Book Title: Yatilakshan Samucchay Prakaran
Author(s): Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust
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યતિલક્ષણ સમુચ્ચય પ્રકરણ
૨૮૫
ગાથાઓનો અકારાદિ ક્રમ
१६
७७
८२
५१
१३५
॥ यतिलक्षणसमुच्चयगाथाकारद्यनुक्रमः ॥ गाथाद्यपादः गाथाङ्कः | गाथाद्यपादः
गाथाङ्कः अइसाहसमेअंजं
| इत्तो चेव असंगं अजमहागिरिचरियं
११० । इत्थं सुहोहनाणा अणवत्थाई दोसा १३८ | इय एगागिविहारे
१६७ अण्णस्स य पडिसेहे
| इयगुणजुयस्स गुरुणो
२०३ अणुबंधजुअं कुसलो ११२ | इयरेसु वि विसऐसु अणुमित्तो वि न कस्सइ ६२ | इय सत्तलक्खणत्थो
२२६ अण्णेहिं पंथगस्स उ १९० | इय सत्तलक्खणधरा
२१७ अत्थपयभावणाणं . २२३ | इय सुद्धचरणसहिओ अन्नह भणिअंपि सुए .७ .. इरिआवहमाईआ अपयट्टो वि पयट्टो
४९ | इहरा उ दाणधम्मे अब्भुजओ विहारो
१९९ | उउबद्धे वासासु अ अवसिटुं ठावित्ता ___३५ | उत्तमगुणाणुराया अवहपइन्नाजणियं
उभयण्णू विय किरिया अवलंबिऊण कजं
११ | उवइसइ धम्मगुज्झं अविअ जणो मरणभया
|उववज्जइ उत्तरगुणअविसाओ परलोए'
१७४ | उस्सग्गववायाणं अविसिटुंमि वि जोगंमि ५६ | एएण पबंधेणं ... आउट्टिआइ जणिअं ९९ एएहिं दिट्ठिवाए आउट्टिआ उविच्चा । १०० । एए गुरुणो अ गुणा
१७१ आमे घड़े णिहित्तं
९६ |एगागियस्स दोसा आयत्तया महागुण
१४२ | एगंतेण णिसेहो आलंबणाण भरिओ ८९ | एत्तो च्चिय किइकम्मे १२३ आसयसुद्धीइ तओ २२५ । एयस्स परिच्चाया
१४१ इक्कस्स पुणो तस्स वि
एअं अवमन्नतो इक्कंमि वि पाणिवहं
५७ | एयंमि नाणफलओ इक्खुरसगुडाईणं
| एअम्मि परिच्चत्ते
१४४. इच्चाई असमंजस- ___१४ | एयारिसस्स जमिह
१७५
९३
२०१
cos
१६०
६०
१६५
२१५
३०
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