Book Title: Siddhachal Tirth Chaitya Paripati
Author(s): Malji Nagji Kacchi
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ 158 तेना मधे प्रतमा १ ने मा०. तीहाथी चले उगमणी कोरे पुंडरीकजीना गभाराना बारणाने उतरादी थडमां देरी १, तेना मधे प्रतमा २६ ने मा०. इती प्रथम वसई संपूर्ण ॥ ८९. हवे तीहाथी चले सुगाल पोलमांधी बारे नेकलता सनमुख मोतीकुंड देखाई छे. तथा वाडी फुलवाडी ३ देखाए छे. तथा आंबलीना जाड पण देखाई छे. तीहाथी चले तेनी पासे आथमणी कोरे मोतीवसई : वीचाले देरो १ श्रीमुंबईवाला ओसवालज्ञातीय वृधसाखायां नाहटागोत्रे सां. साकरचंद तस्य पुत्र सां. अमीचंद तस्य भारजा बाई रूपबाई तस्य पुत्र राजसभाशृंगार दीनदुःखीआधार धर्मधो(धुरंधर जीनसासनदीपक परदुखभंजणहार सेठ मोतीसा, तस्य भार० बाई दीवालीबाई तस्य पुत्र राजसभाशृंगार जीनसासनदीपक संघवी संघपती सेठ खीमचंदभाई इं तथा भा० बाई मोघीवउ प्रमुख परीवार संयुतेन सवंत १८९३ वरषे माहा सुद १० बुधवारेनी अंजनसीलाका करीने माहा वद २ बुधवारेनी प्रतीष्ठा करी छे. तेना मधे मुलनाऐकजी श्रीमत् आदीनाथजी आदे देईने प्रतमा २६ने मारो नमसकार छे. तथा धातुना चोमखजी १ मधे प्रतमा ४ ने मारो०. तथा धातुना सीधचक्र २३ ने मारो०. तथा रंगमंडप मधे प्रभुने सनमुख हाथीनी असवारीइं माता मरुदेवी तथा भरचक्री पण बेठा छे. तथा रंगमंडपनी फरती भमती मधे प्रतमा ६ने मारो०. तथा भमती मधे आरसरतनना [बे] ॐकार मधे प्रतमा १० ने मारो०. तथा हींकार बे मधे प्रतमा ४८ ने मारो०. तथा ऐज रंगमंडप मधे गोखला १ मधे प्रभुने सनमुख मुरती २ सेठ मोतीसाजी तस्य भार० बाई दीवालीबाई हाथ जोडीने उभा छे. तथा गोखला बीजा मधे सेठ मोतीसानी माता बाई रूपबाई पण प्रभुने सनमुख हाथ जोडीने उभा छे. तथा माल बीजे चोमुखजीनी प्रतमा ४ ने मारो०. तथा पासे फरती भमती मधे प्रतमा २४ ने मारोः. तथा माल बीजे चोमखजीनी प्रतमा ४ ने मारो०. तथा पासे भमती मधे प्रतमा ६ ने मारो०. तीहाथी हेठल चले ऐज देरानी १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66