Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 8
________________ डांस तारातारात रिसायकिया सीतापहारादाम दिसा बारियाज देना को मना निजावा नाजिमा पुरिमाणम एशनमरिक माणकदर स्वनिप निजदारसा माण जिम जगतात तर निशानाजी रामरहितता र5ी संसार मुनातीराना लिलामा मदन जास्त मार्ग नागतिक मजा सदरामयाजा मगासति कम मत दिसामा अष्ट यस्मामा [रिवस्यसंपतराम होगा। महमति तिरक नादातर ही वामाचामगा गतिपरम शंकराय लि एक सामिनिकह। इति खातिरका श्रतिक सिरक रिरणा सहिछा। सर्वकका पाँया हिवताप राया ॥ यदि तपा पापसमा साविति तितिसमागमदानी प्रायः माय ॐ प्रधानक मानकरी का अति विस्तामिन इरपत्रिका इम करीन तर काहिहि कतार ही न सा राष्टकउयादिश्राप र क एरिणामादि की कपडाका कारण हा सकारिणी नामको प्रयादिपमानवा कमल पति श्रीमहावार दिगति गला मिलता का कहा कि पिकाश्रमाण महार श्रामाश्रयुतकात न जाणतात क लगाएश्वर्यादिकसरि देव ॥ ॥ ॥ कनिक निधी १४

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