Book Title: Aagam Manjusha 17 Uvangsuttam Mool 06 Chandapannatti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः On Line – आगममंजूषा [१७] चंदपन्नत्ति * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर (ne.com. M.Ed., Ph.D.J Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीचन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम्-नमो नमो अरिहंताण। 'जयइ नवणलिणकुवलयविगसियसयवत्तपत्तलदलच्छो। बीसे गइंदमयगलसललियगयविकमो भयम् ॥ १॥ गमिऊण असुरमुर 3" गरुलभुयगपरिषदिए गयकिलेसे । अरिहे सिद्धायरियउवज्झाए सवसाहू य॥२॥फुडवियडपायडत्यं पुच्छ पुषसुयसारणीसदं । मुहुमं गणिणोवाई जोइसगणरायपत्रत्तिं ॥३॥णामेण इंदभूति गोयमो वंदिऊण तिविहेणं । पुच्छह जिणवरक्सहं जोइसरायस्स पण्णत्तिं ॥४॥ का मंडलाई बचाइ, तिरिच्छा किं च गच्छइ । ओभासद प, सेयाइ कि ते संठिी ॥५॥ कहि पडिहया रेसा, कहते ओयसंठिाई। किं सरियं वरयते, कहं ते उदयसंठिई ॥६॥ कईकट्ठा पोरिसीच्छाया, जोएनिकिते आहिए।१०॥के ते संवच्छराणादी, कइ संवच्छराइ य ॥७॥ कहं चंदमसो बुड्ढी, कया ते दोसिणा बहू । के सिग्धगई वृत्ते, किं ते दोसिणलक्खणं ॥८॥ चयणोवचाय उचले, सूरिया कह आहिया। अणुभावे केरिसे वुत्ते २०, एवमेयाई वीसई ॥९॥१। वड्ढोबड्डी मुहुत्ताणमद्धमंडलसंठिई। के ते चित्रं परियरइ, अंतरं किं चरंति य ॥१०॥ ओगाहइ केवइयं, केवतियं च विकंपद। मंडलाण य संठाणे, विक्संभो अट्ठ पाहुडा ॥११॥श उपंच य सत्तेव यजट्ट तिषिय हवंति पडिवत्ती। पढमस्स पाहुडस्स उएयाउ हवंति पडिवत्ती॥१२॥३। पडिवत्तीओ उदए, अदुव अत्यमणेसु य। मेयपाए काणकला, मुहुत्ताण गतीति य ॥१३॥ निक्खममाणे सिग्धगई, पविसंते मंदगईइ या चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पडिवत्तीओ ॥१४॥ उदयम्मि अढ भणिया भेदग्घाए दुवे य पडिवत्ती। चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तइयंमि पडिवत्ती ॥१५॥४। आवलिय मुहुत्तग्गे, एवंभागा य जोगसा । कुलाई पुषमासी य, सन्निवाए य संठि ॥१६॥ तारगम्यं च नेता य, चंदमम्मत्ति यावरे। देवताण य अज्झयणे, मुहुत्ताणं नामया इय॥१७॥दिवसा राई वुत्ता य, तिहि गोत्ता भोयणाणि य। आइववार मासा य, एवं संव. महरा इय ॥१८॥ जोइसस्स य दाराई, नक्खत्तविजयेऽविय। इसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुडपाहुडा ॥१९॥५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिलानार्म नगरी होत्या, रिदि० वण्णओ, तीसे मिहिलाए नयरीए पहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिमाए एत्य णं माणिभद्दे णामं चेहए होत्या, चिराइए वण्णओ, तीसे णं मिहिलाए णगरीए जियसनू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं० तंमि माणिभदे चेइए सामी समोसदे परिसा णिमाया धम्मो कहिओ परिसा पडिगया।६। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूइनाम अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तूस्सेहे जाव पजुवासमाणे एवं क्यासी 11 ता कहं ते बद्धोवद्धी मुहुत्ताणं आहितेति वदेजा ?, ता अट्ट एकृणवीसे मुहुत्तसते सत्तावीस च सत्तट्टिमागे मुहू. तस्स आहितेति वदेजा।८ाता जया णं सूरिए सत्रमंतरातो मंडलातो सावाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति सावाहिरातो मंडलातो सबभंतरं मंडलं उक्संकमित्ता चारं परति एस णं अद्धा केवतियं रातिदियमोणं आहि०१, ता तिण्णि छाबडे रातिदियसए रातिदियग्गेणं आहि०।९। ता एताए णं अखाए सूरिए कति मंडल्याई चरति ?, ता चुलसीयं मंडलसतं चरति, पासीतिमंडलसतं दुक्खुत्तो चरति, तं०-णिक्सममाणे चेव पवेसमाणे चेव, दुवे य स्खलु मंडलाई सई चरति त०- सबभंतर चेव मंडलं सब्वबाहिरं चेव । १०। जइ खलु तस्सेव ८१३/चंद्रप्रज्ञप्तिः , पा -१ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आदिचस्स संवच्छरस्स सई अट्ठारसमुडुत्ते दिवसे भवति सई अट्टारसमुत्ता रावी भवति सई दुवालसमुडुत्ते दिवसे भवति सई दुबालसमुडुत्ता राती भवति, ता पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अस्थि दुवालसमुडुते दिवसे णत्थि दुवालसमुहत्ता राती भवति, दोश्चे छम्मासे अस्थि अद्वारसमुडुत्ते दिवसे णत्थि अट्टारसमुडुत्ता राती अस्थि दुवालसमुहुत्ता राती णत्थि दुवालसमुडुत्ते दिवसे भवति, पढमे वा दोचे वा छम्मासे नत्थि पण्णरसमुडुत्ते दिवसे णत्थि पण्णरसमुडुत्ता राती भवति, जं णं पढमे वा छम्मासे दोचे वा छम्मासे णत्थि पण्णरसमुडुत्ते दिवसे भवति णत्थि पण्णरसमुडुत्ता राती भवति तत्थ णं कं हेतुं वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वम्भंतराए जाव परिक्वेवेणं पं०, •ता जता णं सूरिए सब्वमंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकद्वपत्ते उको अद्वारसमुहत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए अम्मितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुडुत्ता राती भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अधिया से णिक्खममाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि अभ्यंतरं तथं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अग्भितरं तचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुडुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्टिभागमुडुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति चाहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएवं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदाणंतराओ तयाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्टीभागे मुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे रतणिक्खेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे २ सङ्घबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सङ्घम्भंवरातो मंडलाओ सङ्घबाहिर मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं सङ्घम्भंतरमंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइदियसतेणं तिण्णि छाबड़े एगद्विभागमुहुत्तसते दिवसखेत्तस्स णिवुद्धित्ता तणिक्खेत्तस्स अभिवृदित्ता चारं चरति तदाणं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति जहणए बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दो छम्मासं अयमीणे (आयमाणे) पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमेत्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुत्ता राती भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुबालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं अहिए. से पविसमाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि बाहिरं त मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतरातो मंडलातो तयानंतरं मंडल संकममाणे दो दो एगट्टिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले स्खणिखेतस्स णिवुड्ढेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिबुड्ढेमाणे २ सङ्घ अंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सङ्घबाहिराओ मंडलाओ सम्भंतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तदाणं सङ्घबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राईदियसतेणं तिथि छावडे एगट्टिभागमुहुत्तसते रयणिखेत्तस्स निवुद्धित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवदित्ता चारं चरति तया णं उत्त मकgपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, एस णं दोचे छम्मासे एस णं दुञ्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिचे संवच्छरे एस आदिबस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, इति खलु तस्सेवं आदिचस्स संवच्छरस्स सईं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति सई अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुवालसमुडुत्ता राती भवति, पढमे छम्मासे अस्थि अद्वारसमुहुत्ता राई नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अस्थि दुवालसमुडुत्ते दिवसे नत्थि दुवालसमुहुत्ता राई, दोचे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि अट्टारसमुहुत्ता राई अत्थि दुबालसमुडुत्ता राई नत्थि दुबालसमुहुत्ते दिवसे भवति, पढमे वा छम्मासे दोबे वा छम्मासे णत्थि पण्णरसमुडुत्ते दिवसे भवति णत्थि पण्णरसमुडुत्ता राई भवति, नन्नत्य रातिंदियाणं वड्ढोबड्डीए मुहुत्ताण या चयोवचएणं, णण्णत्थ वा अणुवायगईए, 'पुत्रेण दुन्नि भागा० पाहुडियगाधाओ भाणितवाओ ॥ ११ ॥ पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं १-१ ॥ ता कहं ते अदमंडलसंठिती आहि०१, तत्थ खलु इमा दुविहा अद्धमंडलसंठिती पं० तं० दाहिणा चैव उत्तरा चेव, ता कहं ते दाहिणअदमंडलसंठिती आहि०१, ता अयण्णं जंबुद्दीचे दीवे सङ्घदीवसमुद्दाणं जाव परिक्लेवेणं, ता जया णं सूरिए सङ्घम्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्को० अट्ठारसमुडुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुडुत्ता राती भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागावे तस्सादिपदेसाते अग्भितराणंतरं उत्तरं अमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुडुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं अधिया से णिक्खममाणे सूरिए दोबंसि अहोरसंसि उत्तराए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाए अभितरं तब दाहिणं अनुमंडलसंठिति उनसंकमित्ता चारं चरति ८१४ चंद्रपज्ञप्तिः पातु-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तदा गं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुबालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगविभागमुहत्तेहिं अधिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सरिए तदणंतरातोऽणंतरं तंसि २ देसंसि तं तं अदमंडलसंठिति संकममाणे २ दाहिणाए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते सबबाहिरं उत्तरं अदमंडलसंठिति उपसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं मुरिए सबबाहिरं उत्तरं अदमंडलसंठिति उपसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुद्त्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुने दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोचं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरसि उत्तराते जाव पदेसाते बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठित उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणतरं दाहिण अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा राइदिवसपमाणं तं व भाणियां, एवं खलु एतेणं उपाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतराओ तदाणंतरं तंसि २ देसंसि तं तं अदमंडलसंठिति संकममाणे उत्तराए जाव पदेसाए सव्वम्भंतरं दाहिणं अदमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं परति, ता जया णं सुरिए सयभंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उपसंकमित्ता चार चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए जाव दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एसणं दोचे छम्मासे एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस णं आदिचे संवच्छरे एस णं आदिचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे ।१२। ता कहं ते उत्तरा अदमंडलसंठिती आहि०?, ता जता णं सूरिए सव्वभंतरे उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चार चरति तदा णं उत्तमकदुपत्ते उकोसए अट्टारसमुहुने दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुन्ता राई भवति, से णिक्खममाणे सूरिए सि अहोरसि उत्तराए जाव पएसाए अब्भतरं दाहिणं अदमंडलसाठति उपसंकमित्ता चारं चरति, ततो जया णं मुरिए अम्भितरार्णतरं दाहिणं जाव चारं । चरति तया णं अट्टारसमुहत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगहिभागमुहुत्तेहि अहिया, से णिक्रममाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तसि दाहिणाए जाव पदेसाए अभितरं तचं उत्तरं अदमंडलसंठिति उवर्सकमित्ता चार चरति, ततो जया र्ण अम्भितरं तचं उत्तरं जाव चारं चरति तताण दिवसराइपमार्ण तं व भाणियवं, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिति जाव चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्ववाहिरै दाहिणं अद्धमंडल जाव चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालस जाव दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढ़मस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोचं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए जाव पदेसाए बाहिराणंतरं उत्तरं अधमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ततो जदा णं मुरिए बाहिराणंतरं अदमंडल जाव चार चरतितताणं अट्ठारसमुहुत्तारातीभवति दोहिं एगविभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगविभागमुहुरोहिं अहिये, से पविसमाणे मूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि उत्तराए जाव पदेसाएबाहिरं तचं दाहिणं अमंडलसंठिति उब जाव चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तचं दाहिणं जाव चारं चरति तताणं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुने दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सरिए तयाणंतराओतताणंतरं तंसिरदेसंसितंतं अवमंडलसंठिति संकममाणे दाहिणाए जावपएसाए सत्रम्भंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उपसंकमित्ता चाचरति,जेता णं सूरिए सत्रमंतरं उत्तरं अदमंडलसंठितिं जाव चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुना राती भवति, (राई. सूर्य जहा दाहिणातहाचेवणवर उत्तरहिओ अम्भितराणतरं दाहिणं उब. संकमइ, दाहिणातो अम्भितरं तचं उत्तरं उपसंकमति, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सबबाहिर दाहिर्ण उपसंकमति, (सववाहिरातो) बाहिराणंतरं उत्तरं उवसंकमति उत्तरातो बाहिरं तच्च दाहिणं तच्चातो दाहिणातो संकममाणे २ जाव सबभतरं उवसंकमति तहेब) एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स उम्मासस्स पजवसाणे एस णं आदिचे संवच्छरे एस णं आदिचस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, गाहाओ।१३॥१-२॥ ता के ते चित्रं पडिचरति आहि ?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पं० २०-भारहे व सूरिए एवए चेव मूरिए, ता एते ण दुवे सरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुनेहिं एगमेगं अदमंडलं चरंति, सट्ठीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडल संपातंति, ता णिक्खममाणा खलु एने दुवे रिया णो अण्णमण्णम्स चिर्ण पडि चरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिणं पढिचरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ के हेउं वदेजा ?, ता अयणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, नत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपड़ीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउयीसएणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरस्थिमिाईसि चउभागमंडलंसि बाणउतियमूरियगताई जाई मूरिए अप्पणा व चिण्णाई पडिचरति उत्तरपथस्थिमिाईसि चउभागमंडलंसि एकाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं भारहे मृरिए एखतस्स सूरियस्स जपुदीपस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरच्छिमिईसि चउभागमंडलसि पाणउनि मुस्विगताई जाई मूरिए परस्स ८१५ चंद्रप्रज्ञप्तिः , पा -१ मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चिण्णाई पडिचरति दाहिणपञ्चच्छिमिसि पउम्भागमंडलसि एकणउति सूरियगताई जाई सरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्य अयं एरपए सरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपडी. णायताए उदीणदाहिणायताए जीचाए मंडलं चाउचीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिईसि चउम्भागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगयाई जाई सूरिए अप्पणा चिण्णाई पडियरति दाहिणपुरस्थिमिसि पउभागमंडलंसि एकाणउतिपरिवगताई जाई सरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति. तत्य णं एवं एरवतिए सरिए भारहस्स सरियरस जंबुद्दीवस्स पाईणपढीणाय. ताए उदीणवाहिणायताए जीचाए मंडलं चउबीसएणं सतेणं छित्ता दाहिणपञ्चत्पिमिहंसि चउभागमंडलंलि बाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चिण्णाई पटिचरति उत्तरपुरथिमिहंसि चउम्भागमंडलंसि एकाणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, ता निक्खममाणे खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिणं पटिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं०- सतमेगं चोतालं० गाहाओ।१४॥१.३॥ ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अतरं कटु चारं चरति आहि०१, तत्य खलु इमातो छ पडिपत्तीओ पं०, तत्थ एगे एच०-ता एग जोयणसहस्सं एगच तेत्तीस जोयणसतं अण्णमण्णस्स अंतरं कट सूरिया चारं परति आहि एगे एव०, एगे पुणता एगे जोयणसहस्सं एगे पडतीस जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतर कट्टु सूरिया चारं चरति आहि० एगे एव०, एगे पुण-ता एग जोयणसहस्सं एगेच पणतीस जोयणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एवंएगे दीवं एग समुदं अण्णमण्णस्स अंतरं कटु०, एगे दो दीवे दो समुद०, एगे० तिणि दीचे तिणि समुद्दे०, वयं पुण एवं क्यामो-ता पंच२ जोयणाई पणतीसं च एगढिमागे जोयणस्स एगमेगे मण्डले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्ढेमाणा वा निषड्ढेमाणा वा सूरिया चार चरति०, तत्य णं को हेऊ आहि०, ता अयणं जंमुहीये जाच परिक्खेवेणं,ताजया णं एते दुवे सूरिया सबभतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तदाणं णवणउतिजोयणसहस्साई उपपत्ताले जोयणसते अण्णामण्णस्स अंतर कटु चारं परति आहि तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जष्णिया दुवालसमुहता राई भवति, ते निक्खममाणा सूरिया ण संवच्छ अयमाणा पदमसि अहोरतसि अम्भितराणतरं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया जाव चार चरति तदाणे नवनवति जोयणसहस्साई उच्च पणताले जोयण. सते पणतीस च एगदिमागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतर कटु चारं चरति आहि०,तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे मवति दोहिं एगविभागमुहुरोहिं ऊणे दुवालसमुहत्ता राती भवति दोहिं एगढिमागमुहुत्तेहिं अधिया, ते णिक्खममाणा सूरिया दोसि अहोरत्तंसि अभितरं तवं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरंति, ता जता एते दुवे सूरिया अम्भितरं तचं मंडलं जाव चारं घरंति तया ण नवनपई जोयणसहस्साई छच इकावणे जोयणसए नव य एगहिमागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चारं चरति० तदाणं अद्वारसमुहुरे दिवसे भवइ पउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे तुवालसमुहत्ता राई भवह पउहिं एगद्विभागमहत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणुवाएणं णिक्खममाणा एते दुवे सूरिया तताणतरातो तदाणंतर मंडलाओ मंडलं संकममाणा २ पंच जोयणाई पणतीसं च एगविभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवढेमाणा २ सववाहिर मंडल उपसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्ववाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति तता णं एग जोयणसतसहस्सं छञ्च सट्टे जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चार चरंति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता जाव राई भवइ जाए दुवाल जाव दिवसे भवति, एस णं पदमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, ते पविसमाणा सूरिया दोचं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि पाहिराणं. तरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया पाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा एग जोयणसयसहस्सं छप चउप्पण्णे जोयणसते उनीसं च एम. द्विभागे जोयणस्त अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चार चरंति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई मवई दोहिं एगढिमागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं अहिए, ते पविसमाणा सूरिया दोचंसि अहोरत्तंसि पाहिरं तचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तचं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरंति तता णं एगं जोयणसयसहस्सं छच अडयाले जोयणसते पावणं च एगढिमागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चारं चरंति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवद पउहि एग जाव ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं जाव अहिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया ततोऽणंतरातो तदाणंतर मंडलाओ मंडलं संकममाणा पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिः भागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णसंतरै णिवुड्ढेमाणा २ सत्रभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, जया णं एते दुवे सूरिया सदभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता गं णवणउर्ति जोयणसहस्साई व पत्ताले जोयणसते अण्णमणस्स अंतर कटट चारै चरति तताणं उत्तमकद्वपत्ते जाच दिवसे भवति जहणिया वालसमहत्ता राई भवति, एस गं दोचे छम्मासे एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस णं आइये संवच्छरे एस गं आइन्चस्स संवच्छरस्स फ्जवसाणे ।