Book Title: Good Life
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुडलाईफ 0 आचार्य भगवंत श्रीमविजय रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. Personal & Private Use OMWww.jainelibrary.org, Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूज्य दीक्षादानेश्वरी आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी महाराज माता राज कँवर धनपतराज सिंघवी-कुसुम सिंघवी मनीष-प्रियंका सिंघवी हनी एवं पर्ल सिंघवी Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुड लाईफ ११८ सुनहरी शिक्षाएँ (संपादन पूज्य दीक्षादानेश्वरी आ. भ. श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न आ. भ. श्री रश्मिरत्नसूरीश्वरजी म.सा. —स्टोप... लुक... एन्ड...गो जग प्रसिद्ध कविराज पंडितवर्य श्री वीर विजयजी विरचित हित शिक्षा छत्रीसी के आधार पर लाख रूपये की ११८ सुनहरी शिक्षाऐं। प्रतिदिन कम से कम २ पृष्ठ पढ़ना बीसवाँ संस्करण कुल ६० हजार प्रतियाँ er Personal & Private Use Onl Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरुषों को ६३ सुन्दर शिक्षाऐं १. कोई सीख दे तो उस पर गुस्सा नहीं करना। २. लोक विरूद्ध कार्यों का त्याग करना। शराब, मांसाहार, जुआ, चोरी, शिकार, परस्त्री गमन तथा वेश्या गमन इन सप्त व्यसनों का अवश्य त्याग करें। ३. जगत में व्यवहार बलवान हैं। ४. मूर्ख व्यक्ति से दोस्ती न करें। इन पांच व्यक्तियों को मूर्ख कहे जाते हैं :१. अनजान व्यक्ति पर विश्वास करें। २. संबंध बिना की वाणी बोलें। ३. कारण बिना गुस्सा करें। Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | पुरुषों को ६३ सुन्दर शिक्षाऐं। १. कोई सीख दे तो उस पर गुस्सा नहीं करना। २. लोक विरूद्ध कार्यों का त्याग करना। शराब, मांसाहार, जुआ, चोरी, शिकार, परस्त्री गमन तथा वेश्या गमन इन सप्त व्यसनों का अवश्य त्याग करें। ३. जगत में व्यवहार बलवान हैं। ४. मूर्ख व्यक्ति से दोस्ती न करें। इन पांच व्यक्तियों को मूर्ख कहे जाते हैं :१. अनजान व्यक्ति पर विश्वास करें। २. संबंध बिना की वाणी बोलें। ३. कारण बिना गुस्सा करें। - Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४. जिज्ञासा बिना पूछताछ करें। ५. प्रगति बिना परिवर्तन करें। ५. बालक के साथ मित्रता नहीं बांधना। ६. भिखारी से दोस्ती नहीं करना। ७. व्यसनी का संग नहीं करना। ८. कारीगर के साथ दोस्ती नहीं करना। ६. हल्की जाति के व्यक्ति की सोबत नहीं करना। १०. चोर के साथ दोस्ती नहीं करना। ११. वेश्या के साथ व्यापार नहीं करना। १२. नीच पुरुष पर स्नेह नहीं रखना। १३. बिना काम दूसरों के घर नहीं जाना। (अप्रीति होती हैं) Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४. किसी पर गलत इल्जाम नहीं लगाना । १५. किसी के साथ गालीगलौच कर मुँह गन्दा नहीं करना । १६. बलवान के साथ नहीं भिड़ना । १७. कुटुंब के साथ झगड़ा नहीं करना । १८. दुश्मन के साथ एकांत में बात नहीं करना । १६. परस्त्री के साथ एकांत में बात नहीं करना । २०. माता और बहिन के साथ भी रास्ते में बात नहीं करना । २१. माता और बहिन के साथ भी रात्रि में बातचीत नहीं करना क्योंकि एकांत, रात्रि और अंधकार पतन का कारण है। ४४४४४४४४४४४४४ 5 or Personal & Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महर्षि जेमिनि का दृष्टांत कालीदास को प्रश्न कविराज की पुत्री का जवाब - एकांत । २२. राजा पर विश्वास नहीं करना । - राजा भोज, काम का बाप कौन? २३. स्त्री पर विश्वास नहीं रखना (पेट में बात नहीं टिकती) २४. सोनी पर विश्वास नहीं रखना ( इसीलिये संस्कृत में पश्यतोहर कहलाता है, आपके देखते ही देखते बदलने की कला में उस्ताद होता है ) राजा भोज - पित्तल की मूर्ति का दृष्टांत । २५. माता - पिता और गुरु को छोड़कर अन्य किसी को गुप्त बात नहीं कहनी । 