. नाम. अंबादेवी स्तवन, पु. ८आ, संपूर्ण.
अंबादेवी पद, पुहिं., पद्य, आदि: त्राहि त्राहि जगदंब; अंतिः चमको रह न सके० वारा, गाथा - ८.
६. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ८आ, अपूर्ण, पू. वि. अंतिम पत्र नहीं है.
स्वप्नमय संसार पद, पुहिं., पद्य, आदिः यार सुपने की माया अंति: (-), (पू. वि. गाथा ३ तक है.)
७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. चोथमल ऋषि, पुहिं., पद्य, वि. १८८०, आदि: क्यों पाप कमावे रे; अंति: चोथमल उपदेश सुनावेरे, गाथा - ६. ८. पे. नाम. आधुनिक नारि पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
आधुनिक नारी पद, पुहिं., पद्य, आदि मैं अंगरेजी पढगई सैय; अंतिः खुद में म कहाउंगी, गाथा - ५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. सूर्य, पुहिं., पद्य, आदि: मेरे मन में आना रे; अंति: पद पहुंचाना रे. १०. पे. नाम. सर्वधर्मसमभाव पद, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु. सूर्य, पुहिं., पद्य, आदि: सर्वधर्म समभाव दिखाव; अंति: गावै सूर्य० सर बचावै, गाथा-६. ११. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, तुलसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसी मूढता या मन की; अंति: करहु लाज निजपन की, गाथा-४. १२. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
तुलसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: माधव मोह पास क्यों; अंति: पान करी संतोष धरे, गाथा-६. १३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद-आत्मनिंदा, पुहिं., पद्य, आदि: मो सम कौन कुटिल खल; अंति: सुनिये श्रीपतिस्वामी, गाथा-३. १४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है.
पुहि., पद्य, आदि: सुनेरी मैने निर्बल; अंति: (-), (पू.वि. पहली गाथा प्रारंभमात्र है.) २८८७९. सनतकुमारचक्रवर्ती सज्झाय, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, जैदे., (२५४१२.५, १०४३२).
सनत्कुमारचक्रवर्ती सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: करजोडी वंदे पाय रे, ढाल-४,
(पू.वि. ढाल-२ गाथा-३ तक नहीं है.) २८८८०.(+) शिवपुरीजिनतीर्थमाला स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, ११४२६). शिवपुरी जिनतीर्थमाला स्तवन, मु. विनोदविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शिवपुरी नयरी सोहामणी; अंति: तीर्थ करे
परणाम, गाथा-१८. २८८८१. भलेल, संपूर्ण, वि. १८५२, भाद्रपद कृष्ण, १०, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. अमनगर, प्रले. ग. कांतिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १३४३६-३९).
भलेनो अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: भले ते स्युं कहीइं; अंति: संदेह हता ते पुछिया. २८८८२. (+) सिज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४१२,
१५४४५). १. पे. नाम. वांदणाना ३२ दोष सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण, प्रले. उपा. मतिमंदिर, प्र.ले.पु. सामान्य. ३२ दोष सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी आणी; अंति: सीस क्षमाकल्याण जगीस,
गाथा-१९. २. पे. नाम. असिज्झाय विचार, पृ. १आ, संपूर्ण.
असज्झाय सज्झाय, मु. हीर, पुहिं., पद्य, आदि: श्रावण काती मिगसिर; अंति: पय प्रभु कीजे सेव, गाथा-१५. २८८८३. स्तवन व चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२, १२४४०). १. पे. नाम. पर्युषण-स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. प्रमोदसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सकलपर्व शृंगारहार; अंति: प्रमोद० जय जयकार,
गाथा-१३. २. पे. नाम. पर्युषणपर्व- चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व पर्युषण गुणनीलो; अंति: शासने पामो जयजयकार,
गाथा-९. २८८८५. हितशिक्षा स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. अमृतलाल खेमचंद भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२.५, ११४२३).
औपदेशिक सज्झाय, मु. कीर्तिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चंचल जीवडारे में; अंति: इत भणे जयो श्रीनवकार,
गाथा-११.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
,
२८८८६. छूटकर बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., ( २४.५X१२.५, १२X३४). बोल संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: हिव नव नियाणा करवो; अंति: २४ इति हौनहार चौवीसी. २८८८७. गुणमंजरीवरदत्त पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, ले. स्थल, पालनपुर, जैदे., ( २५x१२, १२३० ). गुणमंजरीवरदत्त स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीय पासजिनेसर; अंति: गुणविजय रंगे मुनि,
ढाल - ६, गाथा- ४६.
२८८८८. स्तवन व दुहा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१३.५X१२.५, १२x१८).
१. पे नाम, पंचमी स्तव, पृ. १अ, संपूर्ण.
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ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन- लघु उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि पंचमीतप तुमे करो रे; अंतिः ज्ञाननो पाचमो भेद रे, गाथा - ५.
२. पे नाम औपदेशिक दोहा, पृ. १अ संपूर्ण.
औपदेशिक दूहा, मा.गु., पद्य, आदि: ज्ञान समो कोई धन नहि; अंति: लोभ समो नही दुख, गाथा - १. २८८८९. स्तवन व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६X१३, १३x४५). १. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ होरी, पृ. १अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि ऐसी धूम मचाई मधुबन; अंतिः दरिशन अनुभव वरी रे, गाथा- ७.
२. पे नाम, वाणियानी सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण.
,
वणिक सज्झाय, मु. विशतविमल, मा.गु., पद्य, आदि: वाणियो वणज करे छे; अंति: वाणी आवे कमाई साथे,
गाथा - ८.
२८८९०. (+) सौभाग्यपंचमीफलप्ररूपण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२३.५x११, १५X४१).
ज्ञानपंचमीसौभाग्यपंचमीफलप्ररूपण स्तवन, मु. दबाकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: शारदमात पसाउले निज; अंतिः दवाकुशल आणंद थयो, गाथा ३०,
-
२८८९१. () पारसनाथजीरो तौन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५x१२, १६x३२). पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीजिणपास; अंति: हो लाल फलमन वांछना, गाथा-१८. २८८९२. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२३.५X१२, ८X३५).
१. पे नाम अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण,
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि अरणिक मुनिवर चाल्या; अंतिः मनवांछित फल साधोजी, गाथा ११. २. पे. नाम. खंधकमुनि सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु.
मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदिः नमो नमो खंधक महामुनि; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ५ अपूर्ण तक लिखा है.)
२८८९३. सझाय, कवित व गुंहली संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२५x११.५, ३७X१८). १. पे. नाम. भरतबाहूबल सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण, प्रले. मु. वृद्धिचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य.
भरतबाहुबली सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (अपठनीय); अंतिः एहवा मुनि निग्रंथ, गाथा - १०, (वि. पहली पंक्ति दीमकभक्षित होने से आदिवाक्य अनुपलब्ध है.)
२. पे नाम प्रभाति गुहली, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
प्रभाती गहुली, मु. दीपविजय, रा., पद्य, आदिः आजो रे बाई आजो रे; अंतिः नामे महामंगलपद पावे, गाथा - ९. ३. पे. नाम. जिनवाणी गहुली, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिनवाणी गहुंली, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अमृत सरखी रे सुणीइं; अंति: प्रभुने प्रभुता दीजे, गाथा-७. ४. पे. नाम. प्रास्ताविक कवित, पृ. १आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: एक नर आव्यो नयरमां; अंतिः सज्जन कुं सज्जन कहे, गाथा- १. २८८९४. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६X१२.५, १०x४०).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३१९ १. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीआदिनाथं नतनाकि; अंति: वीरं गिरिसारधीरं, श्लोक-४. २. पे. नाम. वीर स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: भावानयाणेग नरिंदविंद; अंति: गोक्खिरतुसारवन्ना, गाथा-४. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगलक; अंति: जय ज्ञानकला निधानम्, श्लोक-४. २८८९५. (+) पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४११.५, १२४३०).
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदि: वदन अनोपम चंदलो गोडि; अंति:
(-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा १४ तक है.) २८८९६. स्नात्र पूजा, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२५४१२, १३४३४).
स्नात्रपूजा विधिसहित, पं. वीरविजय, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: सरसशांति सुधारस सागर; अंति: जय० घर घर हर्ष
वधाई. २८८९७. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४११.५, ३८x२१). १. पे. नाम. वीसविहरमानजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. विहरमान २० जिन स्तवन, ऋ. लीबो, मा.गु., पद्य, आदि: पहिला स्वामी सीमंधर; अंति: राज सरो भविकना काज,
गाथा-७. २. पे. नाम. छन्नुजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
९६ जिन गीत, ऋ. लीबो, मा.गु., पद्य, आदि: अतीत अनागतने वर्तमान; अंति: अविचल पदवी ए मांगु, गाथा-१२. ३. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: धरमजिनेश्वर गाउं रंग; अंति: सांभलो ए सेवक अरदास, गाथा-८. २८८९८. सूतकविचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२, १३४३४).
सूतक विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: असतरीरे जायो हुवे तर; अंति: १२ ताई सूतके छे. २८८९९. चिंतामणि पार्श्वनाथ गीत सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. धनारी, प्रले. आ. राजिंद्रसूरि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११.५, ६४३०).
पार्श्वजिन गीत-चिंतामणि, उ., पद्य, आदि: हुसेनी अय रहम शमारा; अंति: हर्म जयवंत सेवरा, गाथा-८.
पार्श्वजिन गीत-चिंतामणि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: प्रसाद थकी तहरा घणी; अंति: हे पार्श्वनाथप्रभु. २८९००. संभवजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१५.५४१२.५, १४४१९).
संभवजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: संभव जिनवर विनती; अंति: फलशे ए मुज साचुं
रे, गाथा-५. २८९०१. (+) स्तवन व सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८७७, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. १६, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
(२६४१२, २०-३१४५७). १.पे. नाम. जसविजय उपाध्यायकृत समाधितंत्र दोधक, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, वि. १८७७, पौष शुक्ल, ५, सोमवार,
प्रले. पं. वखतचंद (खरतरगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य. समाधिशतक दोधकछंदमय, संबद्ध, उपा. जसविजयजी, पुहिं., पद्य, आदि: समरी भगवति भारती; अंति: कही
जाणो निश्चयबुद्ध, गाथा-१०५. २. पे. नाम. साधुगुण सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: श्रवण १ कीर्तन २; अंति: पदवी लहिस्यै तेह, गाथा-११. ३. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जे देखं ते तुज नही; अंति: करमना क्षय थकी ए, गाथा-७. ४. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जेहने अनुभव आतम केरो; अंति: आप सभावमें रातो रे, गाथा-५. ५. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आतम अनुभव जेहनइं; अंति: परमातम मे मन्न रे, गाथा-५. ६. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आनुभव सिद्ध आतम जे; अंति: श्रीहरिभद्र बुद्ध रे, गाथा-५. ७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, पुहिं., पद्य, आदि: कोई केनही कौ काज न; अंति: दुःखादिकने प्रीछे रे, गाथा-६. ८. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन चेतन में धरि; अंति: मणीचंद होये भव अंता, गाथा-५. ९. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: समकित तेह यथास्थित; अंति: यथास्थिति जाणो, गाथा-५. १०. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन जब तुं ज्ञान; अंति: सुखसंपत्ति वाधे, गाथा-८. ११. पे. नाम. नवग्रह सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आदित जोइ तु आपणी आदि; अंति: मणिचंद शुद्ध वाण,
गाथा-८. १२. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: मिच्छत्व कहिजे; अंति: मणिचंद परवस्तु न संच, गाथा-७. १३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण.
ग. मणिचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज का लाहा लीजीइ; अंति: लागी रहे परमनंद साधे, गाथा-८. १४. पे. नाम. गुरुशिक्षा स्वाध्याय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण, वि. १८७७, पौष शुक्ल, ८, गुरुवार.
परनिंदानिवारक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: म कर हो जीव परतांत; अंति: एह हित सीख मानै, गाथा-९. १५. पे. नाम. अध्यात्म गीता, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण, वि. १८७७, माघ कृष्ण, ३०, प्रले. पं. मोहण, प्र.ले.पु. सामान्य.
अध्यात्मगीता, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमीइ विश्वहित जैन; अंति: रंगी मुनि सुप्रतीता, गाथा-४९. १६. पे. नाम. अवंतीपार्श्वजिन पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: पंथीडा पंथ चलेगो; अंति: अब तेरोही आधार. २८९०२. चिंतामणी पार्श्वजिन पद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१२.५, १०४३८).
पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, मु. अमृतविमल, पुहिं., पद्य, आदि: खीण खीण पलपल छीनछीन; अंति: अमृतविमल
पदवी पावे, गाथा-६. २८९०३. आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१२, ११४३३).
आदिजिन स्तवन-अक्षयतृतीयापारणागर्भित, उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: रीखव लइ वरसी उपवासी;
अंति: दादाजी वीनती अवीधारो, गाथा-७. २८९०४. संभवजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, १०४२६).
संभवजिन स्तवन, मु. नित्यलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: हुं तो मोह्यो रे लाल; अंति: गुण गाउ हू लटके, गाथा-५. २८९०५. मान पर स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४११, ९x४२).
औपदेशिक सज्झाय-मानोपरि, पंडित. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: अभिमान म करज्यो कोई; अंति: भाव०
रहीयै चौमासै रै, गाथा-८. २८९०६. रात्रीभोजन सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. श्राव. मगन शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२.५,
१०४३८).
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३२१
रात्रिभोजन निवारण सज्झाब, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल धरमनु सारज कहिए; अंति: तेने धन अवतार रे, गाथा - ७.
२८९०८. (-) महावीरजिन स्तुति, प्रास्ताविक लोक व उत्तराध्ययनसूत्र अध्ययन - ९ - १०, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ३, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२६x१२.५, २०X३७).
१. पे नाम वीरधीड़ पष्टमो, पृ. ९अ १आ, संपूर्ण
सूत्रकृतांगसूत्र - हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: पुच्छिसुणं समणा माहण; अंति आगमिस्संति त्तिबेमि, गाथा - २९.
२. पे नाम. प्रास्ताविकगाथा संग्रह, पृ. १आ-२अ संपूर्ण.
-
प्रास्ताविक गाथा संग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि: पंच महव्वय सुव्वय; अंतिः दुकरं जे कांतिय, गाथा - १०. ३. पे नाम. उत्तराध्ययनसूत्र अज्झायण ९-१०, पृ. २अ ४अ प्रतिपूर्ण
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग, आदि: (-); अंति: (-). २८९०९. (७) क्रोधोपरि सज्झाब, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल बुंडा, प्रले. प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, जैवे., ( २६४१२, १७४३५).
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गाथा- ७.
२८९१०. पंचवीस क्रीया, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५x१२, १७x४० ).
मु.
मानपरिहार सज्झाय, पंन्या. प्रीतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माया निवारो मन थकी; अंति: भणे इम प्रीत रे लाला,
. रामविजय (तपागच्छ),
२५ क्रिया- साधु, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: (१) काइय अहिगरणीया, (२) काया परवसें करी जीव; अंतिः क्रिया कहीये छै.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु म्हांरा पास; अंतिः दीजै दीजै दरसण देव, गाथा- ३.
२. पे. नाम महावीरजिन गुहली, पृ. १अ १आ, संपूर्ण,
२८९११. (#) सझाय व दोहे, संपूर्ण, वि. १९१०, जीर्ण, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. पत्र नष्ट हो गये हैं, खराब स्याही से जल रहे है. आंशिक पाठ नष्ट है., जैदे., (२७X१२, ११x२८).
१. पे नाम. मनहजिणाण सज्झाय, पृ. १अ संपूर्ण.
मन्हजिणाणं सज्झाय-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: मन्हजिणाणं आणं मिच्छ; अंति: निच्चं सुगुरूवएसेणं,
गाथा - ५.
२. पे. नाम. जिन स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
जिन नवांगीपूजा दोहा, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जल भरी संपुट पत्रमा; अंति: कहे शुभवीर मुणिंद,
गाथा - १०.
२८९१२. स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५X१२, १६x३६). १. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीर जिन पद, मु. रतनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: हांजी प्रभु चंपानगर, अंति: रतनचंद गुण गाईया, गाथा - १०. ३. पे. नाम. नेमराजिमती स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
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मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अवल गोख अमोल झरोखे; अंति: देववीजे जेंजेंकारि, गाथा- ७. २८९१३. (+) स्थूलभद्र बारमासो, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, प्र. वि. संशोधित, जैदे, (२५x१२, ९२८).
स्थूलभद्रमुनि कोशा बारमासो, पं. शुभवीर, मा.गु., पद्य, आदि: कोश्या कहे सुणज्यो; अंति: नवि चलस्युं रे,
गाथा - १७.
२८९१४. गौतमपृच्छा बोल, संपूर्ण, वि. १९२४, मध्यम, पृ. २, प्रले. उदेराम ब्राह्मण, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१२,
१५४३६).
गौतमपृच्छा ३० बोल, रा., गद्य, आदि: गोतमसांमी हाथ जोड; अंतिः करीने मुगत जासी, २८९१५. स्तवन व मंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१५.५X१२, १२x२३).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निसनेही सुं नेहलो; अंति: ज्ञानविमल. जगमां महे, गाथा-७. २.पे. नाम. वर्द्धमानविद्या मंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
प्रा., गद्य, आदि: ॐ ह्रीँ नमो अरिहता; अंति: ह्रौं सः स्वाहा. २८९१६. छठाआरा वर्णन सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२.५, ११४२७).
छट्ठाआरावर्णन सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे गौतम सांभलो; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., गाथा १४ अपूर्ण तक है.) २८९१७. ज्ञानपंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२०.५४१२, १२४२३).
ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन-बृहत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी सद्गुरु पाय; अंति:
भक्तिभाव प्रसंसउ, ढाल-३. २८९१८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२६४१२.५, १३४३६). १.पे. नाम. सुविधिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. सुविधिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुविधिजिणंद भगवंत; अंति: सूख आवि पूरसो जी,
गाथा-७. २. पे. नाम. मल्लिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मल्लिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मल्लिनाथ महाराज; अंति: आनंदमंगल में पाया, गाथा-४. ३.पे. नाम. धर्मनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
धर्मजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: धर्म धोरि प्रभु धर्म; अंति: मोहन० भवना दुख जाय, गाथा-५. ४. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
नमिजिन स्तवन, मु. मुक्तिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु एकविसमा जिनराज; अंति: देज्यो देवाधिदेवा, गाथा-५. २८९१९. पजुसण सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. धोलेराबंदर, पठ. श्रावि. नंदु, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीऋषभदेवप्रसादात्., जैदे., (२३.५४१२.५-१५.५, ७४३२). पर्युषणपर्व सज्झाय, मु. मतिहंस, मा.गु., पद्य, आदि: परव पजुसण आवियां रे; अंति: मतिहस नमे करजोड रे,
गाथा-११. २८९२०. (#) सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४१२,
१४४४१). १.पे. नाम. ज्ञानपंचविंशति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, ले.स्थल. भावनगर, पे.वि. आदिश्वरेण प्रसादात्. ज्ञानपच्चीसी, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: सुरनर तिर्यग जग जोनि; अंति: कौ उदै करण के हेत,
गाथा-२५. २. पे. नाम. अध्यात्म पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, राजाराम, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन तूं क्या फिरै; अंति: प्रभु यह अरज है मोरी, पद-५. २८९२१. (#) गौतमस्वामि स्तवन व श्लोक, संपूर्ण, वि. १८६७, चैत्र शुक्ल, ६, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २,
प्र.वि. भीमविजयजी के पास से यह प्रत लिखी गयी है., अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४११.५, १२४३९). १. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. पुण्यउदय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभाते गौतम प्रणमी; अंति: उदय प्रगट्यो कुलभाण, गाथा-७. २. पे. नाम. मधुरवचन श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: हे जीभ कटुकस्नेहे; अंति: लोको हि मधुरप्रिये, श्लोक-१. २८९२२. भरहेसर सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२३४१२.५, ९४२५).
भरहेसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुयणे सयले, गाथा-१३. २८९२५. रोहीणी उजमणो, संपूर्ण, वि. १८६२, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५४१२, १५४३८).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३२३ रोहिणीतप स्तवन, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १७२०, आदि: सासणदेवता सामणीए मुझ; अंति: सकल मंगल
आस्या फली, ढाल-४. २८९२६. नेमराजुल लावणी व सुभाषित श्लोक, संपूर्ण, वि. १९३८, आश्विन कृष्ण, ८, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २,
ले.स्थल. धोलेरा, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७७१३, १४४३७). १. पे. नाम. नेमराजुल लावणी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
नेमिजिन लावणी, मु. नवलराम, मा.गु., पद्य, आदि: नेमकी जान बनी भारी; अंति: भया जो अधिकारी, गाथा-८. २. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह-, पृ. १आ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१. २८९२७. छन्नुजिन व पोशदशमी गणनु, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४१२.५, २४११). १. पे. नाम. ९६ जिन गणj, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
९६ जिन नाम, मा.गु., गद्य, आदि: केवलज्ञानी सर्वज्ञाय; अंति: सर्वज्ञाय नमः. २. पे. नाम. पोषदशमी गणj, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं श्रींपार्श्व; अंति: पार्श्वनाथअर्हते नमः. २८९२८. विषापहार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६४१२, १०४३२).
विषापहार भाषा, आ. अचलकीर्ति, मा.गु., पद्य, वि. १७१५, आदि: विश्वनाथ विमलगुण ईश; अंति: श्रीजिणवर को
नाम, गाथा-४२. २८९२९. सज्झाय व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४११.५, १६४३९). १. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र की सज्झाय, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण. दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. जैतसी, मा.गु., पद्य, वि. १७१७, आदि: धरम मंगल महिमा निलो; अंति:
जेतसी जय जय रंग, अध्याय-११. २. पे. नाम. धन्नाकाकंदीसाधु सिज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण. धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. विद्याकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन्नो ऋषि वंदीयै; अंति: नाम थकी निस्तार रे,
गाथा-७. ३. पे. नाम. जथोत्तर बल वर्णन, पृ. ४अ, संपूर्ण.
जिनबल विचार, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो वीर्य बोलु; अंति: अग्र कुं नेम ते तुं, गाथा-१. ४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४अ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: तां लग हे वरही सतगे; अंति: वात वटाऊ कहेगे, गाथा-३. २८९३०. (+) नयप्रमाण वाद, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-१(१)=२, पू.वि. बीच के पत्र हैं.,प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., दे., (२५४१२, १७४६५).
प्रमाण नयवाद, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २८९३१. संथारा की गाथा, संपूर्ण, वि. १८८९, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. कुचामण, प्रले. रायकवरी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १८४४२).
संलेखना पाठ, प्रा., गद्य, आदि: अहं भंते अपछिम मारणं; अंति: भुएसु वेरमज्झ न केणइ. २८९३३. चौवीसजिन आंतराव पट्टावली, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७४१२, १७४४५). १. पे. नाम. जिनांतरा, पृ. १अ, संपूर्ण.
२४ जिन आंतरा, मा.गु., गद्य, आदि: २४ तीर्थंकर श्रीवीर; अंति: श्रीऋषभनइ आंतरइ. २. पे. नाम. पट्टावली, पृ. १अ, संपूर्ण, पू.वि. २७ मी पाट तक है.
मा.गु., गद्य, आदि: अज्ज सुहम जंबु प्रभव; अंति: गणिणोय२६ देवड्डी२७. २८९३४. पांचमनी सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, ११४२७-२९).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्यजिणेसर; अंति: संघ सयल सुखदाय रे,
ढाल-५. २८९३५. छींक विचार व साधु कालधर्म विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४११.५, १६x४३). १. पे. नाम. छींक काउसग्ग, पृ. १अ, संपूर्ण.
छींक विचार, संबद्ध, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: पाखी पडिकमणा करता; अंति: छींके तो लोच कराववो. २. पे. नाम. साधु साध्वी कालधर्म विधि, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम उष्ण जले; अंति: खीलो ठोकी बेसारवो. २८९३७. (+) स्तुति व सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. गुलाब, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ग्रंथ रचना के
समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२६४१२, १२४३६). १.पे. नाम. नवपद स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, वि. १८८५, कार्तिक शुक्ल, १०, ले.स्थल. आजोनगर,
प्रले. मु. गुलाबविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. पद्मप्रभू प्रासादात्.
सिद्धचक्र स्तुति, मु. खुशालसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत सिद्ध सूरि; अंति: अक्षय सुख वरीजे, गाथा-४. २. पे. नाम. आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण..
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अजुही आतम अनुभव नायो; अंति: सकल सुमति हित कीनो, गाथा-६. २८९३८. सझाय व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ६, दे., (२५४१२.५, १९४३३). १. पे. नाम. बुढापा सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. मांगीलाल, पुहिं., पद्य, आदि: बुढा वालम करे; अंति: मांगीलाल० करने वाले, गाथा-७. २. पे. नाम. मूरख सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मुरखने ग्यान कदी नही; अंति: उलट बीज गमाय, गाथा-७. ३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: जागो रे जंजारी जीवडा; अंति: दाम ज राखो घाट को, गाथा-३. ४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: देखो जी अंधेर जगत मे; अंति: डुब जाय पातार है, गाथा-४. ५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: करम की कैसे कटे फांस; अंति: जिनदास खोइ खोइ वासी, गाथा-३. ६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. चंपालाल शिष्य, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसी कटे करम की फांसी; अंति: मत करजो कोई हासी, गाथा-३. २८९३९. ऋषभदेव स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२.५, ११४३९).
आदिजिन स्तवन, मु. सुमतिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभजी तू मातामरुदेवी; अंति: सुमतिविमल भवपार रे,
गाथा-११. २८९४०. पंचपरमेष्टि वृद्धनवकार व मंत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६४११, १३४३०). १. पे. नाम. पंचपरमेष्टि वृद्धनवकार, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र पद, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १२वी, आदि: किं कप्पतरु रे आयाण; अंति: तणी सेवा
देज्यो नित, गाथा-१३. २. पे. नाम. मंत्र संग्रह, पृ. २आ, संपूर्ण.
मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). २८९४१. अरजिन स्तुति व २४जिन चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७४१२.५, ११४२८).
१. पे. नाम. अरजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. ___ मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: अरनाथ सनाथ करो स्वाम; अंति: दिनदिन तरणी पेरे तपे, गाथा-४. २. पे. नाम. २४ जिन चैत्यवंदन-भवसंख्यागर्भित, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३२५ आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तीर्थंकरतणा; अंति: ज्ञानविमल गुण गेह, गाथा-३, (वि. प्रत में कर्ता
के गुरुनाम में जो वीरविमल लिखा है, उसकी जगह धीरविमल होना चाहिये.) २८९४२. सीमंधरजिन वीनती स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२६४१२, १३४३८).
सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामि श्रीमंधर; अंति:
(-), (पू.वि. ढाल-५ गाथा-६३ तक है.) २८९४३. स्तवन व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७४१२.५, ५४३५). १. पे. नाम. सिद्धाचलतीर्थ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. ज्ञान, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धाचल गुणगेह भवी; अंति: तस ज्ञान कला घणीजी, गाथा-५. २. पे. नाम. आहारप्रधानता सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सर्वे देव देवमां; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ४ तक है.) २८९४४. चौवीसमंडल बोल, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२.५, १४४३७).
२४ मांडला, प्रा., गद्य, आदि: प्रथम संथारा पासेनी; अंति: पासवणे अहियासे ६. २८९४५. गौतमस्वामी गुंहली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१२, ११४२४).
गौतमस्वामी गहंली, मु. विवेकविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सासननायक वीरजी रे; अंति: विवेकने मंगलमाल रे,
गाथा-७. २८९४६. सर्वतप पारणा विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५५१२.५, ८x२६).
__ तपपारणा विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम ग्यानपूजा करके; अंति: दान सन्मान करै. २८९४७. माया सज्झाय व महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२३.५४१२.५,
२१४२१). १. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: समकितनुं मुल जाणीये; अंति: ए मारग छे शुद्ध, गाथा-६. २. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. रिद्धिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: वीर हमणो आवे छे मारे; अंति: जिनना गुण गावता, गाथा-२. २८९४८. ज्ञान सज्झाय, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, जैदे., (२६४१२, १०४३१).
ज्ञान सज्झाय, वा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: मान० जांणो धरम विवेक, गाथा-९, (पूर्ण,
पू.वि. गाथा-१ अपूर्ण से है.) २८९४९. (-) साधु श्रावक आलोचना विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, माघ शुक्ल, १, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. अशुद्ध
पाठ., जैदे., (२६४१२.५, २१४३५-४१). १. पे. नाम. श्रावक आलोचना, पृ. १अ, संपूर्ण.
श्रावक आलोयणा, रा., गद्य, आदि: श्रावग समकत भंग जंगन; अंति: तीन तेहीज फेर देणा. २. पे. नाम. साधु आलोवणा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
साधुप्रायश्चित विधि, मा.गु., गद्य, आदि: समकत अतीचार २ उप०; अंति: सुइ टुट जाव तो बेलो. २८९५०. शांतिक विधि, संपूर्ण, वि. १९४९, माघ शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. अजयदुर्ग, प्रले. मु. प्रेमचंद ऋषि (नागोरीलंकागच्छ),प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, २२४५२).
शांतिपूजा विधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ननु संघादीनां विघ्नो; अंति: दूरतो यांति. २८९५१. पद्मावती आराधना *, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. दो पद को एक गाथा गिनकर गाथा-८२ दिया है., जैदे., (२६४१२, २२४७६). पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (१)मोटी सती पदमावती, (२)हिवे राणी पद्मावती;
अंति: पापथी छूटे ते ततकाल, ढाल-३, गाथा-८२. २८९५२. स्तवनचौवीसी*, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२५४११.५, १४४३५).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची स्तवनचौवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, वि. १८पू, आदि: ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम; अंति: (-),
(पू.वि. श्रेयांसजिन स्तवन की गाथा-५ तक है.) २८९५३. औपदेशिक गाथा संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-२(१ से २)=४, जैदे., (२५.५४१२, १३४३४).
औपदेशिक गाथा संग्रह, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं व प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., गाथा-४९ से १३८ तक लिखा है.) २८९५४. विहरमानजिन स्तवनवीसी, स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. ११, जैदे.,
(२५.५४१२.५, १६x४३). १. पे. नाम. स्तवनवीशी - स्तवन १ से ११, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
विहरमानजिन स्तवनवीसी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मुज हीयडौ हेजालूवौ; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २. पे. नाम. महावीरजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, मु. हर्षचंद, पुहि., पद्य, आदि: आज महोछव रंग वधाई; अंति: तीन लोक भयो जै जैकार,
गाथा-३. ३. पे. नाम. सुमतिजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहि., पद्य, आदि: प्रभुजी जो तुम तारक; अंति: बाह कहे की निबहीयै, गाथा-३. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: यह सुंदर मूरति पास; अंति: हरषचंद गुण गातरी, गाथा-५. ५. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: देख हो सुरराज जिन; अंति: महोछव रचै सुख समाज, गाथा-४. ६. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, म. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: माई मेरो मन तेरो; अंति: सबही काज सरे रे, गाथा-५. ७. पे. नाम. नेमराजिमती पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल तुं वडभागीन; अंति: हरखचंद बलिहारी, गाथा-५. ८. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, टोडर, पुहिं., पद्य, आदि: उठ तेरो मुख देख; अंति: टोडर लागो जिनचंदा, गाथा-५. ९. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. देवकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: चंद्रप्रभुजीसुं; अंति: देवकुशलने प्यारी, गाथा-७. १०. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. चंदकुशल, पुहि., पद्य, आदि: देखोरे आदीसर सामी; अंति: चंद० गुण गाया है, गाथा-५. ११. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: कहिवैकुं मन सूरमा कर; अंति: दारत सोई सुखीया, गाथा-४. २८९५५. अवगाहना बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४११.५, २४४१६).
अवगाहना बोल संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: चुवीस तीर्थंकरना; अंति: तेह थकी उत्तरतु हाथ. २८९५६. दशमाध्ययन स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६४१२, १२४२७).
द्रुमपत्रीयाध्ययन सज्झाय, संबद्ध, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवीर विमल केवल; अंति: पसरें बह
गुण रेल, गाथा-२३. २८९५७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, ले.स्थल. वडग्राम, प्रले. हकमचंद भोजक,
प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५४१२, १४४३१). १. पे. नाम. शिखामणनी सझाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जोने तु पाटण जेवा; अंति: रत्नविजय०नाव्या कामे,
गाथा-१२.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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२८९५८. कोणिकचेडा का युद्ध लावणी, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६X१२, १६x४२).
२. पे. नाम. जीवने शीखामणनी सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-जीव, मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्म, आदि: रत्नविजें कहु कधी रे; अंतिः तो चेतावुं तने रे, गाथा - १२.
३. पे नाम. आठ करमनी सज्झाय, पृ. १आ-२अ संपूर्ण
८ कर्म सज्झाय, मु. देवविजय वाचक, मा.गु., पद्य, आदिः आठ करम चूरण करी रे; अंति: आसीस मेरे प्यारे रे,
गाथा-६.
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कोणिक-घेडा युद्ध लावणी, मु. हीरालाल, पुहिं., पद्म, आदि: महाराज सची लालच को; अंतिः हीरा० ध्यान लगाताजी, गाथा-४.
२८९५९. चोवीस कल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. १९३९, भाद्रपद शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल, पूना, प्रले, मु. राजेंद्रसोम, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीगोडीपार्श्वनाथ प्रसादात्. साधवीजी के लिये यह प्रति लिखी गई., जैदे., (२५X१२.५, ११X३६). २४ जिन कल्याणक स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३६, आदि: प्रणमी जिन चोवीशने; अंति: थुणिआ श्रीजिनराया रे, डाल-७.
२८९६०. क्षेत्रादिक विचार, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., ( २६x११.५, ३२x४८). लघुक्षेत्रसमास प्रकरण - विचार में, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: प्रथम जंबूद्वीप; अंति: (-).
,जैदे.,
२८९६२. (+) सांवप्रद्युम्न रास, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., (२६.५x११.५, १३४३९).
सांबप्रद्युम्न प्रबंध, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६५९, आदि: नेमीसर गुणनिलो; अंति: (-), ( पू. वि. ढाल - ४ गाथा - ३ अपूर्ण तक है . )
३२७
२८९६३. पंचकारण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४०, भाद्रपद शुक्ल, १४, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. पुना, प्रले. मु. राजेंद्रसोम, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X१२.५, ११×३७).
५ कारण छ ढालिया, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: सिद्धार्थ सुत वंदीए; अंति: परे विनय क आणंद ए, ढाल - ६, ग्रं. ७५.
२८९६६. पद्मावती आलोवण, संपूर्ण, वि. १९४३, वैशाख कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. सा. रूपश्रीजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
२८९६७. सज्झाय व गहुली, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२७४११.५, १२x२८).
१. पे नाम. ढंढणऋषि सज्झाय पु. १अ १आ, संपूर्ण
(२५X११.५, १४X३० ).
पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिव राणी पदमावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल, ढाल - ३, गाथा- ४६.
"
ग. जिनहर्ष, रा., पद्य, आदि: डंडणऋषिने वंदना; अंति: कहे जिनहर्ष सुजाण रे, गाधा - ९.
२. पे नाम, महावीरजिन गहुली, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. मणिउद्योत शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सजनी मोरी गुणसिल वन; अंतिः संका करो परिहार रे, गाथा- ८. २८९६८. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैवे. (२६.५x११.५, १७४४८).
"
१. पे नाम, गर्भावास सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
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संघो, मा.गु., पद्य, आदि: माता उदरि बस्यो दस; अंतिः मुगति तणां फल लहीहं, गाथा- १६.
२. पे. नाम. ७ व्यसन सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
मु. खेमकलश, मा.गु., पद्य, आदि: काया कामिन जीव इम; अंति: खेमकलास कहे मनिरली, गाथा - २१.
३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-परनारी परिहार, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा- २ अपूर्ण तक ही
हैं.
ग. कुमुदचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो सुणो कंथा रे; अंति: (-).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२८९६९. योगपावडी व सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २- १ (१) = १, कुल पे. ५, जैदे., (२७X११.५, १८x५२).
१. पे. नाम. योगपावडी, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है., गाधा - ६० अपूर्ण तक नहीं हैं. गोरखनाथ, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: गोरख० परमपद पावें, गाथा - ६८.
२. पे. नाम. तीन मनोरथ सज्झाय, पृ. २अ संपूर्ण.
प्रले.
धर्मसिंह ऋषि,
३ मनोरथ सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: दानमांहि प्रधान कहिज; अंति: सेवा मागु तुम पाए, गाथा-८. ३. पे. नाम. चतुर्दशगुणस्थान स्वाध्याय, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण, ले. स्थल. वर्द्धमान ग्राम,
प्र.ले.पु. सामान्य,
१४ गुणस्थान सज्झाय, मु. धर्मसागर, मा.गु., पद्म, आदि: पासजिणेसर पावनमी सह; अंतिः मनि जिणवर आणो रे,
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मु.
गाथा - १८.
४. पे नाम औपदेशिक गीत, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मा.गु., पद्य, आदि: वाहणुं बाहिरं निधर; अंतिः नित्य सोझालि रे भाइ, गाथा- ७. ५. पे. नाम. दशप्रत्याख्यान स्वाध्याय, पृ. २आ, संपूर्ण.
१० पच्चक्खाणफल सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: दसविह प्रह उठी; अंति: निश्चइ पामउ निर्वाण, गाथा - ९. २८९७०. ६ भाव विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, ले. स्थल वीरमगाम, प्रले. श्राव. नागरदास नानचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पत्रांक पत्र के दोनो ओर हैं. जैवे., (२५.५x१२.५, १२४३२-४१).
ラ
६ भाव विचार, मा.गु., गद्य, आदि: रे आत्मा कर्म वस्ये; अंति: स्थानक कीस्यु छे.
२८९७२. (+) वीरथुई अध्ययन सह टबार्थ, स्तुति व वीसस्थानकपद नाम, संपूर्ण, वि. १९७४, भाद्रपद शुक्ल, १२, सोमवार, श्रेष्ठ,
पृ. ४, कुल पे. ३, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., ( २६५१२, ५४४१).
१. पे नाम वीरस्तुति अध्ययन सह टवार्थ, पृ. १आ-४अ, संपूर्ण.
सूत्रकृतांगसूत्र - हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: पुच्छिसुणं समणा माहण; अंति आगमिस्संति तिबेमि, गाथा-२९.
सूत्रकृतांगसूत्र - हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: पु० सुधर्मास्वामीनि अंतिः इम हुं जे० कहुं
छु.
मा.गु., पद्य, आदि: कका क्रोध निवारीयै; अंति: वाधे विद्या विलास, गाथा - ३४.
२. पे. नाम. सवासोसीख छत्तीसी पृ. २आ ४अ संपूर्ण.
२. पे. नाम महावीरजिन स्तुति, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: पंच महव्वय सुव्वय; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र - ३ गाथा क लिखा है. )
३. पे. नाम. वीसस्थानक चैत्यवंदन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
२० स्थानक गाथा, प्रा., पद्य, आदि: अरिहंत सिद्ध पवयण अंतिः तित्ययरतं लहड़ जीवो, गाथा- ३.
२८९७३. कका छत्तीसी, सीखछत्तीसी व चौवीसजिन दुहा, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२.५, ११x४६).
१. पे. नाम. ककावत्रीसी, पृ. १आ २आ, संपूर्ण.
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१२५ सीख, मु. धर्मसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसद्गुरु उपदेस; अंति: इम कहै भ्रमसी उवझाय, गाथा-३६. ३. पे. नाम. चौवीसभगवंतरा दूहा, पृ. ४अ-४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा - १९ अपूर्ण तक हैं.
२४ जिन दूहा, मा.गु., पद्य, आदि पहिला प्रणमुं रिषभ अंति: ( - ).
२८९७४. पोरसी पच्चक्खाण कल्पमान, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., ( २५x१२, १९x४२).
पच्चक्खाण कल्पमान-पोरसी, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: सावण वद पडवाक दिन; अंति: ३० मास ३० दिन. २८९७५. पच्चक्खाणसूत्र व संथारापोरसी, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., ( २६.५x११.५, १२X४७). १. पे. नाम. प्रत्याख्यानसूत्र, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
"
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सूरे उग्गए अभत्तट्ठ; अंति: वत्तियागारेणं वोसिरइ. २. पे नाम. संधारापोरसीसूत्र, पृ. १आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. प्रा., पद्य, आदि: निसिही निसिही निसीहि; अंति: (-).
२८९७६. सज्झाय, चैत्यवंदन व स्तवन आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-३ (१ से ३) ३, कुल पे. ९, प्रले.
नरसीराम हरदेव आचार्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x११.५, १२४३०).
१. पे. नाम. कलंकिनी सज्झाय, पृ. ४अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
पंचम आरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति भाख्या ववण रसाल, गाथा - २४, ( पू. वि. गाथा - १६ अपूर्ण से है . )
२. पे. नाम. २० स्थानक स्तवन, पृ. ४अ - ५अ, संपूर्ण.
पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदिः सुअदेवी समरी कहु; अंतिः जिनपद सुजस जमात, गाथा - १४. ३. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु.
विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीसकुंजो सिणगार अंति: आराधीए आगमवाणी विनीत, गाथा- ३. ४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५अ ५आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु श्रीदेवाधिदेव; अंतिः प्रवचन वाणी वनीत, गाथा - ३. ५. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदिः कल्पतरुवर कल्पसूत्र; अंतिः उपजे विनय विनीत, गाथा - ३. ६. पे. नाम. पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदिः सुपन विधि कहे सुत; अंति: वाणी वनीत रसाल, गाथा - ३. ७. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिननी बहिन सुदर्शना; अंति: सुणज्यो एक ही चित, गाथा- ३. ८. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण.
मु. . विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिनेसर नेमनाथ; अंतिः सरखी वंदु सदा वनीत, गाथा-३. ९. पे नाम. जिन नमस्कार, पृ. ६आ, संपूर्ण,
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्वराज संवच्छरी दिन; अंति: वीरने चरणे नामु शीस,
२४४८०).
१. पे. नाम औपदेशिक लावणी, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. गाथा ४ अपूर्ण से हैं.
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गाथा - ३.
२८९७७. सझाय,पद लावणी आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४ (१ से ४) = १, कुल पे. ५, जैदे., (२५.५X१२,
मु. हीरालाल, रा., पद्य, आदि: ( - ); अंति: मिथ्यात्व मिटे दोई.
२. पे. नाम. सालीभद्र लावणी, पृ. ५अ - ५आ, संपूर्ण.
हसनवेग, पुहिं., पद्य, आदि: माया जाल में फसे हे; अंतिः अपनी काया हेरी हे, गाथा-४,
"
४. पे नाम, क्रोधपरिहार सज्झाय, पृ. ५आ, संपूर्ण.
३२९
शालिभद्रमुनि लावणी, मु. हीरालाल, रा., पद्य, वि. १९५६, आदि: सालभद्र माहाराज आपकी; अंति: हीरालाल
संपत पायो, गाथा - ५.
३. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. ५आ, संपूर्ण.
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हसनबेग, पुहिं., पद्य, आदि: कोइ क्रोध मत करोजी; अंति: फिर पीछे पछताता है,
५. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ५आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: बडे गइ तार लागी रे; अंति: झेर जडी कुण खाय, गाथा ५.
२८९७८. (+) स्तवन व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., ( १६.५X१२,
१२x२१).
गाथा- ४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. १अ - १आ,
संपूर्ण.
महावीर जिन स्तवन, श्रीपति, मा.गु., पद्य, आदि मुख मटके अटके मारु; अंति: गाया श्रीपतिने सिक्के, गाथा - ७. २. पे नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
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मा.गु., पद्य, आदि: नहीं आवुं जी माहरे; अंति: अनुभव सुख रसाल छे रे, गाथा - ५.
२८९७९ सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९५३ आश्विन शुक्ल, १३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. रंगनाथवल्यम् शेठ,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X११.५, १३x४४).
१. पे. नाम जीभलडीनी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
जीडी सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बापलडी रे जीभलडी; अंति कहे सुण प्राणी रे, गावा- ८. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पच, आदिः धोबीडा तुं धोजे मननु; अंतिः सीखडली अमृतवेल रे, गाथा-६. ३. पे. नाम. प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. लक्ष्मीरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: राज छोडी रलीयामणो; अंति: देख्यो सूत्र परतक्ष, गाथा - ६.
२८९८०. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८८३, मध्यम, पृ. १, कुल पे ६, ले. स्थल. हरिदुर्ग, जैदे., (२५.५x१२.५, १६४५५). १. पे. नाम. प्रथमव्रत सझाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
प्राणातिपातविरमणव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरवे रे; अंति: प्रे रे, गाथा - ६.
२. पे. नाम द्वितीयव्रत सझाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मृषावादपापस्थानक सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: असत्य वचन मुखथी नवि; अंति: कांतिवि० सुद्ध आचार, गाथा - ५.
३. पे. नाम. तृतीयव्रत सझाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
अदत्तादानविरमणव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: त्रीजुं महाव्रत; अंति: तेहना पाय नमे करजोडि, गाथा - ६.
४. पे. नाम चतुर्थव्रत सझाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
शीलव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती केरा रे चरणकमल; अंतिः सीयल पालो नरनारी,
गाथा - ८.
५. पे. नाम. पांचमा महाव्रत सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि आज सफल मनोरथ अति घणो अंतिः सज्झाय भणतां सुख लहे, गाथा- ७. ६. पे. नाम. छठाव्रत सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल धरमनो सार ते कही; अंति: कांति० धन अवतार रे, गाथा - ७.
२८९८१. दुषमकाल बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १८२८, वैशाख शुक्ल, २, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. घाणोरानगर,
प्रले. पं. मनोहरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X११.५, १९×६३).
दुषमकाल विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: भगवंत कहै छे हे गौतम; अंति: धर्म कहे ते अणाचारी. २८९८२. विषयत्याग सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६X११.५, १३X३४).
औपदेशिक सज्झाय-विषयपरिहार, मु. सिद्धविजय, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव विषय न राचीई; अंति: तस प्रण नसदीसो रे, गाथा १२.
"
२८९८३. पार्श्वजिन चैत्यवंदन सह अवचूरि व गौतमस्वामी काव्य सह बालाववोध, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे., (२५.५x११, १५४३८-४० ).
१. पे नाम, पार्श्वजिन चैत्यवंदन सह अवचूरि, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, हिस्सा, प्रा., पद्य, आदि: चउक्कसायपडिमलुरण; अंतिः पासु पयच्छउ वंछिउ, गाथा-२.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३३१ पार्श्वजिन चैत्यवंदन-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: भुवनत्रयस्वामी पार्श; अंति: भणंति अपुच्छिया साहू. २. पे. नाम. गौतमस्वामी काव्य सह बालावबोध, पृ. १आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी काव्य, सं., पद्य, आदि: अब्धिलब्धिकदंबकस्य; अंति: श्रीगौतमस्तान्मदे, श्लोक-१.
गौतमस्वामी काव्य-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: लब्धि भणियै आमोसहि; अंति: हर्ष निमित्त नीपजौ. २८९८४. स्वारथ उपदेसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १०४३१).
औपदेशिक पद-स्वार्थ, मा.गु., पद्य, आदि: जे सर्वथि पासथो; अंति: भीद छे उसुत्र भाखि, गाथा-५. २८९८५. महावीरजिन व युगमंधरजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४(१ से ४)=१, कुल पे. २, प्रले. मु. रत्नसोम;
अन्य. मु. हर्षविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२२.५४११, १२४३३). १. पे. नाम. पंचकल्याणक विरप्रभूस्तवन, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., ढाल-५ की गाथा-९ अपूर्ण तक
नहीं है., वि. १८७४, मार्गशीर्ष कृष्ण, ७, मंगलवार, ले.स्थल. खेरालु. महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणकवधावा, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: तीरथ फल महाराज
वाला, ढाल-५. २. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
पं. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काया पामी अति कुडी; अंति: जिनविजये गाया रे, गाथा-८. २८९८७. वर्णचतुर्विंशतिका सह अवचूरि व यंत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ८-७(१ से ७)=१, कुल पे. २,
प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२४.५४१०.५, १३४४३). १. पे. नाम. वर्णचतुर्विंशतिका सह अवचूरि, पृ. ८अ, संपूर्ण. वर्णचतुर्विंशतिका, मु. मेघविजय, सं., पद्य, आदि: ॐकारेमनवोकारे साध्या; अंति: तां मेघविजयोब्रवीत्,
श्लोक-१७. वर्णचतुर्विंशतिका-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. पत्र की किनारी खंडित होने से
__ आदि-अंतिमवाक्य नहीं भरा गया है.) २.पे. नाम. जैन यंत्रसंग्रह, पृ. ८आ, संपूर्ण, पे.वि. ज्योतिष, दिनमान, नष्टजातक व सर्वतोभद्र आदि यंत्र है.
जैनयंत्र संग्रह , मा.गु., यं., आदि: (-); अंति: (-). २८९८९. गुरुगुण गहुंली, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, ९४२६).
गुरुगुण गहुँली, मु. चंद्रविजय, रा., पद्य, वि. १९३५, आदि: सहीयर चालो वंदन काजे; अंति: चंद्र मुनि गुण भाजन,
गाथा-७. २८९९०. (+) महावीरजिन स्तवन सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. ऋ. धर्मसिंह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४२६.५, ७X५४).
महावीरजिन स्तव, सं., पद्य, आदि: सिद्धपुराभिध नगर; अंति: तस्य च मौनपुर, श्लोक-१०.
महावीरजिन स्तव-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: मोक्षपुर नामि नगर; अंति: मोक्षपुरनइ विषइं. २८९९२. (+) विवेकमंजरी प्रकरण व प्रश्नोत्तररत्नमाला, पूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें-वचन विभक्ति संकेत-क्रियापद संकेत., जैदे., (२६४११, १७४३८-५९). १. पे. नाम. विवेकमंजरी प्रकरण, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण. विवेकमंजरी, श्राव. आसड कवि, प्रा., पद्य, वि. १२४८, आदि: सिद्धिपुरसत्थवाह; अंति: जलहिदिणेस वरिसम्मि,
गाथा-१४६. २. पे. नाम. प्रश्नोत्तररत्नमालिका, पृ. ४आ, पूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., श्लोक-२४ अपूर्ण तक हैं.
प्रश्नोत्तररत्नमाला, आ. विमलसूरि, सं., पद्य, आदि: प्रणिपत्य जिनवरेंद्र; अंति: (-). २८९९३. सीमंधरजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४११.५, १७X४५). १. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. कान कवि, मा.गु., पद्य, आदि: थे तो महाविदेहना; अंति: कान० गाउं नित ताहरा, गाथा-९.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
श्राव. गोरधन माली, मा.गु., पद्य, आदि: आज भलो दिन उग्यो हो; अंति: माहरी आवागमन निवार, गाथा-१०. २८९९४. (+) स्तवन, लावणी व सज्झायादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२६, मार्गशीर्ष कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ७,
ले.स्थल. पोसालिया, प्रले. मु. दोलतरुचि (गुरु मु. लालरुचि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कर्ता के हस्ताक्षर से लिखित प्रत., जैदे., (२६४११.५, १२४३२). १. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण..
मु. राम-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: अहो भव प्राणि रे सेव; अंति: उलि उजमीए जगदीस, गाथा-७. २. पे. नाम. पार्श्वजिन लावणी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. दोलत, मा.गु., पद्य, आदि: तेवीसमा जिनराय भजो; अंति: महाराज दोलत दिलवाइ, गाथा-४. ३. पे. नाम. गोतम लावणी, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण, पे.वि. कृति की रचना स्वयं प्रतिलेखकने की है. गौतमस्वामी लावणी, मु. दोलतरुचि, मा.गु., पद्य, आदि: गोतम गुरु गुण धार; अंति: दोलत० दुख दुर टालि,
गाथा-६. ४. पे. नाम. नेम लावणी, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती लावणी, मा.गु., पद्य, आदि: तन मन राजूलनार तजी; अंति: कहे जीनवर रे, गाथा-४. ५. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-भांडुप, मु. ज्ञानअमृत, मा.गु., पद्य, वि. १९२५, आदि: श्रीमहावीर कृपाल परम; अंति: अमूत
रस सुध दिजे जी, गाथा-७. ६. पे. नाम. सिता स्वाध्याय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. सीतासती सज्झाय-शीयलविणे, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: जल झलती मीलती घणी रे; अंति: नित प्रणमुं
पाय रे, गाथा-९. ७. पे. नाम. वीर स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, रा., पद्य, आदि: साहिबजीनी सेवामे; अंति: जै जै श्रीमहावीर, गाथा-६. २८९९५. ढुंढण पचवीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. केसरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३०). ढुंढकपच्चीसी-स्थानकवासीमतनिरसन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीफलवधी प्रणमी; अंति: पयंपे
हितकारी अधिकार, गाथा-२५. २८९९६. महावीरजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १३४४३).
महावीरजिन स्तुति-गंधार, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गंधारे महावीर जिणंदा; अंति: यशोविजय
___ जयकारी, गाथा-४. २८९९७. धनासालभद्रनी सझाय व साधु गुण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४११,
११४३२). १. पे. नाम. धनासालभद्रनी सझाय, पृ. १अ, संपूर्ण. शालिभद्रधन्ना सज्झाय, वा. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: अजीया जोरावर करमी; अंति: पाम्या भवजल पार रे,
गाथा-७. २. पे. नाम. साधुगुण गहली, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: मुनिवर परिग्रह त्याग; अंति: आणंदे गाइ सुख पाया, गाथा-७. २८९९८. पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२०.५४८, ८x१९).
पार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पूजाविधि मांहि भाविइ; अंति: वाचक जस कहे
देव, गाथा-१७. २८९९९. पंचमाआरानी सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४.५४११.५, ९४३९).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: विर कहे गौतम सुणो; अंति: भाख्या वयण रसाल, गाथा-२१. २९०००. नेमराजुल संवादचोक, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२५.५४११.५, १३४३५).
नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: एक दिवस वसै नेमकुंवर; अंति:
(-), (पू.वि. ढाल- ६ गाथा-२ अपूर्ण तक है.) २९००१. कलावतीसती चोपी, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४(१ से ४)=१, ले.स्थल. लुगरणा, प्रले. सा. वीनेजी शिष्या (गुरु सा. वीनेजी), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (३२४१७.५, १७४३४-३५).
कलावतीसती चौपाई, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८३०, आदि: (-); अंति: मेडतेनगर चोमास,
____ ढाल-१६, (पू.वि. मात्र अंतिम ढाल है.) । २९००२. गिरिनारमहातीर्थ कल्प, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, १४४३८-४२).
गिरनारतीर्थकल्प, मु. ब्रह्मद्र; सरस्वती, सं., पद्य, आदि: श्रीविमलगिरेस्तीर्था; अंति: संस्तवं तुष्ट्यै, श्लोक-२३. २९००३. आदिजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१५.५४१३, ८x१९).
आदिजिन स्तुति, मु. सुमति, मा.गु., पद्य, आदि: सवारथ सीधथी चव्या ए; अंति: नेह धरी नेहनीरालतो, गाथा-४. २९००४. साधु ३३ आशातना, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, १६४३६).
३३ आशातना गुरुसंबंधी, मा.गु., गद्य, आदि: पहली असातना गुरा; अंति: विना खमाया जाय तो. २९००५. सालिभद्र लोवडी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१०.५, १८४४०).
शालिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: राजक नाम नगरीजी इमे; अंति: देवतणा सुख भोगवजी, गाथा-३४. २९००६. कर्मफल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८०९, श्रावण शुक्ल, १०, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, ११४२८).
कर्मफल सज्झाय, मु. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रवचन वचन विचारी; अंति: बाधै कहै कमल साथै,
गाथा-२१. २९००७. (+) वनस्पतिसत्तरी, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११, ९४३७). वनस्पतिसप्ततिका, आ. मुनिचंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: उसभाइए जिणिंदे पत्ते; अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ से ४१वी
गाथा अपूर्ण तक है) २९००८. (+#) भक्तामर स्तोत्र सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६१४, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. जोधनगर (जोधपुर),
प्रले. मु. मतितिलक (धर्मघोषगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२६४१०.५, १०x४५).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४.
भक्तामर स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, आदिः किल इति सत्ये अहमपि; अंति: वर्णविचित्रपुष्पताम्. २९००९. महावीर स्तवन, संपूर्ण, वि. १६४०, फाल्गुन कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. भाणकुशल; पठ. मु. देवकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (१) यादृशं पुस्तकं दृष्टं, जैदे., (२६.५४१०.५, १२४४६). महावीरजिन स्तव-बृहत्, आ. अभयसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जयज्जा समणे भयवं; अंति: सत्तुमित्तेसुवा वि,
गाथा-२१. २९०१०.(+) लावणी व चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२०.५४१०.५,
१२४२८). १. पे. नाम. नेमिजिन लावणी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. नेमराजिमती लावणी, मु. जिनदास, पुहि., पद्य, आदि: तुमे तजकर राजुल नार; अंति: जिनदास सुनो जिनवर रे,
गाथा-४. २. पे. नाम. जिनलंछन चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण. २४ जिन लंछन चैत्यवंदन, आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: रीखवलंछन रीखव दे; अंति: लक्ष्मीरतन
सूरिराय, गाथा-९.
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३३४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९०११. स्तवन व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१०.५, १५४४४). १. पे. नाम. सुपास स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
सुपार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: साचो साहेब समरीय; अंति: न रहइ पाप पकारती, गाथा-९. २. पे. नाम. जिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: श्री श्रीअसोहामणो; अंति: नही रे नात वडा जणराज, गाथा-५. ३. पे. नाम. प्रास्ताविक श्लोकदोहादि संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह *, मा.गु.,रा., पद्य, आदि: निपट अंधेरी रात पूजी; अंति: जाय छवि वीतराग की, गाथा-१४. २९०१२. सम्यक्गर्भित वीर स्तवन सह बालाविबोध (टबार्थ), संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६.५४११, ५४३२).
महावीरजिन स्तवन-सम्यक्त्वगर्भित, प्रा., पद्य, आदि: जह सम्मत्तसरूवं; अंति: होउ सम्मत्त संपत्ती, गाथा-२५.
महावीरजिन स्तवन-सम्यक्पर्भित-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जिम सम्यक्त्वनु स्व; अंति: सम्यक्तनी प्राप्तिः. २९०१३. (+) औपदेशिक दोहा संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ९-५(१ से ५)=४, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४४१०, ८x२६).
औपदेशिक दहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. गाथा ५४ से ९६ तक है.) २९०१४. श्रावक १२ व्रत रास, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६.५४११, १२४३५).
श्रावक १२ व्रत रास, मु. हेमसोमसूरिशिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसरु; अंति: तेहनी नवनिधि थाय तु,
ढाल-२, गाथा-४५. २९०१५. महावीरजिन स्तवन सह बालावबोध, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २९-२५(१ से २४,२८)=४, पू.वि. बीच-बीच के
पत्र हैं., ढाल ६ की गाथा ९ से १६ अपूर्ण तक एवं गाथा २३ से प्रशस्तिकलश गाथा ५अपूर्ण तक है., प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२५.५४११,११४३३-४०). महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३३,
आदि: (-); अंति: (-).
महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: (-). २९०१७. (+) धर्मजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., दे., (१८.५४११, १८x१४).
धर्मजिन स्तवन, पंन्या. गुलाबविजय, मा.गु., पद्य, वि. १९३९, आदि: धर्मजिनेसर पूजो हो; अंति: भाख्यो ते तप
करवो हो, गाथा-७. २९०१८. चौदनियमनाम सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, अन्य. श्रावि. भणिबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (८४७, ४४१६).
श्रावक १४ नियम गाथा, प्रा., पद्य, आदि: सचित्त दव्व विगइ; अंति: दिसिन्हाण भत्तेसु, गाथा-१.
श्रावक १४ नियम गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: लीलवर्णी फल आतलु; अंति: संभारवा नीति जरूर. २९०१९. विजययंत्र श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. रत्नदत्त, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (११.५४६.५, ७४१७).
विजय यंत्र, प्रा., पद्य, आदि: विजय यंत्रस्स सीसे; अंति: भुसित्ता जंतरसहत्थेण, गाथा-४. २९०२१. ग्रहशांति स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६.५४१०.५, ३२४१५).
__ ग्रहशांति स्तोत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरु नमस्कृत्वा; अंति: शांतिविधि श्रुतम्, श्लोक-११. २९०२२. (+) गौतमपृच्छा, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरे-संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., ___ जैदे., (२६४११.५, १२४४४).
गौतमपृच्छा, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तित्थनाह; अंति: गोयमपुच्छा विहत्थावि, गाथा-६२. २९०२३. (+) झांझरियामुनि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४११, १३४४०).
झांझरियामुनि सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६००, आदि: सरस सकोमल सारदा वाणी; अंति:
(-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा १७ अपूर्ण तक है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९०२४. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६.५X११, १३X५२).
१. पे नाम, मेघकुंवर सिज्झाय, पृ. १अ १आ, संपूर्ण,
मेघकुमार सज्झाय, मु. पुनो, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणंद समोसर्याजी; अंति: भवपारि हो स्वामी, गाथा-२१. २. पे नाम, अनंगपाल सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
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"
२९०२५. पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, जैवे. (२६११, १४४४६).
अनंगपाल पद, जोइसी व्यास, मा.गु., पद्य, आदि: अनंगपाल गढ रच्यो; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. मात्र पहली गाथा तक है.)
पार्श्वजिन स्तव, पं. जिनहर्ष गणि, प्रा., पद्य, आदि: मणवंछिअ पूरण पारिजाय; अंतिः तं सया सव्वसिद्धी,
३३५
गाथा - २१.
"
२९०२६. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २- १ ( १ ) = १, कुल पे. २, जैदे. (२६.५१०५, १३-१४४३४). १. पे. नाम. नेमनाथ स्तवन, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
नेमराजिमती स्तवन-१५ तिथिगर्भित, ग. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: रंगविजय वधते रंगे, गाथा - २३, (पू.वि. गाथा १ से ७ नहीं है. )
२. पे. नाम. मधुबिंदु सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. चरण प्रमोद शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति मुझने रे मात; अंतिः परमसुख इम मांगी, गाथा - १०. २९०२७. कडवा छतीसी व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., ( २६.५X११, १६×३९-४३).
१. पे. नाम. कडवाछतीसी, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण, ले. स्थल. कसनगढ.
कडवाछत्रीसी, ऋ. रतनचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८६०, आदि: सूत्र न्याय परूपणा; अंति: सूत्रपाठतणे अनुसार,
गाथा- ४३.
२. पे नाम, गुरुगुण सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण, वि. १८८९, वैशाख शुक्र, ४, पे. वि. अपूर्ण गाथा ४ से अंतिम गाथा ८ तक किसी अन्य प्रतिलेखक द्वारा पूरा किया गया है.
मा.गु., पद्य, आदि: आज नणभर गुरमुख निरख; अंतिः चावो निस्तारो हे माय, गाथा - ८.
२९०२९. (४) भवहर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फेल गयी है, जैवे. (२६.५x११.५,
११४३३).
नमिऊण स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण पणयसुरगण; अंति: परमपयत्थं फुडं पासं, गाथा- २३. २९०३० (+) १०४ द्वार विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., (२६x११).
"
१०४ द्वार विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: जीव गई इंदिय काए जोए; अंतिः तिर्यच० २ द्वार २२ २९०३१ स्वाध्याय व विधि, संपूर्ण, वि, २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे. (२६११.५, १३-१६x४०-४३),
१. पे. नाम. प्रभंजना स्वाध्याय, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
प्रभंजना सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: गिरि वैताढ्यने उपरे; अंति: मंगललील सदाई रे, ढाल -३,
गाथा - ५०.
२. पे. नाम. पडिलेहन विधि, पृ. २आ, संपूर्ण.
स्थापनाचार्यजी पडिलेहण विधि, मा.गु., गद्य, आदि पेला मुपति सदाम; अंतिः काडणो पसे जेहणा करणी. २९०३२. अवंतिकुमार चोढालियो, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. रुपनगर, प्रले. गुला, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, १५४३२-३६).
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गाथा - ५७.
अवंतिसुकुमाल चौपाई, मु. रिषभदास ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८६४, आदि: वीरजिणंदर वांदीव; अंतिः रिषभारिषरी वनणा होजो, ढाल - ४, २९०३३. (+) स्तोत्र व मंत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४-१ (१) -३, कुल पे ६ प्र. वि. संशोधित, जैवे., (२५x१०.५, १२४३३).
१. पे. नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. २अ - २आ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
शारदाष्टक, सं., पद्य, आदि ऐं ह्रीं श्रीं मंत्र अति सा जयतु सरस्वती देवी, गाथा-९, (संपूर्ण, पू. वि. मात्र स्तोत्र का प्रारंभिक अंश "ऐं ह्रीं श्रीं" नहीं है.)
२. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. २आ- ३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: अजरममरपारं मार; अंति: मुक्तिशीमंतनीशः, श्लोक - ९.
३. पे. नाम. पद्मावती मंत्र, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पद्मावतीदेवी मंत्र, सं., गद्य, आदिः ॐनमो श्रीं ह्रीँ; अंतिः सिद्धं भवति.
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४. पे नाम. पंचांगुली मंत्र, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पंचांगुलीमाता मंत्र, सं., गद्य, आदिः ॐनमो पंचांगुली परसर; अंतिः ॐ ठः ठः ठः स्वाहा, (वि. जपमंत्र व जपसंख्यादि विधि संलम है.)
५. पे. नाम. चक्रेश्वरीदेवी मंत्रजाप विधि, पृ. ४अ, संपूर्ण.
चक्रेश्वरीदेवी मंत्र, सं., गद्य, आदिः ॐ नमो चक्रेश्वरीदेवी; अंति: सर्ववांछित भवेत्. ६. पे नाम. चक्रेश्वरीदेवी स्तोत्र, पृ. ४अ ४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं है,
सं., पद्य, आदि: श्रीचक्रे चक्रभीमे; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक ७ अपूर्ण तक है. ) २९०३४ (+) परिग्रहप्रमाण टिप्पनक, संपूर्ण, वि. १६१३, वैशाख कृष्ण, मध्यम, पृ. ३, पठ, श्रावि लीलादे राणाक, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ- संशोधित ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित प्रायः शुद्ध पाठ., जैदे., (२६X११, १३x४० - ४८ ) .
परिग्रहप्रमाण टिप्पनक, मु. हर्षकुंजर शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १६१०, आदि: जिणचउवीस नमी व्रत; अंति: ए लीड हर्षित मणि, गाथा- ४७.
२९०३५. चतुर्विंशतिजिन स्तुतिसंग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ७-५ (१ से ५) - २, कुल पे. २, ले. स्थल. सोजित्रा, प्र. वि. विशालराजसूरि के कोई शिष्य द्वारा सोजीत्रग्राम में सं. १५९ (१६वी) में लिखी प्रत पर से प्रतिलिपि की गयी प्रतीत होती है., जैदे., ( २६.५x११, १९x४९).
१. पे नाम चतुर्विंशतिजिन स्तुति, पृ. ६अ-६आ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है,
स्तुतिचतुर्विंशतिका, आ. बप्पभट्टसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंतिः याधमं बाधमंबा, स्तुति - २४, श्लोक ९६, ( पू. वि. श्लोक १ से ६६ नहीं है. )
२. पे. नाम चतुर्विंशतिजिन स्तुति, पृ. ६आ-७आ, संपूर्ण.
आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः यत्राखिलीः श्रित; अंतिः स्येश्रुतदेवि तारम् श्लोक-२८. २९०३६. स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे ३, जैदे., ( २६५११.५, १५४३८).
१. पे. नाम. सिद्धांत स्तव, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: नत्वा गुरुभ्यः श्रुत; अंति: तत्समागमनोत्सवं, श्लोक-४७. २. पे नाम. सिद्धांतनाम स्तवन, पृ. २आ-३-अ, संपूर्ण.
आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, आदि सिरिवीरजिणं सुअरयण; अंतिः निअरमाणे नायव्वं, गाथा- ११.
३. पे. नाम. पार्श्वनाथदसभववर्णन स्तोत्र, पृ. ३अ - ३आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
पार्श्वजिन स्तोत्र १० भववर्णनगर्भित, सं., पद्य, आदि: विप्रः प्राक् मरूभूत अंति: (), (पू.वि. लोक १६ तक है) २९०३७. आराधनापताकोद्धार, संपूर्ण, वि. १४९९, वैशाख शुक्ल, ११, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, ले. स्थल, वीरवाटक,
प्रले. ग. विजयहर्ष, प्र.ले.पु. सामान्य, फटे भाग को दूसरे कागज से चिपकाने पर जहाँ-तहाँ लिखित भाग भी प्रभावित हुआ है., जैवे. (२६४११.५, १६४५०-५५).
१. पे. नाम. आराधनापताकोद्धार, पृ. १अ ४अ, संपूर्ण.
आराधनापताका उद्धार संक्षेप, प्रा., पद्य, आदि संलेहणाउ दुविहा; अंतिः सयला आराहिया जेहिं, गाथा - १५१. २. पे. नाम. निदान गाथा, पृ. ४अ - ४आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्म, आदि: निवधणनारीनरसुर अप्प; अंतिः भवे सगुणोताएअ परिचाओ, गाथा- १६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३३७ २९०३८. (+) कुमतिनिर्धाटन सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्रले. ग. रंगविजय; पठ. मु. सत्यविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, १२४३१). कुमतिनिवारण सज्झाय, मु. सुमति, मा.गु., पद्य, आदि: सत्तिरसउ जिन करउं; अंति: भवसायर जिम लीलांतरउ,
गाथा-२९. २९०३९. (+) उपसर्गविवरण व उपसर्ग श्लोक, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २, प्रले. मु. लाभसागर (गुरु
उपा. श्रुतसागर गणि, तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. त्रिपाठ-टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२६.५४११, २३-२४४६०). १. पे. नाम. उपसर्गगण सह टीका, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण, पृ.वि. प्रथम श्लोक प्रारंभमात्र है. उपसर्गगण, सं., पद्य, आदि: प्रपरापसमन्वव निर्द; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., वि. यह कृति
इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी है.) उपसर्गगण-टीका, सं., गद्य, आदि: प्राक् पूरणे अतः क्व; अंति: अभिमंत्रितो अग्निः, संपूर्ण. २. पे. नाम. उपसर्ग श्लोक, पृ. ३आ, संपूर्ण. उपसर्गगण, सं., पद्य, आदि: प्रपरापसमन्वव निर्द; अंति: स्थानादिकर्मण्यपि, श्लोक-२०, (वि. यह कृति इस प्रत के
साथ एक से अधिक बार जुडी है.) २९०४०. समवसरण गीत, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६४११, १०४३२-३६).
पार्श्वजिन स्तवन-समवसरणविचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन सेहरो जग; अंति:
पाठकधर्मवर्धन धार ए, ढाल-२, गाथा-२७. २९०४२. संवछरी प्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (११४१०, १३४१४).
पाक्षिकचौमासीसंवत्सरीप्रतिक्रमण विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: देवसीयं आलोयं पडीकंत; अंति: नथारगा
पारगा होहं. २९०४३. आबुगिरि स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (१२.५४१०.५, १३४१८).
अर्बुदगिरितीर्थस्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आबुतीरथ अति वडु; अंति: ए छे परम आधार रे,
गाथा-५. २९०४४. स्तवन वदोहरा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ५, छुटक पत्र- दो तहों में मोडा गया है. मुडे हुए भाग
अर्धखंडित है., जैदे., (१६.५४९, ११४३२-३३). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-पल्लविया, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. रंग, मा.गु., पद्य, आदि: परम पुरुष परमेसरु; अंति: अविचल पद निरधार, गाथा-७. २. पे. नाम. नेम स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ओत्तरवालीओ नहि धनमाल; अंति: नेह निर्वाहो स्यावास,
गाथा-७. ३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
शूरवीर पद, मा.गु., पद्य, आदि: रे सिंहा मम निंदकर; अंति: जननी जनम अप्रमाण, पद-२. ४. पे. नाम. हीरसूरि दोहरा, पृ. १आ, संपूर्ण.
हीरसाधु दोहासंग्रह, मु. भानुचंद, मा.गु., पद्य, आदि: बजे दान पटोधर हीर; अंति: एक कहे जगतारन कुं, गाथा-३. ५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
___मा.गु., पद्य, आदि: बरी नही मंगण जे; अंति: जा रहे न जम झपेटा, गाथा-२. २९०४५. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१६४११, २१x१७). १. पे. नाम. विजयाणंदसूरिगुरु सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बहु गुणवंता रे गणधर; अंति: भाण कहइ भवरे नाव, गाथा-७. २. पे. नाम. मुहपत्ति भास, पृ. १आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुंदर रूपइ रे सोहइ; अंति: कहइ एहज रे अनूप रे, गाथा-५. २९०४६. (+) गौतमस्वामी रास, अपूर्ण, वि. १६९३, पौष शुक्ल, ४, बुधवार, मध्यम, पृ. ५-१(१)=४, ले.स्थल. सिहावा,
प्रले. आ. धर्मसिंहसूरि; लिख. श्राव. लालजी; राज्यकाल रा. जगतसिंह राणा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४१०.५, १३४३८). गौतमस्वामीरास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: (-); अंति: वृद्धि कल्याण करो, गाथा-४९,
(पू.वि. पहली ढाल की गाथा १ से ११ नहीं है.) । २९०४७. समकीत के १२ बोल, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१३.५४८.५, १३४२४).
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: सुद्धी समगत पाल० आ०; अंति: सुदर्शन सेठनी पर. २९०४८. तेवीसपदवी आदि विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४१०.५, २६४२१).
विचार संग्रह*, मा.गु., गद्य, आदि: चक्ररत्न छत्ररत्न; अंति: वास खित्तं तु, (वि. २३ पदवी, औदयिक औपशमिक
भाव आदि विचार संग्रह.) २९०४९. अढाईद्वीप व जीवकायस्थिति विवरण, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२१X१०.५, १८X४१).
विचार संग्रह*, मा.गु., गद्य, आदि: लवणसमुद्रनी परिधि १५; अंति: २००० सागरोपम सयरेगं. २९०५०. बासठ बोल, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२५.५४११, ४२४
६२ बोल विचार, मा.गु., गद्य, आदि: देवगतिमाहि जीवना; अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ से ३२ बोल तक है.) २९०५१. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४११, ११४३४). १. पे. नाम. समेतसिखरगिरि स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८६, आदि: श्रीसमेतशिखरगिरि भेट; अंति: जात्रा
चढी परिमाण, गाथा-१०. २. पे. नाम. शिखरजी स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. सम्मेतशिखरतीर्थस्तवन, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसमेतशिखरगिरिबंदो; अंति: अमृतविजय गुण
गाय, गाथा-७. २९०५२. द्रोपदीरी ढाल, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (२५४१२, १५४४२).
द्रौपदीसती रास, मा.गु., पद्य, आदि: कृष्णनरेसर आदलेहे सह; अंति: सोभ कही विस्तारो रे, ढाल-२७. २९०५३. (-) सुविधिनाथ स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे.,
(२४४१०.५, १३४४३). १. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन सिर; अंति: कूय पडता वारगो, ढाल-२, गाथा-१३. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. अचल, मा.गु., पद्य, आदि: क्या गानकउ नगर बकरइ; अंति: अचल भणइ लेखोलेतउ, गाथा-४. ३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण. वैराग्य सज्झाय-बादशाह प्रतिबोधरूप, उपा. सकलचंद्र गणि, पुहिं., पद्य, आदि: ए दुनिया फुनि फुरमाई; अंति:
ईनकू भीष्ट विचारी, गाथा-७. २९०५४. अनाथी संधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, प्रले. मु. गोकल ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४१०, १४४३८).
अनाथीमुनि रास, मु. खेमो ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १७३५, आदि: वंदीय वीरजिणेस जगीस; अंति: सफल करे
___ अवतार, ढाल-८. २९०५५. स्तवन व दुहा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९५९, चैत्र कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. सेवाडी, पठ. मु. हंसराज,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११, १२४३३). १. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
महावीरजिन स्तवन-१४ स्वप्नगर्भित, क. जैत, मा.गु., पद्य, आदि: एक मन वंदो श्रीवीर; अंति: पुरो मन वंछत
घणी, गाथा-२९. २. पे. नाम. औपदेशिक दोहे, पृ. २आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: सत में बेन असत में; अंति: म करो से तासु बात, गाथा-२. २९०५६. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-१(१)=३, कुल पे. २, पठ. मु. वखतकुशल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२४.५४१०.५, ११४२९). १. पे. नाम. करमविपाक सज्झाय, पृ. २अ-२आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. __कर्मविपाकफल सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: नमो नमो कर्म राजा रे, गाथा-१७,
(पू.वि. प्रारंभिक ६ गाथाएँ नहीं है.) २. पे. नाम. चंद्रगुप्तराजा १६ स्वप्न सज्झाय, पृ. २अ-४आ, संपूर्ण.
ऋ. जैमल, मा.गु., पद्य, आदि: पाडलीपूर नामे नगर; अंति: जेमलजी कीधी जोडो रे, गाथा-३२. २९०५७. चतुर्विंशतिजिन स्तवन सह टिप्पण, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४.५४११, ६४३८).
चतुर्विंशतिजिन स्तुति, मु. शांति कवि, सं., पद्य, आदि: प्रणिपत्य परंपरया; अंति: कैवल्यलक्ष्मीकरा, श्लोक-१५,
संपूर्ण. चतुर्विंशतिजिन स्तुति-टिप्पण, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., टिप्पण
सर्वत्र नहीं है.) २९०५८. लोगस्ससूत्र का बालावबोध, संपूर्ण, वि. १६९९, फाल्गुन कृष्ण, १०, रविवार, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. सत्यपुर, प्रले. मु. कल्याणसुंदर; पठ. सा. संभा, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीधर्मनाथप्रसादात्., जैदे., (३२४१५, १३४३५-३९).
लोगस्ससूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: लोक कहतां चउदराजमाहि; अंति: बहुत्तरि वरस आउषु. २९०५९. (+) दशपच्चक्खाण, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४.५४११.५, १०४३५).
पच्चक्खाणसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सुरे नमुक्कारस; अंति: वत्तियागारेणं वोसिरइ. २९०६०. जीवराशी खामणां, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. लीबडी, प्रले. मु. जयसागर; पठ. श्रावि. अवल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १०-११४३०). पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हवेइं राणी पदमावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल,
ढाल-३, गाथा-३५. २९०६१. (+) गुंहली संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ५, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४११.५,
१२-१४४३५). १. पे. नाम. अध्यातम गुरुगुण गुहली, पृ. १अ, संपूर्ण.
सुधर्मास्वामी गहुँली, मु. मलूक, मा.गु., पद्य, आदि: राजग्रही समोसर्या; अंति: मलूक० समारो काज रे, गाथा-८. २. पे. नाम. गुरुगुण गुंहली, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
गुरुगुण गहुंली, मु. मलूक, मा.गु., पद्य, आदि: आज नगरमा महिमा; अंति: मलुक भावना आणी रे, गाथा-६. ३. पे. नाम. गुरुगुण गुंहली, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
गुरुगुण गहंली, मु. मलूक, मा.गु., पद्य, आदि: पंच महाव्रत हो पालता; अंति: चौमासु गुरूजी आवीया, गाथा-५. ४. पे. नाम. फाग भास गुंहली, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
नेमिजिन गुंहली, मु. विनय, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिकानगरी सुंदरु; अंति: विनय सफल फली आस हो, गाथा-१२. ५. पे. नाम. नेमिजिन गहुंली, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जी रे नयरी द्वारीका; अंति: पुण्यथी पामे जगीसजी, गाथा-११. २९०६२. पजुसण चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२२.५४१२, १२४३०).
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व पर्युषण गुणनीलो; अंति: शासने पामो जयजयकार,
गाथा-९.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२९०६३. आदिजिन व शांतिजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. चंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे.,
(२०.५X१२, १०x२८).
१. पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, पू. १अ, संपूर्ण.
मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशांतिनाथ दयानिधि; अंतिः दीप० प्रगटे मंगलमाल, गाथा-५,
२. पे. नाम. प्रथमजिन स्तवन, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
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आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि प्रथम तीर्थंकर सेवना; अंतिः मोहन जय जयकार, गाथा- ७. २९०६४. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३९, मार्गशीर्ष कृष्ण, १०, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे.,
(२५.५x११.५, ८x२५).
१. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: एक दिन मारुदेवी माता; अंति: रूपविजे गुण गाय रे, गाथा - १४. २. पे नाम आदिजिन पारणु, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मु. . माणेकविजय, मा.गु., पद्य, आदिः आहे जस घेर जावं; अंति: अखंड रिखव घेर आवशे, गाथा - १०. ३. पे. नाम. भरतबाहुबली सज्झाय, पृ. ३अ ४आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: राज थकी रे अति लोभि; अंतिः वीरा हो गज थकी उतरो गाथा-७, २९०६५. समवसरण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४१, आश्विन कृष्ण, १२, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. नरसीराम हरदेव आचार्य;
पठ. सा. अनोपश्रीजी; उप. सा. तीरथश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X११.५, १०X२८).
पार्श्वजिन स्तवन- समवसरणविचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासन सेहरो जग; अंतिः
पाठक धरमवरधन धार ए, ढाल - २, गाथा - २८.
२९०६७. अमृतवेल सज्झाव व पर्युषण स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैवे. (२६४११.५, ११४४० ). १. पे. नाम. हितशिक्षा स्वाध्याय, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
अमृतवेल सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन ज्ञान अजुवालीए: अंतिः सुजस रंग रेलि रे,
गाथा - २९.
२. पे नाम पजुसण स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण,
पर्युषणपर्व स्तुति, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि परव पजुसण पुण्य; अंतिः सुजस महोदय लीजे,
गाथा-४.
२९०६८. गीत व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २, कुल पे ६, जैवे. (२४.५x११.५, १२४३५ ).
"
१. पे. नाम. बाहुजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. न्यायसागर, मा.गु., पद्य, आदिः परणे रे बहू रंग; अंतिः श्रीजिन आण खरी रे, गाथा- ९.
२. पे नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: होरी के खेल में; अंति: पसाइ पामे परमानंद, गाथा - ५.
३. पे. नाम. अध्यातम स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदिः परमातम परमानंदरूप; अंति: प्रभु शुभमना, गाथा - ६. ४. पे. नाम. पंचासर पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ- २अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- पंचासरा, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपंचासर पासजिनेसर; अंतिः निजगुण सुध सुगाल,
गाथा - ५.
५. पे नाम, नेमिजिन स्तवन, पृ. २अ २आ, संपूर्ण
नेमिजिन गीत, मु. सुमतिसागर, पुहिं., पद्य, आदि: सात पांच सखी इण की; अंति: सुमतिसागर चिरनंदि, गाथा - ६. ६. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदिः परम पुरुष तुं; अंतिः कामित फल सवी होत, गाथा ५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९०६९. महावीरस्वामीना सत्तावीशभव विस्तार, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. पंचपाठ, जैदे., (२५.५X११, २१x६०).
महावीरजिन २७ भव वर्णन, मा.गु., गद्य, आदिः आ जंबूद्वीपनि विषि; अंति: महावीर थया ए २७ भव. २९०७० शत्रुंजयतीर्थ माहात्म्य, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., ( २६५११, ५x२९-३२).
शत्रुंजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., पद्य, आदि: अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ; अंति: लहइ सेत्तुंजजत्तफलं, गाथा - २५. २९०७१. सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., ( २४.५X११.५, १५X४०).
सीमंधर जिन स्तवन- १४गुणस्थानगर्भित, उपा. सुजस, मा.गु., पद्य, आदि धन ते मुनिवरा रे; अंति: सीमंधर तुझ रागे, गाथा - २४.
२९०७३. नवकारमंत्र व उवसग्गहरं स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२०.५x७.५, ५x२५). १. पे नाम, नवकार मंत्र, पृ. १अ, संपूर्ण,
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: पढमं हवई मंगलम्, पद - ९. २. पे. नाम. उवसग्गहरं स्तोत्र, पृ. १अ २आ, संपूर्ण
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उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा १३, आ. भद्रवाहुस्वामी, प्रा., पद्य, आदि उवसग्गहरं पासं० ॐ अंतिः भवे भवे पास जिणचंद, गाथा १३.
"
२९०७४. चोऊढालियौ व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे. (२४.५x११, १५X४७). १. पे. नाम. होली चौढालियो, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण, प्रले. पं. हुकमचंद ; पठ. सा. हीरा, प्र.ले.पु. सामान्य. होलिका चौढालिया, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम पुरुष राजा; अंतिः विनयचंदजी कहे करजोडी,
गाथा - १४.
२९०७५. उवसग्गहंर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२०.५x७.५, ६x२५).
ढाल- ४.
२. पे. नाम. धन्ना सज्झाय, पृ. २आ - ३आ, संपूर्ण, ले. स्थल. सोझत, पठ. सा. मीरा (गुरु सा. झमकू ), प्र.ले.पु. सामान्य. धन्नाअणगार सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनशासनस्वामी; अंति: विनयचंद गुण गाया,
उवसग्गहर स्तोत्र गाथा १३, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, आदि उवसग्गाहरं पासं० ॐ अंतिः भवे भवे पास जिणचंद, गाथा - १३.
२९०७६. महावीरजिन को गौशाला का उपसर्ग, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६x१२, १४X३८-४१). महावीर जिनोपरि गौशालाकृतोपसर्ग वर्णन, मा.गु., गद्य, आदिः घणा उपसर्ग थया अनि; अंतिः उपना पछी उपसर्ग थयो.
२९०७७. लक्ष्मीवर्णन व गैरकतापश कार्तिकश्रेष्ठि दृष्टांत, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५x११, १५X४४ - ५४).
१. पे नाम श्रीदेवी वर्णन, पृ. १अ, संपूर्ण.
लक्ष्मीदेवी वर्णन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: हवि श्रीलक्ष्मीदेवता; अंति: एकसो विश कमल छि.
२. पे. नाम. गैरक तापश कथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
गैरक तापस कथा, मा.गु., सं., गद्य, आदि: प्रथविभूषणनगरे प्रजा अंतिः सिद्धांतमां कहो.
३४९
जैदे.,
(२२x९,
ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसर; अंति: गुणविजय रंगे मुनि, डाल - ६. २९०७९. स्तवन व पद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. पं. रायचंद, प्र.ले.पु. सामान्य,
२९०७८. पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. राज्यनगर, प्रले. मु. प्रतापविजय; पठ. श्रावि. गुलाबबाई,
प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२४X११, १३X३०-३५).
१२४३५-४०).
१. पे नाम वीरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीर जिन स्तवन, वा. राम, मा.गु., पद्य, आदि: महावीरजिन क्युं रे; अंतिः सिद्ध सदा सुखकारा से, गाथा - ७.
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३४२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: मारो केसर वरणो नाह; अंति: मुने कुण मिलावै, गाथा-३. २९०८०. बृहच्छांति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१०.५, १०४३०).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैनं जयति शासनम्. २९०८१. वृद्धशांति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५४११, १०४३९-४०).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैन जयति शासनम्. २९०८२. पच्चक्खाणसूत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११, ११४३८).
प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सुरे उग्गए अब्भत्तट; अंति: गारेणं वोसिरामि. २९०८३. प्रासंगिक श्लोकादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, जैदे., (१९.५४११.५, १४४३२). १. पे. नाम. श्रावकगुणधर्मादि श्लोकसंग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्य, आदि: उच्चैर्गुणैर्यस्य; अंति: भवति पापतरो फलमीदृशं, श्लोक-४. २. पे. नाम. १८ पापस्थानक नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: पहलो प्राणातिपात; अंति: मृषावाद मिथ्यात शल्ल. ३. पे. नाम. बासठबोल गाथा, पृ. १अ, संपूर्ण.
६२ बोल गाथा, प्रा., पद्य, आदि: गइ इंदिए काए जोए वेए; अंति: भवसम्मे सन्नि आहारे, गाथा-१. ४. पे. नाम. श्लोक-अक्षोणीमान, पृ. १अ, संपूर्ण.
अक्षौहिणीसैन्य मान, सं., पद्य, आदि: दशलक्षदंति त्रिगुणां; अंति: तां मुनयो वदंति, श्लोक-१. ५. पे. नाम. विविध मंत्रसंग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
मंत्र संग्रह*, मा.गु., गद्य, आदिः (-); अंति: (-). २९०८४. (+) भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४१२.५, २२-२३४६०).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४. २९०८५. छंद व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १२४३५). १. पे. नाम. गौतम छंद, पृ. १अ, संपूर्ण. गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर केरोसीस; अंति: गौतम तुटै संपति कोड,
गाथा-९. २. पे. नाम. गौतम सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. गौतमस्वामी सज्झाय, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहेलो गणधर वीरनो जी; अंति: वीर नमे नीत पाय,
गाथा-७. २९०८७. (+) शांतिकर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, ७X२४).
संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: शांतिकरं शांतिजिणं; अंति: स लहइ सुह संपयं परमं, गाथा-१३. २९०८९. आठमदनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९५६, माघ कृष्ण, १२, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२,१३४३३-४०).
८ मद सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मद आठ महामुनि वारीइं; अंति: अविचलपद नरनारी रे,
गाथा-११. २९०९०. (+) पडिलेहन विधि व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, पठ. श्रावि. पाना, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२३.५४१०.५, १३४४७). १. पे. नाम. पडिलेहण विधि, पृ. १अ, संपूर्ण.
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: पुरुषरे २५ जाणवा. २. पे. नाम. शांति स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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शांतिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणेसर समरी; अंतिः सांभलो ऋषभवासनी वाणी, गाथा- ४.
३. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. उत्तमसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसिद्धचक्र सेवो; अंतिः वाचक० उत्तम सीस सवाई, गाथा-४. २९०९१. (+) रोहिणी स्तवन, संपूर्ण, वि. १८८९ कार्तिक शुक्ल, ९, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल अजमेर, प्रले. पं. नगविजय; पठ. सा. साहबकवर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२५x१२, १२x३१-३२).
रोहिणीतप स्तवन, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५९, आदि: हां रे मारे वासुपूज; अंति: रोहिणी गुण गाईया, ढाल - ६, गाथा - ३१+१.
२९०९२. जीवगति कायस्थिति आदि बोलसंग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैवे. (२५x१२.५, १६४२७-४६). बोल संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२९०९३. नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६१२.५, १३X३१).
पार्श्वजिन चैत्यवंदन-शंखेश्वर, मु. रुपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकलभविजन चमत्कारी; अंति: रुप कहे प्रभुता वरो,
गाथा - ९.
२९०९४. (+) जयतिहुयण स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., ( २४.५x१०.५, ११-१३४३९-४८).
जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जयतिहुयणवर कप्परुक्ख अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा १ से २६ तक है.)
२९०९५. शत्रुंजय जिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल अमनगर, प्रले. ग. केसरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१२.५, १२x२८ ) .
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि करजोडी कहे कामनी; अंतिः सेवक जिन घरे ध्यान,
३४३
गाथा - १६.
२९०९६. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५X१२, १२X३२).
१. पे नाम. पंचमी स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पंचमीतिथि स्तवन, मु. जसविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कारतकसुद पंचमी तप की; अंति: जसविजय अधिक विराजे,
गाथा- ४.
२. पे. नाम. बारसनी स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
द्वादशीतिथि स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: जे बारसने दिने ज्ञान; अंति: पाखे न किमई पतिजुं, गाथा-४. २९०९७. चौत्रीसअतिशय छंद, संपूर्ण, वि. २०बी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११.५, १२-१३४३६).
,
३४ अतिशय छंद, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुमति दायक दुरित; अंति: पय सेव मांगु भवभवे,
गाथा - ११.
२९०९८. गजसुकुमाल सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५x१२, १२४३१-३४).
गजसुकुमाल सज्झाय, मु. गुणनिधि, मा.गु., पद्य, वि. १९२५, आदि: द्वारिकानगरि समोसर; अंति: दर्शन
थाय,
गाथा - १०.
२९०९९. विपाकसूत्र-सुखविपाकसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५x१२, १५x५०). विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंतिः सेसं जहा आयारस्स, प्रतिपूर्ण
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२९१०१. (+) दिक्षा कुलक व पगाम सझाय, संपूर्ण, वि. २०बी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें, जैवे.,
(२५.५x१२.५, ११x२१).
१. पे नाम, दिक्षा कुलक, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण,
प्रव्रज्या कुलक, प्रा., पद्य, आदि: संसार विसम सायर भवजल; अंति: तरंति ते भवसलिलरासिं, गाथा-३४.
२. पे. नाम. पगाम सझाय, पृ. ३आ - ४अ, संपूर्ण.
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३४४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: चत्तारि मंगलं अरिहंत; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण. २९१०२. सिद्धाचल स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १०x२८).
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धाचल शिखरें दीवो; अंति: वीरने हैडे वहालो रे,
गाथा-८. २९१०३. पक्खी खामणा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, १२४३०).
क्षामणकसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: इच्छामि खमासमणो पिय; अंति: अतः परं देवसिय भणेह, आलाप-४. २९१०४. भवानी स्तोत्र व स्तवनादि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्र.वि. मोडे हुए पत्र., जैदे., (१५४१२,
१०x२०). १. पे. नाम. भवानी स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण.
सरस्वतीदेवी छंद, आ. दयासूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बुद्धि विमल करणी; अंति: श्रीराजराणी सरस्वती, गाथा-९. २. पे. नाम. अन्नपूर्णा स्तोत्र-श्लोक १, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
अन्नपूर्णा स्तोत्र, शंकराचार्य, सं., पद्य, आदि: नित्यानंदकरी पराभयकर; अंति: मातान्नपूर्णेश्वरी, प्रतिपूर्ण. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: जिनराज के दरस कुं; अंति: जुगत जोड चौड दीजीए, गाथा-५. ४. पे. नाम. सुभाषित श्लोक संग्रह *, पृ. १आ, संपूर्ण.
_प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-७. २९१०५. गौतम प्रभाति महावीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२.५, १३४३३).
१. पे. नाम. गौतम प्रभाति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. ___गौतमस्वामी छंद, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मात पृथ्वी सुत प्रात; अंति: जस सौभाग्य दोलत
सवाई, गाथा-९. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ना रे प्रभु नहीं; अंति: राम० भवभवना बंधन छोड, गाथा-७. २९१०७. सील काकडा, पूर्ण, वि. १९१८, फाल्गुन शुक्ल, ९, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ५-१(१)=४, ले.स्थल. अवरंगाबाद, प्रले. सायबराम श्रीमाली व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२.५, ११४३७).
शीयल कडा, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सिल अखंडत सेवजो, गाथा-१६, (पू.वि. गाथा-३ अपूर्ण से है.) २९१०८. महादेव स्तवन, संपूर्ण, वि. १९२८, आश्विन शुक्ल, २, सोमवार, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. मोरबी, प्रले. विजयशंकर अंबाराम रावल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४.५४१२, १०४३२). महादेव स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: प्रशांतं दर्शनं यस्य; अंति: जिनो वा नमस्तस्मै,
श्लोक-४४. २९१०९. नवपद पूजा व स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १४४३३-४७).
१. पे. नाम. नवपद पूजा, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. ___ मा.गु., पद्य, आदि: तीजे भव विधसुं करी; अंति: सहुं जोगींद सराहे रे, गाथा-३३. २. पे. नाम. नवपद स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. जिनलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंत सिद्ध आचारय; अंति: हिये आणी भावसे, गाथा-१. २९११०. पंचकल्याणक महोछव, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. घाणोरानगर, प्रले. मु. कस्तुरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १६४३९-४५). पंचकल्याणक महोत्सव स्तवन, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, श. १६८२, आदि: प्रणमी पासजिनेसरु; अंति:
पद्मविजये ध्याइया, ढाल-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३४५ २९१११. बत्तीसविजय जिननाम व पर्वजाप, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे.,
(२०४१२). १. पे. नाम. अढीद्वीपे बत्तिसविजये जिन नाम, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
अढीद्वीप ३२ विजय जिन नाम, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीजयदेवनाथाय; अंति: श्रीसुरेंद्रजिन. २. पे. नाम. पर्वजाप संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु.,सं., प+ग., आदि: ॐ ह्रीं नमो नाणस्स; अंति: (-). २९११२. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१२, १२४३९-४३). १. पे. नाम. वीनती स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ बृहत्स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: बे कर जोडी विनवूजी; अंति: समयसुंदर इम
भणै, गाथा-३२. २. पे. नाम. आदिजिन वधावो-शत्रुजयमंडन, पृ. २आ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ वधावो, मा.गु., पद्य, आदि: गिरिराज वधावो मोतीयन; अंति: मिल गुण गावो रे, गाथा-८. ३. पे. नाम. गजसुकुमाल सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नयरी द्वारामती जाणिय; अंति: समयसुंदर तसु धाम, गाथा-५. २९११३. स्तोत्र, स्तुति, छंद व सझायादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ८-४(१ से ४)=४, कुल पे. ११, जैदे.,
(२५४१२, १५४३९). १.पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ५अ-६अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., श्लोक-२१ अपूर्ण से हैं.
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: मोक्षं प्रपद्यते, श्लोक-४४. २. पे. नाम. उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा ५, पृ. ६अ, संपूर्ण.
आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, आदि: उवसग्गहरं पासं पास; अंति: भवे भवे पास जिणचंद, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्व स्तोत्र, पृ. ६आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तव-चिंतामणि, मु. देवकुशल पाठक, सं., पद्य, आदि: स्फुरदेवनागेंद्र; अंति: चिंतामणिः पार्श्वः,
श्लोक-६. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, पृ. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो पास शंखेश्वरो; अंति: पास संखेसरो आप तूठा, गाथा-७. ५. पे. नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. ७अ, संपूर्ण.
सरस्वतीदेवी स्तोत्र-षोडशनामा, सं., पद्य, आदि: नमस्ते सारदादेवी; अंति: सदगुरुभ्यो नमोनमः, श्लोक-१२. ६. पे. नाम. सरस्वती स्तुति, पृ. ७आ, संपूर्ण, पे.वि. अलग अलग स्तुतिओं का संग्रह हैं.
सरस्वतीदेवीस्तुति श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: य्या धवलागिर वास; अंति: (-), श्लोक-४. ७. पे. नाम. सरस्वतीदेवी अष्टक, पृ. ७आ-८अ, संपूर्ण.
आ. दयासूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बुध विमल करणी विविध; अंति: सेवी नीत नवेवी जगपती, गाथा-९. ८. पे. नाम. चोवीस तीर्थंकर स्तवन, पृ. ८अ, संपूर्ण. २४ जिन स्तवन, मु.क्षेमकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीरिषभ अजित संभव; अंति: लहीयै परम कल्याणो,
गाथा-५. ९. पे. नाम. सतीयारी सज्झाय, पृ. ८अ-८आ, संपूर्ण.
१६सती सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सीतल जीणवर करु परणाम; अंति: एह नाम समरो निसदीस, गाथा-५. १०. पे. नाम. गौतमस्वामी सझाय, पृ. ८आ, संपूर्ण. गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर केरो सीस; अंति: तुठे सुख संपदारी कोड,
गाथा-९. ११. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ८आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., मात्र प्रथम गाथा अपूर्ण तक है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मा.गु., पद्य, आदि: सिनान करो ऊपसमरसपूर; अंति: (-). २९११४. शत्रुजयतीर्थ थोय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, ७४३३).
शत्रुजयतीर्थ स्तुति, श्राव. ऋषभदास , मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेजो तीरथ; अंति: पाया ऋषभदास गुणगाया,
गाथा-४. २९११५. (+) संखेश्वर पार्श्वनाथजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १७६५, पौष कृष्ण, १४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ७-३(१ से २,६)=४, ले.स्थल. राजद्रंग, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६.५४११.५, ११४३७). पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदिः (-); अंति: हकंदो देउ मे भद्दम, गाथा-१३५,
(पू.वि. गाथा-१ से ३३ अपूर्ण व ९७ अपूर्ण से ११८ अपूर्ण तक नहीं हैं.) २९११६. चार शरणां, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११.५, ११४२९).
४ शरणा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मुजने चार शरणा होजो; अंति: तो हं भवनो पारोजी,
अध्याय-४, गाथा-१२. २९११७. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १५४३९). १. पे. नाम. सीमंधरजिन विनती स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सीमंधरा वीनती;
अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल-४ गाथा-९ अपूर्ण तक लिखा है.) २. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पद्मप्रभूजी रे जइ; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., गाथा-२ अपूर्ण तक लिखा है.) २९११८. पंचासर पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११.५, १२४३३).
पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परमातम परमेश्वरु; अंति: अविचल अक्षय राज,
गाथा-७. २९११९. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३७, श्रावण कृष्ण, ५, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. श्राव. माणेकचंद खोडीदास;
पठ. श्रावि. नंदुबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १३४४०). १. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., पद्य, आदि: लाछड माता मलार बहु; अंति: लीला लक्ष्मी घणी,
गाथा-१७. २. पे. नाम. मेघकुमार सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. अमर, मा.गु., पद्य, आदि: धारणी मनावे रे मेघ; अंति: पामीजे भव तणो पार, गाथा-५. २९१२०. रोहिणीतप सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मगनलाल खुशालचंद जोशी, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२६४१२.५, १२४३४-३७). रोहिणीतप सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्य नमो; अंति: अमरित० होय स्वामि,
गाथा-२१. २९१२१. (+) नवपदजी की आरती, चैत्यवंदन व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९२७, चैत्र शुक्ल, ७, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. १८-१४(१
से १४)=४, कुल पे. १९, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४१२.५, १३४३९). १. पे. नाम. नवपद आरती, पृ. १५अ, संपूर्ण.
मु. जयकीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: जै जै आरती नौपदजी की; अंति: जयकीरति संपदा पावै, गाथा-१०. २. पे. नाम. नवपद चैत्यवंदन, पृ. १५अ, संपूर्ण. अरिहंतपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: जयजय श्रीअरिहंत भानु; अंति: रहित हीरधर्म अलिसंत,
गाथा-३. ३. पे. नाम. अरिहंतपद स्तवन, पृ. १५अ-१५आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
मु. कुशल, पुहिं., पद्य, आदि: श्रीतेरम गुण बसिके; अंति: कुसल० जगकुं नितमेव गाथा - ५. ४. पे. नाम. सिद्धपद चैत्यवंदन, पृ. १५आ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसेलेसी पूर्व अंति: हीरधर्म० शुभ भाव, गाथा - ३.
५. पे. नाम. सिद्धपद स्तवन, पृ. १५-१६अ, संपूर्ण.
मु. कुशल, पुहिं., पद्य, आदि: अष्टवरस नग मास हीना; अंतिः जगजीव मिलोगा तेहमे, गाथा-५, ६. पे. नाम. आचार्यपद चैत्यवंदन, पृ. १६अ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनपद कुल मुखरस; अंति: धर्म अष्टोत्तरसौवार, गाथा-३. ७. पे. नाम. आचार्यपद स्तवन, पृ. १६अ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि: खंती खडगथी जेणे; अंति: जीव कुशलता सेवो हो,
८. पे नाम, उपाध्यायपद चैत्यवंदन, पृ. १६अ, संपूर्ण
गाथा - ५.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन श्रीउवज्झाय; अंति: हीरधर्म० पाठकवर्य, गाथा-३. ९. पे. नाम. उपाध्यायपद स्तवन, पृ. १६आ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि: ओयनै ओयनै दुरि ओयनै; अंति: चेतन कुसलता पाया, गाथा-६. १०. पे. नाम. साधुपद चैत्यवंदन, पृ. १६आ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि दंसण नाण चरित करी; अंतिः नमत है हीरधर्मके काज, गाथा-३. ११. पे. नाम. साधुपद स्तवन, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि निकषावा जगजन कठै; अंतिः कुसल भवतू जग तीन हो, गाथा ५. १२. पे. नाम. दर्शनपद चैत्यवंदन, पृ. १७अ संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: हुव पुग्गल परिअड अंति: अहनिश करत प्रणाम, गाथा- ३. १३. पे. नाम दर्शनपद स्तवन, पृ. १७अ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि: देव श्रीजिनराज गुरु; अंति: जीव लाभ कुसल कलारी, गाथा - ५. १४. पे नाम, ज्ञानपद चैत्यवंदन, पृ. १७अ १७आ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, पुहिं., पद्य, आदि: क्षिप्रादिक रस राम: अंति: नित चाहत अवकाश, गाथा- ३. १५. पे. नाम. ज्ञानपद स्तवन, पृ. १७आ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवर भाषित आगम भणिय; अंति: दिन कुसलता निरखै जी, १६. पे. नाम. चारित्रपद चैत्यवंदन, पृ. १७आ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, पुहिं., पद्य, आदि: जस्स पसाये साहु पाय; अंति: नमन करत नितसंग, गाथा - ३. १७. पे. नाम. चारित्रपद स्तवन, पृ. १७आ १८अ, संपूर्ण.
मु. कुशल, मा.गु., पद्य, आदि निर्विकल्प अज; अंतिः कुशल भजे जग नाम, गाथा-५, १८. पे. नाम. तपपद चैत्यवंदन, पृ. १८अ, संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीऋषभादिक तीर्थनाथ; अंति दूर भवतु भवकूप, गाथा- ३. १९. पे नाम, तपपद स्तवन, पृ. १८अ संपूर्ण.
पा. हीरधर्म, मा.गु., पद्य, आदि बारस भेद भण्या जिन; अंतिः कुशलाकुं भासै रे, गाथा - ५. २९१२२. ऋषभदेव स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( १५X११.५, १५X१६).
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गाथा - ५.
आदिजिन स्तवन- शत्रुंजयतीर्थमंडन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बालपणे आपण ससनेहि; अंति: वृषभ लंछन बलिहारी, गाथा ७.
२९१२३. ३२ असज्झाय सह टबार्थ व २८ लब्धिनाम सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८६४, पौष कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. १, पे. २, ले. स्थल, सेदोरा, जैदे., ( २६४१२, ५X३० ).
१. पे. नाम. ३२ असज्झाय सह टबार्थ, पृ. १अ, संपूर्ण.
३२ असज्झाय गाथा, प्रा., पद्य, आदि उकाबाय दिसावाहे अंति: मच्झिमाए अद्धरती, गाथा-३.
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जा
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३२ असज्झाय गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: उका० तारा तुटै ते; अंति: अर्द्धरती आधी राति. २. पे. नाम. २८ लब्धि नाम सह टबार्थ, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
२८ लब्धि नाम, प्रा., पद्य, आदि: आमोसहि विप्पोसहि; अंति: इमा होति लद्धिउ.
२८ लब्धि नाम-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: आ० आमोसहि लबधनो एतलो; अंति: अट्ठावीस लबध जाणवी. २९१२४. (+) अल्पबहूत्व ३६ द्वार विचार, संपूर्ण, वि. १९०३, आश्विन शुक्ल, १५, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१२, २२४५७).
संजयाविचार-भगवतीसूत्रे-शतकर५उद्देश, मा.गु., गद्य, आदि: पन्नवणा १ वेयरागे; अंति: चारित्रना० संख्या ५. २९१२५. दीक्षा विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. पं. चारित्रसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १०४३३).
प्रव्रज्या विधि, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम इरियावही पडि; अंति: धर्मोपदेश सुणे. २९१२६. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-३(१ से ३)=१, पू.वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है., जैदे., (२५४११.५, १२४३२).
प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह-श्वे.मू.पू.*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदिः (-); अंति: (-). २९१२७. (#) जीवविचार स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५४१२, १४४२९-३५). जीवविचार स्तवन, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७१२, आदि: श्रीसरसतीजी वरसति; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल-४ का प्रारंभिक दुहा-१ तक लिखा है.) २९१२८. नेमनाथना चोवीस चोक, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-३(१ से ३)=३, जैदे., (२५.५४११.५, १३४३६).
नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: (-); अंति: अमृतविजये गुण
गाया, चोक-२४, (पू.वि. ढाल-१० गाथा-२ अपूर्ण तक नहीं है.) २९१२९. सांतिकर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. *पन्ने १४५., जैदे., (२६४१२, १४४३८).
संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सांतिकरं सांतिजिणं; अंति: सिद्धी भणइ सिसो, गाथा-१४. २९१३०. ज्वालामालिनीमंत्रमय स्तुति, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, पृ.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२४.५४१०.५, १२४३५).
ज्वालामालिनी स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: ॐ नमो भगवते श्रीचंद; अंति: (-). २९१३१. (+) कल्पसूत्र का अंतर्वाच्य, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४१२, १८४४६). कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य*, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू.वि. महावीरप्रभु के जन्म से इंद्रभूति
गौतमस्वामी की दीक्षा तक का वर्णन है.) २९१३२. विसस्थानकतपसज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. सा. उजमश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, ११४२८). २० स्थानकतप सज्झाय, मु. जिन, मा.गु., पद्य, आदि: वीसथांनक० दुलहो नरभव; अंति: कहे बुध हित सीस रे,
गाथा-६. २९१३३. (+) विपाकसूत्र-सुखविपाक अध्ययन१ सुबाहु चरित्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. संशोधित-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ., जैदे., (२४४११.५, १३४२७).
विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९१३४. सुदर्शनशेठ अभयाराणी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२६४१२.५). सुदर्शनशेठ अभयाराणी सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदिः (१)सील तणा गुण छै घणा, (२)चंपा तो नगरी सूहावणी;
अंति: वरत्या जै जैकार जो, गाथा-३८. २९१३५. दशवैकालिकसूत्र की सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ११४२६).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३४९ दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: धम्मोमंगल मुक्किट्ठ; अंति: सोही होई स संपरायं. २९१३६. चौसरण, संपूर्ण, वि. १९२३, फाल्गुन कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२, १२४३०).
४ शरणा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मुजने चार शरणा होजो; अंति: पामीश भवनो पारो जी,
अध्याय-४, गाथा-१२. । २९१३७. नवपद स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२५४११.५, १२४३६-३९).
नमस्कार महामंत्र सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वारी जाउं हं अरिहंत; अंति: (-),
(पू.वि. ढाल-३ गाथा-५ अपूर्ण तक है.) २९१३९. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६४१२, १५४४१). १. पे. नाम. पांचमाआरा स्तवन, पृ. ११-१आ, संपूर्ण.
पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे गौतम सुणो; अंति: भाख्या वयण रसाल, गाथा-२१. २. पे. नाम. सुदर्सणमुनींद्र सिझाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. सुदर्शनशेठ सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: शील रतन जतने धरोरे; अंति: सीस क्षमाकल्याण रे.
गाथा-११. २९१४०. विविध बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. १०, जैदे., (२५.५४१२, १४४३४). १.पे. नाम. ३४ अतिशय नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
३४ अतिशय, मा.गु., गद्य, आदि: अद्भूत देह १ रूधिर; अंति: ३४ देवदंदुभि वागे. २. पे. नाम. सुडतालीस दोष साधु, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
गोचरी के ४२ दोष *, मा.गु., गद्य, आदि: उद्गम दोष श्रावकथी; अंति: आहार करे ते कारण दोष. ३. पे. नाम. ब्रह्मचर्य नववाड, पृ. २आ, संपूर्ण.
९ नववाड ब्रह्मचर्य, मा.गु., गद्य, आदि: वसति १ स्त्रीनी कथा; अंति: ९ शरीरनी शोभा न करे. ४. पे. नाम. मोमपतीना ५० बोल, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ तत्त्व; अंति: पुरुषने ५० होई. ५. पे. नाम. चउदवीद्या नाम, पृ. ३आ, संपूर्ण.
१४ विद्या नाम, मा.गु., गद्य, आदि: शिक्षाविद्या १ कल्प; अंति: १४ पूराणविद्या. ६. पे. नाम. दशमोटी आसातना, पृ. ४अ, संपूर्ण.
जिन भवन १० आशातना नाम, मा.गु., गद्य, आदि: तंबोल देरामां न खाबू; अंति: जीनमंदरने विषे. ७. पे. नाम. १४ नियम श्रावक, पृ. ४अ, संपूर्ण.
श्रावक १४ नियम गाथा-नाम, मा.गु., गद्य, आदि: सचित वस्तु १ द्रव्य; अंति: १४ भोजन विधि नेम. ८. पे. नाम. ९ कोटी नाम, पृ. ४अ, संपूर्ण.
९ कोटी पच्चक्खाण नाम, मा.गु., गद्य, आदि: मने पाप करु नहि १; अंति: कायाई अनुमोदु नही. ९. पे. नाम. आठमद नाम, पृ. ४अ, संपूर्ण.
८ मद नाम, मा.गु., गद्य, आदि: जाति १ लाभ २ कुलमद; अंति: ६ रूप ७ तप ८ श्रुत. १०. पे. नाम. ३५ गुणयुक्त वाणी, पृ. ४आ, संपूर्ण.
अरिहंतवाणी के ३५ गुण, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: संस्कृत लक्षण सहित १; अंति: सोभायमान तेणें छाजे. २९१४१. औपदेशिक सज्झाय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१२, ६४३८).
औपदेशिक सज्झाय, मु. दयाशील, मा.गु., पद्य, आदि: नाहलु न माने रे काइ; अंति: जोज्यो पंडित विचार,
गाथा-१२.
औपदेशिक सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: बार भानवाई करी; अंति: अभ्यंतर अर्थ घणा छे. २९१४२. पृथ्वीचंद्रगुणसागर २० भव नामवर्णन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, १२४३६-३७).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
पृथ्वीचंद्रगुणसागर २० भव नामवर्णन, सं., गद्य, आदिः यादृग्श्रवणे श्रूयते अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
२९१४३. विविध बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९०४-१९०६, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ५, प्रले. पं. उमेदविजय; पठ. मु. मोतीविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २५x१२.५, ५१x२३ - २९).
१. पे. नाम. ५६३ जीव भेद, पृ. १अ संपूर्ण.
५६३ जीवविचार बोलसंग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम ७ नरकना १४ भेद; अंति: जीवना ५६३ भेद जाणवा. २. पे नाम. इरियावही १८२४१२० भेद, पृ. १अ संपूर्ण, वि. १९०५, फाल्गुन शुक्ल, १५, ले. स्थल, पालीनगर.
संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: ५६३ भेद जीवरा छे ते; अंति: कर्मारी वर्गणा तूटे.
३. पे. नाम. बोल संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. अनंतलोकाकाश, दुःखविपाकीया व सुखविपाकिया आदि. बोल संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).
४. पे नाम. ५६० भेद अजीवना, पृ. १आ, संपूर्ण,
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मा.गु., गद्य, आदि: ५ वर्ण ते केहा स्वेत; अंति: ५६० भेद अजीवना हुवा.
५. पे. नाम. जीव भेद वर्णन, पृ. १आ, संपूर्ण, वि. १९०४, फाल्गुन शुक्ल, ५, ले. स्थल. शुद्धदंति, पे. वि. पन्नवणादि ग्रंथो
आधार पर.
जीव भेद विचार, मा.गु., गद्य, आदि: ( - ); अंति: (-).
२९१४४. घी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८०९, पौष शुक्ल, ११, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. उत्तमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२०x११.५, १०x२९).
औपदेशिक सज्झाय घृत विषये, मु. लालविजय, मा.गु., पद्म, आदि: भवियण भाव घणो घरी; अंति: लाल० घी नो गुण कह्यो, गाथा - १९.
२९१४५. नेमराजिमती सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जै, (२५४१२, १३४३६).
·
नेमराजिमती सज्झाय, रा., पद्य, आदि: मेहे ध्यावा लाहो; अंति: सो मुक्ति मे हे जाई. २९१४६. पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, जैदे., ( २३४१२, २६४१८).
प्रतिक्रमणविधि संग्रह- तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम देवसी वंदितु; अंतिः देवसीनी किरिआ
करवी.
२९१४७. नेमराजिमती बारमास, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, जैदे. (२६१३, १४४४३-४४).
,
नेमराजिमती बारमासो, रा., पद्य, आदि: हाजी सावण माहास; अंति: गर आवो नेम भरतार जी, गाथा - १२. २९१४८, (-) सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५x१२, २०४३८). १. पे. नाम. रामचंदजीरी मुदरी, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
-
रामचंद्रजी की सुंदरी, मा.गु., पद्म, आदि: सरसत सांवण वीनवां अंतिः पोता वरतीया जजकार, गाथा- २३. २. पे. नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
गाथा - ९.
औपदेशिक पद, महमद, मा.गु., पद्य, आदि: भुल मन भमरा कांइ; अंतिः साथै पुनन पाप, २९१४९. (-) सझाय व जिननाम, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. अशुद्ध पाठ, जैदे., (२५.५x११.५,
१३X३८).
१. पे. नाम. पुण्यफल सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण, प्रले. रायभाण मयाचंद ठाकुर, प्र.ले.पु. सामान्य.
सर्वार्थसिद्धविमानवर्णन सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि जगदानंदन गुणनौलो रे; अंति: पोचि सरवि आसोरे, गाथा - १६.
२. पे. नाम. चौवीसजिन नाम, पृ. १आ, संपूर्ण.
२४ जिन नाम, मा.गु., गद्य, आदि रिषभ १ अजितनाथ २; अंति: पारसनाथ २३ वीरभगवान २४. २९१५०. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९२६, आश्विन शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. श्राव. गोवन मकन सा, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २१x११.५, ८x१९).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३५१ १. पे. नाम. समकित पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
सम्यक्त्व पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: जागे सौ जिनभक्ति; अंति: ताकुं वंदना हमारी है, गाथा-३. २. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण. मु. चिदानंदजी, मा.गु., पद्य, आदि: लघुता मेरे मन मानी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र
पहली गाथा है.) २९१५१. नवपद स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ९४३१).
नवपद सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गुरु नमतां गुण उपजे; अंति: मोहन सहज सुभाव, गाथा-९. २९१५२. नमस्कार संग्रह व स्तुति, संपूर्ण, वि. १८७३, श्रावण अधिकमास शुक्ल, १, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३,
लिख. मु. कस्तुरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११.५, १०४३३). १. पे. नाम. अष्टमी नमस्कार, पृ. १अ, संपूर्ण. अष्टमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माहा सुदि आठमने दिन; अंति: पद्मनी सेवाथी
शिववास, गाथा-७. २. पे. नाम. पंचमीनमस्कार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बारपर्षदा आगले; अंति: नमी थाओ शिवभुक्त,
गाथा-५. ३. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजुल वरनारी रुपथी; अंति: पद्मने जेह प्यारी, गाथा-४. २९१५३. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १०४३५).
१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. __ वैराग्य सज्झाय, मु. कविदास, मा.गु., पद्य, वि. १९३०, आदि: तुने संसार सुख केम; अंति: घनघातीया चार
निवारजो, गाथा-१२. २. पे. नाम. प्रतिक्रमण सज्झाय, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है., मात्र प्रथम एक गाथा है.
संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गोयम पूछे श्रीमहावीर; अंति: (-). २९१५४. सीमंधरजिन स्तवन, श्लोक व दोहा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६४११, ११४३२). १. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-६. २. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. कान कवि, मा.गु., पद्य, आदि: थे तो महाविदेहना; अंति: कान० गाउं नित ताहरा, गाथा-९. ३. पे. नाम. दूहा संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
___ दोहा संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: ओस ओस सबको कहें मरम; अंति: ईसी भई संदेसा पर हथ, गाथा-२. २९१५५.(+) युगादिदेव महिम्नस्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न., जैदे., (२५.५४१२.५, १३४४५).
आदिदेवमहिम्न स्तोत्र, मु. रत्नशेखर, सं., पद्य, आदि: महिम्नः पारं ते परम; अंति: रमा ब्रह्मैकतेजोमयी, श्लोक-३८. २९१५६. (+) श्रावकव्रतभंग प्रकरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा-३८ अपूर्ण तक है., प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१२.५).
श्रावकव्रतभंग प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: पणमिअसमत्थपरमत्थवत; अंति: (-).
श्रावकव्रतभंग प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: पणमि क० नमीनें; अंति: (-). २९१५७. ऋषिमंडल स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६४१२.५, १३४३२).
ऋषिमंडल स्तोत्र पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीशं; अंति: द्वित्रि पंचषान. २९१५८. प्रतिक्रमणादि विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ६, जैदे., (२५.५४१२.५, ११४३१-३६).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१. पे. नाम. सामायिक लेवा विधि, पृ. १अ संपूर्ण.
आवश्यक सूत्र - सामायिक लेने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावहि अंति: २ बीजे पच्चखाण कीजै.
२. पे. नाम. सामायिक पारवा विधि, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
आवश्यक सूत्र - सामायिक पारने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: इरिवावही पडि० तस्स०; अंतिः सामाईक्य जुत्तो कहीजे.
३. पे. नाम. पोसह लेवा विधि, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
पौषध विधि, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावही पडिक; अंतिः इच्छामि० सज्झाय करूं. ४. पे नाम, पोसह पारवा विधि, पृ. २अ २आ, संपूर्ण,
पौषध पारने की विधि, प्रा., मा.गु., प+ग, आदि: इरियावही पडिकमी अंतिः पछे ३ नोकार पहीजे. ५. पे. नाम. पडिलेहण विधि, पृ. २आ, संपूर्ण.
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प्रतिलेखन विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: इरियावही पडिकमी; अंतिः अविधि आसातना हूई तै. पे. नाम. राईपडिकमण विधि, प्र. २आ-३आ, संपूर्ण.
६.
राईयप्रतिक्रमण विधि, प्रा., मा.गु., प+ग, आदि: प्रथम इरिवावही पडिक; अंतिः स्व धर्माचार्य कही. २९१५९. स्तवन चौवीसी, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १० - ९ (१ से ९) = १, पू. वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है., जैदे.,
(२४.५११.५, १२४३९).
स्तवनचौवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, वि. १८पू, आदि: ( - ); अंति: ( - ), ( पू.वि. स्तवन - २० गाथा - ७ से स्तवन- २२ गाथा- २ अपूर्ण तक है. )
२९१६०. पुण्यछत्रीसी, सीमंधरजिन पत्र व जिनरक्षितजिनपाल चौढालिया, अपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पू. १४-१० (१ से १०)=४, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५X१२, १२X५०).
,
१. पे. नाम. पुण्यछत्रीसी, पृ. ११अ - १२अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., गाथा - १० अपूर्ण से हैं. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६९, आदि: (-); अंति: पुन्यना फल परतिख्यजी, गाथा - ३६. २. पे. नाम. सीमंधरजिन अरजी, पृ. १२अ - १४अ, संपूर्ण.
सीमंधरजिन पत्र, क. नर, मा.गु., गद्य, आदिः स्वस्ति श्रीमहाविदेह; अंतिः नर० याविधी नीवत बाजे .
३. पे. नाम. जिनरिखजिनपाल चौढालीयो, पृ. १४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., गाथा - १४ अपूर्ण तक हैं. अंति: (-).
जिनरक्षितजिनपाल चौढालिया, रा., पद्य, आदि: अनंता सिद्ध आगे हुवा;
२९१६१. () च्यार ध्यान विचार व दुहा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५X१२.५,
१८४३६).
१. पे. नाम. च्यार ध्यान विचार, प्र. १अ २अ संपूर्ण.
४ ध्यान वर्णन, पुहिं., गद्य, आदिः आरतध्यान रूदरध्यान; अंति: ध्यान न फरसो होये.
२. पे. नाम. जैन दुहा संग्रह, पृ. २अ, संपूर्ण.
जैनदुहा संग्रह", प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२९१६२. अनुयोगद्वार सूत्र सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, माघ शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. ८४-८० (१ से ८०) = ४, पू.वि. सूत्र-३२९ अपूर्ण तक नहीं है., ले.स्थल. मंगलपुर, प्र. वि. नवपल्लव पार्श्व प्रसादात्., जैदे., (२६×११.५, ७X३७).
अनुयोगद्वारसूत्र, आ. आर्यरक्षितसूरि, प्रा., प+ग, आदि (-); अंति: साहू से तं नए.
अनुयोगद्वारसूत्र - टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि (-); अंति: (१) तं०] ए नय नाम चतुर्थ, (२) ते संपति नगरं पविठा २९१६३. (+) छंद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्रले. सवजी बारोट, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त
विशेष पाठ., जैदे., (२२.५X११.५, १३x२९).
१. पे नाम, चोविसतीर्थंकर छंद, पृ. १अ ३अ, संपूर्ण,
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३५३ २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सयल जणेसर प्रणमुं;
___अंति: तास सीस पभणे आणंद, गाथा-२९. २. पे. नाम. नवकार छंद, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित पूरे विविध; अंति: विविध ऋध संपत लहे,
___ गाथा-१९. २९१६४. आध्यात्मिक पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९१४, आश्विन शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. श्राव. गोवन मकन सा,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२१४११.५, ९४२४). १. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण. ___ मा.गु., पद्य, आदि: तू ही नवनीधी तूं ही; अंति: पूज्य तूं ही जगपूज्य, गाथा-४. २. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: अवधू राम राम जग गावे; अंति: रमता पंकज भमरा, गाथा-४. २९१६५. पार्श्वजिन चैत्यवंदन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२.५, १०४३४). १.पे. नाम. जिन स्तोत्र, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, मु. शिवसुंदर, सं., पद्य, आदि: वरसं वरसं वरसं वरसं; अंति: शिवसुंदरसौख्यभरम्, श्लोक-७. २. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीआदिनाथं नतनाकि; अंति: वीरं गिरिसारधीर, श्लोक-४. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण, पे.वि. प्रतिलेखकने वीर स्तुति ऐसा लिखा है.
सं., पद्य, आदि: भावानयानेगनरिंदविंद; अंति: गोखीर तुसारवन्ना, श्लोक-४. २९१६६. स्तुति व अतिचार, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४११.५, १३४२९). १. पे. नाम. महावीर स्तुति, पृ. ३अ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंति: कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक-४. २. पे. नाम. श्राद्धपाक्षिकअतिचार, पृ. ३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. श्रावकसंक्षिप्त अतिचार*, संबद्ध, मा.गु., प+ग., आदि: इच्छाकारी भगवान पसाउ; अंति: (-), (पू.वि. प्रथम
आलापक आंशिक अपूर्ण तक है.) २९१६७. पच्चक्खाण आगार यंत्र व शरीरछायामान यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर
अनियमित है., जैदे., (२६४११.५). १. पे. नाम. ४४ आगार, पृ. १अ, संपूर्ण.
पच्चक्खाण आगार यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २.पे. नाम. शरीरछाया पोरसी साढपोरसी पुरिमड्डमाण यंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण, पे.वि. शरीरछाया व जानुछायामान पोरसी
साढपोरसी पुरिमड्डमाण यंत्र-२.
छायापौरुषीकालमान यंत्र, संबद्ध, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २९१६९. सांतिकर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, ११४२७).
संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: संतिकरं संतिजिणं; अंति: स लहइ सुह संपयं परमं, गाथा-१३. २९१७०. (-) परनारी परिहार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. बदना; पठ. सा. चतरुजी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५४१०.५, १७४३३).
परनारीपरिहार सज्झाय, रा., पद्य, आदि: सुण मेरा चुत्र सुजाण; अति: थे देव धरम दल धीरो, गाथा-२८. २९१७१. चोवीस कल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१२, १३४३१).
कल्याणक स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३६, आदि: प्रणमी जिन चोवीशने; अंति: थुणिआ
श्रीजिनराया रे, ढाल-७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२९१७२. सप्तस्मरण सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १८३१, चैत्र शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. २, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., स्मरण - ३ संतिरं
गाथा - २ अपूर्ण तक है., ले. स्थल. वगडी, प्रले. मु. दौलतसौभाग्य ( गुरु पंन्या. गुलाबसौभाग्य), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखकने प्रारंभ में हीं साते स्मरण ऐसा लिखा है वास्तव में तपागच्छीय नवस्मरण हैं एवं नवकार के टार्थ की पूर्णता पश्चात् प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है., जैदे., (२५. ५X११.५, ४४३१).
,
नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., सं., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं० हवाइ; अंति: ( - ).
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नवस्मरण - टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीपार्श्वजिनमानम्य; अंति: (-).
२९१७५. दशकल्प गाथा सह टीका, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. पंचपाठ., जैदे., (२६×११.५, १४X३२). १० कल्प गाथा, प्रा., पद्य, आदि: अचेलुक्कुविसिय; अंति: मासं पज्जोसवणा कप्पो, गाथा - १. १० कल्प गाथा-टीका, सं., गद्य, आदि: अचेलत्वं मानप्रमाण; अंति: सव्वत्थ विकारणं एवम्. २९१७६. पांचबोल गाथा सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे (२४.५x१२, १४४३३). ५ बोल गाथा, प्रा., पद्य, आदि: जिणभत्ति जीवदया सुपत; अंति: संगारोमणुयजमस, गाथा - १. ५ बोल गाथा - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: ज्ञानवंत पुरुष; अंतिः संमध कदिउ भगवंत बोलइ. २९१७७. आलोचना, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६X१०.५, १२X३६-३७).
प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह- धे.मू. पू. ० संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, आदि: ज्ञाननि विषे जे अति; अंतिः सबै मिच्छामि
"
दुक्कडं.
२९१७९. प्रतिक्रमणादि विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. राई, देवसीप्रतिक्रमण, देववंदन पडिलेहण इत्यादि विधियोंका संग्रह है., जैवे. (२५४११, १५४४१- ४५).
"
प्रतिक्रमणविधि संग्रह- तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरिवावही; अंतिः कही पछै लोगस्स
कहीजे.
२९१८०. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, कार्तिक शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५X१२, १०X३०-३२). औपदेशिक सज्झाय, मु. उदयरतन, मा.गु, पद्य, आदि; उंडोजी अर्थ विचारीयो; अंतिः उदयरतन मुनि इम भणे,
गाथा - १४.
२९१८१. पट्टावली संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. पंक्त्यक्षर अनियमित हो, जैवे. (२५.५४११, १३X२३-३२).
१. पे नाम. पट्टावली, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
पट्टावली *, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: श्रीवीर ग्र. ३० छ; अंति: २८ श्रीदेवढ क्षमासमण, (वि. २८ वीं पाट तक है.) २. पे. नाम. पट्टावली, पृ. १आ, संपूर्ण.
पट्टावली, मा.गु., गद्य, आदि: सवंत १५२८ साहल; अंति: १५ ऋषि केसवजी, अंक-१५ पाट. २९१८३. बद्धेलगा मुक्केलगा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., ( २६१२, २०X३७-३८).
५ शरीर वर्णन - पन्नवणासूत्र मध्ये, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीपन्नवणासूत्र चउथ; अंति: बीमाणीक देवता. २९१८४. सिद्धदंडिका स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५X१२.५, १६x२७).
सिद्धदंडिका स्तव, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जं उसभ केवलाउ अंतमुह; अंतिः दितु सिद्धि सुहं, गाथा - १३, (वि. यंत्र सहित.)
२९९८५. भाव ६ नी मुल ५३ उत्तर प्रकृति विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. पंक्त्यक्षर अनियमित है, जैदे., (२६x११.५).
भाव ६ मुल ५३ उत्तर प्रकृति विचार, मा.गु., को, आदि: (); अंति (-),
२९१८६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्र. वि. प्रत संपूर्ण है परंतु प्रतिलेखक ने अंतिम पत्रांक ४ लिखने की जगह ५ लिखा है., जैदे., (२४x१२, १४X३८ ) .
१. पे. नाम. दोढसोजिन कल्याणक तपविधान, पृ. १अ - ४अ, संपूर्ण, वि. १९४८, आषाढ़ शुक्ल, ७, शुक्रवार, ले. स्थल. कर्पटनगर, प्रले. रणछोड भूराभाई वैद्यराज, प्र.ले.पु. सामान्य.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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मौनएकादशीपर्व स्तवन- १५० कल्याणक, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: धुर प्रणमु जिन षटरिस अंति: जसविजय जयसिरि लहि, दाल- १२.
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२. पे. नाम. अभिनंदन स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
अभिनंदनजिन स्तवन, वा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु मुझ दरिसन; अंति: रस मांहिल्यो एकताने,
गाथा- ७.
२९१८७. (-) मधुसूदनसुत श्रीनेमिश्वरशिष्य ढंढणऋषि स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १७४३, आश्विन कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. दुर्वाच्य., प्र.ले. लो. (५१८) तैलाद्रक्षे जलाद्रक्षेत्, जैये. (२५.५x११.५, १०x३४).
"
ढणऋषि सज्झाय, मु. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कांह कुमर कुलमंडणो; अंतिः कवि कमलविजय इम
भासइ, गाथा - ५०.
२९१८८, (४) लघुशांति, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५x१०.५,
११x६९).
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांतिं शांतिनिशांतं; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च श्लोक-१७. २९१८९. शालिभद्र सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५X१२, २०x४०).
शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. विनीतविमल, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नगरीनें; अंति: गुणसंपत आवनी रे, (वि. प्रतिलेखकने गाथांक नहीं लिखा हैं.)
२९१९०. (+) ईर्यापथिकीविचार कुलक आदि, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें - पंचपाठ., जैदे., (२५.५x१०.५, १३x२८-३१).
१. पे. नाम. इरियावही कुलक सह टीका, पृ. १अ, संपूर्ण.
इरियावही कुलक, प्रा., पद्य, आदि: चउदस पय अडचत्ता तिगह; अंति: जीव निच्वंपि, गाथा-८. इरियावही कुलक- टीका, सं., गद्य, आदि: सप्तनरक पृथ्वी; अंति: पंचेंद्रिय पल्योपम ३.
२. पे नाम, सिधजीव संख्यादि विचार, पृ. १आ, संपूर्ण.
सिद्धजीव संख्या, प्रा., पद्य, आदि: जइबा होइ सि पुच्छा; अंति: सुराइ ठाणेसु सच्छंति, गाथा ५. ३. पे. नाम. प्रतिक्रमण विधि, पृ. १आ, संपूर्ण.
-
प्रतिक्रमण विधि, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. देवसिकादि प्रतिक्रमण विधिसंग्रह गाथा.)
२९१९२. छ आरा स्तवन, संपूर्ण, वि. १७६८, कार्तिक शुक्ल, ३, शुक्रवार, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल, जवाचनगर,
प्रले. उपा, मेघविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २४४१०.५, २०५५).
महावीरजिन स्तवन- छड्डाआरानुं, आव, देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणंद पाय नमी; अंतिः देवीदास संघमंगल करो, ढाल ५, गाथा ६४.
२९१९४, (+) ८४ लाख जीवयोनी क्षमापना व करणसित्तरीचरणसित्तरी गाथा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५x१०.५, १३४३९).
१. पे. नाम. ८४ लाख जीवयोनी क्षमापना, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
८४ लाख जीवयोनि क्षमापना विचार, प्रा.,मा.गु., प+ग, आदि: जो को विह पाणगणो; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. २. पे नाम, चरणसत्तरी करणसत्तरी, पृ. २आ, संपूर्ण,
करणसित्तरीचरणसित्तरी गाथा, प्रा., पद्य, आदि: पिंड विसोही समई भावण; अंति: निग्गहाउ चरणमेयं, गाथा - २. २९१९५. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, ले. स्थल. खीमेल, पठ. श्राव. चोखा; राज्यकाल
रा. तेजसींघ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीशांतिनाथजी प्रसादात्., जैवे. (२३.१४११, १४४३१).
,
१. पे. नाम. उजेणीरा उपासरारी सझाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
उज्जयनी उपाश्रय सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: हो मुनिवर उजेणीना; अंति: आगो काडो मत खेवी, गाथा- १५. २. पे. नाम. गोडी स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
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पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. सुबुधीविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७८, आदि: मन मुरत मोहनगारी रे; अंतिः सुबुधी बंदी तसु पाया, गाथा - ८. ०
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२९१९६. (+) अष्टप्रकारी पूजा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
.जी., (२५x११,
११X३८-४२).
८ प्रकारी पूजा, मु. देवचंद्र, मा.गु., सं., पद्य, वि. १७२४, आदि: गंगा मागध क्षीरनिधि; अंतिः शक्षयाकांक्षया, ढाल - ८, श्लोक - ८.
"
२९१९७. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैवे. (२५.५४११.५, १४४४९). १. पे नाम, जीराऊलो पार्श्वदेव स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण, वि. १९२३ आश्विन शुक्ल, ११, प्रले. मु. जीवण ऋषि,
प्र.ले.पु. सामान्य.
पार्श्वजिन स्तोत्र - जीराऊला, मा.गु., पद्य, आदि महानंद कल्याणवल्ली; अंतिः नाथ जीरावलो रंग गायो, गाथा - ११. २. पे. नाम. नमिराय सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
नमिराजर्षि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जी हो मिथीला नगरीनो; अंति; जी हो पामीजे भवपार, गाथा - ७.
३. पे. नाम. करकंडु सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
करकंडुमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्म, आदि: चंपानगरी अतिभली हु; अंतिः प्रणम्या पातक जाय रे, गाथा - ५.
२९१९८.
(#) मातृका वर्णन, संपूर्ण, वि. १८०२, चैत्र कृष्ण, ७, मंगलवार, मध्यम, पृ. ३, प्रले, ग. भावविजय; पठ. ग. मुक्तिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५x११.५, १२३४-३६).
मातृका वर्णन, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलुं जीव पुन्य; अंति: कर जोडी नित भावि नमु, गाथा - ५७.
२९१९९. पद्मावती आराधना व ४ मंगल, संपूर्ण, वि. १९३२, आषाढ़ कृष्ण, ७, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, ले. स्थल. सीरदार, प्र. सा. कुणा आर्या (गुरु खुसाला), प्र. ले. पु. सामान्य, जैदे., ( २४.५x१२, ११४३३).
१. पे. नाम. पद्मावती आराधना, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पच, आदि: हिव राणी पदमावती; अंतिः पापथी छूटे ते ततकाल, ढाल -३, गाथा-३४. २. पे. नाम. चार शरणा, पृ. २, संपूर्ण.
४ मंगल, प्रा., पद्य, आदि: चत्तारि मंगलं अरिहंत; अंतिः धमो सरणं पवजामि, गाथा - ३.
२९२००. (#) संज्ञा कुलक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८७२, पौष शुक्ल, ३, मंगलवार, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल. लाकडा, प्रले. मु. . बहेचर जेठा ऋषि (लुंकागच्छ); पठ. श्रावि. नाथीबाई ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे., (२५x११, ४४४१).
संज्ञा कुलक, प्रा., पद्य, आदि रुक्खाण जलाहारो; अति सोलस सन्ना तस जीवेसु, गाथा - ५.
संज्ञा कुलक- टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: थावर पांचेने हाड नथी; अंति: १६ संज्ञा मनुषने होई.
२९२०१. सरस्वती छंद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. मु. अनोपचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. दो हस्ताक्षरों में लेखनकार्य
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पूरा हुआ है., जैदे., (२५X१०.५, १३x३९).
सरस्वतीदेवी छंद, मु. हेम, मा.गु., पद्य, आदिः ॐकार घरा उद्धरणं वेद; अंति: कर वदे हेम इम वीनती, गावा- १६. २९२०२. रामचंदसीताजीरी सिज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५x११, १७३८).
रावण मंदोदरी गीत, मा.गु., पद्य, आदि: मंदोदरी मन चिंतवे; अंतिः मानो पीवाजी मारी सीख, गाथा - १५. २९२०४. सज्झाय व संदेश, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५x११.५, १०x४५).
१. पे. नाम. राजीमती सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
राजिमतीसती सज्झाय, मु. हितविजय, रा., पद्य, आदि: प्रणमी नीजगुरुपाय; अंति: हितविजय० राजुल लहैजी, गाथा - ११.
२. पे. नाम माधवसंदेश पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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कृष्णसंदेश पद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम तो गणपति आराहु अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ४ तक है. )
२९२०५. शीलोपरि राजाकुलध्वज चुपै, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-३ (१ से ३) = ३, जैदे., (२५.५X११.५, ११×३८). कुलध्वजराजा चौपाई - शीलोपरि, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: घरि लक्ष्मी अफला फलइ, गाथा - १४०, ( पू.वि. गाथा १ से ८० तक नहीं है.)
२९२०६. सकोसल रास, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३- २ (१ से २) = १, जैदे., (२५X११, १५X३८).
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सुकोशलमुनि चौपाई, मु. देवराज, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति देवराज प्रणमड़ पाय, ढाल ६, (पू.वि. ढाल ४ गाथा २ अपूर्ण तक नहीं है.)
२९२०७. (+)
गजसुकमाल चौपाई, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र. वि. प्रतिलेखक
पं. श्रीविनयप्रमोद गणि की शिष्यपरंपरा में से कोई एक होना चाहिये. कारण कि लिखने से पूर्व मंगलाचरण में इनका स्मरण किया गया है., संशोधित., जैदे., ( २६ ११, १३x४० ).
गजसुकुमाल चौपाई, मु. शुभवर्द्धन शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: देस सोरठ द्वारापुरी; अंति: (-), (पू. वि. गाथा ४७ तक हैं.)
२९२०९ (+) पंचमीतपश्कारि वरदत्तगुणमंजरी कथानक, संपूर्ण वि. १७१२, तरणिसंयमभेद, आषाढ़ शुक्ल, ८, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. गंधारबंदर, प्रले. पं. दानचंद्र गणि (गुरु पं. माणिक्यचंद्र गणि, तपगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-कर्ता के हस्ताक्षर से लिखित प्रत - ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित प्रायः शुद्ध पाठ., जैदे., ( २५X११, १५X४७ - ५५ ) .
वरदत्तगुणमंजरी कथानक, पं. दानचंद्र गणि, सं., पद्य, वि. १७०५, आदि: श्रीपार्श्व शंकर अंतिः शिशुविलसितं किंचित्, श्लोक - १७५.
२९२१०. छंद, अष्टक व स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७३, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, ले. स्थल, सांडेरानगर, प्रले. मु. सुखसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२५.५x११.५, ११४३१)
१. पे नाम, सरस्वती छंद, पृ. १अ २आ, संपूर्ण, वि. १८७३ फाल्गुन शुक्ल, ७, ले. स्थल. सांडेरा,
सरस्वतीदेवी छंद, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन समता मन आणि; अंति: आस फलस्ये ताहरी,
गाथा - ३५.
२. पे. नाम. सरस्वतीअष्टक, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण, ले. स्थल. सांडेरा, पे.वि. शांतप्रभुप्रासा ०. सरस्वतीदेवी छंद, आ. दयासूरि, मा.गु., पद्य, आदि: बुद्धि विमल करणी; अंतिः जपति नीत नमेवि गजपति,
गाथा - ९.
३. पे. नाम. माणिभद्रवीर स्तवन, पृ. ३अ ४आ, संपूर्ण, वि. १८७३ चैत्र कृष्ण, १४, ले. स्थल. सांडेरा. सं., पद्य, आदिः यं यं यं यक्षराजं; अंति: स्वप्नेष्वपि भयं नहि, श्लोक - १३, (वि. वैदिक भैरवाष्टक में ही अंतिम फ पाठों को मिलाकर प्रत में माणिभद्रवीर स्तवन नाम का उल्लेख किया है.)
२९२११. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., ( १६.५X१०.५, १४X१६).
9
१. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, मु. चंद, मा.गु., पद्य, आदि: सखी मारा वालमजीनी; अंति: मोरी वीनती चित आण रे,
गाथा - ७.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सेरीमाहे रमतो दीठो; अंति: अमचो भाग्य उघडीयो रे, गाथा - ९. २९२१२. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५X१२, १७X३७-४०).
औपदेशिक सज्झाय, क्र. मनरूप, मा.गु., पद्म, वि. १८७७, आदि ए तो जगत मीध्यातमे; अंतिः एतो आतम परउपगारो, गाथा १५.
२९२१४. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५x११.५, ११x२०-२६).
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१. पे. नाम. मेघकुमारनी सज्झाय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
मेघकुमारमुनि सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि: चारित्र लइ चित्त; अंति: त्रिविध परणाम, गाथा - १५. २. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण, प्रले. खुशाल सखाराम, प्र.ले.पु. सामान्य. मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजी रे आदेसर अरि; अंति: भवसाहेर तरीए रे लो, गाथा - १०. २९२१५. बृहच्छांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१०.५, १३३३-३५).
