Book Title: Aagam Manjusha 19 Uvangsuttam Mool 08 Nirayaavaliyaam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [१९] निरयावलियाणं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मनि दीपरत्नसागर M.Com.M.Ed, Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * * है। [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया [४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है| Online-आगममंजूषा : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 [email protected] मुनि दीपरत्नसागर -मुनि दीपरत्नसागर Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शीनियासिनोपरानमः श्रुतदेवतायै ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामंजयरे होत्था रित्विमियसमि० गुणसिलए चेइए यन्नओ, असोगवरपायवे पुढचीसिलापट्टए।१। तेणं कालेण समणस्स भगवा महावीरस्स अंतेवासी अजमुहम्मे नाम अणगारे जातिसंपन्ने जहा केसी जाव पंचहिं अणगारसएहिं सदिं संपरिखुडे पुब्वाणुपुधिं घरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जाव अहापडिरूवं उग्गहं ओगिहित्ता संजमेणं जाव विहरति, परिसा निम्या, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया।२। तेणं कालेणं० अजसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंचू णाम अणगारे समचउरंससंठाणसंठिए जाब संखित्तविउलतेयलेस्से अज्जमुहम्मस्स अणगारस्स अदूरसामंते उदजाणू जाव विहरति ।३। तए णं से भगवं जंचू जातसइडे जाव पजुवासमाणे एवं क्यासी-उबंगाणं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं के अड्डे पण्णते?, एवं खलु जंचू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं एवं उबंगाणं पंच वग्गा पं० त०-निरयावलियाओ कप्पडिसियाओ पुफियाओ पुष्फचूलियाओ वहिदसाओ, जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पंच वग्गा पं० तं०-निरयावलियाओ जाव बहिदसाओ पढमस्स णं भंते ! वम्गस्स उबंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पं०?, एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स बम्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० सं०- काले मुकाले महाकाले कण्हे सुकण्हे तहा महाकण्हे वीरकण्हे य बोबडे रामकण्हे तहेव य पिउसेणकण्हे नवमे दसमे महासेणकण्हे उ।४। जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अजायणा पं० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पं०१,एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं. इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नार्म नयरी होत्था रिख०, पुनभदे चेहए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रखो पुत्ते चोडणाए देवीर अत्तए कृणिए नाम राया होत्या महता०, तस्स कृणियस्स स्त्रो पउमावई नामं देवी होत्था सोमाला जाब विहरत ८९३ निरयावल्याद्युपांगपंचकं चाहात्या सामाला जापाचहरक, वत्व ण चपाए नयराए साणयस्स रचा मजा पूणियस्स रखो चुमाउया काली नाम दवा हात्या सोमाला जाब रियाकि मुनि दीपरनसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुरुवातीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नाम कुमारे होत्या सोमाल जाव सुरूवे । ५। तते गं से काले कुमारे अक्षया कथाई तीहिं दंतिसहस्सेहिं तीहिं रहसहस्सेहिं तीहिं आससहस्सेहिं तीहि मणुयकोडीहिं गरुलवूहे एकारसमे खंडेणं कुणिएणं रखा सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए । ६। ततेणं तीसे कालीए देवीए अजदा कदाई कुटुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूचे अज्झन्थिए जाय समुप्पजित्था एवं खलु मम पुत्ते कालकुमारे तीहि दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए से मझे किं जइस्सति ? नो जइस्सति ? जीविस्सति ? णो जीविस्सति ? पराजिणिस्सइ ? णो पराजिणिस्सइ ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिजा ? ओयमण जाव झियाइ, तेणं काले समणे भगवं महावीरे समोसरिने, परिसा निग्गया, ननेणं तीसे कालीए इमीसे कहाए लडाए समाणीए अयमेतारूचे अज्झत्थिए जाव समुप्यजित्था एवं खलु समणे भगवं पुष्याणुपुवि इहमागते जाव विहरति तं महाफलं खलु तहारुवाणं जाव विउलम्स अस्स गणनाए नं गच्छामि णं समणं जाव पज्जुवासामि इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकट्टु एवं संपेहे त्ता कोडुंचियपुरिसे सहावेति ता एवं बदासी खिप्पामेव भी देवाणुपिया ! धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तमेव उपवेह ना जाब पञ्चप्पियंति, ततेणं सा काली देवी व्हाया कयचलिकम्मा जाव अप्पमवाभरणालंकियसरीरा पहूहिं खुजाहिं जाव महतरगविंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ निग्गच्छ ता जेणेव बाहिरिया उपद्वाणसाला जेणेव धम्मिए जाणपवरे नेणेव उवागच्छइ धम्मियं जाणप्पवरं दुरुति ता नियगपरियाल संपरिवुड चंपं नयरीं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति जेणेव पुष्णभद्दे चेइए तेणेव उपागच्छ ता उत्तादीए जाव धम्मियं जाणप्यवरं ठवेति त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहति ता पहहिं जाव खुजाहिं जाव चिंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उपागच्छति त्ता समणं भगवं तिक्खुत्तो वंदति० ठिया चैव सपरिवारा सुस्सूसमाणा नर्मसमाणा अभिमुहा विणणं पंजलिउडा पज्जुवासनि, तते णं समणे भगवं जाव कालीए देवीए तीसे य महतिमहालियाए धम्मका भाणियव्या जाच समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणा आणाए आराहए भवति, ततेणं सा काली देवी समणस्स भगवओ अंतियं धम्मं सोचा निसम्म जाव हियया समणं भगवं० तिक्खुत्तो जाव एवं वदासी एवं खलु भंते! मम पुत्ते काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलसंगामं ओयाते से णं भंते किं जइस्सति ? नो जइस्सति ? जाब कालं कुमारं अहं जीवमाणं पासिजा ?, कालीति समणे भगवं कालिं देविं एवं वयासी एवं खलु काली तव पुत्ते काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रचा सद्धिं रहमुसलं संगामं संगामेमाणे यमहियपपरवीरघातितनिवडितचिधज्झयपडागं निरालोयातो दिसातो करेमाणे चेडगस्स रन्नो सपक्खि सपडिदिसिं रहेणं पडिरहं हन्यमागते, ततेणं से चेडए राया कालं कुमारं एजमाणं पासति ता आसुरुते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुखति ता उमुं परामुस ता वहसाहं ठाणं ठाति सा आययकण्णायतं उसे करेमाणे कालं कुमारं एमाहचं कूडाहचं जीवियाओ वबरोवेति तं कालगते णं काली काले कुमारे, नो चेत्र णं तुमं कालं कुमारं जीवमाणं पासिहिसि तते णं सा काली देवी समणस्स भगवओ० अंतियं एयमहं सोचा निसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुन्ना समाणी परसुनियत्ताविव चंपगलता धसन्ति धरणीतलंसि सर्वगेहिं संनिवडिया, ततेणं सा काली देवी मुद्दत्तंतरेणं आसत्था विसत्था समाणी उट्टाए उद्देति त्ता समणं भगवं० बंदइ नमसइ त्ता एवं बयासी एवमेयं भंते! तमेयं भंते! अवितमेयं भंते! असंदिदमेयं भंते सचे णं एसमड़े से जहेतं तुम्भे वदहत्तिकट्टु समणं भगवं चंद्र नर्मसह ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहति त्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगता । ७ मंतेत्ति भगवं गोयमे जाव बंदति नम॑सति त्ता एवं क्यासी काले णं भंते! कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहि जाव रहमुसलं संगामं संगामेमाणे चेडए रमाएगाहचं कूडाचं जीवियाओ पत्ररोविते समाणे कालमासे कालं किथा कहिं गते कहिं उबवने ?, गोयमाति समणे० भगवं गोयमं एवं वदासी एवं खलु गो०! काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव जीवियाओ ववरोचिते समाणे कालमासे कालं किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमामे नरगे दससागरोवमठिइएस नेरइएस नेरइयत्ताए उपवन्ने । ८। काले णं भंते! कुमारे केरिसएहिं आरंभेहिं केरिसएहिं (समारंभेहिं केरिसएहिं ) आरं भसमारंभेहिं केरिसएहिं भोगेहि केरिसएहिं संभोगेहिं केरिसएहिं भोगसंभोगेहिं केरिसेण वा असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयत्ताए उपवने एवं खलु गो० तेण कालेनं० रायगिहे नाम नथरे होत्या रिद्वत्थिमियसमिद्धे०, तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्या मध्या० तस्स णं सेणियस्स रनो नंदा नामं देवी होत्था सोमाला जाव विहरति, तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदाए देवीए अत्तए अभए नाम कुमारे होत्या सोमाले जाव सुरूचे साम जहा चित्ती जाव रज्जधुराचितए यावि होत्था, तस्स णं सेणियस्स रनो चेहणा नाम देवी होत्था सोमाला जाव विहरइ तते णं सा चिडणा देवी अन्नया कथाई तंसि तारिससि वासरंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जहा पभावती जाव सुमिणपाटगा पडिविसज्जिता जाव चिडणा से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुपविट्टा । ९। तते णं तीसे चोडणाए देवीए अक्षया कमाई तिन्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूये दोहले पाउम्भूए-धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाच जम्मजीवियफले जाओ णं सेणियस्स रन्नो उदस्यलीमंसेहिं सोहि य तलिएहि य भज्जितेहि य मुरं च जाव पसन्नं च आसाएमाणीओ जाव परिभाएमाणीओ दोहलं पविर्णेति तते णं सा चेहणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुका भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुइयमुही ओमंथियनयणवयणकमला जहोचियं पुष्फ वत्थगंधमहालंकारं अपरिभुंजमाणी करतलमलियक्ष कमलमाला ओहह्नमणसंकप्पा जाव झियायति, ततेणं तीसे चडणाए देवीए अंगपडियारिपातो चेहणं देवं सुकं भुक्खं जाव झियायमाणि पासंति ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उपागच्छति ता जाव कट्टु सेणियं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी चेलणा देवी न याणामो केणई कारणेणं सुका भुक्खा जात्र झियायति, तते र्ण से सेणिए राया तासि अंगपडियारियाणं अंतिए एयमहं सोचा निसम्म तव संभंते समाणे जेणेव वेलणा देवी तेणेव उपागच्छइ ता चिह्नणं देविं सुकं भुक्खं जाव झियायमाणि पासित्ता एवं वयासी- किनं तुमं देवाणुप्पिए! सुका मुक्खा जाच झियायसि ? तते णं सा चेउणा देवी सेणियस्स रण्णो एय महं णो आढाति णो परिजानाति तुसिणीया संचिट्ठति, तते णं से सेणिए राया चेणं देविं दोपि तपि एवं वयासी- किं णं अहं