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________________ तए णं से धण्णे अणगारे जं चेव दिवसं मुंडे भवित्ता अगाराओ पव्वइए तं चेव दिवसं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरित्तए, वग्गो-३, अज्झयणं-१ छठुस्स वि य णं पारणयंसि कप्पड़ मे आयंबिलं पडिगाहेत्तए नो चेव णं अणायंबिलं, तं पि य संसटुं नो चेव णं असंसटुं, तं पि य णं उज्झियधम्मियं नो चेव णं अनज्झिय-धम्मियं, तं पि य जं अण्णे बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा नावकंखंति, अहासुहं देवाणप्पिया! मा पडिबंधं करेहि । तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भण्ण्णे समाणे हद्वतुढे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेमं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से धण्णे अणगारे पढम-छट्ठखमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ जहा- गोयमसामी तहेव आपुच्छड़ जाव जेणेव काकंदी नयरी तेणेव उगच्छइ उवागच्छित्ता काकंदीए नयरीए उच्च-जाव अडमाणे आयंबिलं नो अणायंबिलं जाव नावकंखंति । तए णं से धण्णे अणगारे ताए अब्भज्जयाए पययाए पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए एसमाणे जइ भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ अह पाणं लभइ तो भत्तं न लभइ, तए णं से धण्णे अणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अविसादी अपरितंत-जोगी-जयण-घडण-जोगचरित्ते अहापज्जत्तं समुदाणं पडिगाहेइ पडिगाहेत्ता काकंदीओ नयरीओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जहा- गोयमे जाव पडिदंसेइ, तए णं से धण्णे अणगारे समणेणं भगवया महवीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे अमुच्छिए जाव अणज्झोववण्णे बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ आहारेत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणंभावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ कायंदीओ नयरीओ सहसंबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खंमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से धन्ने अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से धन्ने अणगारे तेणं ओरालेणं जहा- खंदओ जाव सुहय० चिट्ठइ, धन्नस्स णं अणगारस्स पायाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए सुक्कछल्ली इ वा कट्ठपाउया इ वा जरग्गओवाहणा इवा, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स पाया सक्का लक्खा निम्मंसा अहि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । धन्नस्स णं अणगारस्स पायंगलियाणं अयमेयारूवे० से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठति, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स पायंगुलियाओ सुक्काओ जाव सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स जंधाणं अयमेयारूवे० से जहानामए काकजंधा इ वा ढेणियालियाजंधा इ वा जाव नो सोणियत्ताए, धण्णस्स अणगारस्स जाणूणं अयमेयारूवे० से जहानामए कालिपोरे इ वा मऊरपोरे इ वा ढेणियालियापोरे इ वा जाव नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स ऊरूणं० जहानामए सामकरिल्ले इ वा बोरीकरिल्ले इ वा सल्लइकरिल्ले इ वा सामलिकरिल्ले इ वा तरुणए छिण्णे उण्हे जाव चिट्ठइ एवामेण धण्णस्स अणगारस्स ऊरू जाव नो-सोणियत्ताए, धण्णस्स णं अणगारस्स कडिपत्तस्स [दीपरत्नसागर संशोधितः] [5] [९-अनुत्तरोववाईयदसाओ]
SR No.003717
Book TitleAgam 09 Anuttarowaaiadasao Navam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages10
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 09, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size1 MB
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