Book Title: Shukl Jain Mahabharat 01
Author(s): Shuklchand Maharaj
Publisher: Kashiram Smruti Granthmala Delhi

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Page 8
________________ साथ ही मैं ला० स्नेही राम रामनारायण जी नया बाजार वालो का भी धन्यवाद करता हू जिन्होने इसके प्रकाशन में तन-मन व धन का योगदान दिया है । आशा है भविष्य में भी इसी प्रकार ग्रन्थमाला को सहयोग देते रहेगे। श्री मूलचन्द जी शास्त्री को भी धन्यवाद दिये बिना नही रह सकते, जिन्होने अपनी सुख सुविधा का रचमात्र भो ध्यान न रखते हुए बडी सावधानी से प्रूफशोधन के लिए अपना अमूल्य समय दिया । तथा श्री कृष्णलाल जैन, मालिक | कृष्णा हौजरी I. B. १५२ लाजपतनगर समय समय पर सहायता देते रहे है। अतः धन्यवाद । यद्यपि प्रेस ने पुस्तक के छापने मे पूर्ण तत्परता से कार्य किया है पुनरपि प्रारम्भ के लगभग २०० पृष्ठो मे टाइप की त्रुटि के कारण मात्राये पूर्णतया नहीं उठ पाई है । इस त्रुटि का मुख्ग कारण यह है कि इस अवसर पर सम्राट् प्रेस के स्वामी तथा प्रबन्धक सज्जन पजाब के हिन्दी आन्दोलन मे जेल चले गये जिस से पीछे व्यवस्था उतनी उपयुक्त न हो सकी। निवेदक उलफतराय जैन मन्त्री श्री पूज्य काशीराम स्मृति ग्रन्थमाला १२. लेडी हार्डिङ्ग रोड, नई दिल्ली।

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