6 or Personal & Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६.अनजान गांव में अनजाने व्यक्ति के साथ ___ नहीं जाना। रत्नचूड- अनीतिपुर का दृष्टांत २७.वृक्ष के नीचे नहीं बैठना। २८.चलते समय हाथी, घोड़ा, वाहन और दुर्जन से दूर रहना। नीति वाक्य : घोड़े से १०० हाथ दूर, हाथी से १००० हाथ दूर और दुर्जन जिस शहर में रहता हो उस शहर का परित्याग करना। २६.खेल-खेल में गुस्सा नहीं करना। ३०.भय हो वैसे रास्ते से नहीं जाना। ३१. दो व्यक्ति गुप्त बात करते हो वहां खड़े नहीं रहना। ३२.हुंकार बिना बात नहीं करना। or Personal & Private Use Onl Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३. इच्छा बिना भोजन नहीं करना। (रोग का मूल अजीर्ण है।) ३४.धन और विद्या का अभिमान नहीं करना। चिंतन : रनवे पर दौड़ सके और उड़ न सके वह विमान किस काम का? इस जन्म में साथ आये मगर परलोक में साथ न आये, वह धन किस काम का? ३५. नमन करने वालों को नमन करना। (आप आओ एक डग, हम आये हजार) ३६. मूर्ख, योगी, पंडित और राजा की मश्करी नहीं करना। मूर्ख : मश्करी का अर्थ नहीं समझेगा or Personal & Private Use Onl Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ योगी : पूज्य है अतः उनकी मश्करी नहीं करना। राजा : राजा, बाजा और बंदर कभी खुश कभी नाखुशा पंडित : विद्वान की मश्करी नहीं करना। ३७.हाथी, शेर, सांप और मनुष्य जहां झगड़ते __ हो वहां खड़े नहीं रहना। ३८.कुंए के तट पर खड़े रह कर ___मजाक नहीं करना। ३६.मादक द्रव्यों का सेवन कर मजाक नहीं करना। ४०.घर बेचकर गांव जीमण नहीं करना। er Personal & Private Use Onl Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१. जुआं नहीं खेलना। (शेर बाजार भी जुआं ४२.पढ़ने में आलस्य नहीं करना। ४३.लिखते-लिखते बात नहीं करना। ४४.दूसरों की दुकान में अपना नाम नहीं रखना। ४५.विदेश में अपने नाम की दुकान नहीं चलानी। ४६.नामा मांडने में आलस्य नहीं करना। ४७.कर्जदार नहीं रहना। ४८.परदेश में रहना पड़े तो कष्ट और भय रहित स्थान में रहना। er Personal & Private Use Onl Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लक्ष्मी को जाती हुई रोकने के लिये ६ शिक्षाऐं ४६.श्रीमंत व्यक्ति को मेले कपड़े नहीं पहिनना। ५०.पांव से पांव घिसना नहीं, यह अपलक्षण कहलाता है। ५१. नाई के घर जाकर बाल नहीं कटवाना। बड़ों के घर छोटे आते हैं ऐसा सामान्यतः रिवाज है। ५२.पानी में मुँह नहीं देखना, भाग्य घटता है, रात्रि को दर्पण में मुँह नहीं देखना। ५३. स्नान और दातुन सुन्दर करना। राजा को LD Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंडित ने नीति शिक्षा दी - दांत साफ करने में, बाल संवारने में, मलमूत्र विसर्जन में देर करनी मगर भोजन और शत्रु पर आक्रमण करने में देर नहीं लगानी। ५४.