Book Title: Shri 108 Navkar
Author(s): Abhayshekharsuri
Publisher: Arham Parivar Trust

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Page 126
________________ ॐ नमो अरिहंताणं स्वाहा (ॐ नमो अरिहंताणं शिरस्कं शिरसि स्थितम्)/ থিৱীৰথা কী বারী বিথনি ॐ नमो सिद्धाणं स्वाहा (ॐ नमो सव्वसिद्धाणं, मुखे मुखपटं वरम्) मुखरक्षा की तीसरी स्थिति आत्तारक्षा स्थित ॐ परमेष्ठिनमस्कारं, सारं नवपदात्मकम्। आत्मरक्षाकरं वज-पञ्जराभं स्मराम्यहम्।।१।। आत्तारक्षा-कतर की प्रथना स्थिति-प्रार्थना ॐ नमो लोए सव्वसाहणं स्वाहा एसो पंच नमुक्कारो स्वाहा ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे (एसो पंचनमुक्कारो-शिलावजमयी तले) Jain Eaulation erraticartel & Personaliseplanunghilary.org

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