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बृहत्शांति स्तोत्र- तपागच्छीय, सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंतिः पूज्यमानो जिनेश्वरः. २९२१७. संबोधअट्ठोत्तरी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५X१२, १३-२३X३७-६३).
संबोधअष्टोत्तरी, ,मु. ज्ञानसार, रा., पद्य, वि. १८५८, आदि: अरिहंत सिद्ध अनंत; अंति: तीज निरमी खरतर नारणे,
गाथा - १०८.
२९२१८. (+) सामाचारी, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. संशोधित पदच्छेद सूचक लकीरें, जैदे., (२५.५x११,
१२x४६-५२).
सामाचारी, प्रा., पद्य, आदिः आयारविही निलओ देविंद; अंति: साहूणं निज्जराहेऊ, गाथा - ५१. २९२१९ श्रावककरणी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८११, आषाढ़ शुक्ल, ८, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. नारंगावाद, प्रले. मु. भाणविमल (गुरु पं. कांतिविमल गणि), प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., ( २५.५X११, १३x२७).
श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं ऊठी परभात; अंति: करणी दुखहरणी छे एह,
गाथा - २२.
२९२२०. बासठ मार्गणा यंत्र, संपूर्ण, वि. १९७५, पौष कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. आहोर, प्रले. सा. प्रसन्नश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२५x१२).
६२ मार्गणा यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-).
२९२२१. सीमंधरस्वामि प्रथमविहरमानजिन स्तव, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २४.५X११, ८x४०). सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवर० जीव जागीओ; अंतिः वास प्रभुपद थापी, गाथा - १६. २९२२२. अष्टाह्निका व्याख्यान, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., ( २४.५X१२, १०X३१ - ३५).
अष्टाह्निकापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., गद्य, वि. १८६०, आदि: शांतीशं शांतिकर्त्ता; अंतिः (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
२९२२३. (+) नवकारमंत्र सह वालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. त्रिपाठ संशोधित, जैदे., (२३.५x१०.५,
१८४३४-५६).
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: णमो अरिहंताणं; अंति: नमो लोए सव्वसाहुणं, पद-५.
नमस्कार महामंत्र- बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: नमो अ० इत्यादि एहनो; अंति: भणी सिद्ध वडा कही . २९२२४. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे ३, जैदे. (२४.५x१०, १५४३६). १. पे नाम औपदेशिक सज्झाच, पृ. १अ, संपूर्ण.
,
औपदेशिक सज्झाय-दानफल, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: एक घरि घोडा हाथीआ रे; अंतिः परतकि पुण्यप्रमाण रे, गाथा- ९.
२. पे. नाम. धर्मोपदेश पद, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: काया पुर पाटण मोकली; अंति: सहजसुंदर उपदेश रे, गाथा - ५.
३. पे. नाम. महावीर स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तव, प्रा., पद्य, आदि: जय नवनलिनकुवलयवियसि अंति: दिसउ खयं सव्वदुरिआणं, गाथा - ६. २९२२५. साधु अतिचार व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ४, जैदे., ( २४.५X११.५, २०५१).
१. पे. नाम. साधु अतिचार, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण, ले. स्थल. द्रांगद्रा, प्रले. मु. राजरत्न, प्र.ले.पु. सामान्य.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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श्रावकपाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: नाणंमि दंसणंमि०; अंतिः सज्झाइ ए संवछरी
तप.
२. पे. नाम. तीर्थादि वंदनाश्लोक, पृ. २आ, संपूर्ण.
तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: ख्यातोष्टापदपर्वतो; अंति: साक्षात् सरोपमध्रुवं श्लोक-४. ३. पे नाम, महावीरजिन व नेमिजिन प्रार्थनास्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण,
प्रार्थनास्तुति संग्रह, मा.गु., सं., पद्य, आदिः सर्वेषां वेदसामाद्य; अंति: प्रक्षालनजलोपमात् श्लोक-४. ४. पे नाम. प्रास्ताविक दोहा, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक दूहा संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: रसकप्रिये बिन चातुरी; अंतिः रमिता नर पशु समान, गाथा- १. २९२२६. औपदेशिक सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, जैदे., (१५.५X१०, १०X३२). १. पे नाम, कायाजीवसंवाद सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण,
औपदेशिक सज्झाव, मा.गु., पद्य, आदि: काया जीवने केछे रे ओ; अंतिः राखोने छोगाला रे, गाथा - ७. २. पे नाम. जीवकायासंवाद पद, पृ. ९अ-२अ, संपूर्ण.
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औपदेशिक पद, साकळचंद, मा.गु., पद्य, आदि: जीव काया ने सुणावे; अंति: एहवी छे मुनिवाणी रे, गाथा - १३. ३. पे नाम, जीवोपदेश सज्झाय, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्म, आदि: जोने तुं पाटण जेवा; अंतिः रत्न० नाव्या कामे रे,
गाथा - १२.
४. पे नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-जीव, मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सजी घरबार सारु मिथ्य; अंति: रत्नविजय० छेथी रे, गाथा - १२.
२९२२७. (+) पार्श्वनाथजीरो छंद, संपूर्ण, वि. १९३६, फाल्गुन शुक्ल, १४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. बालचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २४.५X१०.५, १२X३५).
पार्श्वजिन स्तोत्र- शंखेश्वर, मु. लब्धिरूचि, मा.गु. सं., पद्य, वि. १७१२, आदि: जय जय जगनायक; अंति: मुदा प्रसन्नात्, गाथा - ३२.
२९२२८. स्तुति संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२५X११, १९x४९). १. पे नाम. शांतिनाथजी स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तवन, मु. जयसोम, मा.गु., पद्य, आदि: संत करि संतजिण सेवीय; अंतिः सुप्रसन सोलमो साम,
गाथा - ११.
२. पे नाम ज्ञानपंचमीतिथि स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण.
पंचमीतिथितपस्तुति, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: पंच अनंत महंत गुणाकर; अंति: यै कहै जिणचंद मुणिंद, गाथा ४.
३. पे नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंतिः श्रीजिनलाभसूरिंदा जी, गाथा- ४. ४. पे. नाम. सद्गुरु सिज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिन लाभसूरिनिर्वाण सज्झाय, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिणंद मया करौ दिस; अंति: वंदन हुआ शुभ काजे रे, गाथा - ८.
२९२२९. मृगापुत्र सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे. (२४.५४११, १८४३८).
"
मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदिः सुग्रीवनगर सुहामणोजी; अंति: तुज ताल आवर न कांइ, गाथा - १७. २९२३१. आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( १८.५X११, १०x२१).
आदिजिन स्तवन- अक्षयतृतीयापारणागर्भित, उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: रीखव वरसरीया उपवासी; अंतिः रीषभजिणेसर पाया, गाधा ७.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९२३२. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८४५, ज्येष्ठ शुक्ल, १३, मध्यम, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ४, ले.स्थल. सीरोही,
प्रले. पं. नायकविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१४.५४११.५, १७४२०). १. पे. नाम. १५तिथि सज्झाय, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
१५ तिथि सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: दूधडे बुध मेहवा, गाथा-१६, (पू.वि. मात्र अंतिम गाथा है.) २. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: तुं आतमगुण जाण रे; अंति: कोह सोडावनहार, गाथा-४. ३. पे. नाम. निरंजन पद, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहि., पद्य, आदि: देव निरंजन भवदुःख; अंति: जे बेठा सो तरीया हें, गाथा-३. ४. पे. नाम. प्रबोध पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. मान, मा.गु., पद्य, आदि: जाग जाग जाग जाग रे; अंति: वीतराग लहो शिवमागरे, गाथा-५. २९२३३. पंचजिन वीनतीस्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, जैदे., (२५.५४११, १५४४३). १. पे. नाम. आदिनाथ वीनती, पृ. १अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथ केरो राजीओ पाप; अंति: मागई मननि
उल्हासि, गाथा-५. २. पे. नाम. शांतिनाथ वीनती, पृ. १अ, संपूर्ण.
शांतिजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: दहीनुईपुरि दीपइं; अंति: देज्यो समरथ देवा, गाथा-५. ३. पे. नाम. नेमिनाथ वीनती, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: ऊजलगिरि अम्हे जाइ; अंति: नंदसूरि सेवक उद्धरुए, गाथा-५. ४. पे. नाम. पार्श्वनाथ विनती, पृ. १आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-स्तंभनतीर्थ, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मूरति त्रेवीशमो; अंति: नंदसूरी मंगल करू ए,
गाथा-५. ५. पे. नाम. सांचोरमंडण महावीर वीनती, पृ. १आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: साचुंरि परवर्या जगत; अंति: सुखदायक ते सवे, गाथा-६. २९२३४. चैत्यवंदन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ७, जैदे., (२६४११.५, ११४३७). १. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण. आदिजिन चैत्यवंदन-शत्रुजय नमस्कार, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाभिनेरसर वंश चंद; अंति: दान मिटे
दुःख दंद, गाथा-३. २. पे. नाम. आदिजिन चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन चैत्यवंदन-चैत्रीपूनमदेववंदन, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पूर्णचंद्र उपमान जास; अंति: दान
__ अधिक उल्लास, गाथा-३. ३. पे. नाम. चैत्रीपूनम चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण. चैत्रीपूर्णिमापर्व चैत्यवंदन, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चैत्री पूनमनो अखंड; अंति: दान सकल सुख हुँत,
गाथा-३. ४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशत्रुजय सिद्ध; अंति: दान नमे धरी नेह, गाथा-३. ५. पे. नाम. पुंडरिकस्वामी चैत्यवंदन, पृ. १आ, संपूर्ण. पुंडरीकगणधर चैत्यवंदन, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदीश्वर जिनरायनो; अंति: नाम दान सुखकंद,
गाथा-३. ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. हरखचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मेरी लगन लगी प्रभु; अंति: प्रीत लगी सदा घनसै, गाथा-२.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३६१ ____७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: लगजा रे मनु लगजा; अंति: धरो रे दिनी नवलकीसोर, गाथा-३. २९२३५. सम्यक्त्वालापक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४४११, ६४४२).
अनशन आलापक, प्रा., गद्य, आदि: अहन्नं भंते तुम्हाणं; अंति: इअ संमत्तं मए गहिअं.
अनशन आलापक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अहन्नं क० हुं भंते; अंति: ग्रहिउँ मइ उचर्यु. २९२३६. (#) पाक्षिकक्षामणकसूत्र सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १९३५, ज्येष्ठ कृष्ण, ६, बुधवार, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. त्रिपाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४११, २०४३७-५५). आवश्यकसूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का हिस्सा क्षामणकसूत्र, प्रा., गद्य, आदि: इच्छामि खमासमणो पियं:
अंति: नित्थारग पारगा होह, आलाप-४. आवश्यकसूत्र-साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह का हिस्सा क्षामणकसूत्र की अवचूरि, सं., गद्य, आदि: यथा राजानं
मंगलपाठका; अंति: युयमित्याशीर्वचनमिति. २९२३७. पासचंद्रसूरिगच्छेमच्छणवाग्रामेश्राद्ध परिवारसूचि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४४९, २४४१८).
पार्श्वचंद्रसूरिगच्छे मच्छणवाग्रामे श्राद्धपरिवार सूचि, मा.गु., गद्य, आदि: सीहरीया वीरचंद्रकस्य; अंति: तस्य पुत्र
उधवजी. २९२३८. अणाहारीवस्तु सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९२७, आश्विन कृष्ण, २, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. रत्नसार भाग- २ पेज-४४५ मुद्रित पुस्तक पर से लिखी गयी है., जैदे., (२०.५४१२, १२४२३). अणाहारीवस्तु सज्झाय, मु. मुक्ति, मा.गु., पद्य, आदि: जखौ मंडण वीरजिणंद; अंति: मुक्ति० मुखथी लही,
गाथा-१०. २९२३९. (+) गंगदत्त कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४११, १३४४१). गंगदत्त कथा, मा.गु., गद्य, आदि: पंचपदने नमस्कार करी; अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ से चंद्रजस राजा की कथा
प्रारंभिक अंश तक है.) २९२४१. पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४११, १५४३५). १. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मार बफंती खीचडी ओ घर; अंति: कर लीधो जिण बाल, गाथा-१०. २. पे. नाम. औपदेशिक पदसंग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: थिर दीसै थिगती अलग; अंति: बहार मुनि कीनो मुसा, गाथा-३. २९२४२. श्रावक विचार, संपूर्ण, वि. १८०९, मार्गशीर्ष शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. अजमेर, प्रले. सा. कवरबाइ, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखन वर्ष में मात्र १८९ लिखा हुआ है., जैदे., (२४४११.५, १०४२३). मन्हजिणाणं सज्झाय-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: मन्हजिणाणं आणं मिच्छ; अंति: निच्चं सुगुरूवएसेणं,
गाथा-५. २९२४३. स्तवन व पद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (१८४८.५, १६४१८). १.पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: माहरु मन मोह्यु रे; अंति: कहेता नावे हो पार, गाथा-५. २. पे. नाम. मूर्ख पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मुख मीटी वात कहे; अंति: व्यापत सकल शरीर, गाथा-२. २९२४४. स्तवन व सझाय, संपूर्ण, वि. १९१३, भाद्रपद कृष्ण, १, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, पठ. श्रावि. जडावबाई,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४१०.५, २४४१५). १.पे. नाम. अजितजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: ओलग अजित जिणंदनी; अंति: माहरो तुं अंतरजामी, गाथा-५.
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३६२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २. पे. नाम. गुणसागरगुरु गुंहली, पृ. १आ, संपूर्ण.
गुणसागरसूरि गहुंली, मु. पद्म, मा.गु., पद्य, आदि: सोल वरसें संयम लिओ; अंति: सुणि पामें शिवराज, गाथा-७. २९२४५. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९०६, श्रावण कृष्ण, ६, मंगलवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४४११, १०x२३). १.पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जग वालहो; अंति: सुखनो पोष लाल रे, गाथा-५. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: भवि तुमे चंदो रे; अंति: निज रूपे चिरणंदे, गाथा-७. २९२४६. सकलोपद्रवनिवारकं सातिशयमंत्रगर्भितंगोडीपार्श्वजिनराज बृहत्स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (२४४११, १३४२७). पार्श्वजिन स्तवन-अणहिलपुरगोडीजी प्रतिष्ठा महोत्सव, म. प्रीतिविमल, मा.गु., पद्य, आदि: वाणी ब्रह्मावादिनी;
अंति: जिन नाम अभिराम जपंता, ढाल-५, गाथा-५४. २९२४७. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४४११, १५४२६).
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: अन्नत्थणाभोगेणं वीसर; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
विचार संख्या २७ तक है.) २९२४८. गिरनार स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१५.५४११, ९x१९).
नेमिजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदीय पाय; अंति: करो ते अंबा देवीए, गाथा-४.
नेमिनिट २९२४९. स्तवन वस्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४११, ११४४१). १. पे. नाम. शीतलनाथजीरो स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
शीतलजिन स्तवन, आ. रतनसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चिहं गति तारै निवार; अंति: रतनसूरि की सेव हो, गाथा-५. २. पे. नाम. जिनतीर्थ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य.
__आ. रतनसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टापद आदीसर वासपूज; अंति: रतनसूरि तिहां वंदीऐए, गाथा-४. २९२५०. नवपद सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१२.५४१०.५, १०x१६).
सिद्धचक्र सज्झाय, मु. उत्तमसागर-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: नवपद महिमासार सांभलज; अंति: नवपदमहीमा
जाणज्योजि, गाथा-१०. २९२५१. अजितजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पठ. श्राव. रत्नपितांबर दोसी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१९.५४१०.५, ९४२७).
अजितजिन स्तवन, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: ज्ञानादिक गुण संपदा; अंति: देव० भावधर्म दातार, गाथा-१०. २९२५२. (-) वृद्धशांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८०१, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. पादालिप्तनगर, पठ. मु. दयाराम, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५.५४११.५, १२४३८).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैन जयति शासनम्. २९२५३. स्वाध्याय व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१०, २९४२१). १. पे. नाम. अध्यात्म स्वाध्याय, पृ. १अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक सज्झाय, मु. गुलाब, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन चेतो चित्तमा रे; अंति: प्रगटे समकित भाण, गाथा-९. २. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. मुक्तिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: संभवजिन शिवसुख सामी; अंति: दिलधारी आस तुमारी हो, गाथा-६. २९२५४. (+) स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ७, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४१०.५, १८४६२). १.पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. सं., पद्य, आदि: जय वृषभ वृषभवृषविहित; अंति: शाश्वत शिवसौख्यलील, श्लोक-३, (वि. पंचतीर्थ्याः
पंचजिनस्तोत्रैर्वृहत्स्तवनम्.) २. पे. नाम. शांति स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३६३ शांतिजिन स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: स्तुवंतु जिन; अंति: भवे भवेस्तु मे विभु, श्लोक-३, (वि. पंचतीर्थ्याः
पंचजिनस्तोत्रैर्वृहत्स्तवनम्.) ३. पे. नाम. नेमि स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: जिगाय यः प्राज्यतरः; अंति: नोमी नं नामनामामनामि, श्लोक-३, (वि. पंचतीर्थ्याः
पंचजिनस्तोत्रैर्वृहत्स्तवनम्.) ४. पे. नाम. पार्श्व स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण. __ पार्श्वजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: तवेशनामतस्त्वरा दरा; अंति: ममापिधर्मशीलराः, श्लोक-३, (वि. पंचतीर्थ्याः
पंचजिनस्तोत्रैर्वृहत्स्तवनम्.) ५. पे. नाम. महावीरजिन स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: योचीचलद्दश्च्यवनो; अंति: भव्य श्रीधर्मशीलभृतः, श्लोक-४, (वि. पंचतीर्थ्याः
पंचजिनस्तोत्रैर्वृहत्स्तवनम्.) ६. पे. नाम. पार्श्वनाथ समस्यास्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
__ पार्श्वजिन स्तोत्र-समस्याबंध, सं., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वनाथं तमहं; अंति: भ्यर्चनोभीष्टलब्ध्यै, श्लोक-१३. ७. पे. नाम. पार्श्व स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तव-करहेटक, सं., पद्य, आदि: आनंदभंदकुमुदाकरपूर्ण; अंति: मे हृदि मेरुधीरम्, श्लोक-५. २९२५५. उपदेश सिज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. मालुजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४१०.५, १३४२९).
औपदेशिक सज्झाय, मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८३३, आदि: ओ जीवे काल अनादि भटक; अंति:
सुणजोरे भगवंत भाषीरे, गाथा-७. २९२५६. (#) जमुसामी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४.५४११, १४४३०).
जंबूसाधुसज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसते सामणे वीनवु सत; अंति: जयकार धने जमुसामीजी, गाथा-१६. २९२५७. साधुराइ अतिचार व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, प्र.वि. दो हस्ताक्षरों में लिखा गया है.,
जैदे., (२५४११, १५४३७-४०). १. पे. नाम. साधु रात्रि अतिचारगाथा, पृ. १अ, संपूर्ण. साधुराईप्रतिक्रमणअतिचार श्वे.मू.पू., संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: संथारा आओट्टणकी परि; अंति: मिच्छा मि
दुक्कडं. २. पे. नाम. संप्रतिराजा यशोगाथा सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण. पद्मप्रभजिन स्तवन-संप्रतिराजावर्णनगर्भित, मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि: धन धन संप्रति सांचउ; अंति: देयो
भवभव सेविरे, गाथा-९. ३. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: बालापणइ डाबइ पाइ चंप; अंति: अंबिका मुकइ मुंग साथ, गाथा-४. ४. पे. नाम. तीर्थराज स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तुति, आ. सोमतिलकसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीतीर्थराजः पदपद्म; अंति: दधतां शिवं वः, श्लोक-१. ५. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तुति-शतार्थी, आ. सोमतिलकसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणसारसवितानीय; अंति: परमागम
सिद्धसूरेः, श्लोक-१. २९२५८. कलकत्ताबंदिर शांतिनाथजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१०.५, ९४२८-३१).
शांतिजिन स्तवन-कलकत्तामंडन, मु. शांतिरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: कलकत्तैपुर दीठा रे; अंति: शांतिरतन जग सारा
रे, गाथा-७. २९२५९. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५४११, १४४४१).
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३६४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
शांतिजिन छंद-हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारद माय नमुं सिरनाम; अंति: वांछत
____ फल निश्चय पावै, गाथा-२०. २. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
नेमिजिन होरी, मु. हर्ष ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिन वंदु नेम अहो; अंति: हर्ष विचित्र कहउरी, गाथा-१२. ३. पे. नाम. प्रास्ताविक गाथासंग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
जैन गाथासंग्रह", प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: सललमथघ्रतकाज निक्खु; अंति: सो भोगता दुख कि धरई, गाथा-२. २९२६०. (+) स्तवन व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे.,
(२५.५४११, १६४५३). १. पे. नाम. पार्श्वनाथगर्भित स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मूरति सिरिपासजिण; अंति: संघ आणंदकुसल करउ
ए, गाथा-६. २. पे. नाम. पंचेंद्रिय सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुर नर असुर विद्याधर; अंति: कहइ धर्म छइ जगसार हो, गाथा-११. २९२६१. २३ पदवी विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१०.५, ३८x१९).
२३ पदवी विचार, मा.गु., गद्य, आदि: सात एकेंद्री रत्ननाम; अंति: १५ पदवी को धणी जाइ. २९२६२. ऋषभजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१६.५४१०.५, १२४१९).
आदिजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिणंदशुं प्रीतडी; अंति: मुझ हो अविचल सुखवास,
गाथा-६. २९२६३. (+) जंबूद्वीपनो विवरो, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. चार भागों में मोडा हुआ है., संशोधित., जैदे., (२५४११.५, ३६-३८४२०-२३).
जंबूद्वीपगणित विचार, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९२६४. सज्झाय व गीत, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४१०.५, २८x१७). १. पे. नाम. जीवकर्मगति सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: जीव अनादि रलीयु एह; अंति: नंद्रा आवि कम्म, गाथा-८. २. पे. नाम. एलाचीकुमार गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
इलाचीकुमार गीत, ऋ. लीबो, मा.गु., पद्य, आदि: गोपी बइठो रे पुत्र; अंति: जुओ रे करमतणा विषमाई, गाथा-५. २९२६५. (+) चारप्रत्येकबुद्ध संलग्न गीत, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५.५४११, १३४३६). ४ प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चंपा नगरी अतिभली; अंति: गाया पाटण
परसिद्ध, गाथा-२९. २९२६६. वीसस्थानक नाम काउसग्ग सहित, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (१५.५४७.५, २०४६).
२० स्थानकतपजाप-काउसग्ग संख्या, प्रा., गद्य, आदि: १ नमो अरिहंताणं लो०; अंति: नमो तित्थस्स लो०२०,
पद-२०. २९२६७. सिमंधरस्वामी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४११, १३४३०).
सीमंधरजिन स्तवन, मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमधर तुं मुझ; अंति: नवनीध ऋद्ध पामी, गाथा-९. २९२६८. (+) प्रासंगिक विविध श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६७११, १५-१७४३७).
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. विविध प्रासंगिक श्लोकादि संग्रह.) २९२६९. संख्यातअसंख्यात विचार, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१०.५, २०४५४).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: यथा जंबूद्वीप जेवडा; अंति: १८ इम १८ भेद हुइ. २९२७०. आठमद सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, गु., ( १६.५X११, १७X३४).
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अष्टमीतिथि सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., पद्म, आदि: मद आठ महामुनि वारिवे; अंतिः अविचलपद नरनारी रे, गाथा - ११.
२९२७१. जिनपच्चीसी संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५.५x१०.५, १४४४७-५९). १. पे. नाम जिनपंचीसी, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
चतुर्विंशतिजिनपंचविंशतिका स्तव, सं., पद्य, आदि: वृत्ताख्यातं वृषेशं; अंतिः सद्विशोध्यं सुधीरैः, श्लोक-२५. २. पे. नाम जिननामार्थपंचविंशतिका, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
जिननामार्थपंचविंशतिका स्तव, आ. तेजसिंह, सं., पद्य, आदिः सुवृषभं प्रथमं निशि; अंतिः तस्य सौख्यप्रभूतं, श्लोक-२५.
२९२७३. (+) मुंहपरिमाण संख्या, संपूर्ण, वि. १८वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., ( २६x१०.५, १२४३०).
मुंहपरिमाणसंख्या कुलक, प्रा., पद्म, आदि: मुहपणस्य बारुत्तर सहस; अंतिः आवस्सयचुण्णिए भणिआ, गाथा- ११. २९२७४. नेमराजेमती स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५X१०.५, १३X३७).
३६५
राजिमती सज्झाय, मु. प्रेम, मा.गु., पद्य, आदि: बोलै राजुल कर मन धीर; अंति: कंता छोडो नाजी, गाथा - १८. २९२७५ (+) स्तुति व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२२x१०, १४४३८).
१. पे नाम. अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: मंगल आठ करि जसि आगलि; अंतिः तपथी कोड कल्याणजी, गाथा- ४. २. पे. नाम. ज्ञानपच्चीसी, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: सुरनर तिरि जग जोनिमइ; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. गाथा २३ तक है.)
"
२९२७६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२०.५x१०.५, २५x१३).
१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि आप स्वरुपी होय के अंतिः तुझ पद पंकज सेव हो, गाथा ७. २. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: मैं कीनो नहीं तो विण; अंति: तामें लीजे भक्तिपराग, गाथा - ७. २९२७८. वर्गतप, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. * पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., , (२५.५x११).
वर्गतय, मा.गु., गद्य, आदि उपवास ९६ पारणा ६४ उल; अंति: १२ पारणा ८ करवा, (वि. यन्त्र सहित ) २९२७९. स्तुति संग्रह, संपूर्ण वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२५.५४११, १x२९).
१. पे. नाम. गिरनार स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तुति - गिरिनारमंडन, मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदिः यादवकुलमंडण नेमिनाथ; अंति: अहनिशि सा अंबाई देवी, गाथा-४.
२. पे नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदिः आगे पूरव वार नीवाणु; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., प्रारंभिक २ गाथाएँ हैं.)
२९२८१. कल्पसूत्र की पीठिका, अपूर्ण, वि. १८८५, भाद्रपद कृष्ण, १०, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १०-६ (१ से ६) =४, ले. स्थल. पोरबंदर, प्रले. क्र. रतन; पठ. क्र. रुपजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., (२५.५x११.५, ११०४२). कल्पसूत्र - पीठिका, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: ( - ), प्रतिअपूर्ण. २९२८२. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, संपूर्ण, वि. १७वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५x१०.५, १४४४५),
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३६६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: महावीराय
तायिने, श्लोक-३६. २९२८३. स्तवन व श्लोक संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४११.५, १५४४०). १. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है. महावीरजिन स्तवन-बामणवाडजी, आ. कमलकलशसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: समरवि समरथ सारदा; अंति:
(-), (पू.वि. गाथा ९ अपूर्ण तक है.) २. पे. नाम. प्रासंगिक श्लोकसंग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: ऋणकर्ता पिता शत्रु; अंति: आरूढं गजमस्तके, श्लोक-१०. २९२८४. (-) सवैया संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२४.५४११, १८४३८). १. पे. नाम. सवैया संग्रह, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
सवैया संग्रह , पुहिं., पद्य, आदि: हारे राजा वीर भार; अंति: देही गलतो गल रे, गाथा-१७. २. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सवैया, मा.गु., पद्य, आदि: वाजा वाजे मादा जार; अंति: किहां दूर के दूरे, पद-४. २९२८५. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४.५४११, २२४७१).
विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. समकृत विरह, संख्यात-असंख्यातादि विचार.) २९२८६. हमची, स्वाध्याय व गीत, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ४, जैदे., (२६४११.५, १३४४५). १. पे. नाम. नेमिशतक, पृ. १अ-अ, संपूर्ण.
नेमिजिन हमचडी, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १५६२, आदि: सरस वचन दिउ सरसती रे; अंति: वरतिउ
___ जयजयकारू रे, अधिकार-२, गाथा-८५. २. पे. नाम. नेमराजुल स्वाध्याय, पृ. ४अ, संपूर्ण. नेमराजिमती सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: छपन कोडि यादवचा जीवन; अंति: राजलि सदा
समुहती रे, गाथा-६. ३. पे. नाम. नेमिजिन स्वाध्याय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. राजिमतीसती सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: राती रे कोइलि रूडइ; अंति: राजुलि रंगरोल रे,
गाथा-६. ४. पे. नाम. नेमिजिन गीत, पृ. ४आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती गीत, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: आती पूती राजगहेली; अंति: पाय लागी रे बाई, गाथा-५. २९२८७. दानशीलतपभावना संवाद, संपूर्ण, वि. १८३७, श्रावण शुक्ल, १, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४११, १९४५७).
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति:
भणे० सुप्रसादो रे, ढाल-४, गाथा-१०१, ग्रं. १३५. २९२८८. वैराग्यशतक भाषा, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२०.५४९, ५०४२४).
वैराग्यशतक-पद्यानुवाद, मा.गु., पद्य, आदि: संसार असार माहि नथी; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ९७ तक है.) २९२८९. नियता अनियत उपरि जोड, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, पठ. श्रावि. कपूराबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१०.५, ३६४१७). नियतानियतव्यवहार सज्झाय, मु. जीवशिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सूत्रसिद्धांति जोइउ; अंति: कीधउ हो खरउ
विचार, गाथा-२१, (वि. पहली पंक्ति के पाठ का कुछेक अंश खंडित होने से आदिवाक्य क्रमबद्ध नहीं पढ़ा जाता
२९२९०. (+) कल्प व स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १७५९, आषाढ़ कृष्ण, ११, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. अहमदाबाद,
प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५४११, १४४४४-४८). १. पे. नाम. मायाबीज कल्प, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३६७ सं., पद्य, आदि: (१)ॐकार बिंदुसंयुक्तं, (२)यो बिंदुः स पितामहो; अंति: मंत्रविद्भ्यः कदाचन, श्लोक-२९. २. पे. नाम. चतुषष्ठियोगिनी स्तोत्र, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
६४ योगिनी स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: ॐ दिव्यजोगी महाजोगी; अंति: रक्षतु मां मातरः, श्लोक-१७. २९२९१. वीर स्तुति आदि आगमिक अध्ययन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (२५४१२, १५४३८-४१). १.पे. नाम. सूत्रकृतांगसूत्र- अध्ययन ६ वीर स्तुति, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. सूत्रकृतांगसूत्र-हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: पुच्छिस्सणं समणा; अंति:
आगमेस्संतित्तिबेमि, गाथा-२९. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: पंचमहवयं सुवयमुलं; अंति: फलंपीतिकरो नराणं, गाथा-५. ३. पे. नाम. उत्तराध्ययनसूत्र- नमीप्रव्रज्या व असंखयज्झयण, पृ. २अ-४आ, संपूर्ण, वि. १९३७, कार्तिक शुक्ल, १०,
ले.स्थल. पाली, प्रले. ऋ. जेठमल, प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. प्रतिलेखक जेठमल द्वारा ही दोनो अध्ययन एक ही स्थल पर एक ही मास व पक्ष में लिखा गया है. नमीप्र० अ०- कार्तिक सुद ९ व असंखय० कार्तिक सुद १०.
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९२९२. सज्झाय व ज्योतिष यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१०.५, १७४४६). १. पे. नाम. चित्रसंभूति सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: चित्र कहे ब्रह्मराय; अति: ते सिवपद वरसी हो, गाथा-२१. २. पे. नाम. संक्रांतिमुहूर्त यंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
ज्योतिष यंत्र, मा.गु., यं., आदि: (-); अंति: (-). २९२९३. (+) दसपचखाण विधि, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४११, ११४३३).
प्रत्याख्यानसूत्र-१० प्रत्याख्यान विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: पहिलउ समेकतु उचरिवउ; अंति: संघ रही
तंबोल दीजइ. २९२९४. व्याख्यान पद्धति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५४११, १६४३६-३९).
व्याख्यान पद्धति, मा.गु., गद्य, आदि: जय जय भगवान वीतराग; अंति: भव्य प्राणी सांभलो. २९२९५. अरणक श्रावक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१०, १३४३९).
अरणिकमुनि सज्झाय, मु. खीमा, मा.गु., पद्य, आदि: काचा था सो चल गया हो; अंति: आयो जिण दीस जाय रे.
गाथा-१०. २९२९८. जंबूस्वामी चरित्र, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १०-९(१ से ९)=१, पू.वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है., जैदे., (२५.५४११.५, १६x४२). जंबूस्वामी चरित्र कथा संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. कथा १५ से १७ संपूर्ण व १८वी कथा
अधूरी है.) २९२९९. स्नात्र पूजा विधि, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, जैदे., (२५.५४११.५, २५४२१).
स्नात्रपूजा सविधि, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदिः (-); अंति: (-), पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं व प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण. २९३००. (+) चतुर्विंशतितीर्थंकर स्तुति सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १८००, श्रावण शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-संशोधित., जैदे., (२५.५४११, ८४३७).
२४ जिन स्तुति, आ. माघनंदि, सं., पद्य, आदि: वंदेतानमरप्रवेकमुकुट; अंति: मोक्षलक्ष्मीवधूनां, श्लोक-१५. २४ जिन स्तुति-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: अमराणां प्रवेकाः अमर; अंति: जन्माभिषे० यस्य स तं, (वि. प्रशस्तिश्लोक
की अवचूरि नहीं है.) २९३०१. (#) धन्नाअनगार सज्झाय, संपूर्ण, वि. १६९५, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. तिजारानगर, पठ. मु. गोविंद, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४४१०.५, १७४४६).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची धन्नाअणगार सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: दोय करजोडीनई निति; अंति: वंदउ भविकजन साधरे, गाथा-२१. २९३०२.(+) पजुसणरी सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४११,१३४४०).
पर्युषणपर्व सज्झाय, पं. मतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परब पजुसण आवीया रे; अंति: लाल मतिविजय करजोड
रे, गाथा-११. २९३०३. (#) पद्मावती स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२३.५४१०, १३४४२).
पद्मावती स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: स्तुता दानवेंद्रैः, श्लोक-१२. २९३०४. (+) ऋषवतीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. मु. माणकचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४११.५, १५४३६).
अष्टापदतीर्थ स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: अष्टापद श्रीआदिजिणंद; अंति: जिनहर्ष० नमुकरजोडी,
गाथा-३२. २९३०५. बीसस्थानक गुणणो व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४४११.५, १५४४२). १. पे. नाम. बीसस्थानक गुणणो, पृ. १अ, संपूर्ण. २० स्थानकतपजाप-काउसग्ग संख्या, प्रा., गद्य, आदि: १ नमो अरिहंताणं लो०; अंति: नमो तित्थस्स लो०२०,
पद-२०. २. पे. नाम. प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
___ सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. २९३०६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८६५, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२३.५४११.५, १२४३२). १. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
पं. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीयुगमंदिरने कहे; अंति: पंडित जिनविजये गायो, गाथा-७. २. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
विमलजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: दुख दोहग दूरे टल्या; अंति: आनंदघन पद सेव, गाथा-७. २९३०७. मनुष्यगर्भजीवयोनि आदि विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. यंत्रसहित., जैदे., (२३.५४११.५, ५३४३४).
विचार संग्रह, प्रा.,सं., गद्य, आदि: छन्नवई ठे अदाई इक्क; अंति: गर्भल मनुष्या भवंति. २९३०८. दिगंबर श्वेतांबर मतभेद विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पत्रांक ३ का ऊपरी भाग नहीं है, नीचे के खंडित भाग में मात्र दो पंक्तियां हैं., जैदे., (२३.५४१२, २०४४९-५३). दिगंबरश्वेतांबर के ८४ भेद विचार, पुहि., गद्य, आदि: श्वेतांबर केवली को; अंति: पुस्तक में नहीं है, (वि. अंतिम पत्र
के खंडित भाग अनुपलब्ध होने से पाठ पूरा नहीं हैं.) २९३०९. (-) पंचमीतप स्तवन, संपूर्ण, वि. १९३१, आषाढ़ अधिकमास कृष्ण, १०, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. पाडला, प्र.वि. बकुतरा गाम पंडित हीरविजय की प्रत पर से लिखी गयी है., अशुद्ध पाठ., जैदे., (२३.५४१२, १४४३०-३५). सौभाग्यपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसर; अंति: गुणविजय रंगे मुनि,
ढाल-६, गाथा-४९. २९३१०. स्तवन व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२४४१०.५, ३४४१८-१९). १. पे. नाम. रहनेमी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
रथनेमि सज्झाय, मु. तेजहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: जादवकुलना रे तुझनै; अंति: पूरज्यो रे जगीस रे, गाथा-९. २. पे. नाम. औपदेशिक कवित्त, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
गोविंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुझन की अटक तीहां; अंति: गोविंद गुण गाए, पद-४. ३. पे. नाम. नेमिगीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
नेमराजिमती स्तवन, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: तोरणथी रथफेरी गया; अंति: ए दंपति दोइ
सिद्ध, गाथा-६. ४. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन जिनवर मुनि; अंति: बुध पयसेवक इम
भणे रे, गाथा-३. २९३११. लेस्यारी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२३४१२, २८x२४-२६).
लेश्याभेद सज्झाय, मु. लक्ष्मीकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: परम प्रीति धरि पूछवै; अंति: शिष्या है समझावैरे,
ढाल-२, गाथा-३५. २९३१२. पंचसमवाय स्तवन, संपूर्ण, वि. १९७५, पौष शुक्ल, १, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२३.५४११.५, १४४३५-४५).
महावीरजिन स्तवन-पंचकारणगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: सिद्धार्थ सुत वंदीए;
अंति: परे विनय कहे आणंद ए, ढाल-६, गाथा-५८. २९३१३. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ४, जैदे., (२३.५४११.५, १२४३७-४३). १. पे. नाम. नेमिनाथ लावणी, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. नेमिजिन लावणी, मु. माणेक, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमि निरंजन बाल; अंति: माणेक० मनने क्रोडे, ढाल-४,
गाथा-१६. २. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. लालचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: ऋषभ जिणेसर त्रिभुवन; अंति: बीकानेर मझारो रे,
गाथा-११. ३. पे. नाम. सहस्रकूट स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. जिनप्रतिमा स्तवन-सहस्रकूट, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सहसकूट जिन प्रतिमा; अंति: देवचंद्रनी प्रीति,
गाथा-१४. ४. पे. नाम. वीरजिन विनतीरूप स्तवन, पृ. ३आ-४आ, संपूर्ण. महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मोरी वीनती; अंति: थुण्यो त्रिभुवन
तिलो, गाथा-१९. २९३१५. (+) अष्टमी तवन, संपूर्ण, वि. १९७२, मार्गशीर्ष कृष्ण, ४, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४१२, १३४२६-२९). अष्टमीतिथि स्तवन, पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: पंचतिरथ प्रणमुसदा; अंति: संघने
कोड कल्याण रे, ढाल-४, गाथा-२४. २९३१६. कुंडरीकरो दुढालीयो, संपूर्ण, वि. १९१६, माघ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. विक्रमपुर, प्रले. मु. रूपचंद; राज्यकाल रा. सिरदारसिंह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४११.५, १७४५३).
पुंडरिककंडरीक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: कुंडरीकरीद्ध तज; अंति: खेवो पार रे लाला, ढाल-२, गाथा-३५. २९३१७. विचारषट्त्रिंशिका, संपूर्ण, वि. १८७३, कार्तिक कृष्ण, ७, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. पालिताणा, प्रले. मु. खुमाणविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीआदिनाथप्रसादात्., जैदे., (२४४११, १३४२६). विचारषविंशिका प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ,
गाथा-४०. २९३१८.(+) इकवीस ठाणा व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४४१०.५,
१८४४६). १.पे. नाम. इकवीस ठाणा, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: चवण विमाणा नयरी जणया; अंति: असेस साहारणा भणिया, गाथा-६९. २. पे. नाम. पंचकल्याणक स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पंचकल्याणक स्तुति, प्रा., पद्य, आदि: नाभेयं संभवं तं अजिय; अंति: सहिया पंचकल्लाण एसिं, गाथा-४. ३. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तुति, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: नाभेयाजितवासुपूज्यसु; अंति: नेताः प्रयच्छंतु नः, श्लोक-४. ४. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तव, प्रा., पद्य, आदि: वंदामि नेमिनाह पंचम; अंति: कीर्तिराय मणोहरो, गाथा-११. २९३१९. गोडि पार्श्व छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. घाणेरा, प्रले. पं. नित्यसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४११,१४४३६-४२).
पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मा.गु., पद्य, आदि: सुवचन सुपो सारदा मय; अंति: तवियो छंद देशांतरी, गाथा-४६. २९३२०. (#) गोचरी के ४२ दोष सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२३४११.५, ४४३३).
गोचरी के ४२ दोष, प्रा., पद्य, आदि: आहाकम्मु १ देसिय २; अंति: रसहेउ दव्व संजोगा, गाथा-६.
गोचरी के ४२ दोष-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जतीन काजइ करी देइ ले; अंति: जंबू प्रतइ कह्या. २९३२१. (-) सनत्कुमार चौढालियो, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. रूपनगढ, प्रले. खेमती, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२६४१०.५, १३४३३-३६). सनत्कुमार चौढालियो, मु. कुशलनिधान, मा.गु., पद्य, वि. १७८९, आदि: सुखदायक सासणधणी तिभु; अंति:
चरण नमु सुखकंद ए, ढाल-४. २९३२३. प्रासंगिक सुभाषित संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४११, ३१x१८).
सुभाषित संग्रह *, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: यथा स्मरति गो वच्छं; अंति: सोयं समुज्जृभते, गाथा-२६. २९३२४. (+) पार्श्वजिन स्तवन सटीक वस्तोत्रादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ४, प्र.वि. त्रिपाठ-टिप्पण
युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, २३४५५-६९). १.पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन सह टीका, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित, ग. पूर्णकलश, प्रा., पद्य, ई. १२००, आदि: जसु सासण देवि वएसकया;
अंति: पार्श्वस्तोत्रमेतत्, गाथा-३७. पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित-वृत्ति, ग. पूर्णकलश, सं., गद्य, आदि: जं संथवणं विहिअं; अंति: तयं होउ
जगि सुक्खियं. २. पे. नाम. पार्श्व स्तोत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: सिरिसंखेसरपासं पउमाइ; अंति: सययं कल्लाणसुक्खकरो, गाथा-३. ३. पे. नाम. वज्रपंजर स्तोत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ॐ परमेष्ठि; अंति: राधिश्चापि कदाचन, श्लोक-८. ४. पे. नाम. मंत्र संग्रह, पृ. २आ, संपूर्ण.
मंत्र संग्रह*, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९३२५. (+) भगवतीसूत्र-शतक १६ उद्देश ५ गंगदत्ताख्यान, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११.५, ११४३८).
भगवतीसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९३२६. (+) कल्पसूत्र व्याख्यान कथा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, १४४३४). कल्पसूत्र-व्याख्यान+कथा *, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (प्रतिपूर्ण, वि. सामान्य कल्पपीठिका व
महावीरस्वामी के गणधरों का त्रिपदी ग्रहण, १४ पूर्वरचना व गणधरपदप्रतिष्ठा.) २९३२७. सुकनावली व १० ज्ञाननक्षत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४११.५, १२४३४).
१. पे. नाम. सुकनावली, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३७१ मा.गु.,सं., पद्य, आदि: पूरव दस्य नासिका; अंति: सीध न बुध न जाणणपणू. २. पे. नाम. ज्ञान के १० नक्षत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
ज्योतिष श्लोकसंग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: दस णक्खेत्ता णाणस्स; अंति: डुरि आपदा सनी राहवि. २९३२८. महावीरस्वामी स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मोहन डामर; पठ. श्रावि. दीवालीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १४४३४). महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणक, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७७३, आदि: शासननायक शिवकरण वंदु;
अंति: लहि अधिक जगीस रे, ढाल-३, गाथा-५६, ग्रं. ८८. २९३२९. (+) अलाची रास, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-१(१)=२, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६.५४११, ११४३८). इलाचीपुत्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, वि. १५७०, आदिः (-); अंति: भणसि कानि सणसि ए चरि, गाथा-१४,
(पू.वि. प्रारंभिक ५ गाथाएँ नहीं हैं.) २९३३१. (+) मार्गणा यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है. कोष्ठक में कुल संख्या ६४ है, जिसमें पहली व अंतिम पंक्ति प्रारंभ व पूर्णतासूचक पंक्ति है., संशोधित., जैदे., (२६४११).
६२ मार्गणा यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-), (वि. मार्गणा, जीवगुण व अल्पबहुत्व यंत्र.) २९३३२. (+) स्तवन संग्रह सह अवचूरी, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-वचन विभक्ति संकेत., जैदे., (२६४११, २२४६७). १. पे. नाम. महावीर स्तवन सह अवचूरि, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तव, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: कंसारिक्रमनिर्यदापगा; अंति: भावना भावितानाम्,
श्लोक-२५. महावीरजिन स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: पंक्ति स्सौ जि शुद्ध; अंति: स्रग्धराकीर्त्तितेयं. २. पे. नाम. गौतम स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीमंतं मगधेषु; अंति: भवते गौतमं नमः, श्लोक-२१.
गौतमस्वामी स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: ज्योतिर्गृहगौतमवंश; अंति: वरणपक्षे उन्नतचित्त. २९३३३. (+) श्रीपाल कथा, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.,प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२६४१०.५, १८४४७). सिरिसिरिवाल कहा, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४२८, आदि: अरिहाइ नवपयाई झायित; अंति: (-),
(पू.वि. गाथा ४९ तक है.) २९३३४. (+) वेएरकुमार ढालीया, संपूर्ण, वि. १८२४, पौष कृष्ण, ७, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. वीरमगाम, प्रले. मु. जीतहस, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, १४४३६). वज्रस्वामी रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: अरध भरतमाहि शोभतो; अंति: वयर गुण गाया रे,
ढाल-१५. २९३३६. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-३(१ से ३)=१, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४११, ११४३२). १. पे. नाम. चतुर्विंशतिपंचकल्याणक स्तवन, पृ. ४अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. २४ जिन पंचकल्याणक स्तवन, मु. विद्याविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: विद्या० संपद सुखकरा,
गाथा-४६, (पू.वि. प्रारंभ से गाथा ४४ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमहावीर मनोहरु; अंति: ज्ञानविमले कहिई,
गाथा-९. २९३३७. (+) खरतरगच्छ पट्टावली, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, १४४३९).
पट्टावली खरतरगच्छीय, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीमहावीरनै पाटि; अंति: जयवंता प्रवर्त्तइ छइ.
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३७२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९३३८. नंदीश्वरद्वीपशाश्वतजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १५वी, मध्यम, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२६४११, ८x२१).
शाश्वतजिन स्तवन-नंदीश्वरद्वीप, मा.गु., पद्य, आदि: नंदीसरवर दीप मझारि; अंति: (-), (पू.वि. गाथा- १ से७
२९३३९. सामायक बत्रीसदोष सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१०.५, १२४३९).
सामायिक ३२ दोष सज्झाय, मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल जिनेस्वर प्रणमी; अंति: पालतां सिवसुख
लहिं, गाथा-१७. २९३४०. (+) प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पृ.वि. मात्र प्रथम पत्र है.,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११, १३४४८).
प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह-श्वे.मू.पू.*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: (-). २९३४१. सज्झाय व वीनती, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. सावर, प्रले. माना, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२७४१०.५, १८४४३). १. पे. नाम. पंचपरमेष्टि सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित० श्रीजिनशासन; अंति: कुसललाभ० वंछित
लहइ, गाथा-१२. २. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. भुधरदास ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: अहो जगत गुर एक सुणिय; अंति: प्रभु ढील न कीज्यौ,
गाथा-१२. २९३४३. वीतराग स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२५.५४११, १७४६०).
वीतराग स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: यः परात्मा परं; अंति: (-), (पू.वि. प्रारंभ से
प्रकाश-८ श्लोक ११ अपूर्ण तक है.) २९३४४. (-) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२७४१२, १०४३३). १. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तव, मु. सेवक, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: नमो नित्य देवाधिदेवं; अंति: मुझ हीयै वसो, गाथा-९. २. पे. नाम. चतुर्विशतिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. २४ जिन स्तव-चतुःषष्टियंत्रगर्भित, मु. राजतिलकसूरि शिष्य, सं., पद्य, आदि: आदौ नेमिजिनं नत्वा; अंति:
मोक्षलक्ष्मी निवासम्, श्लोक-८. २९३४५. मल्लिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११, १९४३६).
मल्लिजिन स्तवन, मु. केशवजी, मा.गु., पद्य, वि. १७४६, आदि: श्रीपरमेश्वर प्रणमीइ; अंति: संघने संपद मुदार,
ढाल-८, गाथा-५८. २९३४७. रत्नाकरपच्चीसी व स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६४११, १४४४९). १. पे. नाम. संवेगमयीजिन स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५. २. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ॐ चंद्रप्रभ प्रभाधी; अंति: दायिनि मे वरप्रदा, श्लोक-५. २९३४८. (+) भगवतीसूत्र-निर्जरा व छद्मस्थ आलापक, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १३-९(१ से ९)=४, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४११.५, ११४२५).
भगवतीसूत्र-आलापक संग्रह *, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९३४९. कल्पसूत्र की पीठिका, संपूर्ण, वि. १९६५, श्रावण कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. बाहडमेर, प्रले. पं. नेमिचंद,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११.५, १२४३७).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३७३ कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: नमः श्रीवर्धमानाय; अंति: लाभाय भवक्खयाय. २९३५०. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४११.५, १५४४८). १. पे. नाम. समता सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: देहकुट बधन कारिमु; अंति: सास्वता निरवाणी, गाथा-१४. २. पे. नाम. बलभद्रकृष्ण सज्झाय, पृ. १अ-१आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है. बलभद्र कृष्ण सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिका बलती निकल्य; अंति: (-), (पू.वि. गाथा
२५ तक है.) २९३५१. २४ दंडक भांगा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२६४११.५).
२४ दंडक यंत्र, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २९३५३. (+) जांबवती चौपाई, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२६४११, १५४५८). जांबवती चौपाई, मु. सुरसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पहली ढाल वधावणी जंब; अंति: गाया रावलै परसाद कै,
ढाल-१३. २९३५४. ऋषभदेवस्वामी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७४१२, ८x१६).
आदिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जग वालहो; अंति: सुखनो पोष लाल
रे, गाथा-५. २९३५५. श्रुत की बाराखडी, संपूर्ण, वि. १८७३, आषाढ़ कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. कांधला, प्रले. मु. तुलसीराम (गुरु मु. लूणकरण), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १४४४०-४५).
श्रुत बाराखडी, पुहिं., पद्य, आदि: प्रथम जपो अरहंत कौ; अंति: छंद कहै छतीस, गाथा-७७. २९३५६. स्तवन व गुंहली संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, पठ. श्रावि. दीवालीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२७.५४११.५, १०४३२). १. पे. नाम. उपधानविधि स्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन-उपधानतपविधिगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: श्रीवीरजिणेसर
सुपरे; अंति: मुझ देज्यो भवभवे, गाथा-२७. २. पे. नाम. महावीरजिन गहुंली, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु मारो भोग करम; अंति: दया पाली कारज सीधोरे, गाथा-७. ३. पे. नाम. दीवालीपर्व गुंहली, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
दीपावलीपर्व गुंहली, मा.गु., पद्य, आदि: दीवाली दीवाली मारे; अंति: कोडी छटी फल साली रे, गाथा-७. २९३५७. आचार्यवसुधारा धारिणी, संपूर्ण, वि. १६५०, मार्गशीर्ष शुक्ल, ६, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. दीव, जैदे., (२६.५४११.५, १५४४९-५१).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: संसारद्वयदैन्यस्य; अंति: (१)वृद्धः यः संवद्येत, (२)मभ्यनंदन्निति. २९३५८. शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३०).
शांतिजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो शांतिजिणंद सोभा; अंति: इम उदयरतननी वाणी,
गाथा-१०. २९३५९. स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२६.५४११, १३४३९-४४).
दि: (-); अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू.वि. अजितजिन से विमलजिन स्तवन तक है.) २९३६०. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१०.५, १२४३७).
कर्महींडोल सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: करम हीदोलना झुलत; अंति: भवीजन पूरो मननी आस,
गाथा-९.
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३७४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९३६१. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८६१, आषाढ़ कृष्ण, १२, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. सवाइ जयपुर, प्रले. श्रावि. कृष्णकंवरी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, १२४३२-३७).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २९३६२. (#) आतमराजा रास, संपूर्ण, वि. १७६८, चैत्र कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. रायधनपुर, प्रले. पं. कांतिविमल गणि; लिख. श्रावि. रत्नबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११.५, १५४३८).
आत्मराज रास, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, वि. १५८८, आदि: सिरिसरसति सरसति आपु; अंति: तिहा भोगवे
भोगकइ, गाथा-१०३. २९३६३. नेमनाथ स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२६.५४११, १६x४५).
नेमिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति स्वामिनि पाय; अंति: (-), (पू.वि. तीसरी ढाल अपूर्ण है.) २९३६४. दशवैकालिकसूत्र की सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९१७, चैत्र शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. सांडेराव, लिख. ग. देवसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४११.५, २६४१६). दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आधाकर्मी आहार न लीजि; अंति:
वृद्धिविजय० अनुसरीए, गाथा-१२. २९३६५. सज्झाय, भास व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२७४१०.५, १२४४५). १.पे. नाम. भरथ सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण. भरतमहाराजा सज्झाय, मु. वर्द्धमान, मा.गु., पद्य, आदि: त्रीजे जि आरे स्वामि; अंति: सफल हइ सर्व आसरे,
गाथा-९. २. पे. नाम. श्रीजीनी भास, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. जगरूपगुरु आचार्यपदप्रदान भास, मु. वर्धमान, मा.गु., पद्य, वि. १७८८, आदि: श्रीगौरवरण नमी करी; अंति: नामे
मंगलमाल रे लाल, गाथा-८. ३. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. सुमतिविजय शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: मुने संभव जिनशु; अंति: सुमतिसीस० धारो रे, गाथा-६. २९३६६. भक्तामर स्तोत्र बीजमंत्राक्षर, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६.५४११, २९४७८-८२).
भक्तामर स्तोत्र-मंत्र, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: ॐ ह्रीं अहणमो; अंति: रहे महासप्रभाविका, मंत्र-४८. २९३६७. आदिजिन व वीरजिन जन्माभिषेक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुलपे. २, जैदे., (२६४११, १३४३८). १. पे. नाम. आदिजिन जन्माभिषेक, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण.. आदिजिन जन्माभिषेक कलश, अप., पद्य, आदि: मुक्तालंकारविकारसार; अंति: जिम तिम दीयो वरमगति, ढाल-१६
काव्य. २. पे. नाम. वीरजिन जन्माभिषेक, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण.
महावीरजिन कलश, आ. मंगलसूरि, मा.गु.,प्रा.,सं., पद्य, आदि: श्रेयः पल्लवयतु वः; अंति: भवियां पूजउ एहजि देव,
___ श्लोक-१९, (पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., आरती तीसरी गाथा तक है.) २९३६८. (+) उपधान स्तवन, संपूर्ण, वि. १९१५, माघ कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. द्धोलेरा, प्रले. भाईचंद लालचंद भोजक; लिख. श्रावि. जयकुंवर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीआदिनाथप्रसादे., संशोधित., जैदे., (२७X११,१०४२९). महावीरजिन स्तवन-उपधानतपविधिगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: श्रीवीरजिणेसर
सुपरे; अंति: मुझ देज्यो भवे भवे, गाथा-२७. २९३६९. गांगीयअणगार भांगा, संपूर्ण, वि. १९०४, चैत्र शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. भोला, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कलात्मक ढंग से लिखा गया है., जैदे., (२६.५४१०.५, १०४३६).
गांगेय भंगसंख्या आनयन विधि, मा.गु., गद्य, आदि: एक संयोगी के ७ पद; अंति: ८००८ होए एता इम होरा. २९३७०. आषढभूत पांचढाल्यो, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. बीकानेर, प्रले. गुला, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६.५४११, १६४४१).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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आषाढभूतिसाधु पंचडालियो, क्र. रायचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८३६, आदि: दर्शन परीसह बाबीशमो; अंति निरवाण हो गुराजी, डाल-५.
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२९३७१, (+) नववाडी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२७.५X११.५, ९४३४). नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: श्रीगुरुने चरणे नमी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल १० की गाथा ४थी अपूर्ण तक है . )
२९३७२. स्तवन व सझाय, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २- १ ( १ ) = १, कुल पे. २, ले. स्थल, पालनपुर, जैदे., ( २६११.५, १२x२५).
१. पे. नाम. अष्टमी स्तवन, पृ. २अ-२आ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है. प्रले. मु. भक्तिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य. अष्टमीतिथि स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: लह्यो आनंद अति घणो, ढाल - २, गाथा - २०, ( पू. वि. दूसरी ढाल की गाथा २ तक नहीं है.)
२. पे. नाम. आतमहितशिक्षा सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण पठ. सा. उजमश्री, प्र. ले. पु. सामान्य.
आध्यात्मिक पद, मु. विनय, पुहिं., पद्य, आदि: किसके बे चेले किसके; अंति: विराजे सुख भरपूर, गाथा-७. २९३७३. वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे. (२६.५x११, १०x३७).
"
महावीरजिन स्तवन, पंन्या, पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि सासननायक सिव सुख दाय; अंतिः हेज करूं निज पद करी, गाथा ५.
२९३७४. पार्श्वजिन स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., ( २६.५x११, ११३९). पार्श्वजिन छंद-भीडभंजन, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: वारु विश्वमा देस; अंति: ( - ), ( पू. वि. गाथा - १९ अपूर्ण तक है.)
२९३७५. समाधिपच्चीसी, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे. (२७४११, १७३७).
,
३७५
समाधिपच्चीसी, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८३३, आदि: अपुरव जीव जिन धर्मने; अंति: (-), (पूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. गाथा २४ तक है.)
"
२९३७६. (+) भवहर स्तोत्र का बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. संशोधित, जैये. (२६.५x११,
१५X४३ - ४९ ).
नमिऊण स्तोत्र - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: नमिऊण० नमिऊण कहितां; अंतिः श्रीपार्श्वजिननइ. २९३७७. (+) महावीरजिन सत्तावीसभव वर्णन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२७X१२, १७x४५). महावीरजिन २७ भव वर्णन, सं., गद्य, आदि: जंबूद्वीपापरविदेहे; अंति: विमाने सूरोभवत्.
२९३७८, (४) मानछत्रीशी, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., ( २६.५x११,
१६५३७-४१).
२९३७९. गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X११, १२X४८).
१. पे. नाम. अध्यात्म गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
मानपरिहारछत्रीसी, मा.गु., पद्म, आदि मान न कीजे रे मानवी; अंति (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा ३० अपूर्ण तक है. )
जिनप्रतिमा स्तवन, पुहिं., पद्य, आदि: जिन प्रतिमा जिन सारख; अंतिः अवंदनी निरदै संसारी, गाथा - ८. २. पे नाम औपदेशिक गीत, पृ. १अ, संपूर्ण,
आध्यात्मिक पद, जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: तुं आतमगुण जाण रे; अंतिः इह मोहकोह छोडावनहार,
गाथा- ४.
२९३८०. (+) स्वाध्याय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. ग. कमलहंस ( गुरु मु. कुशलहर्ष), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. कर्ता के शिष्य द्वारा लिखित प्रत., जैदे., (२६X११, १७५२). १. पे. नाम हीरविजयसूरि स्वाध्याय पु. १अ संपूर्ण.
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३७६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची हीरविजयसूरि सज्झाय, मु. कुशलहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशशिगण गयणगण भाण; अंति: कुशलहर्ष कृपाकरो,
गाथा-११. २. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम नरेसर प्रथम; अंति: संघ सेवे कर जय जयकार, गाथा-४. ३. पे. नाम. हीरविजयसूरि सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
हीरसूरि स्तव, मु. कुशलहर्ष, सं., पद्य, आदि: श्रीपतिसंभव सुंदररूप; अंति: तावदखिलजनकृतकमलं, श्लोक-१२. २९३८१. स्तवन-सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ७-४(१ से ४)=३, कुल पे. ८, जैदे., (२७.५४१२, १९४५६). १. पे. नाम. आद्रकुमार सज्झाय, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. आर्द्रकुमार सज्झाय, पुन्या, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: भवपार हो स्वामि, गाथा-२२, (पू.वि. गाथा ८ अपूर्ण
तक नहीं है.) २. पे. नाम. सुभद्रासती सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: मुणवर सोधइरजी जीव; अंति: अमर तणो अवतार, गाथा-२३. ३. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: पुत्र मोहाइंदोजी तस; अंति: काया सोह कणकंदो राजा, गाथा-१५. ४. पे. नाम. अईमुत्तामुनि सज्झाय, पृ. ६अ-६आ, संपूर्ण. अइमुत्तामुनि सज्झाय, मु. काणजी, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणंद वांदीने; अंति: कर लो पंडत सुजाणजी, ढाल-२,
गाथा-३१. ५.पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ६आ, संपूर्ण.
__ ऋ. मूला, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: प्रथम जिणेसर स्वाम; अंति: रिष मुला गुण गाय, ढाल-३, गाथा-१७. ६. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. कुसला, पुहिं., पद्य, आदि: सीमंधरजिण साहबा अरज; अंति: इम कुशला कुण गाव हो, गाथा-७. ७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ७अ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: या तण का क्या गरव कर; अंति: काढे आपा हेम पावरे, गाथा-९. ८. पे. नाम. उपदेशबत्तीसी, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. राज, पुहिं., पद्य, आदि: आतमराम सियाने तुकु; अंति: सदगुरु शीख सुणीजै, गाथा-३२. २९३८२. वीरजिन पारणु, संपूर्ण, वि. १८६८, आषाढ़ कृष्ण, ५, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. खंभनयर, पठ. श्रावि. पूजाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, १०४३९-४१).
महावीरजिन पारगुं, मु. माल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत अनंतगुण; अंति: तेहनै नमइ मुनि माल, गाथा-३१. २९३८३. (+) सझाय व स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ५-४(१ से ४)=१, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२७४११.५, ११४३४). १.पे. नाम. राजुलनो सीणगार, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. राजुलश्रृंगार सज्झाय, मु. ऋषभ, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: वाणि रसाल छे रे, गाथा-१८, (पू.वि. प्रारंभ से
गाथा ६ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. वासुपूज्यस्वामी स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
वासुपूज्यजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवसुपूज्य नरंदनो; अंति: कहे उतारो भवपार, गाथा-७. २९३८४. स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, प्रले. श्राव. निहालचंद मोतीचंद,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४११, ८४३३). १. पे. नाम. अष्टमी स्तुति, पृ. २अ, पूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. अष्टमीतिथि स्तुति, वा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: राज० अष्टमी पोसह सार, गाथा-४, (पू.वि. मात्र
पहली गाथा नहीं है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३७७ २.पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पास जीणंदा वामानंदा; अंति: गाती वीर घरे आवती, गाथा-४. २९३८५. (#) षडावश्यकविचार स्तवन, संपूर्ण, वि. १९०५, श्रावण शुक्ल, ४, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. मेडता, प्रले. मु. मनरूपहंस
(गुरु ग. प्रधानहंस), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४१२.५, १२४२८-३०). ६ आवश्यकविचार स्तवन, वा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसइं जिन चीतवीं; अंति: तेह शिवसंपद लहे,
ढाल-६,गाथा-४४. २९३८६. पद्म चरित्र, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १५-११(१ से ११)=४, पू.वि. बीच के पत्र हैं., जैदे., (२९x११, १५४५७).
पद्म चरित्र, वा. विनय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. सर्ग ४ गाथा १८ से सर्ग ६ गाथा ६९ अपूर्ण
तक है.) २९३८७. नवतत्त्व, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. डाह्याभाई भूपतराम मेता, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१२, १०४३७).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: बोहिय इक्कणिक्काय, गाथा-६२. २९३८८. (+) स्तुति व स्तोत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१०.५,
१२४४०-५५). १.पे. नाम. भक्तामर स्तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण, पठ. मु. मुक्तिचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य.
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २. पे. नाम. तिजयपहुत्त स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अट्ठ; अंति: निब्भत निच्चमच्चेह, गाथा-१४. ३. पे. नाम. नमिऊण स्तोत्र, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण, ले.स्थल. द्वीपबंदर, पे.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका मिटायी गयी है.
आ. मानतुंगसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण पणयसुरगण; अंति: नासइ तस्स दूरेण, गाथा-२४. ४. पे. नाम. संतिकर स्तोत्र, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: संतिकरं संतिजिणं; अंति: स लहइ सुह संपयं परमं, गाथा-१३. २९३९०. वीसस्थानकतप आराधनाविधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७.५४११, ५४२५).
२० स्थानकतप आराधना विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं अरिदंत; अंति: भक्ति लोगस्स काउसग्ग,
पद-२०. २९३९१. सज्झाय व दहा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४११, १५४३२). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. राज, पुहिं., पद्य, आदि: अरज करुं प्रभु पयनमी; अंति: माधव निज प्रेम की, गाथा-१५. २. पे. नाम. प्रासंगिक दूहासंग्रह, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
औपदेशिक दूहा संग्रह, पुहिं.,रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-३. २९३९२. आदिजिन स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७.५४११.५, ७X२७). १.पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. अंत में प्रतिलेखकने वीर स्तुति ऐसा लिखा है.
सं., पद्य, आदि: भावानयानेगनरिंदविंदं; अंति: गोखीर तुसारवन्ना, श्लोक-४. २. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीआदिनाथं नतनाकि; अंति: वीरं गिरिसारधीरं, श्लोक-४. २९३९३. विपाकसूत्र-सुखविपाक अध्ययन-१ सुबाहु चरित्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७.५४१२, ६४३६).
विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
प्रारंभिक अंश है.)
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३७८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९३९४. १७० जिन गरणु, अपूर्ण, वि. १८९६, वैशाख कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, ले.स्थल. विशलनगर,
प्रले. श्राव. नाथा पानाचंद शाह; पठ. मु. दानविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीशांतिनाथ प्रसादात्., जैदे., (२७४११.५, -१-३४-१).
१७० जिन नाम, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: श्रीबलभद्र सर्व, (पू.वि. प्रारंभिक ४ क्षेत्रों की जिननामसूचि नहीं है.) २९३९५. सीमंधरजिन लेख, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, अन्य. श्रीधरस्वामी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, १५४५०-५२). सीमंधरजिनलेख, आ. जयवंतसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीपुंडरगिण; अंति: मोहण वलि अवतार रे,
ढाल-५, गाथा-३७. २९३९६. चौवीसतीर्थंकर की पंचकल्याणक तिथियां, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७४११.५, ३५४-१).
२४ जिन कल्याणक तिथि, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. गुजराती मास, पक्ष व तिथि अनुसार.) २९३९७. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२६.५४११.५, ४४४२१-२५). १. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
ग. मेघराज, मा.गु., पद्य, वि. १८२२, आदि: शीतल जिनवर देव सुणो; अंति: मेघराज पुरी मन भावना, गाथा-६. २. पे. नाम. चंद्रप्रभुजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. चंद्रप्रभजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., पद्य, वि. १८२२, आदि: चंद्रप्रभुजिन वंदीये; अंति: मेघराज गुण गावे रे,
गाथा-८. ३. पे. नाम. सुविधिनाथजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. सुविधिजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., पद्य, वि. १८२२, आदि: सुविधि जिणेसर देव; अंति: कहे गणि मेघराज रे,
गाथा-७. ४. पे. नाम. श्रेयांसजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
ग. मेघराज, मा.गु., पद्य, वि. १८२३, आदि: श्रीश्रेयांसजिनेसर; अंति: गुण गावे जिनराजना रे, गाथा-६. २९३९८. अढारनातरा सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७.५४११, १८४४६-५६).
१८ नातरा सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवीतरागजिन नमुं; अंति: पीछाणी तव डावडा, ढाल-३, गाथा-६९,
(वि. गाथानुक्रम अव्यवस्थित है.) २९३९९. दसश्रावक सज्झाय व श्लोक, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. पं. ठाकर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६.५४११, ११४३४-३९). १. पे. नाम. दसश्रावक सिज्झाय, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. १० श्रावकबत्रीसी, आ. नंदसूरि, रा., पद्य, वि. १५५३, आदि: जिण चउवीसइ करूं; अंति: तिहि घरि अफलां फलइ,
गाथा-३२, ग्रं. ४५. २. पे. नाम. प्रास्ताविक श्लोक, पृ. २आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: समुल्लासो मतेरवाच; अंति: कथं सारस्वतेद्रते, श्लोक-१. २९४००. आगमिक विचार संग्रह सावचूरिक, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२६४११.५,
१९४५४-६२). १.पे. नाम. स्थानांगसूत्र-चतुर्थपंचम उद्देशगत पुरुषप्रकारादि चतु:स्थानक सह अवचूरि, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण. स्थानांगसूत्र-हिस्सा चतुर्थस्थानकचतुर्थपंचमोदेशगत पुरुषप्रकारादि निरूपण, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग.,
आदि: चत्तारि वत्था पन्नत; अंति: चउत्था सुह सिज्जा. स्थानांगसूत्र-हिस्सा चतुर्थस्थानकचतुर्थपंचमोद्देशगत पुरुषप्रकारादि निरूपण की अवचूरि, सं., गद्य, आदि: शुद्धं
वस्त्रं निर्म; अंति: अनुपशांत कषायः. २.पे. नाम. अनुयोगद्वारसूत्र-कालप्रमाणनिरूपणगत औदारिकशरीरपंचकनिरूपण सह अवचूरि, पृ. ४अ-४आ,
संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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३७९
अनुयोगद्वारसूत्र - हिस्सा कालप्रमाणनिरूपणगत औदारिकादिशरीरपंचक निरूपण, आ. आर्यरक्षितसूरि, प्रा., प+ग, आदि: कइणं भंते सरीरगा; अंतिः एव० वे० भाणिअव्वा, सूत्र- २४.
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अनुयोगद्वारसूत्र - हिस्सा कालप्रमाणनिरूपणगत औदारिकादिशरीरपंचक निरूपण की अवचूरि, सं., गद्य, आदि उदारं तीर्थकर गणधरा; अंति: शतद्वयवर्गरूपमंशः.
२९४०१. सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदन सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८८१, मध्यम, पृ. १, पठ. पं. देव, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x१२.५, १७४२).
सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, सं., पद्य, आदि: सकलकुशलवल्ली; अंतिः श्रेयसे शांतिनाथः, श्लोक - १. सकलकुशलवलि चैत्यवंदन बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीअरिहंत भगवंत अंतिः सर्व संघने शांति करो, (वि. श्रीमहावीरस्वामी व श्रीशांतिनाथ परमात्मा वर्णन. )
२९४०२, (+) जिनभव व कल्पवृक्ष गाथा, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे २, प्र. वि. पत्र अबरख युक्त है., पदच्छेद
"
सूचक लकीरें, जैवे. (२६.५x१३, १५X३२).
2
१. पे. नाम. जिन भव, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
परमाणु मान कुलक, प्रा., पद्य, आदि: पुढवाइ आसत्ता सव्वं; अंतिः सेसा जिणाण भवातिण्णि, गाथा - २५.
"
२. पे नाम. १० कल्पवृक्षनाम गाथा, पृ. २अ, संपूर्ण,
प्रा., पद्य, आदि: तेसिमत्तंग १ भिंगा २; अंति: नमोत्थु देवाहिदेवाणं, गाथा - १०.
२९४०३. सीखांमण छत्रीसि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३ ले स्थल. वीरमगाम, लिख श्रावि. डाईबाई, प्र. ले. पु. सामान्य,
जैदे., (२७X१४, ११x२९).
उपदेशछत्तीसी, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सांभलज्यो सज्जन नर; अंतिः शुभवीर वाणी मोहनवेली,
गाथा - ३६.
२९४०४. पार्श्वनाथ स्तवन व अइमुत्ताऋषि सज्झाय, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३- २ (१ से २ ) = १, कुल पे. २, जैदे., (२७१३.५, १५X३६).
१. पे. नाम. पार्श्वनाथजी स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, आ. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी प्रणव तणो जग; अंति: भाखुं हुं दिल लाईजी,
गाथा- ७.
२. पे नाम. अयमत्ताऋषी सझाय, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण
अइमुत्तामुनि सज्झाय, आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः वीरजिणंद वांदीने; अंतिः ते मुनिवरना पाया, गाथा - १८.
२९४०५. श्रीपाल रास व नवपद विधि, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२७.५x१२, १३X-१). १. पे नाम. श्रीपाल रास, पृ. १आ-२आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
उपा. विनयविजय; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पच, वि. १७३८, आदिः कल्पवेलि कवियण तणी; अंति (-), (पू.वि. ढाल - २ के दोहे-५ अपूर्ण तक हैं.)
२. पे. नाम. नवपद विधि, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. सिद्धचक्र मांडला के लिए अनाज का लिस्ट लिखा है.
नवपदतप विधि - काउसग्ग संख्या, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंत पदे १२ लोगस्स अंति: नमोतवश पदे १२ लोगस्स,
२९४०६. अंतराय सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९४१, भाद्रपद शुक्ल, १५, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. वीरमगांम, प्रले. ऋ. मोतीचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७,५५१३.५, १२४४३).
असज्झाय सज्झाय, मु. ऋषभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता आये नमीहं; अंतिः बहेली वरस्यो सिद्धि,
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गाथा - ११.
२९४०७. लीखनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९१४, मार्गशीर्ष कृष्ण, १०, श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे. (२८x११, १३४३२).
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३८०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची लीख-जू सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६७५, आदि: सरसति मति सुमति द्यो; अंति: जिम सिवसुख
वरे, गाथा-१४. २९४०८. (+) पोसह लेवा विधी, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७४१३, १२४३०).
पौषधविधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रभाते प्रतिक्रमण; अंति: धम्मो मंगल कहणो. २९४०९. अजितशांति स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६.५४१२.५, १५४३५).
अजितशांति स्तव , आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९४१०. पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६.५४१३, १३४२७).
पार्श्वजिन स्तवन, मु. गौतम, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन आज में नयणे; अंति: गौतमना भव दुख जाय, गाथा-५,
(वि. ४ पद के हिसाब से गाथा-५ लिखा हैं.) २९४११. छरीपालीसंघ स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, प्र.वि. प्रतिलेखक ने पत्रांक नहीं लिखा है, अतः अनुमानित पत्रक्रम दिया गया है., जैदे., (२९x१२.५, ११४३९). ६रीपालितसंघ स्तवन, मु. रतन, मा.गु., पद्य, वि. १९१२, आदि: (-); अंति: (-), पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं व
प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९४१२. चौवीशजिनपचीसी व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९५७, फाल्गुन कृष्ण, २, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे.,
(२६.५४१३, १२४३९). १. पे. नाम. चौवीशजिनपचीसी, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण. २४ जिनपच्चीसी, मु. महासुख, मा.गु., पद्य, वि. १८५५, आदि: सुरतरु जिन समरु सदा; अंति: ध्यान महासुख खांण
है, गाथा-२५. २. पे. नाम. अणगारगुणवंदन स्तुति, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., पद्य, आदि: पापपंथ परहर मोक्षपंथ; अंति: ताकुं वंदना हमारी है, गाथा-७, (वि. चार पद
की एक गाथा के हिसाब से गाथा-७ लिखा है.) २९४१३. (+) ऋषिमंडल स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९०१, ज्येष्ठ शुक्ल, १२, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. सुजांणगढ, प्रले. ऋ. शिवचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४१३, १५४३८). ऋषिमंडल स्तोत्र, आ. गौतमस्वामी गणधर, सं., पद्य, आदिः (१)ऋषभंचाजितंवंदे संभवं, (२)आद्यंताक्षरसंलक्ष्य;
अंति: लभते पदमव्ययम्, श्लोक-९८. २९४१५. देहरेजावाने दर्शनफलनु चैत्यवंदण, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७७१३.५, १३४४०-४५).
जिनमंदिरदर्शनफल चैत्यवंदन, मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरुराज; अंति: प्रभु सेवाना कोड,
गाथा-१४. २९४१७. भगवतीसूत्र शतक-१२ विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२६.५४१३). विचार संग्रह-भगवतीसूत्रे-शतक-१२ उद्देश-१०, मा.गु., गद्य, आदि: जेहनइ द्रव्य आत्मा; अंति: विशेषाधिका०
जाणिवा. २९४१९. (+) प्रायश्चित विधि ६ लेश्या व पंचमी स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें., जैदे., (२६.५४१३, १५४३८). १.पे. नाम. प्रायश्चित विधि, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
आलोयणा विधि, मा.गु., गद्य, आदि: ज्ञाननी आसातना झघन्य; अंति: अतीचार सुद्ध होवै. २. पे. नाम. ६ लेश्या विचार, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
६ लेश्या द्रष्टांत, सं., गद्य, आदि: जंबूवृक्ष निरीक्ष्य; अंति: क्षुधाया उपशमोभावीति. ३. पे. नाम. पंचमी स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३८१ ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रीनेमिः पंचरूप; अंति: कुशलं धीमतां सावधाना, श्लोक-४. २९४२०. पर्यंताराधना, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४१३.५, १५४५३).
पर्यंताराधना, आ. सोमसरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: ते सासयं सक्खं, गाथा-७०. २९४२१. साधु वंदणा, अपूर्ण, वि. १९०५, माघ कृष्ण, ८, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४-१(१)=३, ले.स्थल. चुडा, प्रले. मु. भगवानजी सामीजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२.५, १४४३७). साधुवंदना बडी, मु. जेमल ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८०७, आदि: (-); अंति: जेमलजी एह तरणनो दाव,
गाथा-११२, (पू.वि. गाथा-३० अपूर्ण तक नहीं है.) २९४२३. ३३ आशातना-गुरुप्रति सह अर्थ व एसणादोस, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२६.५४१३,
३४४१७). १. पे. नाम. गुरुप्रते तेत्रीस आसातना सह अर्थ, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
३३ आशातना-गुरुप्रति, प्रा., पद्य, आदि: पुरओ परवासने गाता; अंति: चिट्ठच्च समासणेवावि, गाथा-३.
३३ आशातना-गुरुप्रति-अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: पुरोगंता आगल चाले ते; अंति: गुरुने आसने बेसे ते. २. पे. नाम. आहारादि सूधि, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण.
४७ एषणा दोष, मा.गु., गद्य, आदि: सोलस उग्गमदोसा सोलस; अंति: समीपे धारज्यो जी. २९४२५. दशार्णभद्र सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४११, ५०x२६-३०).
दशार्णभद्र सज्झाय, मु. केशव, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवीर सधीर; अंति: दसन्नभद मुगतिसु जाय, गाथा-२५. २९४२६. अजितशांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. वीजापुर, प्रले. पं. गुलाबविजय; पठ. श्रावि. सुरजबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीचिंतामणीपार्श्वनाथजी प्रशादात्., जैदे., (२७.५४१२, १२४३३). अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९४२८. (+) पंचभाव व जीव के ३० बोल सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९०६, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष
पाठ., जैदे., (२६४१२, ५४५५). १. पे. नाम. पंचभाव सह टबार्थ, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण.
पंचभावस्वरूप गाथा, नंदलाल, प्रा., पद्य, आदि: महावीरं नमो किच्चा; अंति: सुणेह पम्मायच्चिच्चा, गाथा-२२.
पंचभावस्वरूप गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: भगवंत श्रीमहावीरने; अंति: तुम्ह प्रमाद छांडीनइ. २. पे. नाम. जीव के तीस बोल सह टबार्थ, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
जीव ३० बोल गाथा, मा.गु., पद्य, आदि: सरीरे तस थावरे सुहम; अंति: नायव्वा जिणदेसिय, गाथा-५.
जीव ३० बोल गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: सरीर २ पाइय तसथावर; अति: तीर्थंकरदेवने दिखाडे. २९४२९. वीसविहरमानजिन नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२, १७X४१).
विहरमान २० जिन नमस्कार, मा.गु., गद्य, आदि: जंबूद्विपे महाविदेह; अंति: मेरुथी चिहं दिश छै. २९४३०. नर्कदुखविचार निवारण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२.५, १४४३०).
नरकविस्तार स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: वर्द्धमानजिन विनवू; अंति: परम कृपाल उदार, ढाल-६. २९४३१. समाधिमरण विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१३, १३४५४).
समाधि मरण विधि, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम वस्त्र साधविने; अंति: प्रगट नवकार केवो. २९४३२. पार्श्वजिन स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७७१३, ६४३२).
पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, सं., पद्य, आदि: शमदमोत्तमवस्तुमहापणं; अंति: जयतु सा
जिनशासनदेवता, श्लोक-४. २९४३३. (#) वंकचूल रास, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १५४४८).
वंकचूल रास, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिणवर आदिजिणवर; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
गाथा-७८ अपूर्ण तक लिखा है.)
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३८२
२९४३४. वैराग्यशतक सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६४१२, ५३२).
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
वैराग्यशतक, प्रा., पद्य, आदि: संसारंमि असारे नत्थि; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा १२ तक लिखा है.)
-
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वैराग्यशतक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: संसार असारमाहै छै; अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९४३५. ज्ञाता को बोल, संपूर्ण, वि. १९०५, आषाद कृष्ण, ३, सोमवार, मध्यम, पृ. ३ ले, स्थल, जावालपुरनगर, प्रले. छगना, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२७४१०.५, १५x४०-४५).
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र-प्रश्नशतक, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: तिर्थंकजी ३८ बोल; अंति: जीव का भेद माही जाय. २९४३७. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२७४११, १३४३७-४१).
"
१. पे. नाम. सर्वजीव अल्पबहुत्व स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
-
महादंडक कुलक, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: थोवा गब्भय मणुया १; अंति: सिरि अभयदेवेहिं,
गाथा - २०.
२. पे नाम चतुर्विधध्यान विचार, पृ. १आ, संपूर्ण, पे. वि. पत्र का दायाँ भाग फटा होने से अंतिमवाक्य नहीं भरा है. सं., पद्य, आदिः उक्तमेव पुनदेव सर्वं; अंति: (-).
२९४३८. आचारप्रदीप, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ७९ - ७८ (१ से ७८ ) = १, जैदे., ( २६x१०, १५X४८).
आचारप्रदीप, आ. रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, वि. १५१६, आदि: ( - ); अंति: जयदायकश्च विदाम्, प्रकाश - ५,
ग्रं. ४०६५.
२९४३९. गुरुगुणछत्रीसी सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १६१७, वैशाख कृष्ण, ६, मध्यम, पृ. २, प्रले. मु. देवसुंदर (गुरु वा. सत्यमेरू), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पंचपाठ, जैदे. (२६.५४११, १२x४३).
गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका कुलक, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वीरस्स पए पणमिय सिरि; अंति: च्चा पावंतु कल्लाणं, गाथा-४०. गुरुगुणषट्त्रिंशत्पट्त्रिंशिका कुलक-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीरना चरण; अंतिः अनइ मांगलिक्य
पामइ.
२९४४०. नेमराजुल संवादे अष्टस्त्रीवर्णन संबोधन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६X११.५, १५X३७). गोपी संवाद - चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: (१) सुण वासडली वैरण थई, (२) एक दिवस वसे नेमकुंवर; अंति: अमृतविजये गुण गाया, चोक-२४.
२९४४१. पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६X११, १५X४०).
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६६७, आदि; वदन अनोपम चंदलो गोडि; अंतिः सेव करतां सुख लहइ, गाथा - ३५.
२९४४२. बाराखडी छंद व चौदगुणठाणा विचार, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., ( २६४१२, १६३९). १. पे. नाम. बाराक्षरी छंद, पृ. १अ - ४अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: प्रथम नमो अरिहंत को अंतिः छंद कहे पेतीस, गाथा ७७,
२. पे. नाम. चौदगुणठाणा नाम, पृ. ४आ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थानक विचार, मा.गु., गद्य, आदि: मिथ्यात्व गुणठाणा; अंति: १० अनंत गुणा.
२९४४३. (+) कर्मविपाक सह टवार्थ, अपूर्ण, वि. २९वी, मध्यम, पृ. ८-५ (१ से ५ ) = ३, पू. वि. गाथा३७ अपूर्ण तक नहीं हैं., पठ. श्रावि. कमीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें, जैदे., ( २६११, ५X४०),
,
कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि (-); अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं, गाथा - ६२. कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ( - ); अंति: श्रीदेवेंद्रसूरिइं.
२९४४५. (-) नंदिषेणचौढालियो, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२६X११, १८X३९-४१).
नंदिषेणमुनि चौडालियो, रा., पद्य, आदि: नंदिषेणक कवररी वारता; अंति: नंदिषेण मोटो मुनी, डाल-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३८३
२९४४६. गर्भवेल व पद, संपूर्ण, वि. १७०३, मार्गशीर्ष शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, ले. स्थल. बारेजा, प्रले. ग. मेघसार (गुरु ग. सुमतिसार), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले. लो. (६१५) जाद्रिसं पुस्तकं दृष्टा, जैवे., (२५.५x११.५, १६४३९). १. पे. नाम. गर्भवेल, पृ. १अ - ४आ, संपूर्ण.
गर्भवेलि, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: ब्रह्माणी वर आलि मझ; अंति: धर धर्म थकी मुज जोड, गाथा - ११३.
२. पे. नाम. पद संग्रह, पृ. ४आ, संपूर्ण.
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प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: चोर तरकबा लेई गयो; अंति: चोर तरका लेई गयो, गाथा- १. २९४४७. (+) सुभद्रासती व आर्द्रकुमार चौपाई, संपूर्ण, वि. १७७०, ज्येष्ठ कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, प्र. वि. ग्रंथ रचना
के समीपवर्ती काल मे लिखित. जैदे., (२५.५x११, १८४५४).
"
१. पे. नाम. सुभद्रासती रास - शीलव्रतविषये, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
मु. मानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७५९, आदि: सरसति सामणि वीनवु; अंति: फलीया मनोरथ माल, ढाल - ४. २. पे. नाम. आर्द्रकुमार चौपाई, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
9
मु. मानसागर, मा.गु., पद्य वि. १७३१, आदि: संतिकरण संतीसरु; अंति: नामहं नवनिधि धाये रे, डाल- ३. २९४४८. (+) आलोयणा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२३.५x१२, १२x३३).
आलोयणा, मु. जडाव, रा., पद्य, वि. १९६२, आदि: हो नाथजी पाप आलोङ अंतिः जडाव० कीनी धर चाव,
गाथा - २५.
२९४४९. जीवरासी ढाल, संपूर्ण, वि. १९३०, पौष शुक्ल १, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल मांडल, प्रले. हरजीवन प्रेमचंद भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४१२, १२x२५).
पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हवे राणी पद्मावती; अंतिः पापथी छूटे ते ततकाल,
गाथा - ३३.
२९४५०. (+) अट्ठावीसलब्धि सह टबार्थ आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४१२, ५४३८).
१. पे नाम. अट्ठावीसलब्धिगाथा सह टवार्थ, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
२८ लब्धि नाम, प्रा., पद्य, आदि : आमोसहि विप्पोसहि खेल; अंति: एट्ठाई हुति लद्धिओ, गाथा-४. २८ लब्धि नाम-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जेहनै सरीरने फरस से; अंति: इण आदि हुवै लद्धिओ.
२. पे. नाम. अट्ठावीसलब्धि विचार, पृ. १आ, संपूर्ण.
२८ लब्धि विचार, मा.गु., गद्य, आदि: अट्ठावीस लब्धि भव्य; अंति: एवं १ धन थाइ
३. पे. नाम. आठगुणस्थान गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
८ गुणस्थान गाथा, प्रा., पद्य, आदि: छावलियं सासाणं समहिय; अंति: सहपरभवगा न सेसट्टा, गाथा - ३. २९४५१. पद्मावति स्तोत्र विधि, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे. (२३४११.५, १९१x२७-३३ ).
"
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: जगत्पदमावतीस्तोत्रम्, श्लोक - २७, (वि. होम पूजादि
विधि सहित.)
२९४५२. गीत संग्रह, संपूर्ण, वि. १६७४, आश्विन शुक्ल, ११, मंगलवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. पं. महिमसागर (गुरु पं. जयसागर ); पठ, श्रावि, कृना, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. कलात्मक शैली में स्वस्तिक आलेखित है., जैदे.,
(२५.५x१०.५, १५x५६).
१. पे नाम, वैराग्यवंतसाधु गीत, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवाणी रे निज; अंति: मन वंछित पूरोजी, गाथा - १३.
२. पे नाम. हीआली गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
औपदेशिक हरियाली गीत, मु. महिमासागर, मा.गु., पद्य, आदि: अवनि सरोवर बहु अछइ; अंति: महिमासागर वचन विलास, गाथा- ७.
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३८४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
३. पे नाम. गुरुगीत, पृ. १आ, संपूर्ण
जिनचंद्रसूरि गीत, मु. महिमासागर, मा.गु., पद्य, आदि: सोहणसुंदर सूरिसिरोमण, अंतिः पययुगि महिम मुणिंद,
गाथा-४.
२९४५३. (+) पडिलेहण कुलक सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४४१२.५, १०५०).
पडिलेहण कुलक, ग. विजयविमल, प्रा., पद्य, आदि: पडिलेहणा विशेष; अंति: दसपेहाणुगाएसूरे, गाथा - २९. पडिलेहण कुलक-टबार्थ, ग. विजयविमल, मा.गु., गद्य, आदिः प्रतिलेखनाना विशेष; अंति: पहिला पडिलेहीये. २९४५४. संवेगबत्तीसी व मंत्र, संपूर्ण, वि. १८५५, आषाढ़ शुक्ल, १३, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले. स्थल. मेदिनीपुर, प्रले. .मु. वर्धमान ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २४.५x११, १३३२).
१. पे नाम. संवेगवत्रीसी, पृ. १अ २आ, संपूर्ण.
आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि जोड़ विमासी जीवडा ए; अंति: पामउ जिम पभणड़ पासचंद, गाथा- ३२. २. पे. नाम. मंत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., सं., गद्य, आदि: नमो लोहित पिंगलाब; अंति: (-).
सामान्य, जै...
२९४५५. कर्मविपाक धर्मकथाना बोल, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले, मु. अनोपचंद, प्र.ले.पु. ( २३४१२, १७x४२).
ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र - प्रश्नशतक, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीज्ञाता सुत्र के; अंति: ते माटे तेना प्रतापे. २९४५६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२४x१२, १९x१६-१८).
१. पे. नाम. पंचतीर्थी स्तवन, पृ. १, संपूर्ण.
जिनपंचकप्रभाती स्तवन, वा. उदय, मा.गु., पद्य, आदि: पंच परमेश्वरा परम; अंति: उदय० कीर्ति भणतां, गाथा - ७. २. पे. नाम. भीडभंजन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- भीडभंजन, मु. उदय, मा.गु., पद्य, वि. १७७८ आदि भीडभंजन प्रभु भीड; अंति; नाथजी हाथ साह्यो, गाथा ५.
२९४५७. वृद्धशांति व पद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., ( २४४५.५, १०३२).
१. पे. नाम. बृहत्शांति स्तोत्र - तपागच्छीय, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण.
सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंतिः स्तुयमाने जिनेस्वरे.
२. पे. नाम. वैराग्योपदेशक सजाय, पृ. ३अ, संपूर्ण
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वैराग्य सज्झाय, रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: हक मरना हक जाना; अंति: हर्दम साहिब ध्याणा, गाथा ४. २९४५८. सुक्तमाला व सुभाषित संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. ५- १ (१) ४, कुल पे. २, जैदे. (२४.५x११,
१४४५५).
१. पे. नाम. सूक्तमाला, पृ. २अ - ५आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है., धर्मवर्ग- २२ गाथा तक नहीं हैं., वि. १८१९, मार्गशीर्ष कृष्ण १४, ले. स्थल. दुगोली, प्रले. ग. ऋद्धिविजय
मु. केशरविमल, मा.गु., सं., पद्य, वि. १७५४, आदि: (); अंति: केसरविमलेन विबुधेन, वर्ग-४.
२. पे. नाम. सुभाषित संग्रह, पृ. ५आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., श्लोक-४ अपूर्ण तक हैं.
सुभाषित लोक संग्रह *, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-),
२९४५९. भक्तामर स्तोत्र व पद, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., ( २४.५X११, १५X३४).
१. पे नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १अ - २आ, संपूर्ण.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४. २. पे. नाम. सुभाषित पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
सुभाषित संग्रह- प्राकृत, प्रा., मा.गु., पद्य, आदि (-); अंति: (-), गाथा-४, २९४६०. मौनएकादशी स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५x१०.५, १५५६०).
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मौनएकादशी स्तवन, पं. महिमासागर, मा.गु., पद्य, आदि: समरीय जिनवर सयलजन; अंति: महिमसागर वीनव्या,
गाथा - १९.
२९४६१. मनोरथमाला आत्महितकारक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८२२, मार्गशीर्ष कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. मेडता, प्रले. श्राव. सरूपचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५x११.५, १२४३० ).
चारित्रमनोरथमाला, मु. खेमराज, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीआदिसर पाय नमी; अंतिः खेम० ते सुख लहड़ अपार,
गाथा - ५३.
२९४६२. बंभणवाडतीर्थ नीसाणी, संपूर्ण, वि. १७६५, चैत्र शुक्ल, ३, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल, वणवलनगर, प्रले. पं. चतुरसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१०.५, १३४५२),
महावीरजिन निसाणी - बामणवाडजीतीर्थ, मु. हर्षमाणिक्य, मा.गु., पद्य, आदि: माता सरसत्ती सेवग; अंति: हुइ हर्षमाणिक्य मुनि, गाथा - ३७.
२९४६३. आलोयणा विधि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., (२३x१२.५, १३x२०-२५). १. पे. नाम. आलोयणा, पृ. १अ ३अ, संपूर्ण.
आलोयणा विधि, मा.गु., गद्य, आदि देववंदन अकरणे पुरिमद; अंतिः दोय उपवास २. २. पे नाम. बारव्रतनी आलोवणा, पृ. ३अ-४आ, संपूर्ण.
श्रावक १२ व्रत आलोयणा, मा.गु., गद्य, आदि: प्राणातिपात प्रथम; अंति: अतिचार आलोवणो. २९४६४. विविध विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ८, जैदे., (२५X११.५, १४४५०).
"
१. पे नाम. २२ परिसह, पृ. १अ, संपूर्ण.
२२ परिसह दृष्टांत, मा.गु., गद्य, आदि: क्षुधा परिसह हस्ति; अंति: आषाढ आचार्यनी परि. २. पे. नाम. बारह भावना नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
१२ भावना, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलि भावना अनित्यता; अंति: बारमी बोधि भावना,
३. पे. नाम. पांच भाव नाम, पृ. १अ,
संपूर्ण.
५ भाव नाम, मा.गु., गद्य, आदि: औदयिक भाव १ औपशमिक; अंति: पारिणामिक भाव ५. ४. पे नाम. पांच समकीत नाम, पृ. १अ, संपूर्ण.
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५ सम्यक्त्व नाम, मा.गु., गद्य, आदि: औपशम समकित १; अंति: क्षायिक समकित ५.
५. पे नाम. पंचवीस क्रिया सह टवार्थ, पृ. १आ, संपूर्ण.
-
२५ क्रिया गाथा, प्रा., पद्य, आदि: काइअ १ अहिगरणीया २; अंति: दोसे २४ रियावहिया २५, गाथा - ३. २५ क्रिया गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: कायाई करी कर्म; अंतिः ईर्यापथिकी क्रिया.
६.
पे. नाम. चौद गुणस्थान नाम, पृ. १आ, संपूर्ण.
१४ गुणस्थानक नाम, मा.गु., गद्य, आदि: मिथ्यात्व गुणठाणो १; अंति: अजोगी गुणठाणुं १४. ७. पे. नाम. बार देवलोक नाम, पृ. १आ, संपूर्ण.
१२ देवलोक नाम, मा.गु., गद्य, आदि: सौधर्म देवलोक १ ईशान; अंति: प्राणत आरण अच्युत. ८. पे नाम. पांच अणुत्तरविमान नाम, पृ. १आ, संपूर्ण,
५] अनुत्तरविमान नाम, मा.गु., गद्य, आदि: विजय १ वैजयंत २ जयंत अंतिः सर्वार्थसिद्धविमान ५. २९४६५. पाक्षिक नमस्कार, संपूर्ण, वि. १८६२, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. सूर्यपुर, पठ. श्रावि. प्राणकोरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैवे., (२५.५x११, ९५२७)
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: भावतोहं नमामि श्लोक - २८.
२९४६६. गौतमस्वामीजीना इकडा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२३.५X१२, १४४४३-४५).
गौतमस्वामी रास, मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १९८३४, आदि: गुण गावो गोतम तणा; अंति: साध सहु थारे लार जी, गाथा १६.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
३८६
२९४६७. बंकचूल कथा, संपूर्ण, वि. १८७४, चैत्र शुक्ल, ११, मंगलवार, मध्यम, पृ. ४, ले. स्थल, हिदराबाद, प्रले. पं. नथमल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३x१२, १९x३२).
वंकल कथा - बालावबोध, ग. मेरुसुंदर, मा.गु., गद्य, आदि हिव जे श्रावक सील; अंतिः नीयमनो माहातम जाणवी ग्रं. १५०.
२९४६८. सझाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., ( २४४१०.५, ११४३१). १. पे. नाम. दानशीलतपभावना प्रभाती, पृ. १, संपूर्ण.
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दानशीलतपभावना प्रभाति, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव जिन धरम कीजीय; अंति: मुगत तणा फलह थाय, गाथा- ६.
२. पे नाम, जैनकाव्य संग्रह, पृ. १, अपूर्ण, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है, मात्र प्रारंभिक १ गाथा है. मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
२९४६९. आठ आत्मा विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२३.५X१२, ७X३०). आत्मा के ८ नाम-भगवतीसूत्र, मा.गु., गद्य, आदि: द्रव्यात्मा १ कषाय; अंति: चारित्रात्मा. २९४७०. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैवे. (२३.५x१२, ११४३७).
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१. पे नाम, खंधकमुनि सज्झाय- प्रथम ढाल, पृ. १अ, संपूर्ण,
खंधकमुनि सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नमो नमो खंधक महामुनि; अंति: (-). २. पे नाम औपदेशिक सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण
आत्महितशिक्षा सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु साथे जो प्रीत; अंति: उदयरतन इम बोले रे,
गाथा- ७.
२९४७१. पाक्षिक चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. मनछाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X११.५, ११x४५).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलात्प्रतिष्ठान; अंतिः श्रीवीरभद्रं दीस, श्लोक-३७.
२९४०२. बृहदशांति, संपूर्ण, वि. १७९७, ज्येष्ठ शुक्र, ७, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल, खंभातबंदर, प्रले. मु. पद्मविजय (गुरु पंन्या. हितविजय); पठ. श्रावि. हर्षबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५X१०.५, ९२८).
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैनं जयति शासनम्. २९४०३. कल्याणमंदिर स्तव, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैवे., (२५x११, ११४४२).
कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंतिः मोक्षं प्रपद्यंते, श्लोक-४४.
२९४०४. वासुपूज्य बीवाहलो, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., ( २५X११, ११४३१).
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वासुपूज्यजिन विवाहलो, मा.गु., पद्य, आदि: इंद्राणी सरखी आणी; अंति: मूक्यो सब जिन जोइ, गाथा- ४८. २९४७५. नमस्कार महामंत्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५X११, ९X३८). नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: पढमं हवई मंगलम्, पद - ९.
नमस्कार महामंत्र - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंतन माहरउ नमस्क; अंतिः भाव आणवु ध्यावो. २९४७६. अनागतचोवीसजिन पंचकल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., ( २४४१०.५, ७१८). २४ जिन पंचकल्याणक स्तवन- अनागत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धि सकल समरुं सदा; अंति: कहे ज्ञानविमलसूरीस, गाथा - ५.
२९४७७. पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६x११.५, ११४३२).
पार्श्वजिन स्तवन, पा. राजरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिणंदा हो साहिब; अंतिः मुझ मनना रे काम, गाथा - १०. २९४७८. जयतिहुअण स्तव, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ३, जैवे. (२५.५x११.५, ११४४०).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३८७ जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: जयतिहुयणवर कप्परुक्ख; अंति: अभयदेव विनवइ
आणंदिय, गाथा-३०. २९४७९. (+) विचारषत्रिंशिका सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७१०, भाद्रपद कृष्ण, ६, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. राजनगर, प्रले. पं. लालचंद्र (गुरु मु. रयणचंद्र), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५४११.५, ६४५२).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४२.
दंडक प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीचउवीस तीर्थंकर; अंति: आत्माना हितनइ काजि. २९४८०. जंबूद्वीप संग्रहणी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४११, १०४३२).
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं सव्वन्नु; अति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०. २९४८१. सिद्धचक्र स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२३.५४१०.५, १९४५७). १. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. राम-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: हो भव्य प्राणि रे; अंति: उलि उजमीए जगदीस, गाथा-७. २. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. सिद्धचक्र सज्झाय, मु. उत्तमसागर-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: नवपद महिमासार सांभलज; अंति: नवपदनो महीमा
कह्यो, गाथा-५. ३. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेशर अति अलवेसर; अंति: करज्यो मोरी मायो जी, गाथा-४. २९४८२. सझाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२, १२४३५). १. पे. नाम. भीलडी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत सामीने विनवू; अंति: नही कोई भीलीने तोले, गाथा-१३. २. पे. नाम. वरदत्तगुणमंजरी सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: ते सुत पांचे हो के; अंति: एण फल तास लह्यौ, गाथा-७. २९४८३. इग्यारगणधर परिवार - गणधर ३ से ११, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४४१०.५, ११४४०).
११ गणधर परिवार विचार, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: परिवार सर्व ब्राह्मण, प्रतिपूर्ण. २९४८४. मौनइग्यारस स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ५, जैदे., (२४.५४१०.५, १०४४२). १. पे. नाम. अरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामणि पाय नमी; अंति: दोढसो जिणवर तणां ए, गाथा-८. २. पे. नाम. मल्लिजन्म स्तोत्र, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मल्लिजिन जन्मोत्सव स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: मल्लि जिणेसर ध्याउं; अंति: पांमीउ मोक्ष दूवार, गाथा-५. ३. पे. नाम. मल्लि दीक्षास्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मल्लिजिन दीक्षा स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: मल्लि जिणेशर चारित्र; अंति: सुहस तिनु जयु जयु, गाथा-५. ४. पे. नाम. केवलज्ञान स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मल्लिजिन केवलज्ञान स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठीनई प्रणमु; अति: सफल जनम करु आपणूंए, गाथा-९. ५. पे. नाम. नमिनाथ स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
नमिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: अपराजित सुख भोगवी; अंति: हरषि शिवसुख साधु रे, गाथा-५. २९४८५. अजितशांति स्तव की अवचूरि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२४.५४११.५, १५४३९).
अजितशांति स्तवबृहत्-अंचलगच्छीय की अवचूरि, सं., गद्य, आदि: अहं जिनं श्रीअजितनाथ; अंति: भाजन
स्थानमित्यर्थः. २९४८६. सुयहीलुप्पत्तीणं अज्झयण, संपूर्ण, वि. १८३०, कार्तिक कृष्ण, ३, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. सूर्यपुर, जैदे., (२५.५४११.५, १६x४१).
वंगचूलिका प्रकीर्णक, आ. यशोभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भत्तिब्भरनमियसुरवर; अंति: दढचित्तो होह पइदियह.
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३८८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९४८७. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. १०, जैदे., (२५४११, १२४४४). १. पे. नाम. साधारणजिन जन्मकल्याणक स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: में जिन मुख देखण जाउ; अंति: विमल प्रभु ध्याउरे, गाथा-६. २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: आपो आपोनइ लाल मुघा; अंति: सेवा कामगवी अणदोती, गाथा-७. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., पद्य, आदि: जिनराज जुहारण जास्या; अंति: अविचल सुखए सरास्याजी, गाथा-३. ४. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीमरूदेवीनंद निहाल; अंति: ज्ञानविमल गुण पालोरे, गाथा-१०. ५. पे. नाम. शत्रुजयमंडण ऋषभदेव स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., पद्य, आदि: गिरिराज को परम जस; अंति: परमानंद पद पांवनावे,
गाथा-८. ६. पे. नाम. शत्रुजयगिरनार स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. गिरनारशQजयतीर्थस्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सारो सोरठ देश देखाओ; अंति: ज्ञानविमल०
सिर धरीया, गाथा-७. ७. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: अरज सुणो जिनराज मेरे; अंति: धाय मीले गले आय, गाथा-९. ८. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: आज माहरा प्रभुजी; अंति: अहनिशि ए दिल आवे. ९. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. ३अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., पद्य, आदि: विमलगिरइं चले जाउ रे; अंति: विमल प्रभु गाउ रे, गाथा-५. १०. पे. नाम. शत्रुजयगिरिमंडण ऋषभदेव स्तुति, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: आण मिलावें कोई ऋषभ; अंति:
पहिला आई शिवगति पावे. २९४८८. पाक्षिक आलोचना विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५४११.५, १०४३५).
पाक्षिकआलोचना विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: इच्छा० संदि० पखिउं; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २९४८९. (+) हितशिक्षा स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १७४२, मार्गशीर्ष शुक्ल, ७, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. श्राव. सोमकरण शांतिदास शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२४.५४११, ११४३९). अमृतवेल सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन ज्ञान अजुवालीए; अंति: सुजस रंग रेलिरे,
गाथा-२९. २९४९०. नउकार सह बालाविबोध, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. दीव, प्रले. मु. पुण्यसागर; पठ. श्रावि. चंपाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, ११४४४).
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहताण; अति: पढम हवई मंगलम्, पद-९.
नमस्कार महामंत्र-बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंतनइ माहरउ; अंति: भणी सिद्ध वडा कहीइ. २९४९१. जराकुमारकृष्ण भास, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४.५४११, १०४३४).
बलभद्र कृष्ण सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिका बलती नीसरिउ; अंति: वृद्धि तीहं घरबारि,
गाथा-२८. २९४९२. पार्श्वजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, ले.स्थल. नवानगर, प्रले. मु. गोपाल (गुरु
ग. दयाशील, अचलगच्छ); पठ. श्रावि. जसाइ, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१०, ११४३५). १. पे. नाम. अंतरीक्ष पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३८९ पार्श्वजिन स्तव-अंतरीक्ष, मु. विजयशील, सं., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीपुरमंडन; अंति: विजयशीलगणिनामहितम्,
श्लोक-१५. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. विजयशील, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मूर्ति श्रीपास; अंति: नवनिधि सदा आणदि घणइ, गाथा-११. २९४९३. चतुर्विंशतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४११.५, १५४३३).
चतुर्विंशतिजिन स्तव, मु. शांति कवि, सं., पद्य, आदि: प्रणिपत्य परंपरया; अंति: कैवल्यलक्ष्मीकरा, श्लोक-१५. २९४९४. नेमनाथ सलोको, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४११.५, १५४३३).
नेमिजिन सलोको, क. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सदबुद दाता भ्रमानी; अंति: परे बोले० सुजस सवायो,
गाथा-५४. २९४९५. ध्यान स्वरूप व स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., (२५४११.५, १७४७०). १. पे. नाम. ध्यानस्वरुपनिरुपण प्रबंध, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण, प्रले. मु. लालचंद्र गणि, प्र.ले.पु. सामान्य. मु. भावविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६९६, आदि: सकल जिणेसर पाय वंदे; अंति: दसमि रविवार संगई, ढाल-९,
ग्रं. २६५. २. पे. नाम. भाभा विनती स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन विनती स्तवन-भाभा, मु. लब्धि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीभाभो जिन भेटीइ; अंति: श्रीपासजिन सुरतरु,
गाथा-९. २९४९६. रत्नाकरपचीसी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५.५४११.५, ४४३४).
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५.
रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: मोक्षनी लक्ष्मीनू; अंति: श्रीरतनाकरसूरि जाणवा, ग्रं. १५०. २९४९७. २४ जिन स्तवन व औपदेशिक पद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, ले.स्थल. गोपीपुरा सुरत,
प्रले. पं. गंगविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १२४३३). १. पे. नाम. चउवीसतीर्थंकरनां पंचकल्याणक स्तवन, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण. २४ जिन पंचकल्याणक स्तवन, मु. विद्याविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल समिहित पुरवा; अंति: विद्या० संपद
सुखकरा, गाथा-४६. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
मु. विनय, पुहिं., पद्य, आदि: कहा करू मंदिर कहा; अंति: न करइ दुनीया मे फेरा, गाथा-५. २९४९८. भक्तारम स्तव वृत्ति, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. लालचंद्र गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५,
१८४७१).
भक्तामर स्तोत्र-टीका, सं., गद्य, आदि: किल इति सत्ये किल; अंति: तुंग उच्चस्तरम्. २९४९९. विहरमान भास, संपूर्ण, वि. १७१७, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. भुजनगर, प्रले. मु. भक्तिसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, १७४५५). विहरमान २० जिन भास, मु. कल्याणसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधिर सांभलउ; अंति: अतुली बल अरिहंत
रे, ढाल-२१. २९५००. सतरभेदी पूजा, संपूर्ण, श. १६८०, फाल्गुन शुक्ल, १५, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. कुल ग्रं. गाथा १०२., जैदे., (२५४११, १२४४४).
१७ भेदी पूजा, मु. मेघराज, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: सर्वज्ञ जिनमानम्य; अंति: तस घर होइ आणंदारे, पूजा-१७. २९५०१. (+) इंद्रियपराजय शतक, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. प्रायः शुद्ध पाठ., जैदे., (२५४११.५, १२४४५).
इंद्रियपराजयशतक, प्रा., पद्य, आदि: सुच्चिअसूरो सो; अंति: संवेग रसायणं निच्चं, गाथा-१०२. २९५०२. तप संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. राजनगर, प्रले. मु. रूपचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५,
१५४३९).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची तप संग्रह, सं., पद्य, आदि: इदानीं तपः ५ दवउ; अंति: बहुमंतव्यानि, तप-६८. २९५०३. (+) भक्तामर स्तोत्र व केसी-गौतमगणधर गाथा, संपूर्ण, वि. १७५१, श्रावण, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २,
ले.स्थल. राजधन्यपुर, प्रले. मु. मेघविजय (गुरु पं. लक्ष्मीविजय); पठ. श्रावि. हीरी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-क्रियापद संकेत., जैदे., (२५४११, १२४३६). १. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण..
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४४. २. पे. नाम. केसीगौतमगणधर गाथा, पृ. ३आ, संपूर्ण.
केशी गौतमगणधर गाथा, प्रा., पद्य, आदि: केसीकुमार समणे गोयमे; अंति: सोहंति चंदसूरसमप्पभा, गाथा-१. २९५०४. जिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, पठ. सा. प्रेमश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१०,
९४२८). १. पे. नाम. चौवीसजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तवन, वा. देव, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ अजित संभव; अंति: वाचिक देव सुसीस के, गाथा-५. २. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
वा. देव, मा.गु., पद्य, आदि: संभवजिनसुंखेलीइं हो; अंति: प्रभु संपति कोडि के, गाथा-५. ३. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, वा. देव, मा.गु., पद्य, आदि: मुने ऋषभ जिणेसर वाला; अंति: साहिब परम कृपाला रे, गाथा-५. २९५०५. (+) रत्नाकरपचीसी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८११, भाद्रपद कृष्ण, २, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. राजकोट,
प्रले. पं. लक्ष्मीविजय (गुरु ग. अमृतविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीहल्लार प्रगणे श्रीगोडीजी प्रभुजी सहाय., प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा लिखित प्रत-संशोधित., जैदे., (२६४११.५, ६x४१).
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्कर प्रार्थये, श्लोक-२५.
रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ*,मा.गु., गद्य, आदि: स्तुतिकर्ता; अंति: मांगु छु वांछु छु. २९५०६. (+) अजितशांति स्तव, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४१०,१२४४२).
अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९५०७. अष्टमीतिथि स्तवन, संपूर्ण, वि. १९४४, माघ शुक्ल, ४, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. स्तंभपूर, प्रले. कामेश्वर शिवलाल ब्राह्मण, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, ९-१०४३७).
अष्टमीतिथि स्तवन, पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: पंचतिरथ प्रणमुंसदा; अंति: तवन
रच्यु छे तारे रे, ढाल-४, गाथा-२४. २९५०८. नवनिधान स्वरूप विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२४४१२, ९४३५).
९निधान स्वरूप विचार, सं., पद्य, आदि: द्वादशयोजनायामा; अंति: समये परिकीर्तिताः, श्लोक-९. २९५०९. (+) दशार्णभद्र व स्थूलभद्रऋषि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, पठ. श्रावि. मेघबाई,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४११, १५४४२). १. पे. नाम. दशार्णभद्र ऋषिराय सझाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. दशार्णभद्रराजा सज्झाय, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सारद बुद्धिदायक सेवक, अंति: वीनवइ लालविजय
निसदीस, गाथा-९. २. पे. नाम. थूलभद्र रंगीला छबीला ऋषराय सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण. स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. गंगानंद, मा.गु., पद्य, आदि: एक दिन खरी अमै द्वार; अंति: नेह भलै जु निभावही,
गाथा-४. २९५१०. तेरकाठिया सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४११, १०४२९).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३९१ १३ काठिया सज्झाय, मु. हेमविमलसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसमरी गौतम गणधार; अंति: हेमविमलसूरि
सीसे कही, गाथा-१५. २९५११. सज्झाय संग्रह व पार्श्वजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ४, प्रले. मु. गौतमविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१९.५४११.५, १३४२५). १. पे. नाम. मृगापुत्र सज्झाय, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
मु. सिंहविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीव नयर सुहामणो; अंति: होजो तास प्रणाम रे, गाथा-२४. २. पे. नाम. सीतासती सज्झाय, पृ. २आ-३आ, संपूर्ण.
मु. जिनरंग, मा.गु., पद्य, आदि: छोडी हो पिउ छोडि; अंति: प्रणमु धरम हीयै धरी, गाथा-११. ३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: निंदा म करिस्यो कोई; अंति: समयसुंदर सुखकार रे, गाथा-५. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन छंद-गोडीपार्श्वनाथ, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: धवल धिंग गोडी धणी; अंति: नाथजी दुखनी जाल तोडी,
गाथा-८. २९५१२. (+) स्तवन, दोहा व प्रतिक्रमण विधि, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे.,
(२४.५४१०.५, १२४३६). १.पे. नाम. महावीरजिन २७ भव स्तवन, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण. __महावीरजिन स्तवन-२७ भव, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: विमलकमलदललोयणा दिसे;
अंति: विजय शिष्य जयकरो, ढाल-६, गाथा-८१. २. पे. नाम. प्रास्ताविक दोहा, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीतो करि पाछा खस्य; अंति: संपजे नेह न दूजी वार, गाथा-५. ३. पे. नाम. राईप्रतिक्रमण विधि, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., पे.वि. हस्ताक्षर परिवर्तन. किसी अन्य
लिपिकार द्वारा बाद में लिखा गया है.
प्रतिक्रमण विधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम जयवीयराय कहीने; अंति: (-). २९५१३. अजितशांति स्तव, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (१७.५४१०, ११४२९).
अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९५१४. साधुप्रतिक्रमणसूत्र व औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, पठ. मु. साधुविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११, १३४२९). १. पे. नाम. साधुप्रतिक्रमणसूत्र, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण, पे.वि. अंत में अरिहंतचेइयाणसूत्र दिया गया है.
पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: नमो अ० करेमि; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं, सूत्र-२१. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, पृ. ४आ, संपूर्ण.
___ मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: गुण संपूरा रे; अंति: म भणीस हलुआरे बोल, गाथा-५. २९५१५. साधुपाक्षिकादि अतिचार व पाक्षिकादि तप, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, पठ. मु. रंगसौभाग्य,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१०.५, १०४३२). १.पे. नाम. साधुपाक्षिक अतिचार, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण.
साधुपाक्षिकअतिचार श्वे.मू.पू., संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: नाणम्मि दंसणम्मि०; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २. पे. नाम. पाक्षिकादि तप आलापक, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण. पाक्षिकचौमासीसंवत्सरीतप आलापक, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: एवंकार साधुतणे धर्मे; अंति: संवत्सरी तप
पोचाडवो.
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३९२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९५१६. वीरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. सूर्यपुर, प्रले. उपा. मुक्तिसौभाग्य; पठ. पं. राजसौभाग्य (गुरु उपा. मुक्तिसौभाग्य), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १७४३९). महावीरजिन हमचडी-पंचकल्याणकवर्णन, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नंदनकुं त्रिशला; अंति:
चरमजिणेसर वीरो रे, ढाल-३, गाथा-६६. २९५१७. (+) निश्चयव्यवहारविवाद स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४१०.५, १४४४४).
शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३४, आदि: शांति
जिणेसर अरचित; अंति: जसविजय जयसिरी लही, ढाल-६, गाथा-४८. २९५१८. (+) अमृतवेलि स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४११, १४४३४).
अमृतवेल सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन ज्ञान अजुवालीए; अंति: सुजस रंग रेलिरे,
गाथा-२९. २९५१९. अढारनातरा सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८७८, भाद्रपद कृष्ण, ३, जीर्ण, पृ. २, ले.स्थल. पादरा, प्रले. मु. खुशाल (गुरु पं. विवेकविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५, ११४३४).
अढारनातरा सज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पेहलु ने समरूं रे; अंति: ऋद्धिविजय गुण गाय रे,
ढाल-३, गाथा-३२. २९५२०. (+) स्तवनचौवीसी-स्तवन १ से६ व १४ से १५, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३४११.५, १४४३८).
स्तवनचौवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगजीवन जगवाल्हो; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९५२१. (+) साधारणजिन स्तवन सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६९७, चैत्र शुक्ल, २, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, पठ. मु. विद्याशेखर (गुरु
मु. विजयशेखर, अंचलगच्छ); राज्ये आ. कल्याणसागरसूरि (गुरु आ. धर्ममूर्तिसूरि, अंचलगच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. त्रिपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५४११, १८४४०). साधारणजिन स्तव, आ. जयानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: देवाःप्रभो यं विधिना; अंति: भावं जयानंदमयप्रदेया,
श्लोक-९.
साधारणजिन स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: हे प्रभो हे स्वामिन; अंति: इकारः गुणः प्रदेयाः. २९५२२. उपधानविधि स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४११, ११४३३).
महावीरजिन स्तवन-उपधानतपविधिगर्भित, उपा. विनयविजय , मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: श्रीवीरजिणेशरसु
__ परि; अंति: मुझ देज्यो भवोभवे, गाथा-२८. २९५२३. (+) गौतमदीपालिका स्तवन, संपूर्ण, वि. १८६२, पौष कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. सूर्यपुर, प्रले. मु. ज्ञान;
पठ. श्रावि. प्राणकोरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखक द्वारा लिखित "शीघ्रतरं लिपीकृतम्" का उल्लेख मिलता है., संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, १२४४१).
गौतमस्वामी दीपालिका रास, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: इंद्रभूति गौतम भणइं; अंति: हीरगुरु गुण
विचारी, ढाल-१३, गाथा-७५. २९५२४. (+) कथा संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२४.५४११, १५४३६). १. पे. नाम. अवंतिसुकुमाल कथा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: एक कोइक नगरनइं विषइ; अंति: वली अवंतीसुकमाल ऊपना. २. पे. नाम. जीवदया उपरि विक्रमार्क कथा, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण.
विक्रमार्क कथा-जीवदया उपरि, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीराजगृही नगरीनइं; अंति: ते जीवदयाना फल छे. ३. पे. नाम. भोजराज कथा, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: एकदा समयने विषइ भोज; अंति: घणु धन आप्यु. ४. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीवर्द्धमानो जिन; अंति: पर्वणि मोक्षभाजः, श्लोक-१.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९५२५. बृहद्शांति स्तोत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. पंन्या. सिद्धिविजय (गुरु उपा. धनविजय, तपागच्छ); पठ. सा. जयश्री (गुरु सा. सहजश्री), प्र. ले. पु. सामान्य, जैवे., (२५.५x११, ५४३६).
वृहत्शांति स्तोत्र- तपागच्छीय, सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंतिः पूज्यमाने जिनेश्वरे.
बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: भो भो भव्य जीवो; अंति: पूजित हुतइ तीर्थंकर. २९५२६. डोढसोकल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैवे. (२४४१०.५, ११४३७).
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मौनएकादशीपर्व स्तवन- १५० कल्याणक, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३२, आदि: धुरिण जिन; अंति: जसविजय जयसिरि लही, ढाल - १२, गाथा - ६२.
२९५२७, (+) समोसरण स्तव, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, प्र. वि. संशोधित, जैदे. (२४.५x११.५, ११४३९). नेमिजिन स्तवन- समवसरणविचारगर्भित, मु. सोमसुंदरसूरि - शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: जायकुल सिणगार सिरि; अंति: अनंती ते लहड़ ए, कडी-४६.
२९५२८. स्तवन संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ४, जैदे., (२३.५X१२, १३X३८). १. पे नाम, नेमनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मराजिमती स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नेमि म जाज्यो रे घणु; अंतिः बेहुंना कारिज सीधुं, गाथा- ७. २. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो स्वामि है; अंतिः वाचक रामविजय कहेजी, गाथा- ९.
३. पे. नाम. पासपंचासरानुं स्तवन, पृ. १आ- २अ संपूर्ण.
,
पार्श्वजिन स्तवन- पंचासरा, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीवर पाटण सहिर; अंति: करज्यो सफल ए जाणी,
गाथा - ५.
४. पे. नाम. स्थूलिभद्र सज्झाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि ऊठि सखि उतावली सहर अंतिः मुनिशुं लाग्यो रंग,
गाथा - ७.
२९५२९. युगप्रधान विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., ( २३X११, १४४४०). १. पे. नाम. युगप्रधान विचारगाथा, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
प्रधानविचार कुलक, प्रा., पद्य, आदि जा दुपसहोसुरी होहंति; अंतिः कोडी तह चारसहिया, गाथा- १३. २. पे. नाम. युगप्रधान सर्वनरसंख्या, पृ. १आ, संपूर्ण.
युगप्रधान सर्वनर संख्या, मा.गु., सं., गद्य, आदिः युगप्रधान तुल्यासूरय; अंति: सर्वनरसंख्या ००५०३३६. २९५३०, (+) नवकार सह छाया व वालावबोध, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. तेजोरत्न; पठ, श्रावि, हरबाई,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५X११, १३x४७ ).
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: पढमं हवइ मंगलं, पद - ९. नमस्कार महामंत्र - छाया, सं., पद्य, आदि: नमोर्हद्भ्यः नमः अंतिः प्रथमं भवति मंगलम्.
नमस्कार महामंत्र- बालावबोध", मा.गु., गद्य, आदि अरिहंत भणी माहरउ; अंतिः करता ऊपजड़ श्रेयः, २९५३१. (+) जीवविचार, संपूर्ण, वि. १६६६, वैशाख कृष्ण, ९, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. हीरसागर ऋषि; पठ, श्रावि, वीरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. भले मिंडी की जगह खाली छोड़ दी गयी है, संशोधित पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५X११.५, १०X३७).
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रूद्दाओ सुअ समुद्दाओ,
३९३
गाथा - ५०.
२९५३२.
(*) नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७२० माघ शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित प्रायः शुद्ध पाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२५.५X११.५, ९X३६).
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नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंतिः अणंतभागो य सिद्धिगओ, गाथा ५१. २९५३३. आलोयणा विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैवे., (२५४१२, १३४३७).
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३९४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची आलोयणा विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: प्रथम एकभक्त करकै; अंति: ध्यानमै तत्पर हुईयै. २९५३४. स्तवन संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैदे., (२४.५४११.५, ११४२७). १. पे. नाम. सीमंधरजिन विनतीस्तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण. सीमंधरजिनविनती स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सूणी सीमंधर साहिबाजी; अंति: मुज मानस सर
हंस, गाथा-३४. २. पे. नाम. गोडीपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दानसागर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रगट पूरतो रे पास; अंति: दानसागर गुरूशीसने,
गाथा-७. ३. पे. नाम. केशिगौतमगणधरसंवाद सज्झाय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण. केशी गौतमगणधर संवाद सज्झाय, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सीस जिणेसरपासना केशी; अंति: सीस
उदयरस रंगे रे, गाथा-८. २९५३५. रहनेमि अध्ययन व आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२४४१०.५, ८x२३). १. पे. नाम. रहनेमि अध्ययन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण. राजिमतीरथनेमि सज्झाय, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सोरीयपुरि अति सुंदर; अंति: उदयविजय गुण गाय,
गाथा-१४. २. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: आदिसर सुखकारी हो; अंति: प्रभु आवागमण निवार, गाथा-५. २९५३६. परमात्मास्वरूप स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. सुरतबंदर, जैदे., (२५.५४१२, १०४३७).
सिद्धसहस्रनामवर्णन छंद, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: जगन्नाथ जगदीश जगबंधु; अंति: निज दृष्टि
देवी, गाथा-२१. २९५३७. पंचपांडव स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४४११.५, १०४३१).
५ पांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., पद्य, आदि: हसतनागपुर वर भलो; अंति: मुझ आवागमण निवारि रे,
गाथा-२०. २९५३८. जिनहुंडी स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. कपूरसागर; मु. मोतीसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, १३४२९). जिनाज्ञाहंडी स्तवन, मु. गजलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सीरोही मुख मंडणोजी; अंति: गुरुथी सवि लहिइरे, ढाल-३.
गाथा-३८. २९५३९. स्तवन व सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., (२५४११, ११-१२४२७). १. पे. नाम. गौतमस्वामी वीरविरहविलाप स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. गौतमस्वामी महावीरजिनविरह स्तवन, मु. खिमाविजय, पुहि., पद्य, आदि: तोस्यू प्रीत बंधाणि; अंति: जोतसूं जोत
मिलाणी, गाथा-९. २. पे. नाम. पंचमहाव्रत सज्झाय, पृ. १आ-४आ, संपूर्ण. ५ महाव्रत सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वासववंदित वीरजी; अंति: खिमा० जिनपासे सिद्धि,
ढाल-५, गाथा-६३. २९५४०. (+) ९८ बोल स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७१, माघ कृष्ण, १२, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. श्रावि. प्राणकुंअरबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२३४१०.५, १४४३६). ९८ बोल स्तवन, मु. शुभविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५५, आदि: स्वस्ति श्रीसरसति; अंति: शुभविजय जयसिरि वरे,
ढाल-२, गाथा-१६. २९५४१. अध्यात्म व कालीसती सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२४४११.५, १६४३३).
१. पे. नाम. अध्यात्म सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३९५ मा.गु., पद्य, आदि: आज आधार छै सूत्रनो; अंति: आछे मुगति रो पंथ, गाथा-१०. २. पे. नाम. कालीसती सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: काली हो राणी सफल किय; अंति: सेती वरत मंगलाचार, गाथा-८. २९५४२. बारै भावना व दसलक्षण की आरती, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२३.५४१२,
२६x४६-४९). १.पे. नाम. बारैभावना, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
१२ भावना गीत, पुहिं., पद्य, आदि: ध्रुव वस्तु निश्चल; अंति: जब देखै घटमांहि, भावना-१२. २. पे. नाम. दशलक्षण की आरती, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.. यतिधर्म दसलक्षण पद, मु. द्यानत, पुहि., पद्य, आदि: पीडै दुष्ट अनेक बांध; अंति: द्यानत सुख की आस,
गाथा-२७. २९५४३. जंबूनी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२३.५४१२, १२४३५).
जंबूस्वामी सज्झाय, आ. भाग्यविमलसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १७७१, आदि: ए आठौहि कामिणि जंबू; अंति: जंबू
__ भलले संजम वार, गाथा-१६, (वि. यह प्रति में कर्तानाम 'भागवीसूरि' दिया गया है.) २९५४४. संथारापोरसी, संपूर्ण, वि. १९४१, मार्गशीर्ष शुक्ल, १०, शुक्रवार, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. लखनेउ, प्रले. मु. गोकुलचंद्र ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१२, १२४३३).
संथारापोरसीसूत्र, प्रा., पद्य, आदि: निसिही निसिही निसीहि; अंति: मिच्छामिदुक्कडं तस्स, गाथा-१७. २९५४५. चतुर्गति आगमन लक्षण विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२४४१२, ८४३१-३७).
चतुर्गति आगमन लक्षण विचार, पुहि., गद्य, आदि: प्रथम नरकगति में; अंति: पंडित से प्रीति होय. २९५४६. वज्रधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८७७, आश्विन कृष्ण, १०, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. पेथापुर, प्रले. मु. हेमविमल; पठ. श्रावि. जीवीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. सुविधिनाथ प्रसादात्., जैदे., (२३४१२, १९x१७).
वज्रधरजिन स्तवन, मु. वीरविमल शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुरवर चिंत रे; अंति: भवभव ताहरी सेव, गाथा-५. २९५४७. कर्मविपाक विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, दे., (२४४१२, १४४३३).
कर्मविपाक विचार, पुहिं., गद्य, आदि: कर्मविपाक प्रकरण में; अंति: दया तप संयम करे तो. २९५४८. पंचमहाव्रत सज्झाय - व्रत १ से ४, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २-१(१)=१, पठ. श्रावि. जोईतिबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४११, १२४३८). ५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (प्रतिअपूर्ण, पू.वि. ढाल-२ गाथा-३
अपूर्ण से ढाल ४ तक है.) २९५४९. संबोधसत्तरी, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, १८४३९).
संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरु; अंति: सो लहई नत्थि संदेहो,
गाथा-७७. २९५५०. पुद्गलपरावर्त विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, दे., (२३.५४११.५, १५४४३).
पुद्गलपरावर्तन विचार, मा.गु., गद्य, आदि: द्रव्यतः पुद्गलपराव; अंति: मुक्तिसुख पिण पामै. २९५५१. (+) मनुष्यजन्मफल श्लोक सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८७८, चैत्र शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. वाराणसी, पठ. मु. गणेश, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२३.५४१२, १२४३५).
जैन श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१.
जैन श्लोक का बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-).. २९५५२. एकविंशतिनाम प्रकरण, संपूर्ण, वि. १९९४, चैत्र कृष्ण, १४, बुधवार, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. नयानगर, प्रले. मु. घासीलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४१२, १४४३०). एकविंशतिस्थान प्रकरण, आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: चवण विमाणा नयरी जणया; अंति: असेस साहारणा
भणिया, गाथा-७०.
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(#+)
३९६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२९५५३. ढुंढीया को करने के २६ प्रश्न व दूहो, संपूर्ण, वि. १९३०, श्रावण कृष्ण, ७, बुधवार, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे.,
(२३.५X१२, १०x३२-३८).
१. पे नाम, इंडीया को करने के २६ प्रश्न, पृ. १अ २आ, संपूर्ण
कुंडकमती को करने के २६ प्रश्न, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीसिद्धांतसूत्र; अंतिः तवोवहाण० स्युं कहीये. २. पे नाम दूहो, पृ. २आ, संपूर्ण
दुहा संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गावा- १.
२९५५४.
) मृषावाद द्वितीयव्रतउपर अधिकार मानतुंगमानवतीचरित्र प्रबंधे रास, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५५-५४(१ से ५४) - १. प्र. वि. संशोधित अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे., (२५.५४११.५, ११४३०).
मानतुंग- मानवती रास - मृषावादविरमण अधिकारे, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६०, आदि: (-); अति होजो घरघर मंगलमाल हे, ढाल ४७, ( पू. वि. मात्र अंतिम ढाल गाथा- २ अपूर्ण से है. ) २९५५५. धूलाडी कथा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५x११.५, ९५२७).
होलीपर्व कथा, मा.गु., गद्य, आदि: हवें धुलाडी परव कीम; अंति: सर्वक्रिया सफल थाय. २९५५६. (+) पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२५. ५x११.५, १४४४२).
ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पासजिणेसर; अंति: गुणविजय रंगे भणी, ढाल - ६,
गाथा - ५६.
२९५५७. जीवउत्पत्ति सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८३३ वैशाख कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले, पं. मनरूपसागर गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१२, १७x४२).
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औपदेशिक सज्झाय- गर्भावास, पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदि उतपत जोज्यो आपणी मन; अंतिः इम कहे श्रीसार ए, गाथा - ७१.
२९५५८. नवकारमंत्र गीत व आशीर्वाद लोक सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. पत्रांक नहीं दिया गया है., जैदे., (२७१२.५, १६x१० - ५० ).
१. पे. नाम. नवकारमंत्र गीत, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. खंती, मा.गु., पद्य, आदिः मंत्र जपो नवकार; अंति: खंती० म्यानप्रकाश, गाथा - ११.
२. पे नाम, आशीर्वाद लोक सह टवार्थ, पृ. १आ, संपूर्ण
अजैन श्लोक, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक - १.
अजैन लोक का टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अति: (-).
२९५५९. अष्टमीतिथि स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २५X११.५, १५X४४).
"
अष्टमीतिथि स्तवन, मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे मारे ठाम धर्म; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, दूसरे ढाल की रसरी गाथा अपूर्ण तक है.)
२९५६०. क्षेत्रपाल छंद व साधारणजिन अष्टमहाप्रातिहार्यनमस्कार स्तवन, संपूर्ण, वि. १८५५, ज्येष्ठ कृष्ण, ९, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, ले.स्थल. रत्नपुरी, प्रले. मु. वीरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X११.५, १५x५२).
१. पे. नाम. क्षेत्रपाल छंद, पृ. १अ, संपूर्ण.
भैरवजी स्तोत्र - रतनपुरीमंडन, मु. गोविंद, मा.गु., पद्य, आदिः करणभीर जन रिद्धिकरण; अंति: करजोडी गोविंद कथ, गाथा - १४.
२. पे. नाम. अष्टमहाप्रातिहार्यनमस्काराः साधारणजिनानाम्, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन ८ महाप्रातिहार्य स्तवन, मु. ब्रह्म, मा.गु., पद्य, आदि: स्वामी सानिधि सानिधि; अंति: ब्रह्म न
सुजगीस, गाथा- ९.
२९५६१. (#) मोतीकपासीया संवाद, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. घटप्रदनगर, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५x११.५, १७x४२-४९).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३९७ मोतीकपासीया संबंध, पा. श्रीसार, मा.गु., पद्य, वि. १६८९, आदि: सुंदर रुप सोहामणो; अंति: सार० चतुरनरां
चमतकार, ढाल-५. २९५६२. गोलिओ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. गीरधर शंकर भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, १२४२९).
गुरुगुण गहुँली, मु. हुकम, मा.गु., पद्य, आदि: बेनी मोरी आवो सुगुरु; अंति: लहे शिवसुंदरीनी सेज, गाथा-९. २९५६३. जीराउलपार्श्वनाथ सप्रभावस्तवन व सर्पविषउतारण मंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे.,
(२६४११, १६४५०). १. पे. नाम. श्रीजीराउलपार्श्वनाथ सप्रभावस्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: जीराउलि राउलि कयनिवा; अंति: जिम मुज पूरि आस,
गाथा-४५. २. पे. नाम. सर्पविषउतारण मंत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९५६४. (+#) गजसुकमाल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२, १२४४५). गजसुकुमाल सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिका नगरी ऋद्धि; अंति: होयो सुगुरु सहाय रे, ढाल-३,
गाथा-३८. २९५६५. स्तवन व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, ले.स्थल. सूरतबंदर, पठ. श्रावि. प्राणकोर,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, ११४३६-४१). १. पे. नाम. छआवश्यक विचार स्तवन, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण. ६ आवश्यकविचार स्तवन, वा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसइं जिन चीतवी; अंति: तेह शिवसंपद
लहई, गाथा-४४. २. पे. नाम. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अनंतसिद्धने करी; अंति: अमृतपदना थाओ धणी, गाथा-११. २९५६६. (+) वरदत्तगुणमंजरी कथा, संपूर्ण, वि. १८५३, कार्तिक शुक्ल, १, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. सूरतबंदर,
प्रले. पं. सुखसार (गुरु पं. माणिक्यदत्त), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-संशोधित-प्रायः शुद्ध पाठ., जैदे., (२६.५४१२.५, १४४४३). वरदत्तगुणमंजरी कथा, ग. कनककुशल, सं., पद्य, वि. १६५५, आदि: श्रीमत्पार्श्वजिन; अंति: मेडतानगरे.
श्लोक-१४९. २९५६७. मौनएकादशी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, १७X४९).
मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: द्वारिकानयरी समोसर्य; अंति: घणो
पामीये मंगल घणो, ढाल-३. २९५६८. स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, ले.स्थल. सूरतबंदिर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२५४१२, १५४४०-४२). १. पे. नाम. सीमंधरस्वामी स्तुति, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, प्रले. मु. मोतीचंद, प्र.ले.पु. सामान्य. सीमंधरजिन स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: परम मुणि झाणवण गहण; अति: सेवक सकलचंद कृपा
करो, ढाल-४, गाथा-३२. २. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., पद्य, वि. १८वी, आदि: भोर भयो भयो भयो जागी; अंति: सुखमंगल माल रे, गाथा-६. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण, प्रले. मु. मानचंद, प्र.ले.पु. सामान्य.
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३९८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सकल समता सुरलतानो; अंति: होय सुजस जमाव रे, गाथा-८,
(प्रले. मु. मानचंद, प्र.ले.पु. सामान्य) २९५६९. सज्झाय व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. पत्रांक न होने से अनुमानित नंबर दिया
गया है., जैदे., गुटका, (२६४११, २९४२५). १. पे. नाम. सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: जीव धरम म मुकिस विनय; अंति: जिम चिरकाल नंदो
रे, गाथा-७. २. पे. नाम. पच्चखाण सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
१० पच्चक्खाणफल सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: दसि प्रहि उठी; अंति: पामि निच्चि निरवाण, गाथा-८. ३. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९५७०. घनोघ पार्श्व स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५४११.५, १२४३९).
पार्श्वजिन स्तव, मु. विनयहर्ष शिष्य, सं., पद्य, आदि: सुमनसंतापभय समुपासते; अंति: पार्श्वनाथजिनेश्वरः,
श्लोक-३६. २९५७१. शांति स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५४११.५, ११४२४).
शांतिजिन स्तवन, आ. दयासागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: शांति जिणेशर प्रणमुं; अंति: गावे श्रीदयासागरसूर,
गाथा-१८. २९५७२. सूतक विचार व बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. पत्रांक न होने के कारण अनुमानित
पत्रांक दिया है., जैदे., (२६४१२, १४४३६). १. पे. नाम. सूतक विचार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
सूतक विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: जिसके घर जन्म तिसकुं; अंति: ग्रंथ में कहा है. २. पे. नाम. सम्मूर्छिमजीवोत्पत्ति आदि बोल, पृ. २आ, संपूर्ण.
बोल संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९५७३. (+) अजितशांति स्तव, संपूर्ण, वि. १६२७, कार्तिक शुक्ल, १२, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. पंन्या. उदयसार गणि; पठ. श्रावि. रंगादे, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न., जैदे., (२६४११, ११४३८).
अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभय; अंति: पुव्वुप्प० विणासंति,
गाथा-३९. २९५७४. जीवविचार, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६४११, ९४३१).
जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१. २९५७५. नवपद स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. पत्रांक नही दिया गया है., दे., (२६४१२.५, १२४२७).
सिद्धचक्र स्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नवपदना गुन गावो तुम; अंति: जिनचंद हृदे जनी रे, गाथा-११. २९५७६. पांच देवना नवद्वार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१३, ११४३०).
५ देव बोल, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलुं नामद्वार बिजु; अंति: गुणा अधिका भावदेव.. २९५७७. पंचपरमेष्ठि १०८ गुण वर्णन, संपूर्ण, वि. २०वी, आषाढ़ शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. २, प्रले. पं. कल्याण, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२६४१२, ११४२८).
पंचपरमेष्ठि १०८ गुण, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम अरिहंत देव गुण; अंति: मधुर वचन २७. २९५७८. संतीजेन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१२, ८४४२-४४).
शांतिजिन स्तवन, मु. आणंद, मा.गु., पद्य, आदि: संती जिणेसर साहेबा; अंति: हारे कहे आणंद उपगार, गाथा-६.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
३९९ २९५७९. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ७, जैदे., (२६.५४११.५,
१०४३४-३५). १. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
मु. वीनीत, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. मात्र अंतिम पद का अंश मात्र है.) २. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुपन विधि कहे सुत; अंति: वाणी वनीत रसाल, गाथा-३. ३. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिननी बहेन सुदर्शना; अंति: सुणज्यो एक ही चित, गाथा-३. ४. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मु. विनितविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पासजिनेसर नेमनाथ; अंति: सारखी वंदु सदा विनीत, गाथा-३. ५. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्वराज संवच्छरी दिन; अंति: वीरने चरणे नामु शीस, गाथा-३. ६. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वडा कल्प पूर्व दिने; अंति: सुणे तो पामे पार, गाथा-४. ७. पे. नाम. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नव चोमासी तप कर्या; अंति: (-), (पू.वि. गाथा १ अपूर्ण तक है.) २९५८०. ज्योतिष संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४११.५, १३४४५).
ज्योतिष संग्रह *, मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). २९५८१. अढारपापस्थानक सज्झाय, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-१(१)=४, जैदे., (२६४१२, १५-१७४३८-४६).
१८ पापस्थानक निवारण सज्झाय, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अति: वाचक जस इम
भाखेजी, सज्झाय-१८, (पू.वि. सज्झाय-४ तक नही है.) २९५८२. विचारषत्रिंशिका सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२६४११, १९४३५).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-३८. दंडक प्रकरण-स्वोपज्ञ अवचूरि, मु. गजसार, सं., गद्य, वि. १५७९, आदि: श्रीवामेयं महिमामयं; अंति: मत्वेद
__बालचापल्यम्, ग्रं. २१६. २९५८३. (+) अजितशांति स्तवन, संपूर्ण, वि. १८३१, चैत्र कृष्ण, ८, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. सूरतबंदर, प्रले. पं. कनकविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६४११.५, १०४३२).
अजितशांति स्तव , आ. नंदिषणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९५८४. (+#) योगशास्त्र- प्रकाश १ से २, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११.५, १९४५४).
योगशास्त्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १३वी, आदि: नमो दुर्वाररागादि; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९५८५. (+#) सत्तरिसयजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १३४४३). सत्तरिसयजिन स्तवन, मु. विशालसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: समरी सरसति भगवति; अंति: सेवा श्रीजिनवरतणी,
गाथा-६१. २९५८६. (+) सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, ले.स्थल. उदयपुर, पठ. श्राव. राऊ, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४११.५, १५४४६). १. पे. नाम. नेमिराजीमति भमरगीता, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
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४००
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची नेमिजिन भ्रमरगीता, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३६, आदि: समुद्रविजयनृप कुलतिल; अंति: संथुण्या
सानुकूल, गाथा-२७. २. पे. नाम. दानशीलतपभावना संवाद, पृ. २अ-४अ, संपूर्ण. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति: वृद्धि सुखकारो रे, ढाल-४,
गाथा-१०१, ग्रं. १३५. २९५८७. वंदनकसूत्र सह अर्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. सा. खेमकोरश्रीजी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १०x२९). आवश्यकसूत्र-हिस्सा वंदनकअध्ययन, प्रा., गद्य, आदि: इच्छामि खमासमणो वंदि; अंति: अप्पाणं वोसिरामि,
सूत्र-०१, (वि. मूलपाठ का मात्र प्रतीक पाठ है.)
आवश्यकसूत्र-हिस्सा वंदनकअध्ययन का अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम थानकेने विषे; अंति: कहेता वोसरावु छु. २९५८८. (#) संवेगरस चंद्रावला, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२६४११, १२४४५).
