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नमो नमो निम्मलदसणस्स
पू. आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
अनुत्तरोववाईयदसाओ-नवमं
मुनि दीपरत्नसागर
Date: //2012
Jain Aagam Online Series-9
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९ गंथाणुक्कमो
१०
कमको वग्गो
पढमो _बीओ
तइओ
अज्झयणं सत्तं गाहा अणक्कमो पिढेको
१-२ २ १३ १३ २- - ३-६ ३
३- ६१-
२७-१३
ल
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ)
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बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः
नमो नमो निम्मलदसणस्स
ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स
अनुत्तरोववाइयदसाओ नवमं
० पढमो वग्गो ०
॥ पढमं अज्झयणं-जाली । [१] तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे अज्जसुहम्मस्स समोसरणं, परिसा निग्गया, जाव जंबू पज्जवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते! समणेणं भगवया महवीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पन्नत्ते, नवमस्स णं भंते! अंगस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते?
तए णं से सुहम्मे अणगारे जंबू-अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं तिण्णि वग्गा पन्नत्ता, जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं तओ वग्गा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते! वग्गस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं कई अज्झयणा पन्नत्ता? ।
___ एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्सदस अज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा- जालि मयालि उवयालि पुरिससेणे वारिसेणे य दीहदंते य लट्ठदंते य वेहल्ले वेहायसे अभए इ य कुमारे ।
जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे-रिद्वत्थिमियसमिद्धे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, धारिणी देवी, सीहो सुमिणे, जाली कुमारो जहा- मेहो अट्ठट्ठ दाओ जाव उप्पिं पासा० विहरइ, सामी समोसढे, सेणिओ निग्गओ, जहा- मेहो तहा जाली वि निग्गओ, तहेव निक्खंतो जहा- मेहो, एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, गणरयणं तवोकम्मं, जहा- खंदयस्स एवं जा चेव खंदगस्स वत्तव्वया सा चेव चिंतणा आपच्छणा, थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं तहेव दुरुहइ नवरं-सोलस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूर-गहगण-नक्खत्त-तारा-रूवाणं सोहम्मीसाण-जाव आरणच्चए कप्पे नवयगेवेज्जविमाणपत्थडे उड्ढं दुरं वीईवइत्ता विजयविमाणे देवत्ताए उववण्णे ।
तए णं ते थेरा भगवंतो जालि अणगारे कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति करेत्ता पत्तचीवराइं गेण्हति तहेव उत्तरंति जाव इमे से आयाभंडए, भंते! ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-एवं खल देवाणप्पियाणं अंतेवासी जाली नामं अणगारे पगइभद्दए से णं जाली अणगारे कालगए कहिं गए? कहिं उववण्णे? एवं खल गोयमा! ममं अंतेवासी तहेव जहा- खंदयस्स जाव कालगए उड्ढं चंदिम- जाव विजए विमाणे देवत्ताए उववण्णो ।
जालिस्स णं भंते! देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, से णं भंते! ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति,
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[2]
[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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वग्गो-१, अज्झयणं - १
एवं
खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते ।
• पढमे वग्गे पढमं अज्झयणं समत्तं •
[] २- १० - अज्झयणाणि
[७] एवं सेसाण विनवण्हं भाणियव्वं, नवरं सत्त धारिणिसुआ, वेहल्लवेहायसा चेल्लणाए, अभए नंदाए, सववेसिं सेणिओ पिया, आइल्लाणं पंचण्हं सोलस वासाइं सामण्णपरियाओ तिण्हं बारस वासाइं दोण्हं पंच वासाई, आइल्लाणं पंचण्हं आनुपुव्वीए उववाओ विजए वेजयंते जयंते अपराजि सव्वट्ठसिद्धे, दीहदंते सव्वट्ठसिद्धे, उक्कमेणं सेसा, अभओ विजए, सेसं जहा- पढमे,
एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमट्ठे
पन्न |
• पढमे वग्गे २-१० अज्झयणाणि समत्तानि Co
• पढमो वग्गो समत्तो •
O
• मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पढमो वग्गो समत्तो •
बीओ वग्गो •
[] १-१३ - अज्झयणाणि
[३] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते! वग्गस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइय दसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पन्नत्ता [तं जहा]
o
[४] दीहसेणे महासेणे लट्ठदंते य गूढदंते सुद्धदंते य ।
हल्ले दुमे दुमसेणे महादुमसेणे य आहिए ।। [५] सीहे य सीहसेणे य महासीहसेणे य आहिए । पुन्नसेणे य बोधव्वे तेरसमे होइ अज्झयणे ।।
[६] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसणं दोच्चस्स वग्गस्सस तेरस अज्झयण पन्नत्ता, दोच्चस्स णं भंते! वग्गस्स पढमज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेण के अट्ठे पन्नत्ते ?
एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, धारिणी देवी, सीहो सुमिणे, जहा- जाली तहा जम्मं बालत्तणं कलाओ नवरं दीहसेणो कुमारो सच्चेव वत्तव्वया जहा- जालिस्स जाव अंतं काहिइ, एवं तेरस वि रायगिहे नयरे, सेणिओ पिया धारिणी माया, तेरसण्हा वि सोलस वासा परियाओ, आनुपुव्वीए विजए दोण्णि, वेजयंति दोण्णि, जयंते दोण्णि, अपराजि दोण्णि, सेसा महादुमसेणमादी पंच सव्वसिद्धे ।
एवं खलु जंबू! समणेणं० अनुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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वग्गो -२, अज्झयणं/-१-१३
मासियाए संलेहणाए दोस् वि वग्गेस् ।
. बीओ वग्गो समत्तो . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च बीओ वग्गो समत्तो •
० तच्चो-वग्गो ०
। पढमं अज्झयणं-धन्न । [७] जइ णं भंते! समणेणं महावीरेणं जाव संपत्तेणं अन्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स णं वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते! वग्गस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! समणेणं० अनुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा
[८] धण्णे सुनक्खत्ते य इसिदासे य आहिए ।
पेल्लए रामपुत्ते य चंदिमा पिट्ठिमा इ य ।। [९] पेढालपुत्ते अणगारे नवमे पोट्टिले वि य ।
वेहल्ले दसमे वुत्ते इमे य दस आहिया ।। [१०] जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते?
एवं खल जंब! तेणं कालेणं तेणं समएणं काकंदी नामं नयरी होत्था-रिद्धत्थिमियसमिद्धा, सहसंबवणे उज्जाणे-सव्वोउय-पुप्फ-फल-समिद्धे, जियसत्तू राया, तत्थ णं काकंदीए नयरीए भद्दा नामं सत्थवाही परिवसइ-अड्ढा जाव अपरिभूया, तीसे णं भद्दाए सत्तवाहीए पुत्ते धण्णे नामं दारए होत्थाअहीणपडिपन्नपंचेंदियसरीरे जाव सुरूवे पंचधाईपरिग्गहिए तं- खीरधाती जहा- महब्बलो जाव बावत्तरं कलाओ अहीए जाव अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था ।।
तए णं सा भद्दा सत्थवाही धण्णं दारयं उम्मक्कबालभावं जाव अलंभोगसमत्थं वा वि जाणित्ता बत्तीसं पासायवडेंसए कारेइ-अब्भग्गयमसिए जाव पडिरूवे तेसिं मज्झे एगं च णं महं भवणं कारेइ-अणेगखंभसयसण्णिविढे जाव बत्तीसाए इब्भवरकण्णगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेइ गेण्हावेत्ता बत्तीसओ दाओ जाव उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं जाव विहरइ ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे, परिसा निग्गया, राया जहाकोणिओ तहा जियसत्तू निग्गओ, तए णं तस्स धण्णस्स दारगस्स तं महया जहा जमाली तहा निग्गओ, नवरं पायचारेणं जाव जं नवरं अम्मयं भदं सत्थवाहिं आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे जाव पव्वयामि जाव जहा जमाली तहा आपुच्छइ मुच्छिया वुत्तपडिवुत्तया जहा महब्बले जाव जाहे नो संचाएइ जहा थाव्चापत्तो जियसत्तुं च्छति- छत्तमउड-चामराओ० सयमेव जियसत्तू निक्खमणं करेइ जहा- थावच्चापत्तस्स कण्हो जाव पव्वइए, तए णं से धन्ने दारए अणगारे जाए-इरियासमिए जाव गुत्तिंदिए गुत्तबंभयारी ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[4]
[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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तए णं से धण्णे अणगारे जं चेव दिवसं मुंडे भवित्ता अगाराओ पव्वइए तं चेव दिवसं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरित्तए, वग्गो-३, अज्झयणं-१
छठुस्स वि य णं पारणयंसि कप्पड़ मे आयंबिलं पडिगाहेत्तए नो चेव णं अणायंबिलं, तं पि य संसटुं नो चेव णं असंसटुं, तं पि य णं उज्झियधम्मियं नो चेव णं अनज्झिय-धम्मियं, तं पि य जं अण्णे बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा नावकंखंति, अहासुहं देवाणप्पिया! मा पडिबंधं करेहि ।
तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भण्ण्णे समाणे हद्वतुढे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेमं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से धण्णे अणगारे पढम-छट्ठखमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ जहा- गोयमसामी तहेव आपुच्छड़ जाव जेणेव काकंदी नयरी तेणेव उगच्छइ उवागच्छित्ता काकंदीए नयरीए उच्च-जाव अडमाणे आयंबिलं नो अणायंबिलं जाव नावकंखंति ।
