Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 194
________________ [185 करते हुए सगर ने चार महाव्रतरूप दीक्षा को ग्रहण किया। जो सामन्त और मन्त्रीगण जह नुकुमार आदि के साथ गए थे वे भी संसार से विरक्त होकर सगर राजा के साथ दीक्षित हो गए। तदुपरान्त धर्म-सारथी, धर्म-चक्रवर्ती प्रभु ने मुनियों के मनरूपी कुमुद के लिए चन्द्रिका तुल्य प्राज्ञामय धर्म देशना दी। प्रथम प्रहर व्यतीत होने पर प्रभु ने देशना समाप्त की और उठकर देवछन्द को अलंकृत किया। तब प्रभु की चरण-पीठिका पर बैठकर मुख्य गणधर ने प्रभु के प्रभाव से समस्त संशय को छिन्न करने वाली देशना प्रभु के समान ही दी। द्वितीय प्रहर शेष होने पर जिस प्रकार मेघ बरसना बन्द करता है उसी प्रकार गणधर श्री ने भी देशना बन्द कर दी। प्रभु ने विहार करने के लिए वहाँ से विदा ली और भगीरथ राजा एवं देवगण अपने-अपने स्थान को लौट गए। प्रभु के साथ विहार करने वाले सगर मुनि ने मूलाक्षर की भाँति सहज भाव से द्वादशांगी का अध्ययन किया। वे सर्वदा प्रमाद रहित होकर पाँच समिति और तीन गुप्ति रूपी अष्ट चारित्रमाता की सम्यक् रीति से प्राराधना करते । सर्वदा भगवान के चरणों की आराधना के प्रानन्द के लिए परिषहादि कष्ट जरा भी अनुभव नहीं करते। मैं तीन लोक के चक्रवर्ती तीर्थंकर का भाई हूं, स्वयं भी चक्रवर्ती हूं ऐसा अभिमान न रखकर वे अन्य मुनियों के साथ विनीत व्यवहार करते। बाद में दीक्षित होने पर भी वे, राजर्षि तप और अध्ययन में पुराने दीक्षित मुनियों से अधिक सम्माननीय हो गए थे। क्रमशः घाति कम नष्ट हो जाने पर उन्हें उसी प्रकार केवलज्ञान उत्पन्न हो गया जिस प्रकार दुदिन व्यतीत हो जाने पर सूर्य उदित हो जाता है । .. (श्लोक ६४१-६६४) केवलज्ञान उत्पन्न होने के पश्चात् पृथ्वी पर विचरण करने वाले अजितनाथ स्वामी के पिच्चानवे गणधर, एक लाख मुनि, तीन लाख तीस हजार साध्वियां, साढ़े तीन सौ पूर्वधर, एक हजार चार सौ मनःपर्याय ज्ञानी, नौ हजार चार सौ अवधिज्ञानी, बाईस हजार चौरासी वादी, बीस हजार चार सौ वैक्रिय लब्धि सम्पन्न, दो लाख अट्ठानवे हजार श्रावक और पाँच लाख पैंतालीस हजार श्राविका रूप परिवार था। (श्लोक ६६२-६७०) .. दीक्षा कल्याणक से एक पूर्व कम एक लाख पूर्व व्यतीत होने

Loading...

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198