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________________ शीनियासिनोपरानमः श्रुतदेवतायै ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामंजयरे होत्था रित्विमियसमि० गुणसिलए चेइए यन्नओ, असोगवरपायवे पुढचीसिलापट्टए।१। तेणं कालेण समणस्स भगवा महावीरस्स अंतेवासी अजमुहम्मे नाम अणगारे जातिसंपन्ने जहा केसी जाव पंचहिं अणगारसएहिं सदिं संपरिखुडे पुब्वाणुपुधिं घरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जाव अहापडिरूवं उग्गहं ओगिहित्ता संजमेणं जाव विहरति, परिसा निम्या, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया।२। तेणं कालेणं० अजसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंचू णाम अणगारे समचउरंससंठाणसंठिए जाब संखित्तविउलतेयलेस्से अज्जमुहम्मस्स अणगारस्स अदूरसामंते उदजाणू जाव विहरति ।३। तए णं से भगवं जंचू जातसइडे जाव पजुवासमाणे एवं क्यासी-उबंगाणं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं के अड्डे पण्णते?, एवं खलु जंचू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं एवं उबंगाणं पंच वग्गा पं० त०-निरयावलियाओ कप्पडिसियाओ पुफियाओ पुष्फचूलियाओ वहिदसाओ, जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पंच वग्गा पं० तं०-निरयावलियाओ जाव बहिदसाओ पढमस्स णं भंते ! वम्गस्स उबंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पं०?, एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स बम्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० सं०- काले मुकाले महाकाले कण्हे सुकण्हे तहा महाकण्हे वीरकण्हे य बोबडे रामकण्हे तहेव य पिउसेणकण्हे नवमे दसमे महासेणकण्हे उ।४। जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अजायणा पं० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पं०१,एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं. इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नार्म नयरी होत्था रिख०, पुनभदे चेहए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रखो पुत्ते चोडणाए देवीर अत्तए कृणिए नाम राया होत्या महता०, तस्स कृणियस्स स्त्रो पउमावई नामं देवी होत्था सोमाला जाब विहरत ८९३ निरयावल्याद्युपांगपंचकं चाहात्या सामाला जापाचहरक, वत्व ण चपाए नयराए साणयस्स रचा मजा पूणियस्स रखो चुमाउया काली नाम दवा हात्या सोमाला जाब रियाकि मुनि दीपरनसागर
SR No.003919
Book TitleAagam Manjusha 19 Uvangsuttam Mool 08 Nirayaavaliyaam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages9
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nirayavalika
File Size8 MB
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