Book Title: Udayasundari Katha
Author(s): C D Dalal, Embar Krishnamacharya
Publisher: Central Library

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Page 177
________________ शुद्धिपत्रम् । moto शुद्धम् श्छिद्रं () करटीन्द्र तयाऽय वरूथिनीको सुखा समु सुधामधुरया कर्तु अशुद्धम् स्सूत्रम् करटीन्दु तया वरूथिनी मुखा सुधासमु मधुरया क निवेशितण विलया कवीन्देष्टे मिवतिष्ठ काम जलता मत्यद्भत गतो एब। पीडा द्वाःस्था पति मेषा मुन्निवे नोदित निवासः। पञ्जरके निवेशिवेन वलया कवीन्द्रष्ट्रि मवतिष्ठ काम ज्यालता मत्यद्भुत गमितो एव पीडा। द्वाःस्थो पती सेवा सन्निवे नोति निवासः पञ्जरके। शिरः सर भूमिरुल्लसिता वती शिरः पांसुर्घलता भूमिः, उल्लसता वतीशिरः पांसुः, लुठता स्मयं मूद्धि स्वयं मूर्द्धि मण्डा मण्ड धन घन शालाका शलाका

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