संवेगरस चंद्रावला, मु. लींबो, मा.गु., पद्य, आदि: सकल सुरिंद नमइ सदा; अति: हियडै ध्यायस्युंजी, गाथा-५०. २९५८९. (+) संबोधसत्तरी, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६.५४११.५, ११४३५). संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सोलहई नत्थि संदेहो,
गाथा-७०. २९५९०. (+) युगादीश्वर स्तोत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११, ४४४०). रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५,
(प्रले. पं. वेलसागर गणि, प्र.ले.पु. सामान्य) रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ, पं. चतरसागर, मा.ग., गद्य, वि. १७५६. आदिः श्रेय कहता कल्याण: अंति: (१)श्रीमत
सूरतिबंदरे, (२)भवने विषइ समकित आपयो, (ले.स्थल. स्तंभतीर्थ, प्रले. ग. मयासागर, प्र.ले.पु. सामान्य) २९५९१. (#) नवाणुप्रकारी पूजा व विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है,
जैदे., (२६४११, १६४३३). १. पे. नाम. नवाणु प्रकारी पूजा, पृ. १अ-४आ, संपूर्ण. ९९ प्रकारी पूजा- शत्रुजयमहिमागर्भित, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८४, आदि: श्रीशंखेसर पासजी; अंति:
आतम आप ठरायो रे, ढाल-११, गाथा-१०५. २. पे. नाम. नवाणुंप्रकारी पूजाविधि, पृ. ४आ, संपूर्ण. ९९ प्रकारी पूजा-शजयमहिमागर्भित-विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: जघन्य ९ कलशवाला; अंति: साथिया
९९ चोखाना करी. २९५९२. (-) जबकर, संपूर्ण, वि. २०वी, भाद्रपद कृष्ण, १४, गुरुवार, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. गठटली, प्रले. श्रावि. लक्ष्मी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखन स्थल अशुद्ध दिया गया है., अशुद्ध पाठ., दे., (२५.५४१२.५, २०४३१-३६).
जंबूकुमार चौढालियो, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेसर विहरता; अंति: हो राज मुनीवर आया, ढाल-४. २९५९३. इकवीस ठाणो, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५४१२.५, ११४३४-३७).
एकविंशतिस्थान प्रकरण, आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: चवण विमाणा नयरी जणया; अंति: असेस साहारणा
भणिया, गाथा-६९. २९५९४. (+) महावीरजिन २७ भव स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष
पाठ-संशोधित., जैदे., (२६४११.५, ११४४२).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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महावीरजिन स्तवन- २७ भव, मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: विमलकमलदललोवणा दिसे; अंतिः शुभविजय शिष्य जयकरो, ढाल-६, गाथा - ८०.
२९५९५. शत्रुंजय कल्प, संपूर्ण, वि. १७०२, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल, गंधार, पठ, श्रावि वाछि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६११.५, ११४३१).
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शत्रुंजयतीर्थ कल्प, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सुअ धम्मकित्तिअं तं; अंति: सित्तुंज्जए सिद्धं, गाथा - ३९. २९५९६. (+) शत्रुंजयमहातीर्थ कल्प, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. संशोधित, जैवे., (२५.५x११, १४४३४). शत्रुंजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., पद्य, आदि अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ; अंतिः लहइ सेतुंजजत्तफलं, गाथा-२४. २९५९७. (+) स्तवन व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, प्र. वि. संशोधित, जैये. (२६४१२, ११४३९). १. पे नाम, महावीरजिन स्तवन- छट्टाआरानुं, पृ. १अ ४अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन- ६ठा आरा, आव. देवीदास, मा.गु., पद्य, वि. १६११, आदि: सकल जिणंद पाए नमी; अंतिः देवीदास संघमंगल करो, ढाल -५, गाथा- ६४.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण, पठ. श्रावि. प्राणकोर, प्र.ले.पु. सामान्य.
पार्श्वजिन पद, पुहिं., पद्य, आदि: जय बोलो पासजिनेसर की; अंति: वीनती यह अलवेसर की, पद-५. ३. पे नाम, पार्श्वजिन स्तुति समवसरणभावगभिंत, पृ. ४आ, संपूर्ण, ले. स्थल, सूर्वपुरबंदिर, पे. वि. सीमंधरजिनप्रसादात्. पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: प्रें दें कि धप; अंतिः दिशतु शासनदेवता, श्लोक-४.
प्रले.
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, गाथा- ४७. २९५९९. (+) रत्नाकरपचीसी सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८४९, माघ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. भावनगर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२६x११.५, ६४३८).
२९५९८. (+#) नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. ३, प्र. वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे.,
(२६.५४११.५, ११४३२).
३. पे. नाम. गुरुवंदना, पृ. ४अ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि पूज्जसिरि अज्जरक्खिय; अंतिः अंचल गणनायगं वंदे, गाथा ५.
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदिः श्रेयः श्रियां मंगल; अंतिः श्रेयस्करं प्रार्थये श्लोक २५. रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, आदिः श्रेयः कहतां कल्याण; अंति: करुं छु मांग छु.
२९६००. प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह व गुरुवंदना, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ३, जैवे., ( २६x११.५, १५४४३). १. पे. नाम. साधुप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, पृ. १अ - ४अ, संपूर्ण.
साधु प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह घे. मू. पू. संबद्ध, प्रा., प+ग, आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंतिः अप्पाणं बोसिरामि २. पे नाम. गुरुवंदना, पृ. ४अ, संपूर्ण
प्रा., पद्य, आदि: तित्थयरे भगवंते; अंति: वायगवंसं पवयणं च, गाथा - ३.
"
४०१
मु. न्यानचंद्र,
२९६०१. इंद्रभूति आदि गणधर सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८१८, फाल्गुन शुक्ल, ५, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ५,
पठ, श्राव, रतनचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६११.५, १०x३३).
१. पे. नाम गौतमस्वामी सज्झाय प्र. १- २अ, संपूर्ण.
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इंद्रभुति गणधर भास, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पहलो गणधर वीरनो वर; अंतिः होवो धर्म सनेही रे,
गाथा-७.
२. पे नाम अनिभुति गणधर भास, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
अग्निभूतिगणधर सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गोबर गाम समृद्ध अन; अंति: वाचक जस कह्याजी, गाथा- ७.
३. पे नाम. वायुभूति गणधर भास, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची वायुभूतिगणधर सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: त्रीजो गणधर मुज मन; अंति: हो लहे सुख
पडूर कई, गाथा-७. ४. पे. नाम. व्यक्त गणधर भास, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. व्यक्तगणधर भास, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: चोथो गणधर व्यक्त; अंति: जिम मालति वन भ्रंग,
गाथा-७. ५. पे. नाम. सुधर्मास्वामी गणधर भास, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आवो आवोरे धरमना मित; अंति: नित दिइं आसीसो जी, गाथा-७. २९६०२. जंबूद्वीप संग्रहणी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४११.५, ९४३०).
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं सव्वन्नु; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-२९. २९६०३. असज्झाय विधि, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१०.५, २०४५९).
असज्झाय विचार, मा.गु., गद्य, आदि: सूक्ष्म रज आकाशथकी; अंति: पुण सझाइ न सुझे. २९६०४. स्तवन संग्रह व स्तुति, संपूर्ण, वि. १७८६, माघ शुक्ल, ३, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, पठ. श्रावि. जीवी,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४११.५, ९-११४३०-३३). १. पे. नाम. सीमंधरस्वामी वीनती, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य. सीमंधरजिनविनती स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि श्रीमंधर साहिबा; अंति: मुज मानस सर
हंस, गाथा-३३. २. पे. नाम. सुविधिनाथ स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
सुविधिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: रे मन पोपट खेलीइं; अंति: नित जपो जिनवर जगदीसो, गाथा-५. ३. पे. नाम. महावीरआदिजिन स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
महावी-रआदिजिन स्तुति-राजनगरमंडन, मु. खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजनगर महावीर जिणंदा; अंति:
___ चित्तमा राख्योजी, गाथा-१. २९६०५. पार्श्वजिन स्तोत्र व श्लोकादि, संपूर्ण, वि. १७८०, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४११, ११४२७). १. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदि: ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंति: पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक-५. २. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. १अ, संपूर्ण.
गाथा संग्रह, प्रा.,मा.गु., पद्य, आदि: कज्जल विज्जल गुंद; अंति: ए राजा भोजई नीपाई, गाथा-१. ३. पे. नाम. नवकारमंत्र-विपरीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र-विपरीत, संबद्ध, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: लंगम इवह मंढप; अंति: णताहरिअमोन, पद-९. ४. पे. नाम. वीसस्थानक तपजापकाउसग्ग संख्या, पृ. १आ, संपूर्ण.
२० स्थानकतपजाप-काउसग्ग संख्या, प्रा., गद्य, आदि: नमो अरिहंताणं २०००; अंति: नमो तित्थस्स, पद-२०. २९६०६. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., गुटका, (२५.५४११.५, ३६x२५).
औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: मीषी कथा मत भाखो; अंति: ए चार सरणा अमरा. २९६०७. (#) आलोयणा विधि व दादाजी रो स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३-२(१ से २)=१, कुल पे. २,
प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२५.५४१२, ११४२९). १. पे. नाम. आलोयणा विधि, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: और गीतार्थ पासे लेणी. २. पे. नाम. दादाजी रो स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण... दादाजिनदत्तसूरिस्तवन, मु. राजहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: अरे लाला श्रीजिनदत्त; अंति: वंदै चरण त्रिकाल रे,
गाथा-९.
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४०३
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २९६०८. पट्टावली व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३१, पौष शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२.५,
११४२५-३४). १. पे. नाम. पट्टावली, पृ. १आ-३अ, संपूर्ण.
पट्टावली खरतरगच्छीय, सं., पद्य, वि. १८९२, आदि: नमः श्रीवर्धमानाय; अंति: संवत्सताणं सताम्, गाथा-१९. २. पे. नाम. मांगलिक श्लोक संग्रह, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९६०९. यति प्रतिक्रमण सूत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४११.५, १२४४५).
पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: पगाम सिज्झाए निगाम; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं. २९६१०. पर्यंत आराधना, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, १३४४०).
पर्यंताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणइ एवं भयवं; अंति: ते सासयं सुक्खं, गाथा-७०. २९६१२.(+) लघुशांति सह टीका, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६४११.५, १४४५७).
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. लघुशांति स्तव-टीका, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., गद्य, वि. १६४४, आदि: श्रीसार्वसर्वसिद्ध्य; अंति: यायात्
प्राप्नुयात्. २९६१३. गजसुकमल स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १७९८, पौष शुक्ल, ११, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. पालिताणानगर, जैदे., (२६४११.५, १२४३४). गजसुकुमाल सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: द्वारिका नगरी ऋद्धि; अंति: होज्यो सुगुरु सहायरे, ढाल-३,
गाथा-३६. २९६१४. चंदनबालानी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (२५४१२, १०x२९-३१).
चंदनबाला सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कोसंबी नयरी पधारीया; अंति: गुण गाय हो स्वामि,
गाथा-३६. २९६१५. अट्ठाणुं अल्पबहुत्व, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२५४१२.५, १२४१२-१७).
९८ बोल, मा.गु., को., आदि: सर्वथी थोडा गर्भज मन; अंति: सर्व जीव विशेषाधिक. २९६१६. होलीपर्व कथा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. न्यानचंद (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११.५, ११४४२).
_होलिकापर्व कथा, मा.गु.,सं., प+ग., आदि: उजीणी नगरीइं प्रजा; अंति: आ भव परभव सुखी थाई. २९६१७. संभवजिन व सिद्धदंडिका स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जैदे., (२५.५४१२.५, १०४३१-३५). १.पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण, वि. १८४७, ज्येष्ठ कृष्ण, ६, मंगलवार.
मु. सुमतिविजय शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: मुने संभव जिनशु; अंति: सुमतिसीस० धारो रे, गाथा-७. २. पे. नाम. सिद्धदंडिका स्तवन, पृ. १आ-३आ, संपूर्ण. पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८१४, आदि: श्रीरिसहेसर पाय नमी; अंति: पद्मविजय जिनराया रे, ढाल-५,
गाथा-३८. २९६१८. (+) पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. पं. श्रीधरविजय; पठ. मु. हर्षविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११.५, १०४३७).
पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावहि पडि; अंति: तथा सामाइक पारें. २९६१९. (#) उत्तराध्ययनसूत्र-अध्ययन १, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४११, १३४४२).
उत्तराध्ययनसूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., प+ग., आदि: संजोगाविप्पमुक्कस्स; अंति: (-), प्रतिपूर्ण. २९६२०. ज्ञानपंचमी आराधन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, १२४३४).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी श्रीगुरुपदकज; अंति: पसाइ उदय अधिक होइ
आज, गाथा-१४. २९६२१. हितसीक्षाछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६.५४१२, ११४३१).
उपदेशछत्तीसी, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सांभलज्यो सज्जन नर; अंति: सुख वांणी मोहनवेली, गाथा-३६. २९६२२. दीक्षाकल्याणक स्तवन-पार्श्वजिन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६४११.५, १३४४१).
पार्श्वजिन दीक्षाकल्याणक स्तवन, मु. कपूरसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपार्श्वकुमर सुख; अंति: महोत्सव गायो
जगीसे, ढाल-२, गाथा-४६. २९६२३. रत्नपुरी शांतिजिन स्तवनम्, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४१३, ११४३८).
शांतिजिन स्तवन-रत्नपुरी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीपति शांति; अंति: आप रत्नकमला वरे, गाथा-७. २९६२४. (+) गौतमपृच्छा सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६४११.५, ८४४०).
गौतमपृच्छा, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तित्थनाह; अंति: गोयमपुच्छा महत्थावि, गाथा-६१.
गौतमपृच्छा-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीगौतमस्वामि गणधर; अंति: श्रीगौतम पृच्छा भणी. २९६२५. (+#) लोकनालिद्वात्रिंशिका सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२६.५४११, ११४४१). लोकनालिद्वात्रिंशिका, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: जिणदसणं विणा जं; अंति: जहा भमह न
इह भिसं, गाथा-३२.
लोकनालिद्वात्रिंशिका-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: जिणहस वइसाह प्रसारि; अंति: वरूपमुपलभ्य ज्ञात्वा. २९६२६. (+) उपधानतप विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२७४११.५, १४४४०).
उपधानतप विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: पोसह लेइ मुहपती पडि; अंति: भूमि शयनादि विधि. २९६२७. (#) सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१२, १६४३६). सीमंधरजिन स्तवन, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७१३, आदि: अनंत चोवीसी जिन नमुं; अंति: भविक जन
मंगल करो, ढाल-७, गाथा-१०५. २९६२८. अंगुलविचारसप्ततिका सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६५२, ज्येष्ठ कृष्ण, १३, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. पंचपाठ., जैदे., (२६.५४११, १२४५१). अंगुलसप्ततिका, आ. मुनिचंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: उसभसमगमणमुसभजिणमणि; अंति: रइअमिणं सपरगुणहेडं,
गाथा-७०.
अंगुलसप्ततिका-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: ऋषभगामिनं अनिमिष; अंति: अरुपयितुं श्रीमत्. २९६२९. पंचपरमेष्ठि वर्ण विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६४१२, ११४२३-२६).
पंचपरमेष्ठि वर्ण विचार, मा.गु., गद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९६३०. स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२५.५४१२, १३४४८). - स्तवनचौवीसी, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १७७६, आदि: ऋषभ जिणंदशुप्रीतडी; अंति: (-),
(पू.वि. स्तवन-४, गाथा-१ तक है.) २९६३१. बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. पत्रांक नही दिया गया है., जैदे., (२६४१२.५, १८४३८).
बोल संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९६३२. (+) नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७७७, श्रेष्ठ, पृ. २, पठ. मु. मानविजय (तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., जैदे., (२६.५४११.५, १३४४२).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, गाथा-४४. २९६३३. शीयल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. सूरत, जैदे., (२६४११.५, १२४३४).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४०५ औपदेशिक सज्झाय-परनारी परिहार, ग. कुमुदचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: सुणि सुणि कंता रे; अंति: कुमुदचंद सम
उजलो, गाथा-१०. २९६३४. आत्मप्रबोध कुलक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, पठ. श्राव. हीराचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. सूर्यमंडण प्रसादात्., जैदे., (२६.५४११.५, १०४३०).
आत्मावबोध कुलक, आ. जयशेखरसूरि*, प्रा., पद्य, आदि: धम्मप्पहारमणिजे; अंति: जिणं जयसेहरो होसि,
श्लोक-४३. २९६३५. हीरविजयसूरि निर्वाण स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६.५४११.५, ११४४०).
हीरविजयसूरि सज्झाय, मु. विवेकहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: सरस वचन दिउ सरसती; अंति: विवेकहर्ष
सुहंकरो, ढाल-२, गाथा-२३. २९६३६. (+) रजोच्छवपर्व कथा, संपूर्ण, वि. १७५८, फाल्गुन शुक्ल, ११, गुरुवार, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. पत्तन, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, १७४४४). होलिकापर्व कथा, मु. गुणाकरसूरि शिष्य, सं., पद्य, आदि: ऋषभस्वामिनं मन्ये; अंति: यतो धर्मस्ततो जयः,
श्लोक-६९. २९६३७. हरिवाहननृप कथा, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६.५४११.५, १६४५७).
हरिवाहननृप कथा, सं., गद्य, आदिः (१)जीविअपज्जते विहु, (२)भरते भोगवतीपुरी; अंति: मोक्षं लप्स्यति. २९६३८. (+) चित्तउड चैत्यपरिपाटी स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. आगममंडण गणि शिष्य (गुरु ।
उपा. आगममंडण गणि); पठ. श्राव. कपूरदे, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, १२४४३). चित्तोड चैत्यपरिपाटी स्तवन, मु. जयहेम शिष्य, मा.गु., पद्य, वि. १६वी, आदि: गोअम गणहरराय पाय; अंति:
हरखिई हरख सुहकरणा, गाथा-४३. २९६३९. (+) अजितशांति स्तव संग्रह सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १५वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र.वि. पदच्छेद सूचक
लकीरें-संधि सूचक चिह्न-पंचपाठ., जैदे., (२६.५४११.५, १५४५९). १. पे. नाम. अजितशांति स्तव सह अवचूरि, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.. अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. अजितशांति स्तव-टीका, आ. गोविंदाचार्य, सं., गद्य, आदि: प्रशांताः प्रकर्षणा; अंति: कल्मषनिर्जरार्थमियम्. २. पे. नाम. अजितशांति स्तव-लघुसह अवचूरि, पृ. २आ, संपूर्ण. अजितशांति स्तवलघु-खरतरगच्छीय, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: उल्लासिक्कमनक्ख निग; अंति:
दुरियमखिलंपि थुणंतह, गाथा-१७. अजितशांति स्तवलघु-खरतरगच्छीय की अवचूरि, सं., गद्य, आदि: जिनवल्लभसूरयः स्तवं; अंति: विरचितमस्तीति
भावः. २९६४०. (+) प्रथमकर्मविपाक सूत्र, संपूर्ण, वि. १८४३, कार्तिक कृष्ण, १३, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. राधणपुर,
प्रले. मु. न्यानचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११, ११४३५). कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिवीरजिणं वंदिय; अंति: लिहिओ देविंदसूरीहिं,
गाथा-६०. २९६४१. बार भावना, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४११.५, १५४३८).
१२ भावना सज्झाय, उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पासजिणेसर पाय नमी; अंति: भणी जेसलमेर
मझार, ढाल-१३, ग्रं. १७५.
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२९६४२. बारह भावना, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. पंन्या. हेमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
११४३१).
१२ भावना गीत, पुहिं., पद्य, आदि: ध्रुव वस्तु निश्चल; अंति: जब देखै घटमांहि. २९६४३. पिंडविशुद्धि प्रकरण, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., ( २६x१०.५, १३४५२).
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
(२६x११.५,
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पिंडविशुद्धि प्रकरण, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: देविंदविंदबंदिय पवार, अंतिः बोहिंतु सोहिंतु य
9
गाथा - १०५.
२९६४४. शांतिजिन स्तवन- नयविचारगर्भित, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, पठ, श्राव दुर्लभदास शेठ, प्र. ले. पु. सामान्य,
जैवे. (२६११.५, १४४३१).
"
शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३४, आदि: शांति जिणेसर केसर; अंति: जसविजय जयसिरी लही, ढाल ६.
२९६४५. अढारनातरा स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. वेणीसागर, प्र.ले.पु. सामान्य,
,
जैदे., ( २६.५x११.५,
१३४३९).
१८ नातरा सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्म, आदि: मथुरापुरी रे कुबेर; अंतिः नयविमल कवि उपदिशे,
गाथा - १०.
२९६४६. (+) हीरविजयसूरिनिर्वाण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले, मु. कीर्तिविमल पठ, श्रावि. माणकचाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, जैदे. (२६१२, ९५२७).
हीरविजयसूरि सज्झाय, मु. विवेकहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: सरस वचन दिउ सरसती; अंतिः विवेकहर्ष सुहंकरो, ढाल - २, गाथा - २२.
२९६४७. संबोहसत्तरी, संपूर्ण, वि. १७८१, चैत्र शुक्ल, ११, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. सीद्धपुर, प्रले. श्राव. रतनजी दोशी; लिख. मु. महिमाविजय (गुरु पंन्या. जिनविजय, तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६.५X१२, १४४४९).
संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तिलोअगुरुं; अंति: सो लहई नत्थि संदेहो,
गाथा - १२४.
२९६४८. (+) अणुत्तरोववादिदसाओ सूत्र, संपूर्ण, वि. १७वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२६.५x११.५, १५४६०). अनुत्तरीपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग, आदि: तेणं कालेणं नवमस्स; अंतिः अयमठ्ठे पण्णत्ते,
अध्याय-३३, ग्रं. १९२.
२९६४९, (+४) अष्टादस स्तोत्र संग्रह सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १५०७, आषाद अधिकमास शुक्ल, १३, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. संशोधित-पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न - क्रियापद संकेत-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जै, (२७४११.५, १२X४७).
अष्टादशस्तवी, आ. सोमसुंदरसूरि, सं., पद्य, वि. १४९७, आदि: स्तुवे पार्श्व; अंति: सोमदेवगणिर्गुणी, स्तवन-१८. अष्टादशस्तवी- अवचूरि, आ. सोमदेवसूरि, सं., गद्य, वि. १४९७, आदि: बहुब्रीहरेकवचने; अंतिः श्रिये शिवसंपदे. २९६५०. पंचमहव्वयनी गाथा, संपूर्ण, बि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, अन्य. श्राव. जैसंग हरखचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, वे.,
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(२५X१२, ७४३४).
प्रास्ताविक गाथा संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: पंच महव्वय सुवय मूलं; अंतिः श्रीजंबूस्वामी जाणीए, श्लोक-२०.
२९६५१. आत्मानी आत्मता, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्र. वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२६.५X११.५). आत्मा के ६५ गुण, मा.गु., गद्य, आदिः असंख्यात प्रदेशी; अंतिः सकल सिद्धता करे.
२९६५२. (+) पिंडविशुद्धि सावचूरिक व जिन स्तुति, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, प्रले. श्राव. लखी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ., जैवे. (२६४११, १३४४२-४४). १. पे नाम. पिंडविशुद्धि प्रकरण सह अवचूरि, पृ. १अ ४आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४०७ पिंडविशुद्धि प्रकरण, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: देविंदविंदवंदिय पयार; अंति: बोहिंतु सोहिंतु य,
गाथा-१०३, संपूर्ण. पिंडविशुद्धि प्रकरण-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: आधानमधा प्रस्तावाद; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
___अपूर्ण., गाथा ५२ तक है.) २. पे. नाम. जिनस्तुति प्रार्थना, पृ. ४आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: प्रशमरसनिमग्नं दृष्ट; अंति: श्रीवीतरागो जिनः, श्लोक-३. २९६५३. एषणासमिति व विनयआराधना का चौढालीया, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, दे., (२६.५४११.५,
१३४३५). १. पे. नाम. एषणासमिति चोढालीयो, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
एषणासमिति चौढालीयो, मु. तिलोक ऋषी, मा.गु., पद्य, वि. १९३६, आदि: धरम मंगल उत्कृष्ट छ; अंति: अजर
___अमर सुख त्यां, ढाल-४, गाथा-५७. २. पे. नाम. विनयआराधना का चोढालीया, पृ. २अ-४आ, संपूर्ण. विनयआराधना चौढालियो, मु. तिलोक ऋषी, मा.गु., पद्य, वि. १९३६, आदि: श्रीजिनराज प्ररुपीयो; अंति:
आराध्या सीव जाइये, ढाल-४, गाथा-१११. २९६५४. स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२७४१२, ११४४०).
स्तवनचौवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, वि. १८पू, आदि: रिषभ जिनेसर प्रीतम; अंति: (-), (पू.वि. स्तवन-७
तक है.) २९६५५. शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७४११.५, १४४६५).
शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३४, आदि: शांति
जिणेसर अरचित; अंति: यशविजय जय सिरि लही, ढाल-६. २९६५६. समयक्त्व सत्तरी, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, पठ. श्राव. इंदु, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, १०४३३).
सम्यक्त्वसप्ततिका, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सणसुद्धिपयासं; अंति: सणसुद्धिं धुवं लहइ, गाथा-७१. २९६५७. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ३, जैदे., (२६.५४११, १०४३३). १. पे. नाम. सासरियानी सज्झाय, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. सासरिया सज्झाय, आ. विनयप्रभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: भावे सिवसुख लहीइ रे, गाथा-९,
(पू.वि. गाथा-७ तक नहीं है.) २. पे. नाम. गौतमजिन स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.. देवानंदा सज्झाय, उपा. सकलचंद्र गणि, पुहिं., पद्य, आदि: जिनवर रूप देखी मन; अंति: पूछे उलट मनमां आणी,
गाथा-११. ३. पे. नाम. एकादशीतिथि सज्झाय, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: आज एकादसि रे नणदल; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१ अपूर्ण तक है.) २९६५८. इग्यारगणधर चैत्यवंदन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, ले.स्थल. राजनगर, प्रले. मु. प्रेमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४११, ११४३७). ११ गणधर चैत्यवंदन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सेवक जस सुविशेष,
चैत्यवंदन-११, (पू.वि. चैत्यवंदन-७ तक नहीं है.) २९६५९. दशपचखाण, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, दे., (२५.५४१२.५, ११४३२).
दसपच्चक्खाणसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सुरे नमुकारसिय; अंति: गारेणं वोसिरामि. २९६६०. रुखमणी सज्झाय, पार्श्वनाथ स्तवन व गाथा संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१२,
११४३३). १. पे. नाम. रुखमणी सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
रुक्मिणी सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि; विचरता गामोगाम; अंति राजविजय रंगे भणेजी, गाथा - १४, (वि. प्रतिलेखक ने दो गाथा को एक गाथा गिनी है. )
२. पे. नाम. शंखेश्वरमंडन श्रीपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदिः ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंतिः पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक - ५. ३. पे, नाम, गाथा संग्रह, पृ. ९आ, संपूर्ण,
जैन गाथासंग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-),
२९६६१. लघुशांति सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७७९ वैशाख शुक्ल, ३, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल स्तंभतीर्थ, प्रले. मु. सुमतिसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५X१२, ४x२७).
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंतिः पूज्यमाने जिनेश्वरे, श्लोक १७+२. लघुशांति-टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीशांतिनाथ केहवा; अंतिः जिनेश्वरने पूजनी.
२९६६२. अंतरा, संपूर्ण, वि. १८५४, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. रामचंद्र (गुरु पं. पुन्यराज, खरतरगच्छ ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५X१२.५, १४X३२).
२४ जिन आंतरा, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीपार्श्वनाथ २३; अंति: वर्षे पुस्तक वाचना.
2
२९६६३. (४) नमस्कार महामंत्र सह बालावबोध व चैत्यवंदन, संपूर्ण वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३ कुल पे. २, ले. स्थल. राधनपुर, प्र. मु. वीरचंद पंडित, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीगीडीप्रसादात्., अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैवे. (२६.५x११.५, १३X३४).
१. पे. नाम नमस्कार महामंत्र सह बालावबोध, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: पढमं हवइ मंगलं, पद - ९.
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नमस्कार महामंत्र-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, आदि: अरिहंतने माहरो नम; अंतिः सिद्धने नमस्कार करीइ. २. पे. नाम आवतीचोवीसी तीर्थकर नाम, प्र. ३अ ३आ, संपूर्ण.
२४ जिन चैत्यवंदन- अनागत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः पद्मनाभ पहेला जिणंद; अंतिः नयविमल कहे सीस, गाथा ५.
२९६६५. सीमंधरजिन विनतिस्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे. (२६.५X११, १०x३५ -४३).
सीमंधरजिन स्तवन, मु. संतोष, मा.गु., पद्य, आदि: सुण सुण सरसति भगवति; अंति: पुरव पुन्ये पायो रे, ढाल - ७,
ग्रं. ५५.
२९६६६. अजितशांति स्तव संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, ले. स्थल. सूरतिबिंदिर, जैदे., (२६.५X११.५, ६३७).
१. पे नाम. अजितशांति जिनस्तुति सह टबार्थ, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
अजितशांति स्तवलघु-अंचलगच्छीय, क. वीर गणि, प्रा., पद्य, आदि: गब्भ अवयार सोहम्मसुर; अंति: सुह सयल संपजए. गाथा ८.
अजितशांति स्तवलघु- अंचलगच्छीय का टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: मातानई गर्भि अवतर्य; अंति: जाई सुख सघला संपजई.
२. पे नाम अजितशांतिजिन स्तुति सह टवार्थ, पृ. २अ ४अ, संपूर्ण,
अजितशांति स्तवबृहत् अंचलगच्छीय, आ. जयशेखरसूरि, सं., पद्य, आदिः सकलसुखनिवहदानाय सुर; अंतिः जयतु संघस्य मुदम्, श्लोक - १७.
अजितशांति स्तवबृहत् अंचलगच्छीय का टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदिः सघलां सुखनो जे समूह; अंतिः संघने मुद कही हर्ष.
२९६६७. झांझरीयासाधुनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७.५४११.५, १२४४१).
झांझरियामुनि सज्झाव, मु. भावरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: सरसति चरणे शीश नमावी; अंति: इम सांभलता आणंदे के, दाल-४.
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४०९
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २९६६८. शतक कर्मग्रंथ गाथा पच्चीस का पद्यबद्ध गाथार्थ, संपूर्ण, वि. १७९०, आषाढ़ कृष्ण, ११, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६.५४१२, ४४३४). शतक नव्य कर्मग्रंथ-पद्यानुवाद गाथार्थ, ग. ज्ञानसागर, प्रा., पद्य, आदि: तेवीसा पणवीसा; अंति: अवढिओ बंध
इक्कोय, गाथा-१७. २९६६९. ८४ आशातनासूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७४१२, ४४४३).
जिनभवन ८४ आशातना सूत्र, प्रा., पद्य, आदि: खेलं १ केली २ कलि ३; अंति: जुओ वज्जो जिणिंदालए, गाथा-४.
जिनभवन ८४ आशातना सूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्लेष्मां क्रीडा वढा; अंति: वर्जे देहरा माहि. २९६७०. कका चत्तिस, संपूर्ण, वि. १९४९, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४११, १०४३०).
ककाबत्रीसी, मु. जिनवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: कका करमनी वात करी; अंति: सिस जीवमुनि इम भणे, गाथा-३३. २९६७१. (#) नेमनाथ नवरस, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. जगरूप; पठ. श्रावि. नवीवहु, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२७४११.५, १३४३६).
नेमराजिमती नवरसो, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजय सुत चंदलो; अंति: प्रभु उतारो भवपार, ढाल-९. २९६७२. (+) विचारसार प्रकरण, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. स्तंभनतीर्थ, प्रले. राजचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४१०.५, १३४५०). सिद्धांतसार-विचारसारगुणगर्भित, प्रा., पद्य, वि. १२६७, आदि: सुक्खसहकार कीरं अमरा; अंति: दिणं मिसु
गुरूवएसेणं, गाथा-८६. २९६७३. साधारण स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२७४१२, १०४४२-४३).
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५. २९६७४. श्रीपाल रास-रणसंग्राम वर्णन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४११.५, १०४३०).
श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय ; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७३८, आदि: (-); अंति: (-),
प्रतिपूर्ण. २९६७५. (+) विचारषविंशिका, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. अजबचंद ऋषि; पठ. मु. लीलाधर (गुरु मु. अजबचंद ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२६.५४११.५, १५४४१).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा-४०. २९६७६. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२७४११.५, ११४३५-३६).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: समुपैति लक्ष्मीः , श्लोक-४८. २९६७७. नवकार रास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७.५४१२.५, १२४२९).
नमस्कार महांत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामीण द्यो; अंति: शूणजो श्रीनवकार तो, गाथा-२५. २९६७८. शेव्रुजयनी थोय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. श्राव. वीरपाल रतनशी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४११, ८४४०).
शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मंगल लीला मुनि; अंति: चक्केसरी रखवाली, गाथा-४. २९६७९. स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ६, जैदे., (२६४११.५, १८४४२). १.पे. नाम. जिनआउ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
२४ जिन आयुष्य स्तवन, पुहिं., पद्य, आदि: जिनवर को आऊ सुणज्यौ; अंति: जिनवचनै मनि आन्यौ हो, गाथा-११. २. पे. नाम. अट्ठारहदूषरहितजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन-अढारदोषरहित, पुहिं., पद्य, आदि: जियमान हु ऐसे देवा; अंति: सुखदाई हो, गाथा-११. ३. पे. नाम. आंतरा स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. २४ जिन अंतरकाल स्तवन, मु. श्रीदेव, मा.गु., पद्य, आदि: जिनचउवीस त्रिकाल ए; अंति: श्रीदेवै विरच्यो आजए,
गाथा-१५. ४. पे. नाम. औपदेशिक पद-विषयसबंधि, पृ. १आ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: मनहु महागजराज प्रभु अंतिः किरपा करि हौ दीनदयाल, गाथा-६, ५. पे. नाम पद - जिनवाणी, पृ. १आ, संपूर्ण.
जिनवाणी पद, मु. चिदानंदजी, मा.गु., पद्य, आदि जिनवानी दरियाव मन; अंतिः मनवचकाय निवास, गाथा ४. ६. पे नाम औपदेशिक पद इंद्रियोपरि, पृ. १आ, संपूर्ण.
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"
औपदेशिक पद, पुहिं., पद्म, आदि: इंद्रि उपरि असवार, अंतिः जिम उतरी भवपार, गावा- १. २९६८०. (+) महावीरजिन पंचकल्याणक वधावा, संपूर्ण, वि. १८९६, पौष शुक्ल, १५, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल. मुबई, प्रले. प्रेमजी नाथा जोसी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे., (२७.५x१२.५, १२४३७).
महावीर जिन स्तवन- पंचकल्याणकवधावा, मु. दीपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदी जगजननी ब्रह्माण; अंतिः तीरथ फल महाराज वाला, ढाल - ५.
२९६८१. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३-१ ( २ ) =२, कुल पे ४, जैदे., ( २६.५x१२.५, १४४२४). १. पे. नाम. चकेसरीमाताजीनो स्तवन, पृ. २अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है.
चक्रेश्वरीदेवी छंद - शत्रुंजयतीर्थअधिष्ठात्री, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: करे तेने फल देजो, गाथा-८, ( पू. वि. गाथा - ८ अपूर्ण से है . )
२. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: लाबुं लावुने राज; अंतिः ज्ञानविम० कवि दोहंती, गाथा- ७.
३. पे नाम. अष्टापदतीर्थ स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण,
मु. , जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: तीरथ अष्टापद नित नमी; अंति: जिणंदसागर तस नेहो रे, गाथा - ९. ४. पे. नाम सिद्धाचलजी से तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, आव, तिलोकचंद शाह, मा.गु., पद्म, आदि ए तो सकल तीरथनो राय; अंतिः साह तिलोकचंद गुण गाय, गाथा - ११.
२९६८२. दीपावलिपर्व स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५X१३, ११x२२).
दीपावलीपर्व स्तवन, मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: मगधदेश चंपापुरी; अंति: मेरु दीये मन वार, गाथा - ९. २९६८३. विचारछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. मु. उत्तमविजय; पठ. ग. हेमविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६४१२, ९४२८).
दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, आदि: नमिउं चउवीस जिणे; अंति: एसा विनत्ति अप्पहिआ, गाथा- ४३. २९६८४. अभव्य कुलक सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १९१९, चैत्र कृष्ण, २, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे. (२६४१३, ६x२६). अभव्य कुलक, प्रा., पद्य, आदि: जह अभवियजीवेहिं न अंति: हावि तेसिंन संपत्ता, लोक- ९.
अभव्य कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: जह के० जिम अभव्यनो; अंति: बे प्रकारइ न पामइ. २९६८५. पंचिदियसूत्र व लघुशांति, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२२.५X१३, ११x२७).
१. पे नाम, गुरुस्थापना सूत्र, पृ. १आ, संपूर्ण
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: पंचिंदिय संवरणो तह; अंतिः छत्तीसगुणो गुरु मज्झ, गाथा - २.
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२. पे. नाम. लघुशांति, पृ. १आ - २आ, संपूर्ण.
आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंतिः जैनं जयति शासनम्, श्लोक १७+२ २९६८६. भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., ( २६१३, १३X३७).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४. २९६८७. अढारनातरा सज्झाव व चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, जीवे. (२५.५x१२.५, ११४३२).
१. पे. नाम. अढारनातरानी सज्झाय, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण.
१८ नातरा सज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि; पेहेलोने प्रणमु रे; अंतिः ऋद्धिविजय गुण गाय रे, दाल-३,
गाथा - ३५.
२. पे नाम. २४ जिनलंछन चैत्यवंदन, पृ. ३आ, संपूर्ण
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४११ २४ जिन लंछन चैत्यवंदन, आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वृषभ लंछन ऋषभदेव; अंति: लखमीरतनसूरि
कंत, गाथा-९. २९६८८. (+#) महावीरजिन स्तव संग्रह सह अवचूर्णि, संपूर्ण, वि. १९०९, फाल्गुन कृष्ण, १३, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. २,
ले.स्थल. वडोदरा, प्रले. पं. हर्षचंद्र; पठ. सा. चंदा, प्र.ले.प. सामान्य, प्र.वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४१२.५, १८४३८-५२). १. पे. नाम. चित्रमय महावीर स्तवन सह अवचूर्णि, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तव-विविधचित्रबद्ध, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: चित्रैः स्तोष्ये जिन; अंति: स्संरब्धरक्षारतः,
__ श्लोक-२७. महावीरजिन स्तव-विविधचित्रबद्ध की अवचूर्णि, सं., गद्य, आदि: वर्तते नयतीति नायक; अंति: तस्य रक्षा तत्र
रतः.
२. पे. नाम. महावीर स्तवन सह अवचूर्णि, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण..
महावीरजिन स्तव, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: विश्वश्रीद्वरजच्छिदे; अंति: वीरत्वमेधिश्रिये, श्लोक-२१. महावीरजिन स्तव-अवचूर्णि, सं., गद्य, आदि: विश्वस्त्रिया इद्वदी; अंति: (-), (वि. पत्र का नीचला हिस्सा फटे होने
से अंतिमवाक्य नहीं भरा जा सका है.) २९६९०. पंचमी स्तवन, संपूर्ण, वि. १८८८, कार्तिक कृष्ण, ९, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. पत्तनपूर, प्रले. पं. सुरेंद्रविजय गणि; पठ. पं. रुपचंद गणि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२.५, १५४३७).
पंचमीतिथि स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमी पाशजिनेशर; अंति: गुण० मुनि थुण्यो, ढाल-६. २९६९१. खेमाछत्रिसी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१२.५, ११४२८).
क्षमाछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आदरि जीव खिमागुण आदर; अंति: चतुर्विध संघ जगीस
जी, गाथा-३६. २९६९२. संखेश्वर पार्श्व गीता, संपूर्ण, वि. १९३२, चैत्र कृष्ण, १४, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. सीपोर, प्रले. मु. रिद्धिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. श्रीमुनिसुव्रत प्रसादात्., जैदे., (२५.५४१३.५, १३४२६-२९). पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मंगल तणी कल्प; अंति: पास जिनवरतणी
राजगीता, गाथा-३६. २९६९३. आदिजिन स्तवन व गणj, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, लिख. सा. कस्तुरश्रीजी, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२६४१२.५, १०४३२). १. पे. नाम. आदिजिन विनतीस्तवन-शत्रुजयमंडन, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण.. आदिजिनविनतीस्तवन-शत्रुजयमंडन, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदि: पांमी सुगुरु पसाय;
अंति: विनय करीने विनवे ए, गाथा-५८. २. पे. नाम. बावनजीनालयओलीनु गरj, पृ. ३आ, संपूर्ण..
५२ जिनालय ओली गणj, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: अजुवाले पखवाडे गणवू; अंति: वर्धमानसर्वज्ञाय नमः. २९६९४. नववाडि शीलव्रत स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९४८, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६४१२, ११४३५).
शीयल नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: श्रीगुरुनइं चरणे नमी; अंति: तेहने जाउ
__ भामणि, ढाल-९. २९६९५. असज्झाइनीसझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२६४१३, १२४२८).
असज्झाय सज्झाय, मु. ऋषभविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति माता आदे नमीइं; अंति: वहेला वरसो सिद्धि,
गाथा-११. २९६९६. गोचरी के ६१ दोष सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९६५, ज्येष्ठ कृष्ण, १४, शुक्रवार, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. नवानगर, प्रले. मु. लाला, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२,७४३३).
गोचरी के ६१ दोष, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: आहाकम्मं उद्देसीयं; अंति: वेदकल्पमें.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची गोचरी के ६१ दोष-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: आ० साधु नीमंतेरांदै; अंति: नीसीतमे छे वेदकल्पमे. २९६९७. संतोषछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १८४८, वैशाख कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. जीतकुशल; पठ. मु. कस्तुरकुसल, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १४४३३). संतोषछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८४, आदि: साहामी स्यउं संतोष; अंति: सी कीधी संघ
जगीस जी, गाथा-३६. २९६९८. पाक्षीक नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. मु. फुलचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२४४१२, ११४२५).
सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सकलार्हत्प्रतिष्ठान; अंति: श्रीवीर भद्रं
दीश, श्लोक-३३. २९६९९. वीसस्थानकतप स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१२, ९४३१).
२० स्थानकतप स्तवन, मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: सरसत हा रे मारे; अंति: गोयमस्वामीने रे लोल, गाथा-१६. २९७००. समकितसडसठबोल स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६४१२, १५४३६).
समकितना सडसठबोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुकृतवल्लि कादंबिनी; अंति:
वाचक जस इम बोले रे, गाथा-६८. २९७०१. चैत्रीपुनमनी थोयो, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२७.५४१३, ११४२९).
चैत्रीपूर्णिमापर्व स्तुति, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीविमलाचल सुंदर; अंति: लब्धिविजय गुण गाय,
गाथा-४. २९७०२. चैत्यवंदनचौवीसी, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है., दे., (२६.५४११.५, १४४२५).
चैत्यवंदनचौवीसी, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम नमु श्रीआदि; अंति: (-), (पू.वि. सप्तमजिन चैत्यवंदन
गाथा-२ अपूर्ण तक है.) २९७०३. रुक्मिणी सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२७४१३, ११४२८).
रुक्मिणी सज्झाय, मु. रंग, मा.गु., पद्य, आदि: विचरता गामोगाम नेम; अंति: रंगमुनि रंगे भणे, गाथा-७. २९७०४. (+) परंपरागमगुरुगणस्थापना षट्पंचाशिका स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७४१२, १४४४२). षट्पंचाशिका स्वाध्याय, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परंपरागम गुणगण गुरु; अंति: सिरि वरिइं रे,
गाथा-५६. २९७०५. विषयनिदान कुलक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. वटपद्र, जैदे., (२६.५४१२, १२४३३).
विषयनिदान कुलक, प्रा., पद्य, आदि: पणमित्तु विअरायं पंच; अंति: सीलं न लुंपतिजे, गाथा-५०. २९७०६. (+) पच्चक्खाणसूत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१२, १३४२९).
प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: सुरे उग्गए नमुक्कार; अंति: मिच्छामि दुक्कडम्. २९७०७. पंचमहाव्रत सज्झाय व रात्रिभोजन स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९००, आश्विन कृष्ण, १, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. सुरतनगर, प्रले. नागरदास, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, १०४३२). १. पे. नाम. पंचमहाव्रत सज्झाय, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण. ५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरवै रे; अंति: भणे ते सुख लहे घणो,
ढाल-५. २. पे. नाम. रात्रिभोजन स्वाध्याय, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल धरमनु सारज कहिए; अंति: पाले तस
____धन अवतारो रे, गाथा-७. २९७०८. वीरजिन सत्तावीसभव स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. वासोना, प्रले. भाईलाल जमनादास,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७४१२.५, १५४५४).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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महावीरजिन स्तवन- २७ भव, मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५४, आदि: पेहेला ने समरु रे; अंत: रंगविजय लहे, ढाल ६, गाथा ७७.
9
२९७०९ (+) चौवीसतीर्थंकर स्तुति, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३ ले. स्थल. सुरतबंदर, प्रले. मु. अमृतसागर पठ. श्राव. जगजीवन, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२७.५X१२.५, १३X३०).
२४ जिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि ऋषभ जिन सुहाया; अंति: सौम्य सहकारकंदा,
गाथा - २८.
२९७१०. हरिबल चौपाई, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. ३, जैवे. (२६.५४१३, १४-१८४३६-४२).
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हरिबल चौपाई, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८१०, आदिः प्रथम धराधव जगधणी; अंति (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., डाल-३ गाथा - ११ तक लिखा है.)
२९७११. दीवाली चैत्यवंदनादि स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, जीर्ण, पृ. ३, कुल पे. १०, जैदे., (२७४१२, ११४३५). १. पे. नाम. दीवालीपर्व चैत्यवंदन, पृ. १अ, संपूर्ण.
दीपावलीपर्व देववंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनवर वीरजिनवर; अंति: कहे नय ते गुणखाण, गाथा - ३.
२. पे. नाम. वीरजिन स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि मनोहरमूर्ति महावीर; अंतिः जिनशासनमां जयकार करे,
गाथा- ४.
३. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जय जय भवि हितकर वीर; अंति: गुण पुरो वांछित आस, गाथा ४. ४. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. १आ- २अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीमहावीर मनोहरु; अंतिः ज्ञानविमले कहिहं
गाथा - ९.
५. पे. नाम. गौतमस्वामि चैत्यवंदन, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: नमो गणधर नमो गणधर; अंति: नितु नितु नवनिध
थाय,
गाथा - ३.
६. पे. नाम गौतमगणधर चैत्यवंदन, पृ. २आ, संपूर्ण
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि जीव केरो जीव केरो; अंतिः नामथी होइ जय जयकार, गाथा-३, ७. पे. नाम. गौतमगणधर स्तुति, पृ. २अ - २आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्म, आदि: इंद्रभूति अनुपम गुण; अंतिः नित्व मंगलमालिका,
४१३
गाथा- ४.
८. पे. नाम गौतमगणधर स्तुति, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण,
गौतमस्वामी स्तुति, आ. ज्ञानसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रीइंद्रभूति; अंतिः वरदायकाञ्च श्लोक-४.
९. पे. नाम. गौतमस्वामि स्तवन, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
गौतमगणधर स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि वीर मधुरी वाणि भाई; अंतिः नय करे परणाम रे,
२९७१२. (+) सज्झाय संग्रह व स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ४, प्रले. पं. क्षमाविजय गणि; पठ, श्रावि. बीजाबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२८x१२.५, १४४३८). १. पे. नाम. दशार्णभद्रराजा सज्झाय, पृ. १अ २अ, संपूर्ण.
गाथा - ७.
१०. पे. नाम. दीपालिकापर्व देववंदन, पृ. ३अ - ३आ, संपूर्ण.
दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: दुःखहरणी दीपालिका रे; अंतिः प्रगटे सकल गुण खाण, गाथा - ९.
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मु. लालविजय, मा.गु., पद्य, आदि सारद बुधवाइ सेवक अंतिः भणे लालविजय निशदिश, गाथा - १८.
संपूर्ण.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२. पे. नाम. अढारनातरा सज्झाय, पृ. २अ - ३आ,
१८ नातरा सज्झाय, मु. वीरसागर, मा.गु., पद्य, आदि: पहिले ने प्रणमुं रे; अंति: वीरसागर गुण गाय रे, ढाल -३,
गाथा - ३२.
३. पे. नाम. मधुबिंदुआ सज्झाय, पृ. ३-४अ संपूर्ण,
मधुबिंदु सज्झाय, मु. चरणप्रमोद - शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: माता सरसती रे मुझ; अंति: परमपद इम मांगीइं,
गाथा - १०.
४. पे नाम, सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
नवपद स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र सदा सुखदाई; अंति: रामविजय मनरंगि हो, गाथा - ९. २९७१३. कलियुग सज्झाव, संपूर्ण, वि. १९५९ आश्विन शुक्ल, ७, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल. इलोलनगर, प्रले. मु. वल्लभरूचि पठ. श्रावि. मेनां, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीकुंथुजिन आदिजिन प्रसादात्., जैवे. (२६१३, १०x३०).
"
कलियुग सज्झाय, मु. प्रमोदरूचि, मा.गु., पद्य, आदि: हां रे हलाहल कलजुग; अंति: धर्मध्यान कीजै रे, गाथा - ११. २९७१४. पजूसणनां नमस्कार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२७.५X१३, १२३५).
पर्युषणपर्व नमस्कार, मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशेत्रुंजो सिणगार; अंति: वीरने चरणे नमुं शीश, चैत्यवंदन-७, गाथा २१.
२९७१५. तपगरणुं संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २- १ ( १ ) = १, प्र. वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२६.५X१२.५). तपग्रहणविधि संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, आदि: (-); अंति (-), पू. वि. प्रथम पत्र नहीं है व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.
२९७१६. आदिजिन वीनती स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६.५X१२.५, १२×३२).
आदिजिनविनती स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: सुण जिनवर शेत्रुंजा; अंति: देज्यो परमानंद रे, गाथा - २०. २९७१७. छ आवश्यक विचार स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. वीसनगर, प्रले. दलसुख अंबाराम भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे., ( २६.५x१२.५, १३४३३).
६ आवश्यकविचार स्तवन, वा विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसई जिन चीतवी; अंति: तेह शिवसंपद लहे,
गाथा -४३.
२९७१८. (+) नवकार रास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित, जैदे., (२७.५x१३, १३४३३).
२९७२१. झांझरियामुनि सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. २, जैये., (२७४१३, १३४३३).
नमस्कार महांत्र रास, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामिनी द्यो; अंति: रास भणु श्रीनवकारनो, गाथा - २५. २९७१९. पांचमहाव्रत स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे, ( २६.५X१३, ११४३३).
५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पुरवे रे; अंतिः भणे ते सुख लहे, ढाल - ५. २९७२०. (+) उपधान स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२७.५x१३, १२x३१).
महावीर जिन स्तवन- उपधानतपविधिगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७उ, आदिः श्रीवीरजिणेसर सुपरि; अंति: मुझ देज्यो भवे भवे, गाथा - २७.
झांझरियामुनि सज्झाय, मु. भावरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: सरसति चरणे शीश नमावी; अंति: सांभलता उपजे आणंद के, ढाल - ४, गाथा- ४३.
२९७२२. (+) स्तवन संग्रह व गीत, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ४, प्रले. मु. श्रीधरसीभाग्य, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (१७X१२.५, १४x२४).
१. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
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मु. हेतविमल, मा.गु., पद्य, वि. १८४५, आदि: साचा देव मया करी रे; अंति हेतविमल उलास, गाथा-९, २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पु. १आ-२अ, संपूर्ण.
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पार्श्वजिन स्तवन, मु. नरसिंघ ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि मूरत मोहन वेलडी दीठे; अंतिः पामी कोड कल्याण,
गाथा - १०.
३. पे नाम, वैराग्योपदेशक सजाय, पृ. २अ, संपूर्ण
औपदेशिक पद, रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: हक मरना हक जाना; अंति: हरमे साहेब ध्याना, गाथा - ३. ४. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण, पे. वि. थंभणाथ प्रसादात्.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. हेतविमल, मा.गु., पद्म, वि. १९वी आदि: श्रीपासजिणेसर पूजि अंतिः मुनि हेतविमल आनंद,
"
गाथा - ५.
२९७२३. पद संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३- २ (१ से २) = १, कुल पे. ३, जैदे., गुटका, (२८x१३, १२x२१). १. पे. नाम. सामान्यजिन पद, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र अंतिम पत्र है.
साधारणजिन पद, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: (-); अंति: सेवक जस गुण गावे, गाथा - ६, ( पू. वि. गाथा- ४ अपूर्ण से है . )
२. पे नाम, आध्यात्मिक सज्झाय, पृ. ३अ ३आ, संपूर्ण
उपा. सुजस, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन जो तुं ग्यान; अंति: अंतरदृष्टि प्रकाशी, गाथा- ९.
३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ३आ, अपूर्ण, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है.
उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: अजब गति चिदानंद घन; अंति: (-), (पू. वि. गाथा- २ अपूर्ण तक है.)
२९७२४. रोहिणीतपस्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९०३, आश्विन शुक्ल, १४, गुरुवार, मध्यम, पृ. ३, ले. स्थल. विजापुर, प्रले. श्राव. सरुपचंद वीरचंद शाह, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६x१३.५, १३X३७).
ढाल - ६, गाथा - ३१+१.
२९७२५. नववाड सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२७X१३, १३X३४).
रोहिणीतप स्तवन, क. दीपविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८५९, आदि: हां रे मारे वासुपूज; अंति: रोहिणी गुण गाईया,
४१५
नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७६३, आदि: श्रीगुरुने चरणे नमी; अंति: हो तेहने जाउ भामणे, ढाल - १०, गाथा- ४३.
२९७२६. पुद्गलपरावर्तन गाथा सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., ( २६.५X१३.५, १२X३४). पुलपरावर्तन गाथा, प्रा., पद्य, आदि: एगा कोडि सत्त सहि अंतिः सप्पिणी कालो, गाथा-२,
पुङ्गलपरावर्तन गाथा - बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि एक कोड शडशठ लाख; अंति: पुगल परावर्त्त थाय २९७२७. (+) प्रव्रज्याविधि, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. मु. खांतिसोम, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे.,
(२५-२७.०x१३, १३x२८).
दीक्षा विधि, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि: दीक्षा लेता एला; अंति: १ नोकरवाली गुणावाई.
२९७२८. पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९६९, भाद्रपद कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७X१३.५, १०x३५).
-
पार्श्वजिन स्तवन- २४ दंडकविचारगर्भित, पा. धर्मसिंह, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि पूर मनोरथ पासजिणेसर; अंतिः गावै धरमसी सुजगीस ए, दाल-४, गाथा ३४. २९७२९. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १३-१२ (१ से १२) -१, कुल पे. २, दे., (२७४१३, १०x२८). १. पे नाम वीरनिर्वाण स्तवन, पृ. १३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है, वि. १९१७, मार्गशीर्ष कृष्ण, ३, रविवार, प्रले. बालगिरि बावा; लिख. मु. उदेविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
महावीर जिन स्तवन- दीपावलीपर्व निर्वाणमहिमा, मु. गुणहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि (-); अंतिः श्रीगुणहर्ष वधामणे, ढाल–१०, गाथा - १२४, (पू.वि. मात्र अंतिम गाथा का अंतिम पद है.)
२. पे नाम, शांतिजिन स्तवन, पृ. १३अ १३आ, संपूर्ण,
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो शांतिजिणंद सोभा; अंति: इम उदयरत्ननी वाणी, गाथा - १०. २९७३०. नानीसंघेणीनुं गणितपद, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२७X१३, १२X३६).
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
लघुसंग्रहणी - गणितपद विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: त्रणलाखने सो गुणा; अंति: अंगुलनुं एक धनुष्य. २९७३१. बृहत्शांति स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९३८, पीष शुक्ल, ११, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. ज्ञानानंद (गुरु पं. सदानंद, खरतरगच्छ ),
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २४.५X१३.५, ११x२६).
बृहत्शांति स्तोत्र- तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैनं जयति शासनम्. २९७३२. सझाय व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, ले. स्थल, पोरबंदर, प्रले. मु. हर्षसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X१३.५, १५x५०).
१. पे नाम, मोह सज्झाय, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण
आध्यात्मिक सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि सहजानंदी रे आतीमा; अंति भवजल तरीया अनेक रे, गाथा - ११.
२. पे. नाम. समवसरण स्तवन, पृ. २आ - ३आ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: एक वार वच्छदेश आवज्य; अंति: उत्सव रंग वधामणां, गाथा - १५. २९७३३. श्रावकरा मनोरथ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. पं. खुबचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२६X१३, १६x४१). श्रावकमनोरथ विचार, मा.गु., गद्य, आदि: तीन मनोरथ करतो थको अंति: निर्झरा उपार्जे
२९७३५. (+) नवतत्ववर्णनमय सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२३.५x१३, १३x२९).
सीमंधर जिन स्तवन- नवतत्त्ववर्णनमय, मु. जीवनविजय, मा.गु., पच, आदिः संप्रतिमाने सीमंधरू; अंतिः नित्य नाथ सीमंधरो, गाथा-५१.
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२९७३७. (+) स्तुति व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ८, प्र. वि. संशोधित., गु., ( २६.५X१२, १२X३७). १. पे. नाम. शंखेश्वरपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७७, आदि: सुनो सखि संखेश्वर जड़ अंतिः शुभवीर०
कमला वरता, गाथा - १४.
२. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलिमणि; अंति: भवजले पततां जनानाम्, श्लोक-४.
३. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदारमवद; अंतिः नमभिनम्य जिनेश्वरस्य, श्लोक-४.
४. पे नाम. पार्श्वनाथ स्तुति, पृ. १आ- २अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति, सं., पद्य, आदिः श्रेयः श्रियां मंगलक; अंतिः जय ज्ञानकला निधानम्, श्लोक-४.
५. पे नाम, शांतिनाथ स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण
सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, सं., पद्य, आदि: सकलकुशलवल्ली; अंतिः श्रेयसे शांतिनाथः, श्लोक - ४. ६. पे नाम, नेमिजिन स्तुति, पृ. २अ २आ, संपूर्ण
सं., पद्य, आदि: कमलवल्लुपनं तव राजते; अंतिः विभाभरनिर्जितभाधिपा, श्लोक-४.
७. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: श्रीआदिनाथं नतनाकि अंतिः वीरं गिरिसारधीरं श्लोक-४.
८. पे. नाम. नारकीनी सज्झाय, पृ. २आ-४अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन- नरकदुःखवर्णनरूप, मा.गु., पद्य, आदि: वर्धमान जिनने विनवु; अंति: परम कृपाल उदार,
ढाल - ६.
२९७३८. पर्यंतआराधना सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३- २ (१ से २) = १, जैदे., (२८x१२, १८X३७). पर्वताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिउण भणड़ एवं भयवं; अंति: (-), पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है. पर्यताराधना-वार्थ* मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीर नमस्करी; अंति (-), पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है. २९७३९ (+) अजितशांति स्तव, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र. वि. संशोधित, जैवे. (२५.५४१२.५, १४४३३).
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०२.
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४१७ अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., पद्य, आदि: अजियं जिय सव्वभयं; अंति: जिणवयणे आयरं कुणह,
गाथा-४०. २९७४०. (4) सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१२,
१७X४३). १. पे. नाम. झांझरियामुनि सज्झाय, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, ले.स्थल. धोराजी, प्रले. य. नेणसी, प्र.ले.पु. सामान्य,
पे.वि. ढाल ३ गाथा ७ से अन्य लिपिकार द्वारा लिखा गया है. मु. भावरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १७५६, आदि: सरसति चरणे शीश नमावी; अंति: वसीउ ऋदयकमल उलशीउ के,
ढाल-४, गाथा-४३. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
क. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवर इम उपदिसै; अंति: तुझ थाए शुभ सांत रे, गाथा-९. २९७४१. (+) नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२९x१२.५, १०४२९).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: बोहिय इक्कणिक्काय, गाथा-५४. २९७४२. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार-त्रिभंगीसवैयामय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. दामोदर, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२९x१२, १२४४३). २४ जिन नमस्कार-त्रिभंगीसवैयामय, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, ब्र., पद्य, आदि: गुहन गंभीर अचल जिम; अंति: नरवृंद
तासु पयदासे, गाथा-२५. २९७४३. कुलवधूसज्झाय सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८६७, कार्तिक शुक्ल, ८, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. वेरावल, प्रले. मु. जिनविजय (गुरु मु. हर्षविजय); पठ. श्राव. गुलाबचंद, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२८x१२.५, ३४२७).
कुलवधू सज्झाय, मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामनि करुरे; अंति: सुणता सुख लहे ए, गाथा-५.
कुलवधू सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीसरस्वति प्रते नम; अंति: भाव बीच लेइस्यो. २९७४४. (+) इकवीसस्थानक प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. जीर्णदूर्ग, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२६.५४११.५, ८४५०). एकविंशतिस्थान प्रकरण, आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, आदि: चवण विमाणा नयरी जणया; अंति: असेस साहारणा
भणिया, गाथा-७२.
एकविंशतिस्थान प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: चवण कहतां तीर्थंकर; अंति: पदे भण्या कह्या छे. २९७४५. श्राद्धातीचाराः, संपूर्ण, वि. १७८९, आश्विन कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२६.५४१३.५, १२४२९).
श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: विशेषतः श्रावक तणइ; अंति: मिच्छामि
दुक्कडम्. २९७४६. (+) स्तवन व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ५,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२८.५४११,
१४-१७४४५-५२). १. पे. नाम. सीमंधरस्वामि वीनती, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. सीमंधरजिन स्तवन, मु. भक्तिलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: उत्सविरंगि बधामणां; अंति: करी दया सेवक भणी,
गाथा-१७. २. पे. नाम. मल्लिनाथ वीनती, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. मल्लिजिन स्तवन, उपा. मेरु, मा.गु., पद्य, आदि: मन माहरइ आणंद अतिघणु; अंति: निसुणु तेह मंगल आगरो,
गाथा-२०. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: त्रिभुवन तारक देव; अंति: सुखसागरमां० झीलतां ए, गाथा-११. ४. पे. नाम. कलिकुंडपारिस्वनाथ स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
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४१८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची पार्श्वजिन स्तव-कलिकुंड, आ. मुनिचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: नमामि श्रीपार्श्व; अंति: जिनपोस्तशवः सुखाय,
श्लोक-९. ५. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन स्तुति, पृ. ३अ-३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है. २४ जिन स्तुति, आ. जिनप्रभसूरि, सं., पद्य, आदि: आनम्रनाकिपतिरत्न; अंति: (-), (पू.वि. २०वें तीर्थंकर
सुव्रतस्वामिस्तुति श्लोक-२० तक है.) २९७४७. (+) विमलाचल स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, पठ. श्रावि. जीवी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. प्रतिलेखक ने प्रतनाम स्तोत्रपूर्वक दिया है परन्तु वास्तव में रास है., संशोधित., जैदे., (२७४११.५, १५४४१).
शत्रुजयतीर्थ रास, मु. भावविजय, मा.गु., पद्य, वि. १६७३, आदि: सरसति अमृत वरसती; अंति: सेवक भावविजय
मंगलकरो, गाथा-५५. २९७४८. स्तवन संग्रह व औषध, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, दे., (२६४१३.५, ९-१४४३०-३२). १.पे. नाम. अजितजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
अजितजिन स्तवन, मु. रत्न, मा.गु., पद्य, आदि: अजित जिणेश्वर जगमें; अंति: पांमी अवसर कोय, गाथा-५. २. पे. नाम. ऋषभदेव स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. ___आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, वि. १९१०, आदि: तारक त्रिभुवनपतिने; अंति: अनुभव रत्नप्रकाश रे, गाथा-७. ३. पे. नाम. औषध, पृ. १आ, संपूर्ण.
औषधवैद्यक संग्रह , सं.,प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९७४९. पार्श्वजिन चैत्यवंदन-चिंतामणि, संपूर्ण, वि. १९५५, पौष शुक्ल, १०, शनिवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २,
ले.स्थल. विसनगर, प्रले. पं. हरखविजय; मु. सौभाग्यविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१३.५, १२४२९). १. पे. नाम. पार्श्वजिन चैत्यवंदन-चिंतामणि, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: श्रीपार्श्वचिंतामणिः, श्लोक-३. २. पे. नाम. श्लोक, पृ. १अ, संपूर्ण.
सामान्य श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. २९७५०. सिद्धाचलजीनो तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. मु. कल्याणविमल, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७७१३, ११४३०). जिनबिंबस्थापन स्तवन, उपा. जस, मा.गु., पद्य, आदि: भरतादिके उद्धारज; अंति: वाचक जसनी वाणी हो,
गाथा-१०. २९७५१. देशना शतक, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७.५४११.५, १३४४७).
देशनाशतक, प्रा., पद्य, आदि: संसारे नत्थि सुहं; अंति: सिवं जंति, श्लोक-८८. २९७५२. नवतत्त्व प्रकरण, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२६.५४११, ७X३८).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, गाथा-४१. २९७५३. (+) कल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४११, १४४४४).
पंचकल्याणक स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: पहिलउं प्रणमीय जिण; अंति: ते सुख संपति अभिनवीय, गाथा-४८. २९७५४. पांचमहाव्रत स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२७४१३, ११४३२).
५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पुरवे रे; अंति: भणै ते सुख लहे, ढाल-५. २९७५५. स्तंभनक पार्श्वजिन स्तोत्रं महामंत्रमयं, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६.५४११.५, १५४५२).
पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित, ग. पूर्णकलश, प्रा., पद्य, ई. १२००, आदि: जसु सासणदेवि विवएस; अंति:
पार्श्वस्तोत्रमेतत्, गाथा-३७. २९७५६. (+) नेमिनाथ स्तुति सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४१२, ६४३०).
नेमिजिन स्तुति, मु. राजसिंह, सं., पद्य, आदि: कश्चित्कांता विरह; अंति: स हि दीर्घदर्शिताम्, श्लोक-८, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
नेमिजिन स्तुति-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: जनचित प्रज्ञाज्ञान; अंति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९७५७. (-) १८ पापस्थानक सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२१४११.५, ११४२६).
१८ पापस्थानक निवारण सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पापथानक पहिलू का; अंति:
(-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., दूसरे पापस्थानक की गाथा ४ अपूर्ण तक है.) २९७५८. क्षमाछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९१९, चैत्र शुक्ल, ३, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. दयाशंकर हरजीवन जोशी; पठ. श्राव. मूलचंद माधवजी पारख, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४१२, १०४२९). क्षमाछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आदरि जीव क्षमागुण; अंति: संघ सदा सुजगीस जी,
गाथा-३६. २९७५९. (#) नेमिराजीमतीनो तेरमासो, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. कुंतलपुर, प्रले. मु. जिनविजय (गुरु मु. हर्षविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४४१२.५, १५४३७). नेमराजिमती तेरमासो, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमिये विजयारे नंद; अंति: तस घरे संपदा अचल थाए,
गाथा-१२३. २९७६२. पंचम आराना बोल, संपूर्ण, वि. १९५०, चैत्र शुक्ल, ३, सोमवार, मध्यम, पृ. १, प्रले. श्राव. परसोत्तम वृद्धहीरजी खत्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पत्रांक नही दिया गया है., दे., (२६४१३, १२-१४४३०-३६). पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: विर कहे गौतम सुणो; अंति: पामे मंगलमाल रे, गाथा-१८,
(वि. कर्ता नाम नही लिखा गया है.) २९७६३. उपदेशमाला-प्रथम गाथाशतक, संपूर्ण, वि. १८१२, आषाढ़ कृष्ण, ११, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. घाणोरा, प्रले. पं. गणेशरूचि; पठ. पं. यत्नरूचि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, १८४४५-४६). उपदेशमाला, ग. धर्मदास, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण जिणवरिंदे इंद; अंति: (-), (प्रतिपूर्ण, पू.वि. गाथा १०६
पर्यन्त.) २९७६४. (+) प्रकरण संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. ४, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे.,
(२६४१२, १६४४०). १. पे. नाम. जीवविचार प्रकरण, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रूद्दाओ सुअसमुद्दाओ, गाथा-५१. २. पे. नाम. चतुःशरण प्रकीर्णक, पृ. २अ-४अ, संपूर्ण, प्रले. ग. वीररूचि; पठ. पं. अमररूचि गणि, प्र.ले.पु. सामान्य.
ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: सावज जोग विरई; अंति: कारणं निव्वुइ सुहाणं, गाथा-६३. ३. पे. नाम. भरहेसर सज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: भरहेसर बाहुबली अभय; अंति: जस पडहो तिहुयणे सयले, गाथा-१३. ४. पे. नाम. दशवकालिकसूत्रगतगाथा, पृ. ४आ, संपूर्ण, प्रले. पं. अमररूचि गणि, प्र.ले.पु. सामान्य. दशवकालिकसूत्रगत गाथा, संबद्ध, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिजभवं गणहरं जिण; अंति: कहणाथ
वियालणा संघो, गाथा-४. २९७६५. (+) रत्नाकरपच्चीसी, संपूर्ण, वि. १७७९, श्रावण अधिकमास शुक्ल, २, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. वल्लभकुशल; पठ. मु. सुजाणविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४१२, १२४४४).
रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: श्रेयः श्रियां मंगल; अंति: श्रेयस्करं प्रार्थये, श्लोक-२५. २९७६६. (+) क्षमासूरिनो सलोको, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६४११.५, १८४५०).
क्षमासूरि सलोको, मु. जैनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामणी पाए हु; अंति: तस घर नीत लील करसे,
गाथा-६४.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९७६७. (+) संग्रामसूर चउपई, संपूर्ण, वि. १७०४, मार्गशीर्ष शुक्ल, ४, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. सुरतबंदर,
प्रले. पंन्या. अमरचंद्र (गुरु उपा. शांतिचंद्र); पठ. मु. लावण्यचंद्र; राज्ये आ. विजयदेवसूरि (गुरु गच्छाधिपति सेनसूरि*, तपागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२६.५४११.५, १५४४७). संग्रामसूर चौपाई, उपा. रत्नचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १६७८, आदि: समरी सरसति वचन विलास; अंति: सीस रत्नचंद्र
उवझाय, गाथा-८५. २९७६८. १०१ मार्गणाद्वार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२५४१२, १९-२४४१६).
१०१ बोल विचार, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २९७७०. (+) बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, २०-२४४५७-६०).
बोल संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९७७१. (+) कल्याणमंदिर स्तोत्र सह अवचूरी, संपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. रूपा; पठ. ग. शांतिहर्ष;
अन्य. पंडित. भक्तिकुशल गणि (गुरु पंडित. दयाकुशल गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पंचपाठ-पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-वचन विभक्ति संकेत-अन्वय दर्शक अंक युक्त पाठ., जैदे., (२६४११.५, १३४५५). कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यते,
श्लोक-४४.
कल्याणमंदिर स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: रागदि शत्रु जेतृत्वा; अंति: पद्यते प्राप्नुवंति. २९७७२. तप संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४-२(१ से २)=२, पू.वि. बीच के पत्र हैं., प्र.वि. *पंक्त्य क्षर अनियमित है।, जैदे., (२६.५४११.५).
तप संग्रह, सं., पद्य, आदिः (-); अंति: (-). २९७७३. चौवीसजिन विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२६४१२).
२४ जिन विचार, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-). २९७७४. देवकीजी को चौढालो, संपूर्ण, वि. १९२६, मार्गशीर्ष शुक्ल, ११, मंगलवार, मध्यम, पृ. २, अन्य. मु. किसनलाल, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५४१२.५, २५४४५-५५). देवकी सज्झाय, मु. लावण्यकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: रथनेमी नामे भला लखण; अंति: एहवो नामै गजसुखमाल,
ढाल-१०, (वि. कर्तानाम नही दिया गया है.) २९७७५. पार्श्वजिन स्तवन व गहली आदि संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ४, प्रले. मु. रत्नसोम,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२.५, २६४१७). १. पे. नाम. गोडीचानुंस्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रुपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: पारकर देशमा परगडो; अंति: द्यो तुमे वचन रसालजी,
गाथा-७. २. पे. नाम. जिनचैत्य गहुंली, पृ. १आ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि: अनीहां हां रे जिनपोस; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-२ अपूर्ण तक
लिखा है.) ३. पे. नाम. तंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). ४. पे. नाम. गुरुगुण गहुंली, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: अनीहां हां रे सरसती; अंति: नाम लीजो थोक, गाथा-५. २९७७६. चतुःशरण प्रकीर्णक, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., (२६.५४११, ११४३५).
चतु:शरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: सावज जोग विरई; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-५८ अपूर्ण तक
ही है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९७७७ (४) दीपावलीपर्व देववंदन व पार्श्वजिन स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, प्र. वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैवे. (२६.५x११, १३४३७).
१. पे. नाम. दीपावलीपर्व देववंदन, पृ. १अ - ३आ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिनवर चराम चउमास; अंतिः प्रगटे सकल गुण खाण.
२. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- मंत्राम्नायगर्भित, ग. सुजयसौभाग्य वाचक, मा.गु. सं., पद्य, आदिः ॐनमः पार्श्वप्रभुः अंतिः जयसीभाग्य मुखकल्प रे, गाथा- ७.
२९७७८. ३५ मार्गानुसारीगुण सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८२७, मार्गशीर्ष कृष्ण, १२, श्रेष्ठ, पृ. १, ले. स्थल. नवानगर, जैदे., (२५.५x११, १३४३६).
मार्गानुसारी ३५ गुण सज्झाय, उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे भवी जिन; अंति: मान कहे शुभ वाणी,
गाथा - १६.
२९७७९. महावीर हमची स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल, घोघावेलाकूल, प्रले, ग. लब्धिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २६.५X११.५, १२४३८).
महावीरजिन हमचडी-पंचकल्याणकवर्णन, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., पद्य, आदि: नंदनकुं त्रिसला; अंतिः चरमजिणेसर वीरो रे, ढाल - ३, गाथा - ६८.
२९७८०. अंतरध्यान सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२५.५x१२.५, १२x२५).
अंतरध्यान सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: चेतन तुम मनमें जपो; अंतिः अवतरे सुद्ध आतमाराम गाथा - १३. २९७८१. मौनएकादशीदिने दोढसो जिनकल्याणक स्तवन, संपूर्ण, वि. १६८०, चैत्र कृष्ण, १३, सोमवार, श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. द्वीपबंदर, जैये. (२६४११, १२४३८-३९ ).
"
मौनएकादशी १५० जिनकल्याणक स्तवन, मु. दयाकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: शारद पय प्रणमी करी; अंति
४२१
मनवंछित सुख पावइ, गाथा- ४७.
२९७८२. धर्ममूर्तिसूरि स्तवन, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, पू. वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., ( २६x१०.५, १३x४१). धर्ममूर्तिसूरि स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: स्वस्ति श्रीनयरी भली; अंति: (-), (पू. वि. गाथा - १६ तक है.)
२९७८३. (४) भक्तामर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. मु. नवहर्ष (गुरुग. सिंघहर्ष) पठ. मु. प्रेम, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६X११, ११४३४).
भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंतिः समुपैति लक्ष्मीः, श्लोक-४४. २९७८४. समवसरण स्तव सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. लब्धिविजय; पठ. ग. कुंअरविजय,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५X११, ५X३५).
समवसरण स्तव, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, आदि: थुणिमो केवलीवत्थं; अंति: कुणउ सुपयत्थं, गाथा - २४. समवसरण स्तव-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: धुणिमो कहता स्तवीह अंतिः भला पदार्थ प्रतिइं, (वि. लिपिकार ने संक्षिप्त बालावबोध का उल्लेख किया है.)
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२९७८५. चतुः शरण प्रकीर्णक, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैवे., (२५.५x११, १३x२९).
चतुःशरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्य, आदि: सावज्ज जोग विरई; अंतिः कारणं निव्वुइ सुहाणं, गाथा-६३. २९७८६. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५X१०.५, १७x४२).
2
१. पे. नाम. नववाडि स्वाध्याय, पृ. १अ - ३अ, संपूर्ण.
नववाडी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: श्रीनेमिसर चरणयुग; अंतिः जुगति नववाडि, ढाल - ११, गाथा - ९.
२. पे नाम, लघुबंधवजुगबाहुमयणा सज्झाय, पृ. ३अ, संपूर्ण
मदनरेखासती सज्झाय, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: लघु बंधव जुगबाहूनो; अंति: हुं वांदु त्रिणकाल,
गाथा - ८.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
३. पे नाम. मेतारजमुनि सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण,
मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समदम गुणना आगरुजी; अंति: साधुतणी ए सज्झाय, गाथा - १३. २९७८७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२५X११, १५X३६).
१. पे. नाम ब्रह्मव्रत विषये नववाडी स्वाध्याय, प्र. १-३अ संपूर्ण.
नववाडी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: श्रीनेमिसर चरणयुग; अंति: जुगति नववाडि,
ढाल - ११.
२. पे नाम, लघुबंधव जुगवाहुमयणानि सझाय, पृ. २अ, संपूर्ण,
मदनरेखासती सज्झाय, मु. राजसमुद्र, मा.गु., पद्य, आदि: लघु बंधव जुगबाहूनो; अंति: हुं वांदु त्रिणकाल,
गाथा - ८.
३. पे. नाम. मेतारज सझाय, पृ. २आ, संपूर्ण,
तारजमुनि सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदिः समदम गुणना आगरुजी; अंति: साधुतणी ए सज्झाय, गाथा - ११.
२९७८८. (+) कल्याणमंदिर स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित., जैदे., (२५X११.५, ११x३२). कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: मोक्षं प्रपद्यंते, लोक-४४.
२९७८९. नेमिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५. ५X११, १२X३६).
नेमिजिन स्तवन, पंन्या. कमलविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरवई रे; अंति: संपद सुजस सवाय,
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गाथा - १७.
२९७९०. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५X११.५, १८x४३).
१. पे. नाम. पंचमी स्तवन, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य.
ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन- बृहत् उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगुरुपाय; अंतिः थुण्य त्रिभुवनतिलो, डाल-३, गाथा २५.
२. पे. नाम. शत्रुंजय स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सेत्रुंजानो वासी; अंति: आ भव पारि उतारो,
गाथा - ६.
३. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पं. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काया पामी अति कुडी; अंतिः जिनविजय गुण गायो रे, गाथा- ९. २९७९१. (+) त्रिषष्ठिशलाकापुरुष रास व गौतम स्तुति, संपूर्ण, वि. १६८८, वैशाख कृष्ण, ३, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. खंभात, प्रले. मु. रविकुशल (गुरु मु. दयाकुशल), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित - कर्ता के शिष्य द्वारा ख प्रत- ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित, जैवे. (२५.५४११.५, १३४३२).
१. पे नाम. त्रिषष्टिशलाकापुरुषरास- आयुदेहमानगत्यादिविचारगर्भित, पृ. १अ - ४अ, संपूर्ण
त्रिषष्टिशलाकापुरुष रास- आयुदेहमानाभिधानांतरगत्यादिविचारगर्भित, मु. दयाकुशल, मा.गु., पद्य, वि. १६८२, आदिः श्रीजिनचरण पसाउलइ मन; अंति: रमाणंद सुख सहीअ लहुं, ढाल - ७, गाथा- ६०. २. पे. नाम गौतम स्तुति, पृ. ४आ, संपूर्ण.
गौतमगणधर स्तुति, सं., पद्य, आदि: वंदेहमिंद्रभूतिं; अंति: सदोदयस्तुष्टि, श्लोक-४.
२९७९२. (+) वंदित्तुसूत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. रत्नविजय, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित., जैदे.,
(२४.५X१०.५, १३x४१).
वंदित्सूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु सव्वसिद्धे; अंतिः वंदामि जिणे चउवीसं, गाथा - ५०, २९७९३. (+) लोभ, पंचेंद्रिय दृष्टांत संग्रह व श्लोक, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, ले. स्थल. नवीननगर, प्रले. ग. ज्ञानविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (२५.५X११.५, १८४५०).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ १. पे. नाम. लोभोपरि दृष्टांत कथा, पृ. १अ, संपूर्ण.
जिनदत्तश्रावक कथा-लोभे, सं., पद्य, आदि: नगरं पाटलिपुत्रं जित; अंति: नमोर्हाणामतोमतः, श्लोक-१२. २. पे. नाम. पंचेंद्रिय कथासंग्रह, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण.
पंचेंद्रिय दृष्टांतकथा संग्रह, सं., पद्य, आदि: पुष्पनाम शालोभूद; अंति: रूलिता सुकुमालिका, श्लोक-९८. ३. पे. नाम. प्रास्ताविक श्लोकसंग्रह, पृ. ३आ, संपूर्ण.
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., पद्य, आदिः (-); अंति: (-), श्लोक-२. २९७९४. (+#) शत्रुजयतीर्थकल्प स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १६७५, श्रेष्ठ, पृ. ३, पठ. श्रावि. मानबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५४११.५, ११४२९).
शत्रुजयतीर्थ कल्प, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सुअ धम्मकित्तिअंतं; अंति: सित्तुंजए सिद्धं, गाथा-३९. २९७९५. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८७२, माघ कृष्ण, ११, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. २, ले.स्थल. तालध्वजपुर, पठ. श्राव. नानजी,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२, १०४२६). १. पे. नाम. वीसविहरमान स्तवन, पृ. १अ-३आ, संपूर्ण. विहरमान २०जिन स्तवन, मु. श्रीपाल, मा.गु., पद्य, वि. १६४४, आदि: श्रीगणधर गुण स्तवं; अंति: निश्चै ते सुख
पामसे, ढाल-३, गाथा-३०. २. पे. नाम. राजीमतीवचनोक्त नेम स्तव, पृ. ३आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, मु. राम, हिं., पद्य, आदि: सांडीगली में फीर; अंति: चरनकमल गुन गावना बे, गाथा-६. २९७९६. ज्ञानपंचमी, मौन एकादशी कथा व कमलबंध पार्श्वजिन स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १७९४, श्रावण शुक्ल, ५, गुरुवार, श्रेष्ठ,
पृ.८-५(२ से ६)=३, कुल पे. ३, प्रले. पं. वीररुचि (गुरु ग. हरिरुचि), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१२, १०४४०). १.पे. नाम. ज्ञानपंचमी कथा, पृ. १अ-१आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. ज्ञानपंचमीपर्व कथा, ग. कनककुशल, सं., पद्य, वि. १६५५, आदि: श्रीमत्पार्श्वजिन; अंति: (-),
(पू.वि. श्लोक-३० अपूर्ण तक है.) २. पे. नाम. मौनेकादशीपर्व कथा, पृ. ७अ-८अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मौनएकादशीपर्व कथा, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: माराधनतत्परा समभवत्. ३. पे. नाम. कमलबंधपार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ८आ, संपूर्ण..
पार्श्वजिन स्तोत्र-कमलबंध, पंन्या. देवविजय, सं., पद्य, आदि: श्रीमत्प्रौढमप्रभा; अंति: श्रीदेवविजयसुधी,
___श्लोक-९. २९७९७. नंदिसूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. मु. विनयविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१२, १०४३१).
नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., प+ग., आदि: जयइ जगजीवजोणीवियाणओ; अंति: (-), (प्रतिपूर्ण, पू.वि. गाथा
२४ पर्यन्त.) २९७९८. बार भावना, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२५४१२, १२४२९).
१२ भावना, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: श्रीवीरस्वामी जयो; अंति: सासनुप्रेक्षिता, भावना-१२. २९७९९. पार्श्वनाथ व शीतलनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. पं. धर्मविजय, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२६४११.५, १२४३४). १. पे. नाम. गोडीपार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आज सफल थयो अवतार हो; अंति: सिवराम होइ
चोटी, गाथा-१०. २. पे. नाम. शीतलनाथ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
शीतलजिन स्तवन, मु. धर्म, मा.गु., पद्य, आदि: शीतलजिन अरदास रे; अंति: महोदय सुभ लह्यो रे, गाथा-७. २९८००. प्रत्याख्यान संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२१.५४११.५, ११४३०).
आवश्यकसूत्र-प्रत्याख्यानसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सुरे नमुकारसिय; अंति: गारेणं वोसिरामि.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९८०१. महावीरजिन पारणा स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. पोरबंदर, प्रले. सा. जडावश्री; पठ. श्रावि. पार्वतीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३४११.५, ९४२४). महावीरजिन स्तवन-पारणा, मु. माल, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत अनंत गुण; अंति: तेने नमो मुनिमाल,
गाथा-३१. २९८०२. (+) प्रतिक्रमण विधिसंग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२४.५४११.५, १६x२८). प्रतिक्रमणविधि संग्रह-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: इरियावही पडिक्कमीइं; अंति: सगते तप करी
पोचाडवो. २९८०३. मुहपत्तिपडिलेहणा सज्झाय व बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., गुटका, (२२.५४८,
३०४२०). १. पे. नाम. महपत्तिपडिलेहणा सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण. मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन सज्झाय, संबद्ध, मु. दयाकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: जिनवचन सदा अनुसरी; अंति: कुशल
कहे मन उल्लास, गाथा-८. २. पे. नाम. बोल संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
बोल संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८०४. (+) सित्तरिसोजिननाममाला स्तवन, संपूर्ण, वि. १७१८, मार्गशीर्ष कृष्ण, ४, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्रले. ग. रामविजय (गुरु
पं. वृद्धिविजय गणि), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे., (२४.५४११, १३४४०). १७० जिननाम स्तवन, मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७१६, आदि: कास्मेरी मुखमंडणी; अंति: बोलि रे देव जय
जयकार, ढाल-६, गाथा-५५. २९८०५. नेमनाथराजेमती नवरस, अपूर्ण, वि. १८८०, मार्गशीर्ष शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, ले.स्थल. कडीनगर, प्रले. मु. खुसालचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२१.५४१३, १७४३०).
नेमराजिमती नवरसो, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: प्रभु उतारो भवपार. २९८०६. नेमराजुल पद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (१९.५४१२, १५४१५).
नेमराजिमती पद, पुहि., पद्य, आदि: ना रहुगी ना रहुंगी; अंति: करमन को नास करुंगी, गाथा-४. २९८०७. पली विचार व औषध संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, ले.स्थल. वावनगर,
प्र.वि. पत्रांक नही दिया गया है., जैदे., (२३४११.५, १५-१६x२५-३३). १. पे. नाम. पली विचार, पृ. २अ-२आ, अपूर्ण, पृ.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: संतान वृद्धि होइ. २. पे. नाम. औषध संग्रह, पृ. २आ, संपूर्ण.
औषध संग्रह , मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८०८. आत्मबोध स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मुलशंकर शास्त्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. गुटका ग्रंथ की भाँति लेखनशैली है., दे., (२१.५४१२.५, १०४२८). भावगाडी सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८६, आदि: मुरखो गाडी देखी मलका; अंति: मोहन गाए
भावगाडी, गाथा-८. २९८०९. तपपरिसझाय, संपूर्ण, वि. १८५१, वैशाख शुक्ल, १, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. विसलनगर, प्रले. पं. नवलविजय गणि; पठ. श्रावि. जिनकुंअर बाई, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४१२.५, ११४२८). मन्हजिणाणं सज्झाय-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: मन्हजिणाणं आणं मिच्छ; अंति: निच्चं सुगुरु वएसेणं,
गाथा-५.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४२५ २९८१०. (+) रत्नविजय रास, संपूर्ण, वि. १९३४, पौष शुक्ल, २, शनिवार, मध्यम, पृ. २, प्रले. मु. दीपचंद (सांडेरगच्छ); पं.रूपसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., दे., (२३.५४१२.५, १४४२८).
रत्नविजय रास, मा.गु., पद्य, वि. १९३३, आदि: सरसत गणपत दीजियौ; अंति: सांडेराव मझार, ढाल-५. २९८११. नवकार छंद, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२२.५४१२.५, ९x४७).
नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछितपुरण विविध परे; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र प्रारंभिक कुछ अंश है.) २९८१२. स्तवन संग्रह व दानशीलतपभावना सझाय, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, प्र.वि. पत्रांक नही दिये गये
है., जैदे., गुटका, (१७४१२.५, १४४१०). १. पे. नाम. नेमनाथजीजिन स्तवन, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: नेमकुमर फागुण रमे रे; अंति: कल्याण वदे शुभ वाण, गाथा-१०. २. पे. नाम. नेमराजीमतिजिन स्तवन, पृ. २अ-३अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती स्तवन, मु. अमरहंस, रा., पद्य, आदि: रथ फेर्यो महारायजी; अंति: प्रणमै अमरहस पाय, गाथा-७. ३. पे. नाम. दानशीलतपभावना प्रभाती, पृ. ३अ-३आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं. दानशीलतपभावना सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव जिनधर्म; अंति: (-),
(पू.वि. गाथा-४ तक है.) २९८१३. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२३४१२, १४४३६). १.पे. नाम. ऋषभदेवजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिणंदशुप्रीतडी; अंति: मुज हो अविचल सुखवास,
गाथा-६. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जय जिनवर जग हितकारी; अंति: कहे वीरप्रभु हितकारी, गाथा-७. ३. पे. नाम. पार्श्वनाथजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: अश्वसेनजीरा वावा; अंति: प्रभणे श्रीजिनचंद, गाथा-६. ४. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण. __महावीरजिन पद, मु. जिनचंद, पुहिं., पद्य, आदि: अखियां मेरे जिनजी से; अंति: चरण न छोडु पल एक घडी,
गाथा-४. २९८१४. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (१६.५४१२.५, १८x२२). १. पे. नाम. आदिजिन गीत, पृ. १अ, संपूर्ण.
म. लींबो, मा.गु., पद्य, आदि: किम मिलुं लाई जिनवर; अंति: भूलडां करो रे संभाल, गाथा-३. २. पे. नाम. सीमंधरजिनविनती स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., पद्य, आदि: सीमंधर विनती सुणि; अंति: ज्यु होइ निवेडा, गाथा-५. ३. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधर के समोसरण; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-२ अपूर्ण तक
२९८१५. राजलरहेनेमीसज्झाय व श्रीमंदिर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, प्रले. श्राव. दलमलजी,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२३.५४११.५, ११४३४). १. पे. नाम. राजुलरहनेमी सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. रथनेमिराजिमती सज्झाय, मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काउसग व्रत रहनेम; अंति: शिवरमणी सुख वरसै रे,
गाथा-११. २. पे. नाम. श्रीमंदिर स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची सीमंधरजिन गीत, मु. जिनराज, मा.गु., पद्य, आदि: मुज हीयडो हेजालुओ; अंति: कहइ मत मुंको विसारी, गाथा-७. २९८१६. नेमजीनो तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, जीर्ण, पृ. १, जैदे., (१३४११.५, १५४२०-२२).
नेमिजिन स्तवन, मु. धरमसी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीधन धन बावीसमो; अंति: मुगती पधारीया रे, गाथा-७. २९८१७. विविध गच्छोत्पत्ति विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२३४१२, १५४२६).
जैन सामान्यकृति , प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८१८. वीसस्थानक विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४४१३, १०x२५).
२० स्थानकतप विधि, मा.गु., गद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: ३८ लोगस्सनौ काउसग्ग. २९८१९. पडिलेहन पचासबोल, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२२.५-२५.५४१२.५, ११४३६).
मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम भगवते वचन; अंति: २५ पडिलेहणा हुई. २९८२०. संखेस्वर पार्श्वनाथ छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२४४१२.५, १५४३६).
पार्श्वजिन छंद, मु. मेघराज, मा.गु., पद्य, आदि: सकलसार सुरतरू जगजाणं; अंति: पाय अधिक मंगलनीलो,
गाथा-६. २९८२१. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-३(३ से ५)=३, कुल पे. ७, जैदे., गुटका, (२२४१३, २१४१२). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-क्रोधोपरि, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: कडवां फल छे क्रोधनां; अंति: उदयरतन० उपसमरस नाही, गाथा-६. २. पे. नाम. मान सिज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. मानपरिहार सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: रे जीव मान न कीजीए; अंति: मानने देजो देशवटोरे,
गाथा-५. ३. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: समकितनुं बीज जाणजोजी; अंति: ए छे मारग शुद्धि रे, गाथा-६. ४. पे. नाम. लोभ सिझाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. लोभ सज्झाय, पंडित. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: लोभ न करीये प्राणीया; अंति: लहेसे ते सयल जगीस,
गाथा-७. ५.पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-कायोपरी, पृ. २आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
५ इंद्रिय सज्झाय, मु. सेवक, मा.गु., पद्य, आदि: कायाने केरे रे काइ; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-५ अपूर्ण तक है.) ६. पे. नाम. संवरनी सिझाय, पृ. ६अ-६आ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.
संवर सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: मुगतवधु हेला वरो, गाथा-६, (पू.वि. गाथा-२ अपूर्ण तक नहीं है.) ७. पे. नाम. आत्मबोध सज्झाय, पृ. ६आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: ते गिरूआ भाई ते गिरू; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-५ अपूर्ण तक है.) २९८२२. वीरजिन व चौवीसतीर्थंकर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., गुटका, (२३.५४१२,
२५४२०). १. पे. नाम. विरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तवन, मु. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजी वीरजिणंदने; अंति: आनंद हो सुपसाय हो, गाथा-५. २. पे. नाम. चोवीसतीर्थंकर स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.. चोवीसजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह समे भावधरी घणो; अंति: गावतां नीतु होई
जगीस, गाथा-५. २९८२३. मूरख ९० बोल, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२२.५४१२, १९४४४).
मूर्ख के ९० बोल, मा.गु., गद्य, आदि: बालकसुंप्रीत करे ते; अंति: जूवटइ रमिते मूरख. २९८२४. लघुसंघयणी, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२३.५४१२, १०४२२).
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: नमिय जिणं सव्वन्नु; अंति: रईया हरिभद्दसूरिहिं, गाथा-३०.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
२९८२५. बृहच्छांति स्तव, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं., जैदे., गुटका, (१३.५x१३, ११x११). बृहत्शांति स्तोत्र- तपागच्छीय, सं., प+ग, आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: ( - ).
२९८२६. ऋषभ स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. कस्तुरचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२२x१३, १२X३६). आदिजिन स्तवन, मु. विजयसागर, मा.गु., पद्य, आदिः आदिजिणंद अवधारीये; अंति: दिन दिन चढते नूर हो,
गाथा - ८.
२९८२७. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, ज्येष्ठ कृष्ण, १२, रविवार, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ४, ले. स्थल. नोरंगावाद, जैदे., ( २३x१२.५, १७X३५ - ३७ ) .
मु. कनककीर्ति, पुहिं., पद्य, आदि: तुं मेरा मन मै तु; अंति: साहिब तीन भुवनमें, गाथा - ३. २९८२८. सचित्तनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे (२३४१२, ११x२७).
"
१. पे. नाम. पंचमहाव्रत सझाय, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण.
पंचमहाव्रत सज्झाब, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल मनोरथ पूरवै रे; अंति: भणे ते सुख लहे डाल - ५. २. पे नाम. रात्रीभोजन सझाय, पृ. २अ, संपूर्ण.
रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल धरममा सारज कहिइ; अंति: कांति० अवतार रे, गाथा ७.
३. पे. नाम. सुविधिजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
-
मु. रुपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: बांके गढ़ फोज चढ़ी है; अंतिः देव न ध्याउं और, गाथा ५. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
गाथा - २५.
२९८२९. आध्यात्मिक पद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैवे. (२१.५x१२.५, ८४३२).
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सचित्तअचित्त सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रवचन अमरी समरी; अंति: पदवी लेस्ये तेह,
आध्यात्मिक पद, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: जब लगे आवे नही मन; अंति: विलासी प्रगटे आतमराम, गाथा - ६.
२९८३०. स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ८-४ (१ से ३,७) =४, पू. वि, बीच-बीच के पत्र हैं., जैदे., ( २१x१२,
११x२८).
स्तवनचौवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. स्तवन-९ से स्तवन-१४ तक एवं स्तवन- १७ से स्तवन- १८ अपूर्ण तक है. )
२९८३२. सीमंधरजीरो स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, दे., (२३.५४१२, १०x१८-२३),
२९८३३. साधारणजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. १, गु., (२३४१२.५, २१x१२).
2
४२७
सीमंधरजिन स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८२१, आदि: मारी वीनतडी अवधारो; अंति: अनोपम जनपद वंदन भास, गाथा - २१.
साधारणजिन स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि मन मंदिर आवो रे कहु; अंतिः श्रीशुभवीर मळ्यो,
गाथा - ९.
२९८३४. आलोचणा, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, ले. स्थल. अहिपुर, जैवे. (२४४१२, १९४५०-५५) २४ जिन परिवारसंख्या विचार, मा.गु., गद्य, आदि: पेलो रीषभदेवजी; अंति: वनणा नमस्कार हुजो. २९८३५. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैये. (१८४१३, ३१x२८).
,
विचार संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., गद्य, आदि (-); अंति: (-), अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९८३६, (+) जेलजीऋषि गुणमाल, संपूर्ण, वि. १८९६ फाल्गुन कृष्ण, ९, बुधवार, मध्यम, पृ. १, ले. स्थल, सोझत, प्रले. मु. हीराचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., जैदे. (२४४११.५, १५X४० ).
"
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जेमलजी ऋषि गुणमाल, मु. भगवानदास, रा., पद्य, वि. १८९१, आदि: पूज्य जेमलजी रो; अंति: पूजता गुणगा
जी, गाथा - १८.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९८३७. (#) सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ३, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे.,
(२१.५४१३, १७४२८). १. पे. नाम. अक्षरबत्रीसी, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. ___ अक्षरबत्रीशी, मु. हिम्मतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७२५, आदि: कका ते किरिया करो; अंति: कियो मुनि हेम हित
आण, गाथा-३३. २. पे. नाम. सपखरो, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण, वि. १८६५, ले.स्थल. पाटण, लिख. मु. देवचंद (गुरु मु. रायचंद),
प्र.ले.पु. सामान्य, पे.वि. श्रीपार्श्वनाथ प्रसादात्.
सखपरो, मा.गु., पद्य, आदि: पंथा धायवो खगेस जोडा; अंति: जीपे तीको दुसरा परम, पद-१. ३. पे. नाम. नेमजिन सज्झाय, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण. नेमराजिमती नवरसो, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: समुद्रविजय सुत चंदलो; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल ४ गाथा १३ अपूर्ण तक है.) २९८३९. नमस्कार महामंत्र सज्झाय व स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, प्र.वि. एक ही पत्र को दो भागों
में मोडा गया है., जैदे., (२३.५४१२, १८x१६). १.पे. नाम. नमस्कार महामंत्र सिझाय, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, मु. जिनप्रभसूरि-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सुखकारण भवियण समरो; अंति: प्रभु सुरवर
सीस रसाल, (वि. प्रतिलेखक ने गाथांक नहीं दिया है.) २. पे. नाम. १६ सती स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: ब्राह्मी चंदनबालिका; अंति: कुर्वंतु वो मंगल, श्लोक-१. ३. पे. नाम. मंगलिक स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
जिनस्तुत्यादि संग्रह , सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. २९८४०. सज्झाय व ज्योतिष संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ६-३(१ से ३)=३, कुल पे. ४, जैदे., (२४.५४१३,
९४३७). १.पे. नाम. गजसुकमाल सीज्झाय, पृ. ४अ-५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. गजसुकुमाल सज्झाय, मु. सिंहसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सिंघसोभाग० राजीयो जी, गाथा-३३,
(पू.वि. गाथा-५ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. सिद्धचक्रनी सीझाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
सिद्धचक्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: जगदंबा प्रणमी कहुं; अंति: कनक उलस्युं देह रे, ढाल-२, गाथा-११. ३. पे. नाम. गरु सीज्झाय, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण. विजयधर्मसूरि भास, मु. मोहन, मा.गु., पद्य, आदि: निजगुरु चरण नमी करी; अंति: लाल हो मोहन दे आशीष,
गाथा-११. ४. पे. नाम. ज्योतिष संग्रह, पृ. ६आ, संपूर्ण. ज्योतिष संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), (वि. दिशायोगिनी, वार अनुसार कालदिशा व
वस्तु ग्रहण विचार.) २९८४१. विवाह गीत - तेजसारकुमार रासे ढाल ७१, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. वडनगर, दे., (२४४१२, १७४३८). तेजसारकुमार रास, मु. रामचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८०८, आदि: स्वस्ति श्रीचंदगुरु; अंति: सिद्धि वंछित वरे,
प्रतिपूर्ण. २९८४२. वंदेत्तुसूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२३.५४१२.५, ९४२४).
वंदित्तुसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु सव्वसिद्धे; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं, गाथा-५०, (वि. मूलसूत्र की सभी
गाथाओं का मात्र प्रतिकपाठ दिया गया है.)
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २९८४४. सज्झाय संग्रह व आदिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२४४११.५, ३९४२१). १.पे. नाम. कामदेवसरावक सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. इस प्रति में कृति का रचनासंवत् वि. १८४२ मिलता है. कामदेव श्रावक सज्झाय, मु. खुशालचंद, मा.गु., पद्य, वि. १८८६, आदि: एक दिन इंद्रे; अंति: खुशालचंद भणसु
उल्लास, गाथा-१७. २. पे. नाम. मरगावतीजेवंतीनी सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मृगावतीजेवंती सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: कहै जेवंती सुण भोजाइ; अंति: सीवपुरी वासो कीधो, गाथा-८. ३. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: प्यारो लागे० ऋषभ; अंति: साहिब थारी जो सेव, गाथा-७. २९८४५. छ आवश्यक विचार स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, दे., (२४४१२.५, १०४२७-३१).
६ आवश्यकविचार स्तवन, वा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिन विनवी; अंति: तेह शिवसंपद लहे,
ढाल-६. २९८४६. (#) पंचपदांरी वंदणा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, दे., (२२.५४११.५, ४३४२८).
जैन सामान्यकृति*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८४७. चतुर्विंशतिजिनाष्टकं सप्रभावं सह विधियुक्त यंत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२४.५४१२, २५४१७).
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि: आदौ नेमिजिनं नौमि; अंति: मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक-८.
२४ जिन स्तोत्र-यंत्र, सं., यं., आदिः (-); अंति: (-), (वि. यंत्र की विधि भी दी गयी है.) २९८४८. नवतत्त्व प्रकरण सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२४.५४१२, १३४४१).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: अणागयद्धा अणंतगुणा, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध *, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम जीवतत्त्व बीजु; अंति: (-), (पूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक
द्वारा अपूर्ण., अंतिम वाक्य नहीं है., वि. लेशमात्र बालावबोध है.) २९८४९. नवग्रह स्तोत्र व गौतम स्तुति, संपूर्ण, वि. १८९७, कार्तिक शुक्ल, १३, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २,
ले.स्थल. कडीनगर, प्रले. मु. खुश्यालचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (१६.५४१२, ११४३४-३८). १. पे. नाम. ग्रहशांति स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण.
__ आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरुं नमस्कृत्य; अंति: ग्रहशांतिविधि शुभं, श्लोक-९. २. पे. नाम. गौतमस्वामी स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
गौतमगणधर स्तुति, सं., पद्य, आदि: यस्याभिधानं मुनयोपि; अंति: यच्छतु वांछितं मे, श्लोक-१. २९८५०. ऋषभदेव लावणी व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. मु. वीरविजय, प्र.ले.पु. सामान्य,
जैदे., (२४४१२, ११४१८). १. पे. नाम. आदिजिन लावणी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. ऋषभदास, मा.गु., पद्य, आदि: सुणीये रे वातां सदा; अंति: देख तमासा फजुरो मे, गाथा-४. २. पे. नाम. ज्योतिष श्लोकसंग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
ज्योतिष श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८५१. पासत्थालक्षण विचार, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२३४१२.५, १३४१४-२५).
जैन सामान्यकृति*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदिः (-); अंति: (-). २९८५३. सकलतीर्थ चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४४१२.५, १२४४७).
सकलतीर्थवंदना, मु. जीवविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सकल तीर्थ वंदु कर; अंति: जिनने करुं प्रणाम, गाथा-१६. २९८५४. चवदैगुणठाणा व अष्टापद स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२३४१२.५, १६४३८).
१. पे. नाम. चवदैगुणठाणा स्तवन, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
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४३०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची सुमतिजिन स्तवन-१४ गुणस्थान विचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., पद्य, वि. १७२९, आदि: सुमतिजिणंद
सुमति; अंति: कहे एम मुनि धरमसी, ढाल-६, गाथा-३४. २. पे. नाम. अष्टापद स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण. अष्टापदतीर्थ स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मनडो अष्टापद मोह्यो; अंति: प्रह उगमते सूरजी,
गाथा-५. २९८५५. ज्योतिषमंडल विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२५.५४१३).
बृहत्संग्रहणी-ज्योतिषमंडल विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: हवै चंद्र १ सूर्य १; अंति: विमान उपाडी चाले छे. २९८५६. चतुरशीतिगच्छ नामानि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२६४१२, १२४३९).
८४ गच्छ नाम, मा.गु., गद्य, आदि: ओसवालगच्छ १ खरतरगच्छ; अति: आत्ममती अध्यात्ममती. २९८५८. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, २३४५७).
विचार संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८५९. निगोदविचार स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२४४१२, १५४४१).
महावीरजिन स्तवन-निगोदविचारगर्भित, मु. क्षमाप्रमोद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रह उठी नमियें सदा; अंति:
क्षमाप्रमोद जगीसए, गाथा-४८. २९८६०. ३१८ बोल कोष्ठक, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५-१(१)=४, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है. प्रतिलेखक ने पत्र १
से प्रारंभ किया है, किन्तु पत्र १ पर बोल ६४ से पाठ मिलता है. अतः पत्र १ को घटते पत्र मानकर पत्र २ से क्रमश: पत्र गिना गया है., जैदे., (२५४१२).
बोल संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८६१. नरकवेदनाविचार गीत, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६४१२.५, २६x४७-५०).
नरकवेदनाविचार गीत, मा.गु., पद्य, आदि: ताकी देता तीरडा तरफड; अंति: होसी घणा खुवार, गाथा-७७. २९८६२. नवकार छंद, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५४१३, १४४३७).
नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: मनवंछित पूरो विविध; अंति: ऋद्धि वांछित लहे,
गाथा-१४. २९८६३. जिनेश्वरगर्भकाल व वीरजिनजन्म वाचन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२५.५४१३, १०४२६).
जिनेश्वर गर्भकाल व महावीरजिन जन्मवाचन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: ऋषभदेवस्वामी नवमास ९; अंति: जनम्या
श्रीमहावीरजी. २९८६४. शांतिजिन स्तवन व मोक्षनगररी सिझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५४१२.५,
१४४३४). १.पे. नाम. शांतिजिन स्तवन, प्र. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सेवा शांतिजिणेसर की; अंति: संघ मंगलकारी बेलो, गाथा-१६. २. पे. नाम. मोक्षनगररी सिझाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मोक्ष सज्झाय, मु. सहजसुंदर, रा., पद्य, आदि: मोक्षनगर माहरु सासरु; अंति: मोक्ष सुठाण रे लाल, गाथा-५. २९८६५. छत्रीसद्वार विचार, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे., (२५.५४११.५).
बोल संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८६६. ब्रह्मबावनी, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, पू.वि. प्रारंभ के पत्र हैं., जैदे., (२५.५४१२.५, १७४५०).
ब्रह्मबावनी, मु. निहालचंद, पुहिं., पद्य, वि. १८०१, आदि: ॐकार अपार परमेश्वर; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-२६
अपूर्ण तक है.) २९८६७. पचखाणनां भांगा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५४१२, १५४५०).
पच्चक्खाण भांगा, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: अन्नत्थणा भोगेण १; अंति: न भाजै पाणस लेणवा. २९८६८. औपदेशिक पद संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२५.५४१२, १३४४२).
बोल
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४३१ १. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. विनय, पुहिं., पद्य, आदि: वात ए विसर गइ कहिजो; अंति: पावै भव को पार सही, गाथा-७. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण..
मु. विनय, पुहिं., पद्य, आदि: वात की समझ परी कहिजो; अंति: प्राणी नमीये भाव धरी, गाथा-५. २९८६९. महावीर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२४.५४१२.५, १२४३१).
महावीरजिनतप स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती सामण बुध द्यौ; अंति: आपो सामी अम धणी, गाथा-११. २९८७०. नमिराज लावणी, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. पीपार, दे., (२६४१२, १६x४२).
नमिराजर्षि लावणी, मु. हीरालाल, पुहि., पद्य, आदि: विदेह देश और मिथिला; अंति: हीरालाल० भागदशा जागी,
ढाल-२. २९८७१. व्याख्यान की पीठिका, मेतारजमुनि सज्झाय व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३१, भाद्रपद शुक्ल, ७, शुक्रवार, मध्यम,
पृ. ३, कुल पे. ३, ले.स्थल. वडगांमनगर, प्रले. पं. दोलतरुचि; पठ. पुनमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५.५४१२.५, १५४३८). १. पे. नाम. वखांण वांचवानी पीठका आत्मभाव, पृ. १अ-३अ, संपूर्ण.
व्याख्यान की पीठिका, मा.गु., गद्य, आदि: नमो अरिहंताण भगवंत; अंति: वाचना प्रवर्तते. २. पे. नाम. मेतारजमुनीदं सझाय, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. मेतारजमुनि सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समदम गुणना आगरुजी; अंति: साधुतणी ए सज्झाय,
गाथा-१४. ३. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. ३आ, संपूर्ण.
सामान्य श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-३, (वि. श्लोक-२ व दूहा-१.) २९८७२. (-) नारकीनी स्तव, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२५४१२.५, १३४३३).
पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिव राणी पदमावती; अंति: पापथी छुटे तत्काळ,
ढाल-३, गाथा-३३. २९८७३. गौडी पार्श्वजिन स्तवन व स्तुति संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, दे., (२५.५४१३, १४४३२). १. पे. नाम. गौडी स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दीपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सुणज्यौ गोडीजी; अंति: दीजै कीजै एतो काम,
गाथा-५. २. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंति: श्रीजिनलाभसूरिंदा जी, गाथा-४. ३. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंतिम पत्र नहीं है.
पुहि., पद्य, आदि: आगे पूरव वार नीवाणु; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-३ अपूर्ण से नहीं है.) २९८७४. सज्झाय संग्रह व श्लोक, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४(१ से ४)=१, कुल पे. ३, जैदे., (२५.५४१२, १६४३६). १. पे. नाम. अवंतीसुकमाल ढालीयां, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. अवंतिसुकुमाल रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १७४१, आदि: (-); अंति: शांतिहरख सुख पावइ रे,
ढाल-१३, (पू.वि. अंतिम ढाल गाथा-५ अपूर्ण से है.) २. पे. नाम. जैन दूहो, पृ. ५अ, संपूर्ण.
जैन गाथा*, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), गाथा-१. ३. पे. नाम. रहनेम सज्झाय, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण.
राजिमतीरथनेमि सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, पुहि., पद्य, आदि: देखी मन देवर का; अंति: ऋद्धिहर्ष कहे एम, गाथा-१५. २९८७६. अठपुहरी पोसह विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२५.५४१२, १४४४३).
पौषधविधि संग्रह, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: रात्रिनै पाछलै घडी; अंति: पोसह रौ नाम लैणो.
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४३२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
२९८७७, (+) सज्झाय व पार्श्वजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें.,
"
जैवे., (२५x१२, १५x४०).
१. पे. नाम. आत्म सिज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाव, मु. आनंद, मा.गु., पद्य, आदि: तोहि बहुत जतन कर राख; अंतिः आनंद भए है हमारे री,
गाथा - ७.
२. पे नाम. चिंतामणिपार्श्व स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण
पार्श्वजिन स्तुति - चिंतामणि, मु. कीर्त्तिसागर, मा.गु., पद्य, वि. १८८४, आदि: अहो पूरव पुन्य उदय; अंतिः कीर्त्ति० गुण गाए रे, गावा-५.
३. पे. नाम. चिंतामणि स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तुति - चिंतामणि, मु. कीर्त्तिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुण साहिब वीनती; अंति: होयज्यो तुम ही देव,
गाथा - ७.
२९८७८. (+) स्तुति व छंद, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५.५X१२, १४४३१).
१. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंतिः ए सफल कीयो अवतार तो, गाथा ४. २. पे, नाम, नमस्कारमहामंत्र छंद, पृ. १अ २अ, संपूर्ण,
नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित० श्रीजिनशासन; अंति: ऋद्धि वांछित लहे,
गाथा - १७.
२९८७९ स्तुति व छंद संग्रह, संपूर्ण, वि. १८६४, फाल्गुन शुक्ल, ८, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ७, प्रले. ग. मुक्तिविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५X१२, ११३७ ).
१. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिन सकल मनोहर बीज; अंति कहे पुरो मनोरथ माव, गाथा-४, २. पे. नाम. कृष्णपंचमी स्तुति, पृ. १अ १आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर बंदीय पाय; अंतिः करो ते अंबा देवीए, गाथा-४,
३. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि एकादशी अति रुअडी; अंतिः सीस० संघतणा निशदिश, गाथा ४. ४. पे. नाम. चतुर्दशी स्तुति, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंतिः सर्वकार्येषु सिद्धं श्लोक-४. ५. पे नाम. संखेश्वरपार्श्व स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण, पे. वि. लिपिकार ने इस स्तुति को ४ बार कहने का उल्लेख किया है.
पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, सं., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वरतीर्थेश; अंति: कल्याण विजजश्रियम्, श्लोक-१.
६. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण, पे.वि. लिपिकार ने इस स्तुति को ४ बार कहने का उल्लेख किया है. सं., पद्य, आदि: वीरं देवं नित्यं; अंतिः सन्नो देवीदेयादंबा, श्लोक - १.
७. पे. नाम. माणिभद्र छंद, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
माणिभद्रवीर छंद, मु.शिवकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीमाणिभद्र सदा अंतिः शिवकीर्ति० सुजस कहे, गाथा-८. २९८८०. पार्श्व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X१२.५, ८×३५).
१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणी, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि जिनपति अवनासी कासी; अंतिः रूपविजय शिवराज हो, गाथा- ६.
२. पे नाम, पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सेवो भवियण जिन; अंतिः राम लहे वर सिध, गाथा- ६.
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४३३
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २९८८१. उपदेशमाला स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, ले.स्थल. कलकत्ता, दे., (२५.५४११.५, १०४३८).
उपदेशमाला स्वाध्याय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: जगचूडामणिभूओ उसभो; अंति: उप्पन्नं केवलं नाणं, गाथा-३३. २९८८३. स्तवन संग्रह व सझाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्र.वि. पत्रांक नहीं दिया गया है., जैदे.,
(२५.५४१२, ११४३८). १. पे. नाम. सुमतिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: सुमतिनाथ साच्या हो; अंति: तोसु दिल राच्या हो, गाथा-५. २. पे. नाम. महावीरजिन पद, प्र. १अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: वीर तेरे पद पंकज; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-४ तक है.) ३. पे. नाम. अभीनंदन तन, पृ. १आ, संपूर्ण.
अभिनंदनजिन स्तवन, उपा. जस, पुहिं., पद्य, आदि: प्रभु तेरे नयन की; अंति: जस कहै। दीयो अवतारि, गाथा-५. ४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. द्यानत, पुहि., पद्य, आदि: केति सुभता कहु उनकी; अंति: पंचमगति कुंपाति, गाथा-३. २९८८४. महावीरजीरो चोढालीयो, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, प्र.वि. इस प्रति में रचनासंवत् वि. १८५२ लिखा गया है., जैदे., (२६४१२, १३४३७). महावीरजिन चौढालिया, मु. रायचंद ऋषि, रा., पद्य, वि. १८३९, आदि: सिद्धार्थकुलमई जी; अंति: कीयो दिवाली
री रात ए, ढाल-४. २९८८६. प्रतिक्रमणनी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, प्रले. श्राव. हरिचंद जयचंद गांधी, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२५४१२.५, १३४३६). प्रतिक्रमण सज्झाय, संबद्ध, पंन्या. रुपविजयजी , मा.गु., पद्य, आदि: कर पडिक्कमणु भावशु; अंति: चेतनजी एम
भव तरशोजी, गाथा-९. २९८८७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२५४१२, १२४३५). १. पे. नाम. मयणसुंदरी सझाय, पृ. ११-१आ, संपूर्ण. मयणासुंदरीसती सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस्वती माता मया करो; अंति: सती नामे आणंद रे,
गाथा-१२. २. पे. नाम. नवपदनी सझाय, पृ. १आ, संपूर्ण. नवपद सज्झाय, मु. उत्तमसागर-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: नवपदमहिमासार सांभलज; अंति: नवपद महिमा
जाणज्यो, गाथा-५.. २९८८८. प्रस्ताविक श्लोक संग्रह सह अर्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४१२.५, ११४३२).
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., पद्य, आदि: तिथरयरांगणहारी सुरबई; अंति: नरै संधातुमायुर्बलं.
प्रास्ताविक श्लोक संग्रह-अर्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अहो महानुभाव उत्पन्न; अंति: माला प्रवर्ते. २९८८९. (+#) विधीपंचवीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. संशोधित. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६४१२,
९४२९).
विधिपंचविंशतिका, ऋ. तेजसिंघ, सं., पद्य, आदि: यदुकुलांबरचंद्रक नेम; अंति: मा पठतीह सुनिश्चय, श्लोक-२६. २९८९१. आठमना तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, प्र.वि. इस प्रति में रचनासंवत् वि. १७३९ बताया गया है., दे., (२५४१२, १२४३३).
अष्टमीतिथि स्तवन, पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: पंचतिरथ प्रणमु सदा; अंति: संघने
कोड कल्याण रे, ढाल-४. २९८९२. औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९६५, फाल्गुन कृष्ण, १, मध्यम, पृ. १, दे., (२५४१२, १०x२८).
औपदेशिक सज्झाय, हिं., पद्य, आदि: नववाटि नवनंबर पाया; अंति: सब ही बात अदुरी, गाथा-१३.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २९८९३. (+) वीरजिन विशेषण व मुहूर्त संग्रह, संपूर्ण, वि. १९३४, ज्येष्ठ अधिकमास शुक्ल, १२, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल
पे. ३, ले.स्थल. रतलाम, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१२.५, १४४२९). १. पे. नाम. वीरजिनविशेषण, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
महावीरजिन विशेषण, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: नमिऊण असुरसुरगुरल; अंति: आगमवाणी प्रकाशकरी. २. पे. नाम. वीरवाणी विशेषण, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. महावीरजिन वाणीविशेषण सवैया, पुहिं., पद्य, आदि: वीर हिमाचल ते निकसी; अंति: ओर छोरासी कहानी है,
गाथा-६. ३. पे. नाम. दीक्षा व विद्यारंभ का मुहूर्त, पृ. २आ, संपूर्ण.
ज्योतिष श्लोक, सं.,मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९८९५. रतनपाल रास, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४११.५, १५४४६).
रत्नपाल रास, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६०, आदि: सकल श्रेणि में दुर; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., ढाल २ गाथा ३ तक है.) २९८९६. विज्ञप्तिलेखन पद्धत्ति, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, पृ.वि. मात्र प्रथम पत्र है., जैदे., (२६४१२.५, १९४५०).
विज्ञप्तिलेखन पद्धति, सं., गद्य, आदि: स्वस्ति श्रीमहिमान; अंति: (-). २९८९७. शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२६४१२, ८x१८).
शांतिजिन स्तवन, रा., पद्य, आदि: शांतिजिनेसर सवरीये; अंति: रीषभदेव री वाणी, (वि. गाथांक नहीं दिया गया है.) २९८९८. अर्बदगीर स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६४१२.५, १४४३१).
अर्बुदगिरितीर्थ यात्रावर्णन स्तवन, मु. हेम, मा.गु., पद्य, वि. १८२७, आदि: सरसती प्रणमु पाय; अंति: चरणानी
होज्यो सेव, गाथा-२३. २९८९९. रोहणीरी कथा, संपूर्ण, वि. १९२५, फाल्गुन कृष्ण, ३, मध्यम, पृ. ३, ले.स्थल. विक्रमपुर, प्रले. मु. चेनजी, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२४.५४१२, १३४३८-४३).
रोहिणीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदि: उच्चिट्ठमसुंदरयं; अंति: क्षय करी मुगतै गया. २९९०१. पार्श्वनाथजी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, १२४३६).
पार्श्वजिन स्तवन, मु. कीरत, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसुगुरु चिंतामणि; अंति: प्रभु पारसनाथ कीयै, गाथा-१५. २९९०२. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२६-२६.१४११, १२४४७). १.पे. नाम. चिंतामणिपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि, मु. देवकुशल पाठक, सं., पद्य, आदि: नमद्देवनागेंद्रमंदार; अंति: चिंतामणिः पार्श्वः,
श्लोक-७. २. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वर, सं., पद्य, आदि: ॐ नमः पार्श्वनाथाय; अंति: पूरय मे वांछितं नाथ, श्लोक-५. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. १आ, संपूर्ण. मु. शिवसुंदर, सं., पद्य, आदि: वरसं वरसं वरसंवरस; अंति: शिवसुंदरसौख्यभरम, श्लोक-७, (वि. श्लोकानुक्रम नहीं
दिया गया है.) २९९०३. देव वांदवानी विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४१२.५, १२४२८).
देववंदन विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम इरियावही; अंति: जैन जयति शासनं. २९९०४. वसुधारा धारीणी, अपूर्ण, वि. १८७२, आश्विन कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ६-२(१ से २)=४, ले.स्थल. भागनगर, प्रले. पं. केसरविजय, प्र.ले.पु. मध्यम, जैदे., (२६४१२.५, १२४३९).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: मभ्यनंदन्निति. २९९०५. जिनअष्टक स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२८x१२.५, १६४३३).
जिनअष्टक स्तोत्र, श्राव. दामोदर, सं., पद्य, आदि: मोक्षमार्गस्य नेतारं; अंति: पत्र मराल शुभोदंतः, श्लोक-८.
पूण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७ २९९०६. पंचमीमहात्म्य, रोहिणी कथा व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२७.५४१२, १२४३६). १. पे. नाम. ज्ञानपंचमीमहिमा कथा, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
पंचमीतपमाहात्म्य कथा, मु. खूबचंद, सं., गद्य, आदि: चतुर्विंशतिं जिन; अंति: हितार्थे मुनि खूबचंद. २. पे. नाम. क्रोध त्यजने संबंधि श्लोक, पृ. २आ, संपूर्ण.
जैन श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. ३. पे. नाम. रोहिणी कथा, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: चंपानगरीयै श्रीवासु; अंति: थई ते माटे कह्यु छे. २९९०७. वीसथानकतप गणणु, संपूर्ण, वि. १८७७, ज्येष्ठ शुक्ल, १, श्रेष्ठ, पृ. १, ले.स्थल. मांडल, प्रले. मु. ज्ञानवर्द्धन; पठ. ग. गुलाबविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१२, १०४३८).
२० स्थानकतप गणणु, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीअरिहंतभक्ति; अंति: तीर्थंकर गोत्र पामे. २९९०९. (+#) नवतत्व प्रकरण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १८५९, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. मांडवी, प्रले. मु. शिवजी ऋषि (गुरु
मु. वर्द्धमान ऋषि); लिख. श्रावि. चोथीबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. ज्ञानपंचमी उद्यापनार्थे लिखापितं, टिप्पण युक्त विशेष पाठ. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२.५, ६४३९).
नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., पद्य, आदि: जीवाजीवा पुण्णं पावा; अंति: नवनवजोयण भवे परमो, गाथा-४८.
नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: जीवतत्त्व अजीवतत्त्व; अंति: नव जोजननो विषय जाणवो. २९९१०. पाशाकेवली, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, जैदे., (२६४१२.५, ११४३०).
पाशाकेवली-भाषा*, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: १११ उत्तम सर्वकार्य; अंति: प्रभावै भलो होसी. २९९११. प्रश्नोत्तररत्नमाला सह टबार्थ, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५-३(१ से ३)=२, पू.वि. श्लोक-८ अपूर्ण से है., जैदे., (२६.५४११.५, ६४३४).
प्रश्नोत्तररत्नमाला, आ. विमलसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: कंठगता किं न भूषयति, श्लोक-२९.
प्रश्नोत्तररत्नमाला-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: रही अपितो विभूषइ. २९९१२. स्तवनचौवीसी, अपूर्ण, वि. १८३९, ज्येष्ठ शुक्ल, ५, श्रेष्ठ, पृ. ४-२(१ से २)=२, ले.स्थल. नौतनपुर, जैदे., (२५.५४११.५, १६४४६). स्तवनचौवीशी, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: ध्याने माचेजी, स्तवन-२४,
(पू.वि. विमलजिन स्तवन प्रारंभ तक नहीं है.) २९९१४. २० विहरमानजिन स्तवन व राजुलइकवीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७.५४१३,
१०x४३). १. पे. नाम. वीसविहरमानजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. विहरमान २० जिन स्तवन, मु. जैमल ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८५२, आदि: श्रीसीमंधर साहिबा हो; अंति: वद तेरस
मीगसर मास, गाथा-११. २. पे. नाम. राजुलइकवीसी, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. राजिमतीसती इकवीसी, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८५२, आदि: सासननायक सुमरिय; अंति: सुदि
पांचम मंगलवार, गाथा-२१. २९९१५. चोवीस तीर्थंकरोना जन्म मास दिन, संपूर्ण, वि. १९६४, कार्तिक कृष्ण, १०, शनिवार, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२६.५४१२.५, १३४३०-३२).
जैन सामान्यकृति , प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९९१६. (-) वसुधारा स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. अशुद्ध पाठ., जैदे., (२६४१२.५, ८-१३४२०).
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, आदि: संसारद्वयदैन्यस्य; अति: (-), अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९९१७. विचार संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२६.५४१२).
१. पे. नाम. इरीयावही भेद १८२४१२०, पृ. १अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची इरियावही १८२४१२० भेद, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि: १५ करम भूम ५ भरत ५; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. २. पे. नाम. अजीव भेद, पृ. १आ, संपूर्ण.
अजीव ५३० भेद, मा.गु., गद्य, आदि: कालावरणमाहिइं रस ५; अंति: लांबी म्ही ५३० सरलेइ. ३. पे. नाम. सरूपीभेद त्रीसलाख, पृ. १आ, संपूर्ण.
अरूपीभेद वर्णन, मा.गु., गद्य, आदि: अरूपी भेद ३ धर्मास्त; अंति: क्षेत्रथी चउदा राज. २९९१८. नवकारमंत्र सह बालावबोध, संपूर्ण, वि. १८३२, वैशाख कृष्ण, १३, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. द्राफा, प्रले. य. नेणसी, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, १३४३४).
नमस्कार महामंत्र, शाश्वत , प्रा., पद्य, आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: नमो लोए सव्वसाहुणं, पद-५.
नमस्कार महामंत्र-बालावबोध , मा.गु., गद्य, आदि: बारसगुण अरिहंता; अति: वंदना सदा सर्वदा होइ. २९९२०. अढारनातरानी सजाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, दे., (२७४१३, १२४४०-४३).
१८ नातरा सज्झाय, मु. हेतविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहेला ते समरूं पास; अंति: काई हेतविजय गुण गाय,
ढाल-३. २९९२१. द्विजवदन चपेटा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२६.५४१३, १२४३५).
द्विजमुखचपेटा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदि: सद्भूत भाव्यर्थविकास; अंति: (-), (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., श्लोक ८८ तक लिखा है.) २९९२२. पुण्यफल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२, १५४३९).
सर्वार्थसिद्धविमानवर्णन सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगदानंदन गुणनीलो रे; अंति: पुन्य थकी फले
आसो रे, गाथा-१६.. २९९२४. सूतकनिर्णय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२.५, ७४४०).
सूतकनिर्णय, सं., गद्य, आदि: ननु श्रीखरतरगच्छे; अंति: दुगंछीए पिंडगहणे अ. २९९२५. चौवीसजिन यक्षयक्षिणीस्वरुप कथन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, प्र.वि. द्विपाठ., जैदे., (२६४१२.५, १२४५२).
चतुर्विंशतिजिन यक्षयक्षिणी स्वरुप, सं., गद्य, आदि: यथा प्रथमजिनस्य; अंति: स्वरूपनिरूपितामिति. २९९२६. (#) मौनएकादसी स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. अक्षर पत्रों पर आमने-सामने छप गए हैं, जैदे., (२६.५४१२, १३४३९). मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६९, आदि: द्वारिकानयरी समोसर्य; अंति:
मंगलमाला महेमहेजी, ढाल-३, गाथा-२५. २९९२७. (+) दयाछत्तीसी, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित., दे., (२६४१४, १६४३०). दयाछत्रीसी, मु. चिदानंदजी, मा.गु., पद्य, वि. १९०५, आदि: चरणकमल गुरूदेव के अंति: कृपाथी सफल फलि
मन आश, गाथा-३६. २९९२८. बासठ बोल व अंगुलमान, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२७४१२.५, २१४५५). १. पे. नाम. ६२ मार्गणाद्वार विचार, पृ. १अ-२आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: गइ ४ इंदिय ५ काए ६; अंति: अज्ञान ३ लेश्या ६. २. पे. नाम. अंगुलमान विचार, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., गद्य, आदि: उ० उत्सेधांगल; अंति: एक अंगुल विष्कंभ. २९९२९. स्तवन, चैत्यवंदनादि संग्रह, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, कुल पे. ८, जैदे., (२७४१३, ११४३३). १. पे. नाम. श्रीसिद्धचक्र, पृ. १अ, संपूर्ण. सिद्धचक्र स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोत्रीस अतिशय सोहतो; अंति: लही पद्मविजय कहत,
गाथा-७.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४३७ २. पे. नाम. विंशतिस्थानकनामगर्भित नमस्कार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. विंशतिस्थानक नामगर्भित नमस्कार, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहेले पद अरिहंत नमुं; अंति: नमतां
होय सुख खाणी, गाथा-५. ३. पे. नाम. विंशतिस्थानक, पृ. १आ, संपूर्ण. वीशस्थानक चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीस पन्नर; अंति: नमी निज कारज साधे,
गाथा-५. ४. पे. नाम. द्वितीया नमस्कार, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. बीजतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दुविध धर्म जिणे; अंति: नमता होइ सुख खाणी,
गाथा-७. ५. पे. नाम. अष्टमी नमस्कार, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
अष्टमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: महा सुदि आठमने दिने; अंति: पद्मनी सेवाथी
शिववास, गाथा-७. ६. पे. नाम. पंचमी नमस्कार, पृ. २आ, संपूर्ण. __पंचमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गद्य, आदि: बार परषदा आगले; अंति: नमी थाये शिवभुक्त,
गाथा-५. ७. पे. नाम. अट्ठाईधर नमस्कार, पृ. २आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पर्व पजुसण आवीया; अंति: मनी वाणि सुणो उपाति,
गाथा-४. ८. पे. नाम. सीमंधर स्तुति, पृ. ३अ, संपूर्ण. सीमंधरजिन स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: वहेलु शिवसुख थायजी, गाथा-४, (अपूर्ण,
पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-१ अपूर्ण से प्रारंभ है.) २९९३०. (#) पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२,
१३४३४). १.पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
औपदेशिक होरी पद, पुहिं., पद्य, आदि: होली खेलो भविक मन; अंति: तेरा पाप सबल थरकै, गाथा-४. २. पे. नाम. धर्मजिन-होरी, पृ. १अ, संपूर्ण.
धर्मजिन होरी, मु. सुधक्षमा, पुहिं., पद्य, आदि: मधुवन में जाय मची हो; अंति: क्षमा कहै करजोडी, गाथा-२. ३. पे. नाम. नेमराजुल पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. चंद, पुहिं., पद्य, आदि: यादव मन मेरो हर लीयो; अंति: कहे मन हर लीयोरे, गाथा-५. ४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. जिनचंद्र, पुहिं., पद्य, आदि: जय बोलो पास जिनेसर; अंति: छाया सुरतरु की, गाथा-७. ५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद-अजीमगंज, पुहिं., पद्य, आदि: सोभा अजब बनी जिन; अंति: रचना मंदिर सुंदर की, गाथा-३. २९९३१. पद संग्रह व औषध, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. १२, दे., (२६.५४१२.५, ११४३३).
१. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण. __उपा. समयसुंदर गणि, पुहि., पद्य, आदि: प्रभु थारो रूप वन्यो; अंति: सफल जनम वाहूंको, गाथा-५. २. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण. आदिजिन पद-केसरीया, श्राव. ऋषभदास, पुहिं., पद्य, आदि: केसरीया से लागो; अंति: दीजो सिवपुर ठाम,
गाथा-४. ३. पे. नाम. लिंगद्रढकरण उपाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची औषधवैद्यक संग्रह*, सं.,प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन सकल वियापक होइ; अंति: आनंदघन सब सोई, गाथा-२. ५. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण..
मु. भूधर, पुहिं., पद्य, आदि: चालो री सखी प्रभु; अंति: जस वास भयो सुखकारीयै, गाथा-३. ६.पे. नाम. नेमराजुल पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, मु. लक्ष्मीकीर्ति, रा., पद्य, आदि: पीयाजी थानै बरजा; अंति: आवागुण अबिछेह, गाथा-५. ७. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चालो शिखरगिरि वंदन; अंति: मेटौ भव को फंदन, गाथा-४. ८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: चेतन चतुर चोगान लरी; अंति: आनंदघन पद पकरी री, गाथा-३. ९. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. अनिएचंद, पुहि., पद्य, आदि: डगरा बताय दे पाहरीया; अंति: सिवपुर की है निवास, गाथा-७. १०. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहि., पद्य, आदि: रे परदेसी भमरा यौ; अंति: आनंद उर न समाय रे, गाथा-३. ११. पे. नाम. सुदर्शनशेठ पद, पृ. २आ, संपूर्ण..
सुदर्शनसेठ पद, मु. गंगादास, पुहिं., पद्य, आदि: शील सुदर्शन सेठने; अंति: पोहचो पद निरबांनी, गाथा-२. १२. पे. नाम. नेमराजुल पद, पृ. २आ, संपूर्ण..
नेमराजिमती पद, मु. रतनचंद, पुहि., पद्य, आदि: नेम पीया वीन कैसै; अंति: मांगत आपसु अरजी आई, गाथा-६. २९९३२. महावीरजिनविनती स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२, १०x४१).
महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: वीर सुणो मुज विनती; अंति: थुण्यो त्रिभुवन
तिलो, गाथा-१९. २९९३३. माणिभद्रजीरो छांद, संपूर्ण, वि. १९५२, श्रावण शुक्ल, १, मध्यम, पृ. २, पठ. मृगराज, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२८x१५, १२४२६). माणिभद्रवीर छंद, मु. उदयकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: सरस वचन द्यो सरसती; अंति: लाख लाख रीझा लहे,
गाथा-२६. २९९३५. सिधाचलनुं स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. कपडवंज, प्रले. रतनलाल माली, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२८x१४.५, १३४२८). शजयतीर्थ स्तवन, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: माहरु डुंगरीये मन; अंति: सिद्धिविजय सुखवास हो,
गाथा-१४. २९९३७. (+) जीवविचार सूत्र व अढारसंबंध श्लोक, संपूर्ण, वि. १९८०, ज्येष्ठ कृष्ण, ३, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. लक्ष्मणपुर, प्रले. मु. जोधराज ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., दे., (२६.५४१३, १२४२०-३०). १. पे. नाम. जीवविचार सूत्र, पृ. १आ-४आ, संपूर्ण. जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भुवणपईवं वीरं नमिऊण; अंति: रुद्दाओ सुयसमुद्दाओ,
गाथा-५१. २. पे. नाम. अढारसंबंध श्लोक, पृ. ४आ, संपूर्ण.
जैन श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-३. २९९३९. (+) विवाहचूलिका के नवमप्राभृत का अष्टमउद्देश, संपूर्ण, वि. १९७१, चैत्र शुक्ल, १४, मध्यम, पृ. १,
प्रले. मु. हीरालाल, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., दे., (२६.५४१३, २६४५६).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
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विवाहचूलिका, प्रा., गद्य, आदि: (-); अंति: ( - ), प्रतिपूर्ण
२९९४१. स्तुति संग्रह व सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. १९, जैदे., (२७.५X१२.५, १५X४०). १. पे नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: अविरल कुवल गवल; अंति: देवी श्रुतोच्चयम्, श्लोक-४.
२. पे नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
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आदिजिन स्तुति-अर्बुदगिरिमंडन, प्रा., पद्य, आदि: वरमुक्तियहार सुतार; अंति: सुहाणि कुणे सुसया, गाथा ४. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - पलांकित जेसलमेरमंडन, पृ. १अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: शमदमोत्तमवस्तुमहापणं; अंति: जयतु सा जिनशासनदेवता, श्लोक-४.
गाथा- ४.
६. पे नाम, नेमिजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सुर असुर वंदित पाय; अंति: मंगला कर देखिये, गाथा-४.
७. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, पृ. १आ - २अ, संपूर्ण.
४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तुति - समवसरणभावगर्भित, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
आ. जिनकुशलसूरि, सं., पद्य, आदि: हर्षनतासुरनिर्जरलोकं अंतिः पमज्जन शस्तनिजाघ, श्लोक-४.
५. पे. नाम. वीर स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
महावीरजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि; मुरति मनमोहन कंचन; अंतिः इम श्रीजिनलाभसूरिंद,
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक; अंतिः श्रीजिनलाभसूरिंदाजी, गाथा- ४. ८. पे नाम. पार्श्वजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: अश्वसेन नरेसर वामा; अंतिः कलत्र बहु वित्त, गाथा ४.
९. पे. नाम. नेमिजिन स्तुति, पृ. २अ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: गिरनार सिहर पर नेम; अंतिः आस फले सुजगीस, गाथा-४, १०. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. २अ २आ, संपूर्ण.
समवसरण स्तुति, मु. जयत, मा.गु., पच, आदि मिल चौविह सुरवर; अंतिः पामै जयति सुनाणी, गाथा-४. ११. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: वीरं देवं नित्यं; अंति: दद्यात्सौख्यम्, श्लोक-४.
१२. पे. नाम. २४ जिन स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
अप., पद्य, आदि भरहेसर कारियदेवहरे; अंतिः विगणंतु अणंतवहंसगुणा, गाथा-२.
१३. पे नाम, अष्टमीतिथि स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण,
आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: चोवीसे जिनवर प्रणमुं अंति: इम जीवित जनम प्रमाण, गाथा-४.
१४. पे. नाम. दिपावलीपर्व स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
४३९
दीपावलीपर्व स्तुति, मु. चंद्रविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धारथ ताता जगत; अंतिः जपे एहवी वाणी, गाथा-४, १५. पे. नाम. पर्युषणपर्व स्तुति, पृ. २आ - ३अ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि बलि वलि हुं घ्यावं; अंतिः कहै जिनलाभसुरींद, गाथा-४,
१६. पे नाम. पंचमी स्तुति, पृ. ३अ संपूर्ण
मिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन; अंति: सफल करी अवतार तो,
गाथा- ४.
१७. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि दिन सकल मनोहर बीज; अंतिः कठै पूर मनोरथ माय गाथा ४. १८. पे. नाम. महावीर स्तुति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., पद्य, आदि: स्नातस्याप्रतिमस्य; अंतिः कार्येषु सिद्धिम्, श्लोक - ४.
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४४०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १९. पे. नाम. तसबीनी सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण. तसबी सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: कहिये चतुर नर ते कुण; अंति: मोहन कह बुधरासी रे,
गाथा-५. २९९४२. (#) स्तवन-सझाय व चैत्यवंदन, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३५-३२(१ से ३२)=३, कुल पे. ३, प्र.वि. अक्षरों की
स्याही फैल गयी है, जैदे., (२६.५४१२.५, ७४२८). १. पे. नाम. वीर स्तुति, पृ. ३३अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
स्तवनचौवीशी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जीवन प्राण आधारो रे, (पू.वि. मात्र
____ अंतिम गाथा की आधी पंक्ति है.) २. पे. नाम. सरावकरी करणी, पृ. ३३अ-३५अ, संपूर्ण. श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करणी छै दुखहरणी एह,
गाथा-२२. ३. पे. नाम. २४ जिन परिवार सज्झाय, पृ. ३५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
२४ जिन परिवार स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: चउवीस तिथंकरनौ; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ४ अपूर्ण तक है.) २९९४४. स्तवनादि, चैत्यवंदन व सवैया, संपूर्ण, वि. १९२८, माघ कृष्ण, ९, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४,
ले.स्थल. पादलिप्तनगर, प्रले. प्रेमचंद जेठाचंद भोजक; पठ. सा. दोलतश्री, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१३, १४४४१). १. पे. नाम. श्रीपालमयणा स्वाध्याय, पृ. १अ, संपूर्ण. श्रीपालमयणा सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गुरू नमतां गुण उपजे; अंति: मोहन सहज स्वभाव,
गाथा-९. २. पे. नाम. विंशतिस्थानकनामगर्भित नमस्कार, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. २० स्थानकतप चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पहेले पद अरिहत नमु; अंति: नमतां होय सुख
खाणी, गाथा-५. ३. पे. नाम. विंशतिस्थानक चइतवंदनगर्भित नमस्कार, पृ. १आ, संपूर्ण. २० स्थानकतप काउसग्ग चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चोविसनो २४ पन्नरनो; अंति: नमी निज
कारज साधे, गाथा-५. ४. पे. नाम. गुरुगुण सवैया, पृ. १आ, संपूर्ण.
गुरुगरिमा सवैया, मु. बालचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: तरण तारण गरु तारे; अंति: गुरु तारे भवपार ए, गाथा-३. २९९४६. ४५ आगमनो गणणो, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७७१३.५, १६४१८-३९).
४५ आगमतप विधि, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: पिस्तालीस आगमनुं गुण; अंति: काउसग्ग १० नवकार २०. २९९४७. शनीश्चर कथा व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. ५, जैदे., (२७४१२.५, १६४३५). १. पे. नाम. सनीसर कथा, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
शनिश्चर कथा, सं., पद्य, आदिः (-); अति: पीडा न भवंती कदाचित, श्लोक-२९, (पू.वि. मात्र अंतिम २ श्लोक हैं.) २. पे. नाम. मौनएकादशीपर्व स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६८१, आदि: समवसरण बेठा भगवंत; अंति: समय० कहे द्यो बाहडी,
गाथा-१३. ३. पे. नाम. नवपद स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
सिद्धचक्र स्तवन, मु. लालचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नवपद ध्यान धरो रे; अंति: सुरतरु बीज वरो रे, गाथा-३. ४. पे. नाम. संभवजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
आ. उदयसागरसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: संभवजिननी सेवा प्यार; अंति: धन कीरत देजौ हौ, गाथा-५. ५. पे. नाम. गौडी पार्श्वजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४४१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीगौडीपुरमंडण प्रभ; अंति: क्षमाकल्याण
सुवायाहौ, गाथा-८, (वि. प्रतिलेखकने एक ही गाथा की दो-दो गाथा गिनी हुई है.) २९९४८. थंभण पार्श्वनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७७१३, १४४४०).