देवाणुप्पिए! एवमट्ठस्स नो अरिहे सबणयाए जं गं तुमं अयम रहस्सीकसि १ तते णं सा चेलणा ८९४ निरयावल्याद्युपांगपंचकं निरथावलिया मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवी सेणिएणं रमा दोचंपि नचपि एवं वुत्ता समाणी सेणियं रायं एवं वयासी-पत्थि णं सामी ! से केति अढे जस्स णं तुम्भे अणरिहा सवणयाए, नो चेव णं इमस्स अट्ठस्स सवणयाए. एवं खलु सामी ! ममं तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स निष्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउम्भूए-धनातो णं तातो अम्मयाओ जाब जाओणं तुम्भ उदरवलिमसेहिं सोल्लिएहि य जाव दोहलं विणेति, तते णं अहं सामी! तसि दोहलंसि अविणिजमार्णसि सुक्का मुक्खा जाव मियायामि, तते णं से सेणिए राया चेवणं देवि एवं वदासी-मा णं तुम देवाणुप्पिए! ओहय जाब झियायाहि. अहं णं तहा घत्तिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकद चिलणं देवि ताहिं इटाहिं कताहि पियाहि मणुचाहि मणामाहि ओरालाहि कहाणाहिसिवाहि धनाहिं मंगवाहि मियमधुरसस्सिरीयाहि वम्गृहि समासासेति, चितणाए देवीए अंतियातो पडिनिक्खमति त्ता जणव बाहिरि तेणेव उपागच्छइ ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे निसीयति, तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहुहिं आएहिं उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य कम्मियाहि य पारिणामियाहि य परिणामेमाणे २ तस्स दोहलस्स आयं वा उवार्य षा ठिई वा अर्विवमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायति, इमे य णं अभए कुमारे व्हाए जाव सरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमति त्ता जेणेव बाहिरिया उबट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति त्ता सेणियं राय ओहय जाय शियायमाणं पासति त्ता एवं वदासी-अनया णं तातो! तुम्भे ममं पासित्ता हट्ठजाबहियया भवह, किन्नं तातो! अज तुम्भे ओहय जाब झियायह?, जइणं अहं तातो ! एयस्सस्स अरिहे सवणयाए तो णं तुम्भे मम Hएयमहूँ जहाभूतमवितहं असंदिवं परिकहेह जे(जा)णं अहं तस्स अट्ठस्स अंतगमणं करेमि, तते णं से सेणिए राया अभयं कुमारं एवं वदासी-णस्थि णं पुत्ता ! से केइ अट्टे जस्स णं तुमं अणरिहे सवणयाए, एवं खल पुत्ता ! तव चाड माउयाए चोडणाए देवीए तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स तिहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव जाओ णं मम उदरवलीमसेहिं सोडेहि य जाव दोहलं विणेति, तते णं सा चिाइणा देवी तसिं दोहटसि अपिणिजमाणसि मुक्का जाय नियाति, तते णं अहं पुत्ता ! तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं आएहि य जाच ठितिं वा अविंदमाणे ओहय जाव झियामि, तए णं से अभए कुमारे सेणियं रायं एवं वदासी-मा गं तातो! तुम्भे ओहय जाव झियायह अहं गं तहा ज(घ)तिहामि जहाणं मम चुछमाउयाए चिडणाए देवीए तस्स दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकटु सेणियं रायं ताहि इटाहिं जाव वग्गृहि समासासेति त्ता जेणेव सए गिहे तेणेच उचागच्छद ना अभितरए रस्सितए ठाणिजे पुरिसे सहावेति त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सणातो आई मंसं गहिरं पत्थिपुडर्ग च गिण्हह, तते णं ते ठाणिज्जा पुरिसा अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट करतल जाव पडिसुणेत्ता अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंतित्ता जेणेव सूणा तेणेव उवागच्छन्ति ता आलमर्स रुहिरं पत्थिपुडगं च गिण्हंति त्ता जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छति ता करतल त आइमस गहिरं पत्थिपुडगं च उवर्णेति, तते णं से अभए कुमारे ते आलमस रुहिरं कप्पणिकप्पियं करेति त्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवा० ता सेणियं रायं रहस्सिगर्य सयणिजसि उत्ताणयं नुवज्जावेति त्ता सेणियस्स उदरवलीमु तं अङमंसं गहिर विरवेति त्ता वत्यिपुडएणं A वेदेति ता सर्वतीकरण करेति ता चोलणं देविं उप्पि पासादे अवलोयणवरगयं ठवावेति त्ता चेलणाए देवीए अहे सपक्खि सपडिदिसि सेणियं रायं सयणिजसि उत्ताणगं निवजावेति, सेणियस्स रनो उदरवलिमसाई कप्पणिकप्पियाई A करेति त्ता सेयभायणसि पक्खिवति, तते णं से सेणिए राया अलियमुच्छियं करेति त्ता मुहुर्ततरेणं अन्नमन्नेणं सद्धि संलबमाणे चिट्ठति, तते णं से अभयकुमारे सेणियस्स रन्नो उदरवलिमसाई गिण्हेति ता जेणेव चितुणा देवी तेणेव उवागच्छइ त्ता चालणाए देवीए उवणेति, तते णं सा चिलणा सेणियस्स रन्नो तेहिं उदरचलिमंसेहिं सोडेहिं जाव दोहलं विणेति, तते णं सा चिडणा देवी संपुण्णदोहला एवं संमाणियदोहला विच्छिन्नदोहल्ला तं गर्भ मुहंसुहेर्ण परिवहति । १०। तते तीसे चालणाए अन्नया कयाई पुत्ररत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-जइ ताव इमेणं दारएणं गभगएणं च पिउणो उदरवलिमंसाणि स्वाइयाणि तं सेयं खलु मम एवं गर्भ साडित्तए या पाडित्तए वा गालित्तए वा चिदंसित्तए वा, एवं संपेहेति ता तं गम्भ बहुहिं गम्भसाडणेहि य गम्भपाडणेहि य गम्भगालणेहि य गम्भविद्धसणेहि य इच्छति साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विदंसित्तए वा, नो चेत्र णं से इति वा गलति वा विदसति वा, तते णं सा चिडणा देवी तंगभं जाहे नो संचाएति बहहिं गम्भसाडणेहि य जाप चिदंसित्तए वा ताहे संता तंता परिनंता निविना समाणी अकामिया अवसवसा अवसदहातं गम्भ परिवहति ।