Book Title: Uttaradhyayanam Sutram Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
View full book text
________________
उत्तराध्ययन
अनुक्रमणिका।
असमाणो चरे भिक्खू .... २-१९ असंखेजाणोसप्पिणीण.... ३४-३३ अह ते तत्थ सीसाणं .... २३-१४ असासए सरीरम्मि .... १९-१३ अस्सकणी अ बोधवा .... ३६-९९ | अह पच्छा उइजति .... २-४१ असासयं ददृमिमं विहारं १४-७ अह अहहिं ठाणेहिं
| अह पञ्चहिं ठाणेहिं असिप्पजीवि अगिहे अमित्ते १५-१६ अह अन्नया कयाइ .... २१-८ अह पण्णरसहिं ठाणेहिं .... ११-१० असीहि अयसीवण्णाहिं .... १९-५५ अह आसगओ राया .... १८-६ अह पालिअस्स धरणी .... २१-४ असुरा नाग सुवण्णा .... ३६-२०४ अह ऊसिएण छत्तेण .... २२-११ अह भवे पइण्गा उ .... २३-३३ असंखकाल मुक्कोसं .... ३६-१३ अह कालम्मि संपत्ते .... ५-३२ अहमासि महापाणे .... १८-२८
३६.-८१ अह केसरंमि उजाणे .... १८-४ अह मोणेण सो भयवं .... १८-९ ..... ३६-८९ अह चउदसहि ठाणेहिं .... ११-६ अह राया तत्थ संभंतो ... १८-७। ..... ३६-१०४ अह जे संवुडे भिक्खू .... ५-२५ अहवा तइयाए पोरिसीए.... ३०-२१ .... ३६-११४ अह तत्थ अइच्छंतं .... १९-५ अहवा सपरिक्कम्मा .... ३०-१३
३६-१२३ अह तायओ तत्थ मुणीण १४-८ अह सा भमरसन्निभे .... २२-३० असंखभागो पलिअस्स .... ३६-१९० अह तेणेव कालेणं .... २३-५ अह सारही तओ भणइ .... २२-१७ असंखयं जीविय मा पमायए ४-१
___.... २५-४ अह सारही विचिंतेइ .... २७-१५
UTR-1

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 444