Book Title: Sramana 2013 07
Author(s): Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 146
________________ Parshwanath Vidyapeeth News: 139 इस कार्यशाला में विद्वानों द्वारा जैन धर्म-दर्शन के अधोलिखित विषयों पर व्याख्यान हुएप.पू. प्रशमरति विजयजी महराज जी (वाराणसी)-- जैनागम साहित्य, संल्लेखना की अवधारणा एवं जैन पर्व एवं त्योहार, डॉ. शुगन चन्द जैन (नई दिल्ली)-- जैन साहित्य, महावीर कालीन इतिहास, महावीरोत्तरकालीन इतिहास एवं जैन श्रावकाचार, प्रो. अरविन्द कुमार राय (वाराणसी)-- भारतीय संस्कृति एवं दर्शन की विशेषताएँ, प्रो. मारुति नन्दन तिवारी (वाराणसी)--जैन कला एवं जैन प्रतिमा विज्ञान, प्रो. माहेश्वरी प्रसाद (वाराणसी)-- जैन अभिलेख, प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय (वाराणसी)-- जैन ज्योतिष, डॉ. अशोक कुमार जैन (वाराणसी)-- जैन दर्शन में अनेकान्तवाद, जैन धर्म में गुणस्थान सिद्धान्त की अवधारणा एवं श्रमणाचार, प्रो. हरिहर सिंह (वाराणसी)--पश्चिम भारत के जैन मन्दिर, प्रो. सुमन जैन (वाराणसी)-- पाण्डुलिपियों का सामान्य परिचय, डॉ. अशोक कुमार सिंह (वाराणसी)--जैनाचार्यों का दार्शनिक साहित्य को अवदान, जैन आगमों की ( प्राकृत एवं शौरसेनी) व्याख्यायें, जैनधर्म एवं धार्मिक सहिष्णुता तथा जैन आध्यात्मिकता, डॉ. श्री प्रकाश पाण्डेय (वाराणसी)-- द्रव्य, गुण, पर्याय, जैन योग, कर्म सिद्धान्त, लेश्या सिद्धान्त, स्याद्वाद एवं सप्तभंगी, नय निक्षेप, डॉ. झिनकू यादव (वाराणसी)-- जैन सम्प्रदाय, डॉ. जयन्त उपाध्याय (वाराणसी) -- भारतीय दर्शन में ज्ञान की अवधारणा, डॉ. नवीन कुमार श्रीवास्तव (वाराणसी)--जैन ज्ञान मीमांसा, जैन दर्शन में आत्मा की अवधारणा एवं जैव नैतिकता, डॉ. राहुल कुमार सिंह (वाराणसी)-- जैन सप्त तत्त्व एवं जैन नवतत्त्व की अवधारणा, जैन प्रमाण मीमांसा, षड्द्रव्य की अवधारणा, जैन दर्शन एवं गांधी -विचार तथा शाकाहार और श्री ओम प्रकाश सिंह (वाराणसी)-- जैन कोश साहित्य। कार्यशाला के अन्तिम दिन में १८ छात्र-छात्राओं ने जैन धर्म-दर्शन के विभिन्न विषयों पर पत्रों का वाचन किया। पत्रवाचन में डॉ. अर्चना कुमारी को प्रथम, डॉ. तपेश्वर राम को द्वितीय एवं सुश्री प्रतिमा सिंह तथा श्री राज कुमार सिंह को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान मिला। दिनांक ९ अक्टूबर, २०१३ को इस पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह सम्पन्न हुआ। सारस्वत अतिथि के पद से बोलते हुए श्री लेख राज मेहता एडवोकेट, जोधपुर, ने कहा कि हमें वर्तमान में दर्शन के सिद्धान्त को अपनाने की आवश्यकता है। समापन सत्र के मुख्य अतिथि दर्शन एवं धर्म विभाग, का.हि.वि.वि. के अध्यक्ष प्रो. एस. पी. पाण्डेय थे। इस समारोह की अध्यक्षता कला संकाय, का.हि.वि.वि के संकायाध्यक्ष प्रो. एम. एन. राय ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एस. पी. पाण्डेय ने कहा कि कार्यशालाओं का आयोजन कुछ विशेष संदर्भो एवं समस्याओं पर आधारित होता है। इस कार्यशाला में विषयों का चयन संदर्भो के अनुरूप हुआ है। पाठशालाएँ विद्या का पाठ कराती हैं तो कार्यशालाएँ उनका व्यावहारिक प्रयोग। SoileTUTI - Venue apeeth,I.T.I. Road, Karaundi. Varanisie

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