Book Title: Yogdrushti Samucchaya Satiknu Dhayanarham Sanshodhan Sampadan
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ डिसेम्बर २०१० जे रीते बौद्धोनो सबळ प्रतीकार कर्यो छे ते जोतां बौद्ध ग्रन्थोनुं गम्भीर अध्ययन तेओए कर्तुं हशे ते प्रतीत थाय छे. लागे छे के ते दरमियान बौद्धदर्शननी योगसम्बन्धित परिभाषा, विचारणा अने प्ररूपणाथी तेओ अवश्य प्रभावित थया हशे. अने तेने लीधे तेओना योगसाहित्यमां एवा केटलाय पदार्थो अने शब्दो जोवा मळे छे के जे सामान्यतः जैनदर्शनमां प्रचलित नथी अने बौद्धदर्शनमां ते प्रचलित होवानुं लागे छे. जेमके श्रद्धा माटे प्रयोजेलो 'अधिमुक्ति' शब्द. आ उपरान्त अन्य योगधाराओना तत्त्वो - शब्दो पण तेओनी प्ररूपणामां अवश्य समाया छे. वळी, केटलांक तत्त्वोनी जेम केटलाक शब्दो पण तेओनी प्रतिभानो उन्मेष छे. योगदृष्टि०मां प्रयोजेला आवा विशिष्ट शब्दोनी टीकामां तेओए ते शब्दोना पर्यायो आप्या छे. केटलाक प्रचलित जैन शब्दो अने विशिष्ट शब्दोनी विशिष्ट व्याख्या पण आपी छे. आ शब्दोना आधारे विविध योगधाराओना परस्पर आदानप्रदान अने समन्वय विशे सरस संशोधन थई शके तेम होवाथी तेवा शब्दोनी सूचि बनाववामां आवी छे. ७मा परिशिष्टमां विशिष्ट शब्द अने तेनो पर्यायशब्द मूकवामां आव्या छे, ज्यारे ८मामां जेनी विशिष्ट व्याख्या करवामां आवी छे तेवा शब्दो मूकवामां आव्या छे, जेमां महदंशे जैन पारिभाषिक शब्दोनी साथे केटलाक विशिष्ट शब्दोनो पण समावेश थाय छे. अन्य ग्रन्थोमां प्रयोजायेला आ शब्दोनुं अर्थघटन सुगम बने ते पण आ सूचिओनो आडफायदो छे. आ प्रकाशननी ध्यानार्हता आम तो कोइ पण ग्रन्थनी संशोधित वाचना ध्यानार्ह ज होय छे, पण आनी ध्यानार्हता माटे एटले लखवुं पडे के आ ग्रन्थ महदंशे विवेचनोना आधारे ज भणाय छे- भणावाय छे. अने आ भणनाराओ के भणावनाओ मूळग्रन्थने जोवा-वांचवा लगभग टेवायेला नथी होता. एटले मूळग्रन्थने लगतुं गमे ते काम करवामां आवे, ए लोकोने कशो फेर नथी पडतो. अने एटले ज आ संशोधित वाचनाने अनुसारे विवेचनोमां यथोचित परिवर्तन करवा प्रेरणा करवी जरूरी लागे छे. १६१ एक वातनी स्पष्टता करवानी के पोतानी सामे अशुद्ध पाठ होवा छतां प्रबुद्ध विवेचको जे हदे साचा अर्थघटन सुधी पहोंच्या छे ते नवाई पमाडे तेवुं

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8