१५॥१-४॥ ता केवतियं ते दीवं वा समुई वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति आहि०, तत्व खलु इमाओ पंच पडिपत्तीओ पं०, एगे एव-ता एग जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीस जोयणसतं दीवं या समुदं वा ओगाहित्ता सरिए चारं (२०४) ८१६ चंद्रप्रज्ञप्तिः , पा.१ मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरति एगे एव०, एगे पुण-ता एग जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीस जोयणसयं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण- ता एग जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं दीवं वा समुहं वा ओगाहित्ता मरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण-ता अवड्ढे दीवं वा समुई वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरति एगे एव०, एगे पुण-ता नो किंचि दीवं वा समुई वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता एगं जोय. सहस्सं एर्ग च तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुह वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमाहंसु-जता णं सूरिए सञ्चभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तया णं जंचुदीवं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं ओगाहित्ता सरिए चार चरति तता णे उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जष्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवई, ता जया णं सूरिए सवबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं लवणसमुई एग जोयणसहस्सं एगं च व तेतीसं जोयणसयं ओगाहित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुत्ते दिवसे भवइ, एवं चोत्तीसेऽचि, पणतीसेऽपि एवं चेव भाणियवं, तत्य जे ते एव० ता अवड्ढे दीवं वा समुई वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरति ते एवमा०-जता गं सूरिए सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तता णं अवड्ढे जंबुडीव० ओगाहित्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जह-णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सवबाहिरएवि, णवरं अबड्ढं लवणसमुई, तता णं राईदियं तहेव, तत्थ जे ते एव०-ता णो किशि दीवं वा समुह वा ओगाहिता सूरिए चारं चरति ते एव०-ता जता णं सरिए सञ्चभतरं मंडळ उपसंकमिता चार चरति तता णो किंचि दीवं वा समईया ओगाहित्ता सरिए चार चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अद्वारसमहत्ते दिवसे भवति नहेब, एवं साचाहिरए मंडले. णवरं णो किंचि लवणसमहं ओगाहिता - चारं चरति, रातिदियं तहेव एगे एव०।१६। वयं पुण एवं वदामो-ता जया र्ण सूरिए सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं जंबुद्दीचं असीतं जोयणसतं ओगाहित्ता चारं चरति, तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सवबाहिरवि, णवरं लवणसमुई तिणि तीसे जोयणसते ओगाहित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, गाथाओ भाणितधाओ।१७॥१-५॥ ता केवतियं ते एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति आहि०१, तत्थ खलु इमाओ सत्त पडिवत्तीओ पं०, तत्वेगे एव०-ता दो जोयणाई अबदुचत्तालीस तेसीतसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं रातिदिएर्ण विकंपइत्ता २ सूरिए चार चरति एगे एव०, एगे पुण- ता अड्ढातिजाई जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चति एगे एव०, एगे पुण-ता तिभागूणाई तिषि जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता २ मरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण- ता तिषिण जोयणाई अडसीतालीसं च तेसीतिसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राईदिएणं विकंपदत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण.. ता अक्षुहाई जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे-ता चउभागूणाई चत्तारि जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०. ता चत्तारि जोयणाई अद बावण्णं च तेसीतिसतभागे जोयणस्स एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे०, वयं पुण एवं बदामो-ता दो जोयणाई अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेग मंडलं एगमेगेण राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए - चारं चरति. तत्य णं को हेतु इति वदेजा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीचे जाच परिक्खेवण, ता जता णं सूरिए सामंतरं मंडलं उवस व परिक्खेवेर्ण,ता जता णं सूरिए सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमु. हुना राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अम्भितराणंतरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगटिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे मूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि अम्भितरं तचं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितरं तच्चं मंडलं उचसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चार चरति, तता णं अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति चउहिं एगविभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणं उपाएणं णिक्सममाणे सरिए तताणंतराओ मंडलातो तदाणतरं मंडलं संकममाणे दो २ जोयणाई अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं चिकम्पमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए सबभंतरातो मंडलातो सबबाहिरं मंडलं उवसं. कमित्ता चारं चरति तया र्ण सवभंतरं मंडलं पणिहाय एगेण तेसीतेणं राईदियसतेणं पंच दमुत्तरजोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवद जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एसणं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से य पविसमाणे सूरिए दोचं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि वाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति, ता जता णं सूरिए बाहिराणतरं मंडलं उवर्सकमित्ता चारं चरति तया णं दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेण राईदिएणं विकम्पइत्ता चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुने दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहत्तेहि अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोसि अहोरतसि बाहिरं तचं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच २ जोयणाई पणतीसं च एग. हिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चार चरति, राईदिए तहेब, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताऽणंतरातो तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडयालीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे २ सयभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति, ता जया गं सूरिए सबबाहिरातो मंडलातो सबभतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति तता णं सबबाहिर मंडलं पणिधाय एगेण तेसीएणं राईदियसतेणं पंचदमुत्तरे जोयणसते विकंपइत्ता चार चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुबालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोचे उम्मासे एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस णं आदिचे ८१७ चंद्रप्रज्ञप्तिः पातु-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवच्छरे एस आदिचस्स संपच्छरस्स पजपसाणे । १८।१-६॥ता कहं ते मंडलसंठिती आहि०१, तस्थ खलु इमातो अट्ठ पडिवत्तीओ पं०, तत्येगे एव०- ता सन्चावि मंडलवता समचउरससंठाणसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण०. धता समावि गं मंडलवता विसमचउरंससंठाणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण-समापिणं मंडलवया समचदुकोणसंठिता पं० एगे ए., एगे पुण- समावि मंडलवता विसमचाउकोणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुणता सहाषि मंडलवया समचकवालसठिया पं० एगे एव०, एगे पुण-ता सबावि मंडलवता चिसमचकवालसंठिया पं० एगे एव०,एगे पुण- ता सबावि मंडलवता चकवचकवालसंठिया ५०, एगे पुण-ता समावि मंडलवता छत्तामारसंठिया पं० एगे एव०, तत्य जे ते एकमाइंसु-ता समावि मंडलवता छत्ताकारसंठिता पं० एतेणं णएणं गायई, णो चेवणं इतरेहि, पाहुडगाहाओ भाणियचाओ। १९॥१-७॥ ता समावि मंडलक्या केवतियं चाहतेणं केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि०१, तत्थ खलु इमा तिणि पढिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता समावि ण मंडलवता जोयर्ण बाहलेणं एग जोयणसहस्सं एग तेत्तीसं च जोयणसत आयामविक्संमेणं तिष्णि जोयणसहस्साई तिष्णि य नवणउए जोयणसते परिक्लेवेणं पं० एगे एव०,एगे पुण-ता समाविणं मंडलवता जोयणं चाहल्लेणं एग जोयणसहस्सं एग च चउत्तीसं जोयणसय आयामविसंमेणं तिणि जोयणसहस्साई चत्तारि चिउत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, एगे पुण-ता जोयणं पाहणं एवं जोवणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं आयामविक्खंभेणं तिमि जोयणसहस्साईचत्तारि पंचुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, वयं पुण-ता सहारि मंडलवता अडतालीसं एगविभाये जोयणस्स चाहतेणं अणियता आयामविक्खंभेणं परिक्खेवेणं च आहि०, तत्थ णं को हेऊत्ति वदेज्जा , ता अयणं जंबुदीचे जाव परिक्खेवणं, ता जया णं सूरिए सबभंतर मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगदिमागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउई जोयणसहस्साई छव चत्ताले जोयणसते आयामविक्वंमेणं तिषिण जोयणसतसहस्साई पण्णरस जोयणसहस्साई एगूणणउती जोयणाई किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवेणं तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, से मिक्सममाणे सरिए णवं संवचछर अयमाणे पदमंसि अहोरसि अभितराणतरं मंडलं उबसंकमित्ता चार चरति, ता जया ण सूरिए अम्भितराणतर मंडल उपसंकमित्ता चार चरति तदा णं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहोणं णवणवई जोयणसहस्साई उच पणताले जोयणसते पणतीसं च एगहिभागे जोयणस्स आयामविक्संभेणं तिष्णि जोयणसतसहस्साई पचरसं च सहस्साई एगं सत्तउत्तरं जोयणसतं किंचिविसेसूर्ण परिक्खेवेणं तदा णं दिवसरातिप्पमाणं तहेच, से णिक्खममाणे सरिए दोमंसि अहोरसि अम्भितरं तवं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितरं तचं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगविभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवती जोयणसहस्साई उच एकावणे जोयणसते णव य एगट्ठिभागा जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साई पनारस य सहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पं० तता णं दिवसराई तहेव, एवं खल एतेण उपाएणं निक्खममाणे सूरिए तताणतरातो तदाणतरं मंडलातो मंडलं उवसंकममाणे २ पंच२जोयणाई पणतीसं च एगविभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खमं अभिवड्ढेमाणे २ अट्ठारस २ जोयणाई परियहिंद अभिषड्ढेमाणे २ साचाहिर मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति, ता जया णं सूरिए सब जाव चार चरति तता गं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स चाहल्लेणं एर्ग च जोयणसयसहस्सं छच्च सद्दे जोयणसते आयामविक्संमेणं तिनि जोयणसयसहस्साई अट्ठारस सहस्साई विण्णि य पण्णरसुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं तदा णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दो, छम्मासं अयमाणे पढ़मंसि अहोरतसि बाहिराणतरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए पाहिराणंतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तताण सा मंडलवता अड़तालीस एगठिमागे जोयणस्स पाहणं एगे जोवणसयसहस्स छच चउपपणे जोयणसते छत्रीसं च एगठिमागे जोयणस्स आयामविक्खमेणं तिमि जोयणसतसहस्साई अट्ठारससहस्साई दोण्णि य सत्ताणउते जोयणसते परिक्खेवेणं पं०, तता णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तचं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सुरिए बाहिरं तर्च मंडलं उसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडयालीसं एगद्विभागे जोयणस्स बाहलेणं एग जोयणसतसहस्सं उथ अडयाले जोयणसए बावणं च एगढिमागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साइं अट्ठारस सहस्साई दोषिण अउणासीते जोयणसते परिक्खेवेणं पं०, दिवसराई तहेब, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २पंच२ जोयणाई पणतीसं च एगठिमागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुडिंढ णिबुड्डेमाणे २ अट्ठारस जोयणाई परिस्यबुढि णिबेमाणे २ सयमंतर मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति, ता जता णं सूरिए सवभंतर मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवया अडयालीसं एगठिमागे जोयणस्स वाहलेणं णवणउतिं जोयणसहसाई छच चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिष्णि जोयणसयसहस्साई पण्णरस य सहस्साई अउणाणउतिं च जोयणाई किंचिविसेसाहियाई परिक्खेवेणं पं०, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जष्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोचे छम्मासे एस णं दोबस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस पं आदिचे संवच्छरे एस णं आदिचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे, ता सबावि णं मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहालेणं, सबावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विक्खंभेणं, एस णं अचा तेसीयसतपडुप्पण्णो पंच सुत्तरे जोयणसते आहिता अभितरातो मंडलवताओ बाहिरं मंडलवतं बाहिराओ वा अम्भितरं मंडलवतं एस णं अदा केवतियं आहि०१, ता पंच दसुत्तरजोयणसते आहि०, अमितराते मंडलबताते बाहिरा मंडलवया बाहिराओ मंडलवतातो अम्भितरा मंडलवता एस णं अद्धा केवतियं आहि०१, ता पंच दसुत्तरे जोयणसते अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहि०, ता अभंतरातो मंडलवतातो बाहिरमंडलवता बाहिरातो. अभंतरमंडलवता एस णं अदा केवतियं आहि०१, ता पंच णवुत्तरे जोयणसते तेरस य एगट्ठिभागे जोयणस्स आहिक, अम्भितराते मंडलवताए बाहिरा मंडलवया बाहिराते मंडलवताते अमंतरमंडलपया एस णं अदा केवतिय ८१८ चंदपज्ञप्तिः, धाबुर्ड-१ मुनि दीपरनसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० आहि ०१, ता पंच दमुत्तरे जोयणसए आहि ० ॥२०॥ १-८ पढमं पाहुडं १॥ ता कहं ते तेरिच्छगती आहि ०?, तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पं० तत्थेगे एव० ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पादो मरीची आगासंसि उट्ठेति, से णं इर्म लो तिरियं करेइ त्ता पचत्थिमंसि लोगन्तंसि सायं सूरिए आगासंसि विदस्सति एगे एव०, एगे पुण० ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पातो सूरिए आगासंसि उद्वेति से णं इमं लोयं तिरियं करेति ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासंसि विदंसति एगे एव एगे पुण० ता पुरस्थिमाओ लोयंतातो पादो सूरिए आगासंसि उत्तिद्वति से णं इमं लोयं तिरियं करेति ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासं अणुपविसति ता आहे पडियागच्छति सा पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातो लोयंतातो पातो सूरिए आगासंसि उत्तिइति एगे एव०. एगे पुणः ता पुरन्धिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिद्रुति से णं इमं लोयं तिरियं करेति ता पच्चत्थिमिहंसिलोयतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्यसि विदंस एगे एव०, एगे पुण:- पुरन्धिमाओ टोयंताओ पाओ सूरिए पुढपीओ उत्तिदृइ. से णं इमं तिरियं लोयं करे ता पञ्चस्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्य अणुपविसइ ना अहे पडियागच्छ ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिदृइ एगे एव०. एगे पुणता पुरथिमिहाओ होयंताओ पाओ मूरिए आउकार्यसि उत्तिइइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करे ता पस्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकार्यसि विसति एगे एव एगे पुणता पुरन्धिमातो लोगंतातो पाओ सूरिए आउओ उत्तिइत्ति से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेति ना पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकार्यसि पविसद् ता अहे पड़ियागच्छति ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमातो लोयंतातो पादो सूरिए आउओ एगे एव०, एगे पुण एव० ता पुरस्थिमातो लोयंताओ बहूई जोयणाई बहुई जोयणसताई बहई जोयणसहस्साई उद्धं दूरं उप्पतिता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिद्वति से णं इमं दाहिणढं लोयं तिरियं करेति ता उत्तरलोय तमेव रातो, से णं इमं उत्तरद्वलोयं तिरियं करेइ ता दाहिणद्धलोयं तमेव राओ, से णं इमाई दाहिणुत्तरड्डलोयाई तिरियं करेइ ता पुरन्धिमाओ लोयंतातो बहूई जोयणाई तं चैव उद्धं दूरं उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिइति एगे एव वयं पुण एवं वयामोता जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायतउदीर्णदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउनीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमंसि उत्तरपञ्चस्थिति य च उभागमंडलसि इमीसे रयण पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो अटु जोयणसताई उद्धं उप्पतित्ता एत्थ णं पादो दुबे सूरिया आगासाओ उत्तिइति ते णं इमाई दाहिणुतराई जंपुदीपभागाई तिरियं करेति ता पुरथिमपचत्थिमाई जंबुद्दीवभागाई तमेव रातो, ते णं इमाई पुरच्छिमपचत्थिमाई जंबुद्दीवभागाई तिरियं करेंति त्ता दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाई तमेव रातो, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई पुरच्छिमपचत्थिमाणि जंबुद्दीवभागाई तिरियं करेंति त्ता जंबूदीवस्स पाईणपडीणायत जाव एत्थ णं पादो दुवे सूरिया आगासंसि उत्तिर्हति । २१ ॥ २१ ॥ ता कहं ते मंडलाओ मंडल संकममाणे २ सूरिए चारं चरति आहि०१, तत्थ खलु इमातो दुवे पडिवतीओ पं० तत्थेगे एव०-ता मंडलातो मंडल संकममाणे २ सुरिए भेयपाएणं संकामइ एगे एव०, एगे पुणता मंडलाओ मंडल संकममाणे सूरिए कष्णक वेदेति तत्थ जे ते एव ता मंडलातो मंडलं संक्रममाणे २ सूरिए भेयपाएणं संकमइ तेसि णं अयं दोसे-ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकमति एवतियं च णं अद्धं पुरतो न गच्छति, पुरतो अगच्छमाणे मंडलकालं परिहवेति तेसिं णं अयं दोसे, तत्थ जे ते एव०ता मंडळात मंडल संक्रममाणे सूरिए कण्णकलं णिवेदेति तेसिं णं अयं विसेसे-ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिवेदेति एवतियं चणं अदं पुरतो गच्छति, पुरतो गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेति तेसि अयं विसेसे तत्थ जे ते एव०-मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिवेदेति एतेणं गएणं तवं णो चेव णं इतरेणं । २२ ॥ २-२ ॥ ता केवतियं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहनेणं गच्छति आहि० ?, तत्थ खलु इमातो चनारि पडिवीओ पं० तं तत्थ एगे एव-ता छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति०, एगे पुणता पंच २ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहनेणं गच्छति एगे एगे पुण० ता चत्तारि २ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहनेणं गच्छाते एगे एव०, एगे पुण० ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहणं गच्छति एगे०, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहतेणं गच्छति ते एव जनाणं सूरिए सबअंतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तथा णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसे अट्टारसमुडुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुत्ता राई भवति, तंसि च णं दिवसंसि एगं जोयणसतसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साई नायकखेने पं० ता जया णं सूरिए सङ्घबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तथा णं उत्तमकडुपत्ता उकोसिया जट्टारसमुडुत्ता राई भवति जहणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि बावन्तरिं जोयणसहस्साई नावक्खेने पं तया णंछ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एव० ता जता णं सूरिए सम्भंतरं मंडल उवसंकमिना चारं चरति तहेव दिवसराइप्यमाणं, तंसि च णं दिवसंसि तावखेत्ते नउइजोयणसहस्साई ता जया णं सबबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं तं चैव राइदियप्यमाणं तंसि च णं दिवसंसि तहिं जोयणसहस्साइं तावकखेने पं० तताणं पंच २ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एव०-ता चत्तारि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहणं गच्छति ते एवमाता जया णं सुरिए सवन्तरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दिवसराई तहेब, तंसि च णं दिवसंसि बावन्तारं जोयणसहस्साई तावक्खेने पं० ता जया णं सूरिए सव्वबाहिर मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राईदियं तथेव नंसि दिवससि अडयालीस जोयसहस्साई तावक्खेने पं० तता णं चत्तारि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुझेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति ते एव० ता मुरिए णं उग्गमणमु संसि य अत्थमणमुहतसि य सिग्धगती भवति तता णं छ छ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमतावखेत्तं समासादेमाणे २ सूरिए मज्झिमगती भवति तता णं पंच २ जोयणसहस्सा एगमेगेणं महत्तेणं गच्छति, मज्झिम तावतं संपत्ते सूरिए मंदगती भवति तता णं चत्तारि जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुदुत्तेण गच्छति, तत्थ को हेऊत्ति वदेजा ?, ता अयणं जंबुदीचे २ जाव परिक्लेवेणं, ता जया णं सूरिए सम्बन्तरं मंडल उसकता ८१९ चंद्रपज्ञप्तिः, पाहुडे - २ मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चारं चरति तता णं दिवसराई नहेब, तसिं च णं दिवसंसि एकाणउति जोयणसहस्साई तारखेते पं०, ता जया णं सूरिए सबबाहिरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरति तताणं राइंदियं तहेब, तस्सि चणं दिवससि एगद्विजोयणसहस्साई तारखेने पं०, नना णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे एक०, वयं पुण एवं वदामो-ता सातिरेगाई पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहलेणं गच्छति, तत्थ को हेतूत्ति वदेजा ?, ता अयण्णं जंबुडीयेपरिक्सवेणं, ता जता णं मूरिए सबभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति तता गं पंच२जोयणसहस्साई दोषिण य एकावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुनेणं गच्छति, तता णं इधगतम्स मणुम्सस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसतेहिं एकवीसाए य सहिभागेहि जोयणस्स मूरिए चक्खुष्कासं हवमागच्छति, तया णं दिवसराई तहेव, से णिक्सममाणे मूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढ़मंसि अहोरनसि अभितरार्णतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तताणं पंच २ जोयणसहस्साई दोषिण य एकावणे जोयणसते सीतालीसं च सट्ठिभागे जोयणम्स एगमेगेणं मुहुनेणं गच्छनि, तता ण इहायस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं अउणासीते य जोयणसतेण सत्तावण्णाए य सद्विभागेहिं जोयणस्स सहिभागं च एगद्विहा ड्रेला अउणावीसाए चुणियाभागेहिं सूरिए चामुण्फास हबमागच्छति, नताण दिवसराई नहेच.(१८-१२), से णिक्खममाणे मूरिए दोसि अहोरसि अभितरं तर्थ मंडलं उक्संकमिर चारं चरति, ता जया णं मूरिए अम्भितरं तचं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरति नना णं पंच२ जोयणसहम्साई दोणि य वावण्णे जोयणसते पंच य सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुनेणं गच्छति तता णं इहगतस्स मणू० सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं छण्ण उतीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणम्स सहिभागं च एगद्दिया रेता दोहिं वृष्णियामागेहि मरिए चाफास हमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेणं उपाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ हा अट्टारस र सद्विभागे जोयणम्स एगमेगे मंडले महत्तगति अभिपढेमाणे २ चुलसीति २ सताई जोषणाई पुरिसच्छायं णिवडढेमाणे २ सम्बाहिर मंडलं उवसंकमित्ना चारं चरति. ता जया गं सरिए सामाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति नना ण पंच २ जोयणसहस्साई तिमि य पंचुत्तरे जोयणसते पण्णरस य सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहि अहिं एकतीसेहिं जोयणसतेहिं नीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स मूरिए चक्सुफासं हमागच्छति तनाणं उत्तमकट्ठपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुने दिवसे भवति, एस णं पढमे उम्मासे एसणं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से Bा परिसमाणे मुरिए दोचं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरसि चाहिराणंतर मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति. ता जता णं सरिए बाहिराणंतरं मंडलं उप जोयणसने सत्नावणं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुतेणं गच्छति, तता णं इधगतस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहि नवहि य सोलेहि जोयणसएहि एगूणचालीसाए य सहिभागेहि जोयणस्स सहिमागं च एगहिहा छेना सट्टीए चुणियाभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हवमागच्छति, तता णं राइंदियं तहेच, से पविसमाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तसि बाहिरं तवं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तचं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरनि नता णं पंच पंच जोयणसहस्साई तिमि य चउत्तरे जोयणसते ऊतालीसं च सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं मच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एगाधिगेहि पत्तीसाए जोयणसहस्सेहि एकूणवण्णाए य सहिभागेहिं जोयणम्स सविभागं च एगट्टिधा छेत्ता तेवीसाए चुणियाभागेहि सरिए चक्मुष्कासं हमागच्छति, राइंदियं तहेत, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तताणतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्टिभागे जोयणम्स एगमेगे मंडले मुहुतगति णिबुड्ढेमाणे २ सातिरेगाई पंचासीति २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवुड्ढेमाणे २ सवभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति, ता जता ण मूरिए सप्तम्भंतरं मंडल उवसंकमित्ना चार चरनि नना णं पञ्च २ जोयणसहस्साई दोण्णि य एकावण्णे जोयणसए अगुणतीसं च सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीनालीसाए जोयणसहस्सेहिं तेवढेहिं जोयणसतेहि य एकवीसाए य सविभागेहि जोयणस्स मूरिए चक्षुफासं हवमागच्छति, तता णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवति, एस णं दोचे लम्मासे एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस आदिचे संवच्छरे एस णं आदिचस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ।२३॥२-३ बितियं पाहुढं। ता केवतियं खेनं चंदिममूरिया ओभासंति उजोति नवेंति पगासंति आहि ?, तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पं०, नत्थेगे एवमा०. ना एग दी एग समुहं चंदिमसूरिया ओभासेंति०, एगे पुण एव० ता तिष्णि दीवे तिष्णि समुदे चंदिममूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुण-ता अदचउत्थे (प० आहठे) दीवसमुदे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुणना सन दीचे सत्त समुदे चंदिमसूरिया ओभासिनिक एगे एव०, एगे पुण-ता इस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुण-दा बारस दीवे बारस समुडे चंदिमसूरिया ओभासंनि एगे०,एगे पुण बायाटीसं दीये वायालीसं समुद्र चंदिममूरिया ओभासंनि एगे. एगे पुण-बावत्तरि दीवे बावत्तरि समुहे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे०, एगे पुणना बायालीसं दीवसनं बायालं समुहसतं चंदिममूरिया ओभासंनि० एगे०, एगे पुण-ना बावनारिं दीवसनं बावत्तरि समुदसतं चंदिममूरिया ओभासंतिक एगे०, एगे पुणता बायालीसं दीवसहस्सं वायालं समुदसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंनि एगे०.एगे पुण-ता बावत्तरं दीवसहस्सं बावतरं समुरसहम्स चंदिममूरिया ओभासंतिक एगे०, वयं पुण एवं बदामो-अयणं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं पं०, से णं एगाए जगतीए सवतो समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती अट्ट जोयणाई उइद उसनेणं एवं जहा जंपुटीवपन्नत्तीए जाव एवामेव सपुशावरेणं जंबुद्दीचे चोहस सलिलासयसहस्सा छप्पनं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्खाता, जंबुद्दीचे णं दीवे पंचचकभागसंठिते आहिताति वदेजा, ता कह ने जंबुडीचे पंचचक्कभागसंठिते आहि०?, ता जता णं एने मूरिया सप्तम्भनरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं जंबुद्दीवस्स तिण्णि पंचचकभागे ओभासंति तं०-एगेवि एग दिवढं पंचचक्कभागं ओभासेति एगेवि एग दिवढं पंचचकमागं ओमासेनि तता णं उत्तमकट्टपत्ते उको अट्टारसमुहत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुत्ता राई भवा, ता जता णं एते दुवे सूरिया सबबाहिरं मंडलं उक्संकमित्ता चार चरति तदा णं जंबुद्दीवस्स दोण्णि पकभागे ओभासंति, ता एगेवि एगे पंचच-(२०५) ८२० चंद्रपज्ञप्तिः, पार्ड-2. मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कवालभागं ओभासति एगेवि एक पंचचकवालमागं ओभासइ, तता णं उत्तमकटुपत्ता उक्को अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति । २४॥ ततियं पाहुडं ३॥ ना कह ने सेाते संठिई आहि०१, तस्य खल उमा दुविहा संठिती पंत-चंदिमसूरियसंठिती य वाक्क्वेत्तसंठिती य, ता कहं ते दिमसूरियसंठिती आहि०१, तत्य खलु इमातो सोलस पडिपत्तीओ पं०, तत्थेगे एवछता समचाउरंससंठिना चंदिममूरियसंठिती एये एव०.एगे पुणता विसमचउरससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०,एवं एएणं अभिलावेणं समक्उकोणसंठिता विसमचाउकोणसंठिया समचक्वालसंठिता पिसमचकवालसंठिता चकाचकचारसंहिता पं० एगे एव०,एगे पुण-ताइनागारसंठिता चंदिममूरियसंठिती पं० गेहसंठिता गेहावणसंठिता पासादसंठिता गोपुरसंठिया पेच्छाघरसंठिता बलभीसंठिता हम्मियतलसंठिता बालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, तन्य जे ते एवमाता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं० एतेणं णएणं णेतर्ष णो चेव णं इतरेहि, ता कहूं ते तावक्खेत्तसंठिती आहि?, तत्व खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थ णं एगे एवळ-ता गेहसंठिता तारखित्तसंठिती पं०.एवं जाव बालग्गपोनियासंठिता तावखेनसंठिती०, एगे एव०-ता जस्संठिते जंबुद्दीवे तस्संठिता तावक्खेत्तसं० पं०, एगे पुण-ता जस्संठिते भारहे चासे तस्सं०, एवं उजाणसंठिया निजाणसंठिता एगतो णिसधसंठिता दुहनो णिसहसंठिता सेयणगसंठिता एगे एव०, एगे पुण- ता सेयणगपट्ठसंठिता तारखेत्त० एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता उद्धीमुहकलंबुआपुष्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पं० अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा चाहि पिधुला अंतो अंकमुहसं. ठिता बाहिं सत्थिमुहसंठिता, उभतो पासेणं तीसे दुवे वाहाओ अवहिताओ भवंति पणतालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवद्विताओ भवंति, तं०. सप्तम्भंतरिया चेव चाहा सबबाहिरिया चेव चाहा, तन्ध को हेतूनि वदेजा?. ना अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सकम्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उदीमुहकलंचुआपुष्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती आहि• अंतो संकुडा जाव चाहिरिया चेव वाहा, नीसे णं सबभनरिया चाहा मंदरपवयतेणं णव जोयणसहस्साई चत्नारि य छलसीते जोयणसते णव य बसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिर, ता से णं परिक्षेत्रविसेसे कतो आहि०१, ताजे णं मंदरस्स पायस्स परिक्खेवे ने परिक्लेवं निहिं गुणिना इसहिं छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस गं परिक्षेत्रपिसेसे आहि०, तीसे णं सबाहिरिया चाहा लवणसमुदतेणं चउणउति जोयणसहस्साई अट्ठय अट्ठसट्टे जोयणप्सते चत्तारिय दसभागे जोयणस्स परिक्खे - वेणं आहिना०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहिता?, ताजे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्सेवं तिहिं गुणित्ता दसहिं छत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेत्रविसेसे आहि, ता से णं ताक्क्वेत्ते केवतियं आयामेणं आहि-2.ना अद्रुतरि जोयणसहम्साई तिणि य तेनीसे जोयणसने जोयणतिभागे य आयामेणं आहि०, तया णं किंसंठिया अंधगारसंठिई आहि ?, उदीमुहकलंचुआपुष्फसंठिता तहेब जाव बाहिरिया चेच बाहा, तीसे णं सवभंतरिया वाहा मंदरपवनंतणं छनोयणसहस्साई तिण्णि य चउबीसे जोयणसते छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहि०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहि०१. ता जेणं मंदरस्स पत्रयस्स परिस्खे। तं परिक्खेवं दोहिं गुणेना ससं नहेब. नीसे गं सववाहिरिया वाहा लवणसमुहंतेणं तेवढिं जोयणसहस्साई दोण्णि य पणयाले जोयणसते छच्च वसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहि, ता से णं परिक्वेवविसेसे कत्तो आहिना जेणं जंबुद्दीचस्स परिक्षेचे तं परिक्खेवं दोहिं गणिना इसहि छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवबिसेसे आहि०, ता से णं अंधकारे केवतिय आयामेणं आहि ?, ता अदुत्तरि जोयणसहस्साई तिणि य तेतीसे जोयणसते जोयणतिभागं च आयामेणं आहि, नना णं उत्तमकट्टपने अट्ठारसमुहुने दिवसे भवइ जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवद, ता जया णं मूरिए सवाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं किंसंठिना तावखेत्तसंठिनी आहि ?, ना उदीमुहकलंत्यापुष्पसंठिना नावस्खेत्तसंठिती आहिक, एवं जं अम्भितरमंडले अंधकारसंठितीए पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठितीए जं वहि तावक्खेत्तसंठितीए तं बाहिरमंडले अंधकारसंठितीए भाणियवं, जाव नता णं उत्तमकट्ठपना उक्कोसिया अट्ठारसमुहना राई भवनि जहष्णए दुवालसमुहने दिवसे भवति. ताजंचुडीचे सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढं तवंति केवतियं खेत्तं अहे तवंति केवतियं खेतं तिरियं तवंति?, ता जंचुडीचे णं दीवे मरिया एगे जोयणसनं उइई नवंनि अटारस जोयणसनाई अधे तवंति सीनालीसं जोयणसहस्साई दुन्नि य तेवढे जोयणसते एकवीसं च सविभागे जोयणस्स तिरियं तवंति।२५॥ चउत्थं पाहुढं ४॥ ता कंसि णं सूरियस्स लेस्सा पडिहतानि वदेजा ?, नत्य सलू इमाओ वीस पडियनीओ पं०, नत्थेगे एव०-ता मंदरंसि णं पचतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहना आहि एगे एव०, एगे पुणता मेरंसि णं पञ्चतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता आहि एगे एव०. एवं एतेणं अभिलावेणं भाणियवं, ता मणोरमंसि णं पवयंसि ना मदसणंसिणं पश्यंसि ता सयंपभंसि णं पवनसि ना गिरिरायसि णं पवतंसि ता रतणुचयंसि णं पञ्चतंसि ता सिलुवयंसि णं पञ्वयंसि ता लोअमांसि णं पानसि ना लोयणाभिसि णं पञ्चतंसि ना अन्ठसि णं पवनसि ना मूरियावनसि परतंसि ता सूरियावरणंसि णं पवनसि ना उत्तमंसिणं पश्यसि ता दिसादिम्मि र्ण पञ्चतंसि ता अवतंसंसि र्ण पात्रतसि ता धरणिखीलंसि णं पायंसि ता धरणिसिंगंसि णं पनयंसि ना पञ्चतिदेसि गं पवनसि ना पञ्चयरायसि र्ण पब्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहता आहि एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-जंसिणं पव्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहता से मंदरेवि पञ्चति मेरुवि पचुबइ जाच पच्चयरायाचि पवुमनि, ना जे ण पुग्गला सुरियम्स लेसं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेसं पडिहर्णति, अदिहावि णं पोग्गला मरियम्स लेस्सं पडिहणति, चरिमलेसंतरगताविण पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहर्णति ।२६॥ पंचमं पाहुई ५॥ ना कहं ने ओयसंठिती आहि ?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पटियत्तीओ पं०. तत्गे एव०. ता अणुसमयमेव मरियम्स ओया अण्णा उप्पजति अण्णा अवेति एगे एव०, एगे पुण-ता अणुमुहुत्तमेव मूरियस्स ओया अण्णा उपजति अण्णा अवेनि, एनेणं अभिलावेणं तथा, ना अणुराइंदियमेव ता अणुपक्वमेव ता अणुमासमेव ना अणुउद्यमेव ता अणुअयणमेव ता अणुसंवच्छरमेव ता अणुजुगमेव ता अणुबाससयमेव ता अणुवाससहस्समेव ता अणुवाससयसहस्समेव ना अणुपुत्रमेव ता अणुपुवसयमेव ता अणुपुषसहस्समेव ता अणुपुत्रसतसहस्समेव ता अणुपलितोवममेव ता अणुपलितोचमसतमेव ता अणुपलितोषमसहस्समेव ता अणुपलितोषमसयसहस्समेव ता अणुसागरोवममेव ता अणुसागरोवमसनमेव ता अणु८२१ चंद्रपञप्तिः , पाड-5 मुनि दीपरनसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सागरोचमसहम्समेव ता अणुसागरोचमसयसहस्समेच एगे एव०, ता अणुउस्सप्पिणीओसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पजति अण्णा अवेति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो ता तीसं २ मुहुने सूरियस्स ओया अवहिता भवनि, तेण परं सूरियम्स ओया अणवहिता भवति, छम्मासे सूरिए ओयं णिवुडदेति छम्मासे सूरिए ओयं अभिवइति, णिक्सममाणे मूरिए देस णिवृहदेनि पविसमाणे मूरिए देसं अभिवुड्ढेइ, तत्थ को हेतू आहि०. ता अयण जंबुद्दीचे सबदीवसमुर जाच परिक्षेणं, ता जया णं सूरिए सव्वम्भतरं मंडलं उपसंकमिन्ना चारं घरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्टारसमुहुते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुना राई भवति, से णिस्खममाणे सूरिए ण संवच्छर अयमाणे पढमंसि अहोरनंसि अभितराणंतरं मंडलं उचसंकमित्ता चारं चरति. ता जयाणं सुरिए अमितराणतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति नता स्वणिक्वेलम्स अभिपढिना चारं चरति मंडल अद्यारसहिं नीसेहिं सतेहि छित्ता,तता णं अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति दोहिं एगविभागमुहूत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुना राई भपति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सुरिए दोसि अहोरनंसि अभितरं नर्थ मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति, ता जया र्ण सूरिए अम्भितरं नई मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राईदिएहिं दो भागे ओयाए दिवसलेत्तस्स णिबुढिना स्यणिखित्तस्स अभिवइडेना चारं चरति मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहि छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति पउहिं एगहिभागमुहूत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहि एगट्ठिभागमुहुतेहिं अहिया, एवं खलु एतेणुचाएणं निक्खममाणे मूरिए तयाणंतराओ तदाणतरं मंडलातो मंडलं संक्रममाणे २एगमेगे मंडले एगमेगेणं राईदिएणं एगमेगं मागं ओयाए दिवसखेत्तस्स णिचुड्ढेमाणे २ यणिखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्ववाहिर मंडल उपसंकमित्ता चार चरति, ता जया णं सूरिए सबभतरातो मंडलातो सव्यपाहिरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरतितता णं सयभंतरं मंडलं. पणिधाय एगेण तेसीतेणं राईदियसतेणं एग तेसी भागसतं ओयाए दिवसखेतस्स णिवेत्ता रयणिखेत्तस्स अभि. बुढेना चार चरति मंडलं अट्ठारसहिंतीसेहिं सएहिं छेनातताणं उत्तमकट्टपत्ता उको अद्वारसमहत्ता राई भवति जहष्णए वालसमहत्ते दिव माणे मरिए दोचं उम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरनंसि चाहिराणंतरं मंडर्स उपसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए चाहिराणतरं मंडलं उपसंकमित्ना चारं चरति तता णं एगेर्ण राईदिएणं एग भागं ओयाए स्तणिक्खेत्तस्स णिबुड्ढेना दिवसखेनस्स अमिड्ढेता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहि तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहूत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुने दिवसे भवति दोहिं एगविभागमुहुनेहिं अधिए, से पविसमाणे मूरिए दोमंसि अहोरनंसि पाहिरं तचं मंडल उपसंकमित्ता चारं गति, ता जया णं सूरिए चाहिरं तयं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता गं दोहिं राईदिएहिं दो भाए ओयाए स्यणिखेत्तस्स णिवुइदेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिबुड्ढेना चारं चरति मंडलं अट्टारसहि तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुने दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे मूरिए नताणतरातो तदाणतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं मागं ओयाए स्थणिखेत्तस्स णिमुढेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवाइडेमाणे २ सबभतरं मंडल उचसंकमित्ता चार हिरं मंडल पणिधाय एगेर्ण तेसीतेणं राइंदियसएर्ण एग तेसीत भागसतं ओयाए स्यणिखित्तस्स णिबुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवढेता चारं चरति मंडलं अट्टारसतीसेहिं सएहिं छेत्ता, ताणं उत्तमकट्टपत्ते उको अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोचे छम्मासे एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस गं आदिचे संवच्छरे एस गं आदिश्वस्स संवच्छरस्स पजसाणे ।