११। तते णं सा चिटणा देवी नवण्हें मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव सोमालं सुरूवं दारयं पयाया, तते णं तीसे चेहलणाए देवीए इमे एतारूवे जाव समुप्पजित्था-जड़ ताव इमेणं दारएणं गभगएणं चेत्र पिउणो उदरवलिमसाई खाइयाई तं न नजाणं एस दारए संवड्ढमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सति तं सेयं खलु अम्हं एवं दारगं एगते उकुरुडियाए उज्झावित्तए, एवं संपेहेति ता दासचेडिं सदावेति त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिए ! एवं दारगं एगते उकुरुडियाए उज्झाहि, तते णं सा दासचेडी चेल्लणाए देवीए एवं वुत्ता समाणी करतल जाव कटु चित्रणाए देवीए एतमढे विणएणं पडिमुणेति त्ता तं दारगं करतलपडेणं गिण्हेइ त्ता जेणेव असोगव. णिया तेणेव उवात्ता तं दारगं एगते उकुरुडियाए उज्झति, तते णं तेणं दारएणं एगते उकुरुडियाए उज्झितेणं समाणेणं सा असोगवणिया उज्जोविता यावि होस्था, तते णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे जेणेव असोगवणिया तेणेव उवा० ता तं दारगं एगते उकुरुडियाए उज्झियं पासेति त्ता आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तं दारगं करतलपुडेणं गिण्हति त्ता जेणेव चिडणा देवी तेणेव उवा० ना चोदणं देविं उचावयाहिं आओसणाहिं आओ. सति उचावयाहिं निभच्छणाहिं निम्भच्छेति एवं उद्धसणाहिं उद्धंसेति त्ता एवं बयासी-कीस णं तुमं मम पुत्तं एगते उकुरुडियाए उज्झाचेसित्तिकटु चाडणं देविं उच्चापयसवहसावितं करेति त्ता एवं वयासी-तुमंणं देवाणुप्पिए ! एवं दारगं अणुपुत्रेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवइदेहि, तते णं सा चोङणा देवी सेणिएणं रमा एवं बुत्ता समाणी लजिया विलिया विड्डा करतलपरिग्गहियं० सेणियस्स रन्नो विणएणं एयम8 पडिमुणेति त्ता तं दारगं अणुपुर्ण सारक्खमाणी संगोवेमाणी संचड्ढेति । १२॥ तते गं तस्स दारगस्स एगते उकुस्खडियाए उज्झिजमाणस्स अमांगुलियाए कुक्कुडपिच्छएणं दूमिया याचि होत्या, अभिक्खणं २ पूर्व सोणियं च अभिनिस्सवेति, तते णं से ८९५ निरयावल्यायुपांगपंचकं, रिमा लाया मुनि दीपरनसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दारए वेदणाभिभूए समाणे महता २ सदेणं आरसति, तते णं सेणिए राया तस्स दारगस्स आरसितसई सोचा निसम्म जेणेव से दारए तेणेव उपा० तातं दारगं करतलपुडेणं गिण्हइ नातं अागुलियं आसयंसि पक्विवति त्ता पूर्व च सोणियं च आसएर्ण आमुसति, तते णं से दारए निथुए निवेदणे तुसिणीए संचिट्ठइ, जाहेत्रिय णं से दारए वेदणाए अभिभूते समाणे महता २ सद्देणं आरसति वाहेविय णं सेणिए राया जेणेव से दारए तेणेच उचात्तात दारगं करतलपुडेणं गिष्हति तं व जाच निवेयणे तुसिणीए सचिट्ठइ, ते णे तस्स दारगस्स अम्मापियरो ततिए दिवसे चंदसूरदंसणिय करति जाव संपत्ते वारसाहे दिवसे अयमेयारूवं गुणं गुणनिष्फन्नं नामधिज करेंति-जहाणं अम्हं इमस्स दारगस्स एगते उकुरुडियाए उजिमजमाणस्स अगंगुलिया कुकुडपिच्छएणं दूमिया त होउ अम्हं इमस्स दारगस्स नामघेज कूणिए, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज करेंति-कूणियत्ति २, तते णं तस्स कूणियस्स आणुपुत्रवेणं ठितिवडियं च जहा मेहस्स जाव उप्पि पासायवरगए विहरति, अट्टओ दाओ।१३। तते णं तस्स कूणियस्स कुमारस्स अन्नदा पुश्वरत्ता जाप समुप्पजिस्था-एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रजसिर करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए त सेयं खलु मम सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महता २ रायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकद एवं संपेहेति त्ता सेणियस्स रन्नो अंतराणि य छिड्डाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे विहरति, तते णं से कृणिए कुमारे सेणियस्स रन्नो अंतरं वा जाव मर्म वा अलभमाणे अन्नदा कयाई कालादीए दस कुमारे नियघरे सदावेति त्ता एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रज्जसिरिं करेमाणा पालेमाणा विहरित्तए त सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधर्ण करेत्ता रज चर8 च चलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च जणवयं च एकारसभाए चिरिचित्ता सयमेव रजसिरिं करेमाणाणं पालेमाणाणं जाव चिहरित्तए, तते णं ते कालादीया दस कुमारा कृणियस्स कुमारस्स एवमर्ल्ड विणएणं पडिसुणेति, तते णं से कृणिए कुमारे अन्नदा कदाई सेणियस्स रन्नो अंतरं जाणति त्ता सेणियं रायं नियलधणं करेति ता अप्पाणं महता २ रायाभिसेएणं अभिसिंचावेति, तते णं से कृणिए कुमारे राजा जाते महता, तते णं से कृणिए राया अन्नदा कदाई हाए जाव सवालंकारविभूसिए चोषणाए देवीए पायदए हक्मागच्छति। १४ । तते णं से कृणिए राया चेणं देवि ओहय जाब झियायमाणिं पासति त्ता चेलणाए देवीए पायग्गहणं करेति त्ता चेलणं देवि एवं वदासी-किं णं अम्मो ! तुम्हं न तुट्ठी वान ऊसए(व) वान हरिसे या नाणदे वा? जंणं अहं सयमेव रजसिरिं जाव विहरामि, तते णं सा बोलणा देवी