Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 20
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ // 65 // तत्र रत्नशिखा दत्ता, मेघनादस्य भूभुजः / सितप्रभस्य च मणिशिखा लावण्यदीर्घिका // 60 // . जातो .रत्नशिखामेघनादयोरहमङ्गजः / रत्नचूड इतीदं मे, नाम रम्यं प्रतिष्ठितम् . . // 61 // जातावुभौ मणिशिखासितप्रभसुतौ पुनः / ... अचलश्चपलश्चेति, रतिकान्ताह्वयां तथा // 62 // रत्नशेखरभार्याऽभूत्, तत्पुत्री चूतमञ्जरी / चक्रुः सर्वाण्यपि क्रीडां, बाल्येऽमूनि, सहाद्भुताम् // 63 // कुमारभावं प्राप्तानि, गृहीताः सकला: कलाः / इतश्च चन्दनो नाम, प्रसिद्धः सिद्धपुत्रक: // 64 // बालमित्रं दधद् रत्नशेखरस्यास्ति कौशलम् / जैनागमे निमित्ते च, ज्योतिषे मन्त्रलक्षणे जैनधर्मरतः सङ्गात्, तस्याभूद् रत्नशेखरः / धर्मं सोऽपि पितुर्मेऽदाद्, भगिन्योर्मह्यमेव च // 66 // अन्यदा चन्दनेनाहं, निर्दिष्टः प्रेक्ष्य लक्षणम् / यदयं दारको विद्याचक्रवर्ती भविष्यति // 67 // ततः सार्मिकोऽयं सल्लक्षणश्चेति मातुलः / ममेमां प्रददौ चूतमञ्जरी रत्नशेखरः ततो नितान्तमचलचपलौ कुपितौ मयि / न शक्नुतोऽभिभवितुं, छिद्राणि मम पश्यतः // 69 // / मया तस्य च्छलं ज्ञातुं, प्रयुक्तो मुखरश्चरः / आगत्याह स लब्धाऽऽभ्यां, काली विद्या कुतश्चन . // 70 // गतौ तत्साधनार्थं च, क्वापीमौ विधितत्परौ / . मयोक्तं तौ यदाऽऽयातो, वक्तव्यं भवता तदा . // 71 // // 68 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 298