Book Title: Umaswamti evam Unki Ucchaingiri Shakha ka Utpatti Sthal evam Vichanran Kshetra Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_6_001689.pdf View full book textPage 5
________________ कोई बड़ी नदी नहीं आती थी। अत: सार्थ निरापद समझकर इसे ही अपनाते थे। प्राचीन काल से आज तक यह नगर धातुओं के मिश्रण के बर्तनों हेतु प्रसिद्ध रहा है। आज भी वहां कांसे के बर्तन सर्वाधिक मात्रा में बनते हैं। ऊँचेहरा का 'उच्चैर' शब्द से जो ध्वनि-साम्य है वह भी हमें इसी निष्कर्ष के लिए बाध्य करता है कि उच्चै गर शाखा की उत्पत्ति इसी क्षेत्र से हुई थी। उमास्वाति का जन्म स्थान नागोद (म.प्र.) उमास्वाति ने अपना जन्म स्थाना 'न्यग्रोधिका' बताया है। इस सम्बन्ध में भी विद्वानों ने अनेक प्रकार के अनुमान किये हैं। चूंकि उमास्वाति ने तत्त्वार्थभाष्य की रचना कसमपुर (पटना) में की थी अत: अधिकांश लोगों ने उमास्वाति के जन्मस्थल की पहचान उसी क्षेत्र में करने का प्रयास किया है। न्यग्रोध को वट भी कहा जाता है। इस आधार पर पहाड़पुर के निकट बटगोहली, जहाँ से पंचस्तूपान्वय का एक ताम्र-लेख मिला है, से भी इसका समीकरण करने का प्रयास किया गया है। मेरी दृष्टि में ये धारणाएँ समुचित नहीं हैं। उच्चैर्नागर शाखा, ऊँचेहरा से सम्बन्धित थी, उसमें उमास्वाति के दीक्षित होने का अर्थ यही है कि वे उसके उत्पत्ति स्थल के निकट ही कहीं जन्में होंगे। उच्चै गर या ऊँचेहरा से मथुरा जहाँ उच्चनागरी शाखा के अधिकतम लेख प्राप्त हुए हैं तथा पटना जहाँ उन्होंने तत्त्वार्थभाष्य की रचना की, दोनों ही लगभग समान दूरी पर अवस्थित रहे हैं। वहाँ से दोनों स्थानों की दूरी लगभग ३५० कि.मी. है और किसी जैन साधु के द्वारा यहाँ से एक माह की पदयात्रा कर दोनों स्थलों पर आसानी से पहुंचा जा सकता था। स्वयं उमास्वाति ने ही लिखा है कि विहार (पदयात्रा) करते हुए वे कुसुमपुर (पटना) पहुँचे थे (विहरतापुरवरेकुसुमनामस्ति)। इससे यही लगता है कि न्यग्रोध, (नागोद) कुसुमपुर (पटना) के बहुत समीप नहीं था। डॉ. हीरालाल जैन ने संघ विभाजन स्थल रहवीरपुर की पहचान दक्षिण में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के राहुरी ग्राम से और उमास्वाति के जन्मस्थल की पहचान उसी के समीप स्थित 'निधोज' से की, किन्तु यह ठीक नहीं है। प्रथम तो व्याकरण की दृष्टि से न्यग्रोध का प्राकृत रूप नागोद होता है, निधोज नहीं। दूसरे उमास्वाति जिस उच्चैर्नागर शाखा के थे, वह शाखा उत्तर भारत की थी, अत: उनका सम्बन्ध उत्तर भारत से ही रहा होगा और इसलिये उनका जन्म स्थल भी उत्तर भारत में ही होगा। उच्चनागरी शाखा के उत्पत्ति स्थल ऊँचेहरा से लगभग ३० कि.मी. पश्चिम की ओर 'नागोद' नाम का कस्बा आज भी हैं । आजादी के पूर्व यह एक स्वतंत्र राज्य था और ऊँचेहरा इसी राज्य के अधीन आता था। नागोद के आस-पास भी जो प्राचीन सामग्री मिली है उससे यही सिद्ध होता है कि यह भी प्राचीन नगर था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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