Book Title: Vasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Author(s): Shreeranjan Suridevi
Publisher: Prakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 650
________________ ६३० वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा साहित्यदर्पण : ८,८१,१०० टि,११३ टि,११४ टि, सुशीलकुमार दे : २६ २६६, २६७ टि, २७५ टि, २८२ टि, सुशीलकुमार फुल्ल (डॉ) : १२० ५२२ टि,५२५ टि,५६० सुश्रुत (महर्षि,आचार्य) : १९२, १९३, १९४,१९५, सिंह (शिंग) भूपाल : २८५ १९६,१९८,२०२,२०३, २०४,२०५, सिंहदेवगणी : ५०० २०६, २०७, २०८, २०९, २१०, सिंहल (श्रीलंका) : ४४८,४५१ , २११, २१२, २१४, २१५, २१६ सिंहलद्वीप (देश) : ४५७,४६१,४७१,४८१,५०३. सुश्रुतसंहिता : १९२,१९२ टि,१९३ टि,१९६,१९८, सिकन्दरिया : ४५१ २०२ टि,२०४,२०५,२०७, २१२ टि,२१४ टि,३७७ सिद्धशिला : ३९७ सूत्रकृतांग : ३७५,४८४ सिद्धान्तकौमुदी : २५६ सूरसेन (रसायनाचार्य) : २१९ सिद्धार्थवन : ३८१ सूराबाँध : ४७२ सिन्धु (जनपद) : ४७१,४८१ सूर्य (ऋषि) : १७१ सिन्धुघाटी-सभ्यता : ४६९ सर्यमती (कश्मीर की रानी): २४ सिन्धुनदी : ४६९ सूर्यविज्ञान : १६९ सिन्धुसागरसंगम (प्राचीन बर्बर) : ४६९ सूर्यसिद्धान्त : १७१ सिन्धु-सौवीर : ४८२ सिलवाँ लेवी : ४६२ सेतुबन्ध (काव्य) : ५०४ सैमोण्ड (अपराध-वैज्ञानिक) : ४३८ सी.एच.टॉनी : २६ सोमदेव (भट्ट : आचार्य) : १३,१४,१५, २०,२४, सीर-दरिया : ४५२,४६९ २६,२७,२८,२९, ३१,३५,७८,४६५ 'सीता की अग्निपरीक्षा : ११० 'सौन्दर्यशास्त्र के तत्त्व':१३२ टि, ५३७ टि, ५४२ टि, सुकच्छ (जनपद) : ४७०,४८१ ५४४ टि, ५४६ टि,५४७ टि, सुकच्छविजय : ४५८ ५५४ टि,५५५ टि. सुत्तनिपातभाष्य : ४६४ सौराष्ट्र (देश :जनपद) : ४७९ सुधर्मास्वामी : ७१,७२,७३,७४,७६,४७३,५०२ स्कन्दिलाचार्य : ५०३ . सुप्रतिष्ठित (नगर) : १६ स्टेनकोनो : ३४ सुप्रतीक (यक्ष) : १६ स्टैण्डर्ड डिक्शनरी ऑव फोकलोर : ८० सुबन्धु (नाट्यकार) : १९ स्तम्भिनी विद्या) : १५५,१६९ सुभौम : ४७६ स्थानांग (ठाणांग,ठाणं) : २२ टि, १७१, १९४, सुरलोज्वला (भाषाटीका) : २१९ टि. १९५,२०३ टि,, २४१ टि,३३६,३७५, सुरवन : ४७३ ३७६, ३८४, ३८४ टि, ३८५, ३८६, सुरानन्द (रसायनाचार्य) : २१९ ३८९, ३९३ टि, ३९९,४००,४०१ टि, सुराष्ट्र (सौराष्ट्र) : ४७१,४७९ ४३९, ४५८,४५९,४६१,४६३,४६४, सुलसा (परिवाजिका) : ४७६ ४६५,४६६,४६७,४६८,४६९,४७०, सुवर्णद्वीप (भूमि) : ४५७,४६१ ४७८, ५२२ टि, ५२३ सुवर्णद्वीप (सुमात्रा) : ४४८ स्थानांगवृत्ति : २६७,३७५,३७५ टि. सुवर्णनाभ : २५९ स्फुलिंगमुख (अश्व) : ३७० .

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