बैठे-बैठे घास के तिनके नहीं तोड़ना, जमीन पर चित्रामण नहीं करना। ५५. नग्न होकर नहीं सोना और निर्वस्त्र स्नान नहीं करना। अन्य अपलक्षण : नाखून मुंह से काटना, शाम को सोना, पांव पर पांव चढ़ाना, पांव हिलाना, पीठ पर हाथ लगाना आदि। ५६.माता-पिता को रोज प्रणाम करना। HHHHHHHHHHHHEN 12 or Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७.देव गुरु को विधि पूर्वक वन्दन करना। ५८.दो हाथों से मस्तक नहीं खुजलाना। ५६.कान कुतरना नहीं। ६०.कम्मर पर हाथ देकर खड़े नहीं रहना। यह स्त्रियों का लक्षण है। ६१. नदी में प्रवाह के सन्मुख नहीं जाना। ६२.तेल तम्बाकु का त्याग करना। (गुटखा, सिगरेट, बीड़ी आदि का त्याग करना) ६३.अनछना पानी नहीं पीना (पानी पीजे छान कर गुरु कीजे जान कर) . FAIRS HERE MERITEMENT MERITERS 13 ] Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहिनों के लिए १६ सुन्दर शिक्षाऐं १. सास ससुर आदि बड़े-बुजुर्गों का विनय करना। २. रास्ते में मर्यादापूर्वक चलना। अंगोपांग न दिखे वैसे मर्यादापूर्ण वस्त्रों को धारण करके बाहर जाना। ३. नीच सखी का संग नहीं करना। ४. रात को घर से बाहर नहीं निकलना। ५. रात को घुमने-फिरने नहीं जाना। ६. सभी को खाना खिलाकर फिर खाना खायें। ७. धोबिन, मालन, कुंभारिन एवं जोगण का संग नहीं करना। Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८. पति परदेश गये हो तब साज - सिंगार नहीं करना। ६. पति परदेश हो तब भोजन समारोह में नहीं जाना। १०. दुर्जन से डरते रहना। ११. डांडिया रास, गाने-खेलने नही जाना, और दूसरों की गली में तो हरगिज नहीं जाना। १२. मेले नाटक वगैरह देखने नहीं जाना। १३. नहाने, धोने के लिए नदी किनारे नहीं जाना। १४. रास्ते में धीरे नहीं चलना, झड़प से चलना । १५. स्त्री उपयोगी तमाम कलायें सीख लेनी । 15 or Personal & Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६.स्नान करके सुन्दर वस्त्र पहिन कर रसोई बनानी। १७. सुपात्र में दान देना। १८. सौतिन के छोटे बालकों को देखकर कभी खेद नहीं करना। १६. छोटे बालक की भक्ति सेवा करनी। स्त्रियों को तीन.चीजें बहुत प्रिय है। काजल, कजिया और सिंदूर! उनसे भी तीन चीजें अधिक प्रिय है- दूध, जमाई और वाजिंत्र। उनसे भी तीन चीजें ज्यादा प्रिय हो- देव, गुरु और धर्म!! or Personal & Private Use Onl Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरुष एवं बहिनों के लिये ३६ शिक्षाऐं १. बोलना और हंसना दोनों काम साथ में नहीं करना। २. स्वजन संबंधी छोड़कर दूर अकेले नहीं जाना। ३. वमन करके भोजन नहीं करना । ४. चिंतायुक्त मन से भोजन नहीं करना । ५. अस्थिर आसन में बैठकर नहीं खाना। ६. विदिशा यानि कोने में बैठकर नहीं खाना । ७. दक्षिण सम्मुख खाने नहीं बैठना १४४४४४४४४17 or Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८. अंधेरे में बैठकर नहीं खाना (रात्रि भोजन का पाप लगता है।) ६. पशु का झुठा नहीं खाना। १०. अज्ञात वस्तु नहीं खाना, अज्ञात पात्र में नहीं खाना। स्त्री के पात्र में नहीं खाना। १२. अजीर्ण हो तब भोजन नहीं करना। १३. खुले में बैठकर नहीं खाना। १४. एक थाली में दो व्यक्ति साथ में बैठकर नहीं खाना। १५. अत्यंत गर्म खाना नहीं खाना or Personal & Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६. अत्यंत खारा, नमकीला नहीं खाना। १७.अत्यंत खट्टा नहीं खाना। १८. ज्यादा सब्जी नहीं खाना। १६. भोजन करते वक्त झूठे मुंह नहीं बोलना। २०.सहारा लेकर नहीं खाना। २१. स्नान व पूजा करने के पश्चात भोजन करना। २२.