कृणिय रायं एवं क्यासी-कहणं पुत्ता ! ममं तुट्ठी वा उस्सए वा हरिसे वा आणंदे वा भविस्सति ? ज णं तुम सेणियं रायं पियं देवयं गुरुं जणगं अर्थतनेहाणुरागरतं नियलपंधर्ण करित्ता अप्पाणं महता २रायाभिसेएणं अभिसिंचावेसि, सतेणं से कृणिए राया चित्रणं देषि एवं वदासी-पातेउकामेणं अम्मो ! ममं सेणिए राया, एवं मारेतुबंधितुं णिच्छुभिउकामए णं अम्मो ! मर्म सेणिए राया, तं कन्नं अम्मो! ममं सेणिए राया अर्थतनेहाणुरागरते?, तते णं सा चेलणा देवी कृणियं कुमार एवं वदासी-एवं खलु पुत्ता! तुर्मसि ममं गम्मे आहूते समाणे तिण्हं मासाणं बहुपडिपुत्राणं ममं अयमेयारूचे दोहले पाउम्भूते. वसेस माणिया जाव जाहावय णं तुम बयणाएभिभूत महता जाव तुसिणीए सचिट्ठसि, एव खलु तव पुत्ता : साणएराया अबतनहाणुरागरत, तते ण सकृणिए राया चोरणाए देवीए अंतिए एयम१ सोचा निसम्म चिालणं देषि एवं वदासी-बुट्ठणे अम्मो ! मए कयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुं जणगं अर्थतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणे, तं गच्छामि णे सेणियस्स रन्नो सयमेव नियलाणि छिंदामित्तिकटु परमुहत्यगते जेणेव चारगसाला तेणेव पहारिस्थ गमणाए, तते णं सेणिए राया कूणियं कुमारं परसुहत्थगयं एजमाणं पासति त्ता एवं वयासी-एस णं कृणिए कुमारे अपस्थियपत्थए जाव सिरिहिरिपरिवजिए परसुहत्थगए इह हामागच्छति तं न नजइ णं ममं केणई कुमारेणं मारिस्सतीतिकद भीए जाच संजायभए तालपुडगं विसं आसगंसि परिक्खबह, तते से सेणिए राया तालपुडगविसे आसगंसि पक्खिते समाणे मुहुर्ततरेण परिणममाणसि निप्पाणे निचे? जीवविष्पजढे ओइन्ने, तते णं से कृणिए कुमारे जेणेच चारगसाला तेणेव उवागए, सेणियं रायं निप्पाणं निचेहूँ जीवविप्पजढं ओइन्नं पासति ना महता पितिसोएणं अप्फुण्णे समाणे परसुनियत्तेषित्र चंपगवरपाडवे धसत्ति धरणीतलंसि सवंगेहिं संनिचडिए, तते ण से कूणिए कुमारे मुहुतंतरेणं आसत्ये समाणे रोयमाणे कंदमाणे सोयमाणे विलवमाणे एवं वदासी-अहो णं मए अपनेणं अपुग्नेणं अकयपुत्रेणं दुछ कयं सेणियं रायं पिय देवयं अचंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधर्ण करतणं मम मूलार्ग व णे सेणिए राया कालगतेत्तिकद ईसर जाच संधिवाल सदिसंपरिखुडे रोयमाणे महया इढिसकारसमुदएणं सेणियम्स रन्नो नीहरा किच्चाई करेति, नते णं से कृणिए कुमारे एतेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूते समाणे अन्नदा कदाई अंतेउरपरियालसंपरिखुडे सभंडमत्तोक्करणमाताए रायगिहातो पडिनिक्समनि ना जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवाग छइ. तत्थविणं विपुलभोगसमितिसमन्नागए काले णं अप्पसोए जाए याचि होत्था।१५। तते णं से कूणिए राया अन्नया कयाई कालादीए दस कुमारे सदावेति ना रजच जाच जणश्यं च एकारसभाए चिरिचनि ना सयमेव रजसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरति । १६ । तत्थ णं चंपाए नगरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेलणाए देवीए अत्तए कृणियस्स रन्नो सहोयरे कणीयसे भाया वेहाडे नाम कुमारे होत्था सोमाले जाव सुरूवे, नने णं नस्स हाउस कुमारम्स सेणिएणं रन्ना जीवंतएणं चेष सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुरदिन्ने, तएणं से बेहाले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिखुडे चंपं नगरिमझमज्मेणं निग्गयाइना अभिक्सणं २ गंगं महानई मजणय ओयरइ, तते णं से सेयणए गंधहत्थी देवीओ सोंडाए गहाय ताओ उद्घयत्तइ त्ता अप्पेगइयाओ पुढे ठवेति अप्पेगइयाओ संघे ठचेति एवं अप्पे० कुभे ठवेति अप्पे सीसे ठवेनि अपेईनमुसले ठवेनि अप्पे सोडाए गहाय उइदं येहार्स उबिहह अपे० सोडागयाओ अंदोलावेति अपे० देततरेसु नीति अप्पे० सीभरण व्हाणेति अप्प० अणेगाह कीलावहि कीलावति, तते णं चंपाए नयरीए सिंघाडगांत एवमाइक्खा जाच परवेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! वहाले कुमारे सेयणएणं गंधहस्थिणा अंतेउरं ते व जाव णेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति तं एस णं बेहाले कुमारे रजसिरिफलं पमणुष्भत्रमाणे विहरनि, नो कृणिए राया, नने णं तीसे पउमावईए देवीए इमीसे कहाए लबहाए समाणीते अपमेयारूवे जाव समुष्पजित्या-एवं खलु बेहाले कुमारे सेयणएर्ण गंधहत्थिणा जाच अणेगेहि कीलावणएहिं कीलाचेनि नं एस णं बेहाडे कुमारे रजसिरिफल (२२४) ८९६ निरयावल्याधुपांगपंचक-गिराजलवा मुनि दीपरत्नसागर 2018 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पवणुग्भवमाणे विहरनि, नो कोणिए राया, न कि अम्हं रजेण वा जाच जणवएण वा जइ णं अम्हं सेयणगे गंधहत्थी नत्यि, त सेयं खलु ममं कृषियं रायं एयम8 विन्नवित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति ताजेणेव कृणिए राया तेणेच उवा ना करतल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी! वेहाले कुमारे सेयणएण गंधहत्यिणा जाव अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति, तं किण्णं सामी ! अम्हं रजेण वा जाव जणवएण वा जतिणं अम्हं सेयणए गंधहत्थी नत्थि?, तए णं से कृणिए राया पउमावईए देवीए एवमट्ट नो आदाति नो परिजाणति तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं सा