२७॥ उडे पाहुदं ६॥ ताकेते सूरियं बरंति आहि ?, तत्थ खलु इमाओ वीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता मंदरे गं पड़ते सूरियं वस्यति आहि०.एगे पुण.. ता मेरू गं पड़ते सूरियं परति जाहिएवं एएणं अभिलाषेणं णेत जाच पत्रतराये गं पढ़ते मूरियं वस्यति आहिएगे एव०, वयं पुण एवं बदामो-ता मंदरेवि पवुञ्चति व्हेत्र जाप पच्चतराएवि पवुवति, ता जे ण पोग्गला सूरियस्स रेसं फुसति ते पोग्गला मूरियं वस्पति, अदिहावि णं पोग्गला सूरियं परयंति, चरमलेसतरगताधिणं पोग्गाला सूरियं वस्यति ।२८॥ सत्तमं पाहुडं ७॥ता कह ते उदयसंठिती आहि?, तत्थ खलु इमाओ तिणि पडिवत्तीओ पं०, नत्येगे एव०-ता जया णं जंबुद्दीचे दाहिणइढे अडारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं उत्तरदेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरढे अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति तया णं दाहिणद्वेऽषि अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति, जदा जंबुद्दीचे दाहिणढे सत्तरसमहुने दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुने दिवसे भवति, जया णं उत्तरढे सत्तरसमुहले दिवसे भवति तदा णं दाहिणइडेवि सत्तरसमुहत्ते दिवसे भवति, एवं परिहावेतव्वं, सोलसमुहले पण्णरस चउद० तेरस० दिवसे जाच ता जया णं जंजुद्दीचे दाहिणढे बारसमुहुने दिवसे भवति तया णं उत्तरदेवि वारसमुहुने दिवसे भवति, जता णं उत्तरदे पारसमुहूते दिवसे भवति लता णं दाहिणद्देवि घारसमुहुने दिवसे भवति, जना णं दाहिणढे पारसमुहुने दिवसे भवति तताणं जंबुद्दीचे मंदरस्स पश्यस्स पुरच्छिमपचस्थिमेणं सता पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति सदा पण्णारसमुहत्ता राई भवति, अपट्टिता णं तत्य राइंदिया समणाउसो ! पं० एगे एव०, एगे पुण-जता णं जंबुद्दीचे दाहिणदे अट्ठारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवति तया णं उत्तरदेवि अद्वारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरटे अहारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ तता णं दाहिणड्डेवि अट्ठारसमुहताणतरे दिवसे भवइ, एवं परिहावेत, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, सोन्यसमुहुत्ताणतरे पण्णरसमुहुत्ताणतरे चोदसमुहुत्साणंतरे तेरसमुहुत्ताणंतरे०, जया णं जंबुद्दीवे दाहिण बारसमुहुनाणतरे दिवसे भवनि नदा णं उत्तरदेवि चारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, जता णं उत्तरदे बारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणद्धेचि पास्समुहत्ताणतरे दिवसे भवति तदा णं जंचुदीवे मंदरस्स पचयस्स पुरस्थिमपचत्यिमेणं णो सदा पण्णरसमुहुने दिवसे भवति णो सदा पण्णरस. मुहुना राई भवति, अणपडिता णं तत्व राइंदिया समणाउसो ! एगे एव०, एगे पुणता जया णं जंचुदीचे दाहिणइदे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं उत्तरखे दुवालसमुहुना राई भवति जया णं उत्तरइढे अट्ठारसमुहने दिवसे ८२२ चंद्रपज्ञप्तिः , पाबुर्ड-< मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भवति तदा ण दाहिणड्ढे चारसमुहुना राई भयइ. जया णं दाहिणइढे अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे चारसमुहुत्ता राई भवइ, जता णं उत्तरदे अठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवति तदा ण दाहिणदे वारसमुहुत्ता राः भवनि, एवं सनरसमुहने दिवसे सत्तरसमुहुनाणंतरे सोलसमुहुने सोलसमुहताणतरे पण्णरसमुहुने पनरसमुहुत्ताणतरे चोहसमुहुले चौदसमुहुनाणंतरे तेरसमुहुने तेरसमुहत्ताणंतरे चारसमुहुत्ते, ना जता णं अंधुदीये दाहिणद्दे वारसमुहनाणंतरे दिवसे भवनि नदा णं उत्तरखे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जया णं उत्तरदे दुवालसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणदे दुवालसमुहुना राई भवनि, तता णं जंचुहीये मन्दरस्स पश्यस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं वन्धि पाणरसमुहुने दिवसे भवति वस्थि पण्णरसमुदुत्ता राई भवति, योटिण्णा णं तत्थ राइंदिया पं० समणाउसो : एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता जंबुद्धीवे सूरिया उदीणपाईणमुम्माच्छ पाईणदाहिणमागडंति पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति दाहिणपड़ीणमुग्गच्छ पढीण उदीणमागच्छन्ति पड़ीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागमन्ति, ता जना णं जंचुटीवे दाहिणदे दिवसे भवति तदा णं उत्तरडे दिवसे भवनि, जदा णं उत्तरदे दिवसे भवति नदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पत्रयस्स पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पवयस्स पुरस्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं पञ्चच्छिमेणवि दिवसे भवति, जया णं पच्चस्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीचे मंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवति, ता जया णं दाहिणद्धेवि उकोसए अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति तथा णं उत्तरहे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा उत्तरदे० तदा णं जंबुदीचे मंदरस्स पत्रयम्स पुरन्थिमेणं जहष्णिया दुवालसमुहुना राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे मन्दरस्स पवतस्स पुरच्छिमेणं उकोसए अट्ठारसमुहुने दिवसे भवति तता णं पञ्चस्थिमेणवि उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं पञ्चविमेणं उकोसए अट्ठारसमुहुने दिवसे भवनि तना णं जंचुद्दीवे मंदरम्स पचयस्स उत्तरदाहिणेणं जहणिया दुवालसमुहुना राई भवति, एवं एएणं गमेणं णेत, अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगदुवालसमुहत्ता राई भवति, सनरसमुहुत्ते दिवसे नेरसमुहुना राई, सत्तरसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवनि सानिरेगतेरसमुहुना राई भवति सोलसमुहुत्ते दिवसे चोदसमुहुना राई भवति सोलसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगचोरसमुहत्ता राई भवति, पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पाणरसमुहुना राई पण्णरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेयपष्णरसमुहुत्ता राई भवद चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुना राई चोदसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहुत्ता राई तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुना राई नेरसमुहुनाणंतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहुना राई जहणए दुवालसमुहुने दिवसे भवनि उकोसिया अट्टारसमुहत्ता राई, तता णं उत्तरडे जहन्नए दुवालसमुहुने दिवसे भवति, जता णं उत्तरड्ढे जहरू दुवालस दिवसे तताणं जंचुरीचे मंदरम्स पुरच्छिमपञ्चछिमेणं उक्कोसिया अट्ठारस राती भवति, ता जया णं जंचुडीवे मंदरस्स पुरच्छिमेणं जह- दुवालस० दिवसे भवति तता णं पचच्छिमेणं जह• दुवालस दिवसे भवति, जता णं पचच्छिमेणं जह० दुवालसा दिवसे ननाणं जंचुहीवे दीवे मंदरम्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसकराती भवति, ता जया णं जंचुहीवे दाहिणद्धे वासाणं पढमे समए पडिकजति तताणं उत्तरदेवि वासाणं पढमे समए पडिक्जति, जताणं उत्तरहे वासाणं पढमे समए पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पश्यस्स पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिक्जइ, ता जया णं जंचुदीवे मंदरम्स पवयस्स पुरच्चिछमेणं वासाणं पढमे समए परिवज्जइ तता णं पञ्चन्धिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिबजइ, जया णं पञ्चस्थिमेणं वासाणं पढमे समए पडिक्जाइ तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकयकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवण्णे भवति, जहा समओ एवं आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुने अहोरने पक्खे मासे उऊ, एवं दस आलावगा वासाणं भाणियचा, ता जया णं जंचुदीवे. दाहिणइडे हेमंताणं पढमे समए पडिवजाति तता णं उत्तरदेवि हेमंताणं पढमे समए पडिवजनि, एतम्सवि वासम्स आलावगा जाव उऊओ, ता जया णं जंचुद्दीचे दाहिणदे गिम्हाणं पढमे समए पडियजति तता णं उत्तरइदे एतस्सवि वासागमो भाणियचो जाव उऊो, ता जता णं जंचुरीवे दाहिणदे पढमे अयणे पविज्ञति तदा णं उत्तरदेवि पढ़मे अयणे पडिवाइ, जता णं उत्तरदे पढमे अयणे पडिवजति तदा णं दाहिणदेवि पढमे अयणे पडिक्जद, जता णं उत्तरदे पढमे अयणे पडिक्जाति तता णं जंबुद्दीचे मंदरस्स पञ्चयस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमेण अणतरपुरस्सरकालसमयंसि पढमे अयणे पडियजति, ता जया णं जंबुद्दीचे मन्दरस्स पवयस्स पुरस्थिमेणं पढमे अयणे पडिवनति तता णं पञ्चस्थिमेणपि पढमे अयणे पडियजा, जया णं पचस्थिमेणं पढमे अयणे पडिबजइ तदा ण जंहीवे मंदरम्स पञ्चयम्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवण्णे भवति, एवं संवच्छरे जुगे पाससते, एवं वाससहस्से वाससयसहस्से पुष्वंगे पुत्वे एवं जाच सीसपहेलिया पलितोक्मे सागरोवमे, ता जया णं जंजुदीचे दाहिणड्ढे ओसप्पिणी पडिवजति तता णं उत्तरदेवि ओसप्पिणी पडिक्जाति, जता णं उत्तरदे ओसप्पिणी पडिवजति तताणं जंबुद्दीवे मंदरस्स पत्रयस्स पुरथिमपञ्चस्थिमेणं णेवस्थि ओसप्पिणी णेव अस्थि उस्सपिणी, अवहिने णं तस्य काले पं० समणाउसो', एवं उस्सप्पिणीपि, ता जया णं लवणे समुहे दाहिणढे दिवसे भवति तता णं लवणसमुहे उत्तर दिवसे भवति, जताणं उत्तरदे दिवसे भवति तताणं लवणसमरे पुरछिमपचस्थिमेणं राई भवनि. जहा जंबुद्दीये नहेब जाव उस्सप्पिणी. तहा धायइसंडे णं दीये सूरिया उदीण तहेव, ता जता णं धायइसंडे दीवे दाहिणदे दिवसे भवति तता ण उत्तरदेवि दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तताण चायइसंटे दीवे मंदराणं पञ्चताणं पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं राई भवति, एवं जंबुद्दीवे जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी, कालोए णं जहा लवणे समुद्र तहेव, ता अभंतरपुक्खरदे णं सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ नहेब ता जया णं अम्भनरपुक्खरखे वसे भवति तता णं अम्भितरपुक्खरदे मंदराणं पचताणं पुरस्थिमपचत्थिमेणं राई भवति सेसं जहा जंबुद्दीवे तहेब जाव ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ।२९॥ अदमं पाई ८॥ ता कतिक९ ते सूरिए पारिसीच्छार्य णिवत्तेति आहि०१, तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-जे णं पोग्गला सूरियस्स लेस फुसति ते ण पोग्गला संतप्पंति, ने र्ण पोग्गला संतापमाणा तदर्णतराई चाहिराई पोग्गलाई संतानीति एस णं से समिते तावक्खेते एगे एक०, एगे पुणता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेस फुसंति ते णं पोग्गला नो संतपंति, ते णं पोग्गला असंनष्पमाणा तदर्णतराई चाहिराज पोग्गलाई णो संता८२३ संपनप्तिः, पादु-05 मुनि दीपरनसागर 13 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीति एस णं से समिते तापक्पेले एगे एव०, एगे पुण-ता जे र्ण पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला अत्येगनिया संतप्पंति अत्धेगतिया णो संनप्पंति, नन्ध अन्धेगइआ सनापमाणा नदर्णनराई वाहिराइ पोग्गलाई उरत्येगतियाई संसायति प्रत्येगतियाई णो संताचेति एसणं से समिते तारखेते एगे एक०, पयं पुण एवं वदामो-ता जाओ इमाओ चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहिनो साओ चहिया उबटा अभिणिसाओ पनानि एनासिण लेसाणं अंतरेसु अण्णतरीओ छिण्णलेसाओ संमुच्छंति, तते णं ताओ छिण्णलेस्साओ संमुच्छियाओ समाणीओ तदणंतराई चाहिराई पोग्गलाई संतातीनि एस से समिने तावक्वेने। ३ मा कनिक सुनिए पोरिसीच्या णिवत्तेति आहि ?,नत्य खल माओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, नत्येगे एवं०.ता अणसमयमेव अभिलावेणं णेतयं, ता जाओ चेव ओयसठितीए पणवीस पडिवत्तीओ ताओ चैव णेतमाओ जाप अणुउस्सप्पिणीमेव सूरिए पोरिसीए छायं णिवत्तेलि आहि एगे. वयं पुण एवं वदामो-ना मुरियरस णं उमन परेस पपड़न छाउरेसे उचनं च छायं च पहुच लेसुदेसे लेसं च छायं च पडुच उच्चत्तोडेसे, तत्थ खलु इमाओ दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जेसि गं निवसंसि मूरिए वउपोरिसीण्ठाय निवन्नद अन्यिास दिवसे जंसिणं दिवसंसि सुरिए दुपोरिसीच्छायं णिवत्तेति एगे एव०, एगे पुण-ता अत्यिक से दिबसे जंसिणं दिवसंसि सरिए दपोरिसीच्छायं णिवत्तेति अस्थि णं से दिक्से जसिणं दिवससि सरिए नो किचि पोरिसिमाय णिवत्तेति, तत्थ जे ते एव० ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिवत्तेति अस्थि णं से दिवसे जसिणं दिवसंसि मूरिए दोपोरिसियं छायं निवनेइ ने एव-ता जना णं मूरिए ससम्भंतर मंडलं. स. संकमित्ना चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहष्णिया दुचालसमुहुत्ता राई भवति, तसिं चणं दिवसंसि मूरिए चउपोरिसीयं डायं निबन्नेति, ता उम्गमशमुटुनसि य अस्थमणमुहुनसि य लेसं अभिवड्डेमाणे नो क्षेत्र णं णिशुइटेमाणे, ता जता णे सरिए सवत्राहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहुना राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुने दिवसे भवनि, तंसि च ण दिवससि सूरिए तुपोरिसियं छायं निबत्तेइ, तं०- उम्गमणमुहुतंसि य अत्यमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्डेमाणे नो चेवणं निबुझ्ढेमाणे, तत्व णं जे ते एप-ता अस्थि णं से दिवसे जंसिणं दिवसंसि मूरिए दुपोरिसियं उठायं णिवनेइ अन्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि मूरिए णो किंचि पोरिसियं छायं णिवत्तेति ते एव०. ता जता णं सूरिए सबभतरं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरति नता णं उत्तमकट्टपने उकोसए अद्वारसमुह दिवसे भपति जहणिया दुवानसमुत्ता राई भवति तसिचणं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेति, तं०- उम्गमणमुहुर्ससि य अत्यमणमुहत्तसि यलेसं अभिवइदेमाणे णो वर्ण णिव्वडढेमाणे, ता जयाण चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुने दिवसे भवति तंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसीडायं णिच्यतेति, तं- उगमणमुहुर्तसि य अत्यमणमुहुर्ससि य, नो चेव र्ण लेस अभिवुड्ढेमाणे वा नियुइढेमाणे वा, ता कइकई ते सूरिए पोरिसीच्छार्य निव्वत्तेइ आहि.?, तत्थ इमाओ छण्णउई पडिपत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०. अस्थि ण से देसे जंसि णं देसंसि मूरिए एगपोरिसीहार्य निबनेह एगे एव०, एगे पुण-ता अस्थि णं से देसे जंसि देसंसि सरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेति, एवं एतेणं अभिलावेणं णेतब, जाव उण्णउतिपोरिसियं छायं णिवत्तेति, तस्य रिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एव०-ता सूरियस्स णं सबहेडिमातो सूरपडिहितो बहिया अभिणिसट्टाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे स्यणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ जापतियं मूरिए उदउच्चनेणं एक तियाए एगाए अदाए छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए तस्य से सूरिए एगपोरिसीय छार्य णिवत्तेति, तस्थ जे ते एव० ता अस्थि णं से देसे जसिणं देसंसि मुरिए दुपोरिसिछायं णिवत्तेनि ते एक ता मूरियस्स णं सबहेविमानो सूरियपडिधीतो चहिया अभिणिसहिताहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो जावत्तियं मूरिए उदउबलेणं एवतियाहिं दोहिं अदाहिं दोहिं छायाणुमाणापमाणेहिं उमाए एत्य णं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेति, एवं एकेकाए पडिक्त्तीए भाणितवं जाय उण्णउतिमा पडिवत्ती एगे, वयं पुण एवं वदामो-सातिरेगाउणडिपोरिसीणं सरिए पोरिसीछायं णिवनेनि, अपदपोरिसी र्ण छाया दिवसस्स कि गते वा सेसे वा?, ता तिभागे मते वा सेसे वा, ता पोरिसीणं छाया दिवसस्स किंगते वा सेसे वा?.ता चउभागे गते वा सेसेवा, ता दिवदपोरिसीणं छाया दिवसस्स किंगने वा सेसेवा?.ता पंचमभागे गते वा सेसे वा,एवं अद् स छोk पुच्छा दिवसस्स भार्ग डोदं वाकरर्ण जाच ता अढाउणासहिपोरिसीछाया दिवसस्स किंगते वा सेसे?,ता एगणवीससतभागे गते चा सेसे वा, ना अउणसट्ठिपोरिसीणं छाया दिवसस्स कि गते वासेसे वा?.वीससयभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरेगाउणसहिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, णस्थि किंचि गते वा सेसे वा, तस्थ खलु इमा पणवीसनिविद्या छाया पं०-खंभच्छाया रजुः पागार० पासाय० उत्तरः उचत्तः अणुलोम पडिलोम० आरुभिता उपहिता समा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरतोउदग्गा पिडओउदव्या पुस्मिकंठभागोक्गता पच्छिमकठभाओगता छायाणुवादिणी किटाणुवादिणीछाया छायछाया छायाविकप्पो वेहासच्छाया सगड (कडच्छाया) गोलच्छाया, तत्वणं गोलच्छाया अट्टविहा पं० त०-गोलच्छाया अबद्धगोलच्छाया गोलगोल अवद्धगोलगोल गोलावलि० अबढमोलाचलि गोपुंज अवद्धगोलपुंज-३१। परमं पाहुई ॥ ता जोगेति वत्थुस्स आपलियाणिचाते आहि०, तो कहं ते जोगेति यत्युस्स आपलियाणिवाते आहि, तत्थ स्खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, तोंगे एवता सवेवि ण णपखना कत्तिपादिया भराणपज एगे पुण-सा सोचि णं णक्लत्ता महादीया अस्सेसापज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण-ता सविणं णक्वत्ता पणिहादीया सवणपजयसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण-ता सवेवि णं णवत्ता अस्सिणीआदीया खनिपजवसा. णा प० एग एव०,एगे पुण०-सारण णक्खता मरणाआदिया अस्सिणीपज्जवसाणा एगे एव०, वयं पुण एवं बदामो-सवेविणं णक्खत्ता अभिआदीया उत्तरासादापजवसाणा पंत-अभिईसवणो घाणट्टासतभिसया पुचभ हवता उत्तरभदवया रेवती अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी मिगसिरं अदा पुणवसू पुस्सो असिलेसा महा पुच्चा फग्गुणी उत्तरा फरगुणी हत्यो चित्ता साती बिसाहा अनुराहा जेट्टा मूलो पुष्वासाढा उत्तरासादा ।३२॥१०-१॥ (२०६) ८२४ चंद्रमज्ञप्तिः पादः-१० मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बता कह ने मुहुनग्गे आहि०, ता एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्वत्ताणं अत्यि णवत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएनि, अस्थि णवत्ता जे णं पण्णरसमुहुने चंदेणं सदि जोय जोएंनि, अस्थि णक्खन्ना जे णं नीसं०. अस्थि णक्वत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्तेचंदेणं सदि जोयं जोएंति, ता एएसि णं अट्ठावीसाए नस्खताण कयरे नक्खले जे णं नव मुहुने सत्ताचीसं च सत्तविभाए महत्तस्स देणं सद्धि जोएन्नि ? कयरे नक्खता जे ण पण्णरसमुहुने कतरे नक्खत्ता जे णं तीसं मुहुने चंदेण कतरे नक्सत्ता जे णं पणयालीसं मुहुने०१.ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खने जे णं णव मुहुने सत्तावीसं च सत्तहिभागे मुहुत्तस्स चनेण से णं एगे अभीयी. नस्य जे ने णक्खन्ना जे णं पण्णरस मुहुने चंदेण० ते णं छ, तं०- सतभिसया भरणी अहा अम्सेसा सानी जेट्टा. तत्थ जे ते णवत्ता जे णं तीसं मुहुने चंदेण ते पण्णरस, नं०-सवणे धणिट्ठा पुमा भरवना रेवनी अम्सिणी कनिया मग्गसिरं पुम्सो महा पुधा फग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुश्वासादा, तत्थ जे ते णक्वना जे णं पणतालीसं मुहले चंदेण सद्धि जोगं जोएंति ते णं छ. तं० उत्तरा भरपदा रोहिणी पुणश्वम् उत्तरा फाणी पिसाहा उत्तरासाढा।३३। ना एतेसि णं अट्ठावीसाए णवत्ताणं अस्थि णस्खले जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहले सूरेण सदि जोयं जोएति, अस्थि णक्वत्ता जे छ अहोरते एकवीसं च महने सरेण अन्थि णखत्ला जे गं नेरस अहोरने वारस य मुहुने सूरेण अस्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरने तिण्णि य मुहुने०, ता एतेसिं णं अट्ठापीसाए णक्खनाणं कतरे णक्खत्ते जे णं चत्नारि अहोरने उच्च मुहुने मरेण कतरे णक्खने जे णं छ अहोरने एकवीसं मुहुने सूरेणं० कतरे णक्खता जे णं तेरस अहोरते बारस य मुहुत्ते सूरेण कतरे णवत्ता जे णं बीसं अहोरत्ते तिणि य मुहुत्ते सूरेण?.एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तस्य जे से णकखत्ते जे णं चत्तारि अहोरने छच मुहुने सूरेण से णं एगे अभीयी, एवं उच्चारेयश्चाई जाव तत्य जे ते णकखना जे ण वीस अहोरते तिण्णि य मुहुने सूरेण सदि जोयं जोएंनि ते णं छ, सं०- उत्तरा भहवता जाव उत्तरासादा । ३४॥ १०.२॥ता कह ने एवंभागा आहि, ता एनेसि णं अट्ठावीसाए णक्खनाणं अस्थि णक्खत्ता पुर्वभागा समखेता तीसतिमुहुत्ता पं०, अस्थि णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेना तीसमुहुना पं०, अस्थि णक्खना णतंभागा अवइडखेना पण्णरसमुहना | णखत्ताणं कतरे णक्खत्ता पुर्वभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० कतरे णक्वत्ता पठभागा समक्खेत्ता तीसमूहला पं. कतरे । णक्खना णतंभागा अबढखेत्ता पण्णरसमुहत्ता ५० कतरे नक्खत्ता उभयंभागा दिवइढखेत्ता पणतालीसतिमुहत्ता पं०?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खनाणं तस्य जे ते णक्वत्ता पुर्वभागा समसेता नीसतिमुहता पं०ने ण छ, तं-पुडा पोट्टवता कनिया मघा पुधा फग्गुणी मूलो पुवासादा, तत्थ जे ने पवना पच्छंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० ते णं दस, तं-अभिई सवणो धणिट्ठा रेवती अस्सिणी मिगसिरं पुसो हत्थो चिना अणुराधा, नन्थ जे ते णखत्ता ण भागा अबदखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं० ते ण छ, तं०-सयभिसया भरणी अदा अस्सेसा साती जेट्टा, तत्य जे ते णखत्ता उभर्यभागा दिवढखेत्ता पणतालीसंमुहुत्ता पं० ते णं छ, नं- उत्तरा पोट्टवता रोहिणी पुणव्यम् उत्तरा फग्गुणी बिसाहा उत्तरासाढा ।३५॥१०-३।। ता कहं ते जोगम्स आदी आहि०?, ता अभियीसवणा खलु दुवे गक्वत्ता पच्छाभागा समखित्ता सातिरेगऊतालीसतिमहत्ता तप्पडमयाए सार्य चंदेण सर्दि जोयं जोएंति, नतो पच्छा अवरं सातिरेयं दिवसं, एवं खलु अभिईसवणा दुणवत्ता एगराई एगं च सातिरेग दिवसं चंदेण सर्दि जोगं जोएंति त्ता जोयं अणुपरियति त्ता सायं चंद धणिहाणं समप्पंति, ता धणिट्टा खलु णक्खने पच्छंभागे समक्खेने तीसतिमुहले तप्पढमयाए सायं चंदेण सदि जोगं जोएनित्ता जोयत्ता ततो पच्छा राई अवरं च दिवसं.एवं खलु धणिट्ठाणक्खत्ते एर्गच राई एगं च दिवसं चंदेण सदि जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियति ला सायं चंदं . सतमिसयाणं समापेति, ता सयभिसया खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अबढखेने पण्णरसमुहुने तप्पढमताए सायं चंदेण सदि जोय जोएति णो लभति अवरं दिवसं. एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एगं राई चदेण सदि जोयं जोएनि ना जोयं अणुपरियति त्ता ता चंदं पुष्वाणं पोट्टबताणं समप्पेति, ता पुष्वा पोट्टवता खलु नक्सने पुवंभागे समखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढ़मताए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवसराई, एवं खलु पुत्वा पोट्टयता णक्खने पुर्वभागे समखिने तीसमुहुने एगं च दिवस एग व राई चंदेणं सदि जोयं जोएति ता जोर्य अणुपरियति ता पातो चंदं उत्तरापोट्टवताणं समप्पेति, ता उत्तरापोट्टवता खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवढखेते पणतालीसमुहुने नपढमयाए पातो राति ततो पच्छा अवर दिवस,एवं खलु उत्तरापोट्टवताणक्खत्ते एग दिवस एग चराईअवरं च दिवसं चंदेण सदि जोयं जोएतित्ता जोयं अणुपरियति त्तासायं चंद रेवतीणं समप्पेनि.तारेवनी णक्खने पच्छंभागे सम जहा धणिट्टा जाब सागं चंदं अस्सिणीणं समप्पेति, ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छिमभागे तमखेने तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सार्ग चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु अम्सि. णीणखत्त एग चराह एगचदिवस चढण सद्धिजाय जाएति त्ता जोग अणुपरियइत्ता साग चंद भरणीण समापति, ता भरणी खलणक्खत्ते णतंभागे अवड्ढखेले जहा सतभिसया जाब पादो चंद कत्तियाण समप्पेति, एवं जहा सयभिसया तहा नतंभामा नेयमा, एवं जहा पुषभद्दयता सहेब पुर्वभागा छप्पि णेया, जहा धणिट्ठा तहा पाउँभागा अट्टणेयवा जाव एवं खलु उत्तरासाढा दो दिवसे एगं चरातिं चंटेण सदि जोगं जोएनि ना जोगं अणुपरियइति ना सायं चंदं अभितिसमणाणं समप्पेति । ३६॥१०-४॥ ता कहं ते कुला आहि.?, तस्थ खलु इमे चारस कुला वारस उबकुला चत्तारि कुलोषकुला पं०, पारस कुला तं० धणिट्ठाकुलं उत्तराभवता अस्सिणी कनिया मगसिरं पुस्लो० महार उत्तराफाणी चित्ताक पिसाहा० मूलो उत्तरासाढाकुलं, वारस उपकुला तं-सवणा उपकुलं पुषपोट्टवता रेवती भरणी रोहिणी० पुणवसु० अस्सेसा० पुवाफम्गुणी हत्यो साती जेट्टाः पुवा सादा०, चत्तारि कुल्टोबकुला तं- अभीयीकुलोषकुलं सतभिसया० अदा० अणुराधाकुलोचकुलं ।३७॥१०.५॥ ता कहं ते पुण्णिमासिणी आहि ?, तत्व खलु इमाओ वारस पुषिणमासिणीओ बारस अमावासाओ पं०. साविट्ठी मोहवती आसोई कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फगुणी चेत्ती विसाही जेट्ठामूली आसाढी, ता साविडिण्णं पुण्णमासि कति णक्खत्ता जोएंति, ता तिषिण गक्खता जोइंति, तं०. अभिई सवणो धणिडा, ता पुट्टवतीण्णं पुषिणमं चंद्रप्रज्ञप्तिः पादु.१० मुनि दीपरत्नसागर Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कति णरखना जोएति ?, ना तिनि नक्सत्ता जोति, नं: सतभिसया पुरापुट्टपता उत्तरापुढवता, ना आसोदिण्णं कति णक्खता जोएति', ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तारेवती य अस्सिणी य, कनिषण्णं पुषिणमं पुच्छा, ता दोण्णि णसत्ता जोएंतितं. भरणी कनिया य, एएणं अनिलावणं मगसिरिंदोणि २०. रोहिणी मनासिरो य, पोसिण्णं तिन्नितं०- अहा पुणब्यसू पुस्सा, माहिणं दोषिण तं अस्सेसा महा य, फरगुणीपणां दोषिण तं०- पुच्चाफगुणी उत्तराफरगुणी य, चित्तिण्णं दोषियक इस्यो चिना प. ना विसाहिण्णं दोषिण साती बिसाहा य, जेट्टामूटिपणं तिणि अणुराहा जेट्ठा मूलो, आसाढिण्णं दोनि पुवासादा उत्तरासादा।३८ाता साविटिपणं पुण्णमासिणिं किं कुलं जोएति उबकुलं जो कुलोचकुलं जोएनि?.ता फुल पा उपकुलं पा० कुलोचकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे धणिट्ठाणक्सत्ते उपकुलं जोएमाणो सपणे णक्खत्ते कुलोपकुलं जोएमाणे अभिईणखत्ते जोएति, साचिद्धिं पुषिणम कुल वा उबकुलं वा० कुलोस्कुल पा जोएति. फुलेण वा उपकुलेण चा कुलोचकुरेण वा जुत्ता साविडी पुषिणमा जुत्तानि वत्तवं सिया, ता पोवातिपणं पुषिणमं किं कुलं ? तहेव पुण्डा, ता कुलं पा० उपकुलं वा० कुलोक्कुलं वा जोएनि, कुलं जोएमाणे उत्तरा पोहण्या गपखले जोएति उपकुलं जोएमाणे पुवा पुढवता णक्खते जोएति कुलोचकुलं जोएमाणे सतभिसया णक्सत्ते जोएति, ता पोट्टवतिं कुलं वा उपकुलं वा कुलोचकुलं चा जोएति तं व जाब पुवती पुषिणमा जुत्ताति वना सिया, ता आसाई व पुण्णमासिणि कि कुलं पुच्छा, णो लभति कुलोबकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणीणक्सत्ते जोएते उचकुलं जोएमाणे रेक्तीणक्यले जोएनि, आसोई गं पुणिमं च कुलं वा उपकुलं वा जोएति, कुलेण या जुत्ता उरकुलेण वा जुना अस्सोई पुणिमा जुत्तानि पत्ता सिया, एवं एएणं अभिलावणं ताउ पोसं पुष्णिम जेट्ठामूलि पुण्णिमं च कुलोचकुलाई भाणियशाई सेसामु णस्थि कुलोचकुलं, जाव आसाटीपुन्नमासिणी जुनाति बत्ता सिया, दुपारस अमाचासाओ साचट्ठी जाव आसाढी, ता साचिटुिंणं अमावासं कति णसत्ता जोएंति?, दुभि नक्खता जोएंति, नं-- अस्सेसा य महा य, एवं एतेणं अमिल्लाचेणं णेतन, पोट्टवर्ती दोन्निनंपुच्चा कम्गुणी उत्तरा फग्गुणी, अस्सोई दोषि हत्या चित्ता य, कलिई दोषि साती विसाहा य, मग्गसिरं तिनि अणुराधा जेट्ठा मूलो, पोसि दोनि पुग्यासादा उत्तरासादा, माहि तिमि अभीची सरणो धणिवा, फग्गुणी निणि सनभिसया पुच्चापोट्ठवता उत्तरापोवता, चेति तिमि उत्तरा भदवता रेवती अस्सिणी चिसाहिं दोष्णि भरणी कत्तिया य जेट्ठामूलि रोहिणी मगसिरंच, ना आसादि णं अमावास कति णक्खना जोएंति?, ता तिण्णि तं. अदा पुणवम् पुस्सो, ता सापिट्टि गं अमावासं किं कुलं पुच्छा ?, कुलं वा० उपकुलं वा० नो लम्भइ कुलोचकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएति उपकुलं जोएमाणे असिलेसा जोएइ, कुलेण वा जुना उपकुलेण वा जुत्ता साचिट्टी अमावासा जुत्ताति बत्तयं सिया, एवं मम्गसिरीए माहीए फग्गुणीए आसाढीए य अमावासाए कुल्टोवकुलं भाणियब्वं, सेसाणं कुलोचकुलं नस्थि । ३९॥१०-६॥ ता कहं ते सण्णिवाते आहि०?, ता जया णं साविट्टी पुणिमा भवति तता णं माही अमावासा भवति जया णं माही पुषिणमा भवति तता णं साविट्ठी अमावासा भवति, जता णं पुट्टवती पुण्णिमा भवति तता णं फग्गुणी अमावासा भवति जया णं फरगुणी पुषिणमा भवति तता णं पुट्टचनी अमावासा भपति, एवं एएणं अभिलायेणं आसोदए चेत्नीए य कलीए वेसाहीए मगसिराए जेट्ठामूलीए य, जता ण पोसी पुणिमा भवति तता णं आसाढी अमावासा भवति जता णं आसाढी पुण्णिमा भवति तता णं पासी अमाचासा भवति।४।१०.७॥ता कहनस्वनसंठिती आहि...ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीयी गोसीसावलिसंठिते सपणे काहारसंठिते पं० धणिट्ठा सउणिपलीणगसंठिते सयभिसया पुष्फोवयारसं. ठिते. एवं पुवापोवना अपइटवापिसंहिते, एवं उत्तरापि, रेवतीणक्खने णावासंठिने अस्सिणीणक्खते आसक्खंघसंठिते भरणीणक्खत्ते भगसंठिए कत्तियाणक्खने छुरपरसंठिते पं० रोहिणीणक्खने सगढिसंठिते मिगसिराणक्खने मगसीसापरिसंलिले अदाणकखने रुधिरपिंदुसंठिए पुणवसू तुलासंठिए पुप्फे बदमाण अस्सेसा पडागसंठिए महा पागारसंठिते पुवाफम्गुणी अदपलियंकसंठिते, एवं उत्तरापि, हत्थे हत्यसंठिते चित्ता मुहाइसंठिते साती खीलगसंठिन पिसाहा दामणिसनिने अणुराधा एगावलिसंटिने जेहा गयदनसंठिते मुले विच्छयलंगुलसंठिते पुवासादार एनेसि णं अट्ठावीसाए णक्खनाणं अभीइंणक्सने नितारे पं०. सरणे णसते ?. तितारे, धनिट्टा ?, पणतारे, सतभिसया ?, सततारे, पुवा पोट्टवता?, दुतारें, एवं उत्तरावि, रेवती ?, बत्तीसनितारे, अस्सिणी ?, तिनारे, भरणी नितारे कनिया छतारे रोहिणी पंचतारे मिगसिरे तितारे अहा एगनारे पुणवमू पंचतारे पुस्से सितारे अस्सेसा छत्तारे महा सत्ततारे पुव्वा फगुणी दुतारे एवं उत्तरावि हत्ये पंचतारे चित्ता एकनारे साती एकतारे चिसाहा पंचतारे अणुराहा पाउनारे जेट्ठा नितारे मूले एकारतारे पुच्चासादा चउतारे उत्तरासादाणस्वने चउतारे पं०1४२॥१०-९॥ ता कहं ने णेता आहि ?, ता वासाणं पढम मासं कति णवत्ता ऐति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णिति, तं- उत्तरासादा अभिड़े सवणो धणिद्रा, उनरासादा पोरस अहोरने णेति, अभिई सत्त अहोरने णेति, सवणे अह अहोरते णेति, धणिट्ठा एग अहोरत नेइ, तंसिणं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिवति, तस्स णं मासम्स चरिमे दिवसे दो पादाई चनारि य अंगुन्टाणि पोरिसी भवति, ना वासाणं दोचं मासं कति णक्वना नि?, ता चत्तारि णस्वत्ता ति, तं० पणिहासतभिसया पुत्रपुट्ठवता उत्तरपोट्टवया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेर जंबुद्दीव - पानीए नहेब इत्यपि भाणिय जाय तसि च णं मासंसि बढाए समचउस्ससंठिताए णग्योधपरिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए मूरिए अणुपरिवहति, तम्स ण मासस्स चरिमे दिवसे लेहडाई दो पादाई पोरिसी भवति । ४३॥ १-५॥ता कहं ते चंदमग्गा आहि ?, ना एएसिणं अट्टाचीसाए णक्सत्ताणं अस्थि णक्खना जे णं सता चंदस्स दाहिणेणं जो जोएंति, अस्थि णकखना जे णं सता चंदस्स उतरेणं ० अस्थि णक्खना जे ण चंदस्स दाहि. यि उत्तरेणवि पमपि अस्थि णक्खना जे णं चंदम्स दाहिणेणवि पमहंपि० अस्थि णक्सत्ता जे णं चंदस्स सदा पमई, ता एएसिं णं अट्ठावीसाए नक्खनाणं कतरे नक्खना जे णं सना चंदम्स दाहिणेणं जोयं जोएंति?, तहेव जाब कतरे नरवत्ता जेणं सदा चंदस्स पमई, ता एनेसिणं अट्ठावीसाए नकवत्ताणं तत्थ जे णं नकखत्ता सया चंदस्स दाहिणेणं ते णं छ, तं०-संठाणा अदा पुस्सो अस्सेसा हत्थो मूलो, तत्य जे ने णक्खना जे णं सदा चंदस्स २६ चंदपज्ञप्तिः पातुर्ड-२० मुनि दीपरत्नसागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तरेणं जोयं जोएंति ते णं बारस, तं० अमिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुष्यभइवया उत्तरा पोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी पुचा फग्गुणी उत्तरा फरगुणी साती, तस्थ जे ते णवत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमरंपिल ने णं सत्त न० कत्तिया रोहिणी पुणवसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ जे ते नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमहंपि० ताओ णं दो आसाढाओ सबबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोएस्संति वा, तत्थ जे से णकखत्ते जे णं सदा चंदस्स पमदं जोयं जोएति सा णं एगा जेट्ठा ।४४। ता कति ते चंदमंडला पं०?, ता पाणरस चंदमंडला पं०, ता एएसिणं पण्णरसहं चंदमंडलाणं अस्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं अविरहिया अस्थि चंदमंडला जे णं सया णकसत्तेहिं विरहिया अस्थि चंदमंडला जे णं रविससिणवत्ताणं सामण्णा भवंति अस्थि चंदमंडला जेणं सया आदिचेहि विरहिया, ता एतेसिंणं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडला जे णं सना णक्सत्तेहिं अविरहिया जाव कयरे चंदमंडला जे णं सदा आदिचविरहिता ?, ता एतेसि णं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सदा णक्खत्तेहिं अविरहिता ते णं अट्ठ, तं-पढमे चंदमंडले ततिए. छ एकादसे पष्णरसमे चंदमंडले, तत्य जे ते चंदमंडला जेणं सदा णक्खतेहिं विरहिया ते णं सत्त, तं०-बितिएचउत्थे पंचमे० नवमे बारसमे तेरसमे० चउदसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला | जेणं ससिरविनक्सत्ताणं सामण्णा भवंति ते णं चत्तारि, तं०-पढमे० बीए. इक्कारसमे० पनरसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सदा आदिचविरहिता ते णं पंच, तं०-छले सत्तमे अट्ठमे० नवमे० दसमे चंदमंडले ।४।१०-११॥ ता कहं ते देवताणं अज्झयणा आहि?, ता एएसिं णं अट्ठावीसाए नक्खत्नाणं अभिई णकखते किंदेवताए ५०?, भदेवयाए पं०, सपणे विण्हुदेवयाए, एवं जहा जंबुहीवपन्नत्तीए जाव उत्तरासादा विस्सदेवयाए पं०।४६।१०-१२॥ ता कहं ते मुहुत्ताणं नामधेजा आहि०१, ता एगमेगस्स णं अहोरत्तस्स तीस मुहुत्ता पं० २० रोदे सेते मित्ने बायु सुपीए तहेव अभिचंदे। माहिंद बलय भो बहुसचे १० चेव ईसाणे ॥२०॥ तठे य भावियप्पा वेसमणे वारुणे य आणंदे। विजए य बीससेणे पयावई व उवसमे य २० ॥२१॥ गंधव अग्गिवेसे सयरिसहे आयवं च अममे य। अणवं च भोम रिसहे सबठे स्कूखसे चेव ३० ॥२२॥४७॥१०-१३॥ ता कहं ने दिवसा आहि ?, ना एगमेगस्स गं पक्सस्स पन्नरस २ दिवसा पं० तं-पडियादिवसे वितियादिवसे जाय पण्णरसीदिवसे, ता एतेसिं णं पण्णरसण्हं दिवसाणं पन्नरस नामवेज्जा पं० तं०- पुवंगे सिदमणोरमे य तत्तो मणोहरो चेव। जसमद य जसाधर सबकामसमिनिय॥२३॥ इद मुदाभिसित्त य सामणस धणजएयवाद। अस्थसिद्ध अभिजात अबसणे यसतंजए॥२४॥ अग्गिवेसे उनसमे दिवा | एगमेगम्स णं पकखस्स पण्णरस राईओ पं०२०-पडिवा राई जाव पण्णरसी राई, ता एतासि णं पण्णरसण्हं राईणं पण्णरस नामधेना पं० तं-उत्तमा य सुणक्सत्ता, एलावच्चा जसोधरा। सोमणसा चेव नधा, सिरिसंभूता य बोदया ॥२५॥ विजया य विजयंती जयंति अपराजिया य मच्छा य। समाहारा चेव तधा तेया य तहा य अतितेया॥२६॥ देवाणंदा निरती रयणीणं णामधेजाई । ४८।१०-१४॥ ता कहं ते तिही आहि ?, तस्थ खलु इमा दुविहा निहीं पं० नं० दिवसतिही राईतिही य, ता कहं ते दिवसतिही आहि.?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस २ दिवसतिही पं०, तं०- णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी पुणरवि णंदे भहे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरवि णंदे भदे जये नुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी, एवं ते तिगुणा तिहीओ सवेसि दिवसाणं, कहूं ते राईतिधी आहि०?, एगमेगस्स णं पक्खस्स पाणरस रातितिधी पं० २०- उगवती भोगवती जसवती सबट्टसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवनी जसवती सबसिदा मुहणामा पुणरचि उगवती भोगवती जसवती सबसिद्धा सुहणामा, एते तिगुणा तिहीओ सवासिं रातीणं । ४९।१०-१५॥ ता कहं ते गोता आहि?, ता एतेसिं पां अट्ठावीसाए कुखत्ताणं अभीइणवत्ते किंगात १०.नामोग्गडायणसगात्त५०,सवण सखायणसगात्त, घाणट्ठाणक्वत्त अम्गितावसगात्त ५०, सतभिसया गोने पं०, उत्तरपोट्ठवताणक्खत्ते धणंजयसगोत्ते पं०, रेवतीणक्खत्ते?, पुस्सायणसगोत्ते पं०, अस्सिणीनक्खत्ते अस्सादणसगोले पं०, भरणीणक्वते भगवेसायणगोते पं०, कत्तियाणक्खने अग्गिवेससगोत्ते पं०, रोहिणीणक्खने गोतमसगोत्ते पं०, संठाणाणक्खने?, भारदायसगोत्ते पं०, अदाणक्खते?, लोहिचायणसगोत्ते पं०, पुणवमुणक्खते?, बासिट्ठसगोत्ते पं०, पुस्से उमजायणसगोत्ते पं०, अस्सेसा?, मंडरायणसगोत्ते पं०, महा०?, पिंगायणसगोत्ते पं०, पुवा फरगुणी ?, गोवडायणसगोते पं०, उत्तरा फग्गुणी?, कासवगोत्ते पं०, हत्थे०?, कोसियगोत्ते पं०, चित्ता० दभियायणसगोत्ते पं०, साई?, चामरछाभणगोत्ते पं०, विसाहा०?, मुंगायणसगोने पं०, अणुराधा०?, गोलवायणसगोने पं०, जेहा?, तिगिच्छायणसगोले पं०, मूले०?, कचायणसगोत्ते पै०, पुश्वासाढा०१, वजिमयायणसगोत्ते पं०, उत्तरासाढाणक्खत्ते किंगोले पं०१, घग्घावचसगोत्ते पं०।५० ॥१०.१६॥ ता कह ले भोयणा आहि०?, ता एएसिणं अट्ठावीसाए णक्खताणं कत्तियाहिं दधिणा भोचा कर्ज साधिति, रोहिणीहि वसभमसेण भोचा कजं साधेति, संठाणाहि मिगमसेण अदाहिं णवणीतेण भोच्चा पुणञ्चसुणा पतेण पुस्सेणं खीरेण अस्सेसाए दीवगमसेण महाहि कसरि पुशहि फगुणीहि मेढकर्मसेण उत्तराहिं फरमणीहिणकसीमसेणं हत्येणं वत्थाणीपणेणं चित्ताहिं मुग्गसूर्ण (लसाए)र्ण पुवाहि आसाढाहिं आमलगसरीरेणं उत्तराहिं आसादाहिं विलेविं अभीषिणा पुष्फेहिं सवणेणं खीरेणं धणिवाहिं जूसेण सयभिसयाए तुवरीओ पुवाहिं पुढक्याहि कारिडएहिं उत्तराहिं पुटुवताहि वराहमंसेणं रेवतीहिं जलयरमसेण अस्सिणीहि तित्तिरमसेणं बहकर्मसं वा भरणीहिं तिलतंदुलकं भोचा कर्ज साति।५१।१०-१७॥ ता कहं ते चा(वा)रा आहि?, ता तत्व खलु इमा दुविहा चारा पं० सं०-आदिचचारा य चन्दचारा य, ता कहते चंदचारा आहि ?. ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे अभीइणक्खत्ते सत्तसद्विचारे चंदेण सदि जोयं जोएति, सवणे णं णकखत्ते सत्तढेि चारे चंदेण सद्धि जोयं जोएनि, एवं जाव उत्तरासादाणक्खने सत्तविचारे चंदेणं सदि जोयं जोएनि, ता कह ने आइवचारा आहि?, ता पंचसंवड़रिए णं जुगे अभीयीणखत्ते पंचचारे सूरेणं सद्धिं जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासादाणक्खत्ते पंचचारे सरेण सदि जोयं जोएति । ५२।१०.१८॥ ना कह ने मासा आहिता ८२७ चंद्रपज्ञप्तिः, पा5-20 मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 125 एगमेगम्स णं संवटरम्स बारस मासा पं०. नेसि च दुबिहा नामधेजा पं० : लोइया लोउनरिया य. नत्थ लोइया णामा सावणे भरवते आसोए जाच आसादे. नोउनरिया गामा-'अभिणंदे सुपइट्टे य. विजये पीनिवदणे । सेजसे सिवे यावि, सिसिरे य सहेमवं ॥२७॥ नवमे वसंतमासे, दसमे कुमुमसंभवे। एकादसमे णिदाहो, वणचिरोही य बारसे ॥२८॥५३।१०-१२॥ ना कनिणं भने ' संवच्छरा आहिता पंच संवच्छरा आहि नःणक्खनसंवछरे जुग पमाण रक्षण सणिच्छरसंवच्छरे।५४ाना मक्खनसंवच्छरेणं दुवालसबिहे पं० २०-सावणे भदवए जाच आसाढे. जं वा वहम्सनी महम्गहे दुवालसहिं संवच्डरहिं सर्व णक्खनमंडलं. समाणति । ५५॥ ना जुगसंवन्दर णं पंचबिहे पं० २०- चंदे चंदे अभिचढिए बंदे अभिवढिए चेच, ता पढमस्स णं चंदसंबच्छरस्स चउचीसं पचा पं०, दोचस्स णं चंदसंवच्छरम्स चवीस पचा पं०. नमम्स णं अभिवढिनसंबच्छरस्स छत्रीसं पधा पं०, चउत्थम्स णं चंदसंवचरस्स चवीस पचा पं०, पंचमस्स णं अभिपश्यियसंवच्छरस्स छब्बीस पच्या पं०, एवामेच सपञ्चावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउचीसे पब्यसने भवतीनिमक्खानं। ५६। ना पमाणसंवगहरे पंचविहे पं० २०. नरखने चंडे उडू आइचे अभिवढिए।५७। ता लक्षणसंवच्छरे पंचविहे पं० तं-नक्खने चंदे उडू आइचे अभिवढिए, ताणक्खत्ते णं संवच्छरे णं पंचविहे पं० ते 'समगं णकखना जोयं जोएंति १समगं उनू परिणमंति। नचुण्हं ३ नाइसीए ४ पहुउदए५होइ नकखने ॥२९॥ ससि समग पुषिमासिं जोइता विसमचारिनकलत्ता। कडुओ बहुउदवओ य तमाहु संपच्छर चंद ॥३०॥ विसमं पवालिणो परिणमंनि अणुऊम दिति पुष्कफलं । वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं ॥३१॥ पुढविदगाणं च रसं पुष्फफलाणं च देइ आइथे। अप्पेणवि वासेणं संमं निष्फजए सस्सं ॥३२॥ आइबतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति। पूरेनि निण्णयलये नमाहु अभिवइदिनं जाण ॥३३॥ ता सणिच्छरसंवच्छरे णं अट्ठावीसतिविहे पं० तं-अभियी सवणे जाच उत्तरासादा, जं वा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संबच्छरेहिं सर्व णखत्तमंडलं समाणेति ।५८॥ १०.२०॥ ना कहं ते जोतिसस्स दारा आहि ?. नत्थ खल इमाओ पंच पडिवत्तीओ 40, तत्येगे एव०-ता कत्तियादी णं सत्त नक्खत्ता पुब्वदारिया पं० ते णे एव० सं०-कत्तिया जाव असिलेसा, महादीया सन्न दाहिणदारिया पं० नं-महा जाव चिसाहा, अणुराधादीया सन अवरदारिया पं०-अणुराधा जान सवणो, धणिहादीया सत्त उत्तरदारिया पं००-धणिट्ठा जाब भरणी, तत्थ जे ते एव०-ता महादीया सत्त पुरा.पं.ने एवं तं-महा जाब विस्गहा, अणुराधादीया सत्न दाहिण पं.