Book Title: Subhashit Sukt Ratnamala Sanskrit
Author(s): Charanvijay
Publisher: Chimanlal Nathalal Gandhi

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Page 545
________________ 484 सुभाषितसूक्तरत्नमाला स मङ्गलं वो वृषभध्वजः कुर्याज्जटावलीसंवृतांशमण्डलः / यदीयमङ्गं किल सर्वमङ्गलाश्रितं प्रमोदाय न यस्य जायते // 3 // कलिकालसर्वज्ञप्रणीत श्रीरावणकृतशान्तिनाथ स्वामी चैत्यवंदनम्। (3) देवाधिदेवाय जग-तायिने परमात्मने / श्रीमते शान्तिनाथाय, षोडशायाहते नमः // 1 // श्रीशान्तिनाथ ! भगवन् , भवाम्भोनिधितारण ! / सर्वार्थसिद्धमन्त्राय, त्वन्नाम्नेऽपि नमोनमः // 2 // ये तवाष्टविधां पूजां, कुर्वन्ति परमेश्वर ! / अष्टापि सिद्धयः तेषां, करस्था अणिमादयः // 3 // धन्यान्यक्षीणि यानि त्वां, पश्यन्ति प्रतिवासरम् / तेभ्योपि हृदयं धन्यं, यद् दृष्टो येन धार्यसे // 4 // देव ! त्वत्पादसंस्पर्शा-दपि स्यान्निर्मलो जनः / अयोऽपि हेमीभवति, स्पर्शवेधिरसान्न किम् ! // 5 // त्वत्पादाब्जप्रणामेन, नित्यं भूलण्ठनैः प्रभो!। श्रृङ्गारतिलकीभूयान् , मम भाले किणावलिः // 6 // भूयो भूयः प्रार्थये त्वा-मिदमेव जगद्विभो ! / भगवन् ! भूयसी भृया-त्वयि भक्तिर्भवे भवे // 7 //

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