पार्श्वजिन स्तवन-स्तंभनतीर्थ, वा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभु प्रणमुरे पास; अंति: आणी कुशललाभ
पयंपए, ढाल-५, गाथा-३५. २९९४९. सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, जैदे., (२७.५४१३, १७४३६). १. पे. नाम. धन्नाजी सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण, प्रले. मु. कस्तुरचंद्र ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य. धन्नाअणगार सज्झाय, मु. रामविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सीआला मे सिघणो रे धन; अंति: पोता मुगती मजार,
गाथा-१७. २. पे. नाम. गुरुगुण सज्झाय, पृ. २आ, अपूर्ण, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
ऋ. रायचंदजी, पुहिं., पद्य, वि. १८४०, आदि: गुरु अमृत ज्यु लागे; अंति: (-), (पू.वि. गाथा १० अपूर्ण तक है.) २९९५०. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२७७१३, १२४३६). १. पे. नाम. आदिनाथ स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मु. महिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: बालूडो निसनेही थयो; अंति: महिमा शिवसुख थाय,
गाथा-५. २. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वंदो वीरजिनेश्वर राय; अंति: सेवक जिनगुणगाया रे,
गाथा-७. २९९५२. पद्मावती आराधना, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. धनपूरदूर्ग, प्रले. मु. तेजसी ऋषि; पठ. मु. गुला ऋषि (गुरु मु. वनेचंद ऋषि), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१२, ११४२७). पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हिवे राणी पद्मावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल,
ढाल-३, गाथा-३५. २९९५३. चतुर्मासिक व्याख्यान, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, जैदे., (२६.५४१२.५, १७४६८).
चातुर्मासिक व्याख्यान, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है व प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण. २९९५४. सीधाचल स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४११.५, ५४३८).
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., पद्य, आदि: विमलाचल नित वंदीये; अंति: लहे ते नर चिर
नंदे, गाथा-५. २९९५५. (+) अढारनातरा सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२६.५४१३.५, १२४४२-४४).
१८ नातरा सज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पेहेलोने प्रणमुरे; अंति: गुण गाय रे मन रंगीला, ढाल-३,
गाथा-३३. २९९५६. गोउतमस्वामीनो रास, संपूर्ण, वि. १९४०, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, शुक्रवार, मध्यम, पृ. ४, प्र.वि. प्रतिलेखन पुष्पिका मिटाई हुई है., दे., (२६४१३, १३४३८). गौतमस्वामी रास, आ. विजयभद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति: विजयभद्र० ईम
भणै ए, ढाल-६, गाथा-६५. २९९५७. (+) श्रीमदादिजिनवराणां स्तोत्रं, संपूर्ण, वि. १९२३, वैशाख शुक्ल, ११, मध्यम, पृ. २, प्रले. मु. अबीरचंद जती, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें., दे., (२६४१३, १२४३३-३७).
आदिजिन स्तव, ग. लक्ष्मीकल्लोल, सं., पद्य, आदि: श्रीनाभिभूपाल विशाल; अंति: मुक्ताक्षरनद्धवृत्तं, श्लोक-२३. २९९५८. पद्मावती स्तोत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, दे., (२७४१३, १६x४७).
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., पद्य, आदि: श्रीमद्गीर्वाणचक्र; अंति: तस्य पद्मावती स्वयं, श्लोक-३२. २९९६०. पार्श्वजिन स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२७.५४१३, १२४४८).
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४४२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. शिवजी, मा.गु., पद्य, आदि: सांभल शिवपुरगामी; अंति: सेवक शिवजीने साता रे, गाथा-८. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन, पृ. १अ, संपूर्ण.
वा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: स्या माटे साहिब साहम; अंति: लाभे शिवपुर लाछो, गाथा-५. २९९६१. संद्धिपालक कथा, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. मेस्वरगाम, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६४१३, १४४३३).
संधिपालक कथा, मा.गु., गद्य, आदि: हीवे संद्धिपालक ते; अंति: संधिपालक हतो हवा. २९९६२. स्तोत्र, स्तवन, श्लोक व यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४१३, १६४३२). १. पे. नाम. चतुर्वीसतीर्थ की स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि: आदौ नेमिजिनं नौमि; अंति: मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक-८. २. पे. नाम. अंतरीक्षपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.. पार्श्वजिन स्तवन-अंतरीक्ष, मु. गजेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअंतरिक्ष प्रभू; अंति: नरा पूजे पासजिणंदा,
गाथा-१३. ३. पे. नाम. श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण.
सामान्य श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-१. ४. पे. नाम. पासठियो यंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
__ मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह*, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-). २९९६३. नेमराजुल बारमासो, संपूर्ण, वि. १९५२, श्रावण शुक्ल, ५, मध्यम, पृ. १, दे., (२८x१५, १२४२९).
नेमराजिमती बारमासो, मु. कान कवि, मा.गु., पद्य, आदि: राणी राजुलनो भरतार; अंति: करजोडी कहे कवि कान,
गाथा-१३. २९९६४. अजित स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. य. रामचंद्र, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२४.५४१३.५, २५४१५).
अजितजिन स्तवन, मु. बालचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १९३०, आदि: अजित अजित सब शत्रु; अंति: द्यो श्रीकार
जिनंदजी, गाथा-७. २९९६५. गुरुभक्ति गीत, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. फलोदी, प्रले. मु. धनराज, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७४१४, १५४३४).
गुरुभक्ति गीत, मु. जगरुप, मा.गु., पद्य, आदि: मनुष्य जन्म योनि रसे; अंति: परम उल्लासो जी, गाथा-२०. २९९६६. (+) स्तवन व पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ७, प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित.,
जैदे., (२०x१३.५, ३३४३२). १.पे. नाम. चौतिसअतिसयरोतवन, पृ. १अ, संपूर्ण. ३४ अतिशय स्तवन, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: जिन चउवीसे अतिशय; अंति: पासचंदसूरि संथुण्या,
ढाल-४. २. पे. नाम. आदिजिन पद-धुलेवामंडन, पृ. १अ, संपूर्ण.
ऋषभदास, पुहिं., पद्य, आदि: मै तुमसे यारी किनी; अंति: तुम साहिब हम बंदा वै, गाथा-३. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. रूपविजय, पुहिं., पद्य, आदि: सरस चरण शरण ग्रही; अंति: रूपविजय सार कारकें, गाथा-४. ४. पे. नाम. तीरथपतीस्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: आदि जिणंद० विनतडी; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
मात्र प्रथम गाथा ही लिखी है.) ५. पे. नाम. गुरु भास, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. सरुप, मा.गु., पद्य, वि. १८८७, आदि: सरसति शुभमति देज्यौ; अंति: दृष्टि निहालो रे, गाथा-४.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४४३ ६. पे. नाम. जयचंदसूरि पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: आज धन घडी आय फरसैं; अंति: जैचंदसूरि भेट्यो है, गाथा-३. ७. पे. नाम. कृतिओं की नामानुक्रमणिका, पृ. १आ, संपूर्ण...
जैन सामान्यकृति*, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). २९९६७. शाश्वताजिनभुवन स्तवन सूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९५३, फाल्गुन कृष्ण, १०, मध्यम, पृ. ३, प्रले. मु. पद्मसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (८९) कड कुंभी कड वांकडा, दे., (२७४१४, ६x२९-३३).
शाश्वतचैत्य स्तव, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: सिरिउसह वद्धमाणं; अंति: तु भवियाण सिद्धिसुहं, गाथा-२४.
शाश्वतचैत्य स्तव-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: ऋषभनाथ वर्द्धमान; अंति: सिद्धिसुख प्रते. २९९६८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. ८, जैदे., (२७४१४.५, १६४४२). १. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पुक्खलवइ विजया जयो; अंति: भयभंजण भगवंत, गाथा-७. २. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
क. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो चंदाजी सीमंधर; अंति: वाधे मुज मन अतिनूरो, गाथा-७. ३. पे. नाम. युगमंधरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
पं. जिनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीयुगमंधरने कहेजो; अंति: पंडित जिनविजये गायो, गाथा-९. ४. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. कनकसौभाग्य शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभुजी सीमंधरस्वामी; अंति: भवियण गुण गावसे जी, गाथा-६. ५. पे. नाम. सिद्धाचलजिन स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थस्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: यात्रा नवाणु करीए; अंति: पद्म कहै भव तरीयै, गाथा-१०. ६. पे. नाम. पंचतीर्थी चैत्यवंदन, पृ. २अ, संपूर्ण. पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: आज देव अरिहंत नमुं; अंति: पहोंचे मननी
आश, गाथा-५. ७. पे. नाम. पंचपर्मेष्टी चैत्यवंदण, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण. साधारणजिन चैत्यवंदन-पंचपरमेष्ठिगुणगर्भित, आ. नयविमल, मा.गु., पद्य, आदि: बार गुण अरिहंतदेव; अंति:
नय प्रणमे नितसार, गाथा-३. ८. पे. नाम. आदिजिन स्तवन-केशरीयाजी, पृ. २आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-केसरीयाजी, मु. रत्न, मा.गु., पद्य, आदि: सखि रेजागती जोत; अंति: रत्न हीये धर लीधी,
गाथा-९. २९९६९. दादाजी स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६४१२.५, ११४४६).
जिनकुशलसूरि गीत, पा. साधुकीर्ति, मा.गु., पद्य, आदि: विलसे रिद्धि समृद्धि; अंति: साधुकिरति पाठक भाखै,
गाथा-१५. २९९७०. (#) शत्रुजयतीर्थे मोतीशाट्रॅक स्तवन व वरघोडानी ढाल, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, प्र.वि. अक्षरों
की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२१x१३, ९-१५४२५-३२). १. पे. नाम. वरघोडानी ढाल, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
रथयात्रावर्णन पद, मा.गु., पद्य, आदि: हवे सामग्री सवि सज्ज; अंति: सेठ धरता धरमनी टेक, गाथा-१५. २. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थे मोतीशाट्रॅक स्तवन- इतिहासयुक्त, पृ. २अ-४आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
__ पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: उठी प्रभाते प्रभु; अंति: (-), (पू.वि. ढाल-५ गाथा-२ तक है.) २९९७१. श्रावककरणी व सम्यक्त्वसुखलडी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९२३, ज्येष्ठ कृष्ण, ११, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २,
ले.स्थल. इंदोर, प्रले. मु. देवकरण, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७४१४, ९x१७). १. पे. नाम. जिनहरषकंत श्रावकाकरणी, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण.
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४४४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावक तुं उठे परभात; अंति: करणी दुखहरणी छे एह,
गाथा-२२. २. पे. नाम. समकित की सीज्झाय, पृ. ४अ-४आ, संपूर्ण.
सम्यक्त्वसुखडी सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: चाखो नर समकित सुखडली; अंति: दर्शनने प्यारी रे, गाथा-५. २९९७२. समकितसडसट्टबोलनी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९३७, फाल्गुन कृष्ण, ९, गुरुवार, मध्यम, पृ. ४, ले.स्थल. पाटण, प्रले. जयशंकर मूलजी ब्राह्मण, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७७१३.५, १३४३७). समकितना सडसठबोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजीगणि, मा.गु., पद्य, आदि: सुकृतवल्लि कादंबिनी; अंति:
वाचक जस इम बोले रे, ढाल-१२, गाथा-६८.. २९९७३. पद संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ५, जैदे., गुटका, (१८x१३, १७४२५). १. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: क्या सोवै उठि जाग; अंति: निरंजन देव गाउं रे, गाथा-३. २. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: जीय जानै मेरी सफल; अंति: नर मोह्यो माया ककरी, गाथा-३. ३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: सुहागणि जागी अनुभव; अंति: अकथ कहानी कोइ, गाथा-४. ४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: माहरओ बालूडो सन्यासी; अंति: सारी सीझे काज सवारी, गाथा-४. ५. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, आदि: माहरो मोहनइ कब; अंति: को नवि विलगें चेलू, गाथा-२. २९९७४. (#) प्रभाति, पद, स्तवन संग्रह व श्लोक, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-१(१)=३, कुल पे. १५, प्र.वि. अक्षरों की
स्याही फैल गयी है, जैदे., (२१४१४.५, ३२४२५). १. पे. नाम. वीसवेहरमांननु स्तवन, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
विहरमान २० जिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जपतां कोड कल्याण, गाथा-९, (पू.वि. गाथा-३ अपूर्ण
२. पे. नाम. पार्श्वप्रभु स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण, प्रले. मु. मनजी ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य. पार्श्वजिन छंद-नाकोडा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आपणे घेर बेठा लील; अंति: समयसुंदर कहे
कर जोडो, गाथा-७. ३. पे. नाम. ऋषभप्रभु स्तवन, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण, पे.वि. प्रतिलेखक ने पार्श्वप्रभु स्तवन लिखने की जगह गलती से
ऋषभप्रभु स्तवन लिखा है.
पार्श्वजिन पद, मु. कनककीर्ति, पुहि., पद्य, आदि: तुं मेरे मनमें प्रभु; अंति: कनककीरत सुखसा० तुमहि, गाथा-४. ४. पे. नाम. आदिजिन प्रभाति, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. रामचंद, मा.गु., पद्य, आदि: प्रभाते पंखीडा बोले; अंति: राम० बेकर जोडी. गाथा-५. ५. पे. नाम. पंचवरण स्तवन, पृ. २आ-३अ, संपूर्ण.
२४ जिन स्तवन, मु. अभयराज, मा.गु., पद्य, आदि: देवतणा गुण वर्णवू; अंति: प्रभु चरणे द्यौ वास, गाथा-१७. ६. पे. नाम. प्रभाती सीझाय, पृ. ३अ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, पुहिं., पद्य, आदि: सोयो तुं बोहोत काल; अंति: समान एह सेव मागरे, गाथा-३. ७. पे. नाम. औपदेशिक प्रभाति, पृ. ३अ, संपूर्ण.
मु. वीरजी, मा.गु., पद्य, आदि: पूर्वदिसे जिन तणी; अंति: छकाय घर वधामणा, गाथा-६. ८. पे. नाम. प्रभाति स्तवन, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
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महावीर जिन प्रभाति, मु. रामचंद, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणंद नानडीया; अंतिः चरणकमल चित लावे रे,
गाथा - ७.
९. पे नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३आ, संपूर्ण.
मु. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, आदिः आज आनंद वधामणां; अंतिः सेवना करी सुजश उपायो, गाथा - ५.
१०. पे नाम, गौतम प्रभाति, प्र. ३आ, संपूर्ण.
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गौतमस्वामी प्रभाति, मु. लक्ष्मी, मा.गु., पद्य, आदि: गौतम नामे ठामोठामे; अंतिः सेवक लखमी पाया रे, गाथा- ४. ११. पे. नाम. वैराग्यभाव प्रभाति, पृ. ३आ, संपूर्ण.
अध्यात्म गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रात भयो प्रात भयो; अंति: शिवसुख कोन लहे रे,
गाथा - ६.
१२. पे नाम, वाडीफूलनी सज्झाय, पृ. ४अ, संपूर्ण, वि. १८६९, ले. स्थल, श्रीनगर, पठ, ऋ, मनजी (लुकागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य.
औपदेशिक सज्झाय-वाडीफूलदृष्टांत, मा.गु., पद्य, आदि वाडी राव करे करजोडी; अंति वीर न सके वारी जी,
गाथा - १५.
१३. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पृ. ४आ, संपूर्ण.
मु. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: ते दिन क्यारे आवशे; अंति: त्यारे निरमल थासुं, गाथा-८.
१४. पे. नाम. नेमजीनो टपो, पृ. ४आ, संपूर्ण, प्रले. मु. झवेरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य.
मराजिमती गीत, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: नेम मले तो बातां; अंति: रुपचंद० सेवा दीजीई, गाथा-४. १५. पे नाम, सामान्य लोक, पृ. ४आ, संपूर्ण,
१. पे. नाम. कल्लाणकंद स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: कल्लाणकंदं पढमं अंतिः अम्ह सवा पसत्था, गाथा-४,
२. पे. नाम. बीजतिथि स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
सामान्य श्लोक ै, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: ( - ), श्लोक - १.
२९९७५. (+) स्तवन, स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १८८४, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. १२, प्र. वि. पत्र लंबा होने के कारण आठ भागों में
मोडा गया है., जैदे. (२४.५४१२, ३३४१३ ).
मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, आदि: दिन सकल मनोहर बीज; अंति: कहै पूर मनोरथ माय, गाथा-४.
३. पे नाम, नेमिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण
४४५
भवपार ए, गाथा- ४३.
९. पे नाम. बांभणवाडजी रोतवन, पृ. १आ, संपूर्ण
क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, आदि: श्रावण सुदि दिन अंतिः ए सफल करो अवतार तो, गाथा- ४. ४. पे. नाम संसारदावानल स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण
आ. हरिभद्रसूरि, सं., प्रा., पद्य, आदि: संसारदावानलदाहनीर; अंति: देहि मे देवि सारम् श्लोक-४.
५. पे नाम. मौनएकादशीपर्व स्तुति, पृ. १अ संपूर्ण,
मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: एकादशी अति रुअडी; अंतिः निवारो संघतणा निशदिश, गाथा-४, ६. पे. नाम. सीधचक्रसुख स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
सिद्धचक्र स्तवन, मु. दानविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७६२, आदि: सकल कुशल कमलानो; अंतिः दानविजय जयकारा रे, गाथा - २४.
७. पे नाम, सीधचक्र स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
सिद्धचक्र स्तवन, मु. अमरविजय, मा.गु., पद्य, आदिः समरुं सारद माय; अंतिः नमे तुज लुली लुलीजी, गावा- १५. ८. पे. नाम. सेत्रुंजाजी रो स्तवन, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन बृहत् शत्रुंजय, मु. प्रेमविजय, मा.गु., पद्य, आदिः प्रणमीअ सयल जिणंद; अंतिः जिम पामो
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची महावीरजिन स्तवन-बामणवाडजी, आ. कमलकलशसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: समरवि समरथ सारदा; अंति:
श्रीकमलकलससूरीसर सीस, गाथा-२१. १०. पे. नाम. राजुलसती स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मु. कांति, मा.गु., पद्य, आदि: कालीने पीली वादली; अंति: कांति नमे वारंवार, गाथा-७. ११. पे. नाम. पारसजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनचंद्र, पुहि., पद्य, आदि: जय बोलो पास जिनेसर; अंति: छाया सुरतरु की, गाथा-८. १२. पे. नाम. ऋषभ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, मा.गु., पद्य, आदि: आज तो वधाइ राजाजी के अंति: आदिसर दियालरे, गाथा-६. २९९७६. प्रभावसट्ठीयंयंत्र स्तवन सह यंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२५.५४१०.५, ९x४१).
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि: आदौ नेमिजिनं नौमि; अंति: मोक्षलक्ष्मीनिवासम्, श्लोक-८.
२४ जिन स्तोत्र-यंत्र, सं., यं., आदि: (-); अंति: (-). २९९७७. नेमजी का ढाल, संपूर्ण, वि. २०वी, आश्विन शुक्ल, १, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. उगरास, अन्य. सा. पाणाजी, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७७१३.५, २४४४५).
नेमराजिमती स्तवन, मा.गु., पद्य, वि. १८५९, आदि: समुद्रविजय के नंद; अति: सेर रामपुरामांहि, गाथा-३६. २९९७८. आवतीचोवीसीजिन वर्णन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२५.५४१३, -१४-१).
२४ जिन नाम व जीव नाम-अनागत, मा.गु., गद्य, आदि: पद्मनाभस्वामी; अंति: तीर्थंकरगोत्रबांध्यु. २९९७९. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२६४१३.५, १५४२७). १. पे. नाम. एकादशी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण. एकादशीतिथि सज्झाय, मु. मकनचंद, मा.गु., पद्य, आदि: आज एकादसि रे नणदल; अंति: तो भव सायर तरसे,
गाथा-८. २.पे. नाम. कर्म सज्झाय, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
कर्मगति सज्झाय, मु. नवल, पुहिं., पद्य, आदि: हेमाय वांकडी करमगति; अंति: सकल माहे व्याप रही, गाथा-५. ३. पे. नाम. माया सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: समकित नो बीज जाणजोजी; अंति: ए मारग छे शुद्ध रे, गाथा-६. २९९८१. शांतिनाथ रागमाला स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२५४११, १३४२२).
शांतिजिन स्तवन-रागमाला, मु. सहजविमल, मा.गु., पद्य, आदि: वंछित पूरण मनोहरूं; अंति: अनंत सोख ते
अनुभवइ, गाथा-३०. २९९८२. स्तोत्र, श्लोक व पौषध विधि, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ३, जैदे., (२६४१४, २८-३३४२३). १. पे. नाम. जिनदर्शनफल स्तोत्र, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. उत्तमरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: समर शांतिजिन जिन; अंति: उत्तमरत्न० करो कथना, गाथा-१५. २. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
जैन श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-२. ३. पे. नाम. रातनो पोसोलेवानी विधि, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
पौषधविधि संग्रह, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदिः खमासमण देइ इरियावही; अंति: सुधी क्रिया करवी. २९९८३. कलंकी सीज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., (२६.५४१४, १३४३०).
पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे गौतम सुणो; अंति: एह सिज्झाय रसाल रे,
गाथा-२१. २९९८४. नेमसंवादी चतुर्विंसती चोक, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२७४१३, १७४३८).
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४४७ नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८३९, आदि: सरसती चरण कमल नमी; अंति:
तस सीस अमृत गुण गाया, चोक-२४. २९९८५. पुष्पमाला सह वृत्ति, त्रुटक, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. १९-१५(१ से २,५ से ८,१० से १८)=४, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं., गाथा ३ से ५१ प्रारंभ तक है., जैदे., (२६.५४१४, १५४४६).
पुष्पमाला प्रकरण, आ. हेमचंद्रसूरि मलधारि, प्रा., पद्य, आदि: (-); अंति: (-).
पुष्पमाला प्रकरण-लघुवृत्ति, ग. साधुसोम, सं., गद्य, वि. १५१२, आदि: (-); अंति: (-). २९९८६. स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४(१ से ४)=१, कुल पे. ५, जैदे., (२६.५४१४, २०४४१). १. पे. नाम. सीद्धाचल स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: विमलाचल विमला पाणी; अंति: शुभवीर विमलगिरि साचो,
गाथा-७. २. पे. नाम. गीरनारगीरी स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण. गिरनारतीर्थस्तवन, ग. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सहसावन जए वसीये चालो; अंति: श्रीशुभवीर विलसीइं,
गाथा-९. ३. पे. नाम. अबूंदगिरी स्तवन, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिणेसर पूजता; अंति: पामीये वीरविजय जयकार,
गाथा-१०. ४. पे. नाम. अष्टापद स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण. अष्टापदतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चउ अठ दस दोय वंदिइजी; अंति: गायो ऋषभ सीव ठाम रे,
गाथा-८. ५. पे. नाम. सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, पृ. ५आ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र प्रथम पत्र है.
मु. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: नाम सुणत शीतल श्रवणा; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-२ अपूर्ण तक है.) २९९८७. शनीश्चरकथा व स्तुति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, दे., (२६.५४१३, १०x४०). १. पे. नाम. शनिश्चर कथा, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण. शनिश्चर छंद, पंडित. ललितसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती संपद द्यौ मुझ; अंति: ललितसागर इम कहे,
गाथा-२७. २. पे. नाम. मांगलिक स्तुति, पृ. २आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी स्तुति, मा.गु.,सं., पद्य, आदि: अंगुठे अमृत वसे लब्ध; अंति: जैनं जयति शासनम्, गाथा-५. २९९८८. प्रतिक्रमणनी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, दे., (२७४१४, १३४५८).
प्रतिक्रमण सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गोयम पूछे श्रीमहावीर; अंति: भविजन
भवजल पार रे, गाथा-१३. २९९८९. सीमंधरजिन स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७X१२.५, ९x४०).
सीमंधरजिन स्तवन, मु. लक्ष्मीविजय शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सीमंधर मुज मन स्वामी; अंति: निर्मल बुधि
___ जगीश, गाथा-५. २९९९०. स्तवन, स्तुति व सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२७.५४१३.५, १३४३१). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. रहिदास ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीऋषभदेव जीणंदा; अंति: रहिदाशे गुण गाया रे, गाथा-५. २. पे. नाम. नवपद सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. वास्तव में यह कृति स्तुति ही है परंतु लिपिकार ने दो पदों को १ गाथा
गिनकर कुल गाथा-८ लिखा है.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
सिद्धचक्र स्तुति, मु. भाणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: वीरजिणेशर अति अलवेसर; अंति: करजो मोरी माये जी,
गाथा - ८.
३. पे नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. हरखचंद, पुहिं., पद्य, आदि: सूगरु मेरे वरषत वचन; अंति: जह जसू भाव फरी हो, गाथा - ५. ४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन स्तवन, मु. कीर्तिसागर, पुहिं., पद्य, आदि: सहस फुणा मोरा सायबा अंतिः मोज मेहेर नीत पाउ रे,
गाथा - ५.
२९९९१. सिद्धचक्र स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, ले. स्थल. मांगुलपुर, जैवे.
(२८x१३, १३४३९).
सिद्धचक्र स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जी हो प्रणमुं दिन; अंति: कहे मानविजय उवज्झाय,
ढाल- ३.
२९९९२. कुमतीसंगनिवारण स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. २, जैदे., ( २६१४, १५X३० ).
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कुमतिसंगनिवारण जिनबिंबस्थापना स्तवन, श्राव. लधो, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिन पदपंकज; अंति: चिरकाले नंदो, गाथा २५.
२९९९३. पार्श्वजिन नमस्कार- अष्टदिशास्थित, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, प्र. वि. पत्रांक अंकित नहीं है., जैदे.,
(२७४१४, ३४x२१).
पार्श्वजिन नमस्कार-८ दिशास्थित, सं., पद्य, आदि; स्वामि समुज्वलगुणं; अंति दानेन समां नवामि, श्लोक - ९. २९९९४. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, ले. स्थल. मेस्वरगाम, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., ( २८x१३.५, १८४३६),
१. पे. नाम. स्थूलभद्र सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
स्थूलभद्रमुनि सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., पद्य, आदि: अहो मुनिवरजी माहरी; अंति पद निश्चल पावे, गाथा - ११. २. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण.
मु. रत्नचंद, पुहिं, पच, आदि: ओ जूग जूग जाल सूपने; अंतिः पूदगल धरम मीटाणां, गाथा-८.
३. पे नाम. संखेश्वरापार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसंखेसरपास जिणेसर; अंति: जिनचंद सयलरिपु जीपतो, गाथा - ५.
२९९९५. पंचपरमेष्ठि स्तुति व जैनधार्मिक श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैवे. (२७.५४१४, १७X३४).
१. पे. नाम. पंचपरमेष्ठि स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि; अर्हतो भगवंत इंद्र; अंतिः कुर्वंतु वो मंगलम्, श्लोक-१.
२. पे. नाम. जैनधार्मिक श्लोकसंग्रह, पृ. १आ - २आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., पद्य, आदि: जिनस्मरणमात्रेण शोक; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., श्लोक २८ तक है.)
२९९९६. आतमाउपर करमपरीक्ष्या सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. २, जै, (२८x१३, १२x२७). कर्मविपाकफल सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि देव दाणव तीर्थंकर; अंतिः नमो कर्म महाराजा रे,
गाथा - १७.
२९९९७. बालचंदवत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९४६, पौष शुक्ल, ३, गुरुवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले. स्थल, बालुचर, प्रले, श्राव, लक्ष्मीचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२८X१४, १०x४०).
अध्यात्मवतीसी, मु. बालचंद, पुहिं., पद्य, वि. १६८५, आदि: अजर अमर पद परमेसरकुं; अंतिः सुखकंद रुपचंद जाणीए, गाथा-३३.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४४९ २९९९८. २० विहरमानजिन परिवारादि कोष्टक, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १९-१८(१ से १८)=१, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, दे., (२८x१३.५).
विहरमान २० जिन परिवारादि कोष्टक, मा.गु., को., आदि: (-); अंति: (-), संपूर्ण. २९९९९. अंजनासती रास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, जैदे., (२८x१४, १७४२९).
अंजनासुंदरीरास, मा.गु., पद्य, आदि: शीयल समोवड कोइ नही; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा
अपूर्ण., ढाल-३ दुहा-२ तक लिखा है.) ३००००. गौतमस्वामी रास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. लिपिकार ने अंतिम ३ गाथाओं का गाथांक नहीं लिखा है., जैदे., (२७.५४१४.५, १७४३४). गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., पद्य, वि. १४१२, आदि: वीरजिणेसर चरणकमल कमल; अंति:
विजयभद्र० इम भणे ए, गाथा-४९. ३०००१. कातीपूनम व्याखायन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, ले.स्थल. फलवर्द्धिकानगर, जैदे., (२८x१४.५, १८४३६).
कार्तिकपूर्णिमापर्व व्याख्यान, ग. जयसार, सं., गद्य, वि. १८७३, आदि: श्रीसिद्धाचलतीर्थेश; अंति: व्यलेखि
शिष्यहेतवे. ३०००२. साधुप्रतिक्रमण सूत्र, संपूर्ण, वि. १९४६, पौष शुक्ल, ५, रविवार, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. लक्ष्मीचंद ऋषि (गुरु ऋ. रुपचंदजी, लुंकागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१४, १७४२९).
पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., गद्य, आदि: चत्तारि मंगलं अरिहंत; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं. ३०००४. बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है।, जैदे., (२४४१३).
बोल संग्रह, मा.गु., गद्य, आदि: १ मनुष्य में २ मनुष; अंति: जीव में विशेषाधिक. ३०००५. दानसीलतपभावना रास, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२९x१३.५, १७४४७).
दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: प्रथम जिनेसर पाय; अंति:
समृद्धि सुप्रसादो रे, ढाल-५, गाथा-९४. ३०००६. आलापक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९४२, फाल्गुन कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. यह पत्र श्रीजी के भंडार का है., जैदे., (२५.५४१३.५, ११-१५४३८-४३).
आगमिक आलापक संग्रह, प्रा.,सं., गद्य, आदि: उत्तिणो भिक्खू वा; अंति: भयवं च गगणचारी, (वि. वसुदेवहिंडी,
निशीथ, महानिशीथ, मुंहपत्ति आदि के आलापक.) ३०००७. श्राद्धाहोरात्र कृत्य, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२७.५४१२.५, ११४४४).
श्राद्ध अहोरात्रकृत्य, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु.,सं., गद्य, वि. १८३८, आदि: प्रणम्य श्रीजिनाधीशं; अंति: (-),
__(अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., पाखी पडिकमण विधि तक है.) ३०००८. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, ले.स्थल. वालापुरग्राम, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८x१२.५, १७४३७). १. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
मु. आनंदघन, मा.गु., पद्य, आदि: ऋषभ जिणेसर प्रीतम; अंति: अर्पणा आनंदघन पद रेह, गाथा-६. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण.
ग. शिवजी, मा.गु., पद्य, आदि: वामानंदन वालहो रे; अंति: थुणीया श्रीजिनराय, गाथा-५. ३. पे. नाम. वासुपूज्यजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. जीतचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्य जिन; अंति: इम जेत नमे नितमेव रे, गाथा-५. ४. पे. नाम. धर्मजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हा रे मुंने धरमजिण; अंति: मोहन० अति घणो रे लो, गाथा-७. ३०००९. संथारा पोरसी व श्रावक सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. पंडित. मोजीराम,
प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५.५४१३, १२४३८).
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४५०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. संथारापोरसी गाथा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
संथारापोरसीसूत्र, प्रा., पद्य, आदि: निसिही निसिही निसीहि; अंति: इअसमत्तं मए गहिअं, गाथा-१४. २. पे. नाम. श्रावकनी सज्झाय, पृ. १आ, संपूर्ण.
आवश्यकसूत्र-तपागच्छीय प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह की मन्हजिणाण सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: मन्हजिणाणं
__ आणं मिच्छ; अंति: निच्चं सुगुरूवएसेणं, गाथा-५. ३००१०. आलोयण आराधना, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, जैदे., (२८x१२.५, १४४४२).
आलोयणा आराधना, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: (१)एगेंदियाणं जं कहवी, (२)प्रथम नोकार कही पछे; अंति:
सखीय अपसखीय वोसिरई. ३००११. वीरथुई अज्झयण, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२६४१३.५, १८४४२-४४).
सूत्रकृतांगसूत्र-हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: पुच्छिसुणं समणा माहण; अंति:
आगमिस्संति त्तिबेमि, गाथा-२९. ३००१२. सज्झाय व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, जैदे., (२७४१२.५, १७४३५). १. पे. नाम. गौतमस्वामी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.
म. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मे नही जाण्यो नाथजी; अंति: चरणे शीर लाया, गाथा-७. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-प्रभाती, मु. लाभउदय, मा.गु., पद्य, आदि: उठोने मोरा आतमराम; अंति: वरतै सदा सवायो रे,
गाथा-५. ३. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मे परदेसी दूरका दरसन; अंति: कहे० निरंजन गुण गाया, गाथा-४. ४. पे. नाम. निरंजन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: देव निरंजन भवदुःख; अंति: जे बेठा सो तरीया हें, गाथा-३. ३००१३. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ८, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे.,
(२७४१३, १८४४७). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. १अ, संपूर्ण.
श्रीचंद, पुहि., पद्य, वि. १७२२, आदि: अमल कमल जिम धवल; अंति: जिनचंद्र० सफली मन आस, गाथा-९. २. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. रूपसींघ, मा.गु., पद्य, आदि: प्रथम दीपे दीपता रे; अंति: मोटा श्रीमाहावीर के, गाथा-७. ३. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी थलवटमंडन, मु. वस्ता, मा.गु., पद्य, आदि: सांभल थलवट स्वामी; अंति: वषताने
सुखसाता रे, गाथा-८. ४. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण. शांतिजिन स्तवन, मु. विजयराज, पुहि., पद्य, आदि: दो कर जोडी वीनवू; अंति: इम पभणे मुनी विजयराज,
गाथा-९. ५.पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण.
उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पुक्खलवइ विजया जयो; अंति: भयभंजण भगवंत, गाथा-७. ६. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. २अ, संपूर्ण.
मु. नारायण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीआदेसर जग जयो सुख; अंति: जिनगुण गाया सार रे, गाथा-५. ७. पे. नाम. सुजातजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
मु. नयविजय-शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: साचो स्वामी सुजात; अंति: कहे गुण हेज हिल्यौरी, गाथा-६. ८. पे. नाम. ऋषभाननजिन स्तवन, पृ. २आ, संपूर्ण.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४५१ उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीऋषभानन गुणनिलौ; अंति: परम तुं मित्त हो, गाथा-७. ३००१४. गहंली संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. ११, प्र.वि. मोडे हुए पत्र., जैदे., (२०४८, १३४३२). १. पे. नाम. जिनचंद्रसूरि गहुंली, पृ. १अ, संपूर्ण.
जीतरंग, मा.गु., पद्य, आदि: आज आनंद मुझ अती थयो; अंति: लहे रेजीतरंग उलास, गाथा-६. २. पे. नाम. गुरुगुण गुंहली, पृ. १अ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सुण साहेली जंगम तीरथ; अंति: शुभवीर वचन हइडे भावे, गाथा-७. ३. पे. नाम. महावीरजिन गहुंली, पृ. १अ, संपूर्ण.
पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजग्रही वनखंड वीचाल; अंति: शुभवीर जिणंद वधावेतो, गाथा-८. ४. पे. नाम. चरणकरणसीत्तरी गहुँली, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. चरणकरणसित्तरी गहुली, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: गहुली करो गुरु आगले; अंति: जस०
पामेस भव पार रे, गाथा-८. ५. पे. नाम. सुगुरु गहुँली, पृ. १आ, संपूर्ण.
पं. शुभवीर, मा.गु., पद्य, आदि: चरण करस्यु सोभता; अंति: सुणता मिले सीवसाथ रे, गाथा-५. ६. पे. नाम. महावीरजिन गहुँली, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. मणिउद्योत शिष्य, मा.गु., पद्य, आदि: सजनि मेरी गुणसिल वन; अंति: संका करो परिहार रे, गाथा-८. ७. पे. नाम. गुरूगुण गहुंली, पृ. १आ, संपूर्ण.
पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आगम वयण सुधारस पीजे; अंति: सकल मंगल घरि लावे रे, गाथा-५. ८. पे. नाम. रत्नसागरसूरि गहली, पृ. १आ, संपूर्ण.
श्राव. प्रेमचंद वेलचंद, मा.गु., पद्य, आदि: सरसती माता चरणे; अंति: प्रेमचंदे गुणगाया रे, गाथा-६. ९. पे. नाम. महावीरजिन गली, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: महावीरजी आवी समोसर्य; अंति: मुगति तणा सुख थाय, गाथा-९. १०. पे. नाम. महावीरजिन गहुंली, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सखी सरसती भगवती माता; अंति: वरवा मुक्ति पट्टराणि, गाथा-६. ११. पे. नाम. महावीरजिन गहली, पृ. २अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: सहीयर सुणीई रे; अंति: मुक्ति जिनराजनी वाणी, गाथा-६. ३००१६. स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ६, जैदे., (२७७१३, १५४४५). १. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. खीमारतन, मा.गु., पद्य, वि. १८८३, आदि: सिद्धाचल गिरि भेट्या; अंति: रतन प्रभु प्यारा
रे, गाथा-५. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १अ, संपूर्ण. __पार्श्वजिन स्तवन-शामलीया-सम्मेतशिखर, मु. खुशालचंद, पुहिं., पद्य, आदि: तुम तो भले विराजोजी; अंति: हरष
निरख गुण गावै, गाथा-५, (वि. संलग्न प्रत में कर्ता चंदकुशल मिलता है.) ३. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
मु. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: यात्रा नवाणु करीए; अंति: पद्म कहै भव तरीकै, गाथा-७. ४. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. ऋषभदास, पुहिं., पद्य, आदि: ऐसा सेहरा चढाउंगी; अंति: जिन चरणा चित लाऊंगी, गाथा-४. ५. पे. नाम. आदिजिन पारणा पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहि., पद्य, आदि: मोरी राज सहेली आद; अंति: रीखवदेव माहाराज ए, गाथा-५. ६. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहि., पद्य, आदि: तुहि तुही आद आवें; अंति: सुख पावे रे दरद में, गाथा-५.
ण.
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ३००१७. सज्झाय संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२४.५४१३, १७४३१). १.पे. नाम. पद्मावती आराधना, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण, प्रले. य. कस्तुरचंद ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: हवे राणी पद्मावती; अंति: पापथी छूटे ते ततकाल, ढाल-३, गाथा-३५. २. पे. नाम. निंदात्याग सज्झाय, पृ. २आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: गुण छे पुरा रे; अंति: म भणीस तु उछो रे
बोल, गाथा-६. ३००१८. (#) स्तवन, सझायादि संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५०-४८(१ से ४८)=२, कुल पे. ४, प्र.वि. अक्षरों की स्याही
फैल गयी है, जैदे., (२७.५४१२.५, १३४३८). १. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ४९अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है. पार्श्वजिन स्तवन, मु. श्रीराय, मा.गु., पद्य, आदिः (-); अंति: श्रीसंघ में मंगलकरो, गाथा-१३, (पू.वि. गाथा ११
अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे. नाम. मांगलिक सज्झाय, पृ. ४९अ-४९आ, संपूर्ण. दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा प्रथम अध्ययन, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: साहुणो
त्तिबेमि, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, पृ. ४९आ-५०अ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: आणी मनसुध आसता देव; अंति: समयसुंदर० सुख भरपुर, गाथा-७. ४. पे. नाम. जैनधार्मिक श्लोकसंग्रह, पृ. ५०आ, संपूर्ण.
श्लोक संग्रह जैनधार्मिक*, सं., पद्य, आदि: निक्रोधवैराग्य; अंति: पुनरेव स्वर्गी, श्लोक-३. ३००२०. (+) स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २-१(१)=१, कुल पे. २, प्रले. मु. कस्तुरचंद्र ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य,
प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२७७१३, १८४३४). १. पे. नाम. अष्टापदतीर्थ स्तवन, पृ. २अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रथम पत्र नहीं है. मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: जिणंदसागर पद पावे रे, गाथा-८, (पूर्ण, पू.वि. प्रारंभिक पाठांश
नहीं है.) २. पे. नाम. पार्श्वनाथ लावणी, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण, प्र.ले.पु. सामान्य.
पार्श्वजिन लावणी, पुहिं., पद्य, आदि: अगडदम अगडदम वाजै; अंति: पार्श्वनाथ अवतार बडा, गाथा-१८. ३००२१. मौनएकादशी कथा, संपूर्ण, वि. १८६६, कार्तिक शुक्ल, ११, श्रेष्ठ, पृ. ४, लिख. श्राव. ज्येष्ठमल वरढीया, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४११.५, १३४३४-३८).
मौनएकादशीपर्व कथा, सं., गद्य, आदि: अरस्य प्रव्रज्या नमि; अंति: सादादानंदमाला भवतु. ३००२२. पच्चक्खाण व गुरुसुखशातापृच्छासूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, कुल पे. २, जैदे., (२६४१२, १०४२१). १. पे. नाम. प्रत्याख्यानसूत्र, पृ. १अ-४अ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: उग्गए सुरे नमुकारसिय; अंति: (१)वत्तियागारेणं वोसिरइ, (२)श्रावकने नही केहेणो. २. पे. नाम. गुरुसुखशाता पृच्छा, पृ. ४अ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: (१)इच्छामि खमासमणो, (२)इच्छकार सुहराइ; अंति: पूज्यजी सुखसाताछे जी. ३००२३. (+) वर्द्धमानविद्या व मंत्र संग्रह, संपूर्ण, वि. १८६९, मार्गशीर्ष शुक्ल, ८, शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २,
ले.स्थल. पिंडपुर, प्रले. पं. हिम्मतविजय गणि; पठ. पं. भाणविजय, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४११, १६४३२-३९). १. पे. नाम. वर्द्धमानविद्या विधिसहित, पृ. १अ-२अ, संपूर्ण.
वर्द्धमानविद्या विधियुक्त, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ॐह्रीं नमो अरिहताणं; अंति: थई गणीइ लाभदाई थाइ. २. पे. नाम. गणधरविद्या यंत्र, पृ. २आ, संपूर्ण.
गणधरविद्या मंत्र, सं., गद्य, आदि: ॐ नमो जिणाणं इत्यादि; अंति: व्यापारे लाभ होई.
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.७
४५३ ३००२४. सझाय व स्तवन संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ५-४(१ से ४)=१, कुल पे. ४, जैदे., (२५.५४११, १४४३४). १.पे. नाम. दानशीलतपभावना संवाद, पृ. ५अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं.,प्रले. मु. रंगविमल (गुरु
ग. रविविमल); पठ. मु. हर्ष ऋषि, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.ले.श्लो. (६११) यादृशं पुस्तके दृष्ट्वा. उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६६२, आदि: (-); अंति: भणे० सुप्रसादो रे, ढाल-४, ग्रं. १३५,
(पू.वि. प्रारंभ से गाथा ५३ तक नहीं है.) २. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. ५अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: परम रस भीनो म्हारो; अंति: पूरे सकल जगीश हो, गाथा-७. ३. पे. नाम. अजितजिन स्तवन, प्र. ५आ, संपूर्ण.
मु. गंगानंद, मा.गु., पद्य, आदि: चैत्री पूनिमनी चांदण; अंति: जयो लक्ष्मीनिवासे, गाथा-१०. ४. पे. नाम. शीतलजिन स्तवन, पृ. ५आ, संपूर्ण, प्रले. ग. हंसविजय, प्र.ले.पु. सामान्य.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: शीतल जिनवर सेवना; अंति: जिनजी जीवन प्राणहो, गाथा-७. ३००२५. निमित्तद्वार व बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ३, प्र.वि. *पंक्त्यक्षर अनियमित है., जैदे.,
(२६.५४१०.५). १. पे. नाम. निमित्तद्वार गाथा, पृ. १अ, संपूर्ण, पे.वि. कोष्ठक सहित.
प्रा., पद्य, आदि: शिवाणा निवभि८ कर्म; अंति: तेउट्ठा अणूंतरे चेव, गाथा-३. २. पे. नाम. एकलविहारी के आठबोल, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
एकलविहारी ८ बोल, प्रा., पद्य, आदि: अट्ठहिं ठाणेहि; अंति: ट्ठिइम्म विरएस्सयने. ३. पे. नाम. बोल संग्रह, पृ. १आ, संपूर्ण.
___ बोल संग्रह *, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: ल १ साइरोग मनुष्यमाह; अंति: उतकिष्टा भव भव जाणवो. ३००२६. कागद संवाद व सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २, जैदे., (२५४११.५, १४४३७). १. पे. नाम. कागदरो संवाद, पृ. १आ, संपूर्ण.
कागद संवाद, मा.गु., पद्य, आदि: कागद कहे हु खरो सखेत; अंति: तो कारज सरे न कोय, गाथा-६. २. पे. नाम. गुरुगुण पद, पृ. १आ-२अ, संपूर्ण.
मु. केसरचंद ऋषि, रा., पद्य, आदि: रंगमहिलरी गोढ्यां थे; अंति: मन भायोरा नायकजी, गाथा-९. ३००२७. आलोयणा, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२६४१२, १५४३५).
आलोयणा विचार, मा.गु., गद्य, आदि: महानिशीथ जीतकल्प लघु; अंति: यथायोग्यं उपवास१. ३००२८. (+) विचार संग्रह, अपूर्ण, वि. १६वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. ४, प्र.वि. प्रभातपडिलेहण, पुणपोरसी, संध्या
प्रतिलेखनाषाढपोरसी व पुरमङ्कप्रमाण का कोष्ठक दिया गया है., संशोधित., जैदे., (२५.५४११.५, १४४३७). १. पे. नाम. पोरसीमान प्रतिलेखना गाथा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
प्रतिलेखनकालमान गाथा, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: आसाढे मासे दुप्पया; अंति: आसाठे निठिआ सव्वे, गाथा-५. २. पे. नाम. पच्चक्खाणआगार गाथा, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
प्रा., पद्य, आदि: दस तेरस सोलसमे वीस; अंति: भिगहिअन सहमह सव्व, गाथा-५. ३. पे. नाम. करणसित्तरिचरणसित्तरी गाथा, पृ. १आ, संपूर्ण.
चरणसत्तरी-करणसत्तरी गाथा, प्रा., पद्य, आदि: वय समणधम्म संजम वेया; अंति: ४ चेव कर्णतु, गाथा-२. ४. पे. नाम. अचितसचित काल, पृ. १आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
अचित्तसचित्त काल, प्रा., पद्य, आदि: पणदिणभीसोलुट्टो अचाल; अंति: (-), (पू.वि. दूसरी गाथा अपूर्ण तक है.) ३००२९. (+) बूढेरी सज्झाय, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. २, प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५.५४१२, १६x४०).
बुढापा सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: केई बालपणै समझ्या; अंति: पामो मुगत सुख परम, गाथा-५४.
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परिशिष्टः कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या
यद्यपि भविष्य में कृति की विस्तृत सूचनाओं के साथ इस तरह के परिशिष्टों के स्वतंत्र खंड २.१ आदि प्रकाशित करने का आयोजन है, तथापि विद्वानों की मांग तथा उपयोगिता को दृष्टि में रखकर, कैलासश्रुतसागर- जैन हस्तलिखित साहित्य के द्वितीय खंड से सूची के अंत में कृतिपरिवार - अनुसार हस्तप्रतों की अनुक्रम संख्या दर्शानेवाले दो परिशिष्ट प्रकाशित किए जा रहे हैं.
परिशिष्ट-१ में संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं के इस सूचीपत्र की प्रतों में उपलब्ध कृतिपरिवार के अनुसार प्रत क्रमांक दिए गए हैं. परिवार की मुख्य कृति की भाषा के अनुसार पूरा परिवार इस परिशिष्ट में समाविष्ट कर लिया गया है. मुख्यकृति के पुत्र-पौत्र-प्रपौत्रादि स्तर की देशी भाषाओं की कृतियों को भी यहीं सम्मिलित कर लिया गया है. ध्यान रहे कि ऐसी कृतियों को परिशिष्ट-२ में पुनः सम्मिलित नहीं किया गया है. इसी तरह एकाधिक भाषावाली कृतियों में संस्कृत आदि व देशी दोनों भाषाएँ हों, वैसी कृतियाँ मात्र इस परिशिष्ट में सम्मिलित की गई हैं.
परिशिष्ट-२ में मात्र देशी भाषाओं वाली मूल कृतिपरिवार के अनुसार प्रत क्रमांक दिए गए हैं. इनके संस्कृत आदि भाषा के पुत्र-पौत्रादि का समावेश भी यहीं कर लिया गया है.
इन परिशिष्टों में कृति की -- कृति का मुख्य नाम, कर्त्तानाम, भाषा, अध्याय-ढाल आदि संख्या, गाथा/श्लोक संख्या, ग्रंथाग्र, रचना संवत, गद्य-पद्य आदि कृति प्रकार, धर्मसंकेत व मुख्य आदिवाक्य -- इतनी सूचनाओं का समावेश किया गया है. १. इन परिशिष्टों में मूल आदि स्व-स्व स्तर के अकारादि क्रम से कृति परिवार को क्रमशः प्रथम स्तर पर मूल, मूल के
ऊपर रचित उसकी टीकादि संतति स्वरूप कृतियों को द्वितीय स्तर पर तृतीय स्तर पर पौत्र, चतुर्थ स्तर पर प्रपौत्र,
इत्यादि प्रकार से सदस्यों को समाविष्ट करती वंशवृक्ष शैली में - प्रकाशित किया जा रहा है. २. प्रथम स्तर के बाद द्वितीय, तृतीय आदि प्रत्येक स्तर का सूचक अंक (२), (३) इत्यादि कृति नाम के प्रारम्भ में ही दे दिया गया है. यथा
कल्पसूत्र (२) कल्पसूत्र-सुबोधिका टीका (३) कल्पसूत्र-सुबोधिका टीका का टबार्थ ३. कृतियाँ परिवारानुसार दी गई हैं. यथा- लोगस्स, शक्रस्तव, चैत्यवन्दन, प्रतिक्रमण, पच्चक्खाण आदि स्वतन्त्र तत्-तत्
अक्षर पर न मिलकर आवश्यकसूत्र के परिवार में स्व-स्व स्तर पर मिलेंगे. ४. कृतियाँ निम्न तरह के अकारादि क्रम में दी गई हैं. अ. सभी स्तरों पर कृतियाँ - कृतिनाम, कर्त्तानाम व आदिवाक्य इस तरह त्रिस्तरीय अकारादि क्रम से दी गई हैं. यानि, प्रथम अकारादिक्रम से समान नामवाली कृतियाँ एक साथ दी गई हैं. उनमें भी समान कर्ता नामवाली कृतियाँ एक साथ कर्त्तानाम के अकारादि अनुक्रम से दी गई है और उन समान कर्ता नामवाली कृतियों को भी आदिवाक्य के अकारादिक्रम से रखा गया है. आ. मूल कृति के परिवार की पुत्र-पौत्रादि कृतियाँ स्व-स्व द्वितीय, तृतीय आदि स्तरों पर स्व-स्व परिवार के साथ अपने
भाष्य, चूर्णि, टीका आदि कृति स्वरूपों के अनुसार दी गई हैं. यह क्रम कृति स्वरूप के अकारादि क्रम का न होकर, कृति स्वरूप की महत्ता के अनुसार निम्न क्रम से रखा गया है. i. कृति स्वरूप क्रम : मूल, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका, वृत्ति, व्याख्या, वार्तिक, अवचूर्णि, अवचूरि, टिप्पण, बालावबोध,
४५४
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टबार्थ, अनुवाद, भाषा, विवरण, प्रवचन, अन्वय, अर्थ, भावार्थ, कथा, हिस्सा, संक्षेप, चयन, संबद्ध, प्रक्रिया, अंतर्वाच्य, अनुक्रमणिका, बीजक व यंत्र.
ii. इस क्रम में समान स्वरूप की एक साथ आनेवाली टीका आदि कृतियों को पुनः उपरोक्त कृतिनाम, कर्त्तानाम व आदिवाक्य के अकारादि क्रम से दिया गया है.
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आशा है कि क्रम विन्यास 'आवश्यक सूत्र' 'कल्पसूत्र' आदि बड़े कृति परिवारों में एवं २४ जिन स्तुति' जैसी समान नामवाली अनेक कृतियों के समूह में से इच्छित कृति को ढूंढने में विशेष उपयोगी सिद्ध होगा.
५. कृति को उसके पर्यायवाची नामों से भी खोजें यथा नमस्कार हेतु नवकार, पंचपरमेष्ठि, नवपद हेतु सिद्धचक्र आदि.
चूंकि अनेक कृतियों के एकाधिक प्रचलितनाम भी मिलते हैं, इनमें से यहाँ पर सूचीपत्र का कद बढ़ने के भय से, मात्र एक मुख्य नाम ही दिया गया है. यथा बारसासूत्र आदि के लिए कल्पसूत्र ही दिया गया है.
इन नामों से अभिहित कर, बाद में
-
६. सामान्य पद, सज्झाय, लघुकाव्यों आदि को 'औपदेशिक' एवं 'आध्यात्मिक
विषयानुसार नामाभिधान करने का प्रयत्न किया गया है.
७. कृतिनाम में यदि कोई संख्यावाचक शब्द है, तो एकरूपता लाने के लिए वह संख्या यथासम्भव अंकों में ही दी गई है. इससे अष्टकर्म व आठकर्म की जगह ८ कर्म लिखा होने से वे अलग-अलग से न मिलकर, एक ही जगह मिलेंगे. जहाँ तक हो सका है, संख्याओं को नाम के प्रारम्भ में ही ले लिया गया है.
८. मूल सूची में प्रत व पेटाकृति नाम के रूप में प्रतिलेखक द्वारा प्रत में उल्लिखित कृति नाम को ही रखकर, कृति नाम के रूप में, कृति का यथार्थ व बहुमान्य नाम रखने का नियम अपनाया गया है. इस वजह से प्रत, पेटाकृति नाम व उसके नीचे आने वाली कृति नाम में उल्लेखनीय भिन्नता मिल सकती है. इससे एक ही कृति के अनेकविध प्रचलित नामों का भी पता चल जाता है. यथा
प्रत नाम - बारसासूत्र या पज्जोसणा कप्पो या दशाश्रुतस्कंध अष्टम अध्ययन
कृति नाम कल्पसूत्र
९. जिन कृतियों के अंत में प्रत क्रमांक की जगह प्रतहीन ऐसा लिखा हो, वहीं यह समझना होगा कि प्रस्तुत कृति मात्र उसके नीचे दिए गये पुत्रादि कृतियों का संबंध बताने हेतु है.
१०. यथावश्यक कृति नामों में विशेषण अंत में दिए गए हैं, ताकि मूल नामों में एकरूपता बनी रहे और अकारादि क्रम में वे एक साथ आएँ. यथा - २४ अनागत जिन स्तवन के स्थान पर २४ जिन स्तवन- अनागत लिखा गया है. इसी तरह शंखेश्वरमंडन पार्श्वजिन स्तवन की जगह पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वरमंडन दिया गया है.
११. प्रत की अपूर्णता आदि कारणों से जिन कृतियों के आदिवाक्य नहीं मिल सके हैं, वहाँ आदिवाक्य में (-) ऐसा चिह्न दिया गया है.
१२. गाथा आदि छोटे परिमाणवाली मारूगुर्जर आदि देशी भाषा की कृतियों में भाषा क्वचित्, वास्तव में राजस्थानी, गुजराती या प्राचीन हिन्दी हो सकती है. कई बार कालांतर व क्षेत्रांतर की वजह से 'गुजराती, राजस्थानी' आदि देशी भाषा की एक ही कृति हेतु विभिन्न प्रतों में भाषा के स्वरूपों में इतना परिवर्तन मिलता है कि यथार्थ भाषा का निर्धारण दुरुह हो जाता है. ऐसी स्थिति में सुविधा की दृष्टि से उस कृति की भाषा के रूप में पश्चिमोत्तर भारत की प्राचीन भाषा
,
,
'मारुगुर्जर' लिखने का नियम रखा है.
१३. संभावित अप्रकाशित कृतियों का नाम ( आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर की कम्प्यूटर आधारित सूचना प्रणाली में अब तक उपलब्ध माहिती के अनुसार ) italics में मुद्रित किया गया है. यथा- अजितशांति स्तव-बोधदीपिका टीका. अनेक प्रकाशनों की विस्तृत सूचना अभी भी कम्प्युटर में प्रविष्ट करनी बाकी है एवं बहुत-सी प्रविष्ट कृतिगत सूचनाओं
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का अंतिम पुष्टिकरण भी बाकी है ऐसे अनेक कारणों से कुछ एक प्रकाशित कृतियाँ भी सम्भवतया अप्रकाशित के रूप में यहाँ आ गई हैं. खासकर लघुकृतियों के विषय में यह सम्भावना अधिक है. अतः, कृपया इसे मात्र एक संकेत के ही रूप में देखा जाय.
१४. इन परिशिष्टों हेतु यद्यपि कृति- एकीकरण का शक्य प्रयत्न किया गया है, तथापि यह सम्भव है कि एक ही कृति भिन्न-भिन्न नामों से एकाधिक जगहों पर भिन्न-भिन्न प्रतों के साथ मिल सकती है. इस कार्य में सांगोपांगता तो भविष्य में सुसंपादित होकर प्रकाशित होनेवाले - कृति पर से प्रत माहिती वाले खंडों के प्रकाशन के समय ही आ सकेगी. यह एक सतत जारी रहनेवाली प्रक्रिया है. अतः पूर्व पूर्व खंडों की तुलना में उत्तर उत्तर खंडों में इन सूचनाओं में फर्क देखने को मिल सकता है.
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१५. क्वचित् ऐसा भी हुआ है कि एक ही कृति के लिए भिन्न-भिन्न प्रतों में भिन्न-भिन्न कर्ताओं के नाम मिले हैं. कृति का प्रायः
सब कुछ एक समान होते हुए भी, मात्र रचना प्रशस्ति में अन्तर मिलता है. ऐसी स्थिति में सामान्यतः प्रत्येक कर्ता के अनुसार, उस कृति की एकाधिक स्वतंत्र प्रविष्टियाँ दी गई है,
१६. इसी प्रकार, कृतियों के सामान्य या विशेष फर्क के साथ एकाधिक आदिवाक्य भी मिलते हैं. उन सब की प्रविष्टि कम्प्यूटर पर तो कर दी जाती है परंतु इनमें से यहाँ मात्र एक ही आदिवाक्य दिया गया है. जबकि, सूचीपत्र में तो तत्-तत् प्रतगत प्रथम स्तर व क्वचित् कृति के ज्यादा सही निर्धारण हेतु, मंगल आदि के बाद के द्वितीय स्तर के आदिवाक्य भी दिए गए हैं जो कि सम्भवतः यहाँ दिए गए आदिवाक्य से मेल न भी खाते हों ऐसा ज्यादातर टबार्थ व बालावबोधों में पाया गया है.
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१७. कृति के आदिवाक्य के पहले दिए गए कृति का धार्मिक स्रोत चिह्नित करने हेतु मूपू., स्था., ते., श्वे., दि., जै., वै., बी., मु. इन संकेतों का प्रयोग क्रमशः जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक, जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्वेताम्बर तेरापंथी, जैन श्वेतांबर जैन दिगंबर जैन, वैदिक, बौद्ध व मुस्लिम के लिए किया गया है. जहाँ पर ये संकेत नहीं हैं; वे सामान्य कृतियाँ हैं. इन संकेतों को यथोपलब्ध सूचनाओं के आधार पर दिया गया है फिर भी इनकी कहीं-कहीं अंतिम रूप से पुष्टि होनी बाकी है. कहीं पर धर्मस्रोत की निःशंक परिपुष्टि न हो, पाई हो तो उन धर्म संकेतों के साथ प्रश्नार्थ चिह्न दिया गया है. यथा बौ?, जै ? यहाँ एक स्पष्टता जरूरी है कि उपरोक्त धर्म संकेत पूर्णतः धार्मिक कृति हेतु ही न होकर कृति किस धर्मक्षेत्र से है, यह दर्शाने हेतु भी है. व्याकरण, ज्योतिष आदि विषयों की कृतियों हेतु यह बात विशेष तौर पर लागू होती है.
१८. एक ही कृति हेतु भिन्न-भिन्न हस्तप्रतों में सामान्य फर्क के साथ न्यूनाधिक गाथा आदि परिमाण भी मिलता है. अतः कृति का यहां दिया गया अध्याय, गाथा, ग्रंथाग्रंथ आदि परिमाण सूचीपत्र में हस्तप्रत के साथ की कृति के परिमाण से भिन्न हो सकता है.
१९. वाचकों की सुविधा एवं उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कृति के साथ दिए हुए प्रत क्रमांक, क्रमशः प्रत की शुद्धि आदि महत्ता, संपूर्णता, दशा, अपूर्णता व अशुद्धि की वरीयता से दिए गए हैं. शुद्धता सूचक निशानी () वाले प्रत क्रमांकों को सर्वाधिक महत्व दिया गया है, उसके बाद संपूर्ण पूर्ण व प्रतिपूर्ण प्रत क्रमांकों को तथा अंत में (5) (क) (-) निशानी वाले प्रत क्रमांकों को रखा गया है. अतः प्रत क्रमांक अपने स्वाभाविक अनुक्रम से नहीं मिलेंगे.
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२०. प्रत में प्रस्तुत कृति यदि प्रतिपूर्ण है अर्थात् प्रतिलेखक ने कृति को संपूर्ण न लिखकर, प्रति में उपलब्ध अंश मात्र को ही लिखा है; ऐसे में प्रत क्रमांक टेढ़े Italic अंकों में दिखाए गए हैं. यथा- ५८१६.
२१. कृति माहिती के सामने प्रत क्रमांक के साथ साथ यदि प्रत में एकाधिक पेटा कृतियाँ हैं, तो प्रस्तुत कृति प्रत में किस क्रमांक की पेटाकृति है वह पेटांक भी दिया गया है. यथा प्रत क्रमांक १०२०७ के तीसरे पेटांक में महावीरजिनस्तवन है. अतः, इसका क्रमांक इस प्रकार लिखा गया है- १०२०७-३.
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भूल सुधार खंड ४ व ५ में प्रतक्रमांक के बाद यह पेटाकृति क्रमांक तकनीकी कारणों से कहीं कहीं गलत छप गया है यद्यपि पत्रक्रमांक तो सही है.
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
३ चौवीसी नाम, सं., गद्य, श्वे., (केवलज्ञानी १ निर्वाण), २८८६०-१ ५ बोल गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (जिणभत्ति जीवदया सुपत), २९१७६ (२) ५ बोल गाथा-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञानवंत पुरुष), २९१७६ ६ लेश्या द्रष्टांत, सं., गद्य, मूपू., (जंबूवृक्ष निरीक्ष्य), २९४१९-२(+) ८ गुणस्थान गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, श्वे., (छावलियं सासाणं समहिय), २९४५०-३(+) ८ प्रकारी पूजा, मु. देवचंद्र, मा.गु.,सं., ढा. ८, श्लो. ८, वि. १७२४, पद्य, मूपू., (गंगा मागध क्षीरनिधि), २९१९६(+),
२८२५१-३, २८४७९ ८ प्रकारी पूजा काव्य, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (विमल केवल भासन), २८०९९-८८(+) ८ प्रकारीपूजा दुहा, प्रा.,मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सयं पमज्जणे पुनं सहस), २८२६८-११ ९ निधान स्वरूप विचार, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (द्वादशयोजनायामा), २९५०८ १० कल्प गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (अचेलुक्कुदिसिय), २९१७५ । (२) १० कल्पगाथा-टीका, सं., गद्य, मूपू., (अचेलत्वं मानप्रमाण), २९१७५ १० कल्पवृक्षनाम गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (तेसिमत्तंग १ भिंगा २), २९४०२-२(+) ११ गणधर देववंदन, प्रा.,मा.गु., स्त. ११, पद्य, मूपू., (गोयम गणहर गोयम गणहर), २७४४३-२ ११ गणधर स्तुति, सं., स्तु. ११, श्लो. ४४, पद्य, मूपू., (श्रीइंद्रभूति), २७४४३-१ १२ देवलोक गणj, मा.गु.,सं., गद्य, म्पू., (ॐ ह्रीं नमो सौधर्म), २८७२८-१ १२ भावना, मा.गु.,सं., भा. १२, पद्य, श्वे., (श्रीवीरस्वामी जयो), २९७९८ १२ व्रतनाम गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (पंच अणुव्वय थूलं भोग), २८४९२-७(+) १३ काठिया गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (आलस मोह अवन्ना थंभा), २८४९२-१(+) (२) १३ काठिया गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (आलस मोह अवर्णवाद), २८४९२-१(+) १५ सिद्धभेद गाथा संग्रह, प्रा., गा. ६, पद्य, मूपू., (भवियजणविहियबोहे हयमो), २८२९८-३३(+) १६ विद्यादेवी स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, म्पू., (गौरी सैरिभगामिनी), २८११२-८(+) १६ शृंगार नाम, सं., श्लो. १, पद्य, (आदौ मज्जनचारुचीरतिलक), २८२१८-२(+) १६ सती स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (ब्राह्मी चंदनबालिका), २८०९९-८५(+), २८१४५-८(+), २९८३९-२ १७ भेदी पूजा, मु. मेघराज, मा.गु.,सं., पूजा. १७, पद्य, मूपू., (सर्वज्ञ जिनमानम्य), २९५०० १८ हजार शीलांगरथ, प्रा., गा. १८, पद्य, मूपू., (जे नो करंति मणसा), प्रतहीन. (२) १८ हजार शीलांगरथ-यंत्र, मा.गु., को., मूपू., (--), २८५६१-४ २० स्थानक गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (अरिहंत सिद्ध पवयण), २८९७२-३(+) २० स्थानक गुण व काउसग्ग प्रमाण, प्रा.,हिं., गद्य, मूपू., (पेले पदे नमो अरिहंता), २८८१२ २० स्थानकतप आराधना विधि, प्रा.,मा.गु., पद. २०, प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं अरिदंत), २९३९० २० स्थानकतप खमासमण विधि, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (तहां प्रथम थानकैं), २७३९३($) २० स्थानकतपजाप-काउसग्ग संख्या , प्रा., गद्य, मूपू., (नमो अरिहताण २०००), २९२६६, २९३०५-१, २९६०५-४ २० स्थानकरात्रिका, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (यो जीमूतांजनौघांजन), २८११७-१२(+) २१ प्रकारी पूजा, ग. शिवचंद्र, मा.गु.,सं., वि. १८७८, पद्य, मूपू., (मंगल हरिचंदन रूचिर), २८११७-१६(+$) २२ अभक्ष्य गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (पंचुंबर चउविगई हिम), २८४९२-४(+) २४ कंबिवाय देवनाम, सं., गद्य, वै., (इशावाय विश्वकर्मा), २८२१३-७ २४ जिननामगर्भित मंगलाष्टक, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (नतसुरेंद्रजिनेंद्र), २८११२-५(+) २४ जिनपंचविंशतिका स्तव, सं., श्लो. २५, पद्य, जै.?, (वृत्ताख्यातं वृषेशं), २९२७१-१ २४ जिन मंत्राक्षरफल, मा.गु.,सं., गद्य, दि., (ॐ ह्रीं श्रीं ऐं लोग), २८७४९-२(+)
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२४ जिन यक्षयक्षिणी स्वरुप, सं., गद्य, म्पू., (यथा प्रथमजिनस्य), २९९२५ २४ जिन यक्ष वर्णन, सं., श्लो. २४, पद्य, मूपू, (ऋषभदेव गोमुखयक्ष), २८७६९- १(+) २४ जिन यक्षिणी नाम, सं., गद्य, म्पू., (चक्रेश्वरी अजिता ), २८८६०-४
२४ जिन यक्षिणी वर्णन, सं., श्लो. २४, पद्य, मूपू., (ऋषभस्य चक्रेश्वरी), २८७६९-३(+)
२४ जिन शासनदेवी नाम, सं., गद्य, भूपू (चक्रेश्वरी रोहिणी), २८८५८-४(१), २८२१३-६
"
२४ जिन स्तव, मु. कुलप्रभ कवि सं., श्लो. २६, पद्य, मूपू., ( यन्नामाभिसमापिताखिल), २७०३८-३
२४ जिन स्तव, मु. शांति कवि, सं., श्लो. १५, पद्य, मूपू., (प्रणिपत्य परंपरया), २९०५७, २९४९३
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
(२) २४ जिन स्तवन- टिप्पण, सं., गद्य, मूपू., (--), २९०५७($)
२४ जिन स्तव-चतुःषष्टियंत्रगर्भित, मु. राजतिलकसूरि शिष्य, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (आदौ नेमिजिनं नौमि), २९३४४-२ (-) २४ जिन स्तुति, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मृपू., ( नाभेयाजितवासुपूज्यसु), २९३१८-३(+)
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२४ जिन स्तुति, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २५, पद्य, मूपू., (आनम्रनाकिपतिरत्न), २८११२-१० (+), २९७४६-५(+$)
२४ जिन स्तुति, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २९, पद्य, मृपू., (ऋषभनम्रसुरासुरशेखर), २७४३९(+), २८२६८-१३
(२) २४ जिन स्तुति टीका, ग. कनककुशल, सं., ग्रं. ४५७, वि. १६५२, गद्य, भूपू (प्रणम्य परया भक्त्वा), २७४३९(+)
२४ जिन स्तुति, आ. माघनंदि, सं., श्लो. १५, पद्य, दि., (वंदेतानमरप्रवेकमुकुट), २९३००(+)
(२) २४ जिन स्तुति - अवचूरि, सं., गद्य, दि., (अमराणां प्रवेकाः अमर), २९३००(+)
२४ जिन स्तुति, अप., गा. २, पद्य, मूपू., (भरहेसर कारियदेवहरे), २९९४१-१२
२४ जिन स्तुति संग्रह, आ. सोमप्रभसूरि, सं., श्लो. २८, पद्य, मूपु. ( यत्राखिश्रीः श्रित), २९०३५-२
,
२४ जिन स्तोत्र, मु. सुखनिधान, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (आदौ नेमिजिनं नौमि ), २८११२-१४ (+$), २८२०१-८(+),
२८२१७-१२, २८२६८-१४, २९८४७, २९९६२-१, २९९७६
(२) २४ जिन स्तोत्र-यंत्र, सं., वं., मूपू., (--), २९८४७, २९९७६
२४ जिन स्तोत्र, सं., पद्य, मूपू., (वृषभजिनरमानः संशय), २८११२-१३ (+5)
२४ मांडला, प्रा., गद्य, भूपू (६ हाथ १ ० १ आगाढे), २८९४४
२४ मांडला, प्रा., पद्य, मूपू., (आधाडे आसने उच्चारे), २८२३१-७
,
२५ क्रिया गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपु., (काइअ १ अहिगरणीया २) २९४६४-५ (२) २५ क्रिया गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (कायाइं करी कर्म), २९४६४-५ २५ क्रिया- साधु, प्रा., मा.गु., गद्य, वे., (काइय अहिगरणीवा), २८९१०
२८ लब्धि नाम, प्रा., गा. ४, पद्य, म्पू, (आमोसहि विप्पोसह), २९४५० - १(०), २९१२३-२ (२) २८ लब्धि नाम-टबार्थ, मा.गु., गद्य, भूपू., (आ० आमोसहि लबधनो एतलो), २९१२३-२ (२) २८ लब्धि नाम-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., ( जेहनै सरीरने फरस से), २९४५०-१(+) ३२ असज्झाय गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., ( उक्काबाय दिसावाहे), २९१२३-१
(२) ३२ असज्झाय गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., (उका० तारा तुटै ते), २९१२३-१ ३३ आशातना - गुरुप्रति, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (पुरओ परवासने गाता), २९४२३-१ (२) ३३ आशातना-गुरुप्रति - अर्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पुरोगंता आगल चाले ते), २९४२३-१ ४५ आगम गणणुं, मा.गु., सं., गद्य, मूपू., ( प्रथम श्रीनंदीसूत्र), २८७४८
४५ आगमतप विधि, मा.गु., सं., गद्य, मूपू., ( प्रथम बीजें श्रीनंदि), २९९४६
४५ आगम श्लोक संख्या, सं., गद्य, म्पू., (१ आचारांग २५००२), २८२५०-९
५२ जिनालय ओली गणणुं, मा.गु., सं., गद्य, मृपू., (अजुवाले पखवाडे गणवुं), २९६९३-२
६२ बोल गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., ( गइ इंदिए काए जोए वेए), २९०८३-३
६४ योगिनी स्तोत्र, सं., श्लो. ११, पद्य, वै., (ॐ दिव्यजोगी महाजोगी), २८७९३ - ४ (+), २९२९० २(१), २८१८४-३
८४ लाख जीवयोनि क्षमापना विचार, प्रा., मा.गु., प+ग., मूपू., (जो को विह पाणगणो), २९१९४-१(+) अंगुलसप्ततिका, आ. मुनिचंद्रसूरि, प्रा. गा. ७०, पद्य, मूपू (उसभसमगमणमुसभजिणमणि), २९६२८
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ (२) अंगुलसप्ततिका-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (ऋषभगामिनं अनिमिष), २९६२८
अंतकृद्दशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अ. ९२, ग्रं. ८९९, गद्य, मूपू., (तेणं कालेण० चंपा०), २७०९५(+), २७०४१ (२) अंतकृद्दशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अंतगड शब्दस्य कः), २७०४१ अक्षयतृतीयापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., ग्रं.७०, गद्य, मूपू., (प्रणिपत्य प्रभु), २८२५०-३३ अक्षौहिणीसैन्य मान, सं., श्लो. १, पद्य, (दशलक्षदति त्रिगुणा), २९०८३-४ अचित्तसचित्त काल, प्रा., पद्य, मूपू., (पणदिणभीसोलुट्टो अचाल), ३००२८-४(+$) अजितशांति स्तव, आ. नंदिषेणसूरि, प्रा., गा. ४०, पद्य, मपू., (अजियं जिय सव्वभयं), २८०८४-१०(+), २९५०६(+),
२९५७३(+), २९५८३(+), २९६३९-१(+), २९७३९(+), २८४८२, २९४०९, २९४२६, २९५१३ (२) अजितशांति स्तव-टीका, आ. गोविंदाचार्य, सं., गद्य, मूपू., (अजितं अजितनामानं), २९६३९-१(+) (२) अजितशांति स्तवन, संबद्ध, उपा. मेरुनंदन, मा.गु., गा. ३२, वि. १५वी, पद्य, मूपू., (मंगल कमलाकंद ए),
२८१२९-२१(+), २८२६३-९५(+) अजितशांति स्तवबृहत्-अंचलगच्छीय, आ. जयशेखरसूरि, सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., (सकलसुखनिवहदानाय सुर), २९६६६-२ (२) अजितशांति स्तवबृहत्-अंचलगच्छीय की अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (अहं जिनं श्रीअजितनाथ), २९४८५ (२) अजितशांति स्तवबृहत्-अंचलगच्छीय का टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (सघलां सुखनो जे समूह), २९६६६-२ अजितशांति स्तवलघु-अंचलगच्छीय, क. वीर गणि, प्रा., गा. ८, पद्य, मूपू., (गब्भ अवयार सोहम्मसुर), २९६६६-१ (२) अजितशांति स्तवलघु-अंचलगच्छीय काटबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (मातानइं गर्भि अवतर्य), २९६६६-१ अजितशांति स्तवलघु-खरतरगच्छीय, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. १७, पद्य, मूपू., (उल्लासिक्कमनक्ख निग), २९६३९-२(+) (२) अजितशांति स्तवलघु-खरतरगच्छीय की अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (जिनवल्लभसूरयः स्तवं), २९६३९-२(+) अजैन श्लोक, सं., पद्य, वै., (--), २९५५८-२ (२) अजैन श्लोक का टबार्थ, मा.गु., गद्य, वै., (--), २९५५८-२ अध्यात्मकल्पद्रुम, आ. मुनिसुंदरसूरि, सं., अधि. १६, श्लो. २७२, पद्य, मूपू., (जयश्रीरांतरारीणां), प्रतहीन. (२) अध्यात्मकल्पद्रुम-हिस्सा शांतरस अधिकार, आ. मुनिसुंदरसूरि, सं., पद्य, मूपू., (--), प्रतहीन. (३) अध्यात्मकल्पद्रुम-हिस्सा शांतरस अधिकार का शांतरसवर्णन, मा.गु., ग्रं. १८५०, गद्य, मूपू., (अहो भव्य जीवो
सदाकाल), २७५६२ अनशन आलापक, प्रा., गद्य, मूपू., (अहन्नं भंते तुम्हाणं), २९२३५ (२) अनशन आलापक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अहन्नं क० हु भंते), २९२३५ अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अ. ३३, ग्रं. १९२, प+ग., मूपू., (तेणं कालेणं० नवमस्स), २७२४१(+),
२७४०१(+#), २७५४२(+), २७६९१-१(+), २९६४८(+), २७३१३, २७४६१, २७५६१ (२) अनुत्तरौपपातिकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (ते काल चउथाआराने), २७२४१(+), २७४०१(+#), २७५४२(+),
२७६९१-१(+$), २७३१३, २७४६१ अनुभवसिद्धमंत्रद्वात्रिंशिका, आ. भद्रगुप्तसूरि, सं., अधि. ५, पद्य, मूपू., (--), २७६५१ अनुयोगद्वारसूत्र, आ. आर्यरक्षितसूरि, प्रा., गा. १६०४, प+ग., मूपू., (नाणं पंचविह), २९१६२(5) (२) अनुयोगद्वारसूत्र-टबार्थ , मा.गु., गद्य, श्वे., (ना० ज्ञान पंच प्रकार), २९१६२६) (२) अनुयोगद्वारसूत्र-हिस्सा कालप्रमाणनिरूपणगत औदारिकादिशरीरपंचक निरूपण, आ. आर्यरक्षितसूरि, प्रा., सू. २४,
प+ग., मूपू., (कइणं भंते सरीरगा), २९४००-२ (३) अनुयोगद्वारसूत्र-हिस्सा कालप्रमाणनिरूपणगत औदारिकादिशरीरपंचक निरूपण की अवचूरि, सं., गद्य, मपू., (उदारं
तीर्थकर गणधरा), २९४००-२ अनुयोग विधि, मा.गु.,प्रा.,सं., गद्य, मूपू., (मुहपत्ती पडिलेही), २८२०६-२ अन्नपूर्णा स्तोत्र, शंकराचार्य, सं., श्लो. ९, पद्य, वै., (नित्यानंदकरी पराभयकर), २९१०४-२ अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लो. ३२, पद्य, मूपू., (अनंतविज्ञानमतीत), २७१२१,
२८१०२-३, २८२९१-२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका-स्याद्वायजरी वृत्ति, आ. मल्लिषेणसूरि, सं., श. १२१४, गद्य, मूपू., (यस्य ज्ञानमनंतवस्तु),
२७१२१ अभव्य कुलक, प्रा., गा. ९, पद्य, मूपू., (जह अभवियजीवेहिं न), २८७६४, २८८७४, २९६८४ (२) अभव्य कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जह के० जिम अभव्यनो), २९६८४ अभिधानचिंतामणि नाममाला, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., कां. ६, ग्रं. १४५२, वि. १३वी, पद्य, मूपू.,
(प्रणिपत्यार्हतः), २७७७६(+), २७८५५, २७११८($) (२) अभिधानचिंतामणि नाममाला-स्वोपज्ञ तत्त्वाभिधायिनी विवृति, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., वि. १२१६, गद्य,
मूपू., (धर्मतीर्थकृतां वाचा), २७११८($) अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लो. ३२, पद्य, मूपू., (अगम्यमध्यात्मविदाम), २८२९१-१ अरिहंतगुण स्तुति, प्रा.,मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (अन्नाणकोहमयमाणलोह), २८१६५-१, २८३२९-१($) अरिहंतवाणी के पैंतीसगुण, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (संस्कारत्वं संस्कृत), २९१४०-१०।। अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., प्रका. १०, पद्य, मूपू., (अर्हन्नामापि), २८७९३-१(+) अष्टमीतिथि स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (संप्रात संसारसमुद्र), २८१५०-४ अष्टादशस्तवी, आ. सोमसुंदरसूरि, सं., स्त. १८, वि. १४९७, पद्य, मूपू., (स्तुवे पार्श्व), २९६४९(+#) (२) अष्टादशस्तवी-अवचूरि, आ. सोमदेवसूरि, सं., वि. १४९७, गद्य, मूपू., (बहुव्रीहेरेकवचने), २९६४९(+#) अष्टाह्निकापर्व व्याख्यान, वा. क्षमाकल्याण, सं., वि. १८६०, गद्य, मूपू., (शांतीशं शांतिकर्ता), २७४७३(+), २७५४७(+$),
२९२२२() असज्झाय विचार, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (महिया जाव पडंति), २८१२८-२ आगमिकपाठ संग्रह, प्रा.,सं., गद्य, मूपू., (कप्पइ निग्गंथाण वा), ३०००६ आचारदिनकर, आ. वर्द्धमानसूरि, सं., उद. ३६, प+ग., मूपू., (तत्त्वज्ञानमयो लोके), प्रतहीन. (२) आचारदिनकर-बृहन्नंद्यावर्तपूजन, हिस्सा, आ. वर्द्धमानसूरि, सं., गद्य, मूपू., (ओं नमोर्हद्भ्यः ), २७९३७ (२) आचारदिनकर-कलशप्रतिष्ठा विधि, संबद्ध, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (नत्वा वामेय सर्वज्ञ), २८६४७ आचारप्रदीप, आ. रत्नशेखरसूरि, सं., प्रका. ५, ग्रं. ४०६५, वि. १५१६, गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमनुपमवि), २९४३८($) आचारांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अध्य. २५, ग्रं. २६४४, प+ग., मूपू., (सुयं मे आउसं० इहमेगे), २७३३२(+$),
२७३७८-१(+) (२) आचारांगसूत्र-बालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीजिनाधीशं), २७३७८-१(+$) (२) आचारांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीवीतरागने नमस्कार), २७३३२(+$) (२) आचारांगसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (--), २८४१३-१(६) (२) आचारांगसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मा.गु., पद्य, मूपू., (आचारांग वडुं कहिं रे), २८५४७-२(६) (२) आचारांगसूत्र-साधुगुण सज्झाय, संबद्ध, मु. गुणसागर, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (जंबु धाई पोखरा दीप),
२८१३९-६(-) आचारोपदेश, ग. चारित्रसुंदर, सं., वर्ग. ६, पद्य, मूपू., (चिदानंदस्वरूपाय), २७३८५(+#) (२) आचारोपदेश-टिप्पण, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७३८५(+#) आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., गा. ७१, प+ग., मूपू., (देसिक्कदेसविरओ), २७०५६-२ आत्मावबोध कुलक, आ. जयशेखरसूरि *, प्रा., गा. ४३, पद्य, मूपू., (धम्मप्पहारमणिज्जे), २९६३४ आदिजिन जन्माभिषेक कलश, अप., ढा. १६ काव्य, पद्य, मूपू., (मुक्तालंकारविकारसार), २९३६७-१ आदिजिन तेरभव स्तवन, प्रा.,मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सिरि सरसति कवियण तणी), २८६१५-२ आदिजिन स्तव, ग. लक्ष्मीकल्लोल, सं., श्लो. २३, पद्य, मूपू., (श्रीनाभिभूपाल विशाल), २९९५७(+) आदिजिन स्तव, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (भक्तिनम्रामराधीश), २८४९१-२(+) आदिजिन स्तव-देउलामंडण, मु. शुभसुंदर, प्रा., गा. २४, पद्य, मूपू., (जय सुरअसुरनरिंदविंद), २७२७६-१(+) (२) आदिजिन स्तव-देउलामंडण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (कियदनुभूत मंत्रयंत्र), २७२७६-१(+)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ आदिजिन स्तव-शत्रंजयतीर्थमंडन, उपा. यशोविजयजी गणि, सं., श्लो. ६, पद्य, मूपू., (आदिजिनं वंदे गुणसदन),
२८२२२-३(+), २८५८७-४ आदिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (आनंदानम्रकम्रत्रिदश), २८३०२-१ आदिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (ऋषभनाथ भनाथनिभानन), २८१६३-१७(+) आदिजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (जय वृषभ वृषभवृषविहित), २९२५४-१(+) आदिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (भक्तामरप्रणतमौलिमणि), २९७३७-२(+), २८८२४-१ आदिजिन स्तुति, सं., पद्य, मूपू., (भावानयानेगनरिंदविंद), २८८२४-६, २९१६५-३, २९३९२-१ आदिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीआदिनाथं नतनाकि), २९७३७-७(+), २८८२४-५, २८८९४-१, २९१६५-२,
२९३९२-२ आदिजिन स्तुति-अर्बुदगिरिमंडन, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (वरमुक्तियहार सुतार), २८१६३-१८(+), २८४९३-५, २९९४१-२ आदिदेवमहिम्न स्तोत्र, मु. रत्नशेखर, सं., श्लो. ३८, पद्य, मूपू., (महिम्नः पारं ते परम), २९१५५(+), २८६५० आदिनाथदेशनोद्धार, प्रा., श्लो. ८८, पद्य, मूपू., (संसारे नत्थि सुह), २९७५१ आप्तमीमांसा, आ. समंतभद्र, सं., परि. १०, श्लो. ११५, पद्य, दि., (देवागमनभोयानचामरादि), २८१०२-२ आयंबिल पच्चक्खाण, प्रा., गद्य, मूपू., (उग्गए सूरे नमुकारसी), २८२८६-८(-) आयुष्यलक्षण श्लोक, सं., श्लो. ६, पद्य, मूपू., (लक्ष्मं लक्षणो लक्षत), २७१९५-२ (२) आयुष्यलक्षण श्लोक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जे आउखाना लक्षणनो), २७१९५-२ आरंभसिद्धि, आ. उदयप्रभसूरि, सं., विम. ५, ग्रं. ४६०, वि. १३वी, पद्य, मूपू., (ॐ नमः सकलारंभसिद्धि), २७३६०(5) आराधनापताका, प्रा., गा. ९३२, ग्रं. १०७०, पद्य, मूपू., (सम्म नरिंददेविंदवंद), प्रतहीन. (२) आराधनापताका उद्धार, संक्षेप, प्रा., गा. १५१, पद्य, मूपू., (संलेहणाउ दुविहा), २९०३७-१ आराधना वार्ता, प्रा.,मा.गु., पद्य, श्वे., (नमो अरिहंताणं जय जय), २७२८२-१(६) आलाप पद्धति, आ. देवसेन, सं., सूत्र. २२८, वि. १०वी, गद्य, दि., (गुणानां विस्तर), २७४२६(+) आलोयणा आराधना, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (एगेंदियाणं जं कहवी), ३००१० आलोयणा विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथमं ईर्यापथिकी), २८६०२-१ आलोयणा विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (प्रथम मुहूर्त), २९५३३ आवश्यकसूत्र, प्रा., अध्य. ६, सू. १०५, प+ग., मूपू., (णमो अरहताणं० सव्व), प्रतहीन. (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा वंदनकअध्ययन, प्रा., सू. ०१, गद्य, मूपू., (इच्छामि खमासमणो वंदि), २९५८७ (३) आवश्यकसूत्र-हिस्सा वंदनकअध्ययन का अर्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (इच्छामि कहतां वांछु), २९५८७ (२) चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, प्रा.,सं., प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं नमो), प्रतहीन. (३) चैत्यवंदन विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (इछामि खमासमणो कही), २८२७४-१ (२) लोगस्ससूत्र, हिस्सा, प्रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (लोगस्स उज्जोअगरे), प्रतहीन. (३) लोगस्ससूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (चउद राजलोकमाहि), २९०५८ (२) सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (सकलकुशलवल्ली), २९७३७-५(+), २८७६५, २९४०१ (३) सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदन-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीअरिहंत भगवंत), २९४०१ (३) सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र-(पु.हि) बालावबोध, पुहिं., गद्य, मूपू., (स श्रीपार्श्वदेवः), २८७६५ (२) अतिचार आलोयणा-रात्रिदिवसगत, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (आजुणा चौपहुर दिवसमाह), २८०८४-४(+) (२) इरियावही १८२४१२० भेद, संबद्ध, मा.गु., गद्य, श्वे., (१५ करम भूम ५ भरत ५), २९१४३-२, २९९१७-१ (२) इरियावही क्षमापनाभेद, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (नारकीभेद १४ तिर्यंच), २८४१४ (२) इरियावही सज्झाय, संबद्ध, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. २०, पद्य, स्था., (अरिहंत सिद्ध आचारज), २८७३९-२ (२) इरियावही सज्झाय, संबद्ध, मु. मेरुविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (सकल कुशलदायक अरिहंत), २८१२८-५ (२) इरियावही सज्झाय, संबद्ध, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (गुरु सन्मुख रही विनय), २८८६७
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) कल्लाणकंद स्तुति, संबद्ध, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (कल्लाणकंदं पढम), २८१२०-१८(+), २९९७५-१(+), २८१९६-२,
२८२६५-६, २८२७७-२, २८४९०-४, २८७३३-२ (२) काउसग्ग आगार, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., पद्य, मूपू., (रायाभियोगेणं राय बले), २८२३१-४ (२) कायोत्सर्ग १९ दोष, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (घोडानी परि एकई पगि), २८२३१-११ (२) क्षेत्रदेवता स्तुति, संबद्ध, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (यस्याः क्षेत्रं समाश), २८७६३-६ (२) गुरुसुखशाता पृच्छा, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (इच्छामि खमासमणो), ३००२२-२ (२) गुरुस्थापना सूत्र, संबद्ध, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (पंचिंदिय संवरणो तह), २८६३४-२, २९६८५-१ (२) चैत्यवंदन, संबद्ध, आ. गौतमस्वामी गणधर, प्रा., गा. ७, प+ग., मूपू., (जगचिंतामणी जगनाह), २८६१३ (३) चैत्यवंदन-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (इछाई करीने आदेस), २८६१३ (२) देववंदन विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम दोय गाथारो नम), २८११७-७(+) (२) देवसिप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं), २७८६५(+$), २७१८० (३) देवसिप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय का टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार हवओ रागद्वेष), २७१८० (२) देवसिराईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं नमो), २७११२-१(+$),
२८२८०-१, २८२९०-१, २७०९६(5), २७३५५(६) (२) देसावगासिक पच्चक्खाण, संबद्ध, प्रा., गद्य, श्वे., (अहन्नं भंते तुम्हाणं), २७२७३-२ (२) निक्षेप विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीअनुयोगद्वार मध्य), २८२३८-७ (२) पंचप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय, संबद्ध, प्रा.,सं., प+ग., मूपू., (णमो अरिहंताणं० जयउ), २८१६३-१(+) (२) पंचप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मपू., (नमो अरिहंताणं), २७१६७ (३) मन्हजिणाणं सज्झाय-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (मन्हजिणाणं आणं मिच्छ), २९२४२, २९८०९,
___ ३०००९-२, २८९११-१(#), २८७२२-१(5) (२) पगाम सज्झायसूत्र, संबद्ध, प्रा., सू. २१, गद्य, मूपू., (करेमि भंते० चत्तारि०), २८१६३-३२(+$), २९१०१-२(+$),
२८६८८, २९५१४-१, २९६०९, ३०००२ (२) पाक्षिकआलोचना विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मपू., (इच्छा० संदि० पखिउं), २९४८८ (२) पाक्षिकचौमासीसंवत्सरीतप आलापक, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (इच्छाकारेण संदिसह), २९५१५-२ (२) पाक्षिकचौमासीसंवत्सरीप्रतिक्रमण विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (मुहपत्तिवंदणयं), २९०४२ (३) क्षुद्रोपद्रवनिवारण स्तुति, संबद्ध, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (सर्वे यक्षांबिकाद्या), २८५९५-२, २८७२३-२ (३) छींक विचार, संबद्ध, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (पाखी पडिकमणा करता), २८९३५-१ (२) पौषध विधि*, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (इरियावहि पडिकमिई), २८३५०-१(+), २९४०८(+) (२) पौषध विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम इरियावही पडिक), २८१४१-४(+$), २८१२८-१, २९१५८-३ (२) पौषधविधि-अष्टप्रहरी, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (रात्रि पिछली घडी २), २८१९६-१($) (२) पौषधविधि संग्रह, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (इरियावहि चार नवकारनो), २९८७६, २९९८२-३ (२) पौषधविधि संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (खमासमण देइनें इरिया), २७९५५ (२) पौषध सज्झाय-खरतरगच्छीय, संबद्ध, प्रा., गा. ३३, पद्य, मूपू., (जगचूडामणिभूओ उसभो), २९८८१ (२) प्रतिक्रमण विधि , संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीप्रवचनसारोद्धार), २९१९०-३(+), २९५१२-३(+$), २८२०७-८,
२८६९२, २८०९६-५(६) (२) प्रतिक्रमणविधि संग्रह-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (देवसिय आलोय पडिकंत्त), २८५१४(+),
२८८१९(+$), २९८०२(+), २८८३०-२, २९१४६, २९१७९ (२) प्रतिक्रमण विशे उपदेश*, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (साधु साधवि श्रावक), २८५६१-२ (२) प्रतिक्रमण सज्झाय, संबद्ध, मु. मयाचंद, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (कर पडिकमणुंभावशु), २८२५२-२२ (२) प्रतिक्रमण सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (गोयम पूछे श्रीमहावीर), २९९८८,
२९१५३-२(६)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ (२) प्रतिक्रमण सज्झाय, संबद्ध, पंन्या. रुपविजयजी, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (कर पडिक्कमणुं भावशुं), २९८८६ (२) प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह - वे.मू. पू. *, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, मूपू., ( नमो अरिहंताणं नमो ), २९३४०(०७), २७३११, २७५०६, २९१७७, २७०७५ (३), २९१२६ (३)
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(२) प्रतिलेखनकालमान गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. २२, पद्य, मूषू, (आसाढे मासे दुप्पया), २७४०९ - २(+), ३००२८- १(+) (२) प्रतिलेखनकालमान यंत्र, संबद्ध, मा.गु., को., भूपू., (--), २७४०९-३०), २९१६७-२
(२) प्रतिलेखनबोल गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. ०५, पद्य, मूपु. ( सुतत्थतत्थविट्ठी), २८५६५ (+)
,
(३) प्रतिलेखनबोल गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिली पडिलेहणानुं), २८५६५ (+) (२) प्रतिलेखन विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपु, (इरियावही पडिकमी), २९१५८-५
(२) प्रत्याख्यानसूत्र, संबद्ध, प्रा., पद्य, मूपू., ( उग्गए सुरे नमुकारसिय), २९०५९(+), २९७०६ (+), २८५७९, २८६७५,
२८७३१- २, २८८६६, २८९७५-१, २९०८२, २९६५९, २९८००, ३००२२-१, २८७५३ ($) (३) प्रत्याख्यानसूत्र- बालावबोध, मा.गु., गद्य, भूपू., (अन्नत्थणाभोगेणं अन्न), २७४७७(4)
(३) प्रत्याख्यान आगारसंख्या गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. ३, पद्य, भूपू., (दो चैव नम्मोकारे), २८७३१-३
(४) प्रत्याख्यान आगारसंख्या गाथा- अर्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अन्नत्थणाभोगेणं), २८७३१-३
(३) प्रत्याख्यानसूत्र ( प्रा. +मा.गु.) १० प्रत्याख्यान विधि, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिलउ समेकतु उचरिवउ), |२९२९३(+)
(२) मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन के ५० बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (तत्त्वदृष्टि सम्यक्त), २७६९१-२(+), २९०९०- १(०), २८२३१-६, २८५७४, २८७११-१, २९१४०-४, २९८१९
(२) मुखवखिकाप्रतिलेखन सज्झाय, संबद्ध, मु. दयाकुशल, मा.गु., गा. ८, पद्य, म्पू, (जिन वचन सदा अणुसरी), २९८०३-१
(२) राईप्रतिक्रमणनिरूपक गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (कुसुमिण दुसुमिण राईय), २८७३१-१ (३) राईप्रतिक्रमणनिरूपक गाथा-टवार्थ, रा., गद्य, मूपु., ( इच्छाकारण संदि० ), २८७३१ - १
(२) राईप्रतिक्रमणसूत्र तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग., म्पू., (नमो अरिहंताणं नमो ), प्रतहीन.
(३) भरहेसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., गा. १३, पद्य, मूपू., (भरहेसर बाहुबली अभय), २७११२ - २ (+), २९७६४-३(+),
२८१६९-१०, २८२०३ ६, २८४६६, २८५५२-१, २८९२२
(२) वंदित्तुसूत्र, संबद्ध, प्रा., गा. ५०, पद्य, मूपू., (वंदित्तु सव्वसिद्धे), २९७९२(+), २९८४२
(२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., प+ग, मूषू, (नमो अरिहंताणं० पंचिद), २७३८४(+), २७२८५, २८०९४-१
(३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र तपागच्छीय का टवार्थ, श्राव. ताराचंद, मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंत विहरमाननइ), २७२८५ (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय का टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (माहरउ नमस्कार अरिहंत), २७३८४(+६)
,
-
(२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह (चे. मू. पू.), संबद्ध, प्रा., मा.गु., प+ग., म्पू., ( नमो अरिहं० सव्वसाहूण), २७४९२ - १(००) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- टबार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., ( अरिहंतनइ नमस्कार हुआ), २७४९२- १+०)
(३) पंचाचार अतिचार गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. ८, पद्य, भूपू., (नाणम्मि दंसणम्मिअ), २८२०७-७, २८४७७
(३) श्रावकपाक्षिकअतिचार तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, म्पू, (नाणंमि दंसणंमि०), २७५८३(०), २८३६८-३(०), २७२७३- १, २८८११, २९२२५-१, २९७४५, २८६०१, २७११३(३), २७२६२ (३) २८२५१-१३(३)
(४) श्रावकपाक्षिकअतिचार-तपागच्छीय की अतिचारसंख्यामिलान, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (१२ व्रतना ८० अतिचार),
४६३
२८२५०-१०
(२) आवकसंक्षिप्त अतिचार, संबद्ध, मा.गु., प+ग, मूपू., ( पण संलेहणा पनरस), २८४०५, २९१६६ - २ (६)
(२) साधु प्रतिक्रमणसूत्र संग्रह श्वे. मू. पू. संबद्ध, प्रा., प+ग., म्पू., ( नमो अरिहंताणं नमो ), २८७०६ - १(+), २९६००-१
(३) क्षामणकसूत्र, हिस्सा, प्रा., आला. ४, गद्य, मूपू., (इच्छामि खमासमणो पियं), २७३८७ - २(+#), २८५९५-१, २९१०३, २७६७६- २०००, २९२३६(१)
(४) क्षामणकसूत्र अवचूरि, सं., गद्य, म्पू., (यथा राजानं मंगलपाठका), २९२३६(४)
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४६४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
(४) क्षामणकसूत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (इच्छं छं बाछु), २८५९५-१
(३) पाक्षिकसूत्र, हिस्सा, प्रा., प+ग, मूपू., (तित्थंकरे व तित्थे) २७३१८(+), २७३४०२०) २७३८७-१+०) २८१५८-१(०), २७६७६- १०) २७०५३(३)
"
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(४) पाक्षिकसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (तीर्थंकर प्रते वांदउ), २७०५३ ($)
(३) साधुअतिचारचिंतवन गाथा, संबद्ध, प्रा., गा. १, पद्य, भूपू., (सवणासणन्नपाणे), २८४९२-५(१), २८७२३-३
"
(३) साधुपाक्षिक अतिचार वे.मू. पू., संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, भूपू., (नाणम्मि दंसणम्मि०), २७७५४ १, २८४८४, २९५१५-१ (३) साधुराईप्रतिक्रमण अतिचार वे.मू. पू., संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, म्पू., (संधारा वट्टणकि परिव) २९२५७-१ (२) साधु श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., सं., प+ग, भूपू., ( नमो अरिहंताणं नमो ), प्रतहीन. (३) पार्श्वजिन चैत्यवंदन, हिस्सा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (चउकसायपडिमलुहूरण), २८०८४-११(+), २८९८३-१ (४) पार्श्वजिन चैत्यवंदन - अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (भुवनत्रयस्वामी पार्श), २८९८३-१
(२) सामायिक पारने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम खमासमण देई), २८६१६ - २ (+), २८५६३-२, २९१५८-२ (२) सामायिक लेने की विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मृपू., ( प्रथम वस्त्र उतारी ), २८०८४-९(+), २८६१६-१(+), २९१५८-१ आशीर्वाद लोक संग्रह, क. विमल, मा.गु., सं., श्लो. ९, पद्य, वै., (हिमशिशरबसंतोग्रीष्म), २८२५३-९ आषाढकार्तिकफाल्गुनचातुर्मासिक व्याख्यान, सं., गद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वसुखमागारं ), २९९५३($)
आस्रवत्रिभंगी, मु. श्रुतमुनि, प्रा., गा. ६२, वि. १४वी, पद्य, दि., (पणमिय सुरिदपूजिय), २८२९५ - १ ( +ड (२) आस्रवत्रिभंगी टीका, सं., त्रिभं. ३, गद्य, दि., (), २८२९५ ११०)
आह्वान विसर्जन मंत्र, सं., श्लो. २, पद्य, मूपू., ( आवाहनं न जानामि न ), २८१२६-५
इंद्रियपराजयशतक, प्रा., गा. १००, पद्य, मूपू., (सुच्चिअ सूरो सो), २९५०१(+) इच्छापरिग्रह परिमाण, प्रा., गा. १८, पद्य, म्पू., (नमंत देविंदमुणिंद), २८३३५
"
इरियावही कुलक, प्रा., गा. १०, पद्य, मूपू., (चउदस पय अडचत्ता तिगह ), २८४९२ - ९(+), २९१९०-१(+), २८३३३
(२) इरियावही कुलक- टीका, सं., गद्य, मूपू., (सप्तनरक पृथ्वी), २९९९० - १(+)
(२) इरियावही कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, भूपू., (चौदह नारकी ४८ तीयंच), २८४९२-९ (६) ईर्ष्यापथिकषट्त्रिंशिका कुलक, उपा. धर्मसागरगणि, प्रा., गा. ३६, पद्य, मूपू, (पणमिअ जिणवर वीरें), २७३९७(*) (२) ईर्यापथिकषट्त्रिंशिका कुलक- स्वोपज्ञ वृत्ति, उपा. धर्मसागरगणि, सं., ग्रं. ७४७, गद्य, मूपू., (प्रणम्यात्मविदं वीरं), २७३९७ (+)
जमणा विधि, प्रा., मा.गु., प+ग., मूपू., (कोइपण प्रकारना तप), २८५९१-१
उत्तराध्ययन सूत्र, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., अध्य. ३६, ग्रं. २०००, प+ग, मूपू., (संजोगाविष्पमुक्कस्स), २७३४४ (+), २७३७२(+),
२७३८१(+$), २७५३६(+), २७०७२, २७१८२, २७३८६, २७४३४, २७९४८, २८२४८-४, २९२९१-३, २७६८६(#), २९६१९९०१, २८९०८-३२-१
(२) उत्तराध्ययनसूत्र - दीपिका टीका, मु. विनयहंस, सं., वि. १५७२, गद्य, मूपू., (उत्तराध्ययनस्येमां), २७३८६
(२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ, आ. राजचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (वर्द्धमानजिनं नत्वा), २७१८२
(२) उत्तराध्ययनसूत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (संयोग बे प्रकारे), २७३७२ (+), २७५३६ (+)
(२) उत्तराध्ययनसूत्र - अध्ययन ९, हिस्सा, मु. प्रत्येकबुद्ध, प्रा., गा. ६२, पद्य, मूपू., ( चइऊण देवलोगाओ उवयन्न), २८६८९ (२) उत्तराध्ययनसूत्र - ३६ अध्ययननाम, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिलौ विनय अध्ययन), २८२१८-४(+)
(२) उत्तराध्ययनसूत्र-अध्ययन १० - सज्झाय, संबद्ध, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (--), २८६४२-१($) (२) उत्तराध्ययनसूत्र- द्रुमपत्रीवाध्ययन सज्झाय, संबद्ध, पन्या, जिनविजय, मा.गु., गा. २२, पद्य, मृपू., (वीर विमल केवल धणीजी), २८२८५-१९. २८९५६
उपदेशमाला, ग. धर्मदास, प्रा., गा. ५४४, पद्य, मूपू., (नमिऊण जिणवरिंदे इंद), २७४८७ (+), २७३५०, २९७६३, २७१२५ ($) (२) उपदेशमाला-बालावबोध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., वि. १७१३, गद्य, मूपू., (नमस्कार करीनइ जिण), २७४८७(+$),
२७१२५ (३)
(२) उपदेशमाला - कथा, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गद्य, मूपु., ( वंदित्वा वीरजिनं), २७४८७(+९), २७३५०, २७१२५(६)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४६५ (२) उपदेशमाला गाथा शकुन, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (सच्चं भासइ अरिहा), २७१९५-१(६) उपदेशरत्नमाला, आ. पद्मजिनेश्वरसूरि, प्रा., गा. २६, पद्य, मूपू., (उवएसरयणकोसं नासिअ), २८३८० (२) उपदेशरत्नमाला-टबार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., (उपदेशरूप रतन तेहनो), २८३८० उपधानतप विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (पहिलुं नवकारनु), २९६२६(+) उपसर्गगण, सं., श्लो. २१, पद्य, मूपू., (प्रपरापसमन्वव निर्दु), २९०३९-१(+$), २९०३९-२(+) (२) उपसर्गगण-टीका, सं., गद्य, मूपू., (प्राक् पूरणे अतः क्व), २९०३९-१(+) उपासकदशांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अ. १०, ग्रं. ८१२, प+ग., मूपू., (तेण० चंपा नाम नयरी), २७३९०(+), २७०७६,
२७३३०(#$), २७६६८($) . (२) उपासकदशांगसूत्र-वृत्ति, आ. अभयदेवसूरि, सं., वि. १११७, गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), २७३९०(+$) (२) उपासकदशांगसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीवर्धमानमानम्य), २७६६८(१) उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा १३, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. १३, पद्य, मूपू., (उवसग्गहरं पासं० ॐ), २९०७३-२, २९०७५ उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा ५, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (उवसग्गहरं पासं पास), २८२४१-९, २९११३-२ (२) उवसग्गहर स्तोत्र-गाथा ५ की भंडारगाथा*, संबद्ध, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, मूपू., (तुह दंसणेण सामिय),
२८०९३-१ ऋषिमंडल स्तोत्र, आ. गौतमस्वामी गणधर, सं., श्लो. ९२, ग्रं. १५०, पद्य, मूपू., (आयताक्षरसंलक्ष्य), २८०७१(+),
२८११७-६(+), २९४१३(+), २८२७४-७ । (२) ऋषिमंडल स्तोत्र-आम्नाय, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रां हिँ हुँ), २७४९८-३, २७७०६-३ (२) ऋषिमंडल स्तोत्र पूजा, संबद्ध, ग. शिवचंद्र, मा.गु.,सं., ढा. २४, वि. १८७९, पद्य, मूपू., (प्रणमी श्रीपारस विमल),
२८११७-१४(+) (२) ऋषिमंडल स्तोत्र-पूजाविधि, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रां अ० ॐ ह्रीं), २७४९८-४, २७७०६-४ (२) ऋषिमंडल स्तोत्र पूजाविधि, संबद्ध, सं., ग्रं. ३८३, गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीजिनाधीशं), २७४९८-१, २७७०६-१, २९१५७ (२) ऋषिमंडल स्तोत्र-यंत्रलेखन विधि, संबद्ध, आ. सिंहतिलकसूरि, सं., श्लो. ३६, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमीशं),
२७४९८-२, २७७०६-२ ऋषिमंडल स्तोत्र, प्रा., गा. ७७, पद्य, मूपू., (निज्जियपरीसहचमु), २७३६६(+) (२) ऋषिमंडल स्तोत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मपू., (जीती परिसहरूप सेना), २७३६६(+) एकलविहारी ८ बोल, प्रा., पद्य, श्वे., (अट्ठहिं ठाणेहि), ३००२५-२ एकविंशतिस्थान प्रकरण, आ. सिद्धसेनसूरि, प्रा., गा. ६६, पद्य, मूपू., (चवण विमाणा नयरी जणया), २९३१८-१(+),
२९७४४(+), २७५७६, २९५५२, २९५९३ (२) एकविंशतिस्थान प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (चोवीस तीर्थंकरना २१), २९७४४(+), २७५७६ एकश्लोकी भागवत, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (आदौ देवकीदेवगर्भजनन), २८२५०-१४ एकश्लोकी महाभारत, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (आदौ पांडवधार्तराष), २८२५०-१३ एकश्लोकी रामायण, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (आदौ रामतपोवनादिगमन), २८२५०-१२ एकीभाव स्तोत्र, आ. वादिराजसूरि, सं., श्लो. २६, ई. ११वी, पद्य, दि., (एकीभावं गत इव मया), २७०६३(+), २८२३९-२ (२) एकीभाव स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, दि., (भो देव यः अयं कर्म), २७०६३(+) औपदेशिक गाथा संग्रह, प्रा., पद्य, मूपू., (--), २८९५३($) औपदेशिक श्लोक संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., श्लो. ५०, ग्रं. ५६८, पद्य, मूपू., (किं लक्ष्मी गजवाज), २७५४३-२, २७७६६,
२७९२५-५ (२) औपदेशिक श्लोक संग्रह-अर्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७७६६
औपदेशिक श्लोक संग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., श्लो. ६१, पद्य, श्वे., (धर्मे रागः श्रुतौ), २७२७९(+), २८२२६-२६ (२) औपदेशिक श्लोक संग्रह-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (अहँत भगवंत असरणसरण), २७२७९(+) औपपातिकसूत्र, प्रा., सू. १८९, ग्रं. १६००, प+ग., मूपू., (तेणं कालेणं० चंपा०), २७४०५
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(२) औपपातिकसूत्र - टीका, आ. अभवदेवसूरि, सं. ग्रं. ३१२५, गद्य, म्पू., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), २७४०५ २८५८५ - २, २९७४८-३, २९९३१-३ (पिंड विसोही ४ समिई), २९१९४-२ (०)
औषधवैद्यक संग्रह, सं., प्रा., मा.गु., गद्य, वै., (--), करणसित्तरीचरणसित्तरी गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, भूपू कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ६०, पद्य, मूपू., (सिरिवीरजिणं वंदिय), २७२७० - ४(+$), २७३१४-१(+), २७३२६(+), २७३२७(*), २७४७५- १(००), २९४४३(०६), २९६४०(०), २७२२७, २८७९९
(२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ वालावबोध, मा.गु., गद्य, भूपू., (ज्ञान अतिसय प्रातिष्ठा), २७०९३ १
(२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, उपा. शांतिसागर, मा.गु., गद्य, मूपू., ( श्रीमहावीरदेव प्रतई), २७३२६(+)
(२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीवीरजिन बांदी), २७३१४- १(+), २७३२७(+), २७४७५ - १(००), २९४४३(+६)
कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ३४, पद्य, मूपू., (तह थुणिमो वीरजिणं), २७१३४(+), २७३१४-२ (+), २७३२५(+), २७४७५-२(+), २७१३०, २७१७०, २८८०१
(२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ - बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मूपू., (तिम श्रीमहावीर प्रति), २७१३४ (+), २७०९३ - २, २७१३०,
-
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
२७१७०
(२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (तह क० तिम हवे बिजा), २७१३४ (+), २७३१४-२(+), २७३२५(+), २७१३०, २७१७०
(२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (बंध ते स्यु कहीयइ), २७४७५-२(+#)
कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., व्याख. ९, ग्रं. १२१६, गद्य, भूपू., (तेणं कालेणं० समणे), २७१०० (+३), २७२३१ (+३),
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२७३०९(+), २७४१९(+), २७४३५ (+), २७४३६(+३), २७५२२(+), २७५२७(+), २७७३६(+), २७०७१, २७१६१, २७३३४, २७४५८(०३), २७१३३(३) २७१७१(३) २७२५८(१), २७२८८ ६)
(२) कल्पसूत्र टीका में, सं., गद्य, भूपू (प्रणम्य प्रणताशेष), २७७३६(+)
(२) कल्पसूत्र - टवार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपु., (अरिहंतन माहरो ), २७१०० (+5), २७२३१(०६), २७४१९ (६), २७४३६ (+३), २७५२२१, २७१७१(३), २७२८८(३)
-
(२) कल्पसूत्र - टवार्थ + व्याख्यान+कथा, आ. सोमविमलसूरि, मा.गु., गद्य, मूपु., (सकलार्थसिद्धिजननी), २७४३५ (०) (२) कल्पसूत्र - व्याख्यान + कथा *, सं., गद्य, मूपू., (तत्रादौ श्रीऋषभदेव), २९३२६(+)
(२) कल्पसूत्र - व्याख्यान+कथा, मा.गु., गद्य, म्पू, ( नमः श्रीवर्द्धमानाय), २७१०० (+), २७२३१(+३), २७४१९ (+३), २७४३६(+), २७५२२(+), २७४५८ (१३) २७१७१(३) २७२८८(४)
(२) कल्पसूत्र - दशआश्चर्य वर्णन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., ( उवसग्ग गब्भहरणं इत्थ), २७३७९
(२) कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मु. हेमविमलसूरि - शिष्य, मा.गु., गद्य, मूपू., (सकलार्थ सिद्धिजननी), २७४३३(+)
(२) कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (अर्हंत भगवंत उत्पन्न), २७४८३, २९२८१($)
(२) कल्पसूत्र पीठिका, संबद्ध, मा.गु., सं., गद्य, भूपू., ( नमः श्रीवर्द्धमानाव), २९३४९
(२) कल्पसूत्र पीठिका *, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (श्रीकल्पः सहकार एष), २७०८९
(३) कल्पसूत्र - पीठिका का टबार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीकल्पसूत्र आम्र), २७०८९
(२) जिनेश्वर गर्भकाल व महावीरजिन जन्मवाचन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपु., (ऋषभदेवस्वामी नवमास ९) २९८६३
(२) लक्ष्मीदेवी वर्णन, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवि श्रीलक्ष्मीदेवता), २९०७७-१
(२) कल्पसूत्र - अंतर्वाच्य, उपा. भक्तिलाभ, सं., गद्य, म्पू, (पुत्राः पंचमतिश्रुता), २७३८९ (+)
',
(२) कल्पसूत्र - अंतर्वाच्य *, मा.गु., गद्य, मूपु., (उत्तराफाल्गुनी नक्षत), २९१३१(०७) (२) कल्पसूत्र- अंतर्वाच्य, सं., गद्य, भूपू., (प्रणम्य श्रीजिनं), २७१८७
(३) कल्पसूत्र- अंतर्वाच्य का टबार्थ में, मा.गु., गद्य, म्पू., (नमस्कार करीने), २७१८७ कल्पावतंसिकासूत्र, प्रा., अध्य. १०, गद्य, मूपू., (जति णं भंते समणेणं०), २७३५६-२(+) (२) कल्पावतंसिकासूत्र - टीका, आ. चंद्रसूरि सं., गद्य, मूपू., (श्रेणिकनमृणां), २७३५६ - २(+) कल्पिकासूत्र, प्रा., अध्य. १०, गद्य, मूपू., ( तेणं कालेणं तेणं०), २७३५६-१ (+)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४६७ (२) कल्पिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, मूपू., (पार्श्वनाथं नमस्कृत), २७३५६-१(+) कल्याणकतप विधि, प्रा., गा. २, पद्य, श्वे., (एगो वासो दो अबिलई), २७३५३-३(+#) कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., श्लो. ४४, पद्य, मूपू., (कल्याणमंदिरमुदार), २७४४१(+), २७७६५(+),
२८११७-५(+), २८१६३-३०(+), २९७७१(+), २९७८८(+), २७१८८, २७५००-१, २८२३९-१, २८२४१-२,
२८२५१-७, २९४७३, २७२७१(६), २९११३-१(६) (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-टीका, मु. कनककुशल, सं., ग्रं. ६५०, वि. १६५२, गद्य, म्पू., (प्रणम्य पार्श्व), २७७६५(+) (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-टीका, पा. हर्षकीर्ति, सं., गद्य, मूपू., (श्रीमत्पार्श्वजिन), २७४४१(+) (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (कल्याणमंदिरं गृह), २९७७१(+) (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-बालावबोध, श्राव. मोहनलाल शास्त्री पंडित, पुहि., वि. १९२२, गद्य, मूपू., दि., (अतिशयपणा करि
विस्तरि), २७१८८ (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पार्श्वनाथजीरा चरण), २७२७१(६) (२) कल्याणमंदिर स्तोत्र-पद्यानुवाद, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. ४४, पद्य, मूपू., दि., (परमज्योति परमातमा),
२८३९०(+#), २८२४१-७, २८२५६-७, २८६९८ कायस्थिति प्रकरण, आ. कुलमंडनसूरि, प्रा., गा. २४, पद्य, मूपू., (जह तुहदसणरहिओ कायठि), २८२३३-१(+) (२) कायस्थिति प्रकरण-टीका, आ. कुलमंडनसूरि, सं., वि. १५वी, गद्य, मूपू., (वर्द्धमानं जिन), २८२३३-१(+) कार्तिकपूनम व्याख्यान, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (सिद्धो विजाय चक्की), २८२२३-४(+) कार्तिकपूर्णिमापर्व व्याख्यान, ग. जयसार, सं., वि. १८७३, गद्य, मूपू., (श्रीसिद्धाचलतीर्थेशं), ३०००१ कालग्रहण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (योगकालिक अने उत्कालि), २८३४१ कालभैरवाष्टक-काशीखंडे, सं., श्लो. ११, पद्य, वै., (यययं यक्षरूपं दश), २९२१०-३ कालिकाचार्य कथा, प्रा., गा. १२०, पद्य, मूपू., (हयपडिणीयपयावो), २७३९६(+#) केशी गौतमगणधर गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, श्वे., (केसीकुमार समणे गोयमे), २९५०३-२(+) खामणा कुलक, प्रा., गा. ३८, पद्य, मूपू., (जो कोवि मए जीवो चउगइ), २७२८२-२($) गच्छाचार प्रकीर्णक, प्रा., गा. १३७, पद्य, मूपू., (नमिऊण महावीर), २७३३३-१ (२) गच्छाचार प्रकीर्णक-बृहट्टीका, ग. विजयविमल, सं., ग्रं. ५८५०, वि. १६३४, गद्य, मूपू., (उद्बोधं विदधेब्जानाम),
२७३३३-१ (२) गच्छाचार प्रकीर्णक-बीजक, सं., ग्रं. ६२, गद्य, मपू., (गाथा वृत्तौ मंगलादि), २७३३३-२, २८३८१ गणधरविद्या मंत्र, सं., गद्य, मूपू., (ॐ नमो जिणाणं इत्यादि), ३००२३-२(+) गाथा संग्रह, प्रा.,मा.गु., गा. १, पद्य, (कज्जल विज्जल गुद), २९६०५-२ गाथा संग्रह *, प्रा., पद्य, श्वे., (--), २७४८६-२(+) । (२) गाथा संग्रह-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (--), २७४८६-२(+) गिरनारतीर्थ कल्प, मु. ब्रह्मेद्र; सरस्वती, सं., श्लो. २३, पद्य, मूपू., (श्रीविमलगिरेस्तीर्था), २९००२ गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका कुलक, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., गा. ४०, पद्य, मूपू., (वीरस्स पए पणमिय सिरि), २९४३९ (२) गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका कुलक-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीमहावीरना चरण), २९४३९ गुरुवंदना, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (तित्थयरे भगवंते), २९६००-२ गुरुवंदना, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (पूजसिरि अज्जरक्खिय), २९६००-३ गैरक तापस कथा, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (प्रथविभूषणनगरे प्रजा), २९०७७-२ गोचरी आलोअण गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (अहो जिणेहिं असावज्जा), २८४९२-६(+), २८७२३-४ गोचरी आलोअण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (गोचरीथी आवीने पात्रा), २८६७४ गोचरी के ६१ दोष, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (आहाकम्मं उद्देसीयं), २९६९६ (२) गोचरी के ६१ दोष-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (आ० साधु नीमंतेरांदै), २९६९६ गोचरी दोष, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (अहाकम्मं १ उदेसिय), २८६७०, २९३२०(#)
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४६८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) गोचरी दोष-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (आ० आधाकरमी ते कहीइ), २८६७०, २९३२०(#) गोम्मटसार, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., कां. २ अधिकार ३१, गा. १७०५, पद्य, दि., (सिद्धं सुद्धं पणमिय), प्रतहीन. (२) गोम्मटसार-उदयत्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., त्रिभं. ३, गा. ७३, पद्य, दि., (पंचणवदोणिअट्ठावीसं),
२८२९५-३(+) (३) उदयत्रिभंगी-टीका, सं., त्रिभं. ३, गद्य, मूपू., दि., (ज्ञानावरणस्य पंच ५), २८२९५-३(+) (२) गोम्मटसार-बंधत्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., त्रिभं. ३, गा. ४१, पद्य, दि., (णमिऊण णेमिचंदं असहाय),
२८२९५-२(+) (३) बंधत्रिभंगी-टीका, सं., त्रिभ. ३, गद्य, दि., (नत्वा नमस्कृत्य नेमि), २८२९५-२(+) (२) गोम्मटसार-विशेषसत्तात्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., गा. ३७, पद्य, दि., (णमिऊण वद्धमाण कणयणि),
२८२९५-५(+) (३) विशेषसत्तात्रिभंगी-टीका, सं., गद्य, दि., (कनकवण देवराज), २८२९५-५(+) (२) गोम्मटसार-सत्तात्रिभंगी, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., त्रिभं. ३, गा. ३५, पद्य, दि., (पंचणवदोणिअट्ठावीसं०),
२८२९५-४(+) (३) सत्तात्रिभंगी-टीका, सं., त्रिभं. ३, गद्य, दि., (ज्ञानावरणाद्यष्टकर्म), २८२९५-४(+) गौतम कुलक, प्रा., गा. २०, पद्य, मूपू., (लुद्धा नरा अत्थपरा), २८७५५ गौतमगणधर स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (यस्याभिधानं मुनयोपि), २९८४९-२ गौतमगणधर स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (वंदेहमिंद्रभूति), २९७९१-२(+) गौतमपृच्छा, प्रा., गा. ६४, पद्य, मूपू., (नमिऊण तित्थनाह), २९०२२(+), २९६२४(+) (२) गौतमपृच्छा-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (तीर्थनाथ श्रीमहावीर), २९६२४(+) गौतमस्वामी काव्य, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (अब्धिलब्धिकदंबकस्य), २८९८३-२ (२) गौतमस्वामी काव्य-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (लब्धि भणियै आमोसहि), २८९८३-२ गौतमस्वामी स्तवन, आ. वज्रस्वामि, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (स्वर्णाष्टाग्रसहस्र), २८११२-४(+) गौतमस्वामी स्तुति, आ. ज्ञानसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीइंद्रभूति), २९७११-८ गौतमस्वामी स्तुति, मा.गु.,सं., गा. ५, पद्य, मूपू., (अंगुठे अमृत वसे लब्ध), २९९८७-२ गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (ॐ नमस्त्रिजगन्नेतुर), २८०९२-१०(+), २८७९३-६(+) गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २१, पद्य, मूपू., (श्रीमतं मगधेषु), २८३९९-२(+), २९३३२-२(+), २७०३८-१ (२) गौतमस्वामी स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मपू., (ज्योतिर्गृहगौतमवंश), २९३३२-२(+) गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. देवानंदसूरि, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (इंद्रभूतिं वसुभूति), २८०९२-९(+), २८११२-२(+),
२८१८१-२, २८२५०-२० । गौतमस्वामी स्तोत्र, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (प्रभूतविद्याभिरभून्न), २८११२-३(+) ग्रहशांति स्तोत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (जगद्गुरुं नमस्कृत्य), २८०८४-७(+), २८७९३-५(+),
२८२७४-५, २८४०९, २८६३५-१, २९०२१, २९८४९-१ घंटाकर्णमहावीरदेव स्तोत्र, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (ॐ घंटाकर्णो महावीरः), २८२७४-३ चंद्रगुप्त १६ स्वप्न विचार, प्रा., गद्य, म्पू., (तेणं कालेणं तेणं), २८५१६-२ चंद्रप्रभजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ५, पद्य, मपू., (ॐ चंद्रप्रभ प्रभाधी), २८२०१-६(+), २८२७४-४, २९३४७-२ चंद्रावेध्यक प्रकीर्णक, प्रा., गा. १७५, पद्य, मूपू., (जगमत्थयत्थयाणं विगसि), २७०५६-५ चक्रवर्तिऋद्धि, प्रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (चउरो आउग्गेहें भंडार), २८४९२-३(+) (२) चक्रवर्तिऋद्धि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (आयुधशालाएं ४ भंडारने), २८४९२-३(+$) चक्रेश्वरीदेवी मंत्र, सं., गद्य, मूपू., (ॐनमो चक्रेश्वरीदेवी), २९०३३-५(+) चक्रेश्वरीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (श्रीचक्रे चक्रभीमे), २९०३३-६(+$)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४६९ चतुःशरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., गा. ६३, पद्य, मपू., (सावज जोग विरई), २७३८३(+), २७४७१(+), २९७६४-२(+),
२७०५६-१, २९७८५, २९७७६(5) (२) चतुःशरण प्रकीर्णक-बालावबोध, मा.गु., ग्रं. ३४७, गद्य, मूपू., (पहिलुंछ आवश्यकनां), २८४३६ (२) चतुःशरण प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (चउसरणपइनाना अर्थ०), २७३८३(+), २७४७१(+) चतुर्दशीतिथि स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (देवाधीशयुतै भृशं), २८१५०-५ चतुर्विधध्यान विचार, सं., पद्य, मूपू., (उक्तमेव पुनदेव सर्वं), २९४३७-२ चत्तारिअट्ठदस गाथा, प्रा., पद्य, श्वे., (--), प्रतहीन. (२) चत्तारिअट्ठदस गाथा-टीका, सं., गद्य, मूपू., (दाहिण दुवारे ४ पच्छि), २७३५३-२(+#) चमत्कारचिंतामणि, राजऋषिभट्ट, सं., श्लो. १११, पद्य, वै., (क्वणत्किंकिणी जालकोल), २७४२०(+) (२) चमत्कारचिंतामणि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., वै., (श्रीवामेय जिनं नत्वा), २७४२०(+) चरणसत्तरी-करणसत्तरी गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (एवय समणधम्म १० संजम), ३००२८-३(+), २८६८६ (२) चरणसत्तरी-करणसत्तरी गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिलुं बोल वय पंचमहा), २८६८६ चार मंगल, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (चत्तारि मंगलं अरिहंत), २९१९९-२ चारित्र विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (प्रथम सचित्त वस्तु), २८७०६-२(+) चित्रसेनपद्मावती चरित्र, आ. महीतिलकसूरि, सं., श्लो. १२३२, वि. १५२४, पद्य, मूपू., (नत्वा जिनपतिमाद्यं), २७०२६($) (२) चित्रसेनपद्मावती चरित्र-टबार्थ, ग. भक्तिविजय, मा.गु., गद्य, मूपू., (अद्य क० पहेला युगला), २७०२६($)
चैत्यवंदनभाष्य, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ६३, पद्य, मूपू., (वंदित्तु वंदणिज्जे), २७३३८(+) (२) चैत्यवंदनभाष्य-बालावबोध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऐंद्रश्रेणिनुतं), २७३३८(+) चैत्रीपर्णिमापर्व देववंदन विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (प्रथम गोबररी गुंहली), २८५९१-३ चैत्रीपूर्णिमापर्वेशजयगिरिपूजन विधि, मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (पंच पूजा निरंतर यथा), २८५९१-४ छंदबोधक चिह्न, सं., गद्य, (--), २८२१३-८ जंबूअध्ययन प्रकीर्णक, ग. पद्मसुंदर, प्रा., उ. २१, गद्य, मूपू., (तेणं कालेणं० रायगिहे), २७४४९(+), २७८३६(+$) (२) जंबूअध्ययन प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (ते काल चउथो आरो तेवा), २७४४९(+), २७८३६(+$) जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति, प्रा., वक्ष. ७, ग्रं. ४१४६, गद्य, मूपू., (नमो अरिहताण० तेणं), २७०८६(+$), २७४६३($) (२) जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-टीका, उपा. धर्मसागरगणि, सं., ग्रं. १४२५२, वि. १६३९, गद्य, मूपू., (जीयात् तेजस्त्रिभुवन), २७०८६(+$) (२) जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-प्रमेयरत्नमंजूषा टीका, उपा. शांतिचंद्र, सं., ग्रं. १२०००, वि. १६५१, गद्य, मूपू., (जयति जिनः सिद्धार्थः),
२७४६३($) जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., गा. ३०, पद्य, मूपू., (जयतिहुयणवर कप्परुक्ख), २७३४३(+), २७३४७-१(+),
२९०९४(+$), २८६६३, २९४७८, २८२५७-१(६) (२) जयतिहुअण स्तोत्र-टीका, सं., ग्रं. २५०, गद्य, मूपू., (अत्रायं वृद्धसंप्रदा), २७३४३(+) (२) जयतिहुअण स्तोत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (अभयदेवसूरि नवांगीवृत), २७३४७-१(+) (२) जयतिहुअण स्तोत्र भंडारगाथा, संबद्ध, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (परमेसर सिरिपासनाह), २८०९३-२ जातककर्म पद्धति, श्रीपति भट्ट, सं., अ. ८, पद्य, वै., (नत्वा तां श्रुतदेवता), २७८८२(+) (२) जातककर्म पद्धति-सुबोधिनी वृत्ति, ग. सुमतिहर्ष, सं., वि. १६७३, गद्य, मूपू., वै., (श्रीअश्वसेनिचलनांबुज), २७८८२(+) जिनअष्टक स्तोत्र, श्राव. दामोदर, सं., श्लो. ८, पद्य, जै.?, (मोक्षमार्गस्य नेतारं), २९९०५ जिनकल्याणकमाला, श्राव. आशाधर, सं., श्लो. ३५, पद्य, दि., (पुरदेवादिवीरांतजिनें), २८६५१ जिनकुशलसूरि अष्टक, मु. लक्ष्मीवल्लभ, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (श्रीधरालक्ष्मीसौभाग), २८०९२-११(+) जिनचैत्यवंदना स्तुति, सं., श्लो. २८, पद्य, मूपू., (देवोनेकभवार्जितो जित), २८११२-७(+) । जिनदत्तश्रावक कथा-लोभे, सं., श्लो. १२, पद्य, मूपू., (नगरं पाटलिपुत्र जित), २९७९३-१(+) जिनदत्तसूरिस्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, म्पू., (दासानुदासा इव सर्व), २८०८४-१२(+) जिननामार्थपंचविंशतिका स्तव, आ. तेजसिंह, सं., श्लो. २५, पद्य, श्वे., (सुवृषभं प्रथमं निशि), २९२७१-२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ जिनपंजर स्तोत्र, आ. कमलप्रभसूरि, सं., श्लो. २५, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह), २८२०१-१०(+), २८७९३-२(+),
२८२७४-८, २८६५२ जिनप्रतिमा स्तोत्र, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (नमिउणं सव्वजिणे), २८२२२-५(+) जिनभवन ८४ आशातना सूत्र, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (खेलं १ केली २ कलि ३), २९६६९ (२) जिनभवन ८४ आशातना सूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्लेष्मा क्रीडा हासा), २९६६९ जिनरक्षा स्तोत्र, सं., श्लो. १८, पद्य, मपू., (श्रीजिनं भक्तितो), २८६१९ जिनसहस्रनामयंत्र पूजा, मु. ब्रह्मशांतिदास, सं., प+ग., दि., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), २८७४९-१(+) जिनस्तुति प्रार्थना, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (प्रशमरसनिमग्नं दृष्ट), २८३९९-४(+), २९६५२-२(+) जिनस्तुति प्रार्थना संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गा. ८, पद्य, मूपू., (मंगलं भगवान वीरो), २८११२-९(+), २८१३७-३१ जिनस्तुत्यादि संग्रह, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (श्रीअर्हतो भगवंत), २९८३९-३ जीवविचार प्रकरण, आ. शांतिसूरि, प्रा., गा. ५१, पद्य, मूपू., (भुवणपईवं वीरं नमिऊण), २७१३७(+), २७२७०-१(+६),
२७३२०(+#), २७३२९(+), २७३५९(+#), २७५४६(+), २९५३१(+), २९७६४-१(+), २९९३७-१(+), २७४१२, २८४४०,
२८४५९, २९५७४, २७५६८-२६) (२) जीवविचार प्रकरण-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मूपू., (भुवनमाहि मिथ्यात्व), २७५४६(+) (२) जीवविचार प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीवीरं जिनं नत्वा), २७३२०(+#) (२) जीवविचार प्रकरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (तीन भुवन रै विषै), २७१३७(+), २७२७०-१(+s), २७३२९(+),
२७३५९(+#), २७५६८-२(5) जीवाभिगमसूत्र, प्रा., प्रतिप. १०, ग्रं. ४७५०, गद्य, मूपू., (णमो उसभादियाणं चउवीस), प्रतहीन. (२) जीवाभिगमसूत्र-२४ दंडक २७ द्वार विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (शरीर अवगाहणा संघेण), २७६७९-१ (२) जीवाभिगमसूत्र-विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीवाभिगमउपांग माहिलु), २७३३५(+) जैनकेवली सुकनावली, मा.गु.,सं., गद्य, श्वे., (ॐ ह्रीं अहँसर्व), २८८३६ जैन गाथा, प्रा., पद्य, श्वे., (--), २८७६९-२(+) जैन गाथासंग्रह , प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, मूपू., (सललमथघ्रतकाज निक्खु), २७२७६-२(+), २७४७६-३(+$), २७४४४-२,
२९२५९-३, २९६६०-३ जैनदुहा संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, श्वे., (--), २७८०६-२, २८२८६-४(-), २९१६१-२(-) जैनधर्ममहिमा स्तुति, सं., श्लो. २, पद्य, मूपू., (दुर्वारस्फारविध्नो), २८११७-१५(+) जैन श्लोक, सं., पद्य, मूपू., (--), २९५५१(+), २९९३७-२(+), २९९०६-२, २९९८२-२ (२) जैन श्लोक का बालावबोध, मा.गु., गद्य, पू., (--), २९५५१(+) । जैन सामान्यकृति, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, श्वे., (--), २९९६६-७(+), २९८१७, २९८५१, २९९१५, २९८४६(#) जैन सुभाषित, सं., पद्य, मूपू., (चंपांगे च पुलिंग), २७९२५-३ जैनी शक्ति स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (ऐंदवीथ कला शौक्ली), २८१०३-१ जैनेश्वरी स्तुति, पं. अमरसुंदर वाचक, सं., श्लो. २१, पद्य, मूपू., (इक्ष्वाकुवंशोदय भूधर), २८१०३-३ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अध्य. १९, ग्रं. ५५००, प+ग., मूपू., (तेणं कालेणं० चंपाए), २७३६८(+),
२७३७५ (+$), २७५२१(+) (२) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र-टबार्थ, उपा. कनकसुंदर, मा.गु., ग्रं. ८५००, गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीमहावीरं), २७५२१(+) (२) ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र-प्रश्नशतक, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञाताधर्मकथा साढि), २९४३५, २९४५५ ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (पंचानंतक सुप्रपंच), २८१६३-३(+) ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीनेमिः पंचरूप), २८१२०-९(+), २९४१९-३(+), २८१९६-५, २८२००-१,
२८२७७-४, २८२८०-२, २८७५६, २८१३९-२(-) ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (समुद्रभूपालकुलप्रदीप), २८१५०-६ ज्योतिष श्लोक, सं.,मा.गु., श्लो. ३, पद्य, श्वे., (ज्येष्टार्क पश्चिमोम), २९८९३-३(+)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४७१
ज्योतिष श्लोकसंग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, (अच्चिबुहविहप्पिसणि), २९३२७-२ ज्योतिष श्लोक संग्रह, सं., पद्य, वै., (इष्टस्यावधिसस्थितौ), २९८५०-२ ज्योतिष श्लोकसंग्रह, मा.गु.,सं., पद्य, (--), २७०६८-४(+) ज्योतिष श्लोकसंग्रह, सं., पद्य, (--), २७७४०-२(+) ज्योतिष संग्रह-, सं., पद्य, (इष्ठेदं प्रवेशे), २८४७४-२(+), २८१९०-४ ज्योतिष संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., ?, (--), २६९९८-२(+), २८३५५-३(+), २८२१३-५, २९८४०-४, २७३६७-३(#) ज्योतिष संग्रह *, मा.गु.,सं., प+ग., श्वे., (--), २९५८० ज्योतिषसार, आ. नरचंद्रसूरि, सं., श्लो. २९४, पद्य, मूपू., (श्रीअर्हतजिनं नत्वा), २७७४०-१(+), २७२८९(s), २८१२४-१(६) ज्वालामालिनी स्तोत्र, सं., गद्य, श्वे., (ॐ नमो भगवते श्रीचंद), २९१३०($) तंदलवैचारिक प्रकीर्णक, प्रा., प+ग., म्पू., (निजरिय जरामरणं), २७२९२ (२) तंदुलवैचारिक प्रकीर्णक-बालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (कल्याणवल्लीतती०), २७२९२ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, वा. उमास्वाति, सं., अ. १०, गद्य, मूपू., (सम्यग्दर्शनशुद्धं), २७५७४ तपग्रहण विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम इरियावही पडिक), २८११७-८(+$) तपग्रहणविधि संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, मूपू., (प्रथम इरियावही पडिकम), २८११७-१७(+), २९७१५(६) तपपारणा विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम इरीयावहि), २८९४६ तपावली, सं., तप. ५७, पद्य, मूपू., (उपधानानि सर्वाणि), २९५०२, २९७७२($) तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., गा. १४, पद्य, मूपू., (तिजयपहुत्तपयासय अठ्ठ), २८१६३-२८(+), २९३८८-२(+), २८२३०-३,
२८२५७-५, २८२७४-१२ तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (ख्यातोष्टापदपर्वतो), २९२२५-२ तीर्थवंदना चैत्यवंदन, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (सद्भक्त्या देवलोके), २८२१७-१८, २८६३५-२ तोरणप्रमाण-क्षीरार्णवग्रंथे, सं., श्लो. १३, पद्य, वै., (तथा तोरणं वक्षे), २८२१३-२ त्रिषष्टिशलाकापुरुष उत्पत्ति मातापितादि विचार, प्रा., गा. २, पद्य, श्वे., (तेसठीसलाकाणं पदवि), २८४९२-२(+) (२) त्रिषष्टिशलाकापुरुष उत्पत्ति मातापितादि विचार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (६३ सीलाकापुरुष ६३ पद), २८४९२-२(+) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पर्व. १०+परिशिष्ट, ग्रं. ३५०००, वि. १२२०, पद्य, मूपू.,
(सकलार्हत्प्रतिष्ठानम), २७२९७ (२) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र-टबार्थ, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य परया भक्त्या), २७२९७ (२) सकलार्हत् स्तोत्र, हिस्सा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लो. २६, पद्य, मूपू., (सकलार्हत्प्रतिष्ठान), २७१११,
२८२३२-३, २८३३७, २८३३८, २८५५५, २८६५५-१, २८७२०, २८८४०, २९२८२, २९४६५, २९४७१, २९६९८,
२८२९४-१(#) (३) सकलार्हत् स्तोत्र-टीका, ग. कनककुशल, सं., ग्रं. २८२, वि. १६५४, गद्य, मपू., (वयम् आर्हत्यं), २७१११ दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., गा. ४५, पद्य, मूपू., (नमिउंचउवीस जिणे), २७२७०-२(+), २७३१६-१(+), २७३६२(+),
२७४८४(+), २८३३२(+), २८५८९(+), २९४७९(+), २९६७५(+), २७१२८, २७१५६, २७५६८-३, २७६८९, २८१७६,
२९३१७, २९५८२, २९६८३ (२) दंडक प्रकरण-स्वोपज्ञ अवचूरि, मु. गजसार, सं., ग्रं. २१६, वि. १५७९, गद्य, मूपू., (श्रीवामेयं महिमामेयं), २९५८२ (२) दंडक प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (इहां चोवीस दंडकानइ), २७३१६-१(+) (२) दंडक प्रकरण-टबार्थ, मु. यशसोम-शिष्य, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऐंद्रराजं जिनं नत्वा), २७३६२(+), २७१२८, २७१५६ (२) दंडक प्रकरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऋषभादिक २४ जिननै), २७२७०-२(+), २७४८४(+), २९४७९(+),
२७५६८-३, २७६८९, २८१७६ दशवकालिकसूत्र, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., अध्य. १० चूलिका २, गा. ७००, वी. रवी, पद्य, मपू., (धम्मो मंगलमुक्किट्ठ),
२७०९९(+$), २७३८०(+$), २७४८५(+#$), २८१५८-३(+), २६९९४, २७२८६, २७४१६, २७६५६, २८१६९-९, २८२४८-१, २८७२३-१, २७५१२(#), २७५३१(#$), २८८२५-२($)
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४७२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) दशवैकालिकसूत्र-शिष्यबोधिनी टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं. ६८५०, गद्य, मूपू., (जयति विजितान्यतेजाः),
२७३८०(+$) (२) दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध, उपा. राजहंस, मा.गु., गद्य, मूपू., (नत्वा श्रीवर्द्धमान), २६९९४ (२) दशवकालिकसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मूपू., (ध० जीवनइ दुर्गति), २७४८५(+#S), २७२८६, २७४१६, २७५१२(#) (२) दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, मूपू., (धम्मोमंगल मुक्किट्ठ), २९१३५ (२) दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा प्रथम अध्ययन, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (धम्मो मंगलमुक्किट्ठ), ३००१८-२(2) (२) दशवैकालिकसूत्रगत गाथा, संबद्ध, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (सिजभवं गणहरं जिण), २९७६४-४(+) (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. जैतसी, मा.गु., अ. १०, वि. १७१७, पद्य, मूपू., (धर्ममंगल महिमा निलो),
२८२६९-४, २८९२९-१ (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (आधाकर्मी आहार न लीजि), २९३६४ (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., सज्झा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीगुरूपदपंकज नमीजी), २७०५९,
२८११०-४, २८३५७, २८३५८ ।। दानकल्पद्रुम, आ. जिनकीर्तिसूरि, सं., पल्ल. ९, पद्य, मूपू., (स श्रेयस्त्रिजगद्), २७४६८(+) (२) दानकल्पद्रुम-टबार्थ, पंन्या. रामविजय, मा.गु., वि. १८३३, गद्य, मूपू., (श्रीऋषभस्वामी केहवा), २७४६८(+) दानशीलतपभावना कुलक, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., वक्ष. ४, गा. ८१, पद्य, मूपू., (परिहरिय रज्जसारो), २७४२२(+) (२) दानशीलतपभावना कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (परिहरिउंछाडिउ स ग), २७४२२(+) दीक्षा विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (प्रथम दिने सांझरी), २९७२७(+) दीपमालिका मंत्र संग्रह, मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (--), २७०६८-३(+) दीपावलीपर्व कल्प, आ. जिनसुंदरसूरि, सं., श्लो. ४३७, ग्रं. १५००, वि. १४८३, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमांगल्य), २७२७२ (२) दीपावलीपर्व कल्प-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (मंगलिक दीवा सरीखी), २७१४६(+$) (२) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, ग. सुखसागर, मा.गु., ग्रं. १२००, वि. १७६३, गद्य, मूपू., (अहँत बालबोधानां), २७२७२ दीपावलीपर्व कल्प, प्रा.,सं., गा. १३७, प+ग., मूपू., (उप्पायविगमधुवमयमसेस), २७८८६(+) (२) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, ग. ऋद्धिविजय, मा.गु., गद्य, मूपू., (उपजै १ विनाशया मैं), २७८८६(+) दीपावलीपर्व स्तुति, गच्छा. जिनचंद्रसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (पापायां पुरि चारु), २८१६३-२५(+) दुहा संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, ?, (--), २९५५३-२ देववंदन विधि, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (नमोत्थुणं कहीने), २९९०३ देशना भाव, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (अनित्यानि शरीराणि), २८४५१ द्रव्य संग्रह, आ. नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती, प्रा., अधि. ३, गा. ५८, पद्य, दि., (जीवमजीवं दव्वं जिणवर), २८२४०-८ द्विजमुखचपेटा, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लो. ४२१, पद्य, मूपू., (सद्भूत भाव्यर्थविकास), २९९२१(६) धनपालपंडित कथा, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (--), २८५०८(+$) (२) धनपालपंडित कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २८५०८(+$) धर्मदत्त कथा, सं., प+ग., मूपू., (सव्वे तांह पसत्था), २८२५५-१(+) नंदीसूत्र, आ. देववाचक, प्रा., गा. ७००, प+ग., मूपू., (जयइ जगजीवजोणीवियाणओ), २७०८२(+5), २७३८२(+), २७४११(+),
२७४६०(+), २७४६६(+), २९७९७ (२) नंदीसूत्र-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (नंदी ते आनंदनी देण), २७०८२(+s), २७४११(+), २७४६०(+) (२) नंदीसूत्र-कथा संग्रह *, मा.गु., कथा. ८९, गद्य, मूपू., (नंदनं नंदि प्रमोदोहर), २७४११(+), २७४६०(+) (२) नंदीसूत्र-स्थविरावली, संबद्ध, आ. देववाचक, प्रा., गा. ५०, पद्य, मूपू., (जयइ जगजीवजोणी वियाणओ), २८१६९-८($) नमस्कार महामंत्र, शाश्वत, प्रा., पद. ९, पद्य, मूपू., (णमो अरिहंताणं), २९२२३(+), २९५३०(+), २८११६, २९०७३-१, __२९४७५, २९४९०, २९९१८, २९६६३-१(#), २७०५१(६) (२) नमस्कार महामंत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंतनइ माहरउ नमस्क), २७४७२(+#), २९४७५
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४७३ (२) नमस्कार महामंत्र-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मूपू., (बारसगुण अरिहता), २९२२३(+), २९५३०(+), २८११६, २९४९०,
२९९१८, २९६६३-१(#), २७०५१(६) । (२) नमस्कार महामंत्र-छाया, सं., पद्य, मूपू., (नमोर्हद्भ्यः नमः), २९५३०(+) (२) नमस्कार महामंत्र-विपरीत, संबद्ध, शाश्वत, प्रा., पद. ९, पद्य, मूपू., (लंगमं इवह मंढप), २९६०५-३ नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, प्रा., गा. १२, पद्य, मूपू., (उकोसो सज्झाउ चउदस), २८२९८-३१(+) नमिऊण स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, प्रा., गा. २४, पद्य, मूपू., (नमिऊण पणयसुरगण), २९३८८-३(+), २८३५६, २९०२९(#),
२८४०४(६) (२) नमिऊण स्तोत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमिऊण नमिऊण कहितां), २९३७६(+) नयचक्रसार, ग. देवचंद्र, सं., वि. १८वी, गद्य, मूपू., (प्रणम्यपरमब्रह्म), २७०४९($) (२) नयचक्रसार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., वि. १८वी, गद्य, मूपू., (प्रणम्य परमब्रह्म), २७०४९(5) नवग्रह मंत्र, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (ॐ आइच्चसोममंगल बुध), २८२५८-५(-) नवग्रह मंत्र, सं., श्लो. ९, पद्य, वै., (ॐ नमो श्रीआदित्याय), २८७९३-७(+) नवग्रहमाला जापविधि, सं., गद्य, मूपू., (ह्रीं श्रीं क्लीं), २८२७४-१५ नवग्रह स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (अहिमगो हिमगो धरणीसुत), २८१४५-६(+), २८२३२-७ नवतत्त्व प्रकरण, आ. मणिरत्नसूरि, प्रा., गा. ५५, पद्य, मूपू., (जीवाजीवापुन्नं पावा), २७१०१-१(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीवतत्त्व अजीवतत्त्व), २७१०१-१(+) नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., गा. २९, पद्य, मूपू., (जीवा अजीवा पुन्नं), २७५६८-१ (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीवति प्राणान् धारयत), २७५६८-१ नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., गा. ६०, पद्य, मूपू., (जीवाजीवा पुण्णं पावा), २७०९८(+), २७१०९(+), २७११०(+), २७४७८-१(+),
२७५०८(+), २७६७३(+), २७९८४(+), २९५३२(+), २९५९८(+#), २९६३२(+), २९७४१(+), २९९०९(+#), २७८७०-१,
२९३८७, २९७५२, २९८४८, २७४६२(६), २८४२०(5) (२) नवतत्त्व प्रकरण-अवचूरि, आ. साधुरत्नसूरि, सं., गद्य, मूपू., (जयति श्रीमहावीर), २७४७८-१(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीवतत्त्व अजीवतत्त्व), २७५४०, २७७४१, २८४२०($) (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध *, रा., गद्य, म्पू., (जीवाजीवा० जीवतत्त्व), २७४६२() (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीजिनं देव), २७११०(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीजिनेश्वरमानम्य), २७०९८(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मूपू., (सम्यक् दृष्टि जीवनइ), २९८४८ (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीव कहतां च्यार), २७१०९(+), २७६७३(+$), २९९०९(+#), २७८७०-१ (२) नवतत्त्व प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (दश प्राण धारई ते), २७५०८(+$), २७९८४(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-रूपी अरूपी मिश्र भेद, संबद्ध, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (जीवो संवर निर्जर), २७४७८-२(+) (२) नवतत्त्व प्रकरण-विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (नवतत्त्व नाम जीव), २७६७९-२ (२) नवतत्त्व प्रकरण-हेयज्ञेयउपादेय, संबद्ध, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (हेया बंधासव पुन्ना), २७४७८-३(+) नवतत्त्व प्रकरण, प्रा., गा. १०७, पद्य, मूपू., (जीवाजीवापुन्नं पावा), २७९८२ नवपदतप विधि-काउसग्ग संख्या, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंत पदै १२ लोगस्स), २९४०५-२ नवपद पूजा, उपा. यशोविजयजी गणि, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, मूपू., (उपन्नसन्नाणमहोमयाणं), २८०९९-९१(+), २८२८७-१(६) नवपद वासक्षेप पूजा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु.,सं., गा. १०, पद्य, मूपू., (अरिहंत पद ध्यातो थको), २८२२७-३ नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., स्मर. ९, प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं० हवइ), २७१५३-१(+), २७४४०-१(+#),
२७४६९(+$), २७६४४(+$), २८१४५-१(+), २८२३२-१, २७०९४, २७१०२-१,२७६८३-१, २८२४०-६,
२८१९६-११(६), २८५०२(s), २९१७२(5), २८२५८-१(-) (२) नवस्मरण-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मपू., (अरिहंतनइं माहरो), २७४४०-१(+#), २७४६९(+$), २९१७२(5) निदान गाथा, प्रा., गा. १६, पद्य, मूपू., (निवधणनारीनरसुर अप्प), २९०३७-२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ निमित्तद्वार गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, श्वे., (शिवाणा निवभि ८ कर्म), ३००२५-१ निशीथसूत्र, प्रा., उ. २०, ग्रं. ८१५, गद्य, मूपू., (जे भिखु हत्थ कम्म), २७२६५ (२) निशीथसूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार हुवो सु०), २७२६५ नेमिजिन स्तव, आ. विजयसिंहसूरि, सं., श्लो. २४, पद्य, मूपू., (नेमिः समाहितधियां), २८३९९-१(+) नेमिजिन स्तव, प्रा., गा. ११, पद्य, मूपू., (वंदामि नेमिनाह पंचम), २९३१८-४(+) नेमिजिन स्तव, सं., श्लो. २२, पद्य, मूपू., (सिद्धांजनातीव तवांगभ), २८२९१-४ नेमिजिन स्तुति, मु. राजसिंह, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (कश्चित्कांता विरह), २९७५६(+) (२) नेमिजिन स्तुति-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (जनचित प्रज्ञाज्ञान), २९७५६(+$) नेमिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (कमलवल्लपनं तव राजते), २९७३७-६(+) नेमिजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (जिगाय यः प्राज्यतरः), २९२५४-३(+) पंचकल्याणक स्तुति, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (नाभेयं संभवं तं अजिय), २९३१८-२(+) पंचजिन स्तवन-हारबंध, आ. कुलमंडनसूरि, सं., श्लो. २३, पद्य, मूपू., (गरीयो गुण श्रेण्यरीण), २८६५७-२ पंचतीर्थजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीशत्रुजयमुख्य), २८३०२-२ पंचतीर्थजिन स्तुति, सं., श्लो. ३०, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीसदन), २७९२५-१ पंचतीर्थजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ६, पद्य, मूपू., (प्रणतमानवदानवनायकः), २८२१७-१६ पंचपरमेष्ठि जापमंत्र विधि, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (--), २८०९३-४ पंचपरमेष्ठि स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (अर्हतो भगवंत इंद्र), २९९९५-१ पंचपरमेष्ठि स्तुति, प्रा., गा. १, पद्य, श्वे., (णमिउण असुरसुरगरूल), २८११२-१५(+) पंचपरमेष्ठि स्तोत्र, प्रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (परमेष्ठिमंतसारं सारं), २८२५७-३ पंचभावस्वरूप गाथा, नंदलाल, प्रा., गा. २२, पद्य, श्वे., (महावीरं नमो किच्चा), २९४२८-१(+) (२) पंचभावस्वरूप गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (भगवंत श्रीमहावीरने), २९४२८-१(+) पंचमीतपमाहात्म्य कथा, मु. खूबचंद, सं., गद्य, मूपू., (चतुर्विंशतिं जिन), २९९०६-१ पंचषष्टियंत्र चैत्यवंदन, मु. नेतृसिंह कवि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (वंदे धर्मजिनं सदा), २८२५०-१७ पंचसंसार परिवर्तन, सं., गद्य, श्वे., (पंच संसार मुक्तेभ्यः), २७०३६ पंचांगुलीमाता मंत्र, सं., गद्य, जै.?, (ॐनमो पंचांगुली परसर), २९०३३-४(+) पंचेंद्रिय दृष्टांतकथा संग्रह, सं., श्लो. ९८, पद्य, मूपू., (पुष्पनाम शालोभूद), २९७९३-२(+) पच्चक्खाण आगार, प्रा.,मा.गु., पद्य, मूपू., (अनथणा भोगेण १), २८२३१-३ पच्चक्खाणआगार गाथा, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (दस तेरस सोलसमे वीस), ३००२८-२(+) पच्चक्खाण कल्पमान-पोरसी, प्रा.,मा.गु., गद्य, श्वे., (सावण वद पडवाक दिन), २८९७४ पच्चक्खाण भांगा, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (अन्नत्थणा भोगेण १), २९८६७ पट्टावली*, प्रा.,मा.गु.,सं., अंक. ३९ पाट, गद्य, मूपू., (श्रीमहावीर), २९१८१-१ पट्टावली खरतरगच्छीय, सं., श्लो. १५, वि. १८९२, पद्य, मूपू., (नमः श्रीवर्धमानाय), २९६०८-१ पट्टावली तपागच्छीय, उपा. धर्मसागरगणि, प्रा., गा. २१, पद्य, मूपू., (सिरिमंतो सुहहेउ), २८३३४ पडिलेहण कुलक, ग. विजयविमल, प्रा., गा. २८, पद्य, मूपू., (पडिलेहणा विशेष), २९४५३(+) (२) पडिलेहण कुलक-टबार्थ, ग. विजयविमल, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रतिलेखनाना विशेष), २९४५३(+) पदार्थसार, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (मज्ज विषय कषाया), २७०८३-२ पद्मकोश, गोवर्द्धन दैवज्ञ, सं., श्लो. १०९, वि. १६६६, पद्य, वै., (गणेश हरिं पद्मयोनि), २८१९०-२ पद्मावतीदेवी अष्टक, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (श्रीमद्गीर्वाणचक्र), २८२१४-८, २९३०३(#) (२) पद्मावतीदेवी अष्टक-पार्श्वदेवीय वृत्ति, ग. पार्श्वदेव, सं., ग्रं. ५००, गद्य, मूपू., (प्रणिपत्यं जिनं देव), २८२१४-१० पद्मावतीदेवी कल्प, सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं पद्मावति), २८२१४-२ पद्मावतीदेवी कल्प, सं., गद्य, मूपू., (ओं ह्रीं क्लीं पञ), २८२१४-७
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट १
पद्मावतीदेवी कवच, सं., श्लो. १५, पद्य, भूप, (भगवन् सर्वमाख्यातं), २८२८४-२
पद्मावतीदेवी चौपाई, आ, जिनप्रभसूरि, अप, गा. ३७, वि. १४वी, पद्य, मूपू., ( जिणसारण अवधाक करेवि), २८२१४-६ पद्मावतीदेवी छंद, मु. हर्षसागर, सं., मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., ( ॐ ह्रीँ कलिकुंड), २८१२७-९ (+), २८२२९-१४, २८५६६ पद्मावतीदेवी जापमंत्र, सं., गद्य, भूपू., (), २८०९३७
पद्मावतीदेवी जापमंत्र संग्रह, सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीँ क्लीँ ब्लौं), २७०८८-२
पद्मावतीदेवी मंत्र, सं., गद्य, मूपू., (ॐ आँ क्रोँ ह्रीँ ए), २९०३३ - ३(+), २८२१४-३
पद्मावतीदेवी यंत्र, सं., यं., मूपू., (--), २८२१४-१
पद्मावतीदेवी स्तव, सं., श्लो. २७, पद्य, भूप, (श्रीमङ्गीर्वाणचक्र), २८१८४ १, २८२८४-४, २८८२६, २९४५१, २९९५८
(२) पर्यंताराधना- बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपु. ( नमीनइ नमस्करीनई), २८३४०-१(०)
(२) पर्यंताराधना-टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार करिने) २७३४९, २८६२० २९७३८ (३) (२) पर्यंताराधना-चयन, प्रा., गा. ४०, पद्य, मूपु, (नमिउण भणइ एवं भयवं), २८४९४
पद्मावतीपंचमुखी कवच, सं., गद्य, मूपू., (अस्य श्रीपद्मावतीपंच), २८२८४-१ पद्मावतीपटल स्तोत्र, सं., श्लो. ९, पद्य, मृपू., ( श्रीमन्माणिक्यरश्मि) २८२८४-३ पद्मावतीपूजन विधि, मु. इंद्रनंदि, सं., गद्य, मूपू., (ॐ नमो भगवते), २८२१४-४ पद्मावती रक्तवर्णीय पूजनविधिवृद्ध, सं., गद्य, भूपू (पूग ४०० पत्र ४००), २८२१४-५ पद्मावतीसहस्रनाम स्तोत्र, सं., श्लो. ११, पद्य, भूपू (प्रणम्य परया भक्त्या), २७०८८-१, २८२८४-६ पद्मावती स्तोत्र-क्षेपक, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (गर्जभीरदगर्भ निर्गत), २८२१४-९ परमाणु मान कुलक, प्रा., गा. २५, पद्य, म्पू., (पुढवाह आसत्ता सव्वं), २९४०२-१(+)
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पर्वताराधना, आ. सोमसूरि, प्रा., गा. ७०, पद्य, मूपू., (नमिउण भणइ एवं भवनं), २८३४०- १(+), २७३४१, २८६२० २९४२०, २९६१०. २९७३८ (६)
(३) पर्यंताराधना-चयन का बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिली पहिकमि इरियावह), २८४९४ पर्युषणाष्टाहिका व्याख्यान, मु. नंदलाल, सं., श्लो. ६२४, वि. १७८९, पद्य, भूपू., (स्मृत्वा पार्थ), प्रतहीन. (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान- बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वनाथ भगवंत), २७११४ पर्वजाप संग्रह, मा.गु., सं., प+ग., म्पू., (ॐ हीँ नमो नाणस्स), २९१११-२
पार्श्वजिन १० भव संक्षिप्तवर्णन * सं., गद्य, वे., ( पासे नामति भ्रातराव), २७३३१-२ (*)
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पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (स्नातस्याप्रतिमस्य), २८१९६- ३, २८२००-४, २८५४०, २८८४५,
२९१६६-१, २९८७९-४, २९९४१-१८, २८२९४-५(१) २८१३९-५०
पार्श्वजिन अष्टक, मु. मोटा ऋषि, सं., श्लो. ९, पद्य, श्वे., (श्रीमल्लिकाभ्रमर), २८२१७-१७ पार्श्वजिन अष्टक, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपु., (ॐ नमो भगवते श्री पार), २८२०१-७(१)
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पार्श्वजिन अष्टक - कलिकुंड, मु. कल्याण, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (विबुधादिराजेर्नतपाद), २७७१६ - १(०)
पार्श्वजिन अष्टक - महामंत्रगर्भित, सं., लो. ८, पद्य, भूपू (श्रीमदेवेंद्र वृंदा), २८०९३ - ६
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पार्श्वजिन चैत्यवंदन - चिंतामणि, सं., श्लो. ३, पद्य, मृपू., (किं कर्पूरमवं सुधारस), २९७४९ - १ पार्श्वजिन चैत्यवंदन - चिंतामणि, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ नमस्तुभ्य), २८२१७-६ ($) पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, आ. हंसरत्नसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, भूपू., (सकल सुरासुरवधं), २८१८९-३ पार्श्वजिन नमस्कार-८ दिशास्थित, सं., श्लो. ९, पद्य, मृपू., (स्वामि समुज्वलगुणं), २९९९३ पार्श्वजिन मंत्रजाप, मा.गु., सं., गद्य, मूप., ( ओं नमो भगवते श्रीपार), २८०८३-२(+), २८०९३ ३
पार्श्वजिन चरित्र, आ. भावदेवसूरि, सं., स. ८, ग्रं. ६४००, वि. १३१२, पद्य, मूपू., (नाभेयाय नमस्तस्मै), २७३३१-१(+)
(२) पार्श्वजिन चरित्र - टवार्थ, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., अं. १२९४७, वि. १८००, गद्य, म्पू, (प्रणिपत्य जिनान्), २७३३१-१(+) पार्श्वजिन चैत्यवंदन, मु. शिवसुंदर सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (वरसं वरसं वरसं वरसं), २९१६५-१, २९९०२-३
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (ॐ नमः पार्श्वनाथाय), २८१४५ - ३(+), २८२३२ - २, २८५८७-३, २९६०५-१,
२९६६०-२, २९९०२-२२८२५८-२-१
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४७६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., पद्य, मूपू., (अथ मंत्राधिराजस्यः), २८७७७-२($) पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वः पातु), २८७९३-३(+) पार्श्वजिनसहस्रनाम स्तोत्र, सं., श्लो. १२९, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वनाथं वामे), २८०८३-१(+) पार्श्वजिन स्तव, मु. कुलप्रभ कवि, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (नत्वोपासित चरणं कमठे), २८०९३-८ पार्श्वजिन स्तव, मु. जयसागर, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (योगात्मनां यं मधुरं), २८१२९-१६१(+) पार्श्वजिन स्तव, पं. जिनहर्ष गणि, प्रा., गा. २१, पद्य, मूपू., (मणवंछिअपूरण पारिजाय), २९०२५ पार्श्वजिन स्तव, ग. धीरचंद्र, सं., श्लो. २१, पद्य, मूपू., (जय कला कमला कमलं वरं), २८४७० पार्श्वजिन स्तव, मु. लक्ष्मीवल्लभ, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (सदानीलगात्रं सद्ज्ञा), २८०९२-१२(+) पार्श्वजिन स्तव, मु. विनयहर्ष शिष्य, सं., श्लो. ३६, पद्य, मूपू., (सुमनसंतापभय समुपासते), २९५७० पार्श्वजिन स्तव-अंतरीक्ष, मु. विजयशील, सं., श्लो. १५, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीपुरमंडन), २९४९२-१ पार्श्वजिन स्तव-करहेटक, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (आनंदभंदकुमुदाकरपूर्ण), २९२५४-७(+) पार्श्वजिन स्तव-कलिकुंड, आ. मुनिचंद्रसूरि, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (नमामि श्रीपार्श्व), २९७४६-४(+) पार्श्वजिन स्तव-गोडीजी, मु. धर्मवर्धन, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (प्रणमति यः श्रीगौडी), २८१२९-१६०(+) पार्श्वजिन स्तव-गोडीजी, मु. नित्यसौभाग्य, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वनाथः तव), २८५८६(-) पार्श्वजिन स्तव-चिंतामणि, मु. देवकुशल पाठक, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (स्फुरदेवनागेंद्र), २९११३-३, २९९०२-१ पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन खेटकपुरमंडन, वा. उदयरत्न, मा.गु.,सं., गा. ११, पद्य, मूपू., (भीडभंजन भवभयभीतिहर),
२८३५२ पार्श्वजिन स्तवन-मंत्राम्नायगर्भित, ग. सुजयसौभाग्य वाचक, मा.गु.,सं., गा. ७, पद्य, मूपू., (ॐनमः पार्श्वप्रभु), २९७७७-२(#) पार्श्वजिन स्तवन-रोडक, मु. रत्नप्रभ, मा.गु.,सं., गा. ९, पद्य, मूपू., (मीठे मरहठ देस भास), २८५०६-२(+) पार्श्वजिन स्तव-शृंखलाबंध, मु. जैनचंद्र, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (सर्वदेवसेवितपदपा), २८२२२-१(+) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक, आ. सूरप्रभाचार्य, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्व विश्वव्य), २७०३८-२ पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित, ग. पूर्णकलश, प्रा., गा. ३७, ई. १२००, पद्य, मूपू., (जसु सासणदेवि विवएस),
२९३२४-१(+), २९७५५ (२) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित-वृत्ति, ग. पूर्णकलश, सं., गद्य, मूपू., (जं संथवणं विहिअं), २८३४३(+),
२९३२४-१(+) पार्श्वजिन स्तुति, आ. जिनचंद्रसूरि, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (त्रिभुवनजनतारणगुण), २८०९२-७(+) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (तवेशनामतस्त्वरा दरा), २९२५४-४(+) पार्श्वजिन स्तुति, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (विभावमुत्तं सुहभाव), २८८२४-१० पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रेयः श्रियां मंगलक), २९७३७-४(+), २८८२४-३, २८८९४-३ पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (सर्वज्ञ ज्योतिरूपं), २८१६३-६(+) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुरनिर्जरलोकं), २८१६३-७(+) पार्श्वजिन स्तुति-कलिकुंड, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (कलिकुंड स्वामिने नमः), २७३४७-३(+) पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (नै दें कि धप), २८१२०-१२(+), २८१६३-१२(+),
२८४२४-२(+), २८८१४(+), २९५९७-३(+), २८२७७-४४, २८६८५ पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (शमदमोत्तमवस्तुमहापणं), २८१६३-५(+), २९४३२,
२९९४१-३ पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, सं., श्लो. १, पद्य, मपू., (श्रीशंखेश्वरतीर्थेश), २९८७९-५ पार्श्वजिन स्तुति-समवसरणभावगर्भित, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुरनिर्जरलोक), २९९४१-४ पार्श्वजिन स्तुति-स्तंभन, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (सिरिथंभणयट्ठिय पास), २८७६३-७ पार्श्वजिन स्तोत्र, मु. कुशल, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं धरणोर), २८०९२-६(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु.,सं., गा. ८, पद्य, मूपू., (भलु आज भेट्यो प्रभु), २८०९२-५(+)
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १
पार्श्वजिन स्तोत्र, प्रा., गा. ३, पद्य, मृपू., (ॐ अमरतरु कामधेणु), २८७७१३ पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपु., (ॐ नमो भगवते), २८२०१ - ९(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., ( अजरममरपारं मार ), २९०३३-२(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ७, पद्य, मूप, (प्रणमामि सदा प्रभु), २८२१७-१३ पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ८, पद्य, मृपू., (श्वामो वर्ण विराजिते), २८१८४-४
पार्श्वजिन स्तोत्र, प्रा., गा. ३, पद्य, मृपू, (सिरिसंखेसरपासं पउमाई), २९३२४- २ (०)
पार्श्वजिन स्तोत्र- १० भववर्णनगर्भित, सं., श्लो. १६, पद्य, मूप, (विप्रः प्राक् मरुभूत), २९०३६-३(४) पार्श्वजिन स्तोत्र - अष्टोत्तरशतनाममय, आ. सिद्धसेनसूरि, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वनाथाय नमो), २८२२२-७ (+) पार्श्वजिन स्तोत्र-कमलबंध, पंन्या, देवविजय, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपु. ( श्रीमत्प्रीतमप्रभा), २९७९६-३ पार्श्वजिन स्तोत्र - गोडीजी, आ. भावप्रभसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (सकल मंगल मंजुल मालिन), २८२६८-२ पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (किं कर्पूरमयं सुधारस), २८०९२ - ४ (+), २८२०१-११ (+),
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२८२२२-२ (०), २८०९३–५, २८२१७-२२
(२) पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि- अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (किमिति वितर्के कर्पू), २८०९३ ५(३)
पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, सं., श्रो, ७, पद्य, मृपू., ( नमो देव नागेंद्र), २८६५९-३
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पार्श्वजिन स्तोत्र - जीरावला - महामंत्रमय, आ. मेरुतुंगसूरि, सं., श्लो. १४, वि. १५वी, पद्य, मूपू., ( ॐ नमो देवदेवाय नित्य),
२९६४३
(२) पिंडविशुद्धि प्रकरण-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (इंद्रवृंदवंदित), २९६५२-१(+$)
पीठ स्तोत्र, सं., श्लो. १७, पद्य, वै., (), २८२०१-४१०)
२८२७४-१०
पार्श्वजिन स्तोत्र नवग्रहगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., गा. १०, पद्य, मूपू., (दोसावहारदक्खो नालिया) २८१६३ - २९(+), २८२२२-६(+), २८२३०-४, २८२५७-६(s)
पार्श्वजिन स्तोत्र नवग्रहगर्भित, प्रा., गा. १२, पद्य, मूपू., (अरिहं धुणामि पासं), २७३४७-२(५), २८२४२-२ पार्श्वजिन स्तोत्र - लक्ष्मी, मु. पद्मप्रभदेव, सं., . ९, पद्य, दि., (लक्ष्मीर्महस्तुल्यसत), २८१८४-२ पार्श्वजिन स्तोत्र - शंखेश्वर, मु. लब्धिरूचि, मा.गु., सं., गा. ३२, वि. १७१२, पद्य, मूपू., (जय जय जगनायक),
२९२२७/* २८२२९-३
2
"
पार्श्वजिन स्तोत्र- शंखेश्वर, आ. हंसरत्नसूरि, सं., श्लो. ११, पद्य, म्पू, (महानंद लक्ष्मी धना), २८९८९-२ पार्श्वजिन स्तोत्र- समस्याबंध, सं., श्लो. १३, पद्य, मृपू., (श्रीपार्श्वनाथं तमहं ), २९२५४-६(+) पार्श्वजिनाष्टकम्, मु. रत्नसिंह, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (कल्याणकेलिसदनाय नमो ), २८७२४ पार्श्वजिनाष्टक - शंखेश्वर, मु. भावप्रभ, सं. श्री. ९, पद्य, भूपू (श्रीसद्यपद्यापतिपूजि ), २८२६८-३ पार्श्वधरणेंद्रपद्यावती स्तोत्र, सं., गद्य, मूप, (नमो भगवते श्रीपार्श), २८२८४-५ पाशाकेवली, मु. गर्ग ऋषि, सं., श्लो. १९६, पद्य, श्वे., (२) पाशाकेवली भाषा, संबद्ध, मा.गु., गद्य, वे. पिंडविशुद्धि प्रकरण, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. १०३, पद्य, मूपू., (देविंदविदवंदिय पवार), २७३४९ (+), २९६५२ - १(+),
(महादेवं नमस्कृत्य), २७८२२, २७९८१ (१११ उत्तम धानक लाभ), २८०१९, २९९१०
पुण्यफल कुलक, आ. जिनकीर्तिसूरि, प्रा., गा. १६, पद्य, मूपू., (छत्तीसदिवससहस्सा), २८६०० (२) पुण्यफल कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., (छत्तीसहजार दिवस बरस ), २८६०० पुण्यसार कथा, सं., गद्य, मूपू., (साधर्मिकाणां वात्सल), २८२५५ - २ (+) पुद्गलपरावर्तन गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, श्वे., (एगा कोडि सत्त सट्ठि), २९७२६
(२) पुद्गलपरावर्तन गाथा - बालावबोध, मा.गु., गद्य, श्वे., (एक कोड शडशठ लाख), २९७२६ पुलपरावर्त्त विचार, प्रा., गा. ११, पद्य, मूपू., (दव्वे खिते काले०), २८२३३-३०) पुष्पचूलिकासूत्र, प्रा., अध्य, १०, गद्य, मूपु. ( जइ णं भंते समणेणं०), २७३५६-४(०)
,
(२) पुष्पचूलिकासूत्र टीका, आ चंद्रसूरि, सं., गद्य, भूपू., (चतुर्थवर्गोपि दशाध्य), २७३५६-४(+)
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२८१४८-५(+),
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४७८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ पुष्पमाला प्रकरण, आ. हेमचंद्रसूरि मलधारि, प्रा., गा. ५०५, पद्य, मूपू., (सिद्धं कम्ममविग्गह), २९९८५(६) (२) पुष्पमाला प्रकरण-लघुवृत्ति, ग. साधुसोम, सं., वि. १५१२, गद्य, मूपू., (इह संहिता च पदं चैव), २९९८५(s) पुष्पिकासूत्र, प्रा., अध्य. १०, गद्य, मूपू., (जति णं भंते समणेणं०), २७३५६-३(+) (२) पुष्पिकासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, मूपू., (अथ तृतीयवर्गोपि दशाध), २७३५६-३(+) पृथ्वीचंद्रगुणसागर २० भव नामवर्णन, सं., गद्य, मूपू., (यादृग्श्रवणे श्रूयते), २९१४२($) पृथ्वीचंद्र चरित्र, आ. लब्धिसागरसूरि, सं., श्लो. ९५५, वि. १५५७, पद्य, मपू., (श्रीपार्वं नौमि), २७३०८(+) (२) पृथ्वीचंद्र चरित्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य पार्श्वनाथ), २७३०८(+) पोषदशमी गणj, सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रींपार्श्व), २८९२७-२ पौषदशमीपर्व कथा, मु. जिनेंद्रसागर, सं., श्लो. ७५, पद्य, मूपू., (ध्यात्वा वामेयमहँत), २८२५०-३२ पौषध पारने की विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (इरियावही पडिकमी), २९१५८-४ प्रज्ञापनासूत्र, वा. श्यामाचार्य, प्रा., पद. ३६, सू. २१७६, ग्रं. ७७८७, गद्य, मूपू., (नमो अरिहताणं० ववगय), प्रतहीन. (२) प्रज्ञापनासूत्र-बहुवक्तव्यता पद, हिस्सा, प्रा., गा. ९८, गद्य, मूपू., (अहभंते सव्व जीवप्प), २७६०१-३(+) (२) प्रज्ञापनासूत्र-सज्झाय, संबद्ध, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (कहजो रे पंडित ते), २८१६७-२३ प्रज्ञाप्रकाशपब्रिशिका, आ. रूपसिंह, सं., श्लो. ३७, पद्य, श्वे., (प्रज्ञाप्रकाशाय नवीन), २७३५८-१ (२) प्रज्ञाप्रकाशषट्त्रिंशिका-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, श्वे., (प्रज्ञा क० बुद्धि), २७३५८-१ प्रतिष्ठा कल्प, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीमहावीरं), २७२८४-१ (२) प्रतिष्ठा कल्प-वचनिका, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (पूर्वक्रियायां पूर्व), २७९३८ प्रतिष्ठा कल्प, मा.गु.,सं., पद्य, श्वे., (तद्यथा सह वारक बहेंड), २७९६७(+) प्रतिष्ठा विधि, सं.,मा.गु., गद्य, मूपू., (पूर्वोक्त शुभ दिवसे), २७६२९ प्रबंधकोश, आ. राजशेखरसूरि, सं., प्रबं. २४, वि. १४०५, गद्य, मूपू., (राज्याभिषेककनकासनस्थ), २७२९० प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार, आ. वादिदेवसूरि, सं., अ. ८ परिच्छेद, गद्य, म्पू., (रागद्वेषविजेतारं), प्रतहीन. (२) प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार-स्याद्वादरत्नाकर स्वोपज्ञ वृत्ति, आ. वादिदेवसूरि, सं., अ. ८ परिच्छेद, गद्य, मूपू., (नमः
परमविज्ञानदर्शना), प्रतहीन. (३) प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार-स्याद्वादरत्नाकर स्वोपज्ञ वृत्ति कीरत्नाकरावतारिका टीका, आ. रत्नप्रभसूरि, सं., अ. ८,
ग्रं. ५६८०, गद्य, मूपू., (सिद्धये वर्द्धमान), २७०४०(+) प्रमाण नयवाद, मा.गु.,सं., गद्य, श्वे., (--), २८९३०(+$) प्रवचनसार मंगल, प्रा., गा. २३, पद्य, मूपू., (अरिहते नमिउणं सिद्ध), २८२४२-३ प्रवचनसारोद्धार, आ. नेमिचंद्रसूरि, प्रा., द्वा. २७६, गा. १५९९, ग्रं. २०००, वि. १२वी, पद्य, मूपू., (नमिऊण जुगाइजिणं),
२७२३२(+), २७२३७(६) (२) प्रवचनसारोद्धार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार करीनइं ऋषभ), २७२३२(+) (२) प्रवचनसारोद्धार-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७२३७($) प्रव्रज्या कुलक, प्रा., गा. ३४, पद्य, मूपू., (संसार विसम सायर भवजल), २८१६३-३१(+), २९१०१-१(+) प्रव्रज्या विधि, प्रा.,मा.गु., पद्य, मूपू., (दीक्षा लेता एतला), २८५८८-२, २९१२५ प्रश्नव्याकरणसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अ. १०, गा. १२५०, ग्रं. १३००, प+ग., मूपू., (जंबू अपरिग्गहो संवुड), २७३४६(+$) (२) प्रश्नव्याकरणसूत्र-टिप्पण, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७३४६(+६) प्रश्नाष्टक, श्राव. दलपतिराय श्रमणोपासक, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., (अनाद्येयं सिद्धि), २८८४३-२(+) प्रश्नोत्तररत्नमाला, आ. विमलसूरि, सं., श्लो. २९, पद्य, मूपू., (प्रणिपत्य जिनवरेंद्र), २८९९२-२(+), २९९११(६) (२) प्रश्नोत्तररत्नमाला-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमीकरी श्रीमहावीर), २९९११(६) प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक, वा. क्षमाकल्याण, सं., प्रश्न. १५१, वि. १८५१, गद्य, मूपू., (श्रीसर्वज्ञ नत्वा), प्रतहीन. (२) प्रश्नोत्तरसार्द्धशतक-बीजक, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., प्रश्न. १५१, वि. १८५३, गद्य, मूपू., (पहिलै बोलै तीर्थंकर),
२८२५१-५
तहान.