नं०-अणुराधा जाच सरणे, धणिट्ठादीया सत्त अवर०पं०२०-धणिट्ठा जाव भरणी, कत्तियादीया सत्त उत्तर०५० २०. कत्तिया जाच अस्सेसा, तत्थ ण जे ते एच० ता पणिहादीया सत्त पुवदा०पं० एच० नं०-धणिट्ठा जाव भरणी, कनियादीया सन दाहिण पं० २०-कनिया जाव अस्सेसा, महादीया सत्त अचर० पं० तं-महा जाच चिसाहा, अणुराधादीया सत्त उत्तर पं० त०- अणुराधा जाच सवणो, तत्य जे ते एव०-ता अस्सिणीआदीया सन णकखन्ना पुत्र पं० ने एक तं०-अस्सिणी जाव पुणवम्. पुस्सादिया सत्त दाहिण पं०२०- पुस्सो जाब चित्ता, सादीयादीया सत्त अवर० पं००-साती जाव उत्तरासाढा, अभीयीआदिया सत्त उत्तर पं०२०- अभिई जाव रेवती, सत्य जे ने एच० ता भरणि आदीया सन पुर० ५० ते एव० सं०-भरणी जाव पुस्सो, अस्सेसादीया सत्त दाहिण ५०तं. अस्सेसा जाच साई, विसाहादीया सत्त अवर पं० तं०-विसाहा जाव अभिई, सवणादीया सत्त उत्तर०५० सं०-सवणो जाव अम्सिणी एगे एवं०, वयं पुण एवं वदामो-ता अभिईयादिया सत्त पुष ५० त०-अभियी जाव रेवती, अस्सिणीआदीया सत्त दाहिण पं० तं-अस्सिणी जाव पुणवसू, पुम्सादीया सत्त अवर पं० न०-पुम्सो जाय चित्ता, सानिआदीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पं०२० साती जाच उत्तरासादा। ५९॥१०-२१॥ ता कहं ते णकखत्तविजये आहि?, ता अयण्णं जंबुडीवे जाव परिकलेंवेणं,ता जंयुट्टीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासंति वा पभासिम्संनि वा दो सूरिया तबिसु वा तवेति वा तचिस्संति वा छप्पणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा तंभ-दो अभीयी दो सवणा जाव दो उत्तराओ आसादाओ, ना एएसि णं छप्पण्णाए नकखनाणं अस्थि णकखना जे ण णव मुहने सनाबीसं च सत्तट्टिभागे मुटुत्तस्स चंदेणं सद्धि जोयं जोएंति, पणरसमुहुत्ते तीसमुहुते. पणयालीसंजोयं जोएंति, ता एतेसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कतरे पक्वते जे णं णव मुहुने सत्तावीसं च सत्नसहिभागे मुहुनस्स चंदेण जाव कतरे णकसत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सर्दि जोयं जोएंति?, ता एतेसि णं छप्पण्णाए णकखत्ताणं तत्य जे ते णकसत्ता जे णं णव मुहुने सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुनस्स चंदेण ने णं दो अभीयी. नत्थ जे ने णकखना जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण० ते गं बारस, तं०-दो सतभिसया दो भरणी दो अदा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्टा, तत्थ जे णं. तीसं मुहुने चंदेण. ते णं तीसं, तं०-दो सपणा दो धणिट्ठा दो पुत्रभरवना दो रेपनी दो अस्सिणी दो कत्तिया दो संठाणा दो पुस्सा दो महा दो पुश्वाफम्गुणी दो हत्या दो चित्ता दो अणुराधा दो मूला दो पुवासादा, तत्थ जे ते णकसत्ता जे णं पणतालीस मुहुत्ते. तेणं चारस, नं०-दो उत्तरापोट्ठबना दो रोहिणी दो पुणवसू दो उत्तराफग्गुणी दो चिसाहा दो उत्तरासाढा, ता एएसिणं छप्पण्णाए णक्खताणं अस्थि णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरने छच्च मुहुने मूरिएण सद्धिं जोयं जोएंनि, अस्थि णक्खना जे णं छ अहोरने एकवीसं च मुहुने सूरेण अन्धि णक्खता जे णं तेरस अहोरले बारस य मुहुत्ते सूरेण , अस्थि णक्वत्ता जे णं वीस अहोरले तिमि य मुहुने सूरेण०, एएसिं णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कवरे णक्वत्ता जे णं न चेव उचारेयवं, ता एनेसि णं छप्पण्णाए णक्खनाणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चत्तारि अहोरते छञ्च मुहुने सूरेणं ते णं दो अभीयी, तहेव जाव तत्थ जे ते णवत्ता जेणं वीसं अहोरने तिषिण य मुहुने सूरेण जोयं जोएंनि ते णं चारस नं०-दो उत्तरापोट्टयता जाप दो उत्तरासाढाओ ।६० ता कहं ते सीमाविक्संभ आहि?, ता एतेसि णं छप्पण्णाए णक्खताणं अस्थि णकखत्ता जेसि र्ण छ सया तीसा सत्तविभागतीसतिभागाणं सीमा भागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दमुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्संभो, अस्थि णक्खत्ता जेसि णं लिन्नि सहरसा पंचढसुत्तरं सनविभागलीसनीभागाणं सीमाविक्संभो, ना एनेसि णं टुप्पपाए णवत्ताणं कतरे णक्खत्ता जेसिं छ सया तीसा तं चेष उचारेत जाव तिसहस्सं पंचदमुत्तरं सत्तसहिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो?, ना एतेसिणं उप्पण्णाए णक्खनाणं नत्य जे ने णक्खना जेसिंर्ण छ सना नीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्संभो ते णं दो अभीयी, तस्य जे ते णक्खत्ता जेसि गं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविश्वंभो ते णं चारस, नं- दो सतभिसया जाच दो जेट्ठा. नन्थ जे ने णक्खना (२०७) ८२८ चंद्रपज्ञप्तिः पातु-१० मुनि दीपरनसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17 जेसिंणं दो सहस्सा दसत्तरा सत्तटिठभागतीसतिभागाणं सीमाविखंभो ते गं तीसं, तं०-दो सपणा जाव दो पचाओ आसाढाओ. तस्थ जे ते णवत्ता जेसिणं तिणि सहस्सा पण्णरसत्तरा सत्तटिठभागतीसतिभागाणं सीमावि संभो ते णं चारस, त०. दो उत्तरापोडवता जाव उत्तरासाढा । ६१ । एतेसिं र्ण उप्पण्णाए णक्खत्ताणं किं सता पादो चंदेण सद्धिं जोर्य जोएंति', किं सया सायं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति?, एतेसि णं छप्पण्णाए णक्वत्ताणं किं सया दुहा परिसिय २ चंदणं०१, ता एएसि णं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं न किंपि तं जं सया पादो चंदेण० नो सया सागं चंदेण. नो सया दुहाओ परिसित्ता २ चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, णण्णस्थ दोहिं अभीयीहि, ता एते गं दो अभीयी पायंचिय २ चोत्तालीसमं अमावासं जोएंति, णो चेव णं पुण्णमासिणिं । ६२। तत्थ खलु इमाओ वावडिं पुण्णमासिणीओ बावडिं अमावासाओ पं०,ता एएसिणं पंचण्ह संवच्छराणं पढम पुण्णमासिणि चंदे कसि देसंसि०? ता जंसि णं देससि चंदे चरिमं वावडिं पुण्णमासिणिं जोएति ताए पुण्णमासिणिहाणातो मंडलं चउदीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवातिणावित्ता एत्थ णं से चंदे पढमं पुण्णमासिणि जोएति, ता एएसिंण पंचण्हं संवच्छरार्ण दोचं पुण्णमासिणिं चंदे कसि देसंसि जोएति ?, ता जंसिणं देससि चंदे पढमं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउचीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एस्थ णं से चंदे दोचं पुण्णमासिणि जोएति, ना एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तचं पुण पुच्छा, ता जंसि-णं देसंसि चंदे दोचं पुण्णमासिणिं जोएति ताए पुण्णमासिणीठाणातो मंडलं चउचीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उचाइणावेत्ता एत्य णं तचं चंदे पुण्णमासिणि जोएति, ता एतेसि पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति?, वा जंसि ण देसंसि चंदे तचं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिहाणाते मंडलं चउशीसेणं सतेणं छेत्ता दोणि अट्ठासीते भागसते उवायिणावेत्ता एत्य णं से चंदे दुवालसमं पुण्णमासिणिं जोएति, एवं खलु एतेणुवाएर्ण ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउनीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसभागे उवातिणावेत्ता तसि २ देसंसि तं तं पुण्णमासिणि चंदे जोएति, ता एनेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं वावढेि पुण्णमासिणि चंदे कसि देसंसि जोएति?, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चरबीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणिइंसि चउम्भागमंडलंसि सत्तावीस भागे उवायणावेत्ता अट्ठाचीसतिभागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवातिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कल्यहिं पचत्थिमिडं चउम्भागमंडलं असंपत्ते एत्थर्ण चंदे चरिमं चावट्ठि पुष्णमासिणि जोएति । ६३। ता एएसि णं पंचव्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएति?, ता जंसि णं देसंसि मूरे परिमं वावडिं पुण्णमासिणि जोएति ताते पुण्णमासिणिवाणातो मंडलं चउदीसेणं सतेणं छेत्ता चउणवति भागे उवातिणावेत्ता एत्य णं से सूरिए पदम पुण्णमासिणि जोएइ, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं दोचं पुण पुच्छा, ताजंसिणं देसंसि सूरे पढमं पुण्णमासिणिं जोएइ ताए पुण्णमासिणीठाणाओ मंडलं चउवीसेणं सएण छेत्ता चउणवहभागे उबाइणायित्ता एत्य ण से सरे दोचं पण्णमासिणि जोएड, एवं तपि नवरं दोचाओ एत्य णं से सरे तचं पुण्णमासिणि जोएति, ता एतेर्सि णं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसं पुण्णमासिणि पुच्छा, जंसि णं देसंसि ता सिणिट्ठाणाते अदछत्ताले भागसते उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे दुवालसमं पुण्णमासिणिं जोएति, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं पउवीसेणं सतेण छेत्ता चउणउति २ भागे उवातिणावेत्ता तसि २णं देससि त नं पुण्णमासिणिं मूरे जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिम चावडिं पुच्छा, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउनीसेणं सएणं छेत्ता पुरच्छिमिछसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवातिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा हेना अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणितं पउभागमंडलं असंपत्ते एत्य णं सूरे चरिम चावठि पुण्णिम जोएति । ६४। ता एएसिं गं पंचण्हं संवच्छराणं पढम अमावासं चंदे कसि देसंसि जोएनि?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं चावढि अमावासं जोएति ताते अमावासट्टाणाते मंडलं चउडीसेणं सतेणं उत्ता दुबत्तीस भागे उवादिणावेत्ता एत्य णं से चंदे पढमं अमावास जोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं चंदस्स पुण्णमासिणीओ भणियाओ तेणेच अभिलावणं अमावासाओ भणितशाओ विइया ततिया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुचाएणं ताते २ अमावासट्ठाणाते मंडलं घडग्रीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं २ भागे उवादिणावेत्ता तैसि २ देसंसि तं तं अमावासं चंदेण जोएति, ता एतेसिं गं पंचण्डं संवच्छराणं चरमं बावदिठ अमावासं पुच्छा ?, वा जैसि गं देसंसि चंदे चरिमं चावदिंठ पुण्णमासिणि जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउशीसेणं सतेणं छेत्ता सोलसभागं ओसकाना एत्य णं से चंदे चरिमं वाचट्ठि अमावासं जोएति। ६५। ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढम अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएति?, ता जसिणं देससि सूरे परिमं वाचट्ठि अमावासं जोएति ताते अमावासठाणाते मंडलं चउनीसेणं सतेणं छेत्ता पउणउतिभागे उवायिणावेत्ता एत्य णं से सूरे पदम अमावासं जोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुण्णमासिणीओ तेणेव अमावासा. ओवि, त-विदिया तइया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ अमाचासटाणाते मंडलं चउत्रीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउति २ भागे उपायिणावेत्ता तसि २ देसंसि तं तं अमावासं सूरिए जोएति, ता एतेसिं गं पंचव्हं २ संवच्छराणं चरिमं चावढेि अमावासं पुच्छा, ता जसिणं देसंसि सूरे चरिमं वावडिं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिहाणाते मंडलं चउनीसेणं सतेणं छेत्ता सत्तालीसं भागे उसकाचहत्ता एत्य णं से सूरे परिमं वात्रटुिं अमावास जोएति। ६६ । ता एएसि णं पंचण्हं संपच्छराणं पढम पुण्णमासिणि चंदे केणं णवत्तेणं जोएति ?,ता धणिहाहिं, पणिहाणं तिणि मुहुत्ता एकूणवीसं च पावविभागा मुहुत्तस्स पावविभागं च सत्तद्विधा छेत्ता पण्णवी चुणिया भागा सेसा, समयं च णं सरिए केणं णकखत्तेणं जोएति, ता पुधाफम्गुणीहि, ता पुराफरगुणीणं अट्ठावीसं मुहुत्ता अद्रुतीसं च पावद्विभागा मुहुत्तस्स वाचट्ठिभागं च सत्तद्विधा उत्ता दुबत्तीसं चुणिया भागा सेसा, ता एएसि ण पंचण्हं संबच्छराणं दोचं पुण्णमासिणि चंदे केणं णवत्तेणं जोएति?, ता उत्तराहिं पोट्ठवताहिं, उत्तराणं पोट्ठबताणं सत्तावीसं मुहुत्ता घोडस य चावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावदिठभागं च सत्तदिठधा छेत्ता बावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णकसत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहि, उत्तराफग्गुणीणं सत्त मुहुत्ता तेत्तीसं च बावदिठभागा मुहत्तस्स बावदिठभागं च सत्तद्विधा छेत्ता एकत्तीसं युणिया मागा सेसा, ता एतेसिं गं ८२९ चंद्रपज्ञप्तिः पाबु-१० मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचण्हं संवच्छराणं तचं पुण्णमासिणी चंदे केणं णक्वत्तेणं जोएति?, ता अस्सिणीहि, अस्सिणीणं एकवीसं मुहत्ता णव य भावविभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तदिव्या छेत्ता तेवढी चुणिया भागा सेसा, समयं च णं सूरे केण णक्खनेणं जोएति?, ता चित्ताहि, चित्ताणं एको मुहुत्तो अट्ठावीसं च चावट्ठिभागा मुहुत्तस्स चावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता तीसं चुणिया भागा सेसा, ता एनेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दुबालसमं पुण्णमासिणि पुच्छा. ता उत्तराहि आसाढाहि, उत्तराणं च आसाढाणं उग्रीसं महत्ता छत्रीसं च बावहिभागा महत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्टिधा छत्ता चप्पण्णं, समयं च सूरे केणं पुच्छा. ना पुणवमुणा. पुणत्रमुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ट य पाचट्ट. भागा मुहुनस्स चावविभागं च सत्तद्विधा छेत्ता पीसं चुणिया भागा सेसा, ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावदिंठ पुण्णमासिणिं चंदे केणं णकखनेणं जोएनि?. ना उत्तराहिं साढाहि. उत्तराणं आसादाणं चरमसमए, समयं च णं मूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स एकूणवीस मुहुत्ता तेतालीसं च चावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावदिठभागं च सनठिया छेना तेत्तीसं चुणिया भागा सेसा । ६ एनेसि णं पंचव्ह संवच्छराणं पढर्म अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता अस्सेसाहि, अस्सेसाणं एको मुहुत्तो पत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावदिठभागं च सत्तठिया रेला छावट्ठी चुणिया भागासेसा: समयं चणं सूरे के णक्वत्तेणं जोएति ?,ता अम्सेसाहिं चेच, अस्सेसाणं एको मुहत्तो पत्तालीसं च चावठिभागा मुहुत्तस्स चावदिठभागं च सत्तठिया छेत्ता छावट्ठी चुणिया भागा सेसा, ता एएसि.पंचहं दोचं अमावासं चंदे पुच्छा, उत्तराहिं फम्गुणीहि, उत्तराणं फरगुजीणं चत्नालीसं मुहुना पणतीसं पावदिठभागा मुहुत्तस्स चावदिठभागं च सत्तठिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुणिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं पुच्छा, ना उत्तराहिं पेव फरगुणीहि, उत्तराण फग्गुणीणं तं वेव जाव पण्णवी चुणिया भागा सेसा, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं तचं अमावासं चंदे पुच्छा, ता हत्येणं, हत्थस्स चत्तारि मुहुत्ता तीसं च चावट्ठिभागा मुहुत्तस्स चावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता चाचट्ठी चुणिया भागा सेसा, समयं च णं एसि णं पंचण्हें संबच्छराणं दुवालसमं अमावासं चंदे कर्ण पुच्छा, ता अदाहिं, अदाणं चत्तारि मुहुत्ता इस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सनट्ठिधा छेत्ता चउपणं चुणिया भागा सेसा, समयं च णं सूरे केणं पुच्छा, ता अदाहिं चेव, जं चेव चंदस्स, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं चावहि अमावासं चंदे केणं पुच्छा ?. पुणपसुणा, पुणशमुस्स चाचीसं मुहुत्ता छायालीसं च वासहि. भागा मुहुनम्स सेसा, समयं च णं सूरे केणं पुच्छा ?, ता पुणवमुणा चेव, पुणवसुस्स णं जहा चंदस्स । ६८ाता जेणं अज्ज णखत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से र्ण इमाणि अट्ठ एकूणवीसाणि मुहुत्तसताई चउचीसं व चावहिभागे मुहुनस्स चावट्टिभागं च सत्तट्टिधा छेना चावठि चुणियामागे उचायिणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं चेव णखत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज णक्खनेणं चंदे जोयं जोएति जसि देसंसि से णं इमाई सोलसअठतीस मुहुत्तसताई अउणापण्णं च चाबहिभागे मुहत्तस्स पावविभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुणियामागे उबायिणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे नेणं चेत्र णक्खनेणं जोयं जोएति अण्णसि देससि, ता जेणं अन्न णक्खनेणं चंदे जोयं जोएति जैसि देसंसि से णं इमाइं च उप्पण्णमुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसताई उवादिणावित्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं नारिसएणं नकवनेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएनि जसि २ देसंसि से ण इमं एग महत्तसयसहसं अट्टाणउतिं च महत्तसताई उचायिणावित्ता पूणरवि से चंदे तेण चेव णकखनेणं जोर्य से णं इमाई निणि छाबट्टाई राइंदियसलाई उवादिणावेना पुणरवि से मूरिए अण्णेणं नारिसएणं चेव नक्वत्तेण जोयं जोएति तंसि नेसंसि, ता जेणं अज नक्खनेणं सूरे जोयं जोएनि नसि देसंसि से णं इमाई सत्तदुतीस राइदियस-16 ताई उवाइणावेना पुणरवि से सूरे नेणं चेव नक्खनेणं जोयं जोएनि नैसि देसंसि, ना जेणं अज णवत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई अट्ठारस पीसाई राईदियसलाई उपादिणावेना पुणरवि से मूरे अण्णेणं नारिसएणं | चेव णक्खनेणं जोयं जोएनि तसि देसंसि, ता जेणं अज णक्खनेणं सूरे जोयं जोएनि जंसि देसंसि से णं इमाई छत्तीसं सट्टाई राईदियसयाई उवाइणाविना पुणरवि से सूरे नेणं चेव णक्खनेणं जोयं जोएनि नंसि देसंसि । ६९। ता जया णं इमे चंदे गनिसमावष्णए भवति नना णं इतरेवि चंदे गतिसमावण्णए भवति जना णं इतरे चंदे गतिसमावण्णए भवति तता णं इमेचि चंदे गनिसमावण्णए भवनि, ना जया णं इमे चंदे जुने जोगेणं भवनि नता णं इतरेवि चंद जया णं इयरे चंदे नता णं इमेवि चंदे०, एवं मूरेवि गहेवि णक्खनेवि, सताबि णं चंदा जुना जोएहिं सताविणं मूरा जुत्ता जोगेहिं सयाविणं गहा जुना जोगेहिं सयाविणं नक्खना जुना जोगेहिं दुहनोविणं चंदा जुत्ता जोगेहिं दुहनोवि णं मूरा दुहनोवि णं गहा दुहनोविणं णखत्ता. मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीए सतेहिं छेत्ता, इस णक्खत्तखेनपरिभागे णक्वत्तविजए नाम पाहुडेनि आहिनेनि बेमि । ७॥१०-२२ दसमं पाहडं। ना कह ने संवच्छराणादी आहिनन्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पं. नं-चंदे चंदे अभिवड्ढिते चंदे अभिवहिडने, ता एनेसिं णं पंचहं संबच्छराणं पढमस्स चंदस्स संबच्छरस्स के आदी आहिना जे णं पंचमस्स अभिष. ढितसंवच्छरम्स फजवसाणे से गं पढमम्स चंदम्स संवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समए, ना से णं किंपजवसिते आहि?, ना जे णं दोश्चस्स चंदसंबच्छरम्स आदी से णं पढमम्स चंदसंबच्छरम्स पजवसाणे अर्णतरपच्छाकडे समये. समयं च णं चंदे केण णक्खनेणं जोएति?, ना उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छत्रीस मुहुना उन्नीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावहिभागं च सत्तद्विधा छित्ता चउप्पण्णं चुणिया भागा सेसा. नंसमयं च ण मूरे केणं णवत्तेणं जोएनि?. ता पुणधरणा. पुणवमुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ट य वाचट्ठिभागा मुहतम्स वावट्टिभागं च सत्तहिहा छेत्ता वीसं चूर्णिणया भागा सेसा, ता एएसिं थे पंचण्डं संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंबच्छरम्स के आदी आहि०?, ना जे णं पढमस्स चंदसंबन्चरस्स पज्जवसाणे से णं दोश्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स आदी अर्णनरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपज्जवसिते आहि, ताजेणं तबस्स अभिवड्डियर्सवच्छरस्स आदी से णं दोबस्स चंदसंबच्छरम्स पजवसाणे अर्णतरपच्छाकडे समये. नंसमयं च णं चंदे केर्ण णक्वतेणं जोएति?, ता पुष्वाहिं आसाढाहि, पुषाणं आसाढाणं सत्त मुहुत्ता तेवणं च वाचहिमागा मुहत्तस्स पावहिमागं च सत्तहिया छेत्ता इगतालीस चुणिया भागा सेसा, ८३० चंदमज्ञप्तिः ड-११ मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ समयं च णं मूरे केर्ण णक्खनेणं जोएति, ता पुणश्सुणा, पुणइसुस्स णं पायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च पावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्टिया छेना सत्त चुण्णिया भागा सेसा, ता एसिं णं पंचहं संवराणं तबस्स अभिवच्छरम्स के आदी आहि०१, ता जे णं दोबस्स चंदसंत्रच्छरस्स पजवसाणे से णं तच्चरस अभिषतिसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरकखडे समए. ना से णं किंपजवसिने आहि? ता जेणं च उत्थम्स चंदसंबरस्स आदी से णं तस्स अभिवादितसंच्छरस्स पजवसाणे अर्णतरपच्छाकडे समए, तंसमयं चणं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ? ता उत्तराहि आसाढाहिं. उत्तराणं आसादाणं तेरस मुहुत्ता नेरस य बावट्टिभागा मुहुलम्स पाव ट्टिभागं च समट्टिया छेत्ता सत्तावीसं चुष्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केर्ण णक्खतेर्ण जोएति ? ता पुणश्वसुणा. पुणवसुस्स दो मुहुत्ता उप्पण्णं वात्रट्टिभागा मुहुस्स बावट्टिभागं च सत्तट्टिया लेना सट्टी चुष्णिया भागा सेसा, ता एएसि णं पंचन्हं संवच्छराणं चउत्यस्स चंदसंत्रच्छरस्स के आदी आहि०१, ना जे णं तबस्स अभिवादितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं चउत्थम्स चंदसंवच्छरम्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये ना से णं किंपजवसिते आहि ०१, ना जेणं चरिमस्स अभिवादयसंत्रच्छरस्स आदी से णं चउत्यस्स चंदसंवछरस्स पज्जवसाणे अनंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं चणं चंदे केणं णक्स नेणं जोएति ?, ना उत्तराहि आसादाहि उत्तराणं आसाढाणं चत्तालीसं मुहुना चनादीसं च चावट्टिभागा मुहुत्तस्स चाचट्टिभागं च सत्तद्विधा ऐसा चउदस चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं मूरे केणं णक्खनेणं जोएनि ?. ना पुणावगुणा. पुणवमुस्स अउणनीस मुहुत्ता एकवीस पावट्टिभागा मुनम्स बावट्टिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता सीतालीस पुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिं णं पंचन्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवतिसंवच्छरम्स के आदी आहि:, ता जे णं चउत्थस्स चंदसं वच्छरम्स पजवसाणे से णं पंचमस्स अभिवदितसंच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपजवसिते आहि०१, ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं पंचमस्स अभिवादनसंवच्छरम्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, समयं च णं चंदे केणं णक्खणं जोएनि? ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसमढाणं चरमसमए, तंसमयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ? ना पुस्सेणं, पुस्सस्स णं एकवीस मुहुत्ता नेनालीसं च चावट्टिभागा मुदुत्तम्स बावट्टिभागं सनडिया देता तेनीसं चुण्णिया भागा सेसा ७१ ॥ एकारसमं पाहुडं ११ ॥ ता कति णं संच्छरा आहि०१, तत्थ खलु इमे पंच व पं० नं० णक्खते चंदे उडू आदि अभिवनेि ना एतेसि णं पंचन्हं संवच्छरणं पढमस्स नक्खनं. वच्छरस्स णक्खत्तमासे तीसतिमुहुत्तेणं २ अहोरतेणं गणिज्जमाने के लिए राइदियग्गेणं आहि०१, ता सत्तावीसं राइंद्रियाई एकत्रीसं च सत्तट्टिभागा राईदियम्स राइदियग्गेणं आहि०. ना से णं केवलिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ? ता अट्टलए एकूणवीसे मुहत्ताणं सत्तावीसं च सत्तदिठभागे मुहुत्तस्स मुत्तग्गेणं आहि, ता एएसिं णं अद्धा दुबालसक्खुत्तकडा णक्खते संचच्छरे, ता से णं केवलिए राइंद्रियग्मेणं आहि० १. ता तिष्णि सनावीसे राईदियसने एकावनं च सतट्टिभागे राइदियस्स राइदियग्गेणं आहि०. ता से णं केलतिए मुहत्तमोणं आहि०?, ता णव मुहुत्तसहस्सा अट्ट य बत्तीसे मुहुत्तसए छप्पन्नं च सतद्विभागे मुहत्तस्स मुद्दत्तम्गेणं आहि ता एएसि णं पंच संघच्छराणंदोबस्त चंदसंयच्छरस्स चंद्रे मासे तीसतिमुहुत्तेणं २ अहोरतेणं गणिमाणे केवतिए राइदियग्गेणं आहि० ?, ता एगूणतीसं राईदियाई बत्तीसं बावट्टिभागा राइदियस्स राइदियग्गेणं आहिनेति वदेजा, ता से णं केवलिए मुहुत्तग्गेणं आहि० १ ता अट्टपंचासीते मुहुत्तसए तीसंच बावद्विभागे मुहुत्तग्गेणं आहि ता एस णं अदा दुवालसमुत्तकडा चंदे संबच्चछरे, ता से णं केवतिए राइदियग्गेणं आहि०१ ना निनि चउप्पने राइदियसने दुवास य बावट्टिभागा राईदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवलिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता दस मुहुत्तसहस्साई छच पणुवी से मुहुत्तसए पण्णासं च वावट्टिभागे मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छरणं तबस्स उडुसंयच्छरस्स उडुमासे तीसतिसमुद्त्तेणं गणिजमाणे केवतिए राइदियग्गेणं आहि ०१ ता तीसं राइंदियाणं राईदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवलिए मुहुत्तग्गेणं पुच्छा, ता णत्र मुहुत्तसताई मुहुत्तग्गेणं आहि ना एस णं अदा दुबालसमुत्तकडा उडुसंव छरे, ता से णं केलिए राइदियग्गेणं आहि० १. ता तिष्णि सट्टे राईदियसते राइदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवलिए मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता दस मुदुत्तसहस्साई अ य सयाई मुहुत्तग्गेणं आहि ता एएसिं णं पंचमहं संच्छराणं चउत्थस्स आदि संच्छरस्स आइचे मासे तीसतिमुडुत्तेणं अहोरतेणं गणिजमाणे केवइए राईदियग्गेण आहि ०१ ता तीस राईदियाई अवद्धभागं च राईदियस्स राइदिययोणं, ना से णं केवनिए मुहुत्तयोणं पुच्छा, ता णत्र पण्णरस मुहत्तसएं मुदुत्तमोणं आहि० ता एस णं अद्धा दुबालसखुत्तकडा आदिचे संयच्छरे, ता से णं केवतिए राईदियः पुच्छा, ता निनि छावडे राईदियसए राइदिम्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुद्दत्तग्गेणं पुच्छा ना दस मुहुतसहस्साइं णव असते मुद्दत्तसते सुहुत्तः, ता एएसि णं पंचहं संबच्छराणं पंचमस्स अभिवदियसंवच्छरस्स अभिवढिने मासे तीसतिमुहतेणं अहोरतेणं गणिजमाणे केवलिए राइदियग्गेणं पुच्छा, ता एकतीसं राईदियाई एगुणतीसंच मुद्दत्ता सत्तरस य बावट्टिभागे मुहुत्तस्स राईदियग्गेणं आहि० ता से णं केवलिए मुहुत्त पुच्छा, ता जब एगूणसट्टे मुहुत्तसते सत्तरस य बाबट्टिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहि ना एस णं अद्धा दुबालसखुनकडा अभिव हितसंबच्छ, ता से णं केवतिए राइदियग्गेणं पुच्छा, तिष्णि तेसीते राईदियसते एकवीस च महत्ता अट्ठारस चावट्टिभागा मुत्तस्स राईदियग्गेणं आहि०, ना से णं केवलिए मुहत्तग्गेण पुच्छा, ता एकारस मुहुतसहस्साई पंच य एकारस मुदुत्तसते अट्ठारस बावट्टिभागा मुहुत्तस्स मुत्तग्गेणं आहि० । ७२ ता केवलियं ते नोजुगे राइदियग्गेणं आहि ०१, ता सत्तरस एकाणउते राइदियसते एगुणवीसं च सनावण्णे बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सनद्विधा छेत्ता पणपण्णं ण्णिया भागा राइदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता तेपण्णं मुदुत्तसहस्साइं सत्तय अउणापत्रे मुद्दत्तसते सत्तावण्णं बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तदिधा उत्ता पणपण्णं चुणिया भागा मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता केवलिए णं ते जुगप्पत्ते राईदियग्गेणं आहि०१, ता अट्ठतीसं राईदियाई दस य मुहुत्ता चत्तारि य बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तद्विधा छत्ता दुवालस पुष्णिया भागा राइदिय ग्गेणं आहि०, ता से णं केलिए मुडुत्तग्गेणं आहि ०१, ता एकारस पण्णासे मुहुत्तसए चत्तारि य बावट्टिभागा बावट्टिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुबालस पुष्णिया भागा मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता केवतियं जुगे राइदियम्गेणं आहि०?, ८३१ चंद्रपज्ञप्तिः, लुड़े - ११ ०. मुनि दीपरत्नसागर 熱が発せるゆる Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "+ 4 ता अट्ठारसती से राइदियसने राइदियग्गेणं आहि ता से णं केवलिए मुद्दत्तग्गेणं आहि ०? ना चउप्पणं मुहुत्तसहस्साई णत्रय मुहुत्तसनाई मुदुनग्गेणं आहि ना से णं केलिए त्राट्ठिभागमुदुनग्गेणं आहि ता चउनीसं सतसहस्साई अतीसं च चावदिभागमुहनसने मुहुत्तग्गेण आहि । ७३ । ना कता णं एते आदियचंदसवच्छरा समादीया समपजवसिया आहि ०१ ता सहि एए आदिचा मासा बावडी एने चंदा मासा एस णं अदा उखुत्तकडा दुबालसभयिता तीसं एते आदिवसवच्छरा एकतीसं एने चंदसंबच्छरा तता णं एते आदिवदवच्रा समादीया समपज्जबसिया आहि ताकना णं एते आदिम उडुचं दणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपजबसिया आहि ?. ना सट्टी एने आदिचा मासा एगट्टी एते उडू मासा बावट्टी एने चंदमासा सनट्टी एने नक्खता मासा एस णं अद्धा दुवालसमुत्तकडा दुवालसमयिता सट्टी एने आदिवा संगच्छरा एगट्टी एने उडुवच्छ बावड़ी एने चंदा संव सनही एते नक्खता संवच्छरा तताणं एते आदिग्वडुदणक्खना संवछरा समादीया समपज्जवसिया आहि ता कता णं एते अभिवडिआदिच्च उडुचंद्णक्खता संचच्छरा समादिया समपज्जवसिता आहि: ? ना सतावण्णं मासा सत्त य अहोरता एकारस य मुहुत्ता तेवीसं बावट्टिभागा मुहुत्तस्स एते णं अभिवादिता मासा सट्टी एते आदिच्या मासा एगट्टी एने उडू मासा चावट्ठी एते चंदा मासा सत्तट्ठी एते नकुखना मासा एस णं अद्धा उप्पण्णसत्तत्तकडा दुबालसभयिता सत्त सना चोत्तान् एते णं अभिवद्धिना संबच्छरा सन्त सता असीता एते णं आदिचा संवच्छरा सत्त सता तेणउता एते णं उडू बच्छरा अट्ट सता उत्तरा एने चंदा संरा. एक्सनरी अड्ड सया एए णं नक्खत्ता संगच्छरा तता णं एते अभिवद्धित आदिच उडुचंदनक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपजबसिया आहि, ता णयताए णं चंदे संच्छरे तिष्णि चउप्पण्णे राइदियसने दुवास य बावट्टिभागे राइदियम्स आहि०, ता अहानचेणं चंदे संच्छरे तिणि चप्पण्णे राईदियसते पंच य मुहते पण्णासं च पावट्टिभागे मुहुत्तस्स आहि । ७४ । तत्थ खलु इमे छ उडू पं० [सं० पाउसे परिसारने सरने हेमंते बसने गिम्हे. ना सवेवि णं एने चंदउ दुबे २ मासानि चउप्पण्णेणं २ आदाणेण गणिज्यमाणा सातिरेगाई एगुणसट्टी २ राईदियाई राईदियोर्ण आहि तत्थ खलु इमे छ ओमरता पं० तं ततिए पत्रे सत्तमे एकारसमे पद्मरसमे एगूणवीसनिमे तेवीसनिमे पत्रे, नन्ध खलु इमे उ जनिरत्ता पं० ० चडत्ये पत्रे अट्टमे वारसमे सोलसमे वीसतिमे चउवीसतिमे पत्रे छचेव य अइरता आइबाओ हवंति जाणाइ छबेव ओमरत्ता चंदाउ हवंति माणाहिं ॥ ३४ ॥ ७५ ॥ नत्थ खलु इमाओ पंच वासिकीओ पंच हेमंतीओ आउट्टीओ पं० ता एएसि णं पंचन्हं संबच्छराणं पढमं वासिक आउहिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति ? ता अभीयिणा, अभीयिस्स पढमसमएणं, तंसमयं च णं मूरे केणं णकखतेणं जोएनि ?, ना पूसेणं. सस्स एगुणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावदिट्ठभागं च सत्तद्विधा छत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिं पंचन्हं संबच्छराणं दोघं वासिकि आउट्टि चंदे केणं० १, ना संठाणाहिं, संठाणाणं एकारस मुहत्ता ऊतालीस च बावट्टिभागा मुहत्तस्स वावट्टिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तेपण्णं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं सरेकेणं पुच्छा, ता पूसेणं, पूसस्स णं तं चैव, ता एनेसिं णं पंचण्डं संवच्छरणं नवं पासिकि आउट्टि चंदे के पुच्छा, ता विसाहाहि, त्रिसाहाणं तेणं चैव अभिलावेणं तेरस चउप्पण्णा चत्तालीसं चुण्णिया, समयं च णं सूरे केणं० १. ता पुसेणं, पूसस्स तं चेत्र, ता एतेसिं णं पंचण्डं संवछराणं चउत्थं वासिकि आउट्टि चंदे केणं? ता रेवतीहि. रेवतीणं पणची मुहुत्ता छत्तीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स वावट्टिभागं च सत्तट्ठिया छेत्ता छडीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं चणं सूरे केण०१, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेत्र, ता एएसि णं पंचष्टं संवराणं पंचमं वासिकि आउहिं चंदे के ०?, ता पुचाहिं फग्गुणीहिं पुत्राफग्गुणीर्ण वारस सत्तालीसा तेरस चुण्णिया, तंसमयं च णं सूरे केणं? वा पूसेर्ण, पूसस्स तं चेत्र एगूणवीसा तेताली तेत्तीसा । ७६। ता एएसिं णं पंचं संवराणं पढमं हेमंनि आउट्टि चंदे णं णक्खणं जोएति ? ता हत्येणं, हत्यस्स णं पंच मुहुत्ता पण्णासं च चावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तद्विधा छेत्ता सट्टी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं० १. उत्तराहि आसादाहि उत्तराणं आ सादार्ण चरिमसमए, ता एएसि णं पंचहं संवच्छरणं दोघं हेमंत आउहिं चंदे केणं ०?, ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि अट्ठावीसा उत्तालीस चुण्णिया, तंसमयं च णं सूरे केणं०? ता उत्तराहिं आसाढाहि. उत्तराणं आसा. ढा चरिमसमए, ता एतेसिं णं पंचहं संचच्छराणं तचं हेमंति आउहिं चंदे केणं० १. ता पूसेणं, पूसस्स एकूणवीसं ताला तेत्तीसं चुणिया, तंसमयं च णं सूरे केर्ण०१, ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ना एतेसिं णं पंचहं संवच्छराणं चउत्थि हेमंतं आउहिं चंदे केणं०१, ता मूलेणं, मूलस्स छ चेत्र अट्टावचा वीस पुष्णिया, तंसमयं च णं सूरे केणं ०१ ता उत्तराहिं आसादाहिं, उत्तराणं आसादाणं चरिमसमए, ता एनेसि णं पंचह संच्छराणं पंचमं हेमंति आउहिं चंदे केणं ०१, कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता छत्तीसंच बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तठिया छेत्ता छ चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे०१, ता उत्तराहिं आसाढा हि उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए । ७७। तत्थ खलु इमे दसविधे जोए पं० [सं० वसभाणुजोए वेणुयाणुजोते मंचे मंचाइमंचे उत्ते छत्तातिच्छत्ते जुअणदे घणसंमदे (घण) पीणिते मंडकप्पुते णामं दसमे एनेसिं णं पंचं संवच्छ राणं छत्तातिच्छन्तं जोयं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउडीसेणं सतेणं छित्ता दाहिणपुरच्छिमिसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवादिणावेता अट्टावसतिभागं पीसा छेता अट्ठारसभागे उचादिणावेत्ता तीहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणपुरच्छिमिलं चउ भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे छत्तातिच्छत्तं जोयं जोएति, तं० उपिं चंदा मज्झे णक्खने हेडा आदिबे, नंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेर्ण जोएति ?, ता चित्ताहिं, चित्ताणं चरमसमए । ७८ ॥ चारसमं पाहुडं १२ ॥ ता कहं ते चंदमसो वढोवढी आहि०१, ता अट्ट पंचासीते मुद्दत्तसते तीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स, ता दोसिणाप क्खाओ अन्धगारपक्वमयमाणे चंदे चत्तारि बायालसते छत्तालीस च बावद्विभागे मुहुत्तस्स जाई चंदे रज्जति तं पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसीए पनरसं भागं चरिमसमए चंदे रत्ते भवनि अबसेसे समए चंदे रते य चिरने य भवति इयण्णं अमावासा, एत्थ णं पढमे पत्रे अमावासे, ता अंधारपक्खातो णं दोसिणापक्वं अयमाणे चंदे चत्तारि चायाले मुद्दत्तसते छत्तालीसं च बावदिट्ठभागा मुडुत्तस्स जाई चंदे विरजति, नं० पढमाए पढमं जाय पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमे समये चंदे विरत्ते भवति अवसेससमए चंदे रते य विरत्ते य भवति, इयण्णं पुण्णमासिणी, एत्थ णं दोचे पत्रे पुण्णमासिणी । ७९ । तत्थ खलु इमाओ बावट्ठी पुण्णमासिणीओ बावट्टी अमावासाओ (२०८) ८३२ चंद्रपज्ञप्ति: पालुङ- १३ मुनि दीपरत्नसागर प Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पं०, बावट्ठी एने कसिणा रागा पाचट्ठी एते कसिणा चिरागा. एते चउनीसे पत्रसते एते चाउदीसे कसिणरागविरागसते, जावतियाणं पंचण्हं संवच्छराणं समया एगेणं चउशीसेणं समयसतेणणका एवतिया परित्ता असंखेजा देसरागचिरागसना भवंतीनिमक्खाता, ता अमावासातो णं पुण्णमासिणी चत्तारि वाताले मुहुत्तसते छत्तालीसं चावट्ठिभागे मुहुनस्स आहि०, ता पुण्णमासिणीतो णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहुनसते छत्तालीसं चावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि, ना अमावासातो णं अमावासा अट्ठपंचासीने मुहुनसते तीसं च वावडिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता पुण्णमासिणीतो णं पुण्णमासिणी अट्ठपंचासीने मुहुनसते तीसं चावट्ठिभागे मुहुनस्स आहि०, एस णं एवतिए चंदे मासे एस णं एवतिए सगले जुगे।८। ता चंदेणं अदमासेणं चंदे कति मंडलाई चरति, ता चोदस चउम्भागमंडलाई चरति एगं च चउचीससतभागं मंडलस्स, ता आइयेणं अदमासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता सोलस मंडलाई चरति. सोलसमंडलचारी तदा अवराई खलु दुवे अट्ठकाई जाई बंद केणइ असामण्णकाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरति, कतराई खलु दुवे अट्टकाई जाई चंद जाव पविडित्ता २ चार चरति ?, इमाई खलु ने दुवे अट्ठगाई जाव चरनि न०-निक्खममाणे चेव अमावासंतेणं पविसमाणे चेव पुण्णमासितेणं, एनाई जाव चरइ, ता पढमायणगते चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे सत्त अदमंडलाई जाई चंदे दाहिणाने जाव चरति, कतराई खलु ताई सत्त अदमउन्लाई जाव चरनि?. इमाई खलु ताई सत्न अदमंडलाई जाई जाव चरति ?. नं०-विदिए अद्धमंडले चउत्थे छढे अट्ठमे दसमे चारसमे चउदसमे अद्धमंडले, एनाई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाई जाव पविसमाणे चारं चरति, ता पढमायणगते चंदे उत्तराते भागाते पचिसमाणे छ अदमंडलाई नेरस य सनट्ठिभागाइं अदमंडलस्स जाई चंदे उरत्नाने भागाए पविसमाणे चारं चरति, कतराई खलु ताईछ अदमंडलाई जाव चार चरति?. इमाई खलु ताइ छ अदमंडलाईनं०-नईए पंचमे सनमे नवमे एकारसमे नेरसमे अडमंडळे पन्नरसममंडलस्स तेरस सत्तदिठभागाई, एनाई खलु नाई छ अदमंडलाई तेरस य सत्तदिठभागाइं अधमंडलस्स जाई चंदे उत्तराने भागाते परिसमाणे चारं चरति. एतावया च पढमे चंदायणे समत्ते भवति, ता णक्सने अदमासे नो चंदे अदमासे चंदे अदमासे नो णक्खने अदमासे, ना नक्खनाओ अदमासातो ते चंदे चंदेणं अदमासेणं किमधियं चरनि?.एगं अदमंडलं चत्नारिय सनट्ठिभागाइं अदमंडलस्स सनट्ठिभागं च एकतीसाए डेना पाव भागाई, ना दोचायणगने चंदे पुरच्छिमाते भागाने णिक्खममाणे सत्त चउप्पण्णाई जाई चंदे परस्स चिचाई पडिचरति सत्न तेरसकाई जाई चंदे अप्पणा, चिण्णाई चरनि. ना दोचायणगते चंदे पचत्थिमाए भागाए निक्खममाणे छ चउप्पण्णाई जाई चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति छ तेरसगाई जाई चंदे अप्पणा चिपणाई पडिचरति अवरगाई खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असाम सगाई सयमेव पविट्ठिना २ चारं चरति, कतराई खलु ताई दुवे जाव चरति?. इमाई खलु ताई दुवेत सबभतरे चेव मंडले सबवाहिरे चेव मंडले. एयाणि खलु ताणि दुवे जाव चरइ, एतावता दोचे चंदायणे समने भवति, ता णखत्ते मासे नो चंद मासे चंदे मासे णो णक्खने मासे, ता णसनाने मासाए चंदे चंदणं मासेणं किम भागाई, ना नचायणगते चंदे पञ्चन्धिमाते भागाए पविसमाणे चाहिराणंतरस्स पञ्चस्थिमित्तस्स अदमंडलस्स ईनाटीसं सनविभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाई पडिचरति तेरस सत्तट्ठिभागाई जाई चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति नेरस सनट्ठिभागाइं चंदे अप्पणो परस्सय विष्णाई पडिचरति, एतावयाव बाहिराणंतरे पचस्थिमिड़े अदमंडले समते भवति, तचायणगते चंदे पुरच्छिमाए भागाए पविसमाणे चाहिरतचस्स पुरच्छिमिइस्स अदम. इलस्स इतालीसं सनट्ठिभागाई जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाई पडियरनि तेरस सत्तदिठभागाइं जाई चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति तेरस सत्तट्ठिभागाई जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाई पडियरति, एतावताव बाहिरे नचे पुरच्छिमिाडे अदमंडले समत्ते भवनि, ता तचायणगते चंदे पचत्थिमाने भागाने पविसमाणे बाहिरचउत्थस्स पचत्थिमिाइस्स अद्धमंडलस्स अट्ट सत्तट्ठिभागाई सत्तट्ठिभार्गच एकतीसधा छेना अट्ठारस भागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिणाई पडियरनि, एनायनाव चाहिरचउत्थपञ्चस्थिमिड़े अदमंडले समते भवइ, एवं खलु एवं वंदेणं मासेणं चंदे तेरस च उप्पण्णगाई दुवे तेरसगाई जाइं चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति, नेरस तेरसगाई जाई चंदे अप्पणो चिण्णाई पडियरति, दुवे इतालीसगाई दुवे तेरसगाई असत्तदिठभागाई सत्तट्ठिभागच एकतीसधा छत्ता अठारसभागाइजाइ चद अप्पणा परस्स यचिण्णाइपहिचति, अवराइखलु दुव नरसगाईज मन्नगाई सयमेव पविठ्ठिना २चारं चरति, इन्चेसो चंदमासोऽभिगमणणिक्खमणबुढिणिचुढिअणवदिठतसंठाणसंठितीचिउवणगिढिपत्ते रूवी चंदे देवे २ आहि०1८१॥ तेरसमं पाहुई १३॥ ता कता ने दोसिणा बहू आहि०१, ना दोसिणापक्से णं दोसिणा बहू आहि, ता कहं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि०?, ता अंधकारपक्खाओ णं दोसिणा बहू आहि, ता कहं ते अंधयारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि०?, ना अंधकारपक्खातो णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे पत्तारि बायाले मुहत्तसने छातालीसं च बावट्ठिभागे मुहत्तस्स जाई चंदे विरजति, त०- पढमाए पढमं भागं जाय पण्णरसीए पण्णरसं भागं, एवं खलु अंधकारपक्खातो दोसिणापक्से दोसिणा ब्रह आहि०, ना केवतिया णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहु आहि १, ता परित्ता असंखेजा भागा, ता कता ते अंधकारे बहू आहि०१, ता अंधयारपक्खे णं बहू अंधकारे आहि०, ता कहं ते अंधकारपक्रसे अंधकारे बहू आहिल?, ता दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०, ता कहं ते दोसिणापक्खातो अंधकारपक्से अंधकारे बहू आहि०?, ता दोसिणापक्खातो णं अंधकारपक्वं अयमाणे चंदे चत्तारि बाताले मुहत्तसने छायालीसं च बावट्ठिभागे मुहुनस्स जाई चंद रजति. त०- पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, एवं खलु दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि, ता केवतिएणं अंधकारपक्से अंधकारे बहू आहि०१, परिना असंखेजा भागा 1८२॥ चोहसमं पाहुई १४॥ ना कहं ते सिग्धगती पत्थू आहि, ता एतेसिं ण चंदिमसूरियगहगणनक्खत्ततारारुवाणं चंदेहितो सूरा सिग्धगती सूरेहितो गहा.गहेहिनो णक्रवत्ता णवत्तेहिनो नारा सबप्पगनी चंदा सबसिग्धगती तारा, ना एगमेगेणं मुहत्तेणं चंदे केवतियाई भागसताई गच्छति ?, ता जं जं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसद्धिं भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउनीसनेहिं छेना, ता ८३३ चंद्रप्रज्ञप्तिः , पाव-१५ मुनि दीपरनसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवतियाई भागसयाई गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहुतेणं णक्खने केवतियाई भागसताई गच्छति ?, वा जं जं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता । ८३। ता जया णं चंद गतिसमावणं सूरे गतिसमावण्णे भवति से णं गतिमाताए केवतिय विसेसेति ?, चावट्ठिभागे विसेसेति, ता जया णं चंदं गतिसमावण्णं णक्खत्ते गतिसमापण्णे भवइ से गतिमाताए केवतियं विसेसेड ?, ता सत्तट्ठि भागे विसेसेति, ता जता णं सूरं गतिसमावणं णक्वते गतिसमावण्णे भवति से गं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, ता पंच मागे विसेसेति, ता जता णं चंदं गतिसमाषणं अभीयीणक्खत्ते णं गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता णव मुहुते सत्तावीसं च सत्तविभागे मुहत्तस्स देण सहि जाच जोएति सा जोयं अणुपरिवहति त्ता विष्पजहातित्ता विगतजोई यावि भवति, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं सवणे णक्खते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते तहेच जहा अभियिस्स नवरं तीसं मुटुत्ते चंदेण सद्धिं जो जोएति ता विगतजोई यावि भवइ, एवं पण्णरसमुहुत्ताई तीसतिमुहुत्ताई पणयालीसमुहुत्ताई माणितबाई जाव उत्तरासाढा (सूर्य ता जता णं चंदं गतिसमावण्णण गहे गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाने समासादेति त्ता चंदेणं सदि जोग जुजति ता जोगं अणुपरियति ता विप्पजहति विगतजोई यावि भवति) ता जया ण सूरै गतिसमावणं अभीयीणक्सत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति ता पत्तारि अहोरने छब मुहुने सूरेणं सदि जोयं जोएति ना जाब विगतजोगी यावि भवति, एवं सूरेण सर्दि जोगो भाणियत्रो जाच उत्तरासादाणक्खत्ते विगतजोगी यावि भवति (सूर्य० ता जता णं सूरं गतिसमावणं गहे गतिसमावणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति ता सूरेण सदि यथाजोयं जुजति त्ता यथाजोयं अणुपरियति त्ता जाव विप्पजहति ता विगतजोगी याचि भवति)।८।। ता णक्खत्तेणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता तेरस मंडलाई चरति तेरस य सत्तदिठभागे मंडलस्स, नागसत्तेणं मासेणं सूरे पुच्छा, तेरस मंडलाई चरति चोत्तालीसं च सत्तठिमागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते०१. ता तेरस मंडल्याई चरति असीतालीसं च सत्तदिठभागे मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, चोइस चउभागाई मंडलाई चरति एर्ग च चउचीससतं भार्ग मंडलस्स, वा चंदेणं मासेणं सूरे कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाई चरति एगं च चउबीससयभार्ग मंडलस्स, ना चंदेणं मासेणं णस्वत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागुणाई मंडलाई चरति छच्च चउचीससतभागे मंडलस्स, वा उडुणा मासेणं चंदे कति पुच्छा, ता चोइस मंडलाई चरति तीर्स च एगठिमागे मंडलस्स, ता उडुणा मासणं सूरे कति पुच्छा, ता पण्णरस मंडलाई चरति, ता उडुणा मासेणं णक्खत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस मंडलाई चरति पंच य बावीससतभागे मंडलस्स, ता आदिघेणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता चोइस मंड. लाई चरति एकारस य पचरसभागे मंडलस्स, ता आदिघेणं मासेणं सूरे कति पुच्छा, ता पुण्णरस चउभागाहिगाई मंडलाई चरति, ता आदिघेणं मासेणं णक्खत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागाहिगाई मंडलाई चरति पंचतीसं च वीससतभागमंडलाई चरति, ता अभिवढिएणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता पण्णरस मंडलाई तेसीति छलसीयसतभागेमंडलस्स, ता अभिवड्ढितेणं मासेणं सूरे पुच्छा, ता सोलस मंडलाई चरति तीहि भागेहिं ऊणगाई दोहिं अडयालेहिं सएहिं मंडलं छित्ता, अभिपड्ढितेणं मासेणं नक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति सीतालीसाए भागेहिं अहियाई चोइसहिं अट्ठासीएहिं सएहिं मंडलं छेत्ता । ८५। ता एगमेगेणं अहोरतेणं चंदे कति मंडलाई चरति?, ता एगं अमंडलं चरति एकतीसाए भागेहिं ऊणं णवहिं पण्णरसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगेणं अहोरतेणं सूरिए कति मंडलाई चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति, ता एगमेगेणं अहोरनेणं णक्खने कनि मंडलाई चरति ?. एग अद्धमंडलं चरति दोहिं भागेहिं अधियं सत्तहिं बत्तीसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं चंदे कतिहि अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरतेहिं चरति एकतीसाए भागेहिं अधितेहि चउहिं पायालेहिं सतेहिं राइंदियं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं सरे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति?.ता दो सनसट्टेहिं सतेहिं राइदिएहिं छेत्ता, ता जुगेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?,ता अट्ट चुलसीते मंडलसते चरति, ता जुगेणं सूरे कति मंडलाई चरति ?, णवपण्णरसमंडलसते चरति, ता जुगेणं णवत्ते कति मंडलाई चरति ?, ता अट्ठारस पणतीसे दुभागमंडलसते चरति, इचेसा मुहुत्तगती रिक्खातिमासराइंदियजुगमंडलपविभत्ती सिग्धगती वत्थु आहि०1८६॥ पारसमं पाहुढं १५॥ ता कहं ते दोसिणालक्खणे आहि०?, चंदलेसादी य दोसिणादी य दोसिणाई य चंदलेसादी य के अट्ठे किलक्खणे?, ता एक8 एगलक्खणे, ता सूरलेस्सादी य आयवेइ य आतवेति य सूरलेस्सादी य के अढे किलक्खणे , ता एगट्टे एगलक्खणे, ता अंधकारेति य छायाइ य छायाति य अंधकारेति य के अद्वे किलक्खणे?, ता एगट्टे एगलक्षणे । ८७॥ सोलसमं पाहुडं १६॥ ता कहं ते चयणोक्याता आहि०?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एव०-ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उपयजति, एवं जबेबोयाए संठितीए पणुवीसं पडियत्तीओ तातो एत्थंपि भाणितवाओ जाय ता अणुओसप्पिणीउस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उवक्जति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो- ता चंदिमसूरिया णं देवा महिइडीआ महाजुनीया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगन्धधरा वराभरणधरा अयोच्छित्तिणयहृताए (काले) अण्णे चयंति अण्णे उबजति आहि०1८८ ॥ सत्तरसमं पाहुडं १७॥ ता कहं ते उबसे आहि?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तस्थेगे एव०-ता एग जोयणसहस्सं सूरे उदं उच्चत्तेणं दिवढ चंदे एगे एव०,एगे पुण-ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्ढे उच्चत्तेणं अड्ढातिजाई चंदे एगे एव०, एवं एतेणं अभिलावेणं ता तिमि जोयणसहस्साई सूरे अबुट्ठाई चंदे चत्तारि जोयणसहस्साई सूरे अद्वपंचमाई चंदे पंच जोयणसहस्साई सूरे अवच्छट्ठाई चंदे एवं छ सूरे अद्धसत्तमाई चंदे सत्त सूरे अबढमाई चंदे अट्ट सूरे अबनवमाई चंदे नव सूरे अद्धदसमाई चंदे दस सूरे अदएकारस चंदे एकारस सूरे अदबारस चंदे वारस सूरे अद्धतेरस चंदे तेरस सूरे अदचोइस चंदे चोदस सूरे अवषण्णरस बंदे पष्णरस सूरे अद्धसोलस चंदे सोलस सूरे अग्रसत्तरस चंदे सत्तरस सूरे a४ चंद्रपज्ञप्तिः, पाबुङ-१८ मुनि दीपरनसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अदअट्ठारस चंद अट्ठारस सूरे अदएकूणवीस बंदे एकोणवीस सूरे अवीसं चंदे बीस सूरे अदएकवीसं चंडे एकवीसं मूरे अदबाबीसं चंदे चाबीसं सूरे अडतेवीसं चंदे तेवीस सरे अदचठीसं चंदे चउवीसं मरे अनपणीसं चंदे एगे एव०, एगे पुण: पणवीस जोयणसहस्साई मूरे उइदउच्चनेणं अडछत्रीसं चंदे एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता इमीसे स्यणप्पभाए पुढबीए बहसमरमणिजाओं भूमिभागाओ सत्त णउदजोयणसए अचाहाए हेडिडे ताराविमाणे चार चरति अट्ठजोयणसने अचाहाए सुरविमाणे चार चरति अट्ठअसीए जोयणसए अवाहाए चंदविमाणे चार चरति णव जायणसनाई अचाहाए उवरित ताराविमाण चार पनि हेट्टिद्वानो नाराविमाणानो दस जोयणाई अवाहाए सूरविमाणे चारं चरति नउनि जोयणे अचाहाए चंदविमाणे चार चरनि एवं जहेब जीवाभिगमे तहेब नेय सवभंतरिहं चारं संठाणं पमाणं वहनि सिम्घमनी इदी तारतरं अगमहिसीओ ठिती अप्पाचहुं जाय ताराओ संखे. १८॥ ना कति ण चादमसूरिया सबलीयसि आभासति उजावनिनवनि पभासाने आहिताति पदना, तत्थ खाइमाओ वारस पडिवत्तीतो पं०. तन्धेगे एव-ता एगे चंदे एगे सरे सबलोगंसि ओभासंनि जाव पभासंति आहिनेति०,एगे पुण-ता तिण्णि चंदा तिष्णि चेव सूरा सबलोए०एगे०, एगे पुण..ना आउट्टि चंदा एवं एएणं अभिलावणं जातो चेव ननिए पाढे दुवालस पडिवत्तीओ तातो चेव इहपि यक्षातो नवरं सत्त य इस य जाच ता चावत्तरं चंदसहस्सं चावत्तरं सूरितसहस्सं सबलोयं ओभासति जाव पभासति आहिएगे एव०. वयं पुण एवं वयामो ता अयण्णं चुदीवे जाव परिक्खेवेणं. जंबूदीवेणं दीवे दो चंदा पभासेंसु पभानि जहा जीवाभिगमे जाच नारातो, ता जंबुद्दीचं णं लवणे णामं समुद्दे बट्टे वलयाकारसंठिते सवतो समंता परिस्विवित्नाणं चिट्ठनि. ता लवणे णं समुदे कि समचकवालसंठिते बिसमचकवालसंठिते? ना समचक्रवालसंठिए नो सिमचकचारसंठिए, ना लवणे समुरे केवतियं चकवानपिक्संभेणं केवतितं परिक्वेणं आहि ?.ना दो जोयणसयसहस्साई चकवालविसंमेणं पारसजायणसयसहम्सा सनं बाआलं किंचिविसेसणे पार स्खेवणं, ता लवणे णं समुहे चत्नारि चंदा पभासिसु वा जाव तारातो, ना लवर्ण समुदं चायतिसंडेणं दीचे बहे वलयाकारसंठिने जाच चिट्ठति, ना धायइसंडे णं दीये समचक्रवारसंठिते एवं विश्वंभो परिक्वेवो जोतिसं जहा जीचाभिगमे जावतारातो, ना धायतिसंडणं दीवं कालोएणाम समुहे किव वलयाकारसठित जाव चिट्ठति, ता कालोएणं समुह कि अण्णं समुदं पुक्खरखरे णं दीवे बहे बल जाव चिट्ठति, ता पुक्खरखरे णं दीचे किं समचकवाल विक्खंभो परिक्खेवो जोनिसं जाच नारानो. पुक्सरवरस्स णं दीवस्स चकवालविक्संभस्स बहुमझदेसभाए एत्य णं माणुसुत्तरे णाम | पवते बट्टे वलयाकारसंठिते पं०, जे णं पुक्खरखरं दीवं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठति तं० अभंतरपुक्खरद्धं च चाहिरपुक्खरदं च. ता अम्भिनरपक्वरदे णं कि समचकवालसं० एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं गहातो य जाब एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं, ना पुक्रवरवरं णं दीवं पुक्खरोदे समुद्दे पट्टे वल जाव चिट्ठति, एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं च भाणित जहा जीवाभिगमे जाव संयभूरमणे। (सूर्य- १००-१ गा०३२.८८)।१०१॥ एगणवीसहम पाहुढं १९॥ ना कहं ते अणुभागे आहियनि वइजा ?, तत्थ खलु इमातो दो पडिवत्तीतो पं०, तत्थेगे एव०.ना चंदिमसूरिया णं णो जीवा अजीया णो घणा झुसिरा णो चायरबोंदिधरा कलेवरा णस्थिणं तसि उहाणेनिया कम्मेति वा बलेइ वा पीरिएइ वा परिसकारपरकमेइ वाणो ते विजुलवंतिणो असणि लवंतिणो धणितं लवंति, अहे गं बायरे वाउयाए संमुच्छनि अहे णं वायरवाड्याए समुच्छित्ता विजुपिलपति असणिपिन्लवंति थणितंपिलवनि०एगे पुण एव०-ता चंदिमस. रिया णं जीवा णो अजीचा पणा णो मुसिरा बादस्वादिधरा णो कलेवरा अस्थि णं तेसि णं उठाणेइ या जाच पुरिसकारपरकमेनि वा ने विजुपि उचंति असणिपि लवंति थणियपि लवंति०, वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसृरिता णं देवा महिटिया जाय महासुक्खा वरवत्यधरा वरगंधधरा वरम धरा पराभरणधरा अवोच्छिनिणयटुताए अण्णे चयंति अण्णे उचजनि आहि ॥१०२शना कहं ते राहुकम्मे आहि ?. तन्थ खल इमातो दो पहिवत्तीतो पं०, तत्व एगे ए०-ता अस्थि णं से राहुदेवे जे णं चंदं सुरं च गेष्हति. एगे पुण-ता गत्यि ण से राहुदेवे जे णं चंदं च सूरं च मेण्हनि, नन्थ जे ते एक ना अन्थि ण से राहू देवे जे णं चंदं सरं च गेण्हति ते णं एव० ता राहू णं देवे चदं सूर च गण्हमाणे बुदंतेणं गिलिहत्ता चुदतेषां मुयति बुद्धतेणं गिहिना मुदंतेणं मुयति मुदतेणं गिहिता बुद्धनेणं मुयति मुरतेणं गिहिना मुदनेणं मुयति वामभुयतेणं गिहिना वामभृयंतेण मयइ वामभूयनेण गिहिना दाहिणभयंतेण मुबइ दाहिणभुयनेणं गेण्हित्ता वामभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयंतेणं गिरिहना दाहिणभुयंतेणं मुयनि, तत्थ जे ते एव०-ना णस्थिणं से राह देवे जे णं चंदं सूरं च गेण्हति ते णं एव०-तत्य खल इमे पण्णरस कसिणा पोग्गला पं०, त-सिघाडए जडिलाए खत्तए सरते अंजणे खंजणे सीतले हिमसीतले केलासे अरुणापहे पणिजए भमुब(नभस् )रए कविलए पिंगटए राह. ता जता णं एए पणारस कसिणा कसिणा पोग्गला सता चंदस्स वा सूरम्स वा लेसाणुत्र - धचारिणो भवंति तना णं मणुस्सलोगे मणुस्सा वतंनि एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गिण्हति, ता जता णं एए पण्णरस कसिणा कसिणा पांग्गला णो सता चंदस्स पा सूरस्स पा लेसाणुचद्धचारिणो भपनि णो खलु तदा माणुसन्लोयम्मि मणस्सा एवं वदंति एवं खल राहू चंदं सूरं वा गेण्हति एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वयामो-ता राहणं देवे महिढाए जाव महासुस्खे घरवन्धधारी जाव बराभरणधारी. राहुस्स णं देवस्स णव णामधेना पं० त०-सिंघाडते जडिलए खत्तते खरए दददरे मगरे मच्छे कच्छपे किण्हसपे. राहुस्सणं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पं० तं-किण्हा णीला लोहिना हालिदा सुकिाडा, अन्धि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पं. अस्थि जीन्लए राहुविमाणे लाउ यवण्णाभे ५० अस्थि लोहिए राहु मंजिट्ठावण्णाभे अस्थि पीते हलिदवण्णाभे अस्थि सुकिहए. भासरासिवण्णाभे पं०, जया णं राहू आगच्छमाणे वा गाउमाणे या विउप्रमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस पुरच्छिमेणं आव. रित्ताणं पचन्टिमेणं वीईवयद तना णं पुरच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पनात्विमेणं राहू. जया ण राह आगच्छमाणे वा जाय परियारेमाणे वा चंदस्स वा सरस्स वा लेसं पचाच्छिमेणं आवरिता पुरच्छिमेणं पीइंश्यद नया ण पचत्यिमेणं चंदे उवदंसेनि पुत्यिमेणं राहू. एएणं अभिलावेणं दाहिणेणं आवरेनाणं उत्तरेणं बीईवयद उत्तरेणं आवरेत्ता दाहिणेणं बीईक्यद उत्तरपुरस्थिमेणं आवरेना दाहिणपस्थिमेणं बीईक्यइ दाहिणपबन्धिमेणं आवरेत्ता उत्तरपुरन्थिमेणं ८३५ चंद्रप्रज्ञप्तिः , पाबुर्ड-20 मुनि दीपरनसागर Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *** वीईक्यइ दाहिणपुरस्थिमेणं आवरेत्ता उत्तरपञ्चस्थिमेणं बीईवयइ, उत्तरपञ्चस्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरस्थिमेणं वीईवयइ तया णं उत्तरपञ्चस्थिमेणं चंदे उवदंसेति दाहिणपुरस्थिमेणं राहू, ता जता णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छ० चंदस्स लेस्सं आवरेति नता णं मणुस्सलोगे मणुस्सा पतंति-एवं खलु राहुणा चंदे गहिए 2, ता जता णं राह आगच्छमाणे वा. चंदलेस्सं आवरिता पासेण बीईवयइ तताण मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-एवं खलु राहणा चंदे वंते 2. ना जना णं राहू आगच्छमाणे चा चंदस्स लेस्सं आवरेत्ताणं मजझेणं वीईवयइ तता णं मणुस्सलोगे मणुस्सा वतंति-एवं खलु राहुणा चंदे वइयरिए 2. ता जता णं राहू आगच्छमाणे वा० चंदस्स लेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसि आवरेनाणं चिट्ठति तना णं मणुस्सन्टोए मणुस्सा वतंति-एवं खलु राहुणा चंदे पत्थे 2, ता कतिबिहे णं राह पं०?, ता दुबिहे राहू पं० २०-धुवराहू य पधराहू य, तत्थ णं जे से धुवराह से णं बहुलपक्वस्स पडिवए पण्णरसतिभागेणं पण्णरसतिभागं चंदळेसं आवरेमाणे चिट्ठति तं पढमाए पढमं भागं चितियाए बितियं भागं जाय पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमसमते चंदे रत्ते भवति अवसेससमए चंदे रने चिर चिट्ठति तं पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसमं भागं, परिमे समए चंदे विरने भवति अवसेससमए चंदेरते य विरत्ते य भवति, तत्व णं जे से पचराह से जहरू छण्हं मासाणं उको वातालीसाते मासाणं चंदस्स अडतालीसाए संवच्छराणं मूरस्स / 103 / ता से केणडेणं एवं बुचनि-चंदे ससी 21, ता चंदे णं जोइसिंदे जोतिसराया सोमे कंते सुभगे पियदसणे सुरूवे ता से एतेणद्वेणं एवं पुचति-चंदे ससी 2, ता से केणट्टेणं एवं युञ्चति-सूरे आइथे 21, ता सूरादिया णं समताति वा आपलिवानि वा जाच उस्सप्पिणीति वा ओसप्पिणीति वा से एएणं अट्टेणं एवं बुथति मरे आदिचे 2 / 104 / ता चंदस्स णं जोतिसिदस्स जोतिसरण्णो कति अग्गमहिसीओ पं०१, चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०- चंदप्पहा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि 2 एवं चेव पुषभणितं अट्ठारसमे पाहुडे तहा णायचं जाच मेहुणवत्तियं, एवं सूरस्सवि, ता सूरियचंदिमा णं जोतिसिंदा जोतिसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुभवमाणा विहरनि?, ता से जहाणामए केइ पुरिसे पढमजुश्णुट्टाणवलसमत्थाए भारियाए सदि अचिरवत्तवीवाहे अत्थगवेसणताए सोलसवासविप्पबसिने ता से णं तता लबट्टे कयकजे अणहसमग्गे पुणरवि सयं गिह हत्रमागते व्हाए जाब सरीरे मणुणं थालीपागसुद्धं अट्ठारसर्वजणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरतो सचित्तकम्मे चाहिरतो दूमियघट्ठमढे विचित्तउडोयचिछिगतले मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमरमणिजभूमिमागे पंचवण्णसरसमुरभिमुक(पुष्क)पुंजोवयारकलिते कालागरूपवरकुंदुकधूवमघमतगंधुबुयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवहिभूते तंसि तारिसगंसि सयणिजसि सालिंगणवहिए उभतो बिब्बोयणे दुहतो उपणए मजमेणयगंभीरे गंगापुलिणवालुउद्दालसालिसते उबचियसोमदुगुलपट्टपडिच्छायणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंमुयसंबुडे आयिणगरूपचूरणवणीतनूलफासे गंधवरकुसुमचुण्णसयणोपयारकलिते ताएयारिसियाए सिंगारागारचारवेसाते संगय जाव जोषणविन्यासकलिताए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणोणुकुलाए भारियाए सदि इडे सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुभवमाणे विहरेजा, तासे णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसतं सातासोक्ख पचणुभषमाणे विहरति?,नं उरालं णं समणाउसो', तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो वाणमंतराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरगा चेच कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो अमुरिंदरजियाणं भवणवासीर्ण देवाणं एत्तो अर्णतगुणविसिद्भुतरगा चेव कामभोगा, असुरेंदवजिताण० एत्तो अर्णत: गहगणणवत्त जाव कामभोगेहितो चंदिमसूरियाणं जोतिसियाणं जोतिसराईणं इत्तो अर्णतगुणविसिट्टतरगा चेष कामभोगा, ता चंदिमसूरिया ण जोतिसिंदा जोइसरा. नाणा एरिसत कामभाग पचणुभवमाणे बिहति।१०५ातत्य खल इमे अट्ठासीतीमहागहा १००-इंगालाए वियालए लोहितले सोणच्छर आहुणिए पाहुणिए कणते कणो कणकणएक आसासणे कजोवए कत्थु(घ)रए अयगरए इंदुभए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कसे कंसणाभे कंसपण्णाभे रुप्पी रुप्पोभासे नीलो नीलोभासे भासे भासरासी 30 दगे दगवण्णे तिले तिलपुष्फवण्णे काए कार्ग(4)घे ईदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए 40 बुद्ध सुके वहस्सती राह अगस्थी माणवते कामफासे धुरे पमुहे पियडे 50 विसंघी कप्पेलए पहले जडिलए अरुणे अग्गिएकाले महाकाले सोस्थिए सोचस्थिए वद्धमाणए 60 पलंबे णिचालोए णिचुजोए सर्यपहे ओभासे सेयंकरे आभकरे पभंकरे अरए ७०विरए असोगे बीयसोगे विचने चिवत्ये बिसाले साले सुचते अणियही एकजडीद दुजड़ी करे करिए राय अम्गले भावे केऊ पुष्फकेतू (सूर्य गाथा ८९.९७)।१०६॥२०पाहुई / इय एस पागडत्या अभाव जणहिययदाउभा इणमो। उकिनिया भगवती जोइसरायस्स पचत्ती॥९८॥ एस गहियावि संती बद्धे गारवियमाणपडिणीए। अबहुस्सुए न देया तश्विवरीए भचे देया // 99 // धिहउट्टाणुच्छाहकमबलविरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खिोषि संतो अभायणे पकिखविजाहि // 100 // सो पवयणकुलगणसंघचाहिरो णाणविणयपरिहीणो। अरहंतथेरगणहरमेरं किर होइ बोलीणो // 1 // तम्हा घिइउहाणुच्छाहकम्मबलविरियसिक्वियं णाणं। धारेयशं णियमा णय अविणीएसु दाय ॥२॥वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स विंदामि विणयपणतो सोक्सप्पाए सया पाए॥१०३॥ गाथाः / / 10 // इति श्रीचंद्रपज्ञप्त्युपांगमुत्कारित पीरसंवत् 2468 श्रीसिदाचल्लोपेत्यकागतश्रीवर्धमानजैनागममंदिरे // *.615*****