Book Title: Sramana 2005 07 10
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 14
________________ भारतीय संस्कृति के दो प्रमुख घटकों का सहसम्बन्ध : ५ मनुष्य (प्रवर्तक) (निवर्तक) देह चेतना वासना विवेक भोग अभ्युदय (प्रेय) स्वर्ग विराग (त्याग) निःश्रेयस् मोक्ष (निर्वाण) कर्म संन्यास प्रवृत्ति प्रवर्तक धर्म अलौकिक शक्तियों की उपासना निवृत्ति निवर्तक धर्म आत्मोपलब्धि समर्पणमूलक यज्ञमूलक चिन्तन प्रधान देहदण्डनमूलक भक्तिमार्ग कर्ममार्ग ज्ञानमार्ग तपमार्ग निवर्तक (श्रमण) एवं प्रवर्तक (वैदिक) धर्मों के दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय प्रवर्तक और निवर्तक धर्मों का यह विकास भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिक आधारों पर हुआ था, अत: यह स्वाभाविक था कि उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय भिन्न-भिन्न हों। प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों के इन प्रदेयों और उनके आधार पर उनमें रही हुई पारस्परिक भिन्नता को निम्न सारणी से स्पष्टतया समझा जा सकता है - प्रवर्तक धर्म निवर्तक धर्म १. जैविक मूल्यों की प्रधानता १. उपासनामूलक आध्यात्मिक मूल्यों २. विधायक जीवन-दृष्टि की प्रधानता २. निषेधक जीवन-दृष्टि ३. समष्टिवादी ३. व्यष्टिवादी - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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