भोजन की प्रशंसा करके नहीं खाना। २३. भोजन की निंदा करके नहीं खाना। २४.धूप में बैठकर नहीं खाना। २५.बीमार के पास बैठकर नहीं खाना। २६.रात्रि में भोजन नहीं करना। O or Personal & Private Use Onl Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७.खाली पेट पानी नहीं पीना (अग्नि मंद पड़ जाती है।) २८.जमीनकंद आदि नहीं खाना २६.झूठ नहीं बोलना। ३०.निन्दा नहीं करना। ३१. हिंसा का त्याग करना। ३२.व्रत नियम लेना। ३३. तीर्थ यात्रा करना। ३४. संघ निकालना। ३५. सम्पूर्ण संघ का स्वामी वात्सल्य करना। ३६.बड़े तीर्थ में प्रभुभक्ति विशेष तौर से करनी। or Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शयन विधि १. सूर्यास्त के बाद १ प्रहर (लगभग ३ घंटे) के बाद सोना। २. लगभग १० बजे सोना, ४ बजे उठना, युवाओं को ६ घंटे की नींद काफी है। ३. सोने की मुद्रा : उल्टा सोये भोगी, सीधा सोये योगी, बायां सोवे निरोगी, दायां सोवे रोगी। ४. बायीं करवट सोना चाहिये। ५. “सूता सात, उठता आठ नवकार" सात भयों को दर करने के लिये सोते वक्त सात नवकार गिनें और आठ कर्म को दूर करने के लिए उठते वक्त आठ नवकार गिनने चाहिये। OG 1380VAN १७७ OXOXOG २७७७ Gor> Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६. सोते वक्त खराब स्वप्नों के नाश के लिये : श्री नेमिनाथ एवं पार्श्वनाथ प्रभु का स्मरण करें। सुख निद्रा के लिये : श्री चंद्रप्रभ स्वामी का स्मरण करें। चौरादिभयों के नाश के लिये : श्री शांतिनाथ भगवान का स्मरण करें। ७. दिशा ज्ञान : दक्षिण दिशा में पांव करके कभी नहीं सोना। यम एवं दुष्ट देवों का निवास है।, कान में हवा भर जाती है, मस्तिक में खून कम पहुंचता है। याददाश्त कमजोर होती हैं, यह बात विज्ञान और वास्तु शास्त्री स्वीकार करते हैं : “प्राकशिर : शयने विद्या, धनलाभश्च दक्षिणे।, पश्चिमे प्रबला चिंता, मृत्युहानिस्तथोत्तरे।" Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से सन्मार्ग में ले जाने वाली बुद्धि एवं विद्या की प्राप्ति होती है। दक्षिण दिशा में मस्तक रखकर सोने वाले को धन व आरोग्य की प्राप्ति होती है। पश्चिम दिशा में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है। उत्तर दिशा में मस्तक रखकर सोने से मृत्य, रोग एवं भयंकर हानि होती है। ८. ५ बजे उठना, १० बजे खाना, ५ बजे खाना, १० बजे सोना, यह छोटा सा फार्मुला याद रखे। Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जागरण विधि १. "श्रावक तू उठे प्रभात, चार घडी रहे पाछली रात" ६६ मिनट बाकी रहे तब जग जाना चाहिये करीब ४-५ बजे। २. उठकर ८ नवकार गिनें। ३. पुरुषों को अपना दायां हाथ देखना। ४. बहिनों को अपना बायां हाथ देखना। ५. हाथ में रही हुई सिद्धशिला पर बिराजमान __२४ भगवान के दर्शन करें। ६. जो स्वर चले, वह पांव नीचे रखकर बिस्तर __का त्याग करना। ७. जिन मंदिर जाना, पूजा करना। MAHESHEETHERE ARES 24 Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काल भयंकर आ रहा है। अनेक भविष्यवाणियां हुई है अतः सावधान हो जाय। “जीव तु जग जा, आराधना में लग जा, पाप से भाग जा, मद्रास में देववाणी-काल भयंकर आ रहा है। अतः१. नवकार, उवसग्गहरं संतिकरं का पाठ करें। २. प्रतिमाह १ आयम्बिल करें। ३. तीन जाप करें। १. शांति के लिये ॐ ह्रीं अर्ह श्रीशांतिनाथाय नमः 8888888888888888888888888888 