Book Title: Vinay Sutra And Auto Comentary On Same
Author(s): P V Bapat, V V Gokhale
Publisher: Kashi Prasad Jayaswal Research Institute

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Page 127
________________ ८० मूढ मृगशीर्ष मृदंग मृषावाद सृष्टि मेषशीषं मौन यथासंख्यम् याचन उपाध्याय याचना याञ्चा यान उपाध्याय अ - पुनरावर्तक यूका यौवनहानि रक्तकण रक्तिक अष्ट रक्षाक्ष रङ्गकर्म रत्न रत्न अर्थ रत्न सिंह रथकार रवक्षरक रहसि रहो - अनुशिष्ट होनुशासक राजभट रावक रुधिरउत्पादक र विनयसूत्र वृत्त्यभिधानस्वव्याख्यानम् रूढि रैति रोमकर्म ६३५ ६३५ ३२७ १४८ १६७ ६३५ ५४६ ३९५ ३० ५८४, ५८५ २१ २७ १ १ १६३ १४८ ६३५ २८८ ६३५ रोम ६९ २५, ३०, ३८, ४३, ४४, १०३, ३७३, ५९७ स जन्म 'परिव्यञ्जन शातयेत् लंघन लंघ्य अनति त्व लघुताअभिज्ञत्व लज्जानिमित्तम् . लयन लाङ्गूलच्छिन्न लिगअन्तर्धान लिङ्ग प्रव्रज्या शिर लोकयात्रा ७३ वज्रोपमा १०५ वर्षवस्तु २८४ वर्षाय ३२ १५१, १५३ ४५३ ४४ वर्षान्त-व्याधि वस्तुक्षुद्र कादि वस्तु-पद-वाक्य वस्तुमत- अन्तरीयक वाटिका वातायन ( क ) १४९ वान्त ४५३ वाम १४२ वामन ल ५ ४३४, ४५३ १६२ १६५ ३६८ ३६९ ५९५ ६४७ ८०, ९४ ७९ ९८ ५८६ ४१६ १५२ १५८ २० ६३५ ४९२ ३६८ १४८ ९८ (Names of chapters ) ९८ ८१ ४२२ २१२ २१२, २१३ ४४३ ६३५ १४८ १ १

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