Book Title: Shrutsagar
Author(s): Mahabodhivijay
Publisher: Jinkrupa Charitable Trust

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Page 101
________________ राई। नमोरिता। श्री अरिदेतयतिमाहरु नमस्का जान मो सिद्धाणं। श्री सिद्ध प्रतिमाहरु नमसकार जान मो चायरी श्री श्री श्रीदास्यप्रतिमाहरु नमस्कार जान मोवाया। श्री उपाध्याययतिमाहरु नमस्कार नमो लोग सबसाऊ श्लोक मनुष्यत्र मोहि नरक मेरा मिमोहि सर्वमाप्रति माह रुनम स्कार फ्राय सोमंचना मोक्का रोचपरमेष्ट प्रतिनमस्कार लावस विकी अनु क सिक माया समोसवी मानव मरण द्वारा मंगल वस सिसरव मंगली कमां हिमंगेलीका पट मेहद मंगल अधम मंगलीक नुकारलाइ बारिमा समणो 5 उभिइकहा 5वां बना हैकमा श्रमण श्रमणक हाइकही शरीरादी वे कही 5 बांजा नणि काय कही शेरनी सक्तिकरीत शनि सही आए कहता था व्यापार निषेध करीशमाददामि कही मुत्रिक करीब कारसुराई। कही नगदराईक हा मु घरात अतिक्रमी सुत कही। देश गवन दान शरीर निराबाधा कही दाराशरीर नश्वयनिराबाध्य सिख संयम जात्रा नरवऊन महिले गवन तो मया वा नरवविदि यसदरणीयां दीना संवर नारबिया केही नदी छाए इंद्री श्र इंद्री शिकारी एपादि इंडीना संवर नारान विदेश गुत्रिविविब्रह्मदर्शनी शुभक दादामहाधरणहार वयीत के ही नि सही कहीशनषेधनसंदो हो कही संदेह नहीं। केशारुशीलासही मंतरकही शकुनि श्री तरसीमन तरारदि नहीं। कालिय कहीवली की डास सारखा नहीं जाइ बिस रुप बसिनिया 54 55 साइसिन ही। एवमिश्रा हारवि कही सरस सुगंधासु हाला श्राहारले दानही श्री बी वख्यहिरवा नही एकही घोडना वृधसनात लिहिन नदी सिम सूर्यदेवा न दृष्टिदशति ल

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