Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 481
________________ जैनभूषण, पंजाब केसरी, बहुश्रुत, गुरुदेव श्री ज्ञान मुनि जी महाराज : शब्द चित्र जन्मभूमि जन्म-तिथि : साहोकी (पंजाब) : वि.सं. १६७६, वैशाख शुक्ल ३ (अक्षय तृतीया) : वि.सं. १६६३, वैशाख शुक्ला १३ : रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) दीक्षा दीक्षा-स्थल गुरुदेव : अध्ययन आचार्य सम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज प्राकृत, संस्कृत, उर्दू, फारसी, गुजराती, हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेजी आदि .. भाषाओं के जानकार तथा दर्शन एवं व्याकरण शास्त्र के प्रकाण्ड । पण्डित, भारतीय धर्मों के गहन अभ्यासी। सजन हेमचन्द्राचार्य के प्राकृत व्याकरण पर भाष्य, अनुयोगद्वार, प्रज्ञापना आदि कई आगमों पर बृहद् टीका लेखन तथा तीस से अधिक ग्रन्थों के लेखक। प्रेरणा : विभिन्न स्थानकों, विद्यालयों, औषधालयों, सिलाई केन्द्रों के प्रेरणा स्रोत। विशेष : आपश्री निर्भीक वक्ता हैं, सिद्धहस्त लेखक हैं, कवि हैं। समन्वय तथा शान्तिपूर्ण क्रान्त जीवन के मंगलपथ पर बढ़ने वाले धर्मनेता हैं, विचारक हैं, समाज सुधारक हैं, आत्मदर्शन की गहराई में पहुंचे हुए साधक हैं। पंजाब तथा भारत के विभिन्न अंचलों में बसे हजारों जैन-जैनेतर परिवारों में आपके प्रति गहरी श्रद्धा एवं भक्ति है। आप स्थानकवासी जैन समाज के उन गिने-चुने प्रभावशाली संतों में प्रमुख हैं जिनका वाणी-व्यवहार सदा ही सत्य का समर्थक रहा है। जिनका नेतृत्व समाज को सुखद्, संरक्षक और प्रगति पथ पर बढ़ाने . वाला रहा है। श्री उत्तराध्ययन सूत्रम् / 476 / परिशिष्ट

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