फउमावई देवी अभिक्खणं २ कूणिय रायं एयमटुं विन्नवेइ, तते णं से कृणिए राया पउमावईए देवीए अभिक्खणं २ एयम8 चिन्नविजमाणे अन्नया कयाई वेहाई कुमारं सदावेनि त्ता सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं जायति, तते णं से वेहल्ले कुमारे कृणियं रायं एवं क्यासी-एवं खलु सामी ! सेणिएणं रण्णा जीतेणं चेत्र सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसबके यहारे दिन्ने, न जइ णं सामी : तुम्भे मर्म रजस्स य जणवयस्स य अदं भागं दलयह तो णं अहं तुम्भ सेयणयं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं दलयामि, तते ण से कृणिए राया वेहाउस्स कुमारस्स एयमहूँ नो आढाति नो परिजाणाइ, अभिक्वर्ण २ सेयणगं गंधहन्धि अट्ठारसर्वकं चहारं जायति, तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स कणिएणं रन्ना अभिक्खर्ण २ सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हार जायमाणस्स एवं संकप्पे समुप्पजिया-अक्विविउकामेणं गिहिउकामे णं उहालेउकामे णं मम कुणिए राया सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसवंकं च हारं तं जावताव ममं कुणिए राया सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसर्वकं च हारं न उद्दालेड ताव मे सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं गहाय अंतेउरपरियारसंपरिवडम्स सभंडमनोवकरणमाताए चंपातो नयरीतो पडिनिक्वमित्ता वेसालीए नयरीए अजगं चेडयं रायं उपसंपजित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेति त्ता कूणियस्स रन्नो अंतराणि जाच पडिजागरमाणे २ विहरति, ननेणं से बेहल्ले कुमारे अन्नदा कदाई कुणियस्स रन्नो अंतरं जाणति त्ता सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिबुडे सभंडमत्तोवकरणमायाए चंपाओ नयरीतो पडिनिक्खमति त्ता जेणेव येसाला नगरी तेणेव उवागच्छनि सान्याए नगरीए अजगं चेडयं राय उपसंपजित्ताणं विहरति, नते णं से कृणिए राया इमीसे कहाए लबट्टे समाणे एवं खलु वेहाले कमरे ममं असंविदितेणं सेयणगं गंधहस्थि अट्ठारसर्वकं च हारं गहाय अंते. उरपरियालसंपरिखुडे जाव अजयं चेडयं रायं उपसंपजित्ताणं विहरति, तं सेयं खलु मम सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं० (पडुच) दूतं पेसित्तए, एवं संपेहेति त्ता दून सहाचेति ना एवं वयासी- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया! वेसालि नगरि, नत्थ णं तुमं ममं अजगं चेड़गं रायं करतलक बहावेत्ता एवं क्यासी-एवं खलु सामी ! कुणिए राया बिन्नवेति-एस णं वेहल्ले कुमारे कुणियस्स रन्नो असंविदितेणं सेयणगं अट्ठारसर्वकं हारं च गहाय हवमागते, तए ण तुम्भे सामी ! कूणियं रायं अणुगिण्हमाणा सेअणगं अट्ठारसर्वकं च हारं कूणियस्स रन्नो पञ्चप्पिणह, वेहल कुमारं च पेसेह, तते णं से दूए कूणिएणरण्णा एवं वुत्ते समाणे करतल जाव पडिसुणति ना जेणेव सते गिहे तेणेव उवा ना जहेब चित्ते तहेब जाव चेइयं रायं जएणं विजएणं वदावइ त्ता एवं पयासी-एवं खलु सामी ! कूणिए राया विन्नवेइ-एस णं बेहाले कुमारे तहेव भाणिय जाच बेहाई कुमारं पेसेह, तते णं से चेडए राया तं दूयं एवं बयासी-जह चषण देवाणुपिया! कूणिए राया सणियस्स रन्नो पुते पाणाए देवीए अत्तए ममं नतुए तहेवणं बेहल्लेवि कुमारे सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेलणाए देवीए अलए मम नत्तए, सेणिएणं रन्ना जीवतेणं चेव बेहाइस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसर्वके यहारे पुक्वविदिन्ने, तं जइ णं कूणिए राया वेहालस्स रजस्स यजणवयस्स य अद्ध दलयति तो णं अहं सेयणगं अट्ठारसर्वकं हारं च कूणियस्स रन्नो पचप्पिणामि, बेहालं च कुमारं पेसेमि, तं दूयं सकारेति संमाणेति त्ता पडिविसजेति, सते णं से दूते चेडएणं रन्ना पडिविसजिए समाणे जेणेव चाउम्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंट आसरह दुहति, वेसालिं नगरिं मझमहोणं निग्गच्छदत्ता सुभेहिं वसहीहिं पायरासेहिं जाय वडावित्ता एवं वदासी-एवं खलु सामी : चेडए राया आणवेति-जह थेवणं कृणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चढणाए देवीए अत्तए मम नतुए तं चेय भाणिय जाच वेहा च कुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी ! चेडए राया सेयणगं अट्ठारसर्वकं हारं च बेहाई व नो पेसेति, तते णं से कुणिए राया दुचंपि दूयं सदावेइ ना एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणु०! वेसालिं नगरि तत्थ णं तुम मम अजगं चेडर्ग रायं जाब एवं बयासी-एवं खलु सामी ! कृणिए राया विन्नवेइ-जाणि काणि रयणाणि समुप्पजति सबाणि ताणि रायकुलगामीणि, सेणियस्स रन्नो रजसिरिं करेमाणस्स पालेमाणस्स दुवे स्यणा समुष्पन्ना, तं0-सेयणए गंधहस्थी अट्ठारसवंके यहारे, तन्नं तुम्भे सामी : रायकुलपरंपरागर्य ठिइयं अलोवेमाणा सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसर्वकं च हारं कृणियस्स रन्नो पचप्पिणह, वेहाउं कुमारं च पेसेह, तते णं से दूते कूणियस्स रन्नो तहेव जाव वदाचित्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी ! कूणिए राया चिन्नवेइजाणि काणि जाव वेहा कुमारं पेसेह, तते णं से चेडए राया तं दुर्य एवं वयासी-जह चेव ण