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ प्रार्थना स्तुति , सं., श्लो. ६, पद्य, मूपू., (दर्शनं देवदेवस्य), २८२२१-१(६) । प्रार्थनास्तुति संग्रह, मा.गु.,सं., गा. ६, पद्य, मूपू., (अद्यपक्षालितगात्र), २८२६८-१७, २९२२५-३ प्रास्ताविक गाथा संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गा. २८, पद्य, मूपू., (पंच महव्वय सुव्वय), २८२४८-३, २९६५०, २८९०८-२(-) प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, सं., श्लो. ११०, पद्य, श्वे., (कोटं च बूटं च पतलूनद), २९३०५-२ प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., श्लो. ५७, पद्य, जै.?, (दाता दरीद्री कृपणो), २९२६८(+), २९७९३-३(+), २८५३५-८,
२९८८८ (२) प्रास्ताविक श्लोक संग्रह-अर्थ, मा.गु., गद्य, जै.?, (अहो महानुभाव उत्पन्न), २९८८८ प्रास्ताविक श्लोक संग्रह, सं., श्लो. २४, पद्य, श्वे., (श्रिष्टेसंगः श्रुतेर), २८१२८-१३, २९३९९-२ (२) प्रास्ताविक श्लोक संग्रह-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (ए छ वस्तु सुकृत कही), २८१२८-१३($) फाग टांगा, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह), २८५५३-३ बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. २५, पद्य, मूपू., (बंधविहाणविमुक्क), २७३१५(+), २७३९१-१(+),
२७४७५-३(+#), २८८०० (२) बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मूपू., (बंध सामित्त विचार), २७०९३-३ (२) बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मु. शांतिसागर, मा.गु., गद्य, मूपू., (बंध कर्मनो बंध तेहनो), २७३१५(+) (२) बंधस्वामित्व नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ*,मा.गु., गद्य, मूपू., (कर्म बंधना प्रकारथी), २७३९१-१(+), २७४७५-३(+#) बीजतिथि स्तुति, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (महीमंडणं पुन्नसोवन्न), २८१६३-२(+), २८१५०-९, २८४९३-६ बुद्धिचतुष्क कथा, प्रा., गा. १४, पद्य, मूपू., (से किं तं आभिणिबोहिअ), २८३३१ (२) बुद्धिचतुष्क कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (उत्पातकी बुद्धि), २८३३१ बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., मूपू., (भो भो भव्याः शृणुत), २८५१५-१(+), २८२७४-१४, २८५२२,
२८६६२-१, २९०८०, २९०८१, २९२१५, २९४५७-१, २९४७२, २९५२५, २९७३१, २९८२५(६), २९२५२(-) (२) बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (भो भो भव्य जीवो), २९५२५ बृहत्संग्रहणी, आ. चंद्रसूरि, प्रा., गा. ३४९, वि. १२वी, पद्य, मूपू., (नमिउं अरिहंताई ठिइ), २७०५४(+), २७३०७(+),
२७३९५(+), २७५१३(+), २७४७९, २७८६८ (२) बृहत्संग्रहणी-टीका, आ. देवभद्रसूरि, सं., ग्रं. ३५००, गद्य, मूपू., (अत्यद्भुतं योगिभि), २७०५४(+) (३) बृहत्संग्रहणी-टीका की अवचूर्णि, सं., गद्य, मूपू., (नमि० आदौ शास्त्रकारो), २७३४५(+$) (२) बृहत्संग्रहणी-टिप्पण, सं., गद्य, मूपू., (सुष्ठ राजते शोभते), २७३०७(+) । (२) बृहत्संग्रहणी-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार अरिहंता), २७८६८ (२) बृहत्संग्रहणी-ज्योतिषमंडल विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवै चंद्र १ सूर्य १), २९८५५ बृहस्पतिमंत्र व जापविधि, मा.गु.,सं., गद्य, जै., वै., (ॐ ह्रीं श्रीं क्ली), २८३३६-३(+) बृहस्पति स्तोत्र, सं., श्लो. ५, पद्य, वै., (ॐ बृहस्पतिः सुरा), २८१४५-४(+), २८३३६-४(+$), २८२३२-४, २८७३७-२,
२८२५८-४(-) बोल संग्रह *, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, श्वे., (हिवै शिष्य पूछै), २८७४३-२, २८८३७, २८८८६, २९०९२, २९१४३-३,
३००२५-३ बोल संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, श्वे., (--),२९७७०(+), २९५७२-२, २९६३१, २९८०३-२, २९८६५, २९८६०(5) ब्रह्मचर्यव्रतप्रत्याख्यान आलापक, प्रा.,मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम इरियावही पडिक), २८५९०, २८४८३() भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., गा. १७२, पद्य, मूपू., (नमिऊण महाइसयं महाणु), २७०५६-३ भक्तामर स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, सं., श्लो. ४४, पद्य, मूपू., (भक्तामरप्रणतमौलि), २७४२७-१(+), २८११७-४(+),
२८१६३-२६(+), २८४७२(+), २९००८(+#), २९०८४(+), २९३८८-१(+), २९५०३-१(+), २७१४५, २७४४६, २७८७८, २७९०९, २८०५२, २८१७७-७, २८१८४-५, २८२४१-१, २८२५१-६, २८२७४-६, २९३६१, २९४५९-१,
२९६७६, २९६८६, २९७८३(#), २८०९४-३(s), २८७५९($) (२) भक्तामर स्तोत्र-टीका, सं., गद्य, मूपू., (व्याख्या किल इति), २९४९८
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(२) भक्तामर स्तोत्र-सुखबोधिका टीका, आ. अमरप्रभसूरि, सं., गद्य, मूपू., (किल इति निश्चये अहम ), २७१४५ (२) भक्तामर स्तोत्र- अवचूरि, सं., गद्य, म्पू., (किल इति सत्ये अहमपि), २९००८(+)
-
(२) भक्तामर स्तोत्र - बालावबोध, ग. मेरुसुंदर, मा.गु., वि. १५२७, गद्य, मूपू., (प्रणम्य श्रीमहावीरं ), २७४४६ (२) भक्तामर स्तोत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (भक्तिवंत जे देवता), २८४७२(+)
(२) भक्तामर स्तोत्र-भाषानुवाद, मु. देवविजय, पुहिं. स्त. ४४, वि. १७३०, पद्य, मूपु., (भक्त अमरगण प्रणत), २७६९९-१,
9
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
२८२७२-३५
(२) भक्तामर स्तोत्र - भाषानुवाद, मु. हेमराज, मा.गु., गा. ४८, पद्य, मूपू., ( आदि पुरूष आदिस जिन), २८२४१-६
(२) भक्तामर स्तोत्र कथा, ग. मेरुसुंदर, मा.गु., कथा. २८, गद्य, मूपू., (एकदा जिनमतना द्वेषी), २७४४६
(२) भक्तामर स्तोत्र-मंत्र, संबद्ध, सं., मंत्र. ४८, गद्य, म्पू., (ॐ ह्रीं अहं णमो ), २८१८४-५, २९३६६
भगवतीसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी प्रा. शत. ४१ ग्रं. १५७५२, गद्य, मूपू., ( नमो अरहंताणं० सव्व), २७३१७ (+०), २७३९९(+३),
"
२९३२५ (+)
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(२) भगवतीसूत्र - टिप्पणक *, सं., गद्य, मृपू., (--), २७३९९(+३)
(२) पुद्गल विचार- भगवतीसूत्रशतक बालउद्देश, संबद्ध, सं., गद्य, श्वे., (कम्मेत्ति गाथा सर्व), २८२३३-२ (+) (२) भगवतीसूत्र-आलापक संग्रह *, संबद्ध, प्रा., गद्य, मूपू., (कहण्णं भंते जीवा गुर), २९३४८ ( +६), २८८५५-२ (२) भगवतीसूत्र-गहुली, संबद्ध, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मृपू., (सहियर सुणीये रे भगवत), २८२८९-१२ (२) भगवतीसूत्र गहुली, संबद्ध, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. ७, वि. १९९२, पद्य, मूपु., (आवो रे आवो सयणा), २८६१२ (२) भगवतीसूत्र - सज्झाय, संबद्ध, मु. जिन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (भावें भवियण भगवई), २८२८५ - २२ (२) भगवतीसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., ( धन्य कुंवर त्रिसला), २८२८५ - २० (२) भगवतीसूत्र - सज्झाय संग्रह, संबद्ध, मु. मानविजय, मा.गु., सज्झा. ३३, पद्य, मूपू., (सदहणा सुधि मन धरिए), २७१६२-१ (२) भगवतीसूत्रोपरि सज्झाय, संबद्ध, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. २१, पद्य, भूपू (वंदि प्रणमी प्रेमस्य), २८६०७ (२) समवसरण विचार-भगवतीसूत्रे - शतक३०, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीवाय लेश पखी दिट्ठी), २८२३८-६ (२) भगवतीसूत्र - हुंडी, ऋ. धर्मसिंह, मा.गु., वि. १८८२, गद्य, मूपू., (नवकार नमो बंभीए लिवी), २७५५५ (+8)
19
भवचरिम पच्चक्खाण, प्रा., गद्य, म्पू., ( भवचरिमं पच्चखामि ), २८३४० - २ (१)
भवनदेवी स्तुति, सं., लो. १, पद्य, भूपू (ज्ञानादिगुणयुतानां), २८७६३-५
भावभंगी, मु. श्रुतमुनि, प्रा., गा. ११६, वि. २४वी, पद्य, दि., (खवियघणघाइकम्मे अरहंत), २८२९५-६ (*)
(२) भावत्रिभंगी - टीका, सं., गद्य, दि., (--), २८२९५ - ६ (+)
भाष्यत्रय, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., भाष्य. ३, गा. १४५, पद्य, मूपू., ( वंदित्तु वंदणिज्जे), २७१७८ (+), २७१८६ (+), २७३०१(+),
२७४४७(+$), २७८०९(+), २७२४४, २७३३७ (#), २७२५३ ($)
(२) भाष्यत्रय - अवचूरि, आ. सोमसुंदरसूरि सं., गद्य, मूपू., (वंदि० वंदनीयान् सर्व), २७३३७ (४)
(२) भाष्यत्रय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., ( वंदित्तु क० वांदीने), २७१७८ (+), २७३०१ (+), २७४४७(+$), २७२४४
भुवनदीपक, आ. पद्मप्रभसूरि, सं., श्लो. १७०, वि. १३पू, पद्य, मूपू., (सारस्वतं नमस्कृत्य), २६९९८-१(+), २७५४९(+#),
२७७१२(+$), २८१९०-१, २७३६७ - १(#)
(२) भुवनदीपक बालावबोध, मा.गु., गद्य, म्पू, (सरस्वती नाम जो देवी), २७३६७-१(१)
(२) भुवनदीपक-टवार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू, (सरस्वती संबंधीओ मह), २६९९८- १(०) भुवनदेवता स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (चतुर्वर्णाय संघाय), २८७६३-२
भैरवाष्टक, आद्य शंकराचार्य, सं., श्लो. ११, पद्य, वै., (एकं खड्गागहस्तं पुनः ), २८७०९-४ अमरलक्षण, सं., पद्य, मृपू., (वामावर्त्ती भवेद), २७३०४-३(+४)
मंगल स्तुति, सं., श्लो. २५, पद्य, मूपू., (ऋषभाद्याः वर्द्धमान), २७९२५-२
मंत्र, मा.गु., सं., गद्य, (नमो लोहित पिंगलाय), २९४५४-२
मंत्र-तंत्र-यंत्र संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., प+ग., (--), २८९४०-२, २९७७५-३, २९९६२-४ मंत्र संग्रह, सं., गद्य, भूपू., (), २७२७६- ३(+), २८२७४ २ २८२७४- १६
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४८१ मंत्र संग्रह , मा.गु.,सं., गद्य, वै., (--), २८५१५-३(+), २९३२४-४(+), २८०९७-८, २८१०४-१९, २८१२४-४ मधुरवचन श्लोक, सं., श्लो. १, पद्य, वै., (हे जीभ ककस्नेहे), २८९२१-२(2) मधुराष्टक, पंडित. वल्लभाचार्य, सं., श्लो.८, पद्य, वै., (अधरं मधुरं वदनं मधुर), २८३२२-५(#) मनुष्यलाभ दृष्टांतदशक, सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., (--), २८३९१-१(+$) महाकालीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. ८, पद्य, वै., (यस्याः कृपा कटाक्षे), २८१०३-२ महादंडक कुलक, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., गा. १९, पद्य, मूपू., (थोवागब्भय मणुआ१ संखे), २९४३७-१ महादंडक स्तोत्र, प्रा., गा. २०, पद्य, मूपू., (भीमे भवम्मि भमिओ), २७३१६-३(+) महादेव स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लो. ४४, पद्य, मपू., (प्रशांतं दर्शनं यस्य), २९१०८ महालक्ष्मी स्तव, सं., श्लो. ११, पद्य, श्वे., (आद्य प्रणवस्ततः), २८३२४ महावीरजिन २७ भव वर्णन, सं., गद्य, श्वे., (जंबूद्वीपापरविदेहे), २९३७७(+) महावीरजिन कलश, आ. मंगलसूरि, मा.गु.,प्रा.,सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., (श्रेयः पल्लवयतु वः), २९३६७-२ महावीरजिन जयमाला, अप., गद्य, श्वे., (ह होतउ तिविट्ठ पोय), २८१००-४(+) महावीरजिनद्वात्रिंशिका, आ. सिद्धसेन, सं., श्लो. ३२, पद्य, मूपू., (स्तोष्ये जिन), २८११२-१(+) महावीरजिनद्वात्रिंशिका स्तव, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (सदा योगसात्म्यात), २८११२-१२(+),
२८१०२-४ महावीरजिन विशेषण, प्रा.,मा.गु., गद्य, श्वे., (नमिऊण असुरसुरगुरल), २९८९३-१(+) महावीरजिन स्तव, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २५, पद्य, मूपू., (कंसारिक्रमनिर्यदापगा), २९३३२-१(+) (२) महावीरजिन स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (पंक्ति स्सौ जि शुद्ध), २९३३२-१(+) । महावीरजिन स्तव, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २१, पद्य, मूपू., (विश्वश्रीद्वरजच्छिदे), २९६८८-२(+#) (२) महावीरजिन स्तव-अवचूर्णि, सं., गद्य, मूपू., (विश्वस्त्रिया इद्वदी), २९६८८-२(+#) महावीरजिन स्तव, आ. जिनवल्लभसूरि, सं., श्लो. ३०, ग्रं. ३५७, पद्य, मूपू., (भावारिवारणनिवारणदारु), २७०२९(+) (२) महावीरजिन स्तव-टीका, सं., गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), २७०२९(+) महावीरजिन स्तव, मु. सेवक, मा.गु.,सं., गा. १०, पद्य, मूपू., (नमो नित्य देवाधिदेवं), २९३४४-१(-) महावीरजिन स्तव, प्रा., गा. ६, पद्य, मूपू., (जयइ नवनलिनकुवलयवियसि), २९२२४-३ महावीरजिन स्तव, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (त्रिलोकीपतिं निर्जित), २८२९१-३ महावीरजिन स्तव, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (सिद्धपुराभिध नगर), २८९९०(+) (२) महावीरजिन स्तव-टबार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., (मोक्षपुर नामि नगर), २८९९०(+) महावीरजिन स्तव-बृहत्, आ. अभयसूरि, प्रा., गा. २२, पद्य, मूपू., (जइ जासमणे भगवं), २९००९ महावीरजिन स्तव-विविधचित्रबद्ध, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. २७, पद्य, मूपू., (चित्रैः स्तोष्ये जिन), २९६८८-१(+#) (२) महावीरजिन स्तव-विविधचित्रबद्ध की अवचूर्णि, सं., गद्य, मूपू., (वर्तते नयतीति नायक), २९६८८-१(+#) महावीरजिन स्तुति, मु. चतुरविजय, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (सूर सुधीर जियकर्म), २८८२४-९ महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (कल्याणमंदिरमुदारमवद), २९७३७-३(+), २८८२४-२ महावीरजिन स्तुति, प्रा., गा. ११, पद्य, मूपू., (पंचमहव्वयसुव्वयमूलं), २८९७२-२(+$), २९२९१-२ महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (भावानयाणेग नरिंदविंद), २८८९४-२ महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (यदह्रिनमनादेव देहिन), २८१६३-८(+) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, म्पू., (योचीचलद्दश्च्यवनो), २९२५४-५(+) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (वीरं देवं नित्यं), २८१२०-१६(+), २८१६३-१९(+), २९८७९-६, २९९४१-११ महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (व्यक्तीकृतानेकपदार्थ), २८४९१-४(+) महावीरजिन स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानो जिन), २९५२४-४(+) महावीरजिन स्तोत्र-षड्भाषामय, आ. हीरविजयसूरि, अर्ध.,पै.,प्रा.,माग.,शौ.,सं., गा. १५, पद्य, मूपू., (--), २८६५७-१(६) महीपालराजा कथा, ग. वीरदेव, प्रा., गा. १८०९, ग्रं. २५००, पद्य, मूपू., (नमिऊण रिसहनाहं केवल), २७३२४(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) महीपालराजा कथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार करी श्रीऋषभ), २७३२४(+) महीपालराजा चरित्र, उपा. चारित्रसुंदर, सं., स. ५, ग्रं. ८९५, पद्य, मूपू., (यस्यां सदेशे शिति), २७०२१(+) मांगलिक श्लोक संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, मूपू., (--), २९६०८-२ मायाबीज कल्प, सं., श्लो. २९, पद्य, जै., वै., (ॐकार बिंदुसंयुक्तं), २९२९०-१(+) मुंथाफल-ताजिकशास्त्र, सं., श्लो. १२, पद्य, वै., (आरोग्यता कार्य), २८१९०-३ मुंहपरिमाणसंख्या कुलक, प्रा., गा. ११, पद्य, श्वे., (मुहपणसय बारुत्तर सहस), २९२७३(+) मुद्रा विधि, सं., श्लो. १३, पद्य, मूपू., (वाम हस्तोपरि दक्षिण), २७२८४-२ मुहपत्ति निर्णय, प्रा.,मा.गु.,हिं., प+ग., मूपू., (ढूंढिये कहते हैं कि), २८२०६-३ मुहपत्तिपडिलेहण गाथा, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (मुहपत्ती पन्नास अठार), २८१५८-२(+) मृत्यु महोत्सव, सं., श्लो. १८, पद्य, दि., (मृत्युमार्गे प्रवृत), २७९६४ (२) मृत्यु महोत्सव-अर्थ, श्राव. सदासुखजी, पुहिं., वि. १९१८, गद्य, दि., (मुक्ति के मार्ग में), २७९६४ मौनएकादशीपर्व कथा, सं., गद्य, मूपू., (अरस्य प्रव्रज्या नमि), ३००२१ मौनएकादशीपर्व कथा, सं., गद्य, मूपू., (श्रीवीरं नत्वा गौतमः), २९७९६-२($) मौनएकादशीपर्व स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (अरस्य प्रव्रज्या नमि), २८१६३-१६(+) मौनपारवा विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (प्रथम इरियावही), २८२२३-७(+) यंत्र संग्रह, मा.गु.,सं., यं., (--), २८१२८-१४ यंत्र संग्रह*, मा.गु.,सं., को., जै., वै., (--), २८७०७-५ यशोधर चरित्र, वा. क्षमाकल्याण, सं., वि. १८३९, गद्य, मूपू., (सकलसुरनरेंद्रश्रेणि), २७६८७($) युगप्रधानआचार्यादि संख्याविचार, प्रा., गद्य, मूपू., (पढमे वीस बीए तेवीस), २८८०५-१ युगप्रधानविचार कुलक, प्रा., गा. १३, पद्य, मूपू., (जा दुपसहोसुरी होहंति), २९५२९-१ युगप्रधान सर्वनर संख्या , मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (युगप्रधान तुल्यासूरय), २९५२९-२ योगशतक, धन्वंतरी, सं., श्लो. १११, पद्य, वै., (कृत्नस्य तंत्रस्य), २७४८२ (२) योगशतक-टीका, सं., गद्य, मूपू., वै., (श्रीरामाय प्रणिपत्या), २७४८२ योगशास्त्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., प्रका. १२, श्लो. १०००, वि. १३वी, पद्य, मूपू., (नमो दुर्वाररागादि),
२९५८४(+#), २७३४८ योगोद्वहनविधि संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (श्रीआवश्यक सुअखंधो), २७५६०(६) रत्नाकरपच्चीसी, आ. रत्नाकरसूरि, सं., श्लो. २५, पद्य, मूपू., (श्रेयः श्रियां मंगल), २८११२-११(+), २८२२२-४(+),
२९५०५(+), २९५९०(+), २९५९९(+), २९७६५(+), २८२६८-१२, २८६३६, २९३४७-१, २९४९६, २९६७३ (२) रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ, पं. चतुरसागर, मा.गु., वि. १७५६, गद्य, मूपू., (श्रेय कहता कल्याण), २९५९०(+) (२) रत्नाकरपच्चीसी-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मूपू., (अहो कल्याणक लक्ष्मी), २९५०५(+), २९५९९(+), २९४९६ राईयप्रतिक्रमण विधि, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (प्रथम इरियावही पडिक), २८३७७-१(+#), २९१५८-६ राग नाम विचार, सं., श्लो. ७, पद्य, (स्त्रीरागो वसंतश्च), २८२९८-४२(+) राजप्रश्नीयसूत्र, प्रा., सू. १७५, ग्रं. २१००, गद्य, मपू., (नमो अरिहंताणं० तेणं), २७४५१(+) (२) राजप्रश्नीयसूत्र-टबार्थ, मु. मेघराज, मा.गु., ग्रं. ५५००, गद्य, मूपू., (देवदेवं जिनं नत्वा), २७४५१(+) रूपमंडन, सूत्रधार मंडन, सं., अ. ६, पद्य, मूपू., वै., (विश्वकर्मा उवाच), २८२१३-१ लघुक्षेत्रसमास प्रकरण, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., अधि. ६, गा. २६३, वि. १५वी, पद्य, मूपू., (वीरं जयसेहरपयपयट्ठिय),
२७२७५ (+), २७०६७ (२) लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-विचार, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (प्रथम जंबूद्वीप), २८९६०(5) (२) लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-यंत्र संग्रह *, मा.गु., को., मूपू., (--), २७२७५ (+) लघुनाममाला, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., कां. ३, श्लो. ४६१, ग्रं. ५५०, पद्य, मूपू., (प्रणम्य परमात्मानं), २७५८७
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., श्लो. १७+२, पद्य, मृपू., (शांति शांतिनिशांत), २७१५३ - २(+), २७४४०-२ (+४), २८१४५ - २(+), २८१६३- २७/+), २८४३८(+), २९६१२(+), २७१०२-२२७५००-२, २७६८३-२, २८१७७–८, २८२३०-२, २८२४०–५, २८२५७-४, २८६५५२, २९६६१, २९६८५-२, २९१८८७, २८१९६-४(४), २८७३३ - १($)
(२) लघुशांति स्तव टीका, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., वि. १६४४, गद्य, मूपू., (सर्वसर्व सिद्ध्यर्थ), २९६१२(+) (२) लघुशांति-टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपु., (श्रीशांतिनाथ शांति), २७४४० - २(+०), २९६६१
लघुसंग्रहणी, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., गा. ३०, पद्य, मूपू., (नमिय जिणं सव्वन्नुं), २७२७० - ३ (+), २८०१२-१(+), २७१४७,
२७२४५, २९४८०, २९६०२, २९८२४
(२) लघु संग्रहणी-टवार्थ *, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमिव क० नमस्कार करी), २७२७०-३(०), २८०१२-१ (०), २७१४७,
२७२४५
(२) लघु संग्रहणी - खंडाजोयण बोल, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपु., ( लाख जोयणनो जंबूद्वीप), २७२६९
(२) लघु संग्रहणी - गणितपद विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मृपू., (त्रणलाखने सो गुणा ), २९७३० लोकनालिद्वात्रिंशिका, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., गा. ३२, वि. १४वी, पद्य, मूपू., (जिणदंसणं विणा जं), २९६२५(+#),
२७४४४- १, २८३००
(२) लोकनालिद्वात्रिंशिका अवचूरि, सं., गद्य, म्पू., ( जिणहंस वहसाह प्रसारि), २९६२५ (+)
(२) लोकनालिद्वात्रिंशिका - बालावबोध, मु. कल्याण, मा.गु., वि. १७००, गद्य, मूपू., (श्रीमद्विमलनाथस्य), २८३०० (२) लोकनालिद्वात्रिंशिका बालावबोध, मु. सहजरत्न, मा.गु., गद्य, मूपु (श्रीमदाप्ती प्रणम्या), २७४४४-१
लोच विधि, प्रा., मा.गु., सं., प+ग., मूपू., (खमासमण इरियावही पडिक), २८५९१-२ वकचूल कथा, आ. सोमतिलकसूरि, सं. लो. १०९, पद्य, मूपू., (महार्द्धि भिर्जनैः), प्रतहीन.
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(२) वकचूल कथा - बालावबोध, ग. मेस्सुंदर, मा.गु., गद्य, म्पू, (हिव जे श्रावक सील), २९४६७ वंगचूलिका प्रकीर्णक, आ. यशोभद्रसूरि, प्रा., पद्य, मूपू., (भत्तिब्भरनमियसुरवर), २७२६७, २९४८६ (२) वंगचूलिका प्रकीर्णक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (भक्तिना समुहे करीने), २७२६७ वखाणवाचन विधि, प्रा., मा.गु., सं., गा. ४, पद्य, मूपू., ( नमो अरिहंताणं नमो), २८८४८ (+)
वज्रपंजर स्तोत्र, सं., श्लो. ८, पद्य, म्पू, (ॐ परमेष्ठि), २८१४५ - ९ (+), २९३२४-३(+), २८२७४ ११, २८५५३-२ asiदीक्षा विधि, गु., प्रा., मा.गु., सं., प+ग, मूप, (सवारे लोच कराववो), २८२०६-१
वनस्पतिसप्ततिका, आ. मुनिचंद्रसूरि, प्रा., गा. ७१, पद्य, मूपू. (उसभाइजिशिंदे पत्तेयम), २९००७(+), २७३०२ वरदत्तगुणमंजरी कथा, ग. कनककुशल, सं., श्लो. १५०, वि. १६५५, पद्य, मूपू., ( श्रीमत्पार्श्वजिन), २९५६६ (०), २९७९६ - १(३) वरदत्तगुणमंजरी कथानक, पं. दानचंद्र गणि, सं., श्लो. १७५, वि. १७०५, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्व शंकर), २९२०९(+) वर्णचतुर्विंशतिका, मु. मेघविजय, सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., ( ॐकारेमनवोकारे साध्या), २८९८७-१ (२) वर्णचतुर्विंशतिका-अवचूरि, सं., गद्य, भूपू., (--), २८९८७-१
वर्तमान २४ जिनयक्ष नाम, सं., गद्य, भूपू., (गौमुख यक्ष महायक्ष), २८८५८-३(०), २८८६०-३
वर्द्धमानदेशना, ग. राजकीर्ति, सं., उल्ला. १०, ग्रं. ४३००, गद्य, मूपू., ( नमः श्रीपार्श्वनाथाय), २७५३४(+) वर्द्धमानविद्या मंत्र, प्रा., गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं नमो अरिहंता), २८९१५-२
2
वर्द्धमानविद्या विधियुक्त, मा.गु., सं., गद्य, श्वे., (ॐ ह्रीँ श्रीँ कलीँ), ३००२३-१(+) वर्षावासपत्र कुलक, प्रा., गा. २७, पद्य, मूपू (खित्तस्स भारहस्तवि) २८१०३-४
"
(२) वर्षावासपत्र कुलक - छाया, सं., गद्य, मूपू., (तत्र मरुस्थल्यामत), २८१०३-५($)
वसतिदानादि विषयक दृष्टांत कथासंग्रह, प्रा.सं., कथा. ८, गद्य, म्पू, (वसही सयणासण भत्तपाणे), २८२५५- ४(१)
वसुधारा स्तोत्र, सं., गद्य, मूपू., बी., (संसारद्वयदैन्यस्य), २७७१५ (+), २७५३८, २९३५७, २८८३२(३), २९९०४ (६), २९९१६ (-)
(२) वसुधारा स्तोत्र - विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., बौ., (पुत्रवती स्त्री पासे), २८७४९-३(+)
वाग्भटालंकार, जैक, वाग्भट्ट, सं., परि ५, वि. १२वी, पद्य, मूपू., ( श्रियं दिशतु), प्रतहीन, (२) वाग्भटालंकार- टीका, सं., गद्य, भूपू., (--), २७५०२(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ वास्तुतिलक, सं., परि. १४, पद्य, वै., (चन्द्रश्वेतातपत्रान्), २८२१३-९ विगयनिवायाता विचार, प्रा.,मा.गु., पद्य, मूपू., (निज्ॉज्झण त्रण घाण), २८२३१-५ विचार संग्रह, प्रा.,सं., गद्य, मूपू., (जोअणसयं तु गंता अणहा), २९३०७ विचार संग्रह, सं.,प्रा., गद्य, मूपू., (बत्तीसं कवलाहारो), २८२३३-५(+) विचार संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (--), २६९९१, २७५४३-३, २८३२६-२, २९८५८, २९८३५($) विजयचंद्रकेवली चरित्र, मु. चंद्रप्रभ महत्तर, प्रा., वि. ११२७, पद्य, मूपू., (सयलसुरासुरकिन्नर), २७३९२(+$) (२) विजयचंद्रकेवली चरित्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७३९२(+$) विजय यंत्र, प्रा., गा. ४, पद्य, श्वे., (विजय यंत्रस्स सीसे), २९०१९ विज्ञप्तिलेखन पद्धति, सं., गद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीमहिमान), २९८९६(5) विद्यार्थी पंचलक्षण श्लोक, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (काकचेष्टा बको ध्यान), २८८१६-२ विधिपंचविंशतिका, ऋ. तेजसिंघ, सं., श्लो. २६, पद्य, श्वे., (यदुकुलांबरचंद्रक नेम), २९८८९(+#) विपाकसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., श्रु. २ अध्ययन २०, ग्रं. १२५०, गद्य, मूपू., (तेणं कालेणं तेणं), २७३६५(+), २९१३३(+),
२९०९९, २९३९३($) (२) विपाकसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि, सं., ग्रं. ९००, गद्य, मूपू., (नत्वा श्रीवर्द्धमाना), २७३६५(+) विमलजिन स्तवन, मु. श्रीकर्ण पंडित, प्रा.,मा.गु., ढा. ७, गा. २७, पद्य, मूपू., (कमलामलदलदिट्ठि), २८३४५(+) विवाहचूलिका, प्रा., गद्य, श्वे.?, (--), २९९३९(+) विवाहपडल, सं., श्लो. १६०, पद्य, वै., (जभाराति पुरोहिते), प्रतहीन. (२) विवाहपडल-पद्यानुवाद, वा. अभयकुशल, मा.गु., गा. ६३, पद्य, मूपू., वै., (वाणी पद वांदी करी), २७९५७ विविध विचार संग्रह , गु.,प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (--), २८२०६-४ विवेकमंजरी, श्राव. आसड कवि, प्रा., गा. १४४, वि. १२४८, पद्य, मूपू., (सिद्धिपुरसत्थवाह), २८९९२-१(+) विषयनिदान कुलक, प्रा., गा. ५०, पद्य, मूपू., (पणमित्तु विअरायं पंच), २९७०५ विषापहार स्तोत्र, जै.क. धनंजय कवि, सं., श्लो. ४०, ई. ७वी, पद्य, दि., (स्वात्मस्थितः सर्वगत), २८२४१-५ वीतराग स्तोत्र, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., प्रका. २०, पद्य, मूपू., (यः परात्मा परं), २७५३५, २८२४२-१,
२८१०२-१(६), २९३४३($) वृष्णिदशासूत्र, प्रा., अध्य. १२, गद्य, म्पू., (जइ णं भंते० पंचमस्स), २७३५६-५(+) (२) वृष्णिदशासूत्र-टीका, आ. चंद्रसूरि, सं., गद्य, मूपू., (पंचमवर्गे वन्हिदसाभि), २७३५६-५(+) वैद्यवल्लभ, मु. हस्तिरुचि, सं., विला. ९, श्लो. ३२६, वि. १७२६, पद्य, मूपू., (सरस्वतीं हृदि), २७९५१(+$) (२) वैद्यवल्लभ-टबार्थ, पुहिं., गद्य, मूपू., (श्रीसरस्वतीजी को हृद), २७९५१(+$) वैराग्यशतक, प्रा., गा. १०५, पद्य, मूपू., (संसारंमि असारे नत्थि), २९४३४(६) (२) वैराग्यशतक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (संसार असारमाहि नथी), २९४३४(६) (२) वैराग्यशतक-पद्यानुवाद, मा.गु., पद्य, मूपू., (संसार असार मांहि नथी), २९२८८($) व्याख्यान संग्रह *, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (देवपूजा दया दानं), २८२५०-३४ व्याख्यान स्तुति संग्रह, मा.गु.,सं., प+ग., श्वे., (ईहा कुण श्रीसमण), २८१८५-१ शतक नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. १००, पद्य, मूपू., (नमिय जिणं धुवबंधोदय), २७१०६(+) (२) शतक नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मु. जयसोम, मा.गु., वि. १७१२, गद्य, मूपू., (ऐंद्र श्रीकर पीडनविध), २८४७३-२(६) (२) शतक नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऐंद्र श्रीकरपिडनविधी), २७०९३-५ (२) शतक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (परमात्मानइं भव्य), २७१०६(+) (२) शतक नव्य कर्मग्रंथ-पद्यानुवाद गाथार्थ, ग. ज्ञानसागर, प्रा., गा. १७, पद्य, मूपू., (तेवीसा पणवीसा), २९६६८ शत्रुजयतीर्थ कल्प, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., गा. ३९, पद्य, मूपू., (सुअ धम्मकित्तिअंतं), २९७९४(+#), २९५९५ शत्रुजयतीर्थ चैत्यपरिपाटिका, सं., श्लो. २४, पद्य, मूपू., (नमेंद्रमंडलमणिमय), २८२४२-४ शत्रुजयतीर्थ लघुकल्प, प्रा., गा. २५, पद्य, मूपू., (अइमुत्तयकेवलिणा कहिअ), २९५९६(+), २७१९९, २८६२८, २९०७०
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शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, प्रा., गा. १, पद्य, भूपू शनिमंत्रजाप विधि, मा.गु., सं., गद्य, वै., शनिधर कथा, सं., श्लो. २९, पद्य, वै.,
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १
(२) शत्रुंजयतीर्थं लघुकल्प-टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अइमुत्तइ केवलीई), २७१९९, २८६२८ शत्रुंजयतीर्थ स्तव, सं., श्लो. १३, पद्य, भूपू., (धरणेंद्रप्रमुखानागाः), २८३५१)
(सिद्धो विजाय चक्की) २८१३९-२०/-) (ओं शनिचराय औं क्रो), २८३३६-१(+) (), २९९४७- १(३)
शनिश्चर स्तोत्र, सं., श्लो. १०, पद्य, वै., (यः पुरा राज्यभ्रष्टा) २८१४५-५ (०), २८३३६-२ (०), २८२३२-६, २८२५८-३१ शनिश्चर स्तोत्र- आदित्यपुराणे, व्यास, मा.गु., सं., श्लो. ९७, वि. १९४५, पद्य, वै., (द्वापुरे च युगे), २८१७८-१० शांतिजिन चरित्र, आ. भावचंद्रसूरि, सं., प्र. ६, वि. १५३५, गद्य, मूपू., ( प्रणिपत्यार्हतः सर्व), २७०४४
शांतिजिन स्तव - तपागच्छपट्टावली गर्भित, मु. धारसिंह, सं., श्लो. २४, पद्य, मूपु., (शांतिजिनं नत्वा), २८७७७-१ शांतिजिन स्तवन, गु., सं., श्लो. ९, पद्य, म्पू, (सुरराजसमाजनतांद्रि), २८२२९-३३
शांतिजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मृपू., (सकलकुशलवल्लीपुष्करा), २८८२४-४
शांतिनाथ चरित्र, आ. अजितप्रभसूरि, सं., प्र. ६, श्लो. १६३२, ग्रं. ५०००, वि. १३०७, पद्य, मूपु (श्रेयोरत्नकरोद्भूता),
,
२७३७१(+)
शांतिपूजा विधि, मा.गु., सं., गद्य, मूपु., ( ननु संघादीनां विघ्नो), २८९५०
शांतिस्नात्र विधि, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., सं., पद्य, मूपू., (अथ प्रतिष्ठायां वा ), २७१४२ (+)
शारदामाता छंद, प्रा., मा.गु., सं., श्लो. ४४, वि. १६७८, पद्य, ओ., (सकल सिद्धि दातार), २८३४९, २८४०१
शारदाष्टक, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (ऐं ह्रीं श्रीं मंत्र), २९०३३ - १ (+)
शारदा स्तोत्र, आ. मलयकीर्ति, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (जननमृत्युजराक्षयकारण), २८२५० - १५
शाश्वतचैत्यस्तव, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा २४, पद्य, भूपू (सिरिउसह वद्धमाणं), २९९६७
ラ
(२) शाश्वतचैत्य स्तव - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऋषभनाथ वर्द्धमान), २९९६७
शाश्वताशाश्वतजिन स्तव, आ. धर्मसूरि, सं., श्लो १५, पद्य, भूपू., (नित्ये श्रीभुवना), २८११२-६ (+) शीलकांता कथा - शीलविषये, सं., गद्य, मूप, (वह्निस्तस्य जलायते), २८२५५-३(+)
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शीलोपदेशमाला, आ. जयकीर्तिसूरि, प्रा. कथा ४३, गा. ११५, वि. १०वी, पद्य, म्पू., ( आबालबंभवारि नेमि), २७५१५ (+)
शुकराज कथा - शत्रुंजयमाहात्म्ये, आ. माणिक्यसुंदरसूरि, सं., गद्य, मूपू., (श्रीशत्रुंजयतीर्थेश ), २७३६४ (+)
श्रमण अतिचार, प्रा., मा.गु., गद्य, मूपू., (विशेषतश्चारित्रारी), २८६४३, २८७४४
आवक ११ पडिमा विचार, प्रा., मा.गु., प+ग, भूपू., (दंसण वय सामाई पोसह), २८२३१-८ श्रावक १४ नियम गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (सच्चित्त दव्व विगई), २८२३१-९, २९०१८ (२) श्रावक १४ नियम गाथा - बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (सचित्त पृथिव्यादि), २८२३१-९ (२) श्रावक १४ नियम गाथा - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पाणी फल बीज दातण ते), २९०१८ (२) श्रावक १४ नियम गाथा - नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (सचित वस्तु १ द्रव्य), २९१४०-७ आवक अतिचार संख्या, प्रा., गा, १, पद्य, वे., (नाणाई अनुवय सट्ठी), २८४९२-८ (+)
श्रावकव्रतभंग प्रकरण, प्रा., श्लो. ४१, पद्य, मूप. (पणमिअ समत्थपरमत्यवत), २९१५६९)
(२) श्रावकत्रतभंग प्रकरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (पणमि क० नमीनें), २९१५६ (+३) श्रुतदेवता स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., ( यासां क्षेत्र गताः ), २८७६३-३ श्रुतदेवता स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (सुवर्ण शालिनी देयाद्), २८७६३-१ श्रुतदेवी स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपु, (कमलदल विपुलनयना कमल), २८७६३-४ श्लोक संग्रह, सं., श्लो. ११, पद्य, (अस्मान् विचित्रवपुषि) २८२१३ ४ २८८३०-३, २९२८३-२ श्लोक संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., हिं., पद्य, मूपू., (कलकोमलपत्रयुता) २८५००-२
"
(२) श्रावकअतिचार संख्या - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (५ ग्नानना बारे बारे), २८४९२-८(+)
श्रावकविधि प्रकाश, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., सं., वि. १८३८, गद्य, भूपू., (प्रणम्य श्रीजिनाधीश), २८२३४, २८२५१-१२, २८५६३-१, ३०००७ (5)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ श्लोक संग्रह-, सं., पद्य, जै., वै., (जिनेंद्र पूजा गुरु), २७४२७-३(+), २८०६०(+$), २८०९२-८(+), २८२१८-१(+),
२८२६३-७१(+$), २७५०१-२, २८२४०-९, २८२९२-२, २८०९३-९($) श्लोक संग्रह-, मा.गु.,सं., गा. ३, पद्य, (प्यार पाया छे वेररा), २८१३३-२ श्लोक संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, मूपू., (--), २८२००-२१, २८२७४-९, २९१५४-१, २९५६९-३ श्लोक संग्रह जैनधार्मिक, सं., श्लो. ३, पद्य, श्वे., (देहे निर्ममता गुरौ), २७३७८-२(+), २८०८४-६(+), २८१००-६(+),
२८१४७-१६(+), २८२४६-५(+), २७३३६, २७३५८-३, २९०८३-१,३००१८-४(#), २९९९५-२($) (२) श्लोक संग्रह जैनधार्मिक-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २७३३६ (२) श्लोक संग्रह जैनधार्मिक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २८०८४-६(+), २७३५८-३ षट्पंचाशिका, आ. पृथुयशा, सं., अ. ७, श्लो. ५६, पद्य, वै., (प्रणिपत्य रविं), २७३६७-२(#) (२) षट्पंचाशिका-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., वै., (वराहमिहिर जे पंडित), २७३६७-२(2) षडशीति नव्य कर्मग्रंथ, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ८६, पद्य, मूपू., (नमिय जिणं जियमग्गण), २७३९१-२(+$) (२) षडशीति नव्य कर्मग्रंथ-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (वीतरागदेव नमस्कार), २७०९३-४ (२) षडशीति नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवइं चउथा कर्मग्रंथ), २७३९१-२(+$) षडशीति प्राचीन कर्मग्रंथ, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. ८६, पद्य, मूपू., (निच्छिन्नमोहपास), २७३५१(+), २७४०४(+) (२) षडशीति प्राचीन कर्मग्रंथ-हारिभद्री टीका, आ. हरिभद्रसूरि, सं., अ. चौथा कर्मग्रंथ, ग्रं. ८५०, वि. ११७२, गद्य, मूपू.,
(नत्वा जिनं विधास्ये), २७३५१(+) षड्दर्शन समुच्चय, आ. हरिभद्रसूरि, सं., अधि. ७, श्लो. ८७, पद्य, मूपू., (सदर्शनं जिनं नत्वा), २७२८७($) (२) षड्दर्शन समुच्चय-तर्करहस्यदीपिका टीका, आ. गुणरत्नसूरि, सं., अधि. ७, ग्रं. ५७७३, गद्य, मूपू., (जयति विजितरागः
केवला), २७२८७($) षष्टिशतक प्रकरण, श्राव. नेमिचंद्र भंडारी, प्रा., गा. १६१+४, पद्य, मूपू., (अरिहं देवो सुगुरू), २८२४६-१(+) (२) षष्टिशतक प्रकरण-बालावबोध, आ. सोमसुंदरसूरि, मा.गु., वि. १४९६, गद्य, मूपू., (सिरिवद्धमाणजिणवरपाएन),
२८२४६-१(+) संघमालापरिधापन विधि, सं.,प्रा.,मा.गु., पद्य, मूपू., (मालारोपण मुहूर्त), २८५८८-१ संज्ञा कुलक, प्रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (रुक्खाण जलाहारो), २९२००(#) (२) संज्ञा कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., (थावर पांचेने हाड नथी), २९२००(#) संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., गा. १४, पद्य, मूपू., (संतिकरं संतिजिणं), २९०८७(+), २९३८८-४(+), २७७२३-२,
२८२७४-१३, २९१२९, २९१६९ संथारापोरसीसूत्र, प्रा., गा. १४, पद्य, मूपू., (निसिही निसिही निसीहि), २८५३२-१(+), २८६१८, २९५४४, ३०००९-१,
२८९७५ -२() संबोधसप्ततिका, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., गा. १२५+२, पद्य, मूपू., (नमिऊण तिलोअगुरु), २७४५७(+#), २७४८६-१(+),
२९५८९(+), २७५०१-१, २८१८८-१, २९५४९, २९६४७ (२) संबोधसप्ततिका-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (नत्वा त्रैलोक्य गुरु), २७४८६-१(+) (२) संबोधसप्ततिका-टबार्थ, मु. जयसोम, मा.गु., वि. १७२३, गद्य, म्पू., (नमिऊण कहतां मन वचन), २७४५७(+#) (२) संबोधसप्ततिका-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमस्कार करीनइ तिन), २८१८८-१ संभवजिन स्तुति, सं., पद्य, मूपू., (दृष्ट्वा जिनालय), २८१००-१(+) संलेखना पाठ, प्रा., गद्य, मूपू., (अहं भंते अपछिम मारणं), २८९३१ संवेगद्रुमकंदली, आ. विमलाचार्य, सं., श्लो. ५२, पद्य, मूपू., (दूरीभूतभवार्तिभिः), २८८१७($) संसारदावानल स्तुति, आ. हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (संसारदावानलदाहनीरं), २८१२०-१४(+), २९९७५-४(+),
२८२००-२ संस्तारक प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., गा. १२२, पद्य, मूपू., (काऊण नमुक्कारं जिणवर), २७०५६-४, २७०५७, २७४५४ (२) संस्तारक प्रकीर्णक-बालावबोध, मु. जयमल्ल ऋषि, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीसंस्तारग पयन्नान), २७०५७
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १
(२) संस्तारक प्रकीर्णक-टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपु (श्रीवीरं० करीनई), २७४५४
,
(२) संस्तारक प्रकीर्णक-कथा, मा.गु., गद्य, म्पू., (मथुरानो वनिगसुत्तो), २७४५४
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सप्त तत्व, प्रा., गा. ४७, पद्य, मूपू., (सुरवइ तिरीड मणि किरण), २८२४०-७
सप्ततिका कर्मग्रंथ, प्रा., गा. ७२, पद्य, मूपू., (सिद्धपएहिं महत्थं), प्रतहीन.
(२) सप्ततिका कर्मग्रंथ - बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (ए गाथाने विषै च्यार), २७०९३-६
सप्तस्मरण- खरतरगच्छीय, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., स्मर. ७, पद्य, मूपू., (णमो अरिहंताणं० हवइ), २७३६३ (+), २८१६३-३३ (+), २८२३०- १, २८२५७ - २(5)
समराइच्चकहा, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., अ. ९ भव, गद्य, मूपु., (पणमह विजिअसदुज्जय), प्रतहीन,
(२) समराइच्चकहा- स्नात्र विधि, संबद्ध, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., गा. १४, पद्य, भूपू., (ओवणेओ मंगलं वो जिणाण), २८६२६ समवसरणतप विधि, मा.गु., सं., प+ग, मृपू., ( भवजिन नाथाय नमः), २८७२८-२
समवसरण विचार, प्रा., मा.गु., गद्य, मूपू., ( कति विहाणं भंते), २८४५५ (+)
-
समवसरण स्तव, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., गा. २४, पद्य, मूपू., (धुणिमो केवलीवत्थं), २९७८४ (२) समवसरण स्तव-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अह्मे स्तवस्युं केवल ), २९७८४
समवायांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अध्य. १०३, सू. १५९, ग्रं. १६६७, गद्य, मूपू., (सुयं मे० इह खलु समणे), २७२२६ (+) (२) समवायांगसूत्र- वृत्ति, आ. अभयदेवसूरि, सं. ग्रं. ३५७५, वि. १९२०, गद्य, म्पू., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), २७२२६ (+) समाधिशतक, आ. देवनंदी, सं., श्लो. १०६, ई. ५वी, पद्य, दि., (येनात्माबुध्यतात्मै), प्रतहीन.
"
(२) समाधिशतक दोधकछंदमय, संबद्ध, उपा. जसविजयजी, पुहिं. गा. १०४, पद्य, मूपू., दि., (प्रणमी सरसति भारती),
"
२८९०१-१(+)
४८७
सम्यक्त्वपच्चीसी, प्रा., गा. २५, पद्य, मूपू., (जह सम्मत्तसरूवं), २९०१२
"
(२) सम्यक्त्वपच्चीसी-टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू, (जह कहतां जे उपशमादिक), २९०१२ सम्यक्त्वसप्ततिका, आ. हरिभद्रसूरि, प्रा., गा. ७०, पद्य, मूपू., (दंसणसुद्धिपयासं), २९६५६ सरस्वतीदेवी अष्टक, सं., श्लो, ८, पद्य, म्पू, (जिनादेशजाता जिनेंद्र), २८२०१-२(+) सरस्वतीदेवी जाप मंत्र, सं., गद्य, म्पू., (ॐ अर्हमुखकमलवासिनी) २८५१५- २(+) सरस्वतीदेवीस्तुति लोक संग्रह, सं., श्लो. ४, पद्य, श्वे. (याकुवेंदु तुषार द्वा), २९११३-६ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., पद्य, मूपू., (अघहरां वदांसित हंसगा), २८२०१ - ३ ( +$) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. ९, पद्य, वै., (राजते श्रीमती देवता), २८०९२-१३ (०६) सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. १५, पद्य, थे, (विपुलसौक्षमनंतधनागमं ), २८२२९-१३ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. ६, पद्य, वै., (सरस्वती नमस्यामि), २८२५०-५ सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., श्लो. १३, पद्य, मु. ( - ), २८२०९-१(+)
सरस्वतीदेवी स्तोत्र- षोडशनामा, सं. लो. १२, पद्य, जे.? (नमस्ते शारदा देवी), २९११३-५ सरस्वतीमहालक्ष्मी स्तोत्र, सं., श्लो. ६, पद्य, वे, वै., (ॐ ह्रीं श्री सरस्वती), २८२०१५ (+) सरस्वतीसूत्र, सं., पद्य, वै., (--), प्रतहीन.
(२) सारस्वत व्याकरण, आ. अनुभूतिस्वरूप, सं., गद्य, वै., (प्रणम्य परमात्मानं ), प्रतहीन.
.वै., (नमोस्तु
(३) सारस्वत व्याकरण- दीपिका टीका, आ. चंद्रकीर्तिसूरि, सं., वृ. ३, ग्रं. ७५००, वि. १६२३, गद्य, मूपू., वै., सर्वकल्याणपद), २७३७३
(२) सिद्धांतचंद्रिका, आ. रामाश्रम, सं., गद्य, वै., ( नमस्कृत्य महेशानं), २७१९१. २७१९४
(३) सिद्धांतचंद्रिका सुबोधिनी वृत्ति, ग. सदानंद, सं., प्रक. १९, वि. १७९९, गद्य, मूपु., वै., (पुराणपुरुषं ध्यात्वा), २७१९१,
२७१९४
सर्वज्ञ स्तवाष्टक, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपु, (कृतार्थोपि जगन्नाथ), २८३९९ - ३(५)
साधारणजिन चैत्यवंदन, आ. मुनिसुंदरसूरि सं., श्लो. ७, पद्य, म्पू, (जयश्रीजिनकल्याणवल्लि), २८२१७-१४ साधारणजिन शतार्थी स्तुति, आ. सोमतिलकसूरि, सं., श्लो. १, पद्य, भूपू., (कल्याणसारसवितानीय), २९२५७-६
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
साधारणजिन स्तव, आ. जयानंदसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (देवाः प्रभो यं), २९५२१ (+), २८२१७-१५, २८५०५ (२) साधारणजिन स्तव अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (देवाः प्रभोयमित्यादि), २९५२१(+)
-
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साधारणजिन स्तव, आ. सोमप्रभसूरि, सं., श्लो. ८, पद्य, मूपू., ( श्रीमन् धर्म श्रय), २८६३२ (+)
साधारणजिन स्तुति, आ. सोमतिलकसूरि, सं., श्लो. १, पद्य, मूपु (श्रीतीर्थराजः पदपद्म) २८३०१ १ २९२५७-४ साधारणजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मृपू., ( अविरलकमलगवल), २८१६३ - १०(०), २९९४१ -१ साधारणजिन स्तुति, सं., श्लो. १३, पद्य, भूपू., (नेत्रानंदकरी भवोदधि), २८२१७-७ साधारणजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (स्तुवंतु जिनं), २९२५४-२(+)
साधु आचार विवरण, प्रा., मा.गु. सं., गद्य, मृपू., (अत्र केचन जिनशासन), २७०११(३) सामाचारी, प्रा., गा. ५१, पद्य, मूपू., (आयारविही निलओ देविंद), २९२१८)
सामान्य श्लोक, सं., श्लो. १, पद्य, (--), २९७४९ - २, २९८७१-३, २९९६२ - ३, २९९७४-१५(#) सामुद्रिकशास्त्र, सं., अ. ३६, श्लो. २७१, पद्य, भूपू (आदिदेवं प्रणम्यादी), २७३०४-२ (+), २७८६२(+), २७६२६, २७६७२, २७०८१ (६)
9
(२) सामुद्रिकशास्त्र - बालावबोध मे, मा.गु., गद्य, मृपू., (आदिदेव प्रते प्रथम ) २७३०४-२ (+), २७८६२(+), २७६२६, २७०८१ ($)
सिंदूरप्रकर, आ. सोमप्रभसूरि, सं., श्लो. १००, पद्य, मूपु., (सिंदूर प्रकरस्तपः), २७२०० (+), २७३६१ (+३), २७४८० (+), २७६६३(+), २७८२९(+), २७९७८ (+), २७३२१, २७५८२ (०३), २७२५२(ड
(२) सिंदूरप्रकर- टीका, सं., गद्य, मूपू., (पार्श्वप्रभोः क्रमयो), २७३२१
(२) सिंदूरप्रकर-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (केहवो छइं नखद्युतिभर), २७६६३(+)
(२) सिंदूरकर - टवार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (सिंदूरनउ समूह तापरूप), २७३६१(०३), २७४८०(*), २७२५२(३)
(२) सिंदूरकर - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (सिंदूरनो प्रकर कहीइ), २७८२९(+$)
(२) सिंदूरकर - पद्यानुवाद भाषा, श्राव. बनारसीदास, पुहिं. गा. १०१, वि. १६९१, पद्य, मूपू., दि., (सोभित तप गजराज सीस), २८२५०-४२
(२) सिंदूरकर - बालावबोध+कथा, पा. राजशील, मा.गु., सं., गद्य, म्पू., (शारदाचरणयुग्ममतीतपाप), २७५८२ (४४)
सिद्ध १५ भेद गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (जिण १ अजिण २ तीत्थ ३ ), २८४४९-२
(२) सिद्ध १५ भेद गाथा - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंत सिद्ध १), २८४४९-२ सिद्धचक्र चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, प्रा., गा. ६, पद्य, भूपू., ( उप्पन्नसन्नाणमहोमयाण), २८२१७-१९
सिद्धचक्र नमस्कार विधि सहित, मा.गु., सं., प+ग, मूपू., (अशोकवृक्ष प्राति), २८२२७-१
सिद्धचक्र यंत्र, प्रा. पं. भूपू. (), २८६०२-२
सिद्धचक्र स्तुति, प्रा., गा. ४, पद्य, मूप, (भत्तिजुत्ताण सत्ताण), २७३४७-४(क)
सिद्धजीव संख्या, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., ( जइबा होइ सि पुच्छा), २९१९०-२(०)
सिद्धदंडिका स्तव, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. १३, पद्य, मूपू., (जं उसहकेवलाओ अंतमुहु), २९१८४
सिद्धविंशिका स्तोत्र, श्राव. दलपतिराय श्रमणोपासक, सं., श्लो. २०, पद्य, मूपू., (मुनीनां दुस्तर्क्सः), २८८४३ - १(+) सिद्धसारस्वत स्तव, आ. बप्पभट्टसूरि, सं., श्लो. १३, पद्य, मूपू., (करमरालविहंगमवाहना), २८२६८-६(४) सिद्धहेमशब्दानुशासन, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., अ. ८, सू. ४६८५, ग्रं. २१८५, वि. १९९३, गद्य, मूपू., (अ
सिद्धिः स्याद), २७०५८($)
(२) सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ लघुवृत्ति, आ. हेमचंद्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., ग्रं. ६०००, गद्य, मृपू., (अर्हमित्येतदक्षर), २७०५८(5)
सिद्धांतनाम स्तवन, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., गा. ११, पद्य, भूपू., (सिरिवीरजिणं सुअरयण), २९०३६-२ सिद्धांतसार- विचारसारगुणगर्भित, प्रा., गा. ८६, वि. १२६७, पद्य, मूपू., (सुक्खसहकार कीरं अमरा), २९६७२(*) सिद्धांत स्तव, आ. जिनप्रभसूरि, सं., लो. ४६, पद्य, म्पू, (नत्वा गुरुभ्यः श्रुत), २९०३६-१९ सिद्धाष्टक, सं., श्लो. ८, पद्य, वे., (अखंड चिदानंद देवा), २८७०३-२
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १
सिद्धितप विधि, मा.गु., सं., प+ग, मूपु., (सर्व मुक्ति मोक्ष), २८७२८-३
सिरिसिरिवाल कहा, आ. रत्नशेखरसूरि, प्रा., गा. १३४१, ग्रं. १६७५, वि. १४२८, पद्य, मूपू., (अरिहाइ नवपयाई झायित), २७५०९(+), २९३३३(+$), २७१७२
(२) सिरिसिरिवाल कहा-टबार्थ, पं. ऋद्धिसागर मुनि, मा.गु., पद्य, मूपू., (अरिहंतादिक नवपद), २७१७२
(२) सिरिसिरिवाल कहा-टबार्थ *, मा.गु., गद्य, म्पू, (अरिहंतादिक नवपद), २७५०९ (+३)
,
सीता चरित्र, सं., गद्य, मूपू., (प्रणम्यादिदेवाद्या), २८२९७
सीमंधरजिन चैत्यवंदन, सं., श्लो. ८, पद्य, भूपू., (), २८२१७-११
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सीमंधरजिन स्तवन- अष्टमहाप्रातिहार्यगर्भित, प्रा., मा.गु., गा. १४, पद्य, म्पू, (अमरनर असुरगण पणवपथ), २८४९९-१(०) सीमंधरजिन स्तोत्र, आ. रूपसिंह, सं., श्लो. ५, पद्य, श्वे. (अनंत कल्याणकर), २८२१७-२०
19
सुकनावली, मा.गु., सं., पद्य, जै., (पूरव दस्य नासिका), २९३२७-१
सुभाषित श्लोक संग्रह में, प्रा., मा.गु. सं., श्लो. ७१५, प्र. २५५१, पद्य, ओ., (दानं सुपात्रे विशुद), २९१०४-४, २९४५८- २(३) सुभाषित श्लोक संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, वे., (--), २८२७९-९, २८२८८-३२, २८९२६-२
सुभाषित श्लोक संग्रह -, मा.गु., सं., गा. २१, पद्य, श्वे., (--), २७०६८-२ (+), २८१०४-१३, २८१३७-३२, २८२७३ - ४($) सुभाषित संग्रह *, प्रा., मा.गु. सं., गा. ७७, पद्य, थे. (अन्ना सत्थे पेमं पाव), २९३२३
सुभाषित संग्रह - प्राकृत, प्रा., मा.गु., पद्य, वे. १, (--), २९४५९-२
सुव्रतश्रेष्ठी कथा, मु. रविसागर सं., श्लो. २०१, वि. १६५७, पद्य, म्पू, (प्रणम्य वृषभं देवं वा ), २८२५०-३१
सूक्तमाला, मु. केशरविमल, मा.गु., सं., वर्ग. ४, श्लो. १७६, वि. १७५४, पद्य, मूपू., (सकलसुकृत्यवीवृंद), २७२६८(+),
,
२७६२४(+), २७२४३, २९४५८ - १(३)
(२) सूक्तमाला - बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (सकल सर्व जे शुभ करणी), २७६२४ (+), २७२४३
सूक्तावली संग्रह, प्रा., मा.गु., सं., श्लो. २६०, पद्य, मूपू., (वीरं विश्वगुरुं), २७४०० सूक्ष्मनिगोद विचार, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (लोए असंखजोयण माणे), २८२३३-४(+)
(२) सूक्ष्मनिगोद विचार-वृत्ति, सं., गद्य, मृपू., (अस्मिन् चतुर्दश रज्व), २८२३३-४(+) सूतकनिर्णय, सं., गद्य, मूपू., ( ननु श्रीखरतरगच्छे), २९९२४
सूत्रकृतांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., अ. २३, ग्रं. २१००, प+ग., मूपू., (बुज्झिज्ज तिउट्टेज्ज), २७०७३ (+$), २७३७७(+), २८२४८-५, २७३९८ (२३), २७०७४०३)
"
(२) सूत्रकृतांगसूत्र- दीपिका वृत्ति, मु, हर्षकुल, सं. ग्रं. ७०००, वि. १५८३, गद्य, मृपू., (प्रणम्य श्रीजिनं), २७३७७(+) (२) सूत्रकृतांगसूत्र-सम्यक्त्वदीपिका टीका, उपा. साधुरंग, सं., अ. २३, वि. १५९९, गद्य, मूपू., ( नमः श्रीवर्द्धमानाय ),
२७३९८(#$)
(२) सूत्रकृतांगसूत्र- वालावबोध, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, म्पू., (प्रणम्य सद्गुरुन्), २७०७४(३)
(२) सूत्रकृतांगसूत्र - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपु., (बुज्झि० छकाय जीवना), २७०७३ (+)
(२) सूत्रकृतांगसूत्र-हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., गा. २९, पद्य, मूपू., (पुच्छिसुणं समणा माहण), २८९७२- १(+), २८२४८- २ २९२९१-१, ३००११, २८९०८-१
(३) सूत्रकृतांगसूत्र - हिस्सा वीरस्तुति अध्ययन का टवार्थ, मा.गु., गद्य, म्पू., (पु० पुछता हवा कोण), २८९७२-१(०) सूर्यद्वादशनाम स्तोत्र, सं., श्लो. ७, पद्य, वै., (आदित्यं च नमस्कार), २८२६८-१६
सौभाग्यपंचमी कथा, सं., गद्य, मूपू., (प्रणम्य पार्श्वनाथां), प्रतहीन.
(२) सौभाग्यपंचमी कथा-व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य पार्श्वनाथां), २८३२३
"
४८९
,
स्तुतिचतुर्विंशतिका, आ. बप्पभट्टसूरि, सं. स्तु. २४, श्लो. ९६, पद्य, मृपू., (नवेंद्रमौलिगलितो), २९०३५-१(४) स्तुतिचतुर्विंशतिका, मु. शोभनमुनि, सं., स्तु. २४, श्लो. ९६, पद्य, मूपू., (भव्यांभोजविबोधनैक), २७३९४(+#), २७५१० (+$) स्थानांगसूत्र, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., स्था. १०, ग्रं. ३७००, प+ग, मूपू., (सुयं मे आउस तेणं), प्रतहीन.
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(२) स्थानांगसूत्र-हिस्सा चतुर्थस्थानकचतुर्थपंचमोद्देशगत पुरुषप्रकारादि निरूपण, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., प+ग., म्पू., ( चत्तारि वत्था पन्नत), २९४०० - १
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४९०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
(३) स्थानांगसूत्र- हिस्सा चतुर्थस्थानकचतुर्थपंचमोदेशगत पुरुषप्रकारादि निरूपण की अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (शुद्धं व निर्म), २९४००-१
स्नात्रपूजा विधिसहित पं. वीरविजय, मा.गु., सं., डा. ८, पद्य, मूपू., (सरसशांति सुधारस सागर), २७७०३, २८८९६,
२८२३१-२ (३)
स्नात्रपूजा सविधि, प्रा., मा.गु., सं., पद्य, मूपू., (पूर्वे तथा उत्तरदिसे), २८१६१ - १ (+), २९२९९ ($) हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र, सं., श्लो. ४, पद्य, वै., (हनुमान अंजनीसूनु), २८२५०-२ हरिवाहननृप कथा, सं., गद्य, मूपु., (जीविअ पज्जते विहु), २९६३७
"
हस्तरेखा लक्षण, प्रा., गा. ६४, पद्य, मूपू., (पणमिव जिणममिवगुणं), २७३०४- १(०३)
हीरप्रश्न, उपा. कीर्तिविजय, सं., प्रका. ४, गद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रियो निदान), प्रतहीन.
(२) हीरप्रश्न - बीजक, सं., गद्य, मूपू., (तत्र प्रथम महोपाध्या), २७०२७
हीरसूरि स्तव, मु. कुशलहर्ष, सं., श्लो. १२, पद्य, म्पू., (श्रीपतिसंभव सुंदररूप), २९३८०-३(+)
होलिकापर्व कथा, मु. गुणाकरसूरि शिष्य, सं., श्लो. ६९, पद्य, मूपू., (ऋषभस्वामिनं मन्ये), २९६३६ (+), २७५४१(-)
होलिकापर्व कथा, मा.गु., सं., प+ग., मूपू., (उजीणी नगरीइं प्रजा), २९६१६
होलीपर्व कथा, सं., श्लो. ५०, पद्य, भूपू., (वर्द्धमानं जिनं नत्व), २७५२८)
(२) होलीपर्व कथा - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (वर्द्धमानस्वामी चोवि), २७५२८(+)
ह्रीँकार कल्प, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. ३०, पद्य, मूपू., (मायाबीजबृहत्कल्पात्,), २८३८५-१ (२) ह्रीँकार कल्प विधि, संबद्ध, मा.गु., सं., गद्य, मूपू., (अजुआल पक्ष ५/१०/१५), २८३८५-२
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
३ मनोरथ सज्झाय, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (दानमांहि प्रधान कहिज), २८९६९-२
४ कषाय पद, मु. चिदानंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (जैन धर्म नही कीतावो), २८२६४-८२
४ गति बेलि, मा.गु., गा. १३५, वि. १६वी, पद्य, भूपू., ( आदि देव अरिहंतजी आदि), २८२९८-३९(+)
४ गोला सज्झाय, रा., गा. १७, पद्य, श्वे., (साधांतणी वाणी सुणी), २८७८०-२
४ ध्यान वर्णन, पुहिं., गद्य, श्वे., (ध्यान चार भगवंत वताय), २९१६१ - १
४ निक्षेपा सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (भोला लोको रे भरमें), २८२८५ - २७
४ प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चिहुं दीसथी च्यारे), २८२६३ - ७(+), २९२६५(+)
४ मंगल गहुंली, मा.गु., गा. ५, पद्य, म्पू., (सखी राजग्रही उद्यान), २८१७९-४
४ मंगल पद, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (सिद्धार्थ भूपति सोहे), २८१५९ - ९, २८१९६ - १६
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४ मंगल पद, मु. रूपचंद, मा.गु., पद. ५, पद्य, मूपू., (आज घरे नाथजी पधारे), २८०९९-३८ (+), २८१५५-६(+)
४ शरण सज्झाय, क. विजयभद्र, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (पहिलो मंगलिक कहुं), २८२६६-६
४ शरणा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., अ. ४, गा. १२, पद्य, मूपू., (मुजने चार शरणा होजो), २८८५८ - ५ (+), २८५१२, २९११६, २९१३६
५ अनुत्तरविमान नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (विजय १ वैजयंत २ जयंत), २९४६४-८
५ इंद्रिय सज्झाय, मु. ग्यानचंद, पुहिं., गा. ८, वि. १९३४, पद्य, श्वे., (पंच इंद्री की तेवीस), २८१८५-६५
५ इंद्रिय सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( काम अंध गजराज अगाज), २८१२९ - ४१ (+), २८१३३-५
५ इंद्रिय सज्झाय, मु. सेवक, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (कायाने पांजरे रे वसि), २९८२१-५($)
५ कारण छ ढालिया, उपा. विनयविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ५८, वि. १७३२, पद्य, भूपू (सिद्धारथसुत वंदिये),
"
७ वार कर्तव्य सज्झाय, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (अदीतवार ने सुकरत), २८१०४-४
७ व्यसन सज्झाय, मु. खेमकलश, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (काया कामिन जीव इम), २८९६८-२
,
२८१२७-१७(+), २८२७८-४५, २८७९६, २८८२७, २८९६३, २९३१२
५ देव बोल, मा.गु., गद्य, श्वे., (पहिलुं नामद्वार बिजु), २९५७६
५ पांडव सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (हस्तिनापुर नगर भलो), २८१२८-४, २८१६७ २९, २८४६१, २८५३६ - २, २९५३७
५ भाव नाम, मा.गु., गद्य, म्पू, (औदयिक भाव १ औपशमिक), २९४६४-३
५ महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., ढा. ५, पद्य, मूपू., (सकल मनोरथ पूरवै रे), २८३११-१, २९७०७-१, २९७१९, २९७५४, २९८२७-१, २८८३५ ($), २९५४८ ($)
५ मेरुपर्वत नाम, मा.गु., गद्य, मूपु., (सुदर्शनमेरु विजयमेरु), २८४२९-२
५ शरीर वर्णन - पन्नवणासूत्र मध्ये, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीपन्नवणासूत्र चउथ), २९१८३
५ सम्यक्त्व नाम, मा.गु., गद्य, भूपू., (औपशम समकित १) २९४६४-४
६ अड्डाइ नाम, मा.गु., पद्य, मूपू., (आसाड चोमासानी अठाई), २८६१६-३०)
६ अट्ठाइ स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., ढा. ९, वि. १८३४, पद्य, मूपू., (श्रीस्याद्वाद शुद्धो), २८७५१ (+)
६ आवश्यक विचार स्तवन, वा विनयविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ४४, पद्य, मूपू., (चोवीसइं जिन चींतवीं), २९५६५-१, २९७१७, २९८४५, २९३८५११
६ कायरक्षा सज्झाय, मु. ज्ञानदास, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (देवतणुं ता देव कहीजि), २८२९८-३४(+)
६ भाव बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीअनुयोगद्वारसूत्र ), २८२३८-२
६ भाव विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (रे आत्मा कर्म वस्ये), २८९७०
६ पालितसंघ स्तवन, मु. रतन, मा.गु., वि. १९१२, पद्य, भूपू., (--), २९४११(३)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ ७ व्यसन सज्झाय, मु. जिनरंग, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पर उपगारी साध सुगुरु), २८१२९-१२१(+) ७ सगपण गीत, मु. भावहर्ष, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (जीव विमासी निज मने), २८१२९-१२५(+) ८ कर्म १५८ प्रकृति विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (मूल कर्म आठ तेहनी), २८६९०(5) ८ कर्म ३० बोल विवरण, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञानावरणी पोलिआ), २७४५०(+) ८ कर्मविचार पद, मु. भैरवदास, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (ज्ञानावरणी पांच नव), २८२९८-४८(+) ८ प्रकारी पूजा, पं. उत्तमविजय, मा.गु., वि. १८१३, पद्य, मूपू., (श्रुतधर जस समरें सदा), २८६५३, २८६८१ ८ प्रकारी पूजा, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (इह विधि जिनवर पूजीयै), २८१६०-४१(+#) ८ प्रकारी पूजा-पिस्तालीसआगमगर्भित, पं. वीरविजय, मा.गु., वि. १८८१, पद्य, म्पू., (श्रीशंखेश्वर पासजी), २७६८० ८ प्रकारी पूजा रास, वा. उदयरत्न, मा.गु., ढा. ७८, वि. १७५५, पद्य, मूपू., (अजर अमर अविनाश जे), २७३२३ ८ प्रकारीपूजाविधि स्तवन, मु. प्रीतविमल, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (सुवधिनाथनी पूजा सार), २८२२९-४२ ८ मद नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (जाति १ लाभ २ कुलमद), २९१४०-९ ८ मद सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (प्रथम ऋषभ नमो जिनराज), २८२६४-४ ९ कोटी पच्चक्खाण नाम, मा.गु., गद्य, मपू., (मने पाप करु नहि १), २९१४०-८ ९ नववाड ब्रह्मचर्य, मा.गु., गद्य, श्वे., (वसति १ स्त्रीनी कथा), २९१४०-३ १० ठाणा बोल, मा.गु., गद्य, श्वे., (--), २८२९३-१४(६) १० पच्चक्खाणफल सज्झाय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (दसविह प्रह उठी), २८१२९-११०(+), २८१७५-१७, २८९६९-५,
२९५६९-२ १० पच्चक्खाणफल स्तवन, पं. रामचंद्र गणि, मा.गु., ढा. ३, गा. ३३, वि. १७३१, पद्य, पू., (सिद्धारथ नंदन नमु),
२८१९५-१५, २८७७४-१(६) १० बोल सज्झाय, मु. मगन, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (चेतन चेतो रे दशबोल), २८१८५-४२ १० बोल सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (स्यादवादमत श्रीजिनवर), २८१२९-१७३(+), २८१६७-१२ १० लक्षणसाधु सज्झाय, रा., गा. ११, पद्य, श्वे., (पहिलो लक्षण साधनो जी), २८१८५-६२ १० श्रावकबत्रीसी, आ. नंदसूरि, रा., गा. ३२, वि. १५५३, पद्य, मूपू., (जिन चोविसे करु), २९३९९-१ १० श्रावक सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (प्रह उठि प्रणमुदसे), २८१२९-२३(+) ११ अंग पूजा, मा.गु., ढा. ११, पद्य, मूपू., (परम मंगल करू सवि जिन), २८५५६ ११ अंग सज्झाय, मु. विनयचंद्र, मा.गु., ढा. १२, वि. १७५५, पद्य, मूपू., (पहिलो अंग सुहामणों), २८११७-९(+) ११ गणधर चैत्यवंदन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., चैत्यव. ११, पद्य, मूपू., (--), २९६५८($) ११ गणधर परिवार विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवइंत्रीजो वायुभुति), २९४८३ ११ गणधर बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (गौतमस्वामीनुं आऊ), २८३६४ ११ गणधर भास, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (पहिलो गणधर वीरनो वर), २९६०१-१ ११ गणधर सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (इंद्रभूति पहिलो गणधर), २८२८५-२३ ११ गणधर स्तवन, मु. आसकरण, मा.गु.,रा., गा. १२, वि. १८४३, पद्य, स्था., (इंद्रभुतिना लीजे), २८२४१-१५ ११ गणधर स्तवन, मा.गु., स्त. ११, गा. ६०, वि. १५वी, पद्य, मूपू., (वीरजिणेसर पय पणमेवि), २७४४३-३ १२ आरा रास, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., ढा. १२, गा. ७७, वि. १६७८, पद्य, मूपू., (सरसति भगवति भारती), २८४४८ १२ चक्रवर्ति नाम व आगामी भवगमन विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (भरत चक्रवर्ति मोक्ष), २७४९२-२(+#) १२ देवलोक नाम, मा.गु., गद्य, श्वे., (पहिलो सौधर्मइ देवलोक), २९४६४-७ १२ भावना, मु. धर्मरुचि, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिली अनित भावना ते), २८७७८($) १२ भावना, मु. विद्याधर, मा.गु., ढा. १२, पद्य, मूपू., (पहिलीय भावना भविज्यो), २८२९८-५१(+) १२ भावना, मा.गु., भा. १२, गद्य, मूपू., (पहिली अनित्य भावना), २७४२५ १२ भावना, मा.गु., गद्य, श्वे., (प्रथम अनित्य भावना), २९४६४-२
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ १२ भावना गीत, पुहिं., भा. १२, पद्य, श्वे., (ध्रुव वस्तु निश्चल), २९५४२-१, २९६४२ १२ भावना वेली, मा.गु., गा. २६, पद्य, मूपू., (सरसति सामिणि विनवउ), २८४६७-२ १२ भावना सज्झाय, उपा. जयसोम, मा.गु., ढा. १३, गा. १२८, ग्रं. २००, वि. १७०३, पद्य, मूपू., (पासजिणेसर पाय नमी),
२७६६७, २८२३९-६, २८२७३-१, २९६४१, २७७१४-१(#) १२ मास समयदर्शन, मा.गु., गद्य, मूपू., (पोससुदमा कलाक ९), २८७१३-२ १२ व्रत पूजाविधि, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. १२४, वि. १८८७, पद्य, मूपू., (उच्चैर्गुणैर्यस्य), २७५६५ १२ व्रत विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिला समकित व्रतना), २८२३१-१० १२ व्रत सज्झाय, मु. विनयविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (श्रीगौतम गणधर पाय), २८१७५-१८ १२ व्रत सज्झाय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सरसति सामिनि करो), २८४२७-२ १३ काठिया दोहरा, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., गा. १८, पद्य, दि., (जे वट पारे वाट मै), २८३६९-२ १३ काठिया सज्झाय, मु. हेमविमलसूरि-शिष्य, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (पहिला प्रणमु गौतम), २९५१० १४ गुणस्थान उदयास्त विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (सामान्यपणे सम्यक्त), २८२६१-५ १४ गुणस्थानक ४१ द्वार विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (नामद्वार लक्षणद्वार), २८२३८-१ १४ गुणस्थानक नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (मिथ्यात्व गुणठाणो १), २८२६१-४, २८८५५-३, २९४६४-६ १४ गुणस्थानक विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (बंधप्रकृतयस्तासा), २९४४२-२ १४ गुणस्थान सज्झाय, मु. धर्मसागर, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (पासजिणेसर पायनमी सह), २८९६९-३ १४ नियम सज्झाय, ग. ऋद्धिविजय, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (सारदपाय प्रणमी करि), २८११८-१(+) १४ नियम सज्झाय, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (सारदाय प्रणमि करीजी), २८१७५-२१(६) १४ विद्या नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (विद्याकला रसायण), २९१४०-५ १४ स्वप्न सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (श्रीदेव तीर्थंकर केर), २८२९८-५३(+), २८३४४-२(+),
२८६३७-२,२८६४९ १५ कर्मादान विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (इंगलकर्म चुला चार), २८२३१-१२ १५ तिथि सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (एकम कहै तू एकलो रे), २८२६३-४६(+), २९२३२-१($) १६ मंगल भास, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (पहिलुं मंगल जिनजीने), २८१७९-३ १६ सती सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (आदिनाथ आदि जिनवर), २८१८१-१, २८२२९-३६,
२८२९६-५, २८६२४, २८६६९, २८७१५, २८६३७-३($) १६ सती सज्झाय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शीतल जिणवर करी), २८२४५-३, २८२७९-३, २९११३-९ १६ स्वप्न सज्झाय, मा.गु., गा. २९, पद्य, श्वे., (पाडलिपुर नामे नगर), २८५९६ १७ भेदी पूजा, वा. साधुकीर्ति, मा.गु., ढा. १७, वि. १६१८, पद्य, मूपू., (भाव भले भगवंतनी पूजा), २८०९९-८९(+), २८०७९,
२८२५१-२ १८ दूषणरहित अरिहंतगुण सवैया, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. १, पद्य, श्वे., (कहुं देव अरिहंत अढार), २८२१९-९ १८ नातरा सज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., ढा. ३, गा. ३२, पद्य, मूपू., (पहिलो प्रणमुपास), २८१९१-७(+), २९९५५(+),
२८५९३, २९५१९, २९६८७-१ १८ नातरा सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (मथुरापुरी रे कुबेर), २९६४५ १८ नातरा सज्झाय, मु. मतिरूचिसागर, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (मिथुलानगरी कुवेर), २८१७२-११ १८ नातरा सज्झाय, मु. वीरसागर, मा.गु., ढा. ३, गा. ३२, पद्य, मूपू., (पहिले ने प्रणमुरे), २९७१२-२(+) १८ नातरा सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (कामसेना रा पुत्रसुं), २८१६०-३९(+#) १८ नातरा सज्झाय, मु. हेतविजय, मा.गु., ढा. ३, गा. ३६, पद्य, मूपू., (पहेला ते समरूं पास), २९९२० १८ नातरा सज्झाय, मा.गु., ढा. ३, गा. ६९, पद्य, श्वे., (श्रीवीतरागजिन नमु), २९३९८ १८ पापस्थानक नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहलो प्राणातिपात), २९०८३-२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
१८ पापस्थानक निवारण सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., सज्झा. १८, ग्रं. २११, पद्य, मूपू., (पापस्थानक पहिलुं कहि), २७६४२(+३), २८२७६ २९५८१(७), २९७५७(-)
२० मांझा, क. बनारसीदास, पुहिं, गा २०, पद्य, दि., (माया मोह की तोमतवाले), २८२५०-४०
२० सखी सज्झाय, मु. गोरधन, मा.गु, गा. २३, पद्य, श्वे. (उत्तम साथ पधारीया गुण), २७९७३ - २
२० स्थानक खमासणदान विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., ( तिहां प्रथम स्थानके), २७५३३
२० स्थानकतप काउसग्ग चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चोवीस पन्नर), २९९२९-३, २९९४४-३ २० स्थानकतप गणणु, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीअरिहंतभक्ति), २९९०७
२० स्थानकतप चैत्यवंदन, पंन्या, पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मृपू., (पहेले पद अरिहंत नमुं), २९९२९-२, २९९४४-२
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२० स्थानकतप विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., ( नमो अरिहंताणं), २९८१८
२० स्थानकतप सज्झाय, मु. जिन, मा.गु., गा. ६, पद्य, म्पू., (वीसधानक० दुलहो नरभव), २९१३२
२० स्थानकतप स्तवन, मु. कांति, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सरसत हां रे मारे), २८८७०, २९६९९
२० स्थानकतप स्तवन, आ. जिनसौभाग्यसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वीसस्थानक तप वंदो रे), २८११७- १३(+)
,
२० स्थानकतप स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीअरिहंत पद ध्याइय), २८५७६-१ २० स्थानकतप स्तुति, मु. ऋद्धिसौभाग्य, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( थांनिक तप सेवा जिनपद), २८५५०-२ २० स्थानकतप स्तुति, मु. ऋद्धिसौभाग्य, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू, (वीसधानक विश्वमां) २८५५०-१(5) २० स्थानकतप स्तुति, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अरिहं सिद्ध पवयण), २८५८३-३(+) २० स्थानक पूजा, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पूजा २०, वि. १८५८, पद्य, मूपू., (सुखसंपतिदायक सदा जग ), २८११७- १०+) २० स्थानक सज्झाय, मु. लब्धि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीजिनचरणे करी), २८५३२ - २ (+) २० स्थानक स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (सुअदेवी समरी कहुँ), २८२८५-३०, २८९७६-२
२१ प्रकारी पूजा, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., डा. २१, गा. १०५, पद्य, मूपू. (प्रणमुं प्रथम जिणंद), २७१७६
,
२२ परिसह दृष्टांत, मा.गु., गद्य, मूपू., ( उज्ञेणी नगरीय हस्तमित), २९४६४-१
२२ परिसह वर्णन, पुहिं., पद्य, श्वे., (--), २८२०९-७($)
२२ परिसह सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., ढा. २२, वि. १८२२, पद्य, वे (श्रीआदेसर आद दे चौवी), २८२६३ - ११(+)
२३ पदवी विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (सात एकेंद्री रत्ननी), २९२६१
२४ जिन अंतरकाल स्तवन, मु. श्रीदेव, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (जिनचउवीस त्रिकाल ए), २९६७९-३
"
२४ जिन आंतरा, मा.गु., गद्य, मूपू., (५० कोडि लाख सागर), २८९३३ - १, २९६६२
२४ जिन आंतरा स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., ढा. ४+ कलश, वि. १७७३, पद्य, मूपू., (सारद सारदना सुपरे), २८७०२
२४ जिन आनुपूर्वी भांगा संख्या, अज्ञा, गद्य, मूपु., (--), २८७४३ - १
२४ जिन आयुष्य स्तवन, पुहिं., गा. ११, पद्य, मूपू., (जिनवर की आऊ सुणज्यी), २९६७९ - १
२४ जिन कल्याणक तिथि, मा.गु., गद्य, भूपू., (--), २९३९६
२४ जिनकल्याणक स्तवन, मु. दानविजय, मा.गु., ढा. ६, वि. १७६२, पद्य, मूपू., (निज गुरु पय प्रणमी), २८१६७-१० २४ जिनगणधर संख्या, मा.गु., को., श्वे., (ऋषभदेव अजितनाथ संभव), २७४९२-३(+#)
२४ जिन गीत- अतीत, लीबउ, मा.गु., पद्य, मूपू., (पहिलउ केवलज्ञानी), २८३६६-१(+)
२४ जिन चैत्यवंदन - अतीत, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (उत्सर्पिणी आरे थया), २८७९७-२
२४ जिन चैत्यवंदन- अनागत, आ, ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. १५, पद्य, मृपू., (पद्मनाभ पहेला जिणंद), २८६५९-२, २९६६३ - २(#)
२४ जिन चैत्यवंदन-भवसंख्यागर्भित, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( प्रथम तीर्थंकरतणा), २८९४१-२
२४ जिन छंद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. २७, पद्य, मूपू., (आर्या ब्रह्मसुता), २८८०३
२४ जिन तीर्थमाला स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (शत्रुंजे ऋषभ समोसर्य), २८०९९-३(+), २८१५५-७०), २८३९७-१ (०), २८२२८-९, २८२६५-३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
२४ जिन दूहा, मा.गु., पद्य, धे. (पहिला प्रणमुं रिषभ), २८९७३ - ३ (६)
"
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२४ जिन नमस्कार, लखमण, मा.गु., गा. २४, पद्य, म्पू., (पदम जिनवर पदम जिनवर), २८३२८-२ (+), २८५१७ २४ जिन नमस्कार त्रिभंगीसवैयामय, आ. पार्थचंद्रसूरि ब्र. गा. २५, पद्य, मूपू., (गुहन गंभीर अचल जिम), २९७४२ २४ जिन नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीऋषभदेवजी अजित), २९१४९ - २ (-)
ラ
२४ जिन नाम अतीत, मा.गु., गद्य, मूपु, (श्रीकेवलज्ञानी), २८८५८-१(०)
-
२४ जिन नाम व जीवनाम - अनागत, ग. लब्ध्योदय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पहिला श्रीश्रेणिक), २८२५२-२० २४ जिन नाम व जीव नाम-अनागत, मा.गु., गद्य, मूपु., (पद्मनाभ श्रेणिकनो), २८३२६-१, २९९७८ २४ जिन निर्वाणस्थल चैत्यवंदन, पं. सुधनहर्ष, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (अष्टापद मुगते गया), २८२१७-२४
२४ जिन पंचकल्याणक स्तवन, मु. विद्याविजय, मा.गु., गा. ४६, पद्य, मूपू., (सकल समिहित पुरवा), २९४९७-१, |२९३३६- १(३)
२४ जिन पंचकल्याणक स्तवन- अनागत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मृपू., (सिद्धि सकल समरुं सदा), २९४७६ २४ जिनपच्चीसी, मु. महासुख, मा.गु., गा. २५, वि. १८५५, पद्य, वे., (सुरतरु जिन समरुं सदा), २९४१२-१
२४ जिन परिवारसंख्या विचार, मा.गु., गद्य, म्पू, (पेलो रीषभदेवजी), २९८३४
२४ जिनपरिवार सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूषू, (चोवीसे जिनना सुखकार), २८७७१-२
२४ जिनपरिवार स्तवन, मु. कर्मसी, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (चौवीस तीथंकरनो), २८२६३-९४(+)
२४ जिन परिवार स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चोवीस तीर्थंकरनो), २९९४२-३(#$)
२४ जिन प्रथमगणधर प्रथमसाहुणीपरिवार स्तवन, मु. ज्ञानचंद, मा.गु., गा. २७, पद्य, मूपु (ऋषभादिक चवीस जिणंद), २८२८८-७
19
,
२४ जिन मातापितादि ७ बोल स्तवन, मु. दीप, मा.गु., गा. ३१, वि. १७१९, पद्य, श्वे. (श्रीजिनवाणी सरस्वती), २८२८८-८ २४ जिन लछन चैत्यवंदन, आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपु., (वृषभ लंडन ऋषभदेव), २९०१०-२(+), २९६८७-२ २४ जिन लेख, मा.गु., गद्य, वे., (पहला वांदु श्रीऋषभ), २७०४३
२४ जिनवर्णन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. २७, वि. १७८३, पद्य, मूपू., (नवा नगरीमां वसे रे), २८२३७-६
२४ जिन विचार, मा.गु., को. भूपू., (-), २९७७३
"
२४ जिन विवरण, मा.गु., गद्य, मूपू., (विमान आगत तीर्थंकर), २८२९२ - १
२४ जिन विवरण- अनागत, मा.गु., गद्य, मूपू., (आगामि कालै भावि जिन), २८२४०-२
२४ जिनविवरण स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३५, पद्य, मूपू., (निजगुरु चरणकमल नमी), २८१८७-२
२४ जिन सवैया, मु. कनीराम, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., ( चोवीसे जिन सेव देव), २८२१९-१२
२४ जिन सवैया, मु. हीरालाल, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे. (उसभ अजित संभव), २८२१९-११
,
२४ जिन सवैया, पुहिं., पद्य, मूपू., (प्रथमेस जिनेश तुहारी), २८७५२ - ३ (६)
२४ जिन स्तवन, मु. अभवराज, मा.गु., गा. १८, पद्य, म्पू., (देवतणा गुण वर्णं), २९९७४- ५(१)
२४ जिन स्तवन, मु. क्षेमकल्याण, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., (ऋषभ अजित संभव) २८२४५२, २९११३-८
२४ जिन स्तवन, पंडित. खीमाविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (भावे वंदो रे चोवीसे), २८३८६
२४ जिन स्तवन, मु. खेमो ऋषि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (पहिला प्रणमुं प्रथमन), २८२०३-५ २४ जिन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (मन कोइ हेरो रे भावें), २८२३७-५ २४ जिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (ग्रह समे भाव घरी), २९८२२-२ २४ जिन स्तवन, वा. देव, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (ऋषभ अजित संभव), २९५०४-१ २४ जिन स्तवन, मु. भोज, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (भवि वंदो आदजिनंदजी), २८२४१-१४ २४ जिन स्तवन, मु. रिखजी, मा.गु., गा. २५, पद्य, वे, (समरू श्रीआदि जिणंद), २८२४१-१३ २४ जिन स्तवन, मु. वाघ, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे. (आद आदि जिणेसरु रे), २८२५० - २१
,
२४ जिन स्तवन, मु. सुखविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मृपू., ( सदगुरु चरण नमी करी ए), २८६२३(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ २४ जिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (चतुर नमै चउ वीसरइ), २८१२९-१३३(+$) २४ जिन स्तवन, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पहैला ऋषभदेव बीजा), २८०८६-६ २४ जिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (--), २८२०७-५ २४ जिन स्तवन-अनागत, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. १२, पद्य, स्था., (प्रथम माहाराज सेणक), २८२६३-४३(+) २४ जिन स्तवन-अनागत, मु. देवकिलोल, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (परषद बइठी बार जिवार), २८४५४-३(+) २४ जिन स्तवन-देहमान आयुस्थितिकथनादिगर्भित, पा. धर्मसिंह, मा.गु., ढा. ५, गा. २९, वि. १७२५, पद्य, मूपू.,
(पंचपरमिट्ठ मन शुद्ध), २८१६७-२५ २४ जिन स्तवन-मातापितानामादिगर्भित, मु. आणंद, मा.गु., गा. २९, वि. १५६२, पद्य, मूपू., (सयल जिणेसर प्रणमुं),
२९१६३-१(+), २८२२९-४१, २८२३९-४, २८२८७-३, २८४१९, २८६६१ २४ जिन स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. २८, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिन सुहाया), २८५७८-१(+), २९७०९(+) २४ जिन स्तुति, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (अष्टापदे श्रीआदिजिन), २८१२०-२८(+) २४ जिन स्तुति, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीरिसहेसर गुण), २८१६५-२ २४ जिन स्तुति-पंचबोलगर्भित, मु. क्षेमकुशल, मा.गु., गा. २९, पद्य, मूपू., (श्रीजिन मात पिता), २८४२८ २४ दंडक २६ द्वार विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (शरीर अवगाहणा संघयण), २८१९४ २४ दंडक २९ बोल, मा.गु., गद्य, भूपू., (प्रथम नामद्वार बीजु), २७२४०(+$), २७४०२($) २४ दंडक ३० द्वार विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (दंडक लेश्या ठित्ति), २६९९६ २४ दंडक ३० बोल विचार, आ. रूपजीवर्षी, मा.गु., पद्य, श्वे., (दंडक१ लेसार ठिति३), २७६०१-१(+) २४ दंडक यंत्र, मा.गु., को., भूपू., (--), २९३५१ २४ दंडक विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथवीकायनो १ दंडक), २७७६३($) २५ बोल, मा.गु., गद्य, श्वे., (नरकगति १ तिर्यंचगति), २८२६६-१ २८ लब्धि विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (अट्ठावीस लब्धि भव्य), २९४५०-२(+) ३३ आशातना गुरुसंबंधी, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहलो बोल गुरु आगल), २८२१८-३(+), २९००४ ३३ बोल संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (सात्त भये इहलोक भय), २८२६६-२ ३४ अतिशय, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमो अरिहंताणं अरिहंत), २९१४०-१ ३४ अतिशय छंद, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीसुमति दायक कुमति), २८३२०-१, २९०९७ ३४ अतिशय स्तवन, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., ढा. ४, पद्य, मूपू., (जिन चउवीसे अतिशय), २९९६६-१(+) ३५ बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहेले बोले गति चार), २७१४४, २७७१७ ३५ बोल संग्रह, आ. आनंदविमलसूरि, मा.गु., वि. १५८३, गद्य, मूपू., (गुरुने आदेसे विहार), २८८२२ ३६ राजकुल नाम, मा.गु., गद्य, (सूर्यवंश १ सोमवंश २), २८२५०-३७ ४५ आगमनाम श्लोक संख्या आदि विवरण, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीआचारांग २५००), २८२४०-३ ४७ एषणा दोष, मा.गु., गद्य, मूपू., (सोलस उग्गमदोसा सोलस), २९४२३-२, २८२३१-१३($) ५४ उत्तमपुरूष पद, मा.गु., गा. ४+६, पद्य, श्वे., (आदिजिन वारि भरतजी), २८२९८-४६(+) ५६ दिक्कुमारी जिनजन्ममहोत्सव स्तवन, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (श्रीजिनवरनां चरण नमी), २८८४२-३(+) ६२ बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (देवगति जीवना भेद), २८२७५-८ ६२ बोल मार्गणा, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., ढा. १३, गा. १८३, वि. १७८३, पद्य, मूपू., (गुरुवचन लही करी आगम), २८४०७ ६२ बोल विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (च्यार दिशामाहे केही), २६९९९, २९०५०(5) ६२ मार्गणाद्वार विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमिउं अरिहंताई बोले), २७२९५, २८२७५-३, २९९२८-१ ६२ मार्गणा यंत्र, मा.गु., को., मूपू., (--), २९३३१(+), २९२२० ६४ प्रकारी पूजा विधिसहित, पं. वीरविजय, मा.गु., वि. १८७४, पद्य, मूपू., (श्रीशंखेश्वर साहिबो), २७१५७($) ६४ सती सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. ४१, पद्य, स्था., (नाम पणे ज्ञानी कथीय), २८५३६-१
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
४९७ ६८ तीर्थजिन स्तवन, ग. सोमहर्ष, मा.गु., गा. ५५, वि. १७२४, पद्य, मूपू., (पाली तीरथ परगडौ), २८१०५-५५ ८२ प्रकार कर्मभेद, मा.गु., गद्य, मूपू., (मतिज्ञानावर्ण १), २८२६१-७ ८४ गच्छ नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (ओसवालगच्छ १ खरतरगच्छ), २९८५६ ८४ वणिगजाति नाम, मा.गु., गद्य, श्वे., (श्रीमाल१ ओसवाल२), २८०४९-१, २८२५०-३८ ९६ जिन गीत, ऋ. लीबो, मा.गु., गा. १२, पद्य, श्वे., (अतीत अनागतने वर्तमान), २८८९७-२ ९६ जिन नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (केवलज्ञानी सर्वज्ञाय), २८९२७-१ ९६ जिन स्तवन, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., ढा. ५, गा. २३, वि. १७४३, पद्य, मूपू., (वरतमान चोवीसै वंदु), २८१०५-२,
२८२४४-३ ९६ जिन स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (भवियण भाव धरी घणी), २८५६० ९८ बोल, मा.गु., को., श्वे., (सरवथी थोडा गर्भज), २९६१५ ९८ बोल स्तवन, मु. शुभविजय, मा.गु., ढा. २, गा. १६, वि. १८५५, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीसरसति), २९५४०(+) ९९ प्रकारी पूजा-शत्रुजयमहिमागर्भित, पं. वीरविजय, मा.गु., ढा. ११, वि. १८८४, पद्य, मूपू., (श्रीशंखेश्वर पासजी),
२७५५९(+$), २९५९१-१(2) (२) ९९ प्रकारी पूजा-शत्रुजयमहिमागर्भित-विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (जघन्य ९ कलशवाला), २९५९१-२(#) १०१ बोल विचार, मा.गु., को., श्वे., (--), २९७६८ १०४ द्वार विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, श्वे., (जीव गई इंदिय काए जोए), २९०३०(+) १२५ सीख, मु. धर्मसी, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (श्रीसद्गुरु उपदेस), २८९७३-२ १७० जिन नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीप्रसन्नचंद्र), २९३९४(६) । १७० जिननाम स्तवन, मु. देवविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ५२, वि. १७१६, पद्य, मूपू., (कास्मेरी मुखमंडणी), २९८०४(+) ५६३ जीवभेद६२ मार्गणा विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (सात नारकी पर्याप्ता), २७१७४ ५६३ जीवविचार बोलसंग्रह *, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीव का भेद बेइंद्री), २९१४३-१ अंगुलमान विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (अनुयोगद्वारमध्ये), २९९२८-२ अंजनासुंदरीरास, मा.गु., गा. १५६, पद्य, श्वे., (अरिहंत सिद्ध समरु), २७१२० अंजनासुंदरी रास, मा.गु., गा. १६५, पद्य, मूपू., (शील समो वड को नही), २८०९९-९४(+), २७१९७६६), २९९९९(5) अंतरध्यान सज्झाय, मा.गु.,गा. १३, पद्य, मूपू., (चेतन तुम मनमें जपो), २९७८० अंबमानविचार दोहा, मु. लावण्यसमय, पुहिं., पद. २, पद्य, मूपू., (उंचो अंब सुलंब लंब), २८३५५-४(+) अंबाजीमाता छंद, मु. जीतचंद, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (मुख वदंती ॐकारधुनि), २८८३०-१ अंबाजीमाता छंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, वै., (प्रणमीइं परमाणंदा), २८२८७-७ अंबादेवी पद, पुहि., गा. ८, पद्य, मूपू., (त्राहि त्राहि जगदंब), २८८७८-५(+) अइमुत्तामुनि सज्झाय, मु. काणजी, मा.गु., ढा. २, गा. ३१, पद्य, श्वे., (वीरजिणंद वांदीने), २९३८१-४ अइमुत्तामुनि सज्झाय, मु. दान, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (लघुपणिथी जिणे), २८४३१-२ अइमुत्तामुनि सज्झाय, आ. लक्ष्मीरत्नसूरि, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (वीरजिणंद वांदीने), २८२८८-१५, २९४०४-२ अइमुत्तामुनि सज्झाय, मु. हीरालाल, मा.गु., गा. १४, वि. १९४०, पद्य, श्वे., (एवंतामुनिवर नाव तराइ), २८१८५-२० अइमुत्तामुनि सज्झाय, रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (जाया जोग भली परे), २८२७१-५ अइमुत्तामुनि समास, मु. जैमल ऋषि, मा.गु., ढा. ५, पद्य, श्वे., (वीरजिणंद वादिने), २८२७१-४ अक्षयतृतीया व्याख्यान, रा., गद्य, मूपू., (उसभस्सय पारणए इक्खु), २८२२३-५(+), २८७८२ अक्षरबत्रीशी, मु. हिम्मतविजय, मा.गु., वि. १७२५, पद्य, मूपू., (कका ते किरिया करो), २९८३७-१(#) अग्निभूतिगणधर सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (गोबर गाम समृद्ध अग्न), २९६०१-२ अग्यारअंग बारउपांग सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अंग इग्यारै सोहांमणा), २८२८५-११ अजितजिन गीत, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (तब प्रभु अजित कहायौ), २८१२९-७७(+)
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४९८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ अजितजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, भूपू., (अजितनाथ अवतार सार), २८२१७-२ अजितजिन लावणी, मु. केशवलाल, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (श्रीअजितनाथ महाराज), २८७२६ अजितजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (पंथडो निहालुं रे), २८१६४-२ अजितजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (श्रीजिनवर सुखकर सही), २८२५९-२ अजितजिन स्तवन, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजित जिनेश्वर आंखडी), २८१३७-२३ अजितजिन स्तवन, मु. गंगानंद, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (चैत्री पूनिमनी चांदण), ३००२४-३ अजितजिन स्तवन, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., गा.५, पद्य, मूपू., (तार किरतार संसार), २८१४७-१०(+) अजितजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजित अरिहंत भगवंत), २८१४६-२(+) अजितजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजित जिन तुह्म सीउं), २८२७२-६८ अजितजिन स्तवन, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अजितनाथ चरणे तोरे), २८२७२-२१ अजितजिन स्तवन, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (ज्ञानादिक गुण संपदा), २९२५१ अजितजिन स्तवन, मु. बालचंद्र, मा.गु., गा.७, वि. १९३०, पद्य, मूपू., (अजित अजित सब शत्रु), २९९६४ अजितजिन स्तवन, वा. मेघ, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (तु मेरे जीवन प्रान), २८१५९-११ अजितजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (अजित अजित जिन), २८१८७-४, २८२७८-१७ अजितजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा.५, पद्य, मूपू., (ओलग अजित जिणंदनी), २८२७८-४१, २९२४४-१ अजितजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा.५, पद्य, मूपू., (काबल रूपाणी लागणे), २८१४६-१०(+) अजितजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजित जिणंदस्यु प्रीत), २८१४६-५(+), २७७८४-३ अजितजिन स्तवन, मु. रत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजित जिणेश्वर जगमें), २९७४८-१ अजितजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (भेटो भेटो रे अजित), २८११४-१४ अजितजिन स्तवन, मु. वीरसागरशिष्य, रा., गा. ८, पद्य, मूपू., (विजयानंदन वीनद्रे), २८१३३-७ अजितजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (शुभ वेला शुभ अवसरे), २८१३७-२ अजितजिन स्तवन-धनेरापुरमंडण, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (चंद्र की सोहिं चंद्र), २८५५८-२(+) अजितजिन स्तवन-रतनापुरमंडण, मु. खेम, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (विजयासुत वड भाग थै), २८१२९-१०५(+) अजितजिन स्तुति-तारंगातीर्थमंडन, मु. पुण्यसागर, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (तारंगा मुखमंडण अजित), २८१५०-८,
२८८२८-४ अजीव ५३० भेद, मा.गु., गद्य, मूपू., (कालावरणमाहिइं रस ५), २९९१७-२ अजीव ५६० भेद, मा.गु., गद्य, मूपू., (धर्मास्तिकाय खंध), २९१४३-४ अजीवभेद सज्झाय, मु. जिन, मा.गु., ढा. २, गा. ३५, पद्य, मूपू., (श्रुतदेवी सुपरें नमी), २८३४२(+) अढीद्वीप ३२ विजय जिन नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीजयदेवनाथाय), २९१११-१ अणगारगुणवंदन स्तुति, पुहि.,गा. २, पद्य, मूपू., (पापपंथ परिहरे मोक्षप), २८२६६-५ अणाहारीवस्तु सज्झाय, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (जखौ मंडण वीरजिणंद), २९२३८ अदत्तादानविरमणव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (त्रीजु महाव्रत), २८९८०-३ अध्यात्म गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (प्रात भयो प्रात भयो), २९९७४-११(#) अध्यात्मगीता, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४९, पद्य, मूपू., (प्रणमियै विश्वहित), २८९०१-१५(+), २७०८३-१ अध्यात्म पद, भैरवदास, पुहिं., पद. ३, पद्य, वै., (मत को उपरउ प्रेम कइ), २८१६०-४९(+#) अध्यात्मबत्तीसी, मु. बालचंद, पुहि., गा. ३३, वि. १६८५, पद्य, श्वे., (अजर अमर पद परमेसरकुं), २८५४१-१(+),
२८२६२-४, २९९९७ अध्यात्म सज्झाय, वीरोदास, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (दान सीयल तप भावना), २८२९८-७(+) अध्यात्म सज्झाय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (आज आधार छै सूत्रनो), २९५४१-१ अनंगपाल पद, जोइसी व्यास, मा.गु., पद्य, वै., (अनंगपाल गढ रच्यो), २९०२४-२($)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
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अनंतकाच सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (अनंतकायना दोष अनंता), २८२८५-१ अनंतजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (धार तलवारनी सोहली), २८१४६ - १९(+) अनंतजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ४, पद्य, वे (श्रीअनंत अनंत सुखदाय), २८२५९-१७ अनंतजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (हो जिनजी अनंत जिणंद), २८२७८-२६ अनंतजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अनंतनाथ जिनराज अरज), २८५३५-३ अनाथीमुनि चौपाई, मा.गु., गा. ६३, वि. १४वी, पद्य, मूपू., (सिद्ध सवेनइ करुं), २८४६३
अनाथीमुनि रास, मु. खेमो ऋषि, मा.गु., ढा. ८, वि. १७३५, पद्य, मूपू., (वंदियै वीर जिणेसर), २८२६३-९१(+), २९०५४ अनाथीमुनि सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (मगधदेश वसुधाधिप), २८२८५-२५ अनाथीमुनि सज्झाय, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गा. ३०, पद्य, मूपू, (मगधाधिप श्रेणिक), २८२६३ - ५१ अनाथीमुनि सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. २२, पद्य, श्वे., (करुं नमस्कार सिद्धा), २८२५२-१६ अनाथीमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मृपू., (श्रेणिक रयवाडी चड्यो), २८१२९ - १९(+), २८२६३–७९(+), २८१०५-५, २८१६८-२५, २८२२६-२७, २८२९४-११(१), २८१३९-१७/१
अनुकंपा सज्झाय, रा. डा. ९, पद्य, वे. (पोते हण हणावै नहीं), २८२९३-१२
अन्नदेवता सज्झाय, सीरेमल, रा., गा. १०, पद्य, श्वे., (मारा अनदेवता रे), २८१८५-५७ अबलास्त्री पद, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (मुक्ति मांग नहीं गंग), २८८२०-४
अभव्य सज्झाय, मु. उदय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( उपदेश न लागे अभव्यने), २८२१६-८, २८७०७-४ अभव्य सज्झाय, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (भगवंत आगल बेसीने), २८२९३-५ अभिनंदनजिन गीत, मु. चंद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (अभिनंदन जिन विनति), २८१२९-७४(+) अभिनंदनजिन गीत, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (अहो अभिनंदन अवधारीये) २८१२९-१५०१०) अभिनंदनजिन पद, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सफल नित अभिनंदन), २८१२९-७८ (+) अभिनंदनजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ८, पद्य, वे., (गुणनिधि गिरुआ गाईयइ), २८२५९-५ अभिनंदनजिन स्तवन, उपा. जस, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्रभु तेरे नयन की ), २९८८३-३ अभिनंदनजिन स्तवन वा मानविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु., (प्रभु तुम दर्सण मलिय), २९१८६-२ अभिनंदनजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अकल कला अविरुद्ध), २८२७८-१९ अभिनंदनजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (तुझ गुण कमल पराग), २८१३७-४ अमरकुमार सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. ५२, पद्य, मूपू., (राजगृही नयरी भली), २८६५४
9
अमल वर्जन स्वाध्याय, मु. माणेकमुनि, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (जिनवाणी मन धरी), २८१२९ - १४१(+)
अमृतवेल सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. २९, पद्य, मूपू., (चेतन ज्ञान अजुवालीए), २९४८९(+), २९५१८(+),
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२८२१६-५, २९०६७-१
अरजिन स्तवन, ग. अमृतविजय, पुहिं, गा. ५, पद्य, म्पू, (मन जिन पदकज लीनो), २८२७२-८८
अरजिन स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (अढारमा साहिब हो कीधी), २७७१४-२ (#) अरजिन स्तवन, मु. प्रेम, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सकल सुखाकर गुणरतनागर), २८२७२-५१ अरजिन स्तवन, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सरसति सामणि पाय नमी), २९४८४-१
अरजिन स्तुति, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( अरनाथ सनाथ करो स्वाम), २८९४१ - १ अरणिकमुनि सज्झाय, मु. कीर्तिसोम, मा.गु., गा. २४, पद्य, मूपू., ( इक दिन अरणक जाम ), २८२८८-२४ अरणिकमुनि सज्झाय, मु. खीमा, मा.गु., गा. १२, पद्य, ओ., (कचा था सोई चल गया), २९२९५
अरणिकमुनि सज्झाच, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (अरणिक मुनिवर चाल्या), २८१२८-१५, २८१६८-१,
२८१६९ - २, २८२०७४, २८८९२-१
अरणिकमुनि सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. १८, पद्य, मृपू., (धन धन जननी रे लाल), २८२६०-१
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५००
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ अरणिकमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (अरणिक मुनिवर चाल्या), २८०९९-२६(+),
२८१२९-९२(+), २८१७७-१ अरिहंतगुण सवैया, मु. हीरालाल, रा., गा. १, पद्य, श्वे., (असोकवृक्ष और फटिक), २८२१९-८ अरिहंतपद सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वारी जाउं श्रीअरिहंत), २८३७१ अरिहंतपद स्तवन, मु. कुशल, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीतेरम गुण बसिकै), २९१२१-३(+) अरूपीभेद वर्णन, मा.गु., गद्य, श्वे., (अरूपी भेद ३ धर्मास्त), २९९१७-३ अर्जुनमाली ढाल, ऋ. जैमल, मा.गु., ढा. ७, वि. १८२३, पद्य, स्था., (राजगरी नगरी हुंती), २८२७१-३ अर्जुनमाली रास, मा.गु., ढा. ६, पद्य, श्वे., (तिणकाले ने तिणसमै), २८२९३-८ अर्जुनमाली लावणी, श्राव. सुरतराम, मा.गु., गा. ६, वि. १९३२, पद्य, श्वे., (राजग्रही नगरी के), २८१८५-७३ अर्बुदगिरितीर्थ कल्प, मा.गु., गा. ४४, प+ग., मूपू., (अर्बुदाचल उपरे अंबरण), २८५१३-२ अर्बुदगिरितीर्थ छंद, क. रूप, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (पुत्र गवरी समरु), २८१२१-८ अर्बुदगिरितीर्थ यात्रावर्णन स्तवन, मु. हेम, मा.गु., गा. २३, वि. १८२७, पद्य, मूपू., (सरसती प्रणमु पाय), २९८९८ अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आबुगढ तीरथ ताजा अष्ट), २८०९७-५ अर्बुदगिरितीर्थस्तवन, वा. प्रेमचंद, मा.गु., गा. ३४, वि. १७७९, पद्य, मूपू., (आबु शिखर सोहामणो जिह), २७७८४-१ अर्बुदगिरितीर्थस्तवन, वा. महिमसुंदर, मा.गु., गा. २७, वि. १७७०, पद्य, मूपू., (आबु शिखर सोहामणो), २८१२१-६(5) अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (आदिजिणेसर पूजतां), २९९८६-३ अर्बुदगिरितीर्थ स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आबुतीरथ अति वडु), २९०४३ अवंतिसुकुमाल कथा, मा.गु., गद्य, मूपू., (एक कोइक नगरनइं विषइ), २९५२४-१(+) अवंतिसुकुमाल चौपाई, मु. रिषभदास ऋषि, मा.गु., ढा. ४, गा. ५७, वि. १८६४, पद्य, श्वे., (वीरजिणंदर वांदीय), २९०३२ अवंतिसुकुमाल रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., ढा. १३, गा. १०७, वि. १७४१, पद्य, मूपू., (मुनिवर आर्य सुहस्ति), २७३४२-१(+),
२७४१३-२(+$), २८२५३-६,२९८७४-१(६) अवंतिसुकुमाल रास, मा.गु., ढा. ६, गा. ६७, वि. १६४१, पद्य, मूपू., (सुरनर प्रणमि सिरधरी), २८४५३(+) अवंतिसुकुमाल सज्झाय, मु. मतिकुशल, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (स्वस्तिकसूर समोसर्या), २८१२९-१५८(+) अवगाहना बोल संग्रह, मा.गु., गद्य, श्वे., (चुवीस तीर्थंकरना), २८९५५ अषाढाभूति रास, मु. धर्मरुचि, मा.गु., ढा. ६, गा. ५७, पद्य, मूपू., (सिरिसंति जिणेसर भुवण), २८२४६-३(+) अष्टमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (महा सुदी आठमने दिने), २९१५२-१, २९९२९-५ अष्टमीतिथि नमस्कार, पं. खिमाविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (चैत्र वदी आठम दिने), २८२७५-२, २८५७०-१,
२८६०५-१ अष्टमीतिथि सज्झाय, मु. देवविजय वाचक, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अष्ट करम चूरण करी), २८९५७-३ अष्टमीतिथि सज्झाय, मु. देवविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसरसतिने चरणे), २८१६८-९, २८१६९-४, २८२२१-३,
२८४१३-२ अष्टमीतिथि सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (मद आठ महामुनि वारीई), २८४४२(+), २८६७६, २९०८९,
२९२७० अष्टमीतिथि स्तवन, मु. कांति, मा.गु., ढा. २, गा. २४, पद्य, मपू., (हां रे मारे ठाम धर्म), २८२२८-२, २८२८१-२,
२८२९०-९, २८२७८-४७(5), २९५५९($) अष्टमीतिथि स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., ढा. २, गा. २०, पद्य, मूपू., (जय हसासणी शारदा), २८६४८, २९३७२-१(६) अष्टमीतिथि स्तवन, पंन्या. लावण्यसौभाग्य, मा.गु., ढा. ४, गा. २४, वि. १८३९, पद्य, मूपू., (पंचतिरथ प्रणमुं सदा),
२९३१५(+), २८१९५-२२, २८२९९-६, २९५०७, २९८९१ अष्टमीतिथि स्तवन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (--), २८६५८-१(६) अष्टमीतिथि स्तुति, मु. खीमाविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अष्टमी वासर मज्झिम), २८५७०-३, २८६०५-२
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५०१ अष्टमीतिथि स्तुति, आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चोवीसे जिनवर प्रणमु), २८१६३-११(+), २८२९०-३,
२९९४१-१३, २८१३९-३(-) अष्टमीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अभिनंदन जिनवर परमा), २८१८१-५, २८२७७-५० अष्टमीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (मंगल आठ करी जिन आगल), २८१२०-३(+),
२९२७५-१(+), २८१८१-१४, २८२००-१४, २८२७७-१०, २८७८९-१ अष्टमीतिथि स्तुति, वा. राजरत्न, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अष्टमीदिन चंद्रप्रभु), २८६६८(+), २८७१७-१(+), २८७२७,
२९३८४-१, २८७१६-२() अष्टमीतिथि स्तुति, आ. सुखसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चोवीशे जिनवर), २८२७७-११ अष्टमीतिथि स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अष्टमी अष्ट परमाद), २८१६३-२२(+), २८२००-१७ अष्टसिद्धि स्तवन, मु. राम, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (प्रभु नामे सुख उपजे), २८१८५-१२ अष्टापदतीर्थस्तवन, मु. जयसागर, मा.गु., गा. ५२, पद्य, मूपू., (इक सरसति अतिसय गुण), २८४३० अष्टापदतीर्थस्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ३२, पद्य, मूपू., (अष्टापद श्रीआदिजिणंद), २९३०४(+) अष्टापदतीर्थस्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (तिरथ अष्टापद नित), ३००२०-१(+), २८१६४-७,
२९६८१-३ अष्टापदतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (चउ अठ दस दोय वदिइजी), २९९८६-४ अष्टापदतीर्थ स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मनडो अष्टापद मोह्यो), २९८५४-२ अष्टापदतीर्थस्तोत्र, मा.गु., गा. ६२, पद्य, मपू., (सरसति अम्रत वसति), २८३४६ असज्झाय विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (सूक्ष्म रज आकाशथकी), २९६०३ असज्झाय सज्झाय, मु. ऋषभविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सरसति माता आदे नमीइ), २८६०३-२, २९४०६, २९६९५ असज्झाय सज्झाय, मु. हीर, पुहि., गा. १५, पद्य, मूपू., (श्रावण काती मिगसिर), २८८८२-२(+) असणादिक कालप्रमाण सज्झाय, मु. वीरविमल, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (प्रणमुं श्रीगौतम), २८१२९-१७९(+),
२८४९८(+) आगमसारोद्धार, ग. देवचंद्र, मा.गु., वि. १७७६, गद्य, मूपू., (हिवै भव्यजीवने), २७२८१(+$), २७२९४ (२) आगमसारोद्धार-स्वोपज्ञ बालावबोध, ग. देवचंद्र, मा.गु., वि. १७७६, गद्य, मूपू., (तिहां प्रथम जीव), २७११५(+),
२७२८१(+$), २७२९४ आगम स्तवन, ग. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रुत अतिहि भलो संघ), २८१७४-२ आचार्यपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जिनपद कुल मुखरस अनिल), २९१२१-६(+) आचार्यपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (खंती खडगथी जेणे), २९१२१-७(+) आणंदश्रावक ढाल, ऋ. जैमल, रा., ढा. ५, पद्य, श्वे., (तीण कालैने तीण समै), २८७८०-१ आत्म द्रूपद, मु. जिनराज, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (कुण धरम को मरम लहैरी), २८१२९-२०(+) आत्मप्रबोधछत्तीसी, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ३६, पद्य, मूपू., (श्रीपरमातम परम पद), २८१८०-१ आत्मराज रास, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. १०१, वि. १५८८, पद्य, मूपू., (सिरिसरसति सरसति आपु), २९३६२(#) आत्मशिक्षाबत्रीसी, मु. खेम, रा., गा. ३२, ग्रं. ३२, पद्य, मूपू., (पाप थान अढारे पूरौ), २८१२९-१६३(+) आत्मस्वरूप पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (जाग रे सब रैन विहानी), २८१८०-१५ आत्महितशिक्षा सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रभु संघाते प्रीत), २८७०५-२, २९४७०-२ आत्मा के ६५ गुण, मा.गु., गद्य, मूपू., (असंख्यात प्रदेशी), २९६५१ । आत्मा के ८ नाम-भगवतीसूत्र, मा.गु., गद्य, मूपू., (द्रव्यात्मा १ कषाय), २९४६९ आत्मासुमति गीत, मु. मतिकुशल, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (सुमति सुहागणि वीनवे), २८१०५-६६ आदिजिन गीत, मु. लींबो, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (किम मिलु लाई जिनवर), २९८१४-१ आदिजिन गीत, पंन्या. विनीतविमल, मा.गु., गा. ५१, पद्य, मूपू., (सरस्वती माता द्यो), २८२९९-२(5)
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आदिजिन गीत, पुहिं., गा. ४, पद्य, वे (भजो श्रीऋषभ जीणंद), २८१५९-२
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आदिजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (आदिदेव अरिहंत नमु), २८२१७-१ आदिजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( प्रथम पुजो आदिदेव), २८२६८-१५ आदिजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीसेत्रुंजो सीणगार), २८२२१-१३
आदिजिन चैत्यवंदन चंद्रकेवलिरासउद्धृत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (अरिहंत नमो भगवंत),
२८११८- ४(+), २८२२९-३१
आदिजिन चैत्यवंदन - चैत्रीपूनमदेववंदन, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पूर्णचंद्र उपमान जास), २९२३४-२ आदिजिन चैत्यवंदन - शत्रुंजय नमस्कार, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (नाभिनेरसर वंश चंद), २९२३४-१ आदिजिन चौपाई, ऋ. रायचंद, मा.गु., ढा. ४७, वि. १८४०, पद्य, श्वे., (अरिहंत सिद्धनै आयरिय), २७२३४
आदिजिन छंद केसरीया, आ. गुणसूरि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (श्रीप्रमोद रंग कारणी), २८२२९-३०
-
आदिजिन छंद-धुलेवा, क. दीपविजय, मा.गु., गा. ६३, पद्य, मूपू., (आदि करण आदि जग आदि), २८२२९-४३,
२८६६५-२, २८७७५
आदिजिन पद, मु. अमिचंद्र, पुहिं., गा. ३, पद्य, वे., (घुंघरु बजे छांम छननन), २७०३४-३४(+) आदिजिन पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., ( नाभ नृपत के घर सब ), २७०३४-१३(+) आदिजिन पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (रे मनमोहन सुंदर सुरत), २८१०१-१३(-) आदिजिन पद, श्राव. ऋषभदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (नेन नमे आन बता प्रेम ), २८२७२ - १४३ आदिजिन पद, मु. कनककुशल, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (अइओ अइओ नाटिक नाचे), २८०९७-१६ आदिजिन पद, मु. करमसी, मा.गु., गा. ५, पद्य, खे, (आय रहो दिल बागमें), २८१०१-१९(-)
""
