Book Title: Shravak aur Karmadan
Author(s): Jivraj Jain
Publisher: Z_Jinavani_002748.pdf

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Page 10
________________ 187 15,17 नवम्बर 2006 जिनवाणी गवेषणापूर्वक रखा जा सकता है। जैसे बूचड़खाने के लिए या मदिरा बनाने के लिए उपयोग में न हो, इत्यादि। (३) शेयर खरीद-फरोख्त- कंपनियों के शेयः खरीदना, जिनके दाम बढ़ने की संभावना हो तथा उनका लाभांश रूप में या मूल्य वृद्धि रूप में मुनाफा प्राप्त करना। उद्देश्य - केवल कम्पनी की कार्यक्षमता, कुशलता व भविष्य की योजनाएँ नजर में रखी जाती हैं। जिससे लाभ की संभावना ज्यादा हो। केवल उसके उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर ही लोग निर्णय लेते हैं। कर्म-बंध की विवक्षा - इन संस्थानों में प्रत्यक्ष भागीदारी व निर्देशन नहीं रहता है। परोक्ष रूप से उनकी अनुमोदना होती है। इसमें केवल एक करण है। करूँ नहीं, कराऊँ नहीं का करण नहीं लगता है। यह व्यापार की श्रेणी का काम है, न कि कम्मे की। अतः श्रावक के करने योग्य है। केवल महाहिंसक कंपनियों से बचने का विवेक रखना है, जिससे उन धंधों की अनुमोदना न हो। (४) शेयर दलाली - जो भी लोग शेयर खरीद बिक्री करते हैं, उनको सुविधा प्रदान कराना तथा उस सर्विस के बदले में दलाली देना। उद्देश्य - लोगों को खरीद-बिक्री करने की सुविधा देना। कौनसी कंपनी का शेयर खरीदा जाता है, उस निर्णय में भागीदारी नहीं के बराबर रहती है। कर्म-बंध की विवक्षा - कम्पनियों के कार्य-निष्पादन में व निर्देशन में भागीदारी नहीं रहती है। प्रत्यक्ष रूप से कम्पनी के कार्य में अनुमोदना नहीं के बराबर रहती है। परोक्ष प्रोत्साहन होता है, लेकिन यह विवेक रखना है कि महाहिंसक कम्पनियों (बूचडखाने व शराब कम्पनी) की अनुशंसा नहीं हो। इस तरह यह श्रावक के करने योग्य व्यापार है, ऐसा समझ में आता है। (५) ट्रेडिंग टर्मिनल - खुद फाटका नहीं करते हैं, लेकिन कराते हैं। उनकी कभी-कभी अनुमोदना भी करते हैं। अतः उपर्युक्त प्रकार का निमित्त तो बैठता ही है। लेकिन इसके अलावा जुआ के प्रकार का जो काम हो रहा है, उससे कुव्यसन-प्रवृत्ति बढ़ाने का तो काम होता है। हालांकि अर्थशास्त्री इसको जुआ न मानकर एक आवश्यक आर्थिक प्रक्रिया मानते हैं। (६) वकालत - चूंकि वकील शुद्ध न्याय की प्राप्ति में सहायता देता है, अतः सामान्यतः यह पेशा महारम्भी नहीं लगता है। लेकिन सत्य/असत्य की परवाह न करके केवल आर्थिक लाभ के लिए सत्य को असत्य सिद्ध करना, धन्धे का दुरुपयोग करने रूप महारम्भ है। (६) इंजीनियरिंग का पेशा या व्यवसाय -- सीधे उत्पादन में काम करना, डिजाइन या सलाहकार के रूप में कार्य करना, कम्प्यूटर (सहयोगी काम) में, मानव संसाधन या वस्तु भंडार आदि में कार्य करना। ___ इन सबमें अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियाँ बनती हैं। उनमें प्राथमिक भावनाओं व आसक्ति के अनुरूप कर्म का बंधन होता है। एक मूल सिद्धांत जो सामने उभर कर आया है, वह यह है कि भावना में यदि अनासक्ति एवं अहिंसा का भाव है तो जीवन-निर्वाह के साधन महारम्भ एवं महापरिग्रह से युक्त नहीं होंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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