तए णं से धण्णे अणगारे ताए अब्भज्जयाए पययाए पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए एसमाणे जइ भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ अह पाणं लभइ तो भत्तं न लभइ, तए णं से धण्णे अणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अविसादी अपरितंत-जोगी-जयण-घडण-जोगचरित्ते अहापज्जत्तं समुदाणं पडिगाहेइ पडिगाहेत्ता काकंदीओ नयरीओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जहा- गोयमे जाव पडिदंसेइ, तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महवीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे अमुच्छिए जाव अणज्झोववण्णे बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ आहारेत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणंभावेमाणे विहरइ ।
तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ कायंदीओ नयरीओ सहसंबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खंमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से धन्ने अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ,
तए णं से धन्ने अणगारे तेणं ओरालेणं जहा- खंदओ जाव सुहय० चिट्ठइ, धन्नस्स णं अणगारस्स पायाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए सुक्कछल्ली इ वा कट्ठपाउया इ वा जरग्गओवाहणा इवा, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स पाया सक्का लक्खा निम्मंसा अहि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । धन्नस्स णं अणगारस्स पायंगलियाणं अयमेयारूवे० से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठति, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स पायंगुलियाओ सुक्काओ जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स जंधाणं अयमेयारूवे० से जहानामए काकजंधा इ वा ढेणियालियाजंधा इ वा जाव नो सोणियत्ताए,
धण्णस्स अणगारस्स जाणूणं अयमेयारूवे० से जहानामए कालिपोरे इ वा मऊरपोरे इ वा ढेणियालियापोरे इ वा जाव नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स ऊरूणं० जहानामए सामकरिल्ले इ वा बोरीकरिल्ले इ वा सल्लइकरिल्ले इ वा सामलिकरिल्ले इ वा तरुणए छिण्णे उण्हे जाव चिट्ठइ एवामेण धण्णस्स अणगारस्स ऊरू जाव नो-सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स कडिपत्तस्स
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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अयमेयारूवे० से जहानामए उट्टपदे इ वा जरग्गपए इ वा जाव सोणियत्ताए धण्णस्स णं अणगारस्स उदर-भायणस्स अयमेयारूवे० से जहानामए सुक्कदिए इ वा भज्जणय कभल्ले इ वा कट्ठकोलंबए इ वा, एवामेव धन्नस्स अणगारस्स उदरं सुक्कं,
धन्नस्स णं अणगारस्स पासुलिय-कडयाणं अयमेयारूवे० से जहानामए थासयावली इ वा वग्गो-३, अज्झयणं-१
पाणावली इ वा मुंडावली इ वा० धण्णस्स णं अणगारस्स पिट्ठिकरंडयाणं अयमेयारूवे० से जहानाम कण्णावली इ वा गोलावली इ वा वट्टावली इ वा एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स उर- कडयस्स अयमेयारूवे० से जहानामए चित्तकट्टरे इ वा वीयणपत्ते इ वा तालियंटपत्ते इ वा एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स बाहाणं० से जहानाए समिसंगलिया इ वा वाहायासंगलिया इ वा अगत्थियसंगलिया इ वा एवामेव॰ धण्णस्स णं अणगारस्स हत्थाणं० से जहानामए सुक्कछगणिया इ वा वडपत्ते इ वा पलासपत्तं इवा एवामेव० ।
धण्णस्स णं अणगारस्स हत्थंगुलियाणं० से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा आयवे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठति एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स गीवाए० से जहानामए करगगीवा इ वा कुंडिलयागीवा इ वा उच्चत्थवण इवा एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स हणुयाए० से जहानामए लाउयफले इ वा हकुवफले इ वा अंबगट्ठिया इ वा एवामेव॰ धण्णस्स णं अणगारस्स उट्ठाणं० से जहानामए सुक्कजलोया इ वा सिलेसगुलिया इवा अत्त- गुलिया इ वा एवामेव०
धण्णस्स णं अणगारस्स जिब्भाए० से जहानामए वडपत्ते इ वा पलासपत्ते इ वा सागपत्ते इ वा एवामेव० धन्नस्स णं अणगारस्स नासाए० से जहानामए अंबगपेसिया इ वा अंबाडगपेसिया इ वा माउलुंगपेसिया इ वा तरुणिया एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स अच्छीणं० से जहानामए वीणाछिद्दे इ वा वद्धीसगछिद्दे इ वा पाभाइयतारिगा इ वा एवामेव० धण्णस्स णं अणगारस्स कण्णाणं ०से जहानामए मूलाछल्लिया इ वा बालुंक - छल्लिया इ वा कारेल्लयछल्लिया इ वा एवामेव०