देवाणुप्पिया ! कणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिडणाए देवीए अत्तए जहा पढमं जाच वेहाउं च कुमारं पेसेमि, तं दूतं सक्कारेति संमाणेति त्ता पडिचिसजेति, तते णं से दूते जाव कूणियस्स रन्नो वदावित्ता एवं वयासी-चेडए राया आणवेति-जह चेवणं देवाणुप्पिया! कुणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिडणाए देवीए अत्तए जाच वेहलंचकुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी! चेडए राया सेयणगं गंधतिय अट्ठारसर्वकं चहारं वेहाईच कुमारं नो पेसेति, तते णं से कृणिए राया तस्स यस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म आसुरुते जाच मिसिमिसेमाणे तचं दूतं सदावेति त्ता एवं क्यासीगच्छह णं तुम देवाणुप्पिया! वेसालीए नयरीए चेडगस्स रचो वामेणं पादेणं पायपीढं अकमाहि त्ता कुंतम्गेणं लेहं पणामेहित्ता आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिडिं निडाले साहद्ध चेडगं राय एवं वयासी-हंभो चेडगराया ! अपत्थियपत्थिया ! दुरंत जाव परिवजिता एस णं कूणिए राया आणवेइ-पचप्पिणाहि णं कृणियस्स रन्नो सेयणगं अट्ठारसर्वकं च हारं वेहलु च कुमारं पेसेहि अहब जुदसजो चिट्ठाहि. एस कुणिए रायो सबले सवाहणे सखंधाचारे जुद्धसजे इह हवमागच्छति, तते णं से दुते करतल तहेव जाव जेणेव चेडए राया तेणेव उवात्ता करतल जाव बद्धा त्ता एवं वयासी-एस णं सामी ! ममं विणयपडिवत्ती, इयाणिं कृणियस्स रन्नो आणत्तित्ति चेडगस्स रन्नो वामेणं पाएणं पादपीढं अकमति त्ता आसुरुत्ते कुंतम्रोण लेहं पणामेति तं चेव सबलखंधावारे इह हबमागच्छति, तते णं से चेडए राया तस्स यस्स अंतिए एयम१ सोचा निसम्म आसुरुत्ते जाच साहटु एवं वयासी-न ८९७ निरयावल्याद्युपांगपंचकं, रिलिया मुनि दीपरनसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपणामि कृणियस्स रन्नो सेयणगं गंधहत्थि अट्टारसवंकं चहारं बेहाडं च कुमारं नो पेसेमि, एस णं जुद्धसजे चिट्ठामि तं दूयं असकारिय असंमाणिय अवदारेण निच्छुहाचेइ। १७। तते गं से कूणिए राया तस्स दूतस्त अंतिए एयम सोचा णिसम्म आसुरुले कान्प्रदीए दस कुमारे सहावेह ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! बेहले कुमारे ममं असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं अंतेउरं सभं च महाय चंपातो निक्खमति त्ता वेसालि० अजः • राय उपसंपजित्ताणं विहरति, तते र्ण भए सेयणगस्स गंधहत्यिस्स अट्ठारसर्वकस्स हारस्स य अट्ठाए या पेसिया, ते य चेडएण रण्णा इमेणं कारणेणं पडिसेहिता अदुत्तरं च णं ममं तथं दूतं असकारित अवहारेणं निच्छुहावेति तं से खलु देवाणुप्पिया! अम्हं चेडगस्स रन्नो जनं गिव्हित्तए, तए णं कालाईया दस कुमारा कूणियस्स रन्नो एयमहं विणएणं पडिसुर्णेति तते णं से कूणिए राया कालादीते दस कुमारे एवं वयासी- गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया सएस २ रजेस पत्तेयं २ व्हाया जाव पायच्छित्ता हत्थिखंधवरगया पत्तेयं २ तीहिं दंतिसहस्सेहिं तीहिं रहसहस्सेहिं तीहि आससहस्सेहिं तीहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडा सहिडीए जाव रखेणं सतेहिंतो २ नगरेहिंतो पडिनिक्व महता ममं अंतियं पाउम्भवह, तते णं ते कालाईया दस कुमारा कोणियस्स रन्नो एयमहं सोचा सएस २ रज्जेसु पत्तेयं २ व्हाया जाब तीहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धि संपरिवुडा सहिदीए जाव खेणं सएहिंतो २ नगरे हितो पडिनिक्ख मंति जेणेव अंगाजणवए जेणेव चंपा नगरी जेणेव कृणिए राया तेणेव उवागता करतल जाव बद्धावेति, तते णं से कूणिए राया कोटुंबियपुरिसे सहावेति ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया आभिसेक हस्थिरयणं परि कप्पेह हयगयरह्चातुरंगिण सेणं संनाह ता ममं एयमाणत्तियं पचप्पिणह जाय पञ्चप्पिर्णति, तते णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ जाच निम्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उबट्टाणसाला जाव नरवई दुरूटे, तते प से कूणिए राया तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव खेणं चंप नगरी मज्झमजणं निग्गच्छति ता जेणेव कालादीया दस कुमारा तेणेव उवागच्छद्द त्ता कालाइएहिं दसहिं कुमारेहिं सद्धिं एगतो मिलायंति, तते र्ण से कूणिए राया तेत्तीसार दतिसहस्सेहिं तेतीसाए आससहस्सेहिं तेतीसाए रहसहस्सेहिं तेतीसाए मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडे सचिड्ढीए जाव खेणं सुभेहिं वसहीहिं पायरासैहिं नातिविगिद्वेहिं अंतरावासेहिं वसमाणे २ अंगाजणवयस्स ममझेणं जेणेव विदेहे जणवते जेणेव बेसाली नगरी तेणेव पहारित्य गमणाते, तते गं से चेडए राया इमीसे कहाए लट्ठे समाणे नव माइई नव लेच्छई कासीकोसलका अट्ठारसवि गणरायाणो सहावेति ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! बेह कुमारे कूणियस्स रनो असंविदितेणं सेयणगं अट्ठारसर्वकं च हारं गहाय इह हशमागते, तते णं कूणिएणं सेयणगस्स अट्ठारसर्वकस्स य अट्ठाए तओ दूया पेसिया, ते य मए इमेणं कारणेणं पडिसेहिया, तते गं से कूणिए ममं एय म अपडिसुणमाणे चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे जुज्झसजे इहं हवमागच्छति, तं किन्नु देवाणुप्पिया