Book Title: Vinshottari Dasha Sadhan
Author(s): Satyanand
Publisher: Gyanmandal Limited

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Page 3
________________ विशोत्तरी दशा साधन जन्म चन्द्रस्पष्टसे सीधे विशोत्तरी दशा साधनके लिए सारणियां दी जा रही है । ज्योतिषियोक अतरिक्त जन साधारणके भी समझनेके लिए ज्योतिष गणित सम्बन्धी कुछ प्रारम्भिक बातें बतलायी जा रही हैं। भारतीय ज्योतिषम गणना स्थिरप्राय रहने वाले नक्षत्रोंके आधारपर की जाती है। आकाशमें स्थित गोलाकार नक्षत्रचक्रका आदि कहा पार अन्त कहां? फिर भी गणनाके लिए कोई न कोई आदिबिन्दु मानना ही पड़ता है। पहले किसी समयमें कृत्तिका नक्षत्र आदिबिन्दु माना जाता था और अब अश्विनी नक्षत्र माना जाता है। उसी आदिबिन्दुसे निरयण गणनाम ह आदिकी कोणीय दुरी दी जाती है। जन्म चन्द्रस्पष्टका अर्थ भी यही है कि जन्मके समय चन्द्रमा उपयुक्त आदिबिन्दुत कितनी कोणीय दूरीपर था। इसे सीधे अंश, कला, विकलामें अथवा तीस-तीस अंशोंके राशि विभाजनमें अथवा १२ अंशोंके नक्षत्र विभाजनमें इङ्गित किया जाता है। इससे जन्मराशि, जन्मनक्षत्र और नक्षत्रके आधारपर किस ग्रहकी महादशामें जन्म हआ है तथा नक्षत्रके अंशके अनुपातसे जन्मके बाद भोग्य महादशाका अनुपात स्थिर किया जाता है और आगे गणना की जाती है। जैसा ऊपर लिखा जा चका है कि पहले कृत्तिका नक्षत्र गणनाका आदिबिन्दु माना जाता था जिसमें सूर्यको महादशा होती है । अब अश्विनी नक्षत्र गणनाका आदिबिन्दु माना गया है जिसमें केतुकी महादशा होती है और भरणीमें शुक्रकी, कृत्तिकामें सूर्यकी, रोहिणीमें चन्द्रमाकी, मृगशिरामें भौमकी, आमेिं राहुकी, पुनर्वसुमें गुरु, पुष्यमें शनि, आश्लेषामें बुध आदि नौ ग्रहोंकी महादशाएं नौ नक्षत्रोंमें पूरी होती है। फिर भागके नक्षत्रोंमें महादशाका यही क्रम चलता है। इस प्रकार २७ नक्षत्रोंमें ग्रहोंकी महादशाका तीन चक्र पूरा होता है । पहली सारणीमें राशि और चन्द्रके भुक्त अंशोंके अनुसार किस नक्षत्र में जन्म है, किस ग्रहकी महादशा है और उसके कितने दिन अर्थात् ६० घटी या २४ घण्टेका दिन जन्म होनेके काल तक बीत चुके हैं । यहां यह बात ध्यानमें रखनेकी है कि महादशाकी गणनामें मध्यम दिन, ३० दिनका मास, ३६० दिनका ही वर्ष माना जाता है; ३६५ दिनका वर्ष नहीं । बहुधा लोग सूर्यके १ अंश चलनको एक दिन मानकर महादशाका समय बता देते हैं। परन्तु शास्त्रोक्त विधि दिनोंसे ही गणना करनेकी है। प्रतः सारणियोंमें यही २४ घण्टेका दिन प्रयोग किया गया है। आजकल व्यक्तिको अंग्रेजी तारीख और स्टैण्डर्ड टाइमके अनुसार समय समझने में सुविधा होतीहै । अतः महादशा, अन्तर, प्रत्यन्तर आरम्भ अथवा समाप्त होनेकी अंग्रेजी तारीखें निकालनेके लिए वर्षके आरम्भ, ३१ दिसम्बरकी रातके १२ बजेके बाद 0 घण्टा I. S. T. से आरम्भ कर प्रत्येक तारीखके अन्ततक वर्षके कितने पूरे दिन बीत गये हैं इसकी सारणी साधारण वर्षके लिए और लीपईयर वर्षके लिए अलग-अलग दी गयी है। नीचेके उदाहरणसे दशा साधनका तरीका स्पष्ट किया गया है । किसी जातकका जन्म ता० २८ अक्टूबर १९७६ ई० गुरुवारको (दिनमें) १० घण्टा ५ मिनट I. S. T. पर हुआ। ज्ञानमण्डल सौर पंचागमें अर्द्धदैनिक चन्द्रस्पष्ट दिया है उससे जन्म समयके लिए अनुपातसे चालन देकर जन्मकालका चन्द्रस्पष्ट निकाल लें जो ८ राशि १९:४४-०८".६६८ आयेगा। जन्मनक्षत्र पूर्वाषाढ़ा और महादशा शुक्रकी होगी। अब एक अलग कागजपर जन्म चन्द्रस्पष्टके अंश, कला, विकलाके लिए सारणी नम्बर १ और २ से शुक्रकी दशाके भुक्त दिनोंकी संख्याएं जोड़ लें। शुक्रकी दशामें १६ के लिए ३०६० जन्मके पहले ४४' के लिए बीते दिन " के लिए ..६६८" के लिए ०.१००२ दिन ८ राशि १९-४४.८."६६८ के लिए ३४५७.३००२ दिन जन्मके पहले बीत चुके थे। दिन दिन Scanned by CamScanner

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