आदिजिन पद, मु. खेमचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे. (हे री मन ध्याई ले आद), २८१०५ -३० आदिजिन पद, मु. खेम, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जागीयै नृप नाभिनंदन), २८०९९-१९(+) आदिजिन पद, मु. चतुरकुशल, रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (विसरे मत नाम प्रभूजी), २८०९९-६१(+) आदिजिन पद, मु. जिनचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (नित घ्यावो रे रिषभ), २८०९९-६९(+) आदिजिन पद, मु. जिनराज, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., ( आज सकल मंगल मिलै आज), २८१२९ - ७६(+) आदिजिन पद, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद. ५, पद्य, मूपू., (महिमा जग अभिराम जिन), २८१०१ -२१ ( आदिजिन पद, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., ( रिषभजिनेसर अतिअलवेसर), २८०९९-३६(+) आदिजिन पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (लग्या मेरा नेहरा), २८१८०-२८, २८१०१-३५० आदिजिन पद, मु. दीपविजय, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (मेरी अरज जिनराज सुनि), २८२७२ - १११ आदिजिन पद, मु. भुधर, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे. (तुम मेरी सूथ के), २७०३४- १२(+) आदिजिन पद, भूधर, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (नाभ नंदनसूं लगी लव), २८२६४-१९ आदिजिन पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे. (लगीलो नाभिनंदनसुं), २८१०५-८३, २८२५६-२ आदिजिन पद, मु. मनरूप, मा.गु., पद, ६, पद्य, श्वे, (ऋषभ जिनेसर पुजन कुं), २८०९९-४८ (+) आदिजिन पद, मु. महिमराज, मा.गु., गा. ३, पद्य, वे., (जाग जगमुगटमणि नाभि), २८१२९-५३(+) आदिजिन पद, मु. मान, पुहिं., गा. ३, पद्य, मृपू., (आज तो हमारे भाव आदि ) २८१५९-७
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आदिजिन पद, मु, मुलचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे. (आदि जिणंदा मे तुमसे), २७०३४-२० (+)
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आदिजिन पद, पं. रत्नसुंदर, मा.गु., गा. ६, वि. १८६६, पद्य, मूपू., ( भेट्या रे नाभीकुमार), २८१०१ -२३)
आदिजिन पद, मु. वृद्धिकुशल, पुहिं, पद. ३, पद्य, मूपु., (मनदी मेरे तूं वस्यो), २८०९७-१३
आदिजिन पद, मु. साधुकीर्ति, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., ( आज ऋषभ घर आवे देखो ), २८१५९-१२, २८२७२-८१,
२८५४२ - २
आदिजिन पद, मु. सोभाचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (भज श्रीऋषभ जिणंद), २८२६४-७५ आदिजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहिं, गा. ४, पद्य, भूपू., ( उगत प्रभात नाम जिनजी), २८२७२-७५
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
आदिजिन पद, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (आज अजोध्या नगरी के), २८१८५-१९ आदिजिन पद, मु. हेम, रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीऋषभ जिणेसर पूजो), २८१२९-५५(+) आदिजिन पद, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., (आज भले सुविहाण भविक), २८१०१-३९०), २८१०१-४८०) आदिजिन पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (भज मन नाभिनंदन चरन), २८२६४-५२ आदिजिन पद-केसरीया, श्राव. ऋषभदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (केसरीया से लागो), २७०३४-२१(+), २८२७२-१३९,
२९९३१-२ आदिजिन पद-धुलेवामंडन, ऋषभदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, म्पू., (मै तुमसे यारी किनी), २९९६६-२(+) आदिजिन पद-बाल्यावस्था, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (मरुदेवी माता रीषभ), २८२७२-७२ आदिजिन पारणा पद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (मोरी राज सहेली आद), ३००१६-५ आदिजिन पारणा स्तवन, मु. जेमल-शिष्य, मा.गु., गा. ८, वि. १८५२, पद्य, श्वे., (ए मारी रस सेलडी आद), २८१८५-७ आदिजिन पारj, मु. माणेकविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (आहे जश घर जावेजी), २९०६४-२ आदिजिन प्रभाति, मु. रामचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्रभाते पंखीडा बोले), २९९७४-४(#) आदिजिन भास, मु. माणक, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आदीसर अवधारीए वीनतडी), २८४७८-१ आदिजिन भास, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रिऊनि पनोती विनवि), २८१९६-१९ आदिजिन मरूदेवामाता पद, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (ललाजी तुम्ह तौ भलै), २८१२९-३७(+) आदिजिन महावीरजिन स्तवन-जीर्णगढमंडण, मु. कुशलहर्ष, मा.गु., ढा. ७, गा. ३९, वि. १७वी, पद्य, मूपू., (आदिह
आदिजिणेसर प्रणम), २८४५८(+) आदिजिन रेखता, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुझे है चाव दरसनका), २८२६४-५० आदिजिन लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (सीस नमाके करुं वीनती), २८२१९-५ आदिजिन लावणी, मु. ऋषभदास, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सुणीये रे वातां सदा), २९८५०-१ आदिजिन लावणी, मु. जिनदास, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (मै राज दिल का मै रमत), २८०९९-५७(+) आदिजिन लावणी, नानू, मा.गु., पद. ५, पद्य, श्वे., (बे कर जोडी सीस नमाउं), २८०९९-५९(+) आदिजिन लावणी, मु. मूलचंद्र, पुहि., गा. ९, वि. १८६३, पद्य, मूपू., (सुणीये बातो रांव), २८६७७ आदिजिन लावणी, मु. लब्धिविजय, मा.गु., पद्य, मूपू., (आहे अति झीणी अति), २८३१७-४(+) आदिजिन लावणी, पुहि., गा. २५, वि. १८६०, पद्य, मूपू., (सरसती माता सुमति की), २८७८४(+) आदिजिन लावणी-केसरीयाजी, नानू, मा.गु., पद. ६, पद्य, श्वे., (सरणै आयां की लज्जा), २८०९९-६०(+) आदिजिनवंश सज्झाय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (ऋषभनो वंस रयणायरु तस), २८१६८-१७ आदिजिनविनती स्तवन, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ५७, वि. १६६६, पद्य, मूपू., (श्रीआदीसर वंदं पाय), २८१५०-१३ आदिजिनविनती स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (सुण जिनवर शेत्रुजा), २८१९५-१३, २९७१६ आदिजिनविनती स्तवन, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (नमीय मन रंगी अति), २८६१५-१ आदिजिनविनती स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ४५, वि. १५६२, पद्य, मूपू., (जय पढम जिणेसर),
२८३७६, २८६४४ आदिजिनविनती स्तवन-शत्रुजयमंडन, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. ५७, वि. १७उ, पद्य, मपू., (आदिश्वरप्रभुने विनंत),
२८२७८-४८, २८४६४, २९६९३-१, २८१९६-१३(१) आदिजिन सुखडी, मा.गु., गा. ५४, पद्य, म्पू., (सरसति माता देवी चरण), २८४५० आदिजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिणेसर प्रीतम), २८१६४-१, ३०००८-१ आदिजिन स्तवन, मु. आनंदविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (रीषभ जिनेसर भेटीयै), २८२६५-४ आदिजिन स्तवन, मु. कपूर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रथम तिर्थंकर रीषभ), २८१३९-१४) आदिजिन स्तवन, मु. किसन, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (श्रीऋषभजिणेसर जगत), २८२४१-१२ आदिजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (श्रीजिनराज सकल सुख), २८२५९-१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ आदिजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जे जगनायक जगगुरुजी), २८०८६-२, २८१२८-१०, २८१६४-३ आदिजिन स्तवन, ग. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्रभु मया करी दिल), २८१७४-५ आदिजिन स्तवन, मु. गुणसागर, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (जिन जीम जाणे होते), २८१६७-३० आदिजिन स्तवन, मु. चंदकुशल, पुहि., गा.५, पद्य, मूपू., (देखोने आदेसर बाबा), २८९५४-१० आदिजिन स्तवन, ऋ. चोथमल, रा., गा. ७, वि. १९६४, पद्य, श्वे., (बोल बोल आदेसर वाला), २८१८५-९५ आदिजिन स्तवन, मु. चोथमल, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (मोरादे मइया वाली लगे), २८१८५-४१ आदिजिन स्तवन, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मन मधुकर मोही रह्यउ), २८१४७-९(+), २८१०५-८६ आदिजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आदिसर सुखकारी हो), २८१४६-१(+), २८१६४-५,
२९५३५-२ आदिजिन स्तवन, मु. ज्ञानचंद, मा.गु., ढा. २, गा. २६, वि. १८वी, पद्य, श्वे., (श्रीनाभिकुलगुर), २८२८८-९ आदिजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (गिरिराज तेरे दरिसन), २८३९८-२(+) आदिजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (तुम दरिसण भले पायो), २८२७२-६७ आदिजिन स्तवन, टोडर, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (उठ तेरो मुख देखु), २८२७२-११८, २८९५४-८ आदिजिन स्तवन, मु. दीपसौभाग्य, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (जय जय आदि जिनंद आज), २८०९६-३ आदिजिन स्तवन, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज आनंद वधामणां), २९९७४-९(#) आदिजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिणंदशुं प्रीतडी), २९२६२, २९८१३-१ आदिजिन स्तवन, वा. देव, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुने ऋषभ जिणेसर वाला), २९५०४-३ आदिजिन स्तवन, मु. नारायण, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (श्रीआदेसर जग जयो सुख), ३००१३-६ आदिजिन स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आदि युगादै नाभरायजी), २८२३६-८ आदिजिन स्तवन, ग. फतेंद्रसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (रिषभजिनेसर तुं अलवेस), २८८४९-१(+) आदिजिन स्तवन, मु. बालचंद पंडित, पुहि., गा. ६, वि. १७८४, पद्य, मूपू., (सीतलजिन सहज सुरंगा), २८२६४-७४ आदिजिन स्तवन, ग. भाणविजय, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (श्रीअष्टापद ऊपरे जाण), २८८३१(+) आदिजिन स्तवन, मु. भावविजय, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (आदि तुंही आदि जिन), २८२७२-७३ आदिजिन स्तवन, मु. महिमाविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बालुडो निःस्नेही थइ), २८८६४, २९९५०-१ आदिजिन स्तवन, मु. माणेकमुनि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (माता मरुदेवीना नंद), २८२२८-५ आदिजिन स्तवन, ऋ. मूला, मा.गु., ढा. ३, गा. १७, वि. १७५९, पद्य, श्वे., (प्रथम जिणेसर स्वाम), २९३८१-५ आदिजिन स्तवन, मु. मोहन, रा., गा. ८, पद्य, मूपू., (उरंग लागो थाहरा रुप), २८१६४-४ आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्रीउडा जिन चरणांरी), २८१४६-१४(+), २८१०५-१६ आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सेजूंजे शिखर), २८२७८-४० आदिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जगजीवन जग वालहो), २८१४६-४(+), २९२४५-१,
२९३५४ आदिजिन स्तवन, मु. रतनचंद ऋषि, पुहि., गा.८, वि. १९११, पद्य, श्वे., (देखोजी आदिसर सामी), २८२७९-७ आदिजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (आदिसर अरिहंतजी विनती), २८५३५-१ आदिजिन स्तवन, मु. रहिदास ऋषि, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (श्रीऋषभदेव जीणंदा), २९९९०-१ आदिजिन स्तवन, मु. राम, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज भले दिन उगो हो), २८८५३ आदिजिन स्तवन, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. २४, वि. १८३८, पद्य, श्वे., (इणि क्रोड पूर्व लग), २८१८५-१५ आदिजिन स्तवन, मु. रायचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (सर्वारथसीध थकी चव आय), २८२६३-९२(+) आदिजिन स्तवन, मु. रायचंद, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (--), २८२६३-६५(+) आदिजिन स्तवन, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (एक दिन मारुदेवी माता), २९०६४-१ आदिजिन स्तवन, मु. लालचंद, मा.गु., गा. ११, वि. १८३९, पद्य, श्वे., (ऋषभ जिणेसर त्रिभुवन), २८१६६-३, २९३१३-२
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
आदिजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनराज जगपती चर्ण), २८११४-८ आदिजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४, वि. १९४०, पद्य, मूपू., (दरसा फिर दीज्योजी), २८११४-२ आदिजिन स्तवन, मु. वर्धमान, मा.गु., गा. १०, पद्य, मपू., (आदेसर अरीहंताजी जगमा), २८२०७-२ आदिजिन स्तवन, मु. वलभ, मा.गु., गा. ७, वि. १८४०, पद्य, मूपू., (चालो सहेली आपण सहु), २८३८४-१ आदिजिन स्तवन, मु. विक्रम, मा.गु., वि. १७२१, पद्य, मूपू., (प्रथम आदिजिनंद वंदत), २८१०४-१५ आदिजिन स्तवन, मु. विजयसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आदिजिणंद अवधारीये), २९८२६ आदिजिन स्तवन, मु. विवेकविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आदिजिन भावे भवीजन), २८१३१-२(+) आदिजिन स्तवन, मु. वीर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आदिजिनेसर विनती), २८१४२-१२ आदिजिन स्तवन, मु. श्रीविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (प्रभु अनडपाडां राजै), २८१७५-२ आदिजिन स्तवन, वा. सदानंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (घणु प्यारो घणु प्यार), २८१४७-७(+) आदिजिन स्तवन, मु. सुमतिविमल, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (माता मरुदेवीनो लाडलो), २८९३९ आदिजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सकल वंछित सुख आपवा), २८१३७-१ आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा.५, पद्य, श्वे., (आज उजम छे रे मुझने), २८१२७-४(+) आदिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (आदि जिणंद० विनतडी), २९९६६-४(+$) आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (आवो आवो हमारे घर), २८१८५-३४ आदिजिन स्तवन, पुहि., गा. ११, पद्य, श्वे., (तम तरण तारण भव निवार), २८२६३-२९(+) आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, वि. १९१०, पद्य, मूपू., (तारक त्रिभुवनपतिने), २९७४८-२ आदिजिन स्तवन, पुहिं., गा.८, पद्य, मपू., (तुम सैती नही बोलू), २८२६३-७०(+) आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा.७, पद्य, म्पू., (प्यारो लागे० ऋषभ), २९८४४-३ आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रथम नरेसर प्रथम), २९३८०-२(+) आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (प्रभुजीरे आदेसर अरि), २९२१४-२ आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (माता मारुदेवीना जाआ), २८६१७ आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीनाभीनंदन भगवान), २८१६५-८ आदिजिन स्तवन, मा.गु., वि. १७७५, पद्य, मूपू., (सरसति गुण गावु मांगु), २८०८६-५ आदिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (--), २८२०७-३ आदिजिन स्तवन-२८ लब्धिगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., ढा. ३, गा. २६, वि. १७२६, पद्य, मूपू., (प्रणमुं प्रथम जिनेसर),
२८१२९-१(+), २८१९५-१६, २८२९९-५ आदिजिन स्तवन-३४ अतिशयगर्भित, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (नाभिनरिंदमल्हार), २८०९४-२(5) आदिजिन स्तवन-अक्षयतृतीयापारणागर्भित, उपा. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (ऋषभ लही वरसी उपवासि),
२८९०३, २९२३१ आदिजिन स्तवन-आत्मनिंदागर्भित, वा. कमलहर्ष, मा.गु., ढा. ४, गा. ५२, पद्य, मूपू., (आदीसर पहिलो अरिहंत),
२७५२०(+), २८१२९-१८२(+) आदिजिन स्तवन-केसरीयाजी, मु. रत्न, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सखि रे जागती जोत), २९९६८-८ आदिजिन स्तवन-जन्मबधाई, मा.गु., गा. ६, पद्य, मपू., (आज तो बधाइ राजा नाभि), २८१२९-५९(+), २९९७५-१२(+),
२८०९७-१५, २८१०५-३४, २८१५९-२४, २८२६४-८८ आदिजिन स्तवन-त्रिलोकीपातसाह ऋद्धिवर्णन, पंन्या. दीपविजय, मा.गु., गा. १६, वि. १८८६, पद्य, मूपू., (भरतजी कहे सुणो
मावडी), २८२८९-१ आदिजिन स्तवन-फलवर्द्धिपुरमंडण, क. रूप, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (जय जय हो सामी जैनराय), २८१२९-१०(+) आदिजिन स्तवन बृहत्-शत्रुजय, मु. प्रेमविजय, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (प्रणमवि सयल जिणंद), २८०९९-९६(+),
२९९७५-८(+), २८१७२-७, २८२२९-३२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ आदिजिन स्तवन-राणकपुरमंडन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, वि. १६७६, पद्य, मूपू., (राणपुरे रलीयामणो रे),
२८१२९-६२(+), २८१४६-२२(+), २८१२१-१($) आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. १३, वि. १७५६, पद्य, मूपू., (आदि जिणेसर वीनती हो),
२८१३७-१३ आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (आण मिलावें कोई ऋषभ), २९४८७-१० आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (बालपणे आपण ससनेहि), २८०९९-३१(+),
२९१२२ आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (त्रिभुवन तारक देव), २९७४६-३(+) आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (मरुदेवि माडी उरिरयण), २८३१७-१(+), २८४०३-१(+) आदिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रह उठी वंदु ऋषभदेव), २८१७३-४, २८२०३-१,
२८२३९-५, २८२७७-१, २८६५८-३ आदिजिन स्तुति, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मपू., (सुधर्म देवलोक पहिलो), २८११०-३, २८४८० आदिजिन स्तुति, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सेजामंडण दुरति), २८१७३-९ आदिजिन स्तुति, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (विमलाचलमंडण जिनवर), २८५८३-२(+) आदिजिन स्तुति, मु. नेमविजय, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (प्रथम तिर्थंकर आदि), २८१२०-१९(+), २८१८१-९ आदिजिन स्तुति, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रहि ऊगमतई ऋषभजिणंद), २८२७७-३२, २८४२५-१ आदिजिन स्तुति, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (विमलाचलमंडण ऋषभजिणेस), २८२७७-३४ आदिजिन स्तुति, मु. सुमति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सवारथ सीधथी चव्या ए), २९००३ आदिजिन स्तुति, मा.गु.,गा. ३, पद्य, मूपू., (जयजय त्रिभुवन आदिनाथ), २८१३९-१९(-) आदिजिन स्तुति-अहीपुरमंडण, मु. इंद्रकुशल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अहीपुर मंडण ऋषभ), २८१८१-१५ आदिजिन स्तुति-नवतत्त्वगर्भित, मु. मानविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जीवाजीवा पुण्यने पाव), २८२७७-३५,
२८८२४-७ आदिजिन स्तुति-मरुदेवामाता केवलज्ञान, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गजकुंभे बेसी आवे), २८२७७-२३ आदिजिन स्तुति-वीसलपुरमंडन, मु. देवकुशल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (विसलपुर वांदु), २८१७३-२ आदिजिन स्तुति-शत्रुजयमंडन, ग. शुभविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, पू., (श्रीविमलाचल गिरवर), २८१५०-११ आदिजिन स्तुति-सणवापुरमंडण, पंन्या. प्रतापविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसणवापुर मंडण ऋषभ), २८२७७-२४ आदिजिन होरी, मु. जिनचंद्र, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (होरी खेलियै नर बहुर), २८१२९-१६८(+) आधुनिक नारी पद, पुहि., गा. ५, पद्य, (मैं अंगरेजी पढगई सैय), २८८७८-८(+) आध्यात्मिक पद, अबीरचंद, मा.गु., पद. १, पद्य, श्वे., (ज्ञान की कबान मोहै), २८१६५-१३ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवधू क्या मागुंगुनह), २८२७२-२७ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवधू नट नागर की बाजी), २८२७२-२८ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवधू नाम हमारा राखे), २८२७२-३ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवधू राम राम जग गावे), २८७०९-३, २९१६४-२ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (क्यारे मने मलशे मारो), २८२७२-७९ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (क्या सोवै उठि जाग), २९९७३-१ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (चेतन चतुर चोगान लरी), २९९३१-८ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (चेतन सकल वियापक होइ), २९९३१-४ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (जिया जानै मेरी सफल), २९९७३-२ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तुम ज्ञान विभो फुली), २८१६०-१०(+#) आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (तेरी हु तेरी हुँ), २८२७२-१४७
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (तेरो अकल अगौचर रुप), २८२७२-५४ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पं., गा. ४, पद्य, मूपू., (देखो कुडी दुनियांदा), २८२७२-४७ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (निसदीन जोऊ थारी), २८०९९-७९(+) आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (बेर बेर नहीं आवे), २८७०९-१ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (मारो केसर वरणो नाह), २९०७९-२ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (माहरओ बालूडो सन्यासी), २९९७३-४ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (माहरो मोहनइ कब), २९९७३-५ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (रघरिया री बाउरे), २८१५९-१५ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (रे परदेसी भमरा यौ), २९९३१-१० आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (समकित दोरी शील लंगोट), २८२६४-२१ आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (सलौणे साहिब आवेंगे), २८२७२-२० आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (सुहागणि जागी अनुभव), २९९७३-३ आध्यात्मिक पद, कबीर, पुहिं., पद. ४, पद्य, वै., (कैसे कैसे समझाईयै मन), २८१६०-५१(+#) आध्यात्मिक पद, कबीर, पुहि., पद. ३, पद्य, वै., (साधो घर मैं झगरा भार), २८१६०-५०(+#) आध्यात्मिक पद, मु. गुणसागर, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (कंत चतुर दलिआनि हो), २८२६४-२४ आध्यात्मिक पद, मु. चिदानंदजी, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (लघुता मेरे मन मानी), २९१५०-२(5) आध्यात्मिक पद, मु. जगराम, पुहिं., पद. ४, पद्य, श्वे., (सुन बे चेतन बेवफा), २८१०५-२३ आध्यात्मिक पद, मु. जिनदास, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (तन वस्त्र कुं रंग), २८२२६-१८ आध्यात्मिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (सिद्ध स्वरूप सदा पद), २८२२६-१६ आध्यात्मिक पद, मु. जिनदास, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (सुक्रत विण संपति), २८२२६-१७ आध्यात्मिक पद, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरे मोहन अब कुण पुर), २८१६०-२७(+#) आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानविमल, पुहिं., गा. ८, पद्य, मूपू., (हो पीउडा मदमतवाला), २८२७२-१४६ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (उठ रे आतमवा मोरा भयो), २८१८०-२९ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (औधू आतम धरम सुभावै), २८१८०-२४ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (औधू आतमरूप प्रकासा), २८१८०-२३ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (कंत कह्यो हूं न मानै), २८१८०-२० आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (क्युं आज अचानक आए), २८१८०-१३ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (ग्यांन पीयूष पीपासी), २८१८०-३९ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (घर के घर विन मैरो), २८१८०-३२ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (चेतन धरम विचारा ओधू), २८१८०-३८ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (जब जड धरम विचारा औधू), २८१८०-४० आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (जब हम तुम इक ज्योत), २८१८०-३४ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (नाथ विचारो आप विचारी), २८१८०-१० आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (पर घर घर कर माच), २८१८०-२६ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्यारे नाह घर विन), २८१८०-३१ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मनडानी अमै केनै जो), २८१८०-१४ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मपू., (मेली हूंइ केली हेली), २८१८०-२१ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (यूही जनम गमायो भेख), २८१८०-४४ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (वारो नणदल वीर कहू), २८१८०-४१ आध्यात्मिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (विसम अति प्रीत निभान), २८१८०-२५
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ आध्यात्मिक पद, तुलसीदास, पुहि., गा. ४, पद्य, वै., (ऐसी मूढता या मन की), २८८७८-११(+) आध्यात्मिक पद, तुलसीदास, पुहिं., गा. ६, पद्य, वै., (माधव मोह पास क्यों), २८८७८-१२(+) आध्यात्मिक पद, मु. दीप, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (सो जोगी मन भावै अवधू), २८२६४-११ आध्यात्मिक पद, मु. द्यानत, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (केति सुभता कहु उनकी), २९८८३-४ आध्यात्मिक पद, मु. द्यानत, पुहिं., पद. ४, पद्य, मूपू., (भैया मोरै कहुं कैसै), २८१६०-१४(+#) आध्यात्मिक पद, मु. द्यानत, पुहिं., पद. ४, पद्य, मूपू., (वंदगी न भूल वंदे तूं), २८१०५-२५ आध्यात्मिक पद, पनालाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अष्टकर्म मोय घेर), २७०३४-२६(+) आध्यात्मिक पद, जै.क. बनारसीदास, पुहि., गा. ४, पद्य, दि., (तुं आतमगुण जाण रे), २८१२९-९९(+), २९२३२-२,
२९३७९-२ आध्यात्मिक पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (देख्या दुनियां बीचि), २८१०५-२१ आध्यात्मिक पद, महमद काजी, मा.गु., गा. ४, पद्य, (अरे घरियारे वावरे मत), २८१६०-६०(+#) आध्यात्मिक पद, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तने हसी हसीने समजावु), २८१७५-१० आध्यात्मिक पद, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजब गति चिदानंद घन), २९७२३-३() आध्यात्मिक पद, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (जब लगे आवे नही मन), २८१८२-३, २९८२९ आध्यात्मिक पद, मु. राज, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (विदेसी मेरे आइ रहे), २८१६०-२८(+#) आध्यात्मिक पद, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (लीनौ लीनौरी मो मन), २८१६०-२६(+#) आध्यात्मिक पद, राजाराम, पुहिं., पद. ५, पद्य, वै., (चेतन तूं क्या फिरै), २८१०५-२४, २८९२०-२(#) आध्यात्मिक पद, मु. रिखजी, पुहि., गा. ६, पद्य, श्वे., (भय भूजावलही थकै दोउ), २८२६४-२२ आध्यात्मिक पद, मु. विनय, पुहि., गा. ७, पद्य, मूपू., (किसके बे चेले किसके), २९३७२-२ आध्यात्मिक पद, मु. सूर्य, पुहि., पद्य, श्वे., (मेरे मन में आना रे), २८८७८-९(+) आध्यात्मिक पद, मु. हरखचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (सूगरु मेरे वरषत वचन), २९९९०-३ आध्यात्मिक पद, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (कुकम केसर मोती मुहवट), २८२९८-१७(+) आध्यात्मिक पद, पुहि., गा. २, पद्य, श्वे., (चरचा आतमराम की रूचसू), २८२६४-२६ आध्यात्मिक पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तू ही नवनीधी तूं ही), २९१६४-१ आध्यात्मिक पद, पुहि., गा. ५, पद्य, श्वे., (नारी मइ देखीजी नाचती), २८२६४-६१ आध्यात्मिक पद, पुहिं., गा. २, पद्य, श्वे., (नीसदीन आनंद मगन मे), २७०३४-२९(+) आध्यात्मिक पद, मा.गु., पद. २, पद्य, मूपू., (नैनन इसी वान परी गई), २८१०५-१७ आध्यात्मिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (पंथीडा पंथ चलेगो), २८०९९-३९(+), २८९०१-१६(+) आध्यात्मिक पद, मा.गु., पद. ५, पद्य, श्वे., (परमजोत परमातमा परम), २८०९९-४१(+) आध्यात्मिक पद, पुहिं., पद्य, वै., (सुनेरी मैने निर्बल), २८८७८-१४(+$) । आध्यात्मिक पद, पुहि., गा. ४, पद्य, वै., (सुनो अविनासी साहिब), २८०९७-१० आध्यात्मिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (सोयो तुं बोहोत काल), २९९७४-६(#) आध्यात्मिक पद-आत्मनिंदा, पुहि., गा. ३, पद्य, वै., (मो सम कौन कुटिल खल), २८८७८-१३(+) आध्यात्मिक पद-काया, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुणि बहिनी पीउडो), २८१०५-६ आध्यात्मिक सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सदगुरु निज पर उपगारी), २८१८२-२ आध्यात्मिक सज्झाय, मु. गुलाब, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (चेतन चेतो चित्तमा रे), २९२५३-१ आध्यात्मिक सज्झाय, चंपाराम, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (अरे सजन तेरा मन चंचल), २८२८८-१ आध्यात्मिक सज्झाय, मु. जीतविमल, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (--), २८३२२-२(#$)
त्मिक सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसरि, मा.ग.,गा. ६, पद्य, मप., (अजही आतम अनुभव नायो), २८९३७-२(+) आध्यात्मिक सज्झाय, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (अरिहंत राजा मोहराय), २८२७२-३६
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
आध्यात्मिक सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (तनपुर नगर मनोहरु), २८१०९-५(#) आध्यात्मिक सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (सिंगल दीप शरीर मे), २८१०९-४(#$) आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अणविमास्युं करइ कांइ), २८१९२-१२ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अनुभव सिद्ध आतम जे), २८९०१-६(+), २८१९२-४ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आतम अनुभव जेहनई), २८९०१-५(+), २८१९२-३ आध्यात्मिक सज्झाय, मु. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आतमरामे रे मुनि रमे), २८१९२-१० आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चेतन चेतन में धरि), २८९०१-८(+), २८१९२-७ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चेतन तुमही आपें), २८१९२-१३ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चेतना चेतनकुं), २८१९२-६ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (जग सरूप चेतन संभलावइ), २८१९२-८ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जे देखु ते तुज नही), २८९०१-३(+), २८१९२-१ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जेहनई अनुभव आतम), २८९०१-४(+), २८१९२-२ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (समकित तेह यथास्थित), २८९०१-९(+), २८१९२-९ आध्यात्मिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सम्मदीट्ठी ते यथा), २८१९२-२० आध्यात्मिक सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पीउडा जिनचरणानी सेवा), २८१२९-८९(+) आध्यात्मिक सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (ते गिरूआ भाई ते गिरू), २९८२१-७($) आध्यात्मिक सज्झाय, आ. विनयप्रभसूरि, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (सासरीये इम जइये रे), २९६५७-१(६) आध्यात्मिक सज्झाय, उपा. सुजस, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (चेतन जो तुंग्यान), २९७२३-२ आध्यात्मिक सज्झाय, ऋ. हीरालाल, मा.गु., गा.८, पद्य, श्वे., (वाजा नगारा जीत्या), २८१८५-२१ आध्यात्मिक सज्झाय, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (कामणि बुझै निजसू), २८२६४-६२ आध्यात्मिक सज्झाय, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (तुही तुही याद आवै), २८१८५-४७ आध्यात्मिक सज्झाय, पुहि., गा. ११, पद्य, श्वे., (लाउंगी कागद बनाउंगी), २८२६४-६४ आध्यात्मिक स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (परमातम परमानंदरूप), २९०६८-३ आध्यात्मिक हरीयाली, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (नानी वहुने पर घेर), २८७०९-२ आध्यात्मिक हरीयाली, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (आंबा डाले सुंडली तस), २८६९६-२ आध्यात्मिक होरी, मु. चतुरकुशल, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (फागुन में फाग रमो), २८०९९-६२(+) आध्यात्मिक होरीपद, मु. सुमति, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (पिय विन कैसे खेलु), २८१६०-११(+#) आनंदघन गीतबहोत्तरी, मु. आनंदघन, पुहिं., पद. ७८, पद्य, मूपू., (क्या सोवेउठि जाग), २८१८२-१ आनंदश्रावक संधि, पा. श्रीसार, मा.गु., ढा. १५, गा. २५२, वि. १६८४, पद्य, मूपू., (वर्द्धमानजिनवर चरण), २८२५१-११ आबुतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३४, वि. १७२८, पद्य, मूपू., (आज अनोपम पुन्यथी में), २८४८५-३ आबुतीर्थ स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., ढा. ४, वि. १७६९, पद्य, मूपू., (उचो गढ आबू तणो नीची), २८५५८-१(+) आराधकविराधकचौभंगी सज्झाय, पुहि., गा. ३१, पद्य, श्वे., (एक आडी अढाइदीप का), २८२२६-३५ आराधना चौपाई, ग. गुणरत्न, मा.गु., गा. १०४, पद्य, मूपू., (वीरजिणंद तणां चरण), २७८३४ आर्द्रकुमार चौपाई, मु. मानसागर, मा.गु., ढा. ३, वि. १७३१, पद्य, मूपू., (संतिकरण संतीसरु), २९४४७-२(+) आर्द्रकुमार रास, मु. लावण्यसमय, मा.गु., ढा. ३, पद्य, मूपू., (माहिय नयरीय सीहदुआरि), २८२९८-६(+) आर्द्रकुमार सज्झाय, पुन्या, मा.गु., गा. २२, पद्य, श्वे., (--), २९३८१-१(६) आलोयणा, मु. जडाव, रा., गा. २५, वि. १९६२, पद्य, श्वे., (अहोनाथजी पाप आलोउ), २९४४८(+) आलोयणाछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३६, वि. १६९८, पद्य, मूपू., (पाप आलोयु आपणां सिद),
२८१२९-१३४(+$), २८२१६-३ आलोयणा विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञाननी आशातना जघन्य), २८३२५, ३००२७
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ आलोयणा विधि, मा.गु., गद्य, श्वे., (अतीत काल अठार पाप), २९४१९-१(+), २९६०७-१(#$) आलोयणा विधि, मा.गु., ग्रं. ११७, गद्य, मूपू., (देववंदन अकरणे पुरिमढ), २९४६३-१ आश्चर्यचतुर्दशी, पुहिं., पद्य, श्वे., (नमौं पदारथ सार कौ), २८२०९-४($) आषाढाभूति चरित्र, वा. कनकसोम, मा.गु., गा. ६७, वि. १६३८, पद्य, मूपू., (श्रीजिनवदन निवासिनी), २८०९९-२(+),
२८१०५-४८ आषाढाभूति चौपाई, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., ढा. १६, गा. २१८, ग्रं. ३५१, वि. १७२४, पद्य, मूपू., (सकल ऋद्धि समृद्धिकर),
२७७५५(+) आषाढाभूति चौपाई, मु. मानसागर, मा.गु., ढा. ७, गा. ४१४, वि. १७३७, पद्य, मूपू., (सासणनायक सुरवरूं वंद),
२७४१३-३(+), २८२२६-३७ आषाढाभूति पंचढालिया, ऋ. रायचंद, मा.गु., ढा. ५, वि. १८३६, पद्य, मूपू., (दरसण परिसोह बावीसमो), २८२६७-४,
२९३७० आहारदोषछत्तीसी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ३६, वि. १७२७, पद्य, मूपू., (त्रिकरण सुद्ध नमुं), २८१२९-३६(+), २८१६७-२१ आहारप्रधानता सज्झाय, मा.गु., पद्य, श्वे., (सर्वे देव देवमां), २८९४३-२($) इंद्रऋद्धि विवरण, मा.गु., गद्य, श्वे., (--), २८१२९-१५७(+$) इंद्रवधावो पद, पुहि., गा. १३, पद्य, मूपू., (वंदोजी चोवीसो जिणंद), २८२६४-२८ इंद्रियमन संवाद, भीम, मा.गु., गा. २७, पद्य, श्वे., (प्रथमिंदात जीभनि), २८२९८-२४(+) इंद्रियसुखत्याग पद, मु. जगराम, पुहिं., पद. ४, पद्य, श्वे., (तजो मन भोग दुखदाई), २८२५०-७ इक्षुकारसिद्ध चौपाई, मु. खेम, मा.गु., ढा. ४, वि. १७४७, पद्य, मूपू., (परम दयाल दयाकरु आसा), २८६७२ इलाचीकुमार गीत, ऋ. लीबो, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (गोपी बइठो रे पुत्र), २९२६४-२ इलाचीकुमार चौपाई, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., ढा. १६, गा. १८७, ग्रं. २९९, वि. १७१९, पद्य, मूपू., (सकल सिद्धदायक सदा),
२७७२३-१ इलाचीकुमार सज्झाय, मु. मनोरविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (एक नगर वडो विस्तार), २८२३६-४ इलाचीकुमार सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (नाम इलापुत्र जाणीए), २८०९९-२४(+),
२८१६०-८५(+#), २८०९६-१, २८१०४-१७, २८१०५-७, २८११५-७ इलाचीपुत्र सज्झाय, मा.गु., गा. १४, वि. १५७०, पद्य, मूपू., (उलट उलट अंगि अपारकि), २८२९८-१(+), २९३२९(+$) इलापुत्र सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. २७, पद्य, मूपू., (नाम इलापुत्र जाणीये), २८१३९-१८(-) उंबरदत्त रास, रा., ढा. ५, गा. ८८, वि. १८३५, पद्य, मूपू., (विपाकसुत्र अद्धेन), २८२९३-७ उज्जयनी उपाश्रय सज्झाय, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (हो मुनिवर उजेणीना), २९१९५-१ उत्पत्तिनाशध्रुव पद, मु. जिनभक्ति, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (अगम अगाधि बीजी वीर), २८१२९-८६(+) उपदेशक सज्झाय, मु. आणंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (हारे लाला सिद्धस्वर), २८८६८ उपदेशछत्तीसी, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ३७, पद्य, मूपू., (सांभलज्यो सज्जन नर), २८७३८, २९४०३, २९६२१ उपदेशपद लावणी, मु. हीरालाल, रा., गा. ५, पद्य, स्था., (लिखा लेख नहीं मिटे), २८९७७-१(६) उपदेशबत्तीसी, मु. राज, पुहिं., गा. ३०, पद्य, मूपू., (आतमराम सयाने तें), २९३८१-८ उपदेशरसालछत्तीसी, मु. रुघपति पाठक, मा.गु., गा. ३७, पद्य, श्वे., (श्रीजिनचरण नमी करी), २८०९९-५(+) उपदेश स्तवन, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (जीव के ताहरी उतम), २८२१६-१ उपधानतप स्तवन-वृद्ध, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ३, गा. १८, पद्य, मूपू., (श्रीमहावीर धरम), २८१९५-२० उपाध्यायपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (धन धन श्रीउवज्झाय), २९१२१-८(+) उपाध्यायपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (हुयने हुयने हुयने), २९१२१-९(+) ऋषभजिन गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (रिषभदेव मोरा हो पुण), २८१६०-५७(+#) ऋषभाननजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीऋषभानन गुणनिलौ), ३००१३-८
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५११ ऋषिदत्तासती रास, आ. जयवंतसूरि, मा.गु., ढा. ४१, गा. ५६२, ग्रं. ८५०, वि. १६४३, पद्य, मूपू., (उदय अधिक दिन दिन),
२७३५३-१(+#) ऋषिमंडल पूजा-बृहद्, वा. शुभ, मा.गु., पद्य, मूपू., (प्रणमी चारित पासजिन), २७२९९ एकमतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (एक मिथ्यात असंयम), २८१८१-३ एकादशीतिथि चैत्यवंदन, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (शासननायक वीरजी प्रभु), २८५७०-४, २८६०५-३ एकादशीतिथि सज्झाय, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आज एकादसी रे नणदल), २८१६८-१०, २८१६९-१,
२९६५७-३(5) एकादशीतिथि सज्झाय, मु. मकनचंद, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (आज मारे एकादशी रे), २९९७९-१ एकादशीतिथि सज्झाय, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (काले तो मारे एकादसी), २८१८५-४६ एकादशीतिथि स्तुति, मु. जिनविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (माधव उज्वल एकादशी), २८५७०-२, २८६०५-४ एकादशीतिथि स्तुति, मु. राजविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (निरूपम नेम जिणेसर), २८२७७-१४ एषणासमिति चौढालीयो, मु. तिलोक ऋषी, मा.गु., ढा. ४, गा. ५७, वि. १९३६, पद्य, श्वे., (धरम मंगल उत्कृष्ट छे),
२९६५३-१ औपदेशिक कवित्त, गोविंद, पुहि., पद. ४, पद्य, वै., (मुझन की अटक तीहां), २९३१०-२ औपदेशिक कुंडलिया, क. गिरधर, पुहिं., सवै. ५, पद्य, वै., (साइ कर ग्रह गिरधारो), २८२६४-१८ औपदेशिक गीत, कबीर, पुहिं., गा. ८, पद्य, वै., (चलि चलि रे भमरा कमल), २८१६०-३२(+#) औपदेशिक गीत, मु. जिनरंग, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (काया कामणि वीनवैजी), २८१६०-६८(+#) औपदेशिक गीत, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (देस मुलकने रे परगण), २८२८९-४, २८६९१-२ औपदेशिक गीत, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (चेतन राम तोर्यो), २८१६०-२०(+#) औपदेशिक छंद, पंडित. लक्ष्मीकल्लोल, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (भगवति भारति चरण), २८२२९-३७, २८२५०-२२,
२८३०७(#) औपदेशिक छंद-त्रोटकनामा, क. दीपविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (वरदायक माय सलाम करी), २८१४८-६(+$) औपदेशिक ढाल, मा.गु., गा. ६५, पद्य, श्वे., (ए संसार असार छै नही), २८२९३-१ औपदेशिक दूहा, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे., (ज्ञान समो कोई धन नहि), २८८८८-२ औपदेशिक दहा, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (प्यावैथा जब पीया नही), २८८२०-८ औपदेशिक हा संग्रह, पुहि., गा. १३, पद्य, ?, (एक समे जब सींह कू), २९२२५-४ औपदेशिक दूहा संग्रह, पुहि.,रा., गा. ३०, पद्य, (मोपन साचुं करिहुँ), २९३९१-२ औपदेशिक दूहा संग्रह, मा.गु., पद्य, मूपू., (--), २९०१३(+$) औपदेशिक पद, मु. अचल, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (क्या गानकउ नगर बकरइ), २९०५३-२(-) औपदेशिक पद, मु. अमीचंद्र, रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (साच तो वतावो ग्यांनी), २८१७१-११(+) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवसर बेर बेर नही), २८१०१-७(-) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (ऐसे जिनचरने चित्त), २८१२९-११९(+) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., (मानो क्यु नै), २८०९९-७८(+) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., (वारो रे कोई पर घर भम), २८१२८-६ औपदेशिक पद, मु. आनंदराम, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (छोटीसी जान जरासा), २८१०१-४४(-) औपदेशिक पद, ऋ. आसकरण, पुहि., पद. १, पद्य, श्वे., (तीनु वैचैता नंद दीधी), २८२६३-१५(+) औपदेशिक पद, मु. आसराज, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (मानीयै श्रीमहाराज), २८१६०-१८(+#) औपदेशिक पद, मु. इंद्रसौभाग्य, पुहि., गा. १९, पद्य, मूपू., (समकीत विण केसे पाईई), २८२७२-१९ औपदेशिक पद, श्राव. ऋषभदास, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज पीया मन मोहन प्या), २८२७२-१३६ औपदेशिक पद, कबीर, पुहिं., गा. ११, पद्य, वै., (काया नगर के दस दरवाज), २८७३९-३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
औपदेशिक पद, कबीर, पुहिं., पद. ५, पद्य, वै., (ठगणी क्या नेणां ठमका), २८१०१-२२ (-) औपदेशिक पद, कबीर, मा.गु., गा. ४, पद्य, वै., ( ना कोई आता ना कोई), २८१८५-५१ औपदेशिक पद, कबीर, पुहिं., गा. ४, पद्य, वै., (मोकु कहाँ तूं ढूंढे), २८८७८-३(+) औपदेशिक पद, मु. कुसल पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (मति तोडे काची कलीया), २८२६४-५७ औपदेशिक पद, कृपाल, पुहिं., पद. ३, पद्य, वै.?, ( में पतितन को राजा), २८२५०-१ औपदेशिक पद, क. केसोदास, पुहिं., पद. ५, पद्य, वै., (मत कोई परो प्रेमकै), २८१०५-४७ औपदेशिक पद, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तुंही तुही याद आवे), २८१९९-१३ औपदेशिक पद, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., (सद्गुरुने पकरी बाह), २८१०१-६ (-) औपदेशिक पद, मु. गुणसागर, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (सुग्यानी सिवपुर लेहु), २८२६४-२३ औपदेशिक पद, गोविंददास, पुहिं., गा. ७, पद्य, वै., (गुरु के सरणै आयै ), २८२६४-५६ औपदेशिक पद, गोविंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, जै. ?, (सदावीला तेह निसरी), २८२९८-१० (+) औपदेशिक पद, गोविंद, मा.गु., गा. १०, पद्य, जै. ?, (हंसाई धर्मतां आदरि), २८२९८-२३(+) औपदेशिक पद, मु. चंपालाल शिष्य, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., ( ऐसी कटे करम की फांसी), २८९३८-६ औपदेशिक पद, मु. चंपालाल, पुहिं., पद. २, पद्य, वे., (सबो रोज दर दिल दरदै), २८८२०-२ औपदेशिक पद, मु. चतुरकुशल, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (एसी बतीयां कुमती कहा), २८०९९-६३ (+) औपदेशिक पद, मु. चेनविजय, पुहिं, गा. ४, पद्य, मृपू., (अरे तोसे केसे करि), २८२७२-१२८
(यह मायाना तेसी औरत), २८८७८ - ४ (+), २८१८५- १०१ ( कौन कूवानि परी रे), २८२६४-४१ (अंतर मेल मिठ्यो नही), २८२२६ - १९
"
,
औपदेशिक पद, मु. चोथमल ऋषि, पुहिं., गा. ६, वि. औपदेशिक पद, मु. चोथमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, वे., औपदेशिक पद, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., औपदेशिक पद, मु. जगतराम, पुहिं. गा. ३, पद्य, क्षे., औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं, गा. ७, पद्य, मूपू, औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (अब अंग केकु माये धन), २७०३४ - ९ (+), २७०३४-१०(+) औपदेशिक पद, मु. जिनवास पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अब ना पडु रे मे तो), २७०३४-२४(+) औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तुम तजौ जगत का ख्याल), २८१८५-५६ औपदेशिक पद, मु. जिनवास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू (तुमसे पुकार मेरी), २७०३४-२८(+) औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., ( प्रभु नाम की निज), २८१८५-८७ औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., ( बालम ना रेंसां घरमें), २८२४१-१६ औपदेशिक पद, मु. जिनराज, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., ( कहा रे अग्यानी जीवकु), २८१५९-२५ औपदेशिक पद, मु. जिनराज, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (ते मेरा दरद न पाया), २८२२६-२२ औपदेशिक पद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू, (हां रे तुर्मे जो जो), २८१३७-२५ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपु, (अनुभौ या मै तुमरी) २८१८०-१२ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. १२, पद्य, मूपू., (आप मतीयै भला मूंढ), २८१८०-१७ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं, गा. ३, पद्य, मूप, (ओधू सुमति सुहागन), २८१८०-४ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (औधू कैसी कुटंब सगाई), २८१८०-३ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (जब जग रूप प्रकासा), २८१८०-४३ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (झूठी या जगत की माया), २८१८०-१८ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (तेरो दाव बन्यो है), २८१८०-३५ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (भाई मति खेलै तू माया), २८१८०-१६ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (भोर भयो अब जाग), २८१८० - ३७ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (भोर भयो भोर भयो भोर), २८१८०-३३
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१८८०, पद्य, श्वे., ( क्यों पाप कमावे रे ), २८८७८–७(+) (आरो नरभव निष्फल जाय), २८१८५-९
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (मरणा तो आया माया), २८१८०-१९ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं, गा ३, पद्य, मूपु., ( ललना ललचावै बाइ मोने) २८१८०-४२ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (साधो भाइ जब हम भए), २८१८०-६ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं, गा ५, पद्य, मूपू., (साधो भाई आतम खेल ), २८१८०-९ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (साधो भाई ऐसा योग), २८१८०-२ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (साधो भाई जग करता कहि), २८१८०-५ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. १४, पद्य, मूपू., (साधो भाई निहचै खेल), २८१८०-७ औपदेशिक पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (साधौ भाइ आतम भाव), २८१८०-८ औपदेशिक पद, तुलसीदास, मा.गु., गा. ४, पद्य, वै., (लीच्यो टबरो रामरस को), २८१२७-१२ (+) औपदेशिक पद, मु. देवा, पुहिं., गा. १०, पद्य, श्वे., (जीवा चेतोजी थे नरभौ), २८२७२-१२६ औपदेशिक पद, मु. देवीचंद, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (करम सतु मारो कांई), २८१०१ -२५ () औपदेशिक पद, मु. दोलत, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (चेत रे चेत अचेत होय), २८२६४-३५ औपदेशिक पद, मु. द्यानत, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तु तो समझ समझ रे भाई), २८२६४-३० औपदेशिक पद, मु. धनदास, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., ( बीति राति हूयो तब ), २८२७९-४ औपदेशिक पद, मु. धरमपाल, पुहिं., पद. २, पद्य, औपदेशिक पद, मु. धर्मचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, वे (भजते क्यो नही) २८१८५-९९ औपदेशिक पद, मु. नंदलाल शिष्य, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे. (तुम सुनो मुगत का), २८१८५ - ९४ औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., ( इतने पर कीम गरूर करी), २८२६४-४३ औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (चंतत ओर बनत कछुऊ रही), २८२७२-१३४ औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहिं. गा. ३, पद्य, मूपु., (लगजा प्रभु चरणे सेती), २८२७२-१२९ २९२३४-७ औपदेशिक पद, नानक, पुहिं., गा. ७, पद्य, (कासी गया वृंदावन गया), २८१८५-१०६
वे
( अटक्यो मेरो मन अटक्य), २८१०५-२७
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औपदेशिक पद, मु. नारायण, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (जगत मैं किणसुं करियै), २८१६०-२५ (+#) औपदेशिक पद, मु. निहाल, पुहि., पद. २, पद्य, वे., ( अब तो लम्बाजी हद मन), २८१०५-२८ औपदेशिक पद, नेहलाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, जै. ?, ( मन लगा लगा प्रभु समर), २७०३४-२५ (+) औपदेशिक पद, न्यामत, पुहिं., गा. ३, पद्य, ओ., ( क्या सोवा तु मोहनींद), २८१८५-१०३ औपदेशिक पद, मु. पद्मकुमार, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (सुणि सुणि जीवडा), २८१२९-९५(+) औपदेशिक पद, फकीरा, पुहिं., गा. ८, पद्य, (कछु लेना न देना मगन), २८१८५-६९
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औपदेशिक पद, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, दि., (चेतन तूं तिहुं काल), २८१२९ - १०३(+), २८१६०-२३(+#) औपदेशिक पद, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, दि., (चेतन नैकु न तोहि), २८२७२-३१ औपदेशिक पद, श्राव. बनारसीदास, पुहिं, गा. ३, पद्य, दि., (तुं भ्रम भुलत रे), २८२७२- १५५
औपदेशिक पद, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. २, पद्य, दि., (तूं भ्रम भूलि नरे), २८१२९ - १०२ (+)
औपदेशिक पद, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., गा. ८, पद्य, दि., (देखो भाई महाविकल), २८१६० -५९(+#), २८३०८ औपदेशिक पद, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., गा. ८, पद्य, दि., (या चेतन की सब सुद्ध), २८१६०-२२ (+ औपदेशिक पद, भूधर, पुहिं, गा. ७, पद्य, वे, (उस मारग मत जाय रे नर), २८१०५-८१ औपदेशिक पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (धरम माणें जीवहिंसा), २८२६४-६३ औपदेशिक पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (मारै गुरां दीनो माने), २८५१६-७ औपदेशिक पद, मनसूर, पुहिं. गा. ७, पद्य, (--), २८८७८-१६०) औपदेशिक पद, महमद, मा.गु., गा. १०, पद्य, (कुंभ काचो रे कावा), २९१४८- २) औपदेशिक पद, मु. मान, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जाग जाग जाग जाग रे ), २८१५९-६, २९२३२-४ औपदेशिक पद, मु. रतनचंद, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., ( मानव को भव पायके मत), २८२२६-२३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ औपदेशिक पद, मु. राजसमुद्र, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (अवसर चल्योरेव जाय), २८२६४-१२ औपदेशिक पद, मु. राजसमुद्र, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (कउण धरम को मरम लहैरी), २८२६४-१६ औपदेशिक पद, मु. राजसमुद्र, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (सखी कुण करमकी गति), २८१६०-५२(+#) औपदेशिक पद, मु. रामचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (यूं ही जनम गमायो भजन), २८१०५-२६ औपदेशिक पद, मु. रुपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (समझ समझ जिया ग्यांन), २७०३४-११(+), २८०९९-४३(+) औपदेशिक पद, मु.रूपचंद, पुहि., गा. ५, पद्य, श्वे., (मानो सीख हमारी तौ), २८२७२-१४५ औपदेशिक पद, मु. रूपचंद, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (मोय कैसे तारोगै दीन), २८०९९-५२(+) औपदेशिक पद, मु. लाभधीरविजय, मा.गु., गा.५, पद्य, मूपू., (--), २८१४१-१(+$) औपदेशिक पद, मु. लाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (मनवा जगत चल्यो जाये), २८२२६-२८ औपदेशिक पद, मु. लावण्यसमय*, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आदत जोयनि जीवडा जगि), २८२९८-२२(+) औपदेशिक पद, मु. विनय, पुहि.,गा. ५, पद्य, मूपू., (कहा करू मंदिर कहा), २९४९७-२ औपदेशिक पद, मु. विनय, पुहि., गा. ७, पद्य, मूपू., (वात ए विसर गइ कहिजो), २९८६८-१ औपदेशिक पद, मु. विनय, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (वात की समझ परी कहिजो), २९८६८-२ औपदेशिक पद, सूरदास, पुहि., गा. ३, पद्य, वै., (मन लागउ रमता रामस्यु), २८१६०-४६(+#) औपदेशिक पद, सेवक, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (जीव तुं गिहिनमा), २८२९८-५०(+) औपदेशिक पद, मु. हजारीमल, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (निश्चे जाणो रे तुम), २८१८५-१०४ औपदेशिक पद, मु. हरकचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (जल विना कमल कमल विना), २८१८५-७० औपदेशिक पद, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (नहि छांडो हो जिनराज), २८२६४-७० औपदेशिक पद, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (इस जगत की जंजाल जाल), २८१८५-९३ औपदेशिक पद, पुहि., गा. २, पद्य, श्वे., (अब सुरजनहा दावरे), २८५१६-५ औपदेशिक पद, पुहिं., पद्य, श्वे., (आग लगै तो बुजै जलसुं), २८२४९-७ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (आज चेत चेत प्यारे), २८२७२-६५ औपदेशिक पद, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (आस पीवो प्रभु नामका), २८१०१-३७(-) औपदेशिक पद, पुहि., गा. १, पद्य, श्वे., (इंद्रि उपरि असवार), २९६७९-६ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (कहिवैकुं मन सूरमा कर), २८९५४-११ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (क्यो भटके रे जिया), २८१८५-८८ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (चितनको आंछो दाव लगो), २८२७२-१२४ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ८, पद्य, श्वे., (चुकें मति दाव पड्यों), २८२६४-९० औपदेशिक पद, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (चेतन अजहु तूं कछु), २८१६०-१९(+#) औपदेशिक पद, मा.गु., पद. ३, पद्य, श्वे., (चेतन हो मानु ले सारी), २८१०१-८०) औपदेशिक पद, पुहिं., पद. ३, पद्य, श्वे., (जगत जाल का है अति), २८८२३-३(+) औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मपू., (जन ग्यानी छौडी जानि), २८२२६-२० औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, (जब तेरी डोली उठाली), २८८७८-२(+) औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (जागि जागि रयण गई भोर), २८२७२-६४ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (जागो रे जंजारी जीवडा), २८९३८-३ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (जिया मानले मुनीराज), २८१८५-९२ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (जीवडा देह वरोणी मत्य), २८२७२-१३५ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (जीवा प्रदेशी नीज पद), २८२७२-१३३ औपदेशिक पद, पुहि., पद. ४, पद्य, श्वे., (जैन धरम नही कीना हो), २८१०१-५(-) औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (तां लग हे वरही सतगे), २८९२९-४
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (तु सुणि रै तु सुणि), २८२७२-१२५ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (तेरो धरम सहाई), २८२६४-९१ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (देखो जी अंधेर जगत मे), २८९३८-४ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (पर नारी छांनी छुरी), २८२६९-६, २९२४१-२ औपदेशिक पद, म., पद. १, पद्य, वै., (पापा ची वासना नको), २८१८५-६१ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, वै., (पेट रामने भुरा चणाय), २८८२३-२(+) औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (प्रभू नाम सुमरि मन), २८२६४-६९ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (बडे गइ तार लागी रे), २८९७७-५ औपदेशिक पद, मा.गु., गा. २, पद्य, श्वे., (बरी नही मंगण जे), २९०४४-५ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. १८, पद्य, श्वे., (बाजीद पातिस्याह की), २८२६४-९२ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (भोले नर समजत क्यूं), २८२२६-१५ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (मति कोइ करीयो प्रीति), २८२२६-२९ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ६, पद्य, श्वे., (मनहु महागजराज प्रभु), २९६७९-४ औपदेशिक पद, मा.गु., पद. ५, पद्य, श्वे., (मनुष्य जनम यूंही), २८१०१-१२(-) औपदेशिक पद, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (मार बफंती खीचडी ओ घर), २९२४१-१ औपदेशिक पद, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (वाहणुं बाहिउं निधर), २८९६९-४ औपदेशिक पद, मा.गु., पद. ३, पद्य, श्वे., (विना पकाइ सोवे नीद), २८१०१-४७(-) औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (विषयवस जनम गयो रे), २८२६९-७ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. १२, पद्य, श्वे., (समकीत बीना जीवा जगत), २८२७२-१२३ औपदेशिक पद, मा.गु., गा. २, पद्य, श्वे., (सीसगर दरज तंबोली), २८५३१-२ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (सुकृत न कीयो), २८१८५-८९ औपदेशिक पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (सुभ गुदते स्यम पडी), २७०३४-३०(+) औपदेशिक पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (स्नान करो उपसमरस), २९११३-११(६) औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (होरी खेलो रे भविक), २८०९९-६५(+), २९९३०-१(2) औपदेशिक पद-निद्रात्याग, मु. कनकनिधान, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (निंदरडी वेरण हुइ), २८१२९-१०९(+),
२८१४१-३(+) औपदेशिक पद-निद्रात्याग, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (रे जीव निद्रा परिहरो), २८१५९-१९ औपदेशिक पद संग्रह, मु. जिनदास, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (करम की कैसे कटे फांस), २८९३८-५ औपदेशिक पद संग्रह, सगराम दास, पुहिं., पद. ७, पद्य, वै.?, (--), २८१०४-८ औपदेशिक पद संग्रह, साकळचंद, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (जीव काया ने सुणावे), २९२२६-२ औपदेशिक पद-स्वार्थ, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (जे सर्वथि पासथो), २८९८४ औपदेशिक प्रभाति, मु. वीरजी, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (पूर्वदिसे जिन तणी), २९९७४-७(#) औपदेशिक बारमासो, मु. देदो ऋषि, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (परथम तीर्थंकर पाय), २८२६४-६६ औपदेशिक भास, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (भविय लोअप्रतिबूझवइ), २८४६७-३ औपदेशिक लावणी, अखपत, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (खबर नहिं हे पलकी), २८११५-६ औपदेशिक लावणी, मु. अखेमल, पुहि., गा. ११, पद्य, श्वे., (खबर नही आ जगमे पल), २८१८५-१०२ औपदेशिक लावणी, मु. जिनदास, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (बल जावो रे मुसाफर), २८०९९-५६(+) औपदेशिक लावणी, मु. जिनदास, रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (मन सुण रे थारी सफल), २८०९९-५५(+) औपदेशिक लावणी, मु. जिनदास, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (लाभ नहि लियो जिणंद), २८०९९-५४(+) औपदेशिक श्लोक, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे., (कर उपर माला फिरे), २८२१२-३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ औपदेशिक सज्झाय, मु. अखेराज, रा., गा. १३, पद्य, श्वे., (यो भव रतन चिंतामण), २८१८५-२४ औपदेशिक सज्झाय, मु. अमी ऋषि, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (केइ रहै उधे सिर लटक), २८१८५-६४ औपदेशिक सज्झाय, मु. अमी ऋषि, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (मना मान सुगुरु का), २८१८५-१०५ औपदेशिक सज्झाय, मु. आनंद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (कामणगारी हो त्रीया), २८२७२-५५ औपदेशिक सज्झाय, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (हुं तो प्रणमुं सदगुर), २८१९९-१६ औपदेशिक सज्झाय, मु. आनंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (तोहि बहुत जतन कर राख), २९८७७-१(+) औपदेशिक सज्झाय, मु. आसो, पुहि., गा. १०, पद्य, श्वे., (सरसत सामण विनवू), २८६२१-१ औपदेशिक सज्झाय, मु. उदय, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (प्यारी ते पीउने इम), २८१९६-१५ औपदेशिक सज्झाय, मु. उदयरतन, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (उंडोजी अर्थ विचारीयो), २९१८० औपदेशिक सज्झाय, मु. कीर्तिविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (चंचल जीवडारे में), २८८८५ औपदेशिक सज्झाय, मु. कुसालचंद ऋषि, रा., गा. १७, पद्य, श्वे., (चेत चेत रे प्राणीया), २८२४९-२ औपदेशिक सज्झाय, मु. खुबचंद, पुहि., गा. ६, पद्य, श्वे., (किण विध आउरे मारा), २८१८५-९८ औपदेशिक सज्झाय, मु. खुसाल, रा., गा. ११, पद्य, श्वे., (साधु कहै सांभल बाई), २८२४९-३ औपदेशिक सज्झाय, मु. चंपालाल, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (श्रीवीतराग की वाणी), २८१८५-१६ औपदेशिक सज्झाय, वा. चारुदत्त, मा.गु., गा. २३, पद्य, पू., (श्रीजिनवरनां प्रणमी), २८२५६-१० औपदेशिक सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (अगर चाहे आराम तो), २८१८५-८३ औपदेशिक सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (उठो वीदर कस कमर तुम), २८१८५-८६ औपदेशिक सज्झाय, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (आउखु तुट्याने सांधो), २८२५२-१५ औपदेशिक सज्झाय, मु. चोथमल, पुहि., गा. ११, पद्य, श्वे., (तारवो धर गारत हुऐ इस), २८१८५-८४ औपदेशिक सज्झाय, मु. जिन, मा.गु., गा. १२, पद्य, म्पू., (ते बलीया रे भाई ते), २८२८५-२१ औपदेशिक सज्झाय, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (संग पुद्गल मे मान्यो), २८१८५-२२ औपदेशिक सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. १०१, वि. १८७५, पद्य, स्था., (इम सतगुरु जीवनै समजा), २८२६३-३५(+) औपदेशिक सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. ३२, पद्य, स्था., (जिण कही काया माया), २८२६३-४४(+) औपदेशिक सज्झाय, श्राव. तिलोकचंद लुणिया, रा., गा. ४, पद्य, श्वे., (जी माने एकलडी मत मेल), २८१०४-१ औपदेशिक सज्झाय, मु. दयाशील, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (नाहलो न माने रे), २८२६०-५, २९१४१ (२) औपदेशिक सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (बार भावनामांहि), २९१४१ औपदेशिक सज्झाय, आ. दयासूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (स्वारथीयो संसार), २८२५६-५ औपदेशिक सज्झाय, मु. दलपत, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (सजी घर बार सारु), २८१८५-३६ औपदेशिक सज्झाय, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनजीनी थीरता अतिरूड), २८५०४ औपदेशिक सज्झाय, मु. धनीदास, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (जीतो रे चेतन मोह), २८२७९-८ औपदेशिक सज्झाय, मु. नरसिंग, मा.गु., गा. ८, वि. १८८२, पद्य, श्वे., (नवगाढी माही भटकत), २८१८५-२९ औपदेशिक सज्झाय, न्यामत, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (परदेशीया में कोण चले), २८१८५-९६ औपदेशिक सज्झाय, मु. प्रीति, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पंचे अंगुल वेढ बनाया), २८४८८-७ औपदेशिक सज्झाय, मु. प्रीतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चेतो आतमजी अथिर), २८४८८-२ औपदेशिक सज्झाय, मु. भुधरदास ऋषि, पुहिं., गा. १२, पद्य, श्वे., (अहो जगत गुर एक सुणिय), २९३४१-२ औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आज का लाहा लीजीई), २८९०१-१३(+), २८१९२-१९ औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ८, पद्य, म्पू., (आदित जाइने आपणी), २८९०१-११(+), २८१९२-१६ औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (कोइ कीनहीकोउ काज न), २८९०१-७(+), २८१९२-५ औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (चेतन जब तुं ज्ञान), २८९०१-१०(+), २८१९२-११ औपदेशिक सज्झाय, मु. मणिचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (जो चेते तो चेतजे जो), २८१९२-१४
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
औपदेशिक सज्झाय, मु. मणिचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मिच्छत्व कहिजे), २८९०१ - १२(+), २८१९२-१८ औपदेशिक सज्झाय, ग. मणिचंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू, (शिवपुर वासना सुख), २८१९२-१५ औपदेशिक सज्झाय, मु. मणिचंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., ( शुक्लपक्ष पडवेथी), २८१९२ - १७ औपदेशिक सज्झाय, ऋ. मनरूप, मा.गु., गा. १५, वि. १८७७, पद्य, श्वे., (ए तो जगत मीथ्यातमे), २९२१२ औपदेशिक सज्झाय, महमद, मा.गु., गा. ११, पद्य, जै. ?, (भूलो ज्ञान भमरा कांई), २८०९९-२२ (+), २८१२९-९३ (+),
२८२६३-२६(+), २८१०४-१८, २८११५-२, २८१७२ ६, २८१७७-४, २८०९६-४(४) औपदेशिक सज्झाय, मु. माणकचंद, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (जोवन धन पावनडा दिन), २८२७९-६ औपदेशिक सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ४१, पद्य, मूपू., ( चड्या पड्यानो अंतर), २८६४२-२(३) औपदेशिक सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (चिदानंद अविनाशि हो), २७५५४-२ (+) औपदेशिक सज्झाय, मु. रतनचंद, रा., गा. ५, पद्य, वे., ( थांरी फूलसी देह पलक), २८२२६-२४ औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नचंद, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (ओ जूग जूग जाल सूपने), २९९९४-२ औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपु, (जोने तु पाटण जेवां), २८९५७-१, २९२२६-३ औपदेशिक सज्झाय, मु. रत्नसमुद्र, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., ( जाग रे सुग्यानी जीव ), २८१२९ - १९०(+), २८२६३-७७(+),
२८१६७-१५, २८७४७
औपदेशिक सज्झाय, मु. राज, पुहिं., गा. १५, पद्य, मूपू., (अरज करूं प्रभु पयनमी), २९३९१-१ औपदेशिक सज्झाय, मु. राम, मा.गु., गा. ७, पद्य, वे (बांधो मति कर्म चीकणा), २८१८५-४३
"
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औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, रा., गा. १९, वि. १८४३, पद्य, श्वे., ( पुन्य जोगे नरभव), २८२६३-८६(+) औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. २४, वि. १८०८, पद्य, खे, (श्रीजिण दे इसडो), २८२९३-२ औपदेशिक सज्झाय, ऋ. रायचंद, मा.गु., गा. २२, वि. १८२८, पद्य, श्वे., (जीणवर दीयोजी ए उपदेस), २८२६७-१ औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद, मा.गु., पद्य, श्वे., (मनुष जनम दूलोहो जाणी), २८२६३-२२(+) औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद, रा., गा. १६, पद्य, श्वे., (मनुष जमारौ नीठ मिलिय), २८२६३-७६(+) औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (मानव डर रे चोरासी मे), २८१८५-२५ औपदेशिक सज्झाय, मु. रायचंद, रा., गा. २०, पद्य, ओ., (--), २८२६३-२१ (४)
,
औपदेशिक सज्झाय, क. रूपचंद, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपु., (जिनवर इम उपदिसे आगे) २८१२९-६५ (+३), २९७४०-२(४) औपदेशिक सज्झाय, मु. लाल कवि, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., ( डोसा को एक नई डोसी), २८३१७–७ (+)
औपदेशिक सज्झाय, मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., गा. ७, वि. १८३३, पद्य, वे, (ओ जीवे काल अनादि भटक), २९२५५ औपदेशिक सज्झाय, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( - ), २८११४- १(६)
औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यकीर्ति, मा.गु., गा. २७, पद्य, मूपू, (भजि भजि भगवंत भविक), २८१२९-१४३(+)
औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., औपदेशिक सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपु. औपदेशिक सज्झाय, मु. विजयभद्र, मा.गु., गा. २५, पद्य, म्पू., औपदेशिक सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. १४, वि. १६७५, पद्य, मूपू., ( सरसति मत सुमत द्यी), २७२३५-२,
२८१६७-२
औपदेशिक सज्झाय, मु. सकलकीर्ति, मा.गु., गा. १४, पद्य, भूपू., (मोरी सदा सोहागण आतमा), २८२५०-२३ औपदेशिक सज्झाय, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (करीइ पर ऊपगार मुंकी), २८४८८-५ औपदेशिक सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु, गा. ६, पद्य, मूपु., (धोबीडा तुं धोजे मननु), २८९७९-२ औपदेशिक सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., रा., गा. ६, पद्य, मूपू., (स्वारथ की सब हे रे), २८१६०-५४(+#) औपदेशिक सज्झाय, मु. सरूपचंद पंडित, पुहिं., गा. ११, पद्य, भूपू., (दया धरम कर जीवडा बोल), २८२६४-५८ औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (कावा पुर पाटण मोकली), २९२२४-२ औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. ६, पद्य, मृपू., (धोबीडा तुं धोजे मननु), २८१२९-१८१(+)
(आदित्य जोइने जीवडा), २८१६८-२३
"
( सुधो धर्म मकिस विनय), २८५१९ १ २९५६९-१ (मंगल करण नमीजे चरण), २८२२९-४०
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ औपदेशिक सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (म म करो माया काया), २८१७५-९ औपदेशिक सज्झाय, क. सुंदर, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (दया विन करणी सवै), २८१७२-१० औपदेशिक सज्झाय, ऋ. हरजीमल, पुहि., गा. १३, वि. १८७९, पद्य, श्वे., (नरभव पायो निठसुरे), २८२७९-५ औपदेशिक सज्झाय, मु. हीरालाल, रा., गा. ५, वि. १९३६, पद्य, श्वे., (गुराजीने ग्यान दियो), २८१८५-३३ औपदेशिक सज्झाय, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (आलीगारो उंदिरो नित), २८४८८-४ औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. १०, पद्य, श्वे., (एह संसार खार सागर), २८२८८-२० औपदेशिक सज्झाय, रा., गा. ६, पद्य, श्वे., (कंथाजी उलंघ चलो), २८६२१-२ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. १४, पद्य, श्वे., (काया जीवाडी वारमी), २८२६३-६१(+) औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (कुंण थति कुंणी न चाल), २८२३५-८ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (गणधर गौतम पाय नमीनें), २८२८८-३१ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (चतुर नर अर्थ विचारो), २८१८५-२८ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., ढा. २, गा. २२, पद्य, श्वे., (च्यारं गति में भटकत), २८२५०-२७ औपदेशिक सज्झाय, पुहि., गा. ९, पद्य, श्वे., (तु मन कयो रे मत कर), २८१८५-२६ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (तु मनमोहन मीलवा रे), २८२८८-२६ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, श्वे., (त्रिभुवननायक भवभूत), २८१०९-६(#$) औपदेशिक सज्झाय, हिं., गा. १३, पद्य, श्वे., (नववाटि नवनंबर पाया), २९८९२ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (नहीं आQ जी माहरे), २८९७८-२(+) औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (पाच कलम सरवग कीसु), २८१८५-२७ औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. १५, पद्य, मूपू., (पापपंथ परहर मोक्षपंथ), २९४१२-२ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा.८, पद्य, श्वे., (बूझरे या आतीं एहि), २८२९८-३२(+) औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपू., (मनख जनम मति पाय काय), २८१७२-१२($) औपदेशिक सज्झाय, पुहि., गा. १७, पद्य, श्वे., (म म कर जीवडा रे), २८२६३-२५(+) औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, श्वे., (मीषी कथा मत भाखो), २९६०६ औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (या तण का क्या गरव कर), २९३८१-७ औपदेशिक सज्झाय, रा., गा. १५, पद्य, श्वे., (श्रीअरिहंत सीद्ध जाण), २८२२६-३३ औपदेशिक सज्झाय, रा., गा. २१, पद्य, श्वे., (श्रीजिणवर दीयौ इसौ), २८२६३-१३(+) औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., पद्य, श्वे., (संतो सांई न मिलेइ न), २८१०९-२(2) औपदेशिक सज्झाय, रा., गा. १३, पद्य, श्वे., (सण सुभअसुभ कीयां घणा), २८२२६-४ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ३४, पद्य, मूपू., (सतगुरु आगम सांभलि), २८२८८-२५ औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (सीखडी मानौ हो), २८१६०-१७(+#) औपदेशिक सज्झाय, रा., गा. २०, पद्य, श्वे., (सुत्र सिद्धंतरी रैस), २८२६३-३७(+) औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (सुन लेना मुसाफीर), २८१८५-७१ औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (सेर होय मत फीरो जगत), २८१८५-५५ औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा. १६, पद्य, श्वे., (हठ वडो मै लाजी सो जग), २८२६३-२७(+) औपदेशिक सज्झाय, मा.गु., पद्य, श्वे., (--), २८२६३-५९(+) औपदेशिक सज्झाय, पुहिं., गा.८, पद्य, श्वे., (--), २८२६३-६६(+) औपदेशिक सज्झाय-कपटोपरि, मु. रायचंद ऋषि, रा., गा. २४, वि. १८३३, पद्य, श्वे., (कपटी माणसरो विश्वास),
२८२६३-७५(+) औपदेशिक सज्झाय-कायाजीवशिखामण, मु. जयसोम, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (कामनी कहे निज कंतने), २८१६७-७,
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
औपदेशिक सज्झाय-क्रोधोपरि, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (कडवां फल छे क्रोधनां), २८२८१-४, २९८२१-१ औपदेशिक सज्झाय-गर्भावास, पा. श्रीसार, मा.गु., गा. ७२, पद्य, मूपू., (उत्पति जोज्यो आपणी), २८०९९-६(+),
२८२८८-६, २८४२३, २९५५७ औपदेशिक सज्झाय-घृत विषये, मु. लालविजय, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (भवियण भाव घणो धरी), २८३१७-३(+),
२९१४४ औपदेशिक सज्झाय-जीव, मु. रत्नविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (सजी घरबार सारु मिथ्य), २८९५७-२, २९२२६-४ औपदेशिक सज्झाय-दानफल, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. १४, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (एक घर घोडा हाथीयाजी),
२९२२४-१ औपदेशिक सज्झाय-नारी, पुहिं., गा. १७, पद्य, श्वे., (मुरख के मन भावे नही), २८२४९-५ औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (निंदा म करजो कोईनी), २८७०५-१,
२९५११-३ औपदेशिक सज्झाय-निंदात्याग, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (गुण छे पुरा रे), २९५१४-२, ३००१७-२,
२८२९४-९(२) औपदेशिक सज्झाय-परदेशीजीव, मु. राजसमुद्र, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (एक काया दुजी कामनी), २८२१२-७,
२८२७३-३, २८४००-२ औपदेशिक सज्झाय-परनारी परिहार, ग. कुमुदचंद्र, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सुण सुण कंता रे सिख), २८२६३-७८(+),
२८२८५-२, २९६३३, २८९६८-३(5) औपदेशिक सज्झाय-परस्त्री त्याग, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (नर चतुर सुजाण परनारी), २८१३९-१२०) औपदेशिक सज्झाय-पुण्योपरि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पारकी होड मत कर रे), २८१६०-४७(+#) औपदेशिक सज्झाय-बादशाह प्रतिबोधन, उपा. सकलचंद्र गणि, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (या दुनिया फना फरमाए),
२९०५३-३(-) औपदेशिक सज्झाय-बुढ़ापा, क. मान, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (सुगण बुढापो आवीयो), २८२६३-६०(+) औपदेशिक सज्झाय-बुढ़ापा, रा., गा. २७, पद्य, मूपू., (कुणे बुढापा तेडीयो), २८२५३-८ औपदेशिक सज्झाय-मानोपरि, पंडित. भावसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (अभिमान न करस्यो कोई), २८९०५ औपदेशिक सज्झाय-लोभोपरि, पंडित. भावसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (लोभ न करीये प्राणीया), २८१६९-५,
२९८२१-४ औपदेशिक सज्झाय-वाडीफूलदृष्टांत, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (वाडी राव करे करजोडी), २९९७४-१२(2) औपदेशिक सज्झाय-विषयपरिहार, मु. सिद्धविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (रे जीव विषय न राचीइं), २८९८२ औपदेशिक सज्झाय-वैराग्य, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. ३५, पद्य, स्था., (मोह मिथ्यात की नींद), २८२८८-५ औपदेशिक सज्झाय-शीयलविषये स्त्रीशिखामण, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (एक अनोपम शिखामण कही),
२८७२१-२(5) औपदेशिक सज्झाय-शोक, मु. भगवान ऋषि, रा., गा. २९, वि. १८८५, पद्य, श्वे., (समरु श्रीजिनराजनै), २८२४९-१ औपदेशिक सवैया, उधमदास, पुहिं., सवै. २, पद्य, वै., (जिहां नागनी नारि महा), २८२५०-४१ औपदेशिक सवैया, क. गंग, पुहि., सवै. ३, पद्य, वै., (जो तेरी देह सनेह की), २७९२५-४ औपदेशिक सवैया, उपा. धर्मसी, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (श्रीसद्गुरु उपदेश), २८१२९-११४(+$) औपदेशिक सवैया, क. लालभाई, पुहिं., पद्य, वै., (भयोजी आळं पोहर देवो), २८२४९-६ औपदेशिक सवैया, मा.गु., पद. १, पद्य, श्वे., (आवती वखत में आश्रव), २९२८४-२(-) औपदेशिक सवैया, पुहि., पद्य, श्वे.?, (तेरे दृग देखै मृग), २८५१३-१ औपदेशिक स्तुति, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (उठी सवेरे सामायिक), २८५७१-३, २८७७६-२ औपदेशिक हरियाली, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (कहेयो रे पंडित ते), २८३८३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ (२) औपदेशिक हरियाली-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मपू., (दिसे जाणिइं ते चेतना), २८३८३ औपदेशिक हरियाली गीत, मु. महिमासागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अवनि सरोवर बहु अछइ), २९४५२-२ औषध संग्रह", मा.गु., गद्य, वै., (--), २८०८४-२(+), २८१००-५(+), २८०९७-१, २८०९७-१७, २८१०४-९,
२८१२४-३, २८१२८-९, २८२१३-३, २८२९२-३, २९८०७-२ ककापैंतीसी, मु. केसर, मा.गु., गा. ३५, वि. १८५८, पद्य, श्वे., (ओ नमु अरिहंतने सिधपद), २८२९३-३ ककाबत्रीसी, मु. जिनवर्द्धन, मा.गु., गा. ३३, पद्य, मूपू., (कका करमनी वात करी), २८२१६-२, २९६७० ककाबत्रीसी, मा.गु., गा. ३४, पद्य, श्वे., (कका क्रोध निवारीयै), २८९७३-१ ककाबत्रीसी, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (हा हो करे धन हाण ररो), २८२२६-३४ कठियारादृष्टांत सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (वीरजिनवर रे गोयम गण), २८१६७-३२, २८५८४ कडवाछत्रीसी, ऋ. रतनचंद, मा.गु., गा. ४३, वि. १८६०, पद्य, श्वे., (सूत्र न्याय परूपणा), २९०२७-१ कमलावतीसती रास, मु. विजयभद्र, मा.गु., गा. ४६, पद्य, मूपू., (--), २८३५५-१(+$) कमलावतीसती सज्झाय, मु. चोथमल, मा.गु., गा. ९, वि. १९६०, पद्य, श्वे., (धन पुरुस जो संजम), २८१८५-१० कमलावतीसती सज्झाय, ऋ. जैमल, पुहिं., गा. २९, पद्य, श्वे., (महिला में बेठी राणी), २८२६३-२(+), २८१८५-११,
२८२८८-४ कम्मपयडी स्तवन, उपा. तत्त्वप्रधान गणि, मा.गु., ढा. २, गा. २७, वि. १९४१, पद्य, मूपू., (सेना माता जितारि), २८८६३(+) कयवन्ना चरित्र, मु. बुद्धिसागर, मा.गु., गा. ५१, पद्य, मूपू., (राजग्रही नयरी नवजोयण), २८२९८-५५(+) कयवन्ना चौपाई, मु. जयतसी, मा.गु., ढा. ३१, गा. ५५५, वि. १७२१, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीसुखसंपदा), २७०५५ कयवन्ना रास, मु. दीपविजय, मा.गु., वि. १७३५, पद्य, मूपू., (ब्रह्मसुता ब्रह्मवाद), २७०३७ करकंडुमुनि सज्झाय, मु. रत्नसार, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (करकंडु अभूप सजनिआ), २८२८२-२(#) करकंडुमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चंपानगरी अतिभली हु), २८२६३-३(+), २८१०४-११,
२९१९७-३, २८१३९-११) करमचंदजी महाराज लावणी, पुहिं., पद्य, श्वे., (रंगत चीण मुलक पर चढे), २८२१९-१३(६) कर्मगति सज्झाय, मु. नवल, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (हेमाय वांकडी करमगति), २९९७९-२ कर्मगति सज्झाय, मा.गु., गा.११, पद्य, श्वे., (नलणी वसती वनह मझारि), २८२९८-३०(+) कर्मछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३६, वि. १६६८, पद्य, भूपू., (कर्म थकी छूटे नही), २८५२५ कर्मफल सज्झाय, मु. कमलविजय, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (प्रवचन वचन विचारी), २९००६ कर्मबंधन सवैया, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (जान ही अजान लोक करमन), २८८२०-६ कर्मबंधप्रकृति सज्झाय, मु. बुद्धिहस, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (संतिजिनेसर पाय नमीजी), २८२४४-२ कर्मबत्रीसी, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ३२, पद्य, मूपू., (करम तणी गति अलख), २८१६०-७४(+#) कर्मविपाकफल सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (देव दाणव तीर्थंकर), २८०९९-७(+), २८२६३-७४(+),
२८१७२-५, २८२८८-३०, २९९९६, २९०५६-१(६) कर्मविपाकफल सज्झाय, पं. कुशलचंद, पुहिं., गा. ३५, पद्य, श्वे., (सुत्र गीनाण मे कह्यो), २८२६७-३ कर्मविपाक विचार, पुहि., गद्य, मूपू., (कर्मविपाक प्रकरण में), २९५४७ कर्म सज्झाय, पुहि.,रा., गा. ४, पद्य, श्वे., (जीव थारी कर्मन की गत), २८१८५-४४ कर्महींडोल सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (कर्म हीडोल नामाई), २९३६० कलावतीसती चौपाई, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., ढा. १६, वि. १८३०, पद्य, श्वे., (जुगमंद्र जिन जगतगुरु), २९००१(5) कलियुग सज्झाय, कबीर, पुहिं., गा. ३, पद्य, वै., (कलुजुग आया जमाना), २८१८५-६६ कलियुग सज्झाय, मु. करमचंद, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (यारौ कूडो कलियुग आयो), २८१२९-१७८(+) कलियुग सज्झाय, मु. प्रमोदरूचि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (हारे हलाहल कलजुग), २९७१३ कलियुग सज्झाय, मु. लालविजय, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (जिन चउवीसे चरण आराहु), २८३१७-६(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
कल्याणक स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., ढा.७, गा. ४९, वि. १८३६, पद्य, मूपू., (प्रणमी जिन चोवीशने), २८९५९, २९१७१ कल्याणक स्तवन, मा.गु., गा. ४८, पद्य, मूपू., (पहिलउं प्रणमीय जिण), २९७५३(+) कसीदो सज्झाय, पुहि., गा. ७, पद्य, श्वे., (करो रैकसीदौ इण पर), २८२६३-४२(+) कागद संवाद, मा.गु.,गा. ६, पद्य, (कागद कहे हु खरो सखेत), ३००२६-१ कान्हडकठीयारा लावणी, मु. माधव, मा.गु., गा. २२, पद्य, श्वे., (ब्रह्मव्रत दिव्य सिव), २८१८५-१८ कामदेव श्रावक चौढालिया, ऋ. रायचंद, मा.गु., ढा. ४, वि. १८२७, पद्य, श्वे., (वेहरमान वीसे नमु), २८२६३-१८(+) कामदेव श्रावक सज्झाय, मु. खुशालचंद, मा.गु., गा. १६, वि. १८८६, पद्य, श्वे., (एक दिन इंद्रे), २९८४४-१ कायस्थिति २२ द्वार वर्णन, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीव १ गई २ इंदिय ३), २७२२२-१ कायाअनित्यता सज्झाय, मु. राजसमुद्र, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुण बहीनी प्रीउडो), २८१२९-३९(+), २८३१७-८(+) काया-जीव संवाद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (काया जीवने कहे छे), २९२२६-१ कालक्षेत्रद्रव्यभाव दोहा, मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., गा. १, पद्य, श्वे., (कालक्षेत्रद्रव्यभाव), २८८२०-१० कालिकामाता छंद, पुहि., गा. १, पद्य, वै., (धरन पर धूकत धर समर), २८८२०-११ कालिकामाता स्तोत्र, गिरधारी, मा.गु., गा. ८, पद्य, वै., (करी सेवना ताहरी मात), २८२२९-१७ कालीसती सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (काली हो राणी सफल किय), २९५४१-२ काव्य/दुहा/कवित्त/पद्य, मा.गु., पद्य, ?, (--), २८२६४-१३, २८२६४-६७ कीर्तिध्वजराजा ढाल, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. ७४, वि. १९३१, पद्य, स्था., (श्रीआदिजिनेश्वरू वंस), २८७५४ कीर्तिध्वजराजा सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (कीरतधज राजान सूरज), २८२३५-१०(६) कुंथुजिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (कुंथुनाथने करूं), २८१६०-२९(+#) कुंथुजिन स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (कुंथु जिणेसर जाणज्यो), २८८४६-२ कुंथुजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (मुज अरज सुणो मुज), २८२७८-३१ कुंथुजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (साहिब सुणज्यो विनती), २८५३५-४ कुंथुजिन स्तुति, मु. सुमतिविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (कुंथुजिनेसर अति), २८१२०-१३(+) कुंथुनाथस्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (साहेला हे कुंथु), २८७१८-२(+) कुपात्रनारी सज्झाय, पुहि., गा. १९, पद्य, श्वे., (चोपइनी पौत पाप हुवे), २८२६३-३०(+) कुमतिनिवारण सज्झाय, मु. सुमति, मा.गु., गा. २९, पद्य, मूपू., (सत्तरिसो जिन करु), २९०३८(+), २८२८२-७(#) कुमतिसंगनिवारण जिनबिंबस्थापना स्तवन, श्राव. लधो, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (श्रीजिन पंकज प्रणमी), २९९९२ कुलध्वजराजा चौपाई-शीलोपरि, मा.गु., गा. १४०, पद्य, मूपू., (--), २९२०५(5) कुलवधूसज्झाय, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सरसति सामनि करुरे), २९७४३ (२) कुलवधूसज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीसरस्वति प्रते नम), २९७४३ कुसंगतिवारण पद, मा.गु., गा. ५, पद्य, वै., (जेहवां वृक्ष्यि), २८२९८-१६(+) कुसाधु लक्षण पद, मा.गु., गा. १५, पद्य, जै.?, (भांति भांति कर टोपी), २८२५०-३ कृष्ण पद, सूरदास, पुहि., गा. ८, पद्य, वै., (वंसरी दीजै हो व्रज), २८२५२-५ कृष्णपद संग्रह, पुहिं., पद्य, वै., (पालन पीक अंजन अधर), २८३८४-३($) कृष्णभक्ति पद, क. केशवदास, पुहिं., पद. ४, पद्य, वै., (प्रभु कृपानिधान जैसे), २८१०५-६४ कृष्ण लीला-पंचढालियो, पुहिं., ढा. ५, पद्य, वै., (लाल तुम्ह बैसो मुझ), २८२५२-८ कृष्णसंदेश पद, मा.गु., पद्य, वै., (प्रथम तो गणपति आराहु), २९२०४-२($) कृष्ण सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (पुरसौतम प्रगट्या), २८१८५-२३ केशीगणधर गहुंली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जीरे कंकुम छडो), २८२८९-८ केशी गौतमगणधर गहुंली, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सावथी उद्यानमां रे), २८१७९-९, २८५२३ केशी गौतमगणधर संवाद सज्झाय, वा. उदयविजय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (सीस जिणेसरपासना केशी), २९५३४-३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ कोणिक-चेडा युद्ध लावणी, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, स्था., (महाराज सबी लालच को), २८९५८ क्रोधपरिहार सज्झाय, हसनबेग, पुहिं., गा. ४, पद्य, जै.?, (कोइ क्रोध मत करोजी), २८९७७-४ क्रोधमानमायालोभ छंद, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ३०, वि. १८३५, पद्य, मूपू., (पेहलो सरसति लीजे नाम), २८१४८-३(+) क्रोधमानमायालोभ सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., ढा. ४, वि. १८०२, पद्य, श्वे., (समरी सरसति स्वामिनी), २८२८५-५ क्रोधलोभमानमाया सज्झाय, ग. कांतिविजय, मा.गु., गा. ३२, वि. १८३५, पद्य, मूपू., (पेलुं सरस्वतीनु), २८१८९-६ क्षमाछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (आदर जीव क्षमागुण), २८३०६-१(+), २८४९९, २९६९१,
२९७५८ क्षमा पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (माहरा प्राणी पापीया), २८२९८-४९(+) क्षमाविजय गुरुगुण सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., ढा. २, वि. १७७१, पद्य, मूपू., (समरुं भगवती भारती), २८२८५-२९ क्षमाश्रमण पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (करत तप या रित धन मुन), २८७३९-६ क्षमासूरि सलोको, मु. जैनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ६४, पद्य, मूपू., (सरसति सामणी पाए हु), २९७६६(+) क्षेत्रपाल घग्घरनीसाणी छंद, जै.क. वर्द्धमान, मा.गु., पद्य, मूपू., (ऋद्धि राजे रंगे सिद), २८३६३(#) खंधकमुनि चौढालिया, ऋ. जैमल, रा., ढा. ४, वि. १८११, पद्य, स्था., (नमुंवीर सासनधणीजी), २८२६७-६ खंधकमुनि सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., ढा. २, गा. २०, पद्य, मूपू., (नमो नमो खंधक महामुनि), २८२१६-६,
२९४७०-१, २८८९२-२(६) खिमऋषि सज्झाय, मु. अमरकीर्ति, मा.गु., गा. ३८, पद्य, मूपू., (वीरजिनेस मनिधरी), २८३१७-५(+) खुमाणसिंघ रास, ग. दोलतविजय, मा.गु., खं. २ ढाल २६, गा. ६४३, पद्य, मूपू., (सकल सुरासुर सामणी), २७७६० खेताणुवई विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (क्षेत्र आश्री २० बोल), २८२३८-४ गंगदत्त कथा, मा.गु., गद्य, श्वे., (पंचपदने नमस्कार करी), २९२३९(+$), २८८२५-१ गजसुकुमाल गीत, मु. विमलविनय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (नेमिजिन की सुणी देसण), २८१६०-५८(+#) गजसुकुमाल चौपाई, मा.गु., ढा. १८, पद्य, मूपू., (भदलपुर नामे नगर तिहा), २८०९९-९३(+) गजसुकुमालमुनि सज्झाय, मु. दोलत, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (खिमा करी मुनराई), २८२६४-५३ गजसुकुमालमुनि सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (द्वारिकानगरी अति भली), २८१२९-१८(+),
२८२६३-७३(+) गजसुकुमाल रास, मु. शुभवर्द्धन-शिष्य, मा.गु., गा. ९१, पद्य, मूपू., (देस सोरठ द्वारापुरी), २९२०७(+$) गजसुकुमाल सज्झाय, मु. गुणनिधि, मा.गु., गा. १०, वि. १९२५, पद्य, मूपू., (द्वारिकानगरि समोसर), २९०९८ गजसुकुमाल सज्झाय, मु. जिनराज, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (संवेग रस माहि झीलतो), २८१२९-१६६(+) गजसुकुमाल सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., ढा. ३, गा. ३८, पद्य, मूपू., (द्वारिका नगरी ऋद्धि), २९५६४(+#), २८१६७-१४,
२८४३२-२, २९६१३ गजसुकुमाल सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (नयरी द्वारामती जाणिय), २८१६८-६, २९११२-३ गजसुकुमाल सज्झाय, मु. सिंहसौभाग्य, मा.गु., गा. ५०, पद्य, मूपू., (सोरठ देश मझार), २८१६७-१७, २९८४०-१($) गजसुकुमाल सज्झाय, सेवक, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (श्रीजिननायक वांदीयि), २८२९८-२(+), २८२२६-८ गजसुकुमाल सज्झाय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चित न चल्यो सिर जरत), २८२५०-२४ गणधर गहुंली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पहेलो गोयम गणधर), २८२८९-९ गणधरपद स्थापना गहुली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (अनि हारे नयरी अपापा), २८२८९-१३ गणेश स्तोत्र, मा.गु., गा. ६, पद्य, वै., (नर सुरनायक आदि), २८२२९-३८ गरोली विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (गाम चालतां आगल स्वर), २९८०७-१(६) गर्भवेलि, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ११४, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (ब्रह्माणी वर आलि मझ), २९४४६-१ गर्भावास सज्झाय, संघो, मा.गु., गा.१६, पद्य, श्वे., (माता उदरि वस्यो दस), २८९६८-१ गांगेय भंगसंख्या आनयन विधि, मा.गु., गद्य, श्वे., (किणही पूछ्यो दोय), २९३६९
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
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गिरनारतीर्थ स्तवन, ग. वीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सहसावन जए वसीये चालो), २९९८६-२ गिरनारशत्रुंजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सारो सोरठ देश देखाओ), २८७४५, २९४८७-६ गुणमाला रास, मु. विनयचंद, मा.गु., डा. ७, वि. १८८५, पद्य, म्पू., (सरस्वती माता आवे), २७९७३-१ गुणसागरसूरि गहुंली, मु. पद्म, मा.गु., गा. ७, पद्य, भूपू (सोल वरसें संयम लिओ), २८८४४-६, २९२४४-२ गुरुआगमन गहुंली, मु. सांमचंद, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सई मोरी चालो सतगुरु), २८८०९ गुरुगरिमा सवैया, मु. बालचंद्र, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (तरण तारण गरु तारे), २९९४४-४ गुरुहुली, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (बेटी बावानैं विनविं), २८१९६ -१७ गुरुगीत, ग. रत्नसुंदर, रा. गा. ७, पद्य, भूपू
"
(पंधीडा संदेसो श्रीजी), २८२६५- १२ गुरुगुण गहुली, मु. कवियण, रा., पद्य, मूपू., (एकन अमुलक मेतो), २८६८३
गुरुगुण गहुली, मु. चंद्रविजय, रा., गा. ७, वि. १९३५, पद्य, मूपू., ( सहीयर चालो वंदन काजे), २८९८९ गुरुगुण गहुली, मु. मलूक, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपु, ( आज नगरमा महिमा), २९०६१-२(+)
गुरुगुण गहुंली, मु. मलूक, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पंच महाव्रत हो पालता), २९०६१ - ३(+)
गुरुगुण गहुली, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (गुहली करो गुरु आगले), ३००१४-४ गुरुगुण गहुंली, मु. रतन, रा., गा. ६, पद्य, वे., (सखी बोले सजनी आने), २८७४२-११-१ गुरुगुण गहुली, मु. हुकम, मा.गु., गा. ९, पद्य, क्षे., (बेनी मोरी आवो सुगुरु), २९५६२ गुरुगुण गहुली, मा.गु., गा. ५, पद्य, म्पू., (अनीहां हां रे सरसती), २९७७५-४ गुरुगुण गहुली, मु. धीर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( वारि जाबु ते मुनिराज ), २८८४२ - २ (०) गुरुगुण गुहनी, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु., (हुंवारी माका साहेबा), २८५९२-२ गुरुगुणगुहली, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुण साहेली जंगम तीरथ), ३००१४-२ गुरुगुण गुंहली, मु. सुमतिविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (किहां गया रे मारा), २८८६५ गुरुगुण दोहा, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., ( हुं दीठा ने केइ दिन), २८१६१-७ (+)
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गुरुगुण पद, मु. केसरचंद ऋषि, रा. गा. ९, पद्य, वे., (रंगमहिलरी गोळयां थे), ३००२६-२
गुरुगुण सज्झाब, क्र. रायचंदजी, पुहिं. गा. २१, वि. १८४०, पद्य, स्था., (गुरु अमृत ज्युं लागे), २८२६३-६३ (+),
9
|२९९४९ - २(३)
गुरुगुण सज्झाय, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (आज नणभर गुरमुख निरख), २९०२७-२ गुरुभक्ति गीत, मु. जगरुप, मा.गु., गा. २०, पद्य, वे, (मनुष्य जन्म योनि रसे), २९९६५ गुरु भास, मु. लाभ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (नयरि विशाला उद्यानमा), २८४८९-१(+) गुरु भास, मु. सरुप, मा.गु., डा. २, वि. १८८७, पद्य, थे., (सरसति शुभमति देयी), २९९६६ - ५ (+)
गुरुवाणी गीत, मु. शंभुनाथ, पुहिं., गा. ५, पद्य, वे., ( पुज्यजीरी वाणी प्यार), २८०९९-७६ (+) गुरूगुण गहुंली, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., ( आगम वयण सुधारस पीजे), ३००१४-७ गोचरी के ४२ दोष मा.गु., गद्य, भूपू., (उत्तम दोष श्रावकथी), २९१४०-२
,
गोपीचंद कडखा, गोपीचंद, पुहिं., गा. २०, पद्य, वै., (कै राजाजी जिन्हकै), २८२५०-४५
गोराकाल छंद, क. लाधो, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे., (लांगलो लटीयाल चितकर), २८१२१-७
गौतम गणधर चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( जीव केरो जीव केरो), २९७११-६ गौतमगणधर सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (तोसु प्रीत बंधाणी), २८२८५-२६ गौतम गणधर स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मृपू., (वीर मधुरी वाणी भांखे), २९७११-९ गौतम गणधर स्तुति, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु. ( गुरु गणपति गाउ), २८८३८ (+) गौतमपृच्छा ३० बोल, रा., गद्य, श्वे., (पहेले बोले कहो पूज्य), २८९१४
,
गौतमपृच्छा चोपाई, मु. साधुहंस, मा.गु., गा. ६४, वि. १५वी, पद्य, मूप, (प्रणमीअ वीर मुगति), २८२९८- ५४का
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ गौतमपृच्छा चौपाई, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. १२४, वि. १५४५, पद्य, मूपू., (सकल मनोरथ पूरवे), २७४९७(+#),
२७५२९(+#), २८२९८-३८(+) गौतमस्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (राजगृही उद्यानमा गुर), २८८४४-४ गौतमस्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (राजगृही शुभ ठाण गुण), २८८४४-२ गौतमस्वामी गहुली, मु. अमृत, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सखि राजगृहि उद्यानमा), २८८४४-५ गौतमस्वामी गहुली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (जी रे कामनी कहे सुण), २८२८९-६, २८६७१-२ गौतमस्वामी गहुंली, मु. विवेकविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सासननायक वीरजी रे), २८९४५ गौतमस्वामी गहुंली, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (गोतम गणधर मुख्य), २८२८५-७ गौतमस्वामी गहंली, मा.गु., गा. ७, पद्य, मपू., (वर अतिशय कंचनवाने), २८५११-४(#) गौतमस्वामी चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (नमो गणधर नमो गणधर), २९७११-५ गौतमस्वामी छंद, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (मात पृथ्वी सुत प्रात), २८३६१, २८६३७-१,
२९१०५-१,२८२८६-११-) गौतमस्वामी छंद, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (वीरजिनेश्वर केरो शिष), २८०८४-५(+), २८१४५-७(+),
२८६७८-२(+), २८१०४-१२, २८२३२-५, २८२४५-७, २८४३१-१, २८५५२-२, २९०८५-१, २९११३-१० गौतमस्वामी दीपालिका रास, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., ढा. १३, गा. ७६, पद्य, मूपू., (इंद्रभूति गौतम भणई), २९५२३(+),
२८५२७-२(६) गौतमस्वामी प्रभाति, मु. लक्ष्मी, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गौतम नामे ठामोठामे), २९९७४-१०(#) गौतमस्वामी भाष, मु. लाभ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मुनीवर हे कें मुनीवर), २८४८९-३(+) गौतमस्वामी भाष, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चरण करण गुण आगरो रे), २८१७९-८ गौतमस्वामी महावीरजिनविरह स्तवन, मु. खिमाविजय, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (तोस्यू प्रीत बंधाणि), २८६८२-३,
२९५३९-१ गौतमस्वामी रास, ऋ. जैमल, रा., गा. १८, वि. १८२४, पद्य, स्था., (गुण गाय गोतम तणा), २८२६७-७ गौतमस्वामी रास, मु. रायचंद ऋषि, रा., गा. १४, वि. १८३४, पद्य, श्वे., (गुण गाउ गौतम तणा), २९४६६ गौतमस्वामी रास, आ. विजयभद्रसूरि, मा.गु., ढा. ६, गा. ६६, पद्य, मूपू., (वीरजिणेसर चरणकमल कमल), २८६७८-१(+),
२९९५६ गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मा.गु., गा. ६३, वि. १४१२, पद्य, मूपू., (वीरजिणेसर चरणकमल कमल), २८०४७(+),
२८०९९-८४(+), २८११७-१(+$), २९०४६(+$), २७६६६, २७८०६-१, २८११९, २८२५१-८, २८६३४-१, ३००००,
२८०९४-४(६) गौतमस्वामी रास, मा.गु., गा. ४६, पद्य, मूपू., (वीर जिनेसर चरण कमल), २८१९६-१२($) गौतमस्वामी लावणी, मु. दोलतरुचि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (गोतम गुरु गुण धार), २८९९४-३(+) गौतमस्वामी सज्झाय, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (मे नही जाण्यो नाथजी), ३००१२-१ गौतमस्वामी स्तवन, मु. पुण्यउदय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (प्रभाते गोतम प्रणमी), २८७५७(+), २८१५९-१३,
२८९२१-१(#) गौतमस्वामी स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पहेलो गणधर वीरनो रे), २८२६८-८, २९०८५-२ गौतमस्वामी स्तवन, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (मंगलं भगवान वीरो), २७४२७-२(+) गौतमस्वामी स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (इंद्रभूति अनुपम गुण), २९७११-७ गौतमस्वामी स्तुति, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे., (गौतम नाम प्रभात जपो), २८७०७-३ घंघाणीतीर्थ स्तोत्र, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. २८, वि. १६६२, पद्य, मूपू., (पाय प्रणमुरे श्री), २८१२९-१२३(+) घडपण सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (घडपण तुझ केणे तेडिओ), २८२१६-७ घडपण सज्झाय, मु. हीरालाल, रा., गा. ९, पद्य, श्वे., (जरा आइ रे तु चेत चिद), २८१८५-९१
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ चंदनबाला गीत, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., ( कांसांबिते नगरी पधार), २९६१४ चंदनबाला सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. २२, पद्य, श्वे., (महावीर अवग्रह धारी), २८२५०-२८ चंदनबाला सज्झाय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., ( चित चोखी चंदनबाला पे), २८२६३-८०(०) चंदनबालासती चौपाई, मु. रतनचंद, मा.गु., डा. १४, पद्य, मूपू., (फणीमणीमंडित निलतन), २८७१९ चंदनबालासती सज्झाय, मा.गु., गा. ५५, पद्य, मूपु., (कसुंबी नगरी पधारीया), २८२६३ - ४७ (*)
चंदनमलयागिरि रास, मु. भद्रसेन पुहिं., अ. ५, गा. १९९, पद्य, मूपु., (स्वस्ति श्रीविक्रम) २७०६८- १(+), २८२५०-३९ चंदराजागुणावलि पत्र, मु. मोहनविजय, मा.गु., ढा. २ गा. १०२, पद्य, मूपू., (हवें गुणावली राणी), २७७११ चंद्रगुप्तराजा १६ स्वप्न सज्झाय, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. ४०, पद्य, स्था., ( पाडलीपुर नामे नगर), २८२६३-२० (+$),
भूपू
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२८२७९-१, २९०५६-२
चंद्रगुप्तराजा १६ स्वप्न सज्झाब, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (सरसति सामिणि एम नमुं), २८३०३ (+)
चंद्रप्रभजिन गीत, मु. जिनरत्न, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., ( प्रभु कुं सेवत चंद), २८१२९ - ६८ (+), २८४९३-३ चंद्रप्रभजिन धमाल, मु. चंदकुशल, मा.गु., गा. ७, पद्य, म्पू., (ओछव दिन आज भलो आयो), २८०९९-६६ (०) चंद्रप्रभजिन पद, मा.गु., पद. १, पद्य, मूपु. ( उजले चंद चंदहर उजले), २८३२२- ३०) चंद्रप्रभजिन पद, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., ( को बरनुं छबी को बरनु), २८२७२-१०३ चंद्रप्रभजिन स्तवन, मु. अमर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चंद्रप्रभुनी चाकरी), २८४८१-३ चंद्रप्रभजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ८, पद्य, थे. (श्रीजिनवर जगि जयकरु), २८२५९-१२ चंद्रप्रभजिन स्तवन, मु. देवकुशल, मा.गु., गा. ७, पद्य, (चंद्रप्रभुजी) २८१५९-५, २८९५४-९ चंद्रप्रभजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., गा. ८, वि. १८२२, पद्य, वे., (चंद्रप्रभुजिन बंदीये), २९३९७-२ चंद्रप्रभजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीशंकर चंदाप्रभु), २८२७८-२३ चंद्रप्रभजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, म्पू., (जिनजी चंद्रप्रभु), २८५७१-२
,
चंद्रप्रभजिन स्तवन रा., गा. ५, पद्य, मूपू., ( था पर वारी हो जिनजी), २७०३४-२ (+)
"
चंद्रराजा रास, मु. मोहनविजय, मा.गु., उल्ला. ४ ढाल १०८, गा. २६७९, वि. १७८३, पद्य, भूपू (प्रथम धराधव तीम), २७४२३,
२७५०४
चंपकसेन रास, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., ढा. २७, वि. १६६९, पद्य, मूपू., (चउवीसे जिनवर वली), २७७४९($) चक्केश्वरीमाता गरबो, आ. दीपविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (अलबेली रे चक्केसरी), २८१७५-१२ चक्रेश्वरीदेवी छंद- शत्रुंजयतीर्थ अधिष्ठात्री, मा.गु., गा. ११, पच, मूपू., (मा चकेश्वरी सिद्धाचल), २९६८१-१ (३) चतुराइरी वात, मा.गु., गद्य, वै., (एक दिन माघ पंडित ने), २८१०४ - १०
चतुर्गति आगमन लक्षण विचार, पुहिं., गद्य, मृपू., ( प्रथम नरकगति में), २९५४५
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चतुर्थीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सर्वारथ सिद्धथी चवी), २८२०० - १६, २८२९०-७ चतुर्दशीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चौद सुपन सुचित हरि), २८२७७-१५ चतुर्विधसंघशोभा स्तवन, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. २३, वि. १८८७, पद्य, मूपू., (वंदी जिन प्रभु वीरने ), २८२८९-३ चरणकरणसित्तरी सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पंच महाव्रत दशविधि), २८२८५-१२ चातुर्मासिक व्याख्यान, मु. शिवनिधान, मा.गु., गद्य, मृपू., (अर्हतः परया भक्त्या), २७५६६ (5) चातुर्मासिक व्याख्यान, मा.गु., प+ग, मूपू., (प्रणम्य परमानंद), २८२२३-१(+)
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चारित्रपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (जस्स पसावे साहु पाय), २९१२१-१६ (+) चारित्रपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., (निर्विकल्प अज), २९१२१-१७ (*) चारित्रमनोरथमाला, मु. खेमराज, मा.गु., गा. ५३, पद्य, म्पू, (श्रीआदिसर पाय नमी), २९४६१ चारित्रमनोरथमाला, मा.गु., गद्य, जै., (--), प्रतहीन.
