Book Title: Tattvanirnaya Prasada Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: Amarchand P Parmar View full book textPage 8
________________ .... २४१ २४२ २४३ २४४ २४४ २४५ तैत्तिरीय आरण्यक, प्र. १, अ० १३, मं० १, १० । यजुर्वेद, अ० ३१ मं० १२, गोपथ पूर्वभाग प्र० २, ब्रा० २५ अथर्वसंहिता कां० १०, प्र. २३, अ० ४, मं० २० .... .... शतपथ कां० १४, अ० ५, ब्रा० ४, कं. १० .... .... एतरेय ब्राह्मण पं० ५ कं० ३२ का पाठ .... .... .... .... शतपथ कांड ११, अ० ५, ब्रा० ३, कं० १, २, ३, .... .... .... गोपथ पूर्वभाग प्र० १, ब्रा० ६ .... .... .... .... पूर्वोक्त पाठोंकी समीक्षा .... .... तैत्तिरीय ब्राह्मण अ० १, अ० १, अ० ३, पाट और समीक्षा .... पाचक वर्गको हित समिक्षा .... .... .... .... .... .... बृहदारण्यकके कथनानुसार प्रजापति आपही पुरुष , स्त्री, गधा, गधी आदि बनगया इत्यादि वर्णन .... .... .... ..... २४७ २५० २५१ २५४ (१०) दशम स्तंभ--वेदोंकी ऋचायोंसेंही वेद ईश्वरोक्त नहीं हैं. २५५--२७९ ऋग्वेद सं० अ. ३, अ० २, वर्ग १२, १३, १४ की ऋ० १-१३ में विश्वामित्र पुरोहितने प्रारंभको नदियोंकी स्तुति की .... .... २५६ ऋग्वेद संहिता अ०३,१०३ वर्ग २३ में लिखाहै-विश्वामित्रका शिष्य सुदाकी रक्षाके लिये वसिष्ठको शाप देनेकी ऋचाओ जिनको वसिष्ठके संप्रदायी नहीं सुनते हैं, तिसका वर्णन ........ .... २५९ ऋग्वेद संहिता अ० ४ अ० ४ वर्ग २० में लिखा है-सप्तवधि - पिको तिसका भतिजा पेटीमें घाल रखताथा, तिसने अपनी स्त्रीके विरहके दुःखसें पेटीके निकलनेके वास्ते अश्विनीदे वकी स्तुति करी तिसका वर्णन ऋग्वेद अ० ६ अ०६ वर्ग १४ में अत्रिऋषिकी पुत्री अलापा सोम वलीका भक्षण करती थी. दांतोंका अवाज सुनकर इंद्र आया और उसके मुखका रस पीकर अालाका दुष्ट रोग दूर किया आदि वर्णन है .... .... .... .... .... ऋग्वेद सं० अ० १ अ० ७ वर्ग ७ में यम यमी भाई बहेनका ___ संवाद, यमी यमको भोगके वास्ते प्रार्थना करती है .... .... यजुर्वेद अ० १३ में सोको नमस्कारादि वर्णन .... .... .... यजुर्वेद अ० १९ में सौत्रामणीयज्ञ जिसमें ब्राह्मण सुरापान करें .... यजुर्वेद अ० ३२ में अग्नि आदिको प्रार्थना, और अ० ४० में धीर पंडितोसें उपासनाका फल हम सुनते हुए तिसका वर्णन .... २७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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