सेयणगं अट्ठारसर्वकं हारं च कूणियस्स रन्नो पचप्पिणामो ? बेहतं च कुमारं पेसेमो ? उदाहु जुज्झित्था ?, तते णं तेन मई नव लेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणी चेडगं राय एवं वदासीन एवं सामी जुत्तं वा पत्तं वा रायसरिसं वा जन्नं सेयणगं अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रन्नो पचप्पिणिजति बेहले य कुमारे सरणागते पेसिज्जति, सं जहणं कूणिए राया चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे जुज्झसजे इहं हवमागच्छति तते णं अम्हे कूणिएणं रण्णा सद्धिं जुज्झामो, तते णं से चेडए राया ते नव मलई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणी एक वदासी- जहणं देवाणुप्पिया तुम्भे कूणिएणं रन्ना सद्धिं जुज्झह तं गच्छ णं देवाणुप्पिया! सतेसु २ रजेसु व्हाया जहा कालादीया जाब जएणं विजएणं बद्धावेंति, तते णं से चेडए राया कोहुंचियपुरिसे सदावेति ता एवं वयासी अभिसेकं जहा कूणिए जाब दुरूडे, तते र्ण से बेडए राया तीहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कूणिए जाव वेसालिं नगरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति त्ता जेणेव ते नव मलई नव लेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो तेणेव उवा गच्छति, तते गं से चेडए गया सत्तावनाए दंतिसहस्सेहिं सत्तावन्नाए आससहस्सेहिं सत्तावन्नाए रहतहस्सेहिं सत्तावन्नाए मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिपुडे सविट्टीए जाव खेणं सुभेहिं वसहीहिं पातरासेहिं नातिविगिट्ठेहिं अंत रावासेहिं बसमा २ विदेहं जणवयं मज्झमज्झेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवा० ता खंधावारनिवेस करेति त्ता कूणियं रायं पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे चिह्न, तते गं से कूणिए राया सडिइडीए जाव वेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवा० चेडयस्स रन्नो जोयणंतरियं खंधावारनिवेस करेति तते णं ते दोजिवि रायाणो रणभूमिं सजावेंति त्ता रणभूमिं जयंति तते गं से कूणिए तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहिं जाव मणुस्सकोडीहिं गरुलवूह रएड ता गरुलवूहेणं रहमुसलं संगाम उपायाते, तते र्ण से चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावनाए मणुस्सकोडीहिं सगडवूहं रएइ ता सगडवूर्ण रहमुसलं संगामं उपायाते, तते णं ते दोन्हवि राईण अणीया सन्नद जात्र गहियाउहपहरणा मंगतितेहिं फलतेहिं निकट्ठाहिं असीहि अंसागएहिं तोणेहिं सजीवेहिं धहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुछालिताहिं डावाहिं ओसारियाहि उरुघंटाहिं छिप्परेण वजमाणेणं महया उकिसीहनायपोलकलकलरवेणं समुदरवभूर्यपिच करेमाणा सडिटीए जाव खेणं हयगया हयगएहिं गयगया गयगतेहिं रहगया रहगतेहिं पायत्तिया पायत्तिएहिं अन्नमन्नेहिं सद्धिं संपलम्गा यावि होत्या, तते णं ते दोन्हवि रायाणं अणिया नियगसामीसासणापुरता महता जणक्खयं जणवहं जणप्पमदं जणसंवट्टकप्पं नचंतकबंधवार भीमं रुहिरकदमं करेमाणा अन्नमन्नेणं सद्धिं जुज्झति, तते णं से काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव मणूसकोडीहिं गरुलवूहेणं एकारसमेणं संघेणं कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसल संगामं संगामेमाणे हयमहित जहा भगवता कालीए देवीए परिकहियं जाय जीवियाओ बबरोवेति तं एवं खलु गो० काले कुमारे एरिसएहिं आरंभेहिं जाब एरिसएणं असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभ्रे नरए नेरइयत्ताए उवबन्ने । १८। काले णं भंते! कुमारे चउत्थीए पुढवीए अनंतरं उचट्टित्ता कहिं गच्छहिति कहिं उबवजिहिति ?, गो० महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति तं० अड्ढाई जहा दढप्पइलो जाब सिज्झिहिति पुज्झिहिति जाव अंतं काहिति तंएवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निश्यावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पं० | १९ ॥ कालज्झयणं ८-९ ॥ जड़ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पं० दोचस्स णं भंते! अज्झयणस्स निस्यावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेर्ण के अट्ठे पं०१, एवं खल जंबू ! तेर्ण कालेनं० चंपा नामं नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कोणिए राया, ८९८ निरयात्रस्याद्युपांगपंचकं निरयावल मुनि दीपरत्नसागर PhonePens Posta Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पउमावई देवी, नन्थ णं चपाए नयरीए सेणियम्स रन्नो भजा कोणिस्स रन्नो चुङमाउया मुकाली नाम देवी होत्या मुकुमाला०, नीसे णं मुकालीए देवीए पुत्ने मुकाले नाम कमारे होत्था सुकुमाले०, नते णं से मुकाले कुमारे अनया कयानि नीहिं दंनिसहम्सेहिं जहा कालो कुमारो निरवसेस नं चेव जाव महाविदेहे वासे अंतं काहिति. एवं निरयावलियाणं बीयस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्तेत्ति मि॥ चितियं मुकालअज्झयणं 8-2 // एवं सेसावि अट्ठ अज्मयणा नेयमा पढमसरिसा, णवरं मायानो सरिसणामाओ / 20 // अज्झयणाणि ३-१०॥निरयावलियातो समत्तातो टानिक्खेवो सोसिं भाणियशो आगम-२०-→ श्रीकप्पवडिसिया-जतिणं भंते ! समणेणं भगवया