Book Title: Vaishakh Mahatmya
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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SRISOURIRAMIRRORRUAROORSANGALOREASOPRASARAI // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 2 // मार्गश्रमहारिकरोतियः // तस्यपुण्यफलंवक्तुंब्रह्मणाऽपिनशक्यते // 30 // मार्गश्रांतायविप्रायप्रश्रयंप्रददातियः॥ तस्यपुण्यफलंवक्तुंब्रह्मणापिनशक्यते॥ 31 // मध्याह्नेब्राह्मणंप्राप्तमतिथिंभोजयेद्यदि // नतस्यफलविश्रांतिब्रह्मणापिनिरूपिता // 32 // सद्यआप्यायनंनृणामन्नदाननराधिप // तस्मान्नानेशनसदृशंदानंलोकेषुविद्यते // 33 // दारापत्यगृहादीनिवासोऽलंकारभूषणं // असानानतःपुंसःसांभुक्तवतोध्रुवं // 34 // तस्मादन्नसमंदानंनभूतंनभ-S विष्यति // वैशाखेयेननोदतमार्गश्रांतेच सुरे // 35 // सपिशाचोभवेद्भमौस्वमांसान्येवखादति // यथाशक्तिप्रदातव्यंतस्मादन्नंद्विजातये // 36 // समाप्तिः / सामेति यावत् / 2 सुखकरं / 3 ब्राम्हणायेत्यर्थः / कोहळ e rence For Private and Personal Use Only

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