Book Title: Vikram Journal 1974 05 11
Author(s): Rammurti Tripathi
Publisher: Vikram University Ujjain

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Page 196
________________ सिन्धिया प्राच्य-विद्या प्रतिष्ठान के महावीर विषयक दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ ___डॉ. सुरेन्द्रकुमार प्रार्य प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवम् पुरातत्व, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन प्राचीन उज्जयिनी भगवान् महावीर की तपस्याभूमि से सम्बन्धित रही है। जयसिंहपुरा जैन पुरातत्व संग्रहालय में १०वीं शताब्दी की निर्मित महावीर प्रतिमाएं मिली हैं जिनकी संख्या लगभग ७ हैं। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में २ महावीर प्रतिमाएँ १२वीं शताब्दी की निर्मित मिलती हैं। महत्वपूर्ण पुरातात्विक जन उपलब्धियों के अतिरिक्त यहां के सिन्धिया प्राच्य-विद्या शोध प्रतिष्ठान में महावीर भगवान् विषयक दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ प्राप्य हैं, जिन पर इधर कुछ भी प्रकाशन कार्य नहीं हुआ सिन्धिया शोध प्रतिष्ठान में लगभग १६ हजार हस्तलिखित ग्रन्थ हैं जो संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी व गुजराती भाषा में हैं। विक्रमादित्य से सम्बन्धित कुछ दुर्लभ ग्रन्थ भी सुरक्षित हैं। ताड़पत्र, भूर्जपत्र और तन्जोर-शैली के स्वर्ण-खचित चित्र हैं। ज्योतिष, बौद्धागम, जैनरासो, तांत्रिक व कर्मकाण्ड के अनेक हस्तलिखित ग्रन्थ यहाँ सुरक्षित हैं । यहाँ केवल महावीर भगवान् से सम्बन्धित जन हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची व जानकारी दी जा रही है। वैसे जैन धर्म विषयक हस्तलिखित ग्रन्थ यहाँ पर ६ हजार के लगभग हैं । प्रतिष्ठान में कुल ६ हस्तलिखित ग्रन्थ महावीर के चरित्र, स्तवन व इतिवृत्त पर सूचना देते हैं, सुरक्षित हैं। १. महावीर स्तवन-इसका विषय जैन स्तोत्र है व इसके ग्रन्थकार लषमण श्रावक हैं जिन्होंने इसे विक्रम संवत् १५२१ में रचा था। इस प्रति के लेखक हैं मुनिमति सामर। लिपि जैन-नागरी है और भाषा राजस्थानी है। हस्तलिखित ग्रन्थ पूर्ण हैं और पत्र संख्या ५ है। प्राकार २५४ ११ से. मी., पंक्ति ११, अक्षर ४६ हैं। महावीर का इतिवृत्त इससे ज्ञात होता है। चौबीसवाँ तीर्थंकर के रूप में इन भगवान् की मूर्ति प्रकल्पन विषयक सूचनाएँ भी इसमें उल्लिखित हैं। ग्रन्थ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक है ५७७ व लघुग्रन्थ होने के बाद भी महावीर विषयक सूचनाएँ प्रामाणिक रूप में देता है। २. महावीर नी रास- इस ग्रन्थ के रचयिता हैं धर्मसागर मुनि व रचना संवत् १६८४ में की गई है। पूर्ण ग्रन्थ है और भाषा जैन-नागरी है। प्राकार २५४११ से. मी. पंक्ति १६, अक्षर ४१ व पत्र संख्या ७ है। महावीर विषयक गेय पद भी इसमें सम्मिलित हैं। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ६३६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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