(२) चारित्रमनोरथमाला - बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., ( श्रावक ग्रहस्थ वासमा), २८६२५
चित्तss चैत्यपरिपाटी स्तवन, मु. जयहेम शिष्य, मा.गु., गा. ४३, वि. १६वी, पद्य, भूपू., (गोअम गणहरराय पाय), २९६३८(*)
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५२६
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ चित्रसंभूति सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (चित्त कहे ब्रह्मराय), २८१५५-१(+$), २८१२८-११,
२९२९२-१ चित्रसंभूति सज्झाय, मु. राजहर्ष, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (बांधव बोल मानोजी), २८२८८-१९ चेतन होली गीत, मु. देवा, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (चेतन सुमति दोनु), २८२७२-१२७ चेलणाराणी चौढालियो, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., ढा. ४, पद्य, श्वे., (अवसर जो नर अटकलो), २८२२६-२५ चेलणासती सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (कोणिकराजानी छोटी जी), २८१८५-१३ चेलणासती सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वीरे वखाणी राणी), २८१२९-१५(+) चैत्यवंदनचौवीसी, क. ऋषभ, मा.गु., चैत्यव. २४, पद्य, मूपू., (आदिदेव अरिहंत नमु), २७७१६-२(+), २७१५४-२($) चैत्यवंदनचौवीसी, ग. जिनविजय, मा.गु., चैत्यव. २४, गा. ७५, पद्य, मूपू., (प्रथम जिन युगादिदेव), २८३७८, २८२८२-१(#) चैत्यवंदनचौवीसी, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. २४जोड, पद्य, मूपू., (प्रथम जिनेसर ऋषभदेव), २७६६०-१(+) चैत्यवंदनचौवीसी, मु. रूपविजय, मा.गु., चैत्यव. २५, गा. ७५, पद्य, मूपू., (प्रथम नमुं श्रीआदि), २९७०२(5) चैत्रीपूर्णिमापर्व चैत्यवंदन, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (चैत्री पूनमनो अखंड), २९२३४-३ चैत्रीपूर्णिमापर्व देववंदन विधि, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, मूपू., (प्रथम प्रतिमा ४ माडी), २७१७७(+), २७००८,
२७२५०() चैत्रीपर्णिमापर्व देववंदन विधि, मु. दानविजय, मा.गु., देवजो. ५, पद्य, मूपू., (प्रथम चौमुख प्रतिमा), २८६५६ चैत्रीपूर्णिमापर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (सा चैत्री पूर्णिमा), २८२२३-९(+) चैत्रीपूर्णिमापर्व स्तवन, मु. साधुकीर्ति, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (पय प्रणमी रे जिनवरना), २८१२९-१८७(+) चैत्रीपूर्णिमापर्व स्तुति, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीविमलाचल सुंदर), २९७०१ चोरीत्याग सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (इजत तेरी बढ जायगी), २८१८५-८१ चोसठियो यंत्र, मा.गु., को., श्वे., (--), २८१११-४ चौदसतिथि चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, मूपू., (चोवीसे जिनराजना चरण), २८३७५-१(६) चौपटखेल सज्झाय, आ. रत्नसागरसूरि, पुहिं., गा. २३, पद्य, मूपू., (प्रथम अशुभ मल झाटिके), २८२६३-३२(+), २८१११-८,
२८२६४-१ चौपड सज्झाय, मु. रतनसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (अरे माहरा प्राणीया), २८१७५-१३ चौमासीपर्व देववंदन, आ. नंदसूरि, मा.गु., पद्य, मूपू., (प्रथम ऋषभ देवचैत्य), २८१३१-१(+) चौमासीपर्व देववंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, मूपू., (विमलकेवलज्ञान कमला), २७१९३(+) छट्ठाआरावर्णन सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपू., (वीर कहे गौतम सांभलो), २८९१६($) । जंबुकुमार गहुँली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजग्रही नयरी समो), २८२८९-१० जंबूकुमार गहुँली, मु. मेघमुनिजी, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (हां जी समकित पालो), २८३१९-१(-) जंबूकुमार चौढालियो, मा.गु., ढा. ४, पद्य, मूपू., (वीर जिणेसर विहरता), २९५९२(-) जंबूद्वीपगणित विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (परिधि गणितपद इखुबाण), २९२६३(+), २८२६१-११ जंबूद्वीपपरिमाण सज्झाय, ऋ. जीव, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (सयल जिणेसर प्रणमी), २८२९८-२९(+) जंबूसाधु सज्झाय, मा.गु., गा. १६, पद्य, श्वे., (सरसते सामणे वीनवु सत), २९२५६(#) जंबूस्वामी चरित्र कथा संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), २९२९८($) जंबूस्वामी भास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जाउं बलिहारी जंबू), २८५०९-२ जंबूस्वामी सज्झाय, ऋ. खुशालचंद्र, मा.गु., गा. १४, वि. १८१७, पद्य, मूपू., (मगध देश राजगृही नगरी), २८२८८-११ जंबूस्वामी सज्झाय, आ. भाग्यविमलसूरि, मा.गु., गा.१६, वि. १७७१, पद्य, मूपू., (ए आठौहि कामिणि जंबू), २९५४३ जंबूस्वामी सज्झाय, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (राजग्रही नगरी वसे), २८१४२-४, २८१६७-८,
२८१६८-१८, २८१८७-८ जंबूस्वामी सज्झाय, रा., गा. २२, पद्य, श्वे., (राजग्रीना वासीया), २८१८५-५९
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५२७ जगरूपगुरु आचार्यपदप्रदान भास, मु. वर्धमान, मा.गु., गा. ८, वि. १७८८, पद्य, मूपू., (श्रीगौरवरण नमी करी), २९३६५-२ जगवासी वर्णन, पुहिं., पद्य, श्वे., (चमके शरीर माहि वसत), २८२०९-६($) जनवल्लभ, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रणम्य पार्श्वदेवेश), २७३०० जयंती सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., ढा. ७, वि. १८४२, पद्य, श्वे., (अरिहंत सिद्धने आरिया), २८२६३-८९(+) जयचंदसूरि पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (आज धन घडी आय फरसैं), २९९६६-६(+) जांबवती चौपाई, मु. सुरसागर, मा.गु., ढा. १३, पद्य, मूपू., (पहली ढाल वधावणी जंब), २९३५३(+) जादव उत्पत्ति, पुहिं., गा. ६५, पद्य, श्वे., (आदिपुरुष कहीयें जगति), २८२५३-१ जिनकल्याणक चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सुमतिनाथ एकासणु), २७६६०-२(+) जिनकल्याणक तिथि, मा.गु., गद्य, श्वे., (आषाढ वदि २ रिषभनाथ), २८१००-३(+) जिनकुशलसूरि गीत, क. आलम, पुहिं., पद. २, पद्य, मूपू., (कुशल करो भरपूर कुशल), २८१०५-६५ ।। जिनकुशलसूरि गीत, मु. कनककीर्ति, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (कुशल गुरु तूं साहिब), २८१६०-३०(+#), २८१०५-५४ जिनकुशलसूरि गीत, मु. कल्याण, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (तुम हो स्वामी हमारे), २८०९९-२१(+) जिनकुशलसूरि गीत, मु. गुणविनय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (दादा पूरि हो मन वंछि), २८१६०-५५(+#) जिनकुशलसूरि गीत, उपा. जयसागर, मा.गु., गा. ७०, वि. १४८१, पद्य, मूपू., (रिसह जिणेसर सो जयउ), २८०९२-२(+) जिनकुशलसूरि गीत, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (कुसल गुरु कुसल करो), २८४९३-७ जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनभक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (दरसण देज्यो खरतरगछना), २८१२९-४२(+) जिनकुशलसूरि गीत, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (म्हारा साहिबा हो), २८१२९-४६(+) जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनरंग, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (दादाजी दीठां दोलित), २८१२९-४५(+) जिनकुशलसूरि गीत, आ. जिनरंगसूरि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (दादैजी दीठां दोलत), २८१६०-८७(+#) जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (कुशल गुरु अब मोहि), २८१६०-२(+#) जिनकुशलसूरि गीत, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सदगुरु सुनिजर कीजीयै), २८१२९-४४(+) जिनकुशलसूरि गीत, मु. भावसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (महिर करि महिर करि), २८१६०-८०(+#) जिनकुशलसूरि गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., गा. ७, वि. १७८९, पद्य, मूपू., (सफल फली मुझ आसडी पूज), २८१६०-८१(+#) जिनकुशलसूरि गीत, मु. राज, पुहिं., पद. ३, पद्य, श्वे., (तुं है दाता मेरो जगत), २८०९९-२०(+) जिनकुशलसूरि गीत, पा. साधुकीर्ति, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (विलसे रिद्धि समृद्धि), २८०९२-१(+), २९९६९ जिनकुशलसूरि गीत, मु. हर्षकुंजर, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (सुहगुरु समरु सुख), २८०९२-३(+) जिनकुशलसूरि गीत, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (थलवट देस सोहमणो गांम), २८१२९-४३(+) जिनकुशलसूरि छंद, क. धर्मसिंह, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (खरतरगच्छ जाणै खलक), २८१२९-१४५(+) जिनकुशलसूरि निसाणी, मु. दोलत, रा., गा. ११, वि. १८३५, पद्य, मूपू., (सरसती माता जग), २८१७८-६ जिनकुशलसूरि पद, मु. लालचंद, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (कुशल गुरु देखता), २८१२९-१८८(+) जिनकुशलसूरि सवैया, मु. धर्मसीह, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (राजै थूभ ठौर ठौर ऐसौ), २८१०५-१०२ जिनकुशलसूरि स्तोत्र, उपा. जयसागर गणि, मा.गु., गा. १९, वि. १४८१, पद्य, मपू., (रिसहजिणेसर सो जयो), २८०९९-८१(+) जिनचंद्रसूरि गहुंली, जीतरंग, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (आज आनंद मुझ अती थयो), ३००१४-१ जिनचंद्रसूरि गीत, मु. महिमासागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सोहगसुंदर सूरिसिरोमण), २९४५२-३ जिनचंद्रसूरि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुगुर जिणचंद सोभाग), २८१२९-६६(+) जिनचैत्य गहंली, मा.गु., पद्य, मूपू., (अनीहां हां रे जिनपोस), २९७७५-२($) जिन जन्ममहोत्सव पद, मु. ज्ञानविमल, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रभुजीको जनम भयो), २८७३७-३ जिन जन्ममहोत्सव स्तवन, रा., गा. ११, पद्य, श्वे., (हाजी सुधरमापती निज), २८१८५-७२ जिनतीर्थ स्तवन, आ. रतनसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अष्टापद आदीसर वासपूज), २९२४९-२ जिनदत्तसूरि गीत, मु. जयचंद, रा., गा. १३, पद्य, मूपू., (जसु हरिदयकमल गुरुनाम), २८१७८-४
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
जिनदत्तसूरि गीत, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सिरिसुयदेव पसाइ करो), २८१७८-२ जिनदत्तसूरि छंद, मु. दोलत, रा., गा. २९, वि. १८३६, पद्य, मूपू., (सरसति माता महिर कर), २८१७८-३ जिनदत्तसूरि पद, मु. राजहर्ष, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., ( अरे लाला श्रीजिनदत्त), २९६०७-२०१ जिनदत्तसूरि स्तवन, मु. लाभउदय, रा. गा. ११, पद्य, मूपू., ( सदगुरुजी तुम्हे), २८१७८-५ जिनपंचकप्रभाती स्तवन, वा. उदय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पंच परमेश्व० परम ), २९४५६ - १ जिनपदचौवीसी, मु. ज्ञानसार, मा.गु., पद. २४, गा. ७६, वि. १८६४, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिणंदा आणंदकंद), २८१८०-४५ जिन पुंखणा, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (जी रे इंद्र पुछे छे), २८१२६-१
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जिनपूजा अष्टक, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (जलधारा चंदन पुहए), २८३७२
जिनपूजा सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपु., (भवीआ चित घर भाव सेवी), २८१२९-६४(+$)
जिनपूजा स्तवन, मु, मोहनविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, भूपू (जगवल्लभ प्रभु नाम छै), २८०८६-३
"
"
जिनप्रतिमा एकादशी, जे.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. ९, पद्य, दि., (इहविधि देव अदेव की ) २८१२९- १६७(+) जिनप्रतिमा स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू, (श्रीजिनप्रतिमा हो) २८१२९-३४(क) जिनप्रतिमा स्तवन, पुहिं., गा. १०, पद्य, श्वे. (जिन प्रतिमा जिन सारख), २९३७९-१
,
जिनप्रतिमास्थापना सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., ( जिन जिन प्रतिमा वंदन), २८१२९-१०४(+), २८३८९ - १(+), २८२२५-२
जिनबल विचार, मा.गु., गा. १, पद्य, श्वे., (सुणो वीर्य बोलु), २८९२९-३
जिनबिंबस्थापन स्तवन, उपा. जस, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (भरतादिके उद्धारज), २९७५० जिनभक्तिसूरि स्तवन, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (दुरघट घटना घटित), २८८२०-१२
जिन भवन १० जघन्य आशातना विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (तंबोल१ पाण२ भोयण३), २९१४० -६
,
जिनभवन ८४ आशातनापरिहार स्तवन, मा.गु., गा. २८, पद्य, मूपू (सकल सुरासुर प्रणम) २८१६७-२२ जिनमंदिरदर्शनफल चैत्यवंदन, मु. विनयविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (प्रणमी श्रीगुरुराज), २८२२१-२३, २९४१५ जिनरक्षितजिनपाल चौढालिया, रा., ढा. ४, पद्य, मूपू., (अनंत चोवीसी आगे हुई), २९१६० - ३ ($) जिनलाभसूरिनिर्वाण सज्झाय, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आविजिणंद मया करी दिस), २९२२८-४ जिनवंदनविधि स्तवन, मु. कीर्तिविमल, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सयल तीर्थंकर करु), २८१८७ - १ जिनवाणी गहुली, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अमृत सरखी रे सुणी), २८२८९-१९, २८८९३-३ जिनवाणी पद, मु. चिदानंदजी, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जिनवानी दरियाव मन), २९६७९-५ जिनवाणी पद, मु. पेमचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (जिनवानी मेरे मन मानी), २८१६०-३१(+#)
जिनवाणी सज्झाय, मु. चौथमल ऋषि, मा.गु., गा. ७, वि. १९६०, पद्य, स्था., (दरस लो रे मारा पुन्य), २८१८५-५२ जिनवाणी सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (जिनवाणी वाणी एसी रे), २८१८५-३५ जिनवाणी सज्झाब, मु. हीरालाल, पुहिं. गा. १०, पद्य, वे., (सुनो प्यारा प्रभुजी), २८९८५-७५ जिनवाणी स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (विबुध सुबुद्धि विधाय), २८४३५ (+) जिनशरीरवर्ण विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (२० से २२ निलो वर्ण), २८३२२-४(#$)
,
9
जिनसुखसूरि गीत, नाथो, मा.गु., गा. ८, वि. १७६३, पद्य, मूपू., ( सहीयां मोरी जिनसुख) २८१०५ ७८ जिनाज्ञाहुंडी स्तवन, मु. गजलाभ, मा.गु., ढा. ३, गा. ३८, पद्य, मूपू., (सीरोही मुख मंडणोजी), २९५३८ जीभलडी सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., ( बापलडी रे जीभलडी), २८९७९-१ जीव ३० बोल गाथा, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे. ( सरीरे तस थावरे सुम) २९४२८- २ (०)
9
,
(२) जीव ३० बोल गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, श्वे., ( सरीर २ पाइय तसथावर), २९४२८-२ (+) जीव- अजीव के १४-१४ भेदनाम-पत्रवणासूत्रे, मा.गु., गद्य, वे., (सूक्ष्म अपर्याप्तो) २८८५५-४ जीवकर्मगति सज्झाय, मा.गु., गा. ८, पद्य, वे., ( जीव अनादि रलीयु एह), २९२६४-१ जीवकाया गीत, महमद काजी, मा.गु., गा. ७, पद्य, (सुपना मैं साहिब), २८१६०-८(+#)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५२९ जीव के ५६३ भेद विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (नारकी सात नरकना), २७१०१-२(+) जीवदया छंद, मु. भुधर, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (रयणीचंद्र चंद्र वीना), २८१४८-२(+) जीव भेद विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (पृथिवीकाय लक्ष अप्का), २९१४३-५ जीवविचार स्तवन, मु. वृद्धिविजय, मा.गु., ढा. ९, गा. ८३, वि. १७१२, पद्य, मूपू., (श्रीसरसती रे वरसती), २८१९५-८,
२९१२७(#$), २७१५१८) जीवहिंसाफल पद, मु. द्यानत, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (चेतन मानीले सारी), २८१०५-१८ जीवहित सज्झाय, मु. खिमा, पुहि., गा. ८, पद्य, मूपू., (गरभावासमे चिंतवइहै), २८१२९-१३२(+), २८२१२-६, २८२४५-१३ जुगारत्याग सज्झाय, पुहि., गा. ९, पद्य, श्वे., (कदर जो चाहे दिल तू), २८१८५-७६ जेमलजी ऋषि गुणमाल, मु. भगवानदास, रा., गा. १८, वि. १८९१, पद्य, स्था., (पूज्य जेमलजी रो), २९८३६(+) जैनकाव्य संग्रह, मा.गु., पद्य, श्वे., (--), २९४६८-२(६) जैन गाथा, मा.गु., पद्य, मूपू., (--), २८१८८-२, २८२५०-४, २९८७४-२ जैनदर्शनमंडनछत्रीसी, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (रिसह पमुह जिणवर चउवी), २८२९८-५२(+) जैनयंत्र संग्रह(कोष्ठक), मा.गु., यं., मूपू., (--), २८९८७-२ जैनलक्षण सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (जैन कहो क्युं होवे), २८४२२-१ ज्ञानएकवीशी, मा.गु., गा. २१, पद्य, श्वे., (गणधर गोतम पायै लागु), २८२६३-६७(+) ज्ञान कसीदा, मु. ज्ञानचंद, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (करूंजी कसीदा ज्ञान), २८२६४-६८ ज्ञानपंचमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बारपर्षदा आगले), २९१५२-२ ज्ञानपंचमीतिथि तपग्रहण विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम नंदि मांडियै), २८५९१-५ ज्ञानपंचमीपर्व चैत्यवंदन, पंन्या. खिमाविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (युगला धर्म निवारिओ), २८२७५-१, २८५७०-५,
२८६०५-५ ज्ञानपंचमीपर्व देववंदन विधिसहित, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, मूपू., (श्रीसौभाग्यपंचमी), २७२७७ ज्ञानपंचमीपर्व महावीरजिन स्तवन-बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ३, गा. २५, पद्य, मूपू., (प्रणमु श्रीगुरुपाय),
२७७८८-२(+), २८०९९-८(+), २८६१४, २८७६२, २८९१७, २९७९०-१ ज्ञानपंचमीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञानं सारं सर्व), २८२२३-३(+) ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (अनंतसिद्धने करूं), २८५६२(+), २८५५४-२, २८७९०,
२९५६५-२ ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सद्गुरू चरण पसाउले), २८३६८-२(+), २८१६८-८,
२८१६९-७ ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., ढा. ५, गा. १६, पद्य, मूपू., (श्रीवासुपूज्यजिणेसर), २८३६८-१(+), २८९३४ ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. गुणविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ४९, पद्य, मूपू., (प्रणमी पासजिणेसर), २७७८८-१(+), २९५५६(+),
२८२२५-९, २८२८१-१, २८३१४, २८८८७, २९०७८, २९६९०, २९३०९(-) ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., ढा. ६, वि. १७९३, पद्य, मूपू., (सुत सिद्धारथ भूपनो), २८२३७-१,
२८२७८-५०) ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (प्रणमी श्रीगुरुपदकज), २९६२० ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन-लघु, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पंचमीतप तुमे करो रे), २७७८८-३(+),
२८०९९-९(+), २८१८५-५४, २८२२८-१, २८८८८-१ ज्ञानपच्चीसी, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. २५, पद्य, दि., (सुरनर तिर्यग जग जोनि), २९२७५-२(+$), २८४९७, २८६३१-१,
२८९२०-१(#) ज्ञानपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (क्षिप्रादिक रामवह्नि), २९१२१-१४(+) ज्ञानपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जिनवर भाषित आगम भणिय), २९१२१-१५(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ ज्योतिष यंत्र, मा.गु., यं., (--), २९२९२-२ ज्योतिष संग्रह-, मा.गु., गद्य, (--), २८१०४-७ ज्योतिष्कसंख्या विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (जंबू द्वीप माहे २), २७३१६-२(+) झाझरियामुनि सज्झाय, मु. भावरत्न, मा.गु., ढा. ४, गा. ४३, वि. १७५६, पद्य, मूपू., (सरसति चरणे शीश नमावी), २८४९६,
२९६६७, २९७२१, २९७४०-१(#) झांझरियामुनि सज्झाय, मु. मानविजय, मा.गु., ढा. ४, वि. १७८१, पद्य, मूपू., (सरसती चरणे सीस नमावी), २८२६०-२ झाझरियामुनि सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ७८, वि. १६००, पद्य, मूपू., (सरस सकोमल सारदा वाणी), २९०२३(+$) डंडबंगडी नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (एक बंगडीना डंडानुन), २८१२६-३ ढंढणऋषि सज्झाय, मु. कमलविजय, मा.गु., गा. ५०, पद्य, मूपू., (कांह कुमर कुलमंडणो), २९१८७९-) ढंढणऋषि सज्झाय, ग. जिनहर्ष, रा., गा. ९, पद्य, मूपू., (ढंढणऋषिने वंदणा), २८०९९-२७(+), २८१५५-८(+),
२८१६८-१३, २८१७७-२, २८२५६-३, २८२८८-२३, २८९६७-१ ढंढणऋषि सज्झाय, रा., ढा. ३, पद्य, मूपू., (तिण कालेने तिण समें), २८२९३-४ ढुंढकपच्चीसी-स्थानकवासीमतनिरसन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (श्रीश्रुतदेवी प्रणमी), २८९९५ ढुंढकमती को करने के २६ प्रश्न, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीसिद्धांतसूत्र), २९५५३-१ तंबाकुत्याग सजाय, मु. धर्मवर्धन, पुहिं., गा. १४, पद्य, मूपू., (तुरत चतुर नर तंबाकू), २८१२९-१५२(+) तपपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीऋषभादिक तीर्थनाथ), २९१२१-१८(+) तपपद स्तवन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बारस भेद भए जिनराजै), २९१२१-१९(+) तप सज्झाय, ऋ. आसकरण, रा., गा. १४, पद्य, श्वे., (तप बडो रे संसार मे), २८१८५-५८ तपावली, मा.गु., गद्य, मूपू., (पुरिमढ्ढ१ एकासणां२), २७४२१(+) तमाकुपरिहार सज्झाय, मु. आणंद, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (प्रीतम सेती विनवे), २८२२५-८, २८२६४-५ तारातंबोलनगरी वर्णन, मा.गु., गद्य, मूपू., (लाहोरथी गाऊ १५० मुलत), २८५५३-१ तारातंबोल नगरी वार्ता, मा.गु., गद्य, श्वे., (संवत १६८४ वर्षे महा), २८२८२-६(#) तारादेवी सज्झाय-शीलपालनविषये, मु. कनकसुंदर, मा.गु., ढा. १३, गा. १८, पद्य, मूपू., (वचन सुण्या ब्राह्मण), २८८०८(#) तीर्थमाला स्तवन, मु. दयाकुशल, मा.गु., गा. ४८, वि. १६४८, पद्य, मूपू., (पहिलुं प्रणमुंभाव), २८४८७ तीर्थयात्रा स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ११, वि. १९४०, पद्य, मूपू., (थारो लगजी गीरनार), २८११४-१२ तृतीयातिथि स्तुति, मु. क्षमाविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (निसिहि त्रण), २८८२४-८ तृष्णापरित्याग सज्झाय, मु. भूधर, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (--), २८१०९-१(#$) तेजसारकुमार रास, मु. रामचंद, मा.गु., ढा. १०९, वि. १८०८, पद्य, श्वे., (स्वस्ति श्रीचंदगुरु), २९८४१ त्रिभुवन चैत्यपरिपाटी, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिलु देव पूजी चैत्य), २८५१० त्रिषष्टिशलाकापुरुष रास, मु. दयाकुशल, मा.गु., ढा. ७, गा. ५९, वि. १६८२, पद्य, मूपू., (जिनचरण पसाउले मनह),
२९७९१-१(+) त्रिषष्टिशलाकापुरुष स्तवन, मु. वखतचंद्र, मा.गु., ढा. ५, गा. १८, पद्य, मूपू., (सद्गुरु चरणकमल मनधार), २८४२४-१(+) त्रैलोक्यसुंदरी रास, ऋ. सबलदास, मा.गु., ढा. १२, वि. १८५२, पद्य, श्वे., (विहरमान वीसे नमु), २७६४९(+) थावच्चासाधुसज्झाय, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (आदिसर तेरे पाय प्रणम), २८५२१ थिरपद्रलेख, मु. सायधण, मा.गु., ढा. ४, गा. ६५, वि. १७३६, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीसुख संपत), २८४८५-१ दयाछत्रीसी, मु. चिदानंदजी, मा.गु., गा. ३६, वि. १९०५, पद्य, मूपू., (चरणकमल गुरूदेव के), २९९२७(+) दयाधर्म सज्झाय, मा.गु., गा.१०, पद्य, मूपू., (अनेक प्रकार तणा गुरु), २८२९८-९(+) दयापच्चीसी, मु. विवेकचंद, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (सयल तीर्थंकर करु रे), २८२२९-३९ दया सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सूंदर वेल दया भणी), २८२६४-९ दर्शनपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (हुय पुग्गल परिअठ्ठ), २९१२१-१२(+)
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२
देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ दर्शनपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (देव श्रीजिनराज गुरु), २९१२१-१३(+) दलाली सज्झाय, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (दलाली इस जीवने कीधी), २८२५३-५ दशार्णभद्रराजा सज्झाय, मु. लालविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (सारद बुधदाइ सेवक), २८१२९-१५६(+$),
२९५०९-१(+), २९७१२-१(+), २८२६०-६, २८४४९-१ दशार्णभद्र सज्झाय, मु. केशव, मा.गु., गा. २५, पद्य, श्वे., (श्रीजिनवीर सधीर), २९४२५ दशार्णभद्र सज्झाय, मा.गु., ढा. ४, पद्य, मूपू., (सीमरु जीनवर मनरली), २८२६३-१०(+) दसाणुवाइ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जीव समुचय सर्व थोडा), २७६०१-२(+) दानछत्रीसी, मु. राजलाभ, मा.गु., गा. ३६, वि. १७२३, पद्य, मूपू., (दानतणा गुण परितिख), २८१२९-२४(+) दानफल सज्झाय, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (जेणइ दीधं तेणि लीध), २८२९८-१३(+) दानशीयलतपभावना सज्झाय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (जागो जागो रे जीव सिध), २८०८६-९ दानशीलतपभावना प्रभाति, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (रे जीव जिन धरम कीजीय), २८०९९-१७(+),
२८१५९-१८, २८२०७-६, २९४६८-१, २९८१२-३(६) दानशीलतपभावना संवाद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ४, गा. १०१, ग्रं. १३५, वि. १६६२, पद्य, मूपू., (प्रथम जिनेसर
पाय), २७२३३(+), २७५०७(+), २८०९९-१(+), २९५८६-२(+), २७२१२, २७३८८, २७५१९, २७६५५, २९२८७,
३०००५, ३००२४-१(६) दानशीलतपभावना सज्झाय, मु. जयैतादास, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (दान एक मन देह जीवडे), २८२२६-६() दान सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (--), २८२२६-११(६) दिगंबरश्वेतांबर के ८४ भेद विचार, पुहिं., गद्य, मूपू., (१ केवली कुं आहार न), २९३०८ दिनमान गाथा, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (तणोकर सत अंगुलो), २८१५८-४(+) दिल्ली पातसाही कथन, मा.गु., गा. ११५, पद्य, ?, (संवत छ सय अढहतरा), २८२५०-४४ दिशा आदि २७ द्वार अल्पबहुत्व विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (दिसि गति इंदिय काए), २७२६४, २८२३८-३ दीक्षाकल्याणक स्तवन, मु. कपूरसागर, मा.गु., ढा. २, गा. ४६, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वकुमर सुख), २९६२२ दीपावलीपर्व गुंहली, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (दीवाली दीवाली मारे), २९३५६-३ दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (दुःखहरणी दीपालिका रे), २९७११-१० दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, मु. पद्म, मा.गु., पद्य, मूपू., (तीस वरस केवलपणे), २८२२१-९ दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, मु. मेरुविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (मगददेस पावापुरी), २८२२१-२१, २९६८२ दीपावलीपर्व चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (आज माहरे दीवाली), २८२२१-१८ दीपावलीपर्व देववंदन विधिसहित, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वीरजिनवर वीरजिनवर), २८६०८,
२९७११-१, २९७७७-१(#) दीपावलीपर्व स्तुति, मु. चंद्रविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सिद्धारथ ताता जग), २९९४१-१४ दीपावलीपर्व स्तुति, मु. भालतिलक, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (जयजय कर मंगलदीपक), २८१८१-८, २८२७७-५४ दीपावलीपर्व स्तुति, मु. रत्नविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सासननायक श्रीमहावीर), २८१८१-१९, २८२००-१२ दीपावालीपर्व स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (श्रीमहावीर मनोहरु), २९३३६-२, २९७११-४ दुषमकाल विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (भगवंत कहै छे हे गौतम), २८९८१ दूमराय-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (नगर कपीलानो धणी रे), २८२६३-४(+) देवकी ६ पुत्र रास, मा.गु., ढा. १९, गा. ३०७, पद्य, मूपू., (नेमजिणंद समोसर्या), २७५१७ देवकी चौपाई, मु. रतनचंद, मा.गु., पद्य, मूपू., (रिट्ठनेमी नाम हुवा), २८२७१-१ देवकी सज्झाय, मु. लावण्यकीर्ति, मा.गु., ढा. १०, पद्य, मूपू., (रथनेमि नामे हूवा), २९७७४ देवभवे शुभचिंतवन स्तवन, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अढाई दीपमा जेह), २८४७३-१ देवलोक विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, श्वे., (पहलो सोधर्म देवलोकेइ), २८८५१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
देवलोक सज्झाय, रा., गा. २९, पद्य, श्वे., (साध श्रावक व्रत पाल), २८२६३-३८(+)
,
देवानंदा सज्झाय, उपा. सकलचंद्र गणि, पुहिं., गा. १२, पद्य, मूपू., (जिनवर रूप देखी मन), २८२२१-१२, २९६५७-२ दोहा संग्रह, पुहिं., गा. २, पद्य, ?, (ओस ओस सबको कहें मरम), २९१५४-३
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द्रौपदीकृष्ण सज्झाय, मु. श्रीदेव, रा., गा. १९, पद्य, वे., (--), २८२५२-११
द्रौपदीसती चौपाई, वा. कनककीर्ति, मा.गु., ढा. ३९, गा. १११७, वि. १६९३, पद्य, मूपू., (पुरिसादाणी पासजिण), २७५०५ ($) द्रौपदीसती रास, मा.गु., ढा. २७, पद्य, मूपू., (कृष्णनरेसर आदलेहे सह), २९०५२ द्रौपदीसती सज्झाय, मा.गु., गा. १९, पद्य, श्वे., (देव सहायें लंघीयो), २८२५२-२
द्रौपदीसती सज्झाय, रा. ढा. १०, पद्य, श्वे. (सीख एक पुजनौ धर्मरूच), २८२६३ - १ (०)
"
द्वादससमुद्र आमनाय, मा.गु., गद्य, मूपू., ( आगलाद्वीपनी परीध), २८२६१-१२
द्वारिकाऋद्धिवर्णन सज्झाय, मु. जयमल, मा.गु., गा. ३२, पद्म, वे., (बावीसमा श्रीनेमिजिण), २८२५२-४ धनप्रभावदर्शक सवैया, क. केशवदास, पुहिं., पद. १, पद्य, वै., ( चाह करे जिनकी जग में), २८८२९-२ धन्ना अणगार सज्झाय, मु. कुशल, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (सुणवाणी वैरागीयोजी ए), २८२६३-८+ )
धन्नाअणगार सज्झाय, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., ढा. ५, गा. ५९, वि. १७२१, पद्य, मूपू., (कर्मरुप अरि जीतवा), २८३७० धन्नाअणगार सज्झाय, मु. रामविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सीआला मे सिघणो रे धन), २९९४९-१ धन्ना अणगार सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. २०, पद्य, स्था., (जिनशासन स्वामी अंतरज), २८२५२-१४, २९०७४-२ धन्ना अणगार सज्झाय, मु. श्रीदेव, मा.गु., गा. १२, पद्य, भूपू., (जिनवचने ववरागी हो), २८२६३-९(+), २८१४२-६,
२८२६० - ३, २८४४६
धन्ना अणगार सज्झाय, मा.गु., गा. २१, पद्य, वे., (दोय करजोडीन निति), २९३०१(४)
',
धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. ठाकुरसी, मा.गु., गा. २२, पद्य, म्पू, (जिनवाणी रे घना अमीय), २८०९६ २, २८२३५-७,
२८८५७
"
धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. तिलोकसी, मा.गु., गा. २२, पद्य, वे (श्रीजिनवाणी रे धन्ना), २८०९९-२८(+) धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. विद्याकीर्ति, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( धन धन्नो ऋषि वंदीयै), २८९२९-२ धन्नाकाकंदी सज्झाय, श्राव. संघो, मा.गु., गा. १४, पद्य, श्वे., (सरसति सामिणी विनवुं), २८१६०-५३(+#) धन्नाकाकंदी सज्झाय, मु. हीरालाल, मा.गु., गा. १६, वि. १९३२, पद्य, श्वे., (कनक ने कामनी जुग में), २८१८५-३१ धन्नाशालिभद्र गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (धन्नी सालिभद्र बेड), २८१२९-१७७/*) धन्नाशालिभद्र सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अजीया जोरावर कारमी), २८११८ - २ (+)
धन्नाशालिभद्र सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. १३, वि. १९६१, पद्य, श्वे., (नगरी तो राजग्रना), २८१८५-६ धन्नाशालिभद्र सज्झाय, मा.गु., गा. १६, पद्य, खे, (सालभद्रने धनो दोय जण), २८२६३-८१(+)
धर्मकरणी पद, गोरखनाथ, मा.गु., गा. ६, पद्य, वै., ( अमावास्या पडवे ए घट), २८२९८ - १५(०) धर्मजिन फाग, मु. विनय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आवो बहॅली सुगुण), २८२७२-५२
धर्मजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( धरमजिनेश्वर गाउं रंग), २८१४६ - २० (+), २८१४७-६(+),
२८८९७ - ३
धर्मजिन स्तवन, पंडित, खीमाविजय, पुहिं, गा. ५, पद्य, भूपू., ( इक सुणली नाथ अरज), २८०९९-६४*)
धर्मजिन स्तवन, पंन्या. गुलाबविजय, मा.गु., गा. ७, वि. १९३९, पद्य, मूपू., (धर्मजिनेसर पूजो हो), २९०१७(*) धर्मजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., ( धर्म धोरि प्रभु धर्म ), २८९१८-३
धर्मजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (हां रे मारे धरमजिणंद), २८१२९ - ९७ (+), २८१४६-१३(+),
२८२७८- २७, ३०००८-४
धर्मजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (धर्मजिणंद तुमे लायक), २८१६४-११
धर्मजिन स्तवन, मु. वल्लभसागर, मा.गु., गा. ७, वि. १८४३, पद्य, मूपू., (धर्मजिनेसर ध्याईये), २८१६१-३(+), २८२९४-७(#) धर्मजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुणो साहिब धर्मजिणंद), २८१३७-१५
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५३३ धर्मजिन स्तवन-धर्मराय, आ. विनयदेवसूरि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (पाय कमल जिनना नमी), २८४६९-२ धर्मजिन होरी, मु. सुधक्षमा, पुहिं., पद. ८, पद्य, मूपू., (मधुवन मै धूम मची होर), २८०९९-६८(+), २९९३०-२(#) धर्मपरीक्षा कथाबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (जंबूद्वीप नामा द्वीप), २६९९७(5) धर्म पुण्यपाप भेद, मा.गु., गद्य, मूपू., (राग द्वेष मोह रहित), २७७२५ धर्म भावना, मा.गु., प+ग., श्वे., (धन्य हो प्रभु संसार), २८५८० धर्ममूर्तिसूरि स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीनयरी भली), २९७८२(६) धर्मरुचिअणगार सज्झाय, ऋ. रतनचंद, रा., गा. १५, वि. १८६५, पद्य, स्था., (चंपानगरनी रुप सुंदर), २८२७९-१० धर्मोपदेश दहा संग्रह, मा.गु., गा. ११९, पद्य, श्वे., (भवियण भावि भावज्यो), २८२९८-४१(+) धूलाडी कथा, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवें धुलाडी परव कीम), २९५५५ ध्यानभेद विचार, रा., पद्य, मूपू., (आर्तध्यानरा पाया ४), २८२६१-२ ध्यानस्वरुपनिरुपण प्रबंध, मु. भावविजय, मा.गु., ढा. ९, गा. १६३, वि. १६९६, पद्य, मूपू., (सकल जिणेसर पाय वंदे),
२९४९५-१ नंदमणियार सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, पुहि., ढा. १३, वि. १८२१, पद्य, श्वे., (ग्यातासुत्र मधे तेर), २८२६३-१७(+) नंदलाल महाराज गीत, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ७, वि. १९६३, पद्य, श्वे., (पूज्यजी सीतल चंद्र), २८१८५-३ नंदिषेणमुनि चौढालियो, रा., ढा. ४, पद्य, श्वे., (नंदिषेणक कवररी वारता), २९४४५(-) नंदिषेणमुनि सज्झाय, मु. जिनराज, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (साधुजी न जइए रे परघर), २८०९९-२५(+), २८१२९-४(+) नंदिषेणमुनि सज्झाय, मु. मेरुविजय, मा.गु., ढा. ३, गा. १६, पद्य, मूपू., (राजगृही नयरीनो वासी), २८१६८-१२ नंदिषेणमुनि सज्झाय, क. श्रुतरंग, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (मुनीवर महिअल विचरई), २८४८८-३ नंदिषेणमुनि सज्झाय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (मुनिवर महियल विचरे), २८१६८-१४, २८१८७-१० नंदी भास, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वेशाख सुदि एकादसी), २८१७९-११ नंदीश्वरद्वीप स्तवन, मु. जैनचंद्र, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (नंदीसर बावन जिनालये), २८१९५-३, २८२७२-१७ नंदी स्तोत्राष्टक, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (छडि सवि हथियार सार), २८३४८(+) नगरवास संवतविवरण, मा.गु., गद्य, श्वे., (संवत ३४८ लाहोर शहर), २८०४९-२ नमस्कारचौवीसी, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., अ. २४, गा. १४४, वि. १८५६, पद्य, मूपू., (जय जय जिनवर आदिदेव),
२८२४७-१ नमस्कार महांत्र रास, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (सरसति सामिनी द्यो), २९७१८(+), २७६४०, २९६७७ नमस्कार महामंत्र गुणपच्चीसी, मा.गु., गा. २४, पद्य, श्वे., (श्रीजिणवर दै इम), २८२६३-४०(+) नमस्कार महामंत्र छंद, वा. कुशललाभ, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (वंछित० श्रीजिनशासन), २८०९९-१४(+), २८३९३(+),
२९१६३-२(+), २९८७८-२(+), २८२२९-३५, २८२६५-१३, २८२९६-९, २९३४१-१, २९८६२, २९८११(६) नमस्कार महामंत्र छंद, मु. जिनप्रभसूरि-शिष्य, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (सुखकारण भवियण समरो), २८०९९-१०(+),
२८२०७-१०, २८२९६-४, २९८३९-१ नमस्कार महामंत्र छंद, क. लाधो, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (भोर भयो ऊठो भवि), २८१२२-१ नमस्कार महामंत्र पद, गणेश, पुहि., गा. ५, पद्य, श्वे., (अरिहंत भज रे वावरा), २८२७२-१२० नमस्कार महामंत्र पद, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., गा. १३, वि. १२वी, पद्य, मूपू., (किं कप्पतरु रे आयाण), २८०९९-१३(+),
२८६०९, २८९४०-१ नमस्कार महामंत्र प्रबंध, श्राव. देपाल भोजक, मा.गु., गा. १२, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (भवणवइ सातकोडी लखबहुत),
२८५७२-२ नमस्कार महामंत्र माहात्म्य पद, पुहि., गा. ५, पद्य, श्वे., (नही भुलनाजी श्रीनव), २८२२६-१४ नमस्कार महामंत्र रास, मा.गु., गा. २२, पद्य, मूपू., (पहिलो लीजि), २८१२९-१३८(+) नमस्कार महामंत्र सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (ए पंच परमेष्टि पद), २८२८५-१३
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
नमस्कार महामंत्र सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., डा. ५, पद्य, मूपू., (वारी जाउ अरिहंतनें), २८२८५-१०, २८४८६,
२९१३७(5)
नमस्कार महामंत्र सज्झाय, मु. द्यानत, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (मेरी वार क्युं ढील), २८२६४-५१ नमस्कार महामंत्र सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., ( बार जपुं अरिहंतना), २८८६२ - १ नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, मु. पद्मराज, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (श्रीनवकार जपो मनरंग), २८०९९ - १६(+) नमिजिन स्तवन, मु. मुक्तिविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( प्रभु एकविसमा जिनराज), २८९९८-४ नमिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अपराजित सुख भोगवी), २९४८४-५
नमिराजर्षि-प्रत्येकबुद्ध सज्झाव, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, म्पू, (नयर सुंदरसण राय हो), २८२६३-५(१) नमिराजर्षि लावणी, मु. हीरालाल, पुहिं., ढा. २, पद्य, स्था., (विदेह देश और मिथिला), २९८७० नमिराजर्षि सज्झाय, वा. उदयविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (देवतणी ऋषि भोगवी), २८१७५ - १
,
मिराजर्षि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (जी हो मिथीला नगरीनो), २८१४७ - ३ (+), २८७०५-३, २९१९७-२
नरकविचार संग्रह, मा.गु., को., भूपू., (), २८४९५
नरकविस्तार स्तवन, मा.गु., ढा. ६, गा. ३५, पद्य, मूपू., (वर्द्धमानजिन विनवुं), २९४३०, २८७६७ ($)
नरकवेदनाविचार गीत, मा.गु., गा. ७७, पद्य, मूपू., (ताकी देता तीरडा तरफड), २९८६१
नरक सज्झाय, मु. इंद्रभाण, मा.गु., गा. २७, वि. १९०३, पद्य, मूपू., (नरकतणा दुख दोहिला), २८०९९-९२ (०) नवअंगपूजा दुहा, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपु., (जल भरी संपुट पत्रमा), २८९११-२(५) नवकारमंत्र गीत, मु. खंती, मा.गु., गा. ११, पद्य, म्पू., नवकारमंत्र पद, मु, दोलत, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू (मंत्र जपो नवकार), २८२६४- ३७ नवकारमंत्र पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मृपू., (सुमरीये जिनराज भोर), २८२६४-८७
(मंत्र जपो नवकार), २९५५८-१
नवकारवाली सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (कहिये चतुर नर ते कुण), २९९४१ - १९ नवतत्त्व वर्णन दोहा, पुहिं., गा. ३४, पद्य, श्वे., (--), २८२०९-८($)
नवतत्त्व सज्झाय, मा.गु., पद्य, थे., ( नमूं वीर सासणधणी गण), २८२९३ १३(३)
-
नवपद आरती, मु. जयकीर्ति, पुहिं, गा. १०, पद्य, थे., (जै जै आरती नौपदजी की), २९१२१-१(०) नवपदओळी पद, मु. गौतम, मा.गु., गा. ७, पद्य, म्पू., (नेमजी व्याह मनावन), २८२७२ - ६०
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नवपद गुणवर्णन चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बार गुण अरिहंतना तेम), २८१९९-२ नवपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जयजय श्रीअरिहंत भानु), २९१२१-२ (+) नवपद चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, म्पू., (श्रीगोडीप्रभु पासजी), २८२२१-११
नवपद धान्य, मा.गु., गद्य, मूपु., (अरिहंतजी रे चावल), २८०८४-१३(*)
नवपद पद, मु. लालचंद, मा.गु., गा. ३, पद्य, खे, (नवपद ध्यान धरो रे), २९९४७-३, २८१०१-४२ नवपद पूजा, मु. उत्तमविजय, मा.गु. दा. ९, वि. १८३०, पद्य, भूपू (श्रीगोडी पासजी नीति) २८१७४-१
,
नवपद पूजा, मा.गु., गा. ३३, पद्य, भूपू (जीजें भव वर धानक), २९१०९-१
""
नवपद विनती, पुर्हि, गा. ५, वि. १९१७, पद्य, वे., ( जगत मे नवपद जयकारी), २७०३४- १(+), २८१७१-७(+) नवपद सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., गा. १३, पद्य, ओ., (श्रीगुरुचरण नमी करी), २८२८५-६ नवपद सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मृपू., (गुरु नमतां गुण उपजे), २९१५१ नवपद स्तवन, केसरीचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (नवपद ध्यान सदा जय), २८१७१ - ३(+) नवपद स्तवन, केसरीचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (नवपदसुं रे जीया नवपद ) २८१७१-४(+) नवपद स्तवन, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (तीरथनायक जिनवरू रे), २८१७४-४, २८१३९-२१ नवपद स्तवन, मु. जिनभक्ति, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (नवपद के गुण गाय रे), २८७६३-८ नवपद स्तवन, मु. दानविजय, मा.गु., गा. २३, वि. १७६२, पद्य, म्पू., (सकल कुशल कमलानो), २९९७५-६(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
नवपद स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चक्रवाक फिरे चक्र), २८१९९-७ नवपद स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (देश मनोहर मालवो), २८१९९-५ नवपद स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (नवपद महिमा साभळो), २८१९९-११ नवपद स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., ढा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीगुरुवयणे तप करे), २८१९९-६($) नवपद स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सिद्धचक्र सदा सुखदाई), २९७१२-४(+) नवपद स्तवन, ग. समयसुंदर, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (नवपद के गुण गाय रे), २८१७१-६(+) नवपद स्तवन, मु. सुखलाल, रा., गा. ६, वि. १९१६, पद्य, मूपू., (नवपद है जगमें सिवदाई), २८१७१-१०(+) नवपद स्तवन, मु. सुखसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जीया चतुर सुजाण नवपद), २८०९९-५०(+) नवपद स्तवन, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (जीन नित नमो नित नमो), २८१७१-५(+) नवपद स्तुति, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (अरिहंत सिद्ध आचारय), २९१०९-२ नवपद स्तुति, मु. भीमराज, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (श्रीजिनशासन भविक), २८१७१-१(+) नवपदार्थ चौपाई, मा.गु., वि. १८५५, पद्य, श्वे., (नमु वीर सासण धणी), २७५७०($) नवरत्न कवित, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (धन्नंतरि छपनक अमर), २८२५०-३६ नववाड सज्झाय, वा. उदयरत्न, मा.गु., ढा. १०, गा. ४३, वि. १७६३, पद्य, मूपू., (श्रीगुरुने चरणे नमी), २९३७१(+$),
२८७२१-१, २८७९५, २९६९४, २९७२५ नववाड सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., ढा. ११, गा. ९७, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (श्रीनेमीश्वर चरणयुग), २८१२९-११३(+),
२९७८६-१, २९७८७-१ नववाड सज्झाय, मा.गु., ढा. १, गा. ३१, पद्य, श्वे., (ऋषभजिणेस्वर प्रणमी), २८२६४-७ नवसेना विधान, पुहि., गा. १२, पद्य, (प्रथम महिपतिनाम दल), २८३६९-४ नागदमण पद, मीराबाई, पुहि., गा. १०, पद्य, वै., (किण दिसा से आयो रे), २८१८५-५० नागश्री सज्झाय, रा., ढा. ३, गा. ३९, पद्य, श्वे., (नागसरिये ब्राह्मणी), २८७३९-१ नागिलाभवदेव सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (भवदेव भाई घेर आवीया), २८७६०-१ नामनिर्णय विधान, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (काहु दिन काहू समै), २८३६९-५ नाममाला सूचनिका, पुहिं., पद्य, श्वे., (भाव पदारथ समय धन), २८२०९-९(६) नारकी सज्झाय, मा.गु., ढा. ६, पद्य, मूपू., (वर्धमान जिन विनवू), २९७३७-८(+) नारीनेहनिवारण सज्झाय, मु. विनयविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (परहरि संगति जीवा), २८२९८-११(+) नारीपरिहार पद, मु. रतनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मत ताको नार वीरानी), २८०९९-७७(+) नारी सज्झाय, मु. टोडरमल, मा.गु., गा. १६, पद्य, श्वे., (राजंद हो राजद नांम), २८२९३-९ नारी सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (नारि मदमाती हो हाथणि), २८२६४-३ नारी सज्झाय, पुहि., पद्य, श्वे., (देखो नारी का दम खुता), २८२६३-३३(+) नासकेत पुराण, मा.गु., गद्य, वै., (--), २८०९७-७(३) । निंदात्याग सज्झाय, मु. जय, पुहिं., गा. ४, पद्य, मपू., (रे जीव निंदा किणरीन), २८८६२-२ निद्रा सज्झाय, मु. चोथमल, रा., गा. ७, पद्य, श्वे., (थे सुणजो श्रावक), २८१८५-४५ निद्रा सज्झाय, रा., गा. १३, पद्य, श्वे., (थानै सतगुरु देवै), २८२६३-४१(+) नियतानियतव्यवहार सज्झाय, मु. जीवशिष्य, मा.गु., गा. २१, पद्य, श्वे., (सूत्रसिद्धांति जोइउ), २९२८९ निश्चयव्यवहार सज्झाय, आ. हंसभुवनसूरि, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (श्रीय जिनवर रे देशना), २८४३४ नीगइराय-प्रत्येकबुद्ध सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (पुंडपुर वर्धन राजीयो), २८२६३-६(+) नेमगोपी संवाद-चौवीसचोक, मु. अमृतविजय, मा.गु., चोक. २४, वि. १८३९, पद्य, मूपू., (एक दिवस वसै नेमकुंवर),
२७१०३(+), २८२५४-१, २९४४०, २९९८४, २८२२५-१०(), २९०००(६), २९१२८($) नेमराजिमती गीत, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (होजी रथ फेरी चाल्या), २८१२९-३८(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ नेमराजिमती गीत, ग. दयातिलक, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (सहु सीहीयां हे मीलि), २८२३६-७ नेमराजिमती गीत, मु. माणक, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (गोखिं बइठी राजुल), २८४७८-२ नेमराजिमती गीत, मु. रामविजय, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुन सांई प्याराबे), २८२७२-४३ नेमराजिमती गीत, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (नेम मले तो बाता), २९९७४-१४(#), २८१०१-१५) नेमराजिमती गीत, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (हो पीऊ सामलीया), २८२४३-३ नेमराजिमती गीत, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (नेम वंदन राजुल चली), २८१२९-४७(+), २८१०५-५९ नेमराजिमती गीत, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आती पूती राजगहेली), २९२८६-४ नेमराजिमती गीत, पुहिं.,रा., गा.७, पद्य, मूपू., (रथडो मत वालो धीरा), २८२७२-९७ नेमराजिमती गीत, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (संयम नवरंग कंचूउ), २८१३३-१० नेमराजिमती तेरमासो, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. १२३, पद्य, मूपू., (प्रणमिये विजयारे नंद), २९७५९(2) नेमराजिमतीनवभव स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. १७, वि. १७३७, पद्य, मूपू., (नेमजी आव्या रे सहसाव), २८२०८-२,
२८२८५-१४ नेमराजिमती नवरसो, मु. रूपचंद, मा.गु., ढा. ९, गा. ४०, पद्य, मूपू., (समुद्रविजय सुत चंदलो), २८१२८-८, २९६७१(2),
२९८३७-३(#$), २९८०५ ($) नेमराजिमती पद, मु. अमर, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (नेम दुला तेरी वाटडी), २८२७२-९६ नेमराजिमती पद, मु. अमृत, पुहिं., पद्य, मूपू., (देखन दे मुझ नेम), २८२७२-९० नेमराजिमती पद, मु. अमृत, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (लेज्या लेजा लेजाजी), २८२७२-१३७ नेमराजिमती पद, मु. किस्तुर, पुहिं., पद. ४, पद्य, मूपू., (नेमजी सै कहीयो मोरी), २८०९९-७५(+) नेमराजिमती पद, मु. कीर्तिसागर, मा.गु., पद. २, पद्य, मूपू., (मै तो नेम वंदन कु जइ), २८१०१-३०(-) नेमराजिमती पद, मु. चंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (यादव मन मेरो हर लीयो), २८०९९-७१(+), २९९३०-३(#) नेमराजिमती पद, मु. चेनविजय, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (तेरे दरस को चाव लग्य), २८२७०-६ नेमराजिमती पद, मु. चेनविजय, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (राजुल पोकारे नेम), २८२७२-१४९ नेमराजिमती पद, मु. जगतराम, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (का कीनी हे मा मेरे), २८२६४-४२ नेमराजिमती पद, मु. जगराम, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (सलूणी सांवरी सूरति), २८१०५-२९ नेमराजिमती पद, जयरामजी, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (हे सलुणी सांवरी), २८२७२-१४८ नेमराजिमती पद, मु. जिनदास, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (कब मीलसी म्हारो), २७०३४-१७(+) नेमराजिमती पद, मु. ज्ञानसुंदर, पुहिं., पद. २, पद्य, मूपू., (लाल घोडो लाल पाघ लाल), २८१०५-९८ नेमराजिमती पद, मु. टेलाराम, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (तेहीजै काहिक सर्ण), २८७३९-४ नेमराजिमती पद, मु. दीप, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तेरे दरसन की आस लगी), २८२७२-११० नेमराजिमती पद, मु. दीपविजय, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (जवा नहि देउं रे जदु), २८२७२-१२ नेमराजिमती पद, मु. दीपविजय, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (पीआ मोसे एक वात कहि), २८२७२-१०, २८२७२-५९ नेमराजिमती पद, मु. दीपविजय, पुहिं., गा. ८, पद्य, मूपू., (प्यारे मोकुं दरस), २८२७२-१५ नेमराजिमती पद, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजुल घेहेली किधि छै), २८२७२-१४ नेमराजिमती पद, मु. दीपविजय, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (स्यांम रहो रे हां रे), २८२७२-११ नेमराजिमती पद, मु. फतेह, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (नेमस्यु० मनावो रे), २८२७२-९१ नेमराजिमती पद, मु. भुधर, पुहिं., पद. ७, पद्य, श्वे., (मत छोडो मानै यु ही), २८०९९-७३(+) नेमराजिमती पद, मु. मनरूप, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (तुमेह दरसन की मेरे), २८२२६-१३ नेमराजिमती पद, मु. रंग, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तुझ वन मेरी कुन खबर), २८२७२-९२ नेमराजिमती पद, मु. रंगविजय, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (नहि ज्याने दुगी मे), २८२७२-१४२ नेमराजिमती पद, मु. रतनचंद, पुहि., गा. ६, पद्य, पू., (नेम पीया वीन कैसै), २९९३१-१२
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
नेमराजिमती पद, मु. रूपचंद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (मत जाओ रे पीया तुम), २८२७२-४१, २८३२०-२ नेमराजिमती पद, मु. लक्ष्मीकीर्ति, रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (पीयाजी थानै बरजा), २९९३१-६ नेमराजिमती पद, मु. लाभधीरविजय, पुहिं., पद. ७, पद्य, मूपू., (पिऊ नेम गयो गिरनारी), २८१४१-२(+) नेमराजिमती पद, मु. विनयचंद ऋषि, पुहि., गा. ७, पद्य, श्वे., (नेम वतावन व्याहन आए), २८२५२-१७ नेमराजिमती पद, मु. शिवरतन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बावीस सुभटने जीपवा), २८२७२-१६ नेमराजिमती पद, मु. सिंहरतन, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (नेम न जाणे हा ए), २८२७०-४ नेमराजिमती पद, मु. सीवरत्न, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (हो सहीरडी डुगर बोले), २८२७२-९४ नेमराजिमती पद, मु. हरखचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (नेमजी थे काई हठ माड), २८१०५-५७ नेमराजिमती पद, मु. हर्षचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (राजुल तुं वडभागीन), २८९५४-७ नेमराजिमती पद, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (आछी लग दिलोदिल भर), २८२७२-१५१ नेमराजिमती पद, पुहि., पद. १, पद्य, श्वे., (गाज की अवाज अति), २८१०५-९६ नेमराजिमती पद, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (गिरधर लाल भए असवार), २८१०५-९५ नेमराजिमती पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (जगपति प्यारो सावरो), २७०३४-३२(+) नेमराजिमती पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (जतन मे क्या करु सजन), २७०३४-३३(+) नेमराजिमती पद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (न देख्यो हेली माहरो), २८२७२-९५ नेमराजिमती पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (ना रहुंगी ना रहुंगी), २७०३४-२७(+), २९८०६ नेमराजिमती पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (निंद तोहें बेचुंगी), २८२७२-५८ नेमराजिमती पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (प्रभूप्यारा तेरे), २७०३४-३१(+) नेमराजिमती पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (बलीहारी हो प्रभू), २८२८८-२७ नेमराजिमती पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मे तो गिरनार गढ देखण), २८०९९-४४(+) नेमराजिमती पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (मो मन थाई संग लागो), २८२६४-८० नेमराजिमती पद, रा., पद. ४, पद्य, श्वे., (राजुल सरखी नार थे), २८१०१-११(-) नेमराजिमती पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (रोरो रे सांवलीया), २८७३९-५ नेमराजिमती पद, पुहिं., पद. ३, पद्य, श्वे., (लागे मुझने प्यारा), २८१०५-८० नेमराजिमती पद, पुहि., पद्य, श्वे., (लावो लावोने समजाय), २८७३९-७($) नेमराजिमती पद, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (साउरे सलूणे नेमि), २८१०५-९७ नेमराजिमती पद, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (साडरी सरन तुम नेम), २८२६४-४८ नेमराजिमती फाग, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (एक सुणले नाथ अरज), २८६६५-१ नेमराजिमती बारमासो, मु. अमृतविजय, मा.गु., ढा. १२, पद्य, मूपू., (यदुपति जान लेइ आव्या), २८२३५-६ नेमराजिमती बारमासो, मु. कवियण, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (भाद्रवमाशे सांम मेली), २८२९४-८(2) नेमराजिमती बारमासो, मु. कवियण, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (सांवण मासे स्वाम), २८१२७-८(+), २८१२९-३(+) नेमराजिमती बारमासो, मु. कान कवि, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (राणी राजुलनो भरतार), २९९६३ नेमराजिमती बारमासो, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (राणी राजुल इण परि), २८१०५-१२, २८२६४-२ नेमराजिमती बारमासो, पं. लक्ष्मण पंडित, पुहिं., गा. १३, पद्य, श्वे., (अब गाजत मास आषाड), २८२६२-५ नेमराजिमती बारमासो, मु. लालविनोद, पुहिं., गा. २६, पद्य, श्वे., (विनवे उग्रसेन की), २८२५०-३५, २८२५३-३ नेमराजिमती बारमासो, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (चढी सांवणे सामि), २८२५२-७ नेमराजिमती बारमासो, मा.गु., ढा. ३, गा. १४, पद्य, मूपू., (सरसति माताने मे नमु), २८२२६-३१ नेमराजिमती बारमासो, रा., गा. १२, पद्य, मूपू., (हाजी सावण माहास), २९१४७ नेमराजिमती रास, मु. पुण्यरत्न, मा.गु., गा. ७०, पद्य, मूपू., (सारद पय पणमी करी), २८१२९-१९३(+$), २८२४३-१ नेमराजिमती लावणी, मु. कनीराम, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (प्रभु नेमीनाथ), २८२१९-७
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५३८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ नेमराजिमती लावणी, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (एजी तुम तजकर राजुल), २९०१०-१(+) नेमराजिमती लावणी, मु. फतेचंद, पुहिं., गा. १२, पद्य, श्वे., (कर जोडी बिहु राजुल), २८२५२-२४ नेमराजिमती लावणी, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तन मन राजूलनार तजी), २८९९४-४(+) नेमराजिमती लावणी, पुहिं., पद. ५, पद्य, मूपू., (हेरी माई मेरो नेम), २८०९९-५८(+), २८८५९ नेमराजिमती विवाहपच्चीसी, मु. लालविनोद, पुहि., गा. २६, वि. १८४९, पद्य, श्वे., (एकसमें जो समुद्रविजै), २८२५३-२ नेमराजिमती संवाद, मु. ऋद्धिहर्ष, रा., गा. ३२, पद्य, मूपू., (हठ करी हरीय मनावीयै), २८१२९-१८९(+) नेमराजिमती सज्झाय, मु. अमृत, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (राजुल गोखे रहीने), २८७२५, २८७३५ नेमराजिमती सज्झाय, ऋ. चोथमल, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., (समुदविजयसुत लाडलो), २८२८८-२ नेमराजिमती सज्झाय, मु. जिनचंद्र, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (राजुल नेम कुंवीनवै), २८१६०-१५(+#) नेमराजिमती सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (नेम कांइ फिर चाल्या), २८१०५-८५ नेमराजिमती सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (ऐसा जादुपति रे), २८१८५-४० नेमराजिमती सज्झाय, मु. नवलराम, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (नेमजी की जान ववी), २८१८५-३८, २८९२६-१ नेमराजिमती सज्झाय, मु. प्रेम, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (बोलै राजुल कर मन धीर), २९२७४ नेमराजिमती सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (उग्रसेन पुत्री अरज), २८१९१-४(+) नेमराजिमती सज्झाय, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजुल कहे पीउ नेमजी), २८५११-३(#) नेमराजिमती सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (गोखे रे बेठी राजुल), २८५११-२(#) नेमराजिमती सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (छपन कोडि यादवचा जीवन), २९२८६-२ नेमराजिमती सज्झाय, मु. वेलजी, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (समुद्रविजय सुत नेम), २८१६८-२२ नेमराजिमती सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (म्हारउ रे मन मोरला), २८२६४-६५ नेमराजिमती सज्झाय, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (इतरा दिन हूं जांणती), २८२७५-४ नेमराजिमती सज्झाय, मा.गु., गा. २, पद्य, श्वे., (गोरी गोरीनी बाहरी), २८१२७-७(+) नेमराजिमती सज्झाय, रा., गा. ३४, पद्य, मूपू., (म्हे धावाला प्रभू), २९१४५ नेमराजिमतीस्तवन, मु. अमरहस, रा., गा.७, पद्य, मूपू., (रथ फेयौं महारायजी), २९८१२-२ नेमराजिमती स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सारथीडा रथ वालि जोय), २८१०५-१३ नेमराजिमती स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (चंपक वरणी चुनडी आजो), २८१६४-१७ नेमराजिमती स्तवन, मु. गजाणंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (घन आयो हो पीया गरजी), २८२७२-२५ नेमराजिमती स्तवन, मु. चंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (सखी मारा वालमजीनी), २९२११-१ नेमराजिमती स्तवन, मु. जेमल-शिष्य, रा., गा. १५, पद्य, श्वे., (हारे सूणि पंथीडा), २८२२६-१२ नेमराजिमती स्तवन, मु. भक्तिविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (राजुल कहे सुणो नेमजि), २८५६१-१ नेमराजिमती स्तवन, मु. माणकचंद, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (सखी मोहि आणि मिलावो), २८१०५-१४ नेमराजिमतीस्तवन, पंडित. मानविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, म्पू., (पोपटडा संदेसो कहेजे), २८४३९-१ नेमराजिमती स्तवन, मु. मोहन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजुल कहे रथ वालो), २८२७८-३३ नेमराजिमती स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (कां रथ वाळो हो राज), २८२७८-३२ नेमराजिमतीस्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (तोरणथी रथफेरी गया), २९३१०-३ नेमराजिमती स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (नेमि म जाज्यो रे घणु), २९५२८-१ नेमराजिमती स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजुल कहे सुणो नेमजी), २८१३७-२१, २८३९६-२ नेमराजिमतीस्तवन, मु. राम, हिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (सांडीगली में फीर), २९७९५-२ नेमराजिमती स्तवन, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (संजम लेउंगी साथ पीआ), २८६९३ नेमराजिमती स्तवन, मु. लब्धि, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (नेम वयण सुणीजै मुझ), २८२४३-२ नेमराजिमतीस्तवन, मु. शिवचंद, रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (जउ थे चाले शिवपुरी), २८१२९-५४(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
नेमराजिमती स्तवन, मु. सौभाग्य, पुहिं., गा. १०, पद्य, मूपू., ( क्या करू दिल लागा), २८२७२-१५० नेमराजिमती स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (नेमजी तोरणथी रथ वाली), २८१३७-१९ नेमराजिमती स्तवन, मा.गु., गा. ३२, पद्य, मूपू., (आंखडीयुं कामणणारी), २८२८५-८
मराजिमती स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, वे., (तोरण आवि रथ पाछो), २८१२७-३(+) नेमराजिमती स्तवन, मा.गु., गा. ३६, वि. १८५९, पद्य, चे., (समुद्रविजय के नंद), २९९७७
"
राजिमती स्तवन- १५ तिथिगर्भित, ग. रंगविजय, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपु. ( जे जिन मुख कमले), २९०२६-१ (६) नेमराजिमती स्तवन- लघु, मु. रघुपति, मा.गु., गा. ७, पद्य, चे.?, (रथ फेरो महारायजी लार) २८१११-६ नेमराजिमती स्तवन- लघु, मु. हर्षचंद, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., ( कांइ हठ मांड्यो छे), २८१११-५ नेमसागर गहुली, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (गुरुजी आव्या रे), २८६३८-१
नेमिजिन आरती, मु. चंद्रसागर, पुहिं, गा. ७, पद्य, भूपू., (जयै जये सामली सा), २८२७२ - १२१
"
नेमिजिन गहुंली, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., ( जी रे नयरी द्वारीका), २९०६१-५(+) नेमिजिन गीत, मु. राजेंद्र, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (हेली श्रावणीयो आयो), २८१४६-२३ (+) नेमिजिन गीत, राम, मा.गु., गा. ४, पद्य, वे., (लाडी ते तें असो नेम) २८१०५-६७
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नेमिजिन चैत्यवंदन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपु., ( ग्रह सम प्रणमूं नेम) २८१६५-५, २८२४७-६ नेमिजिन तपकल्याणक, मु. सुनंदलाल, मा.गु., ढा. ९, गा. ४२, वि. १७४४, पद्य, वे., (अरि गुरु गणधर देव), २८२६४-१४ नेमिजिन धमाल, मु. सुमतिसागर, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (सात पाच सखि आन कांटा), २८१२९-८ (+), २८२७२-६२,
नेमिजिन पद, मु. कीर्तिसागर, मा.गु., पद. ५, पद्य, मूपू., (गढ गिरनारे नेम वंदनक), २८१०१-३१(-) नेमिजिन पद, मु. क्षमाकल्याण, पुहिं., पद. ९, पद्य, मूपू., (खेलत नेम कुमार ऐसे), २८०९९-७४(+) नेमिजिन पद, मु. ग्यानसागर, मा.गु., पद. ६, पद्य, मूपू., (अब मेडा नेम न आए पीय), २८१०१-२० (-) नेमिजिन पद, आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (ऐसे नेम कुंवर खेले), २८१२९-९(+) नेमिजिन पद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (टुक रोहो रे जादव दो), २८१०५-१९ नेमिजिन पद, मु. दीपविजय, पुहिं, गा. ७, पद्य, भूपू (नेम प्रभु एतलो मांन), २८२७२-९ नेमिजिन पद, मु. राजाराम, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (मेरा नेमजी मिलै तो), २८१०५-३२ नेमिजिन पद, मु. राम, पुहिं., गा. ३, पद्य, भूपू., (आखिआं विचरंदा मांनुं), २८२७२-९३ नेमिजिन पद, मु. रिद्धहर्ष, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (गढ गिरनार की तलहटी), २८१०५-७२
नेमिजिन पद, मु. रूपचंद, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (निपटहि कठिन कठोर री), २८०९९-४० (+)
नेमिजिन पद, पुहिं, पद, ४, पद्य, वे, (नवल नगीना प्रभुने ), २८१०१-३३(१
"
२९०६८-५
नेमिजिन नवरसो, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., डा. ४, गा. ७२, वि. १६६७, पद्य, भूपू., (सरसति सामिनी पाय नमी), २७१५५ नेमिजिन पद, मु. उदयकमल, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (लगीयां तेडै ना लहो), २८१०५-२० नेमिजिन पद, मु. उदय, पुहिं. गा. ५, पद्य, मूपु. ( मगन भई तब लाझ कहारी), २८२७२-३४
"
9
नेमिजिन पद, रा., पद. ३, पद्य, श्वे., (नेम मिले तो मे वारीय), २८१०१-१४(-)
नेमिजिन पद, पुहिं, पद, ३, पद्य, श्वे, (सिखर गिरनार जाना हो), २८१०१-३६ (-)
ラ
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नेमिजिन फाग, मु. राजहर्ष, मा.गु., गा. ३०, पद्य, मूपू., (भोगी रै मन भावीयो रे), २८२६५-१
ラ
नेमिजिन भ्रमरगीता, उपा. विनयविजय, मा.गु. गा. २७, वि. १७३६, पद्य, म्पू. (समुद्रविजय कुलचंदलो), २९५८६ - १(१), २८१५० - २, २८१६७-१८, २८१३३-११ ($)
नेमिजिन रास, मा.गु., ढा. १८, पद्य, श्वे., (संखराजाने जसोमती), २८२२६-१($)
मिजिन लावणी, मु. माणेक, मा.गु., ढा. ४, गा. १६, पद्य, मूपु. ( श्रीनेमि निरंजन बाल), २९३१३-१
,
नेमिजिन वधावा, पं. खुस्याल, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सखी सुमति सहेलीयो), २८२६४-८९
नेमिजिन विवाहलो, पं. वीरविजय, मा.गु., डा. २२, वि. १८४९, पद्य, भूपू (सरसती सरण नमी रे), २७५६७
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
"
',
नेमिजिन विवाहलो, मा.गु., ढा. २, पद्य, मूपु., (द्वारामती नगरी भली), २८२५२-१ नेमिजिन सलोको, क, उदयरत्न, मा.गु., गा. ५७, पद्य, भूपू (सिद्धि बुद्धि दाता), २९४९४ नेमिजिन सलोको, सुरशशि, गु, गा. ८२, पद्य, मृपू., ( सरसती माता हूं तुम ), २८२९९-३(४) नेमिजिन स्तवन, ग. अमृतविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सखी आई रे नेम जान), २८८७३ नेमिजिन स्तवन, मु. अमृत, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सांमलीया सिद्धनें), २८११८-३(+) नेमिजिन स्तवन, मु. आनंदरत्न, रा. गा. १२, पद्य, मूपू., (थां पर वारी हो नेम), २८६६२-२ नेमिजिन स्तवन, मु. उत्तमसागर, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (कहु कहु नेमिनइ सही), २७७४४-२(+) नेमिजिन स्तवन, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( चलन तुम्हारो हो), २८१३७-११ नेमिजिन स्तवन, वा. ऋद्धिविजय, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (मारी सुध लीजोजी नेम), २८२६४-८१ नेमिजिन स्तवन, पंन्या. कमलविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सकल मनोरथ पूरवई रे), २९७८९ नेमिजिन स्तवन, मु. कल्याण, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपु., (नेमकुमर फागुण रमे रे), २९८१२-१ नेमिजिन स्तवन, मु. कांति, मा.गु., गा, ७, पद्य, मूपु., ( कालीने पीली वादली), २९९७५-१०(+) मिजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (नेमजी सुणो अमारी अरज), २८७१३-१ नेमिजिन स्तवन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ५, वि. १८५४, पद्य, म्पू, ( जादवकुल के मंडण ) २८१६५-१० नेमिजिन स्तवन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. १३, वि. १८६६, पद्य, मूपू., (श्रीनेमीश्वर वंदीयै) २८१९५-२५ नेमिजिन स्तवन, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. १५, पद्म, मूपू., (तोरण आवी कंत पाछा), २८८७५ नेमिजिन स्तवन, पं. जगरूप, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., (हेली में तो अरज करी), २८३९५ नेमिजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (राजुल छोडी नेमजी), २८२५४-३ नेमिजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( नेमि निरंजन नाथ हमार ), २८२०८-४ नेमिजिन स्तवन, मु. देवविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अवल गोखने अजब जरोखे), २८९१२-३ मिजिन स्तवन, मु. दोलत, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपु., ( श्रीनेमजिणेसर तीन), २८२६४-२०, २८२६४-३८ नेमिजिन स्तवन, मु. धरमसी, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (श्रीधन धन बावीसमो), २९८१६ नेमिजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( उज्जलगिरी अमहे जाइ), २९२३३-३ नेमिजिन स्तवन, मु. मोहनरुचि, रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (नेम निरंजनदेव सेवा), २८१७५-१४ नेमिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, म्पू., (ओत्तरवालीओ नहि धनमाल ), २९०४४-२
9
नेमिजिन स्तवन, उपा. शोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (तुज दरसण दीठों अमृत), २८३१६- ३ (५)
नेमिजिन स्तवन, मु. रत्नविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (जादव नेम कुमार रे), २८७७०-१०)
नेमिजिन स्तवन, मु. रुचिरविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मात सिवादेवी जाया), २८१६०-३४ (+#), २८१०५-५८, २८५०७
नेमिजिन स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, म्पू., (श्रीनेमि जिनवर अभयंक), २८२०८-३ नेमिजिन स्तवन, मु. विबुधविमल, पुहिं, गा. ८, पद्य, मधु, (मेरो मन सांम से अटक), २८१३७-२९ नेमिजिन स्तवन, मु. सुरससि, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपु, (बाविसमां नेम ते जाणो), २८२०८-१ नेमिजिन स्तवन, मु. सूरजमल ऋषि, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (नेमीस्वर गुर सरस्वती), २८२६४-७३ नेमिजिन स्तवन, मु. हर्षकीर्ति, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपु., (समुद्रविजयजीनो लाइलो), २८१२१-५
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नेमिजिन स्तवन, मु. हेतविमल, मा.गु., गा. ९, वि. १८४५, पद्य, मूपू., (साचा देव मया करी रे), २९७२२-१(+)
,
नेमिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (गढ ऊचो गणो रे गीरनार), २८११४- १६ नेमिजिन स्तवन, मा.गु, गा. ५, पद्य, मूपू., (नेमनाथ जादुवंससीरोमन), २८२७९-१२ नेमिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (समुद्रविजय सुत नेम), २८१०५ -६८ नेमिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., ( सरसति स्वामिनि पाय), २९३६३(३)
नेमिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ११, पद्य, ओ., (हो सोरठीआ सामला घडी), २८१२७-५ (+)
नेमिजिन स्तवन- ज्ञानपंचमी, मु. दयाकुशल, मा.गु., गा. ३०, पद्य, मूपु., (शारदमात पसाउले निज), २८८९० (+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
नेमिजिन स्तवन- समवसरणगर्भित, मु. सुजाणविजय, मा.गु., ढा. ६, वि. १८२६, पद्य, मूपू., ( श्रीनेमिसर पय नमी ),
२८४२९ - १
नेमिजिन स्तवन- समवसरणविचारगर्भित, मु. सोमसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु., कडी. ३६, वि. १६वी, पद्य, भूपू (जायवकुल सिणगार सिरि), २८१५५ - २ (+), २८३१७ -२ (+), २९५२७(+)
नेमिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (श्रावण सुदि दिन), २९८७८-१(+), २९९७५-३(+),
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२८१७३-५, २८१८१-१७, २८२००-२०, २८२७७-६, २८५२४, २९९४१-१६, २८१९६-६ (६) नेमिजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( गिरनार सिहरि पर नेमि ), २८१६३ - २० (+), २९९४१-९ नेमिजिन स्तुति, क. नयविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मृपू., ( जादवकुल जिणंद समोए), २८६६६ नेमिजिन स्तुति, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (राजुल वरनारी रुपथी), २९१५२-३ नेमिजिन स्तुति, पंन्या. महिमाविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू., (श्रीगिरनार शिखर सिणगा), २८२७७ - ३७ नेमिजिन स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू., (सुर असुर वंदित पाव) २८१२०-२७/+) २८१६३-२३(+), २८१५०-३,
,
२८१७३–७, २८२९०-४, २८७३६ - १, २९२४८, २९८७९ - २, २९९४१ - ६, २८२९४-३ (# ), २८१३९-१३ (-) जिन स्तुति - गिरिनारमंडन, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( यादवकुलमंडण नेमिनाथ), २८५८३ - १(+), २९२७९-१ नेमिजिन हमचडी, मु. लावण्यसमय, मा.गु., अधि. २, गा. ८५, वि. १५६२, पद्य, मूपू., (सरस वचन दिउ सरसती रे),
५४१
२९२८६-१
नेमिजिन होरी, मु. हर्ष ऋषि, मा.गु, गा. १२, पद्य, वे., (श्रीजिन वंदु नेम अहो ), २९२५९-२
(पणमवि पंच परम गुरु), २८२६४-१५
नेमिजिन होरीपद, मु. नवल, मा.गु., पद. ४, पद्य, वे., (किन मारी पीचकारी रे) २८०९९-७२ (+) नेमिशांतिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (हा रे हु तो गइथी जिन), २८२२१-८ नौबतधून छंद, पुहिं., गा. १, पद्य, जे.?, (वांकिट ३ वांदावा), २८३८२-४ पंचकल्याणक मंगल, मु. रूपचंद्र, पुहिं., ढा. ५, गा. २५, पद्य, श्वे. पंचकल्याणक महोत्सव स्तवन, क. पद्मविजय, मा.गु., डा. ५, श. १६८२, पद्य, मूपू., (प्रणमी पासजिनेसरु), २९११० पंचकल्याणक स्तवन, मु. कुशल, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (अष्टवरस नग मास हीना), २९१२१ - ५(+) पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज देव अरिहंत नमुं), २९९६८-६ पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, मु. कमलविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (धुर समरुं श्रीआदिदेव), २८२२१-५, २८२६८-९
पंचतीर्थजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अरिहंत देवा चरणोनी), २८२२१-१०
पंचतीर्थजन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (श्रीशत्रुंजय ऋषभदेव), २८२१७-२३
पंचतीर्थजिन स्तवन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (आदि हे आदिजिणेसरु ए), २८५४१ - २ (+), २८११५-३ पंचपरमेष्ठि १०८ गुण, मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंतना गुण बारा), २९५७७ पंचपरमेष्ठ गुण, मा.गु., गद्य, मूपू., (बारगुण अरिहंता सिद्ध), २८२५०-२९
पंचपरमेष्ठि वर्ण विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., ( नमो अरिहंताणं), २९६२९($)
"
पंचम आरा सज्झाय, मु. लालचंद ऋषि, रा., गा. १३, पद्य, क्षे., (श्रीजिन चरणकमल नमी), २८२८८-१६. पंचमआरा सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. २१, पद्य, भूपू., (वीर कहै गोवम सूणो), २८२७०-३ पंचमआरा सज्झाय, मा.गु., गा. २१, पद्य, खे, (पंच आराना भाव रे), २८५००-१
पंचपरमेष्ठि सज्झाय, मु. नंदलाल शिष्य, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (आछो आणद रंग वरसायो ), २८१८५-३७
पंचम आरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. २१, पद्य, म्पू., (वीर कहे गीतम सुणो ), २८६६०- १, २८९९९, २९१३९- १, २९७६२, २९९८३. २८९७६- १(३)
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पंचमहाव्रत सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., ढा. ५, गा. ६३, पद्य, मूपू., ( वासववंदित वीरजी), २८२८५-१८, २९५३९-२ पंचमहाव्रत सज्झाय, आ. देवसूरि, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू. (सुरतरुनी परि दोहिलो), २८१२९ - १२६(+), २८१६७-९ पंचमीतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, गद्य, मूपू., (बार परषदा आगले), २९९२९-६ पंचमीतिथित स्तुति, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पंच अनंत महंत गुणाकर), २९२२८-२
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पट्टावली, मा.गु., गद्य, वे., (अज्ज सुहम जंबु प्रभव), २८९३३ - २
पट्टावली*, मा.गु., अंक. १५ पाट, गद्य, श्वे., (सवंत १५२८ साहल), २९१८१-२
पट्टावली खरतरगच्छीय, मा.गु., गद्य, मूपू., (गुबरग्रामवासी वसुभूत), २९३३७ (+) पद संग्रह, मा.गु., पद्य, श्वे., (--), २८१७५-४
पद्म चरित्र, वा, विनय, मा.गु., पद्य, भूपू., (--), २९३८६ (३)
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(+$)
पंचमीतिथि नमस्कार, मु. जीवविमल, मा.गु., गा, २७, पद्य, म्पू., (नेमीसर पंचबाण गयगंजण), २८५७८ - २(१६) पंचमी तिथि सज्झाय, वा. मानविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (प्रवचन वचन विचारीएजी), २८८६९(+), २८९४८ पंचमीतिथि सज्झाय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपु. ( आज दिन पंचमी रे भवी), २८२२१-२
"
पंचमी तिथि स्तवन, वा. जयसागर, मा.गु., गा. ३०, पद्य, मूपू., (--), २८१६७-६
पंचमीतिथि स्तवन, मा.गु., पद्य, मूप, (--), २८१६७-५
पंचमीतिथि स्तुति, मु. गजाणंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीपंचमीनो तप कीजइ), २८१२०-८(+)
पंचमीतिथि स्तुति, मु. जसविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (कारतकसुद पंचमी तप की), २९०९६-१
पंचमीतिथि स्तुति, मु. जीवविजय, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., गा. ४, वि. १७८४-१८००, पद्य, मूपू., (पंचमी दिन जनम्या नेम),
२८२७७-८
पंचमीतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( धरमजिणंद परमपद पाया), २८२७७-४९, २८२९०-६ पंचमीतिथि स्तुति, मु. ज्ञानसुंदर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू, (पंचरूप धरिवने त्रिदश), २८२७७-७ पंचमी तिथि स्तुति, मु. शीलविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (त्रिगडे बैठा श्रीनेम), २८१२०-२५ (+) पंचमीतिथि स्तुति, मु. हेतविजय पंडित, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पंचमीने दिन चोसठइंद), २८२७७-९ पंचमीतिथि स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (उत्तर दिशथी अनूत्तर), २८५७० -६, २८६०५-६ पंचमीतिथि स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पंचरूप करि मेरुशिखर), २८१७३-१२, २८२७७-५ पंचांगुलीमाता छंद, मा.गु., गा. २६, पद्य, श्वे., ( भगवति भारत पाए नमि), २८२२९ - १६ पंचेंद्रिय सज्झाय, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आपु तुजने शीख चतुरनर), २८७६०-२ पंचेंद्रिय सज्झाय, आ, जिनोदयसूरि, मा.गु., गा. ११, पद्य, भूपू., (सुर नर असुर विद्याधर), २९२६० २(५) पक्षीशकुन विचार, मा.गु., पद. १, पद्य, (पंथा धायवो खगेस जोडा), २९८३७-२४०१
पच्चक्खाण आगार यंत्र, मा.गु., को., मूपू., (--), २९१६७-१
पच्चक्खाणविधि सज्झाय, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (धुर समरुं सामणि सरसत), २८१६७-२४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
पद्मनाभजिन स्तवन, मु. देवचंद्रजी, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वाटडी वीलोकुरे भावी), २८२८६-३ (-) पद्मनाभजिन स्तवन, मु. रायचंद, मा.गु., गा. १५, वि. १८४६, पद्य, श्वे., (जंबुदीपना भरतक्षेत्र), २८२६३-६४(+) पद्मप्रभजिन गीत, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (कागलीयु कर तार मणी स), २८१०५-८८ पद्मप्रभजिन गीत, लीब, मा.गु., गा. ३, पद्य, मृपू., (कोसंबीनयरी धर नरवर), २८३६६-३ (+) पद्मप्रभजिन पद, मु. जैनरतन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपु., ( ग्रह सम समरीजे सामि ) २८१२९-११(०) पद्मप्रभजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (सकल सुरासुर सेवित), २८२५९-७ पद्मप्रभजिन स्तवन, मु. प्रधानसागर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( आज अनोपम वासर उग्या), २८७५२-२ पद्मप्रभजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूप, (परम रस भीनो म्हारो) २८२७८-२१, ३००२४-२ पद्मप्रभजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पद्मप्रभुजिन जइ अळगा), २८१४६ - ६(+),
"
२९११७- २(३)
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पद्मप्रभजिन स्तवन, पंन्या. रत्नविजय, पुर्हि, गा. ५, पद्य, म्पू, (पद्मप्रभुजिन साहिब) २८२७२-१०४ पद्मप्रभजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु. ( कोसंबी नयरी विराजे), २८५३५-२ पद्मप्रभजिन स्तवन- नाडोलमंडण, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू (श्रीपद्मप्रभु जिनराय), २८१६७ - २७
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
पद्मप्रभजिन स्तवन- संप्रतिराजावर्णनगर्भित, मु. कनक, मा.गु., गा. ९, पद्य, वे, (धनधन संप्रति साचो), २८३५३-२, २९२५७-२, २८२९४-१३ (१४)
पद्मप्रभवासुपूज्यजिन स्तवन, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. १४, वि. १८४९, पद्य, वे, (रंगभर राता हौ दाता), २८२६३ - ८७(+) पद्मावती आराधना उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., डा. ३, गा. ३६, पद्य, मूपू., (हवे राणी पद्मावती), २८०९९-८३ (५),
२८३०६-२(+), २८१७७-३, २८२७५-१९, २८७५८, २८९५१, २८९६६, २९०६० २९१९९१, २९४४९, २९९५२, ३००१७-१, २९८७२(१
पद्मावतीदेवी स्तवन- नरोडापुरमंडन, मु. खेमकुशल, मा.गु., गा. ३४, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीपासजिणंद), २८३२७(+) पद्मावतीदेवी स्तोत्र, मु. शुभरंग, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं जय), २८२२९-१५
परक्रियाबोध सज्झाय, मु. भद्र, मा.गु., पद. ७, पद्य, वे., (), २८१०९-३०)
परनारीपरिहार सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (लाखो कामी पिट चुके), २८१८५-८२
परनारीपरिहार सज्झाय, मु. जिनहर्ष *, मा.गु., गा. ११, पद्य, श्वे., ( सीख सुणो रे पीया), २८१२९ - १३६(+), २८३५३-३ परनारीपरिहार सज्झाय, रा., गा. २८, पद्य, श्वे. (सुण मेरा चुत्र सुजाण ), २९१७०()
9
परनिंदानिवारक सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (म कर हो जीव परतांत), २८९०१-१४/०) २८१६८- २६(३) परमार्थ अष्टपदी, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (ऐसे ज्यौं प्रभु पाईइ), २८१२९ - १०१(+)
परिग्रहप्रमाण टिप्पनक, मु. हर्षकुंजर शिष्य, मा.गु., गा. ४७, वि. १६१०, पद्य, मूपू., (जिणचडवीस नमी व्रत ), पर्युषणतप भास, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (बहिनी वीराने वीनवी) २८१९६-१८ पर्युषणपर्व अठाई स्तवन, मु. हेमसौभाग्य, मा.गु., गा. ३७, पद्य, मूपू., (प्रणमुं पास जिणंदा), २८१९५-२६ पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (नव चोमासी तप कर्या), २८७९७ - ११, २९५७९-७($) पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, क. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू., ( पर्व पजुसण आवीया), २९९२९-७ पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वडा कल्प पूर्व दिने) २८७९७-१०, २९५७९-६ पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. प्रमोदसागर, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (सकलपर्व शृंगारहार), २८८८३ - १
पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, मु. विनयविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, म्पू., (परवराज संवत्सरी दिन), २८७९४-७(+), २८२२१-४,
२८७९७–९, २८९७६- ९, २९५७९-५
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( कल्पतरुवर कल्पसूत्र), २८७९४ - ३(+), २८२२१-१५, २८७९७-५, २८९७६-५
पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा ३, पद्य, मूपु., (जिननी बहिन सुदर्शना), २८७९४-५ (+), २८७९७-७, २८९७६-७, २९५७९-३
पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा, ३, पद्य, मूपू, ( पासजिणेसर नेमनाथ), २८७९४-६ (+), २८७९७-८, २८९७६-८, २९५७९-४
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रणमु श्रीदेवाधिदेव), २८७९४ - २ (+), २८२२१-१४, २८७९७-४, २८९७६-४
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( श्रीशत्रुंजय शृंगार), २८७९४ - १ (+), २८७९७–३, २८९७६-३
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. विनितविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सुपन विधि कहे सुत), २८७९४ - ४ (+), २८२२१-१६, २८७९७-६, २८९७६- ६, २९५७९-२
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, मु. वीनीत, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( पासजिनेसर नेमनाथ), २८२२१-२२
पर्युषण पर्व चैत्यवंदन, मु. वीनीत, मा.गु., पद्य, मूपू., (--), २९५७९-१(३)
पर्युषणपर्व चैत्यवंदन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मृपू., ( पर्व पर्युषण गुणनीलो), २८७९७ १, २८८१६-१,
२८८८३ - २, २९०६२
पर्युषणपर्व नमस्कार, मु. विनयविजय, मा.गु., चैत्यव. ७, गा. २१, पद्य, मूपू., (श्रीशेत्रुंजो सिणगार ), २९७१४
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२९०३४(१)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ पर्युषणपर्व सज्झाय, मु. जगवल्लभ, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (प्रथम प्रणमुं सरस्वत), २८३०४(-) पर्युषणपर्व सज्झाय, पं. मतिविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (परब पजुसण आवीया रे), २९३०२(+) पर्युषणपर्व सज्झाय, मु. मतिहंस, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (पर्व पजुषण आवीया रे), २८९१९ पर्युषणपर्व स्तवन, मु. घासीलाल, मा.गु., गा. १५, वि. १९८२, पद्य, श्वे., (देखो परव पजुसण आया), २८१८५-१७ पर्युषणपर्व स्तुति, मु. अमरविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (परव पजुसण पुण्ये), २८२६९-२, २८२७७-२१ पर्युषणपर्व स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वली वली हुं ध्या), २८०८४-८(+), २८१६३-१४(+),
२९९४१-१५ पर्युषणपर्व स्तुति, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पुण्यनु पोषण पापर्नु), २८२७७-२० । पर्युषणपर्व स्तुति, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वरस दिवसमां अषाड), २८१७३-१०, २८२७७-१९ पर्युषणपर्व स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पर्व पजुसण पुण्ये), २८२७७-१८ पर्युषणपर्व स्तुति, मु. बुधविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वीरजिणेसर अतिअलवेसर), २८२००-११, २८२७७-२२ पर्युषणपर्व स्तुति, मु. मानविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सत्तरे भेदे जिन पूजा), २८१२०-२०(+), २८१७३-१,
२८२७७-१७, २८२९०-५, २८१३९-९०) पर्युषणपर्व स्तुति, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (परव पजुसण पुण्ये), २९०६७-२ पर्युषणपर्व स्तुति, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (परव पजुसण पुन्य), २८१२०-११(+), २८१८१-६,
२८२७७-१६ पांचमा महाव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (आज मननो मनोरथ अति), २८९८०-५ पांडव चरित्र, वा. कमलहर्ष, मा.गु., पद्य, मूपू., (प्रथम जिनेशर प्रणमीय), २७१३१(६) पाक्षिकतपवृद्ध स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. २, गा. १४, पद्य, मूपू., (जंबुद्वीप सोहामणो), २८१९५-१ पाक्षिकप्रतिक्रमण विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., (देवसी अर्धनु वंदेतु), २८३५०-२(+), २८३७७-२(+#), २९६१८(+) पाखंडमतनिषेध पद, पुहि., गा. २४, पद्य, श्वे., (पीला कपडा पहिर कापडी), २८८२०-७ पापस्थानक सज्झाय-अष्टम, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (पापथानक आठमु कहिउ), २८६२९ पार्शचंद्रसूरिगच्छे मच्छणवाग्रामे श्राद्धपरिवार सूचि, मा.गु., गद्य, मूपू., (सीहरीया वीरचंद्रकस्य), २९२३७ पार्श्वजिन अमृतधुन-गोडी, मु. जिनचंद, पुहिं., गा.८, पद्य, मूपू., (झिगमग झिगमग जेहनी), २८२६८-१ पार्श्वजिन आरती, मु. अमृतविजय, पुहि., गा. ७, पद्य, मूपू., (आरती करुं श्रीपार्श), २८१६१-४(+), २८२६५-२ पार्श्वजिन आरती, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (भव भव आरत टालें हमार), २८२०८-१७ पार्श्वजिन गीत, मु. आनंदघन, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरे एही ज चाहीइ), २८१५९-२६, २८१०१-४९(-) पार्श्वजिन गीत, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसुखसागरपास जेहना), २८३९८-३(+) पार्श्वजिन गीत, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सुणो साहिबा मन की), २८३९८-१(+) पार्श्वजिन गीत, मु. ताराचंद, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (नित पूजौ वामा के नंद), २८१६०-६३(+#) पार्श्वजिन गीत, मु. भावप्रभ, पुहिं., गा. ९, पद्य, पू., (बदरवा झुमर आई रे), २८२७२-२४ पार्श्वजिनगीत, मु. रंगवल्लभ, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (विनु देखई धीरज क्यु), २८१६०-६४+#) पार्श्वजिन गीत, लीब, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (तुम्हनइ किम प्रभुतार), २८३६६-४(+) पार्श्वजिन गीत, लीब, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सुणि शरणागतवच्छलरेह), २८३६६-५(+) पार्श्वजिन गीत-अंतरीक्ष, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (अवसर का लाहा लीजीइ), २८२७२-२२, २८२७२-५० पार्श्वजिन गीत-चिंतामणि, उ., गा. ८, पद्य, मूपू., (हुसेनी अय रहम शमारा), २८८९९ (२) पार्श्वजिन गीत-चिंतामणि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रसाद थकी तहरा घणी), २८८९९ पार्श्वजिन गीत-नारिगपुरमंडन, लीब, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रभुतइ जीतु हेला), २८३६६-६(+) पार्श्वजिन-गोडीजी सवैया, मु. हेमतविजय, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (पारसनाथ सोवन कों), २७४६७-२(+#) पार्श्वजिन चैत्यवंदन-गोडीजी, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पुरसादाणीय पासनाह), २८२४७-७
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ पार्श्वजिन चैत्यवंदन-चिंतामणि, मा.गु., पद्य, मूपू., (श्रीचिंतामणी श्रीपार), २८२२१-७ पार्श्वजिन चैत्यवंदन-पुरिसादानी, मु. कल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पुरसादाणी पासनाह नमि), २८१६५-६ पार्श्वजिन चैत्यवंदन-पुरीसादानी, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पुरीसादाणी पासजी जग), २८२२१-६ पार्श्वजिन चैत्यवंदन-शंखेश्वरजी, मु. रुपविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सकल भविजन चमत्कारी), २९०९३ पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, वा. भावविजय, मा.गु., गा. ५१, पद्य, मूपू., (सरसत मात मना करी), २७२६३-१, २८०१०,
२८२४१-४, २८७०१ पार्श्वजिन छंद-अंतरीक्ष, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ५५, वि. १५८५, पद्य, मूपू., (सरस वचन दियो सरसति), २८१७२-८,
२८२२९-५ पार्श्वजिन छंद-अमीझरा, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (उठत प्रभात अमीझरो), २८२८६-५(-) पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (धवल धिंग गोडी धणी), २८१४८-१(+), २८२२९-२५,
२८२६८-४, २९५११-४ पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. कुंभकर्ण, रा., गा. ३६, पद्य, मूपू., (भाव धरी ऊमया नमुंमन), २८१११-१, २८१७८-७ पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मु. कुशलचंद, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीगोडिचा जगतगरु), २८१४८-४(+) पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, वा. कुशललाभ, मा.गु., गा. २२, पद्य, मूपू., (सरसति सुमति आप), २८४८१-१ पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (सरसति द्यो मुझ), २८४१५-१ पार्श्वजिन छंद-गोडीजी, मा.गु., गा. ४६, पद्य, मूपू., (सुवचन आपो शारदा मया), २८१७२-२, २९३१९ पार्श्वजिन छंद-नाकोडा, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (आपण घर बेठा लील करो), २८२४५-५,
२९९७४-२(#) पार्श्वजिन छंद-पालनपुरमंडन, श्राव. ऋषभदास, मा.गु., गा. ३२, पद्य, मूपू., (सकल नगर माहें घj), २८२८७-४ पार्श्वजिन छंद-भीडभंजन, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (भवभयभंजन भीतहरं जयो), २८१८९-४ पार्श्वजिन छंद-भीडभंजन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (वारु विश्वमा देस), २८२२९-७, २९३७४(६) पार्श्वजिन छंद-मरोटमंडणचिंतामणि, मु. दोलत, रा., गा. ३८, वि. १८३९, पद्य, मूपू., (श्रुतदेवी सुणीयै अरज), २८१७८-९ पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पास शंखेश्वरा सार), २८१८९-५ पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, पू., (सेवो पास शंखेश्वरो), २८४८९-४(+), २८२२९-२६,
२८८२९-१, २९११३-४ पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, ग. कनकरत्न, मा.गु., गा. २५, वि. १७११, पद्य, मूपू., (सरसति सार सदा बुध), २८२२९-४ पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सकल सुरासुर सेवे), २८२२९-२७ पार्श्वजिन छंद-शंखेश्वर, मु. नयप्रमोद, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (सरस वदन सुखकारसारं), २८२२९-२२, २८५४८ पार्श्वजिन छंद-स्थंभनपुर, मु. अमरविसाल, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (थंभणपूरवर पासजिणंदो), २८२२९-२९ पार्श्वजिन द्रूपद, मु. धर्मशील, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (केवल वाला० कोइ बतावे), २८१२९-१३१(+) पार्श्वजिन धूपद, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (सांवलीया पारसनाथजी), २८१०५-१० पार्श्वजिन नमस्कार, क. ऋषभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वंदु पासजिणंद कमठ), २८२१७-२६ पार्श्वजिन नमस्कार-स्थंभनपुर, मु. कल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीसेढी तट मेरुधाम), २८२४७-९ पार्श्वजिन निसाणी-घग्घर, मु. जिनहर्ष, पुहि., गा. २७, पद्य, मूपू., (सुखसंपत्तिदायक सुरनर), २८२४५-९, २८२५३-४,
२८४८१-२ पार्श्वजिन पंचकल्याणक पूजा, पं. वीरविजय, मा.गु., वि. १८८९, पद्य, मूपू., (संखेश्वर साहेब सुर), २७२३६ (२) पार्श्वजिन पंचकल्याणकपूजा ढाल, हिस्सा, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (रमति गमती हसुनें), २८६७९ पार्श्वजिन पद, मु. अनिएचंद, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (डगरा बताय दे पाहरीया), २९९३१-९ पार्श्वजिन पद, मु. अमृत, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (तुम सूरतरु सरसे दरसे), २८२७२-१३ पार्श्वजिन पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरइ एतौ चाहियै नित), २८०९९-१८(+)
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पार्श्वजिन पद, मु. आनंद, मा.गु., पद्य, भूपू., (--), २८१२९-११५ (+ड)
पार्श्वजिन पद, मु. उदयकमल, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( पासजी मन मोह्यो मेरो ), २८१०५-३३ पार्श्वजिन पद, मु. उदयरत्न, रा., गा. ६, पद्य, मूपू., ( प्यारो पारसनाथ), २८१२९-१४६(+), २८२७२-४२ पार्श्वजिन पद, मु. उदयसागर, पुहिं., पद. ७, पद्य, मूपू., ( अब हम कुं ज्ञान दीयो), २८०९९-७०(+) पार्श्वजिन पद, मु. कनककीर्ति, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (तूं मेरे मन में तूं), २९८२७-४, २९९७४-३(३) पार्श्वजिन पद, मु. कमलकीर्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अरज कल्याण पास आस), २८२७२-११५ पार्श्वजिन पद, मु. कांति, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (तेवीसमा जिनराज्य), २८२७२-८५ पार्श्वजिन पद, मु. कांति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सखि री कोप्यो कमठ), २८२७२-२ पार्श्वजिन पद, मु. क्षेमप्रकाश, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (ऐसै संत वसंत खेलत), २८१२९-१२(+) पार्श्वजिन पद, पं. खुस्वाल, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे. (श्रीयुगबंदन वामा को), २८१०५-१९ पार्श्वजिन पद, मु. गंगा, रा., गा. ३, पद्य, श्वे. (धारी छबी प्यारी लागे), २७०३४-१५(१) पार्श्वजिन पद, मु. गुलाबचंद, पुहिं., पद. ४, पद्य, श्वे., (लगीवो मेंडी प्रीत तु), २८१०५-९० पार्श्वजिन पद, मु. चंदखुसाल, मा.गु., पद. ५, पद्य, वे., (नन्नडायो गोद खिलावे), २८१०१-१८) पार्श्वजिन पद, मु. चंद, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (बिराजत रूप भलो जिनजी), २८१६५-११ पार्श्वजिन पद, मु. जिनचंद्र, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( आज बधाई म्हारें आज), २८१०१-१६ (-) पार्श्वजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, म्पू., (तेरे चरण कमलसे लगी), २७०३४-८(+) पार्श्वजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूषू, (मोहे परतीत प्रभु), २७०३४- ५(०)
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पार्श्वजिन पद, आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं. गा. ४, पद्य, मृपू., (माई रंगभर खेलेंगे), २८१२९-७(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
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पार्श्वजिन पद, मु. जिनहर्ष, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (जागो मेरे लाल विसाल), २८१२९ - १७० (+), २८१०१-४१) पार्श्वजिन पद, मु. जीवणराम, रा., गा. ४, पद्य, श्वे., (वारी वारी हो वांमाजी), २८२६४-३१ पार्श्वजिन पद, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीपासजिन पास वडे), २८१०५-९ पार्श्वजिन पद, टेकचंद पंडित, पुहिं, गा. १२, पद्य, जै.?, (दिगरो वतायदे पाहारिय), २८२७२-१३२ पार्श्वजिन पद, मु. तीर्थविजय, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (डारु गुलाल मुठी भरके), २८१६१-६(+) पार्श्वजिन पद, मु. देवीचंद, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (देखीय मुरत पारस की), २८१०१-२४ (-) पार्श्वजिन पद, मु. धर्मसिंह, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (जाको परताप पूर देखा), २८१०५-९४ पार्श्वजिन पद, मु. धर्मसी, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (नित नमीयै पारसनाथजी), २८१६०-४०(+#) पार्श्वजिन पद, मु. धर्मसी, पुहिं. गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरे मन मानी साहिब), २८१२९-२२(+) पार्श्वजिन पद, बुधर, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (निरखी मुरत पारस की), २८०९९-४७(+) पार्श्वजिन पद, मु. महिमराज, मा.गु., गा. ३, पद्य, वे., (जिन तेरे नयन अनीयारे), २८४९३-४ पार्श्वजिन पद, मु. रंग, पुहिं. गा. ४, पद्य, मूपु (तारी हो जिनराज), २८२७२-१४४
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पार्श्वजिन पद, मु. रत्न, पुहिं, गा. ३, पद्य, मूपु., (शिवपुर वसीया हो पास), २८२७२ - १०० पार्श्वजिन पद, मु. राम, मा.गु., गा. २, पद्य, श्वे., (मेरे मन के मोहन पास), २८१०५-३१ पार्श्वजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू, (इस नगरी बचे तेवीस ), २८२७२-११६, २८२७२-१५३ पार्श्वजिन पद, मु. रूपचंद, मा.गु., पद. ३, पद्य, मूपू., (दीजे मोय दरसण पासजिण), २८०९९-४२ (+) पार्श्वजिन पद, मु. लालचंद ऋषि, पुहिं., गा. ३, पद्य, थे. (प्रभुजी जनम सुधार), २८२७२-१३० पार्श्वजिन पद, मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., पद, ३, पद्य, वे, (श्रीजिनराज सदाइ जाकै), २८०९१९-३४(*)
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पार्श्वजिन पद, मु. वृद्धिकुशल, रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (तेवीसमा जिनराज जोडी), २८०९९ - ३७(+), २८१०१-१) पार्श्वजिन पद, मु. शिवकीर्ति, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (आज भले दिन उगायो), २८२५४-४ पार्श्वजिन पद, मु. सत्यरतन, मा.गु., पद. ५, पद्य, मूपू., (तारक नाम तुमारो), २८०९९-३५ (+) पार्श्वजिन पद, मु. सुखसागर, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (तु मेरा मनमै प्रभु), २८२५४-५
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५४७ पार्श्वजिन पद, मु. हंस, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (पासजिणंद अवधारीइं एक), २८२७२-३२ पार्श्वजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (दिल ज्यांनी पास), २८१०५-५० पार्श्वजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (वामाजी के नंद अरज), २८०९९-५१(+) पार्श्वजिन पद, मा.गु., पद. ३, पद्य, श्वे., (अरज सुणीजे अंतरजामी), २८१०१-२८(-) पार्श्वजिन पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (छवि तेरी सुहावण लागी), २८२७२-३९ पार्श्वजिन पद, पुहिं., पद. ५, पद्य, मूपू., (जय बोलो पासजिनेसर की), २९५९७-२(+) पार्श्वजिन पद, मा.गु., पद. २, पद्य, मूपू., (नयरी वाणारसी अवतर्या), २८८७६-१ पार्श्वजिन पद, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (पारसनाथ सहाई भव भव), २८१६०-७१(+#) पार्श्वजिन पद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रभु म्हारा पास), २८९१२-१ पार्श्वजिन पद, पुहिं., पद. २, पद्य, मूपू., (बबा सचा सांई हो डंका), २८०९७-११ पार्श्वजिन पद, पुहि., पद. ४, पद्य, मूपू., (मोतियन थाल भरकै करह), २८१०५-७५ पार्श्वजिन पद, पुहि., पद. ३, पद्य, श्वे., (सुपना हे यारो सुपना), २८१०५-१५ पार्श्वजिन पद-अंतरीक्ष, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (आज की वदन छवि अजबनी), २८१०५-८४ पार्श्वजिन पद-अजीमगंज, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (सोभा अजब बनी जिन), २९९३०-५(#) पार्श्वजिन पद-गोडीचा, मु. कल्याण, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (लग्या मेरा तेहरा), २८१०१-२६(-) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. अमृतविजय, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रभु म्हने तारोलाजी), २७०३४-१६(+) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. धरमसींह, मा.गु., गा. २९, पद्य, मूपू., (सरस वचन दे सरसती एह), २८१११-३, २८१७८-८ पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. रंग, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (तुम विना मेरी कुण), २८२७२-१०९ पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. रूपविजय, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (पास गोडिचा निरखत नयन), २८०९९-३३(+) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (मुजरो मानि न लीज्यो), २८१०१-४(-) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मु. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (रंगरस भेनु रे सुरत), २८१२७-१४(+) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, पं. विनयविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (माहरे मन गोडीचो वसीय), २८१४६-२५(+) पार्श्वजिन पद-गोडीजी, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (अलगां सेती आवीया), २८१२९-१७५(+) पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, मु. अमृतविमल, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (खीण खीण पलपल छीनछीन), २८९०२ पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, वा. क्षमाकल्याण, पुहि., पद. ५, पद्य, मूपू., (मैं हु दास तुमारा), २८१०१-१७(-) पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रभू पूजौ चिंतामणि), २८१२९-८४(+) पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, ग. जिनहर्ष, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (जिनसे मनवा लाग रह्या), २८१०१-३२(-) पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, मु. जेतसी, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (मुझ मन मोह्यो), २८१२९-१८३(+) पार्श्वजिन पद-चिंतामणि, मु. भानुचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रभु को दरिशण पायो), २८१५९-१४ पार्श्वजिन पद-नाकोडा, मु. जिनचंद, पुहिं., पद. ५, पद्य, मूपू., (क्या करो नागोडा पास), २८१०१-४५(-) पार्श्वजिन पद-पुरिसादानी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मन गमतो साहिब मिल्यौ), २८१६६-२ पार्श्वजिन पद-मगसी, मु. द्यानत, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (श्रीमगसींह नगर मे), २८१०१-२(-) पार्श्वजिन पद-वल्लभीपुर, मु. रत्न, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (पासजी के नीके नेना), २८२७२-१०१ पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, मु. दीप, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (विनति सुन संखेश्वर), २८२७२-७ पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, आ. भावप्रभसूरि, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (नादान पीआजी हो बालुड), २८२७२-८६ पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, मु. रंग, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (सायां तु भलावे), २८२७२-८२, २८१०१-३०) पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, मु. रूपविजय, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (सरस चरण शरण ग्रही), २९९६६-३(+) पार्श्वजिन पद-शंखेश्वर, मु. वीरविजय, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (अजब जोत मेरे प्रभु), २८२७२-८० पार्श्वजिन पद-सम्मेतशिखर, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (समेतशिखर चलो जईयें), २८२७२-१०५ पार्श्वजिन प्रभाती-शंखेश्वर, वा. उदय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज संखेश्वर सरण हु), २८१८९-१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ पार्श्वजिन लावणी, मु. दोलत, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (तेवीसमा जिनराय भजो), २८९९४-२(+) पार्श्वजिन लावणी, पुहिं., गा. १८, पद्य, श्वे., (अगडदम अगडदम वाजै), ३००२०-२(+) पार्श्वजिन लावणी, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ प्रगट), २८२८६-१०(२) पार्श्वजिन लावणी-गोडीजी, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (जगत भविक जिन पास), २८७२९ पार्श्वजिन विनती स्तवन-भाभा, मु. लब्धि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (श्रीभाभो जिन भेटीइ), २९४९५-२ पार्श्वजिन विवाहलो, मु. रंगविजय, मा.गु., ढा. १८, वि. १८६०, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीदायक), २७२४२(+$) पार्श्वजिन विवाहलो, आ. विनयदेवसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (कांति अनोपम अंगनी ए), २८४६९-१ पार्श्वजिन श्लोक, मु. दौलतविजय, मा.गु., गा. ३७, वि. १८४०, पद्य, मूपू., (सकत कहीजै सरसती माई), २८१११-७ पार्श्वजिन श्लोक-शंखेश्वर, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. २३, वि. १७५९, पद्य, मूपू., (माता भुवनेसरी भवनमा), २८३५३-१ पार्श्वजिन सलोको, श्राव. जोरावरमल पंचोली, रा., गा. ५६, वि. १८५१, पद्य, श्वे., (प्रणमुं परमातम अविचल), २७७८६ पार्श्वजिन स्तवन, मु. अनूपचंद, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (जीवन माहरा तेवीसम ज), २८२३६-६ पार्श्वजिन स्तवन, मु. आनंदराम, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्यारा वो जगतस्यु), २८२७२-८४ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (प्रणमी पद कज पासना), २८२३५-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदयरतन, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (अजब बनी हे मुरति), २८२७२-३३ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (तारी मूरतिनुं नही), २८१३७-७ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (ताहरे वयणे मनडू), २८१३७-८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सुण सखि रे मुझ वाल), २७१६२-२, २८१३७-२२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. उदय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (वादल दहदीस उनह्या), २८२७२-२६ पार्श्वजिन स्तवन, वा. उदय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सुधी आ वामारो जायो), २८१३७-१८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. कीरत, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (श्रीसुगुरु चिंतामणि), २८२४१-११, २९९०१ पार्श्वजिन स्तवन, मु. कुशलविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (समरू पासजिणंदजी), २८१०५-६९ पार्श्वजिन स्तवन, ऋ. केसर, मा.गु., गा. ८, वि. १८४२, पद्य, मूपू., (प्रणमुं पास जिनेसरु), २८८०७-१ पार्श्वजिन स्तवन, क. केसर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मोहि प्यारो पास), २८१०५-६२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. क्षेम, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज भलो दिन ऊगीयो), २८१२९-१४२(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. क्षेम, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वामानंदण साहिबा), २८१२९-२९(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु.खेम, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अनुचरनी अरदास अहोनिस), २८१२९-२७(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. खेम, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (परितिक्ष जिनवर पास), २८१२९-३२(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. गौतम, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (वामानंदन आज में नयणे), २९४१० पार्श्वजिन स्तवन, पंन्या. गौतमविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (कोप्यो कमठ सठ प्रभु), २८२७२-६१ पार्श्वजिन स्तवन, मु. जसवर्द्धन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (मन मोहनगारो साम सहि), २८१६०-६(+#) पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (अश्वसेनजीरा वावा), २९८१३-३ पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनचंद्र, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (जय बोलो पास जिनेसर), २९९७५-११(+), २८२७२-३७,
२९९३०-४(#) पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनभक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (वामासुत वारी बहु गुण), २८१२९-२८(+) पार्श्वजिन स्तवन, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ८, वि. १७९९, पद्य, मूपू., (ऊगौ धन दिन आज सकल), २८१२९-९४(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (तेविसमो त्रिभुवनपति), २८१०५-५६ पार्श्वजिन स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (पासजिणेसर वाल्हा अरज), २८२८८-१३ पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वयण अम्हारा लाल हीयड), २८१२९-५१(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सहीयर टोली भांभर), २८१२९-७२(+) पार्श्वजिन स्तवन, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सकल मूरति सिरिपासजिण), २९२६०-१(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
पार्श्वजिन स्तवन, मु. जैतसी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सुगुण सोभागी हो साहि), २८१०५-३८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अंखीयां हरखण लागी), २८१२९-१०७(+), २८२७२-७८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (जिन पास बड़े धमचक्कु), २८१२९-१०८(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (परम पुरुष तुं), २९०६८-६ पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संखेसर साहिब दरिसन), २८३९८-५(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु.,गा. ५, पद्य, मूपू., (होरी के खेल में), २९०६८-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. तिलोकचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (सुंदर मूरति सोहइ), २८१२९-१३७(+) पार्श्वजिन स्तवन, आ. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रणमी प्रणव तणो जग), २९४०४-१ पार्श्वजिन स्तवन, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (लाखीणो सोहावें जीनजी), २८१६४-९ पार्श्वजिन स्तवन, मु. दोलत, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (ध्यावो श्रीजिन पास), २८२६४-३२ पार्श्वजिन स्तवन, क. धर्मसिंह, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आजु सफल अवतार आसाडा), २८१२९-१४४(+) पार्श्वजिन स्तवन, ग. धर्मसी, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (आज भलै दिन उगौजी), २८१२९-८१(+) पार्श्वजिन स्तवन, नंदलाल, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे.?, (त्रिभुवनपति तेवीसमौ), २८१६०-३६(+#) पार्श्वजिन स्तवन, मु. नरसिंघ ऋषि, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (मूरत मोहन वेलडी दीठे), २९७२२-२(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. नित्यविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (--), २८१३३-१($) पार्श्वजिन स्तवन, मु. नेमविजय, मा.गु., ढा. १४, वि. १८७७, पद्य, मूपू., (भावधरी भजन करु आपे), २७१३२(5) पार्श्वजिन स्तवन, मु. न्यायसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (मुगट परिवारीयां बो), २८१३७-२७, २८२७२-४४ पार्श्वजिन स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (वदन पारस छिवछाजै), २८२३६-५ पार्श्वजिन स्तवन, क. पद्मविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (विषय त्रेवीस नीवारी), २८५७३ पार्श्वजिन स्तवन, मु. भाग्यउदय, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (साचो पारसनाथ कहावै), २८२७२-१०६ पार्श्वजिन स्तवन, मु. भोज, मा.गु., गा. ११, पद्य, पू., (प्रणमुंपासजिणंद), २८२०७-९ पार्श्वजिन स्तवन, मु. महानंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वामानंदन वीनवु पर), २८१९१-६(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. माणकलाल, मा.गु., गा. ३, पद्य, श्वे., (तार तार रे प्रभु मुज), २८७७२-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. मानविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्रभाते प्रणमु), २८१५९-२१ पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जय जय हो त्रियणराय), २८१२९-१४७(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रभु पासजिणंद), २८२७८-३८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (प्राण थकी प्यारो), २८१४६-११(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुजरो थे मानो हो), २८८३९-२(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (साहिब आंगी तुम्हारी), २८१९६-१० पार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (पूजाविधि माहे भावीय), २८६५९-१, २८९९८ पार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (मेरे साहिब तुम ही), २८१५९-१० पार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वामानंदन जिनवर मुनि), २९३१०-४ पार्श्वजिन स्तवन, मु. रंगविजय, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (वो दिल ग्यांनी पास), २८२७२-८३ पार्श्वजिन स्तवन, पंन्या. रत्नविजय, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीजिनराज के चरन), २८२७२-११२ पार्श्वजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पासजिनेसर साहिबा), २८५३५-५ पार्श्वजिन स्तवन, पा. राजरत्न, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (पासजिणंदा हो साहिब), २९४७७ पार्श्वजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सेवो भवियण जिन), २९८८०-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (धन म्हारौ मारु देस), २८१२९-५०(+) पार्श्वजिन स्तवन, ग. लक्ष्मीवल्लभ, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (आखंदा मै हुं तइंडी), २८१०५-५१ पार्श्वजिन स्तवन, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (दोस्ती जुडी वे तु), २८१०५-५२
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पार्श्वजिन स्तवन, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मृपू., ( पासजी मन मान्यी) २८१०५-४४ पार्श्वजिन स्तवन, उपा. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु, गा. ७, पद्य, मूपु., (वामादे राणीनो नंदन ), २८१६०-५ (+) पार्श्वजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गुण गावो हो भवि जीवा), २८११४-११ पार्श्वजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पूजो जगनायक जिनराज), २८११४-१५ पार्श्वजिन स्तवन, मु. वसता मुनि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सेवकनी अरदास सूणीजे), २८१६६-६ पार्श्वजिन स्तवन, आ. विजयदेवसूरि, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (नीलकमलसम सोभति काया), २८४०८ पार्श्वजिन स्तवन, मु. विजयशील, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सकल मुरती श्रीपास), २९४९२-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. विजयहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( आज सफल अवतार असाडा), २८१६०–७(+#) पार्श्वजिन स्तवन, ग. शिवजी, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (वामानंदन वालहो रे), ३०००८-२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. शिवजी, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे. (सांभल शिवपुरगामी), २९९६०-१ पार्श्वजिन स्तवन, पं. शुभवीर, मा.गु., गा. ९, पच, म्पू., ( हितकर पासजिनेसर देव), २८७८७ पार्श्वजिन स्तवन, मु. श्रीधर, पुहिं, गा. ५, पद्य, मूपु., ( नीकी मूरति पास जिणंद), २८१६०-४२ (४) पार्श्वजिन स्तवन, मु. श्रीराय, मा.गु., गा. १३, पद्य, श्वे., ( पासजिनेसर पूरण आसा), ३००१८ - १(#$) पार्श्वजिन स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपु., (मति तंबोल भर्दा जसु ), २८४५४-२ (+) पार्श्वजिन स्तवन, पा. सदानंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मोरा पासजिनराय सूरत), २८१२९-४०(+) पार्श्वजिन स्तवन, मु. सुरससि, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (हां रे मेतो मुरति), २८२०८-१२
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पार्श्वजिन स्तवन, मु. हरखचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (निरमल होय भजले प्रभु), २८०९९ - ४९ (+), २८१०५-८२ पार्श्वजिन स्तवन, मु. हर्षचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (या सुंदर मुरति पासकी), २८९५४-४
पार्श्वजिन स्तवन, मु. हेतविमल, मा.गु., गा. ५, वि. १९वी, पद्य, मूपू., (श्रीपासजिणेसर पूजिइं), २९७२२-४(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, वे., (झाखंभली रे पारसवनाथ), २८११४-४
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (त्रेवीसम जिन ताहरौजी ), २८१६०-७६(+#), २८१०५-११
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (प्रणमुं श्रीजिणपास), २८८९१) पार्श्वजिन स्तवन, पुहिं., पद्य, मूपू., ( प्रभु श्रीपासकुमार ), २८१७८-१(३)
पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु, गा. ८, पद्य, मूपू., (सूरत प्यारी हो लागे) २८१२१-२ पार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सेरीमाहे रमतो दीठो), २९२११-२
पार्श्वजिन स्तवन- २४ दंडकविचारगर्भित, पा. धर्मसिंह, मा.गु., ढा. ४, गा. ३४, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (पूर मनोरथ पासजिणेसर), २८१२९-१७२(+४), २८१९५-९, २९७२८
पार्श्वजिन स्तवन- अंतरीक्ष मु. आनंदवर्धन, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूषू, (प्रभु पासजी ताहरो) २८२२९-१९
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2
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पार्श्वजिन स्तवन-अंतरीक्ष, मु. गजेंद्रसागर, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (श्रीअंतरिक्ष प्रभू), २९९६२-२ पार्श्वजिन स्तवन- अणहिलपुरगोडीजी प्रतिष्ठा महोत्सव, मु. प्रीतिविमल, मा.गु., डा. ५, गा. ५५, पद्य, भूपू (वाणी
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ब्रह्मवादिनी) २८१५०-१२, २९२४६
पार्श्वजिन स्तवन- अमीझरा, वा. रामविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( तमे जो जो रे भाई अजब), २८१३७-२६ पार्श्वजिन स्तवन- अष्टपदी, क. कमलविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( दिइ दिइ दोलति दीपती), २८३१५
पार्श्वजिन स्तवन-आध्यात्मिक भाव गीता, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (प्रह समें प्रणमीइं), २८६३१-३ पार्श्वजिन स्तवन- उजेणीपुरमंडण, मु. हरिष मा.गु., गा. ७१, पद्य, भूपू (पणमिय पास जिणंद), २८४५४- ११०)
"
"
पार्श्वजिन स्तवन- कलीकुंड, मा.गु., पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं कली), २८२६८-५(३)
पार्श्वजिन स्तवन- कल्याण, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु, (श्रीकल्याण प्रभु पास), २८२०८-६ पार्श्वजिन स्तवन-कापरडामंडन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अंग सुरंगी अंगीयां), २८०९७-३ पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. अनोपचंद, मा.गु., ढा. ८, वि. १८२५, पद्य, मूपू., (जिन वदन निवासनी), २७११९,
२८१९५ - २३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५५१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. ऋद्धिहर्ष कवि, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (जस नामे नव निध ऋद्धि), २८२४५-१० पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. कांतिसागर, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (आवो सहिअर सहु मिलि), २८१४६-१७(+),
२८१४७-२(+), २८१४२-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीगवडीपुरमंडण), २८१२३-३, २९९४७-५ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. खेम, मा.गु., गा. ५, वि. १७७०, पद्य, मूपू., (सहीया हे पास जिणेसर), २८१२९-१५९(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. गंगाराम, मा.गु., गा. ७, वि. १७९०, पद्य, श्वे., (अब म्हारा जिनजी हो), २८१६०-९(+#) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. चंद्र, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आज सुदिन दिन ऊगीयौ), २८१२१-४ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनभक्ति यति, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (श्रीगोडी प्रभु पास), २८१२९-५६(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ७, वि. १७८८, पद्य, मूपू., (गुणनिधि सेवौ गोडी), २८१२९-३३(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ७, वि. १७८८, पद्य, मूपू., (मूरति मोहनगारी मोनै), २८१२९-८५(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनसुख, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीगोडीपुर साहिबा), २८१२९-५७(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, पू., (गुण गिरूऔ गोडी धणी), २८१२९-६३(+),
२८१६०-६५(+#) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पीया सुंदर मूरति गुण), २८१२९-११६(+), २८१०५-४० पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मूरति मोहन वेलडी), २८१०५-४६ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जीतचंद, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (ॐकाररूप परमेश्वरा), २८२६८-७ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दानविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (आज सफल थयो अवतार हो), २९७९९-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दानसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रगट पूरतो रे पास), २९५३४-२ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. दीपचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (सुणज्यौ गोडीजी), २९८७३-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. धर्मसी, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मूरति मननी मोहनी सखी), २८१२९-५२(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. भक्तिविशाल, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (आज सफल दिन माहरो), २८१०५-४१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. भुवनकीर्ति, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (दीनदयाल दया करौ रे), २८१६०-३३(+#) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रतनसागर, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (श्रीगोडी प्रभु साहिब), २८१२९-१७६(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सोनानी आंगी हे सुंदर), २८१६४-८ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रुघपति, रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (आज सुहावो दीहडो में), २८१६६-४ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रुपचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पारकर देशमां परगडो), २९७७५-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. रूपविजय, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (पुरसादाणी पासजी थे), २८१२९-१८४(+$) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु.रूपविजय, रा., गा. ९, पद्य, मूपू., (रूडी रे साधूडारी), २८१२९-४९(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीगौडी प्रभु पासजी), २८१६०-२१(+#) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ५, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (गोडि प्रभू आया रे), २८२०८-७ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. वसता, रा., गा. १५, पद्य, श्वे., (जोर बन्यो जोर बन्यो), २८१२९-११२(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पं. विनयकुशल, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (समरू कविजन सारदा), २८१५५-४(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ४१, वि. १६६७, पद्य, मूपू., (वदन अनोपम चंदलो गोडि),
२८८९५(+s), २९४४१, २८२९९-१(६) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ३१+कल, वि. १६६७, पद्य, मूपू., (सारद नाम सुहामणु), २८२२९-६ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, श्रीचंद, पुहिं., गा. ९, वि. १७२२, पद्य, मूपू., (अमल कमल जिम धवल), २८०८६-४,
२८१०५-३९, २८२६५-७,३००१३-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. साधुहर्ष, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (वामानंदन वांदता आपो), २८१४२-९ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. सुबुधीविजय, मा.गु., गा. ८, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (मन मुरत मोहनगारी रे), २९१९५-२ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., पद्य, मूपू., (इणनै जिनवरनीजी जात), २८१२१-३(६)
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५५२
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., गा. ५, वि. १८७४, पद्य, मूपू., (श्रीगोडीचा पासजी मोन), २८२९४-१२(#) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., गा. २६, पद्य, भूपू., (सरसति सामण विनमु), २७७८४-२ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मा.गु., पद्य, मूपू., (सरसतीना चरणकमल करीजी), २८५४५-२(5) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी थलवटमंडन, मु. वस्ता, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सांभलि थलवट स्वामि), ३००१३-३ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी बिठोरामंडन, मा.गु., पद्य, श्वे., (प्रगट्यो गोडी पासजी), २८११४-६ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी विठोडा, मु. सुखलाल, रा., गा. ९, वि. १९३९, पद्य, मूपू., (वडारे विठोरा वाहिरे), २८१७१-८(+) पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. उदय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीचिंतामणदेव दिलडे), २८२३५-१ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. कनकमूरति, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (एक अरज अवधारीयैरे), २८१२९-१६५(+) पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, क. केसर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अरज असाढी सुणिवे), २८१०५-६१ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. मनोहर, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (बे कर जोरी वीनवू), २८१०४-५ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (जिनपति अवनासी कासी), २९८८०-१ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सदा गुण गावो रे मोटा), २८११४-३ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. विनयलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सामलवरण सोहामणो सखी), २८१०५-४९ पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आणी मनसुध आसता देव), २८१०४-१६,
२८२२९-२०, २८२४५-४, २८३६७(#, ३००१८-३(#) पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. सुखलाभ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीचिंतामणि पासजी), २८१०५-४५ पार्श्वजिन स्तवन-चुलेर, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (श्रीचोलेरपास जुहारीइ), २८०८६-७ पार्श्वजिन स्तवन-जिनप्रतिमास्थापनगर्भित, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनप्रतिमा हो जिन),
२८८२८-५ पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ३८, पद्य, मूपू., (जीराउलि मंडण श्रीपास), २८५२९(+),
२८२२९-१८ पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मा.गु., गा. ४४ कड, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (जीराउलि राउलि कयनिवा), २९५६३-१ पार्श्वजिन स्तवन-दीवबंदर नवलखा, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनवर हो जिनवर मुझ), २८४१८-१ पार्श्वजिन स्तवन-नवखंडा घोघाबंदर, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. १०, वि. १८५६, पद्य, मूपू., (श्रीमनमोहन साहिब),
२८२६५-११ पार्श्वजिन स्तवन-नारंग, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ९, वि. १८८३, पद्य, मूपू., (प्रभूजी नारंग पास), २८२०८-१० पार्श्वजिन स्तवन-पंचकल्याणक, मु. विवेकविजय, मा.गु., ढा. ६, पद्य, मूपू., (परमजोत परमातमा परम), २८११०-५ पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीपंचासर पासजिनेसर), २९०६८-४ पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, क. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (परमातम परमेश्वरु), २८२०८-५, २८६११, २९११८ पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (छांजि छांजि छांजी), २८२७८-३६ पार्श्वजिन स्तवन-पंचासरा, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीवर पाटण सहिर), २९५२८-३ पार्श्वजिन स्तवन-पल्लविया, मु. रंग, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (परम पुरुष परमेसरु), २९०४४-१ पार्श्वजिन स्तवन-पाटण पंचासरा, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (हे साहीब मेहेर करीने), २८२०८-९ पार्श्वजिन स्तवन-पुरिसादानी, मु. लाभवर्द्धन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सुखकारी हो साहिब), २८१६०-४३(+#) पार्श्वजिन स्तवन-पुरुषादानी, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पुरसादाणी सांवल वरणो), २८२७८-३९ पार्श्वजिन स्तवन-प्रभाती, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सारद वदन अमृतनी वाणी), २८२३६-३, २८२५६-६ पार्श्वजिन स्तवन-प्रभाती, मु. लाभउदय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (उठो रे मारा आतमराम), २८०९९-२९(+), ३००१२-२ पार्श्वजिन स्तवन-प्रातिहार्याष्टक, मु. लक्ष्मीवल्लभ, मा.गु., गा.५, पद्य, मूपू., (त्रिभुवन जन मन मोहन), २८१६०-१६(+#) पार्श्वजिन स्तवन-फलवर्द्धि, मु. अभयसोम, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सरसति माता सेवकां), २८२८७-५ पार्श्वजिन स्तवन-फलवर्द्धि, ग. लखमीसमुद्र, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (फलवधि पास जुहारीयेजी), २८१०५-३७
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५५३ पार्श्वजिन स्तवन-फलवर्द्धि, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (फलवर्द्धिमंडण पास), २८१६०-७२(+#) पार्श्वजिन स्तवन-फलवृद्धि, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (परतापूरण प्रणमीइ अरि), २८१११-२, २८२२९-२१ पार्श्वजिन स्तवन-बाललीला, मु. जिनचंद्र, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सुरगिरि शिखरे ने), २८१५९-२२ पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन, वा. उदयरत्न, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (स्या माटे साहिब सामु), २८३८४-२, २९९६०-२ पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन, मु. उदय, मा.गु., गा. ५, वि. १७७८, पद्य, मूपू., (श्रीभीडभंजन प्रभु), २९४५६-२ पार्श्वजिन स्तवन-भीलडीयाजी, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ७, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (श्रीभिलडीया पास भेट), २८२०८-८ पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन, मु. पुण्य, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (जिन से नेह बन्यो स), २८२७२-१४१ पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मनमोहन पावन देहडीजी), २८२७८-३७ पार्श्वजिन स्तवन-मनमोहन-बर्हानपुर, क. कमलविजय, पुहिं., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीबर्हानपुरालंकारा), २८५४६ पार्श्वजिन स्तवन-लघु, मु. वसतो, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (त्रिभुवन साहिब सांभल), २८२६३-१२(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुरचिंतामणि, मु. धर्ममंदिर, मा.गु., गा. ६, वि. १७३०, पद्य, मूपू., (सामि सोभागी सांभलो),
२८१२९-१७(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, मु. चंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (लोद्रपुरे रलीयामणो), २८१२९-६०(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., गा. ८, वि. १७४३, पद्य, मूपू., (पासजिणेसर पूजीयै रे),
२८१६०-८२(+#) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सगुण सहेजा जाहो), २८१२९-९१(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ८, वि. १६८१, पद्य, मूपू., (लोईयपुरइ आज महिमा घण),
२८१२९-१३५(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुर, मु. हरखनिधान, मा.गु., गा. ६, वि. १७४४, पद्य, मूपू., (प्रह सम पूजो पासजी), २८१२९-१६(+) पार्श्वजिन स्तवन-लोद्रवपुरचिंतामणि, पंन्या. जयसार गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (लोद्रपुरौ रलीयामणो), २८१२९-१८५(+) पार्श्वजिन स्तवन-वटप्रदमंडन चिंतामणि, मु. गुणसागर, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (जय जय गुरु देवाधिदेव), २८२९८-४५(+) पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वरकाणापुर राजीया), २८१२९-३०(+) पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ७, वि. १७९१, पद्य, मूपू., (श्रीवरकाणे वरवंदीयै), २८१२९-३१(+) पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनहर्षसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (काइ रे जीव तुं मन), २८२४५-६, २८२५६-९ पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, मु. शिवचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जयजय श्रीजिनराय), २८१६४-१३ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आप अरुपी होय नय प्रभ), २८१६४-१०, २९२७६-१ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयरत्न, मा.गु., गा.१०, वि. १७८०, पद्य, मूपू., (पासजी तोरा पाय पलकने), २८०८६-१ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयविजय, मा.गु., गा. ३६, पद्य, मूपू., (सकल मंगल तणी कल्प), २८१६७-१९,
२८६३१-४, २९६९२ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयविजय, मा.गु., गा. १३६, पद्य, मूपू., (--), २९११५(+$) पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, ग. कुंअरविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (प्रह उठी प्रणमे), २८२२९-२८, २८५८७-२,
२८६८० पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, जगरुप, रा., गा. ६, पद्य, श्वे., (वामासुत म्हानै लागै), २८१०५-६३ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीशंखेश्वर पासजिन), २८०९९-११(+),
२८१२९-९६(+), २८१६०-७३(+#), २९९९४-३ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. धीर, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (अजब ज्योत हेरी जिन), २८१५९-८ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (भवि तुमे वंदो रे), २९२४५-२ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. पद्मविजय, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीशंखेश्वर गाम), २८२८६-९(-) पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. भक्तिविशाल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसंखेश्वर साहिबो), २८१०५-४२ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (आज अनोपम मुरत माहरे), २८२७८-३४
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५५४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मृपू., ( रहिनें रहिनें रहिनें), २८२७८-३५ पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (समय समय सो वार संभार), २८५४५-१ पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (तारां नवनां रे प्याल), २८२७२-१३८ पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. वसता, मा.गु., गा. ७, वि. १७६५, पद्य, मृपू., (सुगुण सनेही हो पास), २८४३९-२ पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, आ. विजयराजसूरि, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (प्रणमीय परमगुरु पाव), २८५८७-१ पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. विनयशील, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सकल मुरत श्रीपास), २८३९७-२(+), २८२२९-२४ पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. १४, वि. १८७७, पद्य, मूपू., (सुणो सखि संखेश्वर जइ), २९७३७ - १(+) पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वर, मु. शांतिविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (श्रीसंखेसरपासजी), २८१४७-१३(+) पार्श्वजिन स्तवन- शंखेश्वरमंडन, मु. देवविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (प्रभु पूजो पासजिनंदा), २७६९९-२ पार्श्वजिन स्तवन- शामलीया सम्मेतशिखर, मु. खुशालचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, खे, (तुम तो भले विराजोजी), ३००१६-२ पार्श्वजिन स्तवन-समवसरणविचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., ढा. २, गा. २७, पद्य, मूपू., (श्रीजिनशासन सेहरो जग ),
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२८१२९-२ (+), २८२४४-१, २९०४०, २९०६५
,
पार्श्वजिन स्तवन- सहस्रफणा, मा.गु., गा. १३, पद्य, मृपू., (लल जलती मीली ते घणुं), २८१९५-२७ पार्श्वजिन स्तवन - सारंगपुर, मु. मणीउद्योत, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सजनी मोरी पाशजिण), २८२०८-११ पार्श्वजिन स्तवन- स्तंभनतीर्थ, वा. कुशललाभ, मा.गु., डा. ५, गा. १८, पद्य, भूपू (प्रभु प्रणमु रे पास), २९९४८ पार्श्वजिन स्तवन- स्तंभनतीर्थ, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सकल मूरत त्रेवीसमो), २९२३३-४ पार्श्वजिन स्तवन-स्तंभनतीर्थ, मु. भुवनकीर्ति, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (तूं ज्ञानी तुझनै कहू), २८१६०-८८(+#) पार्श्वजिन स्तवन- स्तंभनतीर्थ, मा.गु., गा. १६, पद्य, मृपू., (थंभणपुर श्रीषास जिणं), २८२४५-८ पार्श्वजिन स्तवन- स्थंभनतीर्थ, मु. जिनसुख, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (वामानंदन सिव पथ), २८१२९-११७/*) पार्श्वजिन स्तवन- स्थंभनतीर्थ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सकल मूरति सामी थंभणो), २८१२९-८०(+) पार्श्वजिन स्तवन- होरी, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (खेलि खेलि चेतन वसंत), २८२७२-२३ पार्श्वजिन स्तुति, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अश्वसेन नरेसर वामा), २९९४१-८ पार्श्वजिन स्तुति, ग. तत्त्वविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मृपू., (श्रीपास जिणेसर भुवन), २८२७७-२६ पार्श्वजिन स्तुति, वा. देवविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सकल सुरासुर सेवे), २८२७७-४० पार्श्वजिन स्तुति, मु. धीरविमल शिष्य, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सतर सहस्स गुज्जरधर), २८१८१-१२ पार्श्वजिन स्तुति, मु. पुण्वरुचि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु., (श्रीपास जिणेसर पुजा), २८२०० -५ (३) पार्श्वजिन स्तुति, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., सवै. ३, पद्य, दि., (करम भरम जग तिमर हरन), २८१०५-९३ पार्श्वजिन स्तुति, मु. भाणविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु., (परम प्रभु परमेश्वर), २८२७७-४२ पार्श्वजिन स्तुति, मु. मानविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वामानंदन जगजन वंदन), २८२७७-३९ पार्श्वजिन स्तुति, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पासजिणंदा वामानंदा), २८७१७- २ (+), २९३८४-२ पार्श्वजिन स्तुति- घोघाविंदरमंडन नवखंडा, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपु., ( घोघाबिंदर गुणमणि), २८६०५-७ पार्श्वजिन स्तुति - चिंतामणि, मु. कीर्तिसागर, मा.गु., गा. ५, वि. १८८४, पद्य, मृपू., (अहो पूरव पुन्य उदय), २९८७७-२ (+) पार्श्वजिन स्तुति - चिंतामणि, मु. कीर्त्तिसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुगुण साहिब वीनती), २९८७७-३(+) पार्श्वजिन स्तुति- जीरावला, मु. वीरमुनि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( पास जीरावलो पुजी), २८२२१-२०, २८२७७-४१ पार्श्वजिन स्तुति - पौषदशमीतिथि, आ. उदयसमुद्रसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू, (जय पास देवा करूं), २८२९४ - २(क) पार्श्वजिन स्तुति-भीलडीपुरमंडन, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( भीलडीपुर मंडण सोहिए), २८२७७-४८ पार्श्वजिन स्तुति - मगसी, मु. विजयदेव, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., ( मगसीमंडण पासजिणेसर), २८१२०-१५ (+) पार्श्वजिन स्तुति - मलकापूरमंडन, मा.गु., गा, ४, पद्य, मूपु, (गलकुंड पसि मलकापूर), २८१२०-१७(क) पार्श्वजिन स्तुति-लोडण, मु. हर्षविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (लोडणमूरति मोहनगारी), २८२७७-५५ पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, मु. गुणविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीपासजिणेसर वंदीइ), २८२८२-८(#)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
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पार्श्वजिन स्तुति - शंखेश्वर, मु. महिमारुचि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (शंखेसर पास जिणंद), २८२००-१३ पार्श्वजिन स्तुति-शंखेश्वर, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु., (प्रणमो भविका भाव) २८२७७-३८, २८४२५-३ पार्श्वजिन स्तुति - सादडीमंडन, मु. वल्लभसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू, (सादडीये पासजीणंद सोह), २८२७७-४३ पार्श्वजिन स्तुति - सूरतमंडण, मु. हितविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सुरतिमंडण पासजिणेसर), २८११०-२ पार्श्वजिन स्तोत्र - गोडीजी, वा. उदयविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मृपू., (श्रीजिनमुख पंकज), २८२२९-२ पार्श्वजिन स्तोत्र - जीराऊला, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (महानंद कल्याणवल्ली), २९१९७-१
पार्श्वजिन स्तोत्र - शंखेश्वर, मु. मेघराज, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीसकल सार सुरतरु), २८२२९-२३, २९८२० पार्श्वजिन होरी, मु. रत्नसागर, पुहिं, गा. ७, पद्य, मूपू, (रंग मच्यो जिनद्वार), २८७७० - २ (०), २८०९७ ९, २८२७२-५३ पुंडरिककंडरीक सज्झाय, मा.गु., डा. २, गा. ३५, पद्य, क्षे., ( कुंडरीक रीद्ध तज), २९३१६
पुंडरीकगणधर चैत्यवंदन, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपु, ( आदीश्वर जिनरावनो), २९२३४-५ पुंडरीकगणधर स्तवन, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( आज सफल दिन उम्बो हो), २८२०८-२३ पुण्यछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३६, वि. १६६९, पद्य, मूपू., (पुण्यतणां फल परतखि), २८२६२-२, २९१६०-१(३)
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पुण्य पच्चीसी, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. २९, वि. १८३५, पद्य, वे. (पोते पुन्य ऊवे जेहने), २८२६३-३१(+) पुण्यपाप अवस्था वर्णन, पुहिं., गा. ६, पद्य, वे., (--), २८२०९-५
२८२२५ - १, २८२५१-४, २८७७१-१
पुण्यफल सज्झाय, मु. कवियण, पुहिं., गा. २२, पद्य, भूपू., (दया निरसींगो बाजीयो) २८२२६-३६ पुण्यसागरसूरि गहुली, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( प्रणमी सरसती मात नमी), २८२३५-४
पुण्यपाप सज्झाय, मु. लावण्य, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (समरु सरसति सामणीजी), २८१२९ - १८० (+)
पुण्यपाप सज्झाय, मा.गु., ढा. २, पद्य, मूपू., (चारंगत में भटकता), २८२८८-२८
पुण्यप्रकाश स्तवन, उपा. विनयविजय, मा.गु., ढा. ८, गा. १०२, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (सकल सिद्धिदायक सदा), २७५१६,
पुद्गलपरावर्तन विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (द्रव्य क्षेत्र काल), २९५५०
पुलपरावर्त्त निरूपण, मा.गु., गद्य, म्पू, (अनंती उत्सर्पिणी), २८४७६
पुद्गलममता पद, मु. दोलत, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (पुद्गल की ममता दुख ), २८२६४ - ५९
पुरोहितपुत्र सज्झाय, उपा. सहजसागर, मा.गु., डा. ३, वि. १६६९, पद्य, मूपू., ( सहज सलीणा हो साधजी), २८५६९(+)
,
पूजाष्टक, मु. अमृतधर्म, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (शुचि सुगंध वर कुसुम), २८२४७-२
पृथक्तवितर्क विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (नाना प्रकार नय विचार), २८२६१-३
पृथ्वीचंद्र अने गुणसागरनी सज्झाय, मु. जीवविजय, मा.गु., डा. ३, पद्य, म्पू., (शासननायक सुखकरु वंदी), २८२१६-४ पौषदशमीपर्व स्तुति, मु. राजविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( पोस दसम दीन पार्श्व), २८२७७-५७
पौषधविधि स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ५, गा. ३८, वि. १६६७, पद्य, मूपू., (जेसलमेर नगर भलो जिहा),
२८१९५ - १८
पौषधव्रत सज्झाय, मु. विनयचंद ऋषि, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., ( व्रत इग्यारमो आदरो), २८२५२-१३ प्रतरयंत्र संग्रह, मा.गु., को. भूपू., (), २८२३८-८
प्रतिष्ठा सामान सूचि, मा.गु., गद्य, मूपू., (चोखंडी सोनामोर नं. १ ), २८१२६-४
प्रत्याख्यान ४९ भांगा, मा.गु., गद्य, मूपू., (मनई न करूं वचने न), २८२३१-१
प्रत्याख्यान विचार, उपा. विनयविजय, मा.गु., डा. २, गा. १७, वि. १७३, पद्य, म्पू, (धुरि समरुं सामिणी), २८४२७- १,
२८५५७
प्रत्याख्यान सज्झाय-दुविहार, मु, मानविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (पहिला प्रणमी सरसति), २८४६२ प्रदेशीराजा चौपाई, क्र. जैमल, मा.गु., डा. २२, वि. १८७७, पद्य, स्था., ( तिणकालने तिणसमै जंबू), २७२३९ प्रदेशीराजा सज्झाय, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गा. ५२, पद्य, मूपू., (प्रणमुं श्रीजिणपास), २८२९८ - ४३(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ प्रभंजना सज्झाय, ग. देवचंद्र, मा.गु., ढा. ३, गा. ४९, पद्य, मूपू., (गिरि वैताढ्यने उपरे), २८१६७-१३, २८८०४,
२९०३१-१, २८४३२-१(६) प्रभाती कडखो, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पूरव दिसि जिन भणी), २७३८७-३(+#) प्रभाती गहुंली, मु. दीपविजय, रा., गा. ९, पद्य, मूपू., (आजो रे बाई आजो रे), २८८९३-२ प्रभुदर्शन पूजन फल चैत्यवंदन, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (प्रणमुं श्रीगुरूराज), २८११८-५(+),
२८१७५-१९, २८२९६-६ । प्रभुभक्ति पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद. ४, पद्य, मूपू., (जिनवर देखै द्रगन सुख), २८०९९-४६(+) प्रभुभक्ति पद, मु. रूपचंद, पुहिं., पद. ५, पद्य, मूपू., (प्रभु की लगन नही जिय), २८०९९-९०(+) प्रश्नावली, पुहिं., गद्य, श्वे., (अब ध्वजादि संज्ञा को), २७२०८-२ प्रश्नोत्तर संग्रह, मा.गु., प्रश्न. ३२, गद्य, मूपू., (नवकार मांहि पहिला पद), २८२६१-९ प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (प्रणमुं तुमारा पाय), २८१६८-१९, २८२९४-१०(#) प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, मु. लक्ष्मीरत्न, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (राज छोडी रलीयामणो), २८९७९-३ प्रसन्नचंद्रराजर्षि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मारगमां मुनिवर मल्यो), २८१२८-३ प्रस्ताविक दूहा संग्रह, मा.गु., गा. ५, पद्य, ?, (प्रीतो करि पाछा खस्य), २९५१२-२(+) प्रस्ताविक सवैया, मा.गु., पद्य, वै., (व्रज व्रजयं बगलि में), २८१२४-२ प्रहेलिका संग्रह, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (पवन को करें तोल गगन), २८१२३-४, २८२७२-८ प्राणातिपातविरमणव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सकल मनोरथ पूरवे रे), २८९८०-१ प्रासाददंड प्रमाण, मा.गु., पद्य, मूपू., (चंदण खेर सीवण वंश), २८१२६-२ प्रास्ताविक कवित संग्रह, पुहिं., पद. ११, पद्य, श्वे., (माता पिता जुवती सुत), २८१०५-१०० प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पुहि., गा. २५, पद्य, (प्रीतिकाज छंडिजै), २८३१६-२(+), २८८९३-४, २९४४६-२ प्रास्ताविक दूहा संग्रह, मु. उदैराज, पुहिं., पद्य, श्वे., (जो जीय मै जाणै नही), २८१०५-९२ प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., गा. ७, पद्य, वै., (एक गोरी दुजी सामलि), २८१२४-५, २९०५५-२ प्रास्ताविक दोहा संग्रह, मा.गु., गा. ७१, पद्य, श्वे., (पडिवन्नइ माछा भला बग), २८३९२-४(+), २८३६९-१ प्रास्ताविक दोहा संग्रह *, मा.गु.,रा., गा. २५, पद्य, (बुरी प्रती भमर की), २८०९९-८६(+), २७२६३-२, २८१०४-६,
२८८२०-९, २९०११-३ प्रास्ताविक पद, मा.गु., पद. ५, पद्य, श्वे., (श्रीलोहरडीरो रणकोरे), २८१४६-२४(+) फुलडा सज्झाय, पुहि.,रा., गा. २२, पद्य, मूपू., (बाई रे कोतिग दीठ), २८३८७(+) (२) फुलडा सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीमहावीरना निर्वाण), २८३८७(+) बलदेव सज्झाय, मु. सकल, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (तुगीआगीर सीखर सोहे), २८१६८-२४ बलभद्र कृष्ण सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (द्वारकानगरथी नीसर्या), २९४९१, २९३५०-२($) बलभद्रमुनि सज्झाय, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., गा. १४, पद्य, श्वे., (मासखमणने पारणे तपसी), २८२७९-११ बारमासी सज्झाय, मा.गु., पद्य, श्वे., (चेतको चतुर नर वेसाख), २८१०४-२ बारव्रत सज्झाय, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. २२, पद्य, मूपू., (श्रुत अमरी समरी), २८२८५-२८ बारसतिथि स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जे बारसने दिने ज्ञान), २९०९६-२ बाराक्षरी छंद, दत्तलाल, मा.गु., गा. ३४, पद्य, वै., (कका केवल ग्यान भज), २८२५०-३० बाराक्षरी छंद, पुहि., गा. ७७, पद्य, श्वे., (प्रथम नमो अरिहंत को), २९४४२-१ बालअज्ञानतप कवित्त, मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (शुद्धज्ञान बिना तप), २८८२०-३ बालचंदजी महाराज लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (मनालालजी के इग्याकार), २८२१९-४ बालमरण के १२ प्रकार, मा.गु., गद्य, मूपू., (वलयमरणे १ वसङ्घमरणे), २७८७०-२ बाहुजिन फाग, मु. न्यायसागर, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (परणे रे बाहू रंग), २८२७२-४९, २९०६८-१
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५५७ बाहुबलि गीत, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (तक्षिशिला नगरीइं आवी), २८२४६-६(+) बीजतिथि चैत्यवंदन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (दुविध धर्म जिणे), २९९२९-४ बीजतिथि सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (बीज कहे भव्य जीवने), २८६०३-१, २८२८६-१(-) बीजतिथि स्तवन, पंन्या. गणेशरुचि, मा.गु., गा. १९, वि. १८१९, पद्य, मूपू., (श्रीश्रुतदेवि पसाउले), २८१६७-२६ बीजतिथि स्तुति, मु. गजाणंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (उजवालि बीज सुहावे रे), २८१२०-१०(+) बीजतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (बीज जिनधर्मर्नु बीज), २८१८१-४ बीजतिथि स्तुति, आ. नयविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जंबूद्वीपे अहनीस), २८१२०-२(+) बीजतिथि स्तुति, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (दिन सकल मनोहर बीज), २८१२०-७(+), २९९७५-२(+),
२८१९६-८, २८२०८-१९, २८२७७-३, २८२८०-३, २८२९०-२, २८४९०-५, २९८७९-१, २९९४१-१७,