25 | or Personal & Private Use Onl Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २. समाधि के लिये ॐ ह्रीं अर्हं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः ३. धैर्य के लिए ॐ ह्रीं अर्ह श्री महावीर स्वामिने नमः विस्तार से जानने के लिये आचार्य देव श्री रश्मिरत्नसूरीश्वरजी म. सा. लिखित अतिप्रसिद्ध "गुडनाईट” पुस्तक मंगवाकर आज ही पढ़िये । जिनाज्ञा विरूद्ध लिखा हो तो मिच्छामि दुक्कड़म १४४४४४४४ 26 or Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | गुरु भक्ति एवं व्यसन मुक्ति गीत(तर्ज दीदी तेरा... गुणरत्नसूरीजी को माना, गुरुवर चरणों का मैं दिवाना। नाता है यह भक्त का पुराना, गुरुवर चरणों का मैं दिवाना। पिता हीराचंद, माता मनुबाई। जितेन्द्र सूरीजी के छोटे है भाई पादरली का भाग्य खिलाना ...... गुरुवर है प्रेमसूरीश्वर, गुरुओं में गुरुवर। भुवनभानु जितेन्द्र कृपा कर। भक्ति का यह जाम पिलाना ...... गुरुवर ये पान मसाला, है मौत मसाला सिगरेट और बीड़ी है, कैन्सर की सीढी हमको टीवी जल्दी छुड़ाना हमको इनकी सौगंध दिलाना ...... गुरुवर ये शराब की बोटल, है रोगों की होटल समझों तो पापों की, कम होगी टोटल पापों का यह पीछा छुड़ाना ...... गुरुवर संसार को छोड़ों इन कर्मों को तोड़ों मुक्ति मंजिल में ये, मुखड़ें को मोड़ों हमको ओघा जल्दी दिलाना, रश्मि का यह गीत बजाना सोया मेरा आतम जगाना, थोड़ी थोड़ी ताली बजाना उंगली डाले मुंह में जमाना .........गुरुवर er Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शासन 'ध्वज वन्दन गीत (आओ बच्चों तुम्हें दिखायें) जैनं जयति शासनं की अलख जगानी जारी है हे जिन शासन! तू हैं मैया तेरी ही फूलवारी हैं वंदे शासनम् जैनम् शासनम् हिमालय सा उत्तुंग है वो, जिन शासन हमारा है। गंगा सा निर्मल और पावन, जिन शासन हमारा है। पतितों को भी पावन करता, शासन वो सहारा है। तारण हारा, तारण हारा, जिन शासन हमारा है। देखो भैया नौजवानों, पापों को चिनगारी है। ..... हे जिन शासन. १ रोहिणियां जैसा चोर लुटेरा, उसको तूने तारा था। अर्जुनमाली सा घोर पापी, उसको भी उगारा था। क्रोधी विषथर चंडकोशिक को, तूने ही सुधारा था। कामी रागी स्थूलिभद्र को, तूने ही स्वीकारा था। आओ झंडा जिनशासन का, फैलाने की बारी है। ..... हे जिन शासन. २ मिटा देंगे हस्ति उसकी, जो हमसे टकरायेगा अहिंसा की टक्कर में देखो, हिंसा नाम मिट जायेगा। गली गली और गांव गाव में, बच्चा बच्चा गायेगा। HARITHER RASHTRIANS 28 | er Personal & Private Use Onl Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीर प्रभु का शासन पाकर मुक्ति सुख को पायेगा। दुःखी दुनिया मुक्त बनेगी, शासन की बलिहारी है। .... हे जिनशासन. ३ ना समझो तुम कायर हमको, शेरों के भी शेर है। न्यौछावर कर देते तन मन, वीरों के भी वीर है। देव गुरु अपमान कभी ना, सहते हम बलवीर है। प्राण फना हो जाये, मरने को भडवीर है। जिनशासन का झंडा ऊंचा, लहराओ तैयारी है। ..... हे जिन शासन. ४ विश्व शांति फैलाने वाला, जैन धर्म हमारा है शांति मार्ग दिखलाने वाला, जैन धर्म ही प्यारा है विश्व धर्म कहलाये सो ही, जैन धर्म सितारा है। प्राणी मात्र का चंदा सूरज, जैन धर्म हमारा है गर्व से कहो दोस्तो मिल हम, जिनशासन पूजारी है ..... हे जिन शासन. ५ सुदी ग्यारस वैशाख माह की ध्वज वंदन सब करलो तुम। मैत्री भाव को दिल में बसाकर, शत्रु भाव मिटाओ तुम। प्राणी मात्र को गले लगाकर, मुक्ति मार्ग बताओ तुम। सूरि गुणरत्न की रश्मि पालो, जनम-जनम सुख पाओ तुमा हे जिनशासन! तुझ को वंदन, तेरा ध्वज जयकारी है। .... हे जिन शासन. ६ रचयिता : आचार्य श्री रश्मिरत्नसूरीश्वरजी म.