धण्णस्स णं अणगारस्स सीसस्स० से जहानामए तरुणगलाउए इ वा तरुणगएलालुए इ वा सिण्हालए इ वा तरुणए जाव चिट्ठइ एवामेव० धण्णस्स अणगारस्स सीसं सुक्कं लुक्खं निम्मसं अट्ठचम्म-छिरत्ताए पन्नायए नो चेव णं मंससोणियत्ताए एवं सव्वत्थ, नवरं उद्दरभायण-कन्न जीहा उट्ठा एएस अट्ठी ण भन्नति चमाच्छिरत्ताए पण्णायइत्ति मन्नति।
धन्ने णं अणगारे सुक्केणं भुक्खेणं पायजंघोरुणा विगय-तडि -करालेणं कडिकडाहेणं पट्ठिमस्सिएणं उदरभायणेणं जोइज्जमाणेहिं पासुलि-कडएहिं अक्खुससुत्तमाला ति वा गणिज्जमालाति गणेज्जमाणेहिं पिट्ठिकरंडगसंधीहिं गंगातरंगभूएणं उरकडगदेसभाएणं सुक्कसप्पसमाणाहिं बाहाहिं सिटिलकडालीविवचलंतेहिं य अग्गहत्थेहिं कंपणवाइओ विव वेवमाणीए सीसघडीए पव्वादवयणकमले उब्भडघडमुहे उब्बड्डणयणकोसे जीवंजीवेणं गच्छइ जीवंजीवेणं चिट्ठइ भासं भासित्ता गिलाइ भासं भासमाणे गिलाइ भासं भासिस्सामि त्ति गिलाइ, से जहा नामए इंगालसगडिया इ वा जहा खंदओ तहा जाव हुयासणे भासरासिपलिच्छण्णे तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव अईव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठ |
[११] तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे, परिसा निग्गया, सेणिए निग्गए, धम्मकहा, परिसा पडिगया, [ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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तए णं से सेणिए राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- इमासि णं भंते! इंदभूइपामोक्खाणं चोद्दसण्हं समणसाहस्सीणं कतिरे अणगारे महादुक्करकारए चेव महानिज्जरतराए चेव?
एवं खल सेणिया इमासिं णं इंदभूइपामोक्खाणं चोद्दसण्हं समणसाहस्सीणं धण्णे अणगारे वग्गो-३, अज्झयणं-१
महादुक्करकारए चेव महानिज्जरतराए चेव, से केणटेणं भंते! एवं वच्चइ इमासिं जाव साहस्सीणं धण्णे अणगारे महादुक्करकारए चेव महानिज्हरतराए चेव?
एवं खल सेणिया! तेणं कालेणं तेणं समएणं कायंदी नामं नयरी होत्था, धण्णे दारए उप्पिं पासायवडेंसए विहरइ, तते णं अहं अण्णया कयाई पुव्वाणुपुव्वीए चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव कायंदी नयरी जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे तेणेव उवागए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं जाव विहरामि, परिसा निग्गया, तहेव जाव पव्वइए जाव बिलमिव जाव आहारेइ, धण्णस्स णं अणगारस्स पादाणं सरीरवण्णओ सव्वो जाव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ, से तेणटेणं सेणिया! एवं वच्चइ- इमासिं णं इंदभुइपामोक्खाणं चोद्दसण्हं समणसाहस्सीणं धण्णे अणगारे महाद्क्करकारए चेव महानिज्जर-तराए चेव ।
तए णं से सेणिए राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हद्वतुटठे० समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव धन्ने अणगारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धन्नं अणगारं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेड करेत्ता वंदड़ नमंसह वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-धण्णे सि णं तमं देवाणप्पिर सुकयत्थे कयलक्खणे सुलद्धे णं देवाणुप्पिया! तव माणुस्सए जम्मजीवियफले त्ति कट्ट वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो० वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भए तामेव दिसं पडिगए ।
[१२] तए णं तस्स धन्नस्स अणगारस्स अण्णया कयाइ पव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं० इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समप्पज्जित्था-एवं खल अहं इमेणं ओरालेणं जाए जहा- खंदओ तहेव चिंता आपच्छणं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं दुरुहइ मासिया संलेहणा नवमास परियाओ जाव कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम जाव नव य गेवेज्ज-विमाणपत्थडे उड्ढं दूर वीईवइत्ता सव्वट्ठसिद्धे विमाणे देवत्ताए उववण्णे, थेरा तहेव ओयरंति जाव इमे से आयारभंडए, भंतेति भगवं गोयमे तहेव आपच्छति जहा- खंदयस्स भगवं वागरेइ जाव सव्वट्ठसिद्धे विमाणे उववण्णे |
धन्नस्स णं भंते! देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । से णं भंते! ताओ देवलोगाओ कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते ।
• तच्चे वग्गे पढमं अज्झयणं समत्तं .