२८७३३-३(s), २८१३९-१(-) बुढ़ापा रास, मु. चंद, रा., ढा. २२, वि. १८३६, पद्य, मूपू., (दयाज माता वीनवु गणधर), २८१२३-१ बुढ़ापा सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (सुगुण बुढापो आइयो), २८२८८-१७ बुढापा सज्झाय, मु. मांगीलाल, पुहि., गा. ७, पद्य, श्वे., (बुढा वालम करे), २८९३८-१ बुढापा सज्झाय, मा.गु., गा. ५४, पद्य, श्वे., (केई बालपणै समझ्या), ३००२९(+) बुढापा सज्झाय, रा., गा. २९, पद्य, श्वे., (दुर्लभ मनुष्य जमारो), २८२६३-३६(+) बुद्धिरास, आ. शालिभद्रसूरि, मा.गु., गा. ६२, पद्य, मूपू., (प्रणमुं देवी अंबाई), २८१२९-३५(+$), २८३१८-१(+),
२८२०७-१(६) बोल संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (पांच मिथ्यात्वना), ३०००४ ब्रह्मउपदेशपच्चीसी, पुहिं.,गा. २८, पद्य, श्वे., (--), २८२०९-१(६) ब्रह्मबावनी, मु. निहालचंद, पुहिं., गा. ५२, वि. १८०१, पद्य, मूपू., (ॐकार अपार परमेश्वर), २९८६६($) ब्राह्मीसुंदरी सज्झाय, मु. रायचंद, रा., गा. २१, वि. १८४३, पद्य, श्वे., (रिखभ राजा रे राणी), २८२६३-८५(+) भक्तामरस्तोत्र भाषा, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. ४५, पद्य, श्वे., (अमर मुगट मणि कृत), २८२५६-८ भरतचक्रवर्ति सज्झाय, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (भरतजी भूप भये वैरागी), २८२८८-३ भरतचक्रवर्ती सज्झाय, मु. ऋषभदास, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (जंबू भर्त मझार इंद्र), २८२६३-३४(+) भरतबाहुबली सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (--), २८८९३-१ भरतबाहुबली सज्झाय, मु. विमलकीर्ति, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (बाहुबल चारित लीयो), २८२६३-४९(+), २८०९७-६ भरतबाहुबली सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (राजतणा अति लोभीया), २८१६०-३(+#),
२८१६८-५, २८१६९-३, २८१७७-५, २८२२६-५, २८७६८, २९०६४-३, २८१३९-२२(-) भरतमहाराजा कीर्ति कवित्त, मा.गु., पद्य, मूपू., (सरसति सामिण तुझ पाए), २८३२१-२(+$) भरतमहाराजा सज्झाय, मु. वर्द्धमान, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (त्रीजे जि आरे स्वामि), २९३६५-१ भरतमहाराजा सज्झाय, मु. हीरालाल, मा.गु., गा. ११, वि. १९४५, पद्य, श्वे., (मुगतपद पाया हो भरतेस), २८१८५-३२ भरतसाधुसज्झाय, मु. न्याय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (--), २८३७५-२($) भर्तृहरी धमाल, पुहिं., गा. १४, पद्य, वै., (तुम्ह रहो रहो राजा), २८२६४-५५ भलेनो अर्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रभु नीशाल बैठा), २८८८१ भवानीदेवी घघर निसाणी, भवानी, मा.गु., गा. १६, पद्य, वै., (खेजडले थान भवानी), २८१२७-११(+) भवितव्यता पद, मा.गु., गा. १०, पद्य, वै., (राजा रामचंद्र स«उ), २८२९८-२७(+) भवियकुटुंब चरित्र, मा.गु., गा. ८९, पद्य, मूपू., (आदिपुरुष अरिहंत अनंत), २८३१०(+) भाग्यप्रबल पद, कबीर, पुहिं., पद. ५, पद्य, वै., (नही वन जोग सखीरी), २८२५०-६ भाग्यप्रबल पद, ज्ञान, पुहिं., पद. १, पद्य, वै.?, (दाम निमित्त चले पर), २७३५८-२ भाव ६ मुल५३ उत्तर प्रकृति विचार, मा.गु., को., मूपू., (--), २९१८५
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भावछत्रीसी, मु. ज्ञानसार, मा.गु., गा. ३९, वि. १८६५, पद्य, मूपू., (क्रिया अशुद्धता कछु), २८१८०-११ भावना द्वार, मा.गु., गद्य, भूपू (--), २७६९७(+)
भावना स्वाध्याय, मु. कुशलसंयम, मा.गु., गा. १३, पद्य, मृपू., (पाय प्रणमी रे भगति), २८२९८- ३ (+)
भीलडी आख्यान, असमाल, मा.गु., गा. ८३, पद्य, वै., (--), २८१२७-१ (+$)
भीलडी सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपु., (सरस्वती स्वामीने), २९४८२ - १
भूखप्रभावदर्शक सवैया, पुहिं., पद. १, पद्य, वै., (भुख कुलीन करें), २८८२९-३
भेरी सज्झाय, ऋ. रायचंद, मा.गु., डा. ९, वि. १८४३, पद्य, वे., (शांतिनाथनै सीमरीये), २८२६३-५७(+)
मंगल दीवो, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (दीवो रे दीवो मंगलिक), २८६१० मंत्र संग्रह*, मा.गु., गद्य, वै., (लीली बलकी तुंबडी), २८७०७-२ मंत्र संग्रह *, मा.गु., गद्य, ?, (--), २९०८३-५
भैरवजी छंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (गाजे गागदा गिगन गोम), २८१२७-६(+)
भैरवजी स्तोत्र - रतनपुरीमंडन, मु. गोविंद, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (करणभीर जन रिद्धिकरण ), २९५६०-१ भोजराज कथा, मा.गु., गद्य, मूपु., (एकदा समयने विषइ भोज), २९५२४-३ (५)
मणिप्रभपद्मरथ दृष्टांत, मा.गु., गद्य, श्वे., (हिवै तिहां चऊनाणी), २७६०६-२ मणिरथमदनरेखा रास, मा.गु., गा. १६६, पद्य, वे., ( - - ), २७६०६ - १
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
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मतमतांतर पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (औधू जिन मत जग उपगारी), २८१८०-२२ मतिज्ञान स्तवन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा, ६, पद्य, मूपु, (प्रणमो पंचमी दिवसे), २८६६०-२ मदनपाल लावणी, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अबे के मदनपाला वे), २८३०९ मदनरेखासती सज्झाय, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (लघु बंधव जुगवाहूनो), २८३१६ - १(+), २९७८६-२,
२९७८७-२
मदालसापुत्र सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (भरतक्षेत्र माहे भलो) २८१२९-१५३(+)
मधुबिंदु सज्झाय, मु. चरण प्रमोद शिष्य, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपु., (सरसति मुझने रे मात), २९७९१२-३ (०), २८१७२-९, २९०२६- २. २८२८६३)
मनकमुनि सज्झाय, मु. लब्धि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., ( नमो रे नमो मनक), २८१६८-२०, २८२६०-४ मनगुणतीसी सज्झाय, मु. गुणसागर, मा.गु., गा. २९, पद्य, म्पू., (जीवडा म मेले रे ए), २८२५०-२६ मनने जीतवानी सज्झाय, मु. आनंदघन, पुहिं, गा. ५, पद्य, भूपू., (मनाजी तुं तो जिन), २८१७५-१५, २८१८२-४ मनपंखीया सज्झाय, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (रे मन माहरा म पडि), २८१६०-३५ (+#)
मनमांकड सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (मन मांकडलो आण न माने), २८१६८-१६, २८१६९-११
मनहरण कवित्त, पुहिं., पद. १, पद्य, श्वे., (चंदजन जान शोभत है), २८८२०-५
मनुष्यभव १० दृष्टांत सज्झाय, वा. गुणविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मृप., (प्रणमी परमेसर वीर), २८१५५- ३(+), २८३९१-२ (०)
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मनुष्यभवसार्थकता सवैया, मु. भजूलाल ऋषि, पुहिं., सवै. ८, पद्य, श्वे., (पाइ है मनुष्य देह), २८८२०-१ मनुष्यभव स्वाध्याय, मा.गु., गा. १५, पद्य, वे., (मिथ्यामति भस्यो बहु), २८२९८-४४१०) मनोरथमाला, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनवर वाणी मनि घरी) २८१०० - ३(०)
मन्नालाल लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहिं, गा. ६, वि. १९६०, पद्य, वे., (मन्नालालजी महातपधारी), २८२१९-२ मयणासुंदरीसती सज्झाय, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सरस्वती माता मया करो), २९८८७-१ मरुदेवीमाता सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (एक दिन मरुदेवी आई), २८७१२-२ मरुदेवीमाता सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. १६, वि. १८५०, पद्य, वे (जंबुदीपै हो भरत), २८२६३ - ८२(*) मरुदेवीमाता सज्झाय, मु. रायचंद, मा.गु., गा. १३, वि. १८३७, पद्य, श्वे., (नगरी वनीतां भली वीर), २८२५२-१९ मरुदेवीमाता सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (मरुदेवीमाता इम भणिइ), २८३७९
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
मल्लिजिन केवलज्ञान स्तवन, मा.ग.,गा. ९. पद्य, मप.. (प्रह उठीनई प्रणम). २९४८४-४ मल्लिजिन जन्मोत्सव स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मल्लि जिणेसर ध्याउं), २९४८४-२ मल्लिजिन दीक्षा स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मल्लि जिणेशर चारित्र), २९४८४-३ मल्लिजिन पद, पुहि., गा. २, पद्य, मूपू., (दधि सुत वर्ण वीराजता), २८२७२-२९ मल्लिजिन स्तवन, मु. कुशललाभ, मा.गु., ढा. ५, वि. १७५६, पद्य, मूपू., (नवपद समरी मन शुद्धे), २८१९५-२४, २८२९९-४ मल्लिजिन स्तवन, मु. केशवजी, मा.गु., ढा. ८, गा. ५८, वि. १७४६, पद्य, श्वे., (श्रीपरमेश्वर प्रणमीइ), २९३४५ मल्लिजिन स्तवन, मु. न्यायसागर, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (चीत कुंण रमे चित कुण), २८२७२-१०७ मल्लिजिन स्तवन, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (त्रिभुवन प्रभुरे), २८२५०-४३ मल्लिजिन स्तवन, उपा. मेरु, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (मन माहरइ आणंद अतिघणु), २९७४६-२(+) मल्लिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (मल्लिनाथ महाराज), २८९१८-२ मल्लिजिन स्तवन, मु. रायचंद, मा.गु., गा. ८, वि. १८२७, पद्य, श्वे., (जयंत वीमाण थकी), २८२६३-९३(+) मल्लिजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिन अभिनव आंबो मोरीय), २८१३७-१६ महादंडक विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (हिवै एकै समै मोक्ष), २७४५६ महायशजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (आत्मप्रदेश रंगथल), २८८०६-२(+), २८२७२-४८,
२८१३७-३०(5) महावी-रआदिजिन स्तुति-राजनगरमंडन, मु. खिमाविजय, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (राजनगर महावीर जिणंदा), २९६०४-३ महावीरजिन २७ भव वर्णन, मा.गु., गद्य, मूपू., (अथ हिवइ श्रीमहावीरस), २८८५५-१, २९०६९ महावीरजिन गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (जी रे जिनवर वचने), २८७७४-२ महावीरजिन गहुली, आ. दीपविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चालो सखि वंदनने जइये), २८२८९-७ महावीरजिन गहुंली, मु. मणिउद्योत शिष्य, मा.गु., गा. ८, पद्य, श्वे., (सजनि मेरी गुणसिल वन), २८९६७-२, ३००१४-६ महावीरजिन गहुंली, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (नयरी विशाला उद्यानमा), २८१७९-५ महावीरजिन गहंली, पं. वीरविजय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (राजग्रही वनखंड वीचाल), ३००१४-३ महावीरजिन गहुंली, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (गुरु मारो दीइं छे), २८६७१-१ महावीरजिन गहुंली, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रभु मारो भोग करम), २९३५६-२ महावीरजिन गहुंली, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (महावीरजी आवी समोसर्य), ३००१४-९ महावीरजिन गहुंली, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सखी सरसती भगवती माता), ३००१४-१० महावीरजिन गहुंली, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सहीयर सुणीइं रे), ३००१४-११ महावीरजिन गीत, मु. कनककीर्ति, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वीरजी हूंबांभण धन), २८१६०-४४(+#) महावीरजिन गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (अहनिसि वंदौ भावसु), २८१६०-६२(+#) महावीरजिन गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वीर जिणेसर वंदीयै), २८१६०-६१(+#) महावीरजिन गीत, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वीरजी उत्तम जनकी), २८१६०-४५(+#) महावीरजिन चैत्यवंदन, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वंदु जगदाधार सार सिव), २८१६५-७, २८२४७-८ महावीरजिन चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सिद्धारथ सुत वंदीये), २८१९९-३ महावीरजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जीन की बेनी सूदसणा), २८२२१-१७ महावीरजिन चौढालिया, मु. रायचंद ऋषि, रा., ढा. ४, गा. ६३, वि. १८३९, पद्य, श्वे., (सिद्धार्थकुलमई जी), २९८८४ महावीरजिनतप स्तवन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सरसति स्वाम्मीजी), २८१२९-१२२(+), २८१४२-१०, २९८६९ महावीरजिन निसाणी-बामणवाडजीतीर्थ, मु. हर्षमाणिक्य, मा.गु., गा. ३७, पद्य, मूपू., (श्रीमाता सरसती सेवक),
२८३२१-१(+), २८४७१(+), २९४६२ महावीरजिन पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. २, पद्य, मूपू., (रे मेरा सायब जाणे), २८२२६-३० महावीरजिन पद, मु. उदयकमल, पुहिं., पद. ४, पद्य, मूपू., (वीरजिन प्यारे में), २८१०५-३५
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ महावीरजिन पद, मु. गुणसागर, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (सवी दुःख टालोगो महा), २८२२६-२१ महावीरजिन पद, मु. चंद्रकीर्ति, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (म्हारो मन लाग रयो), २७०३४-२२(+), २८१६५-१२ महावीरजिन पद, मु. जगराम, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (सांकरै को यार प्रभु), २८२५०-८, २८२६४-३९ महावीरजिन पद, मु. जिनचंद, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (अखियां मेरे जिनजी से), २९८१३-४ महावीरजिन पद, मु. जिनचंद, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (क्या तक सीसर विचारा), २८१०१-९) महावीरजिन पद, मु. जिनचंद्र, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पावापुर महावीर जिणेस), २८१०१-४३(-) महावीरजिन पद, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (मारे भलो रे उगो), २८१०१-४६(-) महावीरजिन पद, मु. जीतचंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (आज तो हमारे भाग वीर), २८१०१-४०(-) महावीरजिन पद, मु. दोलत, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीमहावीर जपो रे), २८२६४-३४ महावीरजिन पद, मु. नवल, पुहिं., पद. ५, पद्य, श्वे., (पावापुरी मुकरा), २८१०१-३४८) महावीरजिन पद, मु. रतनचंद, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (हाजी प्रभु चंपानगर), २८९१२-२ महावीरजिन पद, मु. रत्न, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (विर तेरो वचन अगोचर), २८२७२-१०२ महावीरजिन पद, मु. रिद्धिसागर, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (वीर हमणो आवे छे मारे), २८९४७-२ महावीरजिन पद, मु. हर्ष, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (अंगीयां मेरा जीनजीसू), २८१३९-१०(-) महावीरजिन पद, मु. हर्षचंद, रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (भेट वीर जिनंद री), २८१०१-१०-) महावीरजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (माई मेरो मन तेरो), २८९५४-६ महावीरजिन पद, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (माधुरी जिनवानि चलौरी), २८२६४-४५ महावीरजिन पद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (रमक जमक वालो वीरजी), २८१४२-११ महावीरजिन पद, पुहिं., पद्य, मूपू., (वीर तेरे पद पंकज), २९८८३-२(६) महावीरजिन परिवार सवैयो, मु. धर्मसी, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (साधु भला दश च्यार), २८२५२-१८ महावीरजिन परीसह सज्झाय, पुहि.,रा., ढा. ७, पद्य, श्वे., (सब दुख टारवे कुं भव), २८२५२-३ महावीरजिनपूजा स्तवन, मु. जयसागर, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (पूजा करज्यो रे भवियण), २८१६१-२(+) महावीरजिन प्रभाति, मु. रामचंद, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (वीरजिणंद नानडीया), २९९७४-८(#) महावीरजिन बधाई, मु. हर्षचंद, पुहिं., पद. ५, पद्य, मूपू., (वाजितरंग वधाई नगर मै), २८१०५-७७ महावीरजिन भास, मु. वसंतसागर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सखी राजग्रही उदानमां), २८३१९-२(-) महावीरजिन वाणीविशेषण सवैया, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (वीर हिमाचल ते निकसी), २९८९३-२(+) महावीरजिन विनती स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (वीर सुणो मुज विनती), २८०९९-४(+),
२८१३३-३, २८१६६-१, २८१६७-२०, २८१९५-२, २८२५२-९, २९३१३-४, २९९३२ महावीरजिन सुखडी, मा.गु., गा. ३५, पद्य, मूपू., (त्रिशला राणी कहै), २८५६८ महावीरजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (रेवती बाई प्रभुजीने), २८१८५-८ महावीरजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वीरजीने चरणे लागुं), २८१४६-२१(+) महावीरजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (नीजरां रहस्यांजी), २८८४१(+), २८९९४-७(+), २८१३७-१० महावीरजिन स्तवन, मु. ऋषभ, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (वीरजिणेसर साहिब मेरा), २८१४६-१८(+) महावीरजिन स्तवन, वा. कुसलसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आव सहेली नी थाय वहेल), २८१५५-५(+) महावीरजिन स्तवन, ग. खिमाविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वीर जिणंद जगत उपगारी), २८८७६-२ महावीरजिन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वंदो वीर जिनेश्वर), २९९५०-२ महावीरजिन स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (वीर जिणेसर वंदीये), २८१४६-१५(+) महावीरजिन स्तवन, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पंच परमेस्वर प्रणमी), २८४९०-१ महावीरजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (साचुंरि परवर्या जगत), २९२३३-५ महावीरजिन स्तवन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शासननायक शिवसुखदायक), २८२०८-१३, २९३७३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
महावीरजिन स्तवन, मु. पुण्यउदय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (बलीहारी वीरजिणंद की), २८२३५-५ महावीर जिन स्तवन, पं. पुण्यसागर, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपु. ( तेरे रंगडे मुख पर ), २८२७२ - १४० महावीरजिन स्तवन, उपा. भक्तिविलाश, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (बंदो वीर जिणंदा सासण), २८१२९-७३(+) महावीरजिन स्तवन, पं. मनरूपसागर, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (सिद्धारथ सुत सेवी), २८४३३ महावीरजिन स्तवन, मु. मनोहरविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, म्पू., (प्रभुजी म्हारा आज ), २८१७५-६ महावीर जिन स्तवन, मु. मुक्तिविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, म्पू., (त्रसलानंदन विरजी रे) २८७१४-१ महावीरजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (गिरुआ रे गुण तुम) २८१४६-८(+), २८२१२-५
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महावीरजिन स्तवन, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू (प्रभुजी वीरजिणंदने), २९८२२-१ महावीर जिन स्तवन, मु. रत्न, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपु., (चोवीसमो श्रीमहावीर), २८३१३-२ (०) महावीरजिन स्तवन, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (वीर जिनेसर साहिबा), २८५३५-६ महावीरजिन स्तवन, वा. राम, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (महावीरजिन क्युं रे), २९०७९-१ महावीरजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( ना रे प्रभु नहीं), २९१०५-२ महावीरजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सेवो स्वामि हे), २९५२८-२ महावीरजिन स्तवन, मु. रायचंद, मा.गु., गा. १४, पद्य, श्वे., (सासन नायक वीरजिणंद), २८२८८ - १८ महावीरजिन स्तवन, मु. रूपसींघ, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रथम दीपे दीपता रे), ३००१३-२ महावीरजिन स्तवन, मु. लखमण, मा.गु., गा. ९७, वि. १५२१, पद्य, श्वे., (पहिलो धुरि समरुं), २८१४२-८ महावीरजिन स्तवन, मु. लालचंद ऋषि, मा.गु., गा. ९, वि. १८६२, पद्य, श्वे., (वीर जिणंद सासण धणी), २८१८५-१४ महावीरजिन स्तवन, क. लाल, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (हम आए नाथ के दरसन को), २८११४-९
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महावीरजिन स्तवन, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. ५, वि. १७उ, पद्य, मूपू., (सिद्धारथना रे नंदन), २८७१४-२ महावीरजिन स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूप, (जय जिनवर जग हितकारी) २९८१३-२ महावीरजिन स्तवन, पंडित, वीरविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपु., (त्रिसलानंदन चिंदन), २८२०८-१४ महावीरजिन स्तवन, श्रीपति, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मुख मटके अटके मारु), २८९७८ - १(+) महावीर जिन स्तवन, मु. सुरससि, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपु., (हारे प्रभु त्रिभोवन), २८२०८-१५ महावीरजिन स्तवन, मु. हर्षचंद, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (आज महोछव रंग रली री), २८२६४-८५, २८९५४-२ महावीरजिन स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( उठ प्रभात सुमरीये), २८२६४-३३ महावीरजिन स्तवन, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (पुत्र मोहाइंदोजी तस), २९३८१-३
महावीर जिन स्तवन, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे. (मने प्यारोह लग सासण), २८११४- १०
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महावीरजिन स्तवन, मा.गु., गा. १३, पद्य, वे, (सवारथी तो नगरी वीर), २८८४७(१)
महावीर जिन स्तवन १४ गुणस्थानकगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., ढा. ४, गा. ७३, वि. १७उ, पद्य, मूपु., (वीरजिनेसर
प्रणमी पाय), २८१६७-११
महावीरजिन स्तवन- १४ स्वप्नगर्भित, क. जैत, मा.गु., गा. २८, पद्य, मूपू., ( एक मन बंधु श्रीवीर), २९०५५-१
महावीरजिन स्तवन- २४ दंडकगर्भित, क. पद्मविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ८९, पद्य, मूपू., (प्रणमी सरसति भगवती), २७६६४(+) महावीरजिन स्तवन- २७ भव, मु. रंगविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ७७, वि. १८५४, पद्य, मूपू., (पेहेला ने समरु रे), २९७०८ महावीरजिन स्तवन-२७ भव, मु. लालविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ८१, वि. १६६२, पद्य, मूपू., (विमलकमलदललोयणा दिसे),
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२९५१२ - १(+), २९५९४(+), २८२७५-१०, २८६३३
महावीरजिन स्तवन- २७ भवगर्भित, मु. हंसराज, मा.गु., डा. १०, गा. १००, वि. १७वी, पद्य, मूपू., (सरसति भगवति विओ
मति), २७७४४-१(+), २७०००, २८६०४ ($)
महावीर जिन स्तवन- अतिचारगर्भित, उपा. धर्मसी, मा.गु., डा. ४, गा. ३०, पद्य, मूपू., (ए धन सासन वीर जिनवर), २८१२९ - १५५ (०३), २८१९५-६
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ महावीरजिन स्तवन-उपधानतपविधिगर्भित, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. २७, वि. १७उ, पद्य, मूपू., (श्रीवीरजिणेसर सुपरे),
२८३९१-३(+), २९३६८(+), २९७२०(+), २९३५६-१, २९५२२ महावीरजिन स्तवन-ऋद्धिवर्णन, पंन्या. दीपविजय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (वंदू सिद्ध भगवंतने), २८२८९-२ महावीरजिन स्तवन-छट्ठाआरानु, श्राव. देवीदास, मा.गु., ढा. ५, गा. ६६, वि. १६११, पद्य, मूपू., (सकल जिणंद पाय नमी),
२८३४४-१(+), २९५९७-१(+), २८१८७-११, २८२१२-२, २८४८५-२, २८७८३, २९१९२, २८५३३(#) महावीरजिन स्तवन-जन्मकल्याणक, मा.गु., पद्य, मूपू., (--), २८६९९($) महावीरजिन स्तवन-ज्ञानदर्शनचारित्रसंवादरूप नयमतगर्भित, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., ढा. ८, गा. ८१, वि. १८२७, पद्य,
मूपू., (श्रीइंद्रादिक भावथी), २७१६८, २८२७८-४३ महावीरजिन स्तवन-तपवर्णन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सरसत सांमण द्यो मति), २८०९९-१२(+), २८१०४-१४,
२८२४५-११ महावीरजिन स्तवन-दीपावलीपर्व निर्वाणमहिमा, मु. गुणहर्ष, मा.गु., ढा. १०, गा. १२५, पद्य, मूपू., (श्रमणसंघतिलकोपमं),
२८७७३-१(६), २९७२९-१(६) । महावीरजिन स्तवन-निगोदविचारगर्भित, मु. क्षमाप्रमोद, मा.गु., गा. ४८, पद्य, मूपू., (प्रह उठी नमियें सदा), २९८५९ महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणक, मु. रामविजय, मा.गु., ढा. ३, गा. ५६, वि. १७७३, पद्य, मूपू., (शासननायक शिवकरण
वंदु), २८१९५-११, २९३२८, २८२२५-६(s), २८२९९-८(s) महावीरजिन स्तवन-पंचकल्याणकवधावा, मु. दीपविजय, मा.गु., ढा. ५, पद्य, मूपू., (वंदी जगजननी ब्रह्माण), २९६८०(+),
२८५९८, २८९८५-१(६) महावीरजिन स्तवन-पारणा, मु. माल, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (श्रीअरिहंत अनंत गुण), २८०९९-१५(+),
२८१२९-९०(+), २८१०५-१, २९३८२, २९८०१ महावीरजिन स्तवन-बामणवाडजी, आ. कमलकलशसूरि, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (समरवि समरथ सारदा),
२८५०६-१(+), २९९७५-९(+), २९२८३-१(६) महावीरजिन स्तवन-भांडुप, मु. ज्ञानअमृत, मा.गु., गा. ७, वि. १९२५, पद्य, मूपू., (श्रीमहावीर कृपाल परम), २८९९४-५(+) महावीरजिन स्तवन-भोपाल, मु. सुखलाल, रा., गा. ६, वि. १९४०, पद्य, मूपू., (नगर भोपाले वीरप्रभु), २८१७१-९(+) महावीरजिन स्तवन-राजनगरमंडन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (वर्धमान जिनराजीआरे),
२८६८२-४ महावीरजिन स्तवन-वडलीमंडण, ग. नगा, मा.गु., गा. ५१, पद्य, मूपू., (सकल मनोरथ पूरणो), २८४५७ महावीरजिन स्तवन-समवसरण, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (त्रिशलानंदन वंदीये), २८१८७-५ महावीरजिन स्तवन-साढा २५ देशविवरणगर्भित, मु. तेजसिंह, मा.गु., गा. २५, वि. १७६३, पद्य, श्वे., (वीर जिनेशर वांदीने),
२८१२२-४ महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., ढा. ६, गा. १४८, ग्रं. २२८,
वि. १७३३, पद्य, मूपू., (प्रणमी श्रीगुरुना पय), २८२२०-१(+), २७१२७, २९०१५(5) (२) महावीरजिन स्तवन-स्थापनानिक्षेपप्रमाण पंचांगीगर्भित-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (ए स्तवनमां प्राइ पद),
२९०१५(६) महावीरजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (मुरति मनमोहन कंचन), २८१६३-१३(+), २९९४१-५ महावीरजिन स्तुति, आ. जिनेंद्रसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वाणि श्रीवीर जिणेसर), २८८१५ (२) महावीरजिन स्तुति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवे इहां वीर स्वामी), २८८१५ महावीरजिन स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जय जय भवि हितकर वीर), २९७११-३ महावीरजिन स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (मनोहरमूर्ति महावीर), २९७११-२ महावीरजिन स्तुति, मु. मुक्तिविजय-शिष्य, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पूजो पूरण प्रेम धरी), २८४२५-४ महावीरजिन स्तुति, मु. राजविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (वीरजिणेशर गुणह गंभीर), २८२७७-५६
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
महावीरजिन स्तुति, मु. लालविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( वांदु वीर जिनेसर), २८१९९-१८ महावीरजिन स्तुति, मु. हंससोम, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (इण दिन समरुं श्रीमहा), २८४९०-२ महावीरजिन स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (बालपणे डाबो पाय चांप), २८१६३-९(+), २९२५७-३ महावीरजिन स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमान जिनवर), २८१७३-८ महावीरजिन स्तुति, मा.गु., पद्य, वे., (श्रीशासननायक वीर जिणं), २८१३९-१५(३)
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महावीरजिन स्तुति-गंधार, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गंधारें श्रीवीरजिणंद), २८२७७-२७, २८९९६ महावीरजिन स्तुति-दीपावली, मु. लब्धि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., ( पूर्व पनोता पून्यें), २८२७७-४५ महावीरजिन हमचडी-पंचकल्याणकवर्णन, उपा. सकलचंद्र गणि, मा.गु., डा. ३, गा. ६८, पद्य, मूपू., (नंदनकुं त्रिशला ),
२९५१६, २९७७९
महावीरजिन हालरडु, आ. दीपविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (माता त्रिशला झुलावे), २८६४६ - १, २८७४६ महावीरजिनोपरि गौशालाकृतोपसर्ग वर्णन, मा.गु., गद्य, मूपू., ( घणा उपसर्ग थवा अनि), २९०७६ मांसभक्षण त्याग सज्झाय, पुहिं., गा. १०, पद्य, श्वे., (सख्त दिल हो जायगा तु), २८१८५-७७
माजीरी सज्झाय, ऋ. विनयचंद्र, रा. गा. १९, पद्य, श्वे. ( आतो नाम धरावे माजी), २८२४९-४
माणिभद्रपद, मु. जिनदास, रा., पद्य, मूपू., ( थे म्हारो मन मोय), २७०३४-१४ (+)
माणिभद्रवीर छंद, मु. उदयकुशल, मा.गु., गा. २६, पद्य, मृपू., ( सरस वचन द्यो सरसती), २८२२९-८, २८७६१, २९९३३ माणिभद्रवीर छंद, क. दीपविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., ( सरस वचन दे सारदा), २८२२९-९
माणिभद्रवीर छंद, पा. राजरत्न, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू. (सूरपति सेवित शुभ खाण), २८२२९ - १०
माणिभद्रवीर छंद, मु. लालकुशल, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू (सरसति भगवती भारती), २८३७३ माणिभद्रवीर छंद, आ. शांतिसूरि, मा.गु., गा. ४३, पद्य, मूपू., (सरसति सामनि पाय), २८२२९-११ माणिभद्रवीर छंद, मु.शिवकीर्ति, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपु. ( श्रीमाणिभद्र सदा), २९८७९-७
"
माणिभद्र स्तुति, आ. विजयक्षमासूर, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., ( जय जय गणधारक), २८१८१ - १० मातृका वर्णन, मा.गु., गा. ५७, पद्य, मूपू., (पहिलुं जीव पुन्य), २९९९८(४)
५६३
माधवानल चौपाई, वा. कुशललाभ, मा.गु., गा. ५५२, वि. १६१६, पद्य, मूपू., (देवि सरसति देवि ), २७८६४
मानतुंग-मानवती रास-मृषावादविरमण अधिकारे, मु. मोहनविजय, मा.गु., ढा. ४७, गा. १०१५, वि. १७६०, पद्य, मूपू., (ऋषभजिणंद पदांबुजे), २७४६७-१(+४) २७८९२(+४), २९५५४+४)
"
माननी सज्झाय, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. १६, वि. १७वी, पद्य, मूपू., (मान न करशो रे मानवी), २८५९७ मानपरिहारछत्रीसी, मा.गु., गा. ३७, पद्य, मूपू., (मान न कीजे रे मानवी), २८२६३ - ६२ (+), २९३७८ (#$) मानपरिहार सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., (रे जीव मान न कीजीए), २८२८१-५, २९८२१-२ मानपरिहार सज्झाय, पंन्या. प्रीतिविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( माया निवारो मन थकी), २८९०९(०) मानपरिहार सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (जे नर महिला मै पौढता), २८१२९-४८(+) मानपरिहार सज्झाय, मा.गु., गा. २०, पद्य, मूपू., (मान न कीजै रे मानवी), २८११५ - १, २८२६९-५ मानपरिहार सज्झाय, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (लाल सुरंगा रे प्राणी), २८२७०-७
माया पद, कबीरदास संत, पुहिं., गा, २, पद्य, वै., (देखो भाई माया तजी), २८२९८-३६(+)
माया सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (समकितनुं मुल जाणीये), २८२८१-६, २८७८९ - २, २८९४७-१, २९८२१-३, २९९७९-३
माया सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (माया मूल संसारनो), २८१४२-७($)
माया सज्झाय, हसनबेग, पुहिं, गा. ४, पद्य, जे. १, (माया जाल में फसे हे), २८९७७-३
मार्गानुसारी ३५ गुण सज्झाय, उपा. मानविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (वीर कहइ भविजन प्रते), २९७७८
मुनिपति रास, वा. उदयरत्न, मा.गु., डा. ९३, गा. ४००५, वि. १७६१, पद्य, म्पू., (सकल सुख मंगल करण), २७५१८ (+३) मुनिमालिका स्तवन, ग, चारित्रसिंह, मा.गु., गा, ३६, वि. १६३६, पद्य, भूपू., (ऋषभ प्रमुख जिन पय), २८२५१-९
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५६४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ मुनिवर सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सखी रे मैं कौतुक दीठ), २८८१० मुनिविहार गहुंली, मा.गु., गा. १२, पद्य, श्वे., (श्रीशंखेश्वर पापाये), २८७५०(-) । मुनिसुव्रतजिन स्तवन, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुनिसुव्रतस्वामी), २८०९७-२ मुनिसुव्रतजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (श्रीमुनीसुव्रत जिन), २८५६१-३($) । मुहपति पडिलेहण के बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (सूत्र अर्थ साचो सद्द), २८०८४-३(+) मुहपत्ति ५०बोल सज्झाय, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीहीरविजयसूरि), २८१८७-७ मुहपत्ति भास, मु. भाणविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सुंदर रूपइ रे सोहइ), २९०४५-२ मूढशिक्षा अष्टपदी, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (ऐसे क्यु प्रभु पाईइ), २८१२९-१००(+), २८१५९-३ मूढशिक्षा पद, मु. जिनसमुद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जे मूरख जन बाउरे जिन), २८१५९-४ मूरख पद, मा.गु., गा. २, पद्य, श्वे., (कीडीही चावलथी लुहोडी), २८२९८-३७(+) मूरख सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ८, वि. १८८६, पद्य, मूपू., (मुरखो गाडी देखी मलका), २८७७२-१, २९८०८ मूरख सज्झाय, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (मुरखने ग्यान कदी नही), २८९३८-२ मूर्ख के १४८ बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (बालकसुंप्रीत करे ते), २९८२३ मूर्ख पद, पुहिं., गा. २, पद्य, श्वे., (मुख मीटी वात कहे), २९२४३-२ मृगापुत्र सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सुगरीपुर नगर सोहामणौ), २८१२९-१३९(+), २८१६०-७९(+#),
२८२६३-५८(+), २८०९७-४, २८१०५-३ मृगापुत्र सज्झाय, मु. सिंहविमल, मा.गु., गा. २४, पद्य, मूपू., (सुग्रीव नयर सुहामणो), २८२९८-१४(+), २८६६४, २९५११-१ मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., ढा. २०, पद्य, श्वे., (तिण काले ने तिण समै), २८२६३-९८(+) मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपू., (पना मारू घडी एक कर), २८१२९-१२९(+$) मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., गा. १४, पद्य, श्वे., (सुग्रीवनयर सोहामणु), २९२२९ मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (--), २८१७२-१ मृगावतीजेवंती सज्झाय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (कहै जेवंती सुण भोजाइ), २९८४४-२ मृषावादपापस्थानक सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (असत्य वचन मुखथी नवि), २८९८०-२ मेघकुमार चौढालियो, मु. जादव, मा.गु., ढा. ४, गा. २३, पद्य, श्वे., (प्रथम गणधर गुण नीलो), २८२६३-४८(+) मेघकुमार चौढालियो, ऋ. लालचंदजी, मा.गु., ढा. ४, वि. १८७१, पद्य, स्था., (श्रीवीरजिणंद समोसर्य), २८२२६-३२ मेघकुमारमुनि सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (चारित्र लइ चित्त), २९२१४-१ मेघकुमार सज्झाय, मु. अमर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (धारणी मनावे रे मेघ), २८१६८-७, २९११९-२ मेघकुमार सज्झाय, क. कुसल, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (वीर जिणेसर आवी समोसर), २८२५२-६ मेघकुमार सज्झाय, मु. पुनो, मा.गु., गा. २२, पद्य, श्वे., (वीर जिणंद समोसर्याजी), २८४२१-१, २९०२४-१ मेघकुमार सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., गा. १०, वि. १८१६, पद्य, श्वे., (श्रीगुरुदेव नमी करी), २८१९१-५(+) मेघकुमार सज्झाय, पुहिं., गा. २०, पद्य, मूपू., (दुर्लभ लाधो मनुष्य), २८२६३-४५(+) मेघरथराजा सज्झाय, ऋ. तिलोक, मा.गु., गा. १५, वि. १९२९, पद्य, स्था., (सुधर्मी सभा समने), २८१८५-५ मेघरथराजा सज्झाय, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (सरण भणी पारेवडउ आवी), २८२९८-२८(+) मेतारजमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (नगर राजगृह आवीयोजी), २८४२१-२ मेतारजमुनि सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (समदम गुणना आगरुजी), २८१६८-४, २८५५९,
२९७८६-३, २९७८७-३, २९८७१-२, २८६७१-३६) मेतारजमुनि सज्झाय, पंन्या. रामविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (धन धन मेतारज मुनि), २८१८७-९, २८२५३-७,
२८२८८-२९ मेतारजमुनि सज्झाय, मा.गु., ढा. २, पद्य, श्वे., (मेतारज साधु तणा गुण), २८२९३-१० मेरुत्रयोदसी व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (जिम श्रीमहावीरस्वामी), २८२२३-२(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
मेवाड वर्णन, क. जिनेंद्र, रा., गा. १२, वि. १८१४, पद्य, श्वे.?, (मन धरी माता भारती), २८३८२-१ मोक्ष सज्झाय, मु. सहजसुंदर, रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (मोक्षनगर माहरु सासरु), २८१६९-६, २९८६४-२ मोतीकपासीया संबंध, पा. श्रीसार, मा.गु., ढा. ५, गा. १०३, वि. १६८९, पद्य, मूपू., (सुंदर रुप सोहामणो), २७२९६-१(+),
२९५६१(२) मोहनीयकर्म सज्झाय, मा.गु., गा. ५०, वि. १८३७, पद्य, श्वे., (माहा मोहणी कर्मरी), २८२९३-११ मोहप्रबल सज्झाय, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मोह महाबलवंत कवण), २८४००-१ मोहभ्रमाष्टक, मु. विवेक, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (परम पूज्य सरवग्य है), २८२०९-३ मोहमर्दनराजा सज्झाय, श्रावगदास, रा., गा. २९, पद्य, श्वे., (इंद्र परसंस्या करे), २८२२६-३ मौनएकादशी १५० जिनकल्याणक स्तवन, मु. दयाकुशल, मा.गु., गा. ४७, पद्य, मूपू., (शारद पय प्रणमी करी), २९७८१ मौनएकादशीपर्व चैत्यवंदन, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (सासन नायक जग जायो), २८२०८-१८ मौनएकादशीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (सिरिवीरं नमिऊण), २८२२३-६(+) मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., ढा. ३, गा. २५, वि. १७६९, पद्य, मूपू., (द्वारिकानयरी समोसर्य),
२८२१२-१, २९५६७, २९९२६(#), २८२९०-१०(६), २८५६४($) मौनएकादशीपर्व स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., ढा. ४, गा. ४२, वि. १७९५, पद्य, मूपू., (जगपति नायक नेमिजिणंद),
२८१६७-३५, २८२२५-३, २८२७८-४४, २८२८५-१७, २८४४५, २८५७७ मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., ढा. ३, गा. २८, पद्य, मूपू., (प्रणमी पूछे वीरने), २८१६७-३३ मौनएकादशीपर्व स्तवन, मु. विशुद्धविमल, मा.गु., ढा. ५, गा. ४२, पद्य, मूपू., (शांतिकरण श्रीशांतिजी), २८५५४-१ मौनएकादशीपर्व स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. १३, वि. १६८१, पद्य, मूपू., (समवसरण बेठा भगवंत),
२८२६३-५०(+), २८१३३-८, २८१६७-३६, २८२५०-११, २९९४७-२, २८२८२-५(2) मौनएकादशीपर्व स्तवन-१५० कल्याणक, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., ढा. १२, गा. ६२, वि. १७३२, पद्य, मूपू., (धुरि
प्रणमुंजिन), २९१८६-१, २९५२६ मौनएकादशीपर्व स्तुति, मु. गुणहर्ष-शिष्य, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (एकादशी अति रुअडी), २८१२०-६(+), २९९७५-५(+),
२८१७३-११, २८१९६-७, २८२००-३, २८२७५-६, २८२९०-८, २९८७९-३, २८२७७-१२(s), २८१३९-४(-) मौनएकादशीपर्व स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (नयरी द्वारामती कृष्ण), २८१२०-४(+) मौनएकादशीपर्व स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीनेमिजिनवर सयल), २८१२०-५(+) मौनएकादशीपर्व स्तुति, मु. लालविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गौतम बोले ग्रंथ), २८२२१-१९, २८७२२-२, २८८७१ मौनएकादशीपर्व स्तुति, मु. विनय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (गोपीपति पूछे पभणे), २८२७७-१३($) मौनएकादशी स्तवन, पं. महिमासागर, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (समरीय जिनवर सयलजन), २९४६० मौन सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (महावीर का फरमान है), २८१८५-८५ यतिगुण सज्झाय, मु. पुनमचंद, पुहिं., गा. १०, वि. १९७२, पद्य, श्वे., (एसा जेन का जती रे), २८१८५-६८ यादव चौपाई, मा.गु., पद्य, मूपू., (हुवो नही होसी नही), २८२७१-२ युगबाहुजिन स्तवन, मु. जिनदेव, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (इण जंबुदीवइ जाणीयै), २८२६३-३९(+) युगमंधरजिन स्तवन, पं. जिनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (काया रे पामी अति), २८२३७-४, २८९८५-२, २९३०६-१,
२९७९०-३, २९९६८-३ युगवरावली यंत्र, ग. नेमकुशल, मा.गु., यं., मूपू., (दोय उदय पूर्वे हुआ), २८८०५-२($) योगपावडी, गोरखनाथ, मा.गु., गा. ६८, पद्य, वै., (क्रोध लोभ दूरइं परि), २८५२७-१, २८९६९-१(६) योग विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (योग ११ नारकी १२ देव), २८२६१-६ रतनकुमार सज्झाय, मा.गु., गा. ३८, पद्य, श्वे., (रतनगुरु गुण आगला रे), २८५३० रतनसीगुरु सज्झाय, मु. देवजी, मा.गु., ढा. १०, गा. ४५, पद्य, श्वे., (रतनगुरु गुण मीठडारे), २८१२१-९
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
रत्नपाल-रत्नावती चौपाई, मु. मोहनविजय, मा.गु., खं. ४ ढाल ६६, गा. १३७२, वि. १७६०, पद्य, मूपू., (सकल श्रेणि में दुर), २७५२३(+), २९८९५(३)
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रत्नविजय रास, मा.गु., डा. ५, वि. १९३३, पद्य, भूपू., ( सरसत गणपत दीजियी), २९८१० (+) रत्नसागरसूरि गहुंली, श्राव. प्रेमचंद वेलचंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सरसती माता चरणे), ३००१४-८
रत्नसारकुमार रास, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. २९९, वि. १५८२, पद्य, भूपू., (सरसति हंसगमनि पय), २८२०७-१२(३) रत्नागर भास, शिवजीकुमार, मा.गु., डा. १०, गा. ४५, पद्य, वे., ( रत्नगुरु गुण मीठडारे), २८५५१ रथनेमिराजिमती सज्झाय, मु. गुलाबकीर्ति, पुहिं, गा. १३, पद्य, म्पू., ( गिरनारी की पहारी पर) २८२५२-१० रथनेमिराजिमती सज्झाय, मु. देवविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., ( काउसग व्रत रहनेम) २९८१५-१ रथनेमिराजिमती सज्झाय, पंन्या. न्यानविजय गणि, मा.गु., गा. २८, पद्य, मूपू., ( विद्या द्यो सुविशेष), २८५११-१ (#) रथनेमिराजिमती सज्झाय, मु. हेतविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (प्रणमी सदगुरु पाय), २८१८७ - १२ रथनेमिराजिमती स्वाध्याय, मु. हितविजय, रा. गा. ११, पद्य, मूपु., (प्रणमी सदगुरुपाय), २९२०४-१ रथनेमि सज्झाय, मु. तेजहर्ष, मा.गु., गा. ९, पद्य, भूपू., (यादव कुलना तुजने), २९३१०-१
,
रथनेमि सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( काउसग्ग ध्याने मुनि), २८७१८ - १ (+), २८६४५ रथयात्रावर्णन पद, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपु., (हवे सामग्री सवि सज्ज), २९९७०-१(१) रमलशीकलांसुकनावली, मा.गु., पद्य, (लही आन १ कुबडन तुदजा), २८७०३-१ (5) रमलसार प्रश्नावली, पुहिं., गद्य, ओ., (१११ अहो पुछनेवाले), २७२०८-१
रसना सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ११, पद्य, श्वे., (रसना सीधी बोल तेरे), २८१८५-९०
राजसिंहरत्नवती कथा, मु. गौडीदास, मा.गु., डा. २४, गा. ६०५, प्र. ८८५, वि. १७५५, पद्य, मूपू., ( सारद शुभमतिदायिनी),
२७३०५ (६)
राजिमतीरथनेमि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (राजुल चाली रंगसु रे), २८१६८-११ राजिमतीरथनेमि सज्झाय, वा. उदयविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (सोरीयपुरि अति सुंदर), २९५३५-१ राजिमतीरथनेमि सज्झाय, मु. ऋद्धिहर्ष, पुहिं, गा. १९, पद्य, भूपू., (देखी मन देवर का ), २९८७४-३
राजिमतीरथनेमि सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, रा., गा. २५, पद्य, श्वे., (बाईसमा श्रीनेमजी), २८७४१ राजिमतीश्रृंगार सज्झाय, मु. ऋषभ, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (--), २९३८३-१(+$)
,
राजिमतीसती इकवीसी, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., गा. २१, वि. १८५२, पद्य, वे (सासननायक सुमरिय) २९९१४-२ राजिमतीसती सज्झाय, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (आसाढी घन उमह्यो रे ), २८३८९ - २(+) राजिमतीसती सज्झाय, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ६, पद्य, भूपू., ( राती रे कोइलि रूड), २९२८६-३ रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सकल धरममा सारज कहिइ), २८३११-२,
२८९०६, २८९८०-६, २९७०७-२, २९८२७ - २
रात्रिभोजन निवारण सज्झाय, मु. खूबचंद, हिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (जैनी रात को नही खाते), २८१८५-३० रात्रिभोजन निवारण स्तुति, मु. जीवविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (शासननायक वीरजीए पामी), २८७७६-१ रामचंद्रजी की मुंदरी, मा.गु., गा. ३१, पद्य, श्वे., (सरसत सामण विनउं), २८२८८-२१, २९१४८-१-१) रामयशोरसायन चौपाई, मु. केशराज, मा.गु., अधि. ४ डाल ६२, गा. ३१९१, प्र. ४३७५ वि. १६८०, पद्य, मूप,
( मुनिसुव्रतस्वामीजी), २७४५५१)
रामसीता पद, मु. चानत, पुहिं, गा, ४, पद्य, मूपु., रामसीता रास, मु. चोथमल ऋषि, मा.गु., पद्य, वे रामसीता रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., खं. ९, गा. २४१२, ग्रं. ३७०४, वि. १७उ, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रीसुखसंपदा),
(कठै राघव सीता चलहु), २८१६०-१२(+०) (सुखदायक सांसणघणी), २७२४९(5)
२७४१८(5)
रामायण रास, मु. लावण्यसमय, मा.गु., गा. ६०, पद्य, मूपू., (सुत्तलो सीह जगाडीउ), २८२९८-२५(+) रावणने शिखामणनी सज्झाय, मु. विद्याचंद, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (सीता हरी रावण घर), २८३९४
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
रावण मंदोदरी गीत, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (मंदोदरी मन चिंतवे), २९२०२ रुक्मिणी सज्झाय, मु. रंग, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (विचरंता गामोगाम नेम), २९७०३ रुक्मिणी सज्झाय, मु. राजविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (विचरता गामो गाम नेमि), २८२५४-२, २९६६०-१,
२८२८२-४(#) रेवतीश्राविका सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सोवन सिंघासने रेवती), २८२८२-३(#) रेवतीश्राविका सज्झाय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सोवन संघासन रेवती), २८२६३-५६(+) रोटला सज्झाय, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सर्व देव देव में), २८६९१-१ रोहिणी कथा, मा.गु., गद्य, मूपू., (चंपानगरीयै श्रीवासु), २९९०६-३ रोहिणीतप सज्झाय, मु. अमृतविजय, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (वासुपूज्य नमी स्वामी), २९१२० रोहिणीतप स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (समरी सरसती माय), २८२८५-९, २८१६७-३७६६) रोहिणीतपस्तवन, क. दीपविजय, मा.गु., ढा. ६, गा. ३१+१, वि. १८५९, पद्य, मूपू., (हां रे मारे वासुपूज), २९०९१(+),
२८८७७, २९७२४ रोहिणीतप स्तवन, मु. श्रीसार, मा.गु., ढा. ४, गा. ३२, वि. १७२०, पद्य, मूपू., (सासणदेवता सामणीए मुझ),
२८१२९-१८६(+), २८१०५-६०, २८१९५-२१, २८६८४, २८९२५ रोहिणीतपस्तुति, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीवासुपूज्य जिणेसर), २८२८०-४ रोहिणीतप स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (नक्षत्र रोहिणी जे), २८८५६, २८७२२-३($) रोहिणीतप स्तुति, मु. लब्धिरूचि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जयकारी जिनवर वासपूज), २८१५०-१०, २८२००-१५,
२८२०३-३, २८७१२-१(६) रोहिणीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (उचिट्ठमसुंदरयं), २९८९९ लक्ष्मीचंदआचार्य भास, मु. केशरचंद्र, मा.गु., गा. ९, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (सरसती तोने ध्याव), २८८०७-२ लघुदंडकभेद बोल, मा.गु., गद्य, मूपू., (शरीर ओगाहणा संघयण), २७५४३-१ ललितांगकुमार सज्झाय, मु. कुंवरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (मानवभव पामी दुलहो), २८१६७-१(६) लाजरक्षण सवैया, पुहि., सवै. १, पद्य, वै., (हम हुंज तजी कुल लाज), २८२५०-१९ लालजी महाराज सज्झाय, पुहिं., गा. ४, वि. १९५९, पद्य, श्वे., (पुज पधार्या आप हुआ), २८२१९-६ लालजी महाराज स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. १७, वि. १९५९, पद्य, श्वे., (सुमत गुपतधार निरदोस), २८२१९-१ लीख-जू सज्झाय, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. १२, वि. १६७५, पद्य, मूपू., (सरसति मति सुमति द्यो), २९४०७ लीलावती चौपाई, मु. लाभवर्द्धन, मा.गु., ढा. २९, गा. ६१९, वि. १७२८, पद्य, मूपू., (त्रेवीसमो त्रिभुवन), २७२७४ लीलोतरी सज्झाय, रा., गा. ८, पद्य, श्वे., (लिलोती मत भखो चतुरनर), २८१८५-४८ लेश्याभेद सज्झाय, मु. लक्ष्मीकीर्ति, मा.गु., ढा. २, गा. ३५, पद्य, मूपू., (परम प्रीति धरि पूछवै), २९३११ लोभपच्चीसी, मु. रायचंद, पुहिं., गा. २५, पद्य, श्वे., (माहालोभी मनुषसु), २८२८८-१४ लोभ सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (तमे लक्षण जोजो लोभना), २८२८१-७ लोभ सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, पू., (लोभि पुत्र पितानि), २८२९८-२६(+) वंकचूल रास, मा.गु., गा. ९४, पद्य, श्वे., (आदि जिनवर आदि जिनवर), २९४३३(#$) वज्रकुमार-मनोरमासती सज्झाय, मा.गु., ढा. ४, पद्य, मूपू., (नगरी अजौध्या राय), २८२६३-५४(+) वज्रधरजिन स्तवन, मु. वीरविमल शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सुरवर चिंत रे), २९५४६ वज्रस्वामी रास, मु. जिनहर्ष, मा.गु., ढा. १५, वि. १७५९, पद्य, मूपू., (अरध भरतमांहि शोभतो), २९३३४(+), २७२३५-१,
२८२९६-१ वज्रस्वामी रास, क. पद्मविजय, मा.गु., ढा. ९, गा. ९६, वि. १८४३, पद्य, मूपू., (चोविसमा जे जिनवरु), २८२८२-९(#) वज्रस्वामी-रूखमणी सज्झाय, मु. लब्धिविजय, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (पदमिणी पोईणी पातली), २८५०९-१ वणजारा सज्झाय, मु. श्रीसार, पुहिं., गा. ९, पद्य, श्वे., (विणजारा रे तेतउ करि), २८२६३-२८(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ वणजारा सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (विणजारा रे भाई देखी), २८२६४-१७ वणजारा सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (वणजारा रे ऊभउ रही), २८२९८-१२(+) वणिक सज्झाय, मु. विशतविमल, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (वाणियो वणज करे छे), २८८८९-२ वरदत्तगुणमंजरी सज्झाय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (ते सुत पांचे हो के), २९४८२-२ वर्गतप, मा.गु., गद्य, श्वे., (उपवास ९६ पारणा ६४ उल), २९२७८ वर्णमाला, मा.गु., गद्य, श्वे., (अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लु), २८२९८-३५(+) वर्तमानचौवीसीजिन मातापितानाम, मा.गु., गद्य, श्वे., (श्रीनाभि जितशत्रु), २८८५८-२(+), २८८६०-२ वसंत गहुंली, मु. विनय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (द्वारिकानगरी सुंदरु), २९०६१-४(+) वस्तुपालतेजपालमंत्री रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. २, गा. ४०, वि. १६८२, पद्य, मूपू., (सरसति सामिणि मनि),
२८१२९-१२४(+) वांदणादोष सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (श्रीजिनवाणी आणी), २८८८२-१(+) वायुभूतिगणधर सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (त्रीजो गणधर मुज मन), २९६०१-३ वासक्षेप भास, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (झमकारो रे मादल वाजै), २८१७९-१० वासुपूज्यजिन पद, मु. चंद, मा.गु., पद. ४, पद्य, मूपू., (जिनराज मेरो मन वस), २८१०५-७९ वासुपूज्यजिन पद, मु. जिनरत्न, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वासपुज्यजिन वीनती), २८१२९-७०(+), २८४९३-१ वासुपूज्यजिन विवाहलो, मा.गु., ढा. १०, गा. ४८, पद्य, मूपू., (इंद्राणी सरखी आणी), २९४७४ वासुपूज्यजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (प्रथम नमुं जिन पाया), २८२५९-१५ वासुपूज्यजिन स्तवन, मु. जीतचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (वासुपूज्य जिन बारमा), २८१६०-८४(+#), ३०००८-३ वासुपूज्यजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (श्रीवासुपूज्य जिनराज), २८५३९ वासुपूज्यजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वसुपूज्य नरिंदना नंद), २९३८३-२(+) विंशतिस्थानकरात्रिका, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पिया विंशति थान मंगल), २८११७-११(+) विकथा कथलो, मु. महानंद, मा.गु., गा. ४७, वि. १८१०, पद्य, श्वे., (--), २८८४६-१($) विक्रमार्क कथा-जीवदया उपरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीराजगृही नगरीनई), २९५२४-२(+) विचार संग्रह *, मा.गु., गद्य, श्वे., (ठाणांगमाहिं त्रीजे), २७४१३-१(+$), २७८७६, २८३६०, २८७११-२, २९०४८, २९०४९,
२९२६९, २९२८५, २९२४७($) विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (समजवा हेतु सूत्रमाहि), २९०४७ विचार संग्रह-भगवतीसूत्रे-शतक-१२ उद्देश-१०, मा.गु., गद्य, मपू., (जेहनइ द्रव्य आत्मा), २९४१७ विजयकुंवर सज्झाय, ऋ. लालचंद, मा.गु., गा. २१, पद्य, स्था., (मनुष जमारो पायने जे), २८२७९-२ विजयक्षमासूरि सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीविजयरत्नसूरिंदना), २८१२८-१२ विजयतिलकसूरिसज्झाय, मु. ऋद्धिविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सरसति मति द्यो अति), २८३९६-१ विजयधर्मसूरि भास, मु. मोहन, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (निजगुरु चरण नमी करी), २९८४०-३ विजयरत्नसूरि गीत, मु. देवकुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (विजयरत्नमुणंद रे सुर), २८१४२-१३ विजयराजसूरि भास, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पंथीडा कहइ तुं), २८३६२ विजयशेठविजयाशेठाणी सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. ९, वि. १८८०, पद्य, श्वे., (विजयकुमर व्रतधारी), २८२५२-२१ विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, मु. रामचंद, पुहि., ढा. ४, वि. १९१०, पद्य, श्वे., (आदिनाथ आदिसरु सकल), २८२६७-५ विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, आ. हर्षकीर्तिसूरि, मा.गु., ढा. ३, गा. २४, पद्य, मूपू., (प्रह उठी रे पंच), २८०९९-८०(+),
२८१२९-१५४(+), २८१७२-३, २८२३६-१, २८२७०-२, २८२७३-२, २८६०६ विजयसेठविजयासेठाणी सज्झाय, रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (वीजेकुवर और विजीया), २८१८५-७४ विजयसेठविजयासेठानी सज्झाय, मा.गु., ढा. ३, पद्य, मूपू., (पह उठी रे पंच परम), २८२६३-५२(+) विजयहीरसूरि सवैया, क. सोम, पुहि., सवै. १, पद्य, मूपू., (सवे मृगनैन चले गुरु), २८३८२-३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ विजयाणंदसूरिगुरु सज्झाय, मु. भाणविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (बहु गुणवंता रे गणधर), २९०४५-१ विजयाणंदसूरि भास, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (श्रीसरसति सूभवित), २८५४७-१ विनय चौढालियो, मु. तिलोक ऋषी, मा.गु., ढा. ४, गा. १११, वि. १९३६, पद्य, श्वे., (श्रीजिनराज प्ररुपीयो), २९६५३-२ विनय सज्झाय, आ. विमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (विनय करो चेला गुरु), २८६३५-३ विमलजिन पद, आ. जिनरत्नसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (समर विमल मति विमल), २८१२९-७१(+) विमलजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहिं., पद. ३, पद्य, मपू., (विमलजिन तुम साहिब), २८१०५-७६ विमलजिन स्तवन, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (दुख दोहग दूरे टळ्या), २९३०६-२ विमलजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (श्रीजिनवर नित्य जय), २८२५९-१६ विमलजिन स्तवन, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (घर आंगण सुरतरु फल्यौ), २८१४७-५(+), २८२७०-५ विमलजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (धन्य तुं धन्य तुं धन), २८८०६-३(+) विमलजिन स्तवन, आ. रतनसूरि, मा.गु., गा. १३, वि. १७६२, पद्य, मूपू., (मनख जनम मति पाय काय), २८१७२-४ विमलमंत्री सलोको, पंडित. शांतिविमल, मा.गु., गा. १११, पद्य, मूपू., (सरसती सामण बे करजोडी), २८४१५-२(5) विरहिणी पद, मा.गु., गा. २, पद्य, (भि उपनो विसवा न लागी), २८२९८-१९(+) विवेकचंद्रसूरि गुरुभास, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (जिनशासन सिणगार वंदो), २८३०५-२(+) विवेकचंद्रसूरि गुरुभास, मा.गु., गा. ९, वि. १९वी, पद्य, मूपू., (प्रणमी गोयम गणधारी), २८३०५-१(+) विषकन्यायोग विचार, मा.गु., गद्य, (बारसि सोमवारि कृतिका), २८३५५-२(+) विषापहार स्तोत्रभाषा, आ. अचलकीर्ति, मा.गु., गा. ४२, वि. १७१५, पद्य, दि., (आत्मलीन अनंतगुण), २८२३९-३,
२८२४१-१०, २८९२८ विहरमान २० जिन ५ बोल स्तवन, मु. वीरजी, मा.गु., गा. २३, वि. १८१७, पद्य, श्वे., (--), २८१२२-३($) विहरमान २० जिन नमस्कार, मा.गु., गद्य, मूपू., (जंबूद्विपे महाविदेह), २९४२९ विहरमान २० जिन नाम, मा.गु., गद्य, मूपू., (सीमंधरस्वामी श्रीजुग), २८१६०-६७(+#) विहरमान २० जिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वीसे विहरमाण जिणवर), २८१२९-१११(+),
२८१६०-६६(+#) विहरमान २० जिन परिवारादि कोष्टक, मा.गु., को., मूपू., (--), २९९९८ विहरमान २०जिन विवरण, मा.गु., गद्य, मूपू., (विहरमान जिन नाम), २८२४०-१ विहरमान २०जिन सवैया, ऋ. हीरा, पुहि., गा. १, पद्य, श्वे., (सीमंधर युगमंधर बाहु), २८२१९-१० विहरमान २० जिन स्तवन, ग. खिमाविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सीमंधर युगमंधर बाह), २८२३७-२(६) विहरमान २० जिन स्तवन, मु. जैमल ऋषि, मा.गु., गा. ११, वि. १८५२, पद्य, श्वे., (श्रीसीमंधर साहिबा हो), २९९१४-१ विहरमान २० जिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., स्त. २०, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधरसाहिबा), २७३५४ विहरमान २० जिन स्तवन, पा. धर्मसिंह, मा.गु., ढा. ३, गा. ३६, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (वंदु मन सुध विहरणमाण),
२८१९५-१७ विहरमान २०जिन स्तवन, मु. माणकशिष्य, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (सरस्वतिदेव नमूं निस), २८४९१-५(+) विहरमान २० जिन स्तवन, ऋ. लीबो, मा.गु., गा. १८, पद्य, श्वे., (पहिला स्वामी सीमंधर), २८८९७-१ विहरमान २०जिन स्तवन, मु. श्रीपाल, मा.गु., ढा. ३, गा. ३०, वि. १६४४, पद्य, मूपू., (श्रीगणधर गुण स्तवु), २९७९५-१ विहरमान २० जिन स्तवन, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (--), २९९७४-१(#$) विहरमान २० जिन स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (पंचविदेह विषय), २८१६३-४(+) विहरमानजिन स्तवनवीसी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., स्त. २०, पद्य, मूपू., (मुज हीयडौ हेजालूवौ), २८९५४-१ विहरमानजिन स्तवनवीसी, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., स्त. २०, वि. १७८९, पद्य, मूपू., (सुगुण सुगुण सोभागी), २८२७८-६ विहरमानजिन स्तवनवीसी, ग. देवचंद्र, मा.गु., स्त. २०, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधर जिनवर), २८२७८-३ विहरमान भास, मु. कल्याणसागर, मा.गु., ढा. २१, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधिर सांभलउ), २९४९९
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५७०
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ वीतराग गुणवर्णन पद, मु. रूपचंद्र, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जय वीत मोह जय वीत), २८१२९-१४८(+) वेगवंती सज्झाय, ग. समयसुंदर, मा.गु., ढा. २, पद्य, मूपू., (जंबुदीप अति भलौ उतम), २८२६३-१९(+) वेश्यागमन त्याग सज्झाय, मु. चोथमल, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (अब जवानो मानो मेरी), २८१८५-७९ वैराग्य गीत, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जीवन मेरे यहु तेरौ), २८१६०-२४(+#) वैराग्यपच्चीसी, ऋ. रायचंद, रा., गा. २६, वि. १८२१, पद्य, श्वे., (सासणनायक श्रीवर्धमान), २८२६३-१४(+) वैराग्यपच्चीसी, मु. सदारंग, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (ए संसार अथिर करि जाण), २८२५०-२५ वैराग्य पद, मु. घासीदास, पुहिं., पद. ४, पद्य, श्वे., (कैसे मुगति सोहागनि), २८१०५-३६ वैराग्य पद, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (इहु मेरा समझि विचार), २८१६०-४८(+#) वैराग्यपोषक सज्झाय, मु. तिलोकचंद, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (सुणि मेरा प्राणी रे), २८१२९-६१(+) वैराग्यवंतसाधु गीत, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (श्रीजिनवाणी रे निज), २९४५२-१ वैराग्य सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (परषदा आगे दिये मुनि), २८७९२ वैराग्य सज्झाय, मु. कविदास, मा.गु., गा. १२, वि. १९३०, पद्य, मूपू., (तुंने संसार सुख केम), २९१५३-१ वैराग्य सज्झाय, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (धर्म करो रे प्राणीया), २८११५-५ वैराग्य सज्झाय, मु. रतनतिलक, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (काया रे वाडी कारमी), २८०९९-२३(+) वैराग्य सज्झाय, रूपचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (हक मरना हक जानां), २९७२२-३(+), २८१७५-१६, २८२७२-३०,
२९४५७-२ व्यक्तगणधर भास, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मपू., (चोथो गणधर व्यक्त), २९६०१-४ व्याख्यान की पीठिका, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमो अरिहंताणं० भगवंत), २९८७१-१ व्याख्यान पद्धति, मा.गु., गद्य, मूपू., (जय जय भगवान वीतराग), २९२९४ शत्रुजयगिरनारतीर्थ स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (त्रिभुवनमाहे तिरथ), २८१२०-२६(+), २८४९०-३ शत्रुजयतीर्थ २१ खमासमण दुहा, मु. शुभवीरविजय, मा.गु., गा. ३९, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल समरं सदा), २८२१६-९,
२८७८५ (६) शत्रुजयतीर्थ अधिकारविषये-संवेगी यति विवाद सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपू., (सरसति माता सानिधै कह), २७२९६-२(+$) शत्रुजयतीर्थउद्धार रास, मु. नयसुंदर, मा.गु., ढा. १२, गा. १२०, ग्रं. १७०, वि. १६३८, पद्य, मूपू., (विमल गिरिवर विमल),
२७८०३(+), २७१५४-१, २७४६५, २८२२५-७ शत्रुजयतीर्थ गीत, मु. जयसोम, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (मोरौ मन मोह्यौ इण), २८१६०-८३(+#) शत्रुजयतीर्थ गुणमाला, मु. सुखविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (श्रीविमलाचल भेटीइं), २८५२० शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जय जय नाभिनरिंदनंद), २८२४७-४ शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, मु. दानविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीशत्रुजय सिद्ध), २९२३४-४ शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल सिद्धक्षेत), २८२०८-१६ शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, मपू., (प्रथम तिर्थंकर आदि), २८२१७-१०(६) शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (शत्रुजय सिद्ध), २८२६८-१०, २८१३९-७(-) शत्रुजयतीर्थ चैत्यवंदन, मा.गु., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (श्रीआदिनाथ जगन्नाथ), २८२१७-२१ शत्रुजयतीर्थ दोहा संग्रह, मा.गु., पद. ६, पद्य, श्वे., (चोथो आरे जे थया सवी), २८५७६-२ शत्रुजयतीर्थ पद, मु. भानुचंद, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (आनंदरंग घरे आज मेरे), २८२७२-७६ शत्रुजयतीर्थ पद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (भाव धर धन्यदिन आज), २८१२९-५(+) श@जयतीर्थ बृहत्स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३१, पद्य, पू., (बे कर जोडी विनवूजी), २८१२९-१९१(+),
२८१६७-४, २८१७७-६, २९११२-१ शत्रुजयतीर्थरास, मु. भावविजय, मा.गु., गा. ५५, वि. १६७३, पद्य, मपू., (सरसति अमृत वरसती), २९७४७(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५७१ शत्रुजयतीर्थ रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ६, गा. ११२, वि. १६८२, पद्य, मूपू., (श्रीरिसहेसर पाय नमी),
२८११७-२(+), २७७५६ शत्रुजयतीर्थ वधावो, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (गिरिराज वधावो मोतीयन), २९११२-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. उदयरतन, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (डुंगर ठंडोरे डुंगर), २८१६४-६ श@जयतीर्थ स्तवन, मु. उदयरतन, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (ते दिन क्यारे आवसी), २९९७४-१३(#) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (आंखडीये रे में आज), २८५४३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. कनक, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (चालो सखी सिद्धाचल), २८१६४-१२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. कांतिविजयजी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्री रे सिद्धाचल), २८१५९-१७ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. खीमारतन, मा.गु., गा. ५, वि. १८८३, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल गिरि भेट्या), २८१७५-७, ३००१६-१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. जिनचंद, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (सरसती सामण वीन), २८२९४-६(#) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (भाव धर धन्य दिन आज), २८१०१-३८(-) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. जिनभक्तिसूरि, पुहिं., गा. १०, पद्य, मूपू., (सुण सुण शत्रुजयगिरि), २८१०५-५३, २८४७५-१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (करजोडी कहे कामनी), २८५३७(+), २९०९५ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., गा. ११, वि. १७६५, पद्य, मूपू., (अधिक आणंदै हो वंद्यो), २८१२९-१२८(+) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (लावू लावूने राज), २९६८१-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, पू., (आपो आपो ने लाल मोंघा), २९४८७-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (इण डुंगरीयानी झिणी), २८१६०-४(+#), २८२६५-८,
२९७९०-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (गिरिराजका परम जस), २९४८७-५ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (माहरु मन मोह्यु रे), २८१२९-१०६(+), २८७१४-३,
२९२४३-१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मोरा आतमराम कुण दिन), २८१६०-८६(+#) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (विमलगिरइं चले जाउरे), २९४८७-९ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मपू., (शेजानो वासी), २८१०४-३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (श्रीमरूदेवीनंद निहाल), २९४८७-४ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सिद्धगिरि ध्यायो), २८२७५-७ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. ज्ञान, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल गुणगेह भवी), २८९४३-१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, श्राव. तिलोकचंद शाह, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (ए तो सकल तीरथनो राय), २९६८१-४ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. न्यायसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (उंचा रे गढ सेज), २८१२७-१३(+) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (यात्रा नवाणु करीए), २८२२८-४, २८२६५-९, २९९६८-५,
३००१६-३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वीरजी आव्या रे), २८११८-६(+$) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रथम जिनेश्वर सेवना), २८२७८-१६, २९०६३-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (विमलाचल नित वंदीये), २८२२८-३, २९९५४ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. राजसमुद्र, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (विमलाचल सिर तिलो), २८१६०-१(+#), २८१०५-४३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (जी रे मारे श्रीसिद्ध), २८२०८-२१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. १०, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (चालो सखी सिद्धाचल), २८२०८-२० शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. लब्धि, मा.गु., गा. २७, पद्य, मूपू., (अमृत वचने रे प्यारी), २८२९६-३ शत्रुजयतीर्थस्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४१, वि. १९४०, पद्य, मूपू., (सिद्धगिरि सिर सेणेरो), २८११४-१३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (विमलाचल विमला पाणी), २९९८६-१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल शिखरें दीवो), २९१०२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सिद्धाचल सिद्ध सुहाव), २८२९६-२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. शुभविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (इण डुंगरीये मन मोहीउ), २८१४२-३ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पं. शुभवीर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (संवत एक अठलंतरे रे ज), २८७३० शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (मारुं डुंगरिये मन), २९९३५ शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (शेत्रुजै वाजा वाजीय), २८१४७-४(+) शत्रुजयतीर्थ स्तवन, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सोरठदेश सोहामणो हो), २८१२९-१४(+) शत्रुजयतीर्थ स्तवन-१०८ नाम गर्भित, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (श्रीसिद्धाचल भेटीयें), २८२०८-२२ शत्रुजयतीर्थ स्तवन-आदिजिन, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सेजा रलीआमणो), २९२३३-१ शत्रुजयतीर्थ स्तवन-आशातनावर्जन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (तीरथनी आशातना नवि), २८५७६-३,
२८६२७ शत्रुजयतीर्थ स्तवन-नव्वाणुयात्रागर्भित, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (श्रीसिद्धाचलमंडणस्वा), २८१६६-५ शत्रुजयतीर्थस्तवन-पुंडरीकगिरि, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (सोरठ देस सोहामणो), २८२०८-२४ शत्रुजयतीर्थ स्तवन-वसंत पद, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चालो सखी विमलाचल), २८७१२-३ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, श्राव. ऋषभदास, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीशत्रुजय तीरथसार), २८१२०-२४(+), २८४७४-१(+),
२८१८१-१८, २८२००-८, २९११४ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीशेजो तीरथ), २८१२०-१(+) शत्रुजयतीर्थ स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सवि मली करी आवो), २८१७३-१४ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीशत्रुजयमंडण), २८१६३-२४(+), २८३०१-२ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पंन्या. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (विमलाचल तीरथनो रायां), २८२७७-३३ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (पुंडरिकमंडण पाय), २८१८१-७, २८८२८-२ शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (आगे पूरव वार नीवाणु), २८१८१-१६, २८२००-१८, २८२०३-२,
२८२७७-५१, २८६५८-२, २९२७९-२(७), २९८७३-३($) शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सकल मंगल लीला मुनि), २९६७८ शत्रुजयतीर्थे मोतीशालूंक स्तवन-इतिहासयुक्त, पं. वीरविजय, मा.गु., ढा. ७, पद्य, मूपू., (उठी प्रभाते प्रभु), २९९७०-२(#$),
२८६४६-२() शनिश्चर छंद, पंडित. ललितसागर, मा.गु., गा. ४७, पद्य, मूपू., (सरसती सामिणी मन दियो), २८८३९-१(+$), २९९८७-१ शनिश्चर छंद, क. हेम, मा.गु., गा. १७, पद्य, श्वे., (अहि नर असुर सुरपति), २८१७८-११, २८७३७-१ शनिश्चर छंद, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., वै., (छायानंदन जगजयो रवि), २८४४४-१ शरणा गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., ढा. ४, गा. १२, पद्य, मूपू., (लाख चौर्यासी जीव), २८१२९-१९२(+) शराबव्यसन त्याग सज्झाय, पुहि.,गा. ११, पद्य, श्वे., (सराव सोक महां बुरा), २८१८५-७८ शरीरद्वार १५ प्रकार विचार, रा., गद्य, मूपू., (पन्नवणां पद २१मो १५), २७२२२-२ शल्यछत्रीशी सज्झाय, मु. जेमल ऋषि, मा.गु., गा. ३६, पद्य, श्वे., (अरिहंत सिद्ध छे आयरि), २८७३२(+) शवणबत्रीसी सुकनावली, मा.गु., गा. ३२, पद्य, ?, (राजा डाबो जीमणी जोरे), २८१५९-१ शांतिकुंथुअरमल्लिजिनकल्याणकक्षेत्र स्तवन-हस्तनागपुर, मु. जिनचंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (हस्तनागपुर वर भलौ हे),
२८१६०-३७(+#) शांतिजिन गीत, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सांति दाति कांति), २८१२९-१५१(+) शांतिजिन चैत्यवंदन, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सोलम जिनवर शांतिनाथ), २८१६५-४, २८२४७-५ शांतिजिन चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शांति कर्ण प्रभु), २८१९९-४
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५७३
शांतिजिन छंद - हस्तिनापुरमंडन, आ. गुणसागरसूरि, मा.गु., गा. २१, पद्य, मृपू., ( सारद माय नमुं सिरनाम ), २८०९९ - ९५ (+),
२८८५८-६ (०), २८११५-९, २८२२९-३४, २९२५९-१
शांतिजिन जन्माभिषेक कलश, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४६, पद्य, मूपू., (श्रीजयमंगलकृत्स्न), २८२८७-२ शांतिजिन पद, वा. कीर्तिविजय, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (लोचन हे अनीयाले हो), २८२७२-७४ शांतिजिन पद, मु. ज्ञानउद्योत, पुहिं., पद. ४, पद्य, भूपू., (खतरा दूर करना एक ), २८१०५-७४ शांतिजिन पद, आ. लक्ष्मीसूरि, पुहिं, गा. ३, पद्य, मूपु., (सोहं माहाराज तेरी), २८२७२-९८ शांतिजिन पद, मु. लाल, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (शांति जिणंद दीआल), २८२७२-८९ शांतिजिन पद, हरखचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, वे., (श्रीसंतनाथ सरण तेरे), २७०३४-१९(+) शांतिजिन पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (चेत अचेतन मूरख मनकु), २८२७२-४५ शांतिजिन पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., ( वनिता विनवे प्रीतम ), २८१९९-१७
शांतिजिन बाल्यावस्था गीत, ग. विजयशेखर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मृपू., (शांतिकुमरवर सुंदरु), २८४००-३ शांतिजिन स्तवन, मु. आणंद, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (संती जिणेसर साहेबा), २९५७८
शांतिजिन स्तवन, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. १४, पद्य, भूपू (श्रीशांतिजिणंदनी जाउ), २८१३७-१२
शांतिजिन स्तवन, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (सुणो शांतिजिणंद सोभा), २८७७३ - २, २९३५८, २९७२९-२ शांतिजिन स्तवन, मु. कमलविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (सरसति सरस वचन दिइ), २८४०३ - २(+) शांतिजिन स्तवन, मु. कवियण, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (जिनजी हो आज उमाहो), २८१४७-१४(+) शांतिजिन स्तवन, उपा. कांतिविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शांति जिणंद नीत वंदी), २८२४४-४
शांतिजिन स्तवन, मु. कांतिसागर, मा.गु., गा. ११, वि. १७७२, पद्य, म्पू, (पूजा सीहे संत जिणंद), २८१४७-१(+)
,
शांतिजिन स्तवन, मु. चारित्रविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शांति आपो रे शांति), २८६३८ - २
शांतिजिन स्तवन, मु. चोथमल, रा. गा. १०, पद्य, वे, (सांतिनाथ प्रभु सोलमा ), २८१८५-२
ラ
शांतिजिन स्तवन, मु. जयसोम, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूषू., (संत करि संतजिण सेवीय), २९२२८-१
शांतिजिन स्तवन, आ. दयासागरसूरि, मा.गु. गा. १८, पद्य, म्पू., (शांति जिणेशर प्रणमुं), २९५७१
"
शांतिजिन स्तवन, मु. दियाल, मा.गु., गा. १४, वि. १७४२, पद्य, वे. (श्रीसंत जीणेसर संत), २८२६३-९६ (+)
शांतिजिन स्तवन, मु. दीपविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीशांतिनाथ दयानिधि), २९०६३ -१ शांतिजिन स्तवन, उपा. धर्मसी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीशांतिजिनेसर सोल), २८१२९-८७ (+) शांतिजिन स्तवन, आ. नंदसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (देउइहंपुरी दीपइं), २९२३३-२
शांतिजिन स्तवन, मु. भावसागर, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (सेवा शांतिजिणेसर की), २८१९५-१४, २९८६४-१ शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शांतिजिणंद महाराज), २८२७८-३० शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (शांति जिणंद सोहामणोर), २८२७८-२९
शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (शांति जिनेश्वर साहिब), २८१४६ - १२ (+), २८१६५-९ शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सोलमा श्रीजिनराज ) २८१६४-१६, २८२२५-५,
"
२८२७८- २८, २८५८२
शांतिजिन स्तवन, मु. राम, पुहिं., गा. ७, पद्य, भूपू., (शांतिकरण श्रीशांति), २८२७२-६३
शांतिजिन स्तवन, मु. विजयराज, पुहिं., गा. ९, पद्य, मूपू., (दो कर जोडी वीन), ३००१३-४
शांतिजिन स्तवन, उपा. समवसुंदर गणि, पुहिं, गा ५, पद्य, मूपू., (मेरइ आंगन कल्प फल्यो) २८१५९-२३, २८२७२-६६ शांतिजिन स्तवन, मा.गु., गा. २२, वि. १६९९, पद्य, मूपू., ( कुरहथणाउर सार जांणे), २८५३१-१
शांतिजिन स्तवन, रा., पद्य, श्वे., (शांतिजिनेसर सवरीये), २९८९७
शांतिजिन स्तवन- कलकत्तामंडन, मु. शांतिरत्न, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु., ( कलकत्तैपुर दीठा रे), २९२५८
शांतिजिन स्तवन- गोधरामंडन, मु. अमीविजय, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (शांतिजिनेशर भेटीए रे), २८३७४२) शांतिजिन स्तवन-जेसलमेर, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अष्टापद हो ऊपर लो), २८१२९ - १६४(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ शांतिजिन स्तवन-निश्चयव्यवहारगर्भित, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., ढा. ६, गा. ४८, वि. १७३४, पद्य, मूपू., (शांति
जिणेसर केसर), २८२२०-२(+), २९५१७(+), २८२७८-४६, २९६४४, २९६५५ शांतिजिन स्तवन-मातर, मु. शिवरत्न, मा.गु., गा. १३, वि. १८५५, पद्य, मूपू., (साचा देवनी रे सेवा), २८२७२-१८ शांतिजिन स्तवन-मेवानगर, मा.गु., पद्य, मूपू., (महेवानगर मझार वीतराग), २८१२९-१४०(+$) शांतिजिन स्तवन-रत्नपुरी, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीपति शांति), २९६२३ शांतिजिन स्तवन-रागमाला, मु. सहजविमल, मा.गु., गा. ३०, पद्य, मूपू., (वंछित पूरण मनोहरु), २९९८१ शांतिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (शांति जिणेसर समरीइं), २९०९०-२(+), २८१८१-२०,
२८२००-६, २८२६९-१, २८२७७-२५ शांतिजिन स्तुति, मु. राम, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (कुरुजनपद गजपुर वरनयर), २८२७७-३६ शांतिजिन स्तुति, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (शांतिकरण श्रीशांति), २८४२५-२ शांतिजिन स्तुति-जावरापुर, मु. पुन्यविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (शांतिकर शांतिकर), २८१२०-२३(+), २८८२८-३ शांतिजिन स्तुति-संकेत, मु. पुण्यसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अचिरानं. दरशण. मोहतम), २८१५०-७ शांतिजिन स्तोत्र, मु. उत्तमरत्न, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (स्मर शांतिजिन जिन), २९९८२-१ शांतिजिन स्तोत्र, ऋ. दुर्गदास, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (मंगलदायक श्रीजिनराइ), २८२४१-३ शालिभद्रधन्ना सज्झाय, वा. उदय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अजिया मुनि० वेभारगिर), २८९९७-१ शालिभद्रमुनि चौपाई, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., ढा. २९, गा. ५१०, वि. १६७८, पद्य, मूपू., (सासननायक समरियै),
२७४७६-१(+), २७४७४ शालिभद्रमुनि लावणी, मु. हीरालाल, रा., गा. ५, वि. १९५६, पद्य, श्वे., (शालभद्र महाराज आपकी), २८९७७-२ शालिभद्रमुनि श्लोक, क. जिन, मा.गु., गा. १३८, पद्य, श्वे., (सरसती सांवण समरूं), २७२६६ शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. विनीतविमल, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (राजगृही नगरीने), २९१८९ शालिभद्रमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शालिभद्र आज तमने), २८१६०-७८(+#) शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., गा. १७, पद्य, म्पू., (प्रथम गोवाल तणे भवे), २८१२९-२६(+), २८४८८-१ शालिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (करजोडी आगल रही लेई), २८२७५-५ शालिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., गा. २२, पद्य, मूपू., (राजगृहीय नयरीए वणजार), २९००५ शाश्वतजिनबिंब स्तवन, मु. जिनेंद्रसागर, मा.गु., ढा. ६, गा. ६०, पद्य, मूपू., (सरसति माता मन धरि), २८२१२-४ शाश्वतजिन स्तवन, मु. माणिकविमल, मा.गु., ढा. ७, गा. ८४, वि. १७१४, पद्य, मूपू., (वीर जिणेसर पाय नमी), २७३०६,
२८११०-१, २८२७५-९ शाश्वतजिन स्तवन-नंदीश्वरद्वीप, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (नंदीसरवर दीप मझारि), २९३३८($) शाश्वतजिन स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (ऋषभ चंद्रानन वंदन), २८७३६-२ शाश्वतप्रतिमा विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (पहिलो सौधर्म देवलोक), २८३२८-१(+) शाहजहाँ के प्रति गोवचन पद, पुहि., पद. १, पद्य, श्वे., (साहाजहां तेरी पातसाह), २७४७६-२(+) शिकार त्याग सज्झाय, मु. चोथमल, पुहि., गा. ९, पद्य, श्वे., (स्याम दिल हो जाय), २८१८५-८० शिवपुर सज्झाय, मा.गु., गा. १६, पद्य, श्वे., (गोतमस्वामी पुछा करी), २८२६३-९७(+) शिवपुरी जिनतीर्थमाला स्तवन, मु. विनोदविजय, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (शिवपुरी नयरी सोहामणी), २८८८०(+) शीतपरिसहसाधु गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (धन धन साधु सहे अति), २८१६०-५६(+#) शीतलजिन गीत, मु. रंगवल्लभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (जिन तेरौ दरसण अधिक), २८१६०-३८(+#) शीतलजिन पद, मु. रूपचंद, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरौ लागो नवल सनेह), २८१२९-७५(+) शीतलजिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मुख नीको शीतलनाथ कौ), २८१२९-६(+) शीतलजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ७, पद्य, श्वे., (श्रीजिन शीतल सुखकरु), २८२५९-१० शीतलजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (सकल सुख करन दुःख हरन), २८२५९-११
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
५७५ शीतलजिन स्तवन, मु. जिनविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (शीतलजिन सहजानंदी थयो), २८१३७-२४ शीतलजिन स्तवन, मु. धर्म, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (शीतलजिन अरदास रे), २९७९९-२ शीतलजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., गा. ६, वि. १८२२, पद्य, श्वे., (शीतल जिनवर देव सुणो), २९३९७-१ शीतलजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सितलजिननी सेवना), २८२७८-२५, ३००२४-४ शीतलजिन स्तवन, आ. रतनसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (चिहुं गति तारै निवार), २९२४९-१ शीतलजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अरज सूणीजे हो प्रभू), २८४३९-३ शीतलजिन स्तवन, पं. शुभवीर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (अखीयन में गुलझारा), २८२८५-१६ शीतलजिन स्तुति-आत्मनिंदागर्भित, ग. राजहंस, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (सदानंद संपुन्न चंदो), २८४४१ शीयल कडा, मा.गु., गा. १६, पद्य, श्वे., (धर्मना छे अनेक प्रक), २८२६७-२, २९१०७ शीयल नववाड सज्झाय, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (गुणनिधि जीवडारे शील), २८२४६-४(+) शीयल रास, पंडित. नयसुंदर, मा.गु., गा. ११९, वि. १६६९, पद्य, मूपू., (सिद्धि वधूवर वंदीइ), २७३५७ शीयलव्रत सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुखडानो मटको देखाडी), २८२७२-५६ शीयलव्रत सज्झाय, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (सरसती केरा रे चरणकमल), २८९८०-४ शीयलव्रत सज्झाय, मु. भैरवदास, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (जीवो जीवा जीगरु दया), २८२९८-४७(+) शीयलव्रत सज्झाय, मु. मोहन, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (सरसती सेते सामणे), २८२२६-९ शीयलव्रत सज्झाय, सेवक, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (आपणीवि इम जालवो), २८२९८-१८(+) शीयलव्रत सज्झाय, मु. हर्षकीर्ति, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (सिल हे परधान सब पर), २८६८२-१ शीयलव्रत सज्झाय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (चित्र लिखी जे पूतली), २८२४३-४ शीलछत्तीसी, मु. राजलाभ, मा.गु., गा. ३६, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (शांतिनाथ जिनवर पय), २८१२९-२५(+) शीलनववाड सज्झाय, आ. देवसूरि, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (रमणी पशु पंडग तणी रे), २८१३३-४ शूरवीर पद, मा.गु., पद. २, पद्य, वै., (रे सिंहा मम निंदकर), २९०४४-३ श्रावक १२ व्रत आलोयणा, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्राणातिपात प्रथम), २९४६३-२ श्रावक १२ व्रत रास, मु. हेमसोमसूरिशिष्य, मा.गु., ढा. २, गा. ४५, पद्य, मूपू., (प्रणमी पासजिणेसरु), २९०१४ श्रावक ४ प्रकार पद, मु. मोतीचंद, मा.गु., गा. ३६, वि. १८३६, पद्य, श्वे., (वर्धमान शासनधणी गणधर), २८३८८ श्रावक आलोयणा, रा., गद्य, मूपू., (अणगल जल वावर्यै लाख), २८९४९-१) श्रावकइकवीसी, मु. रतनचंद, मा.गु., गा. २१, पद्य, श्वे., (श्रावक नाम धरायने), २८२५२-२३ श्रावक औपदेशिक सज्झाय, पंडित. शुभवीरविजयजी म.सा., मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (आज रहो मन मोहना तुम),
२८३२९-२(६) श्रावककरणी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. २३, पद्य, मूपू., (श्रावक तुं उठे परभात), २८०९९-८२(+), २८२८७-६,
२८२९६-८, २८६३०, २९२१९, २९९७१-१, २९९४२-२(#) श्रावकगुण सज्झाय, मु. रंगविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (चतुर नर सुणजो रे), २८२६४-६ श्रावकपाक्षिक अतिचार-लघु, मा.गु., पद्य, श्वे., (श्रीज्ञाननइ विषैइ), २८२४५-१ श्रावकप्रतिमा सज्झाय, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (सातमै अंगे भाखीओजी), २८१६७-१६, २८१६७-३४ श्रावकमनोरथ विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (तीन मनोरथ करतो थको), २९७३३ श्रावक विधि सज्झाय, मु. लावण्यसमय *, मा.गु., गा. ३१, पद्य, मूपू., (प्रणमी वीर जिणेसर), २८४५२ श्रावक व्रत अतिचारसंख्या, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (समकितना पांचवे सही), २८०१२-२(+) श्रावकोपदेश सज्झाय, मु. खोडोजी, रा., गा. १०, पद्य, श्वे., (फोगट सरावग नाम धरावे), २८१८५-६७ श्रीपाल प्रसंग, मा.गु., गद्य, मूपू., (मतिसागरें श्रीपालने), २८२८६-७०) श्रीपालमयणा सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (गुरू नमतां गुण उपजे), २९९४४-१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
श्रीपाल रास, उपा. विनयविजय; उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., खं. ४ डाल ४९ गा. १८२५, वि. १७३८, पद्य, मूप,
(कल्पवेल कवियण तणी), २७३२८ (+$), २७३७० (+), २७५१४(+), २७६५८ (+$), २९६७४, २७११७($), २९४०५-१($) (२) श्रीपाल रास- बालावबोध", मा.गु., गद्य, मूपु. ( - ), २७११७/३)
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(२) श्रीपाल रास - टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (त्रीजो खंड पूरो थयो ), २७३७० (+)
श्रीपाल रास वृहद्, मु. जिनहर्ष, मा.गु., ढा. ४९ गा. ८६१, वि. १७४०, पद्य, म्पू, (अरिहंत अनंतगुण धरीवे),
-
२८१०५ - १०१
श्रीपाल रास - लघु, मु. जिनहर्ष, मा.गु., ढा. २०, गा. २७१, वि. १७४२, पद्य, मूपू., (चउवीसे प्रणमु जिनराय), २७४१४ श्रुत बाराखडी, पुहिं., गा. ७७, पद्य, से., (प्रथम जपो अरहंत की), २९३५५
2
श्रेयांसजिन स्तवन, मु. अमर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीश्रेयांस जिनेसर), २८४८१-४ श्रेयांसजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ७, पद्य, थे. (श्रीश्रेयांस कुलवतंस), २८२५९-१४ श्रेयांसजिन स्तवन, मु. गुणविलास, गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (महेर करो महाराज हम प), २८०९९-५३ (+) श्रेयांसजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., गा. ६, वि. १८२३, पद्य, श्वे. (श्रीश्रेयांसजिनेसर), २९३९७-४ श्रेयांसजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( साहेब श्रीश्रेयांसजी), २८१३७ - १७ श्लोक संग्रह -, मा.गु., पद्य, (--), २८१६४ - १८, २८१९६-१४, २८२६२-६ ($) श्वेतपुंवाडिया सज्झाय, मु. देवविजय, मा.गु., डा. ७, पद्य, मूपू., (पवयण देवि पाय नमि) २७२५६(क) षट्पंचाशिका स्वाध्याय, मु. सौभाग्यविजय, मा.गु., गा. ५६, पद्य, मूपू., (परंपरागम गुणगण गुरु), २९७०४(+) षड्द्रव्य विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (धर्मास्तिकाय १ अधर्म), २८२६१-८
,
संगीत पद, मा.गु., पद. ५, पद्य, थे., (सोहे सुरन गाती), २८०९९-४५ (+)
संग्रामसूर चौपाई, उपा. रत्नचंद्र, मा.गु., गा. ८५, वि. १६७८, पद्य, मूपू., (समरी सरसति वचन विलास ), २९७६७(+) संजयाविचार-भगवतीसूत्रे - शतक२५ उद्देश, मा.गु., गद्य, मूपू., (पन्नवणा १ वेयरागे), २९१२४(+), २८२३८-५ संतोषछत्रीसी, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३६, वि. १६८४, पद्य, मूपू., (सांहामी स्वयं संतोष), २८२६२ - १, २९६९७ संधिपालक कथा, मा.गु., गद्य, वे., (हीवे संद्धिपालक ते), २९९६१
संबोधअष्टोत्तरी, मु. ज्ञानसार, रा., गा. १०८, वि. १८५८, पद्य, मूपू., (अरिहंत सिद्ध अनंत), २९२१७ संभवजिन चैत्यवंदन, क. ऋषभ, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (संभवजिन सुकमाल सील), २८२१७-३ संभवजिन पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, म्पू., (वांके गढ फोज चढी), २८१५९-२०, २८२६४-७६ संभवजिन स्तवन, मु. अभयराज, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( प्रभु प्रणमुजी संभव), २८२०७-११ ($) संभवजिन स्तवन, आ. उदयसागरसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संभवजिननी सेवा प्यार), २९९४७-४ संभवजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., ढा. २, गा. १३, वि. १७१२, पद्य, वे (श्रीजिनवर सुभकाय भाव), २८२५९-४
19
संभवजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ९, पद्य, वे., (श्रीशंभव सुख कर जिन), २८२५९-३
"
संभवजिन स्तवन, मु. जिनलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संभव गुण गाय रे गाइ), २८१२९ - १४९ (+) संभवजिन स्तवन, वा. देव, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु. ( संभवजिनसुं खेलीइं हो), २९५०४-२ संभवजिन स्तवन, मु. नित्यलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (हुं तो मोह्यो रे लाल), २८१४७-८ (+), २८९०४ संभवजिन स्तवन, पं. नित्यलाभ, मा.गु., गा. १०, पद्य, म्पू, (हूं तो जाउं रे जिन), २८५९९-३(३) संभवजिन स्तवन, मु. मुक्तिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, भूपू., (संभवजिन शिवसुख सामी), २९२५३ - २ संभवजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (समकित दाता समकित), २८२७८-१८ संभवजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संभव जिनवर विनती), २८९०० संभवजिन स्तवन, मु. रिद्धिकीर्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संभवि जिनरी सेवा), २८१२३-२
संभवजिन स्तवन, मु. सुमतिविजय शिष्य, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मुने संभव जिनशुं), २८१२७ - ३ (+), २९३६५-३,
२९६१७-१
संभवजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मृपू., (सेवो संभवनाथ जूगतें), २८१३७-३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २
संभवजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसंभवनाथ कर जोडी), २८१२२-२ संयतीराजा चरित्र, ऋ. जैमल, मा.गु., गा. २५, पद्य, स्था., (गदभाली मुनवर कनै), २८२६३-७२(+) संयमश्रेणिविचार स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., डा. २ गा. २१, पद्य, मूपू., (प्रणमी श्रीगुरुना), २८५१६-१ (२) संयमश्रेणिविचार स्तवन-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऐंद्रवृंदनतं नत्वा), २८५१६-१
संबर सज्झाय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (--), २९८२१-६ (६)
संवेगद्रुममंजरी चौपाई, मु. कुशलसंयम, मा.गु., गा. १२१, ग्रं. १७८, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (सकल सरूप प्रणमी), २८२९८-४० (+)
संवेगवत्रीसी, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गा. ३२, पद्य, मूपू., (जोड़ विमासी जीवडा ए), २९४५४-१ संवेगरस चंद्रावला, मु. लींबो, मा.गु., गा. ४९, पद्य, मूपू., (सकल सुरिंद नमइ सदा), २९५८८(#) संवेग सज्झाय, मु. प्रीतिविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (आतम चेत चेत रे सब), २८४८८-६ सकडालमंत्री चौढालिया, ऋ. जैमल, मा.गु., ढा. ८, वि. १८५०, पद्य, श्वे., (वीर नमुं सासनधणी), २७५११
सकलजिनविनती स्तवन, पंन्या. दीपविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (आबोलो स्याना ल्योछो), २८१७५-८, २८२८९-५ सकलतीर्थवंदना, मु. जीवविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (सकल तीर्थ वंदु कर), २९८५३
सचित्तअचित्त सज्झाय, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (प्रवचन अमरी समरी), २८२८५-४, २९८२८ सज्जनदुर्जन गीत, श्राव. भुंभच संघवी, मा.गु., गा. ६, पद्य, वे.?, (एक इस्या नर जिया), २८४६७-१ सतीशिरोमणि सज्झाब, पंन्या. रविविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मृपू., (समोसरणि २ परषदा सवि) २८५३५-७ सत्तरिसयजिन स्तवन, मु. विशालसुंदर, मा.गु., गा. ६१, पद्य, मूपू., (समरी सरसति भगवति), २९५८५ (+#) सत्ताणुं बोल, मा.गु., गद्य, थे., ( आगमीचा कालरा केवलीया), २८६९५ (४)
सत्ययुगगमन दोहा, क. सोम, मा.गु., गा. १, पद्य, भूपू., (रेवण खाण गयो बावनो) २८१६१-५ (०)
सत्संग पद, कबीर, पुहिं., गा. ७, पद्य, वै., (प्राणी तु तो सतसंगनो), २८१८५- १००
सनत्कुमार चक्रवर्ति रास, मु. महानंद, मा.गु., ढा. ९+ कलश, वि. १८३९, पद्य, वे (श्रीश्रुतदेवी शारदा), २८१९१-१ (+३) सनत्कुमारचक्रवर्ति सज्झाय, मु. खेम, मा.गु., गा. १७, वि. १७४६, पद्य, म्पू, (सुरपति प्रशंसा करे), २८५७५ सनत्कुमारचक्रवर्ती सज्झाय, मु. उदयरत्न, मा.गु., डा. ४, पद्य, मूप, (कुरुदेशे गजपुर ठामे), २८८७९(३) सनत्कुमार चौढालियो, मु. कुशलनिधान, मा.गु., ढा. ४, वि. १७८९, पद्य, मूपू., ( सुखदायक सासणधणी तिभु),
२८२२६-७३) २९३२१)
५७७
समकितना सड़सठवोलनी सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., ढा. १२, गा. ६८, पद्य, भूपू (सुकृतवल्लि कादंबिनी), २७१६३, २८५४९, २९७००, २९९७२. २७३३९(३)
,
(२) समकितना सडसठबोलनी सज्झाय-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (सुकृत पूण्यं तद्रूप), २७१६३ समकित सज्झाय, मु. कवियण, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (सुणि सुणि रे जीवडा), २८३६५ (+) समकित सज्झाय, देवीदास, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (समकीत नाह सही रे), २८१८५-३९ समता सज्झाय, मा.गु., गा. १४, पद्य, भूपू., (देहकुट बधन कारिमु), २९३५०-१
समवसरणविचार स्तवन, मु. रूपसौभाग्य, मा.गु., ढा. ५, पद्य, मूपू., (देवतणा आसण चलइए सुर), २८३३० समवसरण स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. २१, वि. १८२१, पद्य, मूपू., (मोरी वीनतडी अवधारो), २८२९९-७ समवसरण स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., ( एक बार वछ देश आवजो), २८६४०, २९७३२-२ समवसरण स्तुति, मु. जयत, मा.गु., गा. ४, पद्य, भूपू., (मिलि चौविह सुरवर), २९९४१-१० समस्या पद, कान्ह, मा.गु., गा. २, पद्य, (पांगलो नाचइ बोबडउ ), २८२९८-२१ (+) समस्या पद, भैरव, मा.गु., गा. ३, पद्य, जे. २, (पंडिता आ कछु कधिउ), २८२९८- २०(+) समस्यापद संग्रह, क. पूरणचंद, मा.गु., पद, ४, पद्य, थे., (एक नारि छे अनुप ते), २८२८६-६) समाधिपच्चीसी, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., गा. २५, वि. १८३३, पद्य, ओ., (अपुरव जीव जिन धर्मने), २९३७५ समाधि मरण विधि, मा.गु., गद्य, म्पू., ( प्रथम वस्त्र साधविने), २९४३१
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
समुद्धात विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (जे केवली वेदनीयादिक), २८२६१-१
समूर्च्छिम मनुष्योत्पत्ति १४ स्थान सज्झाय, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपु., (चालो सहीवर मंगळ गाइए), २८५३४ सम्मेतशिखरतीर्थ चैत्यवंदन, मु. कल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पूर्व दिसे दीपतो), २८२४७-११ सम्मेतशिखरतीर्थ पद, मु. गुलाबचंद, पुहिं., पद. २, पद्य, श्वे., (हरष हरष मन हरषी लो), २८१०५ - ९१ सम्मेतशिखरतीर्थ पद, मु. प्रेमउदय, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (बै घडी भली जाम सकर), २८२७२ - १५४ सम्मेतशिखरतीर्थ पद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मृपू., (चालो शिखरगिरि वंदन), २९९३१-७ सम्मेतशिखरतीर्थ पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (दरसण कीयौ आज सीखरगीर), २८२७२-३८ सम्मेतशिखरतीर्थ पद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (हां रे समेतसिखर हम ), २८१०५-७३ सम्मेतशिखरतीर्थयात्रा पद, मा.गु., गा. ६, वि. १८७४, पद्य, मूपू., (धुंसो वाजै रे), २८०९९-६७(+)
सम्मेतशिखरतीर्थ रास, ग. दयारुचि, मा.गु., ढा. २१, ग्रं. ८००, वि. १८३५, पद्य, मूपू., (श्रीपारस जिनवर नमी), २७५४८(+$) सम्मेतशिखरतीर्थ रास, मु. बालचंद, मा.गु., वि. १९०७, पद्य, मूपू., ( वांदी वीस जिनेसरू), २८११७ - ३(+)
सम्मेतशिखरतीर्थ रास, मु. सत्यरत्न, मा.गु., ढा. ७, वि. १८८०, पद्य, मूपू., (अजितादिक प्रभु पाय), २८०२२($) सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. अमर, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., ( सोही घरी भली ज्यांम), २८२७२-१३१ सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. अमृत, पुहिं., गा. ७, वि. १८४३, पद्य, मूपू., (चालो सहीया आपा जासा), २८२६५-१० सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. अमृतविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसमेतशिखरगिरिबंदो), २९०५१-२ (+) सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. अमृतविजय, मा.गु., गा. १०, वि. १८८६, पद्य, मूपू., ( श्रीसमेतशिखरगिरि भेट), २९०५१ - १(+) सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. ऋद्धिहर्ष, मा.गु., गा. १०, वि. १७४४, पद्य, म्पू, (तोह नमो तोह नमो समेत), २८२५६-४ सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. १४, पद्य, भूपू., ( नाम सुणत शीतल श्रवणा), २९९८६-५ (5) सम्मेतशिखरतीर्थ स्तवन, आ. हर्षचंदसूरि, मा.गु., गा. १८, वि. १८९८, पद्य, मूपू., (शिखर समेत बधावो), २८८६१ सम्मेतशिखरतीर्थ होरी, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (ऐसी धूम मचाई मधुबन), २८८८९-१
सम्मेतशिखरतीर्थ होरी पद, पुहिं. गा. ७, पद्य, भूपू., (मधूवनमे धुम मचि होरी), २८२७२-४०
,
सम्यक्त्व पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (जागे सौ जिनभक्ति), २९१५०-१
सम्यक्त्वसुखडी सज्झाय, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., (चाखो नर समकित सुखडली) २८१२९-१७४(+), २९९७१-२ सम्यक्त्व स्तवन, ग. खिमाविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (समकित द्वार गभारे), २८५७२-१
सरस्वतीदेवी छंद, आ. दयासूरि, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (बुद्धि विमल करणी) २८१२७-१० (+), २९१०४-१,
२९११३-७, २९२१०-२
सरस्वतीदेवी छंद, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ३५, पद्य, मूपू., (सरस वचन समता मन), २८२२९ १ २९२१०-१ सरस्वतीदेवी छंद, मु. सहजसुंदर, मा.गु., डा. ३, गा. १४, पद्य, म्पू., (शशिकर जिनकर सम) २८२२९-१२ सरस्वतीदेवी छंद, मु. हेम, मा.गु., गा. १६, पद्य, श्वे., (ॐकार धुरा उच्चरणं), २८२५०-१८, २९२०१
सर्पविषउतारण मंत्र, मा.गु., गद्य, (), २९५६३-२
सर्वजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सीमंधर प्रमुख नमुं), २८२९६-७
सर्वधर्मसमभाव पद, मु. सूर्य, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (सर्वधर्म समभाव दिखाव), २८८७८-१० (+)
सर्वानुभूतिजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. १५, पद्य, म्पू., ( जगतारक प्रभु विनवुं), २८८०६ - ४(+३)
सर्वार्थसिद्धविमानवर्णन सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (जगदानंदन गुणनीलो रे), २८१६७-२८,
२८४५६, २९९२२, २९१४९- १)
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सवैयाछत्तीसी, मा.गु., गा. ३६, वि. १६९०, पद्य, थे., (देवतओ अरिहंत गुरु ), २८२६२-३
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सवैया संग्रह, पुहिं., पद्य, वै., (अली आय खरी सन्मुख), २७७५४ - २
सवैया संग्रह, पुहिं, गा. १७, पद्य, वे., (हां रे राजा वीर भार), २८२७९-१३, २९२८४-१०)
सहजानंदी सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ११, पद्य, भूपू., ( सहजानंदी रे आतीमा), २८२८५-१५, २८६४१, २९७३२-१ सहस्रकूटजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., ( सहसकूट जिन प्रतिमा) २८१९५५, २९३१३-३
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२ सांबप्रद्युम्न प्रबंध, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., खं. २ ढाल २२, गा. ५३५, ग्रं. ८००, वि. १६५९, पद्य, मूपू., (श्रीनेमीसर
गुणनिलउ), २८९६२(+$) सागरप्रभुजिन स्तवन, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (गुणआगर सागर स्वामी), २८८०६-१(+$) सागरोपम पल्योपम विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (च्यार गाउनो कुओ), २८४६५ साढापच्चीस देशनाम व ग्रामसंख्या, मा.गु., गद्य, मूपू., (मगधदेस राजग्रहीनगर), २८२४०-४, २८२५०-१६ सातवार सज्झाय, ऋ. दुर्गदास, मा.गु., गा. १२, वि. १८४४, पद्य, श्वे., (सतगुर परउपगार नै काज), २८२६३-६९(+) साधारणजिन ८ महाप्रातिहार्य स्तवन, मु. ब्रह्म, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (स्वामी सानिधि सानिधि), २९५६०-२ साधारणजिन आरती, मु. द्यानत, मा.गु., गा.८, पद्य, मूपू., (इहविध मंगल आरती कीजै), २८१०५-८ साधारणजिन आरती, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (आरती श्रीजिनराज), २८१७४-३ साधारणजिन गहुँली, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चतुरा चतुरि चालतूं), २८८०२-२ साधारणजिन गीत, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (जब जिनराज कृपा होवे), २८२७२-७१, २८१३९-८(-) साधारणजिन गीत, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (तु निरंजन इष्ट हमेरा), २८१७४-६ साधारणजिन चैत्यवंदन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (चउजिन जंबूद्वीपमा), २८२१७-२५ साधारणजिन चैत्यवंदन, मु. राम, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (जगन्नाथने ते नमै हाथ), २८४४३-१, २८६८७-२ साधारणजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (जंबुद्वीप जिणेसर), २८२१७-४ साधारणजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जय स्वामी तुं जगदीसर), २८४४३-२, २८६८७-१ साधारणजिन चैत्यवंदन-पंचपरमेष्ठिगुणगर्भित, आ. नयविमल, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (बार गुण अरिहंतदेव), २८२१७-५,
२९९६८-७ साधारणजिन जन्मकल्याणक स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (में जिन मुख देखण जाउ), २९४८७-१ साधारणजिन पद, मु. अजैराज, रा., गा. ५, पद्य, श्वे., (माहरी वीनतडी अवधारि), २८२६४-७१ साधारणजिन पद, मु. ऋषभदास, पुहि., गा. ४, पद्य, म्पू., (ऐसा सेहरा चढाउंगी), ३००१६-४ साधारणजिन पद, पा. क्षमाप्रमोद, पुहि.,गा. ३, पद्य, मूपू., (मान्यो जिनवर मेरइ), २८१२९-१३(+), २८१२९-८२(+) साधारणजिन पद, पा. क्षमाप्रमोद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीजिनराज वधावौ थाल), २८१२९-८३(+) साधारणजिन पद, मु. जगतराम, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (त्यारेगोजी प्रभु तुम), २८२७२-१२२, २८५१६-४ साधारणजिन पद, मु. जगतराम, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (प्रभु तेरी अदभूत रीत), २८२६४-८४ साधारणजिन पद, मु. जगतराम, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (लगन लगी मोरी लगन लगी), २८२६४-२५ साधारणजिन पद, मु. जगराम, पुहिं., गा. २, पद्य, श्वे., (नैनन ऐसीवान परगई), २८२६४-४० साधारणजिन पद, मु. जगराम, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (प्रभु विन कोंन हमारो), २८२६४-८३ साधारणजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तुम बिन कौण प्रभु), २७०३४-४(+) साधारणजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., पद. ३, पद्य, मूपू., (मेरो मन राच्योरी), २८१०१-२७९-) साधारणजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (म्हाराज आज लाज राखो), २७०३४-६(+) साधारणजिन पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (समता सुख वास आस दास), २७०३४-७(+) साधारणजिन पद, मु. जोधा ऋषि, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (चिंता क्युं न हरो), २८५१६-३ साधारणजिन पद, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (प्रबुदीन दयाल दया), २८१८०-३६ साधारणजिन पद, मु. दयामंदिर, पुहि., पद. ५, पद्य, मूपू., (प्रभु मेरी अरज सुणी), २८१०१-२९(-) साधारणजिन पद, मु. देवचंद्र, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (अदभुत प्रभुकी नासीका), २८२७२-१५२ साधारणजिन पद, मु. दोलत, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (तारो श्रीजिनराज हो), २८२६४-३६ साधारणजिन पद, मु. द्यानत, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (हम आये हो जिनराज), २८२६४-७७ साधारणजिन पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (आज कोइ अदभुत रचनां), २८२६४-४७ साधारणजिन पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (एही सभाव पड्या हो), २८२७२-१०८
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ साधारणजिन पद, मु. नवल, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (जनम सफल भयो आज हमारो), २८२६४-२७ साधारणजिन पद, मु. नवल, पुहि., गा. २, पद्य, श्वे., (पडाउ इन नैनो दाय), २८२६४-४६ साधारणजिन पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (प्रभू तेरी मूरत द्रग), २७०३४-१८(+), २८२६४-४४ साधारणजिन पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (चालो री सखी प्रभु), २९९३१-५ साधारणजिन पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (मैतो तेरी आज महिमा), २८२६४-४९ साधारणजिन पद, मु. मालदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (भलै मुख देख्यौ), २८१२९-११८(+) साधारणजिन पद, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (परम प्रभु सब जन शब्द), २९७२३-१(६) साधारणजिन पद, मु. रतनविजय, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्यारे प्यारे तेरे), २८२७२-९९ साधारणजिन पद, रामदास, मा.गु., गा. ४, पद्य, जै.?, (नैना सफल भये प्रभु), २८१०१-५०(-) साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (तुंहि तुंही आद आवें), ३००१६-६ साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (देख्या दरसण तिहारा), २८१२९-१६२(+), २८०९७-१४, २८२७२-४ साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (देव निरंजन भव भय), २९२३२-३, ३००१२-४ साधारणजिन पद, मु. रूपचंद, पुहि., गा. ६, पद्य, श्वे., (लोक चहुद के पार), २८२७२-११७, २८४४४-२ साधारणजिन पद, मु. वखता, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (तारण तरण जिहाज प्रभु), २८२७२-११९ साधारणजिन पद, उपा. समयसुंदर गणि, पुहि., गा. ५, पद्य, मपू., (रूप वण्यो अति नीको), २९९३१-१ साधारणजिन पद, मु. हरखचंद, पुहि., गा. २, पद्य, मूपू., (मेरी लगन लगी प्रभु), २९२३४-६ साधारणजिन पद, मु. हीर, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (प्रीत मारी जिनवर से), २८१८५-९७ साधारणजिन पद, पुहि., गा. २, पद्य, श्वे., (अब मोहि तार मेरे), २८५१६-८ साधारणजिन पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (अमरासे कोल केएणी जिन), २८२७२-११३ साधारणजिन पद, मा.गु., पद. ५, पद्य, श्वे., (इंद्र कलस भरि ढारे), २८१६०-७०(+#) साधारणजिन पद, पुहिं., पद्य, श्वे., (दिल दाम हरम जानी दोस), २८२७२-५ साधारणजिन पद, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (प्यारो कौन वतावै रे), २८२७२-६ साधारणजिन पद, पुहिं., गा. २, पद्य, श्वे., (प्रभूजी थांको विरूद), २८५१६-६ साधारणजिन पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (मेरो मन वस कर लीनो), २८१७५-३ साधारणजिन पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (ये अरजी मोरे सइयां), २८५१६-९ साधारणजिन पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (साढडी बाहीवो गह लीजी), २८२६४-९३ साधारणजिन रेखता, मु. नवल, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (करु आराधना तेरी हिये), २८१०५-२२ साधारणजिन लावणी, मु. जिनदास, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (मैं सदा नमुं जिनराज), २८८२३-१(+) साधारणजिन स्तवन, वा. उदयरतन, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (पामी प्रभुजीना पाय), २८१३७-९ साधारणजिन स्तवन, ऋषभदास, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (जब तें नाथ निरंजना), २८१२९-१७१(+) साधारणजिन स्तवन, मु. कीर्तिसागर, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (सहस फुणा मोरा सायबा), २९९९०-४ साधारणजिन स्तवन, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मे दास तमारो मेरी), २७०३४-३(+) साधारणजिन स्तवन, मु. जिनलक्ष्मी, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सबल भरोसो तेरो जिनवर), २८१०५-४ साधारणजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चरण न छोडुरे मोहदल), २८३९८-६(+) साधारणजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (मुझरो छे जी मुझरो छे), २८३९८-४(+) साधारणजिन स्तवन, मु. ज्ञानविमल, पुहिं., गा. १०, पद्य, मूपू., (सकल सुरासुर नर), २८१२९-१२७(+) साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., गा. ९, पद्य, मूपू., (अरज सुणो जिनराज मेरे), २९४८७-७ साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (जिनराज जुहारण जास्या), २९४८७-३ साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ६, वि. १८वी, पद्य, मूपू., (जिनराज हमारे दिल), २८२७२-१ साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (निस्नेही शुनेहलो), २८९१५-१
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहि., गा. ७, वि. १८वी, पद्य, मूपू., (भोर भयो भयो भयो जागी), २९५६८-२ साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा.७, वि. १८वी, पद्य, मूपू., (मनमा आवजो रे नाथ), २८२७२-५७ साधारणजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (सकल समता सुरलतानो), २९५६८-३ साधारणजिन स्तवन, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा.७, पद्य, मूपू., (समविसमी अणजाणता रे), २८१८०-३० साधारणजिन स्तवन, मु. ब्रह्मदयाल शिष्य, रा., गा. ९, पद्य, श्वे., (जिनजी थांकीजी सुरत), २८२६४-७२ साधारणजिन स्तवन, मु. भूधरदास, मा.गु., गा. १२, पद्य, श्वे., (सुणि हो अरिहंत देव), २८२७०-१ साधारणजिन स्तवन, मु. मानविजय, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (क्युं कर भक्ति करूं), २८६८२-२ साधारणजिन स्तवन, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (मे परदेसी दूरका दरसन), २८२७२-७०, ३००१२-३ साधारणजिन स्तवन, क. रूप, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (जै जै हो स्वामी जिन), २८२६४-७८ साधारणजिन स्तवन, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (दरसण सुध विकासन), २८१७९-२ साधारणजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (भजो सब जगनायक जिन), २८११४-५ साधारणजिन स्तवन, क. लाल, मा.गु., गा. ४, पद्य, पू., (वारियां वारियाणे जिन), २८११४-७ साधारणजिन स्तवन, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (मन मंदिर आवो रे कहु), २९८३३ साधारणजिन स्तवन, मु. सोमसुंदर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीनाभिजात सुमतेजिन), २८४९१-३(+) साधारणजिन स्तवन, मु. हर्षकीर्ति, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (तुम्ह सुणोजी त्रिलोक), २८२६४-७९ साधारणजिन स्तवन, मु. हर्षचंद, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (देख हो सुरराज जिन), २८९५४-५ साधारणजिन स्तवन, मु. हीरविजय कवि, म.,मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चांद ठेवा चांओ वादले), २८८३९-३(+) साधारणजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (अरिहंत नमीजे चतुर नर), २८१०४-२१(६) साधारणजिन स्तवन, पुहि., गा. ५, पद्य, श्वे., (जिनराज के दरस कुं), २९१०४-३ साधारणजिन स्तवन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (या रसना रस लागो माइ), २८२७२-६९ साधारणजिन स्तवन, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीमहाराज के सतरस), २८२७२-११४ साधारणजिन स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्री श्रीअसोहामणो), २९०११-२ साधारणजिन स्तवन-अढारदोषरहित, पुहिं., गा. ११, पद्य, मूपू., (जियमान हु ऐसे देवा), २९६७९-२ साधारणजिन स्तवन-जिनवाणी महिमा, क. कांत, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (जिणंदा तोरी वाणीइ), २८१३७-२८ साधारणजिन स्तवन-प्राभातिक, मु. चिदानंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पुरव पुण्य उदे करी), २८१०४-२० साधारणजिन स्तुति, मु. कवियण, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (चंपक केतकी पाडल जाई), २८१२०-२२(+), २८१६३-२१(+),
२८१७३-३, २८२००-७ साधारणजिन स्तुति-मंगलभावगर्भित, मु. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (धरम उछव समै जैनपद), २८४६८ साधारणजिन होरी, मु. उदयरतन, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (रंग मच्यौ जिन द्वार), २८२६४-५४ साधुगुण गहुंली, मु. आणंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मुनिवर परिग्रह त्याग), २८९९७-२ साधुगुण पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (गहि सुधग्यान धरे है), २८२६६-४ साधुगुण सज्झाय, ऋ. आशकरण, पुहिं., गा. १०, वि. १८३८, पद्य, श्वे., (साधुजीने वंदना नीत), २८२६६-७ साधुगुण सज्झाय, ग. मणिचंद्र, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रवण कीर्तन सेवन ए), २८९०१-२(+) साधुगुण सज्झाय, मु. वल्लभदेव, मा.गु., गा. १५, पद्य, श्वे., (सकल देव जिणवर अरिहंत), २८४१२ साधुगुण सज्झाय, आ. विजयदेवसूरि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पांचे इंद्री रे), २८१६०-७७(+#) साधुगुण सज्झाय, मु. विनयचंद, पुहिं., गा. १४, पद्य, श्वे., (एसे मुनिराज छकाया के), २८१८५-६३ साधुगुण सज्झाय, मु. हरखचंद, रा., गा. ११, पद्य, श्वे., (जेलो जेलो नीर मारी), २८१८५-५३ साधुधर्म १० लक्षण पद, मु. द्यानत, पुहिं., गा. २७, पद्य, मूपू., (पीडै दुष्ट अनेक बांध), २९५४२-२
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ साधुपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (दसण नाण चरित्त करी), २९१२१-१०(+) साधुपद स्तवन, मु. कुशल, मा.गु., गा. ५, पद्य, पू., (निकषाया जगजन कहै), २९१२१-११(+) साधुप्रायश्चित विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., (ज्ञानना अतिचार कहै), २८९४९-२(-) । साधुवंदना, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., ढा. ७, गा. ८८, पद्य, मूपू., (रिसहजिण पमुह चउवीस), २७२५७(+), २८२६३-९०(+) साधुवंदना, उपा. पुण्यसागर, मा.गु., गा. ८८, पद्य, मूपू., (पंच परमेठि पयकमल), २८२५१-१० साधुवंदना, श्राव. बनारसीदास, पुहि., गा. ३२, पद्य, दि., (श्रीजिनभाषित भारती), २८३६९-३ साधुवंदना, मा.गु., ढा. २, गा. ३९, पद्य, श्वे., (जिण मार्ग में धूर), २८२९३-६ साधुवंदना, मा.गु., गा. २४९, पद्य, मूपू., (वंदिय गुरूआ सिद्ध), २८२४६-२(+) साधुवंदना बडी, मु. जेमल ऋषि, मा.गु., गा. १११, वि. १८०७, पद्य, श्वे., (नमुं अनंत चोवीसी), २९४२१(६) साधुवंदना लघु, ऋ. जेमल, मा.गु., गा. ५९, वि. १८०७, पद्य, श्वे., (नमुं अनंत चोविसी), २७४३१ साधु सज्झाय, उपा. सुजस, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (हे जी वनवासी साध मोह), २८२६४-२९ साधुसज्झाय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (जीवहिंसा करी धर्म ज), २८२९८-८(+) साधु साध्वी कालधर्म विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., (कोइ साधु काल करे तथा), २८९३५-२ सामायिक ३२ दोषनिवारण सज्झाय, ग. गुणरंग वाचक, मा.गु., गा. ३२, वि. १६४९, पद्य, मूपू., (पारस जिनवर पय पंकज),
२८१२९-९८(+) सामायिक ३२ दोषवर्जन सज्झाय, मु. विनयचंद, मा.गु., गा. १२, पद्य, श्वे., (नवमो व्रत सामायक), २८२४१-८ सामायिक ३२ दोष सज्झाय, मु. मेरुविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (सकल जिनेस्वर प्रणमी), २९३३९ सामायिक गुणदोष वर्णन सज्झाय, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (सामायक करो भवियण), २८१७५-२० सामायिक सज्झाय, मु. कमलविजय-शिष्य, मा.गु., गा. १३, पद्य, मूपू., (प्रणमिय श्रीगौतम), २८२८१-३, २८५९४ सामायिक सज्झाय, मु. नेमसागर, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सामायिक मन सुधे करो), २८११५-८, २८१९६-९,
२८३०२-३, २८५१९-२ सामायिक सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (चतुर नर साय नायक), २८४२२-२ सामायिक सज्झाय, मु. विनयचंद ऋषि, मा.गु., गा. २०, पद्य, श्वे., (सामायिक पोसा करे), २८२५२-१२ सिंधुचतुर्दशी, पुहि., गा. १४, पद्य, जै.?, (जैसे काहु पुरुष कौ), २८६३१-२ सिद्धगिरि स्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (ते दिन क्यारे आवसी), २८१९५-१० सिद्धचक्र गहली, पं. वीरविजय, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (आवो सखि संजमीया गावा), २८८०२-१(६) सिद्धचक्र चैत्यवंदन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीसिद्धचक्र आराधीए), २८१९९-१ सिद्धचक्र चैत्यवंदन, मु. साधविजय-शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीसिद्धचक्र आराधता), २८५३८ सिद्धचक्रतप स्तुति, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसिद्धचक्रनो तप), २८२७७-२८(६) सिद्धचक्र नमस्कार, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीअरिहंत उदार कांत), २८२४७-३ सिद्धचक्रमहिमा स्तवन, मु. कनककीर्ति शिष्य, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (नवपदनो ध्यान धरीजे), २८१९५-१९ सिद्धचक्र सज्झाय, मु. उत्तमसागर-शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (नवपदमहिमासार सांभलज), २९२५०, २९४८१-२,
२९८८७-२ सिद्धचक्र सज्झाय, मा.गु., ढा. २, गा. ११, पद्य, मूपू., (जगदंबा प्रणमी कहुं), २९८४०-२ सिद्धचक्र स्तवन, मु. अमरविजय, मा.गु., गा. १५, पद्य, मूपू., (समरु सारद माय), २९९७५-७(+) सिद्धचक्र स्तवन, मु. अमृतविमल, मा.गु., गा. १५, पद्य, म्पू., (आराधो आदर करी रे), २८८३३(+#) सिद्धचक्र स्तवन, मु. कांतिसागर, मा.गु., गा. १०, पद्य, मूपू., (वीर जिणंद वखाण्यौ), २८१६४-१५ सिद्धचक्र स्तवन, मु. जिनचंद, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (नवपदना गुन गावो तुम), २९५७५
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ सिद्धचक्र स्तवन, मु. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चोत्रीस अतिशय सोहतो), २९९२९-१ सिद्धचक्र स्तवन, ग. फतेंद्रसागर, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू, (पूजो भवि जिनवर नित्त), २८८४९-२ (०) सिद्धचक्र स्तवन, उपा. मानविजय, मा.गु., ढा. ४, गा. २५, पद्य, मूपु., (जी हो प्रणमुं दिन), २८२२५-४, २८२७८-४९,
२९९९१
सिद्धचक्र स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (आशो चैतरमासे करो मन), २८१९९-१० सिद्धचक्र स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सिद्धचक्र सेवा करो), २८१९९-९ सिद्धचक्र स्तवन, मु. मुक्ति, मा.गु., गा. ५, पद्य, म्पू., (सेवो रे भविजन भक्ति), २८१९९-८
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सिद्धचक्र स्तवन, मु. राम- शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (ओ भवि रे प्राणी रे ), २८९९४ - १ (+), २९४८१-१
सिद्धचक्र स्तुति, मु. उत्तमसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू, (श्रीसिद्धचक्र सेवो), २९०९०-३०) २८१७३-६, २८२००-९,
२८२७७–२९(३)
सिद्धचक्र स्तुति, मु. उदयरत्न, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (अंगदेश चंपापुरी वासी), २८७१६-१
सिद्धचक्र स्तुति, मु. कपूरविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (सकलमंगल शिव सुखकारी), २८२७७-३१
सिद्धचक्र स्तुति, ग. कांतिविजय, मा.गु., गा. ४, वि. १८३, पद्य, मूपू., (पहिले पद जपीइ अरिहंत), २८२७७-३०,
२८२९४-४०
सिद्धचक्र स्तुति, मु. खुशालसुंदर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू (अरिहंत सिद्ध सूरि), २८९३७-१(+)
"
सिद्धचक्र स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (निरुपम सुखदायक), २८०८४- १(+) २८१६३ - १५(+),
२८१७१-२(+), २९२२८-३, २९८७३-२, २९९४१-७, २८१३९- १६(७)
सिद्धद्वार विचार, मा.गु., गद्य, श्वे., (अणंतर सीज्झणा द्वार), २७९०१
सिद्धपद चैत्यवंदन, पा. हीरधर्म, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (श्रीशैलेसी पूर्व), २९१२१-४(+)
सिद्धपद स्तवन, मु. नयविजय, मा.गु., गा. १६, पद्य, मृपू., (श्रीगौतम पृच्छा करे), २८६६७, २८४३७)
सिद्धचक्र स्तुति, पन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ४, वि. १८वी, पद्य, म्पू., (वीर जिनेसर भुवन दिने) २८१७३ १३ सिद्धचक्र स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु, (अरिहंत नमो वळी सिद्ध), २८२७७-४७
सिद्धचक्र स्तुति, मु. भाणविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (वीरजिणेशर अति अलवेसर), २८१८१ - १३, २८२००-१९,
२९४८१-३, २९९९०-२
सिद्धचक्र स्तुति, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मृपू., (सिद्धचक्र मनोहर ऋद्ध), २७३४२-२ (+)
सिद्धदंडिका स्तवन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., ढा. ५, गा. ३८, वि. १८१४, पद्य, मूपू., (श्रीरिसहेसर पाय नमी), २९६१७-२
सिद्धसहस्रनामवर्णन छंद, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (जगन्नाथ जगदीश जगबंधु), २९५३६ सिरदारकंवरजी महासती लावणी, मु. आवड महात्मा, पुहिं., गा. ५, वि. १९६०, पद्य, श्वे. (मासती सिरदारकवर्जी),
२८२१९-३
५८३
सीखामण सज्झाय, मु. रायचंद, रा., गा. २५, वि. १८३२, पद्य, वे, (सिख सुवनीत देखने ठौं), २८२६३-२४(+) सीताराम पद, मु. चानत, पुर्हि, पद. ४, पद्य, भूपू., ( कहै सीताजी सुनि राम), २८१६० - १३(+)
सीतासती गीत, मु. जिनरंग, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (छोडी हो पिठ छोडि ), २९५११-२
सीतासती पद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (सुनोरी मैने निर्बल), २८१८५-६०
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सीतासती सज्झाय, मु. उदयरतन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., ( जनकसुता हुं नाम), २८१२८-१६, २८१६८-३, २८२८५-३ सीतासती सज्झाय, मु. लक्ष्मीचंद, पुहिं, गा. १६, पद्य, म्पू., ( मुनिसुवरतस्यामी कुं), २८२८८-२२
सीतासती सज्झाय - शीयलविषे, ग. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (जलजलती मिलती घणी रे), २८९९४-६(+), २८११५-४, २८१६८-२, २८१३९-२३-६)
सीतासती हनुमान संवाद, रणछोडदास पटेल, मा.गु., अ. ४, पद्य, वै., (वनचर वीरा वधामणि कूण), २८१२७-१६ (०)
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५८४
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७
सीमंधरजिन गीत, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु., (मुज हीयडो हेजालुओ), २९८१५-२ सीमंधरजिन गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (सामि सीमंधरा तुम्ह), २८३९२-२ (+) सीमंधरजिन गीत, मु. हर्षचंद, पुहिं, गा. ५, पद्य, मूपु., (नित इती अरदास प्रभु ) २८१२९ - १६९ (+), २८२६४-८६ सीमंधरजिन चैत्यवंदन, मु. कल्याण, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (वंदु जिणवर विहरमाण), २८१६५ - ३, २८२४७-१० सीमंधरजिन चैत्यवंदन, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू, (श्रीसीमंधर जिनवरा), २८५४४ सीमंधरजिन चैत्यवंदन, मु. लाभविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (पुक्खलावइ विजये जयो), २८३५९-२ सीमंधरजिन चैत्यवंदन, उपा. विनयविजय, मा.गु., गा. ३, वि. १७उ, पद्य, मूपू (श्रीसीमंधर वीतराग), २८२१७-९ सीमंधरजिन चैत्यवंदन, मु. हर्षविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., ( पूरव दिशि इशान कुण), २८२१७-८ सीमंधरजिन चैत्यवंदन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (बंदु जिणवर विहरमान), २८२२७-२
"
सीमंधरजिन पत्र, क. नर, मा.गु., गद्य, श्वे., (स्वस्ति श्रीमहाविदेह), २९१६०-२
सीमंधरजिन लेख, आ. जयवंतसूरि, मा.गु., ढा. ५, गा. ३७, पद्य, मृपू., (स्वस्ति श्रीपुंडागिण ), २९३९५
सीमंधरजिन विज्ञप्ति स्तवन- ३५० गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., ढा. १७, गा. ३५०, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधर साहिब), २७४९० (३)
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(२) सीमंधरजिन विज्ञप्ति स्तवन- ३५० गाथा - बालावबोध, क. पद्मविजय, मा.गु., ढा. १७, वि. १८३०, गद्य, मूपू., (पार्श्वनाथपदद्वंद्वे), २७४९०)
सीमंधरजिनविनती स्तवन, मु. अगरचंद, मा.गु., गा. २१, वि. १८६९, पद्य, मूपू., (त्रिभुवनस्वामी अरज), २८८५८- ७१०),
२८७८८
सीमंधरजिनविनती स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं. गा. ५, पद्य, मूपु., (सीमंधर विनती सुणि), २९८१४ - २ सीमंधरजिनविनती स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ३५, पद्य, मूपू., (सुण सीमंधर साहिबाजी), २९५३४-१,
२९६०४-१
सीमंधरजिनविनती स्तवन, उपा. भक्तिलाभ, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (सफल संसार अवतार हुं), २८३९२ - १(+),
२८२५६-१
सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु. बा. ११. गा. १२५ ग्रं. १८८, पद्य, भूपू (स्वामी सीमंधर विनती), २७५५४- १(+६), २७१०७, २७३२२, २८२७८-४२, २८७१०, २८९४२ (३), २९११७-१(३) (२) सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा-टबार्थ, उपा यशोविजयजी गणि, मा.गु., गद्य, भूपू., ( प्रणम्य पार्श्वदेव),
२७५५४-१०४)
(२) सीमंधरजिन विनती स्तवन १२५ गाथा-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (हे श्रीसीमंधरस्वामी), २७१०७ सीमंधरजिनवीनती स्तवन, ऋ. जैमल, पुहिं., गा. ८, पद्य, स्था., (पुर्व पुखलावती बीजै), २८२६४-६० सीमंधर जिनवीनती स्तवन, मु. विजयदेव-शिष्य, मा.गु., ढा. ७, गा. ३८, पद्य, मृपू., (सुण सुण सरसति भगवति), २८८५२, २८८५४०३)
सीमंधरजिन स्तवन, मु. कनकसौभाग्य शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मृपू, (जीरे मारे श्रीसीमंदर), २८१९९-१४ सीमंधरजिन स्तवन, मु. कनकसौभाग्य शिष्य, मा.गु., गा. ६, पद्य, मृपू, (प्रभुजी सीमंधरस्वामी), २९९६८-४ सीमंधरजिन स्तवन, मु. कल्याणसागर, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु., (माहरा मनना मानीता), २८४१८-२ सीमंधरजिन स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपु., (सीमंधर सुणो वीनती) २८१३७-२० सीमंधरजिन स्तवन, मु. कान कवि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., ( महाविदेह क्षेत्रनो), २८२१२-८, २८९९३-१, २९१५४-२ सीमंधरजिन स्तवन, ऋ. किसन, मा.गु., गा. १०, पद्य, श्वे., (दिल लागो तुमसुं सही), २८२६३-६८ (+) सीमंधरजिन स्तवन, मु. कुसला, पुहिं., गा. ७, पद्य, श्वे., (सीमंधरजिण साहबा अरज), २९३८१-६ सीमंधरजिन स्तवन, मु. क्षेमप्रकाश, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपु (नृप श्रेयांसनें सत्व) २८१२९-६७(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
सीमंधरजिन स्तवन, मु. गुणपतिसागर, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (पुष्कलावती विजय), २८१८७-६ सीमंधरजिन स्तवन, श्राव. गोरधन माली, मा.गु., गा. १०, पद्य, वे., ( आज भलो दिन उग्यो हो ), २८९९३-२ सीमंधरजिन स्तवन, मु. चंद्रभाण, मा.गु., गा. २१ + १, पद्य, श्वे. (सीमंधरस्वामी तुम दरस), २८२८८ - १० सीमंधरजिन स्तवन, मु. चमनकुसल, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (सीमंदीरजी प्यारा), २८१९९-१५
"
सीमंधरजिन स्तवन, मु. जगरूप, मा.गु., गा. ५, पद्य, मृपू., (चंदाजी हो मे), २८१४०-१५ (+), २८१६०-७५(१४) सीमंधरजिन स्तवन, क्र. जयमल्ल, मा.गु., गा. ८, पद्य, वे., (), २८२२६-२(४)
सीमंधरजिन स्तवन, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधर वीनती सुण), २८२३७-३
सीमंधरजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, भूपू., (मेठडा जिन में दीठडा), २८१२८-७ सीमंधरजिन स्तवन, मु. ज्ञानसार, पुहिं., गा. ७, पद्य, मूपू., (किम मिलियै किम परिची), २८१८०-२७ सीमंधरजिन स्तवन, मु. दोलतराम, मा.गु., गा. ८, वि. १८५२, पद्य, ओ., (--), २८१९९-१२(३)
सीमंधरजिन स्तवन, क. पद्मविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुणो चंदाजी सीमंधर), २८२२८-७, २८७६३-९, २९९६८-२ सीमंधरजिन स्तवन, मु. भक्तिलाभ, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (उत्सवि रंगि बधामणां), २९७४६ - १(+)
सीमंधरजिन स्तवन, मु. भाणविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधर तुं मुझ), २९२६७
सीमंधरजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (पुष्कलवइ विजये जयो), २८१४६ - ९(+),
२८२२८-८, २९९६८-१, ३००१३-५
सीमंधरजिन स्तवन, मु. रतन, मा.गु., गा. ६, पद्य, भूपू., (सीमंधर तुमसें मन मोह), २८२८८-१२ सीमंधरजिन स्तवन, मु. राम, मा.गु., गा. ६, पद्य, श्वे., (प्यारा प्रभु जो मुझ), २८१४२-५ सीमंधरजिन स्तवन, बा. रामविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपु (श्रीसीमंधर साहिबा हु), २८७०७ - १
सीमंधरजिन स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. २३, वि. १८२१, पद्य, मूपू., (मारी वीनतडी अवधारो), २८१९५-४, २९८३२ सीमंधरजिन स्तवन, मु. लक्ष्मीविजय शिष्य, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (सीमंधर मुज मन स्वामी), २९९८९ सीमंधरजिन स्तवन, आ. विजयलक्ष्मीसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, म्पू., (जइ केजो रे दधीसुत) २८५८५-१ सीमंधरजिन स्तवन, मु. संतोष, मा.गु., डा. ७, गा. ४०, पद्य, मृपू, (सुणि सुणि सरसती भगवत) २८१६७-३१, २९६६५ सीमंधरजिन स्तवन, वा. सकलचंद्र, मा.गु., ढा. ४, गा. ३२, पद्य, मूपू., (परम मुणि झाणवण गहण ), २९५६८ - १ सीमंधरजिन स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., ( धनधन क्षेत्र महाविदे), २८२२८-६
,
सीमंधरजिन स्तवन, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., ढा. ७, गा. ११५, वि. १७१३, पद्य, मूपू., (अनंत चोवीसी जिन नमुं), २९६२७ (#) सीमंधरजिन स्तवन, मु. हंस, मा.गु., गा. १६, पद्य, म्पू., (श्रीसीमंधरस्वामीजी), २८७००
सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., ( ओ मारा मंदिर स्वामी), २८७४०
सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., ( कासमीर मुखमंडणी रे) २८३२२- १(०४) सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., गा. १६, पद्य, मूपू., (जिनवर० जीव जागीओ), २९२२१ सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, मूपू., (पुर्व पोकलावती हो), २८२२६-१०३) सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (मुनि मानसरोवर हंसलो), २८४७५-२ सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, श्वे. (वालो मारो सीमंधर), २८३४७ (+०)
सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मृपू., (सीमंधर के समोसरण), २९८१४-३(४) सीमंधरजिन स्तवन, मा.गु., गा. १०, पद्य, मृपू. (सीमंधरसामिजीने वादि), २८१९५-१२
,
सीमंधरजिन स्तवन- १४गुणस्थानगर्भित, उपा. सुजस, मा.गु., गा. २४, पद्य, मूपु., (धन ते मुनिवरा रे), २९०७१ सीमंधरजिन स्तवन- नवतत्त्ववर्णनमय, मु. जीवनविजय, मा.गु., गा. ५१, पद्य, मूपु. ( संप्रतिमाने सीमंधरू), २९७३५(+) सीमंधरजिन स्तुति, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (जंबुद्वीपविदेहमां), २९९२९-८(३)
,
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ सीमंधरजिन स्तुति, मु. शांतिकुशल, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसीमंधर मुझनै), २८१२०-२१(+), २८१८१-११,
२८२००-१०, २८२०३-४, २८२७७-४६ । सीमंधरजिन स्तुति, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (महाविदेह क्षेत्रमा), २८२७७-५२ सीमंधरजिन स्तुति, मा.गु., गा. १, पद्य, मूपू., (सीमंधरस्वामी केवला), २८२७७-५३, २८८२८-१ सुकोमलसाधु सज्झाय, मु. जैमल ऋषि, मा.गु., ढा. ३, पद्य, श्वे., (तिण अवस मुनिराय), २८२६३-५३(+) सुकोशलमुनि चौपाई, मु. देवराज, मा.गु., ढा. ६, पद्य, श्वे., (सुगुरू वयणे सांभलीजी), २९२०६(६) सुकोशलमुनि सज्झाय, मु. देवचंद, मा.गु., गा. ५४, वि. १६०२, पद्य, मूपू., (जंबुद्विप मोझार रे क), २८४६० सुखडी सज्झाय, मा.गु., गद्य, श्वे., (--), २८१४७-११(+$) सुगुरु गहुंली, पं. शुभवीर, मा.गु., गा. ५, पद्य, पू., (चरण करस्यु सोभता), ३००१४-५ सुगुरुपच्चीशी सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., (सुगुरू पिछाणो एणे), २८१६७-३, २८२६४-८ सुगुरुवर्णन सज्झाय, मु. हीरालाल, पुहिं., गा. ८, पद्य, श्वे., (ऐसा संत जगत मे कहेना), २८१८५-४९ सुजातजिन स्तवन, मु. नयविजय-शिष्य, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (साचो स्वामी सुजात), ३००१३-७ सुदर्शनशेठ अभयाराणी सज्झाय, मा.गु., ढा. ५, गा. ३८, पद्य, मूपू., (सील तणा गुण छै घणा), २८२६३-५५(+), २९१३४ सुदर्शनशेठ रास, मु. श्रीभूषण, मा.गु., गा. ११५, पद्य, मूपू., (सदादीसमहं वंदे महीज), २७५५० सुदर्शनशेठ सज्झाय, मु. क्षमाकल्याण, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (शील रतन जतने धरो रे), २९१३९-२ सुदर्शनसेठ पद, मु. गंगादास, पुहि., गा. २, पद्य, श्वे., (शील सुदर्शन सेठने), २९९३१-११ सुदर्शनसेठ रास, मु. मुनिसुंदरसूरि-शिष्य, मा.गु., गा. २५५, वि. १५०१, पद्य, मूपू., (पहिलउ प्रणमिसु), २७४०९-१(+) सुदर्शनसेठ सज्झाय, ग. कान्हजी, मा.गु., गा. १८, वि. १७५६, पद्य, श्वे., (सुंदर नयरी सुगंधीआ), २८५४२-१ सुधर्मागणधर गहुंली, मु. सोहव, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चेलणा लावे गहुली), २८७९८-२ सुधर्मास्वामी गणधर भास, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा.७, पद्य, मूपू., (आवो आवो रे धरमना मित), २९६०१-५ सुधर्मास्वामीगणधर भास, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (ज्ञानादिक गुणखाणि), २८१७९-१ सुधर्मास्वामी गहुली, मु. अमृत, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (गणधर वीरजिनवरतणो), २८८४४-३ सुधर्मास्वामी गहुंली, मु. अमृत, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चंपानयरी उद्यानमा), २८८४४-१, २८७९८-३(5) सुधर्मास्वामी गहुंली, मु. धीरविजय, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (सजनी गुरूगुण गरूया), २८८४२-१(+), २८५९२-१ सुधर्मास्वामी गहुँली, मु. मलूक, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (राजग्रही समोसर्या), २९०६१-१(+) सुधर्मास्वामी गहुली, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चेलणा ल्यावें घोयली), २८१७९-७ सुधर्मास्वामी गुरुभास, मु. लाभ, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (मुनि नायक गुरु विहार), २८४८९-२(+) सुधर्मास्वामीगुरु भास, रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (कठडा आया गुरुजी), २८२८५-२४ सुधर्मास्वामी भाष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (चंपानयरी उद्यान सुरत), २८१७९-६, २८७९८-१ सुपंथकुपंथपच्चीसी, मु. विवेक, पुहि., गा. २७, पद्य, श्वे., (केवलग्यान सरूप मैं), २८२०९-२($) सुपार्श्वजिन पद, मु. करण, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (श्रीजिनराज सुपासा), २७०३४-२३(+) सुपार्श्वजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ४, पद्य, श्वे., (अनंत सुखकारनी जिन), २८२५९-८ सुपार्श्वजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (वाल्हा मेह बवीयडा), २८२७८-२२ सुपार्श्वजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (श्रीसुपास जिनराज), २८१४६-७(+) सुपार्श्वजिन स्तवन, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (साचो साहेब समरीय), २९०११-१ सुबाहुकुमार सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (हवे सुबाहु कुमार एम), २८६९४ । सुभद्रासती रास-शीलव्रतविषये, मु. मानसागर, मा.गु., ढा. ४, वि. १७५९, पद्य, मूपू., (सरसति सामणि वीनवू),
२९४४७-१(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
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सुभद्रासती सज्झाय, मु. रायचंद ऋषि, पुहिं., ढा. ८, वि. १८२६, पद्य, श्वे., (तिण काले ने तिण समे), २८२६३-१६(+) सुभद्रासती सज्झाय, मा.गु., गा. २५, पद्य, मूपू., ( मुनिवर सोघेरे इरजा), २८१२७ -१५ (+), २९३८१-२ सुमतिजिन गीत, मु. जिनरत्न, पुहिं. गा. ३, पद्य, मूपू., (सुमतिनाथ जिणवर सलही), २८१२९-७९ (+), २८४९३-२ सुमतिजिन गीत, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपु., (कर तासुं तो प्रीत) २८१०५-८७ सुमतिजिन गीत, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मेरे माई सुमति की), २८१२९-६९(+) सुमतिजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (मुजरा साहिब मुजरा ), २८०९९-३० (+) सुमतिजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (निरखत बदन सुख पायो), २८०९९-३२(+) सुमतिजिन पद, मु. हर्षचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., ( प्रभुजी जो तुम तारक), २८९५४-३ सुमतिजिन स्तवन, मु. आणंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., (सुमति सदा दिलमें), २८६२२ सुमतिजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ५, पद्य, श्वे., ( सुमति सुमति धर नर वर), २८२५९-६ सुमतिजिन स्तवन, ग. जगजीवन, मा.गु., गा. ६, पद्य, खे, (सुमत सुमत दायक सदा), २८१९१-२(+)
"
सुमतिजिन स्तवन, मु. जसवंत - शिष्य, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., ( सुमती जिणेसर साहिबा ), २८१४६-१६ (+) सुमतिजिन स्तवन, आ. ज्ञानविमलसूरि, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (तुम हो बहु उपगारी), २८२७२-७७ सुमतिजिन स्तवन, सु. दानविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु. ( सुमतिजिणेसर जग ), २८४०६ सुमतिजिन स्तवन, पं. नित्यलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (संगत सुमतनी कीजीए रे), २८५९९-२
,
सुमतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रभुस्युं तो बांधी), २८१६४-१४, २८२३६-२, २८२७८-२० सुमतिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहिं., गा. ५, पद्य, म्पू., ( सुमतिनाथ साचा हो), २९८८३-१ सुमतिजिन स्तवन, मु. रत्न, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (श्रीसुमतिजिन विनती), २८३१३-१(+) सुमतिजिन स्तवन, मु. रामविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (पांचमा सुमतिजिणेसर), २८१७५-५ सुमतिजिन स्तवन, आ. हंसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( आज सुमति जिन साहेब), २८१३७-५
सुमतिजिन स्तवन- १४ गुणस्थान विचारगर्भित, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., डा. ६, गा. ३४, वि. १७२९, पद्य, मूपू., (सुमतिजिणंद
सुमति), २८१२९ - १२०(+), २८१९५-७, २९८५४-१
सुविधिजिन गीत, लीब, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (काकंदी नयरीवर राजा), २८३६६ - २ (+)
सुविधिजिन चैत्यवंदन, मु. लाभविजय, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., ( उजलवरणे सोभतो सुविधि), २८३५९-१
सुविधिजिन पद, मु. कनककुशल पुहिं. गा. २, पद्य, भूपू (सुविधि जिणंदा रे ), २८२७२-८७
,
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सुमतिजिन स्तवन-पिंडस्थध्यान गर्भित, मु. शांतिविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (रूप अनुप निहाळी सुमत), २८४१० सुरसुंदरी चौपाई, मु. धर्मवर्धन, मा.गु., खं. ४ ढाल ४०, गा. ६१३, वि. १७३६, पद्य, मूपू., (सासण जेहनउ सलहियइ), २७५३७ सुलसाश्राविका सज्झाय, मु. कल्याणविमल, मा.गु., गा. १०, पद्य, म्पू., (धन धन सुलसा साची) २८१६८- २१ सुविधिजिन गीत, मु. जिनराज, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., ( सेवा बाहिरउ कईयको), २८१०५-८९
सुविधिजिन स्तवन, मु. कांतिविजय, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (ताहरी अजबशी जोगनी), २८३८२-२
सुविधिजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ९, पद्य, वे (प्रभू प्रणमुंरे), २८२५९-९
,
सुविधिजिन पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ३, पद्य, श्वे., (मुजरा साहिब मेरा रे), २८१२९ - ५८ (+), २८०९७ - १२, २८१५९-१६ सुविधिजिन स्तवन, मु. आनंद, रा., गा. ५, पद्य, मूपू., ( थे तो सुविधि जिनेसर), २८२६५-५
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सुविधिजिन स्तवन, ग. केशव, मा.गु., गा. ६, पद्य, वे.,
(श्रीजिनवर नित्य सेवी), २८२५९-१३
,
सुविधिजिन स्तवन, मु. जैनेंद्रसागर, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपु. ( सुविधि जिणंद कु पूजि ), २८१४६-३(+), २८७५२-१ सुविधिजिन स्तवन, पं. नित्यलाभ, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपु., (सुरत सुवीधी जीनंदने), २८५९९-१ सुविधिजिन स्तवन, ग. मेघराज, मा.गु., गा. ७, वि. १८२२, पद्य, ओ., (सुविधि जिणेसर देव), २९३९७-३ सुविधिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (अरज सुणो एक सुविधि) २८१८७-३, २८२७८-२४
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ सुविधिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुविधिजिणंद भगवंत), २८९१८-१ सुविधिजिन स्तवन, उपा. यशोविजयजी गणि, पुहि., गा. ५, पद्य, मूपू., (में कीनो नहीं तुम), २८५८१(+), २८२७२-४६,
२९२७६-२ सुविधिजिन स्तवन, मु. रुपचंद, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (वांकै गढ फोज चढी है), २९८२७-३ सुविधिजिन स्तवन, आ. हसरत्नसूरि, मा.गु., गा. ५६, पद्य, मूपू., (समवसरण त्रिभुवनपति), २८१३७-१४ सुविधिजिन स्तवन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (रे मन पोपट खेलीइं), २९६०४-२ सुविधिजिन स्तवन, मा.गु., ढा. २, गा. १६, पद्य, मूपू., (श्रीजिणसासण श्री रे), २९०५३-१(-) सूतक विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (पुत्र जन्म्यां १०), २८८५० सूतक विचार संग्रह, मा.गु., गद्य, मूपू., (जेहने गृह मध्ये जन्म), २८८९८, २९५७२-१ सूरजजी सिलोको, मा.गु., गा. १७, पद्य, जै.?, (सरसति सामणि करोने), २८१६०-६९(+#) सूर्यचंद्र अंतर विचार, मा.गु., गद्य, मूपू., (मध्य मांडलाने विषई), २८२६१-१० सूर्ययशनृप रास-पर्वाराधनविषये, वा. उदयरत्न, मा.गु., ढा. १७, गा. २३३, वि. १७८२, पद्य, मूपू., (सकल सिद्धि सपद
सदन), २७२८०(+$) सूर्य श्लोक, मा.गु., गा. १९, पद्य, वै., (सरसति सामणि करुं), २८१३३-९ स्तवनचौवीसी, मु. आनंदघन, मा.गु., स्त. २४, वि. १८पू, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिनेश्वर प्रीतम), २७४५९, २८२७८-१२,
२८०९८, २८९५२(६), २९१५९(s), २९६५४($) (२) स्तवनचौवीसी-बालावबोध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (चिदानंदमय जिनवरु सदा), २७४५९ स्तवनचौवीसी, मु. उदयरत्न, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (मरुदेवीनो नंद माहरो), २८५७१-१ स्तवनचौवीसी, आ. जिनराजसूरि, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (मनमधुकर मोही रह्यो), २८२६९-८ स्तवनचौवीसी, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., स्त. २४, वि. १८वी, पद्य, मूपू., (नाभिनरेसर नंदना हो), २८२७८-७ स्तवनचौवीसी, पंन्या. जिनविजय, मा.गु., स्त. २४, ग्रं. २६०, पद्य, मूपू., (प्रथम जिणेसर पूजवा), २८२७८-८ स्तवनचौवीसी, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (आदिकरण अरिहंतजी ओलगड), २९९१२(5) स्तवनचौवीसी, मु. ज्ञानसागर, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (आदि पुरुषए आदिजी), २८२७८-१५ स्तवनचौवीसी, ग. देवचंद्र, मा.गु., स्त. २४, वि. १७७६, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिणिंदसु प्रीतडी), २८२७८-१(६), २९६३०() स्तवनचौवीसी, क. पद्मविजय, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिनेश्वर ऋषभ), २८२७८-९ स्तवनचौवीसी, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (जग चिंतामणी जगगुरु), २८२७८-१० स्तवनचौवीसी, मु. मानविजय, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (ऋषभ जिणंदा ऋषभ), २८२७८-४ स्तवनचौवीसी, पंन्या. मुक्तिविमल, मा.गु., अ. २४स्तवन, वि. १९७०, पद्य, मूपू., (--), २७१५२(+$) स्तवनचौवीसी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (जगजीवन जगवाल्हो), २८१२७-१८(+), २९५२०(+),
२८२६९-३, २८२७८-१३, २९९४२-१(#$), २९३५९(६), २९८३०() स्तवनचौवीसी, मु. रामविजय, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (ओलगडी आदिनाथनी जो), २८२७८-११ स्तवनचौवीसी, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (ऋषभ ऋषभ जिणंद निरखी), २८२७८-१४ स्तवनचौवीसी, श्राव. विनयचंद्र कुमट, मा.गु., स्त. २४, वि. १९०६, पद्य, श्वे., (श्रीआदिश्वर सामी हो), २७७७४(+) स्तवनचौवीसी-१४ बोल, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., स्त. २४, पद्य, मूपू., (ऋषभदेव नितु वंदिये), २८२७८-५ स्तवनवीसी, वा. वाचक जस, मा.गु., स्त. २०, पद्य, मूपू., (पुक्खलवई विजये जयो), २७१५८(+) स्तवनवीसी-अतीत, मु. देवचंद्र, मा.गु., स्त. २१, पद्य, मूपू., (जिणंदा तारा नामथी), २८२७८-२ स्त्रीचरित्र पद, मा.गु., पद्य, मूपू., (आभ तणा जे तारा गणइ), २८२९८-५(+) स्त्री दुःखपैतीसी, मु. रायचंद, रा., गा. ३५, वि. १८४०, पद्य, श्वे., (असत्रीने दुख कया), २८२६३-८३(+)
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देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-२
स्त्रीपुरुष १६सुख विचार, मु. रायचंद, मा.गु., गा. २८, वि. १८४८, पद्य, श्वे., (पुर्वला पुन्य पोते), २८२६३-८४(+) स्थापनाचार्यजी पडिलेहण विधि, मा.गु., गद्य, मूपू., (प्रथम इरियावहि तस्सउ), २९०३१-२ स्थूलिभद्रमुनिकोशा बारमासो, पं. शुभवीर, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (कोश्या कहे सुणज्यो), २८९१३(+) स्थूलिभद्रमुनि कोशा सज्झाय, ग. कुशललाभ, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (झिरिमिरि झिरिमिरि), २८३९२-३(+) स्थूलिभद्रमुनि कोशा सज्झाय, मा.गु., गा. १४, पद्य, मूपू., (कोशा कामनि पूछइ), २८२३५-९ स्थूलिभद्रमुनि कोश्या भास, मु. वीरविजय, मा.गु., गा. २८, पद्य, मूपू., (कोस्या इम विनवे हो), २८०८६-८ स्थूलिभद्रमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (प्रियुडा मानो बोल), २८१०५-७० स्थूलिभद्रमुनि गीत, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (मनडउ ते मोह्यउ सुनिव), २८३४४-३(+) स्थूलिभद्रमुनि नवरसो, वा. उदयरत्न, मा.गु., ढा. ९, वि. १७५९, पद्य, मूपू., (सुखसंपत्ति दायक सदा), २८५०३(+),
२८१५०-१ स्थूलिभद्रमुनि शीयलवेलि, पं. वीरविजय, मा.गु., ढा. १८, वि. १८६२, पद्य, मूपू., (सयल सुहंकर पासजिन), २७४९५(+) स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. गंगानंद, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (एक दिन खरी अमै द्वार), २९५०९-२(+) स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (भलो ओगो दिवस प्रमाण), २८१०५-७१ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. तेजहर्ष, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (सुगुण सनेही रे), २८१३३-६ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. भक्तिविमल, मा.गु., गा. १९, पद्य, मूपू., (सरस सहेलीसूकहै), २८२६४-१० स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, आ. भावप्रभसूरि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (उठ सखी उतावळी रे), २९५२८-४ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. भावसागर, मा.गु., गा. ३३, पद्य, मूपू., (बे कर जोडी वीन), २८२३५-३ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., गा. १२, पद्य, मूपू., (अहो मुनिवरजी माहरी), २९९९४-१ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. महानंद, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (हुं वाटडी तमारी जोती), २८१९१-३(+) स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. मोहनविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (थुलीभद्र ऋषि जेह शखि), २८१७५-११ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., गा. ६, पद्य, मूपू., (चंपा मोर्यो हे आंगणे), २८६९६-१ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. लक्ष्मीविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (लाछल दे मात मल्हार), २८१४२-२, २९११९-१ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, ग. लब्धिउदय, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (मुनिवर रहण चोमासे), २८१२९-८८(+), २८१६८-१५ स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (प्रीतडली न किजीये), २८१६०-८९(+#) स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सिद्धिविजय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (थुलिभद्र मुनिसर आवो), २८१२९-१३०(+$),
२८२६३-८८(+), २८२४५-१२।। स्थूलिभद्रमुनि सज्झाय, मा.गु., गा. १७, पद्य, मूपू., (एके दिनि सारथपति), २८२९८-४(+) स्थूलिभद्रमुनि सवैया, मु. भगोतीदास, पुहि., गा. ९, पद्य, श्वे., (एकसमें चारो शिष्य), २८२६६-३ स्नात्रपूजा विधिसहित, ग. देवचंद्र, मा.गु., ढा. ८, गा. ६०, पद्य, मूपू., (चोतिसे अतिसय जुओ वचन), २८०९९-८७(+),
२८२५१-१ स्वप्नमय संसार पद, पुहिं., पद्य, (यार सुपने की माया), २८८७८-६(+$) स्वयंप्रभजिन स्तवन, मु. शांतिविजय, मा.गु., गा. ८, पद्य, मूपू., (केवलनाण प्रमाणथी हो), २८१४७-१२(+), २८३१८-२(+) स्वामिवात्सल्य भास, मु. हंसरतन, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (माडी ते पुत्र.), २८१९६-२० हंसराजवत्सराज चौपाई, आ. जिनोदयसूरि, मा.गु., खं. ४ ढाल ४८, गा. ९०५, वि. १६८०, पद्य, मूपू., (आदिसर आदे करी
चोवीसे), २७१९६($) हरिबल चौपाई, मु. लब्धिविजय, मा.गु., उल्ला. ४ ढाल ५९, ग्रं. ३७५१, वि. १८१०, पद्य, मूपू., (प्रथम धराधर जगधणी),
२९७१०(5) हितशिक्षा सज्झाय, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, मूपू., (एक मारुं मारुं रे), २८३१२(+)
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.७ हीरविजयसूरिगुरु बारमासो, मु. धनमुनि, मा.गु., गा. १८, पद्य, मूपू., (वरस असाडो उमावीयोजी), २८७४२-२(-) हीरविजयसूरि चौमासु वाहाण, मु. हंसराज, मा.गु., गा. ७२, पद्य, मूपू., (प्रथम जिणेसर मनि धरु), २८४२६ हीरविजयसूरि सज्झाय, मु. कुशलहर्ष, मा.गु., गा. ११, पद्य, मूपू., (श्रीशशिगण गयणंगण भाण), २९३८०-१(+) हीरविजयसूरि सज्झाय, मु. विवेकहर्ष, मा.गु., ढा. २, गा. २२, वि. १७वी, पद्य, मूपू., (सरस वचन दिउ सरसती), २९६४६(+#),
२९६३५ हीरविजयसूरि सज्झाय, मा.गु., पद्य, मूपू., (गोयम गणहर पाय नमिजी), २८३८९-३(+$) हारसाधु दोहासंग्रह, मु. भानुचंद, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (बजे दान पटोधर हीर), २९०४४-४ हुकमीचंद गुरु सज्झाय, मु. रायचंद, रा., गा. २४, वि. १८३२, पद्य, श्वे., (सुणो पुज म्हारी), २८२६३-२३(+) हुकमीचंद महाराज गीत, मु. हीरालाल, पुहि., गा. ६, पद्य, श्वे., (इस भरत खंड में तरण), २८१८५-४ हुक्का सज्झाय, मु. पानाचंद, मा.गु., गा. ९, पद्य, श्वे., (हूको पिए ने रातडी रे), २८६३९ ।। होलिकापर्व ढाल, मु. विनयचंद, मा.गु., ढा. ४, पद्य, श्वे., (प्रथम पुरुष राजा), २७९७७(+), २८७८६, २९०७४-१ होलीकापर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, मूपू., (फागुण चौमासी पर्वनें), २८२२३-८(+)
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