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| गुरु भक्ति एवं व्यसन मुक्ति गीत(तर्ज दीदी तेरा... गुणरत्नसूरीजी को माना, गुरुवर चरणों का मैं दिवाना। नाता है यह भक्त का पुराना, गुरुवर चरणों का मैं दिवाना। पिता हीराचंद, माता मनुबाई। जितेन्द्र सूरीजी के छोटे है भाई
पादरली का भाग्य खिलाना ...... गुरुवर है प्रेमसूरीश्वर, गुरुओं में गुरुवर। भुवनभानु जितेन्द्र कृपा कर।
भक्ति का यह जाम पिलाना ...... गुरुवर ये पान मसाला, है मौत मसाला सिगरेट और बीड़ी है, कैन्सर की सीढी हमको टीवी जल्दी छुड़ाना
हमको इनकी सौगंध दिलाना ...... गुरुवर ये शराब की बोटल, है रोगों की होटल समझों तो पापों की, कम होगी टोटल
पापों का यह पीछा छुड़ाना ...... गुरुवर संसार को छोड़ों इन कर्मों को तोड़ों मुक्ति मंजिल में ये, मुखड़ें को मोड़ों हमको ओघा जल्दी दिलाना, रश्मि का यह गीत बजाना सोया मेरा आतम जगाना, थोड़ी थोड़ी ताली बजाना
उंगली डाले मुंह में जमाना .........गुरुवर
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