________________ भारत भर में आयुर्वेद के प्रसिद्ध अमूल्य ग्रन्थ आयुर्वेदीय विश्व-कोष निखिल भारतवर्षीय वैद्य-सम्मेलन के प्रस्तावानुसार अकारादि Wh क्रम से आयुर्वेदीय, यूनानी, एलोपैथिक चिकित्सा-त्रय के निदान चिकित्सा निघण्टु (वनौषधि-गुणधर्म), शरीर एवं रसायनशास्त्र पर वेद-काल से लेकर आजतक समस्त तहकीकातों पर विस्तृते प्रकाश डाला गया है। भारत में इससे पहले कोई भी कोष” आयुर्वेदीय-जगत में प्रकाशित नहीं हुआ। यह विश्व-कोष" तीन भागों में वितरित है। जिसके प्रत्येक भाग की पृष्ठ संख्या 800 से अधिक ही है। इसकी भूमिका जगत-प्रसिद्ध महामहोपाध्याय कविराज गणनाथसेन जी सरस्वती, कलकत्ते ने लिखी है। प्रत्येक वैद्य, हकीम डाक्टर व गृहस्थों के लिये अभूतपूर्व एवं अत्यन्त उपयोगी है। इतना सब होने पर भी इस पोथे का दाम लागत-मात्र अजिल्द 6) और सजिल्द 7) रुपया ही है। एक बार अवश्य पढ़िएगा। सरलरोग विज्ञान निदान ही चिकित्या का प्रधान अंग है। यदि आप वैद्य हैं या वैद्य बनना चाहते हैं तो अवश्य ही निदान जानने वाले ग्रन्थों को पढ़िए ! इतना करने पर ही आप सुविख्यात चिकित्सक बना र आयुर्वेदीय-क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर देश का उद्धार कर सकने में समर्थ होंगे। इतनी बातें श्राप तभी प्राप्त कर सकेंगे जबकि हमारे यहीं से प्रकाशित निदान की अभूतपूर्व व सर्वाङ्ग सुन्दर उपरोक्त पुस्तक देखेंगे। पुस्तक का दाम अ० 3) स. 4) ही है। मैनेजर-श्री हरिहर प्रेस, बरालोकपुर, इटावा / Besozo33BBS