सा. 8 291 er Personal & Private Use Onl Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुरु भक्ति गीत (राग- अच्छा सिला) गुणरत्न नाम मेरे गुरुराज का मरूथरा गुरूवरा राजस्थान का.. तप जप करके जीवन गुजारे भक्तों के सब दुःख दर्दो को टारे कर दिया नाम सारे हिन्दुस्तान का.... मरूधरा गुणरत्न सूरीश्वर ज्ञान के दाता धर्म धुरंधर भाग्य विधाता मुझे मिला प्यार ऐसे गुरुराज का..... मरूधरा गुणरत्न सूरि विश्वशांति फैलाई घर-घर युवक जागृति लाई। गुरुओं में गुरुगुणी सरताज का.... मरूधरा दीक्षा महोत्सव देखो आज करेंगे जिनशासन का नाम करेंगे। पन्ना भी भर जाये इतिहास का.... मरूधरा धन्य धरा में शिविर चलायें आदिनाथ दादा की महेर मिलायें भक्त ने गाया गीत गुरुराज का.... मरूधरा PREPARATISHTRANSWEVEL 30 | or Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. के साहित्य यात्रा के माईल स्टोन्स । १. बरस रहीं अखियाँ २००० प्रति २. बचाओं-बचाओं ५०००० प्रति ३. ओये ओये टीवी वाले रोये २००० प्रति ४. चौदह स्वप्न नृत्यगीत २००० प्रति ५. ऐसी लागी लगन (हिं.) १५०००० प्रति ६. मन के जीते जीत ६०००० प्रति ७. ऐसी लागी लगन (गुज.) २००० प्रति ८. आंखे आंसू नी धार १००० प्रति ६. गुड नाईट (गुज.) १००००० प्रति १०. TheHell&Heaven १००० प्रति ११. गुड लाईफ (हिं. गुज.) ६०००० प्रति १२. गुड नाईट (हिं.) ४०००० प्रति JARAT NEXTRA NEWS IN MARATHI 31 | Jain Education Internationaor Personal & Private Use Onl Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूज्य दीक्षादानेश्वरी आ.भ. श्री गुणरत्नसूरीश्वर जी म.सा. एवं पूज्य आ.भ. श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. के मागदर्शन में प्राचीन तीर्थ श्री जीरावला महातीर्थ (सामूहिक मार्गदर्शन) श्री वरमाण तीर्थ, श्री सातसण तीर्थ श्री मूंगथलातीर्थ _अर्वाचीन तीर्थ संघवी भेरूतारक थाम श्री पावापूरी तीर्थ जीव मैत्री धाम श्री शंखेश्वर सुखधाम, पोसालिया श्री महावीर विहार थाम, नेतरा श्री अभिनव महावीर धाम ज्ञान तीर्थ, सुमेरपुर श्री नाकोड़ा तीर्थ संचालित निःशुल्क विश्वप्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम घर बैठे B.J. डिग्री कोर्स कीजिये। Jain Education Internationālor Personal & Private Use Onl Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुडलाईफ लेखक पूज्यपाद दीक्षादानेश्वरी आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. सम्पर्क - 9426547084 (भरत) Email : jain9911@gmail.com Visit www.abhinavmahavirdham.com www.girirajchaturmas.com Private Use Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Gems & Art Plaza (Exclusive Jewellery & Art Work) Circuit House Road, Opp. IOC Petrol Pump, Jodhpur Ph.: 0291-5104090, 2512799, Mobile : +91 98290-20109 Web : www.gemsartplaza.com Email : gemartplaza@indiatimes.com Manish Singhvi + 91 98290 24466 Printed by : PARAS CARDS, JODHPUR # 2624025 or Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org