॥ २-१० अज्झयणाणि ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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[१३] जइ णं भंते उक्खेवओ० एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं काकंदी नयरी, जियसत्तू राया, तत्थ णं काकंदीए नयरीए भद्दा नामं सत्थवाही परिवसइ - अड्ढा०, तीसे णं भद्दा सत्थवाहीए पुत्ते सुनक्खत्ते नामं दारए होत्था - अहीण० जाव सुरूवे पंचधाइपरिक्खित्ते जहा- धण्णो, बत्तीस दाओ जाव उप्पिं पासायवडेंसए विहरति,
तेणं कालेणं तेणं समएणं समोसरणं जहा धन्नो तहा सुनक्खत्ते वि निग्गए जहा
थावच्चा
वग्गो-३, अज्झयणं - १
पुत्तस्स तहा निक्खमणं जाव अणगारे जाए इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी, तए णं से सुनक्खत्ते जं चेव दिवस समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे जाव पव्वइए, तं चेव दिवसं अभिग्गहं तहेव जाव बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ आहारेत्ता संजमेणं जाव विहरइ, सामी बहिया जणवयविहारं विहरइ एक्कारस अंगाई अहिज्जइ संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।
तणं से सुनते अणगारे तेणं ओरालेणं तवोकम्मेमं जहा खंदओ० तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया, राया निग्गओ, धम्मकहा, राया पडिगओ, परिसा पडिगया, तए णं तस्स सुनक्खत्तस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं जागरमाणस्स जहा - खंदयस्स बहू वासा परियाओ गोयमपुच्छा कहेइ जाव सव्वट्ठिसिद्धे विमाणे देवत्ताए उववण्णे, तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिइ । एवं सुनक्खत्तगमेणं सेसा वि अट्ठ अज्झयणा भाणियव्वा, नवरं आणुपुव्वीए दोणि रायगिहे दोण्णि साकेते दोण्णि वाणियग्गामे नवमो हत्थिणपुरे दसमो रायगिहे नवण्हं भद्दाओ जणणीओ, नवह वि बत्तीसओ दाओ, नवण्हं निक्खमणं, थावच्चापुत्तस्स सरिसं वेहल्लस्स पिया करेइ छम्मासा वेहल्लए, नव धण्णे, सेसाणं बहू वासा मासं संलेहणा सव्वट्ठसिद्धे, सव्वे महाविदेहे सिज्झिस्संति ।
एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महवीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सहसंबुद्धेणं लोगनाहेणं लोगप्पदीवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदपणं सरणदपणं चक्खुदएणं मग्गदएणं धम्मदएणं धम्मदसणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडिहयवरनाणदंसणधरेणं जिणेणं जावणेणं बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोयएणं तिण्णेणं तारएणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तयं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अयमट्ठे पन्नत्ते ।
[अनुत्तरोववाइयदसाणं एगो सुयखंधो, तिण्णि वग्गा, तिसु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति, तत्थ पढमे वग्गे दस उद्देसगा, बिइए तेरस, तइए वग्गे दसउद्देसगा सेसं जहा नायाधम्मकहाणं] • तच्चो वग्गो समत्तो •
मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादितश्च तइओ वग्गो समत्तो
अनुत्तरोववाइयदसाओ नवमं अंगसुत्तं
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
समत्तं
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[९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
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________________ मनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादितश्च अनुत्तरोववाइयदसा / [दीपरत्नसागर संशोधितः] [9] [९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]